पापी परिवार--6
" डॅड छोड़ो मुझे ..मैं आपकी बेटी हूँ ..लीव मी डॅड "
तनवी ने रोते हुए उससे बचने की गुहार लगाई लेकिन जब तक जीत पैंटी को उतार कर दूर फेक चुका था ..बड़े - बड़े मखमली चूतडो से जीत की आँखें चमक उठी ..जो दर्द मिटाने के लिए तनवी ने उसके लंड को मसला था अब वो उसी लंड रूपी दिमाग़ से अपनी बेटी को देख रहा था
" चटाकककककक..... "
एक ज़ोर का थप्पड़ तनवी के गोरे चूतडो पर पड़ा
" आाआईयईई........ डॅड ..लीव मी "
तनवी ने अपने हाथ पीछे ले जाकर जीत के हाथ को रोकने की कोशिश की
" हाथ दूर कर वरना और ज़ोर से मारूँगा "
जीत ने उसका हाथ मरोड़ कर कहा पर तनवी ने छटपटाना बंद नही किया
" लगता है तू ऐसे नही मानेगी "
जीत ने उसे ज़मीन पर गिराते हुए कहा ..तनवी ने फ्लोर से उठने की कोशिश मे अपने हाथ से टेबल को पकड़ा और घुटनो के सहारे खुद को खड़ा करने लगी
" फॅट - फॅट ..फॅट - फॅट "
जीत ने फ्लोर पर पड़ी खुद की बेल्ट से उसके चूतडो पर वार करना चालू कर दिया ..तनवी की चीखों की परवाह ना करते हुए उसने पूरे चूतडो पर खून निकाल दिया
" बोल कमीनि अब मारेगी अपने बाप को "
जीत ने हैवानी की हर हद को पार करते हुए उसे जम कर पीटा
" आहह...... डॅड ..कभी नही करूँगी "
तनवी दर्द से बहाल हो कर ज़मीन पर लॉट लगाने लगी ..चुतडो के साथ अब जीत की आँखों ने अपनी बेटी की वर्जिन चूत को भी जी भर कर देखा ..बीवी की मौत का इससे अच्छा बदला वो कभी नही ले पाता ..तनवी मे उसे सिर्फ़ और सिर्फ़ रश्मि के कातिल होने की छवि दिखाई दे रही थी
" चल अपना टॉप उतार और मुझे नंगा कर "
जीत ने हंसते हुए उसे ऑर्डर दिया ..तनवी की आँखों से निकलते आँसू और दर्द की चीखो से उसे असीम आनंद की प्राप्ति हुई
" डॅड ऐसा मत करो मैं आप की बेटी हूँ "
तनवी ने अपने हाथ जोड़ कर उससे रहम की भीख माँगी
" बेटी नही रखेल बोल ..आज मैं तुझे लंड की उपयोगिता से रूबरू कर्वाउन्गा ..तब जा कर तुझे पता चलेगा कि सिर्फ़ अपनी चूत चटवा लेने से लड़की औरत नही बनती ..चल फटाफट बिना किसी ऑब्जेक्षन के नंगी हो जा "
जीत ने बेल्ट को हवा मे घुमा कर बोला ..तनवी ने डर के मारे अपने टॉप को झट से उतार फेका ..वो समझ गयी कि आज जीत उसे कताई नही छोड़ेगा
" शब्बाश मेरी चुद्दो रानी ..अब जल्दी से मेरे कपड़े उतार कर मुझे नंगा कर "
तनवी नंगी खड़ी हाथो से अपना यौवन छुपाये हुए रो रही थी ..उसकी हिम्मत नही हुई जीत को हाथ लगाने की
" चटाकककक..... "
बेल्ट के एक और प्रहार ने जीत का काम आसान कर दिया ..तनवी ने झट से उसकी टी-शर्ट को उतार कर फ्लोर पर गिरा दिया
" चल अब घुटनो पर बैठ कर मेरा जीन्स उतार "
जीत खुद उसके सर पर दवाब बनाते हुए उसे ज़मीन पर बिठाने लगा
" डॅड हम बातों से सारी ग़लत फहमियाँ दूर कर लेंगे ..लीव मी "
तनवी की बात सुन जीत ने उसके खुले बालो को पूरी ताक़त से खीचते हुए उसे लताड़ दिया
" ग़लत - फहमी ..चल वो सब बाद मे ..अभी मेरा जीन्स खोल "
ना चाहते हुए भी तनवी के हाथो ने जीन्स को ब्रीफ सहित नीचे खीच दिया लेकिन उसकी आँखें कतई उसके हाथो का साथ नही दे रही थी
" अपनी आँखें खोल तनवी "
जीत ने बाल की पकड़ से उसका चेहरा अपने खड़े लंड की तरफ़ खीच कर कहा
" आआईयईईई...... डॅड "
तनवी ने बालो के दर्द से मूँह तो खोला लेकिन उसकी आँखें अभी भी बंद थी
" तनवी ये लास्ट बार कह रहा हूँ अपनी आँखें खोल ले ..वरना तुझे इतना मारूँगा कि सदा के लिए तेरी आँखें बंद हो जाएँगी "
जीत ने अपनी पकड़ को बालो पर मजबूत करते हुए कहा ..मजबूरी मे तनवी को उसकी बात मान नी पड़ी और अगले ही पल जीत का खड़ा भयानक लंड उसके गाल पर थपकी दे रहा था
" कैसा लगा अपने बाप का लंड बेटी ? "
जीत ने हँसते हुए उससे पूछा मगर तनवी खामोश रही ..ये उसकी लाइफ का पहला लाइव लंड था जो उसकी आँखों के इतना करीब था वो भी उसके सगे बाप का
" बोल कुतिया कैसा लगा अपने बाप का लंड और मुझे मेरे हर सवाल का जवाब हां मे चाहिए ..समझी ना तू "
जीत ने लंड के सुपाडे को उसके नरम होंठो पर घिसते हुए कहा
" हां "
तनवी ने बेहद धीमी आवाज़ मे जवाब दिया
" क्या हां ..अरे मैं पूछ रहा हूँ कैसा लंड है तेरे डॅड का जिससे तूने इस दुनिया मे कदम रखा ..बोल ? "
जीत ने फिर से हँसते हुए पूछा ..तनवी की ऐसी हालत देख वो बेहद प्रसन्न था
" अच्छा है "
तनवी रोते हुए बोली पर आवाज़ का स्तर अभी भी कमजोर था
" पूरा बोल ..यहाँ कोई शॉर्ट टर्म क्वेस्चन नही चल रहे "
जीत ने हुंकार भरी
" डॅड आप का लंड अच्छा है "
तनवी के मूँह से लंड नामक देशी शब्द सुन कर जीत को परम संतोष हुआ
" तो अपने बाप का लंड चूसेगी नही ..जवाब तुझे पता है क्या देना है और पूरा सेंटेन्स बोलना "
जीत ने उसके एक बूब को बुरी तरह मसल कर कहा ..तनवी के शरीर पर ये पहला मर्दाना टच था वो भी किसी गैर इंसान का नही अपने बाप का
" हां डॅड मैं आप का लंड चूसुन्गि "
तनवी ने जवाब तो दिया लेकिन सिर्फ़ मार के डर की वजह से
" तो सूंघ इसे और बता कैसी खुश्बू है इसकी "
जीत ने सुपाडे को उसकी नाक से सटा कर कहा ..तनवी को सूंघना पड़ा और पहली बार उसने अपने अंदर आता सेडक्षन महसूस किया
" अच्छी खुश्बू है डॅड "
जीत ने अपने लंड की तारीफ़ सुन ठहाका लगाया
" वही तो मैं भी कहना चाहता था कि औरत की असली प्यास सिर्फ़ लंड ही बुझा सकता है ..चल फटाफट चूस इसे और अगर तेरे दांतो ने कोई भी ग़लत हरकत की तो तू सच मे जान से जाएगी "
जीत ने इतना बोल कर उसी बूब के निपल को बुरी तरह से दबा दिया तनवी की चीख से उसका मूँह खुला और अगले ही पल जीत का साढ़े सात इंच का लंड हाफ तनवी के मूँह मे था और वो बुरी तरह से चौंक हो गयी
" अहह..... तनवी ..यू लुक लाइक आ रियल स्लुट ..सक इट बेबी ..प्यार कर इससे ..तेरी किस्मत मे तेरे डॅड का लंड लिखा है "
तनवी के मूँह मे लंड जाते ही जीत की आह निकल गयी ..उसके लंड की गोलाई के मुक़ाबले उसकी बेटी का मूँह काफ़ी छोटा था ..जीत को एहसाह हुआ जैसे किसी कुँवारी चूत मे अपना लंड घुसेड दिया हो
" चल मेरी आँखों मे देखते हुए चूसना चालू कर "
अब तक तनवी ने मूँह को ज़रा भी नही हिलाया था ..उसने आँखें ऊपर उठाई तो अपने वहशी बाप का हँसता चेहरा दिखाई दिया ..जिसे देख तनवी के आँसू और तेज़ी से बहने लगे
" नही आता चूसना मेरी बच्ची को ..चल मैं सिखाता हूँ ..मेरे लंड की टिप पर अपनी जीभ से मालिश कर और अपने होंठो से जैसे लॉलीपोप चूस्ति है वैसे चूस "
जीत की बात सुन तनवी ने कोई रेयेक्सन नही दिया बस वो रोती आँखों से अपने बाप के चेहरे को देखे जा रही थी ..जीत ने एक करारा शॉट मारा और लंड जड़ समेत उसके गले तक उतर गया ..तनवी की चिन टट्टो से और सर उसके पेट से चिपक गया
तनवी ने अपना दर्द बताने की गरज से जीत के चूतडो पर अपने हाथो का दवाब डाला क्यों कि जीत ने मस्त हो कर अपने शरीर को तनवी पर झुका लिया था
वो छटपटाती रही और लगभग 10 - 15 सेक एंजाय करने के बाद जीत ने आधा लंड वापस बाहर खीच लिया
" हाए रे अब पता चला तड़प क्या होती है ..तेरी मा तेरे लेज़्बीयन होने की बात सह नही पाई और उसे इस दुनिया से जाना पड़ा ..मैं सिर्फ़ उससे किए वादे को पूरा कर रहा हूँ तुझे सुधार कर धूम धाम से तेरी शादी करूँगा "
जीत के मूँह से ये बात निकली और अलगे ही पल उसने तनवी के बालो को छोड़ दिया ..उसका सारा नशा एक पल मे काफूर हो गया ..थूक से सना लंड तनवी के मूँह से पूरा बाहर निकल आया
तनवी उसकी पकड़ से आज़ाद होते ही खाँसती हुई ज़मीन पर लेट गयी और जीत तेज़ कदमो से चलता हुआ अपने कमरे मे आ गया
रूम की दीवार पर टन्गी अपने परिवार की तस्वीर देख जीत पूरे 2 घंटे रोता रहा ..उसने खुद को जान से मारने के लिए फाँसी का फँदा बनाया लेकिन तनवी के अनाथ होने का सोच कर उस पर झूलने की हिम्मत नही जुटा पाया ..मन मे फ़ैसला किया कि वो अपनी ग़लती को सुधारेगा और यही सोचते हुए वो कमरे से बाहर निकला
तनवी के रूम मे जाने के लिए उसे हॉल को पार करना था ..हॉल मे आते ही उसके बढ़ते कदम रुक गये ..देखा तो तनवी अभी भी ज़मीन पर लेटी थी ..जीत दौड़ कर उसके पास पहुचा
" तनवीीईई...... "
4 - 5 बार जीत ने उसे आवाज़ दी लेकिन तनवी बेहोश पड़ी थी ..जीत ने उसे गोद मे उठाया और उसके कमरे की तरफ बढ़ गया ..बेड पर उसे लिटाने के बाद जीत की नज़र उसके चूतडो पर बने चोट के निशानो पर पड़ी जिन्हे थोड़ी देर पहले जीत ने खुद अपनी बेल्ट से मार - मार कर बनाया था
उसने अपने काँपते हाथ को घाव पर रखा ही था कि तनवी नींद मे भी दर्द महसूस कर छट - पटाने लगी ..जीत ने रोते हुए एक बार तनवी के बालो मे अपना हाथ फेरा और उसके कमरे से बाहर निकल गया
हॉल की टेबल पर रखी शराब की बॉटल उसने डस्टबिन मे फेक दी और कसम खाई कि आज के बाद वो अपनी बेटी को सिर्फ़ प्यार ही प्यार देगा ....
अगले दिन सुबह 7 बजे तनवी की नींद खुली ..रात को हुई घटना के कुछ अंश उसके जेहन मे मौज़ूद थे ..करवट लेते वक़्त उसे अपने पिछवाड़े मे दर्द हुआ और वो कराह उठी ..जैसे तैसे बेड का स्टॅंड पॉइंट पकड़ कर उसने खुद को बिठा पाई
" मैं तो हॉल मे थी फिर अपने कमरे मे कैसे आई और ये कपड़े "
रात को जीत जब उसे हॉल से उठा कर कमरे मे लाया तब तनवी पूरी तरह से बेहोश थी ..कमरे मे लाने के बाद जीत ने उसके वॉर्डरोब से कपड़े निकाल कर उसका नंगा बदन ढका ..वो चाहता था कि तनवी के घाव पर दावा भी लगा दे लेकिन उससे दोबारा अपनी बेटी का न्यूड बदन छुना गवारा नही हुआ और वो कमरे से बाहर निकल कर हॉल के सोफे पर बैठे - बैठे सो गया
तनवी सोच मे डूब गयी कि उसकी मा ने दम तोड़ने से पहले जीत से क्या कहा था ..लेज़्बीयन वाली बात से अगर रश्मि के दिल को इतनी ही चोट पहुचि थी तो क्या वो एक बार तनवी को टोक नही सकती थी ..दुनिया मे हर इंसान की पसंद - ना पसंद अलग होती है फिर चाहे वो रोज़मर्रा की बातें हों या सेक्स से जुड़ी
तनवी शुरू से सिंगल सेक्स एजुकेशन स्कूल मे पढ़ी ..मर्द के नाम पर उसने सिर्फ़ जीत को जाना था ..दिन के वक़्त वो अपनी स्कूल फ्रेंड्स के साथ बिताती और रात का टाइम मोम - डॅड के साथ ..जीत अपने बिज़्नेस के काम मे बिज़ी रहता और रश्मि अपने नेचर की वजह से तनवी से दूर थी
अक्सर देर रात जब जीत तनवी के कमरे मे उससे मिलने जाता उस वक़्त उसकी बेटी अपने सपनो की दुनिया मे होती और सुबह जब तनवी स्कूल के लिए निकलती तब जीत उसे सोता मिलता
पेरेंट्स और बच्चो के बीच अगर बातचीत का गॅप बढ़े तो ये दोनो के लिए खराब होता है
एक दिन स्कूल मे तनवी वॉशरूम मे सूसू कर रही थी ..इस के बाद उसने खड़े हो कर अपने कपड़े सही किए और टाय्लेट से बाहर जाने लगी ..उसने देखा गेट अंदर से लॉक था
" अभी 5 मिनट पहले तो मैं यहाँ आई थी फिर ये गेट किसने बंद किया "
उसके मूँह से निकला और वो वापस गेट से अंदर की साइड लौट गयी ..थोड़ा आगे पहुच कर उसने महसूस किया कि वॉश बेसिन के पास कोई है ..वो दीवार के दूसरी तरफ बने सीनियर गर्ल्स के टाय्लेट मे एंटर हुई और सामने बनी पट्टी पर वो सीन चल रहा था जिसे देख कर तनवी के होश उड़ गये ..स्कूल की सबसे सीनियर क्लास की 2 लड़कियाँ टाय्लेट मे मौजूद थी ..तनवी ने देखा कि एक लड़की पट्टी पर अपनी टांगे चौड़ा कर बैठी है और दूसरी लड़की का मूँह उसने अपनी टाँगो मे फसा रखा था ..पट्टी पर बैठी लड़की ( जया ) की आँखें बंद और अपने हाथ से दूसरी ( निशा ) के बाल सहलाते हुए तेज़ी से साँसे भी ले रही थी ..तनवी के लिए ये पहला सेक्स सीन था ..वो हैरान हो कर दोनो की कारिस्तानी पर अपनी नज़रे जमाए खड़ी थी
[ विदेश मे रहने वाले इंडियन्स के बच्चो के लिए भारतीय स्कूल होते हैं और ये भी उनमे से एक था ..तभी ना तो तनवी के रहेन सहन मे कोई ख़ास अंतर आया ना ही बातचीत के लहजे मे ]
" निशा मज़ा नही आ रहा ..अंदर तक जीभ डाल ना "
जया ने निशा से कहा और उसकी आँखें खुल कर सामने खड़ी तनवी से जा टकराई ..नज़रें मिलते ही जया ने निशा को अपने से अलग किया और तनवी फटी आँखों से उसकी नंगी चूत को देखने लगी ..स्कर्ट के नीचे जया नेकड़ थी ..निशा को तुरंत समझ नही आया कि मॅटर क्या है और जया ने उसे धक्का क्यों दिया
" चाट तो रही हूँ तेरी चूत को अगर मज़ा नही आ रहा तो साली लंड डलवा ले "
निशा ने नाराज़ हो कर कहा
" न ..निशा तनवी "
जया ने अपने हाथ मे पकड़ी पैंटी वापस पहनते हुए कहा और निशा ने पलट कर पीछे देखा तो तनवी डर कर वहाँ से जा रही थी
निशा स्कूल की सबसे दम दार बंदियों मे से थी ..बिना किसी घबराहट के उसने तनवी को आवाज़ दी
" तनवी इधर आ फटाफट "
तनवी के कान मे निशा की आवाज़ पड़ते ही उसकी बढ़ते कदम रुक गये ..उसने पलट कर देखा तो निशा हाथ हिला कर उसे अपने पास बुला रही थी
" द ..द ..दीदी ..वो छुट्टी हो गयी है ..मुझे घर जाना है ..बस मिस हो जाएगी "
तनवी सिर्फ़ इतना बोल कर चुप हो गयी
" बस को जाने दे ..मैं तुझे तेरे घर छोड़ दूँगी ..अब आ मेरे पास "
निशा ने थोड़ा ऊँची आवाज़ मे कहा और तनवी धीरे - धीरे कदमो से चलती हुई उन दोनो के पास पहुच गयी
" हम जो कर रहे थे तुझे अच्छा लगा देखने मे ? "
निशा ने तनवी से सॉफ लफ़ज़ो मे पूछा
" पता नही दीदी मैं तो सूसू करने आई थी "
तनवी ने लो वाय्स मे जवाब दिया
" जया ..एक काम करते हैं ..खाली क्लास मे चलते हैं ..टाय्लेट सेफ नही है "
निशा ने जया को आँख मारते हुए कहा ..खेली - खिलाई जया उसके इशारे को समझ मुस्कुरा दी और तीनो लड़कियाँ टाय्लेट से 3 कमरे छ्चोड़ 4थ मे एंटर हो गयी
" गेट लॉक कर दे "
निशा ने तनवी को ऑर्डर दिया और जया के साथ चलती हुई टीचर की चेर पर बैठ गयी
" सुन जया ..ये अभी कच्ची कली है ..आज इसकी जवानी का पहला रस पी कर मज़ा आ जाएगा और ये किसी से बोलने लायक भी नही रहेगी ..बस तू मेरा साथ देना "
निशा की बात सुन कर जया ने हां मे अपना सर हिला दिया और तब तक तनवी भी गेट लॉक कर टेबल की दूसरी तरफ खड़ी हो गयी
निशा :- " देख तनवी तू मुझे दीदी बोलती है ना ? "
तनवी :- " जी दीदी "
निशा :- " लेकिन आज मुझे अपना टीचर समझ "
तनवी ने सवालिया चेहरे से जया की तरफ नज़रें उठाई जो निशा के ठीक पीछे खड़ी मुस्कुरा रही थी
जया :- " तेरे साथ मैं भी आज निशा की स्टूडेंट हूँ "
जया ने प्लान को आगे बढ़ाया और तनवी को हां करनी पड़ी
निशा :- " पहली बात तो ये जो मैं कहूँगी वो तुम दोनो को करना पड़ेगा और दूसरी ये कि इस बात को तुम दोनो मे से कोई बाहर के आदमी को नही बताएगा "
जया :- " ओके मेडम "
निशा :- " तनवी तू भी नही बताएगी "
तनवी :- " नही बताउन्गि "
" तो फिर क्लास शुरू करते हैं ..तनवी तू इस टेबल पर लेट जा "
निशा की बात सुन तनवी की घबराहट बढ़ गयी ..अगर वो निशा से डरती ना होती तो कतई उसके साथ इस खाली क्लास मे नही आती
निशा :- " मैने कहा लेट जा "
निशा ने स्टार्टिंग से तनवी पर अपना दवाब बनाते हुए कहा और चेर से उठ कर उसे को टेबल पर लिटाने मे मदद की
" जया तुझे पता है ना क्या करना है "
निशा की बात सुन जया ने तनवी का चेहरा ऊपर उठाया और अपने होंठ उसके होंठ से जोड़ दिए
तनवी के लिए ये एक नया एहसास था ..जया ने पूरी ताक़त लगा कर उसके होंठो को चूसना स्टार्ट कर दिया ..साथ ही उसने अपनी जीभ भी उसके मूँह मे डालने की कोशिश की लेकिन तनवी ने अपना मूँह नही खोला ना ही जया के होंठो को अपने होंठो का कोई रेस्पॉन्स दिया
पास खड़ी निशा की आँखें ताड़ गयी कि जब तक सेडक्षन का एहसास तनवी को नही होगा ऐसी हज़ार किस्सस उसके लिए बेकार हैं ..उसने प्लान मे से किस सीन को हटाया और जया के पास जा कर उसकी स्कर्ट उतार दी ..वहीं जया ने किस के साथ तनवी के बूब्स को भी ज़ोरो से मसला ताकि वो थोड़ी तो गरम हो सके ..लेकिन सब बेकार गया तनवी अभी भी किसी लाश की तरह टेबल पर लेटी थी
" छोड़ो एक दूसरे को और अपने कपड़े उतार दो "
निशा ने उनका किस तूडवाया और खुद टेबल पर बैठ गयी ..जया के हाथ अब अपनी स्कूल शर्ट को खोल रहे थे लेकिन तनवी मूक खड़ी निशा को देखे जा रही थी
" ऐसे क्या देख रही है ..जो तेरे पास है वही तो मेरे पास भी है "
निशा ने टेबल पर बैठ कर अपनी टाँगे फैला रखी थी साथ ही पहनी हुई रेड पैंटी को साइड मे खिसका कर चूत का व्यू खोल दिया ..जिसे तनवी बड़े गौर से देखने मे लगी थी
" कुछ नही दीदी "
तनवी ने शरमा कर जवाब दिया उसे लगा निशा ने उसकी चोरी पकड़ ली है
" जानती है इसे क्या कहते हैं ? "
निशा ने अपनी दो उंगलियों से चूत की फांको को स्प्रेड किया
" पुसी "
तनवी ने अपने मूँह पर हाथ रख स्लो वाय्स मे उसे जवाब दिया
" हां वो तो हर पढ़ने वाली लड़की को पता होता है ..पर लड़के इसे आम भाषा मे चूऊऊओत कहते हैं "
निशा ने चूत वर्ड को लंबा खीच कर कहा और तनवी ने हां मे अपना सर हिला दिया
निशा :- " क्या कहते हैं इसे ? "
तनवी :- " चूऊऊओट "
तनवी ने भी उसकी तरह वर्ड को खीचा तो जया और निशा ज़ोर से हस दी
" चूऊऊथ नही चूत "
जया ने उसे समझाया कि वर्ड छ्होटा है और इस बार तनवी के चेहरे पर भी हसी आ गयी
निशा :- " चल फटा फट अपने कपड़े उतार "
और तनवी ने इस बार उसकी बात को मान कर अपनी स्कर्ट ढीली कर दी
थोड़ी देर बाद तीनो लड़कियाँ सिर्फ़ स्कूल लेगैंग्स मे आ गयी ..निशा के इशारे पर जया तनवी को थामे टेबल पर बैठी थी और अगले ही पल कमरे मे बहुत ही हॉट अट्मॉस्फियर क्रियेट हो गया
निशा ने तनवी की दोनो टाँगो को अपने कंधे के पार निकाला और बिना किसी देरी के चेहरा आगे लाते हुए जीब से चूत को चाट कर गीला करने लगी
टाय्लेट मे जया और निशा के बीच जो भी कुछ चला उसे देख कर तनवी कन्फर्म थी कि अब उसके साथ भी वैसा ही कुछ होगा लेकिन ऐसा सुखद एहसास उसकी कल्पना से परे था ..अपनी चूत जिसे उसने अब तक सिर्फ़ मूतने के लिए यूज़ किया था उस पर निशा की गीली ज़ुबान टच होते ही तनवी के दिमाग़ की बत्ती जली और वो बुरी तरह से अपने हाथ पैर फटकारने लगी
" आहह..... ..द ..दीदी ..गुदगुदी हो रही है "
तनवी के मूँह से कप - कपाते बोल फूटे ..जया ने बड़ी मजबूती से उसके हाथो को अपने क़ब्ज़े मे किया हुआ था और टांगे चौड़ाने मे निशा ने तनवी पर कोई रेहेम नही बक्शा ..उसकी वर्जिन चूत का इतना खुला व्यू देख निशा की जीब अपने आप ही उसकी फांको पर मचलने लगी
" अच्छा लगा तनवी ? "
निशा ने आँखें मूंद रखी तनवी से लास्ट बार सवाल किया और जवाब सुने बगैर ही फांको के अंदर तक अपनी जीब को घुसा दिया ..एक उंगली से वो गांद के छेद और चूत के मिड्ल हिस्से को खुज़ला रही थी
" आईईईईईईईई...... "
तनवी उस खुजली को महसूस कर सिहर उठी और दूसरी तरफ जया के हाथ उसके कोमल चुचियों को मसलने मे बिज़ी हो गये ..तनवी अब मस्त थी
निशा ने अपनी उंगली का प्रेशर उसके भग्नासे पर डाला और हल्के दांतो के स्पर्श से उसे काटने लगी
" डीडीिईईईईईई........ "
तनवी का रोम - रोम खिल उठा ..ऐसा मीठा दर्द तो हर कुवारि लड़की को असीम आनंद की प्राप्ति कर देता है फिर तनवी उससे कब तक अछूति रहती ..उसने अपने हाथ को नीचे ले जाते हुए निशा के सर पर दवाब डाला
" लव मी...... "
तनवी ने चिल्लाया और निशा ने रस से सराबोर चूत पर अपने होंठ और तेज़ी से कस दिए ..जब भी वो चूत के रस को अपने गले से नीचे उतारती उसमे पुरज़ोर ताक़त का इस्तेमाल होता
" खा जाओ इसे..... "
इतना बोल कर तनवी का बदन अकड़ गया ..उसकी टांगे सुन्न हो गयी ..एक्सपीरियेन्स्ड निशा समझ गयी लड़की का काम होने वाला है और अगले ही पल उसने तनवी को करवट दिला दिया
" कंट्रोल तनवी ..अभी तो शुरूवात है "
निशा ने हँस कर चूत से अपना चेहरा हटाते हुए कहा ..जब स्त्री चर्म - सीमा पर हो और किसी तरह से उसका फॉल रुकवा दिया जाए तो वो रहम की भीख माँगने पर उतारू हो जाती है ..यही हाल तनवी का हुआ ..अपने आप ही उसके हाथ निशा के सर को वापस अपनी चूत पर दबाने लगे
" दीदी प्लीज़ रूको नही "
तनवी ने तड़प्ते हुए चिल्लाया
" मेरी गुड़िया रानी ..सबर कर सबर "
निशा ने उसकी तड़प को नज़र अंदाज़ करते हुए अपनी गरम साँसें गांद के मुलायम छेद पर छोड़ दी
" दीदी यहाँ नही ..डर्टी है "
तनवी ने अपना आस - होल सिकोडते हुए कहा
" कुछ डर्टी नही मेरी जान ..चल ढीला छोड़ खुद को "
निशा ने करवट ली तनवी के चूतडो की दरार को खोला और अगले ही पल उसकी जीब की थिकरण गांद के मुलायन छेद पर अपना कहर बरपा रही थी
" आईईईईईई मम्मी "
तनवी ने टेबल पर उठ कर बैठना चाहा लेकिन जया ने उसे हिलने तक का मौका नही दिया
" फॅक्त....... "
निशा की उंगली ने वर्जिन चूत मे प्रवेश कर लिया और साथ ही गान्ड के छेद से वो तनवी की जान को अपने अंदर क़ैद कर रही थी ..चूत का मूँह सिर्फ़ इतना खुला कि जिसमे उंगली घुमा कर निशा उसके कुंवारे पर्दे की छेद - छेड़ सके
" हमम्म्ममम......... "
उंगली के अंदर बाहर होने से तनवी अपना सार पागलो की तरह टेबल पर पटक देती और गांद हवा मे लहराते हुए काँप जाती ..निशा ने जया को इशारे से उसे छोड़ने को कहा और अगले पल जया टेबल से नीचे उतर गयी
" स्वीटी अब लास्ट राउंड है ..तू टेन्षन ना ले ..सब चंगा होगा "
निशा ने टेबल पर चढ़ते हुए तनवी के घुटने मोड़ दिए जिससे उसका निचला यौवन खुल कर बाहर आ गया ..एक नज़र जया के चेहरे को देखा जो नीचे बैठ कर चूत पर अपनी लार गिराए जा रही थी ..दोनो मुस्कुराइ और फाइनल राउंड स्टार्ट कर दिया
चूत और आस - होल पर एक साथ झपट्टा मार दोनो लड़कियों ने तनवी को रुला दिया ..जहाँ निशा टेबल पर बैठी उसके आस - होल को बेरहमी से चाट रही थी वहीं नीचे बैठी जया चूत चाट ते हुए अपनी एक उंगली तेज़ी से अंदर बाहर करने मे लगी थी
तनवी इस दोहरे मज़े से अपने बाल नोचते हुए आँसू बहाने लगी ..उसके चेहरे पर खून का उबाल था और चीखों मे इतनी ताक़त की अगर कमरे के बाहर से कोई भी गुज़रता तो रेप होना समझ कर सिहर जाता ..तनवी ने 2 - 4 मुक्के टेबल पर जड़ते हुए आह ली ..टाइम था उसकी लाइफ के पहले ऑर्गॅज़म का ..शरीर की ऐंठन उसके बस से बाहर हो गयी
" दिदीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ......सूसू........ "
तनवी ने इस बार प्रेयर की कोई रुकावट बीच मे ना आए और अपना कंट्रोल पूरी तरह से खोते हुए झड़ने लगी ..जया किसी बिल्ली की तरह चूत से चिपकी थी ..फव्वारे पर फवारे छूटे ..उसने अपने होंठो को खोलते हुए 3" की पूरी चूत अपने मूँह मे समा लिया ..निशा ने गांद के छेद को तुरंत ही छोड़ा और जया के पास फ्लोर पर बैठ गयी
" कमीनी रस को अकेले मत पी जाना ..मैं भी हूँ "
निशा ने हँसते हुए जया का सर चूत पर दबाते हुए कहा
सब कुछ भूल कर तनवी ने आनंद के सागर मे गोते लगाते हुए चूत रस की आख़िरी बूँद को भी जया मे मूँह मे छोड़ दिया
जब तनवी की साँसे थोड़ी नॉर्मल हुई तो उसने अपनी आँखें खोल कर चूत पर हाथ फेरा ..पूरी चूत रस से सराबोर थी ..एक सुखद एहसास पाने से उसका रोम - रोम पुलकित था ..उसे होश आया कि उसके साथ निशा और जया भी क्लास मे हैं तो वो उठ कर टेबल पर बैठ गयी ..नज़र फ्लोर पर बैठी उन दोनो छिनालो पर डाली जो उसकी जवानी का पहला पानी एक दूसरे को चूमने के ज़रिए गले से नीचे उतार रही थी
" छ्ह्हीईईइ दीदी मेरा सूसू पी लिया "
तनवी की आवाज़ से दोनो की किस टूट गयी ..निशा ने हाथ के इशारे से तनवी को अपने पास बुलाया
" ये ले तू भी चख ले तेरी जवानी ..मेरी जान यही तो सेक्स है "
तनवी के लाख मना करने पर भी निशा ने उसे नही छोड़ा और 10 - 15 सेक तक अपनी जीभ से उसके पूरे मूँह का टेस्ट बदल दिया
" अब जल्दी करो हम काफ़ी लेट हो गये हैं और तनवी अगर तुझे सेक्स के बारे मे ज़्यादा जान ना है तो ये ले डीवीडी ..रात मे जब घर के सारे मेंबर सो जाएँ तब देखना "
जया ने सारे कपड़ो को इकट्ठा कर कहा और तीनो निशा की कार से अपने - अपने घर की तरफ चल दी
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" टॅंग - टॅंग - टन्ग - टॅंग "
बाहर हॉल मे लगी घड़ी ने 8 बजे का साउंड दिया और तनवी अपने ख़यालो की दुनिया से बाहर आ गयी ..इतना गरम और हॉट सीन जिसके जहेन मे आया हो उसका सिड्यूस होना लाज़मी है लेकिन यहाँ तो तनवी की आँखों मे आँसुओ के सिवा कुछ नही था ..वो खुद को रस्मी का कातिल मान कर ज़ोरो से रोने लगी ..उसकी इतनी छोटी ग़लती के लिए मा ने अपनी जान दे दी
" मैं अब इस घर मे नही रहूंगी ..वरना मैं डॅड को भी दुखी करूँगी ..चाहे मरु या जियु पर आज मेरा आख़िरी दिन है इस घर मे "
तनवी की ग्रॅजुयेशन का लास्ट एअर चल रहा था और इसके बाद उसे एमबीए करना था ..यही सोचते हुए उसके कदम बाथरूम की तरफ़ बढ़ गये ..चलते हुए जाने कैसे उसने अपने दर्द को संभाला होगा ......
क्रमशः///////////////////////////