Romance Ajnabi hamsafar rishton ka gatbandhan

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Update - 13


शाम को ऑफिस से घर आने पर मनोरमा एक गिलास पानी महेश को ला'कर दिया। पानी पी'कर महेश बोला…कमला कहा हैं दिख नहीं रहीं।

मनोरमा…एक पल कमला को देखे बिना चैन नहीं मिलता फिर पुरा दिन आप ऑफिस में कैसे काट लेते हों।

महेश…कैसे बताऊं मेरा दिन कैसे कटता हैं? ये समझ लो बस घड़ी देखता रहता हूं कब छुट्टी का समय हों ओर घर आ'कर अपने लाडली से मिलूं।

बेटी की विदाई की बात सोचकर ही मनोरमा की आंखे नाम हों गई ओर गला भर आया, भर्राई आवाज में मनोरमा बोली...कमला दिन रात हमारे सामने रहती हैं। तो अपका ये हल हैं जब कमला शादी करके दुसरे के घर चली जाएगी। तब आप क्या करेंगे?

बेटी की विदाई की बात सुनकर ही महेश की धडकने बढ़ गया ओर आंखो से दो बूंद नीर के टपक ही गया जिसे चाहकर भी महेश रोक नहीं पाया। आंखो से बहते नीर को पोछकर महेश बोला…कैसे रह पाऊंगा नहीं जानता, मन तो करता हैं कमला को खुद से कभी दूर जानें ही न दूं पर चाहकर भी उसे अपने पास नहीं रख सकता। मनोरमा मैं तो जैसे तैसे रह लूंगा। उसकी विदाई की बात सोचकर ही तुम्हारा गला भर आया। तुम क्या करोगी, कैसे रह पाओगी?

महेश की बात सुनकर मनोरमा रो दिया बस आवाज़ नहीं निकल रहा था पर आंखो से नीर बहे जा रहा था। महेश से मनोरमा लिपट गई फ़िर भरराई आवाज़ में बोली…उसके जानें से मेरा आंगन हमेशा हमेशा के लिए सुना हों जायेगा। एक बेटी के अलावा हमारा कोई ओर हैं भी तो नहीं, हम उसके बिना कैसे रह पाएंगे?

मनोरमा को ऐसे अधीर होते हुए देखकर महेश पहले खुद को संभाला फिर बोला...कमला अभी हमारे पास ही हैं। विदा नहीं हुई हैं। संभालो खुद को अभी ये हल हैं। जब विदा हो'कर जायेगी। तब क्या करोगी?

मनोरमा…उस दिन तो मेरा कलेजा ही फट जायेगा। जब से कमला की रिश्ते की बात करने वो लोग आए। तब से पूरा दिन कैसे काटा मैं ही जानती हू।

कमला की रिश्ते की बात सुनकर महेश अचंभित हों गया फिर मनोरमा को ख़ुद से अलग कर बोला…किसी से कमला की शादी की बात नहीं कहा फ़िर कौन रिश्ते की बात करने आए?

मनोरमा….राज परिवार से राजा जी और उनकी पत्नी आए थे। बड़े विनम्र भाव से मुझ'से कमला का हाथ मांग रहे थे।

महेश…इतने संपन्न परिवार से हो'कर भी हमारी बेटी का हाथ मांगने आए ये उनकी विनम्रता ही हैं। तुमने क्या कहा?

मनोरमा…बिना आपसे पूछे,मैं अकेले कैसे फैसला ले सकता हूं? उनसे कहा मैं अकेले कोई फैसला नहीं ले सकता हूं। तब उन्होंने कहा हम कल फिर आयेंगे आप अपने पति को कह देना वो भी घर पर रुक जाए ।

महेश…ये तुमने सही किया। उनके बेटे को देखा कैसा दिखता हैं। क्या कमला और उनके बेटे की जोड़ी जांचेगा?

मनोरमा…जी नहीं! वो दोनों ही आए थे। कह रहे थे कल उनके बेटे को भी साथ ले'कर आएंगे। हमे लड़का पसंद आया तो ही बात आगे बढ़ाएंगे।

महेश…हमारा पसंद न पसंद कोई मायने नहीं रखता। कमला को लड़का पसंद आया तो ही हम बात आगे बढ़ाएंगे।

मनोरमा…उनका भी यही कहना था।

महेश…ये तो अच्छी बात हैं इससे पता चलता हैं उनकी सोच कैसा हैं। मनोरमा मैं तो कहता हूं इससे अच्छा रिश्ता हमे कमला के लिए नहीं मिल सकता बस कमला हां कह दे।

मनोरमा…हां उनकी सोच बहुत अच्छी हैं और स्वभाव भी बहुत मिलनसार हैं। सुबह जब वो आए थे तब मैं उनके लिए चाय बनाने गई तो राजाजी की पत्नी मेरे साथ साथ किचन में चली गई। मना करने के बाद भी चाय बनाने में मेरी मदद करने लग गई।

महेश चकित हो'कर बोला…इतने बड़े घर की हो'कर भी चाय बनाने में तुम्हारी मदद करने गई ओर तुमने उन्हें करने दिया तुम्हें उन्हें रोकना चाहिएं था।

मनोरमा…मैं तो मना कर रहीं थी लेकिन उन्होंने सुना ही नहीं तब जा'कर मजबूरी में मुझे उनकी बात मानना पड़ा।

महेश…तुम'ने कमला से इस बारे में कोई बात किया ।

मनोरमा…जी नहीं।

महेश…ठीक हैं तुम जाओ खाने की तैयारी करों मैं कमला से मिलकर आता हूं। खाना खाने के बाद कमला से बात करेंगे।

मनोरमा खाने की तैयारी करने चली गई ओर महेश कमला से मिलने चल दिया। पापा को आया देख कमला बोली...पापा आप आ गए। आप'का आज का दिन कैसा रहा।

महेश…मेरा दिन तो जैसे तैसे काट गया। तुम बताओं आज दिन भार तुम'ने क्या क्या किया।

कमला... वहीं जो रोज करती हूं घर से कॉलेज, कॉलेज से घर। पापा आज न कल के मुख्य अतिथि जिन्होंने मुझे प्राइज दिया था वो घर आए थें।

महेश अनजान बनते हुए…achaaa क्यों आए थे तुम कुछ जानते हों।

कमला...वो तो आप मां से पूछ लो मैं तो बस उन्हें घर छोड़ने आई थी फिर तुरंत ही कॉलेज चली गई थी।

महेश...ठीक हैं तुम पढाई करों मैं तुम्हारी मां से पूछ लेता हूं।


कमला के रूम से आ'कर महेश कीचन में चला गया फिर खाना बनाने में मनोरमा की हेल्प करने लग गया। हेल्प कम कर रहा था मनोरम के साथ छेड़खानी ज्यादा कर रहा था। तो परेशान हो मनोरमा बोली….आप भी न बेटी बड़ी हो गईं ओर आप हो की बाज नहीं आते उसने देख लिया तो क्या ज़बाब देंगे।

मनोरमा के कमर को महेश भींच दिया। Aahaaa oohooo की आवाज कर महेश के हाथ को हटा दिया फिर बोली...क्या करते हों? कमला घर पर हैं ओर आप बेशर्मों की तरह हरकते कर रहें हों।

महेश दुबारा मनोरमा के कमर पर हाथ रख दिया फिर हाथ को आगे बडा नाभी के आस पास फिराने लग गया ओर अचानक मांस सहित नाभी को मुट्ठी में भर भींच दिया। Aahaaa unhuuuu की आवाज कर मनोरमा कसमासती रह गई ओर महेश बोला...जब बीवी इतनी खुबसूरत हों तो पति को बेशर्म बनना ही पड़ता हैं। हमारी बेटी बहुत समझदार हैं। जब भी आती हैं आवाज देते हुए आती हैं।

पति का हाथ हटा धक्का दे'कर ख़ुद से दूर किया फिर करचली हाथ में लेकर बोली….काम में हेल्प करने के जगह मेरे साथ मस्ती कर रहे हों। अभी के अभी बहर जाओ नहीं तो इसी करचली से आप'का सिर फोड़ दूंगी।

महेश...गजब की लड़ाकू बीवी मिला है जब भी प्यार करना चाहो तो कभी करचली उठा लेती है तो कभी बेलन उठा लेती हैं। विचारा पति प्यार करे तो करे किससे।

इतना बोल महेश बहार को चल दिया ओर मनोरमा एक नज़र पति को देखा फिर मंद मंद मुस्कुरा दिया ओर खाना बनाने लग गई। खाना बनाकर डायनिंग टेबल पर लगा दिया फिर बोली…कमला खाना लगा दिया है आ'कर खाना खा ले फ़िर पढाई कर लेना।

कमला...मां आ रहीं हूं।

कमला के आते ही मनोरमा सभी के लिए खाना परोस दिया। खाना से निपट कमला रूम में जा रहीं थीं तब महेश बोला... बेटी थोडी देर रुको तुम'से कुछ बात करना हैं।

कमला...जी पापा

बोला बैठ गई। मनरोमा झूठे बर्तन उठा कीचन में ले गई। कमला मां के पीछे पीछे कीचन में गई। बेटी को कीचन में देख मनोरमा बोली...तू कीचन में क्या लेना आई।

कमला...मां आप अकेले अकेले कब तक बर्तन धोओगे। मैं भी हेल्प कर देती हूं जल्दी धूल जायेगा।

मनोरमा...बडा आया बर्तन धोने वाली चुप चाप जा'कर पापा के पास बैठ।

कमला...maaaa...।

मनोरमा... बोला न बहार जा नहीं तो...।

कमला... अच्छा अच्छा जाती हूं डांट क्यों रहीं हों?

इतना बोला कमला कीचन से बहार चली गई। मनोरमा मुस्कुराते हुए बर्तन धोने लग गई। कमला बहार आ पापा के पास बैठ गई। कुछ देर में मनोरमा भी आ गईं। मां को देख कमला बोली…मां जब भी कीचन में आप'का हाथ बटाने जाती हूं आप मुझे डांट कर क्यों भागा देती हों।

मनोरमा...मेरी बेटी हमारे घर की राजकुमारी हैं। मैं अपनी राजकुमारी को झूठे बर्तन क्यों धोने दूं।

कमला...वो तो मैं हूं।

महेश…राजकुमारी जी तुम'ने कोई राजकुमार ढूंढ रखा हैं या हम ही दूर देश से कोई राजकुमार ढूंढ कर लाए।

पापा की बात सुन कमला मुंह खोले देखने लग गईं फ़िर शर्मा कर नज़रे झुका लिया ये देख महेश मुस्कुरा दिया फ़िर बोला...शर्मा गई मतलब राजकुमारी ने अपने लिए राजकुमार ढूंढ रखा हैं। बता दो कौन हैं? हम भी जाने राजकुमारी का पसंद किया राजकुमार कैसा हैं।

"मैंने नहीं ढूंढा हैं वो तो आप दोनों ही ढूंढ कर लाओगे"

बोलने को तो बोल दिया लेकिन जब ख्याल आया। क्या बोल गई? तब शर्मा कर मनोरमा से लिपट गई। कमला के लिपटते ही मनोरमा और महेश हंस दिए। मां बाप को हंसते देख मां से कमला ओर जोर से लिपट गई ओर मनोरमा बोली…नहीं ढूंढा हैं तो बता दो राजकुमारी को कैसा राजकुमार चाहिएं हम वैसा ही राजकुमार ढूंढ कर लायेंगे।

कमला कुछ नहीं बोली बस शर्मा कर मां से लिपटी रही फिर कमला को खुद से अलग कर ठोड़ी पकड़ चेहरा ऊपर को किया ओर मनोरमा बोली...कमला आज नहीं तो कल हमे तुम्हारे लिए लड़का ढूढना ही होगा। ये वक्त सभी लडक़ी के जीवन में एक न एक दिन आता ही हैं। तुम अपनी पसंद बता दो हम तुम्हारे पसंद के मुताबिक लड़का ढूंढ कर लायेंगे।

कमला नजरे उठा कर मां की ओर देखा फ़िर दो तीन बार पलके झपकाई ओर बोली…मां मेरे लिए लड़का ढूंढने की कोई जरूरत नहीं हैं। मुझे शादी नहीं करना हैं और न ही आप दोनों से दुर कहीं जाना हैं।

महेश जो कमला से थोड़ी दूर बैठा था। कमला के पास खिसककर आया ओर कमला के सिर पर हाथ रख सहलाते हुए बोला…शादी नहीं करनी वो क्यो भला आज नहीं तो कल तुम्हें शादी करना ही होगा।

कमला महेश की ओर देखते हुए बोला…मुझे शादी नहीं करना मैं शादी करके आप'से दूर चली गई तो आप दोनों का ख्याल कौन रखेगा। मेरे अलावा आप दोनों का कौन हैं?

कमला ने महेश को वास्तविकता से अवगत करा दिया। बेटी के अलावा महेश और मनोरमा के जीवन में कोई ओर नहीं था, ये सुनकर महेश और मनोरमा कुछ वक्त के लिए भावुक हो गए फिर खुद को संभाल कर महेश बोला…कमला तुम कह तो सही रहीं हों लेकिन मैं तुम्हें उम्र भर अपने पास नहीं रख सकता तुम्हें एक न एक दिन इस घर से विदा हो'कर जाना ही होगा। समाज की यही रीत हैं। सभी मां बाप को बेटी का विदा कर, इस रीत का पालन करना होता हैं।

कमला…मैं नहीं मानती इस रीत को, जिस घर के आंगन में खेली खुदी पली और बड़ी हुई उस घर को छोड़ क्यों जाऊ? अपने घर को छोड़कर मैं कहीं नहीं जानें वाली।

बेटी की बात सुनकर मनोरमा अचंभित हो'कर पति की और देखा, देखे भी क्यो न कमला कह तो सही रहीं थीं। पर बेटी को कुछ न कुछ समझना था इसलिए मनोरमा कुछ देर सोचा फिर बोला...कमला दुनिया की सभी लड़कियों को अपना घर आंगन छोड़कर जाना ही होता हैं। मैं भी तो अपना घर आंगन छोड़कर आई थीं। जब लडक़ी अपनी जन्म स्थली छोड़कर दूसरे के आंगन में जायेगी तभी तो नया सृजन होगा और जीवन चक्र सुचारू रूप से चल पाएगा। क्योंकि नारी को ही परमात्मा का वरदान हैं वो गर्भ धारण कर नए जीवन की उत्पत्ति का माध्यम बनती हैं।

मां की बात कमला ध्यान से सूना और समझ भी गया। मां की कहीं गई बातों का कमला के लिए कोई मायने नहीं था कुछ था तो वो था मां बाप का अकेला पान। उसके जाने के बाद उसके मां बाप अकेला रह जाएंगा। कमला मां बाप को अकेले नहीं छोड़ना चाह रही थी। इसलिए कमला बोली…मां आप सही कह रहीं हों। मेरे अकेले के न जानें से जीवन चक्र बाधित नहीं होगा क्योंकि दुनिया में ओर भी नारी हैं जिनसे जीवन चक्र चलता रहेगा। इसलिए मैं आप दोनों को छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगी इस जन्म में तो नहीं और अगले जन्म का कह नहीं सकती।

बेटी की बाते सुनकर मनोरमा और महेश एक दूसरे को देखने लग गए ओर सोचने लगे कमला को कैसे समझाया जाए। कोई साठीक कारण नहीं बता पाया तो कमला शादी करने को राजी नहीं होने वाली इसलिए कुछ वक्त विचार करने के बाद महेश बोला…कमला तुम जो कह रहीं हों वो सही हैं। लेकिन तुम जरा विचार करो जमाना मुझे और तुम्हारी मां को क्या कहेंगे वो हमे ताने देंगे हों सकता हैं मुझ पर लांछन भी लगाए । तुम क्या चहती हों दुनिया मुझ पर लांछन लगाए तो ठीक हैं मैं तुम्हें शादी करने के लिए कभी मजबुर नहीं करूंगा।

कमला…मैंने कभी ऐसा काम नहीं किया जिससे आप पर लांछन लगे न आगे कभी करूंगी। मैं शादी करने को राजी हूं लेकिन मेरी एक शर्त हैं।

बेटी के हां कहते ही दोनों ने चैन की सांस लिया लेकिन कुछ ही पल के लिए, शर्त की बात कहते ही दोनों फिर से बेचैन हों गए और बेचैनी में ही महेश बोला…शर्त क्या हैं? वो भी बता दो।

कमला…शर्त ये हैं शादी के बाद आप दोनों को मेरे साथ चलना होगा नहीं जाना चाहते तो कोई ऐसा लड़का ढूढना जो घर जमाई बनकर रह सकें।

मनोरमा…घर जमाई तो हम रखने से रहे लेकिन हम तुम्हारे साथ दहेज में जरुर जा सकते हैं।

ये कहकर दोनों हंस दिया। कमला मां बाप को हंसते देखकर बोली...मैं मजाक नहीं कर रहीं हूं।

मनोरमा…मैं भी मजाक नहीं कर रहीं हूं। हम सच में तुम्हारे साथ दहेज में जायेंगे।

कमला…सच्ची.

मनोरमा कमला के गाल खींचते हुए बोली…मुच्ची मेरी राजकुमारी।

महेश…कमला कल तुम कॉलेज नहीं जाओगी कल कुछ लोग तुम्हें देखने आ रहे हैं।

कमला…पापा आप तो बहुत तेज निकले। इतनी जल्दी भी क्या थीं?

मनोरमा…वो लोग शादी करने नहीं, देखने आ रहें हैं। पूछोगी नहीं कौन आ रहे हैं।

कमला…कौन आ रहे हैं?


मनोरमा…तुम भी उनसे मिल चुकी हों। सुबह ही तुम उन्हें घर ले'कर आई थीं।

कमला ने दिमाग में जोर देकर याद किया फिर बोली...Oooo तो वो लोग हैं आज ही तो आए थे फिर कल क्यो आयेंगे।

मनोरमा…अपनी बात कहने आए थे। कल वो लडके को साथ ले'कर आएंगे तुम भी लडके को देख लेना लड़का भी तुम्हें देख लेगा तुम दोनों एक दूसरे को पसंद कर लिया। तब जा'कर हम बात आगे बढ़ाएंगे।

कमला…मेरे पसंद करने की जरूरत ही नहीं हैं आप दोनों मेरे लिए गलत लड़का थोड़ी न चुनेंगे इसलिए आप दोनों की पसंद ही मेरी पसंद होगी।

महेश…पसंद तो तुम्हें ही करना होगा। क्योंकि ज़िंदगी भर तुम्हें साथ रहना हैं इसलिए तुम्हें पसंद आना जरूरी हैं न की हमे।

इसके आगे कमला के पास कहने को कुछ नहीं बचा इसलिए चुप रहीं। बेटी की चुप्पी को हां समझ कर महेश बोला…कमला तुम कल कॉलेज नहीं जाओगी और अच्छे से तैयार हो'कर रहना। जिससे मेरी बेटी ओर खुबसुरत दिखे ओर वो लोग तुम्हें देखकर न नहीं कह पाए।

एक बार फिर से कमला शर्मा गई फिर उसे कुछ याद आया तो बोली…पापा कल मुझे कॉलेज जाना ही होगा बहुत जरूरी काम हैं।

महेश…जरूरी काम हैं या बहने बना रही हों।

कमला…पापा मैं बहने नहीं बना रही हूं कल मेरा जाना जरूरी हैं अगले हफ्ते से पेपर हैं इसलिए कल प्रवेश पत्र बांटा जाएगा।

महेश…ठीक हैं चली जाना और ले'कर जल्दी आ जाना।

कमला हां में सिर हिला दिया फिर तीनों अपने अपनें रूम में सोने चले गए। महेश और मनोरमा रूम पहुंच कर कपड़े बदला फ़िर इधर उधर की बाते कर सो गए।

अगले दिन सुबह नाश्ता करने के बाद कमला कॉलेज जाने लगीं तब महेश रोककर बोला…कमला रुको मैं भी तुम्हारे साथ चलता हू।

थोडी देर में महेश तैयार हो'कर आया फिर बेटी के साथ कॉलेज को चल दिया। इधर राजेंद्र सभी को जल्दी से तैयार हो'कर आने को कहा पापा की बात सुन रघु बोला…पापा हमे जाना कहा है आप कुछ बताते क्यों नहीं।

पुष्पा…पापा कल से छूप्पन छुपाई बहुत बहुत खेल लिया अब सीधे सीधे बता दो नहीं तो महारानी को गुस्सा आ गया तो आप को सजा दे देगी।

पुष्पा की बनावटी गुस्से से भरी बातें सुन राजेंद्र और सुरभि मुस्कुरा दिया फ़िर सुरभि बोली…महारानी जी हम तुम्हारे भईया के लिए लडक़ी देखने जा रहे हैं।

लडक़ी देखने की बात सुनकर रघु असहज हों गया ओर बगले झांकने लग गया। रघु की हरकतें देख तीनों मुस्कुरा दिए फिर सुरभि बोली…रघु तुझे क्या हुआ? बगले क्यों झक रहा हैं?

रघु…मां मेरा जाना जरूरी हैं आप सब देखकर आओ न।

सुरभि…हे भगवान कैसा लड़का हैं। रघु लडक़ी शब्द सुनते ही तेरे हाथ पांव क्यों सूज जाता हैं।

रघु…मां मेरा हाथ पाव नही सूज रहा हैं। आप ही देखो मेरा हाथ पांव ठीक हैं। मुझे तो बस…।

सुरभि…डर लग रहा। बेटा वो भी इंसान हैं। कोई बहसी जानवर नहीं जो तुझे खां जाएगा।

रघु...मां मैं जानता हूं वो बहसी जानवर नहीं हैं। मुझे तो बस शर्म आ रहा है।

सुरभि…रघु तू कैसा लड़का हैं? तेरे उम्र के लडके भंवरा बनकर लड़कियों के आगे पीछे मंडराते रहते हैं ओर एक तू हैं लडक़ी शब्द सुनकर ही शर्मा जाता हैं।

रघु...मां मैं ऐसा ही हूं अब मैं क्या करूं। मैं दूसरे लडको की तरह करता तो क्या आप दोनों को अच्छा लगाता। मैं ऐसा कुछ भी नहीं करना चाहता हूं। जिससे मेरे मां बाप का सिर लोगों के सामने शर्म से झुक जाएं।

रघु की बात सुनकर सुरभि और राजेंद्र एक पल के लिए भावुक हों गए उनका भावुक होना स्भाविक था। रघु ने आज से पहले कभी ऐसा कुछ किया न आगे ऐसा कुछ करना चाहता हैं। जिससे उसके मां बाप का सिर झुक जाएं। बेटे की बात सुनकर राजेंद्र को यकीन हों गया। वो रघु को जैसा बनाना चाहता था रघु बिल्कुल वैसा ही बना उसके लिए अपने मां बाप का मन सम्मान सबसे ऊपर है। राजेंद्र जा'कर रघु को गले से लगा लिया और पीट थपथपाते हुए बोला…रघु बेटा तुम्हारे जैसा पुत्र पाने की कामना सभी मां बाप करते हैं। मैं धन्य हूं जो तु हमारा बेटा बनकर इस धरा पर आया फिर रघु से अलग होकर बोला "बेटा तुम्हारे मां के कहने का मतलब ये नहीं था की तुम दूसरे लडको की तरह लड़कियो के पीछे मंडराते फिरो उसके कहने का मतलब ये था तुम लडक़ी शब्द से इतना शरमाया न करों।

सुरभि…रघु मैं और तेरी बहन भी तो लडक़ी हैं। तु हम'से तो शरमाते नहीं फिर क्यों दूसरे लड़कियो का जीकर आते ही शर्माने लग जाता हैं।

इस बात का रघु के पास जवाब नहीं था। इसलिए बिना कुछ कहे उठकर तैयार होने चल दिया। राजेंद्र के कहने पर पुष्पा भी अपने रूम में चली गई ओर राजेंद्र और सुरभि अपने रूम में चले गए। रूम में आ'कर सुरभि बोली...रघु ऐसे शर्माता रहेगा, तो शादी के बाद इसका क्या होगा?

राजेंद्र…शादी के बाद शर्माना भूलकर मेरी तरह बेशर्म बन जाएगा ।

इतना कहकर राजेंद्र, सुरभि के पास जा'कर पीछे से चिपक गया फिर सुरभि के कंधे और गर्दन पर चुम्बनो की झड़ी लगा दिया। सुरभि राजेंद्र को पीछे धकेल दिया फिर बोली…आप तो हों ही बेशर्म कहीं भी शुरु हों जाते हों। अब देर नहीं हों रहा हैं।

राजेंद्र…देर तो हों रहा हैं लेकिन खुबसूरत बीवी को देखकर खुद को रोक नहीं पाया। तुम्हें देखता हु तो मेरे तन बदन में आग लग जाता हैं।

सुरभि...तुम्हारे तन बदन में जलती आग के कारण दो बचे पैदा हों गए लेकिन अभी तक आप'की आग नहीं बुझा।

राजेंद्र…जिसके पास आग भड़कने वाली तुम जैसा घी हों तो आग बुझेगा नहीं ओर ज्यादा धधक उठेगा।

सुरभि आलमारी से कपडे निकाला फ़िर बाथरूम की ओर जाते हुए बोला…संभाल कर रहिएगा कही ऐसा न हो ये घी आग को इतना भड़का दे की आप ही जलकर भस्म हों जाओ।

इतना बोलकर सुरभि बॉथरूम में घूस गई। राजेंद्र बाथरूम के पास जा'कर बोला...मैं तो चाहता हु तुम आग को इतना भड़काओ कि मैं ख़ुद ही जलकर भस्म हों जाऊ लेकिन तुम भड़कती ही नहीं!

सुरभि कुछ नहीं कहा बस खिलखिला कर हंस दिया फिर राजेंद्र अलमारी से कपड़े निकलने लग गया। सुरभि तैयार होकर बॉथरूम से निकली तो सुरभि को देखकर राजेंद्र तारीफों के पुल बांध दिया। कुछ देर सुरभि पति से तारीफें सुनती रहीं फिर राजेंद्र को धकेलकर बाथरूम भेज दिया।

कुछ वक्त में दोनों तैयार होकर बाहर आए। रघु अकेले बैठे बैठें बोर हो रहा था फ़िर पुष्पा भी तैयार होकर आ गईं। एक गाड़ी में पुष्पा और रघु एक में राजेंद्र और सुरभि बैठे चल दिया।

महेश कमला के साथ उसका प्रवेश पत्र लेकर घर आया दोनों को देख मनोरमा बोली…कमला जा बेटी अच्छे से तैयार हों जा।

कमला...मां तैयार बाद में हों लूंगी पहले कीचन में आप'की मदद करुंगी।


इतना बोल कमला कीचन की ओर चल दिया। मनरोमा पीछे पीछे कीचन में गई फिर बोली... कमला तू चुप चाप जा'कर तैयार हों कीचन का काम मैं कर लूंगी।

कमला...मां आज आप कितना भी डांट लो मैं आप'की एक न सुनने वाली आज आप कुछ भी नही बनाओगी बल्कि सभी कुछ मैं खुद ही बनाऊंगी।

मनोरमा…वो क्यो भला?

कमला मुस्कुराते हुए बोली…वो इसलिए लडके वाले ये न कहें लडक़ी को खाना बनाना नहीं आता हम रिश्ता नहीं करेंगे, रिश्ता नहीं हुआ तो आप मुझे फिर से किसी ओर के सामने बिठा देंगे।

मनोरमा मुस्कुरा दिया फिर भौहें नचाते हुए बोली…कमला तू कब से इतनी बेशर्म हों गई, शादी करने की तुझे इतनी जल्दी हैं कि पहली बार में ही लडके वालो को प्रभावित कर देन चहती हैं।

कमला मुस्कुराई ओर मां को चिड़ते हुए बोली…मां लडके की मां बाप पहले से ही मुझ'से प्रभावित हैं मुझे तो बस लडके का प्रभावित करना हैं। जिस'से वो मुझे नकार न सके ओर मूझ'से शादी करने को राजी हों जाए।

मनोरमा आगे कुछ नहीं कहा बस चुप चाप खडी रही ओर कमला जो करना चाहती थी करने दिया। मन लगाकर कमला किचन में काम कर रहीं थी ये देखकर मनोरमा मन ही मन हर्षित हो गई। ऐसा नहीं की कमला को खाना बनाना नहीं आता। कमला को खाना बनाने में बहुत रुचि हैं ओर छोटी उम्र में ही कमला नाना प्रकार के व्यंजन बनाना सीख गई थी। साथ ही कमला गृह विज्ञान की पढ़ाई भी कर रहीं थीं। जिससे उसकी पका कला में ओर ज्यादा निखार आ गया।

भोजन बनने का काम पुरा होने के बाद कमला रूम में गई ओर तैयार होने लग गईं। खुद को सजाने संवारने में कोई कमी नहीं रखी। ऐसा नहीं कि कमला खुबसूरत नहीं थी। कमला के खुबसूरती के चर्चे कॉलेज और आस पास के कई इलाके में था पर कमला आज अपना जीवन साथी चुनने जा रही थीं तो कोई कमी नहीं रखना चाहती थी। वैसे तो कमला ज्यादा मेकप नहीं करती थीं लेकिन आज हल्का टच ऑफ करके दमकते चहरे को ओर दमका लिया।

महेश और मनोरमा ने आने वालों की welcome करने की सभी तैयारियां कर लिया था। बस पलके बिछाए wait कर रहें थे। महेश और मनोरमा के wait करने की घड़ी खत्म हुआ ओर राजेंद्र की कार घर के बाहर आ'कर रुका, कार की आवाज़ सुनकर दोनों बाहर गए। आदर सहित सभी को अंदर ले'कर आए फिर सभी को बैठने को कहा एक सोफे पर राजेंद्र और सुरभि बैठे गए एक पर पुष्पा और रघु बैठ गए। रघु को देखकर मनोरमा और महेश को पहली नजर में पसंद आ गया और मन ही मन विनती करने लग गए। कमला भी रघु को देखकर पसंद कर ले और हां का दे। बातो के दौरान रघु के सभ्य और शालीन व्यवहार ने महेश और मनोरमा को ओर ज्यादा प्रभावित कर दिया।

चाय नाश्ते के बाद महेश के कहने पर मनोरमा कमला को लेने गई। कमला लाइट पर्पल रंग की सलवार सूट और पर्पल रंग का दुप्पटा सिर पर रखकर मां के साथ धीरे धीरे चलकर आई। सुरभि राजेंद्र और पुष्पा कमला की खूबसूरती को देखकर मंत्रमुग्ध हों गए। तभी पुष्पा रघु को कोहनी मरकर कमला की ओर दिखाया। कमला के खुबसूरत और दमकते चहरे को देखकर रघु चकोर पक्षी जैसे चांदी रात में चांद की खूबसूरती को ताकता रहता हैं। वैसे ही रघु मोहित होकर कमला को देखने लग गया। कमला भी तिरछी निगाहों से रघु की ओर देखा रघु को टकटकी लगाए देखते देखकर कमला के लवों पर मंद मंद मुस्कान आ गईं। कमला के मुस्कुराते लव जिसमें लाइट पिंक रंग की लिपस्टिक लगा हुआ था। जिसे देखकर रघु झनझना गया। रघु की नज़र चेहरे से हट कमला को लवों पर टिक गया। रघु को टकटकी लगाए देखते देख सुरभि और राजेंद्र मुस्कुरा दिया। वैसा ही हल महेश और मनोरमा का था कमला तो पहले से मुस्कुरा रहीं थीं। कमला को ला'कर मनोरमा रघु के सामने बैठा दिया, रघु अब भी अपलक कमला को देखें जा रहा था। तब पुष्पा रघु के कान में बोली…बहुत देख लिए अब तो देखना बंद करों सभी आप पर हंस रहे हैं।

रघु होश में आ'कर इधर उधर देख जायजा लिए फिर सिर झुकाकर बैठ गया। रघु की हरकतें देख न चाहते हुए भी कमला के लवों पर आ रही मंद मंद मुस्कान ओर गहरा हों गया। एक बार फिर से पुष्पा, रघु के कान में बोली...क्या भईया बुद्धु जैसा बर्ताव क्यों कर रहे हों सिर उठाकर शान से बैठो, लड़की जैसा शरमाते रहें तो लडक़ी और उसके परिवार वालो पर गलत इंप्रेशन पड़ेगा।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बाने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏🙏
Dono hi pariwar ke log ek dusre Pehle hi nazar mai pasand agaye.
Awesome update
 
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Update - 14


भईया को झिड़ककर पुष्पा उठाकर कमला के पास जा'कर बैठ गई फ़िर कमला के कान में कहा…मेरे भइया आप'को कैसा लगा।

कमला कुछ नहीं कहा बस एक नज़र रघु को देखा ओर मुस्कुरा दिया। पुष्पा को कमला के कान में फूसफूसाते देखकर सुरभि बोली…नटखट कमला बिटिया से तू क्या पुछ रहीं हैं

पुष्पा…ये हमारे बीच की बातें हैं। आप जानकर क्या करोगी?

सुरभि मुस्कुरा दिया फिर महेश से बोला…भाई साहाब हमे तो लडक़ी पसंद हैं। आप क्या कहते हों?

मनोरमा की ओर देख इशारे से पूछा तुम क्या कहती हों तो मनोरमा सिर हिलाकर हां कहा बीबी के हां में सहमति देने पर महेश बोला...जी हमे भी लड़का पसंद हैं। अब कमला हां कर दे तो समझो रिश्ता पक्का।

सभी कमला और रघु की ओर आस भरी निगाहों से देखने लग गए। खासकर कमला की ओर क्योंकि रघु के हाव भाव ने दर्शा दिया था। रघु को कमला पसंद आ गया हैं बस कमला की हां कहने की देर थीं। तब पुष्पा कमला से बोली…मेरे भाई को आप पसंद आ गई हो आप ने हां कह दिया तो आप ही मेरी भाभी बनकर आओगी।

मनोरमा…हां बेटी बोलों तुम्हारा क्या कहना हैं। तुम हां कहोगी तभी हम रिश्ता पक्का करेंगे।

सुरभि…मैं क्या कहती हु दोनों को कुछ वक्त एकांत में एक दुसरे से बात करने का मौका दिया जाएं फिर कमला बिटिया से पूछे तो बेहतर होगा।

राजेंद्र...मेरा भी यही मानना हैं। महेश बाबू आप ओर भाभी जी किया कहते हों।

महेश...हम दोनों आप'की बातों से सहमत है। जाओ कमला दोनों आपस में बात कर लो फिर अपनी मनसा बता देना।

सुरभि...जा रघु दोनों आपस में बात कर लो फिर जो भी तुम्हारे मन में हों हमे बता देना।

दोनों अपने अपने मां बाप को इशारे से माना कर, बात करने जानें से आनाकानी करने लग गए। तो बड़ो के जोर देने पर दोनों एक दूसरे से बात करने को सहमत हों गए। बात करने को सहमत तो हों गए पर मसला आ अटका दोनों को बात करने भेज तो भेजे कहा। तब मनोरमा बोली…हमारे घर के पीछे जो गार्डन बना हैं वहां जा'कर दोनों बात कर लो।

दोनों उठकर घर के बाहर चल दिया। कमला आगे आगे चल रहीं थीं। रघु सिर झुकाए पीछे पीछे चल रहा था। पुष्पा रघु के पास भाग कर गई ओर धीरे से बोली…भईया बुद्धू जैसा बरताव न करना अच्छे से बात करना। ये ही मेरी भाभी बनना चाहिए नहीं तो मैं आपको सजा दूंगी ओर कभी बात नहीं करूंगी।

पुष्पा कहकर अपनी जगह आ'कर बैठ गई। रघु अब फुल टेंशन में आ गया करे तो करे क्या पहली बार किसी अनजान लडक़ी से बात करने जा रहा था ऊपर से बहन ने अल्टीमेटम दे दिया कुछ भी करों उसकी भाभी कमला ही बननी चाहिएं। दोनों गार्डन मे पहुंच कर साथ साथ चल रहे थे। रघु कुछ दूरी बनाया हुआ था। साथ ही ध्यान भी रखा रहा था बॉडी का कोई भी हिस्सा कमला को छू न जाइए।

दिल की धड़कने दोनों का बढ़ गया बात शुरू करे तो कहा से करे, दोनों के लिए यह पहला मौका था। कमला का इसे पहले छिछोरे लडकों से कही बार झड़प हों चुका था लेकिन यह मजरा कुछ ओर था यह पिटना नहीं था बल्कि रिश्ता जोड़ना था और रघु के लिए यह पहला मौका था। रघु हमेशा लड़कियो से दूरी बनाकर रखता था चाहे कॉलेज हो या कही ओर इस बात से रघु को उसके दोस्त बहुत छेडा करते थे खाश कर रघु के बचपन का दोस्त रमन तो रघु पर चढ़ ही बैठता था लेकिन रघु कभी उसका बुरा नहीं माना करता था। लेकिन आज मजरा दूसरा था।

रघु को अल्टीमेटम मिला हुआ था साथ ही उसे अपना जीवन साथी चुनना था रघु ने लामसम कमला को अपना जीवन साथी चुन ही लिया था बस पुष्टि करना रह गया था। बातो का सिलसिला शुरु कहा से करे समझ ही नही पा रहा था। लेकिन कही न कही से शुरु करना ही था तो रघु एक लंबी सांस भरकर छोड़ा फिर बोला…आप'का पसंदीदा विषय क्या हैं?

कमला बातों का मतलब समझ नहीं पाई या ध्यान से नहीं सुना इसलिए असमझी का भाव दर्शाते हुए रघु की ओर देखने लग गई। तब रघु पुष्टि करते हुए बोला…मेरे कहने का मतलब था आप'को किस काम को करने में सबसे ज्यादा रुचि है।

खिला सा मुस्कान बिखेर कमला रघु को देखने लग गई। रघु पहले से ही मोहित था । अब तो ओर भी ज्यादा मोहित हो गया फिर ख़ुद को संभालते हुए बोला…सुनिए आप ऐसे न मुस्कुराओ बड़ी मुस्कील से साहस जुटा कर आप'से बात करने आया हूं। आप ऐसे मुस्कुराते रहे तो मैं कुछ बात नहीं कर पाऊंगा फिर आप मना कर देंगे। अगर ऐसा हुआ तो मेरी बहना प्यारी मुझ'से नाराज़ होगी सो अलग मुझ'से कभी बात भी नहीं करेगी।

रघु को सहजता से बात करते देखकर कमला भी सहज भाव से मुस्कुराते हुए बोली...आप अपने बहन से बहुत प्यार करते हों। तभी आप उनके कहने पर ही मुझ'से बात करने आए हों।

रघु…ऐसा नहीं की मैं आप'से बात नहीं करना चाहता था मेरा आप'से बात करने का मन था वो तो पुष्पा ने अल्टीमेटम दे दिया इसलिए मैंने ऐसा कहा।


कमला...Oooo toooo आप'के बहन ने अल्टीमेटम दे दिया क्या कहा मैं जान सकती हूं?

रघु टपक से बोल पडा…उसने साफ साफ लब्जो में कह दिया आप अगर उसकी भाभी नहीं बनी तो वो मुझ'से कभी बात नहीं करेंगी।

कहते ही रघु को ख्याल आया ये क्या कह दिया? जो नहीं कहना था वो ही बोल दिया। बरहाल जो बोल दिया सो बोल दिया उसे वापस तो नहीं लिए जा सकता इसलिए कमला की ओर देखकर मुस्कुरा दिया। कमला भी एक लुभावनी मुस्कान दिया फिर बोली…ऐसा हैं तो मुझे हां कहना चाहिएं। आप क्या कहते हों?

रघु…क्या कहना चाहिएं? ये सिर्फ और सिर्फ आप'का फैसला हैं। इसमें न मैं न ही कोई ओर आप'के साथ जोर जबर्दस्ती कर हां बुलवा सकते है। शादी कोई गुड्डे गुडियो का खेल नहीं जो आज कर लिया और कल को तोड़ दिया। ये जीवन भर का फैसला हैं तो सोच समझकर ही लेना चाहिएं। मैं चाहूंगा आप जो भी फैसला लेना चाहो सोच समझकर ही लेना।

रघु की समझदारी पूर्ण बाते कहने के दौरान कमला एक टक रघु को देखे जा रही थीं और समझने की कोशिश कर रहीं थी। रघु कहना क्या चाह रहा था। जब उसे समझ आया रघु ने कितनी गहरी बात सरलता से कह दिया। तो रघु की बातों ने कमला के दिल में घर कर लिया और शायद रघु भी कमला के दिल में बस गया होगा। कमला को ऐसे देखते हुए देखकर रघु बोला…आप मुझे ऐसे क्यो देख रही हों? मैंने कुछ गलत बोल दिया।

कमला…अपने कुछ गलत नही बोला मैं तो बस ये समझने की कोशिश कर रहा था अपने कितनी गहरी बात सरल भाव और शब्दो में कह दिया।

रघु अपनी बत्तीसी फाड़ मुस्कुरा दिया। तो जवाब में कमला भी खिला सा मुस्कान बिखेर दिया। मुस्कानों का आदान प्रदान कुछ क्षण चला फिर रघु बोला...मैंने आप'से कहा था आप ऐसे न मुस्कुराया करों, नहीं तो मैं बस आप को मुस्कुराता हुआ देखता रह जाऊंगा फिर जो कहने आया वो कह नहीं पाऊंगा ओर अपने माना कर दिया तो मेरे लिए मुसीबत खडा हों जाएगा।

कमला फिर से मुस्कुरा दिया और बोला…आप ने कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया फिर भी आप कह रहें हों बात नहीं कर पाओगे। अगर मैंने हां कह दिया फिर तो आप'को कोई परेशनी नहीं होगा।

हां सुनकर रघु समझने की कोशिश कर रहा था कमला कहना किया चाहती हैं क्या कमला गुमा फिरा कर हां कह रहीं थी? अब इस झल्ले रघु को कौन समझाए कमला ने उसे हा कहा था लेकिन रघु मंद बुद्धि के साथ साथ बैल बुद्धि होने का प्रमाण दे दिया ये पूछकर…आप'के हां कहने से मेरे सभी समस्याओं का निराकरण हों जाएगा । पहली बार कोई लडक़ी मेरे दिल को इतना भा गया हैं। मैं कह नहीं सकता और वो मेरा जीवन साथी बन जाए इसे अच्छा मेरे लिए ओर क्या हो सकता हैं फिर मेरी बहन मुझ'से नराज हो'कर भी नहीं रहेगा।

कमला...achaaaa।

इतना कह मुस्कुरा दिया। कमला के इस मुस्कान के पीछे एक टोंट का आभास हो रहा था। ऐसे ही दोनो बाते करते हुए चल रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी कमला को कही छुने या कहूं अपनी बॉडी का कोई भी हिस्सा कमला के बॉडी से टच नहीं होने दिया कमला इस बात को भी परख लिया था। जहां दूसरे लडके कमला को बहाने से छूने की कोशिश करते रहते थे। वहीं रघु एक बार भी कमला को छुने की कोशिश नहीं किया इससे कमला पुरी तरह से रघु पर मोहित हों गया। कमला रघु की बातो को सुन भी रहा था और सरल स्वभाव पर विचार भी कर रही थीं। ऐसे सोचा विचारी में चलते हुए कमला डगमगा गई ओर गिरने को हुई। तब रघु ने कमला का हाथ पकड़ कर कमला को गिरने से बचा लिया। हाथ पकड़ते ही कमला रघु को अचंभित हो'कर देखने लग गई। कमला का अचंभित हो'कर देखना लाज़मी था। इतने देर से चलते हुए बात कर रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी अपने बॉडी को कमला के बॉडी से टच नहीं होने दिया और अब अचानक से उसका हाथ थाम लिया। लेकिन जब कमला को अपनी स्थिति का भान हुआ तब कमला मन ही मन मुस्कुरा दिया। कमला संभाल गई तब रघु को भान हुआ उसने क्या किया तो कमला का हाथ छोड़कर बोला...आप ठीक तो हों न, माफ करना मेरे छुने से आप'को बुरा लगा हों तो।

कमला मुस्कुराते हुए बोली…नहीं मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा। आप मुझे नहीं पकड़ते तो मैं गिर जाता, शायद मुझे चोट भी लग जाता। आप को माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं। भविष्य में मुझे छुने का अधिकार आप'को ही होगा।

कमला की कहीं हुई कुछ बातो पर गौर किया। कुछ बातो पर नहीं वरना रघु समझ गया होता। कमला ने रघु को हां कह छुने का अधिकार दे दिया। दोनों को आए हुए वक्त ज्यादा हों गया था। इसका भान होते ही रघु ने कह…अब हमे चलना चाहिए बहुत देर हों गया हैं।

कमला को भी लग रहा था उन्हें आए हुए बहुत देर हो गया है लेकिन वो कह नहीं पा रही थीं इसलिए रघु के वापस जाने की बात कहते ही कमला ने भी सिर हिलाकर हां कह दिया। तो दोनों घर की ओर चल दिया। रघु को लगा कमला ने अभी तक हां या न नहीं कहा। तो कमला से पूछा...आप'ने अपना ज़बाब नहीं बताया। बता देते तो अच्छा होता।

रघु का सवाल सुनकर कमला मुस्करा दिया फिर बोली...आप न बिल्कुल बुद्धू हो मैंने तो कब का आप'को हां कह दिया लेकिन आप हों की समझ ही नहीं पाए।

रघु के दिमाग पर जोर पडा कब हां कहा सोचने लग गया जब उसे लगा कमला ने बातों के दौरान कहीं पर भी हां नहीं कह तब सिर खुजते हुए बोला...आप'ने कब हां कहा?

कमला...मैंने आप'को पहली बार तब हा कहा था जब अपने मुझे अपनी बहन की दिए अल्टीमेटम के बारे में बताया था और दूसरी बार तब हां कहा जब अपने मुझे गिरने से बचाया था। मैंने अंत में कहा था। भविष्य में मुझे छुने का अधिकार आप'को ही होगा। अब आप ही बताइए मैंने हां कहा था की न कहा था।

रघु को अपनी गलती समझ में आया ओर मन ही मन खुद को गली दिया फिर बोला….आप ऐसे घुमा फिरा कर हां कहेंगे तो मैं कैसे समझ पाऊंगा।

कमला…मैंने जैसे भी बोला आप'को समझना चाहिएं था कोई लडक़ी सीधे सीधे हां नहीं कहता समझे बुद्धु कहीं के!

रघु कुछ नहीं कहा बस मुस्करा दिया। जबकि कमला ने सीधे सीधे रघु को बुद्धु कह दिया। रघु मुस्कुराने के अलावा कर भी किया सकता था। कमला जैसी खूबसूरत लड़की रघु से प्रभावित होकर शादी के लिए मान गई इससे ज्यादा रघु को ओर क्या चाहिए।

ऐसे ही हसी मजाक करते हुए दोनों घर की ओर चल दिया। दोनों को हंसी मजाक करते हुए देख कर ऐसा लग रहा था जैसे दोनों एक दूसरे को वर्षों से जानते हों, लग ही नहीं रहा था दोनों अजनबी हैं। आज ही एक दूसरे से मिले और कुछ ही वक्त के मेल मिलाप से एक गहरा रिश्ता एक दूसरे से जोड़ लिया।

रघु भले ही सीधा साधा काम बोलने वाला लड़का हैं पर बातों से आकर्षित कर पल भर में गहरा रिश्ता जोड़ लेने वाला गुण देने वाले ने थोक के भाव दिया था। हंसी मजाक करते हुए दोनों घर पहुंच गए। जहां बेसवरी से दोनों का वेट किया जा रहा था। रघु जा'कर पुष्पा के पास बैठ गया। रघु के बैठते ही पुष्पा धीरे से पूछा...भईया क्या कहा?

रघु कुछ न बोला बस मुस्कुरा दिया। कमला जा'कर रघु के सामने लवों पर मंद मंद मुस्कान लिए बैठ गई। सुरभि, राजेंद्र, महेश और मनोरमा कमला का जबाव जानने के लिए उसकी देख रहे थे। रघु से कोई ज़बाब न मिलने पर पुष्पा भी कमला की ओर देखने लग गई ओर उम्मीद करने लग गई शायद कमला ही कुछ बोल दे। लेकिन कमला ने कुछ न बोला बल्कि अपना हाव भाव बदला लिया जैसे कमला को रघु पसन्द न आया हों ये देख सुरभि की धडकने बढ़ गई किसी तरह बढ़ी धड़कनों को काबू कर कमला के पास गई ओर बैठकर बोली...बताओ बेटी तुम्हें मेरा बेटा पसंद आया की नहीं।

कमला बोली कुछ नहीं बस पुष्पा की ओर देखकर मुंह भिचका दिया जैसे वो कहना चाहती हो मुझे रघु बिल्कुल पसंद नहीं आया। कमला को मुंह भिचकता देख पुष्पा का मुंह छोटा सा हों गया। उसे लगा उसकी आस अधूरी रह गई। रघु ने उसकी कही बातो को नजरंदाज कर दिया तब रघु को उंगली दिखाकर बोली...मैं आप'से कभी बात नहीं करुंगी अपने मेरा कहना नहीं माना। घर चलो फिर जीवन भार मेरा दिया सजा भुगतते रहना।

इतना कह पुष्पा मुंह फुलाकर उठ गई ओर बहार को चल दिया। पुष्पा को जाते देख कमला बोली...ननद रानी नाराज हो'कर कहा जा रहीं हों होने वाली भाभी से बात करना है तो मेरे पास आ'कर बैठ सकती हूं।

ननद रानी सुनकर पुष्पा रुक गई। पुष्पा रुकी सो रुकी लेकिन वह मौजुद सभी समझाने की कोशिश कर रहे थे कमला ने अभी किया कहा जब उन्हें समझ आया तो सब मुस्कुरा दिए और इशारों इशारों में एक दूसरे को बधाई देने लग गए। लेकिन पुष्पा को उनसे कोई मतलब नहीं था। उसे तो एक बार फिर से सुनकर कन्फर्म करना था इसलिए बोली...अपने अभी अभी क्या कहा? फिर से कहिए।

कमला...जो अपने सुना मैंने वही कहा।

पुष्पा...मैं भी तो वहीं जानना चाहती हूं। अपने क्या कहा?

कमला...मैंने कहा .. मैंने कहा... मैंने कहा…।

कमला के अधूरा वाक्य बोलने से पुष्प खीज गई और बोली...क्या आप भी पॉज ले ले कर बोला रहीं हों सीधे सीधे बोलो नहीं तो मैं जा रहीं हूं।

कमला…किधर चल दिया होने वाली ननद रानी जी, इधर आओ मैं आप'को अपने हाथों से मिठाई खिलाती हूं।

कमला के कहते ही वह हंसी और ठहाके गूंज उठा पुष्पा जा'कर कमला के पास बैठ गई और कमाल से गले मिलते हुए बोली...thank you thank you भाभी फिर रघु की और देखकर कान पकड़कर बोला sorryyyy भईया।

एक बार फिर से हंसी और ठहाके गूंजने लग गया। कुछ वक्त तक हंसी ठहाके के बाद बात छिड़ी शादी का शुभ मुहूर्त कब की निकली जाए तब महेश ने कहा...राजा जी अगले हफ्ते से कमला का पेपर शुरू होने वाला हैं। इसलिए हम चाहते हैं पेपर के बाद की कोई शुभ मुहूर्त निकाला जाए।

राजेंद्र…आप तो कम से कम राजा जी न बोले हम समधी बनने वाले हैं। रहीं बात शुभ मुहूर्त की तो पेपर हो जानें दीजिए फिर शुभ मुहूर्त निकलबाकर हम अपनी बहु को घर ले जायेंगे तब तक हमारी अमानत को आप के पास रहने देते हैं।

महेश जी भी राजेंद्र की बातों से सहमत हो गया। कुछ देर ओर बातचीत चला फिर खाने पीने की व्यवस्था किया गया खाना खाते हुए सुरभि बोली...बहन जी अपने खाना बहुत ही स्वादिष्ट बनाया हैं।

राजेंद्र...हां जी खाना बहुत स्वादिष्ट और लजीज बना हैं। लगाता है अपने खाना बनाने में मसाले के जगह अपना प्यार भरा भरा के डाला है।

मनोरमा…आप'के तारीफो का हकदार मैं नही कमला हैं इसलिए जितनी भी तारीफे करना हैं कमला की करें।

पुष्पा...वाह भाभी जितनी लाजबाव आप हों उतना ही लाजबाव खाना बनाया।

राजेंद्र…सुरभि अब मुझे तुम्हारे हाथ का बाना खाना अच्छा नहीं लगने वाला मैं तो बहु के हाथ के बने खाने का दीवाना हों गया।

पुष्पा...पापा ज्यादा बाते न बनाओ ओर अपना जेब ढीली करों भाभी को नग दो।

राजेंद्र...हां हां दे दुंगा तुम्हें कहने की जरूरत नहीं हैं पहले खाना खा लूं फिर दे दुंगा।

राजेंद्र के कहते ही सभी खिलखिला दिए ओर कमला आस भरी निगाह से रघु की ओर देखने लग गई जैसे कह रही हों सभी तारीफे कर रहें हैं आप कुछ नहीं कहेंगे। ये देख पुष्पा रघु के कान में बोला...भईया सिर्फ खाए जा रहे हों भाभी की तारीफ तो करों देखो कैसे देख रही हैं जैसे आप'से तारीफें सुनना चाहती हों।

रघु... कमला आप'के बनाए खाने की जितनी भी तारीफ़ किया जाए काम हैं फिर भी मैं इतना ही कहूंगा इतना लजीज खाना मैंने अभी तक नहीं खाया।

बस कमला को इतना ही सुनना था। रघु की तारीफे करना कमला को पसन्द आया ओर कमला मंद मंद मुस्कान बिखेर दिया। खाना पीना होने के बाद राजेंद्र ने कमला को नग दिया फ़िर जानें की अनुमति मांग बहार आ गए रघु एक नज़र कमला को देखा ओर मुस्कुराकर बहार को चल दिया। पुष्पा कमला के पास गई ओर बोली...भाभी आप'के घर का नंबर मिल सकता हैं।

कमला एक पर्चे में नंबर लिखकर पुष्पा को दे दिया। पुष्पा पर्चा अपने पास संभाल कर रख लिया फ़िर बहार आ रघु के साथ कार में बैठ चल दिया।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बाने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏🙏
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Is story mein ek baat saaf hai jarur ho na ho kamla aur Ravan ke bich khoon ka rishta hai...
Dono ko gussa aane par apna aapa kho dete hai... Saamne jo bhi aaye dho dete hai..... cheeje tod fod karne lag jaate hai gusse mein pagal hoke...
kahi manorama aur ravan ki koi flashback to nahi... :akshay:


Destiny sahab :peep: :D
 
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Update - 14


भईया को झिड़ककर पुष्पा उठाकर कमला के पास जा'कर बैठ गई फ़िर कमला के कान में कहा…मेरे भइया आप'को कैसा लगा।

कमला कुछ नहीं कहा बस एक नज़र रघु को देखा ओर मुस्कुरा दिया। पुष्पा को कमला के कान में फूसफूसाते देखकर सुरभि बोली…नटखट कमला बिटिया से तू क्या पुछ रहीं हैं

पुष्पा…ये हमारे बीच की बातें हैं। आप जानकर क्या करोगी?

सुरभि मुस्कुरा दिया फिर महेश से बोला…भाई साहाब हमे तो लडक़ी पसंद हैं। आप क्या कहते हों?

मनोरमा की ओर देख इशारे से पूछा तुम क्या कहती हों तो मनोरमा सिर हिलाकर हां कहा बीबी के हां में सहमति देने पर महेश बोला...जी हमे भी लड़का पसंद हैं। अब कमला हां कर दे तो समझो रिश्ता पक्का।

सभी कमला और रघु की ओर आस भरी निगाहों से देखने लग गए। खासकर कमला की ओर क्योंकि रघु के हाव भाव ने दर्शा दिया था। रघु को कमला पसंद आ गया हैं बस कमला की हां कहने की देर थीं। तब पुष्पा कमला से बोली…मेरे भाई को आप पसंद आ गई हो आप ने हां कह दिया तो आप ही मेरी भाभी बनकर आओगी।

मनोरमा…हां बेटी बोलों तुम्हारा क्या कहना हैं। तुम हां कहोगी तभी हम रिश्ता पक्का करेंगे।

सुरभि…मैं क्या कहती हु दोनों को कुछ वक्त एकांत में एक दुसरे से बात करने का मौका दिया जाएं फिर कमला बिटिया से पूछे तो बेहतर होगा।

राजेंद्र...मेरा भी यही मानना हैं। महेश बाबू आप ओर भाभी जी किया कहते हों।

महेश...हम दोनों आप'की बातों से सहमत है। जाओ कमला दोनों आपस में बात कर लो फिर अपनी मनसा बता देना।

सुरभि...जा रघु दोनों आपस में बात कर लो फिर जो भी तुम्हारे मन में हों हमे बता देना।

दोनों अपने अपने मां बाप को इशारे से माना कर, बात करने जानें से आनाकानी करने लग गए। तो बड़ो के जोर देने पर दोनों एक दूसरे से बात करने को सहमत हों गए। बात करने को सहमत तो हों गए पर मसला आ अटका दोनों को बात करने भेज तो भेजे कहा। तब मनोरमा बोली…हमारे घर के पीछे जो गार्डन बना हैं वहां जा'कर दोनों बात कर लो।

दोनों उठकर घर के बाहर चल दिया। कमला आगे आगे चल रहीं थीं। रघु सिर झुकाए पीछे पीछे चल रहा था। पुष्पा रघु के पास भाग कर गई ओर धीरे से बोली…भईया बुद्धू जैसा बरताव न करना अच्छे से बात करना। ये ही मेरी भाभी बनना चाहिए नहीं तो मैं आपको सजा दूंगी ओर कभी बात नहीं करूंगी।

पुष्पा कहकर अपनी जगह आ'कर बैठ गई। रघु अब फुल टेंशन में आ गया करे तो करे क्या पहली बार किसी अनजान लडक़ी से बात करने जा रहा था ऊपर से बहन ने अल्टीमेटम दे दिया कुछ भी करों उसकी भाभी कमला ही बननी चाहिएं। दोनों गार्डन मे पहुंच कर साथ साथ चल रहे थे। रघु कुछ दूरी बनाया हुआ था। साथ ही ध्यान भी रखा रहा था बॉडी का कोई भी हिस्सा कमला को छू न जाइए।

दिल की धड़कने दोनों का बढ़ गया बात शुरू करे तो कहा से करे, दोनों के लिए यह पहला मौका था। कमला का इसे पहले छिछोरे लडकों से कही बार झड़प हों चुका था लेकिन यह मजरा कुछ ओर था यह पिटना नहीं था बल्कि रिश्ता जोड़ना था और रघु के लिए यह पहला मौका था। रघु हमेशा लड़कियो से दूरी बनाकर रखता था चाहे कॉलेज हो या कही ओर इस बात से रघु को उसके दोस्त बहुत छेडा करते थे खाश कर रघु के बचपन का दोस्त रमन तो रघु पर चढ़ ही बैठता था लेकिन रघु कभी उसका बुरा नहीं माना करता था। लेकिन आज मजरा दूसरा था।

रघु को अल्टीमेटम मिला हुआ था साथ ही उसे अपना जीवन साथी चुनना था रघु ने लामसम कमला को अपना जीवन साथी चुन ही लिया था बस पुष्टि करना रह गया था। बातो का सिलसिला शुरु कहा से करे समझ ही नही पा रहा था। लेकिन कही न कही से शुरु करना ही था तो रघु एक लंबी सांस भरकर छोड़ा फिर बोला…आप'का पसंदीदा विषय क्या हैं?

कमला बातों का मतलब समझ नहीं पाई या ध्यान से नहीं सुना इसलिए असमझी का भाव दर्शाते हुए रघु की ओर देखने लग गई। तब रघु पुष्टि करते हुए बोला…मेरे कहने का मतलब था आप'को किस काम को करने में सबसे ज्यादा रुचि है।

खिला सा मुस्कान बिखेर कमला रघु को देखने लग गई। रघु पहले से ही मोहित था । अब तो ओर भी ज्यादा मोहित हो गया फिर ख़ुद को संभालते हुए बोला…सुनिए आप ऐसे न मुस्कुराओ बड़ी मुस्कील से साहस जुटा कर आप'से बात करने आया हूं। आप ऐसे मुस्कुराते रहे तो मैं कुछ बात नहीं कर पाऊंगा फिर आप मना कर देंगे। अगर ऐसा हुआ तो मेरी बहना प्यारी मुझ'से नाराज़ होगी सो अलग मुझ'से कभी बात भी नहीं करेगी।

रघु को सहजता से बात करते देखकर कमला भी सहज भाव से मुस्कुराते हुए बोली...आप अपने बहन से बहुत प्यार करते हों। तभी आप उनके कहने पर ही मुझ'से बात करने आए हों।

रघु…ऐसा नहीं की मैं आप'से बात नहीं करना चाहता था मेरा आप'से बात करने का मन था वो तो पुष्पा ने अल्टीमेटम दे दिया इसलिए मैंने ऐसा कहा।


कमला...Oooo toooo आप'के बहन ने अल्टीमेटम दे दिया क्या कहा मैं जान सकती हूं?

रघु टपक से बोल पडा…उसने साफ साफ लब्जो में कह दिया आप अगर उसकी भाभी नहीं बनी तो वो मुझ'से कभी बात नहीं करेंगी।

कहते ही रघु को ख्याल आया ये क्या कह दिया? जो नहीं कहना था वो ही बोल दिया। बरहाल जो बोल दिया सो बोल दिया उसे वापस तो नहीं लिए जा सकता इसलिए कमला की ओर देखकर मुस्कुरा दिया। कमला भी एक लुभावनी मुस्कान दिया फिर बोली…ऐसा हैं तो मुझे हां कहना चाहिएं। आप क्या कहते हों?

रघु…क्या कहना चाहिएं? ये सिर्फ और सिर्फ आप'का फैसला हैं। इसमें न मैं न ही कोई ओर आप'के साथ जोर जबर्दस्ती कर हां बुलवा सकते है। शादी कोई गुड्डे गुडियो का खेल नहीं जो आज कर लिया और कल को तोड़ दिया। ये जीवन भर का फैसला हैं तो सोच समझकर ही लेना चाहिएं। मैं चाहूंगा आप जो भी फैसला लेना चाहो सोच समझकर ही लेना।

रघु की समझदारी पूर्ण बाते कहने के दौरान कमला एक टक रघु को देखे जा रही थीं और समझने की कोशिश कर रहीं थी। रघु कहना क्या चाह रहा था। जब उसे समझ आया रघु ने कितनी गहरी बात सरलता से कह दिया। तो रघु की बातों ने कमला के दिल में घर कर लिया और शायद रघु भी कमला के दिल में बस गया होगा। कमला को ऐसे देखते हुए देखकर रघु बोला…आप मुझे ऐसे क्यो देख रही हों? मैंने कुछ गलत बोल दिया।

कमला…अपने कुछ गलत नही बोला मैं तो बस ये समझने की कोशिश कर रहा था अपने कितनी गहरी बात सरल भाव और शब्दो में कह दिया।

रघु अपनी बत्तीसी फाड़ मुस्कुरा दिया। तो जवाब में कमला भी खिला सा मुस्कान बिखेर दिया। मुस्कानों का आदान प्रदान कुछ क्षण चला फिर रघु बोला...मैंने आप'से कहा था आप ऐसे न मुस्कुराया करों, नहीं तो मैं बस आप को मुस्कुराता हुआ देखता रह जाऊंगा फिर जो कहने आया वो कह नहीं पाऊंगा ओर अपने माना कर दिया तो मेरे लिए मुसीबत खडा हों जाएगा।

कमला फिर से मुस्कुरा दिया और बोला…आप ने कम शब्दों में बहुत कुछ कह दिया फिर भी आप कह रहें हों बात नहीं कर पाओगे। अगर मैंने हां कह दिया फिर तो आप'को कोई परेशनी नहीं होगा।

हां सुनकर रघु समझने की कोशिश कर रहा था कमला कहना किया चाहती हैं क्या कमला गुमा फिरा कर हां कह रहीं थी? अब इस झल्ले रघु को कौन समझाए कमला ने उसे हा कहा था लेकिन रघु मंद बुद्धि के साथ साथ बैल बुद्धि होने का प्रमाण दे दिया ये पूछकर…आप'के हां कहने से मेरे सभी समस्याओं का निराकरण हों जाएगा । पहली बार कोई लडक़ी मेरे दिल को इतना भा गया हैं। मैं कह नहीं सकता और वो मेरा जीवन साथी बन जाए इसे अच्छा मेरे लिए ओर क्या हो सकता हैं फिर मेरी बहन मुझ'से नराज हो'कर भी नहीं रहेगा।

कमला...achaaaa।

इतना कह मुस्कुरा दिया। कमला के इस मुस्कान के पीछे एक टोंट का आभास हो रहा था। ऐसे ही दोनो बाते करते हुए चल रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी कमला को कही छुने या कहूं अपनी बॉडी का कोई भी हिस्सा कमला के बॉडी से टच नहीं होने दिया कमला इस बात को भी परख लिया था। जहां दूसरे लडके कमला को बहाने से छूने की कोशिश करते रहते थे। वहीं रघु एक बार भी कमला को छुने की कोशिश नहीं किया इससे कमला पुरी तरह से रघु पर मोहित हों गया। कमला रघु की बातो को सुन भी रहा था और सरल स्वभाव पर विचार भी कर रही थीं। ऐसे सोचा विचारी में चलते हुए कमला डगमगा गई ओर गिरने को हुई। तब रघु ने कमला का हाथ पकड़ कर कमला को गिरने से बचा लिया। हाथ पकड़ते ही कमला रघु को अचंभित हो'कर देखने लग गई। कमला का अचंभित हो'कर देखना लाज़मी था। इतने देर से चलते हुए बात कर रहे थे लेकिन रघु ने एक बार भी अपने बॉडी को कमला के बॉडी से टच नहीं होने दिया और अब अचानक से उसका हाथ थाम लिया। लेकिन जब कमला को अपनी स्थिति का भान हुआ तब कमला मन ही मन मुस्कुरा दिया। कमला संभाल गई तब रघु को भान हुआ उसने क्या किया तो कमला का हाथ छोड़कर बोला...आप ठीक तो हों न, माफ करना मेरे छुने से आप'को बुरा लगा हों तो।

कमला मुस्कुराते हुए बोली…नहीं मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगा। आप मुझे नहीं पकड़ते तो मैं गिर जाता, शायद मुझे चोट भी लग जाता। आप को माफी मांगने की जरूरत नहीं हैं। भविष्य में मुझे छुने का अधिकार आप'को ही होगा।

कमला की कहीं हुई कुछ बातो पर गौर किया। कुछ बातो पर नहीं वरना रघु समझ गया होता। कमला ने रघु को हां कह छुने का अधिकार दे दिया। दोनों को आए हुए वक्त ज्यादा हों गया था। इसका भान होते ही रघु ने कह…अब हमे चलना चाहिए बहुत देर हों गया हैं।

कमला को भी लग रहा था उन्हें आए हुए बहुत देर हो गया है लेकिन वो कह नहीं पा रही थीं इसलिए रघु के वापस जाने की बात कहते ही कमला ने भी सिर हिलाकर हां कह दिया। तो दोनों घर की ओर चल दिया। रघु को लगा कमला ने अभी तक हां या न नहीं कहा। तो कमला से पूछा...आप'ने अपना ज़बाब नहीं बताया। बता देते तो अच्छा होता।

रघु का सवाल सुनकर कमला मुस्करा दिया फिर बोली...आप न बिल्कुल बुद्धू हो मैंने तो कब का आप'को हां कह दिया लेकिन आप हों की समझ ही नहीं पाए।

रघु के दिमाग पर जोर पडा कब हां कहा सोचने लग गया जब उसे लगा कमला ने बातों के दौरान कहीं पर भी हां नहीं कह तब सिर खुजते हुए बोला...आप'ने कब हां कहा?

कमला...मैंने आप'को पहली बार तब हा कहा था जब अपने मुझे अपनी बहन की दिए अल्टीमेटम के बारे में बताया था और दूसरी बार तब हां कहा जब अपने मुझे गिरने से बचाया था। मैंने अंत में कहा था। भविष्य में मुझे छुने का अधिकार आप'को ही होगा। अब आप ही बताइए मैंने हां कहा था की न कहा था।

रघु को अपनी गलती समझ में आया ओर मन ही मन खुद को गली दिया फिर बोला….आप ऐसे घुमा फिरा कर हां कहेंगे तो मैं कैसे समझ पाऊंगा।

कमला…मैंने जैसे भी बोला आप'को समझना चाहिएं था कोई लडक़ी सीधे सीधे हां नहीं कहता समझे बुद्धु कहीं के!

रघु कुछ नहीं कहा बस मुस्करा दिया। जबकि कमला ने सीधे सीधे रघु को बुद्धु कह दिया। रघु मुस्कुराने के अलावा कर भी किया सकता था। कमला जैसी खूबसूरत लड़की रघु से प्रभावित होकर शादी के लिए मान गई इससे ज्यादा रघु को ओर क्या चाहिए।

ऐसे ही हसी मजाक करते हुए दोनों घर की ओर चल दिया। दोनों को हंसी मजाक करते हुए देख कर ऐसा लग रहा था जैसे दोनों एक दूसरे को वर्षों से जानते हों, लग ही नहीं रहा था दोनों अजनबी हैं। आज ही एक दूसरे से मिले और कुछ ही वक्त के मेल मिलाप से एक गहरा रिश्ता एक दूसरे से जोड़ लिया।

रघु भले ही सीधा साधा काम बोलने वाला लड़का हैं पर बातों से आकर्षित कर पल भर में गहरा रिश्ता जोड़ लेने वाला गुण देने वाले ने थोक के भाव दिया था। हंसी मजाक करते हुए दोनों घर पहुंच गए। जहां बेसवरी से दोनों का वेट किया जा रहा था। रघु जा'कर पुष्पा के पास बैठ गया। रघु के बैठते ही पुष्पा धीरे से पूछा...भईया क्या कहा?

रघु कुछ न बोला बस मुस्कुरा दिया। कमला जा'कर रघु के सामने लवों पर मंद मंद मुस्कान लिए बैठ गई। सुरभि, राजेंद्र, महेश और मनोरमा कमला का जबाव जानने के लिए उसकी देख रहे थे। रघु से कोई ज़बाब न मिलने पर पुष्पा भी कमला की ओर देखने लग गई ओर उम्मीद करने लग गई शायद कमला ही कुछ बोल दे। लेकिन कमला ने कुछ न बोला बल्कि अपना हाव भाव बदला लिया जैसे कमला को रघु पसन्द न आया हों ये देख सुरभि की धडकने बढ़ गई किसी तरह बढ़ी धड़कनों को काबू कर कमला के पास गई ओर बैठकर बोली...बताओ बेटी तुम्हें मेरा बेटा पसंद आया की नहीं।

कमला बोली कुछ नहीं बस पुष्पा की ओर देखकर मुंह भिचका दिया जैसे वो कहना चाहती हो मुझे रघु बिल्कुल पसंद नहीं आया। कमला को मुंह भिचकता देख पुष्पा का मुंह छोटा सा हों गया। उसे लगा उसकी आस अधूरी रह गई। रघु ने उसकी कही बातो को नजरंदाज कर दिया तब रघु को उंगली दिखाकर बोली...मैं आप'से कभी बात नहीं करुंगी अपने मेरा कहना नहीं माना। घर चलो फिर जीवन भार मेरा दिया सजा भुगतते रहना।

इतना कह पुष्पा मुंह फुलाकर उठ गई ओर बहार को चल दिया। पुष्पा को जाते देख कमला बोली...ननद रानी नाराज हो'कर कहा जा रहीं हों होने वाली भाभी से बात करना है तो मेरे पास आ'कर बैठ सकती हूं।

ननद रानी सुनकर पुष्पा रुक गई। पुष्पा रुकी सो रुकी लेकिन वह मौजुद सभी समझाने की कोशिश कर रहे थे कमला ने अभी किया कहा जब उन्हें समझ आया तो सब मुस्कुरा दिए और इशारों इशारों में एक दूसरे को बधाई देने लग गए। लेकिन पुष्पा को उनसे कोई मतलब नहीं था। उसे तो एक बार फिर से सुनकर कन्फर्म करना था इसलिए बोली...अपने अभी अभी क्या कहा? फिर से कहिए।

कमला...जो अपने सुना मैंने वही कहा।

पुष्पा...मैं भी तो वहीं जानना चाहती हूं। अपने क्या कहा?

कमला...मैंने कहा .. मैंने कहा... मैंने कहा…।

कमला के अधूरा वाक्य बोलने से पुष्प खीज गई और बोली...क्या आप भी पॉज ले ले कर बोला रहीं हों सीधे सीधे बोलो नहीं तो मैं जा रहीं हूं।

कमला…किधर चल दिया होने वाली ननद रानी जी, इधर आओ मैं आप'को अपने हाथों से मिठाई खिलाती हूं।

कमला के कहते ही वह हंसी और ठहाके गूंज उठा पुष्पा जा'कर कमला के पास बैठ गई और कमाल से गले मिलते हुए बोली...thank you thank you भाभी फिर रघु की और देखकर कान पकड़कर बोला sorryyyy भईया।

एक बार फिर से हंसी और ठहाके गूंजने लग गया। कुछ वक्त तक हंसी ठहाके के बाद बात छिड़ी शादी का शुभ मुहूर्त कब की निकली जाए तब महेश ने कहा...राजा जी अगले हफ्ते से कमला का पेपर शुरू होने वाला हैं। इसलिए हम चाहते हैं पेपर के बाद की कोई शुभ मुहूर्त निकाला जाए।

राजेंद्र…आप तो कम से कम राजा जी न बोले हम समधी बनने वाले हैं। रहीं बात शुभ मुहूर्त की तो पेपर हो जानें दीजिए फिर शुभ मुहूर्त निकलबाकर हम अपनी बहु को घर ले जायेंगे तब तक हमारी अमानत को आप के पास रहने देते हैं।

महेश जी भी राजेंद्र की बातों से सहमत हो गया। कुछ देर ओर बातचीत चला फिर खाने पीने की व्यवस्था किया गया खाना खाते हुए सुरभि बोली...बहन जी अपने खाना बहुत ही स्वादिष्ट बनाया हैं।

राजेंद्र...हां जी खाना बहुत स्वादिष्ट और लजीज बना हैं। लगाता है अपने खाना बनाने में मसाले के जगह अपना प्यार भरा भरा के डाला है।

मनोरमा…आप'के तारीफो का हकदार मैं नही कमला हैं इसलिए जितनी भी तारीफे करना हैं कमला की करें।

पुष्पा...वाह भाभी जितनी लाजबाव आप हों उतना ही लाजबाव खाना बनाया।

राजेंद्र…सुरभि अब मुझे तुम्हारे हाथ का बाना खाना अच्छा नहीं लगने वाला मैं तो बहु के हाथ के बने खाने का दीवाना हों गया।

पुष्पा...पापा ज्यादा बाते न बनाओ ओर अपना जेब ढीली करों भाभी को नग दो।

राजेंद्र...हां हां दे दुंगा तुम्हें कहने की जरूरत नहीं हैं पहले खाना खा लूं फिर दे दुंगा।

राजेंद्र के कहते ही सभी खिलखिला दिए ओर कमला आस भरी निगाह से रघु की ओर देखने लग गई जैसे कह रही हों सभी तारीफे कर रहें हैं आप कुछ नहीं कहेंगे। ये देख पुष्पा रघु के कान में बोला...भईया सिर्फ खाए जा रहे हों भाभी की तारीफ तो करों देखो कैसे देख रही हैं जैसे आप'से तारीफें सुनना चाहती हों।

रघु... कमला आप'के बनाए खाने की जितनी भी तारीफ़ किया जाए काम हैं फिर भी मैं इतना ही कहूंगा इतना लजीज खाना मैंने अभी तक नहीं खाया।

बस कमला को इतना ही सुनना था। रघु की तारीफे करना कमला को पसन्द आया ओर कमला मंद मंद मुस्कान बिखेर दिया। खाना पीना होने के बाद राजेंद्र ने कमला को नग दिया फ़िर जानें की अनुमति मांग बहार आ गए रघु एक नज़र कमला को देखा ओर मुस्कुराकर बहार को चल दिया। पुष्पा कमला के पास गई ओर बोली...भाभी आप'के घर का नंबर मिल सकता हैं।

कमला एक पर्चे में नंबर लिखकर पुष्पा को दे दिया। पुष्पा पर्चा अपने पास संभाल कर रख लिया फ़िर बहार आ रघु के साथ कार में बैठ चल दिया।

आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे। यहां तक साथ बाने रहने के लिय सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

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Update - 15

रघु ओर पुष्पा एक ही कर में थे तो पुष्पा रघु को छेड़ते हुए बोला... भईया अपने ऐसा किया बोल दिया जो भाभी जैसी खुबसूरत लड़की आप जैसे बुद्धू लड़के से शादी करने को राजी हों गई।

पुष्पा के गाल खींच रघु बोला...मैं बुद्धू हूं बोल भईया को बुद्धु बोला।

पुष्पा...हां आप हों बुद्धू एक नबर के बुद्धू हों न जानें भाभी ने किया देखकर हां बोला दिया। मुझे तो लगता हैं अपने बहला फुसला कर हां बुलवाया होगा।

रघु एक चपत पुष्पा के सिर पर लगा दिया। पुष्पा झूठा गुस्सा दिखा सिर सहलाते हुए बोली...भईया आप महारानी को गुस्सा दिला रही हों मुझे गुस्सा आ गया तो यहीं कार रुकवा कर आप'को सजा दे दूंगी।

रघु पुष्पा के सिर पर जहां चपत लगाया था वहा सहलाते हुए बोला...तेरी सजा पाने से बचने के लिय ही तो मैंने कमला को शादी करने को मना लिया। कमला हां न करती तो तू मुझे सजा देती तेरी दी सजा मैं भुगत लेता लेकिन तु मुझ'से बात न करके जो सजा मुझे देती वो मेरे लिए सब से बड़ी सजा होता।

पुष्पा...अपने सिर्फ मेरे लिए भाभी को मनाया आप मुझ'से इतना प्यार करते हों।

रघु...तुझे शक हैं तो बता दे मैं प्रूफ करके दिखा देता हूं मैं तुझे कितना प्यार करता हूं।

पुष्पा...आप को प्रूफ करने की जरूरत नहीं मैं जानती हूं मेरे दोनों भाई मुझ'से कितना प्यार करते हैं। आज अपश्यु भईया भी साथ होते तो कितना अच्छा होता।

रघु... छोटे साथ होता तो बहुत मजा आता। पुष्पा घर जा'कर छोटे, छोटी मां काका को फ़ोन करके बताना होगा।

पुष्पा...अभी नहीं बताएंगे जब हम दार्जलिंग जाएंगे तभी उन्हे surprise देंगे। आप रमन भईया को भी नहीं बताना उन्हें बताया तो आप समझ रहें हैं न क्या होगा।

रघु...बाकी सब तो ठीक है पर रमन को तो बताने दे तू जानती हैं न मैं….।

पुष्पा...हां हां मैं जानती हू आप'के लाईफ में रमन भईया ही वो शख्स हैं जिसके साथ अपने लाईफ के एक एक पल शेयर करते हों।

रघु...जब जानती हैं तो बताने दे न मेरी प्यारी बहना।

पुष्पा...ठीक हैं बता देना पर तब जब शादी की तारिक तय हों जाएं।

रघु... ठीक हैं तब तक रूक जाता हूं।

पुष्पा...भईया मैं न भाभी से आपके लिए कुछ मांग कर लाई हूं।

रघु... रघु क्या लाया? दिखा न!

पुष्पा नंबर वाला पर्चा निकलकर रघु को दिखाते हुए बोला... भईया ये देखो भाभी का नंबर।

रघु...ला दे न तू मेरी अच्छी और प्यारी बहन हैं न!

पुष्पा...Oooo Hooo मस्का पर मैं अभी नहीं देने वाली।

रघु... क्यों?

पुष्पा...पहले आप वादा करों आप मुझे आप'के शादी में जी भार कर शॉपिंग करवाओगे

रघु...बस इतना ही मैं तो तुझे पूरा मॉल खरीद कर दे दुंगा। अब तो नंबर दे दे।

पुष्पा...अभी नहीं घर चलो फिर दूंगी। अपने नंबर कहीं गिरा दिया तो मुझे नंबर मांगने फिर से भाभी के घर जाना पड़ेगा।

रघु आगे कुछ नहीं कहा ऐसे ही दोनों भाई बहन मस्तियां करते हुए घर आ गए। घर आने के बाद भी दोनों की मस्तियां जारी थीं। पुष्पा एक छोटी बच्ची की तरह कभी रघु को परेशान कर रहीं थी तो कभी पापा को तो कभी मां को, मां तोड़ा बनावटी गुस्सा दिखा डांट देती तो पुष्पा रूठ जाया करती ये देख रघु तरह तरह के सकल बना पुष्पा को मनाने लग जाता। राजेंद्र और सुरभि अपने बच्चो की हरकते देख मुस्कुराए बिन रह न सकें।

ऐसे ही समय कब बीत गया पता ही नहीं चला दिन ढल गया सांझ की बेला आ गई। तब सुरभि के कहने पर पुष्पा सुरभि और चंपा के साथ शाम के खाने की तैयारी करने चले गए। शाम के खाने के लिए तरह तरह के डिशेज़ बनाया गया सभी डिशेज़ पुष्पा ने अपने पसन्द का ख़ुद ही बनाया। समय रहते सभी तैयारी हों गया तब पुष्पा को अच्छे से तैयार होने भेज दिया गया। कुछ वक्त में आशीष और उसके घर वाले आ गए। आदर और सम्मान के साथ सत्कार किया गया। रघु को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। क्योंकि रघु को अभी तक कुछ बताया नहीं गया था। परिचय के वक्त ही रघु को सब पता चला। पहले तो रघु मन ही मन गुस्सा हुआ लेकिन बहन की खुशी को देखकर गुस्सा थूक दिया और मन में खुशी को जगह दे दिया। रघु आशीष से अकेले में बात करना चहता था इसलिए कहा... पापा क्या मैं अशीष से अकेले में बात कर सकता हूं।

सभी समझ गए। अशीष को परख कर भाई होने का फर्ज निभाना चहता हैं। इसलिए बिना किसी आनाकानी के दोनों को बात करने भेज दिया गया। आशीष को लेकर बाहर आते ही रघु के पहले सवाल ने अशीष को भौचक्का कर दिया।

रघु...तुम तो बड़े चालक निकले मेरे बहन को बहला फुसला कर अपने जल में फंसा लिया बोलो ऐसा क्यों किया तुम्हारे मन में किया चल रहा हैं।

आशीष असमंजस की स्थिति में पड़ गया। रघु के सवाल का जवाब दे तो दे क्या, अशीष रघु के हाव भाव को परखने लग गया कि रघु जानना किया चाह रहा था। कही रघु मजाक तो नहीं कर रहा हैं पर रघु का हाव भाव गंभीर देखकर अशीष समझ गया रघु मजाक नहीं कर रहा हैं। इसलिए आशीष सहज भाव और साफ लब्जो में बोला…आप मुझे डराने के तर्ज पर बोल रहे हैं तो आप एक बात जान लीजिए मैं आप'की बातो से बिल्कुल भी डर नहीं रहा हूं। मैं पुष्पा से प्यार करता हूं न की मैंने पुष्पा को बहला फुसला कर फसाया हैं। आप सोच रहे होंगे आप'के अपर धन संपत्ति पाने की लालच में, मैं पुष्पा को प्यार की जल में फसाया हैं तो आप गलत सोच रहे हैं। धन संपत्ति की हमारे पास भी कमी नहीं हैं हां आप'से काम हैं लेकिन जितना हैं हमारे लिए बहुत हैं।

आशीष की बाते सुनकर रघु अचंभित हो'कर देखता रह गया क्योंकि आशीष बातो के दौरान एक पल के लिए नज़रे नहीं चुराया नजर से नजर मिलकर बात किया, तब रघु थोडा ओर परखने के लिए बोला…चलो मान लिया तुम पुष्पा से प्यार करते हों तो क्या तुम पुष्पा को पाने के लिए अपने मां बाप को छोड़कर घर जमाई बन सकते हों।

रघु की बात सुनकर आशीष एक पल को ठिठक गया। रघु कहना किया चाहता था। कोई खुद्दार लडका कैसे घर जमाई बन सकता था ओर आशीष तो खुद्दारी की प्रतिमूर्ति हैं। वो ऐसा कैसे कर सकता था। तब आशीष मुस्कुराते हुए बोला...आप'के सवाल का जवाब थोड़े देर में दे दुंगा उससे पहले क्या आप मेरे एक सवाल का जवाब देंगे?

रघु…पूछो क्या पुछना चहते हों?

आशीष…आप'को मेरी बातो से बूरा लग सकता हैं इसलिए आप'से पहले ही माफी मांग लेता हूं। जो सवाल अपने मूझ'से पूछा वो सवाल आप पर भी लागू होता है। सुना है आप'का भी रिश्ता आज ही तय हुआ हैं। तो क्या वो लोग कहते तो आप भी घर जमाई बनने को तैयार हों जाते।

आशीष की सवाल सुनकर पहले तो रघु चाैका फिर मुस्कुरा कर बोला…मैं भला क्यों घर जमाई बनूंगा वो अगर ऐसा कहते तो मैं रिश्ता ठुकरा देता। मैं अपने मां बाप के लिए ऐसे सैंकड़ों रिश्ता ठुकरा सकता हूं।

आशीष…तो फिर मैं कैसे मां बाप को छोड़कर घर जमाई बन सकता हूं। मेरे लिए जितना जरूरी मां बाप हैं उतना ही जरूरी पुष्पा हैं। अब आप ही बताईए मैं किया करू मैं न मां बाप को छोड़ सकता हु न ही पुष्पा को।

आशीष के कहते ही रघु जान गया आशीष किस तरह का लडका हैं। जो बिना डरे बिना हिचके रघु से नजरे मिलाकर उससे बात कर रहा था। बात ही नहीं उससे उल्टा सवाल भी कर रहा था। इसलिए रघु मंद मंद मुस्कुरा दिया फ़िर बोला…मैं जो कहूंगा तुम मान सकते हों।

अब तो आशीष को भी डर लगने लगा की कही रघु ये न कह दे तुम्हें पुष्पा को भूलना होगा। ये बात सोचते ही आशीष की पलके भारी हो गया और भारी पलकों से रघु की और देखते हुए बोला…कहिए मेरे बस का हुआ तो मैं जरुर मानूंगा।

रघु…मैं मेरी बहन को हमेशा खुश देखना चहता हूं। क्या तुम मुझे वचन दे सकते हों मेरी बहन को हमेशा खुश रखोगे?

रघु की कहने की देर थीं की आशीष रघु के गले मिलते हुए कहा…Thank You भईया मैं आप'को वचन देता हु पुष्पा को मैं हमेशा खुश रखूंगा आप'को कभी शिकायत का मौका नहीं दुंगा।

इसके बाद रघु ने आशीष से कुछ ओर भी बाते किया वो आगे किया करना चहता हैं। कब से दोनो का प्रेम प्रसंग चल रहा हैं। आशीष ने रघु के पूछे गए एक एक सवाल का जवाब दे दिया फिर दोनों अदंर आ गए। अदंर आते ही राजेंद्र बोला…रघु बेटा लडका कैसा हैं अच्छे से परख लिया आशीष तुम्हारे पैमाने पर खरा उतर पाया की नहीं!

रघु…..हां पापा परख लिया मेरे ओर से हां हैं। आगे की आप देख लो।

उसके बाद जा'कर सुरभी पुष्पा को नीचे ले'कर आई आशीष तो पुष्पा को देखता रह गया। पुष्पा भी कम नहीं थी आशीष की ओर देखकर एक आंख दबा दी मतलब आंख मार दिया। आशीष बस मुस्कुरा दिया। आशीष की मां शालिनी ने बोला…अरे बहन जी ये फॉर्मलेटी करने की क्या जरूरत थीं? हम तो पुष्पा बेटी से कई बार मिल चुके हैं और इन दोनो के बारे में बहुत पहले से जानते हैं। फ़िर पुष्पा से कहा आओ बेटी मेरे पास आ'कर बैठो।

राजेंद्र…मतलब की सिर्फ़ हमे ही अंधेरे में रखा गया था। पुष्पा तुमने अच्छा नहीं किया।

पुष्पा ने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा दिया फिर कुछ और बाते हुआ उसके बाद खाने की व्यवस्था किया गया खाना खाते हुए राजेंद्र ने होने वाले समधी रावल से बोला…जब इन दोनों ने तय कर ही लिया हैं दोनों को साथ रहना हैं तो हम बड़े कुछ नहीं कर सकते हैं तो समधी जी बताइए शुभ मूहर्त कब निकला जाए।

रावल…हमे भी जल्दी हैं की हम अपनी बहु को घर ले जाए लेकिन अभी मुझे कुछ वक्त और Wait करना होगा क्योंकि आशीष की ips की ट्रेनिग शुरू होने वाला हैं वह से लौटने के बाद ही शुभ मूहर्त निकालकर दोनों के फेरे पड़वा देंगे।

राजेंद्र...जैसा आप कहें हम ठहरे लड़की वाले तो लड़के वाले जैसा कहेंगे मानना पड़ेगा।

रावल...न न आप बिल्कुल भी ये न समझना हम लड़के वाले हैं तो जैसा हम कहेंगे वैसा ही होगा। होगा तो वही जैसा दोनो ओर से चाहेंगे इसलिए आप बोलो आप क्या करना चाहते हों। आप अभी शादी करवाना चाहते हैं तो हम भी तैयार हैं।

राजेंद्र...मैं भी अभी बेटी की शादी नहीं करवाना चहता हूं क्यूंकि बेटे की भी शादी तय हों गया हैं तो पहले बहु घर ले'कर जाएंगे फिर बेटी विदा करेगें।

रावल... समधी जी एडवांस में बहु घर लाने की बधाई दे रहा हूं रखना हो तो रख लो नहीं तो बाद में फिर दे देंगे।

रावल की बाते सून हसी और ठहाकों का माहौल बन गया। सभी हंसते मुस्कुराते खाना खा लिए। खाना खाने के दौरान पुष्पा सभी से नजरे बचा आशीष को बहुत परेशान किया। आशीष नाराज़ होने का ढोंग करता तो पुष्पा आंखे दिखा धमका दिया करता। आशीष विचारा चुप चाप मासुका का ढाया सितम सहता रहा फिर आशीष अपने परिवार के साथ विदा ले'कर वापस लौट गया। उनके जानें के बाद यहां सब रात्रि विश्राम के लिए चले गए।

अगले दिन सुबह नाश्ते के बाद रघु दार्जलिंग वापस जा रहा था। वापस जानें की खबर सुन पुष्पा उदास हों गईं और बोली…..भईया कल चले जाना बस आज का दिन ओर रुक जाओ।

रघु…मैं नहीं रूक सकता वहां काम बहुत हैं। मां और पापा रूक तो रहे हैं।

पुष्पा...कहा रुक रहे हैं वो भी आज जा रहे हैं।

रघु…मां आप दोनों भी आज ही लौट रहे हों। आप दोनों को अभी जानें की जरूरत नहीं हैं पुष्पा के पेपर खत्म होने तक यहां रहिए फिर पुष्पा को साथ ले'कर आ जाना।

राजेंद्र…मैं यहां रुक गया तो तु वहां संभाल पाएगा।

रघु…हां पापा मैं संभाल लूंगा बस कुछ दिनों की तो बात हैं।

राजेंद्र...तुम कह रहे हो तो रुक जाते हैं।

पुष्पा अनमने मन से बोला…ठीक हैं।

रघु…तू खुश नहीं हैं तो मां पाप को साथ ले'कर जाता हूं।

पुष्पा…मैं खुश हूं पर आप रुकते तो ओर खुश होता।

पुष्पा को ठीक से पढ़ाई करने को कहकर रघु चल दिया। पुष्पा, राजेंद्र और सुरभी रघु को बाहर तक छोड़ने आए। रघु कार में बैठ रहा था तब राजेंद्र बोला…रघु अभी तेरे रिश्ता पक्का होने की बात किसी को बताने की जरूरत नहीं हैं। जिसको भी बताना होगा मैं बता दुंगा।

रघु हां बोलकर चल दिया। रघु के जाते ही तीनों भी अदंर चले गए। उधर अपश्यु ने डिंपल को अल्टीमेटम दिया था तो डिंपल मन नहीं बना पा रहीं थीं की उसे क्या करना चाहिए उसे अपश्यु के बारे में बहुत कुछ सुगंधा ने बताया था तो न जाने डिंपल को क्या सूजा वो अपश्यु के बारे में ओर छानबीन करने लग गई।

छानबीन करते हुए डिंपल ने अपश्यु के दोस्तों ओर दूसरे जानने वाले से अपश्यु के बारे में पूछताछ कर ओर भी बहुत कुछ पाता लगा लिया। पूछताछ के बाद डिम्पल फैसला नहीं कर पा रही थी कि अपश्यु के प्रपोजल को एक्सेप्ट करें की न करें पर इसी बीच अनुराग डिंपल से मिलने आया ओर बोला...आप'ने अपश्यु के प्रपोजल के बारे में क्या सोचा?

डिंपल...मैं तुम्हें क्यों बताऊं मैने क्या सोचा?

अनुराग...आप चाहें न बताओं लेकिन मैं जान गया हूं आप अभी तक अपश्यु के बारे में बहुत कुछ जान गए होंगे। मैं ये भी जानता हू अपश्यु हद से ज्यादा बिगड़ा हुआ हैं और ऐसे लड़के के साथ कोई भी लड़की रिलेशन में नहीं रहना चाहेगा।

डिंपल...जानते हों तो फिर पुछ क्यों रहें हों?

अनुराग...मैं पुछने नहीं आया मैं बस आप'से विनती करने आया हूं कि आप दिखावे के लिय ही सही अपश्यु के प्रपोजल को एक्सेप्ट कर लीजिए।

डिंपल..मैं कोई दिखवा नहीं करने वाली माना की मैं भी दूध की धुली नहीं हूं। लेकिन मैं इतना भी बूरा नहीं हूं की अपश्यु जैसे बिगड़े हुए लड़के का प्रपोजल एक्सेप्ट करूं।

अनुराग...माना की अपश्यु बहुत बिगड़ा हुआ हैं पर कोई कितना भी बिगड़ा हुआ हों उसे सुधरा जा सकता हैं। मैं भी मेरे दोस्त को सुधरना चहता हूं। बस आप थोडी हेल्प कर देना उसके प्रपोजल को एक्सेप्ट कर लेना।

डिंपल...तुम अपश्यु के लिए इतना क्यों सोच रहे हों इसमें तुम्हारा क्या फायदा हैं बिना फायदे के कोई किसी के लिय कुछ भी नहीं करता।

अनुराग...जैसे अपने खुद के फायदे के लिए बहुत से लड़कों का इस्तेमाल किया।

इतना सुन डिंपल चौक गई। ये देख अनुराग बोला...इतना चौकने की जरूरत नहीं हैं। मैं आप'के बारे में बहुत कुछ जनता हूं पर मुझे उससे कोई लेना देना नहीं हैं। मैं बस इतना चाहूंगा की इस बार अपना फायदा न देख कर किसी को सुधारने में हेल्प कर दो।

डिंपल...चलो मैने प्यार का नाटक कर भी लिया तो जिस दिन उसे पाता चलेगा उस दिन क्या होगा कुछ समझ रहें हों?

अनुराग...जैसा आप सोच रहीं हों ऐसा कुछ भी नहीं होगा। अपश्यु भाले ही सभी से बूरा बरताव करता हों। पर वो भी एक अच्छा इंसान है बस उसकी अच्छाई कहीं छुप गया हैं जिस दिन उसका अच्छाई बहार निकलकर आएगा उस दिन आप खुद उससे प्यार करने लग जाओगे।

अनुराग की बाते सून डिंपल अन्दर ही अन्दर विचार करने लग गई ये देख अनुराग बोला…बताओं तुम क्या मेरी हेल्प करोगे।

डिंपल... मुझे सोचने के लिय कुछ वक्त दो।

अनुराग...जो भी फैसला लेना बस इतना सोच कर लेना की आप'का लिया एक फैसला किसी के काम आने वाला हैं।

इतना कह अनुराग चला गया ओर डिम्पल बहुत देर तक खुद में विचार करता रहा फ़िर डिंपल भी चला गया। डिंपल भाले ही फैसला नहीं कर पा रहीं थीं पर डिंपल कॉलेज में बहुत सा वक्त अपश्यु के साथ बिताया। जो किसी को खटक रहा था इसलिए वो अपने चेला चपाटे को अपश्यु के पीछे लगा दिया और उसके पल पल की खबर उस तक पहुंचाने को कहा।

अपश्यु का दिया अल्टीमेटम का आज अखरी दिन था। इसलिए कॉलेज पहुंच कर अपश्यु अपने दल बाल के साथ डिम्पल को ढूंढने लग गया। अपश्यु के कॉलेज पहुंचते ही वह बंदा भी अपश्यु के पीछे छाएं की तरह लग गया था। अपश्यु जहां जहां डिम्पल को ढूंढने गया वो बंदा भी वहां वहां अपश्यु के पीछे पीछे गया। लेकिन डिम्पल कहीं मिला नहीं थक हर कर अपश्यु कैंटीन में आ'कर बैठ गया फिर बोला…यार दो चार कॉफी का ऑर्डर कर दे टैंशन के मारे सर फटा जा रहा हैं।

विभान...कोई ओर डिम्पल ढूंढ लेना दुनियां में लड़कियों की अकल थोड़ी न पड़ गया हैं।

अनुराग…अरे जानें दे न यार तू दूसरी लड़की ढूंढ लेना वैसे भी मुझे लगता हैं ये डिम्पल बहुत खेली खाई घट घट की पानी पिया हुआ लडक़ी हैं।

संजय…मैं तो कहूंगा हमारे यार के लिए यहीं लडक़ी सही हैं ये भी घट घट का पानी पिया हुआ हैं वो भी कई घटो में डुबकी लगा चुकी हैं। दोनों की जोड़ी मस्त जमेगा।

मनीष….क्यों दोस्त की बिना बसे घर गृहस्थी में आग लगाने पर तुला हुआ हैं पहले बस जाने दे फिर पेट्रोल डाल डाल के आग लगाएंगे।

चोरों खिली उड़ने के तर्ज पर हंस रहे थे। जिससे अपश्यु का पारा चढ़ गया। इसलिए अपश्यु नीचे झुका जूता निकला और चारों को पीटने लग गया और बोला…मैंने दोस्त नहीं सपोले पले हैं मेरा ही खा खा कर जहर बनाया और मुझ पर ही युगल रहा है। निकलो यह से कंबख्तो।

इतना पीटा इतना पीटा अपश्यु का जूता ही फट गया ओर चारों के तोबडे का नक्शा ही बिगड़ दिया। लेकिन अपश्यु रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। उसी वक्त डिम्पल की एंट्री होती हैं। अपश्यु को इस तरह पीटते देखकर डिम्पल रोकते हुए बोली…अरे जानू ऐसे क्यों पीट रहे हों मेरे प्यारे प्यारे देवरों को इतने भोली सकलो वाले मासूम मासूम देवरों को पीट कर नक्शा ही बिगड़ दिया।

इतना बोल डिंपल अनुराग की ओर देख इशारा किया ओर अनुराग सभी से नज़रे बचा हाथ जोड thank you बोला फिर डिंपल ने अनुराग को रिलैक्स होने का इशारा कर दिया। डिंपल को बिच बचाव में आया देख चारों डिम्पल के पीछे खड़े हों गए और एक साथ बोला…भाभी बचा लो नहीं ते ये अपश्यु हमारी खाल उधेड़ कर ढोलक बना कर आप'को गिफ्ट कर देगा।

अपश्यु…डिम्पल तुम बीच में से हट जाओ आज इन चारों की सच में खल उधेड़ दूंगा।

डिम्पल…अरे बाबा पहले बताओ इन्होंने ऐसा किया किया जो तुम इन्हे पीटे जा रहे हों रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हों।

चारों…अरे भाभी हमने आप'की थोड़ी तारीफ क्या कर दी ये अपश्यु तो भड़क गया ओर बिना दाएं बाएं देखें कब से पीटे जा रहा हैं। मर मर के हमारा नक्शा बिगड़ दिया।

अपश्यु…तारीफ कर रहे थे रुको अभी बता हूं। अब जूते से नहीं डंडे से मरूंगा।

चारों एक साथ चीखे "बचाओ भाभी नहीं तो आज हमें मार देगा" तब डिम्पल अपश्यु को रोकते हुए बोला….. अपश्यु रुक जाओ नहीं तो मैं तुम्हारा प्रपोजल ठुकरा दूंगी।

प्रपोजल ठुकरा दूंगी सुनकर अपश्यु रुक गया तब जा'कर चारों की जान में जान आया। अपश्यु के रुकते ही डिम्पल उन चारों को बोला…चलो मेरे प्यारे प्यारे देवरों निकलो यहां से जा'कर अपना ईलाज करवाओ, पैसे अपने जेब से भरना।

चारों दुम दबके भाग गया उनको जाते हुए देखकर दोनों हंसने से खुद को न रोक पाए उनकी हंसी कि गुंज केंटीन मे गूजने लग गया। हसी का पाला खत्म हुआ फिर दोनों बैठे गए तब अपश्यु बोला... कहा थे तुम, कब से ढूंढ रहा हूं।

डिम्पल…तुम्हें ऐसा किया काम पड़ गया जो मुझे ढूंढ़ रहे थे।

अपश्यू…तुम्हें नहीं पाता आज तुम्हें दिए अल्टीमेटम का आखरी दिन हैं।

डिम्पल….Oooo Nooo मैं आज मरने वाली हूं तुम्हें किसने कहा। मै तो सौ साल तक जिऊंगी और तुम्हारा सिर खाऊंगी।

अपश्यु…अपश्यु का सिर खाना इतना आसान नहीं हैं चलो बताओं तुम्हारा ज़बाब किया हैं।

डिम्पल…कौन सा ज़बाब मुझे कुछ नहीं पता।

अपश्यु...अच्छा मेरे साथ मस्करी डिम्पल मस्करी करना छोड़ों और सच सच बताओ मेरे प्रपोजल का किया हुआ।

डिम्पल…बुद्धू मैंने तुम्हारा प्रपोजल एक्सेप्ट कर लिया अब चलो इस ख़ुशी में मुझे शॉपिंग करवाओ।

अपश्यु…अच्छा gf बनते ही शॉपिंग चलो तुम्हें भी पाता चल जाएगा तुम्हारा bf कितना दिल वाला हैं।

दोनों शॉपिंग करने चल दिया और नजर रखने वाला लडका भी इनके पीछे पीछे चल दिया ऐसे ही आज का दिन बीत गया शाम तक रघु दार्जलिंग पहुंच चुका गया। शाम का खाना खाते वक्त सुकन्या बोली…रघु बेटा मैंने तुम्हें कहा था ड्राइवर को साथ ले जाना फ़िर लेकर क्यों नहीं गए।

रघु...छोटी मां वो वो...।

सुकन्या...अटका हुआ सीडी क्यों बन गया आगे बोलो।

रावण...सुकन्या छोड़ो भी कभी तो उसे अंचल से निकलने दिया करों तुम और भाभी आज भी रघु को एक छोटे बच्चे की तरह ट्रीट करते हों।

सुकन्या...आप चुप चाप खाना खाओ अच्छा रघु तू बता तू कलकत्ता क्यों गया था।

रघु बहना बनते हुए...छोटी वहा एक मीटिंग था इसलिए पापा ने मुझे बुलाया था।

ऐसे ही बातें करते हुए तीनों खाना खा'कर सोनो चले गए इधर रात के दस बजे करीब अपश्यु और डिम्पल पर नजर रखने वाला लडका एक Waar में बैठा किसी का वेट कर रहा था।


आज के अपडेट में इतना ही अगले अपडेट में जानेंगे नजर रखने वाला किसका वेट कर रहा हैं। यहां तक साथ बने रहने के लिए सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏
Ab ye kin hai ji apasyu aur dimpal par nazar rakh raha hai.
Dimpal anurag ki bato mai akar apasyu ko ha ro Keh diya kya anurag jaisa chahta hai waisa hoga and most importantly anurag ko apasyu ki itni fikar kyu?
Overall Nice update
 
Eaten Alive
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Update 31
Main kya keh rahi hoon ki us kamine aapsyu ki jamke pitati ho hi jaane do :lol1:
Tab jaake ushe ehsaas hoga ki dard kishe kehte hai :D
kyunki aapsyu un mein se jo laato ki bhoot baaton se nahi maante hai...

ab aati hoon kuch point ki baaton par..
1) ashish pushpa ke liye sahi ladka nahi hai, kyun... Kyunki usko pushpa se zyada kamla sexy lagti hai ... tharki kahi ka... kal ko shaadi ke baad pushpa se zyada khubsurat ladki dekh uske sath uch nich kar baitha to pushpa ka kya hoga .... isliye pushpa ke liye koi achha sa sidha ladka dhundhna chaahiye... Dusri baat ravan aur manorama ki tarah hi tez Dimag wali hai kamla na ki mahesh ki tarah chutiya.. isk matlab mahesh uska baap hai ki nahi ispe bhi shaq hai:cmouth:

2) kamla aur ravan ke behavior ek jaise hai.. ye koi ittefaq nahi hai balki jarur koi khoon ka rishta hai dono mein....

3) agar aise koi anjaan aadmi ragu ko bla fusla ke le jaata tab main is baat ko maan jaati, agar mahesh ko le jaata tab bhi ye baat ko inkaar nahi karti... lekin apsyu jaisa chalak dhurt insaan ko ek anjaan aake kuch bolke bahar le gaya... ye unbelievable hai...
Kahi mahesh ki tarah aapsyu bhi chutiya to nahi.... Kahi jamn ke baad hospital mein aapsyu aur kamla adal badal to to nahi gaye :D

Well shaandaar update, shaandaar lekhni ,shaandaar shabdon ka chayan...
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :clapping: :clapping:
 
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Update - 18

दलाल टूटी फूटी हाल में बेड पर पसरा हुआ था। उसी वक्त रावण उसके घर पंहुचा दलाल की दशा देखकर रावण चौक गया फिर बोला...तुझे किसने तोड़ फोड़ के फटीचर बना दिया रे दलाल।

दलाल…मत पूछ यार गया था। अपना काम बनाने पर मेरा ही काम तमाम हों गया।

रावण...किसने तेरा काम तमाम कर दिया।

दलाल…ओर कौन कर सकता हैं? दामिनी के यारों ने कूट कूट के फटीचर बना दिया।

रावण…दामिनी भाभी! तू वहा गया ही क्यों था?

दलाल…अरे यार तू न अपने दिमाग का ईलाज करा भूल गया मैंने तुझे क्या कहा था?

रावण सर खुजाते हुऐ सोचने लग गया। रावण के दिमाग ने अटकी हुई dvd को प्ले कर दिया तब जा'कर कही रावण को याद आया। दलाल ने क्या कहा था और क्यों दामिनी के पास गया था? याद आते ही रावण ने कहा...haaaa याद आया! लेकिन इस बात का तेरे फटीचर हाल से किया लेना देना।

दलाल….उस बात का मेरे फटीचर हाल से सीधा सीधा सम्बन्ध हैं। दरअसल हुआ ये था…... दलाल ने फोन करने से लेकर बैंगलोर में उसने क्या किया फिर उसके साथ क्या क्या हुआ? बता दिया सुनने के बाद रावण बोला...गलती तो तूने खुद ही किया था। तेरे घर बेटी हुई थी इसमें न दामिनी भाभी की कोई गलती थी न ही उस बच्ची की जो तेरे घर पैदा हुआ था। अरे ये तो भगवान की देन हैं जो तूने माना नहीं और भाभी को तलाक दे दिया। तुझे तो वह जाना ही नही चाहिए था। जब भाभी ने तुझे फोन पर इतना बुरा भला कहा तब तुझे समझ जाना चाहिए था भाभी तुझ'से अब भी नाराज है।

रावण के चुप होते ही दलाल मुस्कुराकर देखा और मन ही मन बोला...अरे बुड़बक तू नहीं जानता मुझे बेटा किस लिए चाहिए था। मैं उससे क्या करवाना चाहता था। तू जान गया तो तू मुझे कब का मार देता खैर कोई नहीं बेटा नहीं हैं तो किया हुआ मैं मरने से पहले वह काम करके दिखाऊंगा।

दलाल...मेरे साथ जो हुआ उसे मैं कभी नहीं भूलूंगा। मुझे ठीक होने दे फिर देख मैं दामिनी को कैसे सबक सिखाता हूं। दामिनी को सबक सिखाए बिना मैं चैन से नहीं बैठूंगा। उसने मेरे बनाए साजिश पर पानी फेर दिया।

रावण…तुझे जो करना हैं कर लेकिन मै इतना ही कहूंगा जो हुआ हैं भूल जा उनको उनके हाल पर छोड़ दे। हम कुछ ओर सोच लेंगे।

दलाल...छोड़ यार ये बता तू किस काम से आया था।

रावण...मैं जिस काम से आया था वो तो हों नहीं सकता इसलिए मैं घर जा रहा हूं।

दलाल…तू चाहें तो अकेले अकेले थकान मिटा ले मैं आज तेरा साथ नहीं दे सकता।

रावण...कोई बात नही आज रहने देता हूं। फिर कभी देख लेंगे।


इतना कह रावण चला गया। रावण के जाने के बाद दलाल बोला…मुझे जो करना हैं वो मैं करके रहूंगा तू भी मुझे नही रोक पायेगा।

दलाल को उसके हाल पर छोड़ देते है। हम चलते हैं संकट के पास वो किया कर रहा हैं। संकट इस वक्त एक चाय के टपड़ी में बैठा था। धूम्र पान करते हुए चाय की चुस्कियां ले रहा था और बार बार रोड की ओर देख रहा था। जैसे किसी के आने का वेट कर रहा हों। संकट वेट करते हुए दो तीन चाय ओर पी गया जब कोई नहीं आया तो टपड़ी से बाहर आ'कर इधर उधर टहलने लग गया ओर मन ही मन गली बकने लग गया। तभी एक लड़का उसके पीछे से….khankhaaa कमीना तू मुझे गली दे रहा था।

संकट पलटकर पीछे देखा फ़िर लड़के को देखकर मुस्कुराते हुए बोला…आ गया भैरवा इतनी देर क्यों लगा दी कब से तेरा वेट कर रहा हु।

(ये भैरवा वहीं भैरवा हैं जो पहले अपडेट में अपश्यु के सामने हाथ जोड़े बैठा था और बाद में मुखिया से राजेंद्र को अपश्यु के बारे में बताने को कह रहा था।)

भैरवा...अरे भाई काम काजी बंदा हूं इसलिए देर हो गया। तू बता मुझे क्यों बुलाया था?

संकट…बहुत जरूरी बात करना हैं चल यह से थोडा दूर चल कर बात करते हैं।

संकट भैरवा को एक सुनसान जगह पर ले गया फिर बोला…भैरवा मैं कुछ ऐसा करने जा रहा हूं जिससे बहुत से लोगों को उनके परेशानी से छुटकारा मिल जायेगा।

भैरवा…तू कब से परेशान लोगों के बारे में सोचने लग गया। गधे के सिर पर सिंग कब से उग आया।

संकट...भैरवा मैं मजाक नहीं कर रहा हूं मै अपश्यु के साथ कुछ ऐसा करने वाला हूं जिससे बहुत से लोगों को फायदा होने वाला हैं। उनके बहु बेटियो की आबरू लूटने से बचने वाला हैं।

भैरवा...तू कब से दूसरे की बहु बेटियो के आबरू के बारे में सोचने लग गया तू भी तो अपश्यु के विरादरी का हैं।

संकट…मै kameena हूं लेकिन अपश्यु के बिरादरी का नहीं हूं वो तो दूसरे के बहु बेटी को जबरदस्ती उठवा कर ले जाता हैं फिर उनकी आबरू लूटकर छोड़ देता हैं। मैं जो कुछ भी करता हूं उनके सहमति से करता हूं।

भैरवा...चल ठीक हैं मै मदद करूंगा आखिर हमें भी उस कमीने अपश्यु के जुल्मों से छुटकारा चाहिए। लेकिन तू मुझे इतना तो बता ही सकता हैं तू क्यों और क्या करना चाहता हैं।

संकट…क्यो? तू बस इतना जान ले दुनिया में मेरा भी कोई सबसे खास था जिसे अपश्यु के कारण मैंने खो दिया। इसलिए मै अपश्यु के साथ कुछ ऐसा करना चाहता हूं। वो जिंदा तो रहे लेकिन हर पल मरने की दुआ मांगे, फिर भी उसे मौत न आए।

भैरवा...ठीक हैं मैं समझ सकता हूं। बस इतना बता दे कब अपश्यु का काम तमाम करना हैं।

संकट..जल्दी ही करना हैं मै तुझे बता दूंगा लेकिन ध्यान रखना किसी को कानो कान खबर न हो।

भैरवा...तू मेरे ओर से बेफिक्र रह। मेरे अलावा किसी को खबर नहीं होगा।

इसके बाद दोनों चले गए। इधर रघु कलकत्ता पहुंच चुका था। घर पर इस वक्त पुष्पा और सुरभि ही थे। राजेंद्र कहीं गया हुआ था। रघु को देखकर पुष्पा बोली…भईया आप कैसे हों।

रघु…. मैं ठीक हु तू बता कैसी हैं।

पुष्पा... मै मस्त हूं।

सुरभि…रघु तू बिना सूचना दिए ही आ गया। कुछ काम था।

रघु…क्या मां आप भी बेटा इतनी दूर से आया हैं। चाय पानी पूछने के जगह क्यों आय, काम क्या हैं पूछने लग गए।

सुरभि...achaaa तो बताओ बेटा जी आप चाय लेंगे या फिर पानी पियेंगे।

रघु कुछ नहीं बोला चुप चाप जा'कर मां के पास बैठ गया फिर सुरभि बोली...चंपा कुछ चाय नाश्ते की व्यवस्था कर रघु आया हैं। रघु अब तू बता किस काम से आया।

रघु...मां बहुत दिन हों गया आप सभी से मिले हुए। याद आ रहा था तो मिलने आ गया ।

पुष्पा…हमारी याद आ रही थीं या भाभी की बोलो..बोलो बोलो

रघु कुछ नहीं बोला बस बैठे बैठे मुस्कुरा दिया और नजरे चुराने लग गया। उसकी चोरी जो पकड़ी गई थी। बस फ़िर किया था पुष्पा को मौका मिल गया और शुरू हों गई…मां भईया को न आप'की याद आ रही थीं, न ही मेरी इन्हें तो भाभी की याद आ रहीं थी। मां अब तो आप भूल जाओ भईया कभी आप'को याद करेंगे अब तो इन्हें सिर्फ भाभी ही याद रहेगा।

सुरभि…achaaa ऐसा हैं तो सिर्फ मै ही क्यों तू भी तो तेरे भईया को याद नहीं रहेगी।

पुष्पा...ऊं हूं भईया मुझे कभी भूल ही नहीं सकते क्यों भईया सही कह न।

रघु…हां मेरे लाईफ में चाहें कोई भी आ जाए मैं तुम दोनों को कभी भूल ही नहीं सकता।

सुरभि...हां हां मैं जानती हूं मेरा बेटा मुझे कितना याद करता हैं। मुझे याद न करता होता तो मुझ'से मिलने क्यों आता।

तीनों बातो में मगन रहते हैं। राजेंद्र घर आने पर रघु को देखकर खुश हुआ फिर उससे काम और सभी का हल चल लिया। ऐसे ही हंसी खुशी रात बीत गया। अगले दिन दोपहर को रघु घर से निकला और कमला से मिलने चल दिया।

इधर कमला अखरी पेपर देकर कॉलेज से निकला कमला बहुत खुश दिख रही थीं। हो भी क्यों न रघु जो उससे मिलने आ रहा था। कमला रोज पेपर के बाद अपने सहेली के लिए रुका करती थी लेकीन आज बिना रुके ही घर को चल दिया। कमला अपनी ही धुन में चली जा रही थीं। कालू और बबलू एक दुकान में खड़ा आती जाती लड़कियों पर फफ्तीय काश जा रहा था। कोई उन्हें गाली देखकर निकल जाती तो कोई उन्हें चप्पल निकल कर दिखाते हुए जा रही थी। कमला को अकेले अकेले जाते हुए देखकर दोनों उसके पीछे पीछे चल दिया। कुछ दूर पीछे पीछे चलने के बाद कालू बोला...यार देख किया नजारा हैं जैसे सागर में बड़ी बड़ी लहरे उठ रहा हों।

बबलू...हां यार मन कर रहा हैं इन लहरों में अपना नाव उतार दूं और लहरों के सहारे किनारे तक पहुंच जाऊं।

कालू...अरे ओ कमला कहा चली ऐसे बलखाती लहराती हुई हमे भी साथ ले चल। देख तेरे दीवाने भावरा बने तेरे पीछे पीछे मंडरा रहें हैं।

बबलू... हां कमला पीछे पलटकर देख तेरी जैसी खूबसूरत फूल की खुशबू सुंगते हुए दो भावरा पहुंच चुके हैं। जरा इनकी इच्छा तो पूरी कर दे।

कमला...आ गए तुम दोनो इतनी बार पीट चुके हों फिर भी तुम्हे शर्म नहीं आया।

कालू…शर्म haaa haaa haaa वो तो कबाड़ी को बेच दिया हैं।

कमला…बेच दिया ठीक किया मैंने भी नया चप्पल खरीद लिया हैं। जिससे आज तुम दोनों की जमकर पिटाई होने वाली हैं।

बबलू…आज नहीं आज हमारा दिन हैं…।

बबलू पुरा बोल पता उससे पहले ही कमला ने चप्पल उतरा बबलू के पास गया फिर बबलू के गाल पर एक रख दिया कालू नजदीक आय उसके भी एक रख दिया तब कालू बोला…बबलू पकड़ इसे क्या कर रहा हैं? एक लड़की होकर भी हम दोनों को पीट रही हैं।

एक एक ओर कमला ने दोनों के गाल पर छप दिया दोनों के गाल लाल हों गया था पर दोनों को इसकी बिल्कुल भी फिक्र नहीं था। दोनों कमला के जिस्म में यह वहा हाथ फेरने लग गया जिससे कमला का गुस्सा इतना बड़ गया कि कमला खुद पर से काबू खो दिया फ़िर चांडी बन दोनों पर टूट पड़ी दे चप्पल दे चप्पल मारे जा रही थीं।

बबलू और कालू के गाल लाल हो चुके थे नाक से खून बह रहा था पर कमला आज आर पार की मुड़ में लग रहीं थीं। दोनों भागना चाह रहें थें पर कमला गिरा गिरा के मारे जा रही थीं। कभी बबलू चीख रहा था तो कभी कालू चीख रहा था, दोनों के चीखों का कमला पर कोई असर ही नहीं हों रहा था। अपने धुन में मस्त हों दोनों को धुने जा रही थीं। धुनते धुनते कमला का चप्पल टूट गया। पर कमला रुकी नहीं दूसरे चप्पल लेकर पीटने लग गईं। बबलू किसी तरह बचकर भाग गया लेकीन कालू भाग नहीं पाया इसलिय उसका अंधाधुन पिटाई जारी था।

उसी वक्त रघु वह से गुजरा एक लड़की को इतनी बेरहमी से एक लड़के को पीटते देख रूक गया फिर कार से बाहर आ'कर उस ओर चल दिया। तभी कमल बोली...कमीनें तुम दोनों ने मुझे छेड़ने का रोज का धंधा बना रखा हैं कितनी बार कहा मारा पीटा पर तुम दोनों बाज़ नहीं आए। आज ऐसा हल करूंगा फ़िर कभी किसी लड़की को नज़र उठाकर नहीं देखेगा।

कालू...छोड़ दे मेरी मां आगे से ऐसा नहीं करूंगा। बक्श दे नहीं तो मर जाऊंगा। मर गया तो तुझे एक निरीह प्राणी को मारने का पाप लग जाएगा।

कमला...किया कहा छोड़ दे! इससे पहले भी तुम दोनों ने कहा था लेकीन हुआ किया मौका मिलते ही फिर से शुरू हों गए आज नहीं छोड़ने वाली आज तुझे जान से मर दूंगी। तू निरीह नहीं दानव है तुझे मरने पर पाप नहीं लगेगा बल्कि पुण्य मिलेगा।

रघु आवाज़ सुनकर पहचान गया ये तो कमला हैं। जल्दी से रघु पास गया ओर कमला का हाथ पकड़ लिया फिर बोला...रुक जाओ कमला और कितना मरोगी मर जायेगा।

कमला...हाथ छोड़ो मेरा तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे छूने की अब तो तुम भी पीटने वाले हों।

कालु को छोड़ कमला रघु को मरने ही जा रही थीं की रघु को देखकर रूक गई। कमला के रुकते ही कालू मौका देखकर भाग गया। कालु के भागते ही कमला बोली…अपने मुझे रोका क्यों आप के वजह से ये भाग गया अब आप ही इसे पकड़कर ले'कर आओ ।

कमला का गुस्से में तमतमाया चेहरा और सुर्ख लाल आंखों को देखकर रघु अंदर ही अंदर कांप गया। उससे कुछ बोला नहीं गया। रघु के कुछ न बोलने से कमला फ़िर बोली...आप बोलते क्यों नहीं आप'ने उसे क्यों बचाया। जाओ उसे अभी के अभी पकड़कर लाओ मुझे ओर पीटना हैं मेरा गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ।

रघु किसी तरह खुद को संभाला फिर बोला…कमला शांत हों जाओ लंबी गहरी सास लो खुद को शांत करो फ़िर बात करते हैं।

कमला...मेरा गुस्सा तब तक शांत नहीं हों सकता जब तक मैं उसे जी भार कर पीट न लूं। आप जाइए उसे पकड़ कर लाइए मुझे ओर पीटना हैं।

रघु…शांत कमला शांत मेरा कहना मन लो ओर गुस्सा थूक कर शांत हों जाओ।


आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से जानेंगे साथ बने रहने के लिए और बहुत सारा प्यार देने के लिए आप सभी पाठकों को बहुत बहुत धन्यवाद।

🙏🙏🙏🙏🙏
Finally chandi se pala pad gaya raghu ka 😂😂😂
 
Will Change With Time
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Kamlesh badla lena chahta hai apni baap ki maut ka ravan se par filhal jo jazbati hai agar usne badla lena ki than hi liya hai to usey sab hi chiz sonch samajh kar karna chahiye kyunki jisse badla leni ki wo sonch raha hai wo sirf Naam Ka ravan nahi kaam se bhi ravan hai Phir uske pass ek dalal bhi jiska dimag kuch zyada hi chalta hai.
Pushpa ashish ek dusre se pyaar karte hai but unhe kya pata tha ki unke pyaar ki khabar surbhi aur rajendra ko yu lagegi but ashish ne ek sache jiwan sathi ki tarah pushpa ke sath dat kar khada raha ab rajendra aur surbhi ka kya faisla hoga ye dekhte hai.
Overall Nice update
Bahut bahut shukriya 🙏 Badshah Khan ji

Jajbaati hona theek hai par jajbati me liya gaya fhaisla kabhi kabhi kud ke liye nukshandeh haota. Kamlesh jidd aur jajbato me bahkar fhaisla liya hai. To aage kiya hita dekhte hai
 
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Kamlesh badla lena chahta hai apni baap ki maut ka ravan se par filhal jo jazbati hai agar usne badla lena ki than hi liya hai to usey sab hi chiz sonch samajh kar karna chahiye kyunki jisse badla leni ki wo sonch raha hai wo sirf Naam Ka ravan nahi kaam se bhi ravan hai Phir uske pass ek dalal bhi jiska dimag kuch zyada hi chalta hai.
Pushpa ashish ek dusre se pyaar karte hai but unhe kya pata tha ki unke pyaar ki khabar surbhi aur rajendra ko yu lagegi but ashish ne ek sache jiwan sathi ki tarah pushpa ke sath dat kar khada raha ab rajendra aur surbhi ka kya faisla hoga ye dekhte hai.
Overall Nice update

Rajendra aur surbhi to kamla ke ghar pahunch hi gaye rishta lekar ab kal apni bacho ke sath kamla and uske pita se bhi mil lenge dekhte hai raghu and kamla ki Pehli mulakat kaisi rehti hai aur kya ye dono ek dusre ko pasand karte hai ya nahi.
Pushpa and ashish ke rishte ke liye bhi surbhi and rajendra Maan gaye and ashish ke Maa Baap ko milne ke liye bulwa liya dekhte hai inki gadi kaha tak jati hai.
Update ka best part sukanya ka raghu ke prati yu care karna tha jo usey drivar ke sath Jane aur pahunch kar inform karne ke liye Keh rahi thi.
Overall Nice update
Bahut bahut shukriya 🙏 Badshah Khan ji

Suknya sirf vavhar buri karti thi baki dil se jitna payaar apshyu se karti hai utna hi pyaar raghu aur pushpa se karti hai
 

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