Adultery आँचल की अय्याशियां

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आँचल
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लेकिन दोपहर में उसकी मा मार्केट चली गयी. मा के जाते ही आँचल रामू को ढोँढने लगी. लेकिन उसको घर में रामू नही दिखा. फिर वो घर के पिछवाड़े में बने सर्वेंट क्वॉर्टर्स की तरफ गयी. वहाँ रामू के कमरे के दरवाज़े को उसने हल्का सा धक्का दिया तो वो खुल गया पर अंदर कोई नही था. कमरे को खाली देखकर वो निराश हुई. लेकिन उसने देखा कमरे की दीवारों में फिल्म स्टार्स , मॉडेल्स के कुछ अधनंगे और कुछ पूरी नंगी मॉडेल्स के पोस्टर चिपके हुए हैं. रामू की चारपाई में तकिये के नीचे उसे मास्टराँ की सेक्स कहानियों की हिन्दी किताब मिली. आँचल वहीं बेड में बैठकर वो गंदी किताब पड़ने लगी. कमरे में नंगे पोस्टर्स के बीच वो गंदी कहानियों की किताब पड़ने से आँचल बहुत उततेज़ीत हो गयी और उसकी छूट से रस बहने लगा. उसने अपने जीन्स का बटन खोला और रामू के बेड में लेटकर अपनी गीली छूट में उंगली करने लगी.

रामू के बिस्तर में लेटकर मूठ मरने से उसे एक अलग सा रोमांच हुआ , ऐसा रिस्क लेने से उसकी उततेज़ना बहुत ही बाद गयी और उसको ऑर्गॅज़म आने ही वाला था की तभी कमरे में रामू आ गया. रामू ने देखा की आँचल मेरे बेड पर लेती हुई है और जीन्स नीचे को खिसका के छूट में उंगली कर रही है. वो हैरान रह गया. आँचल ने भी रामू को देख लिया लेकिन तभी उसको जबरदस्त ऑर्गॅज़म आ गया , वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.

रामू से अब रहा नही गया , उसने फटाफट अपने कपड़े उतार फेंके और सिसकारियाँ लेती आँचल के चेहरे के पास अपना लंड हिलने लगा. फिर लंड पूरा खड़ा होते ही उसने आँचल की जीन्स और पनटी एक झटके में उतार फेंकी. फिर आँचल की गंद को एक हाथ से पकड़कर दूसरे हाथ से उसकी छूट में उंगली करने लगा. वो अपने अंगूठे से उसकी क्लाइटॉरिस को मसल रहा था और गीली रस से भारी छूट में फ़चफ़च उंगलियाँ तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था. आँचल अपनी गंद उपर को उछालने लगी. जल्दी ही उसको एक और ऑर्गॅज़म आ गया और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेती हुई दोसरि बार झाड़ गयी.

फिर रामू ने आँचल के बाकी कपड़े भी उतार दिए और उसको पूरी नंगी कर दिया. आँचल की बड़ी बड़ी चुचियों को खुली हवा में हिलते देखकर रामू उततेज़ना से भर उठा और उसने चुचियों के बीच निप्पालों को अपने मुँह में भर लिया और उन्हे चूसने और काटने लगा. साथ ही साथ चुचियों को ज़ोर ज़ोर से हाथों में पकड़कर मसालने लगा.

आँचल को रामू का लंड चूसने की तड़प हुई . वो अपने हाथ में रामू का लंड पकड़कर उसे उपर नीचे हिलने लगी. फिर रामू ने आँचल को उठाकर अपनी गोद में बिता लिया और उसकी छूट की छेड़ में अपने लंड का सूपड़ा घुसा दिया. फिर धीरे धीरे उसने आँचल को अपने लंड पर बिता दिया.

जैसे ही सूपड़ा छूट के अंदर घुसा , आँचल चिल्लाई, “ आररर्ग्घह उंगग्गग अहह ओइईईईईईई….”

अपनी गोद में बैठी आँचल को सिसकारियाँ लेते देखकर रामू उततेज़ना में भर गया और उसने आँचल की छूट में अंदर तक पूरा लंड घुसा दिया. आँचल को ऐसा लगा जैसे रामू के बड़े लंड से उसकी छूट पूरी भर गयी है और छूट की देवरें पूरी तरह से स्ट्रेच हो गयी हैं. रामू ने आँचल की छूट की टाइटनेस को महसूस किया , उसे लगा आँचल की टाइट छूट ने उसके लंड को बिल्कुल जाकड़ लिया है , आनंद से वो पागल सा हो गया. उसने पहले रंडियन छोड़ी थी पर रंडी छोड़ते समय उसे लगता था जैसे किसी थैली में टूतब्रश डाल रहा हो.

इतनी खूबसूरत और एकद्ूम टाइट छूट वाली लड़की को छोड़ने में ऐसा आनंद उसे आ रहा था जो उसके पूरे खानदान में सयद किसी को भी नही आया होगा.
फिर रामू ने लंड को अपनी जगह पर बिना हिलाए रखकर आँचल को कसकर आलिंगन में भर लिया और उसके गोरे खूबसूरत बदन को चॉंने , चाटने और काटने लगा. आँचल दर्द और उततेज़ना से ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.

फिर रामू आँचल की गंद को हाथों से पकड़कर उसको अपने लंड पर उपर नीचे उछालने लगा , रामू का लंड अब छूट में तेज़ी से अंदर बाहर होने लगा . उछालने से आँचल की बड़ी चुचियाँ भी उपर नीचे उछालने लगी . इससे उततेज़ीत होकर रामू ज़्यादा देर रोक नही पाया और उसने आँचल की छूट को अपने गरम वीर्या से पूरा भर दिया. वीर्या गिरते गिरते वो आँचल की चुचियों को चोसने काटने लगा. फिर उसने अपना लंड आँचल की छूटरस से भीगी हुई छूट से बाहर निकाला. इतने बड़े लंड के बाहर निकालने से प्वाअक की आवाज़ हुई और आँचल की छूट का मुँह खुला रह गया.

फिर उसने अपने मुरझा चुके लंड को आँचल के मुँह में दल दिया. आँचल सतसट उसका लंड चूसने लगी. आँचल के लंड चूसने से थोड़ी ही देर में छोकरे रामू का लंड फिर खड़ा हो गया. अब उसने आँचल को लिटाकर उसकी टाँगे पकड़ के उपर को घुटने से मोड़ दी और फिर छूट में लंड घुसेड दिया.
अब रामू , आँचल की छूट में हल्के हल्के धक्के लगाने लगा. आँचल भी उततेज़ीत होकर उसका पूरा साथ देने लगी और अपनी गंद उपर को उछालने लगी जैसे वो नीचे से रामू को छोड़ रही हो. ये देखकर रामू खुस हो गया. आँचल के ऐसे गंद उपर को उछालने से उसकी गोरी गोरी मखहान जैसे जंघें भी उछाल रही थी और उसकी बड़ी बड़ी चुचियाँ भी उपर नीचे हिल रही थी.

आँचल तो अपने पहले लंड रामू के साथ चुदाई से इतने आनंद में थी की उसको दीं दुनिया की कुछ ना होश ना दर्र ना शरम , सब कुछ वो भूल गयी थी. वो इतनी ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी की रामू को उसके मुँह में हाथ रखना पद रहा था की कहीं कोई सुन ना ले. उसके तेज तेज आवाज़ निकालने से रामू का हाल ऐसा था की ये खुद तो मरेगी साथ में मुझे भी मरवाएगी.

आँचल उततेज़ना से चिल्लाई, “ आहह......श....माआ..... , बहुत मज़ा आ रहा है रामू , ऑश......ऑश......... आहह…..ओइईईईईईईईई “.

उसको ऑर्गॅज़म पर ऑर्गॅज़म आते रहे और वो झड़ती रही , झड़ती रही और झड़ती रही ना जाने कितनी बार………

रामू उसकी छूट को धमाधम छोड़े जा रहा था और उसकी ना जानने कब की प्यास बुझाए जा रहा था . आँचल बहुत खुश थी उसकी प्यास आज कोई जी भरकर बुझा रहा था. रामू की रस्सी वाली चारपाई में लेते लेते धक्के खाते खाते उसके नितंब दुखने लगे थे , पर उसे इसकी कोई परवाह नही थी , जो मज़ा उसे मिल रहा तह उसके आयेज बाकी परेशानियों का कोई महटवा नही था.

रामू के तेज तेज धक्कों से वो पुरानी चारपाई ऐसे आवाज़ कर रही थी की दर था कहीं टूट ना जाए. तभी आँचल ने दूर कहीं किसी के डोरबेल बजाने की आवाज़ सुनी , लेकिन वो रामू से . "और तेज ! और तेज !" ही कहती रही.
रामू ने भी डोरबेल की आवाज़ सुन ली थी , पर उततेज़ना में उसने भी उनसुना कर दिया.

“छोड़ो ….....मुझे छोड़ो रामू ……और छोड़ो …ज़ोर से ….और ज़ोर से….आ आहह…… ओइईईईई माआ…….” आँचल को ऑर्गॅज़म पर ऑर्गॅज़म आते गये.

इतनी खूबसूरत लड़की को चुदसी औरत के जैसे चिल्लाते देखकर रामू भी रुक नही पाया और जोरदार स्ट्रोक लगते हुए उसने आँचल की छूट एक बार फिर अपने वीर्या से भर दी . फिर झाड़ते झाड़ते , अपना पूरा वज़न आँचल के बदन में डालकेर वो उततेज़ना में उसकी चुचियों को चाटने और काटने लगा.

जब चुदाई ख़तम हुई तो रामू को होश आया कोई बहुत देर से डोरबेल बजाए जा रहा था. वो झट से उठा और आँचल को खींचकर उठाने लगा.

लेकिन आँचल मदहोश थी वो उठी ही नही. रामू घबराहट में उसको नंगी ही चोरकर फटाफट अपने कपड़े पहनकर उनके घर की तरफ मैं दरवाज़ा खोलने को भगा.

रामू के कमरे के दूसरी तरफ पड़ोसी के नौकर का कमरा था. दोनो घर के बीच में दीवार थी. अपने कमरे में वो नौकर दोपहर की नीड ले रहा था. लेकिन आँचल की ज़ोर ज़ोर से कामोततेज़ाक सिसकारियों से उसकी नींद खुल गयी . वो दीवार के उस पार से तनका झकी करने लगा. वो दीवार फांदकर रामू के कमरे की खिड़की से चुपचाप चुदाई देखने लगा और बहुत उततेज़ीत हो गया. वो रामू का दोस्त था और कई बार साथ साथ उन दोनो ने रंडियन छोड़ी थी. रामू ने उसको शादी से पहले आँचल को लंड चूसने वाला किस्सा भी बताया था. 55 साल की उमर का होने के बावजूद चिकनी आँचल को चूड़ते देखकर उसका लंड पाजामा फड़कर बाहर आने को हो गया.

जब उसने रामू को घर के अंदर जाते हुए देखा तो मौका तड़कर वो रामू के कमरे में घुस गया. कमरे में आँचल टाँगे फैलाए नंगी पड़ी हुई थी , उसकी छूट का छेड़ जोरदार चुदाई से अभी खुला हुआ ही था. आँचल ने उसको देख लिया पर तब तक वो नौकर आँचल के उपर चाड गया. अपना लंड आँचल की छूट में घुसकर उसने धक्के लगाने शुरू कर दिए. धक्कों से वो पुरानी चारपाई , चुवन ! चुवन ! की आवाज़ करने लगी.

छूट में लंड अंदर बाहर होने से आँचल की सिसकारियाँ निकालने लगी. उसका जिस्म बुड्ढे के धक्कों का जवाब देते हुए गंद उपर को उछालने लगा.
लेकिन उसका दिमाग़ कह रहा था की ये ग़लत है , वो बोली, “ मत करो….उहह …..अहह…..मुझे चोरो………..ओइईईईई माआअ…”

नौकर छोड़ते रहा और आँचल को ऑर्गॅज़म आ गया , उसकी छूट ने फिर पानी छोड़ दिया. लेकिन वो “मुझे चोर दो, मत करो “ कहती रही. ये सुनकर नौकर ने आँचल के मुँह पर अपना हाथ रख कर मुँह बंद कर दिया. और फिर ज़ोर ज़ोर से छोड़ने लगा. जब आँचल को ऑर्गॅज़म आया तो उसने उततेज़ना में अपने मुँह पर रखे हुए नौकर के हाथ में ज़ोर से दाँत काट दिया.
अब बुद्धा नौकर भी झड़ने लगा . झाड़ते समय वो चिल्लाया, “ ह….साली छूट…….”
और फिर आँचल की छूट में अपना वीर्या गिरा दिया.

उनकी खुस-किस्मती से सर्वेंट क्वॉर्टर घर के पिछवाड़े में होने से उनकी ये आवाज़ें घर के अंदर नही गयी . झड़ने के बाद नौकर अपना मुरझाया हुआ झानतु लंड फटाफट अपने पाजामा में घुसकर , अपने ज़ख्मी हाथ (आँचल के दाँत काटने से) को सहलाता हुआ दीवार फांदकर अपने कमरे में भाग लिया.

आँचल गहरी गहरी साँसे लेती हुई नंगी चारपाई में पड़ी रही. उसने बुड्ढे नौकर को अपने बदन का मज़ा लेने से रोकने की कोई कोशिश नही की थी , सिर्फ़ मुँह से " मत करो मत करो" कह दिया बस. उसका बदन चुदाई के मज़े चाहता था , पर दिमाग़ इन सब के लिए माना करता था. पर हर बार की तरह जिस्म और दिमाग़ की लड़ाई में जीत जिस्म की ही होती थी.

उधर रामू ने मैं दरवाज़ा खोला तो बाहर आँचल की मा और सुनील खड़े थे. पिछले 10 मिनिट्स से सुनील डोरबेल बजाए जा रहा था लेकिन आँचल की मा मार्केट से अभी पहुँची थी.
जब सुनील ने उसको बताया की वो काफ़ी देर से बाहर खड़ा है तो आँचल की मा ने रामू को खूब हड़काया , " कहाँ मारा था इतनी देर तक , जमाई के लिए दरवाज़ा क्यूँ नही खोला."

रामू ने बहाना बनाया की वो अपने कमरे में सो रहा था इसलिए डोरबेल नही सुनी. उसका तका हुआ चेहरा और उलझे बाल देखकर उन्होने उसकी बात पर विस्वास कर लिया. सुनील ने बताया वो आँचल को घर ले जाने के लिए आया है. अब रामू की गांद फट गयी.
आँचल की मा , आँचल को आवाज़ देते हुए उसके रूम में गयी, पर आँचल अपने बेडरूम में नही थी.

फिर उसने रामू से पूछा, “ आँचल कहाँ है ?”

रामू को कुछ समझ नही आया , वो बोला, “ मेंसाब् तो अपने घर चली गयी है.”

आँचल की मा बोली,” घर चली गयी ? बिना बताए ? लेकिन उसका सूटकेस तो यही है.”

रामू बोला, “ वो ऑटो से चली गयी है और सूटकेस जब सुनील आएगा उसको दे देना बोल के गयी है.”

सुनील की भी कुछ साँझ नही आया की आँचल ने ऐसा क्यूँ किया , पर उसे कोई शक़ नही हुआ.

आँचल की मा ने सुनील से कहा , “ बेटा सुनील , तुम छाई पानी पी के ही जाओगे. रामू जल्दी से छाई बना के ला.”

रामू किचन में जाने की बजाए जल्दी से अपने कमरे की और भगा , वहाँ आँचल अभी भी नंगी आँखें बंद करके चारपाई में लेती हुई थी. उसने फटाफट आँचल को सब बातें बताई और जल्दी जल्दी उसका जीन्स और टॉप पहना के उसको सर्वेंट क्वॉर्टर के पीछे के रास्ते से रोड पर जकेर ऑटो पकड़ के सीधे अपने ससुराल जाने को कहा. उधर आँचल की मा, " रामू ! रामू ! " चिल्ला रही थी. रामू आँचल को वहीं चोरके फिर फटाफट अंदर छाई बनाने किचन में भगा.

आँचल अभी भी मदहोशी में थी , उसका दिमाग़ सही से काम नही कर रहा था. वो जैसे तैसे उठी और पीछे के रास्ते रोड पर आ गयी, वहाँ उसको वही बुद्धा नौकर मिला . नौकर को अपनी तरफ गंदी वासना भारी नज़रों से घूरते देखकर आँचल का सर शरम से झुक गया. खुस-किस्मती से किसी ने भी उसे बुड्ढे नौकर से चूड़ते हुए नही देखा था. बुद्धा जल्दी जल्दी छोड़कर झाड़ गया था और फिर वापस चला गया था.

आँचल लड़खड़ते कदमों से ऑटो धोँदणे लगी. उसने देखा सब लोग उसी को घूर रहे हैं और गंदी तरह से हंस रहे हैं. वो शक़ल से ही बहुत चूड़ी हुई लग रही थी. उपर से हुआ ये की जल्दबाज़ी में रामू ने उसे सिर्फ़ टॉप और जीन्स पहना दिया. ब्रा और पनटी रामू के ही कमरे में रह गयी. उसके बाल बिखरे हुए थे और होंठ सूज़े हुए थे. पसीने से उसका टॉप उसके बदन से चिपक गया था.

ब्रा ना होने से बड़ी बड़ी चुचियाँ और सूज़े हुए निप्पल टॉप से बाहर को निकल रहे थे. जीन्स भी जल्दबाज़ी में ढंग से नही पहनी थी और पीछे गंद की दरार दिखाई दे रही थी , अंदर से पनटी थी नही. ऐसी हालत में सब के घूर्ने से वो शरम से ज़मीन में गड़ गयी लेकिन तभी एक ऑटो वाला मिल गया और वो झट से उसमे बैठ गयी. अब घॉरर्ने की बरी औूतोवले की थी. उसने पहले तो आक्ची तरह से उपर से नीचे तक आँचल को घूरा फिर सिडेगलशस में उसकी हिलती हुई चुचियों को देखते हुए ऑटो चलाने लगा. रास्ते भर उसने ऑटो को जानबूझकर झटके देते हुए चलाया ताकि झटकों से आँचल की बड़ी हिलती हुई चुचियों का मज़ा ले. आँचल सब समझ रही थी लेकिन अपने होत दाँतों में दबाकर सर नीचे झुकाए बैठी रही.

ससुराल पहुँचते ही सबसे पहले सामना हुआ संस्कारी ससुर से. ससुर ने ऐसी हालत में आँचल को देखा तो माता पीट लिया , " हे भगवान फिर चुड गयी बहू . सला सबका नंबर लग गया. मेरी किस्मत ही फूटी है जो घर में होकर भी मेरा इसको छोड़ने का नंबर नही लग पा रहा."
आँचल ने ससुर को देखा तो एक नर्वस सी स्माइल दी और फटाफट अपने बेडरूम में भाग गयी. उसने सोचा ये बुद्धा बार बार मुझे छुड़ा हुआ देख लेता है , अब में ज़्यादा दिन तक इसके हाथ से बच नही पौँगी.

लेकिन उसकी ख़ुस्माती थी की उसकी सास अपनी भतीजी की शादी से वापस आ गयी थी और घर पर सास के होने से ससुर को ज़्यादा ताक झक का मौका नही मिलने वाला था.
 
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अपने बेडरूम मे जाने के बाद आँचल ने दरवाज़ा बंद किया और वो जल्दी से बाथरूम में नहाने चली गयी. उसे मालूम था मायके में उसे ना पाकर सुनील भी आता ही होगा. नहाने के बाद उसने तरोताज़ा और खुशी महसूस की. खूब चुदाई होने से अब वो बहुत सॅटिस्फाइड फील कर रही थी . लेकिन सुनील के बारे में सोचकर उसे गिल्टी भी फील हुआ. वो सोचने लगी सुनील में थोड़ी कमी ज़रूर है , पर है तो वो अच्छा आदमी. उसका ख्याल रखता है सब ज़रूरते पूरी करता है.

आँचल ने सोचा अब वो सुनील से किसी अच्छे सेक्स क्लिनिक जाकर वहाँ डॉक्टर से एडवाइस लेने को कहेगी , रोज़ अख़बार में कितने सेक्स क्लिनिक्स के एड आए रहते हैं. सुनील को अपनी सेक्स ड्राइव बढ़ाने और शीघ्र पतन की समस्या के इलाज़ के लिए डॉक्टर को दिखाना ही चाहिए. आँचल ने देख लिया था की समीर, रामू, सलीम ये सब लोग कितनी देर तक उसे चोदते रहे थे और एक बार झड़ने के तुरंत बाद फिर से उनका लंड तनकर खड़ा हो जाता था. इन सबने ने आँचल को एक चुदाई सेशन में कई कई बार ओर्गास्म दिया था और जबरदस्त चुदाई से आँचल को बहुत मज़ा मिला था. वो सोचने लगी की अगर उसका पति सुनील भी अपना इलाज़ करवा ले तो उसको घर पर ही भरपूर चुदाई का मज़ा मिलेगा .

यही सब बातें सोचते हुए आँचल ने नहाकर एक पारदर्शी नाइटी पहन ली और सुनील का इंतज़ार करने लगी. फिर उसने सोचा की अब तक किस्मत ने साथ दिया है और सुनील या किसी और ने उसे चुदते हुए नही पकड़ा , लेकिन कभी पकड़ लिया तो बहुत बदनामी होगी और माँ बाप को मुँह दिखाने लायक नही रहेगी. उसका ससुर ज़रूर जान गया था की ये कई बार चुद के घर आई है पर अपने परिवार की और बेटे सुनील की बदनामी के डर से वो मुँह नही खोलेगा ये बात आँचल समझ गयी थी. वैसे भी ससुर उल्टा इस जानकारी का फायदा उठाकर उसे चोदने की कोशिश में लगा रहता था. लेकिन अब अपनी सास के वापस लौट आने से ससुर को तो कोई मौका वो देने वाली नही थी.

अगर किसी तरह से वो सुनील को इलाज़ के लिए राज़ी करने में सफल हो जाती है तो फिर उसे दूसरे मर्दों का मुँह ताकने की ज़रूरत नही पड़ेगी. सुनील ही उसको खुश रख पाएगा. वरना कभी ना कभी तो वो पकड़ी जाएगी और फिर अंज़ाम बहुत बुरा भी हो सकता था. उसने निश्चय कर लिया की वो सुनील को इलाज़ के लिए मनाने की पूरी कोशिश करेगी.

उधर आँचल का ससुर आँचल को चोद पाने का कोई मौका ना मिल पाने से बहुत ही फ्रस्टरेट हो गया. वो सोचता था घर के नौकर तक मेरी बहू को चोद गये और मैं मालिक होकर भी सूखा बैठा हूँ. आज ही अपने मायके से जब आँचल लौटी थी तो उसके भरपूर चुदाई से मिली संतुष्टि से दमकते चेहरे को देखकर ससुर बहुत एक्साइटेड हो गया और साथ ही साथ झल्ला भी गया की फिर कहीं से चुदा के आ गयी ये आज. लेकिन वो ठरकी ससुर कर ही क्या सकता था सिर्फ़ बाथरूम में जाकर आँचल के दमकते चेहरे को याद करके उसके नाम की मूठ लगा आया. वैसे भी अब उसकी बीवी अपनी भतीजी की शादी से वापस आ गयी थी तो बहू के साथ ज़्यादा कुछ वो कर भी नही सकता था. लेकिन वो हार मानने वालों में से नही था उसने सोचा मौके का इंतज़ार करना ही ठीक रहेगा , जब भी सही मौका लगेगा चोद डालूँगा साली को.

उधर सुनील को उसकी सास यानी आँचल की माँ ने जल्दी लौटने नही दिया. घर में आँचल के ना होने से उसे बहुत एंबरेसमेंट हुई तो उसने सुनील की खूब आवभगत करी ताकि जमाई राजा खुश हो जाए और बुरा ना माने कि आँचल बिना बताए चली गयी. जब सुनील अपने घर पहुँचा तो रात हो गयी थी. वो अपने साथ आँचल के कपड़ों से भरा सूटकेस भी उसके मायके से लाया था जिसे आँचल वहीं छोड़ आई थी. वो अपनी बीवी को मिस कर रहा था , इसलिए जब उसने आँचल को पारदर्शी नाइटी पहने बेड पर लेटे हुए देखा तो खुश हो गया . उसे इस बात की भनक ही नही थी की उसकी प्यारी बीवी अपने मायके में क्या गुल खिलाके आई है. बेड पर लेटी आँचल को देखकर सुनील का चुदाई का मूड बन गया और वो आँचल को आलिंगन में भरके किस करने लगा और उसकी चूचियाँ मसलने लगा. आँचल भी उत्तेजित होने लगी और उसे खुशी हुई की चलो आज तो पतिदेव की सेक्स की इच्छा बढ़ी हुई लग रही है , आज तो ये मज़ा देगा ही देगा. थी वो सुनील की बाँहों में लेकिन फिर उसको याद आने लगे दोपहर के वो सीन , जब रामू के कमरे में उसकी ठोक ठोक कर चुदाई हुई थी. अब वो गरम होने लगी.

तभी किसी ने बेडरूम का दरवाज़ा खटखटाया . हद है यार ये कौन है जो ठीक चुदाई के टाइम में डिस्टर्ब कर रहा है .

आँचल और सुनील दोनो का मूड ऑफ हो गया. दरवाज़ा खोला तो सामने सास ससुर खड़े थे. उसकी सास ने उसको चूमा और शादी में मिली हुई दो साड़ी उसको भेंट की. आँचल को पारदर्शी नाइटी में देखकर ससुर का लंड वहीं पैंट में तंबू बनाने लगा. उसने “ वेलकम होम बहू “ कहके बहू को आलिंगन में भर लिया और अपना तंबू उसके पेट पर रगड़ दिया. और ज़ोर से आलिंगन करके उसकी बड़ी चूचियाँ अपनी छाती से दबा दी. फिर उसने आँचल के गाल से अपने गाल भी रगड़ दिए और एक हल्का गालों का किस ले लिया.

आँचल ने अपने पेट पर ससुर का लंड महसूस किया , वो अपने ससुर के इस बोल्ड व्यवहार से भौंचक्की रह गयी. ससुर के इस ठरकीपन से वो सास के सामने शरम से लाल हो गयी.

सुनील अपनी चुदाई का प्रोग्राम डिस्टर्ब होने से अपसेट था लेकिन उसको अपने बाप के व्यवहार में कोई ग़लत बात नही लगी. उन लोगों को बातें करता हुआ छोड़कर वो नहाने चला गया. आँचल देख रही थी की उसका ससुर पारदर्शी नाइटी में उसके अंदरूनी अंगों को खा जाने वाली नज़रों से ताक रहा है. उसके ऐसे ताकने से आँचल को अपनी चूत में गीलापन महसूस हुआ और फिर उसने बेड पर बैठे बैठे ही पोज़िशन बदलने के बहाने ससुर को अपना बदन दिखाकर तड़पाना शुरू कर दिया. वो बात अपनी सास से कर रही थी पर ध्यान उसका ससुर की हरकतों की तरफ था. उसके जिस्म ने दिमाग़ को फिर अपने कंट्रोल में ले लिया और वो मासूम बहू की तरह सास से बात करते हुए ससुर को बदन की झलकियाँ दिखाने लगी.

ठरकी ससुर सब समझ रहा था , मन ही मन सोचने लगा , “ साली टीज़िंग बिच! अगर उसी दिन जब सलीम तुझे बेड पर नंगी छोड़कर भाग गया था , तब मैंने भी मौके का फायदा उठाकर तुझे चोद दिया होता तो आज ऐसे नखरें करके मुझे नही तड़पाती . पर मुझे उस दिन तेरी हालत पर दया आ गयी और मैंने चोदने का मौका गवां दिया. और अब तू मेरी बीवी के सामने मुझे टीज़ कर रही है क्यूंकि तू जानती है की अब मैं बीवी के सामने कुछ नही कर सकता .”

तभी सुनील भी नहाकर आ गया और फिर पूरा परिवार डिनर के लिए डाइनिंग रूम मे जाने लगा.
सबसे लास्ट में आँचल के पीछे ससुर चल रहा था. आँचल की मटकती गांड को देखकर उसने अपना हाथ गांड पर रख दिया और फिर थोड़ी गांड दबा दी. आँचल असहाय थी , सास और पति के सामने कुछ नही कर पाई , ससुर मज़े लेता रहा और मन ही मन सोचने लगा, “ ये तो रोक नही रही है, लगता है मुझसे चुदवाने को तैयार है. अहा! मज़ा आ गया आज पहली बार इस चिकनी की गांड पर हाथ फेरा है.”

डिनर के बाद जब आँचल और सुनील अपने बेडरूम में वापस आए तो दोनो ही उत्तेजित फील कर रहे थे. सुनील इसलिए क्यूंकी उसकी बीवी कई दिन से मायके में थी तो वो चोद नही पाया था. और आँचल इसलिए उत्तेजित थी क्यूंकी उसके ठरकी ससुर ने अपनी हरकतों से उसके बदन में आग लगा दी थी.

आँचल ने जब सुनील का तना हुआ लंड देखा तो जल्दी से घुटनों के बल बैठ गयी और लंड मुँह में लेकर चूसने लगी . अपनी खूबसूरत बीवी को फटाफट लंड चूसते देखकर सुनील भौचक्का रह गया . आँचल के खूबसूरत चेहरे में लंड अंदर बाहर जाते देखकर वो बहुत उत्तेजित हो गया और तुरंत मुँह में ही झड़ गया . आँचल गटागट सारा वीर्य निगल गयी , सुनील ये देखकर और भी हैरान हो गया. छी ! ये तो सब पी गयी. उसकी नज़र में सेक्स करना मतलब बीवी की टाँगे फैलाओ और चूत में वीर्य गिरा दो , बस इतना ही था. लंड चूसने , चूत चाटने , गांड मारने , डॉगी पोज़ और भी अन्य कई तरीक़ो से भी सेक्स किया जा सकता है , इसका उसे कोई ज्ञान नही था ना ही वो इन सब में कोई इंटरेस्ट रखता था . वैसे भी उसे अपनी फैक्ट्री से फ़ुर्सत ही नही मिलती थी.

आँचल ने सुनील का लंड तब तक मुँह से नही निकाला जब तक वो मुरझा के बिल्कुल छोटा नही हो गया. आँचल को बहुत उत्तेजना चढ़ी हुई थी और एक मोटा लंड उसको अपनी चूत में चाहिए था. लेकिन सुनील उसके मुँह में झड़ चुका था और उसका लंड अब मुरझा चुका था. सुनील बेड पर लेट गया. आँचल ने सुनील के बदन में हर जगह चूमना शुरू कर दिया. उसने सुनील के चेहरे , छाती को चूमा उसके कंधे को दांतो से काट लिया और फिर मुरझाया हुआ लंड फिर से मुँह में डालकर उसको खड़ा करने की कोशिश करने लगी पर सब बेकार. सुनील ने ,मुझे नींद आ रही है, कहते हुए आँचल को अपने ऊपर से हटा दिया और चादर ओढ़कर करवट लेकर सो गया.

आँचल को बहुत गुस्सा आया और उसने बहुत फ्रस्टरेटेड फील किया. लेकिन उसने अपने ऊपर काबू रखा और सुनील को कुछ भी भला बुरा नही कहा. रात में एक बार और उसने सुनील के लंड को खड़ा करने की कोशिश की पर सुनील ने उसको एक तरफ को धकेल दिया.

अगली सुबह सुनील जब नहाकर बाथरूम से बाहर आया तो आँचल ने हाथ पकड़कर उसे अपने पास बैठाया और बोली, “ देखो सुनील, मुझे तुमसे कुछ ज़रूरी बात करनी है.”

सुनील ने कहा, “ . क्या बात है ?”

आँचल : “ देखो हमारी शादी हुए 6 महीने बीत गये हैं और तुम्हारी माँ और मेरी माँ , दोनो ही बच्चे के लिए मुझे पूछ रही थी.”

फिर उसने सुनील से झूठ बोला की वो कोई पिल भी नही ले रही है और तुम भी कंडोम यूज नही करते फिर भी मैं प्रेग्नेंट नही हो रही हूँ. इसलिए हमको अपने फैमिली डॉक्टर से कन्सल्ट करना चाहिए.
(असल बात ये थी की जब समीर ने उसे चोदा था वो तबसे प्रेग्नेंट होने के डर से पिल ले रही थी.)

फैमिली डॉक्टर के पास जाने की सलाह से सुनील गुस्सा हो गया , वो किसी जान पहचान वाले आदमी से अपनी सेक्स लाइफ के बारे में डिस्कस करने को तैयार ही नही हुआ.

फिर उसने कहा, “ अभी हमारी शादी को 6 महीने ही तो हुए है. टाइम आने पर तुम प्रेग्नेंट भी हो जाओगी , चिंता मत करो.”

आँचल चुप रही पर मन ही मन बोली, अगर हफ्ते में एक दिन मुझे चोदोगे तो मैं कैसे प्रेग्नेंट होऊँगी ईडियट!
वैसी भी प्रेग्नेन्सी का तो बहाना था , वो तो सिर्फ़ सुनील को किसी डॉक्टर को दिखाना चाहती थी. ताकि उसके जल्दी झड़ जाने का इलाज़ हो सके. प्रेग्नेंट वो होती कैसे जब पिल ले रही थी. वैसे भी अभी वो जवानी के मज़े लेना चाहती थी और इतनी जल्दी बच्चा नही चाहती थी. और अपनी चूत की प्यास बुझाने के लिए जितने लोगों से उसने चुदवाया था और जितना वीर्य उसकी चूत की गहराईयों में पड़ चुका था , उससे तो वैसे ही वो अब तक प्रेग्नेंट हो जाती अगर पिल ना लेती तो. लेकिन सुनील को डॉक्टर के पास जाने को तैयार ना देखकर उसने बात आगे नही बढ़ायी और कोई दूसरा तरीका आज़माने की सोची.

कुछ दिन बाद आँचल की सास ने उससे बच्चे की बात छेड़ी. आँचल ने पूछने पर बताया की वो कोई कॉन्ट्रासेप्टिव नही ले रही है. उसकी सास पुराने विचारों की थी , उसका कहना था कि शादी के बाद बहू का तुरंत बच्चा होना ज़रूरी है इससे पति पत्नी में जोड़ और मजबूत हो जाता है. फिर वो कहने लगी की तुम मेरे साथ एक स्वामी बाबा के पास चलो. स्वामी भोगानंद चमत्कारी बाबा है. जो भी औरत उनके पास जाती है उसको बच्चा ज़रूर पैदा होता है.

आँचल इसके लिए राज़ी नही थी पर सास को मना नही कर पाई. इलाज की ज़रूरत सुनील को थी आँचल को नही. फिर उसकी सास ने स्वामी भोगानंद से अगले हफ्ते का अपायंटमेंट ले लिया. आँचल ने सोचा की वो इसमे सुनील को भी इन्वॉल्व कर लेगी तो सुनील जाने के लिए मना कर देगा और उसे भी स्वामी के आश्रम में नही जाना पड़ेगा. लेकिन हुआ उल्टा . सुनील को जब आँचल ने ये बात बताई तो वो बोला, “ मम्मी ने बिल्कुल ठीक सजेशन दिया है. तुम स्वामी को अपने को दिखा लाओ.”

आँचल के पास अब कोई चारा नही था , वो मन ही मन सुनील पर गुस्सा हुई, तुम बस मम्मी मम्मी ही करते रहो. जो मम्मी ने कहा वही सही.
 
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अपायंटमेंट के दिन आँचल बेमन से अपनी सास के साथ स्वामी भोगानंद के आश्रम गयी. वहाँ पहुँचकर उन दोनो को एक वेटिंग रूम में बिठा दिया गया और कहा गया की स्वामी भोगानंद के दर्शन के लिए यहीं बैठ कर इंतज़ार करो. करीब आधा घंटा वेट करने के बाद आँचल को बेचैनी होने लगी और उसका मन हुआ की वो अपने घर वापस चली जाए. पर सास के सामने कुछ नही बोल पाई.

लेकिन उनको मालूम ही नही था की अपने एसी रूम में बैठकर भोगानंद CCTV में उसकी बेचैनी सब देख रहा है. वो एक लड़की से अपना लंड चुसवा रहा था और CCTV में आँचल को भी देख रहा था. आँचल को देखकर वो सोच रहा था ये मक्खन मलाई आज मेरे जाल में आ फँसी है. उत्तेजना से उसने लंड चूस रही लड़की के मुँह में वीर्य भर दिया और खुद फटाफट उठ कर अपने वस्त्र ठीक किए. आँचल को वो जाने का मौका देने वाला नही था, इसलिए उसने जब आँचल को बेचैन होता देखा तो फटाफट वेटिंग रूम में आ गया.

आँचल ने देखा सफेद वस्त्र पहने हुए लंबा चौड़ा दाडीवाला बाबा है और उसकी चौड़ी छाती बालों से भरी है. उसकी आँखों में बहुत चमक और तेज था. आँचल ने उठकर उसको हाथ जोड़े और नज़रें झुकाकर खड़ी हो गयी. स्वामी भोगानंद ने उन दोनो से बैठने को कहा और उनकी समस्या पूछी. जब सास ने बताया की शादी को 6 महीने हो गये है और बहू प्रेग्नेंट नही हुई है , तो नयी नवेली शादीशुदा आँचल को सिड्यूस करने के ख़याल से स्वामी की लार टपकने लगी. उसने आँचल को अपने पास बुलाया और फिर एक हाथ से उसके बालों को सहलाते हुए , उसकी आँखों में आँखे डालकर धीमे स्वर में पूछा, “ तुम्हारा पिछला पीरियड कब आया था ?”

स्वामी के अपने पीरियड के बारे में पूछने से आँचल एकदम से शरमा गयी और फिर नज़रें नीचे करके उसने डेट बता दी.
स्वामी ने फटाफट मन ही मन डेट का हिसाब लगाया और फिर सास से बोला, “ आज से दो दिन बाद यानी की परसो से आँचल को लगातार 3 दिन तक आश्रम में आना होगा. तड़के सुबह 5:30 बजे आ जाना. मैं इसके लिए तीन घंटे तक स्पेशल पूजा करूँगा और उसके बाद कुछ खास जड़ी बूटी दवाई के लिए दूँगा. उस दवाई को आँचल को तीसरी रात को अपने पति के साथ सेक्स से पहले खाना होगा. और गारंटी है की अगले पीरियड आने से पहले ही ये प्रेग्नेंट हो जाएगी.”

ये सुनकर सास बहुत खुश हुई और स्वामी भोगानंद को बार बार धन्यवाद देने लगी . फिर उसने स्वामी को स्पेशल पूजा के लिए 25000 रुपये दिए. सास ने स्वामी से कहा की परसो सुबह ठीक 5:30 बजे वो दोनो आश्रम में हाज़िर हो जाएँगी.

स्वामी भोगानंद बोला, “ अरे नही नही …..आपको आने की ज़रूरत नही है. सिर्फ़ आँचल को ही भेजना. आपके आने से पूजा में दुष्प्रभाव पड़ जाएगा और फिर फल नही मिलेगा. इसलिए आप मत आना वरना आँचल प्रेग्नेंट नही होगी.”

ये सुनकर सास डर गयी और हाथ जोड़कर बोली, “ अगर मेरे आने से पूजा खराब हो जाएगी तो मैं नही आऊँगी , बहू को अकेले ही भेज दूँगी.”

स्वामी बोला, “ हाँ एक बात और…..जब तक आँचल आश्रम में आती रहेगी , इसके पति को आँचल से दूर रहना होगा. तभी पूजा सफल होगी.”

दोनो सास बहू आश्रम से घर आ गयी. आँचल को अपनी सास का ये नाटक पसंद नही आ रहा था. वो चाह रही थी की सुनील का सेक्स कमजोरी का इलाज़ हो और उसकी सास आँचल का ही इलाज़ करवाने पर तुली थी. उसने सोचा , ये बुढ़िया खाली मेरे से इधर उधर के फालतू चक्कर लगवा रही है , मुझे क्या हुआ है मैं तो ठीक हूँ, मुझे परेशान करने की बजाय अपने बेटे का कमजोरी का इलाज़ करवा लेती तो ज़्यादा अच्छा रहता.

लेकिन अब तो सास 25000 रुपये भी पूजा के लिए दे चुकी थी , अब मना करना मुश्किल था इसलिए आँचल को ना चाहते हुए भी स्वामी के पास पूजा के लिए जाना पड़ा.

पूजा के दिन सुबह सुनील उसको कार में आश्रम के गेट तक छोड़ गया और दोपहर में लेने आऊँगा बोलकर चला गया. इतनी सुबह अभी बाहर उजाला नही हुआ था , हल्का अंधेरा ही था. आँचल उसी वेटिंग रूम में जाकर बैठ गयी. जल्दी ही दो लड़कियाँ वहाँ आई , उन्होने सिर्फ़ एक सफेद कपड़ा अपने बदन पर डाला हुआ था. आँचल ने हैरानी से देखा उस सफेद कपड़े के अंदर उन्होने कुछ भी नही पहना था और उनकी चूचियाँ और चूत के ऊपर के काले काले बाल सफेद कपड़े से साफ दिख रहे थे. उन्होने आँचल से अपने साथ चलने को कहा.

वो दोनो आँचल को एक ऐसे कमरे में ले गयी जहाँ सिर्फ़ कैंडल्स जल रही थी. फिर उन्होने आँचल से अपने सारे कपड़े उतारकर नग्न होने को कहा क्यूंकी पूजा से पहले आँचल को पवित्र जल से नहला के शुद्ध करना होगा . आँचल के चेहरे के भाव देखकर वो लड़की बोली इसमे घबराने की कोई बात नही है.

लेकिन आँचल नंगी होने को तैयार नही हुई. दोनो लड़कियों ने बहुत ज़ोर दिया की स्पेशल पूजा के लिए सभी औरतों को ऐसा ही करना पड़ता है. पर आँचल नही मानी. थोड़ी देर तक समझाने के बाद वो दोनो लड़कियाँ आँचल को अकेले छोड़कर चले गयी.

कुछ देर बाद स्वामी भोगानंद खुद उस कमरे में आया और आँचल से कहा की जैसा जैसा तुमको बताया गया है वैसा तुमको करना पड़ेगा. स्वामी की चमकती आँखों का सामना आँचल नही कर पाई और उसने हामी भर दी. स्वामी कमरे से बाहर चला गया और वो दोनो लड़कियाँ फिर से कमरे में आई.

फिर उन्होने आँचल के कपड़े एक एक कर उतारने शुरू कर दिए. आँचल को पता नही था पर कमरे में एक बड़े काले परदे के पीछे से भोगानंद , आँचल को निर्वस्त्र होते हुए देख रहा था. आँचल ने अपने कपड़े उतारे और फिर वो सिर्फ़ ब्रा पैंटी में रह गयी. स्वामी सब देख रहा था. फिर आँचल ने अपनी ब्रा भी उतार दी. उसकी दूध जैसी गोरी बड़ी बड़ी चूचियाँ अब नग्न थीं. फिर उसने अपनी पैंटी भी उतार दी. स्वामी ने देखा उसकी मादक चूत के ऊपर काले काले बालों का घेरा है. भोगानंद का लंड टन टनाकर खड़ा हो गया.

फिर उन लड़कियों ने आँचल को फर्श पर लिटा दिया और एक सुगंधित तेल को उसके बदन पर मलने लगीं. उन्होने धीरे धीरे उसके बदन पर तेल मलना शुरू किया और चूचियों पर कुछ ज़्यादा ही देर तक मसलते हुए तेल लगाया. तेल की भीनी भीनी खुशबू और लड़कियों के अपनी चूचियों को मसलने से अब आँचल को उत्तेजना आने लगी. उसकी चूचियों के निपल तन के खड़े हो गये और उसको अपनी चूत में रस निकलता महसूस हुआ. और उन लड़कियों के हाथों के उसके नंगे बदन पर स्पर्श से उसकी हल्की हल्की सिसकारियाँ निकलने लगी.

आँचल को उत्तेजित होते देखकर , लड़कियाँ एक दूसरे को देखकर मुस्करायीं. उन्होने ना जाने कितनी जवान औरतों के ऊपर ये उत्तेजित करने का तरीका अपनाया था. वो दोनो अपने काम में अब माहिर हो चुकी थीं. वो दोनो समझ गयीं अब इसकी चुदाई के रास्ते खुल गये हैं.

मालिश के दौरान उन्होने आँचल की चूत के होठों के ऊपर भी तेल लगाया , वहाँ गीलापन देखकर वो समझ गयीं ये लड़की तो कामुक है. अभी हमने इसकी क्लिट को मसला भी नही है और यहाँ इसका चूत रस निकलना शुरू हो गया है, ये तो जल्दी ही उत्तेजित हो गयी. स्वामी भोगानंद ये सब पर्दे के पीछे से देखकर अपना लंड मसल रहा था , ये तो जल्दी ही गीली होने लगी है , बहुत कामुक लगती है.

लड़कियों के मालिश करने से आँचल सिसक रही थी , “ आहह……आहह….उईईईईईई….”

“अच्छा लग रह है तुमको ?” एक लड़की ने पूछा.

आँचल ने ज़ोर से सिसकारियाँ भरते हुए जवाब दिया, “ आ…हाँ….बहुत अच्छा…..उन्न्ञन्नाआहह…”

अब उस ठंडे फर्श पर नंगी पड़ी आँचल पूरी तरह से उत्तेजना में भर चुकी थी. उसने एक लड़की की चूची पर अपना हाथ फेर दिया. पर उस लड़की ने आँचल के हाथ पर एक थप्पड़ मारकर झटक दिया. और उसे झिड़कते हुए बोली, “ ये तू क्या कर रही है ?”

आँचल मदहोशी में कहने लगी , “ आहह…इधर आओ ….मेरे पास आओ….., प्लीज़ ….आहह….” वो उन अधनंगी लड़कियों के बदन को छूना चाह रही थी पर उन्होने उसे हाथ नही लगाने दिया.

फिर उन लड़कियों को लगा की अब आँचल को ओर्गास्म आ जाने वाला है और ये झड़ने वाली है तो उन्होने उसके बदन की मालिश रोक दी. उनको भोगानंद ने साफ निर्देश दे रखा था की इसको चुदाई के लिए तैयार कर के रखो लेकिन खुद उसके साथ कुछ मत करना, बस उत्तेजित करके तडपा के छोड़ देना.

उन्होने आँचल को फर्श से उठाया और एक पतला पारदर्शी सफेद कपड़ा पहना दिया जिससे उसका बदन और भी कामुक लग रहा था. फिर वो आँचल को एक कमरे में ले गयीं और वहाँ फर्श पर बैठा दिया. आँचल अभी भी उत्तेजना से तेज तेज साँसे ले रही थी.

फिर स्वामी भोगानंद उस कमरे में आया , उसे देखकर तीनो खड़ी हो गयी और उसको हाथ जोड़कर प्रणाम किया. वो आँचल के पास आया और एक झटके में उसका सफेद वस्त्र खींच लिया. अब आँचल पूरी नग्न थी. उसका पूरा बदन तेल और पसीने से भीगकर चमक रहा था और चूत के काले बाल भीगकर आपस में उलझ गये थे. स्वामी के तेज को नग्न आँचल सह नही पाई और उसने कमज़ोरी सी महसूस की तब उन दोनो लड़कियों ने उसे सहारा दिया.

स्वामी ने एक बाल्टी से आँचल के ऊपर बर्फीला ठंडा पानी डाल दिया . आँचल की साँसे थम सी गयी और वो हकबकाकर ज़ोर से चिल्ला पड़ी. फिर स्वामी ने एक टॉवेल लिया और आँचल का बदन पोछने लगा. वो काफ़ी देर तक उसकी गोरी बड़ी चूचियों को टॉवेल से रगड़ता रहा और फिर नीचे जांघों को टॉवेल से पोछा. उसके बाद चूत को भी पोछने के बहाने टॉवेल से काफ़ी देर तक रगड़ा. रफ टॉवेल के इस तरह अपने बदन, चूचियों और चूत पर देर तक मल मल कर रगडे जाने से आँचल मदहोशी में ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी और उसकी चूत से रस बहने लगा. फिर स्वामी ने अपने वस्त्र उतार दिए और आँचल के सामने अब वो भी पूरी तरह से नग्न हो गया.

आँचल ने अपने सामने उस लंबे चौड़े स्वामी को नंगे खड़ा देखा , उसका मोटा लंड खुली हवा में झटके खा रहा था. आँचल सिसकारियाँ लेती हुई घुटने के बल बैठ गयी और स्वामी का लंड मुँह में लेने लगी.

लेकिन स्वामी ने उसको रोक दिया और बोला, “ ये क्या कर रही हो तुम?”

“आह…….मुझे चूसना है, प्लीज़……? ” , रोके जाने से निराश होते हुए आँचल बोली.

“तुम होश में तो हो ? शादीशुदा औरत होकर भी तुम ये क्या कर रही हो ?” स्वामी बोला.

आँचल अब उत्तेजना से तड़प रही थी और वो चुदाई के लिए तरस रही थी.

उसने कहा, “ मुझे चोदो….हाँ मुझे चोदो स्वामीजी…..प्लीज़….”

लेकिन उसको पता नही था की कमरे में लगे कैमरा से ये सब रेकॉर्ड हो रहा है, असल बात ये थी की स्वामी का बहुत नाम था, इसलिए आँचल की सेक्स के लिए सहमति बहुत ज़रूरी थी. अब वो खुद अपने मुँह से चोदने के लिए कह रही थी जो की रेकॉर्ड हो चुका था. अगर कोई औरत बाद में खुद या किसी के दबाव में आकर स्वामी पर रेप का इल्ज़ाम लगाती तो स्वामी उसके घरवालों को वो टेप दिखा सकता था की ये तो खुद ही चोदने को बोल रही थी. उस आश्रम में सभी औरतों के साथ ऐसा ही टेप बनाया जाता था जिसमे उनको उत्तेजित करके इतना तड़पाया जाता था की वो खुद ही चोदने को बोलती थी.

अभी तक स्वामी को कभी भी उन टेप्स का इस्तेमाल करने की ज़रूरत नही पड़ी थी क्यूंकी किसी भी औरत ने उसके खिलाफ कंप्लेंट नही करी. लेकिन एक मामला ऐसा था जब स्वामी ने टेप का यूज़ किया था. हुआ ये की एक बार स्वामी को एक पॉलिटीशियन से काम पड़ा , तो उस काम को करने के बदले में उसने एक औरत को कहा की तुम 2 घंटे के लिए उस मोटी तोंद वाले नेता के पास जाकर उसको खुश कर दो , नहीं तो मैं तुम्हारा टेप तुम्हारे घरवालों को दिखा दूँगा. इस तरह स्वामी ने नेता से अपना काम निकलवा लिया.

उस आश्रम में सभी जवान शादीशुदा औरतें अपनी सास के साथ आती थी और इसी तरह स्वामी उन सब को चोदता था.
 
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लेकिन आँचल के मामले में स्वामी ये देखकर खुश था की ये खूबसूरत औरत तो खुद ही चुदवाने को इतना बेचैन है. क्यूंकी वो अपनी सेक्स लाइफ से संतुष्ट नही थी , बाकी औरतें इतनी जल्दी गरम नही होती और बहुत ना नुकुर नखरे करती थीं . आँचल को उत्तेजना से तड़पता देखकर स्वामी सोचने लगा , इसको चोदने में तो बहुत ही मज़ा आएगा.

आँचल जबसे मायके से आई थी , तबसे उसकी ढंग से चुदाई नहीं हो पाई थी. मायके में रामू और दूसरे नौकर ने रामू के कमरे में उसको जी भरके छोड़ा था लेकिन उस बात को अब काफ़ी दिन बीत चुके थे. एक अच्छी चुदाई के लिए वो तरस रही थी. अपने सामने खड़े नंगे स्वामी और उसके फनफनाते लंड को देखकर उसकी चूत गीली हो गयी और रस निकलकर जांघों में बहने लगा.

आश्रम में पहले दो लड़कियों ने बदन की मालिश करके उसे उत्तेजित किया था फिर स्वामी ने टॉवेल से बदन रगड़कर और उत्तेजित कर दिया था. आँचल ने देखा ये स्वामी का शरीर तो किसी पहलवान जैसा लंबा चौड़ा है , वो उसका लंड अपनी चूत में लेने को मचल उठी. लेकिन उसकी समझ में नही आ रहा था की स्वामी उसको मना क्यूँ कर रहा है ?

“मुझे चोद स्वामी …ओह…”, आँचल ने फिर से कहा.

स्वामी घुटनो के बल अपने सामने बैठी खूबसूरत आँचल के मुँह से ये शब्द सुनकर बहुत खुश हुआ और अपने लंड को हाथ में पकड़कर , आँचल के चेहरे के करीब लाया. आँचल ने लंड मुँह में लेने के लिए होंठ खोल दिए लेकिन स्वामी उसको तड़पाते हुए लंड को मुँह के अंदर डालने के बजे होठों के दोनो तरफ घुमाने लगा. उसने देखा की ये औरत मेरे लंड को अपने मुँह में लेने को कितना तड़प रही है. उसने हंसते हुए अपने लंड से आँचल के गाल पर दो तीन थप्पड़ मारे और फिर उन दोनो लड़कियों से आँचल को दूसरे कमरे में ले जाने को कहा.

वो दोनो लड़कियाँ आँचल को पकड़कर एक दूसरे कमरे में ले गयी. उस कमरे के बीच मे एक बड़ा बेड था और पूरी छत पर शीशे (मिरर्स) लगे हुए थे. कमरे में एसी लगा हुआ था और दीवारों पर हर तरफ संभोग करते स्त्री-पुरुषों की पिक्चर्स लगी हुई थी.

स्वामी कमरे में आया और उन दोनो लड़कियों से बाहर जाने को कहा. जब वो दोनो बाहर चली गयी तो उसने आँचल को उठाया और बेड पर पटक दिया. आँचल स्वामी की ताक़त देखकर हैरान रह गयी. उसने आँचल को एक बच्चे के जैसे उठा लिया था और बेड पर फेंक दिया. आँचल की हाइट 5’4” थी और वेट 62 किलो था. और स्वामी ने बिना परेशानी के उसे उठा के नरम बिस्तर पर पटक दिया था. वो स्वामी से इंप्रेस होकर उसके चोदने का इंतज़ार करने लगी.

आँचल को बेड पर पड़े हुए अपना इंतज़ार करते देखकर स्वामी भोगानंद मुस्कुराया और बोला, “ तुम्हारा पति तुम्हें बच्चा नही दे सकता , कोई बात नही……….मैं तुम्हें बच्चा दूँगा.”

जवाब में आँचल सिर्फ़ सिसकारियाँ लेती रही. स्वामी ने अपना लंड आँचल की प्यासी परंतु गीली चूत पर लगाया और उत्तेजना से फूले हुए चूत के होठों के भीतर डालकर एक झटके में सुपाड़ा अंदर घुसा दिया.

“आह…उन्न्ञन्…..ओइईईईईईईई…माआआआअ….”, आँचल की टाइट चूत की दीवारों को फैलाते हुए जैसे ही सुपाड़ा अंदर घुसा , आँचल के मुँह से चीख निकल गयी.
फिर पूरे लंड को आँचल की चूत में गहराई तक घुसाकर स्वामी ने लम्बे लेकिन धीमे स्ट्रोक लगाने शुरू कर दिए. स्वामी के ताकतवर धक्कों से आँचल का जिस्म हिल गया. उत्तेजना में अब वो भी अपनी गांड ऊपर को उछालकर स्वामी के धक्कों का जवाब देने लगी.

“उंगग्घह….अहह……और ज़ोर से चोदो ……अहह”, आँचल ने स्वामीजी से आग्रह किया.

स्वामी आँचल की चूत की टाइटनेस से बड़ा खुश हुआ की इस शादीशुदा औरत की चूत तो कुँवारी लड़की जैसी टाइट है , ज़रूर इसके पति का लंड पतला होगा जिससे चूत फैल ना पाने से टाइट ही रह गयी है. उसने आँचल के आग्रह करने पर फटाफट तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए. तेज तेज धक्कों से आँचल की बड़ी बड़ी गोरी चूचियाँ धक्कों के साथ ही तेज़ी से हिलने लगी. इस मादक दृश्य को देखकर स्वामी कामानंद से पागल हो उठा और कुछ देर तक धक्के लगाने के बाद खूबसूरत आँचल की टाइट चूत को उसने अपने गरम वीर्य से पूरा भर दिया.

आँचल ने अपनी चूत में गरम वीर्य को महसूस किया और इस बात का शुक्र मनाया की उसने पिल ले ली थी , नही तो इतने वीर्य के अपनी चूत की गहराई में घुसने से वो ज़रूर प्रेग्नेंट हो जाती.

तभी स्वामी ने उसको गुड़िया के जैसे उठाया और अपनी गोद में बैठा लिया. फिर वो आँचल के खूबसूरत चेहरे को चूमने, चाटने लगा और बड़ी बड़ी चूचियों को मसलने और दांतो से काटने लगा.
उसके चेहरे को चाटते हुए स्वामी बोला, “ अच्छा लगा तुम्हें ?”

“ उम्म्म्म…..स्वामीजी….उउउम्म्म्मम..”, आँचल ने मदहोशी में जवाब दिया.

उसके नितंबों में नीचे से स्वामी का खड़ा लंड चुभ रहा था.
फिर स्वामी ने आँचल की दोनो टांगों को आपस में चिपका कर सीधा ऊपर को कर दिया और उसकी चूत में लंड डाल दिया. दोनो टांगों के आपस में सटे होने से इस पोज़ में आँचल की चूत और भी टाइट हो गयी और स्वामी के मोटे लंड से आँचल को लगा की उसकी चूत की दीवारें बिल्कुल स्ट्रेच हो गयी हैं. फिर स्वामी ने आँचल को अपनी गोद में उछालना शुरू किया और उसका लंड किसी पिस्टन की तरह चूत में अंदर बाहर होने लगा. आँचल की चूचियाँ स्वामी के चेहरे के सामने उछलने लगी . स्वामी ने उनपर मुँह लगाकर उन्हे जितना हो सके मुँह में भर लिया और उनपर दाँत काटने लगा. आँचल उत्तेजना और दर्द से चीखने लगी. फिर आँचल को गोद में उछाल कर चोदते हुए स्वामी ने उसकी गांड के छेद में अपनी उंगली डाल दी.

आँचल उत्तेजना से सिसकारियाँ ले रही थी , गांड में उंगली जाने से उसको बर्दाश्त से बाहर हो गया और ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेते हुए उसको जबरदस्त ओर्गास्म आ गया , कामसुख और दर्द की लहरें उसके जिस्म में उठी और वो झड़ गयी. वो ज़ोर से चिल्लाई,” स्वामीईई……….. उईईईईईई……… माआआआअ…..”

फिर स्वामी ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और उसको गोद में उठाकर बेड पर ले गया. बेड में बिठाकर उसने आँचल से उस उंगली को चूसने को कहा जो आँचल की गांड में घुसाई थी. आँचल के चेहरे पर आए ह्युमिलिएशन के भाव देखकर उसे बहुत मज़ा आया. फिर उसने आँचल को पलट कर घुटनो के बल कुतिया बना दिया. फिर उसके बड़े गोल नितंबों को हाथ से मसलते हुए डॉगी पोज़ में लंड आँचल की चूत में डाल दिया. चोदते चोदते स्वामी आँचल के नितंबों पर थप्पड़ मारने लगा. आँचल को चुदाई का आनंद और थप्पड़ का दर्द एक साथ मिलने लगा. स्वामी उत्तेजना से पागल होकर आँचल को बुरी तरह से रौंदने लगा और साथ ही साथ नितंबों पर थप्पड़ भी लगाता रहा. थप्पड़ों की मार से आँचल के नितंबों पर लाल निशान बन गये. अपनी चूत पर स्वामी के लंड से पड़ते धक्कों से उसको ओर्गास्म पर ओर्गास्म आते रहे और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेते हुए कई बार झड़ गयी. स्वामी ने भी आँचल की चूत अपने वीर्य से एक बार फिर से भर दी और उसके बदन पर ही लेट गया. स्वामी के वेट से आँचल का बदन दब गया और वो दोनो पसीने से भीगे हुए कुछ पल तक ऐसे ही लेटे रहे.

फिर स्वामी आँचल के ऊपर से हट कर बगल में लेट गया. तभी वो दोनो लड़कियाँ कमरे में आई और उन्होने आँचल को बेड से उठाया. आँचल लड़खड़ाते कदमों से उनकी सहायता से चलने लगी. आँचल ने देखा स्वामी बेड पर लेटे हुए मुस्कुरा रहा है.

स्वामी बोला, “ कल फिर ठीक टाइम पर आ जाना . और चोदना है तुम्हें.”

आँचल ने झिझकते हुए कहा, “ आऊँगी…”

तो ये थी स्वामी की स्पेशल पूजा जिसके लिए उसने आँचल की सास से 25000 रुपये रखवा लिए थे.

फिर वो दोनो लड़कियाँ आँचल को बाथरूम में ले गयी. वहाँ उन्होने आँचल के बदन में साबुन लगाया और शावर के नीचे ठंडे पानी से उसे नहलाने लगी.

तभी बाथरूम में स्वामी आ गया. उसका लंड तन के खड़ा था. उसने आँचल को अपनी तरफ खींचा. फिर उसकी एक टाँग उठाकर एक धक्का मारकर लंड फिर से चूत में घुसेड दिया.

इस अचानक हुए हमले से आँचल सिसक उठी, “…..ह…..उउउनघगह…”

स्वामी ने उसको एक हाथ से सपोर्ट देते हुए ज़ोर ज़ोर से खड़े खड़े ही चोदना शुरू कर दिया.

दोनो लड़कियाँ आँख फाडे हैरानी से ये सब देख रही थी. ऐसा पहले कभी नही हुआ था. शायद स्वामी ने आँचल जैसी मादक औरत पहले कभी नही देखी थी. वो अपने आश्रम के कायदे भी भूल गया और अपनी सेविकाओ के सामने ही अपनी कामान्धता से पागल हो गया.

अपने सामने आँचल को स्वामी से चुदते देखकर वो दोनो लड़कियाँ भी उत्तेजित हो गयी. आँचल ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेते हुए चुद रही थी. अब उनमे से एक लड़की से रहा नही गया और उसने अपनी चूत में उंगली डालकर मूठ मारनी शुरू कर दी.
जोरदार चुदाई से स्वामी और आँचल एक बार और झड़ गये . फिर अपना मुरझाया हुआ लंड लेकर स्वामी बाथरूम से बाहर चला गया. आँचल की टाँगे कंपकपा रही थी वो फर्श पर शावर के नीचे गिर पड़ी.

स्वामी के जाने के बाद वो दोनो लड़कियाँ आँचल पर टूट पड़ी. उनमे से एक ने आँचल के चेहरे और चूचियों को चूमना , चाटना शुरू कर दिया और दूसरी लड़की आँचल की चूत चाटने लगी. उन दोनो लड़कियों ने आँचल को फिर और कई बार झड़ा दिया.

थोड़ी देर बाद स्वामी फिर वहाँ आया और आँचल से तैयार होने को कहने लगा क्यूंकी उसका पति सुनील उसे घर ले जाने आ चुका था और वेटिंग रूम में बैठ उसका इंतज़ार कर रहा था.

वो दोनो लड़कियाँ आँचल को कपड़े पहनाने लगी. आँचल मन ही मन सोचने लगी 4 घंटे कैसे निकल गये पता ही नही चला. क्या मस्त चुदाई का आनंद मिला है मुझे आज.

आँचल स्वामीजी के साथ वेटिंग रूम में आई, सुनील ने स्वामी को देखकर हाथ जोड़ दिए. आँचल के चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव देखकर सुनील खुश हुआ ,उसने सोचा पूजा बहुत अच्छी तरह से हुई , लग रहा है.

स्वामी ने सुनील से कहा , “ कल इसको फिर टाइम पर ले आना.”
और फिर आँचल के चेहरे पर आई शरम को देखकर मुस्कुराने लगा.

घर पहुँचने के बाद सुनील वापस फैक्ट्री चला गया.

लंच टाइम में आँचल के ससुर ने उससे पूछा , “ पूजा कैसी रही ?”

आँचल ने सर झुकाकर जवाब दिया, “ स्वामीजी ने बहुत अच्छे ढंग से पूजा की.”

फिर ससुर बोला,” कल मैं तुम्हें पूजा के बाद आश्रम से लेने आऊँगा क्यूंकी बैंक में कुछ पेपर्स पर तुम्हारे साइन करवाने हैं.”

लेकिन आँचल को मालूम नही था की ठरकी बुड्ढा बैंक के बहाने से उसको उसी दोस्त के होटेल में ले जाना चाहता है जहाँ वो अपने दोस्त के साथ मिलकर कभी कभी रंडी चोदता है. ससुर मन ही मन सोच रहा था कल तो होटेल में इस सेक्सी बहू को मैं चोदूँगा ही चोदूँगा.
 
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लंच के बाद आँचल अपने बेडरूम में चली गयी और दरवाज़ा बंद करके बाथरूम में बाथटब में गरम पानी भरके टब में बैठकर नहाने लगी. आज के दिन जो उसको मज़ा मिला था उन पलों के बारे में सोचने लगी. स्वामी भोगानंद वास्तव में एक अनुभवी चोदू था. स्वामी और उसकी चुदाई के बारे में सोचने से आँचल उत्तेजना महसूस करने लगी. अभी दो दिन तक और स्वामी उसको पूजा के बहाने चोदने वाला था.

वो दोनो लड़कियाँ भी सेक्सी थी और ख़ासकर जिस लड़की ने आँचल की चूत चाटी थी , उसका ऐसा करना आँचल को बहुत पसंद आया था. आँचल सोचने लगी काश स्वामी उन दोनो लड़कियों को भी सेक्स करते समय बुला ले तो मज़ा बढ़ जाएगा.आँचल उन दोनो लड़कियों को अपने सामने स्वामी से चुदते हुए देखना चाहती थी. इन सब कामुक ख़यालों को सोचते हुए आँचल की चूत से रस बहकर बाथटब के गरम पानी में मिल गया. आँचल चूत में उंगली डालकर मूठ मारने लगी. फिर आँचल को याद आया की उन दोनो लड़कियों ने अपनी चूत में बाल साफ किए हुए थे.

आँचल ने कभी भी अपनी चूत शेव नही की थी उसकी चूत में काले घने बाल थे. वो बाथटब से उठी और सुनील के रेज़र से चूत के सारे बाल साफ कर दिए. अपनी चिकनी साफ चूत को देखकर उसे ऐसा लगा की जैसे ये शादीशुदा औरत की ना होकर किसी कुँवारी लड़की की चूत है. उस टाइट चूत की वजह से ही उसे चोदने वालों को इतना ज़्यादा मज़ा मिलता था की वो कामोन्माद से पागल हो जाते थे.

फिर चिकनी चूत पर हाथ फेरते हुए वो अपनी क्लिट को मसलने लगी और जल्दी ही ओर्गास्म से झड़ गयी. गरम पानी से नहाने के बाद उसने एक पारदर्शी नाइटी पहनी और दोपहर की नींद लेने के लिए बेड में लेट गयी. जैसे ही उसको नींद आने लगी , किसी ने उसका दरवाज़ा खटखटाया. कौन आ मरा ये नींद खराब करने ! हद है .

आँचल ने उठ कर दरवाज़ा खोला , कौन था भाई ?
और कौन होगा वही ठरकी ससुर था.

ससुर कहने लगा की ताश के पत्ते खेलने का मूड हो रहा है. आँचल ना नुकुर करने लगी लेकिन बुड्ढा सीधे अंदर आकर बेड में बैठ गया और ताश के पत्ते फेटने लगा. आँचल को ना चाहते हुए भी खेलने के लिए ससुर के साथ बैठना पड़ा.

खेलते वक़्त ससुर की नज़रे देखकर आँचल समझ गयी की ये पारदर्शी नाइटी के मज़े ले रहा है. आँचल ने तो सोने के लिए वो नाइटी पहनी थी उसे क्या पता था की ससुर उसके बेडरूम में आ धमकेगा . उसका मन हुआ की बाथरूम जाकर नाइटी बदल के आए. लेकिन फिर उसने सोचा की उस दिन सलीम के चोदने के बाद मुझे बेड पर नंगी रोते हुए ससुर देख ही चुका है , तो रहने देती हूँ.

वैसे भी आँचल को अपने ससुर को टीज़ करने में मज़ा आता था . उसने सोचा चलो बुड्ढे को तड़पाकर मज़े लेती हूँ. घर में सास है तो ये कुछ गड़बड़ कर नही पाएगा. आँचल पत्ते उठाने के बहाने जानबूझकर झुकने लगी और ससुर को अपनी चूचियाँ दिखाने लगी. ससुर समझ गया ये सेक्सी बहू फिर मुझे टीज़ कर रही है. वो उत्तेजित होने लगा. मन ही मन सोचने लगा कल तुझे पूजा के बाद मैं आश्रम में लेने आऊँगा और फिर दोस्त के होटेल ले जाकर जी भरके चोदूँगा.

फिर आँचल खेलने के बहाने ससुर की बाँह टच करने लगी और सेक्सी सा चेहरा बनाकर मंद मंद मुस्कुराने लगी. अब ससुर से कंट्रोल नही हो पाया और उसने आँचल का हाथ पकड़कर अपने पैंट में खड़े लंड के ऊपर रख दिया. आँचल हैरानी से अवाक रह गयी उसकी हालत देखकर ससुर मुस्कुराने लगा.

आँचल ने अपने हाथ में पैंट के अंदर फनफनाते लंड को महसूस किया , जो लोहे की तरह सख़्त हो चुका था. आँचल धीरे से बोली, “ उन्ह……..ससुरजी ये आप क्या कर रहे हैं ?”

ससुर भी धीरे से बोला, “ देखोगी क्या ?”

“नही…नही…उम्म्म…कोई आ जाएगा,” आँचल ने जवाब दिया.

जब ससुर ने देखा की बहू तो अपना हाथ नही छुड़ा रही है तो उसकी हिम्मत और बढ़ गयी, वो बोला, “ ज़ोर से पकड़ो, खुद ही देख लो , मैं अभी भी जवान हूँ.”

ससुर ने देखा की उसके कहने से, आँचल ने उसके लंड को पैंट के बाहर से थोड़ा ज़ोर से पकड़ लिया है , वो उत्तेजना में बोला, “ कल देखना मैं तुम्हे चोदूँगा और तुम्हारी जवानी की प्यास बुझाऊँगा , मेरी आँचल रानी.”

ससुर के खड़े लंड को पकड़ने से और उसके मुँह से कल को अपनी चुदाई के इरादे की बात सुनकर आँचल की उत्तेजना बढ़ गयी और उसकी साँसे भारी हो गयी. उसके दिमाग़ की बजाय फिर जिस्म की प्यास हावी होने लगी. उसका ससुर के लंड से हाथ हटाने को मन ही नही कर रहा था . वो सोचने लगी ससुरजी का लंड कितना सख़्त और मोटा लग रहा है पैंट के बाहर से ही. आँचल की चूत से रस बहने लगा.

अपनी बहू को विरोध ना करते देखकर और गहरी गहरी साँसे लेते हुए देखकर , ससुर बोला,” मेरी आँचल रानी, मैं तुम्हें बहुत मज़ा दूँगा, तुम्हें चोदकर मस्त कर दूँगा.”

फिर वो आँचल के करीब आ गया और उसको अपने आलिंगन में जकड़ लिया.

अपने ससुर के टाइट आलिंगन से आँचल कसमसाई,”…उउउन्न्ह….ओह्ह ससुरजी….”

ससुर आँचल की पीठ पर हाथ फिराने लगा. ससुर की गंदी बातों और अपने बदन से छेड़खानी से आँचल मदहोश हो गयी. अगर ससुर चाहता तो बहू को इस समय आराम से चोद सकता था क्यूंकी आँचल मदहोशी से विरोध नही कर पाती. लेकिन घर में सास के होने से ऐसा करने में बहुत ख़तरा था.

ससुर उसको आलिंगन में लेकर उसके बदन पर हाथ फेरते हुए बोला,” मैं तुम्हारी चूत से तुम्हारा रस पीयूँगा , मेरी आँचल रानी.”

ससुर के मुँह से ऐसी कामुक बातें सुनकर आँचल ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी. ससुर की फट गयी कोई सुन ना ले , उसने जल्दी से आँचल के मुँह पर अपना हाथ रख दिया. आँचल की पैंटी चूतरस से पूरी भीग चुकी थी और चूत के होंठ उत्तेजना से फूल चुके थे. उसको ओर्गास्म आ गया और वो ससुर के आलिंगन में झड़ गयी.

तभी उनको सास की आवाज़ सुनाई दी जो नौकर से पूछ रही थी , “ तुमने साहब को कहीं देखा ?”

सास बेडरूम की तरफ ही आ रही थी.
आँचल बेड से कूदकर बातरूम में भागी , वो अभी भी उत्तेजना से कांप रही थी.

ससुर अपने लंड के इरेक्शन को छुपाने की कोशिश करने लगा और उत्तेजना से छलक आए पसीने को चेहरे से पोछने लगा. फिर जल्दी से हाथ में ताश के पत्ते लेकर बैठ गया.

तभी सास बेडरूम में आ गयी.

ससुर को वहाँ बैठे देखकर वो भड़क गयी और बोली,” यहाँ पत्ते लेकर क्या बैठे हो. बहू सुबह उतनी देर तक पूजा से थककर लौटी है .थोड़ी देर दोपहर में उसको आराम तो करने देते. अब चलो यहाँ से.”

बीवी की डांट खाकर ससुर चुपचाप सास के पीछे पीछे आँचल के बेडरूम से बाहर चला गया.

आँचल अपने बाथरूम से सब सुन रही थी और डर और उत्तेजना से कांप रही थी. उसने सोचा अभी सास ने पकड़ ही लिया था ससुर के साथ. ससुर के साथ तो बहुत ही ख़तरा है. मुझे अपने जिस्म पर काबू रखना चाहिए.

लेकिन वो अपने जिस्म पर काबू कैसे रख सकती थी ? वो सेक्सुअली फ्रस्टरेटेड थी क्यूंकी उसका पति बिस्तर में उसको सैटिस्फाई नही कर पाता था. वो जवान थी, खूबसूरत थी और अब जब उसने असली चुदाई का स्वाद चख लिया था तो वो कैसे कंट्रोल कर सकती थी. उसको चुदाई में बहुत मज़ा आता था लेकिन उसका पति जल्दी झड़ जाने के कारण उसकी प्यास नही बुझा पाता था.

लेकिन ससुर के साथ कोई भी संबंध बहुत रिस्की था , ये उसने अभी देख लिया था की वो कैसे सास द्वारा पकड़े जाने से बाल बाल बची थी. इसलिए आँचल ने फ़ैसला किया की वो ससुर को अपने से दूर ही रखेगी. वो ससुर के साथ कल बैंक जाने से बचने का रास्ता ढूंढने लगी.

फिर उसने अपने बेडरूम का दरवाजा बंद किया और बेड में सोचते सोचते उसे नींद आ गयी.

उठने के बाद आँचल ने बैडमिंटन खेलने के लिए क्लब जाने की सोची. इससे उसकी थोड़ी एक्सर्साइज़ भी हो जाएगी और सुनील के घर आने तक वो अपने सास ससुर से दूर भी रह पाएगी. क्लब पहुँचने के बाद उसने लेडीज लॉकर रूम में कपड़े बदलकर सफेद टीशर्ट और सफेद स्कर्ट पहन ली. क्लब में ड्रेस के मामले में बहुत सख्ती थी और कैज़ुअल ड्रेस में खेलने की मनाही थी.

आँचल क्लब में किसी को भी नही पहचानती थी इसलिए उसने वहाँ के एक कर्मचारी से एक गेम खेलने की रिक्वेस्ट की. वो 20 मिनिट का गेम खेलने को तैयार हो गया. उस बुड्ढे कर्मचारी ने आँचल को पूरे कोर्ट में दौड़ा दौड़ा कर खूब एक्सर्साइज़ करवा दी.

वहीं कुछ स्कूल के लड़के भी खड़े थे , वो सब आँचल को देख रहे थे. सेक्सी आँचल को कोर्ट में इधर उधर दौड़ते और उसकी चूचियों को टीशर्ट में उपर नीचे हिलते देखकर उन्हे बहुत मज़ा आ रहा था. आँचल जब शट्लकॉक उठाने के लिए झुकती थी तो वो उसकी पैंटी देखने की कोशिश करते थे. आँचल का ध्यान उनकी तरफ नही था. वो लड़के क्लब में बैडमिंटन खेलने अपने ग्रुप के साथ आया करते थे और आज मादक आँचल को टीशर्ट और स्कर्ट में बैडमिंटन खेलते देखकर अपना खेलना भूल गये थे. उनकी निगाहे आँचल पर ही जमी थी.

गेम खत्म होने के बाद आँचल पसीने से लथपथ हो गयी. उसकी टीशर्ट पसीने से भीगकर उसके बदन से चिपक गयी और गीली होने से थोड़ी पारदर्शी हो गयी. आँचल कोर्ट के किनारे बैठकर टॉवेल से अपने को पोछने लगी. तभी वो 3 लड़के उसके पास आए और उसे गुड आफ्टरनून बोले. फिर उन्होने आँचल से 2-2 का जोड़ा बनाकर डबल्स गेम खेलने की रिक्वेस्ट की. आँचल ने कहा थोड़ा रेस्ट कर लेती हूँ फिर खेलेंगे.

उनमे से 2 लड़के कोर्ट में खेलने लगे लेकिन जो सबसे लंबा लड़का था वो आँचल के पास बैठा रहा. उसने अपना नाम विकी बताया और अपने दोस्तों के बारे में आँचल को बताने लगा. बोलते हुए वो आँचल को ऊपर से नीचे तक घूर रहा था. विकी ने आँचल की खूबसूरती की तारीफ की और उससे पूछा की वो किस कॉलेज में पढ़ती है ? जब आँचल ने बातया की वो शादीशुदा है और मिसेज जोशी है तो विकी कहने लगा, आप टीशर्ट और स्कर्ट में बहुत खूबसूरत लग रही हो, शादीशुदा औरत कौन बताएगा आपको.

आँचल विकी के मुँह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर शरमा गयी और मन में उसे खुशी हुई की मैं इतनी सुंदर दिखती हूँ. फिर विकी के साथ जोड़ा बनाकर उसने गेम खेलना शुरू किया. विकी बैडमिंटन खेलने में एक्सपर्ट था उसको खेलते देखकर आँचल उसकी चुस्ती और फिजिक से प्रभावित हुई.

गेम के दौरान जब भी शट्लकॉक आँचल के पास गिरती तो विकी फटाफट उठाने आ जाता और आँचल की स्कर्ट के अंदर झाँककर उसकी जांघें और पैंटी देखने का आनंद लेता. दो तीन बार उसने गेम के बहाने से आँचल की जांघों और उसकी चूचियों को छू भी दिया पर हर बार सॉरी कहकर ऐसा दिखाता जैसे ग़लती से टच हुआ है.

जब आँचल थक गयी तो लेडीज रूम में जाकर उसने शावर के नीचे नहाया. लेडीज रूम मे लाइन से शावर बने हुए थे लेकिन ओपन थे. आँचल ने वहाँ कुछ लड़कियों को तारीफ भरी निगाहों से अपने बदन को ताकते पाया. आँचल को पता नही था की उन लड़कियों में एक विकी की गर्लफ्रेंड करिश्मा भी थी. करिश्मा ने देखा था की कैसे गेम खेलने के बहाने उसका BF आँचल के बदन को छूने की कोशिश कर रहा था. करिश्मा को जलन महसूस हुई. जब उसने आँचल को लॉकर रूम में जाते देखा तो वो भी उसके पीछे चली आई. नहाते समय आँचल के मादक जिस्म को देखकर करिश्मा को उत्तेजना महसूस हुई.

नहाने के बाद फटाफट कपड़े पहनकर आँचल अपने घर चली गयी.

रात में डिनर करते समय आँचल ने देखा आज ससुर बहुत खुश है . उसको कुछ ज़्यादा ही खुश और मुस्कुराते देखकर वो समझ गयी की ये कल के अपने चुदाई के प्लान से इतना खुश हो रहा है . वो परेशान हो गयी की इस समस्या का हल कैसे निकाले.
 

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