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Update1
मुम्बई का एक नामी बिजनेसमैन अपनी बीवी और उसके ** साल के बच्चे के साथ गर्मियों की छुट्टी बिताने के लिए हिमाचल घूमने आया था , मनोज देसाई और उसकी बीवी नीता दोनो बहोत खुश थे , इसकी वजह यह थी कि बेटा होने के बाद और काम की वजह से वो 4 सालो से कहि घूमने गए नही थे , लेकिन आज वो अपने बेटे के साथ अपनी मनपंसद जगह पर आये थे, मनोज एक स्टील के बड़ी कंपनी का मालिक था ,पैसा बहोत था उसके पास लेकिन वो दिल का भी उतना ही अमीर था और उसकी बीबी निता भी उसके जैसी ही थी, देखा जाए तो एक दूजे के लिए दोनों बने थे, उनको छोटे बच्चों से बहोत लगाव था और उसकी वजह थी उनके शादी के 5 साल तक कोई संतान न होना
लेकिन उनको इस बात का कोई गम नही था , उन्हें भगवान पर पूरा भरोसा था कि उन्हें मा बाप बनने की खुशी जरूर मिलेगी , ना तो मनोज में कोई कमी थी ना नीता में कमी थी तो बस किस्मत की , और ऐसी बातों को भूलकर मनोज और नीता ने मुम्बई में एक अनाथ आश्रम खोल दिया था दोनो अपना खाली वक्त वही बिताते और वहां के छोटे बच्चो में अपना प्यार देते रहते, उन्ही नन्हे भगवान की दुवा कहिए कि नीता को एक बेटा हो गया , पर बेटा होने के बाद भी मनोज और नीता ने अनाथ आश्रम को और ज्यादा प्यार देते थे
मनोज और नीता आज अपने तीन साल के बेटे के साथ जिसका नाम मनोज ने अपने पिता के नाम पर रखा था विजय,( कहानी का हीरो या बदनसीब)
अपने कुलदेवता के पास दर्शन करने आये थे , माता के मंदिर में दर्शन करके ,वहां के गरीबो को अपने बेटे के नाम से बहोत बड़ा भंडारा करवाया ,भोजन के साथ कपड़े भी बाट दिए और मन्दिर के पुजारी के कहने पर वहां के लोगो लिए एक अस्पताल ,स्कूल और अनाथ आश्रम भी खोलने का वचन दिया , वचन देके वो वहां से गये नही बल्कि जबतक वह बन नही जाते तबतक वही रुक कर वह 3 महीने में पूरा कर दिया ,और उसका खर्च के लिए एक बडी रकम बैंक में जमा करके उसके ब्याज पर सारा खर्चा हो इसका इंतजाम भी कर दिया,
औऱ उसका सारा भार मन्दिर के पुजारी के हवाले कर दिया
उस गांव का नाम था भवानि गढ़ और मंदिर के पुजारी थे जगत राम जी जो कि एक बहोत ही बड़े पंडित के साथ भले आदमी थे ,मनोज का एक बहोत बड़ा पुश्तेनी घर भी उसी गांव में था, वह तो बस अपने काम की वजह से ही मुम्बई रहता था नही तो उसको अपने गाँव से बहोत लगाव था , नीता को वह मुंबई में ही मिला था कॉलेज पढ़ते समय और दोनो में प्यार और शादी मुम्बई में ही कर ली,निता भी एक बड़े घर की बेटी थी उसका भी एक बड़ा परिवार था 3 भाई , 2 बहने ,नीता सबसे बड़ी थी ,उसके पिता का कपड़े के कारखानों के मालिक थे, उनका बिजनेस पूरे हिन्दुस्तान में फैला हुवा था ,मनोज के पिताजी भी बहोत बड़े जमींदार थे, और उनका भी स्टिल का कारोबार था, और मनोज के 2 बड़े भाई थे वो सारा काम देखते थे
सबसे बड़े भाई का नाम मुकेश वो दिल्ली में रहता था ,उससे छोटा मिलिंद भी दिल्ली में रहकर अपने बड़े भाई के साथ कम्पनी में काम देखता था, तीनो भाई एक दुसरे से बहोत प्यार करते थे, और मनोज तो सबका बचपन से लाडला था ,उसको मुम्बई पढ़ने उसके कहने पर ही भेजा था क्योंकि मनोज को मुंबई में रहकर देखना था ,और उसके पिताजी भी मुंबई से ही पढे थे तो उसका बचपन से एक ख्वाब था कि अपने पिताजी की तरह वो भी वही से कॉलेज करे
अब आते ही कहानी की तरफ आज भवानीगढ़ में स्कूल अस्पताल और अनाथालय का काम पुरा हुवा था और उसका उद्धाटन के समय मनोज और नीता के दोनों के सब घर के लोग वही आये थे
मुकेश ,मुकेश की बीवी शांति उनकी 3 बच्चे थे
पूनम **साल
मोना ** साल
पायल ** साल
मिलिंद ,और उसकी बीवी सिमा उनके 2 लड़कियां थी
रीमा **साल
नेहा ** साल
निता के पिताजी और माँ
नीता के भाई
रोहित उसकी बीवी मनीषा उसकी एक बेटी थी
रिना ** साल
रितेश और उसकी बीवी हेमा उनकी भी एक बेटी थी
मधु **साल
सबसे छोटा भाई राजन उसकी अभीतक शादी नही की गई थी
छोटी बहन नीलम उसका पति अशोक उनके 2 बच्चे थे
रोमा * *साल
दिया **साल
सबसे छोटी बहन नन्दिनी उसकी पति शुभम ,और एक बेटी जूही **साल की
वहां पर सिर्फ मनोज के पिताजी और माँ नही थी , आज से 10 साल पहले एक कार दुर्घटना में दोनों नही रहे थे
आज बहोत दिनों बाद सब एक साथ थे ,सब बहोत खुश थे और सब लोगो के कहने पर विजय के हाथो से ही रिबन काट कर अस्पताल, स्कूल और अनाथ आश्रम का उद्घाटन किया गया !
शाम को सब लोग आराम करने अपने पुराने घर पर आ गए ,रात के खाने के साथ सब लोग अपनी बातों में लगे रहे ,फिर सब लोग अपने कमरो में सोने चल दिए ,वो घर इतना बड़ा था कि उसके अंदर 30 से ज्यादा कमरे थे, दो मंजिल वो मकान मनोज के दादा ने बनाया था , आज भी वह इतना पुराना होकर भी ,किसी राजमहल जैसा था, और वह हमेशा वैसा ही रह इस लिए उस घर मे काम करने के लिए बीस से ज्यादा नौकर काम करते थे,वो घर के काम के साथ मनोज और उनके भाई लोगो की खेती का काम भी देखते थे,जब तक मनोज के माता पिता जिंदा थे वही सब काम नोकरो से करा लेते थे, लेकिन उनके मरने के बाद सब काम उनका सबसे पुराना नोकर भीमा ही देखता था,उसकी 3 पीढयों से वह मनोज के परिवार के पास काम करतें थे, और आज भी भीमा पूरी ईमानदारी से सब काम करता था,मनोज और उसके भाई कभी भीमा को नोकर नही बल्कि अपना एक भाई ही मानते थे, भीमा उसकी बीवी कांता के साथ वही बने एक घर मे रहता था ,
रात के पहर में सब अपने कमरे में सो रहे थे पर एक कमरे में जोरदार चुदाई चालू थी
एक आदमी औरत के ऊपर चढ़कर उसके 7 इंच के लंड से उसकी चूत में किसी कुते की तरह उसको चोद रहा था और वह औरत भी अपनी टाँगे उठाकर उसको और जोर से चोदने को उकसा रही थी, करीब 5 मिनिट में ही वह अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया और वह औरत बस अपनी चुत की की आग ठंडी नही होने से चिढ़ गयी और उसने उस आदमी को एक छाती में लात मार कर पलँग से नीचे गिर दी,
साले हरामी तू मुझे ठीक से ठंडा नही कर पाता है ,5 मिनिट नही टिक पाता तु मेरी चुत के आगे ,
तू क्या नीता को चोदेगा
में अपने पति को नींद की गोली देकर तुज़से अपनी चुत की आग ठंडी करने आयी थी ,लेकिन तू कुछ काम का नही है
चल और जबतक मेरी आग ठण्डी नही होती तब तक मेरी चुत चाट ,वो आदमी बिना कुछ बोले उसकी चुत चाटने लगा ,और वह औरत अपनी चुत में चाटते देख कर खुश हो गई ,जब तक वह उसकी चुत ने अपना पानी नही छोड़ा तबतक वह उसके सर को अपनी टांगो में दबा के रखी और पूरा चुत का पानी उसको चाटकर साफ करने को बोली ,पूरा काम होने के बाद वो बोली सुन भड़वे अगर कल तूने कोई अपने काम मे गलती की में तुझे जिंदा नही छोडूंगी , में तेरा लन्ड काट कर तुझे हिजडा बना दूंगी और जबतक तू जिंदा रहेगा तब तक मेरे भाई के आदमी तेरी गांड मारते रहेंगे
कल किसी भी कीमत पर मनोज ,नीता और वह हरामी का पिला विजय मरने चाहिए, अगर उन तीनों में से कोई भी जिंदा बचा तो तू भी नही बचेगा, चल जा अब अपनी बीवी के पास
वह आदमी सब बात सूनकर वहा से अपने कमरे में चला गया, और वह औरत अपने मन मे बोली मनोज काश तुम मेरी बात मान जाते ,मैंने तो तुम्हे बस कभी कभी मेरी तन की प्यास पूरी करने को कहा था पर तुम ने मुझे ठुकरा कर बहोत बड़ी गलती कर दी ,अब इसकी सजा तुम को मरकर चुकानी होगी