Romance मै सिर्फ तुम्हारा हूँ

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अस्वीकरण
इस कहानी के सभी पात्र , घटनाए , स्थान सब कुछ लेखक के दिमाग की बिना परिवार नियोजन वाली प्रजनन प्रक्रिया का नतिजा है ।
इसे अन्यथा ना ले क्योकि लेखक बहुत ही ढीठ और बेशरम है , टिप्पणिओं मे ही आपकी ले लेगा और आप किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रह जायेंगे ।
धन्यवाद
 
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UPDATE 006


कहानी मे अब आप सभी ने पढा कि 3D भैया के प्यार की रैली कैसे उनके पिता के भवन पर खड़ी हुई प्रोटेस्ट कर रही है ,, लेकिन हरिशंकर दुबे शख्त प्रबंधन वाले है ऐसे थोडी ना घुटने टेक देन्गे ।
इधर शुक्ला भवन मे आयुष बाबू चारु की चुटिया की ऐसी मार पड़ी कि अभी तक औंधे पड़े हुए है और वही मीरा अपनी उम्मीदो की एजेंडा लेके अपने पार्टी कार्यालय पहुच रही है । देखते है मीरा शुक्ला नाम की इस विकास की आन्धी को आशिष शुक्ला अपना समर्थन देते है कि नही ।

तो बोलो -

विकास की चाभी , मीरा भाभी ।
विकास की चाभी , मीरा भाभी ।


अब आगे


वोट बैंक की राजनीति

मीरा कमरे मे दूध का ग्लास लेके प्रवेश करती है ।
इस वक़्त आशीष जी टीवी पर दुनिया जमाने की खोज खबर ले रहे थे और उन्हे पता ही नही कि मीरा कमरे मे आ गयी है ।

मीरा आशिष को सोफे पे टीवी मे लगा देख मुस्कुराई और दबे पाव आईने के सामने पहुची
थोडा जुल्फो को बिखेरा , कंगन , झुमके - नथनी , पायल सब कुछ उतार कर जिस्म पर से बोझ कम किया ।
साडी के कन्धे की आलपिन भी निकाल दी और पल्लू को ढील देके लो-कट गले का ब्लाउज निचे से खिच कर जोबनो मे सांस भरी । फिर पास पड़ी इत्र की सीसी को गले के पास स्प्रे कर एक बार आईने मे खुद निहार कर वापस से दूध का ग्लास लेके आशिष बाबू की ओर बढ़ गयी ।

आशिष जी तो आम आदमी की तरह रोज की दिनचर्या के हिसाब से अपना मन लगाये टीवी मे व्यस्त थे कि बांयी तरफ से मीरा बिल्कुल सट कर सामने की ओर झुकते हुए हाथ बढ़ा कर दूध का ग्लास आगे किया

मीरा मुस्कुरा कर - दूध
इत्र की खुस्बु ने और बीवी की मीठी आवाज आशिष जी भा गयी और इधर तो मीरा ने जैसे अपने भष्ट्राचारी पल्लू से डील की थी कि शुक्ला जी घुमे और तुम सरक लेना , आखिर पार्टी की अच्छाईया भी तो दिखनी चाहिये वोटर को ।

हुआ भी वही
जहा आशिष मीरा के हाथ से दूध का ग्लास लेते और वही साड़ी का पल्लू कन्धे से सरक कर मीरा की कलाई मे आ गयी ।

आशिष की नजरे पहले लो-कट ब्लाउज के गले के डिजाईन को देखकर पार्टी के उतार चढ़ाव का भरपूर मुआयना कर मीरा के शरारती नजरो से टकराती है ।
जिससे आशिष-मीरा एक साथ मुस्कुराये और उन्होने मीरा के हाथ से दूध का ग्लास ले लिया ।

मीरा खड़ी हुई और पल्लू को समेट कर कमर मे खोसा और वापस बिस्तर की ओर

आशिष बाबू एक नजर मीरा को देखा और मुस्कुराते हुए टीवी देखने लगे । मगर जैसे ही उन्होने दूध की सिप ली कुछ याद आया और वो चहके
दूध का ग्लास सामने टेबल पर रखा और मीरा की ओर लपके

इस भागा दौडी का कारण ये थे कि ये हमारी सेक्सी सुशील और शर्मिली उम्मीदवार श्री मती मीरा शुक्ला ने अपना और अपने पति का एक रोमांस कोड दिया हुआ था । अमूमन तौर पर वो दूध का ग्लास तब ही लेके आती थी जब कुछ मेल मिलाप का मन रहता हो । ठीक है वैसे ही जब नेताओ को वोट की जरुरत पर अपने कर्तव्यो की याद आती है ।

अब एक मध्यम वर्गीय परिवार का शादीशुदा व्यकित यानी आशिष शुक्ला जी जो रोज मर्रा की जरुरतो मे इतना फसे रहते है , दिन भर की कलेश ,दुकान की झिकझिक और काम के थकान के कारण काफी समय से आशिष बाबू मीरा के साथ बिस्तर के पापड़ का चुरा नही किये थे।
ना जाने कितने हफ्तो से बेडशिट पर सीलवटे नही आई थी ।
मगर आज नही
शुक्ला जी फटाफट बिस्तर की ओर लपके और मीरा को अपनी बाहों मे भर के ,,,,,

खैर जाने दीजिये वो सब तो व्यकितगत बाते है
हम लोग ठहरे मुद्देवादी लोग, कहा ये थकान भरी उठापटक वाली राजनीतिक एजेण्डे से हमारा लेना देना
क्या हुआ कैसे हुआ
क्या टूटा क्या बचा
कहा दर्द कहा मजा
जैसे भी हो परिणाम एक ही होना था
आशिष बाबू की बाहो मे मीरा लिपटी हुई अपने दिल के अरमान को नये बहानो और कुछ चटपटे कहानियो जोड कर बताना शुरु कर दी ।

मीरा - हे जी , जे आपको एक बात बतानी हैगी

आशिष बाबू तो मनमुग्ध थे मीरा पर - हा बोल ना

मीरा - उ बबुआ को लेके है
आशिष बाबू को आयुष के लिए बडी चिन्ता रहती ही थी तो थोडा डर थोडी उत्सुकता से - का बात मीरा बताओ हमको

मीरा - जे आप तो जान ही रहे हैगे कि आज सुबह ही चौबेपुर वाली बुआ आई है और उकी मुड़ी चारु भी

आशिष - हा तो
मीरा हस कर - जे हम चोरी छिपे देखे रहे कि बबुआ उको हमेशा निहारत रहत है हिहिही

अशीष अचरज से - किसको बुआ को !!!
मीरा - धत्त , ऊ मुड़ी चारु को, हमका तो ऊ दोनो की जोडी बहुत अच्छी लागत , तू का कहत हो

आशिष - लयिकी अच्छी है मीरा ,, लेकिन उ अपने बबुआ के टाइप की ना है

मीरा - जे आप कह रहे हो कि बबुआ की टाइप की ना है औ बबुआ खुद उको अपना कमरे मे बिठा के बात करत है देरी तक

आशिष - लेकिन बात करने से इ थोडी ना होत है कि बबुआ उको परसन्द करत है

मीरा तुनक कर- जे आप को तो हमायी कोनो बात पर भरोसो ही ना रहो होगो
और वो अशिष से अलग हो कर उसकी ओर पीठ कर लेती है

आशिष मुस्कुरा कर उसको पीछे से पकड कर - अच्छा ठीक है ठीक है , हम देखत है कल बाऊजी से बात करत है चारु और आयुष को लेके
मीरा खुश हो कर घूम कर आशिष से चिपक जाती है ।


बहुमत की तैयारियाँ

इधर एक तरफ जहा मीरा को अपनी योजना मे कामयाब हो गयी थी ,वही आयुष बाबू भी चारु के अदाओ के चाटे से उभर चुके थे और कुछ उलझे विचारो से हुए ही दूध का ग्लास खतम कर सो गये ।

अगली सुबह मीरा खोज खबर लेने चारु के पास पहुची और जब उसे रात मे हुए बिगड़े खेल के बारे मे पता चला तो माथा पिट ली
खैर जैसा भी हो लेकिन मीरा शुक्ला बहुत ही धैर्यवान साहसी और दृढ़संकल्पी प्रत्याशी थी तो इतनी जल्दी मैदान कैसे छोड देती ।
बीते समय में हुए गल्तियो को सोचना छोड आगे क्या करना है उसपे विचार की और कुछ नये नखरीले नुसखे उसने चारु को सिखाये ।

चटपटे नास्तो का दौर खतम हुआ और शान्ति देवी अपने कमरे मे सत्संग का लाइव प्रसारण शुरु कर बैठी थी कि मीरा अपनी सास के कमरे मे आती है ।

मीरा - अम्मा उठो तो ,
शान्ति - का हुआ दुल्हीन
मीरा - अम्मा जरा इ भेडशिट बदले का लिये ले जाई रहे है
शान्ति थोडा मुह बिच्काये बिस्तर से उठ कर सोफे पर विराजमान हुई ।
मीरा बेडशिट निकाल कर फ़ोल्ड करते हुए - अम्मा आप एक बात कहे के रही ,, जे कुछ समझ ना आ रहो हो कि कहे कि ना कहे

शान्ति जी ठहरी गृहस्थ महिला बिरादरी वाली अब उनको कहा ये पचने वाला कि उनकी पतोह उनसे कुछ छिपाये

शान्ति जी फटाक से टीवी म्यूट पर डाला और बडे ही जिज्ञासु स्वभाव से मीरा की ओर देख कर - हा बताओ ना दुल्हीन , का बात है

मीरा मुस्कुरा कर - अरे छोडो अम्मा , जवानी मे ये सब गलती सबहे से होत है

शान्ति देवी के शक के पारे की सुई आयुष बाबू की ओर घूमी - का हुआ बबुआ को लेके कौनौ बात है का दुल्हीन

मीरा हा मे सर हिला कर मुस्कुराई
शान्ति की बेचैनी और बढी - का बात है दुल्हीन , का गलती कर दिओ बबुआ हमार

मीरा ह्स कर - अरे कोनो खास बात ना हैगी अम्मा ,, उ कल जब से हमायी चौबेपुर वाली बुआ की मुड़ी आई हैगी ना तब से बहुत बार ताक झाक कर रहे हैगे बा के कमरे मे


शान्ति थोडा झेप सी गयी - इ का कही रही हो दुल्हीन , हमार बबुआ अइसा ना है

मीरा हस कर - जे आज कल मूड़न को कम ना समझो अम्मा ,, और हम तो खुश है कि आप बबुआ की शादी के लिए जल्दी कर रहे हो ,,,नाही तो बडे शहर मे ना जाने कौन भईसीया फास ले ,,,औ हमाये बबुआ है भी तो गऊ


मीरा की बात से शान्ति जी को और भी चिन्ता होने लगी
मीरा अपनी सास को परेशान होता देख मुस्कुराई और उनके कन्धे पर हाथ रख कर बोली - अम्मा आप चिन्ता ना करो
सब ठीक होगो

शान्ति चिंतित भाव से - जे कुछ ठीक ना होगो ,,,औ जे बात तू कही हो बिल्कुले ठीक कही हो ,, जे आज कल के लौंडी बहुत शातिर है, राम ना करे कही हमाये आयुष को


शान्ति - ना ना दुल्हिन कुछ जल्द ही करे के पड़ी अब
मीरा इतरा कर - जे छोटा मुह बडी बात कर रहे है अम्मा जी लेकिन हमायी चारु मे कोनो कमी ना हैगी ,, जे आप कहो तो बुआ से

मीरा ने शान्ति को टटोला

शान्ति कुछ सोच कर - जे बात तो तुम सही कह रही हो दुल्हीन ,,,,और तुम्हाये हिसाब से बबुआ उको पसंद भी करत है

मीरा मुस्कुरा कर - हा अम्मा , हमको अपनी हमायी नयकी देवरानी बहुत परसन्द है ,तुम का कहत हओ अम्मा

शान्ति - ठीक है दुल्हीन अब आशिष के बाऊजी से बात करित है फिर हम तुमको बताइत है।



बहुमत और गठबंधन
इधर मीरा शाम दाम दण्ड भेद सबका प्रयोग कर शुक्ला भवन के एक एक वोट को अपनी तरफ कर अपना बहुमत करने की पूरी प्लानिंग कर ली थी ।
वही इस गंदी राजनीति से दुर हमाये शिक्षित , मासूम और इमानदार प्रत्याशि यानी आयुष बाबू तो फिलहाल 3D से फोन पर शॉपिंग की प्लानिंग कर रहे थे और 11 बजे से निकलने का बोल देते है ।
सटीक 11 बजे आयुष बाबू तैयार होकर निचे आते है तो हाल मे चल रही एक गुप्त सभा अचानक से शांत हो जाती है ।
इस सभा की अध्यक्षता कर रही श्री मती मीरा शुक्ला , जो इस वक़्त अभी अभी थोडी देर पहले उनकी पार्टी से जुडी नयी कार्यकर्ता यानी शान्ति शुक्ला के साथ मिलकर , शुक्ला भवन के मुखिया के साथ दुसरी पार्टी यानी चौबेपुर वाली मिश्राईन से गठबन्धन कराने पर गम्भिर चर्चा कर रही थी ।

आयुष - भऊजी हम 3D के साथ शॉपिंग के लिए जा रहे है ,, अभी आ जायेगे

शान्ति - अरे आयुष ,,,जे खाना बन गयो है खा के जाते

मीरा अपनी सास का कन्धा दबा कर चुप रहने का इशारे करती है
आयुष - नही अम्मा , अभी आकर खा लेंगे हम


फिर आयुष निकल जाता है और इनकी सभा फिर से निरविघन चलने लगती है ।
इधर आयुष 3D के साथ निकल जाता है और दोनो एक शॉपिंग माल जाते है और वहा आयूष अपने आरामलायक कुछ प्रोफेशनल सूटस और कुछ कैजुअल ड्रेस लेता है ।

फिर बिल्लिंग के बाद दोनो उसी माल के रेस्तरां मे जाते है और खाने का ओर्डेर देते है ।


3D मस्ति मे - अउर बताओ आईआईटीन बाबू ,, कौन सी ट्रेन पकड़ी रहे हो ,,पूरवा, प्रयागराज, मगध या फिर उ नयकी वाली तेजस


आयुष ह्स के - अरे नही नही यार ,,,कम्पनी ने प्लेन की टिकट करायी है।

3D मुह बनाकर - अबे कर दिये ना गोबर सब तुम

आयुष हस कर - काहे बे
3D - तुम हमको बताओ इ तुमाओ जो पलेन है उ कानपुर से दिल्ली कीतना देर मा पहूचाइ

आयुष ह्स कर - 1 घन्टा 20 मिंट मे
3D- औ ट्रेन
आयुष - कम से कम 6 घन्टा मे
3D - हा फिर कर लिये ना घाटा

आयुष हस कर - अबे कैसा घाटा

3D- गुरू पलेन मे मुते के लिए मौका कम मिलत है इही घाटा है
आयुष ह्स कर - मतलब
3D- अबे तुम इन्जीनियरी कर लिये लेकिन सामाजिक गणित बहुते ही भीक है तुम्हारा

3D- अरे ट्रेन मे जाये का अलग ही मजा है ,,6 घन्टा का सफ़र मा 3 से 4 बारी तो मुतने जाओगे औ उही बहाने पुरे डिब्बा मे कोनो ना कोनो बढिया माल ने नैन मटक्का होई जाई और फिर
तुम अब नौकरी वाले हो गये हो गुरू ,,, औ फ़र्स्ट क्लास एसी वालन डब्बा मे जउन कन्टास माल होत है ना गुरू


आयुष 3D की बात सुन कर - अबे ऐसे थोडी ना किसी भी डिब्बा वाली को हम अपनी प्रेमिका बना लेंगे ,,
आयुष अपनी मनोसंगीनी को अपनी कल्पना मे एक रुप देते हुए - यार 3D हमारी कलपना की लड़की ना ऐसी थोडी होगी । वो तो कुछ अलग होगी , अब तुम पुछोगे तो हम बता नही पायेंगे मतलब जमाने से बिल्कुल अलग , जो भीड़ मे होकर भी भीड़ का हिस्सा नही होगी इतनी अलग
इधर आयुष की बाते खतम हुई नही कि उनका खाना आ गया

3D- अबे छोडो इ प्रेम पुराण औ पेल के खाओ कनपुरिया पेशल थाली ,,, काहे की गुरू तुम हो चार दिन के मेहमान, औ इहा से जाये के बाद सबसे ज्यादा इहे याद आईगा प्यार मुहब्बत नाही
आयुष 3D की बात सुन कर मुस्कुरा देता है ।


घर वापसी के दौरान
3D कुछ सोच कर - अरे गुरू तुमको तो हम एक बात बताना ही भूल गये ,,
आयुष - क्या बताओ बे
3D- अबे आज एक जगह शादी मे जाना है औ हमारा अकेले जाने का बिल्कुले मूड नही है ,,
आयुष हामी भर देता और घर वापस आकर मीरा को सूचना भी दे देता है ।

लेकिन इधर जब आयुष बाबू शॉपिंग रेस्तराँ मे व्यस्त थे उधर शुक्ला भवन मे मीरा का बहूमत हो गया यानी बाहुबली शान्ति देवी के मजबूत दबदबे तथा सुशील , संस्कारी और गुणवान प्रत्याशी मीरा शुक्ला के आश्वाशन पर मनोहर शुक्ला भी पार्टी जॉइन कर चुके थे ।

शाम हुई और रात के भंडारे से पहले फिर पार्टी मिटिंग हुई जिसमे आशिष शुक्ला भी शामिल हुए और तमाम स्वार्थ संबंध मूल्यो को ही ध्यान रख कर ये तय हुआ कि कल सुबह नास्ते के दौरान ही आयुष से बाते की जायेगी ।


गठबन्धन मे एक और गांठ

इधर रात मे आयुष तैयार होकर 3D के साथ शादी मे चला गया और अगली सुबह नास्ते पर शुक्ला भवन मे गठबन्धन की तैयारी चल रही थी ।
इस बार शान्ति शुक्ला की अध्यक्षता मे चल रही इस सभा मे मिश्राइन की पार्टी से उनके कुछ एजेंडे संबन्धि सवाल पुछे गये और गठबन्धन हेतु आर्थिक रूप से कितनी मदद कर सकती है इस पर भी ।


मगर इस सभा के आयोजन की खबर किसी और को भी थी और वो ऐन मौके पर शुक्ला भवन मे प्रवेश करते है ।
कौन थे ? क्या थे ? किस लिये आये थे ?
ये आगे ही पता चलेगा लेकिन इस नये आगन्तुक से पुरे सभा मे सिर्फ मीरा शुक्ला के चेहरे की हवाईया उड़ी हुई थी ,,

जारी रहेगी


🙏
समस्त पाठक बंधुओ के आग्रह है कि आप अपने मत अनुसार इस अपडेट को अपनी भारी से भारी मात्रा मे रेटिंग दे और इस कहानी को लेके अपनी प्रतिक्रिया जरुर व्यक्त करे।
धन्यवाद
Update was great, always :hug2: Meera's seductive style and very attractive and easy to feel love :love2: me yah dek kar paglu ho gaya :faint: kya baat hai :sex2: ke liye bhi code hota hai aaj pata chala :shy2: ab koi bhabhi ya aunty seductive style me kuch bole gi to me samaj jau :sex: ka bol rahi hai :hehe2: vese mera ne dhudu de kar ayush se work hard :chop: mera is trying her best :lol:
Now let's see what happens next, Till then waiting for the next part of the story.
Thank You...
:thanks::thanks::thanks::thanks::thanks::thanks::thanks::thanks::thanks:
 
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Meera ke boobs kacha chaba jau :sex:
 
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रात बाकी, बात बाकी
मीरा को जो करना है कर लेने दो
जो हो रहा है वो हो जाने दो
ज्यादा सोचो ना , सिर्फ देखते जाओ
मीरा की कारवाही को बस प्यार से 🤭
:hugme: morning wala hug
 
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अब तक आप सभी ने पढा कि पुरे शुक्ला भवन के स्टाफ मेम्बर से चोरी चोरी चुपके चुपके मीरा ने चारु को अपनी देवरानी बनाने की फुल प्लानिंग कर ली और पहला मोहरा ने खुद चारु को बनाया उसका ब्रेन वाश किया और उसे सपनो का आशियां दिखा दिया । इधर हमारे नायक साहब को भनक तक नही कि उनके लिये क्या कयामत आने वाली है । वो तो अपने मन मौजी दोस्त 3D के साथ घूमने निकले हुए हैं । और 3D उसे एक सिनेमा हाल की ओर ले जा रहा है । तो देखते है आज कौन फ़िल्म चलने वाली है इस कहनी मे
अब आगे



प्यार का पंचनामा
3D आयुष को लेकर एक सिनेमा हाल के पास आता है और गाड़ी पार्क करता है ।

आयुष - अबे कल रात की नौटंकी उतरी नही जो फिर से पिच्चर दिखाये लेके आ गये

3D आयुष को चिल्ल कराता हुआ - अबे शुक्ला तुम भाउक बहूते जल्दी हो जाते हो यार ।

3D एक फालुदा स्टाल के ओर इशारा करके - उधर देखो क्या है
आयुष की नजर फालुदा स्टाल पर जाते ही चेहरे पर मुस्कान आजाती है - अबे इ तो वही अपने कालेज के बाहर वाला फालुदा स्टाल है बे

3D थोडा अपने अंदाज मे - हा तो ,
आयुष - लेकिन ये तो बंद हो गया था ना
3D- अबे तुम्हाये लिये हम फायनैन्स कराये इसको बे
आयुष चौक कर - सच मे
3D हस्ते हुए - गुरू तुम फिर भाऊक हो गये ,,, वो बाऊजी से सूद का पैसा लेके खोला है शानू ने

आयुष उसका मजाक समझ कर अपना माथा पीट लेटा है ।

फिर दोनो स्टाल पर जाते है
3D - अरे शानू ,, दो फालुदा कुल्फ़ी लगाओ विथ एक्स्ट्रा कोल्ड ,,,, इतना समझ लो कि आज इ फलुदा की सीलन हमाये इन्जीनियर साब के नीव तक जाये के चाही

आयुष 3D के नानवेज जोक पर हस्ते हुए उसकी गर्दन पीछे से दबोच कर कुछ बर्फ के टुकड़े उसके कुर्ते के अन्दर हाथ डालकर उसकी बनियान मे गिरा देता है।

अब 3D को ठण्ड भरी गुदगुदी होने लगी और बर्फ निकालते निकालते उसका डीप बेली एरिया भीग गया ।

आयुष हस कर 3D को उसका भीग हुआ हिस्सा दिखाते हुए - हा अब पहुची है नीव मे सीलन हाहाहाहा

3D झल्ला कर - क्या यार शुक्ला , तुम सारा गिला गिला कर दिये बे

आयुष हस कर - अबे थोडा सा ही तो है , निमोनिया नही हो जायेगा तुमको उससे

3D रौंदू सा मुह बना कर- अरे यार स्वीटी आ रही होगी मिलने हमसे ,,, का सोचेगी ऊ

आयुष और तेज हसने लगा
और 3D भैया की बुरी किसमत तो देखो , स्वीटी ठीक उनके सामने ही आ गयी ।
और उसको देखते ही 3D घूम जाता है

स्वीटी सामने से एक साइड बैग लिये आयुष से मुखातिब होते हुए - अरे आयुष जी ,, का हो गया इनको ,

स्वीटी 3D से - काहे मुह छिपा रहे है दुबे जी

तो कहानी मे एक और नये किरदार की एन्ट्री हो गयी है
नाम - स्वीटी
20211118-185859
उम्र कद अता पता ठिकाना ये सब तो बाद मे भी जान लेंगे लेकिन फिलहाल इतना जान लिजीये , ये हमारे 3D की प्रेमिका है और स्वभाव से थोडी कम अकल और बक्लोल टाइप की लगती तो है मगर स्ट्रेट फोर्वोर्ड मिन्ड सेट ,,, किसी के झांसे मे नही आती है ।


3D रौंदू सी शकल के साथ स्वीटी की ओर पीठ किये - काहे की हम मुह दिखाये लायक नही रहे स्वीटी,,,

स्वीटी चौक के - का !!!!
स्वीटी तेजी से रोते हुए - कौन मुइ आपके साथ मुह काला कर गयी ,हाय राम !!!!

3D पलट कर स्वीटी के कन्धे को पकड कर - अरे नही नही यार हम अभी भी स्टील भरजिन है ,,, यार बताओ ना शुक्ला

स्वीटी सुबकते हुए - पक्का ना ,किसी और से वो सब
3D स्वीटी को विश्वास दिलाते हुए - तुम्हाई कसम स्वीटी ,,,

आयुष उन दोनो की बाते सुन कर हस रहा होता है ।

तभी स्वीटी की नजर 3D के भिगे पजामे पर गयी और 3D से दुर होते हुए अपनी नाक पर हाथ रख कर बोली - आप दारु पिए हो का ,,,जे पैंट मे ही सब लभेड़ लिये हो

3D परेशान होकर - अरे नाही हमार अम्मा ,, इ शुक्ला ,

3D आयुष को दिखा कर - इ शुक्ला ने बर्फ डाल थी हमाये कपड़ो म तो गलत जगह से बही रहो है

आयुष उन दो प्यार के कबूतरों के चोच लड़ाई से काफी ज्यादा हस हस कर पागल हुआ जा रहा था ।
तब तक शानू ने फालूदा तैयार किया और फिर तीनो ने खाया और थोडा गप्प हाके और फिर 3D ने एक इ-रिक्शा रुक्वाया

3D- यार काहे इतना चिकचिक की हो ,, चलो ना हम छोड दे रहे है घर
स्वीटी इतरा के रिक्से मे बैठते हुए - हम कह दिये ना ,, अब आप अम्मा बाऊजी को लेके ही आईयेगा घर ,तब ही आपके साथ घूमेंगे

स्वीटी - चलो भैया , वर्मा कालोनी लेलो

फिर इ-रिक्शा वाला स्वीटी को लेके निकल जाता है ।

3D पिछे से आवाज देता है - स्वीटी सुनो तो ,
मगर वो आगे जा चुकी थी ।

आयुष 3D को उदास देख कर - अबे इतना प्यार करते हो तो शादी कर काहे नही लेते बे

3D उखड़ कर - यार हम तो तैयार है , लेकिन बाऊजी तो रट लगाये है ना कि लड़के वाले है हम नाही जायेंगे बात करने ,,,

3D झल्ला कर - जे कोनो बात होता है का शुक्ला ,,, यार बडी मुस्किल से उसका तीन रिस्ता तुड़वाये है ,,, 23 की हो गयी है तो बाप को बोझ लग रही है


आयुष 3D की भड़ास पर चुपचाप मुस्कुराता रहा
क्योकि वो जानता था अगर वो थोडा भी रियक्ट करेगा तो फिर से 3D अपना वही पुराना रोना गाना लेके बैठ जायेगा ।


मेरा पिया घर आयो

इधर हमारे नायक साहब मौज मस्ती मे थे वही ,, शुक्ला भवन की इंचार्ज ने आज अपने पति को लपेटने की तैयारी मे थी ।
तो शाम से किचन मे लगी पड़ी है और नये नये अशीष के मनपसंद पकवानो की तैयारी मे लगी है ।

वही निचे के कमरे मे टीवी के आगे बैठे हुए मुन्शी जी की मैनेजर श्री मती शान्ति शुक्ला जी भन्नाय जा रही है

शान्ति - जे सूंघ रहे हो अशीष के बाऊजी ,, जे सब ऊ चौबेपुर वाली मोटासी के खाये के लिए बन रहो है

मनोहर अपनी पत्नी की बातो से मुस्कुरा कर वापस टीवी मे ध्यान लगा देते है

तभी उनको एक बढिया म्साले के भूनने की महक आती है

शान्ति अपना माथा पिटते हुए - हय भोलेनाथ!!! देखो देखो ,,अशीष के बाऊजी ,, आपन बड़के जो महगा वाला मसालो ला के दियो रहो ,,जे भी डाल रही है दुल्हीन


मनोहर शान्ति को समझाते हुए - अरे तुम का फाल्तू की बात लेके बैठ गयी हो आशिष की अम्मा ,,, मेहमान है , खायेंगे ही ना
इधर किचन मे छौका तडका जोरो पर था और मीरा के दिमाग मे आगे की प्लानिंग भी ।

शाम ढली और आशिष जी घर आये और फिर थोड़ी ही देर मे आयुष बाबू भी ।

हाल मे घुसते ही आयुष की नजर अशीष पर गयी ।
आयुष किचन से आते खाने की खुस्बु लेते हुए - आह्ह भैया का पक्वा रहे हो आज भऊजी से

आशीष किचन मे आवाज देके - का बना रही हो मीरा ,, बड़ी जोरदार महक है

मीरा हाथ धुल कर बाहर आई- अरे आ गये का आप ,, रुकिये पानी लाई रहे है

मीरा कीचन से पानी लेके वापस आई तो आयुष ने पुछा- का बनाई हो भऊजी ,, गजब की खुस्बु है

मीरा थोडा मुस्कुरा कर - कुछ नाही देवर जी बस खाना ही तो बनाये हैगे ना

आयुष अपनी नाक सुरकते हुए - फिर भी आज कुछ चटक महीक रहा है,, है ना भैया

आशीष - अब तो खाने का मन है बबुआ ,, ये मीरा खाना लगाओ

फिर सब खाने के लिए बैठ जाते है और खा कर सब मीरा की तारिफ करते है सिवाय शान्ति जी के ,,, कारण तो जानती ही है आप लोग ,,,भई उनका महगा वाला मसाला जो खर्च हुआ था


राणा जी मुझे माफ करना

यहा सब खाने पिने के बाद अपने कमरे मे गये और मीरा आखिर मे दो ग्लास दूध लेके उपर गेस्टरूम मे जाती है ।

जिसे देख कर सोनमती मुस्करा कर - अरे नाही नाही मीरा, हमसे दूध नही पिया जाता है ,,,गैस होती है

मीरा तुनक कर मुह बनाते हुए - अरे ENO डालो है इमा बुआ, गटक लो गटक लो

सोनमती बिस्तर से उठ कर दूध का ग्लास लेने आती है तो मीरा डांटते हुए - जे पगला गयी का बुआ ,,,जे दूध हम आयूष के लिए लाये है

सोनमती मीरा का टोंट सुन कर थोडा अजीब सा मुह बना कर हसती है

मीरा चारु से - हे पगली इधर आ
फिर चारु उठकर आती है और मन गिरा कर बोलती है - अब का है जीजी ,,

मीरा उसको एक ग्लास दूध थमा कर- जा आयुष को देके आ ,,और सुन थोडा बात कर लेओ और थोडा ,,,समझ रही है ना

सोनमती उलझन से - का करने को बोल रहि है मीरा उको ,

मीरा चारु को दूध के साथ बाहर भेजते हुए - हे पगली तू जा, और ध्यान रखना जे हम बोले है

सोनमती मीरा को खीच कर - अरे ऊ ग्लास तो आयुष के लिये था तो जे किसके लिये है

मीरा शर्मा के - जे ग्लास हमाओ उनको लिये है बुआ हिहिही

सोनमती भी समझ गयी और वो सोने चली गयी ।
वही आयुष के कमरे मे चारु दूध लेके घुसती है ।

आयुष - अरे चारु तुम , ये भाभी भी ना तुमको भी भिड़ा ली है घर के काम मे हिहिही

चारु थोडी डरी हुई मुस्कराइ क्योकि मीरा ने उसे आयुष से घूलने मिलने के लिए भेजा था , अपने हुस्न का जादू चलाने भेजा था

मगर हमारे आयुष बाबू तो संत ठहरे ,,मजाल है कोई माया उन्हे अपने जाल मे फास ले ।

इधर चारु बडी उल्झन मे थी कि क्या करे , कहा से सुरु करे ,, एक तो घबडाहट मे उसका दिमाग भी सही से काम नही कर रहा था ।।
बडी कोसिस कर चारु ने मीरा के सिखाये अदाओ मे से एक का इस्तेमाल करते हुए ,दूध का ग्लास टेबल पर रख कर, एक बार आयूष के सामने ही अपने लम्बे बालो को झटका कर एक तरफ से दुसरे तरफ करना चाहा लेकिन उसके बालो की चुटिया आयुष बाबू की कनपटी पर ऐसे जोर कि पड़ी की आयुष बाबू तुरंत चौन्हा गये और अपना कान पकड कर लेट गये ।


चारु को ज्ञान हुआ की उस्से गलती हुई है और जब उसे ध्यान आया कि उसके बाल खुले हुए ही नही है तो मन मे बड़बड़ाई - हाय राम जे बडी गडब्ड़ी हय गयी ,, जे ईसटाइल तो जीजी ने भिगे बालन के साथ करने के कही रही

और चारु इतना डर गयी कि बस इतना बोली - सारी आयुष जी

और फिर कमरे से भाग गयी ।


जारी रहेगी



इजहार ए मोहब्बत
अरमानो के सेज सजाये , उम्मीद का दिया लिये
आपके की प्रतिक्रिया के इंतजार मे
Bhai sweety ki nudes he to post dena :drool: XP 007 bhai ke bhi yehi demand he. :D
 

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