दोस्तों आज बड़े ही रोमांटिक मूड में लिखना शुरु कर रहा हूं ।
आशा करता हूं आप सब लोग भी खुश होंगे और इंतजार कर रहे होंगे मेरी अपडेट का तो चलिए शुरू करते हैं आगे की कहानी लेकिन इस romantic मूड में मेरी एक शायरी तो बनती है। तो चलिए इस शायरी के साथ शुरू करते हैं अपनी आगे की कहानी।
यह कहानी है मेरी चुदाई की भाषा ,
यह कहानी है मेरी चुदाई की भाषा,
लिखता हूँ मैं इसको रोज जरा सा।
****** के इन कोरे कागजों पर,
लिखता हूँ मैं बेहिचक ये खुलासा ।।
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दोस्तों पूरी रात चुदकर पूजा सो गई ।
अब चलते हैं सोमनाथ और उपासना की तरफ तरफ
आपने पीछे पढ़ा - उस लज्जत भरी चीख के बाद उपासना ने दर्द को सहन करते हुए कहा - अपनी बेटी की चूत फाड़ कर रखने की कसम खाकर आए हो क्या पापा ।
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अब आगे ---
अब सोमनाथ और उपासना की आंखों का कनेक्शन भी टूट चुका था ।
जैसे ही उपासना के मुंह से चीख निकली सोमनाथ एक कुटिल मुस्कान के साथ मुस्कुराता हुआ उसकी आंखों में देख कर बोला ।
सोमनाथ - अभी तो तुमने मुंह खोला है इतनी देर से तुम्हारे इशारे की प्रतीक्षा कर रहा था । लेकिन तुमने कुछ बोला ही नहीं इसलिए मुझे डालना पड़ा ।
उपासना ने अपना चेहरा दूसरी तरफ मोड़ लिया और सारा दर्द भूल कर एक बहुत ही प्यारी मुस्कान के साथ बहुत धीरे से बोली।
उपासना- मैं तो देख रही थी कि अपनी बेटी की चूत के लिए कितने उतावले हो रहे हैं आप।
सोमनाथ - अगर दुनिया में हर किसी की बेटी की चूत तेरे जैसी होगी तो उतावला तो होगा ही । देख ले आधा लंड ही गया है तेरी चूत में अभी ।
उपासना ने अभी तक चेहरा सोमनाथ की तरफ नहीं किया था।
अपने चेहरे को दूसरी तरफ ऐसे ही मोड़े हुए हुए बोली ।
उपासना - मुझे नहीं देखना।
सोमनाथ - अगर नहीं देखोगी तो मैं आगे नहीं बढूंगा ऐसे ही रुका रहूंगा।
उपासना अभी भी कुछ नहीं बोली बस धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी ।
जब उपासना की तरफ से कोई आवाज नहीं आई तो सोमनाथ ने उसके ऊपर झुके हुए ही आधा लंड उसकी चूत में फंसाए रखा और अपना हाथ उसके कूल्हों पर ले जाकर उसकी गांड के छेद को कुरेदने लगा ।
अपनी गांड के छेद पर अपने बाप की उंगली महसूस करके गनगना उठी उपासना।
उसने एक साथ सोमनाथ की नजरों में देखा (बड़ी ही सवालिया दृष्टि से)।
उपासना के चेहरे पर हैरानी के भाव से देखकर अब सोमनाथ ने उसकी आंखों में देखते हुए अपना लोड़ा सुपाड़े तक बाहर खींचा और फिर धीरे से मुस्कुरा कर बोला- तैयार है क्या मेरी बेटी ।
उपासना उसकी आंखों में सवालिया नजरों से देखते हुए बोली- किसके लिए तैयार होना पड़ेगा मुझे ।
सोमनाथ- दूसरे झटके के लिए ।
उपासना - तैयार तो मैं पहले झटके के लिए भी नहीं थी लेकिन आपने वह भी लगाया ना, तो दूसरे के लिए क्यों पूछ रहे हैं ।
सोमनाथ- इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि पहले झटके में ही तुम कुत्तिया की तरह गला फाड़कर चिल्लाई हो ।
यह सुनकर उपासना बुरी तरह से शर्मा गई और अपना चेहरा सोमनाथ के चेहरे की तरफ से मोड़ लिया और शर्माते और मुस्कुराते हुए बोली- आप मेरी चिंता ना कीजिए, मैं कितनी भी चीखू या चिल्लाऊं लेकिन अब आप अपनी पूरी ताकत लगा दीजिए अपनी बेटी को चोदने में ।
यह कहकर शर्माती हुई उपासना ने अपनी आंखें बंद कर लीं ।
सोमनाथ ने उपासना से कहां अपना चेहरा मेरी तरफ करो।
उपासना फिर सवालिया नजरों से सोमनाथ को देखने लगी और अपना चेहरा सोमनाथ की तरफ कर दिया।
सोमनाथ - अब अपना मुंह खोलो ।
उपासना को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्योंकि लंड का सुपाड़ा तो उसकी चूत में था फिर अब सोमनाथ मुंह क्यों खुलवा रहा है, लेकिन उसने सोचते हुए मुंह खोल दिया ।
सोमनाथ ने उपासना के खुले हुए होठों को अपने मुंह में भर लिया और सोमनाथ ने अपने चूतड़ों में अपनी जान इकट्ठी करके पूरी ताकत से एक जोरदार झटका मारा। झटका इतना तगड़ा था कि सोमनाथ की जांघें उपासना की जांघो से मिल गई ।सोमनाथ के लटके हुए टट्टे उपासना की गांड की लकीर से मिल गए ।
कहने का मतलब है दोस्तों सोमनाथ ने अपनी बेटी की चूत में अपना लंबा लौड़ा जड़ तक ठोक दिया था और जैसे ही यह झटका लगा उपासना का मुह जो अभी सोमनाथ के मुंह में था। उपासना के मुंह से इतनी तेज चीख निकली लेकिन उपासना के होंठ सोमनाथ के मुंह में होने की वजह से चीख सोमनाथ के मुंह में ही घुट कर रह गई ।
सोमनाथ को महसूस हो रहा था की उपासना कितनी जोर जोर से हांफ रही है और उसकी मुंह से निकलती हुई उसकी सांसें सोमनाथ के मुंह में भर रही हैं ।
ऐसे ही जड़ तक चूत में लंड को ठोके हुए सोमनाथ ने उपासना की आंखों में
झांका तो पाया की उपासना की आंखों से आंसू निकल रहे हैं .।
सोमनाथ ने अब देर करना उचित नहीं समझा और उपासना के मुंह को अपने मुंह में भरे हुए दो तीन झटके उपासना की चूत में चेंप दिए ।
अब दर्द तो उपासना को असहनीय हो रहा था लेकिन कर भी क्या सकती थी उपासना का मुंह तो सोमनाथ के मुंह में था चूत लोड़े के नीचे थी और उपासना को जकड़ा हुआ था सोमनाथ ने। ऐसे ही दबी दबी अपने हालातों से समझौता करने लगी उपासना।
उपासना के साथ कुछ ऐसा सीन हो गया था कि उसकी चौड़ी गांड बेड के गद्दे में धस गई थी और उसका बाप सोमनाथ उसके ऊपर चढ़ा हुआ था।
सोमनाथ का लंड उपासना की चूत में गहराई तक बैठा हुआ था और उपासना का मुंह सोमनाथ के मुंह में अगर आवाज आ रही थी तो गों गों गों और दोनों को एकदूसरे की सांसो की आवाज आ रही थी।
अब सोमनाथ ने अपने एक हाथ से उपासना की आंखों से बहते आंसुओं को पूछा और अपने मुंह से उपासना के होंठो को छोड़ते हुए अपना चेहरा अलग कर लिया ।
जब सोमनाथ ने अपने मुंह से उपासना का मुंह दूर किया तो उपासना और सोमनाथ के मुंह के बीच में दोनों के थूक की लार खिंचने लगी ।
सोमनाथ ने अपना मुंह बिना साफ किए ही अपने थूक लगे होठों से मुस्कुरा कर कहा - मेरी बेटी का मुंह तो बड़ा मीठा है ।
दूसरी तरफ उपासना ने भी अपने मुंह को साफ करने की कोई पहल नहीं की।
उपासना ने तो बस सोमनाथ के थूक में सने हुए मुंह को एक तरफ किया और बड़ी ही मादक आवाज में धीरे से मुस्कुरा कर बोली - चूत मीठी नहीं लगी क्या अपनी बेटी की ।
उपासना के इस अंदाज से भनभना गया सोमनाथ का लोड़ा और चुदास का पागलपन सोमनाथ के चेहरे पर ऐसा छाया कि उसने अपनी पूरी ताकत से 10 12 धक्के उपासना की चूत में पेल दिए ।
धक्के इतनी ताकत और स्पीड से मारे गए थे की उपासना इन धक्कों की वजह से सांस नहीं ले पाई उसका मुंह बस पूरा खुला हुआ था और अपने बाप के लंबे लोड़े के तगड़े तगड़े झटके अपना मुंह खोलो हुए ही अपनी चूत में लील गई ।
ऐसा नहीं है कि उपासना को दर्द नहीं हुआ था, दर्द तो उपासना को हुआ था लेकिन सोमनाथ की लौड़ा बजाने की स्पीड ने उपासना को दहाड़ने या गला फाड़ने का मौका का ही नहीं दिया । बस उसकी तो चूत में लंड सुपाड़े तक आता और जड़ तक बैठ जाता ।
धक्के लगाने के बाद सोमनाथ ने फिर अपना लौड़ा जड़ तक उपासना की चूत में बिठाकर रुक गया और फिर मुस्कुरा पड़ा उपासना के चेहरे को देखकर ।
अब उपासना ने अपना खुला हुआ मुंह बंद किया और उस लज्जत के एहसास से अपना चेहरा दूसरी तरफ मोड़ा और मुस्कुरा कर धीरे से बोली- आज मौका है अपनी बेटी को इस बिस्तर में रगड़ लीजिए जितना मन करे। मैं पीछे नहीं हटूंगी।
फिर अपने होठों से मुस्कुरा पड़ी उपासना और फिर मुस्कुराते हुए बोली- काश मुझे पहले पता होता मेरा बाप इस तरह रौंदता है किसी को बिस्तर में , इस तरह की गांड से गांड मिला देता है झटके मारते हुए तो मैं तो पता नहीं अब तक कितनी बार अपने बाप के नीचे लेट जाती ।
सोमनाथ गर्म होने लगा था उपासना की इन बातों से क्योंकि वो बेहद ही गरम बातें उपासना कर रही थी और ऊपर से ऐसे शर्मा भी रही थी जैसे किसी को बहकाकर चोदा जा रहा हो जबकि उपासना चुद अपनी मर्जी से ही रही थी।
अपने चेहरे पर शर्मो हया और लज्जा का मुखौटा पहने हुए किसी सस्ती रांड से भी ज्यादा गरम बातें उपासना कर रही थी मुस्कुराते मुस्कुराते।
उपासना के इसी अंदाज पर तो मर मिटा था सोमनाथ ।
लोड़ा अपनी बेटी की चूत में उतारने का एहसास करके और लंबा होता जा रहा था । सोमनाथ का दिल अपनी गदरायी हुई बेटी के ऊपर चढ़कर स्वर्ग में महसूस कर रहा था मानो जैसे वही दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान है।
अब सोमनाथ ने उपासना की टांगों को उठाकर अपने कंधे पर रख लिया और झुक गया। फिर उपासना के चेहरे की तरफ देखने लगा ।
जब सोमनाथ अपने कंधे पर उपासना की टांगे रखकर उसके चेहरे पर झुका उसके चेहरे पर झुका तो उपासना की टांगे भी उसके चेहरे की तरफ मिलने लगी और नीचे से उपासना की गांड ऐसे खुल गई जैसे उसके कोई चूतड़ नहीं बल्कि तबले हो । मोटी और भारी भारी गांड बिल्कुल उभर कर आ गई थी लेकिन दबी हुई थी सोमनाथ के तगड़े तंदुरुस्त शरीर के नीचे और उपासना की चूत में भरा हुआ था सोमनाथ का लंबा सा लोड़ा ।
इस पोजीशन में करके जब सोमनाथ ने उपासना को जकड़ कर एक तगड़ा झटका मारा तो इस बार तो कुछ अनोखा हुआ।
हां दोस्तों अनोखा यह हुआ क्योंकि उपासना की गांड उठकर फैल गई थी जिस वजह से जैसे ही सोमनाथ ने झटका मारा तो एक फट्ट की आवाज बहुत तेज हुई। सोमनाथ को मजा आया उसने दो तीन झटके लगातार मारे आवाज तो बहुत तेज होती पट पट पट लेकिन अब उस आवाज में उपासना की लज्जत भरी चीखें थी ।
आज अपनी बेटी का मर्दन कर रहा था एक बाप उसकी जवानी के ऊपर चढ़कर । उसकी गांड से अपनी झांटों को मिलाकर ,जड़ तक उसकी चूत में लंड को चेंप रहा था ।
अब सोमनाथ ने तीन चार झटके लगाए तो उपासना की चूत ने चिकने चिकने पानी से सोमनाथ के लंड को नहलाना शुरू कर दिया । लोड़ा चमकने लगा उपासना की चूत के पानी से ।
बाहर आता तो चमकने लगता फच्च की आवाज से वापस चूत की गहराई में चला जाता और इस फच्च की आवाज के साथ साथ एक और आवाज होती जो सोमनाथ और उपासना की जांघों के मिलने से फट की आवाज होती थी ।
अपने बाप के नीचे आधे घंटे तक ऐसे ही चुदने के बाद जब उपासना दो बार झड़ गई पर अब भी उपासना अपनी गर्मी निकलवाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी । अभी कोई ऐसा भाव उसके चेहरे पर नहीं था जिससे पता लगे की उपासना अपने बाप को अपने ऊपर से हटाना चाहती है ।
उपासना के चुदाई भरे चेहरे को देखकर यही कहा जा सकता था कि ऐसी घोड़ी पर तो चढ़े रहो इतनी आसानी से ठंडी नहीं होती यह घोड़ी ।
इसी अंदाज में आधे घंटे तक चोदने के बाद अब सोमनाथ ने उपासना की चूत से अपना लौड़ा बाहर किया तो उपासना को अपनी चूत बिल्कुल खाली खाली लगने लगी । चूत का छेद अब पहले की तरह बंद नहीं हो रहा था खुला हुआ छेद अंदर तक दिख रहा था जिसमें ध्यान से देखने पर अंदर सिर्फ अंधेरा ही देख रहा था ।
अपनी चूत पर इस तरह बेरहमी से लंड बजवा कर भी उपासना अभी ठंडी नहीं हुई थी अब सोमनाथ बेड पर सीधा लेट गया उपासना शर्माते और मुस्कुराते हुए बराबर में बैठी हुई थी ।
उपासना को सोमनाथ ने इशारा किया कि आकर मेरे लंड पर बैठ।
सोमनाथ की तरफ से यह इशारा देखकर उपासना शर्मा दी और मुस्कुराती हुई बोली - अब मैं अपने बाप के ऊपर चढूं क्या ?
सोमनाथ - जब बाप बेटी के ऊपर चढ़ा हुआ था तब तो तुम्हें कोई प्रॉब्लम नहीं थी । तो तुम क्यों नहीं चढ़ सकती।
इसका कोई जवाब उपासना के पास नहीं था लेकिन फिर भी बोली- वह तो आप चढ़े हुए थे मेरे ऊपर , मैं कैसे मना करती।
सोमनाथ- ऐसे ही तुम चढ़ जाओ, मैं भी अपनी बेटी को चढ़ने के लिए मना नहीं करूंगा ।
उपासना ने एक बार लंड पर नजर डाली उसके बाप का लंड खड़ा हुआ था।
उपासना को सबर नहीं हुआ और आव देखा न ताव सोमनाथ के ऊपर लेट गई और अपने होठों से सोमनाथ की गर्दन पर चूम लिया है।
लेकिन लोड़ा तो चूत में घुसा ही नहीं था जब सोमनाथ ने देखा उसकी बेटी उसके ऊपर चढ़ गई है लेकिन लंड चूत में अभी तक नहीं उतरा तो उसकी पानी छोड़ती हुई चूत पर लंड को ऐसे ही रगड़ा और अपने हाथ से अपने लंड को उपासना की खुली हुई चूत का रास्ता दिखा दिया।
आधा लंड तो बिना किसी मेहनत के आराम से उतर गया उपासना की चूत में।
अब सोमनाथ ने चौड़े चौड़े नितंबों पर अपना हाथ रखा और नीचे से अपनी गांड उठा दी । इस तरह से गांड उठी तो उपासना की चूत में लौड़ा पूरा सरक गया । एक दबी हुई सिसकारी उपासना के मुंह से निकली लेकिन शर्मा कर सिसकारी दबा ली उपासना ने ।
सोमनाथ कहां कम था बेशर्मी से बोला- ले गई पूरा लौड़ा अपनी चूत में।
उपासना- जब बेटी को अपने ऊपर चढ़ा कर उसकी चूत में लंड डाला जाएगा या बेटी के ऊपर चढ़कर उसकी चूत को अपने लंड से भरा जाएगा तो लंड चूत की जगह कहीं और तो जाएगा नहीं पापा । चूत में ही जाएगा ना।
सोमनाथ- समझदार हो गई है तो मेरी बेटी अब।
उपासना - समझदार नहीं, लंडो की दीवानी हो गई है , लंडो से ठंडी होना सीख लिया है आपकी बेटी ने ।
सोमनाथ- तो अब मैं आगे का क्या समझूं , ऐसे ही ठंडी करता रहूंगा क्या मैं अपनी बेटी को, क्या मेरी बेटी मुझसे ठंडी होना चाहेगी ।
उपासना - आपको पूरा हक है पापा । मैं आपकी ही तो बेटी हूं । जब भी आप देखो कि आपकी बेटी ज्यादा ठुमक ठुमक कर चूतड़ों को हिला हिला कर चल रही है तो पूछना मत पटक कर अपना लौड़ा उसकी चूत में पेल देना और उसकी चूत को ऐसे रगड़ना , ऐसे रगड़ना कि ठंडी हो जाए आपकी बेटी। और मटक कर चलने की जगह लंगड़ा कर चलने लगे आपकी बेटी ।
सोमनाथ - लगता है मेरी बेटी के अंदर लोड़े की भूख कुछ ज्यादा ही जग गई है ।
उपासना- आपने मेरी मां को चोद कर ऐसी बेटी पैदा की है कि जिसकी आग ठंडी करने के लिए रात भर दौड़ा-दौड़ा कर चोदा जाए तब कहीं जाकर ठंडी होती है आपकी बेटी ।
सोमनाथ- तो अब क्या कमी है । अब तो ससुर और बाप दोनों ही हैं अपनी प्यारी सी उपासना बेटी के लिए । हमारी बेटी जब चाहे चढ़ा सकती है अपने ऊपर ।
उपासना - इसमे चाहने वाली क्या बात है पापा आपकी बेटी तो चाहती है आप उसे नंगी करके लंड पर नचाते रहो और मैं नाचती रहूं । अपनी गांड को घुमा घुमा कर अपनी चूत को भींच भींचकर कर अपने होठों को चुसवा चुसवा कर ।
सोमनाथ को उपासना की बातों से इतनी इतनी गर्मी चढ़ी कि नीचे से लौड़ा चार पांच बार उसकी चूत में कसकर पेला।
अब उपासना को बेड पर एक साइड में धकेल दिया फिर उपासना को उसने कुतिया बनाया और खुद उसके पीछे खड़ा होकर अपने लंड को उसकी चूत से रगड़ने लगा ।
उपासना भी इतनी गरम हो चुकी थी कि मूतने को तैयार थी कुतिया बनकर, अपनी गांड को हिलाने लगी थी मस्ती से उपासना।
सुबह के 5:00 बज रहे थे आरती और शालिनी गहरी नींद में सोई हुई थी ।
तभी अचानक बलवीर का फोन बजता है बलवीर की आंख खुल गई बलवीर ने फोन उठाया तो देखा धर्मवीर पर फोन आ रहा था । बलवीर ने सोचा पता नहीं क्या बात हो गई जो भैया इतनी सुबह सुबह फोन कर रहे हैं । । बलवीर ने जल्दी से फोन उठाया और कॉल आंसर की ।
बलवीर - हेलो भैया इतनी सुबह सुबह कैसे फोन किया, सब ठीक तो है ना ।
धर्मवीर : ठीक नहीं है इसीलिए किया और हंस पड़ा धर्मवीर ऐसा कहकर ।
बलवीर नहीं सोचा यदि सब ठीक नहीं है तो हंसने वाली क्या बात है, लेकिन फिर भी उसने पूछा ।
बलवीर : भैया क्या बात है बताओ कैसे याद किया अपने छोटे भाई को ।
धर्मवीर : अरे बलवीर माफ करना , तुम इंजॉय कर रहे हो और मैंने तुम्हें सुबह सुबह परेशान कर दिया । दरअसल बात यह है की हमारी कंपनी को एक कॉन्ट्रैक्ट मिल रहा था जिसका मेल अभी मुझे रिसीव हुआ है । आज 10:00 बजे प्रेजेंटेशन देनी है और मैं चाहता हूं कि यह सब कुछ मेरा अकेला ही नहीं है तुम भी बराबर के हिस्सेदार हो, क्योंकि तुम मेरे भाई हो और छोटे भाई का हिस्सा हर चीज में होता है ।
यह सुनकर बलबीर बोला : भैया कैसी बात कर रहे हैं । मैंने आपको हमेशा एक पिता की नजर से देखा है और बड़ा भाई तो वैसे भी पिता समान होता है । आप आदेश कीजिए मेरे लिए क्या काम है।
धर्मवीर : बलवीर काम कुछ नहीं है , लेकिन 10:00 बजे तुम्हें मेरे साथ चलना है क्योंकि यह बहुत बड़ा कॉन्ट्रैक्ट है । अब भगवान की कृपा से हमें मिला है अगर यह डील फाइनल हो जाती है तो हमें करोड़ों का फायदा होगा ।
बलवीर : जी भैया जैसा आप कहते हैं । मैं अभी निकल लेता हूं यहां से ।
ऐसा सुनकर धर्मवीर ने फोन रख दिया ।
धर्मवीर आज बहुत खुश था क्योंकि जितनी मेहनत उसने की थी एक तरह से ये उसका ही फल था जो उसकी कंपनी इतनी ऊंचाइयों पर पहुंची थी । बस इस खुशी के माहौल में भी धर्मवीर की आंखें नम हो गई ।
और आंखों के नम होने की वजह की धर्मवीर का बेटा राकेश । धर्मवीर मन ही मन दुखी हो गया ।
उसका एक ही बेटा था राकेश जो उसे भगवान की तरह पूजता था । बहुत अच्छा लड़का था राकेश । मेरा बेटा आज होता तो बहुत खुश होता । धर्मवीर इसी उधेड़बुन में लगा हुआ था । तभी उसकी नजर अपनी बहू उपासना की बहन पूजा पर पड़ी जो पूरी रात चुदकर बैठी थी ।जिस दिन से बलवीर आरती और शालिनी घर से घूमने गए थे उसी दिन से उपासना और पूजा को धर्मवीर और सोमनाथ पूरे दिन रात चोद रहे थे ।
कभी सोमनाथ अपनी बेटी उपासना पर चढ़े रहते हैं तो कभी अपनी छोटी बेटी पूजा पर धर्मवीर चढ़ा रहता था । वह कभी अपनी बहू उपासना के मुंह में लंड रखता तो कभी उसकी बहन पूजा को अपने नीचे दबाए पड़ा रहता।
कहने का मतलब पूजा और उपासना को चुदाई का पूरा सुख मिल रहा था । उनकी सिर्फ चुदाई होती थी, चुदाई और सिर्फ चुदाई ।
किसी लड़की के लिए या किसी औरत के लिए यह पल भी बड़े मनमोहक होते हैं क्योंकि आजकल हर किसी की जिंदगी में इतना वक्त नहीं होता की दो-चार दिन लगातार चुदाई कर सके । किसी की जिंदगी में इतना वक्त नहीं होता तो किसी की जिंदगी में मौका नहीं होता , किसी का लाइफ पार्टनर ऐसा नहीं होता बहुत सारे कारण हो सकते हैं । और जब किसी लड़की या औरत को दो-चार दिन तक सिर्फ चुदना ही पड़े , सिर्फ नंगी होकर किसी से लिपटना पड़े और दिल खोलकर चुदाई करें लगातार जब तक उसका दिल ना भर जाए । बस किसी के नीचे टांगे फैलाए पड़ी रहे या किसी की गोद में बैठकर उसके खड़े लोड़े पर बैठी रहे और घंटो बातें करें । इन पलों की तमन्ना दुनिया की हर लड़की या औरत करती है । यह सब बताने का मेरा इतना ही मतलब था कि जब लगातार दो-चार दिन से चुदाई की चुदाई हो रही हो तो वह दिन ही किसी के लिए गोल्डन डे बन जाते हैं उसकी लाइफ के । और यही हो रहा था पूजा और उपासना के साथ । वह बस चुद रही थी खुलके। अपने बाप और ससुर के लौड़ों से खेल रही थी और चुतों में सोमनाथ और धर्मवीर का वीर्य इकट्ठा कर रही थी।
जैसे ही धर्मवीर की नजर पूजा पर पड़ी उसकी आंखों में एक गुस्सा सा आ गया। वह गुस्सा के भाव इसलिए आए थे क्योंकि अभी वह अपने बेटे राकेश को याद कर रहा था और उसने उपासना से राकेश की शादी इसलिए की थी क्योंकि उपासना उसे बहुत ही सुशील संस्कारी और सुंदर लगी थी, लेकिन जो रंडीपना उन दोनों बहनों के अंदर था यह तो राकेश संभाल ही नहीं पाता । राकेश इतना तगड़ा तंदुरुस्त भी नहीं था की उपासना जैसी घोड़ी को अच्छे से ठोक पा । राकेश के पास इतना टाइम भी नहीं था कि वह उपासना की चूत में लंड बजाकर उसे ठंडी रख पाता । तो इसका मतलब मैंने राकेश के लिए एक सही जीवनसाथी नहीं चुनी थी मेरा बेटा राकेश उपासना के काबिल नहीं था या उपासना राकेश के काबिल नहीं थी । इन दोनों में से एक बात तो जरूर है ।
तभी वह पूजा को देखते-देखते सोचने लगा कि अकेली उपासना ही नहीं , उसकी बहन पूजा भी तो लोड़ा निचोड़ लेती है पूरा अपनी चूत में । ईसका मतलब गलती उपासना की भी नहीं थी क्योंकि हर औरत या लड़की जब जवान होती है तो उसकी चूत लंड मांगने लगती है । और मेरा बेटा उपासना की लंड की मांग को पूरा नहीं कर पा रहा था , तो इसका मतलब कमी उपासना बहू में नहीं मेरे बेटे राकेश में थी ।
यह सोचते ही धर्मवीर की आंखों में फिर से गुस्सा सा आ गया क्योंकि बेशक उपासना उसकी बहू हो लेकिन राकेश भी उसका बेटा था । अपनी उस उधेड़बुन के बाद आए गुस्से मैं राकेश ने अपने आप से कहा : मेरे बेटे में ही तो कमी थी अब इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि उसके घर के हर मर्द में कमी हो। ऐसा बिल्कुल नहीं है और इस घर में भी मर्द हैं । और मर्द होने का एहसास कराना चाहिए तुम दोनों बहनों को । मैं बताऊंगा मर्द कैसे होते हैं । मैं बताऊंगा कि मर्द बाहर किसी के सामने बेशक तुम्हें अपने से ज्यादा इज्जत दे बेशक तुम्हें एक देवी की तरह तवज्जो दे, बेशक तुम्हारी गुलामी करें जैसे तुम कोई शहजादी हो , मर्द वो है जिसके संपर्क में आओ तो तुम्हारी चूत उसे देखकर कुलमुलाना शुरू करदे और वह तुम्हें शहजादी से रंडी तक का सफर कराए । तुम्हें देवी से एक गरम कुत्तिया तक का सफर तय करा दे तो समझो उससे ज्यादा प्यार करने वाला इंसान तुम्हें दुनिया में तो क्या अपने सपनों में भी नहीं मिल सकता । मेरा बेटा राकेश ऐसा नहीं था वह तो बस दिन में अपनी कंपनी के लिए भागदौड़ करता रहता था और रात में भी एक प्रोफेशनल इंसान की तरह आराम से एक दो बार तुम्हें चोदता था और फिर एक अच्छे पति की तरह सो जाता था । लेकिन तुम्हें ऐसा नहीं चाहिए था तुम्हें तो ऐसा चाहिए था कि जी भर के तुझे अपनी बाहों में और बड़ी धीमी धीमी आवाज में तुझसे खुल के तेरी चूत का हाल पूछता, तुझसे बहुत सारी प्यारी प्यारी बातें करने के बाद तुझे बिस्तर में गंदे तरीके से रौंद सकता हो , तुझे ढीली कर सकता चोद चोद कर । ऐसा ही चाहिए था ना तो मैं हूं वैसा और अब कमी की बात भी क्या है तुझे चुदाई की भूख थी मुझे समझ आ गया, लेकिन अपने बाप से ही चुद गई बहन की लोड़ी । इसे चुदाई की भूख नहीं इसे तो वेश्यावृत्ति , रंडीपना कहते हैं । अगर तुझ में चुदाई की आग होती तो तू दूसरी जगह चुदने जाती और अपनी चुदाई की आग को शांत करती लेकिन बहन की लोड़ी तूने रिश्तों तक का ख्याल नही किया । एक बार चुदकर तो 2 दिन तक लंगड़ाई थी फिर भी तुझे अपने सगे बाप के लंड की जरूरत पड़ गई , अपने बाप के लंड के नीचे ही लेट गई मतलब उसका यही हुआ कि तुझे एक तगड़ा तंदुरुस्त लंड नहीं चाहिए तुझे तो अपनी चूत में हर आता जाता लंड चाहिए लेकिन मैं ऐसा नहीं होने दूंगा । मेरे इस संस्कार भरे घर मैं जो तुम दोनों बहनों ने आग लगाई है यह मैं कभी नहीं भूल सकता । मेरे घर में तो इतनी गंदी सोच तक भी नहीं थी बड़ा प्यारा परिवार था मेरा, लेकिन जब तू लंड की भूख में अपने पति से फिर उसके बाप से और फिर अपने बाप से चुद सकती है तो इसकी क्या गारंटी है किसी चौथे से तू नहीं चुदेगी । ऐसा सोच कर धर्मवीर की आंखें लाल हो गई और वह कसरत करने चला गया ।
धर्मवीर जैसे ही कमरे से गेट बंद करके निकला तो गेट बंद होने की आवाज से पूजा की आंखें खुल गई उसने अपनी आंखें अपने हाथों से मलते हुए अपनी गर्दन घुमाई तो देखा धर्मवीर जा चुका था पूजा सोचने लगी पता नहीं मौसा जी सुबह-सुबह कहां चले गए इतनी सुबह तो नहीं उठते हैं । हो सकता है वॉशरूम गए हो टॉयलेट करने गए हो । लेकिन तभी उसकी नजर टेबल पर पड़ी एक फाइल पर गई जो बैड के बिल्कुल आगे रखी थी ।
जिसका मतलब बिल्कुल साफ था कि धर्मवीर अभी उसे पढ़कर गया था पता नहीं पूजा के मन में क्या आया अचानक उसने वह फाइल उठाई और जैसे ही उसने देखा कि करोड़ों का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया है कंपनी को । उसकी आंखों से नींद एकदम गायब हो गई वह खुशी से खड़ी हुई और जल्दी एक जींस टॉप पहनकर उपासना के कमरे की तरफ दौड़ी । लेकिन उपासना और सोमनाथ अभी नहीं उठे थे उनका गेट अंदर से लॉक था ।
एक सेकेंड के लिए तो पूजा रुकी लेकिन उसके मन में फिर पता नहीं क्या आया उसने गेट खटखटा दिया : दीदी दीदी गेट खोलो ।
उपासना की आंखें खुली इतनी सुबह सुबह उसकी छोटी बहन क्यों चिल्ला रही है गेट पर । यह सोचते हुए उपासना उठी उसने भी जल्दी से कपड़े पहने और एक नजर बेड की तरफ डाली तो शर्मा गई क्योंकि उसका बाप सोमनाथ बिल्कुल मादरजात नंगा सो रहा था और उसका काला लंड भी सोया हुआ लटक रहा था । यह देखकर उपासना ने जल्दी से एक चादर ली और सोमनाथ के ऊपर डाल दी और दरवाजा खोल दिया ।
सामने अपनी छोटी बहन पूजा को देखकर उपासना ने पूछा।
उपासना : तुझे क्या हुआ सुबह-सुबह इतनी खुश है पूजा दीदी हमारी कंपनी ने करोड़ों का कॉन्ट्रैक्ट लिया है ।
सुनकर उपासना भी खुश हुई क्योंकि काम के प्रति उसकी भी लग्न थी । यह सुनकर उपासना ने पूजा से कहा ।
उपासना : अच्छा तो फिर तो आज बड़ा खुशी का दिन है लेकिन पापा जी तो अभी सोए हुए हैं ।
पूजा : हां दीदी लेकिन मौसा जी अभी-अभी उठ कर नीचे गए हैं । उपासना चल ठीक है तो आज हम ही नाश्ता बनाते हैं सुबह का अपने हाथों से ।
पूजा बोली : हां दीदी और पापा जी को भी उठा दो या मैं ही उठा देती हूं । यह कहकर जैसे ही पूजा बेड की तरफ चली सभी उपासना ने पूजा का हाथ पकड़ लिया और बोली ।
उपासना : मैं उठा देती हूं ना चल तू किचन में । मैं आती हूं ।
यह पूजा को कुछ अटपटा लगा पूजा बोली ।
पूजा : क्या हुआ दीदी आप उठाओ या मैं उठाऊं आखिर हम दोनो ही उनकी बेटियां है । बात तो एक ही है और उठाना क्या लो मैं अभी आवाज लगा देती हूं , आवाज से उठ जाएंगे ।
ऐसा कह कर पूजा ने जोर से आवाज लगाई पापा जी पापाजी । यह सुनकर उपासना थोड़ी शर्मा गई । लेकिन फिर भी अपनी सफाई दिखाने के लिए अपनी चतुराई दिखाने के लिए या अपना त्रिया चरित्र दिखाने के लिए बोली ।
पूजा : पूजा क्या बच्चों की तरह करती है । और एक 2 मिनट सो लेंगे या नाश्ता करके उठा लेंगे । तब तक पापा जी आ जाएंगे चल चलते हैं ।
उपासना जैसे ही पूजा का हाथ पकड़ कर किचन की तरफ चलने लगी तो पूजा को एक जिद्दी सी चढ़ गई । बोली ।
पूजा : दीदी अब तो मैं ही उठाऊंगी। यह भी कोई बात हुई क्या । पापा जी को जगाने नहीं दे रही हो सब तो जाग गए हैं । दिन में कर लेंगे नींद पूरी । मैं जगा देती हूं जब तक हम नाश्ता तैयार करेंगे तब तक फ्रेश हो लेंगे ।
ऐसा कहकर पूजा मैं बैड के पास जाकर जैसे ही चादर खींचते हुए चिल्लाई पापा जी ।
जैसे ही चादर अलग हुई तो बेड पर सोमनाथ बिल्कुल नंगा सो रहा था और नीचे बिछी सफेद बेडशीट पर जगह जगह गंदे धब्बे बने हुए थे । जो इस बात की ओर साफ साफ इशारा कर रहे थे की रात में उसके नंगे बाप ने अपनी बड़ी बेटी उपासना को बड़े गंदे तरीके से रौंदा है बिस्तर में और वही बेटी उपासना पूरी रात उस लंड से चुदी है ।
यह देखते ही पूजा ने धीरे से मुस्कुराते हुए उपासना की तरफ देखा और उसने अपनी नजरें झुका लीं ।
अगले ही पल अपनी आंखें नचाते हुए पूजा से उपासना बोली ।
उपासना : तू ना बिल्कुल बदमाश हो गई है । तुझे मना किया था ना लेकिन नहीं मानी ।
पूजा ने मुस्कुराते हुए चादर उठाई और दोबारा से सोमनाथ के ऊपर डाल दी और धीरे से उपासना के पास आकर बोली ।
पूजा : तो दीदी बता भी तो सकती थी ना कि अपने नंगे बाप से लिपट कर सो रही थी ।
उपासना : अच्छा तू तो ऐसे कह रही है जैसे तुझे पता ही नहीं हो कि पापा यहां क्यों सोए हैं । और तू क्यों धर्मवीर पापा जी के पास रहती है दिन रात ।
इस बात पर पूजा भी थोड़ी सी शर्मा गई और बोली।
पूजा: दिन रात कहां दीदी कभी-कभी तो पापा जी के साथ भी रहती हूं कमरे में । मानती हूं कि मैं धर्मवीर मौसा जी के साथ ही सोती हूं रात में लेकिन दिन में तो कभी भी पापा जी भी बुला लेते हैं कमरे में।
लेकिन अपनी उपासना दीदी को मैं अकेला नहीं रहने देती मैं उनके पास धर्मवीर मौसा जी को भेज देती हूं , जो कमरे में अपनी बहू उपासना को नंगा करके उनके साथ खूब टाइम स्पेंड करते हैं ।
इस बात से उपासना थोड़ी और ज्यादा शर्मा लेकिन फिर भी वह उसकी छोटी बहन थी जो उसे खुले माहौल का एहसास करा रही थी। अब उपासना भी थोड़ी-थोड़ी गर्म होने लगी थी उपासना बोली।
उपासना : हां चल अब ज्यादा जब बातें मत बना किचन में चलते हैं वरना फिर कोई ना कोई बुला लेगा तुझे मुझे नंगी करने के लिए ।
ऐसा बोलकर उपासना पूजा ने एक दूसरे की आंखों में देखा और हंसते हुए किचन की तरफ चल दी ।
उधर दूसरी तरफ शालिनी और उपासना को जगाने के लिए जैसे ही बलवीर उनकी तरफ मुड़ा तो दोनों बुआ भतीजी एक दूसरे की तरफ मुंह करके सो रही थी । बलवीर जोकि उन दोनो की चूतों को चैक कर चुका था उंगली से वो उठा और उन्हें सोती हुई देखकर बलवीर की आंखें में वासना नाचने लगी , और वासना नाचती भी क्यों ना दोनों की चूतों की महक जो ले चुका था बलवीर।
बलवीर दोनों को बड़ी गौर से देख रहा था आरती के शरीर में थोड़ा भारीपन ज्यादा था लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि शालिनी आरती के सामने पतली लगती थी ।
शालिनी भी किसी मस्त हथनी की तरह अपनी गांड निकाले सो रही थी ।
बलवीर धीरे-धीरे आरती और शालिनी के पास गया । और झुक कर अपना मुंह आरती की गांड के पास लाया । कपड़ों में से ही सही लेकिन थोड़ी-थोड़ी चूत की महक बलवीर को आ रही थी बलवीर ने और हल्की सी नाक अंदर की तरफ घुसाई और एक गहरी सांस खींची उसके अंदर अपनी गदराई बहन की चूत की खुशबू महसूस होते हैं बलवीर के लिए कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था। फिर वह घूम कर शालिनी की तरफ गया हर इसी तरह से अपने नाक शालिनी की गांड पर लगा कर मुंह जांघों के बीच में डालकर एक गहरी सांस खींची दोनों की चूतों की खुशबू बिल्कुल एक जैसी तो नहीं थी लेकिन मिली जुली थी । यह खुशबू वैसे ही नहीं थी जैसी किसी लड़की की चूत से आती है यह खुशबू तो उसी चूत से आती है जो लोड़े की याद में पानी छोड़ती रहती हो । जिससे अपनी जवानी संभाली नहीं जा रही है । उन्हीं चूतों से ऐसी मादक खुशबू आती है जो नाक में भरते ही अंदर तक झुर्झुरी पैदा कर देती है ।
(दोस्तों ऐसा सबके साथ होता है । क्योंकि सबके घर में मां बहन बेटी होती हैं । कोई कोई तो तीन बहनों में अकेला भाई होता है । हर घर में लड़की होती है और हर जवान लड़की में लंड की भूख भी होती है । तो ये विचार दिमाग में आ ही जाते हैं । जब भी घर में अपनी बहन की मटकती गांड को देखते हैं तो चोर नज़रों से उसके पिछवाड़े को हर कोई देखता है । लड़कियों का तो मुझे पता नहीं क्या सोचती हैं क्या नहीं लेकिन लड़के जब भी अपने घर में अपनी बहन का भारी पिछवाड़ा देखते है तो उनके मन में ये विचार जरूर आता है कि बहन की शादी कर देनी चाहिए वो शादी लायक हो गई । उसकी मटकते चूतड़ों को देखकर विचार आता है कि ये भी लंड लेने लायक हो गई है पूरा ले जायेगी एक बार में लेकिन वो ये नहीं जानते हैं कि उनकी बहन पता नही कितनी बार चुद चुकी है । जो इसका पिछवाड़ा इतना भारी है ये अपने आप नही हुआ किसी ने तबियत से चूत फाड़ी है उसकी । जब घर में कोई गदराई हुई घोड़ी सो रही होती है और नजर पड़ जाए तो एकबार जी भरके देखने से कोई नहीं चूकता । कोई बाप जब बेटी का भारी पिछवाड़ा देखता है तो वो भी सोचता है कि उसकी बेटी की गांड बाहर क्यों निकलने लगी लेकिन फिर मन में विचार आता है नही नही वो बेटी है मेरी । ये विचार आते ही भारतीय लोगो की सारी वासना की मां चुद जाती है क्योंकि जब मन में आए कि बेटी है मेरी तो चाहे उसकी बेटी रण्डी ही क्यों ना हो लेकिन उसे उसमे वही हंसती खेलती नटखट बच्ची ही दिखेगी लेकिन वो ये नहीं जानता कि उसकी बेटी रोज अपनी चूत होटल में फड़वाके आती है और रात भर किसी से जानू जानू करके उसे चुम्मियां देती है । आखिर हम भारतीय जो ठहरे घर में रण्डी बहन भी हो तब भी ही उसमे एक प्यारी सी ही वक्त लड़ने वाली बहन दिखती है ऊपर से घरवालों के डायलॉग ये दूसरे घर चली जायेगी फिर किससे लड़ेगा ये हमेशा तेरे पास नही बैठी रहेगी । शायद यही बात हम भारतीयों को सबसे अलग बनाती है । चलो रिश्तों पर बहुत ज्ञान पेल लिया अब कहानी पर चलते हैं)
वैसा ही हाल बलवीर का था लेकिन बलवीर को अचानक याद आया कि उसे तो तुरंत निकलना है ।
उसने धीरे से शालिनी का हाथ पकड़ा और उसे हिलाने लगा शालिनी की आंख खुल गई शालिनी ने जैसे ही बलवीर को अपने सामने खड़ा पाया तो एक साथ उसकी आंखों में गुस्सा और शर्म के मिले-जुले भाव आ गए पहले दिन को याद करके और उसने अपनी आंखें झुका ली।
बलवीर : हमें अभी निकलना है । धर्मवीर भैया का फोन आया है अभी जरूरी काम से जाना होगा ।
शालिनी यह सुनकर आरती को जगाने के लिए जैसे ही अपना हाथ बढ़ाने लगी तुरंत बलबीर ने उसका हाथ रोक दिया ।
शालिनी कुछ समझ नहीं पाई और बलबीर ने उसके कान के पास अपने होंठ लाकर धीरे से उसके कान में कहा ।
बलवीर : घर चलते तेरी कसी हुई चूत में अपना लंड डालकर उसे फाडूंगा मैं ।
यह सुनते ही शालिनी शरीर में झुनझुनी हो गई और उसने गुस्से से अपने चाचा को घूरते हुए आरती को जगा दिया ।
आरती भी बलवीर को आगे देखकर पहले तो चौकी फिर मामला जब समझ आया वह भी सामान्य होकर जल्दी से तैयार हो गई और चारों निकल लिए घर की तरफ ।
दूसरी तरफ उपासना और पूजा नाश्ता तैयार कर चुकी थी और काफी खुश नजर आ रही थी लेकिन इन सबके खुश होते हुए किसी को धर्मवीर का गुस्सा दिखाई नहीं दे रहा था ।
किसी को यह अंदाजा नहीं था की धर्मवीर अभी कितने गुस्से में बाहर गया है।
बाहर बैठा हुआ धर्मवीर बस यही सोच रहा था कि ये लंड भी क्या चीज है अगर औरत को दीवानी बना दे तो फिर वह औरत नहीं कुतिया बन जाती है और यही कुतीयापना मेरी बहू कर रही है अपनी बहन के साथ मिलकर ।
दोस्तों धर्मवीर को भी अंदाजा नहीं था की वही रंडीपना उसकी बहन आरती और बेटी शालिनी में भी है ।
धर्मवीर तो बस गुस्से में था अपने बेटे राकेश को याद करके और अपनी बहू उपासना के अंदर लंड की भूख देखकर ।
पूजा और उपासना नाश्ता लगाकर एक दूसरे से बात करने लगे तभी उपासना उठकर अपने कमरे की तरफ चली गई अपने बाप सोमनाथ को जगाने के लिए। जैसे ही वह कमरे में पहुंची तो सोमनाथ अभी भी सोया पड़ा था ।
उपासना ने सोमनाथ को जगाया और बताया कि आज कितना खुशी का दिन है उसकी कंपनी को तरक्की मिली है ।
उधर धर्मवीर का गुस्सा हर पल बढ़ता जा रहा था।
धरमवीर घर की तरफ आया और घर के मेन गेट पर आकर उसने हॉल में शालिनी को बैठे देखा ।
जैसे ही गेट पर लॉक लगाया धर्मवीर ने तो उसकी आवाज से पूजा ने गेट की तरफ देखा तो धर्मवीर खड़ा था
पूजा को कुछ पता नहीं था कि धर्मवीर कितना गुस्से में है । वह तो बस यही सोच रही थी कि रात भर चोदकर सुबह फ्रेश मूड से उठकर बाहर गया है ।
धर्मवीर गेट पर खड़ा होकर पूजा को घूरने लगा । अपनी तरफ इस तरह घूरता देख कर पूजा कुछ असामान्य महसूस करने लगी तो उसने नजरें झुका कर शर्मा कर धीरे से कहा ।
पूजा : मौसा जी गेट पर क्यों खड़े हो अंदर आजाइए ना।
लेकिन धर्मवीर पर इसका कुछ असर नहीं हुआ वह तो बस घूरे जा रहा था पूजा को ।
पूजा खड़ी होकर टेबल पर नाश्ते का सामान लगाने लगी और बोलने लगी ।
पूजा : मौसाजी दीदी और पापा जी भी आने वाले हैं, आप भी आ जाइए नाश्ता कर लेते हैं ।
ऐसा कहकर उसने फिर एक बार धर्मवीर की तरफ देखा जो अभी भी उसे घूर रहा था और उसने फिर मुस्कुरा कर अपनी नजर नीचे झुका ली ।
धर्मवीर उसे घूरते हुए अपनी शर्ट उतारने लगा शर्ट के साथ-साथ उसने अपनी बनियान भी उतार दी ।
नीचे धर्मवीर ने एक लूंगी पहन रखी थी और वह घूरे जा रहा था पूजा को ।
जब पूजा ने देखा कि धर्म गेट पर नंगा हो रहा है तो उस के शरीर में एक झुर्झुरी सी हो गई और दोस्तों पूजा के शरीर में ही क्या दुनिया की हर लड़की या हर औरत जिसे पता हो कि उसे चोदने वाला यार उसके दरवाजे पर खड़ा है उसके सामने तो उसके दिल में जो फीलिंग होती है वह एक लड़की ही समझ सकती है । वह शर्मा रही होती है और साथ में बौखला रही होती है एक लंड लेने के लिए वह मुस्कुरा रही होती है , और चूत को तैयार कर रही होती है एक लंड खाने के लिए ।
यही हाल कुछ पूजा का था वह कभी मुस्कुराती तो कभी शर्मा कर नजरें झुका लेती , कभी नजरें मिलाती तो कभी धर्मवीर के तगड़े शरीर को देखने लगती जो हट्टा कट्टा था । पहलवानों से भी ज्यादा सॉलिड शरीर था धर्मवीर का । पूजा कभी मुस्कुरा कर अपनी उंगलियों से अपने बालों को संभालते हुए खाना लगा रही थी । धर्मवीर की आंखें लाल होने लगी और वजह थी पूजा की गांड जो सच में इतनी मेंटेन थी कि मन करता उसकी गांड पर चढ़े ही रहो ।
धर्मवीर पूजा के पास आने लगा जैसे-जैसे वे करीब आने लगा पूजा की धड़कन बढ़ने लगी ।
कोई भी जब नंगा मर्द सिर्फ लुंगी पहने इस तरह किसी लड़की की तरफ या किसी औरत की तरफ बढ़ेगा तो जाहिर सी बात है उसकी चूत ठंडी करके ही वापस जाएगा । और अब धर्मवीर बिल्कुल करीब आ चुका था पूजा के । पूजा ने अपने नजरें झुका ली और धीरे से बोली ।
पूजा : मौसा जी कमरे में चलते हैं ।
धर्मवीर कुछ नहीं बोला बस ऐसे ही घूरता रहा कभी उसकी मोटी मोटी जांघों को तो कभी इसके मोटे-मोटे चूचों को, कभी उसके होठों को जिन पर भी वह अपना लंड रखने वाला था ।
धर्मवीर पूजा के सामने खड़ा था।
धर्मवीर ने पूजा के चेहरे को घूरा पूजा ने अपनी नजरें झुका ली । धर्मवीर ने पूजा के चेहरे पर थूक दिया ।
चेहरे पर धर्मवीर का थूक पड़ते ही पूजा पानी पानी हो गई ।
पूजा बोली : मौसा जी चलिए ना कमरे में चलते हैं ।
धर्मवीर ने पूजा के मुंह पर थप्पड़ मारा पूजा का मुंह खुल गया ।
धर्मवीर ने तुरंत उसकी गर्दन पकड़ कर उसके खुले मुंह में थूक दिया। पूजा के मुंह में अपना थूक डालने के बाद धर्मवीर ने अपनी लूंगी खोल दी ।
फनफनाता हुआ लौड़ा हवा में लहराने लगा । जैसा कि आप जानते हैं धर्मवीर का लंड एक लंड नहीं पूरा हल्लबी लौड़ा था लेकिन यह लोड़ा भी झेल चुकी थी पूजा ।
धर्मवीर ने पूजा के बालों को पकड़ा और लौड़े को मुंह के सामने कर दिया । पूजा को कुछ समझ नहीं आया तो उसने अपनी नजरें उठाकर धर्मवीर के चेहरे की तरफ देखा । लेकिन धर्मवीर लगातार उसे घूर रहा था पूजा ने फिर से अपनी नजरें झुका ली और लंड के स्वागत के लिए अपना मुंह खोल लिया ।
मुंह खुलते ही धर्मवीर ने एक ही बार में पूरा झटका लगाकर लंड घुसाने की कोशिश की लेकिन आधा लंड ही पूजा के मुंह में जा सका और पूजा गूं_गूं_गूं करने लगी । धर्मवीर को पता नहीं क्या सूझा उसने पूजा के सर में 2, 3 घूंसे मारे और ठूंस दिया पूरा लंड उसके हलक तक । पूजा की तो आंखें बाहर आ गई । आंखों से आंसू आने लगे , उसकी सांसे तक रुकने लगी थी ।
एक मिनट तक लंड को हलक में रखने के बाद तो पूजा झटपटाने लगी अपने हाथ पैर इधर-उधर झटकने लगी, तब जाकर धर्मवीर ने लंड मुंह से बाहर निकाला ।
लोड़ा बाहर आते ही पूजा के मुंह से ढेर सारा थूक बाहर आया। उसकी खांसी रुकने का नाम नहीं ले रही थी वह बस खांसती जा रही थी लंबी लंबी सांसे लेते हुए । कुछ देर में नॉर्मल होते हुए धीरे से बोली ।
पूजा : बोली मौसा जी आप जानवर हैं क्या ।
धर्मवीर ने जब यह सुना तो उसने दोबारा से पूजा के बालों को पकड़ा और लंड से उसके गालों को पीटने लगा । गालों को लंड से पीटते हुए बोला।
धर्मवीर : तुम दोनों बहन अव्वल दर्जे की रंडी हो । मेरा लंड हर औरत के बस की बात नहीं है लेकिन तू मेरे लोड़े से पूरी रात चुदी है तो सोच ले तू कितनी गर्म है । पूरा लंड तूने एक बार में लील लिया तो सोच ले तू आने वाले समय में कितनी बड़ी मर्दखोर रंडी बनेगी और ये मैं नहीं कह रहा । यह सब तेरे मोटी चूची , बाहर को निकलती हुई चौड़ी गांड और मोटी मोटी जांघें कह रही हैं कि तुझे लंड चाहिए सिर्फ लंड । ले कुतिया खेल मेरे लंड से ।
ऐसा कहकर धर्मवीर ने अपने लंड को उसके मुंह के चारों तरफ घुमाया , कभी उसके गालों पर लंड मारता तो कभी उसके होठों पर , तो कभी उसके माथे पर लंड रख देता ।
धर्मवीर ने फिर मुंह खोलने के लिए कहा पूजा जानती थी कि धर्मवीर का लंड मुंह के मुकाबले ज्यादा बड़ा है। लेकिन फिर भी उसने डरते डरते मुंह खोला ।
धर्मवीर ने फिर से उसके मुंह में लंड डाल कर अपने चूतड़ों को आगे धकेला । पूरा लंड फिर उसके मुंह में चला गया । पूरा लंड मुंह में समाने के बाद धर्मवीर धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर करने लगा।
जब धर्मवीर लंड बाहर लाता हूं तो पूजा को सांस लेने का मौका मिलता । लेकिन यह ज्यादा देर नहीं चलने वाला था क्योंकि अपनी रफ्तार बढ़ाने लगा था धर्मवीर ।
धर्मवीर ने पूजा के सर को पकड़ा और पूरी जान से लोड़े को अंदर-बाहर करने लगा । पूरा जड़ तक लंड उसके मुंह में ठूंसकर बाहर निकाल लेता । उसके मुंह की ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा । पूजा के मुंह से बस दो ही चीज है बाहर आ रही थी घोंघोंघों घप्प घाप्प की आवाज और दूसरा उसके थूक की लार बह रही थी ।
लगातार मुंह में लौड़ा अंदर बाहर ले रही थी पूजा । वह इसी रफ्तार से चोदने के बाद धर्मवीर ने अचानक से लंड मुंह से बाहर निकाला और उसके बालों को खींच कर पकड़ा । पूजा का मुंह उपर उठ गया धर्मवीर ने अपने लंड हिलाते हुए तो झटके से उसके मुंह में लंड डाल दिया।
आधा लंड बड़े आराम से ले गई पूजा लेकिन आधा अभी बाकी था ।
धर्मवीर ने फिर से उसके बालों को पकड़ा और जान लगाई लेकिन फिर भी एक तिहाई लंड ही मुंह में जा सका । उसके गरम-गरम मुंह में अपना लौड़ा डालने के बाद अनियंत्रित हो चुका था धर्मवीर । उसकी आंखें बासना में लाल हो चुकी थी ।
धर्मवीर ने दोबारा से पूजा के सर में 2 , 3 घूंसे मारे और पूरा लंड ठूंस दिया उसके मुंह में । फिर से पूजा की आंखें बाहर आ गई धर्मवीर की जांघों पर थप्पड़ मारने लगी पूजा लेकिन धर्मवीर ने बुरी तरह से पूरी ताकत से उसके सर को दबोच रखा था । जब पूजा के लिए बर्दाश्त से बाहर हुआ तो वह अपने हाथ पैरों को पटकने लगी । अचानक उसका पैर एक टेबल पर लगा । मेज पर रखा हुआ गुलदस्ता फर्श पर गिरा पूरे घर में आवाज गूंजी । यह आवाज सुनकर सोमनाथ और उपासना बाहर आए तो उनकी आंखें फटी की फटी रह गई ।
धर्मवीर ने पूरी ताकत से अपना लंड पूजा के मुंह में ठूंस रखा था और यह बात अच्छे से जानती थी उपासना कि धर्मवीर का लोड़ा मुंह में लेना हर औरत के बस की बात नहीं है और पूजा तो फिर भी उसकी छोटी बहन थी ।
सोमनाथ और उपासना लगभग भागते हुए उनके पास आए ।
सोमनाथ : समधी जी यह क्या कर रहे हैं आप।
उपासना : देखो ना पापा पूजा की हालत।
धर्मवीर गुर्राते हुए बोला : पूरी रात चुदी है ये । यह बहुत गर्म है साली ।
जब पूजा की यह हालत देखी तो सोमनाथ और उपासना ने धर्मवीर की बाजुओं को पकड़कर खींचना शुरू किया।
यह देखकर धर्मवीर को गुस्सा आया । उसने एक साथ पूजा के बालों को पकड़कर खींचा और लोड़ा मुंह से बाहर कर दिया लेकिन तभी उसने उपासना के बालों को खींचकर पकड़ा और लोड़े के पास उसका मुंह लाया । ।
उपासना का मुंह तो हैरानी से खुला हुआ था और इसी बात का फायदा उठाते हुए धर्मवीर ने पूरा लंड उसके मुंह में उतार दिया ।
उपासना को इसकी उम्मीद भी नहीं थी कि अपने बाप के सामने ही उसका ससुर उसके मुंह में लंड डाल देगा ।
सोचकर देखिए कि ये एक लड़की के लिए कैसा अनुभव होगा । अपनी ससुराल में अपने बाप के सामने उसके ससुर का लंड उसके मुंह में हो ।
उपासना अभी समझने की कोशिश कर रही थी कि यह हो क्या रहा है कि तभी उसके मुंह में लंड का दबाव बढ़ाते हुए धर्मवीर ने उसके सर में भी दो-तीन घूंसे मुक्के जड़ दिए और उतार दिया लंड अपनी बहु के हलक तक ।
वही हालत उपासना की भी होने लगी उसका लौड़ा लेना इतनी आसान बात नहीं थी लेकिन उपासना फिर भी प्रयास करती हुई उसके लंड को मुंह में लिए बैठी रही ।
एक मिनट हो गई उधर पूजा की खांसी बंद नहीं हो रही थी । पूजा के मुंह से थूक की लार लगातार बहे जा रही थी और वह खांसती जा रही थी ।
सोमनाथ उसे अपने सीने से लगा कर रिलैक्स कराने की कोशिश कर रहा था ।
उधर धर्मवीर ने भी लंड को झटके देना शुरू किया और अपनी रफ्तार इतनी बढ़ा दी कि जैसे उसकी चूत फाड़ रहा हो । यह देखकर पूजा और सोमनाथ की आंखे फटी जा रही थी । सोमनाथ के सामने ही उसकी बड़ी बेटी के मुंह में लंड बजाया जा रहा था ।
उपासना के मुंह को इतनी रफ्तार से चोदने के बाद जैसे ही धर्मवीर झड़ने लगा उसने तुरंत लंड बाहर निकाल लिया और उपासना के मुंह पर अपना वीर्य उड़ेलने लगा ।
उपासना का पूरा मुंह उसके वीर्य से सन गया ।
तभी बाहर से गाड़ी के हॉर्न की आवाज आई । सभी समझ गए कि बलवीर शालिनी और आरती आगये हैं ।।