- 108
- 332
- 63
इन्तजार हैComing soon my new story.
इलाज
कविता : शादी से पहले में खुद मटक कर चलती थी। मैं चाहती थी। लोग मुझे देखे ताड़े। मुझे इसमें बहुत मजा आता था। पर जब से मेरी उनसे शादी हुई। मै अपने आप को रोकने की कोसिस करती हूं। लेकिन कमर को बहुत रोकने के बावजूद मेरी कमर अपने आप मटकती हे। लोग मुजे चरित्र हिन् समाते है। पर उन्हें क्या पता। जिस पति की बासुरी ज्यादा बड़ी हो। उनकी बिविया न चाहते हुए भी मटक मटक कर चलती है। ये मेरी मजबुरी हे। मैं शादी के बाद चरित्रहिन् नहीं हूं।
वीर; आप मुद्दे से भटक रही हो।
कविता : (अफ़सोस) ओह्ह्ह माफ करना। पर वो कातिल नहीं है।
वीर : ये मै आप की पूरी कहानी सुन ने के बाद desaid करूँगा।
कहानियो मे कहकनी। हर कहकनी की एक अपनी कहानी। बहोत जल्द एक नई कहानी इलाज