Adultery आँचल की अय्याशियां

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आँचल
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आँचल ने तबीयत का बहाना बनाकर कुछ दिन सुनील को अपना बदन नही देखने दिया ताकि वो उसके जिस्म पर बने निशान ना देख ले. चेहरे और गर्दन के निशान उसने थोडा मेकप से ढक लिए. मन ही मन सुनील भी खुश था की आजकल सेक्स से थोडा ब्रेक मिल रहा है. वरना तो थक के आओ और फिर बीवी की सेक्स की डिमॅंड पूरी करो. उसे बिल्कुल खबर नही थी की उसके कज़िन समीर ने उसकी बीवी की क्या गत बनाई थी.

लेकिन आँचल ने अपने ससुर और आया रेखा के अपने प्रति व्यवहार में बदलाव महसूस किया. अब उसके ससुर की हिम्मत बाद गयी थी और वो बहाने से उसकी बाँह, चुचियाँ और गांड को छूने की कोशिश करने लगा था. आँचल उसके साथ इनसेक्यूर महसूस कने लगी और उससे दूरी बनाने की कोशिश करने लगी.

अब जब भी वो ताश के पत्ते खेलने को कहता या उसके नज़दीक़ आने की कोशिश करता तो वो कुछ ना कुछ बहाना बना देती. इससे वो संस्कारी बुड्ढा चिढ गया . उसने देखा था की कैसे उस दिन उसकी बहू बुरी तरह से चुद के आई थी . अब वो भी उसे चोदना चाहता था.

नौकरानी रेखा भी अब आँचल के मुँह लगने लगी थी. कभी उसकी लिपस्टिक, कभी पर्फ्यूम लगा लेती. कभी मूवी जाने के लिए रूपीए मांगती. लेकिन आँचल को मालूम था की ये सब तो सहन करना ही पड़ेगा. अगर उसने बड़ी चीजो के लिए मुँह खोला तो फिर वो क्या करेगी ? कभी कभी उसको समीर और किमी के साथ बिताए दिन की याद करके गिल्टी फील भी होने लगता था. उसी दिन की वजह से आज ये रेखा सर चढ़ी है.

वो समीर और किमी को ब्लेम नही करती थी क्योंकि उन्होने तो सिर्फ़ उसकी कमज़ोरी का फयदा उठाया था , अगर वो अपने उपर कंट्रोल कर पति तो वो दोनो कुछ नही कर सकते थे. वो पूरी तरह से खुद ही ज़िम्मेदार थी .

वो इस बात से खुश थी की किमी ने उसको फोन नही किया था, वो किमी को अवाय्ड ही करना चाह रही थी. वैसी उस दिन जमकर हुई चुदाई से वो पूरी तरह से सॅटिस्फाइड थी लेकिन उसने प्रण किया की ऐसा रिस्क वो अब नही लेगी. और सुनील के साथ वफ़ादार बने रहेगी.

उस दिन समीर ने कॉंडम नही पहना था और आँचल को दर था की उतना ज़्यादा वीर्य उसकी चूत में समीर ने भर दिया था , कहीं वो प्रेग्नेंट तो नही हो गयी होगी. लेकिन जब भी उसको उस चुदाई की याद आती थी उसकी चूत बिल्कुल गीली हो जाती थी. समीर का लंड चूसने , गोलिया चूमने और चाटने , किमी की चूत चाटने में आँचल को बहुत मज़ा आया था.

अब तक वो तीन लंड देख चुकी थी . पहला नौकर रामू का , दूसरा अपने पति सुनील का और तीसरा समीर का. इनमे से दो लंड बड़े थे , जो उसे पसंद आए थे.



उस दिन हुई जमकर चुदाई से आँचल की सब फ्रस्ट्रेशन दूर हो गयी थी. अब वो खुश थी और मूड भी अच्छा रहता था. अपने पति सुनील की भी अब वो एक्सट्रा केर करने लगी थी. उसने सोचा था अब वो सुनील को थोडा अड्वेंचरस बना कर उसी के साथ मस्त सेक्स के मज़े लेगी. लेकिन सेक्स के मामले में सुनील थोडा शर्मिला था. आँचल ने सोचा उसी को कोई कदम उठना पड़ेगा जिससे सुनील भी थोडा खुले.

उसने सुनील से उसकी पुरानी गर्लफ्रेंड्स के साथ सेक्स लाइफ के बारे में पूछा . लेकिन सुनील ने बताया की उसकी कोई गफ़ थी ही नही . वो अपनी पिछली सेक्स लाइफ के बारे में बात करने को भी राज़ी नही था. आँचल के बहुत मानने के बाद उसने बताया की वो शादी से पहले रंडियों के पास कई बार गया था , उनके अलावा उसने किसी और के साथ सेक्स नही किया था. उसने ये भी बताया की उसे रंडी चोदने में बहुत मज़ा आया था. आँचल ने उससे कहा की तुम मेरे साथ सेक्स करते समय मुझे रंडी ही समझो अपनी बीवी नही. लेकिन सुनील ने माना कर दिया. उसने कहा की वो आँचल को रंडी की तरह नही सोच सकता.

आँचल बोली ये बात तुम मुझपर छोड़ दो. लेकिन प्लीज़ ये रंडी समझने वाला आइडिया मान लो., “ में प्रॉमिस करती हूँ बहुत मज़ा आएगा, सच्ची.”

उस रात जब सुनील घर आया तो उसने देखा आँचल बेडरूम में रंडी की तरह बनी बैठी है. उसने किमी की वही छोटी ड्रेस बिना ब्रा और पनटी के पहनी हुई थी. मुँह पर खूब मेकप पोत रखा था और होठों पर खूब लाल लिपस्टिक लगा रखी थी. उसने पूरे बदन में पर्फ्यूम डाला हुआ था और 6 इंच की हील वाली संडले पहनी हुई थी.

जब सुनील उसके पास आया तो वो बोली, “ ब्लोवजोब का वन थाउज़ंड, अंदर डालने का 5 थाउज़ंड , पीछे का 10 थाउज़ंड और अगर मुझे सारी रात चाहते हो तो ट्वेंटी थाउज़ंड.”

सुनील उसके मुँह से ऐसे बातें सुनकर हैरान हो गया .

आँचल फिर बोली, “ आज पुर दिन मेरा कोई बिज़्नेस नही हुआ है, बताओ तुम्हारा क्या जवाब है , नही तो में दूसरी जगह ट्राइ करती हूँ.”

सुनील अब भी कुछ नही बोला. वो आँचल का ये रूप देखकर हैरान था.

अब आँचल बोली, “ मुँह में लंड लेने का एक हज़ार, चूत में डालने का 5 हज़ार , गांद में घुसने का 10 हज़ार और रात भर चोदने का 20 हज़ार , क्या बोलता तू, तेरेको क्या माँगता ?

अपनी अप्पर क्लास बीवी के मुँह से रंडी की जैसी भाषा सुनकर सुनील का लंड खड़ा हो गया. उसने आँचल को पकड़कर किस करना चाहा.

“नही नही , मेरा चुम्मा नही लेना, में चुम्मा नही देती…” ऐसा कहकर आँचल ने अपने को सुनील से छुड़ा लिया और फिर बोली, “ पहले पैसे दो , फिर मज़ा लुटो..”

“आँचल प्लीज़ चोदने दो ना “ सुनील बोला.
लेकिन आँचल नही मानी.

उसका अड़ियलपान देखकर सुनील ने बीस हज़ार निकले और आँचल के मुँह पर फेंकते हुआ बोला, “रंडी ये ले तेरा दाम, अब तू रात भर के लिए मेरी है साली !!!”

आँचल ने सुनील के पंत की ज़िप खोली और उसका अधखड़ा लंड बाहर निकल लिया. सुनील के कुछ सोचने समझने से पहले ही आँचल ने लंड मुँह में दल लिया और चूसने लगी , साथ ही साथ उसकी गोलियो को भी हाथ से सहलाने लगी.

अपनी खूबसूरत बीवी को लंड चूसते देखकर सुनील बहुत उततेज़ीत हो गया , वो ज़्यादा देर कंट्रोल नही कर पाया और कुछ ही देर में आँचल के मुँह में उसने वीर्य की धार छोड़ दी . फिर उसका लंड मुरझा गया.

आँचल ने अभी शुरू ही किया था और यहाँ पातिदेव झाड़ गये . उस बेचारी को बहुत निराशा हुई. फिर उसने सुनील के कपड़े उतार कर उसे जगह जगह चूमना , चाटना , काटना शुरू कर दिया, की क्या पता सुनील को फिर उततेज़ना हो और उसका लॅंड फिर से खड़ा हो जाए. थोड़ी देर तक वो ये सब करती रही.

फिर सुनील ने उसको एक तरफ हटाया और नहाने चला गया. नाहकार उसने कुर्ता पिजामा पहना और आँचल से डिन्नर लगाने को कहा. आँचल ने रेखा को आवाज़ लगाई और उससे कहा की आज हम डिन्नर अपने बेडरूम में ही करेंगे. रेखा ने जब आँचल को वैसे कपड़ो में देखा तो उसके चेहरे पर शरारत भारी मुस्कुराहट आ गयी. वो समझ गयी मेंसाब् साहब को सिड्यूस करने का प्रयास कर रही है.

उस रात सुनील और आँचल ने अपने बेडरूम में ही डिन्नर किया.

किमी की छोटी सी ड्रेस पहनकर आँचल बहुत सेक्सी फील कर रही थी. उततेज़ना से उसके निपल टन गये थे और चूत रस बहने से गीली हो गयी थी. सुनील ने अपनी बीवी में आए बदलाव को महसूस किया. डिन्नर करते समय उसके दिमाग़ में यही बात घूम रही थी की आज कुछ बदली बदली सी लग रही है कुछ ज़्यादा ही कामुक हो रही है.


सुनील ने आँचल से पूछा , “ तुम्हे मेरा लंड चूसते समय घृणा नही आई ? “

आँचल बोली, “ घृणा क्यूँ आएगी ? मुझे तो बहुत मज़ा आया .“

सुनील मन ही मन सोचने लगा इतनी सुंदर और साफ सफाई से रहने वाली औरत ये लंड चूसने जैसा गंदा काम कैसे कर सकती है ? कहीं इसने पहले तो नही चूसा है किसी का ? अब ये शक़ उसके दिमाग़ में घूमने लगा.

फिर उसने सीधे ही पूछ लिया, “ तुमने शादी से पहले इसका एक्सपीरियेन्स लिया था क्या ?”

आँचल शर्मा गयी और फिर तुरंत पलटकर झूठा जवाब दिया, “ तुमसे मिलने से पहले में सबका लंड चूसते फिरती थी , यही सोच रहे हो ना तुम ? और कोई काम नही था क्या मुझको , योउ बस्टर्ड….”

सुनील हड़बड़कर बोला, “ अरे नाराज़ क्यूँ हो रही हो , मेने तो ऐसे ही पूछ लिया.”

फिर सोचने लगा खाली शक़ किया अपनी प्यारी बीवी पर.

डिन्नर के बाद थोड़ी देर दोनो ने टीवी देखा और फिर बेड में चले गये. आँचल सुनील के लंड और गोलियो से खेलने लगी और सुनील आँचल की चुचियों को चूसने लगा. फिर आँचल ने सुनील का लंड चूसना चाटना शुरू कर दिया . कुछ देर तक वो ऐसे ही करती रही पर लंड खड़ा होने का नाम ही नही ले रहा था. हड्द है !!! तक हार कर बेचारी ने कोशिश छोड़ दी और लाते गयी. भगवान बचाए ऐसे पति से तो. हा !

सुनील खर्राटे भर रहा था और इधर आँचल करवाते बदल रही थी . आँचल को कुछ सॅटिस्फॅक्षन तो मिला नही सोचने लगी जब से हनिमून से लौट के आई हूँ मुझे एक बार भी ढंग से ऑर्गॅज़म नही आया है , छि !! डालने तक तो ये झाड़ जाता है और फिर इसका दुबारा खड़ा होता नही चाहे जो मर्ज़ी कर लो.

वो बेचारी कर भी क्या सकती थी बस वही अपना सुबह बात्ट्च्ब में फॅंटसाइज़ करो और मूठ मरो , अपना सेक्षुयल फ्रस्ट्रेशन मिटाने को वही करने लगी. लेकिन फिर कुछ दीनो के बाद अब इसमे भी मज़ा मिलना ख़तम हो गया. समीर और किमी के साथ जो रगडकर वो चुदी थी तो अब इन सबसे होना भी क्या था , क्या मज़ा आता इसमे.

आँचल को अब समीर और किमी के साथ हुई चुदाई का सुख फिर से लेने का बहुत मन होने लगा, पर समीर वापस जा चुका था और किमी ने आँचल को फोन किया नही था. आँचल के पास उसका अड्रेस ओर नंबर भी नही था. अब फ्रस्ट्रेशन से आँचल चिड़चिड़ी और एड्जी टाइप की हो गयी.

(ऐसी हालत में वो फिर से दूसरी बार ऐसे ग़लत काम में जा फसी जो वरना वो कभी नही करती . पहली बार समीर ने उसके सेक्षुयली अनसॅटिस्फाइड होने का फायदा उठाया था , अबकी बार फिर उसका फायदा उठा लिया गया ).
 
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हुआ ये की रेखा ने आँचल का व्यवहार देखा तो औरत होने के नाते वो समझ गयी की मेमसाब ढंग से ना पाने से परेसान हैं.

एक सुबह जब सुनील काम पर चला गया तो रेखा आँचल के कमरे में आई और बोली, “ मेमसाब, नहाने से पहले में आपकी बॉडी मसाज कर दूं ? मेरी पहले वाली मेमसाब भी मुझसे खूब मसाज करवाती थी. आप कहो तो आपकी भी कर दूं.”

आँचल ने सोचा मसाज करवा के देख लेती हूँ वास्तव में अच्छे से करती है या खाली बातें बना रहा ही .

रेखा : “ मेंमसाब्! आप पेट के बाल लेट जाओ . में तेल गरम करके लाती हूँ और तौलिया भी ले आती हूँ. “

जब रेखा वापस आई तो उसने देखा मेमसाब नाइट्गाउन में पेट के बाल लेटी है.

रेखा: “ मेंमसाब्! ये गाउन तो तेल से खराब हो जाएगा. आप इसको उतार दो.”

आँचल ने गाउन के अन्दर कुछ भी नही पहना था , इसलिए वो बाथरूम चली गयी और गाउन उतारकर ब्रा पॅन्टी पहन ली. बाथटब में मूठ मरते समय आँचल अपनी नौकरानी रेखा को भी फॅंटसाइज़ करती थी इसलिए अब ब्रा पॅन्टी में रेखा से मसाज करवाने के ख़याल से उसको उततेज़ना आने लगी.

जब आँचल बेडरूम में वापस आई तो चौंक गयी . रेखा सिर्फ़ ब्रा पॅन्टी में थी बाकी कपड़े उसने उतार दिए थे. आँचल ने देखा की रेखा ने इंपोर्टेड लेस वाली ब्रा पॅन्टी पहनी हुई है. वो समझ गयी की ज़रूर इसने ये इतनी महनगी ब्रा पॅन्टी अपनी पिछली मेमसाब से चुराई होंगी.

रेखा को आम(माँगो) बहुत पसंद थे. हर समय आम आम करती थी पर उसके खुद के आम बहुत छोटे थे. रेखा थोड़े काले रंग की पतली दुबली सी थी और छोटी छोटी चुचियाँ पाले थी. पर वो एक नंबर की चुडदक्कड़ थी , मुहल्ले के सभी नौकरों से चुदवा चुकी थी . टाँगे उसकी नीचे को कम और उपर को ज़्यादा रहती थी.

जब रेखा ने आँचल को ब्रा पॅन्टी में देखा तो देखती रह गयी. उसकी गोरी गोरी बड़ी चुचियाँ ब्रा से बाहर निकालने को मचल रही थी. आँचल ने रेखा को इस तरह घूरते हुए पाया तो आँचल शर्मा गयी और बेड पर पेट के बाल लेट गयी.

रेखा आँचल के कंधों पर तेल लगाकर मालिश करने लगी. मालिश के साथ साथ वो आँचल की खूबसूरत गोरी त्वचा (स्किन) की तारीफ भी करते जा रही थी. फिर उसने पीछे से आँचल की ब्रा का हुक खोल दिया और पीठ , कमर में तेल मालिश करने लगी. आँचल को मालिश से बहुत अक्चा महसूस हो रहा था . वो दोनो मालिश के साथ बातें करने लगी.

रेखा : “ मेमसाब आप कितनी सुंदर हो ! आपकी स्किन बिल्कुल सॉफ सुथरी कितनी अच्छी है बिल्कुल गोरी उजली ! मेरी किसी भी पुरानी मेमसाबकी इतनी सुंदर नही थी. आप वाक़ई बहुत खूबसूरत हो.”

मालिश करते करते दोनो को उततेज़ना आने लगी फिर उनकी बातें सेक्स की तरफ मूड गयी.

अब रेखा जांघों की मालिश कर रही थी. जाँघो के आंद्रूणई हिस्से की मालिश करते समय वो जानबूझकर आँचल की छूट के होठों को टच कर दे रही थी . जिससे आँचल की हल्की हल्की सिसकारी निकल जा रही थी. रेखा ने देखा आँचल की पॅन्टी में गीलापन आ रहा है. वो समझ गयी अब मेमसाबउततेज़ीत हो गयी है.

रेखा : “ मेमसाब, वो जो नया कुक आया है ना अपने यहाँ, वो बहुत हरामी है.”

आँचल : “ हरामी ? क्या मतलब ? ”

तभी रेखा ने आँचल से पलटकर पीठ के बाल लेटने को कहा. आँचल पलट गयी पर उसको ध्यान नही रहा की रेखा ने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया है. रेखा ने देखा की आँचल के निप्पल उततेज़ना से बिल्कुल टन चुके हैं. अब रेखा भी बहुत उततेज़ीत हो चुकी थी.

रेखा : “ मेंमसाब्, वो छोकरा सिर्फ़ नाम का ही छोकरा है . पर असल में उसका बहुत बड़ा है .”

आँचल : “क्या मतलब है तुम्हारा ? क्या उसने तुम्हे चोदा है ?”

रेखा आँचल को सेक्स की बातों में लगाकर अब उसकी चुचियों और निप्पल में तेल लगाकर उन्हे दबोच और मसल रही थी. आँचल पूरी तरह से एग्ज़ाइटेड होकर ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.

रेखा : “ मेमसाब, उसका खंभे जैसा है , मोटा और लंबा.”

ये सुनकर आँचल को तुरंत अपने मयके के नौकर रामू और उसके मोटे लंड की याद आ गयी. वो सिसकारी लेते हुए बोली, “ उः आ हह …….खंभा ? क्या है खंभा ? बोलो ना आह…….”




रेखा ने दोनो हाथों से आँचल की पॅन्टी के कोने पकड़े और उनको नीचे को खींचने लगी. आँचल ने अपने नितंबों को तोड़ा उठाकर पॅन्टी उतरने में रेखा की मदद की. रेखा ने देखा आँचल की पॅन्टी पूरी गीली हो चुकी है और उसकी चूत के होत उततेज़ना से बिल्कुल फूले हुए हैं. उसको आँचल की आँखों में कामुकता दिखी . अब उससे और कंट्रोल नही हुआ और उसने आँचल की चूत में अपना मुँह लगा दिया और आँचल का चूतरस पीने लगी.

अपनी चूत पर रेखा के होंठ और जीभ के स्पर्श से आँचल ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी. रेखा ने अपनी जीभ आँचल की चूत के अंदर घुसा दी और लपलप उसकी चूत चाटने लगी. थोड़ी ही देर में आँचल को जबरदस्त ऑर्गॅज़म आया उसकी कमर हवा में उठकर टेडी हो गयी और चूत से चूतरस बह निकला.

ये देखकर रेखा ने अपनी ब्रा पॅन्टी उतार फेंकी और नंगी होकर अपनी चूत को आँचल के मुँह पर रगड़ने लगी. आँचल भी अपनी जीभ से रेखा की क्लाइटॉरिस को चाटने लगी और रेखा की चूत में जीभ घुसकर उसका चूतरस पीने लगी. अब दोनो ने एक दूसरे की चूत में अंदर तक जीभ घूमना शुरू कर दिया. कुछ ही देर बाद दोनो को ऑर्गॅज़म आ गया.

आँचल ने रेखा से उस हरामी छोकरे के बारे में और जानना चाहा. लेकिन रेखा ने शर्त रख दी की वो उस छोकरे के बारे में तभी बात करेगी अगर आँचल अपने गर्म बाथटब में रेखा के साथ नहाने के लिए तय्यार होगी. आँचल ने रेखा की बात मान ली और दोनो बाथटब में बैठकर एक दूसरे के नंगे बदन में साबुन लगाने लगी. रेखा उस छोकरे के साथ अपनी चुदाई की बातें आँचल को बताने लगी और आँचल की बड़ी बड़ी चुचियों को मसालते हुए उनमे साबुन लगाने लगी. उसका मॅन ही नही भर रहा था उन चुचियों से.

रेखा ने बताया की जिस दिन उस छोकरे को नौकरी पर रखा था उस दिन वो रात में उसको गद्दे चादर बिस्तर देने उसके कमरे में गयी . वो हरामी उस समय मूठ मार रहा था. रेखा उसके बड़े खंभे जैसे लंड को देखकर हैरान रह गयी.
फिर बाथटब में पानी के अंदर आँचल की क्लाइटॉरिस को अपनी अंगुलियों से छेड़ते हुए रेखा ने बताया की उस छोकरे को मूठ मरते हुए देखकर वही पर उसकी चूत से पानी निकल गया था. आँचल ने मॅन ही मॅन उस छोकरे का बड़ा लंड इमॅजिन किया और सिसकारियाँ लेने लगी.

रेखा : “ बस मेमसाब , उस छोकरे ने कुछ पूछा नही और मेरा हाथ पकड़कर अपने खंभे जैसे लंड पर रख दिया.” फिर रेखा उसके साथ हुई चुदाई के बारे में बताने लगी.

उसकी कहानी सुनकर आँचल बाथटब में एक बार और झाड़ गयी.

रेखा : “ मेमसाब , वो बहुत हरामी छोकरा है. वो कहता है की उसने कई मेमसाब और आया लोगो को चोदा है.”

ये सुनकर आँचल की चूत से फिर पानी निकालने लगा.

रेखा आँचल की चुचियों को अपने ददांतों से काट-ते हुए बोली, “ मेमसाब , आप बच के रहना , वो कहता है की आप मस्त माल हो और आपको चोदने में बहुत मज़ा आएगा.”

आँचल सिसकारियाँ लेते हुए बोली, “ आह…उहह…उफफफ्फ़ …..मुझे चोदेगा ….आह…. ओह गोद ….”

आँचल को एक जबरदस्त ऑर्गॅज़म आया और उसका पूरा बदन अकड़ गया. उसकी चूत से रस का झरना बह निकला और बाथटब के पानी में जा मिला.

आँचल और उसकी नौकरानी रेखा ने एक दूसरे से खूब मज़ा लिया. लेकिन इस बार आँचल को कोई गिल्टी फीलिंग नही हुई.

आँचल को रेखा से जलन हुई की मेरी नौकरानी उस छोकरे के खंभे से रोज़ मज़े ले रही है और में मेमसाब होकर भी मेरी सेक्स की प्यास अधूरी है.
 
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आँचल ने अपनी नौकरानी रेखा के साथ खूब मज़ा किया . लेकिन उसे इस बात से घबराहट हुई की उसका नया कुक सलीम उसे छोड़ना चाहता है. उसने सोचा की इसमे बहुत ख़तरा है . क्यूंकी उसका ससुर हर समय उसके आस पास ही मद्रता रहता है , उसको कुच्छ शक़ भी हो सकता है. आँचल ने निर्णय लिया की इससे पहले कुछ गड़बड़ हो सलीम को नौकरी से निकल देना ही ठीक रहेगा.

आँचल ने सोचा रेखा को तो मई हॅंडल कर लूँगी उससे ज़्यादा नुकसान नही है. तोड़ा बहुत मेकप का समान ही तो मांगती है . वैसे भी वो कितनी आक्ची तरह से छूट छत-ती है.

लेकिन आँचल को ये मालूम नही था की रेखा ने सलीम को वो सब बातें बता दी है जो उसके और रेखा के बीच हुई थी . रेखा ने सलीम को बता दिया था की कैसे तुम्हारे बड़े लंड का ज़िकरा करने से मेंसाब् की पनटी गीली हो गयी थी. और ये भी की जब रेखा ने आँचल को बताया था की “ मेंसाब् वो आपको छोड़ने का इरादा रखता है “ तो कैसे मेंसाब् छूट से रस बहते हुए झाड़ गयी थी .

रेखा से ये सब बथीईन सुनकर सलीम बहुत उततेज़ीत हो गया और उसने मेंसाब् के बारे में सोचते हुए रात भर रेखा को जमकर छोड़ा. रेखा को छोड़ते समय वो मेंसाब् के गोरे उजाले रंग, बड़ी बड़ी चुचियाँ और मक्खन जैसी मुलायम लेकिन बड़ी गांद के बारे में सोच रहा था. अपनी अम्मी की मोटी गांद मरते मरते उसे अब गांद मारना ही पसंद था. और ख़ासकर बड़े घरों की मेंसाब् की गांद मार्कर उसे और ज़्यादा मज़ा आता था.

उधर आँचल के ससुरजी के अलग ही चुदाई के प्लान बन रहे थे. उसको लगता था की मेरे घर पर होते हुए भी बहू किसी बाहरवाले से चुड के आ गयी ये तो मेरे साथ सरासर धोखा है. अगर मेरा बेटा उसको सॅटिस्फाइ नही कर पा रहा है तो मुझको चान्स मिलना चाहिए था बहू को सॅटिस्फाइ करने का. इससे घर की बात घर में ही रहती. आँचल जैसी मादक बहू के घर में आने से उसकी जवानी फिर से लौट आई थी उसे अपना लंड फिर से जवान लगने लगा था. वो ससुरा अपना तोड़ा सेक्षुयल टेन्षन दूर करने के लिए दो चार रंडियन भी छोड़ आया पर उससे कुछ फयडा नही हुआ , उसे बहू ही चाहिए थी. उसके एक दोस्त का न्यू देल्ही रेलवे स्टेशन के पास होटेल था , उसी होटेल के कमरे में ससुर और उसके दोस्त ने रंडियन छोड़ी थी. वो सोच रहा था की बहू को कैसे उस होटेल में ले जौ , अगर एक बार वहाँ आ गयी तो फिर उसे छोड़ने में कोई प्राब्लम नही है.

आँचल के पति सुनील को घर में चल रही इन बातों की कोई भनक नही थी की कौन कौन उसकी खूबसूरत बीवी को छोड़ने का प्लान बना रहा है. सुनील कभी कभी आँचल को छोड़ लिया करता था लेकिन आँचल के बदते सेक्षुयल फ्रस्ट्रेशन से वो अंजान था. उसकी तरफ से तो सेक्स करने का मतलब था छूट में लंड घुसाओ और अपना पानी निकल दो . उसे कोई ज़्यादा इन बातों का अनुभव नही था. बीवी को भी संतुष्ट करना पड़ता है इस बारे में उसने कभी सोचा ही नही.

लेकिन आँचल अब जानती थी की असली चुदाई क्या होती है , क्यूंकी ये उसे समीर और किमी के साथ अनुभव हो चुका था. उसे पता था की मर्द एक औरत को कितना सुख दे सकता है और एक औरत भी औरत को मज़ा दे सकती है अगर वो किमी जैसी माहिर हो. एक आक्ची और जबरदस्त चुदाई के लिए आँचल की छूट तड़पने लगी.

रामू और समीर के बड़े लंड देख लेने के बाद अब उसे सुनील का लंड पतला छोटा लगता था. सुनील से चुड़वते समय अब उसे लगता था इस पतले छोटे लंड से छूट की रागड़ाई नही हो पा रही.

अगली सुबह सुनील के ऑफीस जाने के बाद आँचल ने रेखा को अपने बेडरूम में बुलाया . उसे बहुत उततेज़ना महसूस हो रही थी और वो रेखा की मदद से अपनी उततेज़ना शांत करना चाह रही थी. जब रेखा ने बेडरूम में आकेर अपने कपड़े उतरे तो आँचल चौंक गयी. रेखा के बदन में जगह जगह हल्के निशान पड़े हुए थे. आँचल के पूछने पर उसने बताया की सलीम ने उसे रात भर बुरी तरह छोड़ा और अब उसकी छूट दुख रही है और वो निशान उसके काटने के हैं.

ये बात सुनकर आँचल की छूट से रस बहने लगा और उसकी पनटी गीली हो गयी. आँचल ने रेखा से कहा की वो उसको सारी चुदाई के बारे में पूरे विस्तार से बताए की सलीम ने उसे कैसे कैसे छोड़ा. रेखा उसे अपना किस्सा सुनने लगी . किस्सा सुनते सुनते दोनो ही बहुत उततेज़ीत हो गयी और एक दूसरे को चूमने , चाटने, काटने और मसालने लगी. कुछ देर में उनको ऑर्गॅज़म भी आ गया.

वैसे तो आँचल को रेखा के मुँह से सलीम और रेखा की चुदाई का किस्सा सुनकर बहुत मज़ा आया था , पर उसके मॅन में सलीम को लेकर दर भी था. वो उसे नौकरी से निकालने का कोई बहाना ढूँदने लगी. धीरे धीरे उसने अपने पति और ससुर के सामने खाना खाते समय खराब खाने की शिकायत करना शुरू कर दिया.

लेकिन इससे पहले की आँचल सलीम को नौकरी से निकलवा पति वो बीमार पद गयी. उसे विराल फीवर हो गया था. शुरू के दो दिन तक तेज बुखार रहा तो उसके पति सुनील ने घर पर ही रहकर उसकी देखभाल की. तीसरे दिन उसका बुखार काफ़ी कम हो गया तो सुनील अपने ऑफीस चला गया.

सुनील के ऑफीस जाने के बाद आँचल के ससुर ने मौका देखकर उसकी देखभाल शुरू कर दी. वो दिन भर उसके पास ही बैठा रहा और बुखार चेक करने के बहाने से कभी आँचल का माता , कभी उसके गाल , कभी बाँहों , कभी कंधों को छू रहा था. आँचल निघट्य पहने थी , इससे ससुर को कभी उसकी आर्म्पाइट, कभी ब्रा का कोई कोना और निघट्य के बाहर से ही उसकी मांसल जाँघो का शेप दिख जा रहा था. आँचल अपने ससुर की सब हरकतें समझ रही थी पर वो बीमारी में देखभाल के बहाने से उससे चिपका हुआ था इसलिए वो उसको माना भी नही कर पाई. दो दिन तक ससुर ऐसे ही उससे चिपका रहा.

अब आँचल काफ़ी हद तक ठीक हो चुकी थी. अपने ससुर के साथ दो दिन के हर समय के साथ से उसे अब कुछ उततेज़ना सी महसूस होने लगी. अपने पास बैठे हुए ससुर के पंत में बना तंबू उसने देख लिया था और एक दो बार तो उसका ससुर जानबूझकर बहाने से उसकी बाँह से अपने तंबू को रग़ाद भी चक्का था.

उधर ससुरजी के मॅन में अलग ही ख़याली पुलाओ पाक रहे थे. उसने नोटीस किया की बहू मेरे तंबू को घूर रही थी और जब में उसको बहाने बहाने से इधर उधर टच करता हूँ तो कुछ विरोध भी नही कर रही है. ये समय बिल्कुल ठीक है अब हात्ोड़ा मार ही देना चाहिए. अगले दिन सनडे है , सुनील तो घर पर होगा लेकिन रेखा की कल छुट्टी रहेगी. अगर में सुनील को किसी बहाने से कहीं बाहर भेज दूं तो बहू और में अकेले ही रह जाएँगे फिर तो में जी भर के बहू को छोड़ूँगा. मुझे लगता है अब बहू की भी यही इक्चा है और वो इसके लिए तय्यार दिखती है , नही तो मुझे अपने बदन को टच क्यूँ करने देती.

शाम को जब सुनील घर आया तो ससुर बोला, “ बेटा , एक कस्टमर है सोनेपत में. में चाहता हूँ की तुम कल सनडे को जाओ और उससे मिलो. मेने अपायंटमेंट भी ले लिया है.”

सुनील बोला, “ ठीक है , में मिल लूँगा उससे.”

अब ससुर हिसाब लगाने लगा , सुनील को जाने में दो घंटे और आने में दो घंटे और मीटिंग का टाइम भी जोड़ लो तो इसका दिनभर लग ही जाएगा आने जाने में . तब तक में……….आआआहह.

आँचल को दिन भर छोड़ने के ख़याल से ससुर के मुँह से लार टपकने लगी . अरी यार , इश्स चिकनी छोकरी को तो में सेक्स का ऐसा पाठ पड़ौँगा की ये भी क्या याद करेगी की किस एक्सपीरियेन्स्ड मर्द से पाला पड़ा है. दिन भर छोड़ने को मिलेगी , आहा मुझे तो अपने लक पर विस्वास ही नही हो रहा , मज़ाअ आ जाएगा टनटन.

आँचल को ससुर के इश्स प्लान के बारे में कुछ नही पता था सनडे को उसने देखा की सुनील किसी मीटिंग के लिए सोनेपत जा रहा है. जैसे ही सुनील घर से बाहर निकला , ससुर आँचल की देखभाल करने के बहाने उसके कमरे में घुस गया.

अब वो सोचने लगा बहू को सिड्यूस करना कैसे शुरू करू , थोड़ी देर में ही उसके दोस्त का फोन आ गया. उसके दोस्त की बीवी की रात में मृत्यु हो गयी थी और अभी सुबह उसका क्रियाकर्म करना था. ससुर का दिल बैठ गया अब क्रिया करम में तो उसको जाना ही पड़ेगा. लेकिन उसने अपने को दिलासा दिया की दोपहर के बाद तक में वापस आ जौंगा फिर भी मेरे पास कुछ घंटे तो बचेंगे ही , जिसमे में बहू को छोड़ सकता हूँ, सुनील तो शाम को ही वापस आएगा. फिर उसने आँचल से आराम करने को कहा और खुद दोस्त के घर चला गया.


उनके कुक सलीम ने देखा घर में कोई नही है अब ये अक्चा मौका है.
वो आँचल के बेडरूम में घुसा और बोला, “ मेंसाब् लंच के लिए क्या पकना है ? आपको अभी कुछ चाहिए तो नही ?”

उसने देखा आँचल निघट्य में लेती है. उसकी गोरो गोरी बाहें और निघट्य में बड़ी बड़ी चुचियाँ देखकर सलीम के मुँह से लार टपकने लगी.

आँचल ने सलीम की आँखों में वासना देखी और उसे दर लगने लगा लेकिन साथ ही साथ उततेज़ना भी महसूस हुई. रेखा ने बताया था इसका खंभे जैसा है , फिर आँचल की निगाहें उसके निक्कर की तरफ मूड गयी.

सलीम ने देखा आँचल उसके निक्कर को देख रही है . उसकी हिम्मत बाद गयी और अपने लंड को निक्कर के बाहर से ही सहलाते हुए वो आँचल के तोड़ा और करीब आते हुए बोला, “ क्या देख रही हैं मेंसाब् ? कुछ चाहिए क्या ?”

आँचल ने उसे ऐसा करते देखा तो अपना सर झटका और अपने को संयत करते हुए कहा , “ न.... नही कुछ नही चाहिए. तुम जाओ अभी.”
आँचल का चेहरा उततेज़ना से लाल हो गया था.

सलीम समझ गया , मुँह से जाओ कह रही है और अंदर से उततेज़ीत हो रही है, उसकी हिम्मत और बाद गयी और वो आँचल की बेड के पास आ खड़ा हुआ.
फिर आँचल के माथे पर हाथ रखता हुआ बोला, “ मेंसाब् अब तो आपका बुखार बिल्कुल उतार गया है.”

आँचल ने मॅन ही मॅन कहा , इस छोकरे की हिम्मत तो देखो , मेरे बेडरूम में घुसकर मुझे छू रहा है.
उसने तोड़ा कठोरे आवाज़ में कहा, “ मेरे लिए नास्टा लेकर आओ, जल्दी…”

सलीम मुस्कुराया और बोला, “ पर आपको तो मेरी बनाई हुई चेज़ें आक्ची नही लगती हैं “.

फिर उसने अपने निक्कर में से पूरा ताना हुआ लंड बाहर निकाला और उसको आयेज पीछे अपने हाथ में हिलता हुआ बोला, “ ये तो ज़रूर अक्चा लगेगा आपको”.
 
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सलीम समझ गया , मुँह से जाओ कह रही है और अंदर से उततेज़ीत हो रही है, उसकी हिम्मत और बाद गयी और वो आँचल की बेड के पास आ खड़ा हुआ. फिर आँचल के माथे पर हाथ रखता हुआ बोला, “ मेंसाब् अब तो आपका बुखार बिल्कुल उतार गया है.”

आँचल ने मान ही मान कहा इस छोकरे की हिम्मत तो देखो मेरे बेडरूम में घुसकर मुझे छू रहा है. उसने तोड़ा कठोरे आवाज़ में कहा, “ मेरे लिए नास्टा लेकर आओ, जल्दी…”

सलीम मुस्कुराया और बोला, “ पर आपको तो मेरी बनाई हुई चेज़ें आक्ची नही लगती हैं “.

फिर उसने अपने निक्कर में से पूरा ताना हुआ लंड बाहर निकाला और उसको आयेज पीछे अपने हाथ में हिलता हुआ बोला, “ ये तो ज़रूर अक्चा लगेगा आपको”.

सलीम का खंभे जैसा लंड देखकर आँचल धक से रह गयी. वो पहली बार ख़तने वाला लंड देख रही थी. सलीम के लंड के सूपदे के उपर कोई चाँदी नही थी. आँचल के मुँह से कोई बोल नही फूटे.

सलीम को मालूम था की उसके लंड को देखकर औरतें हक्की बक्की रह जाती हैं. अब उसने अपने हाथ आँचल के माथे से हटाकर उसके चेहरे को अपने हाथों में पकड़ लिया और आँचल की आँखों के सामने उसका लंड फंफना रहा था.

आँचल को बहुत दर लग रहा था लेकिन उसकी छूट से पानी भी निकलता जा रहा था. उसने धीमी आवाज़ में अटकती सांसो के बीच कहा, “ उहह.... मुझे माफ़ करो सलीम, तुम यहाँ से चले जाओ , प्लीज़!”

आँचल की उलझन देखकर सलीम मुस्कुराया और उसके गॅलन को मलते हुए बोला , “ में चला जौंगा बस तुम एक बार एसए अपने हाथ में ले लो .”

सलीम जनता था की उसके लंड को देखकर औरतें घबरा जाती हैं. उनको कैसे धीरे धीरे पताके काबू में करना है ये उसने सीख लिया था. उसने फिर आँचल से बोला मई चला जौंगा तुम बस एक बार अपने हाथ मे ले लो.

आँचल कनपटी हुई आवाज़ में बोली, “ पक्का ? तुम चले जाओगे ? अगर में हाथ में ले लूँगी तो ?”

सलीम फिर मुस्कुराया और बोला, “ पक्का मेंसाब्.”

फिर आँचल ने उसका लंड अपने हाथ में पकड़ लिया. उसके हाथ में सलीम का खंबे जैसा लंड आक्ची तरह से पकड़ा ही नही जा रहा था. सलीम ने उससे अपना मुँह खोलने को कहा. आँचल ने जैसे सुना ही नही वो उसके लंड को अपने हाथों में देखकर उसी में हैरानी से खो सी गयी थी.

सलीम ने कहा, “ कैसा लगा पकड़ने में मेंसाब् ?”.
फिर बोला , “अब अपने मुँह में लेकर चूसो एसए .”

जब सलीम ने देखा की आँचल तो जैसे जड़वत हो गयी है तो उसने उसके हाथ से लंड हटाकर आँचल के गॅलन पर रगड़ना शुरू किया.

आँचल ने तुरंत कहा, “ नही ! तुमने कहा था की तुम चले जाओगे .”

“तोड़ा सा चूसो फिर में पक्का चला जौंगा”, सलीम ने जवाब दिया.

आँचल ने अपने होत तोड़ा खोले और सलीम ने उन होठों के बीच अपना लंड घुसा दिया. जब उसने देखा की ये तो आराम से लंड चूस रही है तो वो समझ गया की ये मुझसे छुड़वाना चाहती है.

उसने आँचल की गार्डेन पकड़ ली और लंड तोड़ा और अंदर घुसा दिया फिर पूछा, “ मेंसाब्, कैसा लग रहा है मेरा लंड ?”

आँचल लंड चूसने में मगन थी इसलिए उसने जवाब में सिर्फ़ …. ग..गु गो गु … की आवाज़ निकली.

फिर वो सलीम की गोलियों को सहलाने लगी. सलीम समझ गया इसको मज़ा आ रहा है. उसने अपना लंड उसके मुँह से निकल लिया और अपनी गोलियाँ चाटने को कहा. आँचल ने तुरंत गोलियों को चाटना शुरू कर दिया.

सलीम अब उसको पूरा नंगा देखना चाहता था इसलिए बोला, “ अपने कपड़े निकल मुझे तेरी चुचियाँ देखनी हैं.”


आँचल ने अपनी निघट्य उतार दी . अब वो सिर्फ़ लेस वाली पनटी में थी. उसकी गोरी गोरी चुचियों को खुला देखकर सलीम उनको मुँह में भरकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. फिर चुचियों को रफ तरीके से मसालने और काटने लगा. आँचल दर्द से चिल्लाई.

सलीम उसको एक थप्पड़ मरते हुए बोला, “ साली, रेखा की चुचियाँ और छूट तू चूस्टी है और अब रोटी है.”

फिर उसने आँचल की गीली हो चुकी पनटी को फाड़ दिया . आँचल की टाँगों को ज़ोर से अलग करते हुए उसने आँचल की छूट में अपना लंड घुसेड दिया.

आँचल दर्द से चिल्ला पड़ी, “ आ आ आ हह……ऊओ आय माआ मेरी फट रही है ……..आय माआअ …”

आँचल की टाइट छूट देखकर सलीम हैरान रह गया. आँचल के रोने ढोने से वो और एग्ज़ाइट हो गया और उसकी छूट में ज़ोर ज़ोर से धक्के मरने लगा.
फिर बोला, “ तेरी छूट तो बहुत मस्त है, मज़ा आ गया.”

अब वो पूरा लंड बाहर निकालकर फिर एक झटके में पूरा अंदर धँसने लगा. अब उसकी स्पीड तेज हो गयी थी.

आँचल को किसी ने इतनी तेज तेज नही छोड़ा था. अब उसने भी सलीम के धक्कों के साथ ही अपनी गंद उपर को उछालनी शुरू कर दी इस तरह वो भी सलीम को छोड़ने लगी. उसको ऑर्गॅज़म पर ऑर्गॅज़म आने लगी और उसके मुँह से तेज सिसकारियाँ निकल रही थी ….ऊओ अहह ओइईईईईईईईईई उफफफफफफफफफफफफ्फ़ अहह…”

सलीम की गोलियाँ हर झटके के साथ आँचल की गंद से टकरा रही थी ….ठप….. ठप….. ठप ..
इसी तरह वो आँचल को ढकधक छोड़ता रहा. जब वो झड़ने वाला था तो उसने अपना लंड पूरा छूट के अंदर दल दिया और आँचल के छूट की गहराइयों में अपना वीर्या छोड़ दिया.

फिर उसने अपना लंड छूट से निकालकर आँचल के मुँह में दल दिया. आँचल को लंड से वीर्या के साथ अपने छूटरस का स्वाद आया और उसने लंड चूसना शुरू कर दिया. आँचल ने देखा की सलीम का मुरझाया हुआ लंड भी आँचल के पति सुनील के खड़े लंड से बड़ा था.

आँचल के चूसने से सलीम का लंड फिर खड़ा हो गया. उसने आँचल को पलट दिया और घुटनो के बाल कुटिया बना दिया.
अब आँचल के पीछे जाकर उसने आँचल की छूट में अपना लंड घुसेड दिया और वो पीछे से ढकधक छोड़ने लगा साथ ही साथ आँचल की बड़ी गंद में थप्पड़ भी मरते जा रहा था…चटाक़……. चटाक़…… चटाक़.

आँचल कभी भी डॉगी स्टाइल में नही चूड़ी थी , उसे बहुत मज़ा आ रहा था. छूट में लंड के ताबड़तोड़ धक्कों के साथ अपनी गंद पर पड़ते थप्पड़ से उसको जल्दी ही जबरदस्त ऑर्गॅज़म आ गया …आ आहह ओइईईईईईईईईईईईईई उफफफफफफफफफफफफ्फ़ आअहह……..उसके घुटने कंज़ूर पद गये और वो बेड पर गिर पड़ी. उसकी जंघें और टाँगे ऑर्गॅज़म की उततेज़ना से कांप रही थी. सलीम ने उसको फिर उठाने की कोशिश की पर आँचल बिना उसके सपोर्ट के नही उठ पा रही थी.

इतनी बार झाड़ जाने से आँचल अब कमज़ोरी महसूस कर रही थी. उसका पूरा बदन पसीने से भीग चक्का था . उसकी आँखों में अजीब से भाव थे जैसे वो शून्या को घूर रही हो. उसके घुटने कमज़ोरी से कांप रहे थे. सलीम के काटने से उसके गालों और चुचियों पर लाल निशान पद चुके थे. उसकी गंद थप्पड़ मारे जाने से लाल हो चुकी थी.

लेकिन सलीम तो अभी शुरू ही हुआ था , उसने सुनील की टेबल से सब काग़ज़ फेंक दिए और आँचल को टेबल पर बैठा दिया फिर उसकी टाँगों को अपने कंधों पर रखकर आँचल की छूट में फिर से अपना लंड घुसेड दिया , एक जोरदार झटके में लंड पूरा छूट में अंदर तक धँस गया. फिर वो तेज़ी से लंड अंदर बाहर पेलने लगा.

आँचल चिल्लाई …अहह्ा ………..आहह…… ओइईईई… आअरहगगगघहीुई..म्म्म्माआ…
इश्स पोज़िशन में सलीम का लंड बहुत डीप पेनेटरेट कर रहा था. आँचल को लगा आज तो उसकी छूट फट के चित्रा हो जाएगी. उसकी पहले से ही लाल हो चुकी गंद भी टेबल से रग़ाद खाकर और लाल हो गयी.

जैसे ही सलीम झड़ने को हुआ उसने अपना लंड आँचल की छूट से बाहर निकाला और आँचल के बाल पकड़कर उसका चेहरा नीचे झुका दिया और वीर्या की धार को उसके बालो , उसके खूबसूरत चेहरे और उसकी गोरी चुचियों पर छोड़ दिया . आँचल अपना बॅलेन्स नही बना सकी और टेबल से नीचे गिरने लगी, तभी सलीम ने उसको पकड़कर नीचे फर्श पर बैठा दिया .

तभी आँचल का फोन बजने लगा. सलीम ने फोन उठाया तो देखा सुनील की कॉल थी . लेकिन आँचल उठकर फोन पर बात करने की हालत में नही थी. सलीम ने आँचल को फोन दिया और खुद उसकी चुचियाँ मसालने लगा. सुनील ने फोन पर आँचल से पूछा की वो अब कैसा फील कर रही है और तबीयत कैसे है , आँचल सिर्फ़ हूँ हाँ में ही जवाब दे पाई .

इतनी खूबसूरत औरत को बुरी तरह से छोड़कर भी सलीम का मान नही भरा , उसको फोन पर हूँ हाँ करते देखकर उसका लंड फिर टन गया. उसने फर्श पर बैठे बैठे ही आँचल को कमर और गंद से पकड़कर उठाया और अपने लंड पर बैठा दिया . आँचल अभी फोन पकड़े हुए ही थी. लंड के छूट में घुसते ही आँचल के मुँह से आ निकली , दूसरी तरफ सुनील ने समझा की उसकी बीवी की तबीयत खराब है और वो उल्टी कर रही है.

आँचल दर गयी उसने समझा कहीं सुनील कुछ शक़ ना कर बैठे , इसलिए उसने नॉर्मल तरीके से बात करना चाहा , लेकिन सलीम उसकी गंद उठा उठा के धीरे धीरे छूट छोड़ रहा था इसलिए उसके मुँह से सिसकिया निकल जा रही थी. सलीम इस बात से और एग्ज़ाइटेड हो गया की मेंसाब् अपने हज़्बेंड से फोन पर बात कर रही है और मई उसे छोड़ रहा हूँ. वो समझ गया की मेंसाब् दर से , सुनील से नॉर्मल होके बात करने की कोशिश कर रही है , उसने नीचे से तेज तेज धक्के मरने शुरू कर दिए.

अब आँचल सलीम की गोद में तेज धक्कों से चूड़ते हुए उछालने लगी उसकी तेज सिसकारियाँ निकालने लगी . लेकिन अभी भी वो फोन पकड़े हुए थी . उसको ऑर्गॅज़म आ गया. सुनील को फोन पर सिर्फ़ आहह ….उफ़फ्फ़….अरगगगगगग…अर्र्र्र्र्ररर…..ओइईईईईईईईईई…. सुनाई दे रहा था.

सुनील बोला, “ आँचल , आँचल क्या बात है ? तुम ऐसे अजीब आवाज़ें क्यूँ निकल रही हो , तबीयत ज़्यादा ही खराब हो रही है क्या ?”

ऑर्गॅज़म ख़तम होने के बाद आँचल ने सुनील को बोला की उसको अभी उल्टी आई थी , इसलिए उसके मुँह से अजीब सी आवाज़ें निकल रही थी. फिर उसने कहा मेरी तबीयत ठीक नही है तुम जल्दी घर आ जाओ और फोन रख दिया.

आँचल को अपने पति से झूठ बोलते देखकर सलीम बोला, “ अक्चा नाटक करती है तू साली !”

आँचल बोली, “ आह ,....उफ़फ्फ़ अब मुझे चोर दो सलीम , प्लीज़ अब तुम जाओ.”

आँचल को फर्श पर पड़े देखकर और अपने को चोर देने की मिन्नटें करते देखकर सलीम ज़ोर से हंसा फिर आँचल की गंद पर थप्पड़
मरते हुए बोला ,” साली अभी तो तेरी गंद छोड़ूँगा , क्या मस्त बड़ी गंद है तेरी.”

फिर उसने आँचल को पकड़कर खड़ा कर दिया.

लेकिन आँचल कमज़ोरी महस्सोस कर रही थी इसलिए खड़ा नही हो पाई और सलीम के हाथों में झूल गयी. सलीम ने उसको पेट के बाल बेड पर लिटा दिया और फिर घुटने अंदर को मोदकर आँचल की गंद हवा मैं उपर को उठा दी. फिर उसके दोनो नितंबों को फैला कर गंद के छेड़ में लंड घुसने की कोशिश करने लगा.

जैसे ही सलीम का लंड का सूपड़ा आँचल की गंद में घुसा आँचल ज़ोर से चिल्लाई, “ अहह ओह फट गयी ……ईईईईईईईईईईईईईईईईईई माआआआआआआ….”

“साली लगता है कभी तेरे पति ने तेरी गंद नही मारी , तभी तो तू इतना फुदकट्ी रहती है” , आँचल की गंद के बहुत टाइट छेड़ को देखकर सलीम बोला.

फिर उसने अपना लंड छेड़ से हटा लिया और अपनी उंगलीयुं पर ठुका और उंगली को गंद के छेड़ में घूमने लगा.

आँचल फिर चिल्लाई, “आहह….मत करो सलीम…आहह ओइईई…”

लेकिन सलीम भोसदिका बहुत गन्दू था , अपनी अम्मी की गंद मरते मरते अब उसको गंद मरने की आदत पद गयी थी. इसलिए वो नही माना और फिर उसने अपना लंड आँचल की गंद के छेड़ पर टीका कर धक्का मारा.

“आहह…..मई मार गयी ……..कामीने कुत्ते हरमज़ड़े ने मेरी गंद फाड़ दी...... उईईईईईईईईईई माआआआआआ…”, आँचल फिर चिल्लाई .

आँचल के रोने चिल्लाने से सलीम और एग्ज़ाइटेड हो गया और आँचल की कुँवारी गंद को बुरी तरह से छोड़ने लगा. दर्द से आँचल की आँखों से तपाताप आँसू बहने लगे. कुछ देर बाद सलीम उसकी गंद में ही झाड़ गया. और आँचल को बेड पर रोता छोड़कर बेडरूम से चला गया.

जब सलीम अपने कमरे में पहुँचा तो उसे होश आया की मेने ये क्या कर दिया . दर के मारे अब खुद उसकी गंद फॅट के हाथ में आ गयी और उसने फटाफट अपना दो कौड़ी का समान प्लास्टिक के ठेले में डाला और घर छोड़कर भाग गया.

तब तक दोपहर के 2 बाज चुके थे और आँचल का ससुर भी क्रियकरम से वापस आ पहुँचा. वो दिन भर आँचल को छोड़ने का ही प्लान बनाने में था . इसलिए जैसे ही घर पहुँचा टाइम वेस्ट ना करते हुए सीधे आँचल के बेडरूम में घुस गया. पर बेडरूम का नज़ारा देखते ही उसकी गंद फॅट गयी .
ये तीसरी गंद थी जो आज उस घर में फटी थी.

उसने देखा आँचल बेड पर नंगी पड़ी है और सूबक रही है. उसके पूरे बदन में निशान बने हुए हैं और बदन में जहाँ तहाँ वीर्या लगा हुआ है.
उसकी गंद से तोड़ा खून भी निकल रहा था. जैसे ही आँचल ने अपने ससुर को देखा उसने ज़ोर ज़ोर से रोना शुरू कर दिया.

ससुर उसके पास पहुँचा और उसके नंगे बदन को अपने आलिंगन में लेकर उसको दिलासा देते हुए बोला, “ तुम्हारी ऐसी हालत किसने की ?”

आँचल बोली, “ वो हमारा कुक सलीम , उसी कामीने ने मेरा रेप किया है.”

ससुर मॅन ही मॅन सोचने लगा , इस लड़की को मई छोड़ने को मारा जा रहा हूँ और यहाँ ये दो कौड़ी का नौकर सलीम इसको छोड़ गया और पहले दिन भी ना जाने बाहर किससे छुड़वा के आई थी. पता नही और कौन कौन छोड़ गया इसे , सिर्फ़ में ही नही छोड़ पा रहा हूँ बस.

ससुर गुस्से में सलीम के कमरे की तरफ दौड़ा तो वहाँ जाकर देखा की वो भोसदिका तो भाग लिया. फिर वो वापस आँचल के पास आया .

आँचल उससे हाथ जोड़ते हुए बोली , “ प्लीज़ आप सुनील या किसी और को ये सब मत बताना.”

ससुर बोला, “ ठीक है, में किसी को ये बात नही बतौँगा.”

फिर उसने गरम पानी करके आँचल को नहाने और कपड़े पहेन्ने में मदद की.
उसके बाद उसने आँचल का कमरा धो दिया और फिर सॉफ करके वीर्या और छूटरस के सभी निशान फर्श से मिटा दिए और बेड की शीट्स वगेरह सब बदल दी. ताकि सुनील के आने तक बेडरूम फिर से पहले जैसा सॉफ सुथरा हो जाए.
 
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आँचल के ससुर ने जब आँचल को बेडरूम में नंगी चूड़ी हुई पड़े देखा तो इससे आँचल को बहुत एम्बररासेमेंट फील हुआ. वो दर गयी और उसने झट से सलीम पर रेप का इल्ज़ाम लगा दिया. लेकिन असल बात ये थी की जब से नौकरानी रेखा ने उसे बताया था की सलीम का बहुत बड़ा लॅंड है और रेखा उससे खूब चुड़वति है तो तभी से आँचल के मॅन में भी उससे चुड़वणी की इक्चा पैदा हो गयी थी. वैसे भी उसकी छूट उँचुड़ी ही रह जाती थी इसलिए सलीम को वो अपने को छोड़ने से रोक नही पाई.

उसके मॅन से अपने मयके के नौकर रामू के लंड की यादें अभी मिटी नही थी , बल्कि उन पलों को याद करके उसकी छूट पानी छोड़ देती थी. इसलिए ससुराल के नौकर सलीम से भी उसने मज़ा लेने में देर नही की.

सलीम के लंड के लिए वो प्यासी थी और सलीम के साथ हुई घमासान चुदाई का उसने भरपूर मज़ा भी लिया था , लेकिन तभी तक जब तक की उसने अपना लंड आँचल की गंद में नही घुसाया था. सलीम के लंड से अपनी गंद फदवाने में आँचल को बिल्कुल भी मज़ा नही आया था , बल्कि असहनिया दर्द से वो रो पड़ी थी और वो बड़ी बेदर्दी से उसकी गंद मरते रहा. इसलिए सलीम के घर छोड़कर भाग जाने से उसे बहुत खुशी हुई.

अपने ससुर की मदद से , उसने सुनील के वापस लौटने से पहले ही बेडरूम धो कर सॉफ लिया था. जब सुनील वापस लौटा तो उसने समझा आँचल की तबीयत वाक़ई खराब है उसे बहुत चिंता हुई. उसने अपने पापा से कहा की जब तकाअन्चल अक्चा महसूस नही करती वो फॅक्टरी नही जाएगा और उसके बदले कुछ दिन तक पापा फॅक्टरी चले जाएँ.

बुद्धा ये सुनकर फ्रस्टरेट हो गया पर उसको फॅक्टरी जाना ही पड़ा. वो सोच रहा था अब बहू को नंगी देख लिया है , नहला धुला भी दिया है , अब तो बहू छोड़ने देगी पर सुनील ने उसको फॅक्टरी भेज दिया. वा रे फूटी किस्मत!

सुनील को आँचल ने झूठी कहानी सुना दी की सलीम उनके घर से कुछ रूपीए चुराकर भाग गया है. ज़्यादा अमाउंट नही था इसलिए सुनील ने पोलीस कंप्लेंट के चक्कर में पड़ना ठीक नही समझा.

आँचल ने देखा की फॅक्टरी जाने के नाम पर उसके ससुर का मुँह कैसे उतार गया है. वो जानती थी की उसके ससुर ने सलीम के जाने के बाद उसकी बहुत मदद की थी और बेडरूम सॉफ किया था , उसको बातरूम भी ले गया था , नहाने और कपड़े पहनने में भी मदद की थी , क्यूंकी उस समय गंद मरने से उसकी हालत वाक़ई खराब थी. और वो ये भी जानती थी की इसके बदले में वो ससुर अब उससे क्या माँगेगा. इसलिए उसके फॅक्टरी जाने से वो खुश हुई क्यूंकी अब ससुर सुबह जाकर शाम को ठक्कर लौट-ता था.

आँचल जानबूझकर तबीयत खराब होने का बहाना करती रही जबकि असल में उसकी गंद में तोड़ा दर्द था बाकी वो पूरी तरह से ठीक थी. अगले कुछ दिन तक सुनील ने घर पर ही रहकर आँचल का ध्यान रखा. उसने एक बुड्दा कुक भी रख लिया और आँचल के ज़ोर देने पर नयी नौकरानी भी रख ली. आँचल को रेखा से ब्लॅकमेल होने का दर था इसलिए उसने बहाने बनाकर सुनील से उसको निकलवा दिया. आँचल बीमारी का बहाना बनाकर कुछ दिन तक आराम करती रही. उधर ससुर इन सब बातों से अलग फ्रस्टरेट हो रहा था.

आँचल की बीमारी की खबर सुनकर उसके माता पिता भी उसको मिलने आए. उन्होने सुनील से कहा थोड़े दिन के लिए आँचल को हम अपने साथ मयके ले जाना चाहते हैं. वैसे भी वो शादी के बाद से मयके नही जा पाई थी.

सुनील ने ये बात मान ली और आँचल अपने मयके चली गयी. उस दिन जब ससुर शाम को घर आया तो उसे पता चला की बहू मयके चली गयी है , वो बड़ा दुखी हो गया. आँचल की सास बहुत दिन से अपने रिश्तेदार के घर शादी में गयी हुई थी और कुछ दिन में लौटने वाली थी. ससुर दुखी हुआ की बुदिया के लौटने के बाद उसका बहू को छोड़ने का कोई चान्स नही है.

मयके पहुचने के बाद आँचल का सामना अपने नौकर रामू से हुआ. वो हरामी छोकरा आँचल को वापस देखकर बहुत खुस हुआ और आँचल को वासना भारी नज़रों से तकने लगा. आँचल का चेहरा शरम से लाल हो गया क्यूंकी वो ससुराल में रामू के लंड को याद करके बहुत मूठ मारा करती थी. अपने मयके आकेर आँचल ने बहुत खुशी महसूस की . रामू को देखकर उसने बहुत हॉर्नी फील किया.

आँचल के पेरेंट्स ने उसको एकद्ूम से खुश देखा तो उन्होने सोचा की मयके आने की खुशी से ये बीमार से खुशी महस्सोस कर रही होगी , उन्हे आँचल पर कोई शक़ नही हुआ की इसमे इतना चेंज एकद्ूम कैसे आ गया की अभी तो ससुराल में बीमारी से लेती थी और यहाँ इतनी खुश दिख रही थी.

रामू भी आँचल के जाने के बाद उसको मूठ मरते समय बहुत याद करता था , उसको लगा अब इसकी शादी हो गयी है अब इसको छोड़ने में कोई लाफद नही है.
उस रात को आँचल ने रामू के लंड को याद करके मूठ मारी. उसने फॅंटसाइज़ किया की रामू का बड़ा लंड उसकी छूट में अंदर बाहर हो रहा है. एक तरह से रामू का लंड उसके पहले प्यार के जैसा था क्यूंकी सबसे पहले उसने उसी का देखा था, अपनी शादी से कुछ ही दिन पहले.

जब सुबह हुई तो बेड पर लेते लेते आँचल सोचने लगी की रामू के साथ अकेले वक़्त बिताने का मौका कैसे मिलेगा , इस ख्याल से उसको अपनी छूट से रस बहता महसूस हुआ.


पिछले कुछ सालों से मयके में रामू उसके लिए बेड टी ला रहा था . आँचल जानबूझकर उसको अपने बदन को देखने देती थी , कभी कभी उसकी निघट्य उपर उठ जाती थी तो रामू को उसकी मांसल झंघें भी देखने को मिल जाती थी, और कभी कभी चुचियाँ भी देखने को मिल जाती थी.

आँचल ने आज जानबूझकर पनटी नही पहनी थी और वो पेट के बाल लेती थी और उसने अपनी टाँगें फैला ली थी. उसने अपनी निघट्य भी उपर को खींच ली थी , जिससे जब रामू सुबह की छाई लेके आए तो उसको आँचल की जांघों के साथ ही उसकी गीली छूट का भी नज़ारा दिखे . तभी उसको कदमों की आहत सुनाई दी , उसने सोचा रामू छाई लेके आ रहा होगा. और उसकी उततेज़ना बादने लगी.

लेकिन उसको अपनी मा के बोलने की आवाज़ आई , वो झटके से उठ के सीधी हो गयी . तभी उसके बेडरूम में उसकी मा नौकर रामू के साथ आई.

रामू ने कमरे में अंदर घुसते समय निघट्य में आँचल का अधनंगा बदन देख लिया था , फिर जब वो झटके से सीधी हुई तो उसकी निघट्य के अंदर , बिना ब्रा के , ज़ोर ज़ोर से उपर नीचे को हिलती हुई बड़ी बड़ी चुचियाँ भी उसको देखने को मिली. उस पतली निघट्य में आँचल के ताने हुए निप्पल सॉफ सॉफ दिख रहे थे. रामू समझ गया की आँचल बहुत एग्ज़ाइटेड हो रखी है.

ये सब देखकर आँचल की मा ने रामू को तुरंत कमरे के बाहर भेज दिया.
फिर वो आँचल से बोली, “ कैसे कपड़े पहन रखे हैं, सब कुछ तो दिख रहा है. अब तुम्हारी शादी हो चुकी है . ऐसे झीने झीने कपड़े तुम सिर्फ़ अपने पति के सामने पहना करो. यहाँ तोड़ा ढंग के कपड़े पहना करो. आया समझ में ? ”

आँचल को निराशा हुई पर मजबूरी में सहमति में सर हिलना पड़ा. कहाँ वो रामू को बेड टी के टाइम सिड्यूस करने की सोच रही थी और यहाँ उसे मा के साथ बेड टी पीनी पड़ी और तमीज़ से रहने का लेक्चर अलग से.

अगले दो दिन तक आँचल को अकेले रामू के साथ कोई मौका नही मिला. उसकी मा घर पर ही थी. आँचल बहुत फ्रस्टरेटेड हो गयी. वो रामू के इतने नज़दीक़ थी पर चुदाई का मौका नही मिल पा रहा था.

आज उसको अपनी ससुराल वापस जाना था. शाम को सुनील उसको ले जाने आने वाला था. अब उसका फ्रस्ट्रेशन और भी बाद गया की मयके में आकेर भी रामू के साथ कोई मौका नही मिला.

लेकिन दोपहर में उसकी मा मार्केट चली गयी. मा के जाते ही आँचल रामू को ढोँढने लगी. लेकिन उसको घर में रामू नही दिखा. फिर वो घर के पिछवाड़े में बने सर्वेंट क्वॉर्टर्स की तरफ गयी. वहाँ रामू के कमरे के दरवाज़े को उसने हल्का सा धक्का दिया तो वो खुल गया पर अंदर कोई नही था. कमरे को खाली देखकर वो निराश हुई. लेकिन उसने देखा कमरे की दीवारों में फिल्म स्टार्स , मॉडेल्स के कुछ अधनंगे और कुछ पूरी नंगी मॉडेल्स के पोस्टर चिपके हुए हैं.

रामू की चारपाई में तकिये के नीचे उसे हिन्दी की सेक्स कहानियों की किताब मिली. आँचल वहीं चारपाई में बैठकर वो गंदी किताब पड़ने लगी. कमरे में नंगे पोस्टर्स के बीच वो गंदी कहानियों की किताब पड़ने से आँचल बहुत उततेज़ीत हो गयी और उसकी छूट से रस बहने लगा. उसने अपने जीन्स का बटन खोला और रामू के बेड में लेटकर अपनी गीली छूट में उंगली करने लगी.

रामू के बिस्तर में लेटकर मूठ मरने से उसे एक अलग सा रोमांच हुआ , ऐसा रिस्क लेने से उसकी उततेज़ना बहुत ही बाद गयी और उसको ऑर्गॅज़म आने ही वाला था की तभी कमरे में रामू आ गया.

रामू ने देखा की आँचल मेरे बेड पर लेती हुई है और जीन्स नीचे को खिसका के छूट में उंगली कर रही है. वो हैरान रह गया. आँचल ने भी रामू को देख लिया लेकिन तभी उसको जबरदस्त ऑर्गॅज़म आ गया , वो ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी.
 

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