पायल दौड़ती हुई अपने कमरे मैं आती है. आज जो उसने सोनू के कमरे में देखा था वो उसने सपने भी नहीं सोचा था. अपने ही छोटे भाई को उसकी बूर के लिए ऐसे तड़पते देख पायल का मन भी मचलने लगा था. अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर, पायल बिस्तर पर लेट जाती है. खुली हुई आँखों से वो सोनू को अपना लंड हाथ में लिए उसकी जवानी के लिए तड़पता देख रही है. उर्मिला ने उसे सीख दी थी की बूर को बस लंड चाहिए, फिर चाहे वो किसी का भी हो. लेकिन पायल अब उस से कहीं ज्यादा आगे बढ़ चुकी थी. लंड और बूर के बेनाम रिश्ते में अब नाम जुड़ने लगे थे. उसकी बूर को लंड तो चाहिए था पर वो लंड अब उसके पापा और भाई का था. समाज के लिए जो पाप था, पायल के लिए वो अब परमसुख पाने का आधार बन चूका था. अपने ही ख्यालों में खोयी हुई, पापा और सोनू की याद में, पायल की आँखे बंद होती है और वो नींद की आगोश में चली जाती है.
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शाम का समय : ६:३० बज रहे है.
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ड्राइंग रूम में हंसी-मज़ाक का माहोल है. ठहाकों से कमरा गूँज रहा है. सोफे पर पायल उमा के साथ बैठी हिया और ठीक सामने सोनू लेटा हुआ है. बगल वाले सोफे पर उर्मिला बैठी हुई है. पायल और उमा के बीच थोड़ी दुरी है. बीच-बीच मैं पायल मौका देख कर अपनी स्कर्ट ऊपर कर टाँगे हलकी सी खोल देती तो उसकी गोरी गोर जांघे और बुर पर कसी हुई पैन्टी देख कर सोनू की हालत खराब हो जाती. सोनू टांगो के बीच कुशन को दबाये लेटा हुआ है. पायल की बालोंवाली फूली बूर पर कसी हुई पैन्टी को घूरते हुए वो ख्याली पुलाव पका रहा है. कभी वो अपने आप को पायल की जांघो के बीच बैठे उसकी बूर चुसता हुआ देखता है तो कभी उसकी फैली हुई जांघो के बीच अपना लंड ठूँसते. अपने ख्यालों में वो कई बार पायल की बूर में झड़ चूका है. इन्हीं हंसी मजाक, ठहाकों और सपनों के बीच रमेश बाहर से टहलता हुआ वहाँ आता है.
अगर ठीक लगे तो आगे लिख सकती हु | आप सब की कोमेंट पे ......