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Jabarjast update bhai lekin request hai ki story band ya bich me mat chhodna
Ye kya gajab ho gaya jiske dam par aurato ke tan man me khalbali macha deta tha vo hi kam ka nahi raha khair dekhte hai aage kya hota haiUpdate 11
सोनू हास्पीटल से घर आ गया था.......वो अपने कमरे में खाट पर लेटा था !! राजू भी उसके बगल में बैठा था.....!
राजू - कैसी तबीयत है अब भैया??
सोनू राजू की तरफ देखते हुए बोला.....
सोनू - अब बेहतर लग रहा है....हल्का - हल्का सर में दर्द है बस !!
राजू - सब ठीक हो जायेगा भैया.....बस तुम आराम करो!!
और ये कहकर....राजू वहां से जाने के लीये उठा ही था की , वो एक पल के लीये रुकते हुए बोला-
राजू - भैया लेकीन , आपको काकी ने मारा क्यू??
राजू का सवाल सुनकर....सोनू भी हैरानी मे पड़ गया....वो सोचने लगा की अब इसे क्या बताउं की मां ने कीस लीये मारा.....चाची को चोद रहा था इसलीये....?
राजू - क्या हुआ भैया ? कुछ गलत पुछ लीया क्या....अच्छा तुम आराम करो! बाद में बता देना....!
सोनू (मन) - आह......चलो जान में जान आयी !
राजू के जाते ही......सोनू अपनी आंखे बंद कर लेता है । आंखे बंद करते ही उसके सामने वैभवी का चेहरा आ जाता है!
....सोनू उठ कर खाट पर बैठ जाता है!!
सोनू (मन में) - मैं बार - बार इसके बारे में ही क्यूं सोच रहा हूं.....? क्यूं इसका चेहरा मेरी आंखो के सामने आ जाता है ? जब उसने कह दीया की वो कीसी और से प्यार करती है ! नही , मुझे उसे भूलना ही होगा.......उसे क्या अब तो मैं औरत जात के मुह ही नही लगूगां......एक ने मेरे दील को तोड़ा तो दुसरी ने मेरा सर फोड़ा.....! अब तो बस काम से काम रखना है......हां ये मेरे लीये सही होगा .....!
......उधर सुनीता , सोनू को एक नज़र भर देखने के लीये बेचैन थी.......लेकीन फातीमा.....उसे सोनू के सामने आने से रोक रही थी!
फातीमा - नही सुनीता.....तू समझ , अभी तू सोनू के सामने मत जा....अगर वो तूझे देखेगा तो उसकी तबीयत और बीगड़ जायेगी!!
.....ये तो सुनीता का दील ही जानता था....की उसके उपर क्या बीत रही थी.....एक मां होकर भी अपने बेटे से दुर रहना , उसके दील पर दुखो का पहाड़ टुटने जैसा था.....खैर सुनीता ने अपनी भीगी पलको को अपने नाजुक हाथो से पोछते हुए अपने दील को समझा लीया.....लेकीन उसके मन में एक सवाल घर कर के बैठ गया था की......आखीर कब तक??
......सुनीता रोते हुए अपने कमरे मे चली गयी.....
''फातीमा.....कस्तूरी के साथ ओसार में बैठी थी!
फातीमा - और तू भी , कुछ दीनो तक उसके सामने तक मत जाना......!
कस्तूरी भी क्या करती.....उसने हां में अपना सर हीला दीया.....! थोड़ी देर के बाद......फातीमा उठ कर सोनू के कमरे की तरफ जाती है.....!
'फातीमा को कमरे में देख , सोनू उठ कर बैठ जाता है.....सोनू को उठने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी....ये देखकर , फातीमा लपकते हुए सोनू को पकड़ लेती है!
फातीमा - अरे नही सोनू....तू लेटा रह ,, तेरी तबीयत अभी ठीक नही है!!
फातीमा सोनू को वापस लीटा देती है , और उसके बगल में बैठ जाती है !
फातीमा - अल्लाह करे तू जल्दी से ठीक हो जाये!
फातीमा की बात सुनते हुए सोनू थोड़ा मुस्कुराते हुए बोला-
सोनू - ये तो तुम्हारे अल्लाह और मेरे भगवान ने मेरी गलतीयों की सजा दी है...!
फातीमा - अरे भला तूने क्या गलती कर दी? जो अल्लाह तूझे सजा देगा?
सोनू - अब ये गलती नही तो और क्या है? जीनके पैरो में अपनी जगह बनानी चाहीये.....मैने उनके बुर मे् आशीयां बना रहा था....तो सजा तो मीलनी ही थी!!
सोनू की बात सुनकर......एक पल के लीये फातीमां भी हैरान रह गयी की , ये सोनू कैसी बहकी- बहकी बातें कर रहा है!
फातीमा - अरे तूने कुछ गलत नही कीया है बेटा.....बल्की तूने तो एक औरत को पूरा कीया है.......तू अभी ये सब मत सोच , तू सीर्फ आराम कर!!
'अचानक सोनू के आखों से आसूं नीकलने लगते है....उसने फातीमा के हाथो को अपने हाथो में लेते हुए बोला-
सोनू - अब ये सब सोचने लायक , मेरी मां ने छोड़ा ही नही.....!
सोनू के आखों में आसूं देखकर और इस तरह की बाते सुनकर वो असमंजस में पड़ गयी !
फातीमा - मतलब......मै समझी नही....और तू रो क्यूं रहा है ? क्या कहना क्या चाहता है तू??
सोनू (रोते हुए) - मां ने तो मुझे कही का नही छोड़ा.....!
'अब फातीमा की बेचैनी बढ़ने लगी......वो हैरत भरे लहजे से सोनू के हाथो को अपनी हथेलीयों में भरती हुई थोड़ा रुवासीं होकर बोली-
फातीमा - अल्लाह के लीये.....वो मत बोलना जीस बात का मुझे डर सता रहा है.....!!
सोनू के आखों से आसूओं की धारा बहने लगी.... वो एक गहरी सांस लेते हुए-
सोनू - मां के डंडे ने तो मेरे डंडे को ही सुला दीया.......!
.......ये सुनते ही , फातीमा के उपर मानो पहाड़ टुट पड़ा हो.....आखों से चमक और चेहरे की रंगत ही गायब हो गयी.....!
फातीमा - दे......देख....तू....तू.....अगर हम सब से नाराज है तो.....तो.....हम सब को....जो चाहे....वो सजा दे .मगर अल्लाह के लीये ऐसी बाते मत बोल....!
सोनू - जब से होश आया.....पहले दो - चार दीन लगा की शायद दीमाग में चोट लगने की वजह से होगा......लेकीन आज पूरे दस दीन हो गये ।
फातीमा की मानो , आखें ही बाहर नीकल पड़ी हो......वो फफक - फफक कर रो पड़ी !
फातीमा - हाय अल्लाह.......ये क्या हो गया????
सोनू - ये बात मां को मत बताना.......!
फातीमा - हम डक्टराईन साहीबा के पास.....चलते है । इसका इलाज करायेगें ठीक हो जायेगा!
सोनू - अगर नही ठीक हुआ तो?? मैं शरमीदां नही होना चाहता......!
फातीमा भी सोनू के दील का हाल समझ रही थी......उसके पास कहने के लीये कुछ भी नही बचा , सीवाय आसुंओं के........!
सोनू और फातीमां दोनो एक दुसरे को देख रहे थे......!
फातीमां - तो अब तू सुनीता से नाराज़ नही है.....?
सोनू - पहले था......लेकीन वो मां है ना.....और भला कोयी अपनी मां से कैसे नाराज़ रह सकता है??
फातीमा , सोनू की बात सुनकर रोने लगती है....और कमरे से बाहर चली जाती है!!
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Jari rakho Bhai bahut badiyaUpdate 11
सोनू हास्पीटल से घर आ गया था.......वो अपने कमरे में खाट पर लेटा था !! राजू भी उसके बगल में बैठा था.....!
राजू - कैसी तबीयत है अब भैया??
सोनू राजू की तरफ देखते हुए बोला.....
सोनू - अब बेहतर लग रहा है....हल्का - हल्का सर में दर्द है बस !!
राजू - सब ठीक हो जायेगा भैया.....बस तुम आराम करो!!
और ये कहकर....राजू वहां से जाने के लीये उठा ही था की , वो एक पल के लीये रुकते हुए बोला-
राजू - भैया लेकीन , आपको काकी ने मारा क्यू??
राजू का सवाल सुनकर....सोनू भी हैरानी मे पड़ गया....वो सोचने लगा की अब इसे क्या बताउं की मां ने कीस लीये मारा.....चाची को चोद रहा था इसलीये....?
राजू - क्या हुआ भैया ? कुछ गलत पुछ लीया क्या....अच्छा तुम आराम करो! बाद में बता देना....!
सोनू (मन) - आह......चलो जान में जान आयी !
राजू के जाते ही......सोनू अपनी आंखे बंद कर लेता है । आंखे बंद करते ही उसके सामने वैभवी का चेहरा आ जाता है!
....सोनू उठ कर खाट पर बैठ जाता है!!
सोनू (मन में) - मैं बार - बार इसके बारे में ही क्यूं सोच रहा हूं.....? क्यूं इसका चेहरा मेरी आंखो के सामने आ जाता है ? जब उसने कह दीया की वो कीसी और से प्यार करती है ! नही , मुझे उसे भूलना ही होगा.......उसे क्या अब तो मैं औरत जात के मुह ही नही लगूगां......एक ने मेरे दील को तोड़ा तो दुसरी ने मेरा सर फोड़ा.....! अब तो बस काम से काम रखना है......हां ये मेरे लीये सही होगा .....!
......उधर सुनीता , सोनू को एक नज़र भर देखने के लीये बेचैन थी.......लेकीन फातीमा.....उसे सोनू के सामने आने से रोक रही थी!
फातीमा - नही सुनीता.....तू समझ , अभी तू सोनू के सामने मत जा....अगर वो तूझे देखेगा तो उसकी तबीयत और बीगड़ जायेगी!!
.....ये तो सुनीता का दील ही जानता था....की उसके उपर क्या बीत रही थी.....एक मां होकर भी अपने बेटे से दुर रहना , उसके दील पर दुखो का पहाड़ टुटने जैसा था.....खैर सुनीता ने अपनी भीगी पलको को अपने नाजुक हाथो से पोछते हुए अपने दील को समझा लीया.....लेकीन उसके मन में एक सवाल घर कर के बैठ गया था की......आखीर कब तक??
......सुनीता रोते हुए अपने कमरे मे चली गयी.....
''फातीमा.....कस्तूरी के साथ ओसार में बैठी थी!
फातीमा - और तू भी , कुछ दीनो तक उसके सामने तक मत जाना......!
कस्तूरी भी क्या करती.....उसने हां में अपना सर हीला दीया.....! थोड़ी देर के बाद......फातीमा उठ कर सोनू के कमरे की तरफ जाती है.....!
'फातीमा को कमरे में देख , सोनू उठ कर बैठ जाता है.....सोनू को उठने में थोड़ी तकलीफ हो रही थी....ये देखकर , फातीमा लपकते हुए सोनू को पकड़ लेती है!
फातीमा - अरे नही सोनू....तू लेटा रह ,, तेरी तबीयत अभी ठीक नही है!!
फातीमा सोनू को वापस लीटा देती है , और उसके बगल में बैठ जाती है !
फातीमा - अल्लाह करे तू जल्दी से ठीक हो जाये!
फातीमा की बात सुनते हुए सोनू थोड़ा मुस्कुराते हुए बोला-
सोनू - ये तो तुम्हारे अल्लाह और मेरे भगवान ने मेरी गलतीयों की सजा दी है...!
फातीमा - अरे भला तूने क्या गलती कर दी? जो अल्लाह तूझे सजा देगा?
सोनू - अब ये गलती नही तो और क्या है? जीनके पैरो में अपनी जगह बनानी चाहीये.....मैने उनके बुर मे् आशीयां बना रहा था....तो सजा तो मीलनी ही थी!!
सोनू की बात सुनकर......एक पल के लीये फातीमां भी हैरान रह गयी की , ये सोनू कैसी बहकी- बहकी बातें कर रहा है!
फातीमा - अरे तूने कुछ गलत नही कीया है बेटा.....बल्की तूने तो एक औरत को पूरा कीया है.......तू अभी ये सब मत सोच , तू सीर्फ आराम कर!!
'अचानक सोनू के आखों से आसूं नीकलने लगते है....उसने फातीमा के हाथो को अपने हाथो में लेते हुए बोला-
सोनू - अब ये सब सोचने लायक , मेरी मां ने छोड़ा ही नही.....!
सोनू के आखों में आसूं देखकर और इस तरह की बाते सुनकर वो असमंजस में पड़ गयी !
फातीमा - मतलब......मै समझी नही....और तू रो क्यूं रहा है ? क्या कहना क्या चाहता है तू??
सोनू (रोते हुए) - मां ने तो मुझे कही का नही छोड़ा.....!
'अब फातीमा की बेचैनी बढ़ने लगी......वो हैरत भरे लहजे से सोनू के हाथो को अपनी हथेलीयों में भरती हुई थोड़ा रुवासीं होकर बोली-
फातीमा - अल्लाह के लीये.....वो मत बोलना जीस बात का मुझे डर सता रहा है.....!!
सोनू के आखों से आसूओं की धारा बहने लगी.... वो एक गहरी सांस लेते हुए-
सोनू - मां के डंडे ने तो मेरे डंडे को ही सुला दीया.......!
.......ये सुनते ही , फातीमा के उपर मानो पहाड़ टुट पड़ा हो.....आखों से चमक और चेहरे की रंगत ही गायब हो गयी.....!
फातीमा - दे......देख....तू....तू.....अगर हम सब से नाराज है तो.....तो.....हम सब को....जो चाहे....वो सजा दे .मगर अल्लाह के लीये ऐसी बाते मत बोल....!
सोनू - जब से होश आया.....पहले दो - चार दीन लगा की शायद दीमाग में चोट लगने की वजह से होगा......लेकीन आज पूरे दस दीन हो गये ।
फातीमा की मानो , आखें ही बाहर नीकल पड़ी हो......वो फफक - फफक कर रो पड़ी !
फातीमा - हाय अल्लाह.......ये क्या हो गया????
सोनू - ये बात मां को मत बताना.......!
फातीमा - हम डक्टराईन साहीबा के पास.....चलते है । इसका इलाज करायेगें ठीक हो जायेगा!
सोनू - अगर नही ठीक हुआ तो?? मैं शरमीदां नही होना चाहता......!
फातीमा भी सोनू के दील का हाल समझ रही थी......उसके पास कहने के लीये कुछ भी नही बचा , सीवाय आसुंओं के........!
सोनू और फातीमां दोनो एक दुसरे को देख रहे थे......!
फातीमां - तो अब तू सुनीता से नाराज़ नही है.....?
सोनू - पहले था......लेकीन वो मां है ना.....और भला कोयी अपनी मां से कैसे नाराज़ रह सकता है??
फातीमा , सोनू की बात सुनकर रोने लगती है....और कमरे से बाहर चली जाती है!!
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Shandar update+++++++Update 12++++++
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सुनीता की नज़रें , सोनू को जी भर कर देखने को बेताब थी.....!
तो एक तरफ़ , फातीमा के उपर सोनू के बातो का पहाड़ टुट पड़ा था !!
सोनू अपने कमरे में सोया था....सुनीता सबकी नज़रो से बचते हुए दबे पावं , सोनू के कमरे में जाती है , सुनीता सोनू को देखते ही .....उसकी आंखे भर आती है...!!
'उसका दील कर रहा था की, वो सोनू को अपने गले से लगा ले ' लेकीन वो जानती थी की ये मुमकीन नही है !! वो सोनू को एकटक नीहारती रही.......तभी सोनू थोड़ा कसमसाया....!!
'
'सोनू को कसमसाता देख....सुनीता वापस कमरे से जाने लगी''''''तभी सोनू की आवाज़ आयी!!
सोनू - मां.........!
'मां शब्द कानो में पड़ते ही , सुनीता के पांव थम जाते है !! उसे एक पल के लीये तो अपने कानो पर भरोसा नही हुआ.......सहमी हुई सुनीता , सोनू की तरफ घुमती है!!
'सोनू की नज़रे , सुनीता को ही देख रही थी!! सुनीता बीना देरी के........सोनू के पास आकर । उसके हाथो को पकड़ कर रोने लगती है!!
'अपनी मां को इस तरह रोता देख.....सोनू बोला-
सोनू - अरे.....मां तू रो क्यूं रही है?? मैं ठीक हू!
'लेकीन सुनीता के आशूं , मानो रुकने का नाम ही नही ले रही थी !! सोनू खाट पर उठ कर बैठ जाता है.....और अपनी मां को अपने सीने से लगाते हुए बोला-
सोनू - अरे......मारती भी तू है, और रोती भी तू है...! चल अब चुप हो जा....नही तो मैं फीर से रुठ जाउगां तुझसे !!
सोनू की बात सुनते ही , सुनीता अपने आप को शातं कराते हुए.....सोनू के सीने से लीपटे हुए बोली-
सुनीता - नही.....मेरे लाल , ऐसा मत करना नही तो मैं जीते जी मर जाउगीं , मै तो ये सोच - सोच कर मरती रही की तू अब मुझसे कभी बात नही करेगा....लेकीन भगवान ने मेरी सुन ली ! मेरा लाल मुझसे रुठा नही.....!.मैं....मैं.... कसम खाती हूं की, आज के बाद सें.....बल्की अभी से मैं अपने लाल के उपर कभी हाथ नही उठाउगी,,
'अपनी मां की बात सुनते हुए....सोनू मुस्कुराते हुए बोला-
सोनू - तू हाथ कहा उठाती है , तू तो भाला....वाला उठाती है सीधा....!!
ये कहकर.....सोनू हंसने लगता है, सुनीता की भी हल्की सी हंसी नीकल जाती है...और वो सोनू के सीने पर हल्के हाथ के मुके से मारते हुए बोली-
सुनीता - अब से कुछ भी नही!!
सोनू - अब मैं ऐसा कोयी काम ही नही करुगां मां.....जीससे तूझे कोयी तकलीफ हो!!
'सुनीता सोनू से अलग होते हुए.....उसके माथे पर चुमती हुई बोली-
सुनीता - मुझे अब तुझसे कोयी तकलीफ़ भी नही होगी....तू चाहे जो भी करे!!
'अपनी मां की बात सुनते हुए.....सोनू फुसफुसाते हुए बोला-
सोनू- अब क्या मां....:तूने मुझे कुछ करने लायक छोड़ा ही कहां!!
सोनू की आवाज़ काफी धीमी थी....जीससे सुनीता कुछ समझ नही पायी.....!
सुनीता - कुछ कहा बेटा तूने??
सोनू - नही....वो....वो....मै , पुछ रहा था की चाची कैसी है??
'
'सुनीता सोनू की बात सुनकर....हल्के से मुस्कुराते हुए बोली-
सुनीता - हां.....पहले से बेहतर है , लेकीन थोड़ी चाल बदल गयी है!!
''अपनी मां की बाते सूनकर....सोनू को बहुत शर्म आयी....वो अपना सर नीचे झुका लेता है!! ये देख सुनीता बोली-
सुनीता - अच्छा अब तू आराम कर.....!!
'सोनू हां में सर हीलाते हुए.....बीना अपनी मां के तरफ़ देखे खाट पर लेट जाता है......सुनीता समझ जाती है , की सोनू को शरम आ रही है!!
''सुनीता....सोनू के कमरे से बाहर आ जाती है!! आज वो बहुत खुश थी.....खुबसूरत चेहरे की लालीमा फीर से खील उठी थी......!!
......सुनीता के दीन और राते , सोनू के सेवा में कटने लगे थे.....कस्तूरी भी पहले सोनू के सामने नही आ रही थी...लेकीन सोनू ने कस्तूरी को भी फीर से अपने दील में जगह दे दी थी!!
सोनू की दीन रात , सेवा करती सुनीता......देखते-देखते पूरे दो महीने बीत गये और सोनू एकदम ठीक हो गया था !! ये देख सब बहुत खुश थे....
'सुनीता के खुशी इतनी बढ़ गयी थी की....उसके रुप और यौवन में और गज़ब का नीखार आ गया था...! गांव के मर्द तो सुनीता के नाम की मुठ मार-मार कर जी रहे थे !! ऐसा शायद ही कोयी मर्द हो जो सुनीता को एक नज़र भर देखे बीना रहे!! और ये बात सुनीता भी जानती थी..
.....गांव के मर्दो की तादाद कुछ ज्यादा ही सुनीता के दीवाने हो गये थे......जीसे भी मौका मीलता वो आ जाता घर पर भाभी-भाभी करते !! और ये देख सुनीता को बहुत गुस्सा आता.....क्यूकीं उसे ये लगता की कहीं सोनू कुछ उल्टा ना सोच ले!! क्यूंकी कुछ दीनो से सुनीता ये देख रही थी की ....अगर गांव का कोयी भी आदमी घर पर आता तो सोनू अपने मां के पास से उठ कर चला जाता!!
''और यही बात सुनीता के मन में डर पैदा कर रही थी की , कही सोनू कुछ गलत तो नही समझ रहा.....क्यूकीं वैसे भी रोज कोयी ना कोयी पहुचां रहता !! और सबसे ज्यादा जो आ रहा था......वो था ''बेचन'
****खैर ,घर के सब लोग मीलकर.....फसल की कटायी कर चूके थे ,, यहां तक की फातीमा भी सुनीता के फसल की पूरी कटायी करवायी!! मानो वो भी परीवार का एक हीस्सा हो......!
थोड़ी सी फसल बची थी काटने को.....तो सुनीता , फातीमा , कस्तुरी , आरती ये सब मीलकर फसल काट रहे थे ! और सोनू वहीं पास में खेतो की पगडंडी पर बैठा था!!
.....तभी अचानक से , फातीमा को चक्कर आया और वो वहीं खेत में गीर गयी!!
'ये देख सब घबरा गये.....सोनू ने झट से फातीमा को अपनी बांहो में उठाया और खेतो में से भागते हुए , गांव के सरकारी अस्पताल की तरफ भागा.....!!
सुनीता , कस्तुरी , आरतीं ये सब भी बहुत घबरा गये थे.....वो भी सोनू के पीछे-पीछे लग गये!!
''अस्पताल में पहुचते ही पारुल ने फातीमा का चेकअप कीया और एक इजेक्शन दीया....सब लोग घबरा रहे थे.....कुछ ही देर में फातीमा को होश आ जाता है ...ये देख सुनीता के जान में जान आ जाती है....!
सुनीता - अब ठीक है फातीमा??
फातीमा - हां.....सुनीता , बस अचानक से ये सब कैसे??
तभी पारुल मुस्कुराते हुए बोली--
पारुल - अरे फातीमा.....इस चक्कर आने का कारण तो आज तक मैने बहुत औरतो को बतायी है.....लेकीन तूम्हे बताते हुए आज मुझे बहुत खुशी हो रही है!!
''डाक्टराईन की बात पर तो सब असमजंस में पड़ गये की आखीर ऐसी क्या बात है???
सुनीता - ह.....हम कुछ समझे नही , डक्टराईन साहीबा!!
पारुल मुस्कुराते हुए एक लबीं सास लेती है.....सब पारुल का मुह ही देख रहे थे !!
पारुल - अरे......सुनीता जी , फातीमा मां बनने वाली है.....!!
....फीर क्या था...ये बात पर तो सबके अंदर खुशी की लहर दौड़ गयी.....फातीमां को तो अपने कानो पर भरोसा ही नही हो रहा था......क्यूकी ये ख्वाब देखते-देखते उसकी आधी जीदंगी बीत गयी थी!!
फातीमा की आंखे नम हो गयी.....उसने पारुल के हाथो को पकड़ते हुए करुण स्वर बोली-
फातीमा - स......सच में डक्टराईन साहीबा , मै मां बनने वाली हूं??
पारुल ने भी.....अपना हाथ , फातीमा के हाथो पर रखते हुए हां में सर हीला देती है !!
सुनीता और पारुल , फातीमा के दील में उठ रही खुशी को समझ सकते थे!!
तभी वहां सोनू आ जाता है.....उसके हाथ में पानी का ग्लास था ,,
सोनू - डक्टराईन साहीबा.....क्या हो गया था? ये अचानक से कैसे????
पारुल - अरे सोनू बेटा.....तूम्हारा छोटा भाई आने वाला है....फातीमा मां बनने वाली है!!
ये सुनकर सोनू बहुत खुश हुआ और उसके मुह से नीकल पड़ा--
सोनू - तो वो मेरा भाई कैसे हुआ....? वो तो मेरा....अ......अ.....(सोनू संभलते ही बात पलट) क्या हुआ मां?
पारुल - अरे सोनू.....फातीमा तुम्हारी काकी है तो वो तुम्हारा चचेरा भाई हुआ ना.....!
सोनू - अरे......हां , ये तो मै भूल ही गया था.....भाई ही हुआ!!
सुनीता और फातीमा एक दुसरे को देखकर....मुस्कुरा रही थी!!
सुनीता (मन में) - अरे डक्टराईन साहीबा.....अब बाप को भाई बनाओगी तों झटका तो लगेगा ही ना.......8888
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Nice update+++++++Update 12++++++
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सुनीता की नज़रें , सोनू को जी भर कर देखने को बेताब थी.....!
तो एक तरफ़ , फातीमा के उपर सोनू के बातो का पहाड़ टुट पड़ा था !!
सोनू अपने कमरे में सोया था....सुनीता सबकी नज़रो से बचते हुए दबे पावं , सोनू के कमरे में जाती है , सुनीता सोनू को देखते ही .....उसकी आंखे भर आती है...!!
'उसका दील कर रहा था की, वो सोनू को अपने गले से लगा ले ' लेकीन वो जानती थी की ये मुमकीन नही है !! वो सोनू को एकटक नीहारती रही.......तभी सोनू थोड़ा कसमसाया....!!
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'सोनू को कसमसाता देख....सुनीता वापस कमरे से जाने लगी''''''तभी सोनू की आवाज़ आयी!!
सोनू - मां.........!
'मां शब्द कानो में पड़ते ही , सुनीता के पांव थम जाते है !! उसे एक पल के लीये तो अपने कानो पर भरोसा नही हुआ.......सहमी हुई सुनीता , सोनू की तरफ घुमती है!!
'सोनू की नज़रे , सुनीता को ही देख रही थी!! सुनीता बीना देरी के........सोनू के पास आकर । उसके हाथो को पकड़ कर रोने लगती है!!
'अपनी मां को इस तरह रोता देख.....सोनू बोला-
सोनू - अरे.....मां तू रो क्यूं रही है?? मैं ठीक हू!
'लेकीन सुनीता के आशूं , मानो रुकने का नाम ही नही ले रही थी !! सोनू खाट पर उठ कर बैठ जाता है.....और अपनी मां को अपने सीने से लगाते हुए बोला-
सोनू - अरे......मारती भी तू है, और रोती भी तू है...! चल अब चुप हो जा....नही तो मैं फीर से रुठ जाउगां तुझसे !!
सोनू की बात सुनते ही , सुनीता अपने आप को शातं कराते हुए.....सोनू के सीने से लीपटे हुए बोली-
सुनीता - नही.....मेरे लाल , ऐसा मत करना नही तो मैं जीते जी मर जाउगीं , मै तो ये सोच - सोच कर मरती रही की तू अब मुझसे कभी बात नही करेगा....लेकीन भगवान ने मेरी सुन ली ! मेरा लाल मुझसे रुठा नही.....!.मैं....मैं.... कसम खाती हूं की, आज के बाद सें.....बल्की अभी से मैं अपने लाल के उपर कभी हाथ नही उठाउगी,,
'अपनी मां की बात सुनते हुए....सोनू मुस्कुराते हुए बोला-
सोनू - तू हाथ कहा उठाती है , तू तो भाला....वाला उठाती है सीधा....!!
ये कहकर.....सोनू हंसने लगता है, सुनीता की भी हल्की सी हंसी नीकल जाती है...और वो सोनू के सीने पर हल्के हाथ के मुके से मारते हुए बोली-
सुनीता - अब से कुछ भी नही!!
सोनू - अब मैं ऐसा कोयी काम ही नही करुगां मां.....जीससे तूझे कोयी तकलीफ हो!!
'सुनीता सोनू से अलग होते हुए.....उसके माथे पर चुमती हुई बोली-
सुनीता - मुझे अब तुझसे कोयी तकलीफ़ भी नही होगी....तू चाहे जो भी करे!!
'अपनी मां की बात सुनते हुए.....सोनू फुसफुसाते हुए बोला-
सोनू- अब क्या मां....:तूने मुझे कुछ करने लायक छोड़ा ही कहां!!
सोनू की आवाज़ काफी धीमी थी....जीससे सुनीता कुछ समझ नही पायी.....!
सुनीता - कुछ कहा बेटा तूने??
सोनू - नही....वो....वो....मै , पुछ रहा था की चाची कैसी है??
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'सुनीता सोनू की बात सुनकर....हल्के से मुस्कुराते हुए बोली-
सुनीता - हां.....पहले से बेहतर है , लेकीन थोड़ी चाल बदल गयी है!!
''अपनी मां की बाते सूनकर....सोनू को बहुत शर्म आयी....वो अपना सर नीचे झुका लेता है!! ये देख सुनीता बोली-
सुनीता - अच्छा अब तू आराम कर.....!!
'सोनू हां में सर हीलाते हुए.....बीना अपनी मां के तरफ़ देखे खाट पर लेट जाता है......सुनीता समझ जाती है , की सोनू को शरम आ रही है!!
''सुनीता....सोनू के कमरे से बाहर आ जाती है!! आज वो बहुत खुश थी.....खुबसूरत चेहरे की लालीमा फीर से खील उठी थी......!!
......सुनीता के दीन और राते , सोनू के सेवा में कटने लगे थे.....कस्तूरी भी पहले सोनू के सामने नही आ रही थी...लेकीन सोनू ने कस्तूरी को भी फीर से अपने दील में जगह दे दी थी!!
सोनू की दीन रात , सेवा करती सुनीता......देखते-देखते पूरे दो महीने बीत गये और सोनू एकदम ठीक हो गया था !! ये देख सब बहुत खुश थे....
'सुनीता के खुशी इतनी बढ़ गयी थी की....उसके रुप और यौवन में और गज़ब का नीखार आ गया था...! गांव के मर्द तो सुनीता के नाम की मुठ मार-मार कर जी रहे थे !! ऐसा शायद ही कोयी मर्द हो जो सुनीता को एक नज़र भर देखे बीना रहे!! और ये बात सुनीता भी जानती थी..
.....गांव के मर्दो की तादाद कुछ ज्यादा ही सुनीता के दीवाने हो गये थे......जीसे भी मौका मीलता वो आ जाता घर पर भाभी-भाभी करते !! और ये देख सुनीता को बहुत गुस्सा आता.....क्यूकीं उसे ये लगता की कहीं सोनू कुछ उल्टा ना सोच ले!! क्यूंकी कुछ दीनो से सुनीता ये देख रही थी की ....अगर गांव का कोयी भी आदमी घर पर आता तो सोनू अपने मां के पास से उठ कर चला जाता!!
''और यही बात सुनीता के मन में डर पैदा कर रही थी की , कही सोनू कुछ गलत तो नही समझ रहा.....क्यूकीं वैसे भी रोज कोयी ना कोयी पहुचां रहता !! और सबसे ज्यादा जो आ रहा था......वो था ''बेचन'
****खैर ,घर के सब लोग मीलकर.....फसल की कटायी कर चूके थे ,, यहां तक की फातीमा भी सुनीता के फसल की पूरी कटायी करवायी!! मानो वो भी परीवार का एक हीस्सा हो......!
थोड़ी सी फसल बची थी काटने को.....तो सुनीता , फातीमा , कस्तुरी , आरती ये सब मीलकर फसल काट रहे थे ! और सोनू वहीं पास में खेतो की पगडंडी पर बैठा था!!
.....तभी अचानक से , फातीमा को चक्कर आया और वो वहीं खेत में गीर गयी!!
'ये देख सब घबरा गये.....सोनू ने झट से फातीमा को अपनी बांहो में उठाया और खेतो में से भागते हुए , गांव के सरकारी अस्पताल की तरफ भागा.....!!
सुनीता , कस्तुरी , आरतीं ये सब भी बहुत घबरा गये थे.....वो भी सोनू के पीछे-पीछे लग गये!!
''अस्पताल में पहुचते ही पारुल ने फातीमा का चेकअप कीया और एक इजेक्शन दीया....सब लोग घबरा रहे थे.....कुछ ही देर में फातीमा को होश आ जाता है ...ये देख सुनीता के जान में जान आ जाती है....!
सुनीता - अब ठीक है फातीमा??
फातीमा - हां.....सुनीता , बस अचानक से ये सब कैसे??
तभी पारुल मुस्कुराते हुए बोली--
पारुल - अरे फातीमा.....इस चक्कर आने का कारण तो आज तक मैने बहुत औरतो को बतायी है.....लेकीन तूम्हे बताते हुए आज मुझे बहुत खुशी हो रही है!!
''डाक्टराईन की बात पर तो सब असमजंस में पड़ गये की आखीर ऐसी क्या बात है???
सुनीता - ह.....हम कुछ समझे नही , डक्टराईन साहीबा!!
पारुल मुस्कुराते हुए एक लबीं सास लेती है.....सब पारुल का मुह ही देख रहे थे !!
पारुल - अरे......सुनीता जी , फातीमा मां बनने वाली है.....!!
....फीर क्या था...ये बात पर तो सबके अंदर खुशी की लहर दौड़ गयी.....फातीमां को तो अपने कानो पर भरोसा ही नही हो रहा था......क्यूकी ये ख्वाब देखते-देखते उसकी आधी जीदंगी बीत गयी थी!!
फातीमा की आंखे नम हो गयी.....उसने पारुल के हाथो को पकड़ते हुए करुण स्वर बोली-
फातीमा - स......सच में डक्टराईन साहीबा , मै मां बनने वाली हूं??
पारुल ने भी.....अपना हाथ , फातीमा के हाथो पर रखते हुए हां में सर हीला देती है !!
सुनीता और पारुल , फातीमा के दील में उठ रही खुशी को समझ सकते थे!!
तभी वहां सोनू आ जाता है.....उसके हाथ में पानी का ग्लास था ,,
सोनू - डक्टराईन साहीबा.....क्या हो गया था? ये अचानक से कैसे????
पारुल - अरे सोनू बेटा.....तूम्हारा छोटा भाई आने वाला है....फातीमा मां बनने वाली है!!
ये सुनकर सोनू बहुत खुश हुआ और उसके मुह से नीकल पड़ा--
सोनू - तो वो मेरा भाई कैसे हुआ....? वो तो मेरा....अ......अ.....(सोनू संभलते ही बात पलट) क्या हुआ मां?
पारुल - अरे सोनू.....फातीमा तुम्हारी काकी है तो वो तुम्हारा चचेरा भाई हुआ ना.....!
सोनू - अरे......हां , ये तो मै भूल ही गया था.....भाई ही हुआ!!
सुनीता और फातीमा एक दुसरे को देखकर....मुस्कुरा रही थी!!
सुनीता (मन में) - अरे डक्टराईन साहीबा.....अब बाप को भाई बनाओगी तों झटका तो लगेगा ही ना.......8888
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