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S2
update 4
सोनू -- पर मुझे तो तुम्हारे घर कहा पर है नही पता ।
कांता -- ठीक है फिर कल मेरे साथ चलना ।
सोनू - ठीक. है ।
लेकीन एक बार छुने तो दो ।
कांता - ठीक है लेकिन बस छुना ।
सोनू -- हा बस थोड़ा सा छुउंगा ।
कहकर सोनू ब्लाउज़ के उपर से कांता के बुब्स को दबा देता है ।
कांता की चीख निकल गयी ।
बाथरूम से वैभवी ने आवाज लगाई
क्या हुआ ये किसके चिखने की आवाज है सोनू
कांता -- मैं हु आपकी काम वाली कांता बाई ।
वैभवी -- इतनी जोर से क्यो चिल्लाई आप
कांता -- वो कुछ नही बस छिपकली मेरे ब्लाउज़ में गिर गई थी ।
वैभवी -- ठीक है ।
कांता -- क्या कर रहे हैं साहब कल आपको तुरबुज को छुने तो क्या खाने को भी मिलेगा ।
सोनू -- ठीक है मुझे उस पल का इंतजार रहेगा जिसे मै कल तुम्हारे साथ बिताने वाला हु ।
बाथरूम के दरवाजे की आवाज आती है ।
कांता सोनू से दुर होकर ऩीचे जाने लगी ।
कांता आज मन ही मन बहुत थी ।
क्यो शहर से गांव आने बाद उसकी बुर लंड के तड़प रही थी लेकीन वो तड़प अब जल्दी खतम होने वाली थी ।
सोनू भी मन में बहुत खुश था कि अब वो नपुंसक होने से बच जाएगा ।
अब
वैभवी बाथरूम से बाहर आ कर सोनू के पास आकर बैठगई और दोनो साथ में नाश्ता करने लगे ।
वैभवी -- चलो आज तुम्हारे घर चलते है ।
सोनू -- लेकीन तुम्हारी तबीयत
वैभवी -- अब मै ठीक हु ।।
सोनू -- चलो फिर ।
सोनू और वैभवी तैयार होकर नीचे आ जाते है ।
कांता अपना सारा काम कर निकल ही रही थी ।
सोनू -- कांता बाई रुको ।
कांता -- क्या हुआ साहब ।
सोनू -- हम लोग गांव के अंदर की तरफ जा रहे हैं हो सकता है हमे आने में रात हो जाए ।
तो तुम दोपहर में मत आना सीधा कल सुबह आना ।
कांता -- ठीक है साहब ।
सोनू और वैभवी पारूल के कार में बैठ कर सोनू के घर लिए निकल गये ।
सोनू को कार चलाना नही आता है ।
सोनू और वैभवी सोनू के घर के आगे कार से उतरकर घर में आते हैं ।
सब लोग एक बार को तो सोनू को पहचान ही नही पाते
फिर सोनू -- अरे आप लोग ऐसे क्या देख रहे हैं हम है
सोनू और वैभवी
घर के सभी लोग सोनू से बारी बारी गले मिलते है कस्तुरी काकी और सुनहरी ताई थोड़ा ज्यादा गले मिल रही थी ।
वैभवी से भी घर की औरते गले मिलते है ।
सोनू -- बड़े पापा कहा है ।
सुनहरी ताई -- वो तो जब से एक बाबा ने उन्हे मुझसे दुर रहने को कहा है वो तो बस ज्यादा टाईम खेतो में ही बिताते है ।
ये कहकर सुनहरी सोनू को आंख मार देती है ।
सोनू -- मुस्कुरा देता है ।
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सोनू -- पर मुझे तो तुम्हारे घर कहा पर है नही पता ।
कांता -- ठीक है फिर कल मेरे साथ चलना ।
सोनू - ठीक. है ।
लेकीन एक बार छुने तो दो ।
कांता - ठीक है लेकिन बस छुना ।
सोनू -- हा बस थोड़ा सा छुउंगा ।
कहकर सोनू ब्लाउज़ के उपर से कांता के बुब्स को दबा देता है ।
कांता की चीख निकल गयी ।
बाथरूम से वैभवी ने आवाज लगाई
क्या हुआ ये किसके चिखने की आवाज है सोनू
कांता -- मैं हु आपकी काम वाली कांता बाई ।
वैभवी -- इतनी जोर से क्यो चिल्लाई आप
कांता -- वो कुछ नही बस छिपकली मेरे ब्लाउज़ में गिर गई थी ।
वैभवी -- ठीक है ।
कांता -- क्या कर रहे हैं साहब कल आपको तुरबुज को छुने तो क्या खाने को भी मिलेगा ।
सोनू -- ठीक है मुझे उस पल का इंतजार रहेगा जिसे मै कल तुम्हारे साथ बिताने वाला हु ।
बाथरूम के दरवाजे की आवाज आती है ।
कांता सोनू से दुर होकर ऩीचे जाने लगी ।
कांता आज मन ही मन बहुत थी ।
क्यो शहर से गांव आने बाद उसकी बुर लंड के तड़प रही थी लेकीन वो तड़प अब जल्दी खतम होने वाली थी ।
सोनू भी मन में बहुत खुश था कि अब वो नपुंसक होने से बच जाएगा ।
अब
वैभवी बाथरूम से बाहर आ कर सोनू के पास आकर बैठगई और दोनो साथ में नाश्ता करने लगे ।
वैभवी -- चलो आज तुम्हारे घर चलते है ।
सोनू -- लेकीन तुम्हारी तबीयत
वैभवी -- अब मै ठीक हु ।।
सोनू -- चलो फिर ।
सोनू और वैभवी तैयार होकर नीचे आ जाते है ।
कांता अपना सारा काम कर निकल ही रही थी ।
सोनू -- कांता बाई रुको ।
कांता -- क्या हुआ साहब ।
सोनू -- हम लोग गांव के अंदर की तरफ जा रहे हैं हो सकता है हमे आने में रात हो जाए ।
तो तुम दोपहर में मत आना सीधा कल सुबह आना ।
कांता -- ठीक है साहब ।
सोनू और वैभवी पारूल के कार में बैठ कर सोनू के घर लिए निकल गये ।
सोनू को कार चलाना नही आता है ।
सोनू और वैभवी सोनू के घर के आगे कार से उतरकर घर में आते हैं ।
सब लोग एक बार को तो सोनू को पहचान ही नही पाते
फिर सोनू -- अरे आप लोग ऐसे क्या देख रहे हैं हम है
सोनू और वैभवी
घर के सभी लोग सोनू से बारी बारी गले मिलते है कस्तुरी काकी और सुनहरी ताई थोड़ा ज्यादा गले मिल रही थी ।
वैभवी से भी घर की औरते गले मिलते है ।
सोनू -- बड़े पापा कहा है ।
सुनहरी ताई -- वो तो जब से एक बाबा ने उन्हे मुझसे दुर रहने को कहा है वो तो बस ज्यादा टाईम खेतो में ही बिताते है ।
ये कहकर सुनहरी सोनू को आंख मार देती है ।
सोनू -- मुस्कुरा देता है ।
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