Update 70
विशाखा की हंसी थम नही रही थी जो सर्पिणी के डांटने पर भी हस रही थी ,काल ने अब कालनाग का रूप छोड़ दिया था उन सब सैनिकों के भागने से ,वो भी विशाखा के मनमोहक रुप को आज पहली बार देख रहा था हमेशा खामोश ,कभी ज्यादा बात न करने वाली यह विशाखा आज पहली बार इस अल्लड़ रूप में अपनी आभा आज दिखा रही थी ,माना दोनो बहने बहुत ही ज्यादा सुंदर और सौंदर्यवती थी,पर विशाखा सर्पिणी से थोड़ी 21 ही थी ,उसके सुनहरे बाल ,हरी आंखे ,गुलाबी ओठ ,गोल चेहरा ,पूरा बदन सुनहरा था विशाखा का ,काल को आज ही पता चला था की विशाखा इस दुनिया की एकमात्र सुनहरी सर्प कन्या थी ,सिर्फ भगवान शिव के आशीर्वाद से छोटे सुवर्णसर्प शक्ति स्वरुप मिलते जो बस एक आत्मस्वरूप ही थे ,पर विशाखा दुनिया में पहली शरीर रूप लेकर पैदा होने वाली सुनहरी सर्प कन्या थी ,सर्पिणी भी आधी सुनहरी और आधी नीले रंग की थी ,जब दोनो धरती लोक पर रहती तो अलग ही दिखती पर उनका असली रूप सर्पलोक में आकर ही दिखाई देता था ,तीनो सर्पलोक में दाखल हो गए थे और विशाखा की हँसी से मोहित काल उसे ही देख रहा था और सर्पिणी का ध्यान आगे आने वाले सर्पलोक के योध्दा पर था जो बड़ी संख्या में प्रवेश द्वार की ओर आ रहे थे ,उनको एक विशाल सर्प की खबर मिलने पर सब सर्पलोक की रक्षा के लिये प्रवेश द्वार पर आ रहे थे ,थोड़ी ही देर में तीनो के सामने हजोरो बलवान सर्पमानव आ गये थे ,
विशाखा और सर्पिणी को देखकर सबने उनको आदर से प्रणाम किया ,एक बलवान सर्पमानव ने आगे आकर पूछा ,
प्रणाम स्वीकार करे दिव्य कन्याओं ,आप दोनो का स्वागत है सर्पलोक में ,आपके आने की खबर होती तो महाराज खुद आपका स्वागत करने आते पर उनको शायद आपके आने का पता ना हो ,में उनकी तरफ से आपसे माफी मांगता हु ,
सर्पिणी ,सेनापति कामराज आपको माफी मांगने की जरूरी नही है ,हमने हमारे आने की बात का कोई संदेश नही भेज था ,हम अचानक आ गए है ,
कामराज ,जैसा आप उचित समझे ,आप के साथ यह कौन है ,और हमे खबर मिली थी कि बहुत विशालकाय सर्प यहा सैनिकों ने देखा था ,हमे तो नही दिख रहा क्या आपको कुछ पता है उसके बारे में ,या आपने उसको देखा हो,शायद कोई सर्पलोक पर कब्जा करने यह आया हो ,
विशाखा ,कामराज आप चिंता न करे वो हमारे साथ ही है और उनसे सर्पलोक में किसको भी खतरा नही है ,और ना वो यहा पर कब्जा करने आये है ,आप उन्हें अपना मित्र समझे ना के शत्रु ,
कामराज ,आप की बात पर हमें पूर्ण विश्वास है ,मतलब यह आपके साथ मे है वही विशाल सर्प है क्या हम इनका स्वरूप देख सकते है ,अगर आपकी इच्छा हो तो ,
विशाखा ,क्यो नही,लेकिन डर कर भागना नही हाहाहा,
काल ने जब महानाग का रूप लिया सबकी गांण्ड फट गई सब उस महानाग के सामने चींटी समान थे ,सब डर से कांप गये थे ,महानाग को देखकर ही सब समझ गए थे ,इसके आगे पूरा सर्पलोक भी आ गया तो एक पल में सब मारे जाएंगे, काल का महानाग रूप पहले से विशाल था और जब काल में एक असुर और भेड़ियामानव की ताकद आ गई उसका महानाग का रूप और 10 गुना बड़ा और ताक़दवर हो गया था ,जो उसे भी यही आकर जब उसने महानाग का रूप लिया तभी पता चला था ,काल ने कुछ पल रुककर महानाग से वापिस अपने काल के रूप में आ गया ,
कामराज ,है महावीर आपको कामराज का प्रणाम है ,आप से एक ही विनती है ,आप अपने इस दिव्य स्वरुप के दर्शन सर्पलोक में ना दे ,आपको देखकर वहा डर से भगदड़ मच सकती है ,आप से यही विनती करता हु
काल ,कामराज जी मे अपने इसी सामान्य रूप में ही रहूंगा आप चिंता न करे
फिर कामराज सबको लेकर महल लौट आया ,उस विशाल सर्प के बारे में यही कहा गया सबको की वह बस एक माया खेल था ,बाकी कुछ नही ,कामराज ने सिर्फ महाराज को सब सच बताया ,महाराज भानु ने उन तीनों का आदर से स्वागत करके बहुत प्रेम से आदरतिथ्य किया फिर उनके राजगुरु मकर के आने तक उनसे बाते करते रहे और जानकारी लेते रहे खास कर काल से वो बहुत ज्यादा प्रभावित थे ,तभी राजगुरु मकर के साथ कामराज महल में आ गए उन्होंने आने से पहले ही उनके काल के बारे में सब बता दिया था ,
राजगुरु के आते ही तीनो ने उनका नमन किया ,महाराज भी उनके पाव छुकर उन्हें एक आसन पर बिठाकर उनके सामने नीचे बैठ गए ,
राजगुरु ,आप सर्पलोक में धरती के समय अनुसार 2000 साल बाद आयीं हो पुत्री ,सबकुशल मंगल हो हम ऐसी कामना करते है आज आप के साथ एक और दिव्य शक्ति के दर्शन हो गए ,हम आज धन्य हो गए ,आपका भी स्वागत है महानाग इस सर्पलोक मे ,आपका नाम हमारे पुरानो में है ,लेकिन हम धन्य है कि आपके दर्शन हमे मिल गए ,
राजगुरु की बात सुनकर महाराज और सेनापति पहले चौक गये फिर जल्दी से काल के पैर पकड़कर माफी मांगने लगे ,काल कुछ समझ ही नही पाया यह दोनो क्यों ऐसा कर रहे है ,उसने उन दोनो को प्यार से उठाकर उनका वापिस अपने स्थान पर बिठा दिया ,तब राजगुरु बोले ,आप हमारे लिये पूजनीय है ,इसलिए इन दोनों ने आपके चरण स्पर्श किये,
आप अपने आने का प्रयोजन बताने से पहले में आपको एक बात बताना चाहता हु की आप यहा पर आनेवाले है ऐसा हमारे पुराने ग्रंथो में लिखा है ,आप इस सर्पलोक के लिये सबसे बड़े वरदान और इसको बचाकर इस सर्पलोक के महाराज होने वाले है ,आपके लिये लाखो सालो से कुछ रखा है जो आपकी ही राह देख रहा है आप अभी विश्राम कीजिये ,हम आपको कुछ देर बाद आपके मंजिल पर लेकर जायेंगे, सर्पिणी और विशाखा से आप की शादी में ही करवाने वाला हु ,पर उनमे अभी समय है कुछ दिन का ,आप आराम करे आप को लेने हम कामराज को भेज देंगे आपके कमरे में,
शिवाने राजगुरु के मन की बात सुन ली जो कह रहे थे ,आप मेरी मन की जान सकते है कुछ बाते ऐसी है जो सबके सामने नही हो सकती ,आप कुछ देर प्रतीक्षा करे बस आपसे यह विनतीं है
काल ने राजगुरु के मन मे कहा आप मुझसे बड़े है आप आज्ञा दे, विनतीं कभी मत कीजिये ,
राजगुरु ने मुस्कुरा के सहमति में गर्दन हिला दी ,तीनों अलग कमरो में आराम करने को कहा गया ,विशाखा और सर्पिणी अपने कमरों में चली गई ,सर्पलोक धरती के बहुत अंदर तक था यहाँ आने में उन दोनों की बहुत ऊर्जा ख़र्च हो गयी थी ,इसीलिए दोनो अभी कुछ घण्टे सोने वाली थी ,
काल के कमरे में उसके जाने के आधे घण्टे में ही कामराज ने उसका दरवाजा खटखटाया ,काल ने बिना कुछ कहे कमरे से बाहर आ गया, कामराज उसे एक कमरे में लेकर गया जहाँ राजगुरु बैठकर काल का ही इंतजार कर रहे थे ,काल के वहा आते ही उन्होंने काल का हाथ पकड़ा और उसको लेकर गायब हो गए उस कमरे से ,काल को लेकर राजगुरु उसे एक बहुत ही विशाल पहाड़ पर ले आए जो सर्पलोक में था ,या कही अन्य लोक में इस बात का पता काल को नही था ,
काल को लेकर महागुरु एक विशाल जलसरोवर के पास लेकर आये जो उसी पहाड़ पर बना हुवा था ,राजगुरु ने काल को लेकर उस सरोवर के पास बने एक पेड़ के पास बनी एक बड़ी सी कुटिया में ले आये ,
राजगुरू, हे महानाग में आपका आभारी हूं ,जो आपने मेरी बात मानी, आप इस आसन पर बैठिए में अभी आया ,काल को वहां बिठाकर वो महागुरु कुटिया के बाहर चले गए पर थोड़ी ही देर में वो वापस आ गए ,उनके हाथ मे एक सोने का एक फिट बाय एक फिट का बॉक्स था, उन्होंने उस बॉक्स को काल के हाथ मे दे दिया और कहा बेटा ये है तुम्हारी अमानत जो धरती के हजारो सालोंसे यहा पर सुरक्षित रखी गई है ,इसमे क्या है वो सिर्फ एक महानाग ही खोल सकता है ,पहले तुम इसे खोल कर देख लो बादमे हम दूसरी जरूरी बात करेंगे ,में इस कुटिया के बाहर हु तुम इसके ऊपर अपने महानाग की पहचान लगा देना जो तुम्हारे पास है ,इसके बाद महागुरु बाहर चले गए ,काल ने अपने महानाग के काले मनी को याद किया जो तुरंत उसके हाथ मे आ गया काल ने वो मनी का स्पर्श उस सोने के बॉक्स को किया तो काल वहासे उस बॉक्स के साथ ही कही गायब हो गया,काल ने खुद को एक बहुत बड़े सुवर्ण महल में पाया जो बहुत ही विशाल और सुंदर था ,काल ने जब महल के बाहर देखा तो महल के बाहर भी एक बहुत बड़ा बगीचा था ,पानी की झील ,फूलों और फलों के पेड़ ,हर तरह के पंछी जो झील से पानी पीते,पेड़ो से फलो को खाते आसमान में मस्ती करते हुवे वो महल की खिड़कियों से देख रहा था ,महल में किसी के होने का आभास उसे नही हो रहा था वो पूरा महल उसे खाली लग रहा था,उस महल में घूमते हुवे काल देखने लगा कि वो यहा आखिर आया कैसे और उसे लाया किसने इस खाली महल में ,महल में घूमते काल एक बड़े से कमरे में दाखिल हुवा जहा एक सुंदर सी सूवर्ण प्रतिमा उस कमरे के बीचोबीच लगी हुवीं थी,एक बहुत ही आकर्षक महिला का प्रतिमा थी वो ,काल को पूरे महल में घूमते हुवे किसी महल मे पायी जानी वाली चीजो के अलावा जैसे ,सोफे, खुर्सी, सोने के लिए बेड, खाने पीने का सामान ,हर चीज वहाँ मौजूद थी बस किसी जीवित प्राणी के अलावा ,जब काल ने उस सूवर्ण प्रतिमा को जाकर कुतूहलवश स्पर्श किया तो एक चमक के साथ उस मूर्ति में प्राण आये जिससे काल थोड़ा सहम के पीछे हो गया,
वो जीवित हुवीं प्रतिमा ने काल को प्रणाम किया और कहा ,है प्रभु में आपकी सेविका शामली हु,मुझे आपकी सेवा और सहायता के लिये ही इस महल में रखा गया है ,में न जाने कबसे इस महल में सूवर्ण प्रतिमा के रूप में आपके आने की प्रतीक्षा कर रही थी,आप को जो सूवर्ण का बक्सा दिया गया था आप उसी में है अभी,यह पूरा महल के साथ बाहर जो विशाल बाग है वो आपके लिए ही बनाया गया है ,मेरे पास आपके लिये कुछ चीजें रखी गई है जो में आपको दे देती हूं,पहले आप इस नागमणि को रख लीजिये जो आपके पास कालनाग का कालमनी है वो एक शक्तिरूप में आपको मिला है जो एक दिव्य शक्ति है ,यह नागमणि आपके आत्मा के साथ जुड़कर आपके असली देह को को एक इच्छाधरी सर्पमानव का रूप देगी ,आपको आगे इस रूप की बहुत आवश्यकता होने वाली है ,आप इस नागमणि की वजह एक असली सर्पमानव बन जाओगे ,
इतना कहकर उसने काल के हाथ मे एक सुवर्णकी ही बनी नागमणि दी जो कालने अपने हाथ मे ली उसके हाथ मे नागमणि आते ही एक पल रूककर उसके शरीर मे दिल की तरफ दाखिल होते हुवे उसके शरीर मे समा गयी ,काल को उसके शरीर मे जाने के कुछ पल बाद ही पूरे शरीर मे एक एक सुखद सी ठंडक फैलने लगी ,काल को बहुत ही हल्का और अच्छा लगने लगा था ,
शामली ने काल की तरफ देखकर हसकर एक चुटकी बजाई ,जिसकी वजह से काल के सामने एक बहुत ही बड़ा आईना आ गया ,जिसमे काल खुद को देखकर हैरान हो गया वो एक पूरा सर्पमानव बन गया था जिसका पूरा शरीर सूवर्ण का था ,काल जब भी महानाग बनता वो पूर्ण एक नाग के रूप में ही आ जाता था ,लेकिन काल के सर्पमानव बनते ही वो धड़ के ऊपर चेहरे तक इंसान और नीचे सर्प का शरीर जैसा विशाखा और बाकी सर्पमानव को होता है ,काल अपने आप को उस आईने में देख ही रहा था कि उसके कान में शामली की एक आवाज आयीं, मालिक आपके लिये एक और चीज है जो आपको देने के लिये कही थी इतना कहकर उसने काल के हाथों में तीन सूवर्ण की छोटी सी बोतले दे दी ,जिसमे तीनो के ऊपर लाल,हरे और नीले रंग के ढक्कन लगे हुवे थे,शामली ने कहा आप नीले ढक्कन के बोतल को खोलकर पी जाइये आपको सब पता चल जाएगा ,कालने वैसाही किया ,जैसेही उसने उस नीले ढक्कन के बोतल का पानी पिया उसकी आंखें अपने आप बन्द हो गयी और वो अपने ही दिमाग के अंदर किसी परछाई के सामने खड़ा था ,
उस परछाई ने कुछ पल रुककर कहा ,तुम्हारे दिमाग मे बहुत से सवाल है ,जिसके जवाब तुमको आज मिल जाएंगे और बाकी के जवाब सही वक्त आने पर हासिल हो जायेगे, तुमको बहुत सी चमत्कारी शक्तिया मिली ,कुछ तुम्हारे नसीब से तुमको मिली तो कुछ तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी से तुमने हासिल की, जीवन मे हर किसी की कोई मंजिल होती है ,कोई लक्ष्य होता है ,उसी तरह तुम्हारा भी जीवन का एक लक्ष्य है ,तुमको इतनी शक्तिया मिलना बस कोई संयोग नही है ,इसकी एक वजह है , तुमको भवानीगढ़ में रखे उस चमत्कारी शक्ति पत्थर के बारे में तो सब पता है,उस चमत्कारी पत्थर ने तुमको चुना है ,वो तुम्हारी प्रतीक्षा लेने वाला है ,जिस तरह वो चमत्कारी शक्ति पथर समुद्र मंथन सी निकली 14 दिव्य रत्नों से बना है उसी तरह अब वो तुम्हारी प्रतीक्षा लेने वाला है ,तुम पहले शख्स हो जिसे उस चमत्कारी पथर ने चुना है इतने हजारो सालो में ,तुमको पहली शक्ति उसी चमत्कारी पथर ने जब तुम बहुत छोटे थे तभी देकर तुम्हारी प्रतीक्षा लेनी शुरू कर दी है ,तूमको उस परीक्षा के बारे में पता चले ,तुम्हारी मंजिल क्या होगी,और तुम्हे कैसे आगे बढ़ना होगा यही सब बताने में यहा पर हु ,जिस शख्स को उस चमत्कारी पथर चुनेगा उसकी महानाग परीक्षा होने वाली थी यह नियति थी ,और उसमे जो पास होकर महानाग बनेगा उसकी मदद करने और मार्गदर्शन करने के लिये ही सब वस्तुओं का प्रबंध पहले से कर के रखा था ,महानाग की परीक्षा में पास होकर तुमने साबित कर दिया था कि तुमको शक्ति और ताकद का मोह नही है ,ना तुम किसी अन्य भोग के लोभी हो ,इसी वजह से तुमको यहा पर कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण और शक्तिशाली ताकद मिलने वाली है जो तुमको इस परीक्षा में बहुत काम मे आने वाली है ,महानाग की ताकद का एक ही दुष्परिणाम है जो तुम इंसान होने से तुमपर बहुत ज्यादा उसका प्रभाव पड़ा है ,वो चमत्कारी शक्ति किसी इंसान को चुनेगी ऐसा कभी नही लगा था इस वजह से महानाग की ताकद को संभालना किसी इंसान के लिये बहुत मुश्किलभरा था ,सबसे ज्यादा उसकी कामशक्ति को शांत करना ,और तुम्हारी मुश्किल जिंदगीभर ऐसी ही रहेगी ,तुम हमेशा कामवासना में ही रहोगे ,और इसी हवस पर जीत पाते हुवे तुमको अपनी मंजिल तक जाना है ,यह बात हमेशा ध्यान रखना खुद का या खुद के परिवार की भलाई के लिये तुम इस परीक्षा में कभी पीछे मत हटना ,इस परीक्षा को पूर्ण करके उस चमत्कारी पथर को हासिल करना ही तुम्हारा अंतिम लक्ष्य होना चाहिये,तुम्हारे सामने बहुत सी मुश्किलें आएगी पर तुमको डटकर इसका सामना करना होगा ,ना कभी पीछे हटना ना ही निराश होकर हार मान लेना ,इस चमत्कारी पथर ने पहली बार किसी को चुना है और सबसे बड़ी बात है की वो महानाग की परीक्षा में भी पास हो गया तुमको किसी भी हाल में उस चमत्कारी पथर को हासिल करना है ,अगर तुम इसमे नाकामयाब हुवे या पीछे हट गए, तो वो चमत्कारी पथर अगली बार किसे चुनेगा यह पता नही ,अगर उसने किसी गलत और पापी को चुन लिया तो मिश्किल होगी ,और क्या पता वो उसकी कोई परीक्षा लिए बैगर ही उसके पास चला जाए ,उस चमत्कारी पथर किसी को भी अपनी मर्ज़ी से चुनने का हक रहता है ,इसलिये तुमको यह बात का खयाल रखना होगा कि तुमको किसी भी तरह इसे हासिल ही करना है ,अगर यह शक्ति गलत हाथो में चली गई तो बहुत बड़ा अनर्थ हो सकता है, पापी और गलत हातो में ताकद हमेशा निर्दोषों और मासूमो पर कहर ही ढाती है ,तुम्हारी जीत ही सब मुश्किले आसान कर सकती है ,तुम्हारी पहली परीक्षा है कालकूट या हलाहल विष जो तुम छोटे थे तभी से आरंभ हो चुकी है और तुम्हारी पहली ही परीक्षा सबसे कठिन और मुश्किल भरी होगी ,जिसको पार पाना मतलब आधी लड़ाई जितना ,जिस तरह भगवान शिव ने इस हलाहल विष को पीने के बाद मा पार्वती ने उनका गला दबाकर उस विष को उनके कंठ में ही रोक लिया था और पूरे शरीर मे फैलने नही दिया था ,इस बात को हमेशा याद रखना की भगवान शिव ने अपने आप को तकलीफ देकर भी सबका कल्याण ही किया था ,खुद विष पीकर सबके लिये उस का दाह सहते रहे ,यह बात तुमको इस पहली परीक्षा में और जीवन भर याद रखनी है ,तुमको जो सूवर्ण नागमणि मिला है, वो भगवान शिव ने ही तुम्हे दिया है ,इसकी ताकद असीम है तुम संसार के सबसे ताक़दवर और बलशाली सर्पमानव बन गए हो ,तुम्हारे पास और दो सूवर्ण की बोतल है उसमें की लाल ढक्कन वाली बोतल को पीने से तुम अपनी पुरानी जिंदगी भूल जाओगे ,ना तुम में कोई ताकद होगीं, ना कोई चमत्कारी शक्ति ,तुम एक आम इंसान बन कर रह जाओगे जिस तरह तुम सब भूल जाओगे उसी तरह तुमको जानने वाले भी तुमको और तुम्हारी सब यादों को भूल जाएंगे ,इस बोतल का उपयोग तुम अगर इस परीक्षा में बहुत ही बड़ी तकलीफ में हो और खुद को सम्भल नही पा रहे हो तभी करना ,और जिस बोतल में हरा ढक्कन है उसको पीने के बाद तुमको सब याद आ जायेगा और तुम्हारी सब शक्तिया भी तुम्हे वापिस मिल जाएगी पर यह बोतल तुमने लाल ढक्कन के बोतल को पीने के बाद उसके पास ही चली जायेगी जिसको तुम दिल से चाहते हो और वो भी सच्चे मन से तुमको प्यार करती है ,इस बोतल का तुम्हे मिलना सिर्फ तुम्हारी सच्चे प्यार और मोहब्बत के हाथ मे होगा ,
तुम आज के बाद कभी खुद को मार नही पाओगे ना जख्मी कर सकोगे इसी वजह से तुमको यह दो मौके दिए गए है एक पीछे हटकर सब भूल जाने का हमेशा के लिये,या अपने फर्ज के लिये अपने गम और दुखो को अपनाकर आगे बढ़ने के लिये ,तुम एक खास मकसद के लिये जन्मे हो यह बात कभी मत भूलना और अपने जीवन मे आगे बढ़ना ,बस मेरा काम यही तक तुम को बताना था ,तुमको इस परीक्षा में कामयाबी हासिल हो यही दुवा में भगवान से करता हु, सदा यशस्वी भव पुत्र ,इतना कहकर वो परछाई भी गायब हो गई और काल की आंखे भी खुल गई ,इस वक़्त वो अपनी सुनहरी आंखों से शामली को देख रहा था ,उसने अपने हाथ मे कालमनी को याद किया उसी वक्त वो इस महल से गायब होकर उस कुटिया में पहुच गया था ,वो सूवर्ण बॉक्स काल के हाथ मे रहा और उसमे से एक आवाज आयीं जो शामली की थी ,आप मुझे अपने अंदर कही भी स्थान दे दीजिए मालिक ,काल ने कुछ सोचकर अपने समयमनी मे बॉक्स को रख दिया ,साथ मे जो दो सूवर्ण बोतले थी उनको भी उसी समयमनी में रख दिया ,काल उस कुटिया से बाहर आ गया बाहर एक पेड़ के नीचे राजगुरु बैठे हुवे थे ,काल को देखकर उन्होंने कहा ,मेने आपकी अमानत आपके हवाले कर दी है ,में आपसे एक गुजारिश और करता हु आप इस सर्पलोक कि राजकुमारी को बचा लीजिये जिसका नागमणि पाताल के नाग सम्राट ने धोके से चुरा लिया है ,हमारी राजकुमारी का नागमणि ले जाने से वो एक जिंदा लाश बन गई है ,आइये में आपको दिखता हु उनकी दशा ,इतना कहकर काल को लेकर राजगुरु उस सरोवर में दाखिल हो गए वो सरोवर एक माया का जाल था ,सबको बस सरोवर और पानी दिखता पर वो एक छोटासा महल था ,जिसके एक कमरे में एक सुंदर सी सर्पकन्या बेहोश एक बेड पर लेटी हुवीं थी ,राजगुरु ने कहा ,ये राजकुमारी मंदा है ,इनके पास जो नागमणि था वो बेहद शक्तिशाली था ,उसकीं शक्तिया इतनी बेमिसाल है कि वो जिसके पास भी होगा उसके सामने पूरे सर्पलोक की शक्तिया बेकार है ,उस पापी नागसम्राट अनल ने जब राजकुमारी अपने नागमणि को शिवमन्दिर में रखकर पूजा कर रही थी तब धोके से चुरा लिया,उस नागमणि में मंदा की प्राणशक्ति भी मौजूद थी ,जिसकी वजह से अब वो बेहोश हो गई है ,वो नागमणि अपने शरीर से निकाल कर सिर्फ 1 दिन तक ही होश में रह सकती थीं ,जबसे उस अनल ने वो नागमणि चुरा लिया है वो बेहोश है ,उस अनल के पास नागमणि होनेसे वो बहुत ताक़दवर हो गया है जिसका मुकाबला कोई नही कर सकता ,हम सब मिलकर भी नही ,विशाखा और सर्पिणी से भी वह बलशाली हो चुका है ,उसका मुकाबला सिर्फ आप ही कर सकते हो ,उस अनल के साथ उसकी बहन रावी भी रहती है ,जो अपनी कामशक्ति के बल पर बड़े बड़े योद्धाओं का अपना गुलाम बनाकर उनकी शक्तिया छीन लेती है ,इन दोनों भाई बहनों ने अपने ताकद से आतंक मचाकर रखा है कितने ही पाताल के राजा ,महाराजा को हराकर उनको गुलाम बनाकर रखा है इन दोनों ने ,आप एक ही जो सबको उन पापियोंसे मुक्त कर सकते है
काल,महागुरू आज से उस अनल और रावी के जिंदगी के बुरे दिन शुरू होने वाले है ,आप बस मुझे वहां लेकर चले बाक़ी में सब देख लूंगा