Incest जिन्दगी एक अनाथ की ~written by Goldybull~

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Update 65

मुंबई के घर मे सब लोग शिवा को घेर कर बैठकर उसकी बातें सुन रही थी 1 महीने के भीतर ही शिवा में गजब का बदलाव से वो सब खुश भी थे और थोड़े चिंतित भी, शिवा की सब बातें जानकर उनको यकीन हुवा की बस यह आयुर्वेद के औषधी का असर है जो शिवा के लिये अच्छा साबित हुवा ,शिवा ने डॉक्टर से भी सब चेक कर लिया था पर सनम और नरगिस मान नही रहे थे एक बार और उनके साथ जाकर चेकअप करने की जिद करने लगी थी शिवा ने भी उनके मन को नही तोड़ा औऱ हा कह दिया तो नरगिस ने मुंबई के बडे से हॉस्पिटल में शाम के समय की मुलाकात सबसे काबिल डॉक्टर से तय कर दी और शिवा को भी यह बता दिया कि वह शाम को साथ ही चलेंगे ,फिर शिवाने सबके साथ नाश्ता करके अपने कमरे में आ गया
कल रात को उसने सिनोब और कोकी की पूरी रात अपने बड़े और मोटे लन्ड से मारकर बुरा हाल कर दिया था ,पर इतने दिनो बाद शिवा के लंड से दूरी ने उनको इस बात से कोई आपत्ति नही थी वो तो खुशी से अपनी गांड के छेद को उससे और बड़ा करवाती रही ,सुबह जल्दी वो उन दोनों के साथ दूसरे कमरे में रुकी नेत्रा और हिमांनी को मिलकर अपने मुंबई के घर आ गया था ,शिवाने सिनोब के कमरे से अपना कपड़े का बैग लेकर आया था ,असुरलोग से आते वक्त उसने अपनी मायावी विद्या से अपने लिये कपड़े बनवा कर पहनकर आया था ,अपने कमरे में जाकर उसने अपने कपड़े का बैग खोलकर उन पुरानो कपड़े जो उसके लिये छोटे हो रहे थे उनको अपने साइज का बनवा लिया अपनी मायावी विद्या से उसी तरह उसने यह काम अपने कपाट में रखे उसके कपड़े और जूतों के साथ भी कर लिया और अपने बेड पर लेट गया, उसको कल सुबह की असुरलोग की बाते याद आ रही थी ,जब वो माया ,सारा और हिना को अलविदा कर रहा था तब उनकी आंखों में आँसू थे तब उसने तीनो को प्यार से समझाया और बीच बीच मे मिलने को आने का वादा किया, माया ने उसको अपने साथ राजमहल के एक खुफिया कमरे में लेकर गयी जो मायावी विद्या से बना हुवा एक बहुत ही बड़ा कमरा था ,माया ने उसे बताया के यह असुरलोग का शाही खजाना है जो आजसे आपका है ,वहा पर सोना ,चांदी, हीरे,मोतियों का बहुत बड़ा भांडार था ,वहां पर जो हीरे थे उनमें से एक ही हीरे कि कीमत इंसानी दुनिया मे 1000 करोड़ से भी ज्यादा हो सकती थी वो इतना बड़ा और दुर्लभ था ,और वैसे ही वहा पर हजारो से भी ज्यादा संख्या में मौजूद थे ,सोने चांदी की तो गिनती करना भी मुमकिन नही था वो इतनी बड़ी मात्र में वहां पर थे ,अनेक आभूषण, सोने के तलवार ,भाले ,धनुष, हाथी और घोड़े की मूर्तियां का तो भांडार लगा हुवा था ,इस खजाने की कीमत अनमोल थी पूरी दुनिया की दौलत से कितने हजार गुना यहा दौलत मौजूद थी ,काल भी इतना विशाल खजाना देखकर हैरान हो गया था ,पर उसके मन मे कोई लालच नही जागा था ,उसने माया को कह दिया के यह मेरा नही असुरलोग के असरो का खजाना है ,तुम इसको उन सबके भलाई में ही खर्च करना,तब माया ने काल को बताया असुरलोग के सब असुरों को लिए भी एक और खजाना है जिसमे इससे भी ज्यादा खजाना है ,यह सिर्फ राजा का खजाना है जो अब तुम्हारा है ,काल ने कहा ठीक है तुम मेरी महारानी हो आजसे तुम इस सबकी मालकिन हो ,तुमको जैसा ठीक लगे तुम वैसा करना ,माया ने काल को बहुत मनाया पर वो नही माना ,फिर माया ने कहा यह खजाना आपका ही रहेगा जब आपको लगे आप इसका उपयोग कर सकते है तबतक में इसकी हिफाजत करूंगी ,माया ने फिर काल को एक पानी के रंग का बड़ा से मनी दिया और कहा आप खजाना अभी मत रखिये पर यह मनी आपको रखनी ही पड़ेगी ,यह मनी हर राजा अपने पास हमेशा रखता है ,यह समय कुंजी का मनी है ,इसका निर्माण सबसे बड़े मायावी असुर मय ने किया था ,इस समय कुंजी की खासियत है कि हम इसके अंदर रह सकते हे ,इसमे जो इसका मालिक होता है वो चाहे तो अपने साथ किसीको को भी ले जा सकता है ,इसमे पूरा असुरलोग आराम से समा सकता है लाखों असुरो के साथ, इसके अंदर हम जो सोचे वो चीज हमे मिल जाती है ,मतलनब खाना, पीना ,कपड़े ,फल ,फूल हर वो चीज सिर्फ कोई जीवित प्राणी को छोड़कर ,इस समय कुंजी को दो तरह से चलाया जाता है ,पहला इसमे बिताया हुवा 1 घंटे बाहर के 24 घंटे जितना होता है और दूसरा इसके उलटा इसमे बिताया हुवा 24 घंटे बाहर के 1 घंटे के बराबर होता हो ,इसका उपयोग कितनी ही तरह किया जाता है जैसे अपनी साधना करने ,युद्धकला सीखने ,युद्व के समय प्रजा की रक्षा हेतु सबको इसमे भेज देना ,कोई आपत्ति आने पर इसमें जाकर अपनी रक्षा करना ,इस समय कुंजी को सही या उल्टा दोनो तरीके से इस्तेमाल किया जाता है ,यह हर असुर राजा के ही पास रहता है ,आप इसको अपने हाथों में लीजिये ये अपने आप आपके शरीर मे समा जाएगा ,इस समय कुंजी को सिर्फ त्रिशक्ति ही नष्ट कर सकते है ,दूसरा कोई इसका कोई नुकसान नही कर सकता ,यह मनी आपके शरीर मे समाने के बाद आप जब इसको याद करेंगे यह आप के हाथ मे आ जायेगा ,और आप जैसा सोचेंगें उसी तरह यह कार्य करेगा ,यह मनी आप ना किसी को दे सकते है ना कोई दूसरा इसका आपके मर्जी के खिलाफ इस्तेमाल कर सकता है ,इसमे आपके जाने के बाद आप को सिर्फ त्रिशक्ति ही देख सकते बाकी कोई भी नही जान पायेगा आप कहा हो, काल ने भी माया के ज्यादा आग्रह करने पर अपने पास रख लिया जो उसके हाथ मे रखते ही उसके अंदर समा गया था ,
शिवा ने उसे गर्मी लगने के बाद अपने कपड़े उतार दिये और अपना पसीना पोछते हुवे एक आईने के सामने आ गया था ,वो सिर्फ एक हाफ पैंट पे ही था बाकी पूरा नंगा दिख रहा था ,शिवा अपने आप को आईने में देख रहा था उसकी हाइट बॉडी बढ़ गई थी उसके सुनहरे बाल भी थोड़े बढ़ गए थे ,उसकी नीली आँखों मे एक अलग ही लाल सुनहरी चमक बारीक देखने से समझ आ रही थी ,शिवा ने अब घर मे सब क्या सोच रहे है वह देखने लगा सबकी सोच में उसके लिये प्यार ही था पर उसके कमरे की तरफ नीलो एक डायरी ,एक टेप और पेन लेकर किसी बड़े खोज में आ रही थी,शिवा को पता था इस खुराफाती दिमाग में अब शिवा का लंड का साइज नापने की सोच पिछले 2 घँटे से उसको देखने के बाद चालू थी ,उसकी यही सोच चल रही थी कि कही इसके हाइट के साथ इसका लन्ड भी नही बढ़ गया और अब वही गिनने वह आ रही थी ,
नीलो ने शिवा के कमरे का दरवाजा खुला देखकर खुशी से अंदर दाखिल हो गई और कमरे का दरवाजा अंदर से बन्द कर दिया ,शिवा को अपने सामने हॉफ पैंट में देख कर उसको और खुशी हो गई कि शिवा को कपड़े उतारने का उसका समय बच गया फिर उसने शिवा से प्यार से बात करते उसे बिस्तर बिठा दिया ,और उससे मीठी मीठी बाते कर उसके पैंट को निकाल के उसके लंड को नापने लगी ,उसने नापने के बाद साइज था 15 इंच लम्बा और 8 इंच मोटा ,उसे गिनकर नीलो बोली ,या खुदा ,पहले से मेरी सोनपरी और लालपरी को इतना बड़ा किया था अब फिरसे दोनो को बड़ा करेगा यह मूसल
शिवा ,उसकी बातों से हसने लगा और उसे अपने गले लगा लिया ,तू चिंता मत कर मेरी जान यह जो तेरी सोनपरी और लाल परी है ना उनको मेरा यह लंड बहुत पसंद है यह आराम से निगल लेगी पूरा और तुमको नमकीन मलाई भी तो यही खिलाता है ना ,
नीलो शरमाकर ,बस बाते करो सिर्फ तुम, इन दोनों कलमुहिया जिसे तुम लालपरी और सोनपरी कहते है मुझे कितना परेशान करती है ,इनको तुम्हारे इस मूसल से रोज मिलना होता है पर तुम तो महीने से गायब हो,बस फोनपर ही प्यार भरी बातें करते हो,मुझको तो अभी तुमसे चुदने का मन है पर घर मे सब है और तुम मेरी 5 से 6 घण्टे तक बजाकर ही दम लेते हो ,कुछ करो ना तुम आज मेरा बहुत मन है ,शिवा ने देखा उसके कमरे में कोई 1 घण्टे तक आने वाला नही फिर उसने समयकुंजी को याद किया जो उसके हाथ मे आ गई शिवाने अपने मन मे समय कुंजी को नीलो के साथ अपने कमरे के जैसे ही कमरे में लेकर जाने की सोची एक पल में वो दोनो पहुच गये उस मनी के अंदर जिसका पता शिवा को चला फिर नीलो को नही चल सका ,वहां पर जाकर शिवा ने नीलो लालपरी ,सोनपरी को अपने लंड के साइज का बनाता रहा वहां पर उसने 12 घण्टे में 5 बार उसकी चुत को 5 बारी गांड को मारकर उसके अपने लन्ड का पानी 2 बार पेट भरके पिलाया ,नीलो तो एकदम संतुष्ट हो गयी थी अपने आशिक के इस मूसल लंड की कुटाई से ,शिवा ने नीलो को अपनी माया से समय का पता ही नही चलने दिया ,जब वो उस मनी से वापस शिवा के कमरे में आए बाहर सिर्फ 30 मिनिट ही हुवे थे,नीलो अपने कपड़े पहनती बोल रही थी ,शिवा आज 30 मिनीट में ही तुमने मुझे पूरा निचोड़ लिया है ऐसा लगता है में 20 से ज्यादा बार झड़ी हु और तुम्हारा इतना माल है मेरी चुत और गांड़ में भरा हुवा ऐसा लगता है तुम 1बार नही बहुत ज्यादा बार अपना माल वहां भरा हो,में अब अपने कमरे में जा रही हु में अब शाम को उठूंगी ,
नीलो शिवा को किस करके उसके कमरे में थोड़ी लंगड़ाती चली गई ,शिवा मन मे यह मनी मेरे कामवासना को कम करने में बहुत काम आएगा ,इसकी वजह से कम समय मे बहुत से मेरे चाहने वालो को अपना वक्त और प्यार दे सकूंगा ,उसके बाद शिवा ने ज्वाला और सुनीता को बारी से मनी में ले जाकर उनकी चुत और गांण्ड को मारते हुवे उनके गुस्से को ठंडा किया जो बहुत दिनों से ना मिलने पर नाराज थी ,दोनो को शिवा ने 12 ,12 घँटे समय मनी में जाकर चोदा उन दोनों को भी उसने अपनी माया से कुछ पता नही चलने दिया ,फिर अपनी तीनो असुर पत्नियों को उसने असुरलोग जाकर उन्हें भी मनी के अंदर 24 घण्टे चोदचोद कर खुश कर दिया ,और रात को फिर आने का वादा किया और वहासे सीधा अपने कमर में आकर लेट गया ,सिर्फ इस दुनिया के ढाई घण्टे के समय मे वो 60 घन्टो की चुदाई कर चुका था ,दोपहर के 2 बजे खाने के बाद वो अपने कमरे में जाकर निता के पास चला गया और उसको समय मनी में ले जाकर यहा के 3 घण्टे और मनी के अंदर के 72 घण्टे में उसे हर तरीके से चोदता रहा और निता के अंदर अपने माल को ख़ाली करता रहा, निता उसको सबसे ज्यादा पसन्द थी उसको चोदते समय वो अपने आप को भूल जाता ,निता के चुत और गांड का मजा और नशा ऐसा था जितना करो उतना कम ही पड़ता उसको,5 बजे शिवा अपने कमरे से बाहर निकलके चाय पीने हॉल में आया ,जहा सनम और नरगिस उसकी ही राह देख रहे थे 6 बजे उन्हें डॉक्टर के पास जाना था शिवा को लेकर उसका चेकअप कराने ,तीनो फिर चाय पी कर नरगिस के कार से अस्पताल की तरफ निकल गए ,
डॉक्टर सलीम खान और नुसरत खान का यह मुम्बई में सबसे बड़ा और हर इलाज की सुविधा उपलब्ध रहने वाला अस्पताल था ,दोनो अमेरिका में 15 साल काम करने के बाद पिछले 10 सालों से मुंबई में आकर बस गए ,इनका अस्पताल इनकी मेहनत और हुनर से चंद दिनो मे मुंबई का सबसे अच्छा अस्पताल के नाम से पहचान बना चुका था ,उन दोनों की बेटी फातिमा भी उनके साथ हीं पिछले 1 साल से काम कर रही थी ,वो भी अपनी माँ बाप की तरह ही बहुत काबिल और होशियार डॉक्टर थी ,शिवा को आज इन तीनो से ही चेकअप करना था , अस्पताल में आने के बाद सबसे पहले उसके बहुत से टेस्ट किये गए अपने खून को देते वक्त शिवा ने अपने माया से उस खून को एकदम इंसानी खून बना दिया था अपनी माया से अगर उसका असली खून को चेक किया जाता तो उसके खून आ में ऐसी चीजें पायीं जाती जिसका किसिको पता नही चल पाता और गड़बड़ हो जाती ,इसीलिए उसने अपने खून को अपनी माया से सामान्य कर दिया था ,अपने खून को देते समय भी उसने अपने अंदर सुई चुभोने दी थी वरना और नया बखेड़ा खड़ा होता अस्पताल में अगर उसके बदन में इजेक्शन की सुई नहीं घुसती तो ,जहा उसके बदन में उसके चाहे बिना इतने बड़े भेडियो के दाँत नही घुस पा रहे थे तो यह इजेक्शन की सुई क्या चीज थी ,
काल के सब रिपोर्ट आने के बाद उसको सबसे पहले डॉक्टर फातिमा के पास भेजा गया ,जहा उसको अकेला ही जाना पड़ा ,फातिमा के केबिन में जब शिवा दाखिल हुवा तो दोनो एक दूसरे को देखते ही रह गए, फातिमा ने ऐसा सुंदर और सजीला तगडा लड़का पहली बार देखा था ,जो उसको देखते ही पसन्द आ गया था ,उसकी नीली आंखों में वो डूब ही गई थी ,शिवा भी इस कमाल की हुस्न परी को देख रहा था ,एकदम गोरी ,जैसे दूध मलाई हो ,एकदम सुंदर चेहरा ,नशीली आंखे ,और कमाल का फिगर 38 28 38 जो उसके शरीर पे एकदम जच रहा था ,पर शिवा ने अपने आप को संभाल लिया ,और उससे बात करके ,अपनी रिपोर्ट दिखाई ,फातिमा के मन की बाते शिवा समझ गया था कि उस वो बेहद पसंद आ गया है ,पर शिवा के पीछे पहले से इतने लगे हुवे थे उसको तो फातिमा की बातों से डर लगने लगा था कही यह भी लाइन में न लग जाय उसके पीछे बाकियों की तरह ,फातिमा ने भी खुद को सम्भल लिया और शिवा की रिपोर्ट देखते हुवे उससे कुछ सवाल किये जो उसकी हाइट और बॉडी अचानक कैसे बढ़ी ,क्या खाया ,कब खाया ,कुछ तकलीफ तो नही होती उसको अब,फिर उसने शिवा के सब कपड़े निकलाने को कहकर ,उसे सिर्फ अंडर वियर में एक बेड पर लेटने को कहा ,ऊसकी पूरी बॉडी देखकर फातिमा तो बस एकटक उसके शरीर को ही देखने लगी ,उसको शिवा में एक अजीब सा आकर्षण लग रहा था जो उसके समझ के बाहर था ,उसके बाद उसने शिवा के शरीरं को अच्छे से चेक किया कही कुछ गड़बड़ तो नही और उसके नरम हाथो के स्पर्श से शिवा का मूसल अपनी पूरी औकात में आ गया जो सुबह से 132 घण्टे की चुदाई करके भी खड़ा ही था ,फातिमा ने जब उसके मूसल के साइज को देखा जो उसके अंडरवियर से साफ समझ आ रहा था ,की अंदर बहुत बड़ी तोप मौजूद है ,फातिमा तो आंखे फाडे उसके लंड को देख रही थी ,उसने शिवा से पूछा क्या इसका भी साइज बढ़ गया है या ये पहले से ऐसा है ,शिवाने कहा पहले से ऐसा है तब फातिमा ने उसे दिखाने को कहा ,जब शिवाने अपने लंड को बाहर निकाला उसके साइज और मोटाई से वह हकबकी रह गई ,ऐसा लंड किसी इंसान को हो सकता है यह बात उसके डॉक्टर के पढाई में नही थी ,यह एक असमान्य लंड था ,वो कुछ देर उसको देखती रही फिर अपने दोनो हाथो में लेकर उसे दबाकर शिवा से पुछने लगी कही दुखता तो नही ,उसने उसके बड़े आंड भी देखें जो एक उसके हाथ मे नही आ रहा था पूरा ,उनको भी दबाकर पुछने लगी ,की क्या इनमें कोई दर्द तो नही ,तो शिवा ने नही कहा ,यह सब करते हुवे वो शिवा के लन्ड के बहुत नजदीक चेहरा करके खड़ी थी ,उसके नाको में शिवा के लन्ड की तेज महक ने ऐसा जादू कर दिया कि कब वो उसको चाटने और मुह में लेकर चुसने लगी उसे पता ही नही चला ,शिवा को भी इस गर्म मुह में मजा आ रहा था ,पर वो जल्दी होश में आ गया ,उसने बहुत से पुकारने पर भी फातिमा उसके लंड को मुह से निकाल नही रही थी ,आखिर उसने फातिमा के कंधों को पकड़ कर हिलाने पर वो होश में आयीं, और होश में आकर शिवा को सॉरी कहकर यही रुकने को बोली और कहा में पापा को भेजती हु आपको चेक करने ,में न जाने कैसे बहक गई और यह सब हो गया ,और शरमाती हुवीं वहां से निकल गई शिवा भी उसकी हरकत से थोड़ा हड़बड़ा गया था ,पर वो अब संभल गया था ,और दूसरे डॉक्टर की राह देखने लगा ,
फातिमा ने अपनी माँ बाप के केबिन में जाकर उसकी माँ के कान में सबकुछ नही पर शिवा के लन्ड के साइज के बारे में बताकर उनको उसे चेक करने को कहा और वहाँ से चली गई , सलीम और नुसरत दोनो साथ मे शिवा के केबिन में चले गए वहां जाकर नुसरत भी इस कमाल के लंड को और उसके मालिक को देखती रही ,उसकी चुत से तो पानी ही बहने लगा था इस मूसल से ,सलीम ने शिवा को चेक किया कुछ सवाल किये और उसकी सब रिपोर्ट देखकर कह दिया आप एकदम फिट और नार्मल है ,आप कोई चिंता न करे फिर सलीम ने उसके साथ आये नरगिस और सनम को अंदर बुलाकर उन्हें भी बता दिया कि चिंता की कोई बात नही है ,कभी कभी किसी आयर्वेदिक दवा से ऐसा हो सकता है ,इनको कोई नुकसान नही हुवा बल्कि यह उससे और मजबूत और लम्बे हो गए,यह बिल्कुल ठीक है हमने इनकी हर बारीक जांच की है ,यह सब बातें हो रहीं थीं तब नुसरत बाहर चली गईं थी केबिन से ,डॉक्टर सलीम से मिलकर आने के बाद तीनों बाहर आकर अस्पताल से बाहर निकल रहे थे ,तब शिवा ने देखा डॉक्टर नुसरत दो एकदम गदराई बुरखे वाली औरतो से बात कर रही थी और हस रही थी ,शिवा उसकी बातें सुनकर मन ही मन हस रहा था और उनकी बातें याद कर रहा था ,
नुसरत ,रेहाना और नूरी तुम दोनो इतनी तगड़ी और मोटी हो और तुम्हारे पति इतने दुबले ,तुम दोनो को तो कोई घोड़े से लन्ड वाला तगडा जवान ही चाहिए तुम दोनो की गांण्ड देखो 56 से भी बडी है ,इसके छेद को भी कभी तुम्हारे पति नही देखा होगा तो गांण्ड मारना तो दूर की बात है
रेहाना, नुसरत चाची आप सिर्फ रिश्ते से चाची है हम दोनों की आप हम दोनों से बस 2 साल ही बड़ी हो आप हमारी चाची नहिं दोस्त भी हो आप कुछ भी कहे हमको कभी गुस्सा नही आता माना हमारी गांण्ड बड़ी है जो अभी तक कोरी है ,इसे मारने वाला अभी कोई पैदा नही हुवा अभीतक ,कोई होता तो हम कबसे अपनी गांण्ड उससे मरवा लेती ,और आप की गांण्ड भी क्या कम है 44 कि ये कातिल गांड़ लगता नही कभी सलीम चाचा ने खोलकर देखी भी होगी ,उनमे भी कहा दम आप जैसी घोडी की मारने का
नुसरत, रेहाना आज एक ऐसा लन्ड देखा है जो मेरी गांण्ड तो क्या तुम दोनो के गांण्ड के साथ चुत का भोसड़ा बना दे कसम खुदा क्या लन्ड था ,ऐसा लग रहा था अभी नंगी होकर उससे अपनी चुत और गांण्ड दोनो मरवा लू ,पर सलीम साथ मे था इसलिये कुछ कर नही पायी ,लेकिन मेने उसका नंबर उसकी फाइल से ले लिया है अगर वह मान गया तो अपनी गांड में तेल लगाकर रखना में अपने साथ तुम दोनो को भी खुश कर दूंगी
 
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Update 66
शिवा रात के 8 बजे घर पहुच गया ,नरगिस और सनम ने सबको बता दिया था की शिवाक़े सब रिपोर्ट नार्मल है वह बिल्कुल ठीक है,सबको यह जानकर खुशी हुवीं, रात को 10 बजे सबके साथ खाना खाने के बाद कुछ देर उनसे बाते करने के बाद अपने कमरे में चला गया और वहां से सीधा नेत्रा के पास पहुचा जो हिमांनी से बाते करती बेड पर बैठी थी, उसने और हिमांनी ने खाना खा लिया था उनके साथ रात के 12 बजे तक वो बाते करता रहा ताकि दोनो का यहां पर मन लगा रहे ,पर उसको उन दोनों को होटल में रखना पसंद नही आ रहा था इसलिए उसने नेत्रा से कहा कि कल तुम काल बनकर मेरे साथ घर चलो बाकी में देख लूंगा कल तुम यहाँ नही रहोगी ,तुम मेरी बीवी हो और मेरी जिम्मेदारी भी ,तो नेत्रा ने कहा मेरी जगह केतकी को तुम काल के रूप में लेकर चलना ताकि वह भी हमारे साथ रह सकेगी काल बनकर ,शिवाने यह बात मान ली ,सबसे पहले उसने जो सनम और बाकी बहनो को छेडा था वो यादे उनके दिमाग से मिटा दी ,सनम और बाकी उसकी बहने काल से बहुत नाराज थी ,भवानीगढ़ में उसकी शादी जब नेत्रा से हों रहि थी तब उनको बहुत गुस्सा आ रहा था काल पर उसकी छ्चोरी हरकते याद करके ,उन्होंने पूजा को भी बताया था ,तो पूजा ने उनको कहा इसने भी मुझे छेड़ा था मुंबई में ,और मोना को भी मेने यह बात नेत्रा को बताई भी थी पर वो मानी नही ,उसके बाद काल इन सबका दुश्मन बन गया था ,शिवा ने फिर काल की यादे पूजा और मोना के दिमाग से निकाल दी ,उसने उन लड़कियों के दिमाग मे यही रखा कि काल से वह पहली बार भवानीगढ़ मे ही मिली थी ,सबकी यादे रात में ही ठीक करके भवानीगढ़ के जंगलों में पहुंच गया ,जहा सब भेडियमानव रहते थे ,काल के रूप में वहाँ जाकर उनके घर देखे तो उसने अपनी माया से उन सबके लिये एक बेहतर और सुरक्षित ठिकाना बना दिया और उसको दुनिया की नजर में न आये ऐसा भी बना दिया ,जिससे सब भेड़िये मानव खुश हो गए ,पहले उनके घर ठीक थे और उन्होंने अपनी सुरक्षा भी की हुवीं थी ,पर काल ने उसको 100 गुना बेहतर बना दिया , सर्पिणी से मिलकर उसने आज पहली बार मन्दिर के चमत्कारी शक्ति के बारे में पूछा जो उसने उसे सब बता दिया ,सिर्फ विशाखा वहां बिजली से बाते करने की वजह से ,शिवा के चमत्कारी पानी पीने की बात काल को पता नही चली ,मन्दिर का सब राज जानकर काल को यही लगा उसको यह शक्तिया मन्दिर के उस चमत्कारी शक्ति की रक्षा के लिये ही मिली है वर्ना उसको शक्तिया मिलने का क्या कारण और उसकी किस्मत उसको मुकाबले से लेकर भेडियमानव को बचाने तक यहा नही लाती ,नेत्रा जैसी पत्नी जो कालनेत्री है उसके नसीब में इसलिये आयी ताकि वो मन्दिर की सुरक्षा कर सके ,काल ने सर्पिणी से वादा किया कि वो आज के बाद उनका मन्दिर के सुरक्षा में हर कदम पर साथ देगा ,किसी गलत हाथो में वो शक्ति नही जाने देगा ,सर्पिणी के साथ सब खुश हो गए जो काल जैसा महाबली उनके साथ है इस काम मे ,काल वहां से जाने वाला था पर बिजली और उसकी बेटीयो की मन की बात जानकर उनको मन मे बात करके थोड़ा जंगल मे अंदर जाने को कहा ,और जब वो उनके पास जा रहा था तो बाकी भेडिया मादा जो कवारी थी उनकी मन की बाते जानकर उनको 1 घण्टे में जंगल के अंदर आने को कहा ,पहले उसने बिजली और उसकी तीनो बेटीयो को अपने समय मनी में ले जाकर 24 घण्टे चोदा और उनकी आग बुझाई फिर वापिस आकर उसने उन 100 मादा को 48 घण्टे समय मनी में जाकर उनको भी शांत किया अपने धारदार लन्ड से ,ऐसे सुबह 4 बजे वो असुरलोग पहुंच गया और देरी से आने की माफी मांगकर माया और उसकी दोनो बेटीयो के साथ उस मनी में जाकर 48 घण्टे तक उनको बजता रहा और सुबह 6 बजे अपने कमरे में आकर नहाधोकर 7 बजे नास्ता करने नीचे आ गया
शिवा जब भी समय मनी में जाता किसी के साथ तो वो लगातार उन्हें बस चोदता नही था बल्कि समय मनी में उसने बाहर जैसी ही दिन रात की तरह समय बना लिया था वो सुबह नहाता दोपहर का खाना ,रात का खाना 6 घण्टे की नींद लेना इस तरह नही तो उसके लन्ड से लगातार चुदने से कोई मर भी सकता था इसलिए वो इस बात का ध्यान रखता की किसी के शरीर पर बुरा असर ना हो ,अंदर उसका भी आराम और नींद हो जाने से वह तरोताजा रहता था
शिवा ने अपना नाश्ता होने के बाद काल ( जो केतकी बनी थी पाताल लोक से आकर नेत्रा के कहने पर) नेत्रा और हिमांनी के साथ घर आकर सबसे मिलाया की काल उसके बचपन का दोस्त है वो भी मेरी तरह अनाथलय में पला बढ़ा है ,उसकी शादी के बाद रहने के लिये जगह ढूंढ रहा था तो में उसे अपने घर ले आया ,यह हिमांनी नेत्रा की सहेली है यह यहा पढ़ने आयी थी ,तो जबतक उसके हॉस्टल में जगह नही मिलती वो भी यहीं रहेगी ,अगर किसी को एतराज ना हो तो ,
शिवा की बात कोई टाल ही नही सकता ,और वह नेत्रा और काल की शादी में भी सब मौजूद थे ,और हिमांनी कि भी उनसे वहिं पहचान हुवीं थी बाद में सब इस बात को हँसी खुशी मान गए ,हिमांनी को नरगिस ने होस्टल मिलने पर भी यही रहने को कह दिया ,सब खुश थे ऐसे एकदूसरे से मिलकर फिर शिवा उनको छोड़कर आज एक जरुरी काम से निकल गया जो ,मुंबई जाने से पहले अधूरा रह गया था और उसको अब शिवा पुरा करने वाला था ,
मुम्बई से थोड़ी दूर ही भिवंडी के इलाके में बने आलीशान मकान के बेडरूम में दो 42 34 56 और 44 36 54 कि फीगर वाली एकदम ग़ोरी औरते 69 में एकदूसरे की चुत को चाट रही थी और अपनी कामवासना शांत करती बड़बड़ा रही थी
चूस नूरी इस छिनाल को ,आज मुझे झडा दे मेरी बहन,
हा दीदी आज आप और में जबतक नही झड़ंगे तब तक कमरे से बाहर नही जाएंगे ,
नूरी ,हमको चोदने का दम हमारे मर्दो में नही अब बच्चे पैदा होने के बाद हम थोड़ी भारी हो गए तो इसमें हमारी क्या गलती ,इनके लन्ड से हमने बच्चे पैदा किया यही बहुत है इन हिजड़ो के लिये ,साले 6 इंच की लूली को लन्ड के कहते है भड़वे ,
हा रेहाना दीदी हम दोनों के कितने ख्वाब थे कि हमको भी जानदार मर्द मिले, जो हमको चोदचोद कर हमको थका दे ,यह दोनो भाई तो महीने में 6 दिन भी नही चोद पाते थे हमको ,शादी के बाद कोई अपनी बेगम को छोड़ता नही साल भर तक पर ये दो नामुराद शादी के 2 दिन से हमको छोड़कर पैसे कमाने लगे ,जैसे हम कोई चीज है जो घर मे लेकर आये दो दिन उसको देखा बाद में भूल गए,
नूरी हर लडक़ी के अरमान होते है अपने पति से लेकिन हमें पैसा ,जेवर,कपड़ा ,खाना सब मिला लेकिन कोई हमको सही से भोग कर हमको भी शांत करें ऐसा कभी हमारे मर्दो को लगा ही नही,
दीदी शादी के बाद हम दोनों से दो दो बच्चे पैदा करके यह हमको भूल गए है ,मेरी सहेलियों से जब उनकी चुदाई की बाते सुनती हु ऐसा लगता है हमने अपनी जिंदगी जी ही नही कभी सही से ,चुत चूसना तो बहुत दूर इन भडवो ने आजतक हमको पूरा नंगी तक नहीं किया कभी ,बस अपने बाप की इज्ज़त से हम चुप रहकर सब सहते आये है ,
नूरी हमारे बाप और विजय चाचा के डर से कभी कोई हमारे पास नही आया ,और जिस दिन उस नरेश भैया ने तुम्हे छेडने वाले को जिंदा जला दिया था तबसे हमे कोई आंख उठाकर नही देखता ,भले हम कितनी कोशिश करे किसिको पटाने की ,हम रंडिया तो नहीं बन सकते ना कि आओ और हमे चोदो ऐसा कहदे किसी के मुह पे
हा दीदी काश कोई आकर कह दे में तुम दोनो की प्यास बुझा देता हूं ,पर हमारी किस्मत में ऐसा दिन कहा आएगा ,
तभी वहा पर एक आवाज गूंजी ,अगर में तुम दोनो की प्यास बुझा दु तो मुझे क्या मिलेगा ,
दोनो चौक कर बेड से उठकर बैठ गई और यह कौन बोला यह देखने लगी ,तो बेड के सामने एक लम्बा तगडा लड़का एक सोफे पर बैठा उन दोनों को देख कर मुस्कुरा रहा था ,
कोंन हो तुम ,और हमारे कमरे में कैसे आ गए ,रेहाना ने उस अजनबी शख्स को देखकर अपने बदन को बेड पर पड़ी चादर से ढकते हुवे थोड़ी डरी हुवीं आवाज में पूछा ,
तुम दोनो को मैने पहले सवाल किया उसका जवाब दो ,बादमे में तुम्हारे सवाल का जवाब दूँगा ,उस लड़के ने कहा,
हमारे घर मे घुसकर हमसे सवाल करने की हिम्मत कर रहे हो,तुमको थोड़ी भी शर्म नही आतीं किसी के घर मे ऐसा चोरों के तरह घुसकर किसी के निजी जिंदगी में दखल देते हुवे,नूरी ने चिढ़कर कहा
तुम दोनो अजीब पागल औरते हो ,में तुम दोनो की बरसो प्यास बुझाकर तुमको जन्नत दिखाने की बात कर रहा हु और तुम बेवजह बाकी बातो में लगी हो चलो तुमको तुम्हारे जन्नत के दरवाजे की चाबी दिखा देता हूं ,तुम अपने आप सब समझ जाओगी और उस लड़के ने खड़े होकर उन दोनों को सामने अपनी पैंट उतारकर उनको अपना लंड दिखा दिया
रेहाना और नूरी दोनो किसी भुत को देख लिया ऐसी शक्कल बनाकर उस मूसल को देखने लगी जो उनकीं आंखों के सामने झूल रहा था ,उनके कलाई से दुगना मोटा ,गोरा, लम्बा इतना कि कभी किसी घोड़े का लन्ड हो ,दोनो एकटक उस लन्ड को देख रही थी ,
देखो हो गई ना खामोश ,देख कर यह हाल है अंदर लोगी तब क्या होगा ,वही लड़का बोला
तुम तुम क्या चाहते हो हमसे ,रेहाना ने अटकते हुवा पूछा ,
यह हुवीं ना काम की बात ,तो सुनो में तुम दोनो के चुदाई के हर ख्वाब पुरा कर दूंगा ,बस मुझे यह बता दो की तुम दोनो ने किसके कहने हेमा और मधु के लड़कियों को अपने बंगले में छुपा कर रखा था ,उसी लड़के ने पूछा ,
उसकी बात सुनकर दोनो हड़बड़ा गई और उसको पुछने लगीं
तुमको कैसे पता यह सब,और तुम क्यों जानना चाहते हो सब ,कही तुम हम दोनों को ब्लैकमेल तो नही करना चाहते, नूरी बोली,
लंड दिखाकर कोई ब्लैकमेल करता है क्या ,तुम मेरा काम करो में तुम्हारा हिसाब बराबर,वही लड़का बोला
हमारी हेमा और मधु से कोई दुश्मनी नहीं है,हमे तो मालूम भी नही था कि उन दोनोकी बेटीयो को वहां पर रखने वाले है ,अगर हमें पता होता कि उन दोनों की लड़कियों का वहा पर रखने वाले है ,तो हम कभी उसका साथ नही देते ,
तुमने किसके कहने पर यह सब किया था ,वही लड़का बोला,
हम दोनों की कुछ वीडियो उसके पास थी ,जो उसने ना जाने कब बनाई थी वो दिखा कर वो हमें यह सब करने को लगा रहा था ,वो औरत है या मर्द यह भी हमको ठीक से पता नही ,वो हर बार कोई नई नम्बर से नई आवाज में बात करता है ,शायद वो एक से ज्यादा लोग हो ,वो कभी हमारे सामने आयही नही बस फोन पर ही काम बोलता है हमेशा ,रेहाना बोली ,
ठीक है आज के बाद तुमको जब भी वह फोन करे और कोई काम करने को कहे तो तुम सबसे पहले मुझे बताओगी ,में तुम्हारी वीडियो उससे तुमको लाकर दूँगा ,और अगर तुम दोनो को मुझसे चुदने का मन है तो बोला नही तो वापिस चला जाता हूं ,
नही नही तुम रुको हम तुमसे तुम ,दोनो को उसको रोकना था पर वह कह नही पा रहीं थी, उसने हसके कहा ,में समझ गया ,मेरा नाम काल है
और वह उन दोनों के बीच मे जाकर लेट गया और उन दोनों के बदन से चादर खीच ली ,काल आज ऐसी गदराई घोड़ियों देखकर बहुत खुश हुवा था ,ना इनकी चुत ज्यादा चुदी थी ना गांड की सील खुली थी आज काल 10 बजे इनके घर आया था और अभी साडे दस का समय हुवा था उसको 1 बजे तक घर पे खाने को जाना था मतलब 2 घण्टे धरती के हिसाब से और 48 घण्टे मनी के हिसाब से ,इन अजब गजब को आज काल बहुत ही जबरदस्त चोदने वाला था ,उसे पहली बार इतनी तगड़ी फिगर की औरते मिली थी जो इंसान थी ,वो असुर औरते तक चोद चुका था पर इंसानों में ऐसी फिगर ,मोटी तो नही पर एकदम भरी यह दोनो काल को पसन्द आ गई थी, आखिर उसके लंड के लिये कोई नया तगडा माल जो मिला था उसको ,
काल यहां पर इसीलिये आया था कि जब वो अस्पताल से वापिस आ रहा था तब यह दोनो नुसरत से बात कर रहींथी और काल उनकी बातें सुनकर हस रहा था तभी अस्पताल में हेमा और मधु को देखकर नूरी के मन मे उनकी बेटीयो को अपने यहाँ अगवा करके रखने की बात याद आ गयी थी ,जो शिवा ने सुन ली थी ,इसीलिये वह आज यहां सब जानने आया था ,अस्पताल में ही नूरी के मन मे अपने आप को बहुत बुरा भला कहते काल ने सुन लिया था उसको बहुत अफसोस था इस बात का की उनसे बहुत बड़ी गलती हो गयी है ,तभीसे काल जान गया था यह दोनो तो बस मोहरे है खिलाड़ी पीछे छुपकर खेल रहा है ,उसके मोहरों को सबसे पहले अपनी तरफ करने ही आज वो आया था ,काल सोच रहा था मेने विषलोक में जाकर विषलोक तबाह किया विषदंश को मारा ,कालीघाटी में घुसके कोहिम को मारा ,और उसे यहा एक आदमि का पता नही चल पा रहा है ,काल के पास बहुत ताकते थी वह किसीकी सोच जो अभी चल रही है उसे सुन और देख सकता था पर किसीके चेहरे को देख कर वो उसके बारे पिछला कुछ जान नही पाता था ,उसको अब उस अजनबी की तलाश थी जो सिमा और निता की ज़िंदगी बर्बाद करना चाहता था ,पूजा के साथ खेल करने वाला यही था ,अब काल इस खेल में उतरने वाला था ,और शुरवात मेही उसके हाथ मे दो मस्त तगड़ी घोड़िया मील गई थी ,।
 
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Update 67
काल ने जब अपने समय मनी में उन दो घोडीयो को हाथ पकड़कर ले गया था ,उनके नरम हाथ का स्पर्श से काल को अंदाजा हो गया था यो दोनो बहुत ही ज्यादा नरम है इनको शायद इतने सालों में सहीसे मसला नही गया है , इन दोनों का शरीर इस तरह बनने का कारण बचपन से ज्यादा और अच्छी खुराक, बाप की तरह पूरा ऊंचा कद और शरीर माँ की तरह चुचिया और गांड में बेहद भरा हुवा मिला था दोनोको ,शादी के बाद खुद का मोटापा कम करने से पेट तो कम हुवा पर गांड और चुचे कुछ ज्यादा ही बढ़ गए ,हमेशा सहेलियां और रंगीन फिल्में देखकर अपने पति से वैसेही चुदने का मन करती पर वहां सिर्फ बेरुखी ही मिली थी ,
काल ने जब रेहाना के 90 किलो से ज्यादा वजनी शरीर को अपने दोनो हाथो से उठाकर बेड पर पीठ के बल किसी गुड़िया कि तरह लिटा दिया तो वो इस लड़के की ताकद से हैरान थी ,काल ने उसकी 44 की बड़ी सी दोनो चुचिया अपने मजबूत पंजो में पकड़ ली ,गजब की चुचिया थी इतनी बड़ी होकर भी लटक नही रही थी बल्कि तनी हुवीं थी ,काल के मर्दाना हाथो से अपनी चुचिया मसल ने रेहाना सिहर गई ,यह कोई पहला मर्द था जो उसके चुचिया से खेल रहा था ,आजतक उन्हें उसकी बहन नूरी और खुद के हाथों के सिवा किसी ऐसे मसला नही था ,पर कहा वो उनके जनना हाथ और कहा ये ताक़दवर मर्द के बड़े से पंजे की पकड़ ,काल ने उसके फुले हुवे निप्पल को मुह में लेकर चुसना शुरू किया तो रेहाना के मुह से एक मजेदार सिसकी निकल गई ,आ ssssअम्मी ,काल किसी किसी बच्चे की तरह उसके नीपल को चूसता अपने दोनो हाथोसे उसकी गांड के नीचे लेकर उन्हें भी मसलने लगा ,उसके हाथों में रेहाना की 54 साइज की गांड को वो दबाकर उसे लाल कर रहा था रेहाना तो इस हरकत से अपने सिर को इधर उधर पटक के अपनी दोनो हाथ की दोनो मुठियो से चादर कस के पकड़ ली और मुह से जोर जोर से अपनी अम्मी का नाम लेने लगी ,नूरी बेड पर बाजू में बैठी ये सब देखकर गर्म हो गई थी उसने बिथरकर काल को पीछे से पकड़ कर उससे चिपक गई और उसकी गर्दन को चाटती उसकी पीठ पर अपनी 42 की दोनो चुचिया घिसने लगी ,काल को बड़ा मजा आ रहा था अब उसने थोड़ी देर रेहाना को चुचिया मसल कर ही झडा दिया,और अपनी पीठ पर चिपकी नूरी को अपनी बाहों में भरकर उसके लाल सुर्ख होठो को चुसने लगा ,नूरी भी उसको किस करती अपनी चुचिया उसके सीने में दबाती उसके बालो में हाथ फिराती उसके गोद मे बैठ गई ,थी ,काल बेड पर नूरी को सुलाकर उसके ऊपर पूरा चढ़ कर उसको किस कर रहा था उसके गांड को दबाता अपना मोटा सा लंड का टोपा उसकी गीली चुत पर घिस रहा था ,नूरी इस गर्म लन्ड के टोपे को अपनी चुत के पानी से गिला कर रही थी ,उसकी चुत किसी भट्टी की तरह गर्म थी ,उसके चुत का वो लाल लाल छेद अपने ऊपर इस लंड की रगड़न अपना पानी छोड़ रहा था उसके चुत का दाना एकदम फूल सा गया था ,नूरी भी अपने आप को इस हमले से ज्यादा देर बर्दाश्त न कर सकी और अपना पानी छोड़ती झडने लगी ,रेहाना अपनी आंखो से उस मर्द को देख रही थीं जिसने उन दोनों को सिर्फ चुम कर और चुचिया दबाकर ही झडा दिया था ,नूरी भी अपनी सांसो को दुरस्त कर रही थी और आराम से बिस्तर पर लेट गई थी ,
काल ने रेहाना के पास जाकर उसकी दोनो टांगो को अपने मजबूत हाथो से पकड़कर बिस्तर पर पीठ के बल लेटी रेहाना के सर तक दबा दिया रेहाना और नूरी एकदम लचीले बदन की मालिक थी काल जिस तरह उसके बदन को मोड़ रहा था उसी तरह वो आराम से मुड़ रही थी जिसकी वजह थी वो अपने आप को फिट रखने के और पेट कम करने के लिये करती आयीं सालो की मेहनत का नतीजा था ,
काल के सामने रेहाना की बड़ी सी फूली हुवीं चुत खुलकर सामने आ गई थी ,ऐसी गोरी लाल चुत के छेद के नीचे से काल को इस बडी गांड का भूरा सा छेद नजर आ रहा था जो एकदम छोटा सा दिख रहा था ,काल ने अपनी जीभ से उसकी चुत को को जब चाटना शुरू किया तो रेहाना मजेसे सिहर गई उसकी बरसो की तमन्ना आज पूरी हो रहीं थी ,जो उसकी चुत को चाटते हुवे काल उसके दिल को आज खुश कर रहा था अपने मुह से मादक सिसकिया लेती आसमान में उड़ रही थी ,काल चुत को चूसते हुवे उसके गांड के छेद को भी बीच बीच मे अपनी जीभ की नोक को उसके अंदर डाल कर उसको भी छेड़ रहा था ,रेहाना का पूरा बदन पसीने से भर गया था उसकी चुत काल को अपना पानी पिला रही थी और गांड़ में काल की जीभ घुसते ही उसको एक करंट लग रहा था वो ज्यादा देर इतने हमले झेल ना सकी और एक चीख के साथ अपनी चुत का पानी फिर छोड़ दी थी ,काल ने भी उसके उस नमकीन पानी को पूरा चाट कर साफ कर दिया और रेहाना की टाँगे छोड़ दी जो उसने कबसे उठाकर रखी थी ,काल फिर उसपर चढ़ गया और उसके गुलाबी होठो को चूसता उसको उसके है चुत के पानी का स्वाद देने लगा ,रेहाना भी अपने इस आशिक के होठों को बड़े प्यार से चूस कर अपनी चुत चुसने का शुक्रिया अदा कर रही थी काल अब ज्यादा गर्म हो गया था उसने रेहाना के होठो को चूसते हुवे उसकी गांण्ड को पकड़ के अपने लन्ड को उसकी गीली चुत के छेद पर अपने टोपे को गिला कर करके घिस रहा था उसने अपने लन्ड को अच्छा गिला करने के बाद एक जोरदार धक्के के साथ अपने लंड को उसकी चुत में आधा घुसा दिया था ,रेहाना जो कबसे मजे की वादियों में उड़ रही थी अपने चुत में इस बड़े से लन्ड के घुसते ही दर्द से चिल्लाने लगी उसकी चुत में उसे बेहिसाब दर्द हो रहा था उसको ऐसा लग रहा था मानो उसकी चुत में किसीने गर्म लोहे का पाइप घुसा दिया हो ,उसकी चुत का मुह हद से ज्यादा बड़ा हो गया था ,काल को भी इस कसी चुत में बड़ा मजा आने लगा था ,उसने एक और धक्के में अपना पूरा लंड इस घोडी के चुत में उतार दिया था ,रेहाना की चुत अब फट कर भोसड़ा हो गई थी ,इतने बड़े लन्ड ने उसकी चुत के छोटे से छेद के चिथड़े उड़ा दिये थे ,उसकी चुत पानी के साथ अब खून भी टपकने लगी थी ,पर काल ने रेहाना की चुत में एक तूफान मचा दिया था ,वो रेहाना के चीख को अनसुना करते उसके होठो के रस को पिता किसी जंगली सांड की तरह उसके चुत को चोदने में लगा था ,रेहाना अपनी बड़ी सी गांड़ टिकाती इस लन्ड के मार को झेल रही थी ,काल इतने तेज धक्के मार रहा था और रेहाना उसको हर धक्के के साथ उसकी गांण्ड 5 इंच तक नीचे बेड पर दब जाती उसके मार को सह रही थी ,रेहाना का दर्द ज्यादा देर तक नही रह वो भी जल्द ही अपनी गांड़ उठाकर उस मूसल को अपने अंदर लेने लगी काल के लन्ड के मारसे उसकी चुत ने अपना पानी छोड़कर हार कबूल कर ली पर काल के लन्ड को ये हार कबूल नही हुवीं ,कालने उसको घोडी बनाकर उसकी बड़ी सी गांड़ को पकड़ के अपने लंड को उसकी चुत में फिर दौड़ा दिया उसकी गांण्ड को अपने दोनो हाथो की मार से उसने लाल करते हुवे उसकी चुत में अपने धक्के लगाने जारी रखें ,नूरी अपनी बेहन की इस चुदाई को आंखे फाड़ कर देख रहीं थी ,काल जिस तेजी के साथ उसकी बहन को चोद रहा था और उसकी बहन मजे में चिल्ल्ला रही थी यह देख कर नूरी भी गर्म हो गई थी,जब रेहाना अपने चुत का इस चुदाई का दूसरी बार पानी निकाल रही थी ,तब नूरी काल को फिरसे पिछसे चिपक गई थी ,जैसे ही रेहाना झड गयी काल ने उसे छोड़कर नूरी को अपने बाहो में भरकर खड़ा होकर उसको अपनी गोद मे उसकी गांड से पकड़कर उठा लिया नूरी ने अपनी दोनो टाँगे उसके कमर पर लपेट कर उससे लिपट गई काल उसके होठो को चुसने लगा और उसकी गांड़ को अपने हाथोसे दबाकर उसकी चुत पर अपने लन्ड को चुभोने लगा ,नूरी ने अपने एक हाथ से दोनो हाथ मजबूती से काल के गले मे डाल कर उससे लिपट गई थी ,कालने अपने लन्ड को नूरी के चुत में एक जोरदार धक्के के साथ अंदर उतार दिया ,नूरी उस वक्त अपनी बड़ी सी गांण्ड उठाकर उसके लन्ड पर घिस रही थी इस वजह से काल के एक ही धक्के में उसका लन्ड नूरी की चुत में जड़ तक घुस गया था ,नूरी के मुह से एक दर्दनाक चीख निकल गई ,काल के लन्ड ने उसकी भी चुत को पूरा खोल दिया था ,उसकी चुत अंदर तक चिर गई थी और अपना खून बहा रहीं थी ,उसके दर्द से आसु बह रहे थे पर काल उसकी गांड को थामे अपने लंम्बे धक्के लगाने का काम जारी रखे हुवे था ,नूरी का रो रो कर बुरा हाल था वो अपने दर्द में रोती इस जानवर के गोद मे चुद रही थी ,काल ने उसको उसी पोझ में चोदते हुवे बिस्तर पर ले गया ,और अपना लंड बिना निकाले उसे पीठ के बल सुलाकर उसके चुचिया को दबाके उसे फिर चोदने लगा जल्द ही नूरी भी अपना दर्द भूलकर मजे से चुदने लगी और काल को अपनी बाहों में भरती उसको चूमती उससे अपनी गांड उठाकर चुदने लगी ,अपने अंदर इस गर्म लन्ड की मार से उसने अपना पानी एक चीख के साथ छोड़कर अपनी चुत की खुशी दिखाने लगी ,पर काल उसको और खुशी देंना चाहता था उसने नूरी को पेट के बल लिटाकर उसके 56 के बड़ी सी गांण्ड को अपने मजबूत पंजो से फैलाकर उसके चुत में अपना लन्ड उतार दिया और उसकी गांड़ को छोड़कर उसके पीठ पर लेट गया उसकी नरम गांण्ड पर थाप थाप की आवाज करता उसके चुचिया दबाता उसको चोदने लगा नूरी उसके वजन के नीचे दबी उसके लंड के मार कों झेलती इस अदभूत चुदाई के मजे लेने लगी ,उसके पति ने उसको आजतक कभी इतनी देर नही चोदा था ,उसके झड़ने से पहले ही वो अपने लंड से उल्टी करके साइड में हो जाता था और इधर ये सांड़ उसके बहन को ठंडी करके उसपे अब तक बिना झड़े चोद रहा था ,उसके चुत में झड़ने ने से जो चिकनाई आ गई थीं उसके वजह से अब काल का लन्ड सरपट दौड़ लगा रहा था , नूरी इस सुख को ज्यादा देर तक सहन ना कर पायी और काल के लन्ड को अपने चुत में कस तक निचोड़ती एक बार और झड गई थी ,काल ने उसकी चुत से अपना लन्ड निकाल लिया जो उसके पानी से पूरा भीग कर चमक रहा था ,काल अपने पीठ के बल लेट गया उसका लन्ड एकदम खड़ा होकर सलामी दे रहा था ,और उस लन्ड को देखकर रेहाना जो अब फिरसे गर्म होकर ललचाई नजरोसे देख रही थी ,काल ने उसे इशारे से अपनी और आने को कहा तो वो झट से उठकर उसके पास आ गई काल ने उसको अपने लंड पर बैठने को कह तो वो काल के दोनो तरफ पैर करती उसके लंड को पकड़कर उसको अपनी चुत में धीरे धीरे लेने लगी पर काल ने उसकी गांण्ड को पकड़कर उसे तेजीसे नीचे बिठा दिया और नीचे से अपने लन्ड से एक धक्का भी लगा दिया नतीजा यह हुवा की वो धम से नीचे बैठ गई और लंड उसके चुत में पूरा बैठ गया ,उसके मुह से फिर एक दर्द की चीख निकल गई ,पर इस बार उसको ज्यादा दर्द नही हुवा ,काल उसके चुचिया दबादबाकर उसे अपने लन्ड पर उछलने लगा वो भी अब मजे में अपने बालों को खोलती इस घोड़े की सवारी करने लगी ,उसके मुह से मजे की सिसकिया निकलने लगी थी,वो भी अपनी बड़ी सी गांड पटकपटक के चुदने का मजा लेने लगी ,नूरी भी इस मजेदार चुदाई की देखकर काल के मुह पर अपनी चुत रखकर अपने बहन को पकड़ कर किस करती अपने चुत और गांड का स्वाद काल को चखाने लगी रेहाना के झड़ने के वक्त काल ने भी उसकी चुत में अपनी गर्म मलाई भर दी ,रेहाना तो इस गर्म माल को अपने चुत में लेकर एक तरफ गिर गई जिसके बाद नुरी भी इस घोड़े जैसे लंड पर बैठकर चुदने लगी,नूरी तो दो बार झड़ंने के बाद ही बाजू में हुवीं ,
काल ने साइड में लेटी रेहाना के गांड के छेद में अपनी एक उंगली से तेल लगाकर उसे नींद से जगाने लगा ,काल अपनी एक उंगली पूरी उसके टाइट गांड़ के छेद में अंदर घुसाकर उसे चिकना और थोड़ा ढीला करने लगा था ,रेहाना भी पेट के बल लेटी उसके उंगली का मजा अपने गांण्ड मे ले रही थी ,थोड़ी देर के बाद काल ने उसकी गांण्ड से उंगली निकाल ली और उसके गांण्ड को फैलाकर उसके गांड़ के छेद में अपने लन्ड के टोपे को लगा दिया जो उसने पहले ही तेल से चिकना कर लिया था उसका लन्ड उस गांण्ड के छेद पर लगते ही रेहाना उस गर्म लन्ड के स्पर्श से सिहर गई उसके कुछ समंझने ने से पहले ही काल ने अपने लन्ड के एक करारा प्रहार से उसके छेद में उतार दिया ,उसके गांण्ड के छेद से खून के साथ रेहाना की एक दर्द भरी चीख साथ मे निकल गई ,कालने उसको कसके पकड़कर अपने दो और धक्कों से उसकी गांण्ड के छेद को पूरा फाड़ के जड़ तक अंदर घुस गया ,रेहाना के मुह से चीख के साथ गन्दी गालिया भी निकलने लगी ,खबीस के बच्चे, यह क्या कर दिया तूने ,अम्मी ssss मेरी गांण्ड ,है खुदा मुझे बचा ले ,मादरचोद छोड़ मुझे ,लेकिन काल ने उसकी गांण्ड को नही मारा आधे घण्टे बाद उसका दर्द और गालिया बन्द हुवीं और वो मजे से सिसकिया लेने लगी और अपनी गांण्ड उठाउठकर उसका लन्ड अपने गांण्ड को खिलाने लगी ,नूरी यह सब देखकर हस रही थी अपने बहन को अपनी गांण्ड में लन्ड खाते देखकर उसे बड़ा मजा आ रहा था ,उसकी बहन के मुह से निकलती गालिया सूनकर उसे हसी आ रही थी ,काल ने उसको भी अपनी और खीच कर उसे भी पेट के बल लिटाकर उसकी गांण्ड में उंगली करते रेहाना की 1 घण्टे तक गांण्ड मारता रहा,उसके बाद उसने रेहाना को छोड़कर नूरी के गांण्ड में अपना मूसल उतार दिया वो भी रोती हुवे गालिया देने लगी ,इस बार रेहाना हस कर उसे चिढ़ाने लगी ,ले छिनाल ,अब तू खा इस मूसल को अपनी गांण्ड में ,देख कितना दर्द और मजा मिलता है ,मार मेरे शेर इसकी गांण्ड को मार ,इसकी गांण्ड मुझसे बड़ी है ,इस छिनाल को और जोरसे चोद, काल ने नूरी को भी 1 घण्टे से ज्यादा चोदा और झड़ते वक्त अपना लन्ड उसकी चुत में गांड से निकलकर उसमें अपना माल भर दिया ,
दोने बहने कमाल की गर्म माल थी ,इतना चुदने के बाद भी उन दोनो ने फिर काल के लन्ड को चूसकर उसके लन्ड का पानी बारी बारी पीकर उसको और उकसाकर अपनी चुत और गांण्ड मरवाती रही,काल ने भी और दो बार उनकी चुत और गांण्ड को जम कर चोदने के बाद अपना गर्म माल उसमे भरता रहा ,
उनसे विदा लेकर काल अपना फोन नंबर उनको देकर अपने घर आ गया ।
 
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Update 68
शिवा जब खाने के लिये घर पर आया तब सब लोग उसकी ही राह खाने के लिये देख रहे थे ,शिवा ने सबके साथ मिलकर खाना खाया और सब बात करते हुवे हॉल में ही बैठ गये थे ,और बातो का मुख्य विषय था काल ,केतकी जो काल के रूप में थी वो शिवा के मन की बातों की मदद से सबको जवाब दे रही थी ,उसने और शिवाने मिलकर कुछ उनकी दोस्ती के किस्से सुनाए ताकि ज्यादा उनको शक ना हो और वैसे भी शिवा के पास असुर माया का जादू था अगर कुछ गड़बड़ हुवीं तो ,शिवा ने यह बताया कि वो काल के साथ मिलकर कुछ नया काम करने वाला है ,अब वो हॉटेल में नोकरी नही करने वाला है ,सिर्फ कॉलेज और अपना बिझनेस करने वाला है अब से वह ,नरगिस ने पूछा कि अब क्या बिझनेस करने की सोची है ,मुझे भी तो बताओ ताकि में भी तुम दोनो का साथ दे सकू अगर तुम चाहो तो ,शिवा ने कहा सिर्फ तुम नही सनम और नेत्रा भी हमारे साथ काम करने वाली हो ,तुम सब के साथ मिलकर में एक कंप्यूटर के सॉफ्टवेयर की कंपनी खोंलने वाला हु जो sequrity सॉफ्टवेयर बनाएगी और उसको बड़ी कंपनी को बेचेगी ,सॉफ्टवेयर बनाने का काम काल ,नेत्रा और में करूँगा ,तुम सनम के साथ इसको बडी कंपनी में दिखाकर बेचने का काम करोगी ,हम घरपर ही यह काम आसानी से कर सकते है ,सबको शिवा की तरकीब पसन्द आयी ,हिमानी और नीलो ने भी साथ काम करने की बात कहीं जो शिवा ने मान ली ,शिवाने कहा में तुमको 15 दिनों में सॉफ्टवेयर बनाकर दूँगा तुम उसको सेल करना ,और कोई भी उसको हैक नही कर सके ऐसा सॉफ्टवेयर हम बनाकर दे देंगे पर नरगिस तुम अपनी खुद के कोई भी कंपनी में यह सॉफ्टवेयर लगाकर हमें पैसे की मदद नही करना ,तुम्हारी सब कंपनी में मुफ्त में सॉफ्टवेयर लगना चाहिए ,नरगिस भी शिवा की बात कर हसकर मान गई ,यह काम शुरू करने की एक ही वजह थी ताकि काल क्या काम करता है ,उसकी जिंदगी आगे कैसे चलेगी ,इसके जवाब नेत्रा के घरवालों को भी मिल जाएगा और नरगिस उनको भी और दूसरी वजह यह थी को वो मन्दिर के सुरक्षा के लिये हमेशा तैयार रहना चाहता था ,काम पर जाएगा तो वहां से जरूरत पड़ने पर निकलना मुश्किल होता ,मन्दिर की सुरक्षा को खतरा कब हो यह बताया नही जा सकता ,और काम से गायब होना उसको शक के दायरे ला सकता था ,इसी वजह से शिवा ने यह निर्णय लिया था ,
शिवाने उसके बाद होटल जाकर मैनजर और पूजा को मिलकर अपने काम छोड़ने की बात बता दी ,दोनो नाराज हुवे पर दोनो की नाराजी की वजह अलग थी ,मैनेजर को शिवा में एक बेटा दिख रहा था ,जो हमेशा उसको अपनी तरफ से मदद करने की इच्छा रखता और उसे लगता शिवा जिन्दगी में एक कामयाब इंसान बने ,उसने शिवा से वजह पूछीं तो शिवा ने उसे अपने एक दोस्त के साथ सॉफ्टवेयर की कंपनी खोंलने की बात बताई ,मैनेजर की नाराजगी खुशी में बदल गई उसने शिवा को बहुत आशीर्वाद दिए ,पूजा को भी उसने यह वजह बताई पूजा उसकी आँखों मे देखती बस सुनती रही और शिवा जब जाने लगा तो रोने लगी ,शिवाने उसके पास जाकर उसे गला लगा लिया ,शिवा उससे दिल से मोहब्बत करता था वो उसका पहला प्यार थी ,उसने उसके आंसू पोछकर बड़े प्यार से समझाया ,और पहली बार खुद उसको होठो को चूमकर उसे आय लव यू कहा ,पूजा को तो यकीन ही नही हों रहा था अपने प्यार के मुह से जो वो कबसे सुनने को बेताब थीं आज शिवा ने वो कह दिया था ,शिवाने उसे कहा वो चिंता न करे वो उसके साथ भी वक्क्त बिताया करेगा रोज और सही वक्त आने पर उससे शादी भी करेगा ,सिर्फ उसको कुछ बातों को संभलना होगा कि उसकी 1 नही बल्कि ज्यादा बीबियां होगी ,अगर वो इस बात से सहमत होगी तो ही वो शिवा को शादी के लिये हा कहे ,पूजा तो शिवा के लिये जान देने तक तैयार थी ,उसे बस अपने शिवा से मतलब था बाकी उसकी 50 बीवियां हो उसे सब मंजूर था ,वो एक पल में हा कहकर शिवा को प्यार से चूमने लगी ,थोड़ी देर के बाद शिवा उससे विदा लेकर उसके केबिन से बाहर निकल गया ,होटल से बाहर आते वक्क्त उसे शांति दिख गई ,जो आज भी उस अजनबी की तलाश में होटल में हर रात निता और सीमा के साथ शिवाने चुदाई की थी उसी कमरे की और अपने खयाल में जाते दिख गई,शिवाने आज शांति से रात में मिलने का सोच लिया ,उसने अपने फोन से सिनोब और कोकी को नरगिस के घर शाम तक अपने सामान के साथ रहने को आने का कह दिया जो कबसे इस बात की राह देख रहे थे ,होटल से निकल कर शिवा सीधा घर नही गया बल्कि अपने मन के विचारों को शांत करने जुहू के समुन्दर किनारे जाकर बैठ गया ,शाम के 6 बज गये थे और उस समुन्दर किनारे बहुत से लोग अपने बीवी बच्चों के साथ टहल रहे थे , शिवा सामने देख रहा था जहाँ एक मा बाप अपने छोटे बच्चे के साथ उस समुन्दर किनारे खेल रहे थे ,उस बच्चे को अपने माँ बाप के साथ खेलते बहुत खुशी हो रही थी ,शिवा को यह सब देखकर बहुत बुरा लग रहा था ,बचपन से वह मा बाप के प्यार को तरसा था ,कभी रात में मा के आँचल की कमी उसको खलती तो वो रातभर रोता रहता पर कोई उसे चुप कराने या पास लेने वाला नही था वो रातभर रोते रोते ही सो जाता,कभी मा के हाथ से खाना, उसका दुलार ,मा के आगोश में लिपट कर जिद करना ,उसके बाहो में सोना उसे नसीब ही नही हुवा ,बाप का मजबूत सहारा क्या होता है ,उसका प्यार ,उसकी फिक्र ऐसी सब चीजो से वो मरहूम ही रहा,आज उसके पास बेहिसाब ताकद है ,मायावी विद्या है पर वो कभी इन चीजों से अपने बचपन को सही नही कर सकता ना कभी मा बाप का प्यार पा सकता है ,अपने बचपन की तकलीफ और माँ बाप के गम में उसके आंखोसे कितने बह रहे थे ,ये उसे भी पता नही था ,ऊसकी आंखों में अपने अनाथ होने का दर्द उसके आसु थमने का नाम ही नही ले रहे थे ,आखिर उसके मा बाप है कहा, उसको कभी ढूंढा क्यो नही उन लोगोने उसे,बहुत से दर्द भर सवाल उसके दिल मे उठ रहे थे और उसके जवाब न मिलने से उसके आसु बह रहे थे ,
तभी किसी ने उसके सर पर प्यार से हाथ रखा और कहा ,शिवा बेटा क्या बात है रो क्यों रहे हो
शिवाने देखा तो उसके सामने मनोज खड़ा था जो अपनी आंखों में चिंता लिये शिवा को देख रहा था ,उसके ही साथ निता भी खड़ी थी और एक लडक़ी उन दोनों के पीछे खड़ी होकर शिवा को एकटक देख रही थी ,
शिवा ने मनोज को देखकर कहा ,कुछ नही सर,बस मा की याद आ रही थी, जो मुझे दिखी ही नही कभी बचपन से ,बस उसको अपने मन में देख रहा था की उसकी कोई झलक मिल जाये ,पर नही मिली मुझे और शायद उसीका दर्द ये कमबख्त आंखे बर्दाश्त न कर सकी औऱ छलक पड़ी,
मनोज ने शिवा के आसु अपने हाथों से पूछ दिये, शिवा तुमको मेने क्या कहा था ,तुम अनाथ नही हो,तुम मेरे बेटे हो,और में तुम्हारा पिता और ये है तुम्हारी माँ जिसे तुम याद कर रहे हो ,निता को अपने एक हाथ से आगे करता मनोज बोला, निता को भी शिवा की बाते सुनकर तकलीफ हुवीं थी ,आज उसका बेटा जिंदा होता तो वो भी शिवा जैसा ही दिखता ,उसने शिवा के चेहरे को प्यार से पकड़ा और कहा ,शिवा क्या में तुम्हारी माँ नही हु ,शिवा को उसकी ममता से भरा स्पर्श से अनोखी राहत मिली ,उसे लगा जैसी उसकी माँ ही उसके सामने खड़ी है ,वो माँ कहता हुवा निताके बाहो में लिपट गया ,उसकी आँखों से बरसो से अपने हर गम का दर्द अपने अन्दर छुपा कर रखा था ,आज उसका बांध टूट गया था ,निता भी कितने सालो से अपने बेटे के गम में जल रही थी आज उसके ममता को भी एक ठंडक मिल गई,शिवा ने जब उसे मा कहा तब उसके दिल मे दबा उसके बेटे के बिछड़ने का दर्द छलक उठा और वो शिवा को अपनी बाहों में भर्ती उसपर अपने प्यार की ममता लुटाती रोने लगी ,मनोज के आंखों से भी आंसू बह रहे थे,उसे शिवा उसका अपना बेटा ही लगता ,जब उसने शिवा को ऐसे अकेले बैठे रोते देखा तो उसके दिल मे अजीब सा दर्द उठा था ,शिवा को दुख देने वालो को जान से मार दु ,ऐसी भावना उसके मन मे उठ रही थी ,अपने आप को शांत करता जब वो निता के साथ शिवा के पास जाकर उसके रोने का कारण जानने आया तो यह सब हो गया था ,
शिवा और निता काफी देर तक एक दूसरे की बाहों में रोते रहे ,फिर दोनो का थोड़ा दर्द कम हुवा तो वो शांत हो गए ,मनोज ने शिवा को जिद करके अपने घर ले गया ,निता ने भी इसका साथ दिया ,शिवा को दोनो ने अपने हाथोंसे आज खाना खिलाया ,शिवा का पेट ही नही भरा बल्कि उसकी आत्मा तक को तृप्ती मिल गई थी ,मनोज और निता ने उसे अपने बेटे जैसे अपने साथ बिठाकर खाना खिलाया ,वो दोनो भी आज अपने बेटे की जगह शिवा को देख कर अपना प्यार उसे देते रहे ,रात के खाने के बाद शिवा ने उन दोनों से विदा ली ,मनोज और निता ने उसे कसम दी कि आज के जब भी उसे मा बाप की याद आये वो सीधा उनके पास आएगा ,शिवाने ने भी यह बात मान ली ,
शिवा के जाने के बाद उस लडक़ी ने निता से कहा ,चाची आपने एक बात देखी ,इस शिवा की आंखे बिल्कुल विजय जैसी है और उसके खाते हुवे अपने विजय जैसा ही धीरे से हँसता है ,कही यह शिवा तो अपना विजय नही ,
निता ने उस लड़की को प्यार से पास में लिया,महि तुझे और नरेश भईया को हर लड़का विजय ही लगता है ,काश हमारा बेटा आज जिंदा होता ,पर भगवान को शायद ये मंजूर न था ,
निता और मनोज घर मे चले गए और माही ,यह शिवा ही विजय है ,में मेरे विजय को लाखों में पहचान सकती हूं,मेंरा दिल और मेरी आँखें कभी मुझे धोका नही दे सकती ,में यह साबित कर के रहुंगी की शिवा ही हमारा विजय है ।
 
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Update 69
शिवा ने नरगिस को फोन करके बोल दिया था कि वो खाना खाने नही आएगा ,बल्कि नेत्रा के मा बाप मिल गए उनके साथ खाना खाकर आ जायेगा ,इसलिये सब ने शिवा के बिना खाना खाकर शिवा की राह देखने लगे ,और बाते करने लगे ,रात के 10 बजे तक शिवा भी घर वापिस आ गया,आज शिवा का चेहरे पर एक खुशी साफ दिख रही थी,
नीलो,शिवा तुम बड़े खुश दिख रहे हों क्या बात है ,तुम ऐसे खुश हो रहे आज मानो तुम काल के नही बल्कि खुद के ससुराल गये थे हां हा हा,,
शिवा और नेत्रा दोनो एक दूसरे की आखो में देखकर हसने लगे, अब भला वो क्या कहते ,नीलो ने मजाक में कही बात एकदम सही जो थी ,सबके साथ थोड़ी देर बात करने के बाद शिवा अपने कमरे में चला गया ,नेत्रा के मन मे जो सवाल थे वो शिवा भी जानता था ,उसने नेत्रा के मन मे इतना ही कहा ,नेत्रा हम दोनों का मिलन जल्द होगा बस कुछ दिन तक रुक जाओ ,में हम दोनों की पहली रात जल्दबाज़ी में नही करना चाहता,हम दोनों का मिलन यादगार होगा यह बात तुम याद रखना ,उसके बाद शिवा अपने रूम में आकर बिस्तर पर लेट गया ,उसके लंड में कबसे हलचल हों रहीं थी ,सबसे पहले शिवा ने समयमनी में 12 घण्टे ज्वाला को आज किसी जानवरो की तरह जमकर चोदा जो बहुत खुश थी इस चुदाई से उसके बाद उसने 12 घण्टे सुनीता को भी जमकर चोदा आज सुनीता की गांड़ मारते मारते उसने दो बार मूत दिया था ,समयमनी के 24 घण्टे मतलब धरती पर सिर्फ 1 घण्टा, अभी सिर्फ साडे 11 बज रहे थे ,शिवा आज अलग गुस्से में था उसने असुरलोग जाकर माया और तीनों मा बेटियो की चुत भी समयमनी में 24 घण्टे तक इतनी मारी की वो सूज के कुप्पा हो गई थी, फिर उसने भवानीगढ़ जाकर पहले बिजली और उसकी बेटीयो को समयमनी में ले जाकर 24 घण्टे में भगाभगाके चोदा ,उसके बाद उन 100 कवारी मादोओ को उसने ऐसा चोदा मानो उनकी फिर से आज सील खुली हो ,उनको भी समय मनी उसने 24 घण्टे तक चोदा ,लेकिन उसका लन्ड तो और भड़क गया था और शिवा का दिमाग भी अलग घुमा हुवा था ,अभी रात के 3 बज गये थे लेकिन शिवा अपने लंड की आग से जल रहा था ,दो धरती की सबसे गर्म औरते ,3 असुरलोग की सबसे ताक़दवर असुर औरते ,3 दुनिया की सबसे बड़ी और कामुक भेड़ियेऔरत ,100 दूसरे नंबर की ताक़दवर कामुक भेड़िये औरते भी उसकी लन्ड की आग को बुझा नही सकी थी और जो उसको बुझा सकती थी,और ठंडा कर सकती थी उसके पास शिवा जाना नही चाहता था वों थी निता ,शिवा को बस वहीं तरीके से सम्भल सकतीं थी पर आज शिवा ने उसको मा बोला था और उसने भी उसे बेटा मानकर उसे बेटे का प्यार दिया था ,कैसे वो उसके पास जाएगा ,शिवाने देखा कि निता अभीतक अपने आशिक की राह देख कर उसकी याद में तड़प रही है,निता के बदन में भी आग लगी हुवीं थी उसको तो बस अपने आशिक की याद आ रही थी ,उसके आंखो में हल्की नमी आ रही थी ,शिवा यह देख न सका और कब वो निता के बगल में पहुच कर उसे बाहो में भरता अपने सीने से लगा लिया, निता भी अपने आशिक अपने बलम के आगोश में आकर शान्त हो गयी ,शिवा ने निता को अपने साथ समयमनी मे दाखिल हो गया उस वक्त धरती पर साडे तीन बज गये थे ,शिवा ने अपने तपते ओठ निता के मदभरे लबो से जोड़ कर उस रस को पीने लगा जो उसके दिल को अब चैन दे रहे थे ,जिसको उसने मा कहकर शाम को गले लगा लिया था वों उसको सब भूलकर नंगा करने में लगा था ,निता भी अपने सारे कपड़े खोलकर पूरी नंगी हो गई शिवा ललचाई नजरोसे उसके चमकते बदन को देखने लगा था ,निता इतने दिनोसे शिवा से चुदकर अलग ही निखर गई थी ,उसके बदन में शिवा के लंड से जो गाढ़ी मलाई वो पीती थी वो उसको एक अलग ताकद देती थी ,उसकी चुत ने भी शिवाक़े माल को पूरा अपने अंदर सोख लिया था ,उसकी चुचिया को दबादबाकर शिवा ने 42की कर दी थी,और उसकी गांड़ भी उसके लंड के प्रहार से 44 की हो गई थी पर कमर सिर्फ 30 की और पेट एकदम सपाट ,जांघे एकदम गदराई सी ,वो अब 25 साल से ज्यादा नही लगती थी ,सब उसको इस निखार के लिये छेड़ते थे ,पर बस वो शर्मा जाती ,मनोज को उसने 15 साल से अपने आप को छूने तक नही दिया था ,और उसने अब सोच लिया था इस जीवन मे इस बदन का मालिक बस उसका बलम ही होगा और कोई नही ,अपने बलम के मूसल से इतना चुदने के बाद भी उसके चुत और गांड़ के छेद में हमेशा कसाव ही रहा इसकी वजह थी शिवा के गरम वीर्य जो उसको अब जीवनभर इसी साइज़ की रखेगा और उसकी जवानी हमेशा ऐसी ही रहेगी ,शिवा उसके कड़क ,गोरी सी चुचिया को के ऊपर के किसमिस के बड़े से नीपल को मुह में लेकर चुसने लगा ,शिवा के चुसने से उसको अपने चुत के अंदर तक एक झटका लगा और मुह से एक मादक सिसकी, आ आ माsss
शिवा जैसे किसी बच्चे के जैसा उसमेंसे दूध निकालने की कोशिश करता उन्हें दबा दबाकर कभी एक तो कभी दूसरे को चूस रहा था ,निता भी जैसे अपने बच्चे को दुध पिला रही हो ऐसे उसको अपनी चुचिया पिला रही थी वो उसके बालो को प्यार से सहलाती हुवीं अपने चुचिया पर दबा रही थी,
बलम मेरी एक दिल की तमन्ना है ,निता
बोलो मेरी जान ,शिवा,
में तुमको अपना असली दूध पिलाना चाहती हु,और तुमसे अपने दोनो के प्यार की एक निशानी को इस दुनिया मे लाना चाहती हु, तुम जैसे अदृष्य हो सकते हो ,वैसेही तुम में और ताकते भी होगी ,तूम क्या करोगे मुझे मालूम नही ,पर मेरे पति को यही लगना चाहिये की यह उसकी हीं औलाद है ,मुझे तुम कभी अपनी शक्कल मत दिखाओ ,पर मेरी यह इच्छा जरूर पूरी करो अगर तुम मुझे कुछ अपना मानते हो ,निता
तुम मेरी सबसे दिल के करीब हो ,तुम्हारी आगोश में ही में सुकून पाता हूं ,बस तुम ही मेरे दर्द की दवा हो ,तुम्हारी चाहत को में जरूर पूरा करूंगा ,हम दोनोकी निशानी तुम जरूर इस दुनिया मे लेकर आओगी यह मेरा वादा है तुम जैसे बोल रही हो वैसा ही होगा ,तुम्हारे पति को यह उसका ही खून लगेगा ,
शिवा ने निता को यह बोलकर उसके चुत के पास जाकर अपनी जन्नत के दरवाजे को खोलकर उससे निकलते अमृत की धार को पीने लगा निता के चुत को दोनो होठों को इतने प्यार से चूस कर उसके रस को पीने लगा ,निता भी अपने इस प्यासे आशिक की प्यास को समझ कर हर दस मिनीट बाद उसको अपने चुत के नमकीन फव्वारे से बुझा रही थी ,शिवा के दिल मे जो आग थी जो गुस्सा था सब इस पानी से बूझकर उसकी आत्मा को सुकून और शांति दे रहा था ,निता ने भी इस बीच शिवा को 69 में आने को बोलकर अपने सबसे प्यारे खिलोने को अपने गर्म मुह में लेकर उसे अपनी नरम नरम जीभ से छेड़ रही थी जो शिवा दो घण्टे तक झड़ता नही था वो निता के मुह में उसका गुलाम हो जाता ,निता जब भी उसके उन दो मोटे आंड को दबाती वो अपना गर्म माल की पिचकारी उसके मुह में छोड़कर उसके हुक्म को मानते थे ,निता और शिवा दोनो कितना भी एकदूसरे का माल पी ले पर उन दोनों का न मन भरता न पेट ,निता ने जब शिवा के माल को अपने मुह में लेकर हजम किया और बोली ,बलम मेरे नीचे भी अपने इस अमृत को बरसा दो वो भी बहुत प्यासी है ,इस मलाई की और उसके बाद जितना दिल करे मेरे गांण्ड की सवारी करो ,
शिवा ने निता की बात मानकर उसके दोनो टांगो को थोड़ा फैलाकर उसकी चुत में अपने लन्ड को रखा तो एकदम घी में जैसा चाकू घुस जाता है उसी तरह उसका लंड एकदम आराम से उसकी चुत में अंदर घुस गया ,उसके चुत ने उसको अपने अंदर लेकर ऐसे कसने शुरू किया मानो कोई अजगर अपने शिकार को कसता हो ,शिवा को ऐसा लग रहा था मानो उसका लन्ड एक जलते लावे की आग में घुस गया हो,उसके लन्ड को यह आग और उस लावे की गर्मी सुकून ही देती थी ,निता ने अपनी दोनो टाँगे शिवा के गांण्ड पे कस दी और अपने दोनो बाहो में लेकर उसके मुह में अपनी जीभ घुसाकर उसके जीभ को चुसने लगी ,शिवा के हर धक्के के साथ निता अपने गांड़ से ऐसा ताल मिलाती के शिवा का हर धक्का शिवा के लंड के टोपे को उसके गर्भाशय तक टकर देने को मजबूर करता ,दोनो एक दूसरे में साथ ही झड़ते और पल भर में ही अगले दौर को लग जाते बस एक दूसरे के झड़ने तक हीं दोनो थम जाते थे ,शिवा और निता आज कितनी बार एक दूसरे में खाली हुवा उनको पता ही नही था ,दोनो तो रुकते ही नही ,पर निता के गांड़ के छेद में अपनी खुजली बढ़ाकर चुत की शिकायत कर दी यह कितना माल खा रही है ,थोडी मेरी भी तो फिक्र करो ,मे पीछे हु इसका मतलब में इस चुत से माल खाने में और मेरे मालिक को अपने अंदर लेने में बिल्कुल पीछे नही रहुंगी ,मुझे भी उतना ही माल मिलना चाहिए जितना इसको मिला है,
निताने शिवा के गाढ़ी मलाई के आखरी बून्द को अपने अन्दर लेने के बाद ,अपने एक हाथसे उस लंड को अपनी चुत से निकाल कर घोडी बन गई ,शिवा भी उसके गांड के उस गुलाबी छेद को खुलते बंद होते देखकर निता के इस मख़मली गांड़ को पकड़कर ,अपने लंड को उसके गांड़ के दुर्लभ गलाबी छेद पर रखकर अंदर करने लगा ,निता के चुत की तरह ही उसके गांड़ के छेद में बिना किसी ,तेल या चिकनाई के बिना उसका लंड जड़ तक घुस गया ,निता की गांड़ शिवा के लिये एक अजूबा हीं थी ,एक असुर औरत उसके लंड के अंदर लेने के बाद भी दस मिनीट तक चीखती ही थी और बिना तेल के उसके लन्ड को अपने अंदर वो भी नही लेती थी ,मगर निता बिना किसी चिकनाई के इतना बड़ा लंड अपने गांड के छेद जड़ तक अपने अंदर आराम से ले लेती थी ,शिवा ने अपने लंड के गहरे धक्के निता के गांड़ में जड़ता उसके कसाव का मजा लेता उस मखमल जैसे दो बड़े से गोल मटकों को दबाता मजे कर रहा था ,थोड़ी देर बाद निता खुद ही शिवा को रोककर कुतिया बनकर शिवासे अपनी गांड़ और तेजीसे मरवाने लगी शिवा निता की चुदाई में हमेशा किसी बच्चे की तरह जो उसके मा की हर बात मानता वैसे ही निता जो भी कहती शिवा बिना ना नुकुर के झट से मान जाता था ,अब उसे क्या पता बिचारा की अपनी ही मा की गांण्ड वो मार रहा है ,निता कुतिया के पोझ में कुछ देर चुदकर अपने पेट के बल लेट गई शिवा उसी पोझ में उसके बड़ी सी गांड को अंदर तक खोलता रहा और निता अपनी गांड मरवाती रही इसी पोझ में शिवा उसके गांड़ में झड गया ,शिवा के झड़ते ही दोनो एक दूसरे को किस करते खड़े रहे और निता किसी बन्दर की तरह शिवा के गोद मे चढ़ गई और अपने एक हाथ नीचे के ले जाकर उसके लन्ड को पकड़ कर उसपे अपनी गांड़ से ताकद लगाकर दबाती पूरा निगल गई ,शिवा के गले मे दोनो हाथ डालकर उसे जंगली बिल्ली सी नोचती वो तेजीसे अपनी गांड उठा उठाकर अपनी चुत उसके लन्ड पर पटकती उसके लन्ड को निगल रही थी ,शिवा भी अपने मजबूत पंजो में उसके दोनो गोल गांण्ड के मटकों को दबादबाकर उसके चुत में अपना लन्ड नीचे से पूरी ताकद से ठेल रहा था ,निता 15 मिनीट में ही उसके लंड पर झड गई शिवा ने उसके चुत से लन्ड खीच कर बिना किस तोड़े उसको थोड़ा उठाकर उसके गांण्ड के छेद में अपना लन्ड एक झटके में घुसाकर जम के उसके गांड को उसी पोझ में मारने लगा निता भी जोष के साथ उसका साथ बराबर देती रही शिवा ने इस बार जोर हुंकार भरकर उसकी गांण्ड के अंदर अपनी पिचकारियां छोड़ने लगा ,शिवाने इसके बाद नीता को अपने साथ बेड पर उसकी गांण्ड को अपनी और करके सुला लिया और उसकी एक टांग को अपने हाथ मे उठाकर उसे किस करता पिछे से उसके चुत में सप्प से लन्ड घुसाकर किस करते चोदने लगा इस पोझ मे कभी वो निता की चुत मारता तो कभी गांड शिवाने आखिर में उसकी चुत में ही अपने लंड से अपना माल भर दिया और निता के आगोश में आराम करने लगा ,समय मनी 48 घण्टे तक दोनो की चुदाई चलती रही और उसके बाद शिवा एक प्यारा सा किस देकर 6 बजे घर आकर नहा लिया और आज 8 बजे तक अपने लैपटॉप में काम करता रहा ,शिवा के पास आज दुनिया का हर ज्ञान था आधुनिक और पुरातन ,उसने असुर माया के प्रयोग से दुनिया का हर ज्ञान हासिल कर लिया था वो भी बस 5 मिनीट में ही ,उसने नरगिस को 15 दिन का वादा किया था पर अब वो बस 5 दिन में ही एक ऐसा सिस्टीम बनाने वाला था जो दुनिया का कोई भी हैकर तोड़ ना सके 8 बजे उसने अपना नाश्ता किया और 9 बजे आज कॉलेज पहुच गया ,जहा उसे मुरझाई मोना मिल गई ,शिवाने आज कॉलेज में पूरा दिन उसके साथ बिताकर उसके प्यार को कबूल कर के कुछ वक्क्त चुप रहने को कहा ,मोना का उदास चेहरे पर आयीं खुशी देखकर उसे बहुत अच्छा लगा ,आज उन्होंने साथ मे जो वक्क्त बिताया उससे मोना बहुत खुश थी ,शिवाने आज सुबह से एक बात सोच ली थी कि वो अब सब के साथ प्यार बाटता रहेगा किसी को नाराज नही करेगा ,वो जिसको जिंदगी ने अनाथ बनाया था ,सबका सहारा बनेगा चाहे उसे इस वजह से थोड़ा झूठ बोलना पड़े पर वो सबको खुशियां देता रहेगा ,दोपहर को 3 बजे घर पे आकर उसने खाना खाया और काल मतलब केतकी के साथ उसके रूम में जाकर नेत्रा और हिमांनी को अपने साथ चलने को कहकर 3 घण्टे तक मुम्बई घूमता रहा ,केतकी ने बाहर आकर काल का रूप छोड़कर अपने रूप में आ गई ,तीनो को आइसक्रीम ,पानी पूरी ,भेल खिलाकर जुहू की समुन्दर की सैर कराकर लाया तीनो बहुत खुश थी ,शिवाने नरगिस और सनम के साथ सबको बाहर खाने पर चलने को कह ,पूजा को भी उसने बुला लिया फोन करके ,जीनत और शफ़ी चाचा के साथ सिनोब और कोकी को भी ले लिया ,रात के दस बजे तक सबको खाना खिलाकर मुम्बई के स्पेशल ज्यूस और पान खिलाकर वापिस ले आया जिससे सब लडकिया बहुत खुश थी ,पूजा नेत्रा और काल से मिलकर बहुत खुश हुवीं ,वो नेत्रा के कहने पर आज नरगिस के घर रुक गई थी ,रात को 10 बजे घर आकर शिवा ने सबको कहा कि वो अभी सॉफ्टवेयर का काम करने वाला है ,कोई उसे डिस्टर्ब ना करे ,सब आज इतने खुश थे सबने उसकी बात मान ली ,शिवा आज 10 बजे अपने कमरे को अंदर से बन्द करके सीधा भवानीगढ़ के मंदिर की गुफा में पहुचा काल बनकर आज पहली बार उसने सर्पिणी और विशाखा से काम के अलावा और बाते करता रहा ,आज उसके साथ कल हुवीं भीषण चुदाई से ज्वाला,सुनीता ,और सब भेड़ियेऔरत और असुरलोग के असुर पत्नीया भी नही चुदने वाले थे सबकी चुत सूज गईं थी ,12 बजे सर्पिणी और विशाखा के साथ काल नील से मिला, उसने नील को अपनी असुरी विद्या और विषलोक के जहर से जो उसके अंदर मौजूद था उसकी मदद से 100 गुना ताक़दवर बना दिया ,साथ मे ऐसा ही उसके दोनो साथियों को भी नील जैसा ही बलशाली कर दिया ,नील को उसने कहा तुम सब भेडियमानव को आज के बाद आधुनिक और पुराणिक सब ज्ञान अपने तीनो दोस्तो के साथ देते रहना कल पूरे मन्दिर की सुरक्षा तुम सबके हवाले है ,नील ने वजह पूछी तो काल ने कहा ,वो कल सर्पलोक जाने वाला है रात के 12 बजे और सुबह 6 बजे लौट कर आएगा ,वहां जाकर वो सर्पिणी और विशाखा से सर्पलोक में शादी करने वाला है ,सर्प लोक में धरती का 1 घण्टा मतलब सर्पलोक के 5 दिन होते थे ,इस तरह पूरे 1 महीने वो सर्पलोक में रहने वाला था ,सर्पिणी और विशाखा उसकी बात सुनकर खुश होकर वहा से चली गई ,नील के साथ 30 मिनीट में ही सब बातें हो गयी थी ,उसके बाद वो सीधा माला और बानी जो खुद को सबकी नजरों से गायब समझ कर सुन और देख रही थीं उनके सामने पहुच गया ,उसने जब दोनो के नाम लिये दोनों हैरान हो गई के काल उनको देख सकता है ,काल ने कहा ,माला और बानी परसो हम तीनों हिमालय के अश्वलोक चलेंगे वहां पर में तुम दोनोकी हर समस्या खत्म कर दूंगा ,परसो हम 12 बजे ही चले जाएंगे ,काल ने ज्यादा देर बात नही की वो उनको वैसा ही आश्चर्य में छोड़कर 1 बजे अपनी कामदेवी निता के साथ समयमनी मे 72 घण्टे का समय बिताकर उसे कहा कल में रात के 10 बजे ही आ जाऊंगा ,शिवा सुबह 4 बजे घर पर आ गया ,उसने नहाकर 8 बजे तक अपने लैपटॉप में काम करते गुजारा ,और 9 बजे तक नास्ता करके कॉलेज चला गया ,मोना के साथ उसने आज सिर्फ कॉलेज में थोड़ी पढाई की बाद में थोड़ी मस्ती ,शिवा ने आज घर आकर खाना खाया और सबको लेकर मूवी देखने गया उन लोगों ने खाना भी बाहर ही खाया और बहुत मस्ती की सब 9 बजे तक घर आ गए सब लडकिया कल और आज के घूमने फिरने से खुश थी ,आज सब थक जाने से 10 बजे के पहले ही सोने चले गए ,शिवा ने 10 से 12 का समय निता के साथ समय मनी में 48 घण्टे का करके 12 बजे सर्पिणी और विशाखा के पास आ गया ,आज उसने अपनी माया से ज्वाला ,सुनीता को सुला दिया था ,उसी तरह असुरलोग की 3नो पत्नीयो को सुला दिया ,भेडियमानव की उससे चुदने वाली सब मादा 3 दिन तक आराम करने वाली थी ,सर्पिणी और विशाखा ने काल के दोनो तरफ खड़ी होकर उसके एक एक हाथ को पकड़ के गायब हो गई ,तीनो सर्पलोक के प्रवेश द्वार पर पहुच गये थे पर काल के महानाग के प्रचंड रूप जो उसने यहा आने पर लिया था ,सब प्रवेश द्वार छोड़कर अंदर भाग गए थे ।
 
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Update 70
विशाखा की हंसी थम नही रही थी जो सर्पिणी के डांटने पर भी हस रही थी ,काल ने अब कालनाग का रूप छोड़ दिया था उन सब सैनिकों के भागने से ,वो भी विशाखा के मनमोहक रुप को आज पहली बार देख रहा था हमेशा खामोश ,कभी ज्यादा बात न करने वाली यह विशाखा आज पहली बार इस अल्लड़ रूप में अपनी आभा आज दिखा रही थी ,माना दोनो बहने बहुत ही ज्यादा सुंदर और सौंदर्यवती थी,पर विशाखा सर्पिणी से थोड़ी 21 ही थी ,उसके सुनहरे बाल ,हरी आंखे ,गुलाबी ओठ ,गोल चेहरा ,पूरा बदन सुनहरा था विशाखा का ,काल को आज ही पता चला था की विशाखा इस दुनिया की एकमात्र सुनहरी सर्प कन्या थी ,सिर्फ भगवान शिव के आशीर्वाद से छोटे सुवर्णसर्प शक्ति स्वरुप मिलते जो बस एक आत्मस्वरूप ही थे ,पर विशाखा दुनिया में पहली शरीर रूप लेकर पैदा होने वाली सुनहरी सर्प कन्या थी ,सर्पिणी भी आधी सुनहरी और आधी नीले रंग की थी ,जब दोनो धरती लोक पर रहती तो अलग ही दिखती पर उनका असली रूप सर्पलोक में आकर ही दिखाई देता था ,तीनो सर्पलोक में दाखल हो गए थे और विशाखा की हँसी से मोहित काल उसे ही देख रहा था और सर्पिणी का ध्यान आगे आने वाले सर्पलोक के योध्दा पर था जो बड़ी संख्या में प्रवेश द्वार की ओर आ रहे थे ,उनको एक विशाल सर्प की खबर मिलने पर सब सर्पलोक की रक्षा के लिये प्रवेश द्वार पर आ रहे थे ,थोड़ी ही देर में तीनो के सामने हजोरो बलवान सर्पमानव आ गये थे ,
विशाखा और सर्पिणी को देखकर सबने उनको आदर से प्रणाम किया ,एक बलवान सर्पमानव ने आगे आकर पूछा ,
प्रणाम स्वीकार करे दिव्य कन्याओं ,आप दोनो का स्वागत है सर्पलोक में ,आपके आने की खबर होती तो महाराज खुद आपका स्वागत करने आते पर उनको शायद आपके आने का पता ना हो ,में उनकी तरफ से आपसे माफी मांगता हु ,
सर्पिणी ,सेनापति कामराज आपको माफी मांगने की जरूरी नही है ,हमने हमारे आने की बात का कोई संदेश नही भेज था ,हम अचानक आ गए है ,
कामराज ,जैसा आप उचित समझे ,आप के साथ यह कौन है ,और हमे खबर मिली थी कि बहुत विशालकाय सर्प यहा सैनिकों ने देखा था ,हमे तो नही दिख रहा क्या आपको कुछ पता है उसके बारे में ,या आपने उसको देखा हो,शायद कोई सर्पलोक पर कब्जा करने यह आया हो ,
विशाखा ,कामराज आप चिंता न करे वो हमारे साथ ही है और उनसे सर्पलोक में किसको भी खतरा नही है ,और ना वो यहा पर कब्जा करने आये है ,आप उन्हें अपना मित्र समझे ना के शत्रु ,
कामराज ,आप की बात पर हमें पूर्ण विश्वास है ,मतलब यह आपके साथ मे है वही विशाल सर्प है क्या हम इनका स्वरूप देख सकते है ,अगर आपकी इच्छा हो तो ,
विशाखा ,क्यो नही,लेकिन डर कर भागना नही हाहाहा,
काल ने जब महानाग का रूप लिया सबकी गांण्ड फट गई सब उस महानाग के सामने चींटी समान थे ,सब डर से कांप गये थे ,महानाग को देखकर ही सब समझ गए थे ,इसके आगे पूरा सर्पलोक भी आ गया तो एक पल में सब मारे जाएंगे, काल का महानाग रूप पहले से विशाल था और जब काल में एक असुर और भेड़ियामानव की ताकद आ गई उसका महानाग का रूप और 10 गुना बड़ा और ताक़दवर हो गया था ,जो उसे भी यही आकर जब उसने महानाग का रूप लिया तभी पता चला था ,काल ने कुछ पल रुककर महानाग से वापिस अपने काल के रूप में आ गया ,
कामराज ,है महावीर आपको कामराज का प्रणाम है ,आप से एक ही विनती है ,आप अपने इस दिव्य स्वरुप के दर्शन सर्पलोक में ना दे ,आपको देखकर वहा डर से भगदड़ मच सकती है ,आप से यही विनती करता हु
काल ,कामराज जी मे अपने इसी सामान्य रूप में ही रहूंगा आप चिंता न करे
फिर कामराज सबको लेकर महल लौट आया ,उस विशाल सर्प के बारे में यही कहा गया सबको की वह बस एक माया खेल था ,बाकी कुछ नही ,कामराज ने सिर्फ महाराज को सब सच बताया ,महाराज भानु ने उन तीनों का आदर से स्वागत करके बहुत प्रेम से आदरतिथ्य किया फिर उनके राजगुरु मकर के आने तक उनसे बाते करते रहे और जानकारी लेते रहे खास कर काल से वो बहुत ज्यादा प्रभावित थे ,तभी राजगुरु मकर के साथ कामराज महल में आ गए उन्होंने आने से पहले ही उनके काल के बारे में सब बता दिया था ,
राजगुरु के आते ही तीनो ने उनका नमन किया ,महाराज भी उनके पाव छुकर उन्हें एक आसन पर बिठाकर उनके सामने नीचे बैठ गए ,
राजगुरु ,आप सर्पलोक में धरती के समय अनुसार 2000 साल बाद आयीं हो पुत्री ,सबकुशल मंगल हो हम ऐसी कामना करते है आज आप के साथ एक और दिव्य शक्ति के दर्शन हो गए ,हम आज धन्य हो गए ,आपका भी स्वागत है महानाग इस सर्पलोक मे ,आपका नाम हमारे पुरानो में है ,लेकिन हम धन्य है कि आपके दर्शन हमे मिल गए ,
राजगुरु की बात सुनकर महाराज और सेनापति पहले चौक गये फिर जल्दी से काल के पैर पकड़कर माफी मांगने लगे ,काल कुछ समझ ही नही पाया यह दोनो क्यों ऐसा कर रहे है ,उसने उन दोनो को प्यार से उठाकर उनका वापिस अपने स्थान पर बिठा दिया ,तब राजगुरु बोले ,आप हमारे लिये पूजनीय है ,इसलिए इन दोनों ने आपके चरण स्पर्श किये,
आप अपने आने का प्रयोजन बताने से पहले में आपको एक बात बताना चाहता हु की आप यहा पर आनेवाले है ऐसा हमारे पुराने ग्रंथो में लिखा है ,आप इस सर्पलोक के लिये सबसे बड़े वरदान और इसको बचाकर इस सर्पलोक के महाराज होने वाले है ,आपके लिये लाखो सालो से कुछ रखा है जो आपकी ही राह देख रहा है आप अभी विश्राम कीजिये ,हम आपको कुछ देर बाद आपके मंजिल पर लेकर जायेंगे, सर्पिणी और विशाखा से आप की शादी में ही करवाने वाला हु ,पर उनमे अभी समय है कुछ दिन का ,आप आराम करे आप को लेने हम कामराज को भेज देंगे आपके कमरे में,
शिवाने राजगुरु के मन की बात सुन ली जो कह रहे थे ,आप मेरी मन की जान सकते है कुछ बाते ऐसी है जो सबके सामने नही हो सकती ,आप कुछ देर प्रतीक्षा करे बस आपसे यह विनतीं है
काल ने राजगुरु के मन मे कहा आप मुझसे बड़े है आप आज्ञा दे, विनतीं कभी मत कीजिये ,
राजगुरु ने मुस्कुरा के सहमति में गर्दन हिला दी ,तीनों अलग कमरो में आराम करने को कहा गया ,विशाखा और सर्पिणी अपने कमरों में चली गई ,सर्पलोक धरती के बहुत अंदर तक था यहाँ आने में उन दोनों की बहुत ऊर्जा ख़र्च हो गयी थी ,इसीलिए दोनो अभी कुछ घण्टे सोने वाली थी ,
काल के कमरे में उसके जाने के आधे घण्टे में ही कामराज ने उसका दरवाजा खटखटाया ,काल ने बिना कुछ कहे कमरे से बाहर आ गया, कामराज उसे एक कमरे में लेकर गया जहाँ राजगुरु बैठकर काल का ही इंतजार कर रहे थे ,काल के वहा आते ही उन्होंने काल का हाथ पकड़ा और उसको लेकर गायब हो गए उस कमरे से ,काल को लेकर राजगुरु उसे एक बहुत ही विशाल पहाड़ पर ले आए जो सर्पलोक में था ,या कही अन्य लोक में इस बात का पता काल को नही था ,
काल को लेकर महागुरु एक विशाल जलसरोवर के पास लेकर आये जो उसी पहाड़ पर बना हुवा था ,राजगुरु ने काल को लेकर उस सरोवर के पास बने एक पेड़ के पास बनी एक बड़ी सी कुटिया में ले आये ,
राजगुरू, हे महानाग में आपका आभारी हूं ,जो आपने मेरी बात मानी, आप इस आसन पर बैठिए में अभी आया ,काल को वहां बिठाकर वो महागुरु कुटिया के बाहर चले गए पर थोड़ी ही देर में वो वापस आ गए ,उनके हाथ मे एक सोने का एक फिट बाय एक फिट का बॉक्स था, उन्होंने उस बॉक्स को काल के हाथ मे दे दिया और कहा बेटा ये है तुम्हारी अमानत जो धरती के हजारो सालोंसे यहा पर सुरक्षित रखी गई है ,इसमे क्या है वो सिर्फ एक महानाग ही खोल सकता है ,पहले तुम इसे खोल कर देख लो बादमे हम दूसरी जरूरी बात करेंगे ,में इस कुटिया के बाहर हु तुम इसके ऊपर अपने महानाग की पहचान लगा देना जो तुम्हारे पास है ,इसके बाद महागुरु बाहर चले गए ,काल ने अपने महानाग के काले मनी को याद किया जो तुरंत उसके हाथ मे आ गया काल ने वो मनी का स्पर्श उस सोने के बॉक्स को किया तो काल वहासे उस बॉक्स के साथ ही कही गायब हो गया,काल ने खुद को एक बहुत बड़े सुवर्ण महल में पाया जो बहुत ही विशाल और सुंदर था ,काल ने जब महल के बाहर देखा तो महल के बाहर भी एक बहुत बड़ा बगीचा था ,पानी की झील ,फूलों और फलों के पेड़ ,हर तरह के पंछी जो झील से पानी पीते,पेड़ो से फलो को खाते आसमान में मस्ती करते हुवे वो महल की खिड़कियों से देख रहा था ,महल में किसी के होने का आभास उसे नही हो रहा था वो पूरा महल उसे खाली लग रहा था,उस महल में घूमते हुवे काल देखने लगा कि वो यहा आखिर आया कैसे और उसे लाया किसने इस खाली महल में ,महल में घूमते काल एक बड़े से कमरे में दाखिल हुवा जहा एक सुंदर सी सूवर्ण प्रतिमा उस कमरे के बीचोबीच लगी हुवीं थी,एक बहुत ही आकर्षक महिला का प्रतिमा थी वो ,काल को पूरे महल में घूमते हुवे किसी महल मे पायी जानी वाली चीजो के अलावा जैसे ,सोफे, खुर्सी, सोने के लिए बेड, खाने पीने का सामान ,हर चीज वहाँ मौजूद थी बस किसी जीवित प्राणी के अलावा ,जब काल ने उस सूवर्ण प्रतिमा को जाकर कुतूहलवश स्पर्श किया तो एक चमक के साथ उस मूर्ति में प्राण आये जिससे काल थोड़ा सहम के पीछे हो गया,
वो जीवित हुवीं प्रतिमा ने काल को प्रणाम किया और कहा ,है प्रभु में आपकी सेविका शामली हु,मुझे आपकी सेवा और सहायता के लिये ही इस महल में रखा गया है ,में न जाने कबसे इस महल में सूवर्ण प्रतिमा के रूप में आपके आने की प्रतीक्षा कर रही थी,आप को जो सूवर्ण का बक्सा दिया गया था आप उसी में है अभी,यह पूरा महल के साथ बाहर जो विशाल बाग है वो आपके लिए ही बनाया गया है ,मेरे पास आपके लिये कुछ चीजें रखी गई है जो में आपको दे देती हूं,पहले आप इस नागमणि को रख लीजिये जो आपके पास कालनाग का कालमनी है वो एक शक्तिरूप में आपको मिला है जो एक दिव्य शक्ति है ,यह नागमणि आपके आत्मा के साथ जुड़कर आपके असली देह को को एक इच्छाधरी सर्पमानव का रूप देगी ,आपको आगे इस रूप की बहुत आवश्यकता होने वाली है ,आप इस नागमणि की वजह एक असली सर्पमानव बन जाओगे ,
इतना कहकर उसने काल के हाथ मे एक सुवर्णकी ही बनी नागमणि दी जो कालने अपने हाथ मे ली उसके हाथ मे नागमणि आते ही एक पल रूककर उसके शरीर मे दिल की तरफ दाखिल होते हुवे उसके शरीर मे समा गयी ,काल को उसके शरीर मे जाने के कुछ पल बाद ही पूरे शरीर मे एक एक सुखद सी ठंडक फैलने लगी ,काल को बहुत ही हल्का और अच्छा लगने लगा था ,
शामली ने काल की तरफ देखकर हसकर एक चुटकी बजाई ,जिसकी वजह से काल के सामने एक बहुत ही बड़ा आईना आ गया ,जिसमे काल खुद को देखकर हैरान हो गया वो एक पूरा सर्पमानव बन गया था जिसका पूरा शरीर सूवर्ण का था ,काल जब भी महानाग बनता वो पूर्ण एक नाग के रूप में ही आ जाता था ,लेकिन काल के सर्पमानव बनते ही वो धड़ के ऊपर चेहरे तक इंसान और नीचे सर्प का शरीर जैसा विशाखा और बाकी सर्पमानव को होता है ,काल अपने आप को उस आईने में देख ही रहा था कि उसके कान में शामली की एक आवाज आयीं, मालिक आपके लिये एक और चीज है जो आपको देने के लिये कही थी इतना कहकर उसने काल के हाथों में तीन सूवर्ण की छोटी सी बोतले दे दी ,जिसमे तीनो के ऊपर लाल,हरे और नीले रंग के ढक्कन लगे हुवे थे,शामली ने कहा आप नीले ढक्कन के बोतल को खोलकर पी जाइये आपको सब पता चल जाएगा ,कालने वैसाही किया ,जैसेही उसने उस नीले ढक्कन के बोतल का पानी पिया उसकी आंखें अपने आप बन्द हो गयी और वो अपने ही दिमाग के अंदर किसी परछाई के सामने खड़ा था ,
उस परछाई ने कुछ पल रुककर कहा ,तुम्हारे दिमाग मे बहुत से सवाल है ,जिसके जवाब तुमको आज मिल जाएंगे और बाकी के जवाब सही वक्त आने पर हासिल हो जायेगे, तुमको बहुत सी चमत्कारी शक्तिया मिली ,कुछ तुम्हारे नसीब से तुमको मिली तो कुछ तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी से तुमने हासिल की, जीवन मे हर किसी की कोई मंजिल होती है ,कोई लक्ष्य होता है ,उसी तरह तुम्हारा भी जीवन का एक लक्ष्य है ,तुमको इतनी शक्तिया मिलना बस कोई संयोग नही है ,इसकी एक वजह है , तुमको भवानीगढ़ में रखे उस चमत्कारी शक्ति पत्थर के बारे में तो सब पता है,उस चमत्कारी पत्थर ने तुमको चुना है ,वो तुम्हारी प्रतीक्षा लेने वाला है ,जिस तरह वो चमत्कारी शक्ति पथर समुद्र मंथन सी निकली 14 दिव्य रत्नों से बना है उसी तरह अब वो तुम्हारी प्रतीक्षा लेने वाला है ,तुम पहले शख्स हो जिसे उस चमत्कारी पथर ने चुना है इतने हजारो सालो में ,तुमको पहली शक्ति उसी चमत्कारी पथर ने जब तुम बहुत छोटे थे तभी देकर तुम्हारी प्रतीक्षा लेनी शुरू कर दी है ,तूमको उस परीक्षा के बारे में पता चले ,तुम्हारी मंजिल क्या होगी,और तुम्हे कैसे आगे बढ़ना होगा यही सब बताने में यहा पर हु ,जिस शख्स को उस चमत्कारी पथर चुनेगा उसकी महानाग परीक्षा होने वाली थी यह नियति थी ,और उसमे जो पास होकर महानाग बनेगा उसकी मदद करने और मार्गदर्शन करने के लिये ही सब वस्तुओं का प्रबंध पहले से कर के रखा था ,महानाग की परीक्षा में पास होकर तुमने साबित कर दिया था कि तुमको शक्ति और ताकद का मोह नही है ,ना तुम किसी अन्य भोग के लोभी हो ,इसी वजह से तुमको यहा पर कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण और शक्तिशाली ताकद मिलने वाली है जो तुमको इस परीक्षा में बहुत काम मे आने वाली है ,महानाग की ताकद का एक ही दुष्परिणाम है जो तुम इंसान होने से तुमपर बहुत ज्यादा उसका प्रभाव पड़ा है ,वो चमत्कारी शक्ति किसी इंसान को चुनेगी ऐसा कभी नही लगा था इस वजह से महानाग की ताकद को संभालना किसी इंसान के लिये बहुत मुश्किलभरा था ,सबसे ज्यादा उसकी कामशक्ति को शांत करना ,और तुम्हारी मुश्किल जिंदगीभर ऐसी ही रहेगी ,तुम हमेशा कामवासना में ही रहोगे ,और इसी हवस पर जीत पाते हुवे तुमको अपनी मंजिल तक जाना है ,यह बात हमेशा ध्यान रखना खुद का या खुद के परिवार की भलाई के लिये तुम इस परीक्षा में कभी पीछे मत हटना ,इस परीक्षा को पूर्ण करके उस चमत्कारी पथर को हासिल करना ही तुम्हारा अंतिम लक्ष्य होना चाहिये,तुम्हारे सामने बहुत सी मुश्किलें आएगी पर तुमको डटकर इसका सामना करना होगा ,ना कभी पीछे हटना ना ही निराश होकर हार मान लेना ,इस चमत्कारी पथर ने पहली बार किसी को चुना है और सबसे बड़ी बात है की वो महानाग की परीक्षा में भी पास हो गया तुमको किसी भी हाल में उस चमत्कारी पथर को हासिल करना है ,अगर तुम इसमे नाकामयाब हुवे या पीछे हट गए, तो वो चमत्कारी पथर अगली बार किसे चुनेगा यह पता नही ,अगर उसने किसी गलत और पापी को चुन लिया तो मिश्किल होगी ,और क्या पता वो उसकी कोई परीक्षा लिए बैगर ही उसके पास चला जाए ,उस चमत्कारी पथर किसी को भी अपनी मर्ज़ी से चुनने का हक रहता है ,इसलिये तुमको यह बात का खयाल रखना होगा कि तुमको किसी भी तरह इसे हासिल ही करना है ,अगर यह शक्ति गलत हाथो में चली गई तो बहुत बड़ा अनर्थ हो सकता है, पापी और गलत हातो में ताकद हमेशा निर्दोषों और मासूमो पर कहर ही ढाती है ,तुम्हारी जीत ही सब मुश्किले आसान कर सकती है ,तुम्हारी पहली परीक्षा है कालकूट या हलाहल विष जो तुम छोटे थे तभी से आरंभ हो चुकी है और तुम्हारी पहली ही परीक्षा सबसे कठिन और मुश्किल भरी होगी ,जिसको पार पाना मतलब आधी लड़ाई जितना ,जिस तरह भगवान शिव ने इस हलाहल विष को पीने के बाद मा पार्वती ने उनका गला दबाकर उस विष को उनके कंठ में ही रोक लिया था और पूरे शरीर मे फैलने नही दिया था ,इस बात को हमेशा याद रखना की भगवान शिव ने अपने आप को तकलीफ देकर भी सबका कल्याण ही किया था ,खुद विष पीकर सबके लिये उस का दाह सहते रहे ,यह बात तुमको इस पहली परीक्षा में और जीवन भर याद रखनी है ,तुमको जो सूवर्ण नागमणि मिला है, वो भगवान शिव ने ही तुम्हे दिया है ,इसकी ताकद असीम है तुम संसार के सबसे ताक़दवर और बलशाली सर्पमानव बन गए हो ,तुम्हारे पास और दो सूवर्ण की बोतल है उसमें की लाल ढक्कन वाली बोतल को पीने से तुम अपनी पुरानी जिंदगी भूल जाओगे ,ना तुम में कोई ताकद होगीं, ना कोई चमत्कारी शक्ति ,तुम एक आम इंसान बन कर रह जाओगे जिस तरह तुम सब भूल जाओगे उसी तरह तुमको जानने वाले भी तुमको और तुम्हारी सब यादों को भूल जाएंगे ,इस बोतल का उपयोग तुम अगर इस परीक्षा में बहुत ही बड़ी तकलीफ में हो और खुद को सम्भल नही पा रहे हो तभी करना ,और जिस बोतल में हरा ढक्कन है उसको पीने के बाद तुमको सब याद आ जायेगा और तुम्हारी सब शक्तिया भी तुम्हे वापिस मिल जाएगी पर यह बोतल तुमने लाल ढक्कन के बोतल को पीने के बाद उसके पास ही चली जायेगी जिसको तुम दिल से चाहते हो और वो भी सच्चे मन से तुमको प्यार करती है ,इस बोतल का तुम्हे मिलना सिर्फ तुम्हारी सच्चे प्यार और मोहब्बत के हाथ मे होगा ,
तुम आज के बाद कभी खुद को मार नही पाओगे ना जख्मी कर सकोगे इसी वजह से तुमको यह दो मौके दिए गए है एक पीछे हटकर सब भूल जाने का हमेशा के लिये,या अपने फर्ज के लिये अपने गम और दुखो को अपनाकर आगे बढ़ने के लिये ,तुम एक खास मकसद के लिये जन्मे हो यह बात कभी मत भूलना और अपने जीवन मे आगे बढ़ना ,बस मेरा काम यही तक तुम को बताना था ,तुमको इस परीक्षा में कामयाबी हासिल हो यही दुवा में भगवान से करता हु, सदा यशस्वी भव पुत्र ,इतना कहकर वो परछाई भी गायब हो गई और काल की आंखे भी खुल गई ,इस वक़्त वो अपनी सुनहरी आंखों से शामली को देख रहा था ,उसने अपने हाथ मे कालमनी को याद किया उसी वक्त वो इस महल से गायब होकर उस कुटिया में पहुच गया था ,वो सूवर्ण बॉक्स काल के हाथ मे रहा और उसमे से एक आवाज आयीं जो शामली की थी ,आप मुझे अपने अंदर कही भी स्थान दे दीजिए मालिक ,काल ने कुछ सोचकर अपने समयमनी मे बॉक्स को रख दिया ,साथ मे जो दो सूवर्ण बोतले थी उनको भी उसी समयमनी में रख दिया ,काल उस कुटिया से बाहर आ गया बाहर एक पेड़ के नीचे राजगुरु बैठे हुवे थे ,काल को देखकर उन्होंने कहा ,मेने आपकी अमानत आपके हवाले कर दी है ,में आपसे एक गुजारिश और करता हु आप इस सर्पलोक कि राजकुमारी को बचा लीजिये जिसका नागमणि पाताल के नाग सम्राट ने धोके से चुरा लिया है ,हमारी राजकुमारी का नागमणि ले जाने से वो एक जिंदा लाश बन गई है ,आइये में आपको दिखता हु उनकी दशा ,इतना कहकर काल को लेकर राजगुरु उस सरोवर में दाखिल हो गए वो सरोवर एक माया का जाल था ,सबको बस सरोवर और पानी दिखता पर वो एक छोटासा महल था ,जिसके एक कमरे में एक सुंदर सी सर्पकन्या बेहोश एक बेड पर लेटी हुवीं थी ,राजगुरु ने कहा ,ये राजकुमारी मंदा है ,इनके पास जो नागमणि था वो बेहद शक्तिशाली था ,उसकीं शक्तिया इतनी बेमिसाल है कि वो जिसके पास भी होगा उसके सामने पूरे सर्पलोक की शक्तिया बेकार है ,उस पापी नागसम्राट अनल ने जब राजकुमारी अपने नागमणि को शिवमन्दिर में रखकर पूजा कर रही थी तब धोके से चुरा लिया,उस नागमणि में मंदा की प्राणशक्ति भी मौजूद थी ,जिसकी वजह से अब वो बेहोश हो गई है ,वो नागमणि अपने शरीर से निकाल कर सिर्फ 1 दिन तक ही होश में रह सकती थीं ,जबसे उस अनल ने वो नागमणि चुरा लिया है वो बेहोश है ,उस अनल के पास नागमणि होनेसे वो बहुत ताक़दवर हो गया है जिसका मुकाबला कोई नही कर सकता ,हम सब मिलकर भी नही ,विशाखा और सर्पिणी से भी वह बलशाली हो चुका है ,उसका मुकाबला सिर्फ आप ही कर सकते हो ,उस अनल के साथ उसकी बहन रावी भी रहती है ,जो अपनी कामशक्ति के बल पर बड़े बड़े योद्धाओं का अपना गुलाम बनाकर उनकी शक्तिया छीन लेती है ,इन दोनों भाई बहनों ने अपने ताकद से आतंक मचाकर रखा है कितने ही पाताल के राजा ,महाराजा को हराकर उनको गुलाम बनाकर रखा है इन दोनों ने ,आप एक ही जो सबको उन पापियोंसे मुक्त कर सकते है
काल,महागुरू आज से उस अनल और रावी के जिंदगी के बुरे दिन शुरू होने वाले है ,आप बस मुझे वहां लेकर चले बाक़ी में सब देख लूंगा
 
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Update 71
काल ने जब सुना कि शिव मंदिर से पूजा करते हुवे अनल ने राजकुमारी मंदा का नागमणि चुरा लिया उसका दिमाग ही सटक गया था ,अनल के इस पाप की सजा उसको देने के लिये ,वो राजगुरु के साथ सर्पलोक से पाताल मे नागसम्राट अनल के राज्य के सीमा के पास पोहच गया ,
यहा से आगे उस अनल का राज्य नागालोक शुरू होता है ,उसके सीमा में अगर में दाखिल भी हो गया तो उसको पता चल जाएगा ,उसके राज्य के सीमा पर उसने बहुत ही ताक़दवर सुरक्षा कवच लगाया है पाताल के मायावी असुरो की मदद से ,अनल भी बहुत मायावी ताकदो का मालिक है ,हमने कितनी बार इस कवच को तोड़ना चाहा पर हम नाकाम ही रहे ,
आप यही से तमाशा देखिये ,में देखता हूँ इस सुरक्षा कवच को ,काल ने यह कहकर उस सुरक्षा कवच को आराम से पार कर लिया ,जिसको असुरदेवता का वरदान मिला हो उसके आगे इस कवच की क्या औकात हो सकती है ,काल को उस कवच के पार इतनी आसानी से जाते देखकर राजगरु मकर खुदसे बोले ,में भी किसको रोक रहा था ,ये तो महानाग अब अनल की पाप की लंका बच नही सकती
काल उस कवच को पार करके अदृश्य रूप से पूरे नगर को देखने लगा ,नागालोक के लोग एक तो पूर्ण नाग रूप में रहते या मानव रूप में ,वो सर्पलोक के लोगो की तरह आधे साँप और आधे मानव की तरह नही रह सकते थे,या यह कहा जा सकता था दोनो में यही फरक था ,और काल को जब पहली बार सर्पलोक के सैनिकों ने पहली बार जब एक विशाल नाग के रूप में देखा था ,तो उनको यही लगा था कि कही नागालोक के कोई महाबली नाग ने आक्रमण तो नही कर दिया सर्पलोक पर ,इसलिये वो डर के भाग गए थे ,
नागालोक के लोग जब मानवरूप में होते तो उनका कद आमतौर पर 7 फिट के करीब ही था ,जो कुछ अधिक बलवान थे वो 9 फिट तक ऊंचे थे ,जितने भी लंम्बे और तगडे नाग थे वो सब सैनिक ही थे वहाँ पर ,वहां की औरते 6 फिट के ही आसपास कदकाठी की दिख रही थी,
नागालोक के लोग भी इस पापी अनल और उसकी बहन रावी के जुल्मों से परेशान थे ,अनल तो एक वक्त ठीक था पर रावी का जुल्म का कहर बहुत हीं ज्यादा था ,वो अपनी हवस भुजाने के लिये रोज 100 लोगो को पकड़ कर अपने पास लाने के सैनिकों को बोलती ,उसकी हवस की आग को शांत करने के लिये वो हर एक से संभोग करती पर कोई भी उसकी हवस की आग के सामने टिक नही पाता था जिसकी वजह से वो चिढ़कर सबकी प्राण शक्ति छीन लेती थी ,पर आज काल उन 100 बंदियों में शामिल हो गया था अपने आप को नागालोक का एक नागरिक बनकर ,सब 100 बंदियों को रावी के महल के अंदर एक बड़े से कमरे में छोड़ दिया गया और उस कमरे का दरवाजा बाहर से बन्द कर दिया गया ,सब लोग अपनी मौत के डर से कांप रहे थे सबको मालूम था आज उनके जिंदगी का आखरी दिन है ,जिसको रावी के महल में एक बार बन्दी बनाकर ले जाया जाता था ,उसकी लाश भी कभी नही देखी जाती थी ,काल बस शांत खड़ा होकर रावी का ही इंतजार कर रहा था ,
महल के एक दरवाजे से एक बहुत ही सुंदर दिखने वाली 9 फिट की जबरदस्त 46 34 62 फीगर की औरत सब के सामने आयी उसे देखकर सब लोग नीचे झुककर उसे उसे दोनो हाथ जोड़कर सलाम करने लगे सिवाय काल के ,
काल को अपनी तरफ इस तरह घूरते देख और अपने सामने न झुकने से रावी भड़क उठी ,उसने काल से कहा ,ज्यादा चर्बी चढ़ गई है तुमको जो मेरे सामने नहीं झुके ,लगता है तुम्हे जल्दी है मरने की ,काल उसकी बात सुनकर जोरसे हसने लगा और कहा ,पागल औरत चर्बी तो तुझे चढ़ी है ,खासकर तेरे गांड पर जिसको आज में अपने लंड से फाड़ने वाला हु ,में तेरे सामने नही, तू आज के बाद मुझे देखकर झुक कर अपनी चुत और गांड मारने के लिए भिक मांगेगी ,
रावी काल के बातो से और भड़क उठी उसके साथ आज तक किसिने ऐसी बात नही की थी और इस नाग ने उसको सबके सामने ऐसा अपमानित करने से वो आगबबूला हों रही थी ,वहां मौजूद सब लोग इस अजूबे को देख रहे थे जो रावी को इतनी गंदी बाते सबके सामने कर रहा था खुशी सबको हो रहीं थी पर उनको पता था रावी एक पल में इसे मार देगी अब ,और हुवा भी वैसा ही रावी अपने गुस्से में भरी काल के सामने पहुच गई और उसको अपने दोनो हाथो में पकड़कर बोली ,इतना दम है तेरे लंड में जो तू मेरी गांण्ड मारेगा ,चल आज तुझको रावी का कहर दिखाती हु ,उसने काल को उठाकर जमीन पर पटकने की कोशिश की पर रावी से काल उठाना तो दूर हिल भी नही पा रहा था ,काल बस 7 फिट 3 इंच का था तो रावी 9 फिट की लंबी तगड़ी फिर भी रावी सब ताकद लगाकर उस हिला न सकी ,काल ने रावी के दोनो हाथ पकड़कर उसको धकेल दिया ,जिसकी वजह से वो जोरसे अपने मुह के बल गिर गई ,काल यहीं तक नहीं रूका उसने रावी की कमर पर लिपटे कपड़े एक पल में फाड़ दिये और रावी को नीचे से नंगी कर दिया,उस बड़े कमरे में बन्दी नाग और रावी के अलावा कोई नही था ,रावी अकेली 10000 नाग सैनिकों पर भारी पड़ जाती थी और यहा तो बस सामान्य नाग थे जिन्हें रावी एक पल में मिटा सकती थी ,इसी लिये उस कमरे में कभी कोई सैनिक नही जाता था ,इस कमरे में 100 बन्दी नाग छोड़ने के बाद उनकी चीखे और रावी की भयानक हसि की आवाज ही सुनाई पड़ती थी सब लोगो को ,काल ने जैसी ही रावी को नीचे से नंगा किया उसकी 62 की बड़ी सी गोरी गांड़ सबके नजरो में पड़ गयी ,कुछ लोग के मुह से यह देखकर हसि निकल गई ,काल ने नीचे गिरी रावी को कोई मौका दिया ही नही वो उठ सके उसने अपना लन्ड निकाल लिया जो रावी की गांड़ देखकर भड़क गया था ,काल ने रावी की बड़ी सी गांण्ड को अपने दोनो पंजो में पकड़ कर जमीन पर दबा दिया और उसके गांण्ड के छेद पर अपने 15 इंच लम्बे और 10 इंच मोटे लन्ड के टोपे पर लगाकर पूरी ताकद से झटका मारा दिया ,रावी ने इससे बड़े लन्ड अपनी चुत में लिये थे पर उसकी गांण्ड अभी तक कोरी थी और काल का लन्ड भी अच्छा तगडा ही था उस छेद के मुकाबले ,काल का सूखा लन्ड ही उसके गांण्ड के छेद को फैलाकर उसको फाड़ता हुवा पूरा अंदर घुस गया ,रावी के मुह से एक दर्दनाक चीख निकल गई ,उसकी गांण्ड के छेद में पहली बार कोई लन्ड घुसा था ,उसके छेद से खून बह रहा था ,काल बिना रुके उसकी गांण्ड में अपने लन्ड के तेज धक्के लगाता जा रहा था ,रावी जोरजोरसे चिखती अपने आप को छुड़ाने के लिये पूरी ताकद हाथ पैर मार रही थी ,पर काल की ताकद के सामने उसकी एक नही चल रही थी ,महल के बाहर तैनात सैनिक रावी की चीख सुनकर महल के उस कमरे के दरवाजे को खोलकर अंदर आने की कोशिश करने लगे पर वो दरवाजा खोल नहीं पा रहे थे ,उन्होंने दरवाजा तोड़ने की कोशिश की पर दरवाजा भी नही टूट रहा था ,अंदर से रावी की चीखें रुकने का नाम नहीं ले रहीं थी,उन सैनिकों ने उस कमरे की दीवार तोड़ने की भी कोशिश की पर कोई कामयाबी नही मिली ,यह खबर पूरे नागालोक में फैल गईं, महाराज अनल भी आकर अपनी पुरी ताक़द लगाकर उसे कमरे में दाखिल होने की कोशिश करने लगा पर वो भी नाकाम हीं रहा ,अंदर सी आती चीखे कम नही लेकिन और जोरसे आ रही थी ,अनल अपनी बहन की चीखों से परेशान था ना वो उस कमरे जा पा रहा था ना उसकी बहन को बचा पा रहा था ,पूरे नागलोक के लोग यह तमाशा देख रहे थे ,हमेशा सबपे जुल्म ढाने वाले दोनो भाई बहनों को ऐसा हाल देखकर उन्हें बहुत खुशी हों रही थी ,अनल हैरान था कि उसमे इतनी ताकद होने के बावजूद वो इस मामूली कमरे के दरवाजे और दीवार को तोड़ नही पा रहा है ,आखिर यह कमरा इतना कैसे मजबूत हो गया ,अब उसे थोड़ी पता है अंदर काल नाम का उसका बाप मौजूद है जिसने उस कमरे पर अपनी मायावी विद्या का प्रयोग करके उसे सुरक्षित किया है ,
अंदर रावी की गांड़ मारमार के काल उसे उसकी औकात दिखा रहा है ,काल ने रावी को अब उसके पीठ के बल लिटा दिया और अपने असुर रूप में आकर उसके 4 फिट लम्बे 20 इंच मोटे लंड से उसकी चुत फाड़ने लगा रावी का चीख चीख बुरा हाल हो गया था ,इतने बड़े लन्ड को उसकी चुत ने आज तक नही लिया था उसने कितने ही असुरों के साथ संभोग किया था ,पर ऐसा बड़ा महा लंड उसने कभी देखा नही था ,कालने एक घण्टे तक उसकी चुत मारने के बाद वापिस उसकी गांड अपने असुर लन्ड से मारने लगा ,इस बार तो रावी का दर्द से बुरा हाल था ,उसकी हवस की आग पूरी ठंडी हो गई थी ,उसकी चुत पानी और खून से लथपत हो गई थी ,गांण्ड का हाल तो उससे भी बुरा था ,उसकी चुत पूरी सूज गई थी ,काल 5 घण्टे से उसे कभी गांण्ड तो कभी चुत में अपने लन्ड से चोद रहा था ,काल ने अपने माल से उसके पूरे बदन को भर दिया था ,काल का लन्ड झड़ंने के बाद भी कहा बैठता था ,वो तो आज रावी को हवस का मतलब समझा रहा था अपने लंड से , रावी के मुह में अपना लन्ड उसके गले तक घुसाकर काल जोर जोरसे उसके मुह को चोद रहा था ,रावी ने कितनी बार उसके लंड को अपने दांतों से काटना चाहा पर काल को कोई फरक नही पड़ रहा था ,अपना माल उसके गले मे छोड़कर काल बाजू हट गया था ,अंदर मौजुद सभी लोग काल को रावी को इतनी बुरी तरह चोदते देखकर बहुत खुश हो गए थे ,इस रावी ने हजारो लोग अपनी हवस के चलते मार दिए थे ,पर हवस आज उसके गांण्ड में घुस गई थी ,काल ने अपनी माया से उसको रावी को चोदना उन कमरे की दीवारों को पारदर्शी बनाकर बाहर मौजूद सबको दिखा दी थी ,जिसकी वजह से अनल के गांड़ में आग लग गई थी और बाकी लोगो में खुशी ,काल ने जब रावी के मुह में अपना माल भरा तो वो बेहोश होकर नीचे गिर गई ,काल ने अपने कपड़े ठीक करके कमरे का दरवाजा खोलकर बाहर आया जब उसपर सैनिक आक्रमण करने लगे तो उसने माया से सबको बन्दी बना दिया,काल अब अनल के सामने खड़ा था अपने सामने एक 25 फिट लम्बे शख्स को देख कर अनल ने भी अपने गले मे मंदा के नागमणि की मदद से खुद को काल जितना बड़ा कर लिया ,
कौन है तू हरामखोर,मेरी बहन का ये हाल करने वाले कुत्ते, आज तेरी मौत यही होगी ,अनल ,
तो भौंक क्यों रहा है मार मुझे ,में भी देखना चाहता हु तेरी गांण्ड में कितना दम है ,काल
पूरे नागालोक के लोग उस महल के बाहर इन दोनों की बाते सुन और देख रहे थे ,अनल ने गुस्से से दौड़ते हुवे काल को एक मुक्का मारना चाहा पर काल ने उसका मुक्का मारने वाला हाथ एक हाथ से पकड़ लिया ,अनल ने दूसरे हाथ से वापिस मुक्का मारना चाहा तो उसे भी काल ने पकड़ लिया ,अनल पूरी ताकद लगाकर अपने आप को छुड़ाने की कोशिश कर रहा था पर काल की पकड़ से वह छूट नही पा रहा था ,काल ने उससे कहा ,यही पापी हाथो से तूने शिवमन्दिर से चोरी की थी ना कुत्ते ,और काल ने उसके सीने पर एक जोरदार लात मार दी ,काल की लात से अनल के दोनो हाथ उखड़के काल के हाथ मे रह गए और अनल उड़ता हुवा दूर जा गिरा ,अनल बुरी तरह चीख रहा था ,उसके कंधो से खून बह रहा था जहाँ से हाथ शुरू होते वहां पर सिर्फ मास के चिथड़े और खून था ,काल ने उसके टूटे हाथ जो अपने हाथों में थे ,वो फेंक दिये, और अनल के पास चलते हुवे जाने लगा तब तक,अनल ने गले मे मौजूद नागमणि के मदद से वापीस खुद के दोनो हाथ ठीक कर लिये काल यह देखकर हैरान नही हुवा उसने अनल के मन से चलती बातो से समज गया था कि यह नागमणि की मदद से ठीक हो गया है ,अनल ने इस बार काल पर अपनी माया के मदद से बहुत वार किए पर काल को कोई फर्क ही नही पड़ रहा था ,अनल काल के पास नही आ रहा था ,वो दूर से ही कभीं तलवार से वार करता तो कभी कोई जादुई भाला बनाकर काल पर वार करता ,काल ने थोड़ी देर उसे खेलने दिया,और अचानक उसके सामने से गायब होकर उसके पीछे पोहच गया ,अनल।उसे चारो तरफ देखने लगा पर उसे काल दिखाई ही नही दे रहा था ,उसने अपने नागमणि की मदद ली ,मायावी विद्या का उपयोग किया पर उसको काल कही नही दिख रहा था ,अचानक उसके गले का नागमणि किसीने तोडकर उसके छाती में एक लात मार दी ,अपने मुह से खून की उल्टियां करता अनल दूर जा गिरा ,उसके गले से काल ने नागमणि छीन लिया था ,काल ने अनल के पास जाकर पहले उसके हाथ उखाड़ दिये ,फिर दोनो पाँव भी उखाड़ कर फेंक दिए ,
काल ने नागालोक के सब लोगो से कहा जो वहां मौजूद सब देख रहे थे ,आप लोगो पर जुल्म करने वाले ये दोनों भाई बहन आपके सामने पड़े है ,इसने सर्पलोक की राजकुमारी का नागमणि शिवमन्दिर से चोरी कर लिया था ,जिसकी सजा मेने इसे दे दी है ,उसी तरह आप पर अपनी हवस की भूख मिटानी वाली रावी को भी मेने सजा दे दी है जो आप सब ने देख ली ,अब आप की बारी है इन दोनों को सजा देने की ,इन दोनों को इस नागालोक से मिटाकर आप अपना कोई अच्छा राजा चुन लें जो आपका भला कर सकता है ,मेने मेरा काम पूरा कर दिया है ,अब आपको जो सही लगे वही कीजिये ,ये जो सैनिक मेने बन्दी करके रखे है यह सब भी आपके दोषी इनकी सजा आप ही तय करे,
काल वहा से गायब होकर राजगुरु के पास पहुच गया और उनको उसने मंदा का नागमणि दे दिया राजगुरू उस नागमणि को देखकर बहुत खुश हो गए तब उन्होंने अनल और रावी के बारे में पूछा ,तब काल ने एक बार रावी के महल के बाहर का दृश्य अपने मन से देखा तो पाया अनल की गर्दन ही नही उसके पूरे शरीर के नागालोक में लोगोने टुकड़े कर दिए थे और रावी का वैसाही हाल वहाँ की औरतो ने कर दिया था ,जो सैनिक थे अनल और रावी के वफादार उनको भी बहुत बुरी तरह से मार दिया था सबने मिलकर,
काल ने महागुरु से कहा ,अनल और रावी जिंदा नही रहे और उनके सैनिक भी मार दिया गये है ,
राजगुरु ने काल से पूछा ,आपने मार दिया उनको ,
काल हसकर ,मेने नही मारा बल्कि नागालोक के आम लोगो ने उन दृष्टो को मार दिया है ,
काल और महागुरु वापीस लौट आए सर्पलोक ,काल वापस महल के अपने कमरे में लौट गया और राजगरु महाराज को लेकर राजकुमारी मंदा के पास पहुच गये ,राजगरु ने नागमणि मंदा के सर के ऊपर रखते ही वो उसके शरीर मे समा गया और कुछ ही पलों में राजकुमारी मंदा होश में आ गयी ,राजगुरू बहुत खुश हुवे साथ मे महाराज के आंखों में अपनी पुत्री को होश देखकर आसु आ गए ,उन्होंने मंदा को सब कहानी सुना दी ,मंदाने अपने पिता और राजगुरु से विनतीं की वो काल का शुक्रिया अदा करना चाहती है तो महाराज ,राजकुमारी मंदा राजमहल लौट आये ।
 
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Update 72
काल राजगुरु से विदा लेकर महल लौट आया और अपने कमरे में आकर एक कुर्सी पर बैठ गया,आज उसे अपने जीवन का एक मकसद पता चला था ,एक 19 साल का लड़का ,जो खुद को अनाथ समज कर दुख में रहता था ,उसपे बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी ,उसे ऐसी परीक्षा देनी थी जो किसिने आज तक नही दी थी ,उसको हर हाल में उसे इस परीक्षा में पास ही होना था ,भले ही उसके सर पर मा बाप का साया नही था पर उसके उपर भगवान का आशीर्वाद था ,उसकी परीक्षा उसके बचपन से शुरू हो गयी थी ,आजतक उसने अपने जिंदगी नरेश दादा की सोच जो दूसरे की भलाई करने के लिए अपनी जान तक कि बाजी लगा देने पर चल रहा था ,और इसी सोच पर चलने से ही वो दुसरो की मदद करते वक्त कितनी ही शक्तियों का मालिक बना था ,
उस चमत्कारी पथर की पहली परीक्षा कालकूट विष थी जो उसके बचपन से ही शुरू हो गई थी ,उसे मिली तकलीफ ,अकेले पन का दर्द इसी परीक्षा का एक पहलू था ,उसे इस बात का अंदाजा हो गया था इस परीक्षा में उसे बेहद कठिन दर्द मिलने वाला है ,उसको अपने दिल को अब बेहद मजबूत करना होगा ,कितना भी दर्द मिले ,कितनी भी तकलीफ़ हो उसे सहनी होगी ,काल अपने इसी सोच में डूब था कि और क्या तकलीफ ,दर्द उसके सामने आने वाले है ,क्या हो सकता है उसके साथ ,की तभी उसके दरवाजे पर किसीने दस्तक दी ,काल अपने विचारों से बाहर आया ,जाकर उसने दरवाजा खोला तो सामने राजगुरु और महाराज थे और उनके पीछे राजकुमारी मंदा थी ,काल ने उन सबको अपने कमरे में आदरपूर्वक बुलाया
महाराज, आप से हमारी बेटी कुछ कहना चाहती है
काल ने राजकुमारी मंदा से कहा ,राजकुमारी जी आप जो कहना चाहती है कह सकती है ,
राजकुमारी ,है महावीर आप ने आज हमे नया जीवन दिया है ,जो काम कितने हजारों सालों में कोई नही कर सका ,आपने वह सिर्फ चंद पलो मे कर दिया,हम आपके इस अहसान के जीवनभर आभारी रहेंगे ,
काल ,राजकुमारी जी इसमे अहसान कैसा ,आप के साथ उस अनल ने जो धोका किया था बस उसी धोके का दंड देंने का काम मेने किया ,में यहा अपने ही मतलब के लिये आया था पर राजगरु ने मुझे एक ऐसा तोहफा दिया ,जिसकी वजह से मुझे मेरे जीवन का उद्देश्य समझ आया इसके सामने मेरी की होई मदद बहुत ही कम है ,उल्टा में आपका ,महाराज का और राजगरु का जीवन भर ऋणी रहने वाला हु ,महाराज आप के राज्य में आकर में अपने आप को पहचान पाया हूं ,आप जब भी मुझे कुछ कहेंगे में आपकी बात को टालूँगा नही,जब भी आप को कोई भी मदद की जररूत हो आप मुझे बुला सकते है ,
राजगुरु, महाराज और राजकुमारी इस महावीर की बाते सुनकर प्रभावित हो गए थे ,अपनी ताकद का जरा भी घमंड नही ,इतना बड़ा अहसान करने के बाद भी यह खुद इनको ही बड़ा कह रहा है ,ऐसा काम सिर्फ एक बड़े दिल के साथ अच्छी सोच और उच्च विचार वाला ही कर सकता था ,राजकुमारी मंदा इस महावीर के उसको दिये नए जीवनदान से ही उसकी शुक्रगुजार थी ,पर जब उसने काल को पहली बार देखा तो वो उसपे मोहित हो गई थी और उसकी बातें जानकर अब तो उसके दिल मे उसकी एक अलग ही जगह बन गई थी ,अचानक राजकुमारी मंदा काल के चरणों मे गिरकर कहने लगी ,है महावीर अगर आप कृपा करें तो में अपना यह नया जीवन जो आपकी ही कृपा से मुझे मिला है ,आपकी सेवा में बिताना चाहती हु ,अगर आप मूझे आपके लायक समझते है ,तो मुझे आपकी पत्नी के रूप में स्वीकार करे ,और में आपको पसन्द नही हु तो आप मुझे अपनी दासी बनाकर अपनी सेवा में रखे ,
काल उसकी बातें सुनकर उसे अपने दोनो हाथो से उठाकर बोला ,राजकुमारी जी आप सर्पलोक की शान है और में धरती का एक सामान्य इंसान हु ,आप के लिये महाराज मुझसे अच्छे और सन्दर राजकुमार् पतीं ढूंढ देंगे ,आप मेरे अहसान को भूल जाइए वो छोटी सी बात है ,
महाराज ,है महावीर जो मंदा का विचार है वही मेरा विचार आप अगर हम को आपके योग्य समझे तो मेरी बेटी को स्वीकार करे हम हमेशा आपके आभारी रहंगे
राजगुरु ,हा महावीर आप राजकुमारी को स्वीकार कर लीजिए, हम सर्पिणी और विशाखा के साथ राजकुमारी मंदा का भी आपसे विवाह कर देंगे
काल तो पहले से ही महाराज और राजगुरु का ऋणी था उनकी बात को काटना भी उसे गलत लग रहा था इसलिये उसने विवाह के लिये हा कर दी राजकुमारी मंदा इससे बहुत खुश हो गई ,पर काल ने एक शर्त रख दी के वो अपने एक मकसद को पूरा करना चाहता है जिसकी वजह से वह राजकुमारी को अपने साथ नही रख सकता उसे यहीं रहना होगा वह बीच बीच मे समय निकाल कर यहा आता रहेगा ,सबने यह बात बड़ी खुशी से मान ली
काल ने अपने मन मे गणित लगाना शुरू कर दिया ,धरती का 1 घण्टा मतलब सर्पलोक के 5 दिन ,24 घण्टे मतलब 120 दिन,अगर वह मंदा से मिलने रोज दिन में एक घण्टा भी आएगा तो भी वो 4 महीने बाद ही होंगे ,इसका कोई तो उपाय उसे निकालना ही होगा ,तभी उसे राजगुरु की आवाज आयी ,महावीर आपसे मिलने नागालोक से मिलने कुछ लोग आए है जो आपसे मुलाकात करना चाहते है ,काल फिर नागालोक से आये लोगो से मिलने राजगुरु के साथ चला गया ,सेनापति कामराज के साथ कुछ दस एक नागालोक के लोक थे ,कालने उनसे कहा आप लोग यहां कुछ समस्या हो गई क्या नागालोक में ,तब उन लोगो ने कहा ,जी नहीं हम सब लोग तो आपके पास सब नागालोक के तरफ से आये है ,हम सबकी इच्छा है कि आप ही हमारे नए राजा बने ,आपने जिस तरह हमे अनल और रावी के जुल्मों से आजादी दी है ,उसी तरह अगर आप हमारे राजा बने तो किसी की हिम्मत नही होगी हम पर जुल्म करने की और आपके राजा बनने से सब नागालोक मे एक डर भी रहेगा जिससे बुरे काम करने वाले सब सुधर जाएंगे, काल ने उनको बहुत समाझाया पर वो माने ही नही ,तब राजगरु ने कहा ,आप राजकुमारी से शादी के बाद सर्पलोक के राजा बनने वाले है आप सर्पलोक और नागालोक एक कर दीजिये ,दोनो राज्यों को इससे फायदा होगा ,इससे ताकद भी बढ़ेगी और आप यहा नही होने पर राजकुमारी मंदा वहां का कार्यभार देख सकती है और यहा का भी देख लेगी जिसकी मदद में और महाराज करते रहेंगे ,काल को यह बात सही लगी ,दूसरे ही दिन काल ने दोनो लोक एक करने की घोषणा नागालोक में कर दी जो सब लोगो को पसन्द आ गई ,उसी दिन काल की शादी सर्पिणी ,विशाखा और राजकुमारी मंदा से कर दी जसमे नागालोक और सर्पलोक के सभी लोग खुशी से शामिल हो गए ,तीनो दुल्हन काल के सुनहरे सर्परूप से एकदम मोहित हो गई थी ,सुनहरी काया के साथ सुनहरे आंखों वाला काल सर्पलोक का सबसे विशाल ,बलवान और सुंदर सर्पमानव था , काल की आज सुहागरात थी तीनो दुल्हन को अलग कमरे दिये गए थे ,काल ने सोचा उसको अपना माल छोड़ने को 2 घण्टे से ज्यादा समय लगता है ,उसको अगर तीनो को सुहागरात की खुशी देनी है तो उसे समयमनी का यहा इस्तेमाल करना होगा ,नही तो वह किसी के साथ ढंग से प्यार नही कर पाएगा ,सबसे बड़ी सर्पिणी थी ,काल उसके ही कमरे में पहले गया ,सर्पिणी एक पूर्णमानव रूप में थी, वो अर्ध सर्पमानव या पूर्ण सर्प रूप में काल के साथ संभोग नही कर सकती इसका कारण था काल को वो विशाल रूप जिसको झेलना असंभव था इसलिये तीनो सर्पमानव रूप में संभोग करने वाली थी ,
सर्पिणी का सर्पमानव रुप मे काल उसको पहली बार देख रहा था ,12फिट की ऊँचाई ,76 की बड़ी चुचिया 40 की कमर 80 की गांड एकदम कड़क माल लग रही थी ,उसने एक लाल सी चोली और नीचे घुटने तक आने वाली साड़ी पहनी थी और उसमे वो एकदम गजब की सुंदर लग रही थी,काल उसके फीगर को देख कर एकदम फिदा हो गया था ,काल ने जब अपना सर्पमानव रूप लिया, वो भी पूर्णत सुनहरी ही रहा 15 फिट की ऊंचाई एकदम तगडा शरीर और सबसे बड़ी बात उसके लंड का साइज यहा भी सब सर्पमानव से बड़ा 30 इंच लम्बा और 14 इंच मोटा ,आम सर्पमानव के मुकाबले काल का लन्ड 8 इंच लम्बा और 5 इंच मोटा ही था ,काल जब सर्पिणी के पास बैठकर उसका हाथ पकड़ा उसी वक्त काल उसे समयमनी में ले गया
सर्पिणी ने शर्म से नीली हो गई थी अरे भाई वो सर्प थी इंसान थोड़ी लाल हो जाये ,कालने सर्पिणी की हरी आंखों को ऊपर करके उसके गलाबी ओठो को अपने होठो से चूम लिया ,सर्पिणी पहले बस अपनी आंखें बंद करती काल के किस का मजा लेने लगी थी,लेकिन जब काल ने उसकी बड़ी सी चुचिया दबानी शुरू की तो वो भी काल के बालों में हाथ घुमाती उसको किस करने लगी ,काल ने जब उसके बदन से छाती के ऊपर के चोली निकाल कर ,उसकी बड़ी सी चुचिया नंगी कर दी और उन्हें जोर से दबाने लगा वो एकदम बिथर गई और काल के मुह में अपनी जीभ घुसाकर उसकी जीभ चुसने लगी ,जब तक उनका किस चला तबतक कालने उसकी चुचिया दबादबाकर पूरी नीली कर दी थी ,काल ने किस तोड़कर उसके चुचिया पर हमला कर दिया और उसके निप्पल को मुह में पकड़के चुसने लगा ,वो कभी एक निप्पल चूसता तो कभी दूसरा सर्पिणी इस हमले से कसमसा रही थी ,काल ने इस बीच उसके कमर से उसकी वो साड़ी भी निकाल दी थी ,उसकी चुचिया को काटता ,उसके निप्पल को चूसता वो उसकी बड़ी सी नंगी गांड़ अपने मजबूत पंजो से दबा रहा था ,इस हमले से सर्पिणी पहली बार अपने चुत से झड़ी थी ,उसके चुत के पानी की खुशबू से काल का लंड टनटनाने लगा था ,काल ने उसकी चुचिया छोडकर चुत को अपने मुह में भरकर चुसने लगा सर्पिणी को अपनी चुत में काल की लपलपाती जीभ बहुत ज्यादा मजा दे रही थी ,काल पूरी जान लगाकर उसकी चुत चूस रहा था, और उसके गांण्ड को दबाते उसके छेद में अपनी उंगलिया घूमा रहा था ,कालने जब उस छेद में अपनी एक पूरी उंगली उतार कर आगे पीछे करते चुत को चुसने लगा ,तो सर्पिणी एक बार और अपना पानी चुत से काल के मुह में छोड़ने लगी ,कालने भी उस पानी को चाट कर पूरा साफ किया था ,सर्पिणी के चुत से अपना मुह हटाकर जब काल बाजूं हुवा और अपने शादी के कपड़े उतारने लगा तो उसे एक सुखद झटका लगा ,सर्पिणी ने अपनी शर्म छोड़कर उसके लन्ड को अपने हाथों में लेकर सहलाने लगी ,उसके नाजुक हाथो से काल को बहुत अच्छा लगने लगा ,सर्पिणी ने अपनी मुह को खोलकर जब उसके सुपाडे तक लेकर चुसने लगी तो उसे और मजा आने लगा था कुछ देर चुसने के बाद जब सर्पिणी ने लन्ड के टोपे पर बने छेद में अपनी बारीक जीभ अंदर तक घुसकर उसे कुरेदने लगी तो काल के दिमाग मे बिजली के झटके लगने लगे थे ,सर्पिणी ने काल को एक नया सुख दिया जो उसे किसिन नही दिया था ,सर्पिणी के इस जीभ के आगे काल का लन्ड हार मानकर उसको अपनी गाढ़ी गर्म मलाई पिलाने लगा सर्पिणी ने भी उस पूरी मलाई को चाटकर पी लिया ,काल के लन्ड से फिर उसने वैसेही जबरदस्त छेड़खानी शुरू कर दी काल इस बार भी 10 मिनीट में ही दूसरी बार अपना पानी छोड़ दिया जिसे पीकर सर्पिणी और भड़क गई उसने काल के लन्ड को ऐसा चूसा की काल तिसरी बार उसके मुह में खाली हो गया ,काल जहा 2 घण्टे नही झड़ता था आज उसको सर्पिणी ने अपने मुह के सामने हरा दिया था और 30 मिनीट में 3 बार उसके लंड से पानी निकाल दिया था ,काल समझ गया था ये हजारो साल पुरानी नागिन इसको पूरी टककर देगी या कच्चा चबा जाएगी ,मुह के सामने यह हाल था तो चुत और गांड़ चोदने के समय क्या होगा ,मुकाबला ज़ोरदार होनेवाला था ।
 

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