Adultery काजल, दीवाली और जुए का खेल(completed)

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कोई बाहर खड़ा होकर लगातार घंटी बजाए जा रहा था..और केशव की तो झाँटे सुलग उठी घंटी की आवाज़ सुनकर

''अब कौन आ मरा...अपनी माँ चुदवाने ....''

ये शायद पहली बार था जब ऐसी गाली केशव ने दी थी...काजल के सामने..

उसने काजल को इशारा करके खिड़की खोलकर बाहर झाँकने को कहा, जहाँ से देखा जा सकता था की बाहर कौन है..वो तो नंगी थी...फिर भी अपने भाई की बात मान कर उसने धीरे से खिड़की खोली और थोड़ा सा खोल कर बाहर झाँका, बाहर केशव का दोस्त बिल्लू था

काजल : "बिल्लू है बाहर...ये इस वक़्त क्या करने आ गया...''

इस बीच सारिका भी शायद समझ चुकी थी की अब ये खेल यहीं ख़त्म करना पड़ेगा..इसलिए उसने तो अपने कपड़े समेट कर पहनने भी शुरू कर दिए थे..

केशव झल्लाता हुआ उठा और अपनी टी शर्ट पहन कर उसने पूरी खिड़की खोल दी और बाहर झाँक कर बोला : "बोल बिल्लू .... क्या काम है ..''

बिल्लू ने उपर देखा और बोला : "केशव भाई...जल्दी से दरवाजा खोलो...एक बहुत ज़रूरी बात करनी है...''

केशव (गुस्से में ) : "यार...शाम को तो मिल ही रहे हैं ना...तभी कर लेंगे...अभी मुझे सोने दे...''

वो किसी भी तरह उसे टरका देना चाहता था...क्योंकि इस वक़्त तो उसके सामने अपनी बहन की कुँवारी चूत घूम रही थी..

बिल्लू : "नही भाई...शाम को नही...अभी...शाम को राणा भी होगा ना यहाँ ...उसके बारे में ही बात करनी है...''
अब केशव का भी दिमाग़ ठनका ...ये राणा के लिए क्या बात करना चाहता है...उसको लेकर तो वो खुद कल रात से कितने प्लान बना रहा था...उसके जैसे बंदे से जुआ जीतने में कितना मजा मिलेगा, वो सब स्कीमें बना रहा था वो कल से..

केशव : "अच्छा रुक जा...मैं अभी आता हू...''

और इतना कहकर उसने खिड़की बंद कर दी...सारिका अपने कपड़े पहन चुकी थी और वो काजल के सूट की जीप को पीछे से बंद करने मे उसकी हेल्प कर रही थी..
काजल (नाराज़गी भरे स्वर मे) : "क्या केशव....तुम भी ना, उसको भगा नही सकते थे क्या...इतना सही सरूर बन चुका था ...साला एन टाइम पर आ टपका...''

केशव : "यार दीदी .... गुस्सा तो मुझे भी आ रहा है...पर अब मैं भी क्या करू...कोई ज़रूरी बात करनी है उसे...शाम के जुए के बारे में ...हम तो अब ये काम कभी भी कर लेंगे..''

काजल : "ओहो .... तब तो जाकर सुन ही लो .... शायद कोई काम की बात करने आया हो...और रही बात मेरी, तो मैने आज तक इतने साल वेट ही तो किया है...कुछ देर और सही...''

वो अपनी चूत को मसलते हुए बोली..

जुए के बारे मे दोनो भाई-बहन को ऐसे बात करते देखकर सारिका चोंक गयी और बोली : "जुआ .... इसका मतलब आजकल यहाँ जुआ चल रहा है....और ये काजल इसमे इतना इंटरस्ट क्यो ले रही है...''

केशव : "ये सिर्फ़ इंटरस्ट ही नही ले रही, बल्कि खेलती भी है...समझी....मैं नीचे चलता हू ,बाकी की कहानी तुम्हे दीदी सुना देगी.....''

और काजल वो सब सारिका को बताने लगी जिसे सुनकर सारिका हैरान होती चली गयी...और उन दोनो को वहीं बाते करता छोड़कर केशव नीचे आ गया और दरवाजा खोल दिया

बिल्लू अंदर आकर सोफे पर बैठ गया.

केशव : "बोल बिल्लू , क्या बोलना चाहता है...''

बिल्लू : "केशव भाई..ये राणा साला बड़ा चालू हो गया है आजकल...''

केशव : "कैसे ....''

बिल्लू : "भाई...आप तो जानते ही हो, उसके पास पैसे की कमी तो है नही...पर साले को खेलना भी नही आता, ये भी वो जान ही चुका है...इसलिए आजकल जब भी वो खेलता है तो अपने साथ जीवन को रखता है...और जीवन के बारे मे तो आप जानते ही हो भाई, वो साला एक नंबर का जुवारी है...बड़े-2 केसिनो में जाकर जुआ खेलता है और हमेशा जीत कर ही आता है...और इसलिए उसको कोई भी अपने अड्डे पर या केसिनो में आकर खेलने नही देता..क्योंकि कोई भी उसके साथ खेलना नही चाहता..''

जीवन के साथ भी केशव कई बार खेल चुका था...उसकी किस्मत कह लो या हाथ की सफाई, वो कभी भी हारकर गेम से नही उठता था..और अब राणा के साथ जीवन का रहना सच में मुसीबत वाली बात थी..

केशव : "पर ऐसे कोई अपने साथ किसी को लाकर खेल नही खेल सकता...''
बिल्लू : "भाई, मैने भी यही बोला था राणा को, की अगर आना है तो अकेले आना, किसी को साथ मे लेकर जुआ खेलने का कोई रूल नही है अपनी गेंग मे..पर भाई, काजल और आप भी तो ऐसे हो, इसलिए मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया ''

केशव : "फिर, क्या बोला वो हरामी...''

बिल्लू : "बोलना क्या था भाई...सॉफ माना कर दिया...बोला, मेरे को चूतिया बना कर आजतक जीतने लोगो ने मेरा पैसा जीतना था वो जीत लिया...अब मेरे साथ खेलना है तो जीवन मेरे साथ रहेगा...जमता है तो बोलो...वरना रहने दो..''

केशव : "वो साला इतना अकलमंद लगता तो नही है....इसमे ज़रूर जीवन का कुछ किया धरा होगा...वरना उसे क्या पड़ी थी की अपने साथ जीवन को लेकर घूमता...''

बिल्लू : "भाई, आप समझे नही...राणा ने जीवन के साथ 50-50 की पार्टनरशिप कर रखी है...जो भी जीत का माल होगा, उसमे से दोनो मिलकर शेयर करेंगे...अब जीवन को जितना भी मिल रहा है, उसके लिए बहुत है...वैसे भी उसके साथ कोई जुआ नही खेलता..और दूसरी तरफ राणा के लिए भी फायदे का सौदा है...सुना है जब से उसने जीवन को साथ मे लिया है, वो हारा नही है अब तक...हमेशा जीतकर ही निकला है...अब पैसे जाने से अच्छा तो आने लगे है उसके पास...उसे भी ये पार्टनरशिप सही लग रही है...''

केशव गहरी सोच मे डूब गया..

केशव : "तो तू क्या चाहता है अब...''

बिल्लू (धीरे से) : "देखो भाई....मै यहाँ सिर्फ़ एक बात बोलने आया हू...अगर आप कहो तो राणा को हाँ बोल दू ..अगर ऐसा हो जाता है तो वो जीवन के साथ आएगा और वो दोनो मिलकर बैठेंगे..ऐसे मे अगर हम दोनो भी मिलकर खेले...मतलब दूसरो के लिए हम अलग ही होंगे...पर आपस मे हमारी भी पार्टनरशिप होगी...तो हम दोनो मिलकर उसे और गणेश को भी आसानी से हरा सकते हैं...''
केशव ने सोचा, ये साला मेरे साथ पार्टनरशिप की बातें कर रहा है..ये इतना भी नही जानता की उसके साथ काजल है, और उसकी किस्मत में तो हारना लिखा भी नही है..

पर अच्छी से अच्छी किस्मत भी साथ नही देती अगर जीवन हाथ की सफाई दिखाकर जुआ खेलने पर आ गया..ऐसे मे पार्टनरशिप करके कम से कम नुकसान झेलना पड़ेगा..

काफ़ी देर तक सोचने के बाद केशव बोला : "मुझे लगता है तू सही कह रहा है...हमे भी पार्टनरशिप कर लेनी चाहिए...''

इतना कहकर उसने बिल्लू से हाथ मिलाया और कुछ और बाते करके बिल्लू चला गया..

और जब बिल्लू बाहर जा रहा था तो उपर से सारिका और काजल नीचे उतर रही थी...उन दोनो को एक साथ देखकर उसके लंड में खुजली सी होने लगी..वो वहीं रुक गया और उपर से नीचे आ रही काजल और सारिका के उछलते हुए मुम्मे देखकर ठंडी आहें भरने लगा.

बिल्लू : "अरे वाह काजल ...लगता है पुरानी सहेलियो में फिर से दोस्ती हो गयी है...अच्छी जोड़ी लग रही है तुम दोनो की...''

उसकी ठरकी नज़रों को सारिका अच्छी तरह से पहचानती थी..क्योंकि वो बात तो काजल से कर रहा था पर उसकी नज़रें उसकी छातियों पर थी...और उसके उभरे हुए निप्पल्स देख कर वो उत्तेजित हो रहा था...शायद काजल जल्दबाज़ी मे बिना ब्रा के नीचे आ गयी थी..

अब सारिका को क्या पता था की बिना ब्रा के तो वो पिछले 2 दीनो से घूम रही है बिल्लू और गणेश के सामने..

काजल : "अब नज़र मत लगाओ हमारी दोस्ती को तुम....''

और इतना कहती हुई वो उसकी बगल से निकल कर अंदर की तरफ चल दी.

और जब सारिका बिल्लू के पास से निकलने लगी तो बिल्लू फुसफुसाकर बोला : "भर गयी हो पहले से ज़्यादा...''

ऐसी फब्तियाँ तो वो कई बार कस चुका था उसके उपर, जब भी वो गली से निकलती थी...पर वो तब भी उसको कुछ नही बोल पाती थी और ना ही अब बोल पाई..

इसका ये मतलब नही था की वो डरती थी..बल्कि अंदर ही अंदर उसको ये सब अच्छा लगता था..अब हर लड़की तो खुलकर नही बोल पाती ना की उसे भी ये छेड़छाड़ पसंद है...बस मुँह फिरा कर आगे निकल जाती...और अपने पीछे घूमने वाले छिछोरे लड़को में एक और नाम शामिल कर लेती..

बिल्लू के जाने के कुछ देर बाद सारिका भी चली गयी...वैसे भी उसको काफ़ी देर हो चुकी थी.
अब फिर से एक बार दोनो भाई बहन अकेले थे..जैसे ही काजल ने दरवाजा बंद किया , केशव ने पीछे से आकर उसको एक बार फिर से जकड़ लिया..और अपने हाथ आगे लेजाकर उसके मुम्मो पर टीका दिए और उसकी उभरी हुई गांड पर अपना लंड रगड़ने लगा.

काजल : "ओहो .....छोड़ो ना केशव....तुम तो हर समय तैयार रहते हो...अभी थोड़ी देर पहले अपनी जी एफ की मारी है...अब मेरे पीछे लगकर खड़े हो गये हो...''

केशव : "तुम्हारी कसम दीदी...उसकी जब भी मारता था तो मेरी आँखो के सामने उस वक़्त भी सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारी तस्वीर रहती थी...अब मुझसे सब्र नही होगा ...''

केशव ने उसके बिना ब्रा के बूब्स को अपनी मुट्ठी मे जकड़ते हुए कहा.

काजल : "ओके .... ओके ..... मुझे सीधा तो होने दो ना पहले...''

बड़ी मुश्किल से केशव ने उसके जिस्म को अपनी गिरफ़्त से आज़ाद किया..मन तो नही कर रहा था उसकी मखमली गांड को छोड़ने का..

और जैसे ही काजल उसकी गिरफ़्त से छूटी वो भागकर उपर की सीडिया चड़ती चली गयी और जीभ निकाल कर उसने केशव को चिढ़ाया और बोली : "कुछ काम रात के लिए भी छोड़ दो...''

और देखते ही देखते वो भागकर अपनी माँ के कमरे मे घुस गयी..शायद वो भी तडप-2 कर उसे अपनी चूत देना चाहती थी..क्योंकि तड़पाने के बाद जब चुदाई होती है तो उसका मज़ा ही निराला होता है... ये बात उसको अभी - २ सारिका समझा कर गयी थी

केशव शाम की तैयारी में जुट गया...खाने पीने की चीज़े लेकर आया..आज वैसे भी छोटी दीवाली थी..पूरे मोहल्ले में रोशनी फेली हुई थी...दोनो भाई बहन ने मिलकर घर के बाहर लाइट लगाई और अपने घर को भी सॉफ सुथरा करके चमका दिया..फिर काजल खाना बनाने मे जुट गयी.

शाम को ठीक 8 बजे बिल्लू और गणेश आ गये...और कुछ देर के बाद राणा और जीवन भी पहुँच गये..

कुछ देर की बातो के बाद खेल शुरू हुआ..

तब तक काजल उपर ही थी...माँ को खाना खिला रही थी वो..


पहली बाजी लगी.

सबने बूट के 100 रुपय बीच मे डाल दिए..

और फिर सबने 3-3 ब्लाइंड चली...और फिर सबसे पहले राणा ने 500 बीच मे फेंक कर ब्लाइंड को उपर बढ़ाया ..

तब तक जीवन उसकी बगल मे ही बैठा हुआ था...ठीक वैसे ही जैसे खेलते हुए केशव और काजल साथ बैठते है.

गणेश ने ब्लाइंड नही चली और अपने पत्ते उठा कर देख लिए..उसने कुछ सोच समझ कर 1000 रूपए की चाल चल दी..चाल आते ही बिल्लू ने भी अपने पत्ते उठा लिए..पर उसके पत्ते इतने बेकार थे की उसने बुरा सा मुँह बनाते हुए उन्हे नीचे फेंक दिया.

अब बारी थी केशव की...उसने भी कुछ सोचने के बाद ब्लाइंड के 500 रूपए बीच मे फेंक दिए..

चाल आने के बाद कोई ऐसा नही करता...पर केशव ने कर दिया...शायद कल के जीते पैसे उसकी जेब मे गर्मी पैदा कर रहे थे.

राणा ने जीवन की तरफ देखा, जीवन ने भी ब्लाइंड चलने के लिए ही कहा..और राणा ने ब्लाइंड को बढ़ाकर 1000 कर दिया ..

अब एक बार फिर से गणेश की बारी थी...उसके पास कोई चारा नही था...उसे तो ब्लाइंड से डबल पैसे फेंकने थे बीच में ...उसने बड़ी मुश्किल से अपनी जेब से 2000 रूपए निकाले और बीच मे फेंक दिए..

हालाँकि उसके पास पेयर आया था, 2 का, पर फिर भी वो डर रहा था की कहीं दोनो में से किसी एक के पास अच्छे पत्ते आ गये तो वो बेकार में मारा जाएगा..

केशव ने भी अपनी दरियादिली एक बार और दिखाते हुए 1000 की ब्लाइंड चल दी...

अब एक बार फिर से राणा की बारी थी...उसने जीवन को देखा और जीवन ने राणा के आगे से 2000 रुपय उठा कर एक बार फिर से ब्लाइंड चल दी.

अब तो गणेश की फट गयी...सामने से ब्लाइंड पर ब्लाइंड चल रही थी और वो डबल करते हुए चाल पर चाल चल रहा था..ऐसे मे अगर उसके पत्ते पिट गये तो उसका तो डबल नुकसान होगा..उसने मन मारते हुए पेयर होने के बावजूद पैक कर दिया..क्योंकि अगली चाल के लिए वो 4000 रूपए की बलि नही चड़ा सकता था.
अब सिर्फ़ राणा और केशव बचे थे बीच में .

केशव भी जानता था की ब्लाइंड खेलकर जीवन शायद उनको डराना चाहता है...पर अभी के लिए वो कोई और रिस्क नही लेना चाहता था..क्योंकि उसका लक यानी काजल जो नही थी उसके साथ..

उसने अपने पत्ते उठा लिए..

उसके पास सबसे बड़ा पत्ता बेगम थी.

वो काफ़ी देर तक सोचता रहा और फिर उसने 4000 बीच मे फेंककर शो माँग लिया..
राणा ने जीवन की तरफ देखा..और उसे पत्ते उठाने के लिए कहा..

जब वो पत्ते उठा रहा था तो केशव और बिल्ली बड़े गोर से उसे देख रहे थे, की कहीं वो बीच मे अपनी हाथ की सफाई दिखा कर पत्ते ना बदल डाले..पर ऐसा कुछ हुआ नही..क्योंकि पत्तो को अपने सामने खिसकाने के बाद जीवन ने एक-2 करते हुए अपने पत्ते सामने फेंकने शुरू कर दिए.

पहला पत्ता था 10 नंबर..

दूसरा था 3 नंबर..

ये दोनो पत्ते देखकर तो केशव को यकीन सा होने लगा की आज वो बिना काजल के भी जीत सकता है...क्योंकि बीच मे लगभग 10 हज़ार रुपय थे..

पर जैसे ही जीवन ने आख़िरी पत्ता फेंका, केशव का चेहरा उतार गया.

वो बादशाह था.

केशव ने भी बुरा सा मुँह बनाते हुए अपने पत्ते ज़ोर से पटक दिए..सिर्फ़ एक पत्ते से हारा था वो..गुस्सा आना तो लाजमी
और केशव से ज़्यादा गुस्सा तो गणेश को आ रहा था अपने उपर...क्योंकि उसके पास पेयर था और उसके बावजूद उसने पैक कर दिया था. अगर उसने पैक नहीं किया होता तो वो ये बाजी जीत चुका होता


पर अब कुछ नही हो सकता था..

अगली गेम की तैयारी होने लगी...

गणेश पत्तों को ज़ोर-2 से पीटने लगा , शायद अपना गुस्सा उनपर उतार रहा था वो.

और जैसे ही वो पत्ते बाँटने लगा, पीछे से काजल की सुरीली आवाज़ आई

''आज मेरे बिना ही खेल शुरू कर दिया आप लोगो ने..


बिल्लू और गणेश तो कब से उसका इंतजार कर रहे थे...पर राणा ने जब देखा की काजल भी वहाँ आकर खड़ी हो गयी है और वो भी अपनी नाइट ड्रेस में ...तो उसकी बाँछे खिल उठी...उसके बारे मे सोचकर वो कितनी मूठ मार चुका था..कितनी लड़कियों को उसके साथ कम्पेयर कर चुका था, पर उस जैसी लड़की उसे पुर मोहल्ले मे नही दिखी थी..

और जब उसे गोर से देखने के बाद राणा को ये एहसास हुआ की उसने ब्रा नही पहनी है तो उसका लंड जींस के अंदर बड़ी ज़ोर से कसमसाने लगा..

उसने सोच लिया की जब सामने से वो खुद चलकर आ रही है तो उसपर एक बार तो चांस लेना बनता ही है..

सभी ने काजल का स्वागत किया खड़े होकर..और काजल लचकति हुई सी आई और केशव की बगल मे आकर बैठ गयी.

बिल्लू ने राणा को समझा दिया की वो भी एक-दो दिनों से उनके साथ खेल रही है...अपने भाई के साथ या उसकी जगह पर..इस बात से भला राणा को क्या प्राब्लम हो सकती थी,क्योंकि वो तो खुद ही जीवन के भरोसे खेल रहा था..

पर राणा के दिमाग़ मे एक ही बात चल रही थी की कैसे काजल को शीशे मे उतार कर उसके साथ मज़ा लिया जाए..

अभी तो खेल शुरू ही हुआ था...अभी तो पूरी रात पड़ी थी उस काम के लिए..
अब तो राणा किसी भी तरह काजल को इंप्रेस करना चाहता था...उसने जीवन के कान में बोल दिया की अब वो बिना उसकी हेल्प के खेलेगा...क्योंकि ये बात वो भी जानता था की जब जीवन उसकी हेल्प नही करता तो वो हारता ही है...और काजल के हाथो हारकर वो उसे खुश करना चाहता था और इंप्रेस भी..

जीवन समझ गया की राणा बावला हो गया है लोंडिया देखकर...पर वो कर भी क्या सकता था...उसके पैसे तो थे नही जो वो चिंता करता..वो आराम से पीछे होकर बैठ गया और खेल देखने लगा.

अगली गेम शुरू हुई.

सबने बूट के 100-100 रुपए बीच मे डाल दिए..सबसे पहली ब्लाइंड चलने की बारी राणा की ही आई, उसने ब्लाइंड के लिए सीधा 500 रुपय बीच मे फेंक दिए..

गणेश की तो पहले से ही फटी पड़ी थी..उसने अपने पत्ते उठा लिए, उसके पास 2,3,5 आया था...यानी सबसे छोटे और बेकार पत्ते..उसने अपना माथा पीट लिया और पत्ते नीचे फेंक दिए..

अब बिल्लू की बारी थी, उसने भी ब्लाइंड के 500 नीचे फेंक दिए..

काजल तो जैसे जानती ही थी की वो ही जीतेगी, उसने ब्लाइंड को डबल करते हुए 1000 रुपए बीच में फेंक दिए..इतनी दरियादिली तो जीवन ने भी किसी में नही देखी थी..राणा भी रैरान सा होकर रह गया, वो समझ रहे थे की वो अपनी नादानी मे ऐसे 1000 की ब्लाइंड खेल गयी...पर राणा भी पीछे रहने वालो से नही था...उसे तो काजल को वैसे भी इंप्रेस करना था..इसलिए उसने भी ब्लाइंड को .डबल करते हुए 2000 बीच में फेंक दिए..

और इन दोनो के बीच बेचारा बिल्लू फँस कर रह गया...2000 की ब्लाइंड चलने का उसे शोंक कोई नही था..उसने झट से पत्ते उठा लिए..और उन्हे देखते ही उसके दिल की धड़कन तेज हो गयी..उसके पास सीक़वेंस आया था..8,9,10.

उसने अपनी खुशी को चेहरे पर नही आने दिया, और कुछ सोचने के बाद 4000 की चाल चल दी.

बिल्ली जैसे बंदे की तरफ से चाल आती देखकर केशव समझ गया की उसके पास ज़रूर बढ़िया पत्ते ही आए होंगे..उसने काजल को पत्ते उठाने के लिए कहा..पहले तो काजल ने मना कर दिया, क्योंकि वो कल से एक भी गेम नही हारी थी..और उसे विश्वास था की ये गेम भी वही जीतेगी..पर केशव के ज़िद करने के बाद उसने पत्ते उठा लिए.
राणा की नज़रें गेम से ज़्यादा काजल का शरीर नापने मे लगी थी...वो उसके हर अंग को अपनी आँखों से चोद रहा था...अपने होंठों पर जीभ फिराता हुआ राणा भूखी नज़रों से काजल को घूरे जा रहा था..वो सोचने लगा की काश इस वक़्त काजल बिना कपड़ों के उसके सामने बैठी होती , वो तो अपनी सारी दौलत लुटा देता उसके उपर..
वैसे भी बिना ब्रा के वो लगभग नंगी हालत मे ही थी...क्योंकि काफ़ी गोर से देखने पर उसके उभारों के उपर हल्के-2 भूरे रंग के निप्पल सॉफ दिखाई दे रहे थे...पर शायद इस बात का काजल और केशव को एहसास नही था, क्योंकि पास से देखने मे कुछ नही दिख रहा था, दूर बैठे राणा को वो साफ़ दिख रहा था, शायद कपड़े के रंग की वजह से ऐसा था. वैसे एक बात और भी है, ऐसे ठरकी लोगों को अंदर तक का सामान दिख ही जाता है, लड़कियां कितना भी छुपाना चाहे, ठरकी लड़के उनके कपड़े भेदकर सब पता लगा लेते हैं, और यहाँ तो काजल खुल्लम खुला सब दिखती हुई सी बैठी थी , वो भला कैसे बच पाती रना की चुदासी भरी नजरों से

और इधर केशव और काजल भी अपनी खुशी कंट्रोल नही कर पा रहे थे...उनके पास पत्ते आए ही ऐसे थे..केशव तो पुराना खिलाड़ी था, इसलिए उसने खुशी के भाव चेहरे पर नही आने दिए, पर काजल के चेहरे की चमक बता रही थी की इस बार भी उसका जलवा चलने वाला है..

केशव ने भी 4000 की चाल चल दी..

अब राणा को भी पत्ते उठाने ही पड़े, क्योंकि जिसके लिए वो पैसे लूटा रहा था वो तो खुद ही चाल चल बैठी थी.

उसने अपने पत्ते देखे...और जीवन को भी दिखाए...भले ही उसने पहले उसकी हेल्प लेने से मना कर दिया था, पर २-२ चाल आने के बाद उसने जीवन की सलाह लेनी ही उचित समझी , पत्ते तो उनके पास अच्छे ही आए थे...कुछ देर सोचने के बाद जीवन ने उसे चाल चलने के लिए कहा...शायद ये सोचकर की काजल के पास कुछ खास नही होगा..और ना ही बिल्लू के पास...

यहाँ राणा एक बार फिर से काजल को इंप्रेस करने के चक्कर मे चाल को डबल करते हुए 8000 पर ले गया, अब बारी फिर से बिल्लू की थी...उसके पास पत्ते तो काफ़ी जबरदस्त थे, पर एक प्राब्लम भी थी...वो आज के लिए सिर्फ़ 30 हज़ार रुपय ही लाया था घर से...अगर ऐसी 2-3 चाले और चलनी पड़ी तो वो आगे खेल ही नही पाएगा..पर फिर भी एक चाल और चलनी तो बनती ही थी...ये सोचकर की शायद सामने से कोई पीछे हट जाए और वो दूसरे से शो माँग ले, ऐसे मे जितने भी आ जाएँ, वही बहुत है.

पर हर जुवारी यहीं ग़लती कर देता है और हारता चला जाता है.
वो तो खुशी से चिल्ला ही उठी...और सारे पैसे अपनी तरफ करते हुए उसके निप्पल्स भी पहले से ज़्यादा उभरकर बाहर आ चुके थे...और ये देखकर राणा बड़ा ही खुश हुआ..जैसे उसके सारे पैसे वसूल हो गये हो..राणा ने ये भी नोट किया की पैसे देखकर काजल कितनी खुश है..वो सोचने लगा की क्या पैसे देकर वो उसकी चूत भी ले सकता है..

पहली गेम ही इतनी मोटी हो गयी थी की आने वाली गेम्स मे क्या होगा ये सभी सोचने लगे..

पर बिल्लू की हालत खराब थी..वो अपने सारे पैसे हार चुका था, उसने केशव से कुछ पैसे उधार माँगे, क्योंकि उन दोनो मे पहले भी उधार चलता रहता था, और केशव वैसे भी काफ़ी माल जीत चुका था, इसलिए उसने बिल्लू को आगे खेलने के लिए 20 हज़ार रुपय उधार दे दिए.

एक बार फिर से गेम शुरू हुई...पर शुरू होने से पहले ही बिल्लू बोला : "देखो भाइयों, मेरे पास तो ज़्यादा पैसे है नही...इसलिए रिक्वेस्ट है की मोटी गेम मत खेलो...ब्लाइंड भी 500 से ज़्यादा नही और चाल भी 1000 से ज़्यादा नही...''

उसकी बात सुनकर गणेश भी बोल पड़ा : "सही कहा बिल्लू....मेरे पास भी ज़्यादा माल नही है...ऐसे तो हम आधे घंटे में ही खाली होकर बैठ जाएँगे..आज तो पूरी रात का प्रोग्राम है ना..''

केशव तो मोटा माल जीत चुका था, इसलिए उसने आपत्ति उठाई : "अरे नही, ऐसा कैसे होगा...जिसकी जितनी मर्ज़ी होगी, वो उतना खेलेगा...''

और राणा ने भी उसका साथ दिया..वो बोला : "सही कहा केशव....ऐसे छोटी गेम में मज़ा ही नही आता...

तभी काजल बीच मे बोल पड़ी : "मेरे पास एक प्लान है...जो बड़ी ग़मे खेलना चाहते हैं, वो अलग खेले और जो छोटी खेलना चाहते हैं, वो अलग...''

उसकी बात सभी को जाच गयी...अब बड़ी गेम खेलने वालो में सिर्फ़ काजल और राणा ही थे...और उनके निकल जाने के बाद पीछे सिर्फ़ गणेश और बिल्लू ही बचते थे..क्योंकि जीवन और केशव तो सिर्फ़ साथ देने के लिए बैठे थे..

पर केशव का दिमाग़ बड़ी तेज़ी से चल रहा था...वो अच्छी तरह से जानता था की उसकी बहन को तो कोई हरा ही नही सकता...एक पर्सेंट शायद हो भी सकता है की वो हार जाए अगर राणा के साथ जीवन रहा तो...इसलिए राणा और जीवन को अलग करना ज़रूरी था...पर ऐसा क्या किया जाए की दोनो अलग हो जाए... और वो ये अच्छी तरह से जानता था की अगर काजल और राणा अकेले खेलेंगे तो काजल ही जीतेगी..

केशव अचानक से बोला : "एक काम करते हैं, मैं भी इस छोटे वाले ग्रुप में खेलता हूँ ...और जीवन तुम भी आ जाओ यहीं पर, तुम भी अपना हाथ आजमाओ...''
पर केशव ने ये बात इसलिए भी बोली थी की उन सभी के सामने अगर वो दोनो खेलेंगे, और बीच-2 मे अगर जीवन ने राणा की मदद करने की कोशिश की तो प्राब्लम हो जाएगी...इसलिए केशव नही चाहता था की वो वहाँ बैठकर खेले...जबकि अपनी जवान बहन को राणा जैसे ठरकी के साथ उपर भेजना काफ़ी ख़तरनाक था..पर ये सोचकर की वो भला उनके नीचे रहते क्या कर पायेगा , उसने उन्हे उपर जाने का आदेश दे डाला ..

काजल को कोई प्राब्लम नही थी...वो तो इतने पैसे जीतने के बाद हवा मे उड़ रही थी...और काजल के साथ उपर अकेले में खेलने के बारे में सोचकर राणा भी उसी हवा मे उसकी बगल मे उड़ रहा था..

काजल अपनी गांड मटकाती हुई उपर की तरफ चल दी...

और उसकी महीन नाईटी में थरक रही नंगी गांड को देखते -2 राणा भी सम्मोहित सा होकर उसके पीछे उपर चल दिया..
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राणा को तो विश्वास ही नही हो रहा था की वो काजल के साथ अकेला है...केशव के रूम मे जाते ही राणा तो किसी रईस अय्याश की तरह पलंग पर लेट गया, जैसे मुज़रा सुनने आया हो वहाँ पर.


.और लेटने के साथ ही उसने अपनी दोनो जेबों में से पैसों की गड्डियां निकाल कर अपने सामने रख दी..शायद काजल को इंप्रेस करने के लिए..वो लगभग 2 लाख रुपय थे..लाल नोटों की गड्डियां देखकर काजल की तो आँखे ही फटने को आ गयी...और अंदर से तो उसे जैसे ये विश्वास भी हो चुका था की कुछ ही देर में वो सारा पैसा उसके पास होगा..

वो आँखे फाड़कर नोटों को देख रही थी और राणा उसके चेहरे और मुम्मों को..एक्ससाइटमेंट की वजह से उसके उपर नीचे हो रहे सीने को देखकर वो काफ़ी खुश सा हो रहा था..और जब उसने देखा की काजल की नज़रें उसके आगे रखे पैसों की तरफ है तो उसके कमीने दिमाग़ में एक आइडिया आया..वो सारे पैसे उसके लंड के बिल्कुल आगे की तरफ रखे थे...और वो तो कब से खड़ा होकर अंदर ही अंदर हुंकार रहा था..उसने बड़ी ही बेशर्मी का प्रदर्शन करते हुए अपने लंड को ज़ोर से खुजलाना शुरू कर दिया...जैसे अंदर से उसे कोई कीड़ा काट रहा हो..
अपनी नज़र के सामने पड़े पैसों के बिल्कुल पीछे ऐसी हलचल होती देखकर काजल का भी ध्यान उस तरफ चला गया..और जब उसे एहसास हुआ की वो कर क्या रहा है तो उसका चेहरा लाल सुर्ख हो उठा..क्योंकि पेंट के उपर से उसके 11 inches के मोटे लंड की रूपरेखा साफ दिख रही थी..वो अपने हथियार को उपर से नीचे तक सहला रहा था, उंगलियों के नाखूनों से नोच सा रहा था..और उत्तेजना में भरकर वो किसी बँधे हुए जानवर की तरह हिनहीना रहा था अपने पिंजरे में ..

काजल ने तो अभी तक सिर्फ़ केशव का ही लंड देखा था...और अब दूसरे को लगभग देख ही लिया था...मतलब उसकी लंबाई का अंदाज़ा तो लग ही रहा था उसकी पेंट से...उसकी लाइफ की सबसे ज़रूरी चीज़े उसके सामने थी इस वक़्त..पैसा भी और लंड भी...पर अभी तक उसने दोनो को सही से एंजाय नही किया था...पैसे तो वो खेर कर ही लेगी..पर लंड का मज़ा लेने के लिए वो ज़्यादा इंतजार नही करना चाहती थी.

राणा भी समझ चुका था की वो अपने प्लान मे सफल रहा है.

राणा : "बैठो ना काजल...पूरी रात नही है हमारे पास...ये देखन दिखाई भी करते रहते..''
उसने उसके मोटे-2 मुम्मों को घूरते हुए कहा.

काजल ने शरमा कर अपना मुँह झुका लिया....वो समझ गयी की उसका इशारा किस तरफ है...

काजल उसके सामने अपनी टांगे मोड़ कर बैठ गयी ... राणा ने पत्ते बाँटे और खेल शुरू हुआ.

जैसा की डिसाईड हो चुका था, ब्लाइंड 500 की चली गयी...3-3 ब्लाइंड चलने के बाद एकदम से राणा ने ब्लाइंड को बढ़ाकर 1000 कर दिया...काजल ने भी 1000 की ब्लाइंड चल दी..

2 ब्लाइंड चलने के बाद ना जाने काजल के मन मे क्या आया, उसने अपने पत्ते उठा लिए...राणा तो सोच कर बैठा था की वो तब तक नही उठाएगा, जब तक काजल नही उठाती...पैसे की कमी तो थी नही उसके पास...इसलिए वो पीछे नही हटना चाहता था..

काजल के पास हमेशा की तरह चाल चलने लायक पत्ते आए थे...9 का पेयर था उसके पास..

उसने अगले ही पल 2 हज़ार की चाल चल दी..अब राणा ने भी अपने पत्ते उठा लिए..उसके पास सबसे बड़ा पत्ता बादशाह था...कुछ ख़ास नही था उसके पास, और सामने से चाल भी आ चुकी थी...पर फिर भी काजल के चेहरे पर थोड़ी और खुशी देखने के लिए उसने भी 2 हज़ार बीच में फेंके और शो माँग लिया..

राणा ने अपने पत्ते सामने रखे और काजल ने अपने...और दोनो तरफ के पत्ते देखकर काजल ने खुशी से एक चीख मार दी...और सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए.

नीचे बैठे केशव को वो खुशी से भरी चीख सुनाई दे गयी...और वो समझ गया की उपर की कमाई शुरू हो चुकी है..

राणा : "काजल...तुम्हारी किस्मत सच मे बड़ी कमाल की है...वैसे तो मैने आज तक किसी लड़की के साथ जुआ नही खेला...आज खेला भी तो तुम्हारे साथ , जिसके हाथों हारने में भी कोई परेशानी नही है मुझे...''

काजल समझ गयी की वो उसके उपर लाइन मार रहा है...अब खूबसूरत लड़कियों की ये सबसे बड़ी प्राब्लम होती है...उन्हे पता होता है की एक बंदा पहले से सेट है उनके हाथ (केशव) पर फिर भी नये आशिक़ों को वो मना नही करती..अपने उपर मरने वालों मे एक और नाम लिखवाने में भला किसे प्राब्लम हो सकती है..

राणा की दिलफेंकी वैसे भी पूरे मोहल्ले मे माशूर थी..गली से निकलते हुए पहले भी वो कई बार उसकी भूखी आँखों का सामना कर चुकी थी...पर आज माहौल अलग था...वो अपने पैसे लुटवाने के लिए उसके सामने तैयार बैठा था...और उपर से उसपर लाइन भी मार रहा था...दोनो ही बातें काजल को पसंद आ रही थी.

काजल ने गोर किया की राणा का हाथ अभी भी उसके लंड के उपर सरक रहा है...जैसे वो जान बूझकर उसे अपने लंड को दिखाना चाहता था..काजल की चूत में भी खुजली सी होने लगी...शायद केशव होता उसके सामने तो वो भी अपनी चूत वाले हिस्से को रगड़कर वहाँ की खुजली मिटा लेती..पर राणा के सामने ऐसा करना उसे सही नही लगा...वो बस अपनी दोनो जांघों को भींच कर आपस मे रगड़ने लगी..ताकि राणा को पता ना चले की वो कर क्या रही है.
पर राणा तो एक नंबर का हरामी था , उसके पैरों की हल्की हरकत को देखकर वो एक ही पल मे समझ गया की वो क्या कर रही है...यानी वो इस समय उत्तेजित है और अगर वो अपनी तरफ से थोड़ी सी कोशिश करे तो उसका काम बन सकता है.

राणा ने अपनी टांगे थोड़ी और फेला कर रख दी...और ऐसा करने से उसके आगे वाला हिस्सा और भी ज़्यादा फूल कर बाहर की तरफ निकल आया..ऐसा लग रहा था की उसकी पेंट के अंदर बाँस का बंबू लगा कर टेंट बनाया गया है...और बेशरम राणा उसे छुपाने के बजाए और भी ज़्यादा उभारकर दिखाने की कोशिश कर रहा था.

अगले पत्ते काजल ने बाँटे...पर उसका ध्यान सिर्फ़ और सिर्फ़ तंबू और बंबू पर ही था..

3 ब्लाइंड चलने के बाद राणा ने 1000 की दो ब्लाइंड और चल दी...इस बार काजल ने भी सोच लिया था की वो पत्ते नही उठाएगी..उसने 2 हज़ार की ब्लाइंड कर दी..राणा ने भी उसका साथ दिया...अगली 3 ब्लाइंड 2 हज़ार की आई...ब्लाइंड मे ही इतना पैसा इकट्ठा हो चुका था , जितना की नीचे बैठे जुआरी चाल चलने के बाद भी इकट्ठा नही कर पा रहे थे..

अब राणा ने थोड़ा और आगे बढ़ने की सोची...

अभी तक होता क्या था, राणा जब भी ब्लाइंड या चाल चलता था,अपने पैसे चूम कर नीचे फेंकता था...और पत्ते भी पहले चूमता था और उसके बाद देखता था..ये उसका टोटका था, जो अभी तक चला नहीं था

इस बार जब उसने अपनी अगली चाल चली तो पैसे अपने होंठों से चूमने के बदले अपने खड़े हुए लंड पर घिस कर दिए...पहली बार राणा को ऐसा करते देखकर काजल हैरान भी हुई और शरम से लाल भी..पर जब अगली बार उसने फिर से ऐसा किया तो उससे रहा नही गया, वो बोल पड़ी : "अब ये क्या तरीका है...''

उसने उसकी टाँगो के बीच इशारा करते हुए कहा..

राणा (मुस्कुराते हुए) : "ये मेरा टोटका है...जब मैं हारने लगता हू तो अपने दोस्त की मदद लेता हू...अब जीवन तो नीचे बैठा है, इसलिए अपने दूसरे दोस्त की मदद ले रहा हू..''
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काजल (हँसते हुए, शरारती आवाज में बोली ) : "ऐसा थोड़े ही होता है...''

काजल को अपनी बातों में फँसता देखकर राणा बोला : "अब ये तो इस गेम के बाद ही पता चलेगा...''

काजल को भी डर सा लगने लग गया...वैसे भी बीच मे लगभग 15 हज़ार आ ही चुके थे...उसने अपने पत्ते उठा कर देख लिए..इस बार पहली दफ़ा उसके पास ढंग के पत्ते नही आए थे...बादशाह, बेगम और चोक्की...पर फिर भी उसने 2000 बीच मे फेंकते हुए शो माँग लिया
राणा ने उसके पत्ते देखे..और फिर अपने पत्ते उठा लिए..और उन्हे फिर से एक बार अपने खड़े हुए लंड पर रगड़ा और खुद बिना देखे उन्हे नीचे फेंक दिया..

उसके पास 1,2,3 की सीक़वेंस आई थी...राणा को तो खुद ही विश्वास नही हुआ की उसके पास इतने बढ़िया पत्ते आए हैं...और वो भी उस वक़्त जब उसने लंड पर रगड़ने वाले टोटके का तुक्का मारा था...आज से पहले उसने ऐसा कुछ भी नही किया था...वो तो बस काजल को उकसाने के लिए और उसे अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए उसने बोल दिया था..पर वो नही जानता था की असल में वो जीत जाएगा..पर जो भी था, वो अंदर से काफ़ी खुश हो रहा था..क्योंकि अब काजल को उसकी बात पर विश्वास हो जाएगा..और वो खुलकर वो सब कर सकेगा जो उसने पहले से सोच लिया था..

काजल भी पहली बार हारकर थोड़ा मायूस थी...जब से उसने तीन पत्ती खेलना शुरू किया था, वो हारी ही नही थी..शायद ओवर कॉन्फिडेंट हो चुकी थी वो...वो सोचने लग गयी की ऐसा क्यो हुआ, क्या राणा ने जो टोटका अपनाया उसकी वजह से...वो सही भी था शायद..क्योंकि अभी तक वो खुद भी तो बिना अंडरगारमेंट्स के खेल रही थी..वो भी तो एक टोटका ही था, क्योंकि पहले जब वो केशव के साथ अंदर के कपड़े पहन कर खेली थी तो वो हारती जा रही थी..केशव ने ही उसे ये सलाह दी थी..और जब से उसने अपनी ब्रा और पेंटी उतार कर खेलना शुरू किया वो हारी ही नही..पर अब हार गयी...और वो शायद इसलिए की शायद उसका टोटका ज़्यादा भारी पड़ गया उसके उपर..

अब वो बेचारी उन बातों में इतनी अंदर तक घुस गयी थी की ये भी नही समझ पा रही थी की ये मात्र इत्तेफ़ाक़ था...ऐसे पत्तों पर किसी का भी ज़ोर नही चलता..और अभी तक सिर्फ़ और सिर्फ़ उसकी किस्मत ही उसका साथ दे रही थी..केशव ने भी सिर्फ मजे लेने के लिए उसके अंडरगारमेंट्स निकलवाए थे, और वो उसके मजे भी ले चूका था, पर बेचारी काजल समझ कर बैठी थी
राणा ने पैसे समेट लिए और गोर से उसके चेहरे को देखते हुए ये जानने की कोशिश करने लगा की काजल के दिमाग़ में चल क्या रहा है..

खेर, जब अगली गेम शुरू हुई तो राणा ने फिर से वही हरकत करनी शुरू कर दी...और इस बार तो वो और भी ज़्यादा बेशर्मी पर उतर आया..ये जानते हुए भी की काजल घूर-2 कर वहीं देख रही है, वो अपने खड़े लंड पर लाल नोटों को ज़ोर-2 से रगड़कर नीचे फेंकने लगा..
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इस बार काजल ने चांस नही लिया..वो देखना चाहती थी की क्या इस बार भी राणा का टोटका काम करेगा..उसने अपने पत्ते उठा लिए..उसके पास 3 का पेयर आया था..पत्ते एक बार फिर से चाल चलने लायक थे..इसलिए उसने 2000 की चाल चल दी..पर राणा ने बिना पत्ते देखे, एक बार फिर 1000 का नोट अपने खड़े लंड पर मसल कर नीचे फेंक दिया..अब काजल फिर से घबराने लगी, क्योंकि राणा एक दम कॉन्फिडेंट होकर वो ब्लाइंड चल रहा था..जैसे वो जानता हो की उसके पास बड़िया पत्ते ही आएँगे..
अब केशव भी उसके साथ नही था, जिससे पूछ कर वो कोई डिसीसन ले सकती...उसने अपने दिल की बात मानते हुए शो माँग लिया.
राणा ने फिर से एक बार बिना देखे ही अपने तीनों पत्ते उसके सामने पलट दिए..और उन्हे देखकर काजल को पक्का विश्वास हो गया की अब उसका नही बल्कि राणा का टोटका हावी है गेम पर..

क्योंकि उसके पास 10 का पेयर आया था..

राणा ने मुस्कुराते हुए एक बार फिर से वो सारे पैसे समेट लिए.

राणा : "देखा ...मैने कहा था ना...मेरा टोटका है ये...''

काजल ने भी सोच लिया की वो भी ये टोटका ट्राइ करेगी..

अगली ब्लाइंड चलने से पहले काजल ने वो किया जो राणा ने सोचा भी नही था..काजल ने 1000 का नोट लेकर सीधा अपने मुम्मे पर रगड़ा और उसे नीचे फेंक दिया..
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राणा : "हा हा हा ...तो तुम भी इन बातों पर विश्वास करती हो...''

काजल : "हाँ ..तभी तो मैने अंदर कुछ भी नही .....''

वो बोलते-2 रुक गयी....पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी...राणा को उसकी ब्रा और पेंटी के गायब होने का राज पता चल चुका था..और वो ये सुनकर बड़ी ही बेशर्मी से अपने होंठों पर जीभ फेरता हुआ मुस्कुराने लगा.

राणा : "इसमें शरमाने की क्या बात है...सही है...अगर तुम उसकी वजह से जीत रही हो तो इसमे नुकसान ही क्या है...बस सामने बैठे लोगो को थोड़ी परेशानी हो जाती है, पर उससे तुम्हे क्या, तुम्हे तो जीतने से मतलब है बस..''

काजल उसकी बात सुनकर शर्म से गड़ी जा रही थी..
अगली बार फिर से राणा ने हज़ार का नोट अपने लंड से रगड़ा...और फिर उसके बाद काजल ने भी अपने मुम्मे पर ..अब वो ऐसा करते हुए शरमा भी नही रही थी...अपने ही हाथों अपने मुम्मे को रगड़ना और वो भी राणा के सामने, उसे पूरी तरह से उत्तेजित कर रहा था...उसके बदन मे चींटियाँ सी काट रही थी..वो करारे नोट को जब अपने खड़े हुए निप्पल के उपर रगड़ती तो एक अजीब सी झनझनाहट होती उसके जिस्म में ..और वो बेचारी सिसक भी नही सकती थी..बस दाँतो से होंठ दबा कर ब्लाइंड चलती रही..

कुछ देर बाद काजल ने अपने पत्ते उठा ही लिए..उसके पास सिर्फ़ इक्का और 5, 9 नंबर आए थे...इकके के बल पर चाल चलना काफ़ी रिस्की था, पर वो देखना चाहती थी की उसका ये टोटका भी काम कर रहा है या नही..इतना सोचते हुए उसने शो माँग लिया

राणा ने हर बार की तरह गहरी मुस्कान के साथ अपने पत्ते उठाए , उन्हे अपने खड़े लंड से रगड़ा...और बिना देखे ही सामने फेंक दिए.

उसके पास 2,3 और 9 नंबर आए थे...यानी ये गेम सिर्फ इक्के के बल पर काजल जीत चुकी थी...और काजल ने खुशी की किल्कारी मारते हुए वो सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..

और उसे जीतता देखकर राणा भी काफ़ी खुश था...दरअसल वो चाहता भी यही था..क्योंकि अगर वो जीत जाता तो काजल उसकी इस झूटी टोटके वाली बात पर कभी विश्वास नही करती...अब तो राणा को एक तरीका मिल गया था उसे उत्तेजित करने का...उसे अपनी तरफ आकर्षित करने का..

अगली गेम शुरू हुई...और काजल ने ब्लाइंड चल दी...और इस बार उसने एक-2 करते हुए अपने दोनो मुम्मों पर नोट रगड़ा ...उसके मुम्मों की थिरकन से राणा की आँखे चुंधिया सी रही थी..और वो बड़ी मुश्किल से अपने आप पर कंट्रोल रखकर बैठ हुआ वो देख रहा था.

राणा की बारी आई तो उसने एक और डेयरिंग दिखाई...उसने धीरे से अपनी जीप खोल दी..उसके अंडरवीयर मे फँसे लंड को थोड़ा और फेलने की जगह मिल गयी..और फिर उसने अपने खड़े हुए लंड को अपने हाथ से मसला..उसे सहलाया..और फिर हज़ार के नोट को उसने अंदर डाल कर उससे टच करवाया..यानी अपने नंगे लंड से ..और फिर वो नोट नीचे फेंक दिया.

राणा : "मुझे लगता है इसको सीधा टच करवाने से ही असली असर आएगा ...मेरा जादू तभी चलेगा...''

काजल उसकी बातें सुन रही थी और अपनी फटी हुई आँखों से उसके उभार को देखकर साँस लेना भी भूल गयी थी..

ऐसा लग रहा था की उसने अंडरवीयर मे नाग पाल रखा है..जो किसी भी पल बाहर निकल कर उसपर हमला कर देगा.
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काजल मे इतनी भी हिम्मत नही हुई की वो उसे ऐसा करने से मना कर दे...उसके कमरे में वो राणा अपनी बेशर्मी दिखा रहा था, वो चाहती तो उसे ऐसा करने से मना कर सकती थी..खेल को छोड़ सकती थी...अपने भाई को आवाज़ देकर उपर बुला सकती थी और उसे बता सकती थी की देखो, तुम्हारा दोस्त कैसी गंदी हरकत कर रहा है...पर ये सब तो तब होता ना जब वो ऐसा करना चाहती....वो तो ऐसा सीन देखकर खुद ही उत्तेजना के शिखर पर पहुँच चुकी थी...उसकी नंगी चूत में से पानी निकल कर उसके पायजामे में गीला धब्बा बना चुका था...उसके कड़क निप्पल टी शर्ट में ड्रिल करके छेद बनाने की कोशिश कर रहे थे..और ये सब उसे इतना रोमांचित कर रहा था की वो बस यही चाह रही थी की ये सब ऐसे ही चलता रहे...कोई उन्हे डिस्टर्ब ना करे...आज बात बढ़ती है तो बड़ जाए...वो भी देखना चाहती थी की ये खेल कहाँ तक चलता है..

काजल ने अपनी ब्लाइंड चली...पर सिर्फ़ अपने मुम्मों के उपर से ही रगड़कर ...राणा की तरह अंदर डालकर नही.

राणा ने 2 ब्लाइंड ऐसे ही चल दी...काजल ने सोचा की अब फिर से चांस नही लेना चाहिए...तो उसने अपने पत्ते उठा लिए...और इस बार उसके चेहरे पर खुशी आ ही गयी...क्योंकि उसके पास कलर आया था...लाल पान का कलर..3,5,9 नंबर..

उसने 2 हज़ार उठाए..उन्हे अपने मुम्मों पर बुरी तरह से रगड़ा और नीचे फेंक दिए..

राणा समझ गया की उसके पास ढंग के पत्ते आ चुके हैं...अब वो मन ही मन उपर वाले से दुआ माँग रहा था की वो ये बाजी जीत जाए...क्योंकि ये आख़िरी प्रयास था काजल को बोतल मे उतारने का..अपनी झूटी बात का उसपर प्रभाव डालने का..

और इस बार उसने बेशर्मी का एक और परदा गिराते हुए जब अपने लंड पर नोट रगड़ा तो अपने अंडरवीयर को थोड़ा नीचे खिसका दिया...और ऐसा करते ही उसका भूरे रंग का लंड काजल की आँखो के सामने प्रकट हो गया...आधे से ज़्यादा उसने लंड को नंगा करके काजल के सामने परोस दिया.
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.और बड़े ही आराम से उसपर नोट को रगड़कर वो ये दिखाने की कोशिश कर रहा था की वो कोई मंत्र पड़ रहा है...और फिर उसने एक और ब्लाइंड चल दी..

काजल की बारी थी..पर वो तो एकटक उसके लंड को घूरने में लगी थी.

राणा समझ गया की चिड़िया ने दाना चुग लिया है..वो बोला : "चल काजल ...अपनी चाल चल...इसे देखने के लिए तो पूरी रात पड़ी है...''

काजल झेंप गयी..उसने फिर से 2 हज़ार की चाल चल दी...वैसे ही..अपने मुम्मों से नोटों को रगड़कर..

अब राणा ने अपने पत्ते उठा लिए....और उसे ऐसा लगा की उपर वाले ने उसकी फरियाद सुन ली है..क्योंकि उसके पास एक बार फिर से सीक़वेंस आया था...7,8,9 नंबर.


उसने चाल को डबल करते हुए 4 हज़ार कर दिया और इस बार अपने अंडरवीयर को पूरा नीचे खिसका कर लंड और टटटे पूरी तरह से उजागर कर दिए काजल के सामने और उनसे रगड़कर उसने हर बार की तरह चाल चली...

अब आलम ये था की राणा काजल के सामने नीचे से लगभग नंगा होकर बैठा था...उसका पठानी लंड अपने पूरे शबाब पर था..लगभग 11 इंच के आस पास...जो केशव से भी बड़ा था...अपने सामने ऐसे खड़े हुए लंड को देखकर काजल तो पागल सी हुई जा रही थी..ऐसा नज़ारा देखने को मिलेगा, उसने तो सोचा भी नही था.
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पर साथ ही साथ उसका ध्यान गेम पर भी था...अब इतना तो उसे पता चल ही गया था की सामने से जब डबल चाल आए, इसका मतलब सामने वाले के पास भी बाड़िया पत्ते आए हैं...4 हज़ार की ब्लफ तो नही करेगा कोई...

उसने भी 4 हज़ार नीचे फेंकते हुए शो माँग लिया...

काजल ने पत्ते नीचे रखे...और राणा ने भी अपने पत्ते उसके सामने फेंक दिए..जिन्हे देखकर उसके मन में फिर से एक बार मायूसी छा गयी...वो समझ गयी की राणा अपनी जगह पर सही है...और उसके टोटके उसपर तभी भारी पड़ते हैं जब वो थोड़ा बड़-चड़कर उन्हे करता है...

और इस बार काजल ने भी सोच लिया की उसे क्या करना है..

और जब अगली गेम शुरू हुई तो काजल ने बिना राणा की तरफ देखे, अपनी टी शर्ट के गले की जीप नीचे करी..और ऐसा करते ही उसके दूधिया मुम्मे राणा की भूखी आँखों के सामने प्रकट हो गये..वो किसी दूध के पर्वत की तरह कठोरता लिए हुए कड़क अंदाज में खड़े हुए थे...सिर्फ़ निप्पल को छोड़कर सब सॉफ दिख रहा था राणा को...
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काजल ने नोट लिया और उन्हे अपने दूधिया पर्वत पर घिसा...और उसे नीचे फेंक दिया..

राणा को और क्या चाहिए था...वो अपनी तरकीब में कामयाब हो गया था..अब वो इस खेल को एक नये आयाम तक ले जाना चाहता था....


राणा तो जैसे इसी पल का वेट कर रहा था...उसने भी अपनी पेंट और अंडरवीयर घुटनो से नीचे खिसका दिया..और हज़ार के नोट को बुरी तरह से घिस कर नीचे फेंक दिया.

काजल के सामने अब राणा का लंड पूरी तरह से नंगा था...उपर से नीचे तक...एकदम कठोर, कुतुब मीनार की तरह खड़ा था वो..काजल की आँखो में उसके लंड को पाने का लालच साफ़ झलक रहा था.

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राणा भी इस गेम के ज़रिए ज़्यादा देर तक तड़पना नही चाहता था..पर उसे बोले भी तो कैसे बोले...वो कुछ बोलने ही वाला था की नीचे से किसी के उपर आने की आवाज़ आई...

राणा ने झट से अपनी पेंट उपर खींच ली..और काजल ने भी अपनी जीप को बंद कर लिया..

उपर आने वाला केशव के अलावा कौन हो सकता था..उसके हाथ मे दारू का ग्लास था..शायद राणा और काजल के उपर आते ही नीचे दारू शुरू हो चुकी थी...केशव की हालत देखकर सॉफ लग रहा था की उसे चढ़ चुकी है..

केशव : "कौन जीत रहा है अभी तक....ह्म्*म्म्म''

राणा : "यार केशव...तेरी बहन ने तो मेरी हालत ही खराब कर रखी है...देख ना कितने नोट ले गयी मेरे...''

राणा ने काजल की जाँघ के नीचे दबे नोटों की तरफ इशारा करते हुए कहा..

केशव तो नशे मे था, ये सुनकर वो और मस्ती मे आ गया..और उसने झुक कर काजल को गले से लगा लिया..और उसके चेहरे पर चूम भी लिया : " ये तो मेरी चेम्पियन है...देखना अभी तू...तेरे सारे पैसे लूट लेगी..''

राणा : "मैं तो कब से लुटने के लिए बैठा हू...पता नही कब लूटेगी ये...''

राणा की बात केशव के तो उपर से निकल गयी..पर काजल की तिरछी निगाहों और स्माइल ने सब बयान कर दिया की वो समझ चुकी है की राणा क्या कहना चाहता है..

काजल : "केशव , तुम नीचे जाओ अब...ऐसे डिस्टर्ब करोगे तो मैं इसको लूटूँगी कैसे...''

उसने अपने होंठों को दाँत तले दबाकर कहा..

रसगुल्ले को निचोड़ने से जिस तरह से रस निकलता है, वैसे ही रस टपक गया काजल के होंठों से, जब उसने अपने दाँतों के बीच उन्हे भींचा..

राणा तो उसके रसीले होंठों को चूसने के लिए पागल सा हुआ जा रहा था..और अब तो काजल ने भी लाइन देनी शुरू कर दी थी...पर उसने भी सोच लिया था, अभी तक जैसे चल रहा था, वैसे ही चलने देगा..क्योंकि खेल खेलने में और धीरे-2 बेपर्दा करने मे जो मज़ा उसे मिल रहा था,वो उसे खोना नही चाहता था..

केशव : "ओके ...ओके ...मैं जा रहा हू ....मैं तो बस राणा के लिए ये पेग बना कर लाया था...चीयर्स ...''

और दारू का पेग राणा को देकर केशव नीचे चल दिया..


राणा ने वो पेग एक ही साँस मे पी डाला...एक गर्मी सी उतरती चली गयी उसके सीने के अंदर..और एक झटके में पीने से हल्का सरूर भी एकदम से ही आ गया..

अपनी नशीली आँखों से काजल को देखते हुए उसने अपनी पेंट एक बार फिर से नीचे खिसका दी..वैसे तो ब्लाइंड चलने की बारी काजल की थी..पर फिर भी उसने एक नोट लिया और थोड़ा सा मुरझा गये लंड को फिर से घिसकर खड़ा कर लिया..

काजल ने भी बड़े ही सेक्सी तरीके से राणा को देखते हुए अपनी टी शर्ट की जीप खोली, पहले की तरह ही उसकी छातियाँ उभरकर बाहर निकल आई..और फिर उसने वो किया जो अभी तक राणा ने सोचा भी नही था..और जिसे देखने के लिए वो ये सब ड्रामा कर रहा था अभी तक...

काजल ने अपना दाँया हाथ अंदर की तरफ घुसेड़ा और अपने बांये मुम्मे को कान से पकड़कर बाहर ले आई..उसके पिंक कलर के निप्पल्स देखकर राणा की आँखे ही चुंधिया गयी...और राणा की आँखो की भूख को देखते-2 काजल ने अपना नोट उसपर रगड़ा और बड़े ही स्टाइल से उसे नीचे लहरा दिया..

और अपने मुम्मे को अंदर करने की भी जहमत नही उठाई काजल ने...उसका एक उभार अब पूरी तरह से नंगा होकर बाहर लटक रहा था..

राणा : "काजल....क्या कमाल के बूब्स है तुम्हारे...मन कर रहा है इन्हे दबोच लू...चूस लू...निचोड़ डालु...''

काजल पर तो पहले से ही ठरक सवार थी...राणा की ऐसी गंदी बातें सुनकर वो और भी ज़्यादा उत्तेजना से भर उठी..

उसने मन ही मन कहा 'तो कर ले ना राणा...रोका किसने है तुझे..'


अब एक लड़की होकर उसने अपनी तरफ से इतना कुछ कर दिया, और कुछ करके वो एक रंडी जैसी नही बनना चाहती थी..

राणा भी उसकी हालत का अंदाज़ा लगाता हुआ अंदर से खुश हो रहा था..अब एक बात तो पक्की थी की वो उसकी चुदाई कर ही लेगा..केशव के उपर आने से पहले राणा अपनी तरफ से पहल करके प्यार का खेल शुरू करना चाहता था..पर अब जब काजल ने खुद ही अपने जिस्म की नुमाइश करनी शुरू कर दी है , इसका मतलब वो भी उतनी ही उतावली है जितना की वो, और एक उतावली लड़की से प्यार करवाने में जो मज़ा मिलता है, वो अपना उतावलापन दिखाकर उसे प्यार करने मे नही है..राणा वैसे भी अपने आप को किसी राजा से कम नही समझता था..वो आराम से लेट कर मज़े लेने वालो में से था, यानी सामने वाली से अपने आप को प्यार करवाकर मज़ा लेने वालो में से...

राणा ने काजल की आशा के अनुसार कुछ नही किया और फिर से अपनी गेम के अंदर घुस गया..हज़ार के दो नोट लिए और उन्हे लंड से मसल कर नीचे फेंक दिया.

काजल थोड़ी हैरान ज़रूर हुई पर फिर ये सोचकर की शायद वो केशव के नीचे बैठे होने की वजह से घबरा रहा है, इसलिए कुछ नही कर रहा ..

काजल : "अब शायद केशव उपर नही आएगा...वो सब पीने मे मस्त हो चुके हैं..''

जैसे वो राणा को ये बताना चाहती हो की कर ले घोंचू , जो भी करना है, केशव नही आने वाला अब उपर..

राणा भी उसकी बात का मतलब समझ गया, फिर भी उसने बात घुमा दी और बोला : "हाँ ...पर उसका अपना घर है, कभी भी आ सकता है...ऐसे खेल के बीच में डिस्टर्ब नही होना चाहता मैं बार -2...''

काजल समझ नही पा रही थी की उसके मन मे आख़िर चल क्या रहा है...ऐसा भी कोई चूतिया होता है क्या जो एक लड़की के नंगे मुम्मे को देखकर भी अडिग रहे...और वो भी राणा जैसा हरामी, जो उसे देखकर गली में भी छेड़ता था...और अब जब वो खुद उसके सामने ऐसी हालत मे बैठी है, वो साधु बना बैठा है.

काजल ने भी ठान लिया की वो भी रम्भा बनकर इस विश्वामित्र की तपस्या भंग करके दिखाएगी..

पर अब तक बीच मे काफ़ी पैसे इकट्ठे हो चुके थे...और वो ये भी देखना चाहती थी की इस बार उसका टोटका सही काम कर रहा है या नही..इसलिए उसने अपने पत्ते उठा लिए..

उसके पास 5 का पेयर आया था...वो खुश हो गयी...और इसी खुशी मे उसने अपने दूसरे मुम्मे को भी बाहर खींच निकाला और राणा की अदालत के सामने नंगा कर दिया..

अब तो राणा का ईमान बुरी तरह से डोलने लगा..सिर्फ़ गले वाले हिस्से से बाहर निकालने की वजह से उसके दोनो मुम्मे अकड़ से गये थे...और उसे जिप भी चुभ रही थी उनपर..वो कभी इधर से तो कभी उधर से उन्हे सहलाने लगी..

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राणा का ध्यान उसके मुम्मों के साथ-2 गेम पर भी था..काजल की तरफ से चाल आती देखकर उसने भी पत्ते उठा लिए..उसके पास चिड़ी का कलर आया था..उसने भी अपने लंड से रगड़कर 4 हज़ार की चाल चल दी..

चाल के उपर चाल आती देखकर काजल डर गयी...अब इतना तो वो समझने ही लगी थी की ऐसी हालत मे गेम किसी की भी हो सकती है...वैसे भी एक पेयर ही तो आया था उसके पास और वो भी काफ़ी बड़ा नही था..इसलिए उसने मन मसोस कर शो माँग लिया..और अपने दोनो मुम्मों से अच्छी तरह से पैसे रगड़ने के बाद उन्हे नीचे फेंक दिया..

उत्तेजना और उपर से लगातार मिल रही रगड़ाई से उसके निप्पल लाल हो चुके थे...और बुरी तरह से अकड़ भी गये थे..काजल को हल्का -2 दर्द भी होने लगा था उनमे..जो किसी के दबाने से ही निकलने वाला था..

काजल ने अपने पत्ते राणा के सामने फेंक दिए..

बीच मे लगभग 30 हज़ार रुपय थे..

राणा ने उसके पत्ते देखे..उसके पत्ते तो बड़े थे ही..इसलिए वो जीत ही चुका था ये गेम ..पर इस समय उसे इन पैसों से ज़्यादा अपने प्लान की चिंता थी...जिसे अपनाकर वो उसे धीरे-2 नंगा कर देना चाहता था..

राणा ने उसके पत्ते देखे और अपने पत्ते बिना उसे दिखाए उल्टे करके वापिस गड्डी में रख दिए और बोला : "ओह्ह्ह्ह .....ये गेम तो तुम जीत गयी...''

और खुशी से फूली ना समाते हुए काजल ने एक बार और जोरदार चीख मारकर वो सारे पैसे अपनी तरफ खींच लिए..राणा के पत्ते देखने की उसने भी जहमत नही उठाई...उसके मुम्मे बुरी तरह से हिल रहे थे...राणा ने जान बूझकर ये गेम हारी थी..ताकि काजल यही समझे की अपने मुम्मे नंगे करने वाले टोटके की वजह से ही वो ये बाजी जीती है..

राणा (थोड़ा बनावटी गुस्सा दिखाते हुए) : "तुम अपने टोटके मुझसे ज़्यादा चला रही हो अब...मैं भी देखता हू की अगली गेम तुम कैसे जीतोगी ..''

इतना कहते हुए उसने अपनी पूरी की पूरी पेंट और साथ मे अंडरवीयर भी उतार दिया

अब वो नीचे से नंगा होकर बैठा था काजल के सामने..
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काजल ने पत्ते बाँटे और राणा के नंगे बदन को निहारती रही...उसका तो बस मन कर रहा था की टूट पड़े वो राणा के उपर..पर उससे पहले वो उसके बचे हुए पैसों को जीतना चाहती थी...अभी भी राणा के पास लगभग 20 हज़ार रूपए बचे थे...और काजल ने ये सोच लिया था की वो इसी गेम में वो सारे पैसे जीत लेगी..

और उसके बाद वो करेगी सब...जिसे सोचकर ही उसकी चूत से पानी निकले जा रहा है...

पर उससे पहले वो खेल को थोड़ा और गर्म करना चाहती थी..ताकि राणा जो अपनी तरफ से ये ड्रामे कर रहा है, वो बंद कर दे..और उसपर टूट पड़े, इसलिए जैसे ही उसकी ब्लाइंड की बारी आई, उसने अपनी टी शर्ट को उपर उठाया और गले से घुमा कर निकाल फेंका..

अब वो टॉपलेस होकर बैठी थी राणा के सामने...

राणे ने अपने हाथ मे हज़ार का नोट पकड़ा हुआ था, जिसे वो अपने लंड पर घिस रहा था..काजल के टॉपलेस होते ही वो उसकी सुंदरता देखता रह गया...और कब उसके हाथ से नोट निकल कर गिर गया उसे भी पता नही चला..
और वो उसके उपर से नंगे बदन को देखते हुए ज़ोर-2 से मूठ मारने लगा..

काजल भी उसकी हालत देखकर मुस्कुरा दी..

अब खेल सच मे काफ़ी गर्म हो चुका था.
राणा जिस लड़की को एक बार देखने के लिए तरसता था, आज वो उसके सामने लगभग नंगी बैठी हुई थी... पैसों में कितनी ताक़त होती है ये आज उसे पता चला..पर पैसों के साथ -2 लंड में भी जान होनी चाहिए, तभी लड़कियां आकर्षित होती है..

पर काजल को ऐसी हालत में अपने सामने बैठा देखकर राणा के हाथ मचल उठे, उसने जैसे ही अपने हाथ आगे करते हुए काजल के स्तनों तक पहुँचाए, काजल ने उसे टोक दिया और बोली : "ना जी ना, इतनी जल्दी नही, गेम पर ध्यान दो पहले... मैं जब खुश होउंगी , तभी तुम इसे छू पाओगे...''

राणा : "और तुम खुश कैसे होगी ??"

काजल (अपने दाँत दिखाते हुए) : "जब मैं जीतूँगी अगली बाजी ...''

काजल ने बड़ी ही चालाकी से राणा के सामने अपनी शर्त रख दी... मज़े और पैसे एक साथ लेने के मूड मे थी काजल..

राणा को भला क्या परेशानी हो सकती थी, अभी तक का खेल जिस तरह से चल रहा था, उसके हिसाब से ही उसको काफ़ी मज़ा मिल चुका था..

राणा : "लेकिन अगली बाजी मैं जीत गया तो...''

काजल : "तो तुम्हे मुझे छूने के लिए वो जीते हुए पैसे मुझे देने होंगे..''

यानी काजल मज़ा और पैसे दोनों लेना चाहती थी...उसकी इस शर्त के अनुसार तो दोनो ही सूरत में पैसे उसके पास पहुँचने वाले थे..

अब खेल सच मे रोमांचक हो चुका था.

4-4 ब्लाइंड चलने के बाद राणा ने अपने पत्ते उठा लिए...उसे तो हर गेम के ख़त्म होने की जल्दी थी..क्योंकि अगर वो जीतेगा तो अपने पैसे काजल को देकर , या फिर हारेगा तो भी काजल की खुशी को देखकर वो मज़े लेना चाहता था.

राणा के पास सिर्फ़ इक्का ही आया था, बाकी के दोनों छोटे पत्ते थे..

उसने झट से शो माँग लिया..अभी बीच मे सिर्फ़ 10 हज़ार रुपय थे..राणा ने अपने पत्ते सामने फेंक दिए.

काजल ने भी अपने पत्ते उठाए..उसके चेहरे पर मायूसी छा गयी..उसके पत्ते तो राणा से भी बेकार थे..उसने जब अपने पत्ते राणा के सामने रखे तो राणा भी हंस दिया..उसके पास 4,6,9 नंबर आए थे..

राणा ने सारे पैसे अपनी तरफ कर लिए..फिर उन नोटों की गड्डी बना कर उसने काजल की तरफ बड़ा दिया और बोला : "अब तो छू सकता हूँ ना...इन पैसों के बदले..''

काजल के होंठ लरज कर रह गये...उसने राणा के हाथ से पैसे ले लिए..और उन्हे फिर से अपनी जाँघ के नीचे दबा लिया.

राणा : "अब इधर आओ...मेरे पास...''
राणा ने अपनी उंगली का इशारा करके काजल को अपनी तरफ बुलाया..

वो बेचारी मना भी नही कर पाई...आख़िर उसने पैसे जो दिए थे..

वो अपनी सीट से उठी और धीरे-2 चलती हुई राणा के पीछे जाकर खड़ी हो गयी...राणा अपने लंड को मसलता हुआ उसके हिलते हुए मुम्मे देख रहा था..और जब वो उसके पास आकर खड़ी हुई तो उसने अपना सिर उपर करके उसकी आँखो में देखा और बोला : "नीचे करो इन्हे...''

वो उसपर ऐसे हुक्म चला रहा था जैसे 10 हज़ार मे उसने उसके मुम्मों को खरीद लिया है..पर काजल भी उसकी बात मान रही थी, क्योंकि अंदर ही अंदर वो भी तो इस मज़े को महसूस करना चाहती थी...हारने के बाद 10 हज़ार भी वापिस मिल गये और अब मज़ा भी मिलेगा, ऐसा सौदा तो काजल को काफ़ी उत्साहित कर रहा था..

काजल धीरे से नीचे झुकी और राणा ने अपना देतयाकार मुँह खोल दिया...और उसके अंगूर के दानों जैसे निप्पल सीधा उसके मुँह के अंदर घुस गये और राणा उन्हे बड़ी ज़ोर से चूसने लगा...साथ ही साथ उसने काजल के सिर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ ज़ोर से दबा लिया..दूसरे हाथ से उसका दूसरा स्तन पकड़ लिया और उसे मसलने लगा..कुल मिलाकर वो अपने 10 हज़ार रुपय सही तरीके से वसूल कर रहा था..
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काजल तो उसके हमले से कराह उठी...एक तो उसके दाँत काफ़ी तेज थे और उपर से वो काफ़ी एक्ससाईटिड भी था,पैसे देकर वो काजल के जिस्म पर कुछ देर के लिए ही सही पर अपना पूरा अधिकार जता रहा था...

राणा ने उसके निप्पल को पकड़कर अपनी उंगलियों से मसलना शुरू कर दिया, जैसे बकरी का दूध निकाल रहा हो..और साथ ही साथ अपने दांतो से भी वही काम उसके दूसरे स्तन पर कर रहा था
और करीब दस मिनट तक अच्छी तरह से उसका दूध पीने के बाद जैसे ही राणा ने उसकी चूत की तरफ हाथ बदाया, काजल छिटक कर दूर हो गयी...और बोली : "ना ना ना ....इतने में सिर्फ़ इतना ही मिलेगा...''

और वो अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसको चिढ़ाती हुई वापिस अपनी सीट पर जाकर बैठ


राणा भी सोचने लगा की इतनी उत्तेजना बढ़ाने के बाद भी वो कैसे कंट्रोल कर पा रही है...आज तक जितनी भी लड़कियों की उसने चुदाई की थी, वो तो सिर्फ़ उसके हाथ लगाने भर की वेट करती थी...और खुद ब खुद नंगी होकर उसके लंड पर टूट पड़ती थी...काजल ना जाने किस मिट्टी की बनी थी..कभी तो उसकी आँखो मे सेक्स की भूख एकदम साफ़ दिखाई देती थी..और कभी वो एकदम से पीछे होकर उसपर कंट्रोल करती दिखाई देती थी..

पर राणा से अब कंट्रोल नही हो रहा था...भले ही वो खुद को राजा समझ कर उसपर पैसे लुटाता हुआ अभी तक मज़े ले रहा था, पर अब अपनी सेक्स की भूख उससे बर्दाश्त नही हो रही थी...वो काजल को पाने के लिए राजा से भिखारी बनने के लिए भी तैयार था अब...

राणा : "ऐसा ना करो काजल...देखो ना, मेरे लंड की क्या हालत हो रही है...सिर्फ़ एक बार इसको सक्क कर लो ...प्लीज़ ...मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हू...मेरी हालत पर तरस खाओ ...''

राणा तो अब भीख माँगने पर उतर आया था..

काजल की नज़रें अभी भी उसके पास पड़े पैसों के उपर थी...जो करीब 20 हज़ार रुपय थे..

काजल की आँखो का इशारा राणा समझ गया...उसने अपने 20 हज़ार रुपय एकदम से निकाल कर काजल के आगे रख दिए..

काजल : "तूने मुझे कोई धंधे वाली समझा है क्या...जो इन पैसों के बदले तेरी सेवा करूँगी... जो भी करूँगी, गेम खेलकर ही, पैसे जीतकर, ऐसे भीख लेने की आदत नही है मेरी..''

राणा सहम सा गया, वैसे भी वो काजल को नाराज़ करके अपने लिए कोई घाटे का सौदा नही करना चाहता था..
यानी काजल का मतलब साफ़ था...अगली गेम शुरू करो..

राणा को भी सारे पैसे हारने की जल्दी थी, इसलिए उसने अगली गेम शुरू कर दी..

पत्ते बाँटे गये, और इस बार राणा ने सीधा 2 हज़ार की ब्लाइंड चल दी, अपने लंड से रगड़कर ..
राणा का उठा हुआ लंड काजल को काफ़ी लालायित कर रहा था..इसलिए उसके हाथ अपने आप ही चूत की तरफ बड़ जाते थे...उसने अपने पायजामे को नीचे खिसका दिया और पहली बार राणा ने उसकी नयी नवेली चूत के दर्शन किए...
काजल भी अब कोई परदा नही रखना चाहती थी...इसलिए उसने धीरे-2 करते हुए अपने पायजामे को घुटनो से नीचे कर दिया..और अब उसकी सफाचत चूत राणा की नज़रों के सामने पूरी नंगी थी...पर बेचारा चाह कर भी उसे छू नही सकता था वो...उसकी चूत की चिकनाहट देखकर राणा का मन उसे चूसने का करने लगा..
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काजल भी समझ नही पा रही थी की कैसे वो इतनी बेशर्मी से अपने जिस्म से कपड़े हटाती जा रही है और नंगेपन की नुमाइश राणा के सामने कर रही है..पर ना जाने क्यो उसे ये सब अच्छा भी लग रहा था..वो शायद इसलिए भी क्योंकि वो कुछ ऐसा ही केशव के साथ भी कर चुकी थी..अपने भाई के साथ करते हुए जब उसे शरम नही आई तो इसके साथ क्यो आए और वो भी तब जब वो उसके उपर अँधा होकर पैसे भी लूटा रहा था..


राणा ने अगली ब्लाइंड जब चली तो नोट पर उसके लंड से निकला पानी साफ़ चमक रहा था...ऐसा सीन देखकर अच्छे -2 का प्रीकम निकल जाता है...काजल का तो मन किया की वो नोट उठाए और उसे चाट कर सॉफ कर दे..साला कैसे तरसा रहा है उसे वो राणा...काजल ने भी उसको सताने की सोची और अपनी रसीली चाशनी में हज़ार के दो नोटों को अच्छी तरह से घुसा कर उन्हे पूरा गीला कर लिया और फिर उन्हे नीचे फेंक दिया...

राणा ने तुरंत वो नोट उठा लिए और बड़ी ही बेशर्मी से उन्हे चाटने लगा..सारा रस चाट गया वो उन नोटों से
काजल उसे ऐसा करते हुए देखती रही..और फिर उसने भी राणा वाला वो नोट उठा लिया जिसपर उसका प्रीकम लगा हु

आ था..और धीरे से उसपर अपनी जीभ लगाई...एकदम टेस्टलेस था वो...पर उसकी महक बड़ी ही कामुक और मदहोशी से भरी थी..काजल ने एक लंबी साँस लेकर उसे अंदर तक महसूस किया और अपनी जीभ पर उसके स्वाद को काफ़ी देर तक महसूस करती रही..

राणा भी समझ चुका था की अब तो नाम मात्र की दीवार रह गयी है दोनो के बीच..

दोनो एक दूसरे के सामने नंगे होकर खेल रहे थे...राणा के पास अभी भी लगभग 10 हज़ार रुपय थे, जो उसको गँवाने थे..
 
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