वो जैसे ही सारे पैसे अपनी तरफ करने लगा, गणेश ने रोक दिया और बोला : "मेरे पत्ते दोबारा देख भाई...इतना खुश मत हो अभी...''
बिल्लू और केशव ने फिर से गणेश के पत्तो की तरफ देखा..वो थे तो 3,4,5 पर साथ ही साथ वो कलर मे भी थे...लाल पान का कलर..यानी प्योर सीक़वेंस.
बिल्लू बुदबुदाया : "साला...हरामी...आज तो इसकी किस्मत अच्छी है..''
और अब ठहाका लगाने की बारी गणेश की थी...उसने सारे पैसे बीच में से अपनी तरफ खिसका लिए.
अगली गेम शुरू होने को ही थी की केशव बोल पड़ा : "यार...अभी और रहने देते हैं...माँ को दवाई भी देनी है और उन्हे इंजेक्शन भी लगाना है...बाकी कल खेलेंगे..''
काजल बोलने ही वाली थी की दवाई और इंजेक्शन तो दे ही चुके हैं...पर केशव ने उसे इशारे से चुप करवा दिया.
अब वो दोनो भी क्या बोल सकते थे...मन मसोस कर दोनो वहाँ से चले गये.अगले दिन आने का वादा करके
उनके जाते ही काजल बोली : "तुमने ऐसा क्यो बोला...माँ को दवाई और इंजेक्शन तो दे ही चुके हो..और हम एक गेम भी तो जीत ही चुके थे..''
केशव : "दीदी...वो गेम जो हमने जीती थी, उसमे पत्ते बड़े ही बेकार आए थे...वो तो शुक्र है की उन दोनो ने भी पेक कर दिया, वरना वो गेम भी हम हार जाते...''
काजल : "पर तुमने तो कहा था की कल वाले कपड़े पहन कर आओ, तो जीत जाएँगे...मैने तो पहले ही कहा था की ये सब तुक्का था...कल और बात थी...आज खेलने में सब सामने आ गया...''
केशव उसकी बाते सुनता रहा...और कुछ देर चुप रहने के बाद बोला : "दीदी .... वो .....आपने ये कल वाले ही कपड़े पहने है ना..''
काजल : "हाँ ....ये वही है....''
केशव (झिझकते हुए) : "और अंदर....''
उसकी आवाज़ बड़ी ही मुश्किल से निकली उसके मुँह से....नज़रें ज़मीन पर थी उसकी.
काजल : "अंदर...? मतलब ....''
पर अगले ही पल उसका मतलब समझ कर वो झेंप सी गयी...केशव उसके अंडरगारमेंट्स के बारे मे पूछ रहा था..
काजल ने अपने दिमाग़ पर ज़ोर दिया , उसने अभी ब्लेक कलर की ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी ...पर कल....कल तो केशव के साथ खेलते हुए उसने अंदर कुछ भी नही पहना था..
अब ये बात वो केशव को कैसे बोलती..पर शायद ये वजह भी हो सकती है उसके हारने की..शायद कल वो बिना अंडरगारमेंट्स के थी, इसलिए जीत रही थी...
काजल : "तुम्हारे टोटके के हिसाब से क्या कल वाले कपड़े सेम तो सेम वही होने चाहिए...तभी मैं जीतूँगी क्या ??''
केशव ने हाँ में सिर हिला दिया.
काजल : "चलो...वो भी देख लेते हैं ....तुम यही बैठो...मैं अभी आई...''
और इतना कहकर वो भागकर उपर अपने कमरे मे चली गयी..
अब केशव उसे क्या बोलता, वो तो अच्छी तरह जानता था की कल काजल ने अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था...उसके खड़े हुए निप्पल उसे अभी तक याद थे...आज तो उसने ब्रा पहनी हुई थी...उसकी बगल मे बैठकर वो ये तो अच्छी तरह से देख चुका था...पर उस वक़्त उसके मन मे ये बात नही आई थी..पर लास्ट गेम जो उसने जीती थी, उसके बाद उसके दिमाग़ मे वो बात कोंधी थी..पर उनके सामने ये कैसे बोलता, इसलिए आज के लिए अपने दोस्तों को भगा दिया था उसने...और उनके जाने के बाद बड़ी ही मुश्किल से उसने काजल को ये बोला...अपनी बड़ी बहन को उसके अंडरगारमेंट्स के लिए बोलना आज केशव के लिए बड़ा मुश्किल था...पर अपनी तसल्ली के लिए वो ये देख लेना चाहता था की जो वो सोच रहा है वो सही है तो शायद कल वाली गेम में वो जीत जाएँ.
तभी उपर से काजल वापिस नीचे आती हुई दिखाई दी केशव को...और उसकी नज़रें सीधा उसकी ब्रेस्ट वाली जगह पर जा चिपकी...और उसकी आशा के अनुरूप वहाँ ब्रा का नामोनिशान नही था ...उसकी गोल मटोल छातियाँ उस छोटी सी टी शर्ट मे अठखेलियाँ करती हुई उछल कूद मचा रही थी..
और साथ ही साथ उसके खड़े हुए निप्पल उनकी सुंदरता मे चार चाँद लगा रहे थे..
काजल आकर केशव के सामने बैठ गयी,
और बोली : "चलो...अब एक बार फिर से पत्ते बाँटो ...मैं भी देखना चाहती हू की तुम्हारी बात मे कितनी सच्चाई है..''
केशव ने बड़ी ही मुश्किल से अपना ध्यान उसकी छातियों और खड़े हुए निप्पल्स से हटाया..और पत्ते बाँटने लगा...पत्ते बाँटने के बाद उसने पहले अपने पत्ते उठा कर देखे, उसके पास 5 का पेयर आया था..यानी चाल चलने लायक थे वो..और फिर उसने काजल के पत्ते पलट कर देखे...
काजल के पास बादशाह का पेयर आया था.
केशव की आँखो मे चमक आ गयी, वो बोला : "देखा....मैने कहा था ना...''
काजल : "ये भी शायद इत्तेफ़ाक से आ गये हो...एक बार और बाँटो..''
केशव : "अब तो मुझे पूरा विश्वास है, जितनी बार भी बँटवा लो ये पत्ते, हर बार तुम ही जीतोगी कल की तरह..''
उसने फिर से पत्ते बाँटे...और इस बार भी काजल ही जीती...उसके पास चिड़ी का कलर आया था..
केशव ने गड्डी काजल को दी और उसे पत्ते बाँटने के लिए कहा...काजल ने पत्ते बाँटे और इस बार भी वही जीती...केशव के पास सबसे बड़ा पत्ता इक्का था...और काजल के पास इकके का पेयर..
अगली 4 गेम्स भी काजल ही जीती...केशव ने जगह बदल कर भी देखि..गड्डी को अच्छी तरह से फेंटकर भी पत्ते बांटे ..हर तरह से बदलाव करके देख लिया, पर वो काजल से हर बार हार ही रहा था...उसने चार जगह पत्ते बांटकर भी देखे,पर उसमे भी सिर्फ काजल के पत्ते बड़े निकले और हर बार हारने के बाद उसके चेहरे पर एक अलग ही खुशी आ जाती..
अंत मे केशव बोला : "देखा लिया ना दीदी...मेरी बात बिल्कुल सही निकली...आज जब आप कपड़े बदल कर आई तो उसी वक़्त अगर ब्रा -पेंटी उतार कर आ जाती तो शायद आज हम बहुत पैसे जीत जाते...''
यानी उसका भाई ये अच्छी तरह से नोट कर रहा था की कल उसने अंदर कुछ नही पहना हुआ था..अपने भाई के मुँह से सीधा अपनी ब्रा पेंटी का शब्द सुनकर उसका चेहरा शर्म से लाल सुर्ख हो उठा...
और उसके चेहरे पर एक अलग ही तरह की मुस्कान आ गयी..पर वो कुछ बोली नही..
केशव समझ गया की शायद उसने कुछ ज़्यादा ही बोल दिया है
और इतना कहकर वो अपनी जगह से उठा और लगभग भागता हुआ सा उपर अपने कमरे की तरफ चल दिया.ऐसे भागकर जाने की एक वजह और भी थी , काजल से इस तरह बात करते हुए वो बुरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और उसका लंड टेंट बना चुका था उसके पायजामे में.
वो सीधा अपने कमरे में गया और अपने बेड पर बैठकर पायजामे को नीचे किया और . लंड हाथ मे पकड़ कर ज़ोर से मसलने लगा...
''ओह....... दीदी .................क्या करते हो आप................अहह ....... क्या चीज़ हो यार..............''
और उसकी बंद आँखो के सामने उसकी बहन की नंगी छातियाँ घूम रही थी..
और वो ज़ोर-2 से अपने लंड को मसलते हुए मूठ मारने लगा.
काजल कुछ देर तक वहीं बैठी रही और फिर उपर की तरफ चल दी...उसने अपनी माँ को देखा तो वो गहरी नींद में सो रही थी...वो निश्चिंत हो गयी...उसने अपना मोबाइल उठाया...आज वो कुछ ज़्यादा ही उत्तेजित थी...और अपने वी चेट और ऍफ़ बी फ्रेंड्स के साथ कुछ ख़ास करने के मूड में थी...वो अपनी माँ की बगल मे लेटने ही वाली थी की उसे केशव के कमरे से कोई आवाज़ आई..
उसने देखा की उसके कमरे की लाइट जल रही है..और शायद दरवाजा भी खुला है..
उसने गोर से सुना तो वो आवाज़ फिर से आई....और इस बार की आवाज़ सुनकर वो समझ गयी की वो क्या है...और अगले ही पल उसके होंठों पर एक शरारत भरी मुस्कान आ गयी...और वो बिल्ली की तरह दबे पाँव से अपने भाई के कमरे की तरफ चल दी
एक अलग ही तरह का रोमांच महसूस कर रही थी काजल...उसके दिल की धड़कने उसे अपने कानों तक सुनाई दे रही थी..अंदर से तो वो पूरी नंगी पहले से ही थी..इसलिए उसके खड़े हुए निप्पल टी शर्ट से रगड़ खाकर उसमे ड्रिल करने लायक पैने हो चुके थे..
वो केशव के कमरे के बाहर जाकर खड़ी हो गयी...और उसने खुले हुए दरवाजे की झिर्री में से झाँककर अंदर देखा..
उसका भाई केशव नीचे से नंगा होकर लेटा था और अपनी आँखे बंद करके बड़ी ही तेज़ी से अपने लंड को रगड़ रहा था..
ऐसा सेक्सी सीन तो उसने आज तक नही देखा था...और ना ही सोचा था..उसकी आँखे तो केशव के लंड के उपर जम कर रह गयी..वो आज सुबह भी उसके लंड को देख चुकी थी..जब वो सारिका की चुदाई करने जा रहा था..पर अभी वो सारिका को सोचकर मूठ मार रहा है या उसे सोचकर ये जानने की उत्सुकतता थी काजल के मन मे..
भले ही वो उसका सगा भाई था...पर अगर वो उसके बारे मे सोचकर मूठ मार रहा है तो उसे अंदर से अलग ही खुशी का एहसास होना था..शायद काजल को भी अपने भाई मे अब इंटरस्ट आने लगा था...भाई होने से पहले वो एक मर्द था...और वो भी बड़े लंड वाला..ऐसे लंड को देखकर ही काजल की टाँगो के बीच कुछ-2 हो रहा था..जब वो वहाँ जायेगा तो पता नही क्या होगा..
काजल ने अपनी जांघे भींच ली और अंदर देखने लगी...उसका एक हाथ उपर रेंगता हुआ आया और अपनी ब्रेस्ट को पकड़ कर धीरे-2 भींचने लगा.
वो लगातार ये भी सोच रही थी की ऐसे कब तक चलता रहेगा...उसके और केशव के बीच के बीच जो शर्म का परदा था वो तो गिर ही चुका है...कुछ और परदे गिराने बाकी हैं,पर वो छोटा है इसलिए अपनी तरफ से पहल करने मे शायद शरमा रहा है...और उसने खुद भी अपनी तरफ से कुछ ज़्यादा नही किया..एक लड़की होने के नाते इतनी अकल तो थी उसको...और उपर से दोनो का रिश्ता भी तो ऐसा था की कुछ भी करने से पहले सब कुछ सोचना पड़ रहा था..पर यहाँ कौन है उन्हे देखने वाला..सारी दुनिया सो रही है...उनकी माँ भी दूसरे कमरे मे खर्राटे मार रही है..ऐसे मे अगर थोड़ी बहुत मस्ती कर भी ले तो क्या बिगड़ेगा..