- 312
- 83
- 28
पूनम की शर्म और बढ़ गयी। बोली “तुम जाओगे यहाँ से। जिसकी मसलते हो उसकी मसलो जाकर।” बंटी थोड़ा आगे बढ़ता हुआ बोला “उसकी कहाँ मसलने मिलेगी अब जान, तुम्हारी भी तो मसलने नहीं ही मिलेगी कल से। इसलिए तो बोल रहा हूँ की एक बार मसल तो लेने दो, प्लीज़।” पूनम डर कर थोड़ी पीछे होती हुई बोली “देखो...., मैं शोर मचा दूँगी।” बंटी मुस्कुराता हुआ ऐसे झुका जैसे पूनम को पकड़ लेगा और फिर नीचे रखा हुआ सामान उठा लिया और बाहर आने लगा। पूनम को लगा की वो मुझे डरा रहा था और मैं डर गयी।
पूनम बाहर आकर स्टोर रूम का दरवाज़ा लॉक करने लगी तब तक बंटी वहीँ खड़ा रहा. पूनम बोली “तुम गए क्यों नहीं? भारी सामान उठा कर खड़े हो।” बंटी आँखों से पूनम की चुचियों की तरफ इशारा करता हुआ बोला “तुम भी तो भारी सामान लिए घूमती रहती हो।" पूनम गुसाते हुए बोली “तुम पागल हो। जाओ यहाँ से, भागो।” बंटी बोला “तुम आगे चलो। कम से कम अच्छे से तुम्हारी बलखाती कमर को तो देख लूँ।" अब पूनम को अजीब लग रहा था। बोली “लगता है तुम ऐसे नहीं ही मानोगे। जाओ आगे।” लेकिन बंटी अपनी जगह से हिला भी नहीं। पूनम को लगा की इस तरह बाहर में खड़ी रहूंगी और कोई देखेगा तो मेरे बारे में ही गलत सोचेगा। हारकर वो अपने हाथों से अपनी कुर्ती को पीछे से ठीक की और चलने लगी। उसे अजीब लग रहा था। वो जान रही थी की बंटी क्या देख रहा होगा।
सभी लोग शादी की तैयारियों में व्यस्त थे। फिर से कोई रस्म हो रही थी। रस्म एक कमरे में हो रहा था और वहाँ बहुत सारे लोग खड़े थे। बंटी को आगे जाना था और पूनम दीवाल के किनारे में खड़ी थी। बंटी को बैठे बिठाए अच्छा मौका मिल गया था। सब लोग रस्म में व्यस्त रहे और बंटी पूनम के कमर को दोनों तरफ से पकड़ा और पीछे से उसके बदन से रगड़ता हुआ आगे बढ़ा और पूनम की कमर से हाथ हटाते वक़्त उसने चुच्ची को भी किनारे से छू लिया। मज़ा आ गया बंटी को। बंटी ने जानबूझकर ऐसा किया था, लेकिन जगह ही इतनी थी वहाँ पर। पूनम फिर से कुछ बोल नहीं पाई थी। फिर से बंटी ने उसके बदन को छुआ था। उसे बंटी पे तो गुस्सा आ ही रहा था, खुद पे भी गुस्सा आ रहा था। ऐसी हालत उसकी आज तक नहीं हुई थी। एक ही दिन में इतनी बार उसके बदन को बिना उसकी मर्ज़ी के छुआ गया था।
शाम तक ये सिलसिला चलता रहा. बंटी उसे देखकर मुस्कुरा रहा था, मौका मिलते ही उसे छू ले रहा था और इशारे से उसे छेड़ रहा था. एक जगह पूनम खड़ी थी तो बंटी ने उसके गर्दन के पीछे पीठ पर हाथ सहलाया और जब पूनम गुस्से से पीछे पलटी तो मुस्कुराता हुआ अपने हाथ में एक कीड़ा दिखाया की “इसे हटा रहा था.” पूनम फिर से मन मसोस कर रह गयी.
बारात आने का वक़्त हो गया था। ज्योति सज कर दुल्हन बन कर एक जगह बैठी हुई थी और लोग आ आकर उससे मिल रहे थे और गिफ्ट देने और फोटो खीचने का दौर चल रहा था। पूनम भी तैयार हो गयी थी। वो लहंगा चोली पहनी थी जो कुछ दिन पहले ही ली थी वो। पुरे मेकअप के बाद बहुत ही क्यूट लग रही थी पूनम। बहुत लोगों के दिलों पे छुरियां चलने वाली थी आज। चोली डिजाइनर थी। बैकलेस और स्लीवलेस। चोली पीठ और गर्दन पे डोरी से बंधी हुई थी, और इसके साथ एक ट्रांसपेरेंट दुपट्टा। पूनम का सपाट गोरा पेट चमकता हुआ सबकी निगाहों को अपनी नाभि पे रोक ले रहा था। चुच्ची की पूरी गोलाई चोली में कैद थी और कुछ भी कहीं से दिख नहीं रहा था। ब्रा का कप चोली में ही लगा हुआ था तो चुच्ची पूरी तरह से टाइट होकर पैक थी चोली में। लेकिन देखने वाले तो कहीं से भी कुछ देख लेते हैं और लण्ड का पानी कुर्बान कर देते हैं। कितने लड़के तो सिर्फ उसकी पीठ को देखकर अपने लंड का पानी बहा बैठे होंगे और कितनो का पानी पूनम की सपाट पेट और नाभी देखकर गिरा होगा। आज रात बहुत लोग पूनम को याद करने वाले थे अपने बाथरूम में।
पूनम बाहर आकर स्टोर रूम का दरवाज़ा लॉक करने लगी तब तक बंटी वहीँ खड़ा रहा. पूनम बोली “तुम गए क्यों नहीं? भारी सामान उठा कर खड़े हो।” बंटी आँखों से पूनम की चुचियों की तरफ इशारा करता हुआ बोला “तुम भी तो भारी सामान लिए घूमती रहती हो।" पूनम गुसाते हुए बोली “तुम पागल हो। जाओ यहाँ से, भागो।” बंटी बोला “तुम आगे चलो। कम से कम अच्छे से तुम्हारी बलखाती कमर को तो देख लूँ।" अब पूनम को अजीब लग रहा था। बोली “लगता है तुम ऐसे नहीं ही मानोगे। जाओ आगे।” लेकिन बंटी अपनी जगह से हिला भी नहीं। पूनम को लगा की इस तरह बाहर में खड़ी रहूंगी और कोई देखेगा तो मेरे बारे में ही गलत सोचेगा। हारकर वो अपने हाथों से अपनी कुर्ती को पीछे से ठीक की और चलने लगी। उसे अजीब लग रहा था। वो जान रही थी की बंटी क्या देख रहा होगा।
सभी लोग शादी की तैयारियों में व्यस्त थे। फिर से कोई रस्म हो रही थी। रस्म एक कमरे में हो रहा था और वहाँ बहुत सारे लोग खड़े थे। बंटी को आगे जाना था और पूनम दीवाल के किनारे में खड़ी थी। बंटी को बैठे बिठाए अच्छा मौका मिल गया था। सब लोग रस्म में व्यस्त रहे और बंटी पूनम के कमर को दोनों तरफ से पकड़ा और पीछे से उसके बदन से रगड़ता हुआ आगे बढ़ा और पूनम की कमर से हाथ हटाते वक़्त उसने चुच्ची को भी किनारे से छू लिया। मज़ा आ गया बंटी को। बंटी ने जानबूझकर ऐसा किया था, लेकिन जगह ही इतनी थी वहाँ पर। पूनम फिर से कुछ बोल नहीं पाई थी। फिर से बंटी ने उसके बदन को छुआ था। उसे बंटी पे तो गुस्सा आ ही रहा था, खुद पे भी गुस्सा आ रहा था। ऐसी हालत उसकी आज तक नहीं हुई थी। एक ही दिन में इतनी बार उसके बदन को बिना उसकी मर्ज़ी के छुआ गया था।
शाम तक ये सिलसिला चलता रहा. बंटी उसे देखकर मुस्कुरा रहा था, मौका मिलते ही उसे छू ले रहा था और इशारे से उसे छेड़ रहा था. एक जगह पूनम खड़ी थी तो बंटी ने उसके गर्दन के पीछे पीठ पर हाथ सहलाया और जब पूनम गुस्से से पीछे पलटी तो मुस्कुराता हुआ अपने हाथ में एक कीड़ा दिखाया की “इसे हटा रहा था.” पूनम फिर से मन मसोस कर रह गयी.
बारात आने का वक़्त हो गया था। ज्योति सज कर दुल्हन बन कर एक जगह बैठी हुई थी और लोग आ आकर उससे मिल रहे थे और गिफ्ट देने और फोटो खीचने का दौर चल रहा था। पूनम भी तैयार हो गयी थी। वो लहंगा चोली पहनी थी जो कुछ दिन पहले ही ली थी वो। पुरे मेकअप के बाद बहुत ही क्यूट लग रही थी पूनम। बहुत लोगों के दिलों पे छुरियां चलने वाली थी आज। चोली डिजाइनर थी। बैकलेस और स्लीवलेस। चोली पीठ और गर्दन पे डोरी से बंधी हुई थी, और इसके साथ एक ट्रांसपेरेंट दुपट्टा। पूनम का सपाट गोरा पेट चमकता हुआ सबकी निगाहों को अपनी नाभि पे रोक ले रहा था। चुच्ची की पूरी गोलाई चोली में कैद थी और कुछ भी कहीं से दिख नहीं रहा था। ब्रा का कप चोली में ही लगा हुआ था तो चुच्ची पूरी तरह से टाइट होकर पैक थी चोली में। लेकिन देखने वाले तो कहीं से भी कुछ देख लेते हैं और लण्ड का पानी कुर्बान कर देते हैं। कितने लड़के तो सिर्फ उसकी पीठ को देखकर अपने लंड का पानी बहा बैठे होंगे और कितनो का पानी पूनम की सपाट पेट और नाभी देखकर गिरा होगा। आज रात बहुत लोग पूनम को याद करने वाले थे अपने बाथरूम में।