Incest खोई बहन

Wake Up To Reality
799
3,642
125
अपडेट 13
अब आगे..

दोपहर को मीरा स्कूल से घर आ गई.. वो अपने पापा के पास गई.. उनसे बात की.. फिर राधा के साथ लंच किया और अपने कमरे में चली गई।

मीरा- दीदी आप बाहर जाओ.. मुझे कपड़े बदलने हैं।
राधे- ओये-होये मेरी सोनी.. क्या बात है.. कल तक तो मेरे हाथों से कपड़े निकलवा रही थी.. आज कैसी शर्म?

मीरा- बस बस.. ज़्यादा स्मार्ट मत बनो.. तब तक मैं तुम्हें अपनी दीदी समझ रही थी.. अब मुझे पता है कि तुम एक लड़के हो.. अब जाओ बाहर..
राधे- मीरा हमारे बीच सेक्स के अलावा सब कुछ हो गया है.. अब बाहर जाने से फायदा क्या.. मैं तुम्हारा ऐसा क्या नया देख लूँगा?

मीरा- धीरे बोलो और प्लीज़ दिन में तो लड़की की आवाज़ में ही बोलो.. पापा ने सुन लिया तो गजब हो जाएगा..
राधे- ओके.. समझ गया.. अब तुम भी समझ लो.. चलो कपड़े बदल लो और आ जाओ बिस्तर पर.. कुछ बात करनी है..

मीरा- ओके.. तुम आँख बन्द कर लो प्लीज़.. तुम्हें मेरी कसम है.. अब कोई बहस नहीं करना..

राधे ने उसकी बात मान ली और आँखें बन्द करके बैठ गया। मीरा ने रेड टॉप और ब्लॅक हाफ पैन्ट पहनी.. वो उस ड्रेस में बड़ी सेक्सी लग रही थी।
मीरा उसके पास आकर बैठ गई और राधे के बालों में हाथ घुमाने लगी..

राधे ने आँखें खोलीं और मीरा को देखता रह गया.. उसकी खूबसूरती के आगे वो अपना संतुलन खो बैठा। उसने मीरा को बाँहों में भर लिया और उसके होंठों को चूसने लगा।

मीरा उसको मारती रही.. मगर वो उसके होंठों को चूसता रहा और उसकी पीठ पर हाथ घुमाता रहा। कोई 5 मिनट बाद दोनों अलग हुए।
मीरा- तुम बहुत गंदे हो.. बस इसी लिए मैं तुम्हारे सामने कपड़े नहीं पहन रही थी।
राधे- अरे यार एक किस ही तो किया है.. अब इतना भी नहीं करूँ क्या.. तुम मेरी होने वाली बीवी हो..

राधे की बात सुनकर मीरा के होंठों पर मुस्कान आ गई।
मीरा- किस कर सकते हो.. मगर मेरी इजाज़त लेकर ओके.. और अपने इस बे लगाम घोड़े को काबू में रखो.. समझे वक़्त आने पर मैं इसको शांत कर दूँगी.. समझे मेरे आशिक..

मीरा ने लौड़े को दबाते हुए ये बात कही थी। मीरा की इस हरकत से राधे की आँखें मज़े में बन्द हो गईं।
राधे- यार तुम्हारा क्या प्लान है.. कब तुम इसे ठंडा करोगी.. तुम कुछ बताती भी तो नहीं हो..
मीरा- बस कुछ दिन रुक जाओ.. सब बता दूँगी..

दोनों बस ऐसे ही सामान्य बातें करते रहे और उनकी आँख लग गई।

शाम को दोनों उठे.. पापा से मिले और बाहर घूमने निकल गए..

राधे ने कुछ लड़कों के कपड़े और नाइट के लिए पजामे भी ले लिए.. मीरा ने भी कुछ ब्रा-पैन्टी और टॉप-स्कर्ट्स ले लिए और कुछ कपड़े उसने राधे की नजरों से बचा कर लिए उसे बिल देने के टाइम पर किसी बहाने बाहर भेज दिया।

ममता तो रोज की तरह अपना काम करके चली गई.. ये जब आई तो दिलीप जी बाहर बैठे इनका इन्तजार कर रहे थे।
दिलीप जी- अरे कहाँ रह गई थीं तुम दोनों.. चलो खाना खा लो और सो जाओ.. मैं भी सो जाता हूँ.. मुझे भी थकान सी हो रही है।

मीरा- ओह.. पापा.. आप क्यों इतना चिंता करते हो.. आप सो गए होते..
दिलीप जी- अरे जिसकी दो जवान बेटियाँ घर से बाहर हों.. उसको कैसे नींद आ सकती है.. चलो जाओ बेटा.. अब खाना खा लो…

राधा ने पापा को समझा कर अन्दर भेज दिया.. उनको दवा दी और सुला दिया। उसके बाद दोनों ने खाना खा लिया और अपने कमरे में चली गईं..

राधे ने कमरे में जाते ही दरवाजे को लॉक किया और अपने कपड़े निकालने शुरू कर दिए।

मीरा बस उसको देख कर मुस्कुरा रही थी.. वो दो मिनट में ही अंडरवियर में आ गया और बिस्तर पर जाकर लेट गया।
मीरा- हैलो मिस्टर.. क्या इरादा है.. ये कौन सा तरीका है सोने का?
राधे- अब तुम्हें पता है.. कि मैं लड़का हूँ तो मुझे कैसा डर.. अब मैं तो खुल कर ही सोऊँगा ना..

मीरा- ठीक है.. ठीक है.. चलो आँखें बन्द करो.. मुझे भी चेंज करना है।
राधे- जानेमन.. अब ये ज़ुल्म ना कर.. दिन की बात तो समझ आ गई.. पर अभी तो रात है.. अब नहीं मानूँगा.. तुमको जाना है तो.. जाओ बाथरूम में चली जाओ.. मैं तो यही रहूँगा..

मीरा समझ गई कि ये मानने वाला नहीं है.. उसने कपड़े निकले और अलमारी से नाईटी हाथ में लेकर.. नंगी ही बिस्तर पर आ गई।
राधे तो बस देखता रह गया।

मीरा- लो यही चाहते हो ना तुम.. कर लो अपनी हवस पूरी.. मेरी तमन्ना जाए भाड़ में.. बस खुश..!

राधे- अरे यार.. तुम पागल हो क्या हवस होती.. तो कल ही पूरी कर लेता.. मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं है.. बस मैं तो खुलकर सोना चाहता हूँ.. अब तो जब तक तुम नहीं कहोगी.. मैं हाथ भी टच नहीं करूँगा।

मीरा खुश हो गई और राधे से लिपट गई उसको एक चुम्बन किया.. जब वो अलग हुई तो राधे का लौड़ा चड्डी फाड़ कर बाहर आने को बेताब हो गया।
मीरा- आई लव यू.. मेरे राधे.. अब देखो इस शैतान को किस करते ही कैसे तन गया है।

राधे- मेरी जान.. अब इसमे इस बेचारे की क्या ग़लती है.. तुम जैसी कच्ची कन्या इसके सामने नंगी खड़ी होगी.. तो ये तो उछलेगा ही ना…

मीरा- बस कुछ दिन रुक जाओ.. इसको इतना मज़ा दूँगी कि ये भी याद रखेगा..
राधे- ठीक है जान.. मैं भी अपने अरमानों को काबू में रखूँगा.. चल अब नाईटी पहन ले.. आ जा सो जाते हैं.. ऐसे जागते रहेंगे तो इसे शांत करने के लिए मुझे मुठ्ठ मारनी पड़ेगी।

मीरा उसके चिपक कर सो गई.. राधे को परेशानी तो बहुत हो रही थी.. मगर वो मीरा से सच्ची मोहब्बत करने लगा था। बस बेचारा लौड़े को काबू में करके उससे लिपट कर सो गया।

दोस्तो, आप सोच रहे होंगे.. ये कैसी कहानी है.. अब तक मजेदार सेक्स आया ही नहीं है.. तो आपको बता दूँ.. अब सेक्स की बारी है.. एक बार चुदाई शुरू हो जाएगी ना.. तो बस लगातार चलती रहेगी.. थोड़ा और बर्दाश्त कर लो..

सुबह का वही आलम था.. जो रोज होता है.. मीरा स्कूल चली गई और राधे कमरे में पड़ा रहा। उधर अपना नीरज भी स्कूल के सामने खड़ा हो गया।
आज भी दोनों लड़कियाँ उसको देख कर उसकी बातें करती हुई निकल गईं।

दोस्तो, एक-दो दिन ये सिलसिला चलता रहा रविवार को छुट्टी का दिन था तो राधे और मीरा ने खूब मस्ती की.. फिल्म देखी.. बाहर खाना खाया.. और जी भर कर चूमा-चाटी की।

अब आपको सीधे सोमवार का हाल बताती हूँ.. जहाँ से कहानी में एक नया मोड़ आएगा।

सोमवार की दोपहर को जब स्कूल की छुट्टी हुई.. नीरज वहीं खड़ा अपने फ़ोन से लगा हुआ था।
सब लड़कियाँ रोज की तरह जा रही थीं.. रोमा आज अकेली ही थी.. नीरज को देख कर वो उसके पास रुक गई।

रोमा- सुनिए.. मैं कितने दिन से आपको देख रही हूँ.. आप रोज यहाँ आते हो.. मेरी बात मानो वो कोई लड़का है.. जो फेक आईडी से आपको उल्लू बना रहा था.. कोई पूजा नहीं है.. आप क्यों अपना वक्त बर्बाद कर रहे हो।
नीरज- अगर तुम्हारी बात गलत हुई तो..! पूजा मुझे देखने यहाँ आ गई तो..! नहीं.. नहीं.. मैं अपनी पूजा को धोखा नहीं दे सकता..

रोमा- आप बहुत अच्छे इंसान हो.. आजकल कौन ऐसा सच्चा प्यार करता है.. आप मानो या ना मानो.. पूजा नाम की कोई लड़की नहीं है।
नीरज- ठीक है तुम्हारी बात मान लेता हूँ.. मैं वापस चला जाऊँगा.. अगर तुम्हें एतराज़ ना हो.. तो मैं तुम्हें घर तक छोड़ दूँ..

रोमा मन ही मन में नीरज को दिल दे बैठी थी। उसने फ़ौरन 'हाँ' कर दी।
नीरज ने उसे गाड़ी में बैठाया और मीठी-मीठी बातें करके उससे दोस्ती कर ली। उसने मोना का नम्बर भी ले लिया।

चलो दोस्तो, नीरज ने भी लड़की पटा ही ली.. अब जल्दी इसका 'काम' भी शुरू हो ही जाएगा.. अब चलो राधे का हाल जान लेते हैं।

शाम को दिलीप जी के हाथ में बैग था.. वो शायद कहीं जा रहे थे।
मीरा- पापा आप अपना ख्याल रखना.. आप कब तक आ जाओगे?

दिलीप जी- अरे मैं काम के सिलसिले में जा रहा हूँ.. 4-5 दिन में आ जाऊँगा.. बस तुम दोनों अपना ख्याल रखना..
दिलीप जी के जाने के बाद मीरा के चेहरे पर ख़ुशी के भाव साफ नज़र आ रहे थे।
राधे भी उसको देख कर मुस्कुरा दिया।

मीरा- राधे.. चलो जल्दी से खाना खा लो आज एक शादी में जाना है.. जल्दी करो देर हो जाएगी।

राधे- क्या.. किसकी शादी में जाना है? यार ये अचानक से तुमको क्या हो गया.. कहाँ जाना है..? खाना खाकर किस की शादी में जाया जाता है.?
मीरा- तुमको मेरी कसम है.. कोई बहस नहीं जो कहूँ.. बिना कोई सवाल पूछे बस करते जाओ.. ओके..
राधे- ओके मेरी जान.. अब नो सवाल.. बस काम.. चलो खाना खा लेते हैं।

दोनों ने जल्दी से खाना खाया.. उसके बाद मीरा ने राधे को कहा- चलो अब जल्दी से नहा लो.. और हाँ नहाते समय अपने बाल भी साफ कर लेना।

राधे- ओये होये.. मेरी जान क्या इरादा है.. आज तो मज़ा आ जाएगा.. लगता है मेरी मुराद पूरी हो जाएगी।

मीरा- बस ज़्यादा उछलो मत.. उस दिन लौड़ा चूस रही थी.. तो बाल बीच में आ रहे थे.. आज अगर तुमने मेरी सारी बात मानी.. तो लौड़ा चूस कर मज़ा दे दूँगी.. इसके आगे सोचना भी मत..
राधे- अरे मेरी जान.. ये ही बहुत है.. तेरे मुलायम होंठ भी किसी कुँवारी चूत से कम नहीं हैं.. बस अभी गया और अभी आया..

राधे नहाने में मस्त हो गया और मीरा अलमारी से कुछ कपड़े निकालने लगी।
एक बैग देख कर उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई।
राधे जब बाहर आया तो मीरा ने उसे देख कर एक कटीली मुस्कान दी।

राधे- क्या हुआ मेरी जान.. बड़ी क़ातिल मुस्कान दे रही हो?
मीरा- कुछ नहीं.. अब जल्दी से ये ड्रेस पहन लो.. मैं तब तक नहा कर आती हूँ..

राधे ने जब बैग में देखा.. तो चौंक गया.. उसमे एक शेरवानी थी।

राधे- अरे ये कहाँ से आई.. और शादी मेरी थोड़े है.. जो मैं ऐसे कपड़े पहनूँ.. तुम ये लाई कहाँ से हो?
मीरा- ये मैंने आज ही लिया है.. तुम जब बाहर चले गए थे तब.. अब बहस मत करो.. बस पहन लो.. मैं नहाकर आती हूँ।

मीरा चली गई और राधे तैयार होने लगा.. आधा घंटा बाद मीरा भी नहाकर बाहर आ गई.. उसने अपने जिस्म पर बस एक तौलिया ही बाँध रखा था।
 
Wake Up To Reality
799
3,642
125
अपडेट 14
अब आगे..
राधे- हाय.. मेरी जान.. ऐसी बिजलियाँ मत गिराओ.. अपने दीवाने पर.. नहीं तो कोई गुस्ताखी हो जाएगी।
मीरा- बस ज़्यादा मत बोलो.. आज तुम्हें एक तोहफा मिलेगा.. सब्र करो..
मीरा कमरे में चली गई और अन्दर से लॉक लगा लिया और रेडी होने लगी। राधे बाहर बैठा बस सोच रहा था.. किसकी शादी में जाना है आज.. क्या हो गया मीरा को.. क्या तोहफा देगी यह?
इन्हीं ख्यालों में आधा घंटा निकल गया.. जब राधे का सब्र टूट गया तो वो दरवाजे के पास खड़ा हो गया।
राधे- अरे मीरा.. सो गई क्या.. कितनी देर हो गई है?
मीरा- बस तैयार हो गई हूँ.. अब तुम मेरे प्यारे जानू हो ना.. तो प्लीज़ मेरी एक बात मानोगे? मैं दरवाजा खोल रही हूँ.. तुम अपनी आँखें बन्द रखना.. प्लीज़.. प्लीज़!
राधे- अब क्या करोगी तुम.. चलो आ जाओ.. मेरी आँखें बन्द हैं…
मीरा ने धीरे से दरवाजा खोला.. राधे आँखें बन्द किए खड़ा था। मीरा ने जल्दी से काली पट्टी उसकी आँखों पर बाँध दी।
राधे- अरे.. ये क्या कर रहो हो तुम.. क्या हुआ बोलो तो!
मीरा- ससस्स.. चुप रहो.. बोलो मत.. आज तुम्हें तोहफा मिलेगा.. अब चुपचाप मेरे साथ कमरे में अन्दर चलो।
राधे कुछ नहीं बोला और मीरा उसे अन्दर ले गई।
मीरा- राधे आज के दिन के लिए मैंने तुम्हें बताया था ना.. दरअसल आज किसी और की नहीं.. हमारी शादी होगी।
राधे- क्क्क..क्या.. लेकिन ये सब कैसे होगा.. मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा?
मीरा- देखो जरूरी नहीं कि पंडित मन्त्र पढ़े और हम अग्नि के सात फेरे लें.. तभी शादी होगी.. अगर हम सच्चे दिल से एक-दूसरे को अपना जीवन साथी मान लें.. तो भी शादी हो जाती है।
राधे- हाँ जान.. बात तो सही है.. चलो आज हम ऐसे ही शादी कर लेते हैं.. बताओ मुझे क्या करना है?
मीरा ने राधे को कसमें दिलाईं और दिल से दोनों ने एक-दूसरे को अपना मान लिया। मीरा बहुत खुश थी कि आज उसका सपना पूरा हो गया है।


राधे- जानेमन.. अब शादी तो हो गई.. मुझे तुमने दूल्हा बना कर बैठा दिया.. अब तो मेरी आँख खोल दो.. ताकि मैं अपनी दुल्हन को देख सकूं।
मीरा- रूको थोड़ी देर.. मुझे पहले ठीक से बैठ जाने दो।
राधे ने कहा- ठीक है..

उसके बाद मीरा ने उसको कहा- अब अपनी पट्टी खोल दो और देख लो अपनी दुल्हन को..
राधे ने जब आँखें खोलीं.. उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.. क्योंकि मीरा बिस्तर पर बैठी थी.. उसने लाल रंग की बहुत खूबसूरत साड़ी पहनी हुई थी.. और घूँघट निकाल रखा था।

राधे- वाह.. मेरी जान.. मान गया तुम्हें.. मज़ा आ गया.. तुम सच में इस साड़ी में बहुत खूबसूरत लग रही हो। अब अपना चाँद सा मुखड़ा भी दिखा दो..

मीरा शर्मा रही थी और राधे उसके पास जाकर बैठ गया। उसका घूँघट हटाया उसकी तारीफ की और एक लंबा सा चुम्बन उसको कर दिया।

मीरा- लो आज मैं कुछ नहीं कहूँगी.. बना लो मुझे अपना.. कर लो अपनी चाहत पूरी.. आज हमारी सुहागरात है.. डाल दो अपना लौड़ा चूत में.. कर दो मुझे बेहाल.. अब मैं तुम्हारी हूँ..
राधे- हाँ मेरी जान.. आज तुम्हारी सील तोड़ कर.. तुझे लड़की से औरत बना दूँगा.. मगर ये शादी तो पहले भी हो सकती थीं.. फिर इन्तजार क्यों?

मीरा- बुद्धू राम.. पापा के रहते शादी तो हो जाती.. मगर सुहागरात कैसे होती.. मुझे पता है.. पहली बार चुदाई में बड़ा दर्द होता है.. अब दर्द होगा.. तो चीखें भी निकलेगीं.. और पापा के रहते में कैसे चीख पाती?
राधे- अरे किसने कहा कि दर्द होगा.. मैं अपनी जान को बड़े प्यार से चोदूँगा ना.. और थोड़ा दर्द होगा तो मैं अपने होंठों से तुम्हारे होंठ बन्द कर दूँगा..

मीरा- बस बस.. मुझे उल्लू मत बनाओ.. तुम्हारा घोड़े जैसा लौड़ा.. जब मेरी छोटी सी चूत में जाएगा.. तो मेरी जान निकल जाएगी.. और जो चीखें मेरी निकलेगीं ना.. उसका अंदाज़ा तुम नहीं लगा सकते। अब पापा के रहते मैं कैसे चुदवा लेती?

राधे- ओये होये.. मेरी जान को सब पता है.. लेकिन मैं मुँह बन्द कर दूँगा तो चीखें कहाँ से निकलेगीं?
मीरा- अरे पागल मुझे चीखना है.. मुँह बन्द नहीं करना.. यही मेरा सपना है.. कि बस ज़ोर-ज़ोर से चीखूँ.. मैं अपनी सील तुड़ाई वाली चुदाई को खूब एँजाय करूँ.. अब ज़्यादा बातें मत करो.. आ जाओ.. जब से तुम्हारा लौड़ा देखा है.. मेरी चूत हरदम पानी-पानी रहती है।
राधे- क्या बात है मीरा.. इतना कंट्रोल किया तुमने.. चल आजा आज तेरी चूत के चीथड़े उड़ा देता हूँ..

राधे मीरा को प्यार करने लगा.. धीरे-धीरे उसकी साड़ी निकाल दी.. उसका गोरा पेट चूमने लगा.. अब ब्लाउज और पेटीकोट भी निकाल दिया। मीरा बस लाल रंग की ब्रा-पैन्टी में थी। उसका कसा हुआ जिस्म.. राधे को पागल बना रहा था। उसका लौड़ा बाहर आने को बेताब हो रहा था।

मीरा- आह्ह.. रूको मेरे आशिक.. मुझे पूरी नंगी कर दोगे क्या.. अपने कपड़े भी तो निकालो।

मीरा के कहने भर की देर थी कि राधे ने अंडरवियर के अलावा सब कुछ उतार दिया, अब दोनों बिस्तर पर एक-दूसरे की बाँहों में चुम्मा-चाटी कर रहे थे, राधे होंठों से लेकर चूत तक अपने होंठों की छाप छोड़ रहा था।

मीरा- आह्ह.. ससस्स.. उईईइ.. मज़ा आ रहा सस्सस्स है.. करो आह्ह.. अब बर्दास्त नहीं होता.. निकाल दो ब्रा को.. कर दो आ..आज़ाद मेरे मम्मों को.. आह्ह.. चूस लो आह्ह.. इनका पूरा रस.. आह्ह..

राधे ने ब्रा अलग कर दी.. अब वो मीरा के मम्मों को रगड़ने लगा। उनको दबा-दबा कर चूसने लगा.. जैसे उनमें से आज सारा दूध निकाल कर पी जाएगा।
अब उसने पैन्टी भी निकाल दी और बरफी जैसी चिकनी चूत को होंठों में दबा कर चूसने लगा।

मीरा- आह आईईइ.. मर गई मैं आह्ह.. चूसो आह्ह.. राधे उईह.. आज मुझे अपनी रानी आ बना लो आह्ह..

राधे का लौड़ा कड़क होकर चड्डी फाड़ने को बेताब था.. तो राधे ने उसको आज़ाद कर दिया।
अब दो नंगे जिस्म एक-दूसरे को अपनी ओर खींच रहे थे।

राधे ने चूत को चाटना बन्द कर दिया और लौड़े को मीरा के मुँह के पास ले गया।

राधे- जान आँखें खोलो और देखो तुम्हारा अरमान.. तुम्हारे सामने है.. चूस लो इसे.. कर दो इसे इतना गीला.. कि जब तुम्हारी चूत में ये जाए.. तो बस 'स्ररर' से घुसता चला जाए.. तुम्हें ज़रा भी तकलीफ़ ना हो..

मीरा ने आँखें खोलीं तो लौड़ा ठीक उसके होंठों के पास था.. बिना झाँटों के चमक रहा था।

मीरा- आह्ह.. मेरे आशिक.. चूत को छोड़ क्यों दिया.. आह्ह.. बहुत आग लगी है.. उफ़.. लाओ लौड़ा मेरे मुँह में घुसा दो.. आह्ह.. आज इसको चूस कर मज़ा लूँगी।

राधे ने लौड़ा मुँह में घुसा दिया.. अब पोज़ ऐसा था कि राधे मीरा के सीने पर बैठा उसके मुँह को चोद रहा था। मीरा बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गई थी.. उसकी चूत रिसने लगी थी और राधे के लौड़े से भी पानी की बूँदें आने लगी थीं..
राधे- आह.. चूस मेरी रानी उफ.. काट मत आह्ह.. आज मेरे लौड़े को सुकून मिल जाएगा.. आह्ह.. तेरी कच्ची चूत में जाकर आह्ह..

अब दोनों का ऐसा हाल था कि बस पूछो मत.. राधे तो फिर भी ठीक है.. मीरा की चूत तो आग उगलने को बेताब थी।

मीरा ने लौड़ा मुँह से निकाल दिया और अपनी चूत राधे के सामने कर दी..
मीरा- आह्ह.. राधे अब बर्दास्त नहीं होता उफ़.. मेरा पानी निकलने वाला है.. आह्ह.. अब घुसा दो अपना लौड़ा.. मेरी चूत में आह्ह..

राधे समझ गया कि अब लोहा गर्म है.. सही मौका है चोट मारने का.. उसने मीरा के पैर फैला दिए.. कमर के नीचे एक तकिया रख दिया.. जिससे उसकी चूत का उभार ऊपर आ गया। अब राधे ने अपना मोटा लंड चूत के मुहाने पर टिका दिया और धीरे-धीरे चूत की दरार पर रगड़ने लगा।

मीरा- आह्ह.. उइ मत तड़पाओ.. आह्ह.. बस घुसा दो.. उई चूत की खुजली बढ़ती जा रही है.. प्लीज़ आह्ह.. ससस्स..

राधे- बस मेरी जान.. अब बदन को ढीला छोड़ दो.. मेरा लौड़ा अब तेरी चूत की गहराई नापने को रेडी है।
 
Newbie
54
113
35
अपडेट 14
अब आगे..
राधे- हाय.. मेरी जान.. ऐसी बिजलियाँ मत गिराओ.. अपने दीवाने पर.. नहीं तो कोई गुस्ताखी हो जाएगी।
मीरा- बस ज़्यादा मत बोलो.. आज तुम्हें एक तोहफा मिलेगा.. सब्र करो..
मीरा कमरे में चली गई और अन्दर से लॉक लगा लिया और रेडी होने लगी। राधे बाहर बैठा बस सोच रहा था.. किसकी शादी में जाना है आज.. क्या हो गया मीरा को.. क्या तोहफा देगी यह?
इन्हीं ख्यालों में आधा घंटा निकल गया.. जब राधे का सब्र टूट गया तो वो दरवाजे के पास खड़ा हो गया।
राधे- अरे मीरा.. सो गई क्या.. कितनी देर हो गई है?
मीरा- बस तैयार हो गई हूँ.. अब तुम मेरे प्यारे जानू हो ना.. तो प्लीज़ मेरी एक बात मानोगे? मैं दरवाजा खोल रही हूँ.. तुम अपनी आँखें बन्द रखना.. प्लीज़.. प्लीज़!
राधे- अब क्या करोगी तुम.. चलो आ जाओ.. मेरी आँखें बन्द हैं…
मीरा ने धीरे से दरवाजा खोला.. राधे आँखें बन्द किए खड़ा था। मीरा ने जल्दी से काली पट्टी उसकी आँखों पर बाँध दी।
राधे- अरे.. ये क्या कर रहो हो तुम.. क्या हुआ बोलो तो!
मीरा- ससस्स.. चुप रहो.. बोलो मत.. आज तुम्हें तोहफा मिलेगा.. अब चुपचाप मेरे साथ कमरे में अन्दर चलो।
राधे कुछ नहीं बोला और मीरा उसे अन्दर ले गई।
मीरा- राधे आज के दिन के लिए मैंने तुम्हें बताया था ना.. दरअसल आज किसी और की नहीं.. हमारी शादी होगी।
राधे- क्क्क..क्या.. लेकिन ये सब कैसे होगा.. मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा?
मीरा- देखो जरूरी नहीं कि पंडित मन्त्र पढ़े और हम अग्नि के सात फेरे लें.. तभी शादी होगी.. अगर हम सच्चे दिल से एक-दूसरे को अपना जीवन साथी मान लें.. तो भी शादी हो जाती है।
राधे- हाँ जान.. बात तो सही है.. चलो आज हम ऐसे ही शादी कर लेते हैं.. बताओ मुझे क्या करना है?
मीरा ने राधे को कसमें दिलाईं और दिल से दोनों ने एक-दूसरे को अपना मान लिया। मीरा बहुत खुश थी कि आज उसका सपना पूरा हो गया है।


राधे- जानेमन.. अब शादी तो हो गई.. मुझे तुमने दूल्हा बना कर बैठा दिया.. अब तो मेरी आँख खोल दो.. ताकि मैं अपनी दुल्हन को देख सकूं।
मीरा- रूको थोड़ी देर.. मुझे पहले ठीक से बैठ जाने दो।
राधे ने कहा- ठीक है..

उसके बाद मीरा ने उसको कहा- अब अपनी पट्टी खोल दो और देख लो अपनी दुल्हन को..
राधे ने जब आँखें खोलीं.. उसकी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा.. क्योंकि मीरा बिस्तर पर बैठी थी.. उसने लाल रंग की बहुत खूबसूरत साड़ी पहनी हुई थी.. और घूँघट निकाल रखा था।

राधे- वाह.. मेरी जान.. मान गया तुम्हें.. मज़ा आ गया.. तुम सच में इस साड़ी में बहुत खूबसूरत लग रही हो। अब अपना चाँद सा मुखड़ा भी दिखा दो..

मीरा शर्मा रही थी और राधे उसके पास जाकर बैठ गया। उसका घूँघट हटाया उसकी तारीफ की और एक लंबा सा चुम्बन उसको कर दिया।

मीरा- लो आज मैं कुछ नहीं कहूँगी.. बना लो मुझे अपना.. कर लो अपनी चाहत पूरी.. आज हमारी सुहागरात है.. डाल दो अपना लौड़ा चूत में.. कर दो मुझे बेहाल.. अब मैं तुम्हारी हूँ..
राधे- हाँ मेरी जान.. आज तुम्हारी सील तोड़ कर.. तुझे लड़की से औरत बना दूँगा.. मगर ये शादी तो पहले भी हो सकती थीं.. फिर इन्तजार क्यों?

मीरा- बुद्धू राम.. पापा के रहते शादी तो हो जाती.. मगर सुहागरात कैसे होती.. मुझे पता है.. पहली बार चुदाई में बड़ा दर्द होता है.. अब दर्द होगा.. तो चीखें भी निकलेगीं.. और पापा के रहते में कैसे चीख पाती?
राधे- अरे किसने कहा कि दर्द होगा.. मैं अपनी जान को बड़े प्यार से चोदूँगा ना.. और थोड़ा दर्द होगा तो मैं अपने होंठों से तुम्हारे होंठ बन्द कर दूँगा..

मीरा- बस बस.. मुझे उल्लू मत बनाओ.. तुम्हारा घोड़े जैसा लौड़ा.. जब मेरी छोटी सी चूत में जाएगा.. तो मेरी जान निकल जाएगी.. और जो चीखें मेरी निकलेगीं ना.. उसका अंदाज़ा तुम नहीं लगा सकते। अब पापा के रहते मैं कैसे चुदवा लेती?

राधे- ओये होये.. मेरी जान को सब पता है.. लेकिन मैं मुँह बन्द कर दूँगा तो चीखें कहाँ से निकलेगीं?
मीरा- अरे पागल मुझे चीखना है.. मुँह बन्द नहीं करना.. यही मेरा सपना है.. कि बस ज़ोर-ज़ोर से चीखूँ.. मैं अपनी सील तुड़ाई वाली चुदाई को खूब एँजाय करूँ.. अब ज़्यादा बातें मत करो.. आ जाओ.. जब से तुम्हारा लौड़ा देखा है.. मेरी चूत हरदम पानी-पानी रहती है।
राधे- क्या बात है मीरा.. इतना कंट्रोल किया तुमने.. चल आजा आज तेरी चूत के चीथड़े उड़ा देता हूँ..

राधे मीरा को प्यार करने लगा.. धीरे-धीरे उसकी साड़ी निकाल दी.. उसका गोरा पेट चूमने लगा.. अब ब्लाउज और पेटीकोट भी निकाल दिया। मीरा बस लाल रंग की ब्रा-पैन्टी में थी। उसका कसा हुआ जिस्म.. राधे को पागल बना रहा था। उसका लौड़ा बाहर आने को बेताब हो रहा था।

मीरा- आह्ह.. रूको मेरे आशिक.. मुझे पूरी नंगी कर दोगे क्या.. अपने कपड़े भी तो निकालो।

मीरा के कहने भर की देर थी कि राधे ने अंडरवियर के अलावा सब कुछ उतार दिया, अब दोनों बिस्तर पर एक-दूसरे की बाँहों में चुम्मा-चाटी कर रहे थे, राधे होंठों से लेकर चूत तक अपने होंठों की छाप छोड़ रहा था।

मीरा- आह्ह.. ससस्स.. उईईइ.. मज़ा आ रहा सस्सस्स है.. करो आह्ह.. अब बर्दास्त नहीं होता.. निकाल दो ब्रा को.. कर दो आ..आज़ाद मेरे मम्मों को.. आह्ह.. चूस लो आह्ह.. इनका पूरा रस.. आह्ह..

राधे ने ब्रा अलग कर दी.. अब वो मीरा के मम्मों को रगड़ने लगा। उनको दबा-दबा कर चूसने लगा.. जैसे उनमें से आज सारा दूध निकाल कर पी जाएगा।
अब उसने पैन्टी भी निकाल दी और बरफी जैसी चिकनी चूत को होंठों में दबा कर चूसने लगा।

मीरा- आह आईईइ.. मर गई मैं आह्ह.. चूसो आह्ह.. राधे उईह.. आज मुझे अपनी रानी आ बना लो आह्ह..

राधे का लौड़ा कड़क होकर चड्डी फाड़ने को बेताब था.. तो राधे ने उसको आज़ाद कर दिया।
अब दो नंगे जिस्म एक-दूसरे को अपनी ओर खींच रहे थे।

राधे ने चूत को चाटना बन्द कर दिया और लौड़े को मीरा के मुँह के पास ले गया।

राधे- जान आँखें खोलो और देखो तुम्हारा अरमान.. तुम्हारे सामने है.. चूस लो इसे.. कर दो इसे इतना गीला.. कि जब तुम्हारी चूत में ये जाए.. तो बस 'स्ररर' से घुसता चला जाए.. तुम्हें ज़रा भी तकलीफ़ ना हो..

मीरा ने आँखें खोलीं तो लौड़ा ठीक उसके होंठों के पास था.. बिना झाँटों के चमक रहा था।

मीरा- आह्ह.. मेरे आशिक.. चूत को छोड़ क्यों दिया.. आह्ह.. बहुत आग लगी है.. उफ़.. लाओ लौड़ा मेरे मुँह में घुसा दो.. आह्ह.. आज इसको चूस कर मज़ा लूँगी।

राधे ने लौड़ा मुँह में घुसा दिया.. अब पोज़ ऐसा था कि राधे मीरा के सीने पर बैठा उसके मुँह को चोद रहा था। मीरा बहुत ज़्यादा उत्तेज़ित हो गई थी.. उसकी चूत रिसने लगी थी और राधे के लौड़े से भी पानी की बूँदें आने लगी थीं..
राधे- आह.. चूस मेरी रानी उफ.. काट मत आह्ह.. आज मेरे लौड़े को सुकून मिल जाएगा.. आह्ह.. तेरी कच्ची चूत में जाकर आह्ह..

अब दोनों का ऐसा हाल था कि बस पूछो मत.. राधे तो फिर भी ठीक है.. मीरा की चूत तो आग उगलने को बेताब थी।

मीरा ने लौड़ा मुँह से निकाल दिया और अपनी चूत राधे के सामने कर दी..
मीरा- आह्ह.. राधे अब बर्दास्त नहीं होता उफ़.. मेरा पानी निकलने वाला है.. आह्ह.. अब घुसा दो अपना लौड़ा.. मेरी चूत में आह्ह..

राधे समझ गया कि अब लोहा गर्म है.. सही मौका है चोट मारने का.. उसने मीरा के पैर फैला दिए.. कमर के नीचे एक तकिया रख दिया.. जिससे उसकी चूत का उभार ऊपर आ गया। अब राधे ने अपना मोटा लंड चूत के मुहाने पर टिका दिया और धीरे-धीरे चूत की दरार पर रगड़ने लगा।

मीरा- आह्ह.. उइ मत तड़पाओ.. आह्ह.. बस घुसा दो.. उई चूत की खुजली बढ़ती जा रही है.. प्लीज़ आह्ह.. ससस्स..

राधे- बस मेरी जान.. अब बदन को ढीला छोड़ दो.. मेरा लौड़ा अब तेरी चूत की गहराई नापने को रेडी है।
Bahot hi badhiya update toh ab hoga meera ka sapna sach
 

Top