Romance मै सिर्फ तुम्हारा हूँ

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अस्वीकरण
इस कहानी के सभी पात्र , घटनाए , स्थान सब कुछ लेखक के दिमाग की बिना परिवार नियोजन वाली प्रजनन प्रक्रिया का नतिजा है ।
इसे अन्यथा ना ले क्योकि लेखक बहुत ही ढीठ और बेशरम है , टिप्पणिओं मे ही आपकी ले लेगा और आप किंकर्तव्यविमूढ़ होकर रह जायेंगे ।
धन्यवाद
 
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ᴋɪɴᴋʏ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ
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UPDATE 006


कहानी मे अब आप सभी ने पढा कि 3D भैया के प्यार की रैली कैसे उनके पिता के भवन पर खड़ी हुई प्रोटेस्ट कर रही है ,, लेकिन हरिशंकर दुबे शख्त प्रबंधन वाले है ऐसे थोडी ना घुटने टेक देन्गे ।
इधर शुक्ला भवन मे आयुष बाबू चारु की चुटिया की ऐसी मार पड़ी कि अभी तक औंधे पड़े हुए है और वही मीरा अपनी उम्मीदो की एजेंडा लेके अपने पार्टी कार्यालय पहुच रही है । देखते है मीरा शुक्ला नाम की इस विकास की आन्धी को आशिष शुक्ला अपना समर्थन देते है कि नही ।

तो बोलो -

विकास की चाभी , मीरा भाभी ।
विकास की चाभी , मीरा भाभी ।


अब आगे


वोट बैंक की राजनीति

मीरा कमरे मे दूध का ग्लास लेके प्रवेश करती है ।
इस वक़्त आशीष जी टीवी पर दुनिया जमाने की खोज खबर ले रहे थे और उन्हे पता ही नही कि मीरा कमरे मे आ गयी है ।

मीरा आशिष को सोफे पे टीवी मे लगा देख मुस्कुराई और दबे पाव आईने के सामने पहुची
थोडा जुल्फो को बिखेरा , कंगन , झुमके - नथनी , पायल सब कुछ उतार कर जिस्म पर से बोझ कम किया ।
साडी के कन्धे की आलपिन भी निकाल दी और पल्लू को ढील देके लो-कट गले का ब्लाउज निचे से खिच कर जोबनो मे सांस भरी । फिर पास पड़ी इत्र की सीसी को गले के पास स्प्रे कर एक बार आईने मे खुद निहार कर वापस से दूध का ग्लास लेके आशिष बाबू की ओर बढ़ गयी ।

आशिष जी तो आम आदमी की तरह रोज की दिनचर्या के हिसाब से अपना मन लगाये टीवी मे व्यस्त थे कि बांयी तरफ से मीरा बिल्कुल सट कर सामने की ओर झुकते हुए हाथ बढ़ा कर दूध का ग्लास आगे किया

मीरा मुस्कुरा कर - दूध
इत्र की खुस्बु ने और बीवी की मीठी आवाज आशिष जी भा गयी और इधर तो मीरा ने जैसे अपने भष्ट्राचारी पल्लू से डील की थी कि शुक्ला जी घुमे और तुम सरक लेना , आखिर पार्टी की अच्छाईया भी तो दिखनी चाहिये वोटर को ।

हुआ भी वही
जहा आशिष मीरा के हाथ से दूध का ग्लास लेते और वही साड़ी का पल्लू कन्धे से सरक कर मीरा की कलाई मे आ गयी ।

आशिष की नजरे पहले लो-कट ब्लाउज के गले के डिजाईन को देखकर पार्टी के उतार चढ़ाव का भरपूर मुआयना कर मीरा के शरारती नजरो से टकराती है ।
जिससे आशिष-मीरा एक साथ मुस्कुराये और उन्होने मीरा के हाथ से दूध का ग्लास ले लिया ।

मीरा खड़ी हुई और पल्लू को समेट कर कमर मे खोसा और वापस बिस्तर की ओर

आशिष बाबू एक नजर मीरा को देखा और मुस्कुराते हुए टीवी देखने लगे । मगर जैसे ही उन्होने दूध की सिप ली कुछ याद आया और वो चहके
दूध का ग्लास सामने टेबल पर रखा और मीरा की ओर लपके

इस भागा दौडी का कारण ये थे कि ये हमारी सेक्सी सुशील और शर्मिली उम्मीदवार श्री मती मीरा शुक्ला ने अपना और अपने पति का एक रोमांस कोड दिया हुआ था । अमूमन तौर पर वो दूध का ग्लास तब ही लेके आती थी जब कुछ मेल मिलाप का मन रहता हो । ठीक है वैसे ही जब नेताओ को वोट की जरुरत पर अपने कर्तव्यो की याद आती है ।

अब एक मध्यम वर्गीय परिवार का शादीशुदा व्यकित यानी आशिष शुक्ला जी जो रोज मर्रा की जरुरतो मे इतना फसे रहते है , दिन भर की कलेश ,दुकान की झिकझिक और काम के थकान के कारण काफी समय से आशिष बाबू मीरा के साथ बिस्तर के पापड़ का चुरा नही किये थे।
ना जाने कितने हफ्तो से बेडशिट पर सीलवटे नही आई थी ।
मगर आज नही
शुक्ला जी फटाफट बिस्तर की ओर लपके और मीरा को अपनी बाहों मे भर के ,,,,,

खैर जाने दीजिये वो सब तो व्यकितगत बाते है
हम लोग ठहरे मुद्देवादी लोग, कहा ये थकान भरी उठापटक वाली राजनीतिक एजेण्डे से हमारा लेना देना
क्या हुआ कैसे हुआ
क्या टूटा क्या बचा
कहा दर्द कहा मजा
जैसे भी हो परिणाम एक ही होना था
आशिष बाबू की बाहो मे मीरा लिपटी हुई अपने दिल के अरमान को नये बहानो और कुछ चटपटे कहानियो जोड कर बताना शुरु कर दी ।

मीरा - हे जी , जे आपको एक बात बतानी हैगी

आशिष बाबू तो मनमुग्ध थे मीरा पर - हा बोल ना

मीरा - उ बबुआ को लेके है
आशिष बाबू को आयुष के लिए बडी चिन्ता रहती ही थी तो थोडा डर थोडी उत्सुकता से - का बात मीरा बताओ हमको

मीरा - जे आप तो जान ही रहे हैगे कि आज सुबह ही चौबेपुर वाली बुआ आई है और उकी मुड़ी चारु भी

आशिष - हा तो
मीरा हस कर - जे हम चोरी छिपे देखे रहे कि बबुआ उको हमेशा निहारत रहत है हिहिही

अशीष अचरज से - किसको बुआ को !!!
मीरा - धत्त , ऊ मुड़ी चारु को, हमका तो ऊ दोनो की जोडी बहुत अच्छी लागत , तू का कहत हो

आशिष - लयिकी अच्छी है मीरा ,, लेकिन उ अपने बबुआ के टाइप की ना है

मीरा - जे आप कह रहे हो कि बबुआ की टाइप की ना है औ बबुआ खुद उको अपना कमरे मे बिठा के बात करत है देरी तक

आशिष - लेकिन बात करने से इ थोडी ना होत है कि बबुआ उको परसन्द करत है

मीरा तुनक कर- जे आप को तो हमायी कोनो बात पर भरोसो ही ना रहो होगो
और वो अशिष से अलग हो कर उसकी ओर पीठ कर लेती है

आशिष मुस्कुरा कर उसको पीछे से पकड कर - अच्छा ठीक है ठीक है , हम देखत है कल बाऊजी से बात करत है चारु और आयुष को लेके
मीरा खुश हो कर घूम कर आशिष से चिपक जाती है ।


बहुमत की तैयारियाँ

इधर एक तरफ जहा मीरा को अपनी योजना मे कामयाब हो गयी थी ,वही आयुष बाबू भी चारु के अदाओ के चाटे से उभर चुके थे और कुछ उलझे विचारो से हुए ही दूध का ग्लास खतम कर सो गये ।

अगली सुबह मीरा खोज खबर लेने चारु के पास पहुची और जब उसे रात मे हुए बिगड़े खेल के बारे मे पता चला तो माथा पिट ली
खैर जैसा भी हो लेकिन मीरा शुक्ला बहुत ही धैर्यवान साहसी और दृढ़संकल्पी प्रत्याशी थी तो इतनी जल्दी मैदान कैसे छोड देती ।
बीते समय में हुए गल्तियो को सोचना छोड आगे क्या करना है उसपे विचार की और कुछ नये नखरीले नुसखे उसने चारु को सिखाये ।

चटपटे नास्तो का दौर खतम हुआ और शान्ति देवी अपने कमरे मे सत्संग का लाइव प्रसारण शुरु कर बैठी थी कि मीरा अपनी सास के कमरे मे आती है ।

मीरा - अम्मा उठो तो ,
शान्ति - का हुआ दुल्हीन
मीरा - अम्मा जरा इ भेडशिट बदले का लिये ले जाई रहे है
शान्ति थोडा मुह बिच्काये बिस्तर से उठ कर सोफे पर विराजमान हुई ।
मीरा बेडशिट निकाल कर फ़ोल्ड करते हुए - अम्मा आप एक बात कहे के रही ,, जे कुछ समझ ना आ रहो हो कि कहे कि ना कहे

शान्ति जी ठहरी गृहस्थ महिला बिरादरी वाली अब उनको कहा ये पचने वाला कि उनकी पतोह उनसे कुछ छिपाये

शान्ति जी फटाक से टीवी म्यूट पर डाला और बडे ही जिज्ञासु स्वभाव से मीरा की ओर देख कर - हा बताओ ना दुल्हीन , का बात है

मीरा मुस्कुरा कर - अरे छोडो अम्मा , जवानी मे ये सब गलती सबहे से होत है

शान्ति देवी के शक के पारे की सुई आयुष बाबू की ओर घूमी - का हुआ बबुआ को लेके कौनौ बात है का दुल्हीन

मीरा हा मे सर हिला कर मुस्कुराई
शान्ति की बेचैनी और बढी - का बात है दुल्हीन , का गलती कर दिओ बबुआ हमार

मीरा ह्स कर - अरे कोनो खास बात ना हैगी अम्मा ,, उ कल जब से हमायी चौबेपुर वाली बुआ की मुड़ी आई हैगी ना तब से बहुत बार ताक झाक कर रहे हैगे बा के कमरे मे


शान्ति थोडा झेप सी गयी - इ का कही रही हो दुल्हीन , हमार बबुआ अइसा ना है

मीरा हस कर - जे आज कल मूड़न को कम ना समझो अम्मा ,, और हम तो खुश है कि आप बबुआ की शादी के लिए जल्दी कर रहे हो ,,,नाही तो बडे शहर मे ना जाने कौन भईसीया फास ले ,,,औ हमाये बबुआ है भी तो गऊ


मीरा की बात से शान्ति जी को और भी चिन्ता होने लगी
मीरा अपनी सास को परेशान होता देख मुस्कुराई और उनके कन्धे पर हाथ रख कर बोली - अम्मा आप चिन्ता ना करो
सब ठीक होगो

शान्ति चिंतित भाव से - जे कुछ ठीक ना होगो ,,,औ जे बात तू कही हो बिल्कुले ठीक कही हो ,, जे आज कल के लौंडी बहुत शातिर है, राम ना करे कही हमाये आयुष को


शान्ति - ना ना दुल्हिन कुछ जल्द ही करे के पड़ी अब
मीरा इतरा कर - जे छोटा मुह बडी बात कर रहे है अम्मा जी लेकिन हमायी चारु मे कोनो कमी ना हैगी ,, जे आप कहो तो बुआ से

मीरा ने शान्ति को टटोला

शान्ति कुछ सोच कर - जे बात तो तुम सही कह रही हो दुल्हीन ,,,,और तुम्हाये हिसाब से बबुआ उको पसंद भी करत है

मीरा मुस्कुरा कर - हा अम्मा , हमको अपनी हमायी नयकी देवरानी बहुत परसन्द है ,तुम का कहत हओ अम्मा

शान्ति - ठीक है दुल्हीन अब आशिष के बाऊजी से बात करित है फिर हम तुमको बताइत है।



बहुमत और गठबंधन
इधर मीरा शाम दाम दण्ड भेद सबका प्रयोग कर शुक्ला भवन के एक एक वोट को अपनी तरफ कर अपना बहुमत करने की पूरी प्लानिंग कर ली थी ।
वही इस गंदी राजनीति से दुर हमाये शिक्षित , मासूम और इमानदार प्रत्याशि यानी आयुष बाबू तो फिलहाल 3D से फोन पर शॉपिंग की प्लानिंग कर रहे थे और 11 बजे से निकलने का बोल देते है ।
सटीक 11 बजे आयुष बाबू तैयार होकर निचे आते है तो हाल मे चल रही एक गुप्त सभा अचानक से शांत हो जाती है ।
इस सभा की अध्यक्षता कर रही श्री मती मीरा शुक्ला , जो इस वक़्त अभी अभी थोडी देर पहले उनकी पार्टी से जुडी नयी कार्यकर्ता यानी शान्ति शुक्ला के साथ मिलकर , शुक्ला भवन के मुखिया के साथ दुसरी पार्टी यानी चौबेपुर वाली मिश्राईन से गठबन्धन कराने पर गम्भिर चर्चा कर रही थी ।

आयुष - भऊजी हम 3D के साथ शॉपिंग के लिए जा रहे है ,, अभी आ जायेगे

शान्ति - अरे आयुष ,,,जे खाना बन गयो है खा के जाते

मीरा अपनी सास का कन्धा दबा कर चुप रहने का इशारे करती है
आयुष - नही अम्मा , अभी आकर खा लेंगे हम


फिर आयुष निकल जाता है और इनकी सभा फिर से निरविघन चलने लगती है ।
इधर आयुष 3D के साथ निकल जाता है और दोनो एक शॉपिंग माल जाते है और वहा आयूष अपने आरामलायक कुछ प्रोफेशनल सूटस और कुछ कैजुअल ड्रेस लेता है ।

फिर बिल्लिंग के बाद दोनो उसी माल के रेस्तरां मे जाते है और खाने का ओर्डेर देते है ।


3D मस्ति मे - अउर बताओ आईआईटीन बाबू ,, कौन सी ट्रेन पकड़ी रहे हो ,,पूरवा, प्रयागराज, मगध या फिर उ नयकी वाली तेजस


आयुष ह्स के - अरे नही नही यार ,,,कम्पनी ने प्लेन की टिकट करायी है।

3D मुह बनाकर - अबे कर दिये ना गोबर सब तुम

आयुष हस कर - काहे बे
3D - तुम हमको बताओ इ तुमाओ जो पलेन है उ कानपुर से दिल्ली कीतना देर मा पहूचाइ

आयुष ह्स कर - 1 घन्टा 20 मिंट मे
3D- औ ट्रेन
आयुष - कम से कम 6 घन्टा मे
3D - हा फिर कर लिये ना घाटा

आयुष हस कर - अबे कैसा घाटा

3D- गुरू पलेन मे मुते के लिए मौका कम मिलत है इही घाटा है
आयुष ह्स कर - मतलब
3D- अबे तुम इन्जीनियरी कर लिये लेकिन सामाजिक गणित बहुते ही भीक है तुम्हारा

3D- अरे ट्रेन मे जाये का अलग ही मजा है ,,6 घन्टा का सफ़र मा 3 से 4 बारी तो मुतने जाओगे औ उही बहाने पुरे डिब्बा मे कोनो ना कोनो बढिया माल ने नैन मटक्का होई जाई और फिर
तुम अब नौकरी वाले हो गये हो गुरू ,,, औ फ़र्स्ट क्लास एसी वालन डब्बा मे जउन कन्टास माल होत है ना गुरू


आयुष 3D की बात सुन कर - अबे ऐसे थोडी ना किसी भी डिब्बा वाली को हम अपनी प्रेमिका बना लेंगे ,,
आयुष अपनी मनोसंगीनी को अपनी कल्पना मे एक रुप देते हुए - यार 3D हमारी कलपना की लड़की ना ऐसी थोडी होगी । वो तो कुछ अलग होगी , अब तुम पुछोगे तो हम बता नही पायेंगे मतलब जमाने से बिल्कुल अलग , जो भीड़ मे होकर भी भीड़ का हिस्सा नही होगी इतनी अलग
इधर आयुष की बाते खतम हुई नही कि उनका खाना आ गया

3D- अबे छोडो इ प्रेम पुराण औ पेल के खाओ कनपुरिया पेशल थाली ,,, काहे की गुरू तुम हो चार दिन के मेहमान, औ इहा से जाये के बाद सबसे ज्यादा इहे याद आईगा प्यार मुहब्बत नाही
आयुष 3D की बात सुन कर मुस्कुरा देता है ।


घर वापसी के दौरान
3D कुछ सोच कर - अरे गुरू तुमको तो हम एक बात बताना ही भूल गये ,,
आयुष - क्या बताओ बे
3D- अबे आज एक जगह शादी मे जाना है औ हमारा अकेले जाने का बिल्कुले मूड नही है ,,
आयुष हामी भर देता और घर वापस आकर मीरा को सूचना भी दे देता है ।

लेकिन इधर जब आयुष बाबू शॉपिंग रेस्तराँ मे व्यस्त थे उधर शुक्ला भवन मे मीरा का बहूमत हो गया यानी बाहुबली शान्ति देवी के मजबूत दबदबे तथा सुशील , संस्कारी और गुणवान प्रत्याशी मीरा शुक्ला के आश्वाशन पर मनोहर शुक्ला भी पार्टी जॉइन कर चुके थे ।

शाम हुई और रात के भंडारे से पहले फिर पार्टी मिटिंग हुई जिसमे आशिष शुक्ला भी शामिल हुए और तमाम स्वार्थ संबंध मूल्यो को ही ध्यान रख कर ये तय हुआ कि कल सुबह नास्ते के दौरान ही आयुष से बाते की जायेगी ।


गठबन्धन मे एक और गांठ

इधर रात मे आयुष तैयार होकर 3D के साथ शादी मे चला गया और अगली सुबह नास्ते पर शुक्ला भवन मे गठबन्धन की तैयारी चल रही थी ।
इस बार शान्ति शुक्ला की अध्यक्षता मे चल रही इस सभा मे मिश्राइन की पार्टी से उनके कुछ एजेंडे संबन्धि सवाल पुछे गये और गठबन्धन हेतु आर्थिक रूप से कितनी मदद कर सकती है इस पर भी ।


मगर इस सभा के आयोजन की खबर किसी और को भी थी और वो ऐन मौके पर शुक्ला भवन मे प्रवेश करते है ।
कौन थे ? क्या थे ? किस लिये आये थे ?
ये आगे ही पता चलेगा लेकिन इस नये आगन्तुक से पुरे सभा मे सिर्फ मीरा शुक्ला के चेहरे की हवाईया उड़ी हुई थी ,,

जारी रहेगी


🙏
समस्त पाठक बंधुओ के आग्रह है कि आप अपने मत अनुसार इस अपडेट को अपनी भारी से भारी मात्रा मे रेटिंग दे और इस कहानी को लेके अपनी प्रतिक्रिया जरुर व्यक्त करे।
धन्यवाद
Kaha ayush apne khabo ki hasina ke bare me 3D bhai ko batia rha tha aur kaha kothi me meera apna master game khel rhi thi. koi to aesa banda praves kiya tha jise pta tha meera ki kartute , nahi to meera itni gharbrati nhi.
 
R

Riya

UPDATE 006


कहानी मे अब आप सभी ने पढा कि 3D भैया के प्यार की रैली कैसे उनके पिता के भवन पर खड़ी हुई प्रोटेस्ट कर रही है ,, लेकिन हरिशंकर दुबे शख्त प्रबंधन वाले है ऐसे थोडी ना घुटने टेक देन्गे ।
इधर शुक्ला भवन मे आयुष बाबू चारु की चुटिया की ऐसी मार पड़ी कि अभी तक औंधे पड़े हुए है और वही मीरा अपनी उम्मीदो की एजेंडा लेके अपने पार्टी कार्यालय पहुच रही है । देखते है मीरा शुक्ला नाम की इस विकास की आन्धी को आशिष शुक्ला अपना समर्थन देते है कि नही ।

तो बोलो -

विकास की चाभी , मीरा भाभी ।
विकास की चाभी , मीरा भाभी ।


अब आगे


वोट बैंक की राजनीति

मीरा कमरे मे दूध का ग्लास लेके प्रवेश करती है ।
इस वक़्त आशीष जी टीवी पर दुनिया जमाने की खोज खबर ले रहे थे और उन्हे पता ही नही कि मीरा कमरे मे आ गयी है ।

मीरा आशिष को सोफे पे टीवी मे लगा देख मुस्कुराई और दबे पाव आईने के सामने पहुची
थोडा जुल्फो को बिखेरा , कंगन , झुमके - नथनी , पायल सब कुछ उतार कर जिस्म पर से बोझ कम किया ।
साडी के कन्धे की आलपिन भी निकाल दी और पल्लू को ढील देके लो-कट गले का ब्लाउज निचे से खिच कर जोबनो मे सांस भरी । फिर पास पड़ी इत्र की सीसी को गले के पास स्प्रे कर एक बार आईने मे खुद निहार कर वापस से दूध का ग्लास लेके आशिष बाबू की ओर बढ़ गयी ।

आशिष जी तो आम आदमी की तरह रोज की दिनचर्या के हिसाब से अपना मन लगाये टीवी मे व्यस्त थे कि बांयी तरफ से मीरा बिल्कुल सट कर सामने की ओर झुकते हुए हाथ बढ़ा कर दूध का ग्लास आगे किया

मीरा मुस्कुरा कर - दूध
इत्र की खुस्बु ने और बीवी की मीठी आवाज आशिष जी भा गयी और इधर तो मीरा ने जैसे अपने भष्ट्राचारी पल्लू से डील की थी कि शुक्ला जी घुमे और तुम सरक लेना , आखिर पार्टी की अच्छाईया भी तो दिखनी चाहिये वोटर को ।

हुआ भी वही
जहा आशिष मीरा के हाथ से दूध का ग्लास लेते और वही साड़ी का पल्लू कन्धे से सरक कर मीरा की कलाई मे आ गयी ।

आशिष की नजरे पहले लो-कट ब्लाउज के गले के डिजाईन को देखकर पार्टी के उतार चढ़ाव का भरपूर मुआयना कर मीरा के शरारती नजरो से टकराती है ।
जिससे आशिष-मीरा एक साथ मुस्कुराये और उन्होने मीरा के हाथ से दूध का ग्लास ले लिया ।

मीरा खड़ी हुई और पल्लू को समेट कर कमर मे खोसा और वापस बिस्तर की ओर

आशिष बाबू एक नजर मीरा को देखा और मुस्कुराते हुए टीवी देखने लगे । मगर जैसे ही उन्होने दूध की सिप ली कुछ याद आया और वो चहके
दूध का ग्लास सामने टेबल पर रखा और मीरा की ओर लपके

इस भागा दौडी का कारण ये थे कि ये हमारी सेक्सी सुशील और शर्मिली उम्मीदवार श्री मती मीरा शुक्ला ने अपना और अपने पति का एक रोमांस कोड दिया हुआ था । अमूमन तौर पर वो दूध का ग्लास तब ही लेके आती थी जब कुछ मेल मिलाप का मन रहता हो । ठीक है वैसे ही जब नेताओ को वोट की जरुरत पर अपने कर्तव्यो की याद आती है ।

अब एक मध्यम वर्गीय परिवार का शादीशुदा व्यकित यानी आशिष शुक्ला जी जो रोज मर्रा की जरुरतो मे इतना फसे रहते है , दिन भर की कलेश ,दुकान की झिकझिक और काम के थकान के कारण काफी समय से आशिष बाबू मीरा के साथ बिस्तर के पापड़ का चुरा नही किये थे।
ना जाने कितने हफ्तो से बेडशिट पर सीलवटे नही आई थी ।
मगर आज नही
शुक्ला जी फटाफट बिस्तर की ओर लपके और मीरा को अपनी बाहों मे भर के ,,,,,

खैर जाने दीजिये वो सब तो व्यकितगत बाते है
हम लोग ठहरे मुद्देवादी लोग, कहा ये थकान भरी उठापटक वाली राजनीतिक एजेण्डे से हमारा लेना देना
क्या हुआ कैसे हुआ
क्या टूटा क्या बचा
कहा दर्द कहा मजा
जैसे भी हो परिणाम एक ही होना था
आशिष बाबू की बाहो मे मीरा लिपटी हुई अपने दिल के अरमान को नये बहानो और कुछ चटपटे कहानियो जोड कर बताना शुरु कर दी ।

मीरा - हे जी , जे आपको एक बात बतानी हैगी

आशिष बाबू तो मनमुग्ध थे मीरा पर - हा बोल ना

मीरा - उ बबुआ को लेके है
आशिष बाबू को आयुष के लिए बडी चिन्ता रहती ही थी तो थोडा डर थोडी उत्सुकता से - का बात मीरा बताओ हमको

मीरा - जे आप तो जान ही रहे हैगे कि आज सुबह ही चौबेपुर वाली बुआ आई है और उकी मुड़ी चारु भी

आशिष - हा तो
मीरा हस कर - जे हम चोरी छिपे देखे रहे कि बबुआ उको हमेशा निहारत रहत है हिहिही

अशीष अचरज से - किसको बुआ को !!!
मीरा - धत्त , ऊ मुड़ी चारु को, हमका तो ऊ दोनो की जोडी बहुत अच्छी लागत , तू का कहत हो

आशिष - लयिकी अच्छी है मीरा ,, लेकिन उ अपने बबुआ के टाइप की ना है

मीरा - जे आप कह रहे हो कि बबुआ की टाइप की ना है औ बबुआ खुद उको अपना कमरे मे बिठा के बात करत है देरी तक

आशिष - लेकिन बात करने से इ थोडी ना होत है कि बबुआ उको परसन्द करत है

मीरा तुनक कर- जे आप को तो हमायी कोनो बात पर भरोसो ही ना रहो होगो
और वो अशिष से अलग हो कर उसकी ओर पीठ कर लेती है

आशिष मुस्कुरा कर उसको पीछे से पकड कर - अच्छा ठीक है ठीक है , हम देखत है कल बाऊजी से बात करत है चारु और आयुष को लेके
मीरा खुश हो कर घूम कर आशिष से चिपक जाती है ।


बहुमत की तैयारियाँ

इधर एक तरफ जहा मीरा को अपनी योजना मे कामयाब हो गयी थी ,वही आयुष बाबू भी चारु के अदाओ के चाटे से उभर चुके थे और कुछ उलझे विचारो से हुए ही दूध का ग्लास खतम कर सो गये ।

अगली सुबह मीरा खोज खबर लेने चारु के पास पहुची और जब उसे रात मे हुए बिगड़े खेल के बारे मे पता चला तो माथा पिट ली
खैर जैसा भी हो लेकिन मीरा शुक्ला बहुत ही धैर्यवान साहसी और दृढ़संकल्पी प्रत्याशी थी तो इतनी जल्दी मैदान कैसे छोड देती ।
बीते समय में हुए गल्तियो को सोचना छोड आगे क्या करना है उसपे विचार की और कुछ नये नखरीले नुसखे उसने चारु को सिखाये ।

चटपटे नास्तो का दौर खतम हुआ और शान्ति देवी अपने कमरे मे सत्संग का लाइव प्रसारण शुरु कर बैठी थी कि मीरा अपनी सास के कमरे मे आती है ।

मीरा - अम्मा उठो तो ,
शान्ति - का हुआ दुल्हीन
मीरा - अम्मा जरा इ भेडशिट बदले का लिये ले जाई रहे है
शान्ति थोडा मुह बिच्काये बिस्तर से उठ कर सोफे पर विराजमान हुई ।
मीरा बेडशिट निकाल कर फ़ोल्ड करते हुए - अम्मा आप एक बात कहे के रही ,, जे कुछ समझ ना आ रहो हो कि कहे कि ना कहे

शान्ति जी ठहरी गृहस्थ महिला बिरादरी वाली अब उनको कहा ये पचने वाला कि उनकी पतोह उनसे कुछ छिपाये

शान्ति जी फटाक से टीवी म्यूट पर डाला और बडे ही जिज्ञासु स्वभाव से मीरा की ओर देख कर - हा बताओ ना दुल्हीन , का बात है

मीरा मुस्कुरा कर - अरे छोडो अम्मा , जवानी मे ये सब गलती सबहे से होत है

शान्ति देवी के शक के पारे की सुई आयुष बाबू की ओर घूमी - का हुआ बबुआ को लेके कौनौ बात है का दुल्हीन

मीरा हा मे सर हिला कर मुस्कुराई
शान्ति की बेचैनी और बढी - का बात है दुल्हीन , का गलती कर दिओ बबुआ हमार

मीरा ह्स कर - अरे कोनो खास बात ना हैगी अम्मा ,, उ कल जब से हमायी चौबेपुर वाली बुआ की मुड़ी आई हैगी ना तब से बहुत बार ताक झाक कर रहे हैगे बा के कमरे मे


शान्ति थोडा झेप सी गयी - इ का कही रही हो दुल्हीन , हमार बबुआ अइसा ना है

मीरा हस कर - जे आज कल मूड़न को कम ना समझो अम्मा ,, और हम तो खुश है कि आप बबुआ की शादी के लिए जल्दी कर रहे हो ,,,नाही तो बडे शहर मे ना जाने कौन भईसीया फास ले ,,,औ हमाये बबुआ है भी तो गऊ


मीरा की बात से शान्ति जी को और भी चिन्ता होने लगी
मीरा अपनी सास को परेशान होता देख मुस्कुराई और उनके कन्धे पर हाथ रख कर बोली - अम्मा आप चिन्ता ना करो
सब ठीक होगो

शान्ति चिंतित भाव से - जे कुछ ठीक ना होगो ,,,औ जे बात तू कही हो बिल्कुले ठीक कही हो ,, जे आज कल के लौंडी बहुत शातिर है, राम ना करे कही हमाये आयुष को


शान्ति - ना ना दुल्हिन कुछ जल्द ही करे के पड़ी अब
मीरा इतरा कर - जे छोटा मुह बडी बात कर रहे है अम्मा जी लेकिन हमायी चारु मे कोनो कमी ना हैगी ,, जे आप कहो तो बुआ से

मीरा ने शान्ति को टटोला

शान्ति कुछ सोच कर - जे बात तो तुम सही कह रही हो दुल्हीन ,,,,और तुम्हाये हिसाब से बबुआ उको पसंद भी करत है

मीरा मुस्कुरा कर - हा अम्मा , हमको अपनी हमायी नयकी देवरानी बहुत परसन्द है ,तुम का कहत हओ अम्मा

शान्ति - ठीक है दुल्हीन अब आशिष के बाऊजी से बात करित है फिर हम तुमको बताइत है।



बहुमत और गठबंधन
इधर मीरा शाम दाम दण्ड भेद सबका प्रयोग कर शुक्ला भवन के एक एक वोट को अपनी तरफ कर अपना बहुमत करने की पूरी प्लानिंग कर ली थी ।
वही इस गंदी राजनीति से दुर हमाये शिक्षित , मासूम और इमानदार प्रत्याशि यानी आयुष बाबू तो फिलहाल 3D से फोन पर शॉपिंग की प्लानिंग कर रहे थे और 11 बजे से निकलने का बोल देते है ।
सटीक 11 बजे आयुष बाबू तैयार होकर निचे आते है तो हाल मे चल रही एक गुप्त सभा अचानक से शांत हो जाती है ।
इस सभा की अध्यक्षता कर रही श्री मती मीरा शुक्ला , जो इस वक़्त अभी अभी थोडी देर पहले उनकी पार्टी से जुडी नयी कार्यकर्ता यानी शान्ति शुक्ला के साथ मिलकर , शुक्ला भवन के मुखिया के साथ दुसरी पार्टी यानी चौबेपुर वाली मिश्राईन से गठबन्धन कराने पर गम्भिर चर्चा कर रही थी ।

आयुष - भऊजी हम 3D के साथ शॉपिंग के लिए जा रहे है ,, अभी आ जायेगे

शान्ति - अरे आयुष ,,,जे खाना बन गयो है खा के जाते

मीरा अपनी सास का कन्धा दबा कर चुप रहने का इशारे करती है
आयुष - नही अम्मा , अभी आकर खा लेंगे हम


फिर आयुष निकल जाता है और इनकी सभा फिर से निरविघन चलने लगती है ।
इधर आयुष 3D के साथ निकल जाता है और दोनो एक शॉपिंग माल जाते है और वहा आयूष अपने आरामलायक कुछ प्रोफेशनल सूटस और कुछ कैजुअल ड्रेस लेता है ।

फिर बिल्लिंग के बाद दोनो उसी माल के रेस्तरां मे जाते है और खाने का ओर्डेर देते है ।


3D मस्ति मे - अउर बताओ आईआईटीन बाबू ,, कौन सी ट्रेन पकड़ी रहे हो ,,पूरवा, प्रयागराज, मगध या फिर उ नयकी वाली तेजस


आयुष ह्स के - अरे नही नही यार ,,,कम्पनी ने प्लेन की टिकट करायी है।

3D मुह बनाकर - अबे कर दिये ना गोबर सब तुम

आयुष हस कर - काहे बे
3D - तुम हमको बताओ इ तुमाओ जो पलेन है उ कानपुर से दिल्ली कीतना देर मा पहूचाइ

आयुष ह्स कर - 1 घन्टा 20 मिंट मे
3D- औ ट्रेन
आयुष - कम से कम 6 घन्टा मे
3D - हा फिर कर लिये ना घाटा

आयुष हस कर - अबे कैसा घाटा

3D- गुरू पलेन मे मुते के लिए मौका कम मिलत है इही घाटा है
आयुष ह्स कर - मतलब
3D- अबे तुम इन्जीनियरी कर लिये लेकिन सामाजिक गणित बहुते ही भीक है तुम्हारा

3D- अरे ट्रेन मे जाये का अलग ही मजा है ,,6 घन्टा का सफ़र मा 3 से 4 बारी तो मुतने जाओगे औ उही बहाने पुरे डिब्बा मे कोनो ना कोनो बढिया माल ने नैन मटक्का होई जाई और फिर
तुम अब नौकरी वाले हो गये हो गुरू ,,, औ फ़र्स्ट क्लास एसी वालन डब्बा मे जउन कन्टास माल होत है ना गुरू


आयुष 3D की बात सुन कर - अबे ऐसे थोडी ना किसी भी डिब्बा वाली को हम अपनी प्रेमिका बना लेंगे ,,
आयुष अपनी मनोसंगीनी को अपनी कल्पना मे एक रुप देते हुए - यार 3D हमारी कलपना की लड़की ना ऐसी थोडी होगी । वो तो कुछ अलग होगी , अब तुम पुछोगे तो हम बता नही पायेंगे मतलब जमाने से बिल्कुल अलग , जो भीड़ मे होकर भी भीड़ का हिस्सा नही होगी इतनी अलग
इधर आयुष की बाते खतम हुई नही कि उनका खाना आ गया

3D- अबे छोडो इ प्रेम पुराण औ पेल के खाओ कनपुरिया पेशल थाली ,,, काहे की गुरू तुम हो चार दिन के मेहमान, औ इहा से जाये के बाद सबसे ज्यादा इहे याद आईगा प्यार मुहब्बत नाही
आयुष 3D की बात सुन कर मुस्कुरा देता है ।


घर वापसी के दौरान
3D कुछ सोच कर - अरे गुरू तुमको तो हम एक बात बताना ही भूल गये ,,
आयुष - क्या बताओ बे
3D- अबे आज एक जगह शादी मे जाना है औ हमारा अकेले जाने का बिल्कुले मूड नही है ,,
आयुष हामी भर देता और घर वापस आकर मीरा को सूचना भी दे देता है ।

लेकिन इधर जब आयुष बाबू शॉपिंग रेस्तराँ मे व्यस्त थे उधर शुक्ला भवन मे मीरा का बहूमत हो गया यानी बाहुबली शान्ति देवी के मजबूत दबदबे तथा सुशील , संस्कारी और गुणवान प्रत्याशी मीरा शुक्ला के आश्वाशन पर मनोहर शुक्ला भी पार्टी जॉइन कर चुके थे ।

शाम हुई और रात के भंडारे से पहले फिर पार्टी मिटिंग हुई जिसमे आशिष शुक्ला भी शामिल हुए और तमाम स्वार्थ संबंध मूल्यो को ही ध्यान रख कर ये तय हुआ कि कल सुबह नास्ते के दौरान ही आयुष से बाते की जायेगी ।


गठबन्धन मे एक और गांठ

इधर रात मे आयुष तैयार होकर 3D के साथ शादी मे चला गया और अगली सुबह नास्ते पर शुक्ला भवन मे गठबन्धन की तैयारी चल रही थी ।
इस बार शान्ति शुक्ला की अध्यक्षता मे चल रही इस सभा मे मिश्राइन की पार्टी से उनके कुछ एजेंडे संबन्धि सवाल पुछे गये और गठबन्धन हेतु आर्थिक रूप से कितनी मदद कर सकती है इस पर भी ।


मगर इस सभा के आयोजन की खबर किसी और को भी थी और वो ऐन मौके पर शुक्ला भवन मे प्रवेश करते है ।
कौन थे ? क्या थे ? किस लिये आये थे ?
ये आगे ही पता चलेगा लेकिन इस नये आगन्तुक से पुरे सभा मे सिर्फ मीरा शुक्ला के चेहरे की हवाईया उड़ी हुई थी ,,

जारी रहेगी


🙏
समस्त पाठक बंधुओ के आग्रह है कि आप अपने मत अनुसार इस अपडेट को अपनी भारी से भारी मात्रा मे रेटिंग दे और इस कहानी को लेके अपनी प्रतिक्रिया जरुर व्यक्त करे।
धन्यवाद
meera jitni bhi try kar le lekin mujhe nai lagta ki wo kamyab ho paegi. update me sabse interesting akhiri ke lines lagi. ane wale agantuk ke bare janne ke liye curiosity badh gayi hai. Meera ki koi dusman? lekin uski kaun dusman ho sakti ho? aur use kaise pata meera ke bune hue jal ke bare me?
 
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Amazing update dear. meera sukla bahut satir aur drihsanklpi hai. ek bar jo kuch karne ki sanklp le liya wo karke hi rehti hai. family ke sabhi sadashy apni or kar li usne.
par isse pehle age kuch karti, bipaks party ka sadashy a dhamka ghar par. kon tha wo?
Bahut bahut aabhaar :thank-you:
 
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Kaha ayush apne khabo ki hasina ke bare me 3D bhai ko batia rha tha aur kaha kothi me meera apna master game khel rhi thi. koi to aesa banda praves kiya tha jise pta tha meera ki kartute , nahi to meera itni gharbrati nhi.
:D
राम जाने कउन सी आफत आन पडी है बा के माथे ,,जे तो अगिला अपडेट मा ही पता पडोगो

तुम्हाओ कम्मेंटबाजी के लिए धन्यवाद गुरू :D
 
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meera jitni bhi try kar le lekin mujhe nai lagta ki wo kamyab ho paegi. update me sabse interesting akhiri ke lines lagi. ane wale agantuk ke bare janne ke liye curiosity badh gayi hai. Meera ki koi dusman? lekin uski kaun dusman ho sakti ho? aur use kaise pata meera ke bune hue jal ke bare me?
सबसे जुगाड़ू और सस्ते वाला नशा फुक कर अपडेट लिखा था । इसिलिए अपडेट एंडिंग मे सस्पेंस छोड दिया :D ..... इससे ज्यादा थ्रिलर इस कहानी और आगे कभी नही मिलने वाला



आपकी प्रतिक्रिया के लिए धन्यवाद
 
I

Ishani

UPDATE 006


कहानी मे अब आप सभी ने पढा कि 3D भैया के प्यार की रैली कैसे उनके पिता के भवन पर खड़ी हुई प्रोटेस्ट कर रही है ,, लेकिन हरिशंकर दुबे शख्त प्रबंधन वाले है ऐसे थोडी ना घुटने टेक देन्गे ।
इधर शुक्ला भवन मे आयुष बाबू चारु की चुटिया की ऐसी मार पड़ी कि अभी तक औंधे पड़े हुए है और वही मीरा अपनी उम्मीदो की एजेंडा लेके अपने पार्टी कार्यालय पहुच रही है । देखते है मीरा शुक्ला नाम की इस विकास की आन्धी को आशिष शुक्ला अपना समर्थन देते है कि नही ।

तो बोलो -

विकास की चाभी , मीरा भाभी ।
विकास की चाभी , मीरा भाभी ।


अब आगे


वोट बैंक की राजनीति

मीरा कमरे मे दूध का ग्लास लेके प्रवेश करती है ।
इस वक़्त आशीष जी टीवी पर दुनिया जमाने की खोज खबर ले रहे थे और उन्हे पता ही नही कि मीरा कमरे मे आ गयी है ।

मीरा आशिष को सोफे पे टीवी मे लगा देख मुस्कुराई और दबे पाव आईने के सामने पहुची
थोडा जुल्फो को बिखेरा , कंगन , झुमके - नथनी , पायल सब कुछ उतार कर जिस्म पर से बोझ कम किया ।
साडी के कन्धे की आलपिन भी निकाल दी और पल्लू को ढील देके लो-कट गले का ब्लाउज निचे से खिच कर जोबनो मे सांस भरी । फिर पास पड़ी इत्र की सीसी को गले के पास स्प्रे कर एक बार आईने मे खुद निहार कर वापस से दूध का ग्लास लेके आशिष बाबू की ओर बढ़ गयी ।

आशिष जी तो आम आदमी की तरह रोज की दिनचर्या के हिसाब से अपना मन लगाये टीवी मे व्यस्त थे कि बांयी तरफ से मीरा बिल्कुल सट कर सामने की ओर झुकते हुए हाथ बढ़ा कर दूध का ग्लास आगे किया

मीरा मुस्कुरा कर - दूध
इत्र की खुस्बु ने और बीवी की मीठी आवाज आशिष जी भा गयी और इधर तो मीरा ने जैसे अपने भष्ट्राचारी पल्लू से डील की थी कि शुक्ला जी घुमे और तुम सरक लेना , आखिर पार्टी की अच्छाईया भी तो दिखनी चाहिये वोटर को ।

हुआ भी वही
जहा आशिष मीरा के हाथ से दूध का ग्लास लेते और वही साड़ी का पल्लू कन्धे से सरक कर मीरा की कलाई मे आ गयी ।

आशिष की नजरे पहले लो-कट ब्लाउज के गले के डिजाईन को देखकर पार्टी के उतार चढ़ाव का भरपूर मुआयना कर मीरा के शरारती नजरो से टकराती है ।
जिससे आशिष-मीरा एक साथ मुस्कुराये और उन्होने मीरा के हाथ से दूध का ग्लास ले लिया ।

मीरा खड़ी हुई और पल्लू को समेट कर कमर मे खोसा और वापस बिस्तर की ओर

आशिष बाबू एक नजर मीरा को देखा और मुस्कुराते हुए टीवी देखने लगे । मगर जैसे ही उन्होने दूध की सिप ली कुछ याद आया और वो चहके
दूध का ग्लास सामने टेबल पर रखा और मीरा की ओर लपके

इस भागा दौडी का कारण ये थे कि ये हमारी सेक्सी सुशील और शर्मिली उम्मीदवार श्री मती मीरा शुक्ला ने अपना और अपने पति का एक रोमांस कोड दिया हुआ था । अमूमन तौर पर वो दूध का ग्लास तब ही लेके आती थी जब कुछ मेल मिलाप का मन रहता हो । ठीक है वैसे ही जब नेताओ को वोट की जरुरत पर अपने कर्तव्यो की याद आती है ।

अब एक मध्यम वर्गीय परिवार का शादीशुदा व्यकित यानी आशिष शुक्ला जी जो रोज मर्रा की जरुरतो मे इतना फसे रहते है , दिन भर की कलेश ,दुकान की झिकझिक और काम के थकान के कारण काफी समय से आशिष बाबू मीरा के साथ बिस्तर के पापड़ का चुरा नही किये थे।
ना जाने कितने हफ्तो से बेडशिट पर सीलवटे नही आई थी ।
मगर आज नही
शुक्ला जी फटाफट बिस्तर की ओर लपके और मीरा को अपनी बाहों मे भर के ,,,,,

खैर जाने दीजिये वो सब तो व्यकितगत बाते है
हम लोग ठहरे मुद्देवादी लोग, कहा ये थकान भरी उठापटक वाली राजनीतिक एजेण्डे से हमारा लेना देना
क्या हुआ कैसे हुआ
क्या टूटा क्या बचा
कहा दर्द कहा मजा
जैसे भी हो परिणाम एक ही होना था
आशिष बाबू की बाहो मे मीरा लिपटी हुई अपने दिल के अरमान को नये बहानो और कुछ चटपटे कहानियो जोड कर बताना शुरु कर दी ।

मीरा - हे जी , जे आपको एक बात बतानी हैगी

आशिष बाबू तो मनमुग्ध थे मीरा पर - हा बोल ना

मीरा - उ बबुआ को लेके है
आशिष बाबू को आयुष के लिए बडी चिन्ता रहती ही थी तो थोडा डर थोडी उत्सुकता से - का बात मीरा बताओ हमको

मीरा - जे आप तो जान ही रहे हैगे कि आज सुबह ही चौबेपुर वाली बुआ आई है और उकी मुड़ी चारु भी

आशिष - हा तो
मीरा हस कर - जे हम चोरी छिपे देखे रहे कि बबुआ उको हमेशा निहारत रहत है हिहिही

अशीष अचरज से - किसको बुआ को !!!
मीरा - धत्त , ऊ मुड़ी चारु को, हमका तो ऊ दोनो की जोडी बहुत अच्छी लागत , तू का कहत हो

आशिष - लयिकी अच्छी है मीरा ,, लेकिन उ अपने बबुआ के टाइप की ना है

मीरा - जे आप कह रहे हो कि बबुआ की टाइप की ना है औ बबुआ खुद उको अपना कमरे मे बिठा के बात करत है देरी तक

आशिष - लेकिन बात करने से इ थोडी ना होत है कि बबुआ उको परसन्द करत है

मीरा तुनक कर- जे आप को तो हमायी कोनो बात पर भरोसो ही ना रहो होगो
और वो अशिष से अलग हो कर उसकी ओर पीठ कर लेती है

आशिष मुस्कुरा कर उसको पीछे से पकड कर - अच्छा ठीक है ठीक है , हम देखत है कल बाऊजी से बात करत है चारु और आयुष को लेके
मीरा खुश हो कर घूम कर आशिष से चिपक जाती है ।


बहुमत की तैयारियाँ

इधर एक तरफ जहा मीरा को अपनी योजना मे कामयाब हो गयी थी ,वही आयुष बाबू भी चारु के अदाओ के चाटे से उभर चुके थे और कुछ उलझे विचारो से हुए ही दूध का ग्लास खतम कर सो गये ।

अगली सुबह मीरा खोज खबर लेने चारु के पास पहुची और जब उसे रात मे हुए बिगड़े खेल के बारे मे पता चला तो माथा पिट ली
खैर जैसा भी हो लेकिन मीरा शुक्ला बहुत ही धैर्यवान साहसी और दृढ़संकल्पी प्रत्याशी थी तो इतनी जल्दी मैदान कैसे छोड देती ।
बीते समय में हुए गल्तियो को सोचना छोड आगे क्या करना है उसपे विचार की और कुछ नये नखरीले नुसखे उसने चारु को सिखाये ।

चटपटे नास्तो का दौर खतम हुआ और शान्ति देवी अपने कमरे मे सत्संग का लाइव प्रसारण शुरु कर बैठी थी कि मीरा अपनी सास के कमरे मे आती है ।

मीरा - अम्मा उठो तो ,
शान्ति - का हुआ दुल्हीन
मीरा - अम्मा जरा इ भेडशिट बदले का लिये ले जाई रहे है
शान्ति थोडा मुह बिच्काये बिस्तर से उठ कर सोफे पर विराजमान हुई ।
मीरा बेडशिट निकाल कर फ़ोल्ड करते हुए - अम्मा आप एक बात कहे के रही ,, जे कुछ समझ ना आ रहो हो कि कहे कि ना कहे

शान्ति जी ठहरी गृहस्थ महिला बिरादरी वाली अब उनको कहा ये पचने वाला कि उनकी पतोह उनसे कुछ छिपाये

शान्ति जी फटाक से टीवी म्यूट पर डाला और बडे ही जिज्ञासु स्वभाव से मीरा की ओर देख कर - हा बताओ ना दुल्हीन , का बात है

मीरा मुस्कुरा कर - अरे छोडो अम्मा , जवानी मे ये सब गलती सबहे से होत है

शान्ति देवी के शक के पारे की सुई आयुष बाबू की ओर घूमी - का हुआ बबुआ को लेके कौनौ बात है का दुल्हीन

मीरा हा मे सर हिला कर मुस्कुराई
शान्ति की बेचैनी और बढी - का बात है दुल्हीन , का गलती कर दिओ बबुआ हमार

मीरा ह्स कर - अरे कोनो खास बात ना हैगी अम्मा ,, उ कल जब से हमायी चौबेपुर वाली बुआ की मुड़ी आई हैगी ना तब से बहुत बार ताक झाक कर रहे हैगे बा के कमरे मे


शान्ति थोडा झेप सी गयी - इ का कही रही हो दुल्हीन , हमार बबुआ अइसा ना है

मीरा हस कर - जे आज कल मूड़न को कम ना समझो अम्मा ,, और हम तो खुश है कि आप बबुआ की शादी के लिए जल्दी कर रहे हो ,,,नाही तो बडे शहर मे ना जाने कौन भईसीया फास ले ,,,औ हमाये बबुआ है भी तो गऊ


मीरा की बात से शान्ति जी को और भी चिन्ता होने लगी
मीरा अपनी सास को परेशान होता देख मुस्कुराई और उनके कन्धे पर हाथ रख कर बोली - अम्मा आप चिन्ता ना करो
सब ठीक होगो

शान्ति चिंतित भाव से - जे कुछ ठीक ना होगो ,,,औ जे बात तू कही हो बिल्कुले ठीक कही हो ,, जे आज कल के लौंडी बहुत शातिर है, राम ना करे कही हमाये आयुष को


शान्ति - ना ना दुल्हिन कुछ जल्द ही करे के पड़ी अब
मीरा इतरा कर - जे छोटा मुह बडी बात कर रहे है अम्मा जी लेकिन हमायी चारु मे कोनो कमी ना हैगी ,, जे आप कहो तो बुआ से

मीरा ने शान्ति को टटोला

शान्ति कुछ सोच कर - जे बात तो तुम सही कह रही हो दुल्हीन ,,,,और तुम्हाये हिसाब से बबुआ उको पसंद भी करत है

मीरा मुस्कुरा कर - हा अम्मा , हमको अपनी हमायी नयकी देवरानी बहुत परसन्द है ,तुम का कहत हओ अम्मा

शान्ति - ठीक है दुल्हीन अब आशिष के बाऊजी से बात करित है फिर हम तुमको बताइत है।



बहुमत और गठबंधन
इधर मीरा शाम दाम दण्ड भेद सबका प्रयोग कर शुक्ला भवन के एक एक वोट को अपनी तरफ कर अपना बहुमत करने की पूरी प्लानिंग कर ली थी ।
वही इस गंदी राजनीति से दुर हमाये शिक्षित , मासूम और इमानदार प्रत्याशि यानी आयुष बाबू तो फिलहाल 3D से फोन पर शॉपिंग की प्लानिंग कर रहे थे और 11 बजे से निकलने का बोल देते है ।
सटीक 11 बजे आयुष बाबू तैयार होकर निचे आते है तो हाल मे चल रही एक गुप्त सभा अचानक से शांत हो जाती है ।
इस सभा की अध्यक्षता कर रही श्री मती मीरा शुक्ला , जो इस वक़्त अभी अभी थोडी देर पहले उनकी पार्टी से जुडी नयी कार्यकर्ता यानी शान्ति शुक्ला के साथ मिलकर , शुक्ला भवन के मुखिया के साथ दुसरी पार्टी यानी चौबेपुर वाली मिश्राईन से गठबन्धन कराने पर गम्भिर चर्चा कर रही थी ।

आयुष - भऊजी हम 3D के साथ शॉपिंग के लिए जा रहे है ,, अभी आ जायेगे

शान्ति - अरे आयुष ,,,जे खाना बन गयो है खा के जाते

मीरा अपनी सास का कन्धा दबा कर चुप रहने का इशारे करती है
आयुष - नही अम्मा , अभी आकर खा लेंगे हम


फिर आयुष निकल जाता है और इनकी सभा फिर से निरविघन चलने लगती है ।
इधर आयुष 3D के साथ निकल जाता है और दोनो एक शॉपिंग माल जाते है और वहा आयूष अपने आरामलायक कुछ प्रोफेशनल सूटस और कुछ कैजुअल ड्रेस लेता है ।

फिर बिल्लिंग के बाद दोनो उसी माल के रेस्तरां मे जाते है और खाने का ओर्डेर देते है ।


3D मस्ति मे - अउर बताओ आईआईटीन बाबू ,, कौन सी ट्रेन पकड़ी रहे हो ,,पूरवा, प्रयागराज, मगध या फिर उ नयकी वाली तेजस


आयुष ह्स के - अरे नही नही यार ,,,कम्पनी ने प्लेन की टिकट करायी है।

3D मुह बनाकर - अबे कर दिये ना गोबर सब तुम

आयुष हस कर - काहे बे
3D - तुम हमको बताओ इ तुमाओ जो पलेन है उ कानपुर से दिल्ली कीतना देर मा पहूचाइ

आयुष ह्स कर - 1 घन्टा 20 मिंट मे
3D- औ ट्रेन
आयुष - कम से कम 6 घन्टा मे
3D - हा फिर कर लिये ना घाटा

आयुष हस कर - अबे कैसा घाटा

3D- गुरू पलेन मे मुते के लिए मौका कम मिलत है इही घाटा है
आयुष ह्स कर - मतलब
3D- अबे तुम इन्जीनियरी कर लिये लेकिन सामाजिक गणित बहुते ही भीक है तुम्हारा

3D- अरे ट्रेन मे जाये का अलग ही मजा है ,,6 घन्टा का सफ़र मा 3 से 4 बारी तो मुतने जाओगे औ उही बहाने पुरे डिब्बा मे कोनो ना कोनो बढिया माल ने नैन मटक्का होई जाई और फिर
तुम अब नौकरी वाले हो गये हो गुरू ,,, औ फ़र्स्ट क्लास एसी वालन डब्बा मे जउन कन्टास माल होत है ना गुरू


आयुष 3D की बात सुन कर - अबे ऐसे थोडी ना किसी भी डिब्बा वाली को हम अपनी प्रेमिका बना लेंगे ,,
आयुष अपनी मनोसंगीनी को अपनी कल्पना मे एक रुप देते हुए - यार 3D हमारी कलपना की लड़की ना ऐसी थोडी होगी । वो तो कुछ अलग होगी , अब तुम पुछोगे तो हम बता नही पायेंगे मतलब जमाने से बिल्कुल अलग , जो भीड़ मे होकर भी भीड़ का हिस्सा नही होगी इतनी अलग
इधर आयुष की बाते खतम हुई नही कि उनका खाना आ गया

3D- अबे छोडो इ प्रेम पुराण औ पेल के खाओ कनपुरिया पेशल थाली ,,, काहे की गुरू तुम हो चार दिन के मेहमान, औ इहा से जाये के बाद सबसे ज्यादा इहे याद आईगा प्यार मुहब्बत नाही
आयुष 3D की बात सुन कर मुस्कुरा देता है ।


घर वापसी के दौरान
3D कुछ सोच कर - अरे गुरू तुमको तो हम एक बात बताना ही भूल गये ,,
आयुष - क्या बताओ बे
3D- अबे आज एक जगह शादी मे जाना है औ हमारा अकेले जाने का बिल्कुले मूड नही है ,,
आयुष हामी भर देता और घर वापस आकर मीरा को सूचना भी दे देता है ।

लेकिन इधर जब आयुष बाबू शॉपिंग रेस्तराँ मे व्यस्त थे उधर शुक्ला भवन मे मीरा का बहूमत हो गया यानी बाहुबली शान्ति देवी के मजबूत दबदबे तथा सुशील , संस्कारी और गुणवान प्रत्याशी मीरा शुक्ला के आश्वाशन पर मनोहर शुक्ला भी पार्टी जॉइन कर चुके थे ।

शाम हुई और रात के भंडारे से पहले फिर पार्टी मिटिंग हुई जिसमे आशिष शुक्ला भी शामिल हुए और तमाम स्वार्थ संबंध मूल्यो को ही ध्यान रख कर ये तय हुआ कि कल सुबह नास्ते के दौरान ही आयुष से बाते की जायेगी ।


गठबन्धन मे एक और गांठ

इधर रात मे आयुष तैयार होकर 3D के साथ शादी मे चला गया और अगली सुबह नास्ते पर शुक्ला भवन मे गठबन्धन की तैयारी चल रही थी ।
इस बार शान्ति शुक्ला की अध्यक्षता मे चल रही इस सभा मे मिश्राइन की पार्टी से उनके कुछ एजेंडे संबन्धि सवाल पुछे गये और गठबन्धन हेतु आर्थिक रूप से कितनी मदद कर सकती है इस पर भी ।


मगर इस सभा के आयोजन की खबर किसी और को भी थी और वो ऐन मौके पर शुक्ला भवन मे प्रवेश करते है ।
कौन थे ? क्या थे ? किस लिये आये थे ?
ये आगे ही पता चलेगा लेकिन इस नये आगन्तुक से पुरे सभा मे सिर्फ मीरा शुक्ला के चेहरे की हवाईया उड़ी हुई थी ,,

जारी रहेगी


🙏
समस्त पाठक बंधुओ के आग्रह है कि आप अपने मत अनुसार इस अपडेट को अपनी भारी से भारी मात्रा मे रेटिंग दे और इस कहानी को लेके अपनी प्रतिक्रिया जरुर व्यक्त करे।
धन्यवाद
बार बार हाँ, बोलो यार हाँ
मीरा की जीत हो, उनकी हार हाँ
कोई मीरा से जीत ना पावे , चले चलो, चले चलो
मिट जावे जो टकरावे, चले चलो
टूट गई जो, उंगली उठ्ठी
पाँचों मिली तो, बन गयी मुट्ठी
एका बढ़ता ही जावे , चले चलो, चले चलो

और अगले दिन . 🤭
तूने मारी एंट्रियां रे ,मीरा के दिल में बजी घंटियाँ रे
तन तन तन
दिल की सुन कमेंट्रियां रे ,प्यार की गारंटीयाँ रे
तन तन तन . 🤭
 
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बार बार हाँ, बोलो यार हाँ
मीरा की जीत हो, उनकी हार हाँ
कोई मीरा से जीत ना पावे , चले चलो, चले चलो
मिट जावे जो टकरावे, चले चलो
टूट गई जो, उंगली उठ्ठी
पाँचों मिली तो, बन गयी मुट्ठी
एका बढ़ता ही जावे , चले चलो, चले चलो

और अगले दिन . 🤭
तूने मारी एंट्रियां रे ,मीरा के दिल में बजी घंटियाँ रे
तन तन तन
दिल की सुन कमेंट्रियां रे ,प्यार की गारंटीयाँ रे
तन तन तन . 🤭
Kahaani ka saar lyrics me :agentheart:

Bahut bahut shukriya ji :Cupidgirl:
 

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