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नई दुल्हन
मेला का रेला
तभी मैंने एक गुड की जलेबी वाले से दाम पुछे तो बोल पडा भौजी( जादातर दुकाने अक्सर गॉव समाज के ही लोग लगाते है तो वो एक दूसरे को जानते भी) मुफ्त ले लो, अपनी जलेबी के बदले
मैने कहाँ हमारी जलेबी जितना रस नही तेरी जलेबी मे
तभी तो मुफ्त दे रहा हूँ भौजी
हम भौजी नंद की जलेबी तेरी पूरी दुकान से कीमती है देवर जी
हाये भौजी दिल ना तोडो और कहते है दो पत्ता जलेबी हमारी तरफ बढ़ा दी हम पत्ता लेकर चलते बने वो हाये कह कर रह गया
मै चटक बैगनी रंग का लहंगा पहनी तो तो लाल सुर्ख रंग की नंद फ्रांक तभी हम चुड़ी के दुकान की तरफ बढे , मै नंद झुक का चुडिया देखने लगी तभी रवी अपने चार दोस्तो के साथ ठीक मेरे पीछे आया और अपने पैर का मैरे लंहगे मे फॅसा उपर करने लगा मै झुक कर चुड़ी लेने मे व्यस्त थी और वो लंहगा उठा मेरी नंगी गांड मेले मे सबको दिखा रहा था तभी नंद ने मेरे से कहा तो मै तेजी से खडी होकर पलट गई देखा मेले के दुकानदार आदमी औरते तक मेरे नंगी गांड का मजा ले रहे थे रवी
बेशर्म बोला हाय भौजी क्या मस्त हो, कभी अपने पीछले दरवाजे से भी घुसने दो
मै शर्म से दोहरी हो
चल हट हरामी
कहते आगे बढ गई मगर वो मेरे पीछे ही पड़ा था , तभी हम एक सकरी गली से गुजरे गली मे भीड का पूरा रैला था, तभी मेरे हाथ मेरे नंद से छुट गया किसी ने मेरे स्तनो को कस कर पकड़ लिया पीछे देखा तो एक बुड्डा था
बहु आगे बढो और अपने टूटे दाँतो से मुस्कारा रहा है पर हरामी किसी जोक की भाँती अपनी ताकत दिखा रहा था,
ढेला की महरारू है
जी बाबूजी
बडी मस्त लाया है माल, मेरा बेटा रानू सही कह रहा था, मस्त गदरायी गांड है तेरी , अब वो एक हाथ से मेरी चुची और एक हाथ से मेरे चुतडो को मसले जा रहा था और भीड का रेला हल्के हल्के आगे बढ रहा था,
हमे भी चखा दे
हाय बाबूजी दर्द हो रहा है आप बहुत तेज दबा रहे है
बहू हम तो तेज है हम तेरे ससुर से भी तेज मारते है ना मान तो अपनी सास से पूछ लेना
तभी एक जोरदार धक्का लगा एका नया भीड का रेला बाँयी गली से जुड गया देखा तो रानू का बाप तो दूर था मगर रवी इसी ताक मे था मेरे पीछे आकर मेरी समीज मे हाथ डाल किसी गाये के दूध दुहने की भाँती मेरी चुचीयो को पकड़ दुह रहा था, मेरे पास सिसकारिया लेने के आलावा कुछ ना था इतनी भीड की टस से टम ना हुआ जा सकता था थोड़ी दूर पर नंद थी, उसकी तरफ देखा उसके गाल लाल हो चुके थे ऑखो मे लाल डोरे उतर आये थे पवन दोनो हाथो मे उसके टिकोरे जबरदस्त जरीके से दबा रहा था कि आज उसमें दूध निकाल कर ही मानेगा तो इधर रवी भी इसी प्रयास मे प्रयासरत था, तभी सवीत्रा की एक चीख सुनाई दी मै इससे पहले कुछ समझ पाती की मेरी गांड मे रवी ने बेदर्दी से अपनी उंगली डाल दी और तेजी से मेरी चीख निकल पड़ी
हाये भौजी आज इस बिल का मजा दिला दो स एहसान मानूँगा जिंदगी भर
अब मै समझ चुकी थी नंद बेचारी क्यो चीखी