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अब रेखा भाभी की तरफ से इतनी पहल होने के बाद मै कहाँ पीछे हटने वाला था, मैं भी धीरे-धीरे रेखा भाभी की चुत को चूमने-चाटने लगा.. मगर उनकी चुत के बाल अब भी बार बार मेरे मुँह में आ रहे थे।
इसलिए मैं अपने दोनों हाथों को भी रेखा भाभी की दोनो जाँघों के बीच में ले आया और अपनी उंगलियों से उनकी चुत की दोनों फांकों को फैलाकर सीधा अपनी जीभ को चुत की फाँको मे घुसा दिया जिससे रेखा भाभी फिर से सिसक उठी...
मगर अब मै कहा रुकने वाला था, मैंने भाभी की चुत की फाँको के बीच के नर्म नर्म और गर्म गर्म भाग धीरे-धीरे अपनी जीभ से कभी सहलाने तो कभी चटना शुरु कर दिया.. जिससे रेखा भाभी के कूल्हे अब अपने आप ही मेरी जीभ के साथ हल्के-हल्के जुम्बिश सी करने ने लगे।
रेखा भाभी की चुत पहले से ही काफी गीली थी मगर अब मेरी जीभ की हरकत से तो वो और भी पानी छोङने लगी जो की उनकी चुत से रिस रिस कर अब मेरे मुँह पर व उनकी जाँघ पर भी फैलने लगा।
मैं रेखा भाभी की चुत को चूमता.. तो कभी उसे बड़ी जोरों से चूस रहा था जिससे उनकी चुत का नमकिन रस मेरे मुँह में घुल गया और मेरे मुँह का स्वाद खारा व नमकीन कसैला हो गया था।
मगर मैं सच कह रहा हूँ उस समय तो मुझे चुत के उस खारे व कसैले रश को भी चुशने मे शहद के जैसा ही मजा आ रहा था और ये बात वो ही जान सकता है जिसने कभी चुत को चुसा और चाटा है।
खैर रेखा भाभी भी अब मेरी जीभ के साथ साथ धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाने लगी थीं इसलिये मेरी जीभ भी अब उपर चुत के उपरी छोर से लेकर नीचे उनके गाँड के छेद तक का सफर तय करने लगी। मगर इस बीच जब कभी मेरी जीभ उनके अनारदाने को स्पर्श कर जाती तो.. रेखा भाभी ऐसे उचक जातीं.. जैसे कि उन्हें कोई करेंट लग रहा हो।
मैं भी अपनी जीभ को रेखा भाभी की चुत में ऊपर से लेकर नीचे उनकी गाँड के छेद तक घुमा रहा था.. मगर अभी तक मैंने अपनी जीभ को उनकी चुत के प्रवेशद्वार में नहीं डाला था।
मै बस कभी-कभी उसके ऊपर से ही गोल-गोल घुमा दे रहा था। मगर जब भी मैं ऐसा करता, रेखा भाभी जोरो से सिसक उठती और अपने कूल्हों को हिलाकर अपने प्रेमद्वार को मेरी जीभ से लगाने का प्रयास करने लगती..जिससे मैं तुरन्त अपनी जीभ को वहाँ से हटा लेता।
ऐसा करने मे भी मुझे एक अलग ही आनन्द मिल रहा था क्योंकि रेखा भाभी अब मेरी जीभ को अपनी चुत मे उतारने के लिये तङप रही थी। पर ये आनन्द मै कुछ ही देर ले सका क्योंकि रेखा भाभी से ये अब सहन नहीं हुआ, इसलिए उन्होंने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ लिया और अपने कूल्हों को खिसकाकर खुद ही मेरे होंठों से अपनी चुत के प्रवेशद्वार को लगा दिया।
इसलिए मैं अपने दोनों हाथों को भी रेखा भाभी की दोनो जाँघों के बीच में ले आया और अपनी उंगलियों से उनकी चुत की दोनों फांकों को फैलाकर सीधा अपनी जीभ को चुत की फाँको मे घुसा दिया जिससे रेखा भाभी फिर से सिसक उठी...
मगर अब मै कहा रुकने वाला था, मैंने भाभी की चुत की फाँको के बीच के नर्म नर्म और गर्म गर्म भाग धीरे-धीरे अपनी जीभ से कभी सहलाने तो कभी चटना शुरु कर दिया.. जिससे रेखा भाभी के कूल्हे अब अपने आप ही मेरी जीभ के साथ हल्के-हल्के जुम्बिश सी करने ने लगे।
रेखा भाभी की चुत पहले से ही काफी गीली थी मगर अब मेरी जीभ की हरकत से तो वो और भी पानी छोङने लगी जो की उनकी चुत से रिस रिस कर अब मेरे मुँह पर व उनकी जाँघ पर भी फैलने लगा।
मैं रेखा भाभी की चुत को चूमता.. तो कभी उसे बड़ी जोरों से चूस रहा था जिससे उनकी चुत का नमकिन रस मेरे मुँह में घुल गया और मेरे मुँह का स्वाद खारा व नमकीन कसैला हो गया था।
मगर मैं सच कह रहा हूँ उस समय तो मुझे चुत के उस खारे व कसैले रश को भी चुशने मे शहद के जैसा ही मजा आ रहा था और ये बात वो ही जान सकता है जिसने कभी चुत को चुसा और चाटा है।
खैर रेखा भाभी भी अब मेरी जीभ के साथ साथ धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाने लगी थीं इसलिये मेरी जीभ भी अब उपर चुत के उपरी छोर से लेकर नीचे उनके गाँड के छेद तक का सफर तय करने लगी। मगर इस बीच जब कभी मेरी जीभ उनके अनारदाने को स्पर्श कर जाती तो.. रेखा भाभी ऐसे उचक जातीं.. जैसे कि उन्हें कोई करेंट लग रहा हो।
मैं भी अपनी जीभ को रेखा भाभी की चुत में ऊपर से लेकर नीचे उनकी गाँड के छेद तक घुमा रहा था.. मगर अभी तक मैंने अपनी जीभ को उनकी चुत के प्रवेशद्वार में नहीं डाला था।
मै बस कभी-कभी उसके ऊपर से ही गोल-गोल घुमा दे रहा था। मगर जब भी मैं ऐसा करता, रेखा भाभी जोरो से सिसक उठती और अपने कूल्हों को हिलाकर अपने प्रेमद्वार को मेरी जीभ से लगाने का प्रयास करने लगती..जिससे मैं तुरन्त अपनी जीभ को वहाँ से हटा लेता।
ऐसा करने मे भी मुझे एक अलग ही आनन्द मिल रहा था क्योंकि रेखा भाभी अब मेरी जीभ को अपनी चुत मे उतारने के लिये तङप रही थी। पर ये आनन्द मै कुछ ही देर ले सका क्योंकि रेखा भाभी से ये अब सहन नहीं हुआ, इसलिए उन्होंने दोनों हाथों से मेरे सिर को पकड़ लिया और अपने कूल्हों को खिसकाकर खुद ही मेरे होंठों से अपनी चुत के प्रवेशद्वार को लगा दिया।