Incest संस्कारी परिवार की बेशर्म कामुक रंडियां। अंदर छुपी हवस जब सामने आयी

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Update 13.

Hi Dosto kaise ho ap I think tadap rahe honge sab next update k liye...jyada na tadapte hue anand lijiye is update ka.

Chaliye badhate h is kahani ko age
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जैसे ही उपासना की नजर चीख निकली की नही ये नही हो सकता।
तभी धर्मवीर ने देखा कि कौन है खिड़की पर ।

जैसे ही धर्मवीर उठकर चला तभी दरवाजे पर से तालियों की आवाज आने लगी ।

उपासना की बहन पूजा (राकेश की साली) और उपासना के पापा सोमनाथ जी खड़े थे।

यह देखकर धर्मवीर की आंखों के सामने अंधेरा छा गया ।
साथ मे उपासना भी चुन्नी से अपने आपको ढंकते हुए बैठी बैड पर ।

सोमनाथ जी ने गुर्राते हुए कहा कि मैंने सोचा भी नही था मैं अपनी बेटी की शादी एक ऐसे परिवार में कर रहा हूँ जहां हैवान रहते हैं।
धर्मवीर और उपासना चुपचाप बैठे देख रहे थे।

सोमनाथ - मैं अब इस घर मे एक भी पल नही रुक सकता।
उपासना - पापाजी इसमें हमारी गलती नही है ये मैं आपको बताना चाहती हूं।
ऐसा कहते हुए उपासना ने नजरें नीची कर ली तभी उपासना की बहन पूजा अपने पापा सोमनाथ से बोली ।

पूजा - पापाजी अभी तो काफी रात हो गयी है , हम सुबह जलड़ी ही निकल लेंगे।

ऐसा कहकर पूजा सोमनाथ जी का हाथ पकड़कर कमरे से बाहर की तरफ निकलने लगी ।

तबतक धर्मवीर कपड़े पहनकर उनके पीछे पीछे चल दिया और आगे आकर हाथ जोड़ते हुए बोला ।

धर्मवीर - समधी जी आप मुझे गलत न समझे मैने एक बाप होने का फर्ज निभाया है, मैं जानता हूँ इसमे गलती आपकी बेटी उपासना की नही मेरे बेटे राकेश की है। लेकिन दोनों बच्चे हमारे अपने ही तो है, इन्ही बच्चो से हमारा सबकुछ है।
मैं आपको सारी बात बताऊंगा उसके बाद जो सजा आप मुझे देना चाहें मुझे मंजूर होगी ।

सोमनाथ ने ऐसा सुना तो उसके दिल मे कुछ दया के भाव आये और वो ऊपर वाले फ्लोर की तरफ चल दिया ।
तीनों सोमनाथ, धर्मवीर और पूजा लिफ्ट से न जाकर सीढ़ियों से चल रहे थे । आगे आगे सोमनाथ और पूजा थे पीछे पीछे धर्मवीर चल रहा था ।

चलते चलते जैसे ही धर्मवीर की नजर पूजा पर पड़ी उसका मुह खुला का खुला रह गया ।
उसने देखा कि पूजा तो उपासना को भी पीछे छोड़ गई है अपनी जवानी की तुलना में।
धर्मवीर ने ध्यान से देखा कि पूजा चलते वक्त बिल्कुल ऐसी लगती है जैसे दो बच्चो की मां हो ।पूजा को देखकर कोई नही कह सकता कि वो कुंवारी है।
पूजा के चूतड़ों का हिलना ही बता रहा था कि उसने एक नही कई सारे लंडो के बीच मे खेल खेले हैं । उपासना की गांड में पूजा के मुकाबले काफी कसाव था शादीशुदा होने के बावजूद भी । जबकि पूजा की गांड में वो कसाव नही था जो कंवारी लड़कियों में होता है। पूजा की गांड कुछ ढीली और फैली हुई सी प्रतीत हो रही थी ।
उसकी जांघो को सही से तो नही देख पाया धर्मवीर क्योंकि सलवार ढीली थी पर इतना उसने सोच लिया था कि गांड के हिसाब से जांघे मोटी होंगी जो चूत को छुपकर रखती होंगी ।

इतना सोचते सोचते सभी ऊपर पहुंच गए ।

तीनों जाकर हॉल में बैठ गए।
धर्मवीर सोमनाथ जी के सामने बैठा था और पूजा साइड में। स्टूल रखा हुआ था उस पर जैसे ही पूजा बैठी तो पूजा के चूतड़ दोनों तरफ फैल गए और स्टूल उसके चूतड़ों में धंस गया ।

यह देखकर धर्मवीर के मुंह में पानी आ गया सोचने लगा काश इस स्टूल की जगह मेरा मुह होता , तभी सोमनाथ जी ने धर्मवीर की ओर देखते हुए पूछा कि मैं जानना चाहता हूं आखिर बात क्या है ।

इस घर में चल क्या रहा है है रहा है है ।

धर्मवीर खामोश होते हुए कुछ सोचने लगा और फिर बोलने लगा - बात दरअसल ऐसी है समधी जी कि मेरा बेटा कोई नपुंसक नहीं है, मेरा बेटा हष्टपुष्ट है, लंबा तगड़ा है किंतु उसके वीर्य में बच्चे पैदा करने की काबिलियत नहीं है।
और यह बात मुझे आज ही पता चला फिर उसने सारी बातें सोमनाथ जी को बताई कि किस तरह उस बाबा ने उन्हें बताया ।
घर डूबने से लेकर आने वाले भविष्य की भविष्यवाणी को बताते हुए सारी बातें बताई धर्मवीर ने।

कुछ देर खामोशी छाई रही।
पूजा अपनी नजरें झुका के बस टेबल को देख रही थी ।
रात का 1:00 बज रहा था ।

खामोशी को तोड़ते हुए सोमनाथ जी ने कहा- मैं आपकी बात से सहमत हूं समधी जी।
देखा जाए तो अपने घर की इज्जत को घर में ही रखा है।
और मुझे इससे कोई भी शिकायत नहीं है। ऐसा कहते हुए सोमनाथ में खड़े होकर धर्मवीर के कंधे पर अपना हाथ रखा।

सोमनाथ जी बोले चाय पीने का मन कर रहा है बेटा पूजा तुम जाकर चाय बना लो ।
पूजा चाय बनाने के लिए उठी और किचन की तरफ चलने लगी, उसकी गांड के दोनों तरबूज ऐसे मटक रहे थे कि सोए हुए लंड भी खड़े हो जाए ।

सोमनाथ ने बताया कि वो और उसकी बेटी पूजा इधर रास्ते से गुजर रहे थर तो सोचा उपासना से मिलता चलूं ।
जैसे ही मैन गेट पर आया तो गटर खुला हुआ था। फोन करना फिर जरूरी नही समझा।
और मैं अंदर आया तो ग्राउंड फ्लोर पर कमरे से तेज रोशनी आरही थी । कमरे में खिड़की से देखा तो आप उपासना के मुह में अपना वो फँसा रहे थे।

धरवीर ने जैसे ही सोमनाथ के मुह से ये सुना वो हैरान और अचंभित रह गया ।
धर्मवीर सोचने लगा कि उपासना को चोदते हुए समधी जी ने पूरा देख ही लिया है तो इसमें शर्माना क्या।

धर्मवीर बोला - हां उपासना बेटी का मुंह थोड़ा कम खुल रहा था जिस वजह से थोड़ा टाइट गया ।

सोमनाथ - वैसे बेटी आपको झेल लेगी इसकी उम्मीद बिल्कुल नही थी।

धर्मवीर ऐसी बाते सुनकर थोड़ा खुलकर बात करने के मूड में था ।

धर्मवीर बोला - नही ऐसी उम्मीद आपकी गलत थी क्योंकि उपासना तो मेरे जैसे दो को बराबर टक्कर दे सकती है । बस शुरू में थोड़ा दिक्कत हुई उसे।

सोमनाथ - अच्छा ऐसा क्या दिखा समधी जी को अपनी बहू में ।

धर्मवीर - सोमनाथ जी उपासना की जवानी जिस तरह फटने को बेताब है आप देखकर ही अंदाजा लगा सकते है कि ये बिस्तर पर हारने वाली चीज नही है । ऊपर से ही सुशील और संस्कारी दिखती है पर जब अंदर की रांड जगती है तो पिछवाड़ा उठा उठाकर पूरा लंड लेती है ।

सोमनाथ अपनी बेटी के बारे में ऐसी बात सुनकर गरम हो रहा था क्योंकि उसने भी देखा था किस तरह उपासना पूरा लंड खा गई थी।

सोमनाथ - अब आपकी बहु है कुछ भी कह लीजिए ।

धर्मवीर - हांजी समधी जी देखिए आगे क्या होता है वैसे मैने अपनी ताकत लगाकर बहु के अंदर बीज डाला है।

सोमनाथ -समधी जी बताना तो नही चाहता पर दिल नही मान रहा अभी कुछ दिन पहले अपनी छोटी बेटी पूजा को एक लड़के के साथ पकड़ा था मैंने। वो लड़का 15 साल का था , उसका लंड लगभग 4 इंच का था।

धर्मवीर यह सुनकर सोचने लगा कि पूजा तो वैसे भी देखने मे औरत ही नजर आती है पूजा पर चढ़ने के ये मौका अच्छा है ।

धर्मवीर - हां पूजा को देखकर ही लगता है कि बेटी की नथ उतार चुका है कोई ।

सोमनाथ - हम्म मुझे भी लगता है ।

पूजा जाकर चाय बनाने लगी तभी सोमनाथ जी ने कहा कि मुझे आपके कार्य से कोई एतराज नहीं है। और यह बात मैं बेटी को भी कहना चाहता हूं कि उसने भी अपने घर की इज्जत के लिए किया है । आप उपासना बेटी को भी बुला लीजिये।
यह सुनते ही धर्मवीर ने उपासना को फोन किया और ऊपर आने को कहा हॉल में ।


उपासना ने डरते हुए आने के लिए हां कह दिया और फोन रख दिया।
उपासना उठी और ऊपर की तरफ चलने लगी लेकिन जैसे ही उठकर वह चलने चलने लगी उसकी आंखों के सामने अंधेरा हो गया ।
क्योंकि एक भयंकर चुदाई उसकी हुई थी उससे खड़ा नहीं हुआ जा रहा था।
उसने जैसे तैसे धीरे धीरे चलना शुरू किया ।
उसने जल्दी से सजे सूट सलवार पहना और लिफ्ट से ऊपर आगयी लड़खड़ाते हुए ।
लिफ्ट से निकल के हॉल की तरफ चली तो उसकी चाल देखकर धर्मवीर ने अपनी गर्दन झुकाली और सोमनाथ का मुंह खुला का खुला रह गया ।

उपासना किसी बुरी तरह से चुदी हुई रंडी की तरह धीरे धीरे उनकी तरफ बढ़ रही थी।
उपासना के चेहरे पर काजल फैल गया था ।उसके होठों का लिपिस्टिक उसके होठों के आसपास था जो कि बिल्कुल हल्का हो गया था ।
जैसे ही टेबल के पास आई उपासना बैठने को बैठते बैठे फिर लड़खड़ा गयी ।

तभी पूजा चाय बना कर ले आई और सब लोग चाय पीने लगे ।

सोमनाथ जी ने उपासना की ओर देखते हुए कहा कि बेटा समधी जी ने मुझे बताया है और इसमें तुम्हारी गलती नहीं है।
मैं तुम्हारे फैसले का स्वागत करता हूं इतना सुनकर चुदी-चुदाई उपासना जो अपनी फटी हुई चूत लेकर वहां बैठी थी वह धीरे से शरमा गई ।

सोमनाथ जी ने माहौल को ज्यादा सीरियस ना बनाते हुए धर्मवीर से कहा कि समधी जी आपने मेरी बच्ची को मार ही डाला ।
उसकी हालत क्या कर दी आपने।

धर्मवीर - सोमनाथ जी आपकी बच्ची ने ही न्योता दिया था हमे तो ।

यह सुनकर पूजा और उपासना दोनों शर्म से लाल हो गयी।

सोमनाथ चलो बेटा तुम हमारे सोने का इंतजाम करो मैं और समधी जी साथ ही सोएंगे आज।

ऐसा सुनकर उपासना और पूजा उठकर चली गयी। जातर वक्त दोनों रंडियों की गांड ऐसे हिचकोले ले रही थी जैसी किसी बड़े तगड़े लौड़े की ख्वाहिश कर रही हों ।

सोमनाथ और धर्मवीर भी अब आपस मे खुलने लगे थे ।
दोनों हॉल में बैठे बातें कर रहे थे आधा घंटा हो चुका था।

उधर कमरे में जाते ही पूजा हंसकर कहने लगी - दीदी आज तो लगता है किसी मर्द से पाला पड़ गया है चाल भी बदल गयी ।

दोस्तो उपासना और पूजा बहन होने के बावजूद आपस मे बहुत फ्रेंडली थी।

उपासना शर्माते हुए।

उपासना - इस मर्द के निचे तू आजाती तो आंखे बाहर आजाती समझ गयी । मैं थी जो झेल गयी ।

पूजा - शर्माते हुए - आंखे तो बाहर नही आती पर पिछवाड़ा जरूर बाहर निकल जाता ।

उपासना - बड़ी बदमाश हो गयी है और तेरी बदमाशी की गवाही तेरे ये ढोल से चूतड़ दे रहे है।

पूजा - चूतड़ तो दीदी आपके भी ढोल से कम नही है । ऐसा लगता है किसी के मुह पर बैठ गयी तो मुह दिखना बैंड हो जाएगा ।

उपासना - चल बाद में बातें करेंगे अपने कमरे में चलकर अब दोनों पापा का बिस्तर लगा दिया है उनको सोने के लिए बोलकर चलते है ।

दोनों उठकर धीरे धीरे हॉल की तरफ आने लगी ।

लेकिन जैसे ही हॉल में आने को मुड़ी अचानक धर्मवीर के हंसने की आवाज आई ।
इतना खुधनुमा माहौल देखकर उपासना पूजा को इशारा करते हुए पीछे को हट गई और दोनों बहन छुपकर सुनने लगी ।

धर्मवीर - बात तो अपने सही कही सोमनाथ जी । दोनों ही बहन एक से बढ़कर एक हैं।

सोमनाथ - तो बताइए समधीजी कैसा लगा मेरा प्लान।

धर्मवीर - प्लान तो अपने ठीक बनाया है लेकिन डर यही है कि पूजा मुझे झेल पाएगी या नही।

सोमनाथ - और मुझे डर उपासना का है कि वो झेल पाएगी अपने पापा को या नही क्योंकि मेरा लंड भले ही आपसे थोड़ा पतला हो लेकिन पूरे दो इंच लंबा है।

धर्मवीर - तो फिर कल दोनों बहनों की चीखें गूंजेंगी इस घर मे। कल दोनों को गोद मे उठा उठा कर बारी बारी से उनकी चूतों का भोसड़ा बनाएंगे दोनों। देखते है कौन सी बहन चुदाई समारोह में लंडों को चूतड़ उठा उठाकर लेगी।

उधर पूजा और उपासना को कानों पर विश्वास नही हो रहा था । की उनके ससुर और पापा मिलकर उनकी चूतों और गांड का छेद चौड़ा करने का प्लान बना रहे त
है।

सोमनाथ - लेकिन कल शाम तक दोनों को इस बारे में कुछ पता नही चलना चाहिए।

धर्मवीर - बिल्कुल पता नही लगेगा सोमनाथ जी इतना तड़पा देंगे कुतियाओ को खड़ी खड़ी मूतने लगेंगी । तड़पकर खुद ही कहेंगी कि-
अपने लंडों से हमारी चूतों को अब भर दो,
अपने लंडों से हमारी चूतों को अब भर दो,
कल क्या हो किसने देखा हमारी चूतों का भोसड़ा आज और अभी करदो।


सोमनाथ - शायरी तो अच्छी करलेते हैं समधीजी। चलिए अब बिस्तर लग गया होगा चलकर बात करते हैं।

ऐसा कहते हुए दोनों खड़े हुए और कमरे की तरफ चलने लगे ।

उधर पूजा और उपासना भी हॉल की तरफ आने लगे अनजान बनते हुए जैसे उन्होंने कुछ नही सुना हो।

पूजा - पापाजी बिस्तर लग गया है । मैं और दीदी भी सोने जा रहे है।

पूजा और उपासना कमरे में आकर ।
उपासना - ले पूजा अब तो तैयार हो जा कल को मेरे ससुर का लौड़ा लेने के लिए।

पूजा यह सुनकर लाल हो गयी और कहने लगी ।
पूजा - आप भी तैयार हो जाइये पापा से चुदने के लिए ।

उपासना- लेकिन पूजा हम भी इतनी आसानी से उनकी बातों में नही आएंगे । जैसे वो हमें खड़ी खड़ी मुताना चाहते है हम भी इतना तड़पाएँगे कि खड़े खड़े ही पानी छोड देंगे उनके लंड।

पूजा - हां ये सही रहेगा दिनभर तड़पाएँगे दोनों को।लेकिन दीदी मेरी चूत पर तो काफी घने बाल है कल मुंहे हेयर रिमूवर दे देना।

उपासना - ये तो और भी अच्छी बात है क्योंकि तू नही जानती मंझे हुए खिलाड़ी जब चोदते हैं तो घनी झांटो में जाता हुआ लंड उन्हें बहुत प्यारा लगता है और ऐसी चुदाई करते है कि रंडी को भी हिलाकर रख दें।

इस तरह दोनों बातें करती हुई कल का इंतजार करते हुए सो गयीं।

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Update 14


उधर जापान में राकेश और शालिनी घूमने गए हुए थे ।
पहले दिन राकेश ने अपना काम खत्म किया ।
दूसरे दिन राकेश एक लास्ट मीटिंग करना चाहता था अपने कैंडिडेट्स के साथ में तो उसने शालिनी से कहा - आप वेट करना मेरा मैं 3:00 बजे तक आ जाऊंगा और फिर घूमने चलेंगे।

ऐसा कहकर राकेश सुबह ही मीटिंग के लिए निकल गया।
अब होटल में अकेली शालनी थी ।
तभी उसकी एक सहेली का फोन आया जिसका नाम साक्षी था ।
साक्षी -हेलो ।
शालिनी- हेलो कैसी है तू , बड़े दिनों के बाद याद किया।

साक्षी - क्या याद किया यार अकेली थी तो तेरी याद आ रही थी । सोचा फोन ही कर लूं और बता क्या चल रहा है लाइफ में।

शालीनी- मैं जापान घूमने के लिए आई हुई हूं भाई के साथ।

साक्षी- चलो करो मजे फिर जापान में।

शालिनी - तुम अकेली क्यों हो तुम्हारा बॉयफ्रेंड नहीं है क्या साथ में ।

ऐसा इसलिए पूछा शालिनी ने क्योंकि साक्षी अपने बॉयफ्रेंड के साथ ही रहती थी।

साक्षी कहने लगी कि मेरे भैया आए हुए हैं तीन-चार दिन के लिए तो अभी उन्हीं के साथ हूं।

शालिनी शरारती अंदाज में बोली - फिर तो तुझे रात में नींद भी नहीं आती होगी क्योंकि बिना चुदे सोना तेरी आदत नहीं है ।

साक्षी बोली कि मैंने आज तक तुमसे कुछ नहीं छुपाया है शालिनी , बात दरअसल यह है कि मेरे भैया रात मुझे चोद चुके हैं । और उन्होंने मुझे बड़े ही ताबड़तोड़ तरीके से चोदा है ।

इतना सुनकर शालीनी के मुंह से निकला क्या तूने अपने भाई के साथ ??

तो साक्षी हंसकर कहने लगी -इसमें मेरी गलती नहीं थी मैं सोई हुई थी और भाई ने मुझे सोते हुए चोदना स्टार्ट कर दिया ।

शालिनी कहने लगी कि तुझे शर्म नहीं आई अपने भाई के साथ यह सब करते हुए ।

साक्षी - इसमें शर्म कैसी जब चूत को लंड चाहिए होता है तो वह चाहे फिर किसी का भी हो ,वह उस लंड का स्वागत कर लेती है ।

यह सुनकर शालिनी गर्म होने लगी और उसने अपनी चूत पर हाथ रख दिया।
म साक्षी से पूछने लगी कि क्या तुझे मजा आया अपने भाई के साथ

साक्षी बोली - पूछ मत यार मेरे भाई ने मुझे पूरी रात सोने नहीं दिया इतना जम के चोदा है ।

तभी अचानक साक्षी बोली कि भैया आ गए हैं मैं बाद में बात करती हूं ऐसा कह कर उसने फोन रख दिया।

उधर शालीनी भी गरम हो चुकी थी और उसने अपनी चूत पर हाथ फेरना शुरू कर दिया । उसके दिमाग में पता नहीं क्या आया वह पूरी नंगी होकर बेड पर लेट गई और अपनी चूत में उंगली करने लगी ।

उधर दूसरी तरफ जैसे ही राकेश होटल से बाहर निकला अचानक उसे कॉल आया की मीटिंग अटेंड करने की कोई जरूरत नहीं है सर काम हो चुका है । बाकी सब मैं संभाल लूंगा ।

राकेश तुरंत सोचने लगा कि चलो काम भी खत्म हुआ।
वापस होटल की तरफ मुड़ गया ।

जैसे ही अपने रूम पर पहुंचा अचानक उसने देखने का फैसला किया शालीनी क्या कर रही है उसने खिड़की के होल से झांक कर कर देखा तो उसे विश्वास ही नहीं हुआ।

उसकी बहन बेड पर नंगी पड़ी हुई थी हुई थी उसकी चूत दिख नहीं रही थी क्योंकि चूत पर घने बाल थे। उन काले काले बालों में ढकी हुई अपनी चूत में शालिनी उंगली किए जा रही थी।
तभी राकेश के दिमाग में एक प्लान आया और उसने उस होल से अपने मोबाइल का कैमरा लगाकर फोटो क्लिक कर लिया ।

और फिर कॉल किया शालिनी को जैसे ही राकेश का कॉल दिखा शालिनी ने फोन उठाया ।

राकेश बोला की शालीनी काम हो गया है चलो कहीं घूमने चलते हैं मीटिंग कैंसिल हो गई है, मैं आ रहा हूं ।

ऐसा कहकर राकेश ने फोन रख दिया जैसे शालिनी ने यह सुना वह हड़बड़ाती हुई जल्दी से खड़ी हुई और अपने कपड़े पहनने लगी ।

उसने एक जींस और टॉप पहन लिया।
जैसा कि दोस्तों आप जानते ही हैं कि शालीनी जैसे भी कपड़े पहनती थी उसकी जांघों में फस जाते थे , वह जींस भी टाइट ही थी जो उसकी गांड को निकाल कर बाहर शेप में दिखा रही थी ।

राकेश ने दरवाजे पर नोक किया और शालिनी ने दरवाजा खोला ।

अंदर आकर राकेश बेड पर बैठ गया जिस बेड पर उसकी बहन नंगी होकर चूत में उंगली डाल रही थी ।

राकेश ने घूमने का प्लान बनाया और दोनों घूमने के लिए निकल गए ।

राकेश गाड़ी ड्राइव कर रहा था और शालिनी उसके बराबर में बैठी हुई थी ।

तभी अचानक राकेश ने कहा - शालिनी तुम्हारी शादी कर देनी चाहिए ।

राकेश के मुंह से ऐसी बात सुनकर शालिनी झेंपती हुई बोली नहीं भैया अभी मैं शादी नहीं करूंगी ।

राकेश ने कहा चलो जैसी तुम्हारी मर्जी मैं इसलिए कह रहा था क्योंकि तुम्हारी उम्र भी अब 30-31 साल हो गई है और इस उम्र में शादी कर लेनी चाहिए ।

अपने भाई के मुंह से ऐसी बातें सुनकर शालिनी शर्मा गई और सीधी देखने लगी रोड की तरफ ।

कुछ देर दोनों खामोश रहे फिर शालीनी ने कहा चलो भैया कुछ खा लेते हैं।

फिर दोनों एक रेस्टोरेंट में गए रेस्टोरेंट में जाकर दोनों ने अपने लिए खाना ऑर्डर किया ।
और फिर आपस में बातें करने लगे ।

राकेश - शालिनी मेरे जाने के बाद आज तुमने क्या किया।

राकेश के मुंह से ऐसा सवाल सुनते ही शालिनी के माथे पर पसीना आ गया । वह हकलाते हुए बोली - कुछ नहीं भैया आपके जाने के बाद मैं अपनी फ्रेंड से बात कर रही थी।

शालिनी नहीं ये तो बोल दिया लेकिन उसके दिमाग में सवालों का समंदर हिलोरे लेने लगा कि भैया ने ऐसा क्यों पूछा ।कहीं भैया को पता तो नहीं चल गया वह ऐसा सोच ही रही थी कि तभी राकेश ने दूसरा तीर मारा।

राकेश - तभी मैं तुमसे कह रहा था कि तुम्हें शादी कर लेनी चाहिए ।

अब तो शालिनी की हालत ऐसी हो चली थी कि काटो तो खून नहीं ।

शालिनी समझ चुकी थी कि दाल में कुछ काला जरूर है। लेकिन शालीनी ने खामोश रहना ही उचित समझा।

फिर उन्होंने मूवी देखने का प्लान बनाया और शाम को 8:00 बजे घूम कर वापस आ गए ।

होटल में आते ही राकेश नहाने चला गया लेकिन शालिनी की हालत आज पूरे दिन खराब रही। वह यही सोचती रही कि भैया को कैसे पता चला ।
तभी अचानक उसकी नजर राकेश के मोबाइल पर पड़ी उसने सोचा कि दिन में राकेश ने जो उसकी फोटो खींची है वह ले लेती हूँ । ऐसा सोचकर उसने मोबाइल का लॉक खोला और गैलरी ओपन की जो उसकी पिक्स थी फोटोस थी वह उन्हें सेलेक्ट करने लगी ।

जैसे ही सेलेक्ट करते करते करते नीचे आई तो उसके होश ही उड़ गए क्योंकि नीचे वाली फोटो में वह नंगी बेड पर लेटी हुई थी और अपनी झांटो से भरी हुई चूत में उंगली कर रही थी ।

राकेश के मोबाइल में यह फोटोस देख कर उसे समझते देर नहीं लगी कि राकेश ने सब कुछ देख लिया है ।
उसने अपनी फोटोस भी नहीं ली और चुपचाप मोबाइल वहीं पर रख दिया ।

अब शालिनी सोचने लगी यदि भैया गुस्सा होते हैं तो उससे इस तरह हंसकर बात नहीं करते ,जिस तरह दिनभर उन्होंने की है ।

इससे यह तो साफ होता है कि भैया मुझ पर गुस्सा नहीं है। तो फिर मेरी फोटो खींचने का क्या मतलब है सोचने लगी कि देखते हैं क्या होता है तभी राकेश निकल कर आ गया।

उसे बैठी देखकर राकेश कहने लगा - शालिनी तुम भी नहा लो फिर डिनर करेंगे ।

शालिनी एक साथ जैसे नींद से जागी हो ।
शालिनी इतना ही बोल पाई - ज-जी भइया ।

शालिनी नहाने के लिए चली गई करीब आधे घंटे बाद जैसे ही शालिनी निकली राकेश को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ कि वह जो देख रहा है सच है या कोई सपना।

क्योंकि शालिनी पूरी तैयार हो कर निकली थी ।

शालिनी ने एक हाफ निकर और ऊपर एक वाइट कलर का टॉप पहना हुआ था ।
टॉप इतना कसा हुआ था कि उसके दोनों बूब्स उसे फाड़ने को उतारू थे । नीचे निकर भी कसा हुआ था जो कि उसकी चूत का शेप साफ-साफ देखा जा सकता था ।
इतने कसे हुए और छोटे कपड़े पहन कर लग रहा था कि शालीनी ने राकेश से चुदने का प्लान बना लिया है ।
उसके होठों पर डार्क लिपस्टिक लगी हुई थी जो कह रही थी कि चूस चूस कर मेरे लिपस्टिक हटा दो ।

राकेश ने अपनी नजर हटाते हुए शालिनी से कहा - बड़ी हॉट लग रही हो ।

शालिनी - यह सुनकर शरमाते हुए बोली भैया आप भी कुछ भी बोलते हो। और ऐसा कह कर वह डाइनिंग टेबल पर दोनों आमने सामने बैठ गए।

दोनों ने खाना खाया और फिर थोड़ा पार्क में टहलने के लिए निकल गए ।

पार्क में और भी कई शादीशुदा जोड़ा थे जो टहल रहे थे। कुछ लफंगे लड़के भी थे ।
राकेश का सिगरेट पीने का मन था और वह शालिनी के सामने सिगरेट नहीं पीता था । तो उसने शालीनी से कहा

राकेश - शालीनी तुम थोड़ा सा घूमो मैं तब तक इधर बैठ कर एक सिगरेट पीता हूं ।

ऐसा कहकर राकेश बैठ गया और शालिनी आगे की तरफ चल दी। तकरीबन 50 मीटर आगे ही जैसे वह गयी वहां कुछ लफंगे लड़के खड़े थे जो सिगरेट पी रहे थे।

उनमें से एक लड़का शालीनी को देखकर बोला - what a bitch .

(वो english में बोल रहे थे पर मैं हिंदी में लिखूंगा ताकि पाठकों को पूरी फीलिंग आ सके)

दूसरा बोला - निकर तो देख साली का अगर थोड़ा सा और टाइट होता तो फट जाता ।

तीसरा बोला - अबे ये कोई चुदक्कड़ रंडी होगी । ये हम चारो का लंड एक साथ खा जाएगी ।
ये सब सुनकर शालीनी शरम से पानी पानी हो गयी । लेकिन तभी उसकी नजर उन लड़कों की तरफ गयी जिनमे से एक के मुह से जोरदार चीख निकली थी।

दरअसल राकेश ने उसके मुँह पर एक जोरदार रहपटा जड़ दिया था। तभी दूसरा राकेश को पीछे से पकड़ने लगा लेकिन राकेश ने अपना सर उसके मुँह पर मारकर उसकी नाक ही तोड़ दी।
वो चारो एक साथ राकेश से लड़ने आये राकेश ने चीता जैसी फुर्ती दिखाते हुए उछलकर एक लड़के के कंधे पर पैर रखा और बाकी दो लड़कों के मुह पर जोरदार लात मारी जिससे वो गिर गए और जिसके कंधे पर राकेश खड़ा था उसके मुह पर भी अपने जूते की जोरदार हील मारी ।

चारो लड़के लहूलुहान हो चुके थे तभी पुलिस आगयी ।
पुलिस ने तुरंत राकेश और उन चारों लड़को को पकड़ लिया।
राकेश ने पुलिस को सकरी घटना बताई और अपना ID card दिखाया ।

आइडेंटिटी कार्ड देखते ही पुलिस वालों ने राकेश से मांफी मांगी और कहा हम आशा करते है कि आगे से किसी भी भारतीय के साथ ऐसा नही होगा ।

पुलिस उन लड़कों को पकड़कर थप्पड़ बजाती हुई ले गयी ।

अब राकेश और शालीनी वापस hotel में आगये ।
कुछ देर तक खामोशियों का सन्नाटा रहा फिर शालीनी ने चुप्पी तोड़ी ।

शालीनी - भईया अपने तो आज किसी साउथ मूवी के एक्टर की तरह उनका बैंड बजा दिया ।

राकेश - मेरी बहन को कोई इस तरह बोलेगा तो क्या मैं चुपचाप देखता रहू ।

शालीनी - आखिर भाई भी तो मेरा है मेरा है ।

राकेश- कोई तुम्हारे body parts के बारे में ऐसे बोलेगा तो मैं खामोश क्यों रहूंगा ।

शालीनी ये सुनकर शर्मा गयी वक जानती थी राकेश किस body parts की बात कर रहा है ।

राकेश ने अपना पासा फेंकते हुए कहा - उन सालों की खिड की बहन ऐसी नही होगी तब ही साले बोलते है ।

शालीनी - उनकी बहन ऐसी नही होगी मतलब भइया।

राकेश - अरे मतलब तुम्हारे जैसी नही होगी जैसी तुम हो गदरायी हुई ।

शालीनी इस सीधे वार से सुर्ख लाल हो गयी उसके पास बोलने के लिये कुछ नही था।

राकेश - क्या हुआ शालीनी तुम चुप क्यों हो गयी ।

शालीनी - कुछ नही भइया । जाने दो उनको , मैं सोने जा रही हूं ऐसा कहकर शालीनी बैडरूम में चली गयी।

उसके दिमाग मे कई सवाल घूम रहे थे जैसे कि राकेश के मोबाइल में उसकी नंगी फ़ोटो और फिर राकेश का इस तरह से बात करना।
अचानक शालीनी के मुह से निकला - नही ऐसा नही हो सकता ।
मेरा भाई मुझे ही चोदने के बारे में कैसे सोच सकता है ।

उसके दिमाग मे एक आईडिया आया ये पता करने का।

उसने तुरंत वो कसे हुए निक्कर और टोप उतारे। ब्रा और पैंटी भी उतार दी। फिर उसने एक ट्रांसपेरेंट नाइटी पहनी जो बिल्कुल पारदर्शी थी । उसके चुचों के निप्पल उसमे साफ नजर आरहे थे। गांड पर से हल्का सा टाइट हो गयी थी जिससे कि दोनों चूतड़ बिल्कुल साफ साफ दिख रहे थे।
वो एक शार्ट नाइटी थी जिसमे ऊपर से मोटी मोटी आधी चुचियाँ दिख रही थी और नीचे जांघो पर ही खत्म हो जाती थी ।
उसे पहनकर शालीनी बैड पर कंबल ओढ़कर लेट गयी ।
आधे घंटे बाद राकेश आया सोने के लिए तो उसने शालीनी को आवाज लगाई
लेकिन शालीनी तो नींद का बहाना करकर लेटी थी । शालीनी कि तरफ से कोई आवाज नही आई ।

राकेश - लगता है बहनजी बिना gud night बोले ही सो गई ।
ऐसा कहकर राकेश बैड पर लेट गया अपनी शर्ट उतारकर ।
दोनों एक ही कंबल में लेटे थे।
शालीनी सोच रही थी कि राकेश अब कुछ करेगा और वो इंतजार कर रही थी।
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इससे आगे की कहानी next update में।
कहानी जारी रहेगी दोस्तो। और साथ मे सुझाव भी साझा कर सकते है।
मुझे सपोर्ट करने के लिए आपको दिल से धन्यवाद ।
 
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Update 15

दोस्तों एक छोटी सी अपडेट लेकिन यहाँ से कहानी एक नया मोड़ लेगी । तो मजा लेते रहें।
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राकेश बेड पर शालिनी के बगल में लेट गया और उसने कंबल ओढ़ लिया।

तकरीबन 10 मिनट बाद शालिनी ने राकेश की तरफ पीट कर ली और और करवट लेकर लेट गई ।

राकेश को भी नींद आने लगी थी उसने भी शालिनी की तरफ करवट ली और जैसे ही उसका हाथ शालिनी की छाती पर लगा तो उसकी नींद गायब ही हो गई।

शालिनी के ढीली सी नाइटी में बिना ब्रा के बूब्स गुलाब के फूलों की तरह खिले हुए महसूस हो रहे थे।
राकेश ने धीरे से अपना हाथ बूब्स पर रखा उधर शालिनी की सिसकारी निकलने ही वाली थी कि उसने अपनी सांसो पर काबू पाते हुए चुपचाप सोने का नाटक किया।

राकेश सोचने लगा कि उसकी बहन शालीनी तो भरीपूरी औरत को भी मात दे सकती है । इतना गदराया हुआ बदन । और उस बदन में लौड़ो की चाहत साफ देखी जा सकती थी।
राकेश सोचने लगा कि शालीनी के ऊपर एक साथ दो को भी चढ़ाया जाए तो ये कुतिया उन्हें आराम से निचोड़ सकती है।

शालिनी के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था जिसका राकेश को अंदाजा भी नहीं था ।

राकेश ने अपना एक हाथ शालिनी के चूतड़ों पर रखा रखा तो उसका लंड औकात में आ गया क्योंकि उसकी वह फैली हुई गांड गांड ,अपनी भारी-भरकम गांड को को को लेकर बेड पर पड़ी थी थी शालीनी।

उसने अपना हाथ चूतड़ों से नीचे जांघों पर रखा तो उसकी मोटी मोटी जांघों को सहलाने से ही ही राकेश मदहोश हो गया।

जैसे ही शालिनी ने सीधी करवट ली राकेश ने एक साथ डर कर कर डर कर कर साथ डर कर कर डर कर कर हाथ हटा लिया ।
कुछ समय बाद राकेश ने फिर अपना हाथ शालिनी के मुलायम मुलायम पेट पर रखा और नीचे की तरफ हाथ बढ़ाया।

शालीनी ने बहुत ही छोटी नाइटी पहनी हुई थी और उसका हाथ शालिनी की झांटो में आकर रुक गया।
पहले तो राकेश को को विश्वास ही नहीं हुआ कि उसकी बहन शालीनी की झांटे इतनी बड़ी बड़ी और लंबी लंबी लंबी और लंबी लंबी लंबी बड़ी और लंबी लंबी लंबी और लंबी लंबी बड़ी और लंबी लंबी लंबी बड़ी बड़ी और लंबी लंबी लंबी और लंबी लंबी लंबी बड़ी और लंबी लंबी लंबी और लंबी लंबी है।
उस घने जंगल को देखकर राकेश पागल सा हो गया और उसने अपना पूरा हाथ शालीनी की चूत पर रख दिया ।

राकेश को महसूस हुआ किसी शालीनी की चूत उसकी उम्र के मुकाबले थोड़ा बड़ी है क्योंकि उसके पूरे हाथ में उसकी चूत भरकर आ रही थी थी ।

उधर शालिनी ने ने राकेश का हाथ पकड़कर अपनी चूत पर दबा दिया जिसका राकेश को बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था।
और शालीनी ने धीरे से राकेश से कहा- भईया पीले मेरी चूत।

अब तो राकेश पागल ही हो गया।
राकेश ने तुरंत कंबल को हटा कर फेंक दिया फेंक दिया दिया अब बेड पर शालिनी उस नाइटी में में मदरजात नंगी पड़ी हुई थी।
राकेश ने उसकी नाइटी को फाड़ दिया दिया।

शालिनी की मोटी मोटी जांघों के बीच उगा हुआ घना जंगल ऐसा लग रहा था जिसे चांद में कोई काला तिल हो ।
उसके काली काली काली झांटो में छुपी हुई उसकी चूत कह रही थी कि मुझे कोई तगड़ा लंड चाहिए ।

तभी शालीनी के दिमाग ने अपने प्लान पर काम करना शुरू किया ।

शालिनी ने कहा- भैया मुझे शर्म आ रही है। पहली चुदाई मैं आपकी आंखों पर पट्टी बांध के करूंगी करूंगी के करूंगी करूंगी।

राकेश उसकी बात मान गया और उसने अपनी आंखों पर एक काली पट्टी बांध ली और बेड पर लेट गया ।

शालीनी ने अपने बैग में से कुछ निकाला और बैड पर आकर वह पूरा चाकू राकेश की छाती में घोंप दिया ।
राकेश के मुंह से एक चीख निकली और शालिनी ने लगातार चार पांच बार बार चाकू राकेश की छाती में घोंपा।
राकेश ठंडा पड़ गया राकेश की सांसे बंद हो गई ।

शालीनी जल्दी से उठी अपने कपड़े पहने और उसने राकेश को पॉलिथीन में पैक किया चारों चारों तरफ से और अपनी गाड़ी की डिग्गी में डालकर में डालकर उसने उसे एक नदी में फेंक दिया और आकर सो गई ।
 
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Update 16

पीछे अपने पढ़ा --:
धर्मवीर यह सुनकर सोचने लगा कि पूजा तो वैसे भी देखने मे औरत ही नजर आती है पूजा पर चढ़ने के ये मौका अच्छा है ।

धर्मवीर - हां पूजा को देखकर ही लगता है कि बेटी की नथ उतार चुका है कोई ।

सोमनाथ - हम्म मुझे भी लगता है ।
अब आगे _________

सुबह के 7 बीज चुके थे । पूजा की आंखे खुलीं जो अपनी उपासना दीदी के बराबर में सो रही थी । बाकी घर मे सब सोये हुए थे।
पूजा ने एक नजर उपासना पर डाली तो उपासना पहले दिन जो धर्मवीर से जमकर चुदी थी उस वजह से ज्यादा थकी हुई होने के कारण अभी सोई हुई थी ।

पूजा उठकर फ्रेश होने के बाद टूथपेस्ट करके सोचने लगी कि सब तो सोये हुए है क्या किया जाए ।
उसने सोचा कि पापा को जगा देती हूं ये सोचकर पूजा उनके फ्लोर की तरफ जाने लगी ।

जैसे ही पूजा धर्मवीर के रूम के पास जाकर दरवाजा खटखटाने को हुई तभी अचानक अंदर से उसे कुछ आवाज सुनाई दी । पूजा ठिठक गयी और चुपचाप गेट से कान लगाकर सुनने लगी ।

धर्मवीर - सोमनाथ जी प्लान तो हमने बना लिया लेकिन तय प्लान के आधार पर दोनों बहु और बेटियों को ये महसूस नही होना चाहिए कि हमारे खुरापाती दिमाग मे ऐसा कुछ चल रहा है ।


सोमनाथ - समधी जी आप चिंता न करे । हम उनके सामने ऐसा कोई रियेक्ट नही करेंगे जिससे हमारे प्लान पर पानी फिर जाए।

धर्मवीर - वैसे सोमनाथ जी बहु पर तो मुझे पूरा भरोसा है कि वो इस महासमारोह में पीछे हटने वाली चीज नही है । बस पूजा की तरफ से थोड़ा परेशानी है कि वो अभी बच्ची है कहीं हार ना मान जाए । ऐसा ना हो पूजा हम दोनों अधेड़ों को देखकर डर जाए ।

सोमनाथ - मुझे भी ऐसा ही लगता है समधी जी क्योंकि उपासना की तो शादी हो चुकी है उसे तो झेलने की आदत पड़ गयी है । लेकिन देखा जाए तो पूजा के पिछवाड़े की चौड़ाई भी कम नही है उपासना से । और इतने भरे शरीर की लड़की औरत बनने की कगार पर ही होती है ।

धर्मवीर - तो क्या सोच रहे हो सोमनाथ जी उसे औरत आप बनाएंगे या ये काम हमे सोपेंगे ।

सोमनाथ - समधी जी अपनी बहू के परखच्चे तो आप कल ही उड़ा चुके हैं । अब हमें भी मौका दीजियेगा और पूजा को औरत आप ही बनाएगा ।

धर्मवीर - लगता है सोमनाथ जी का मन हमारे घर की बहू पर खराब हो गया है ।

सोमनाथ - क्यों शर्मिंदा कर रहे है धर्मवीर जी । कल जब आपके साथ उसे देखा तो उसका पिछवाड़ा नजरो से हट नही रह है।

धर्मवीर - मेरी नजरो से भी पूजा का पिछवाड़ा नही हट रहा है । कल जब सीढ़ियों पर वो मेरे आगे चल रही थी तो उसके कूल्हे मैंने देखे थे । लंड खाने को बेताब नजर आरही थी पूजा की गांड ।


ये बाते सुनकर पूजा सोचने लगी कि धर्मवीर साला ठरकी है पूरा अपनी बेटी जैसी लड़की कल ही नजर डाल दी थी कुत्ते ने । अब दिखाती हूँ मेरा पिछवाड़ा बेताब है कि नही लंड खाने को । ऐसा सोचकर पूजा ने थोड़ा पीछे हटकर आवाज लगाई । पूजा ने इस वक्त सूटसलवार ही पहन रखे थे ।

पूजा बिल्कुल अनजान बनते हुए - पापा जी पापाजी गेट खोलिये सुबह हो गयी ।

पूजा की आवाज सुनकर दोनों चुप हो गए और सोमनाथ जी गेट खोलने के लिए उठे और गेट खोल दिया।

पूजा अंदर आते हुए - पापाजी सुबह हो गयी चलना नही है क्या घर ।

सोमनाथ - बेटी चलना तो था घर लेकिन अभी देखो tv पर क्या न्यूज़ आरही है ।

पूजा ने जैसे ही tv की तरफ देखा एकदम हैरान रह गयी । क्योंकि tv पर बताया जा रहा था कि पूरा देश 21 दिन के लिए लौकडाउन हो गया है । कोई घर से बाहर नही जा सकता ।

पूजा - oh my god पापाजी अब हमें 21 दिन तक यही रहना पड़ेगा ।

धर्मवीर - क्यो बेटी ये तुम्हारा घर नही है क्या ।

पूजा - नही मौसा जी ऐसी बात नही है । लेकिन ये अचानक ही -----
ऐसा कहकर पूजा चुप हो गयी ।

तभी धर्मवीर के मोबाइल पर रिंग हुई धर्मवीर ने देखा अनवर का फोन था ।

धर्मवीर - hello अनवर बोलो क्या बात हुई और तुमने आज चाय भी नही बनाई अभी तक ।

अनवर - बाबूजी माफ कीजियेगा । रात 3 बजे मेरी आंखें खुली तो मैंने tv चलाकर देखा जिसमे लौकडाउन की खबर थी । मैने सोचा गांव में माँ अकेली है और बीमार है तो सोचा कि अब तो उनकी कोई देखभाल नही करेगा ऐसी स्थिति में । इसलिए मैं तभी आपकी गाड़ी लेकर गांव के लिए निकल गया। बाबूजी मांफ कीजियेगा आपकी गाड़ी लेकर जाने के अलावा कोई दूसरा चारा नही था ।

धर्मवीर बात को समझते हुए - ohh चलो कोई बात नही अनवर तुम अपनी मां का खयाल रखना वैसे भी मैं भी office या बाहर नही जा पाऊंगा , तुमने गाड़ी लेजाकर ठीक किया। कम से कम तुम्हे तो परेशानी नही होगी । और तुमने पैसे भी नही लिए मुझसे ।

अनवर - बाबूजी मैं आपकी नींद खराब नही करना चाहता था । कोई बात नही ।

धर्मवीर - चलो मैं तुम्हारे बैंक खाते में ट्रांसफर कर देता हूँ अगर कोई ATM खुला मिले तो निकाल लेना ।

इतनी बात करके धर्मवीर ने फ़ोन रख दिया । और अपने मोबाइल से तुरंत पैसे ट्रांसफर करने लगा । उसने तीन लाख रुपये अनवर को ट्रांसफर कर दिए ।

धर्मवीर - लीजिये अब खाना कौन बनाएगा हमारा नोकर फिर चला गया ।

पूजा - कोई बात नही मौसा जी मैं और दीदी बना देंगे ऐसा कहकर पूजा जाने के लिए मुड़ने लगी ।

पूजा जैसे ही मुड़ी उसका पैर फिसल गया और वो फर्श पर इस तरीके से गिरी । पूजा के दोनों हाथ पीछे फर्श पर टिके हुए थे और घुटने मुड़ गए थे । पूजा सीधी गिरी थी जिस वजह से सलवार में फसी उसकी मोटी मोटी जांघे जब धर्मवीर और सोमनाथ को दिखीं तो उन दोनों की आंखे चौन्धिया गयी । पूजा की जांघो का गदरायापन उसकी गांड के फैलाव को बयान कर रहा था ।

पूजा शर्माते हुए उठी । और जैसे ही दोबारा जाने के लिए मुड़ी तो उसके चूतड़ों में उसकी कुर्ती फस गयी ।
दोनों चूतड़ों के बीच मे सलवार फसी होने के कारण अंदाजा लगाया जा सकता था कि उसके गोल गोल बड़े बड़े चूतड़ों वाली गांड तगड़े से तगड़ा लंड खाने लायक हो गयी है ।

धरमवीर - बेटा लगी तो नही ।

पूजा - नही मौसा जी । बस फिसल गई लगी नही है ।
ऐसा कहकर पूजा ने एक हाथ पिछवाड़े पर लेजाकर चूतड़ों के बीच फसी सलवार निकाली और चली गयी ।

धर्मवीर - सोमनाथ जी सही कहा था अपने पूजा भी अब एक मस्त घोड़ी हो गयी है जो बिस्तर में बिल्कुल आग लगा देगी ।

सोमनाथ - हां समधी जी आप ही देख लीजिए कैसे संभालेंगे अपनी मस्त घोड़ी को ।

धर्मवीर - हम तो इसे तड़पाएँगे । और इतनी तड़पाएँगे की इसकी चूत का पानी रिसकर घुटनो तक आजायेगा ।


दोनों फिर tv पर न्यूज़ देखने लगे गए ।

उधर पूजा जैसे ही वापस आयी तो उसने देखा उपासना भी जाग गयी है ।
पूजा ने अनवर से लेकर उसके फिसलने तक कि सारी बात उपासना को बता दी । जो उसने छुपकर सुना था दोनों के मुह से ।

पूजा - देखा दीदी पहले ससुर जी फिर आज पापाजी चढ़ने वाले है तुमपर ।

उपासना - अच्छा पूजा देखते है क्या होता है तूने तो अपना पिछवाड़ा दिखाकर सुबह सुबह ही पागल कर दिया होगा दोनों को ।

पूजा - हां दीदी दोनों मुह फाड़कर ऐसे देख रहे थे जैसे नजरो से ही चोद रहे हों ।

उपासना - अच्छा । पूजा ध्यान रखना हमे ये जाहिर नही होने देना है कि हमे सबकुछ पता है । इस खेल में तभी मजा आएगा ।

पूजा - आप फिक्र ना करे दीदी । हम दोनों इतनी संस्कारी बनकर रहेंगे की हमे नंगी देखकर भी उनकी चोदने की हिम्मत नही होगी ।

उपासना - चल चाय नाश्ता बना लेते है फिर कपड़े बदलेंगे नहाकर ।

दोनों ने जल्दी से नाश्ता तैयार किया और दोनों नहाने चली गयी ।

दोनों नहाकर उपासना के रूम में आईं तौलिया लपेटकर ।
उपासना कपड़ो का चयन करने लगी ।

पूजा - दीदी दिन के लिए तो कोई लूज कपड़े पहन लेते है ।

उपासना - क्या पहनने का मन है तेरा । मैं तो सोच रही थी कि रात कक तो वो लोग हमें वैसे भी नंगी ही रखेंगे । दिन में टाइट कपड़े पहन लेते है ।

पूजा - ये भी ठीक है दीदी क्या पहनोगी तो ।

उपासना - एक काम करते है दोनों लैगिंग और टॉप पहन लेते है।

पूजा - नही दीदी ये तो कुछ ज्यादा हो जायेगा । वो दोनों तो हमारा रेप ही करदेंगे इन कपड़ो में देखकर ।

उपासना - पगली तभी मजा आता है जब मर्द का लंड खड़ा रहे और वो कुछ कर भी ना पाए ।

पूजा - ओके दीदी । ऐसा ही करते है ।

दोनों ने सेम pink कलर की लैगिंग पहनी और उसके ऊपर नीले रंग का शॉर्ट टॉप पहना।
टॉप इतना ज्यादा छोटा था की नाभि से 4 इंच ऊपर ऊपर इंच ऊपर ऊपर ही वह खत्म हो जाता था उसका गला भी भी बहुत ज्यादा डीप था। कहने का मतलब है कि मोटे मोटे मोटे चूचे उसमें जैसे तैसे तैसे ही रुक पा रही थी और नीचे लैगिंग भी घुटनों से थोड़ा सा नीचे ही खत्म हो जाती थी ।दोनों की 40 साइज की फैली हुई गांड को संभालने में नाकामयाब सी प्रतीत होती थी।

उपासना बोली पूजा से - पूजा तुझे तो मेरी लैगिंग बिल्कुल फिट आगयी ।

पूजा - हां दीदी कपड़े तो बिल्कुल एक साइज के आते है दोनों को ।

उपासना - अरे ऐसे कैसे । मैं तो शादी के बाद ऐसी हुई हूं पर तेरी गांड और चुचियां इतनी कैसे गदरा गयी ।

पूजा - दीदी लड़की के शरीर की भी बात होती है । मेरी बॉडी ही कुछ आपसे बड़ी लगती है ।

उपासना - फिर तो तेरे जैसी भैंस को एक सांड की जरूरत होगी ।

पूजा - ये तो मैं भी बोल सकती हूं कि तुम भी किसी सांड के ही काबू में आ सकती हो दीदी ।

उपासना - घर मे दो सांडो ने प्लान बनाया तो है हम दोनों की चूतों का बाजा बजाने का।

पूजा - बाजा नही दीदी DJ बजेगा हमारी चूतों का तो ।

बात करती करती दोनों ने टेबल पर नाश्ता लगा दिया ।

लगभग 10 मिनट बाद धर्मवीर और सोमनाथ नाश्ता करने नीचे आगये । उस वक्त दोनों बहन किचन में थीं ।

धर्मवीर - अरे नाश्ता तो तैयार है पर सोमनाथ जी लगता है हमे अकेले ही करना पड़ेगा आज नाश्ता ।

तभी अंदर से उपासना की धीमी सी आवाज आई - हम भी आरहे है पापाजी ।

ऐसा कहकर दोनों बहन किचन से टेबल की तरफ आने लगी । जैसे ही धर्मवीर और सोमनाथ की नजर दोनों पर पड़ी दोनों का कलेजा थम गया । सांसे लेना ही भूल गए ।
क्योंकि शरीर से दोनों बहन सेम ही लग रही थी सेम कपड़ो में । धीरे धीरे किसी मस्तानी हथिनी की तरह चलकर दोनों करीब आरही थी। दोनों की जांघो को देखकर ही पता चल रहा था कि पीछे पिछवाड़ा कितना मटक रहा होगा।

धर्मवीर मन मे अपने आपसे कह रहा था कि इन दोनों को अभी बैड पर पटककर इनका मूत पी जाऊं और फिर ई दोनों घोड़ियों को अपने लंड पर कुदाऊं । मैं तो सोचता था उपासना ही चूत की रानी है पर मुझे लग रहा है पूजा की चूत के मूत की खुशबू भी नशीली होगी । दिखने में कुंवारी लगने वाली ये पूजा लंड पर उछल उछलकर चुदेगी ।

दोनों को अपनी तरफ देखते हुए उपासना बोली - क्या हुआ पापाजी ऐसे क्या देख रहे हो।
याब तक दोनों आकर बैठ चुकी थी टेबल पर ।

सोमनाथ सपकपाते हुए - कु-कुछ नही बेटी देख रहा था कि दोनों बेटियां कितनी खूबसूरत है ।

उपासना - बेटियां भी तो आपकी ही है पापा।

धर्मवीर - मैं तो दोनों बेटियों में अंतर ही पता करने में असमर्थ हूँ ।

पूजा - कोई अंतर नही है मौसा जी । मैं और दीदी एक जैसे है।

पूजा की इस बात का मतलब समझ रहा था धर्मवीर ।

धर्मवीर - नही पूजा बिटिया कुछ तो अंतर होगा ही ।

पूजा - नही कोई अंतर नही है । चलो दीदी जरा मेरे बराबर में खड़े होकर दिखाओ पापा को । ऐसा कहकर दोनों चेयर से उठकर सामने खड़ी हो गयी ।

सोमनाथ - दोनों रंडियों को देखते हुए - नही बेटी आगे से तो दोनों में कोई अंतर नही है ।

इसबार उपासना बोली - अच्छा तो आगे से पापा को कोई अंतर नही लगा मतलब अब पापा पीछे से देखना चाहते हैं ।

पूजा - चलो दीदी तो पापा की तरफ पीठ करलो ।
दोनों अब अपना पिछवाड़ा करके खड़ी हो गयी धर्मवीर और सोमनाथ के सामने । दोनों की गांड अब धर्मवीर और सोमनाथ के सामने लैगिंग में फसी हुई थीं ।

धर्मवीर का मन कर रहा था कि लैगिंग फाड़कर अभी पूजा की गांड पर ढेर सारा थूक दू ।
सोमनाथ का मन कफ रहा था कि उपासना की लैगिंग फाड़कर अभी उसकी गांड में लंड जड़ तक घुसेड़ दू ।

सोमनाथ - नही बेटियों पीछे से भी कोई खास अंतर नही है बस इतना ही अंतर है कि पूजा थोड़ी कसी हुई है उपासना बेटी थोड़ी ढीली हो गयी है ।

ये सुनकर उपासना और पूजा दोनों शर्माते हुए घूमकर बैठ गयी वापस चेयर पर ।

पूजा - नही पापाजी ऐसा नही है हम दोनों ने आज सेम साइज के कपड़े पहने है । दीदी की ही लैगिंग है ये और दोनों लैगिंग का साइज 40 है ।

धर्मवीर - अच्छा तो तुम्हारा पिछवाड़ा भी अब उपासना की तरह 40 का हो गया है ।

ये सुनकर फिर दोनों शर्माकर लाल हो गयी ।

पूजा - मौसा जी आज क्या करना है आज तो हम बोर हो जाएंगे ।

धर्मवीर - बोर तब हो जाओगे जब हम होने देंगे । आज हम पूजा करेंगे ।

पूजा ये सुनकर धर्मवीर की आंखों में देखते हुए - मौसा जी आप भी ना मतलब कुछ भी बोलते हो । याब साधु बाबा बनोगे क्या आज ।

धर्मवीर - हां आज मैं साधु बाबा बनुगा पुजारी बाबा ये ही समझ लो ।

पूजा - फिर हमे क्या करना चाहिए साधु बाबा जी ।

धर्मवीर बोला -
तुम आज गंगा में स्नान करो ,
तुम आज गंगा में स्नान करो ,
अपना सब कुछ दान करो ,
ये साधु बाबा तुम्हारा भला करेगा ,
तुम्हारे छोटे छेद को बड़ा करेगा ।

ये शायरी सुनते ही पूजा शर्म से गढ़ गयी अब उससे सामना नही हो रहा था धर्मवीर का वो चुपचाप उठी और जाने लगी । थोड़ा आगे चलकर पूजा इस तरह झुकी जैसे लोग झुककर जूते के फीते बांधते है ।

अब तो पूजा की गांड बिल्कुल ऐसे चौड़ी हो गयी फैलकर जैसे चाखी के पाट हो ।
एकबार तो धर्मवीर का मन हुआ कि पूजा की गांड में मुँह घुसा दे पर अपने आपपर नियंत्रण रखते हुए देखता रहा उस झुकी हुई चुदासी कुतिया को ।

फिर पूजा ने सीधी होकर एकबार धर्मवीर को देखा और सीधे उपासना के रूम में चली गयी ।
 
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update 17
दोपहर का समय था , धर्मवीर और सोमनाथ tv देख रहे थे तभी उपासना और पूजा दोनो ने आकर एकसाथ कहा - पापाजी हम जरा कुछ शोपिंग करने जा रहे हैं ।

ऐसा कहकर दोनों मेन गेट की तरफ चलदी ।
दोनों ने वन पीस पहना हुआ था जिसमें उनकी गदरायी हुई जांघे और चौड़े कूल्हे धीरे धीरे हिल रहे थे।


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सोमनाथ और धर्मवीर ने एक दूसरे की तरफ देखा और धर्मवीर बोला - आज तो बाजार बंद है फिर यह कहां जा रही हैं दोंनो ।

सोमनाथ ने कहा - हो सकता है दोनों को घूमने का मन हो या कोई जरूरी काम हो ।

उपासना और पूजा सबसे पहले ब्यूटी पार्लर गई जहां पर उन्होंने अपने बालों की कटिंग कराई और दोनों के बालों की लंबाई एक जैसी ही हो गई , फिर दोनों ने घर आकर गर्म पानी में स्नान किया ।

शाम के 5:00 बजने को आए थे और अभी उपासना और पूजा एक 1 घंटे सो कर उठी थी उपासना ने अपने और पूजा के लिए एक बहुत ही टाइट ड्रेस निकाली और पूजा की तरफ मुस्कुरा कर बोली- ले पहन ले मेरी घोड़ी ।
अब उन दोनों को थोड़ा तड़पा दें ताकि रात को हम दोनों की चूतों की धज्जियां बिखेरने में कोई कसर बाकी ना रहे।
उन दोनों के लंडों में ऐसी आग लगा दे कि रात भर भर इतनी कसकर , इतनी टीका कर गांड मारी गांड मारी कर गांड मारी जाए हम दोनों की कि हमारे बस की चलना ना रहे ना रहे , और पूजा तुझे तो वैसे भी दोनों को एक साथ अपने ऊपर एक बार चढ़वाना ही पड़ेगा तभी तेरा यह चुदा हुआ भोसड़ा गेंदा के फूल की तरह खिलेगा ।

पूजा ड्रेस को हाथ में पकड़ते हुए बोली हुए बोली - दीदी यह कहां का इंसाफ है छोटी बहन की चूत में लोड़े भरकर आप तड़पते रहो। चुदना दो आपको भी है । आपकी भी यह मोटी मोटी जांघे किसी का भी मुंह छुपाने के लिए, किसी के भी लोड़े को छुपाने के लिए काफी है।

दोनों ने टाइट योगा पैंट पहनी उसमें तो वास्तव में ही ऐसा लग रहा था जैसे साक्षात चुदाई की रानियां हो ।
देखकर कोई भी कह सकता था इनकी चूतों में भरा हुआ रस पीने के लिए मैं कुछ भी कर सकता हूं तो बेचारे धर्मवीर और सोमनाथ की क्या औकात ।
ऊपर से ड्रेस ऐसी थी कि अगर एक कदम भी आगे रखें तो पूरी गांड हिलने लगे आगे से चूत का शेप बिल्कुल साफ दिखाई दिखाई दे रहा था ।
ऐसा लग रहा था कि यह ड्रेस बदन छुपाने के लिए नहीं बल्कि दोनों घोड़ियां अपनी चूत और चुचों का प्रदर्शन करना चाहती थी ।
नीचे हाई हील की सैंडल पहन कर कर दोनों अपने एक्सरसाइज रूम में गई जहां पर उपासना व्यायाम करती थी ।



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उपासना ने जानबूझकर धर्मवीर को कॉल किया और कहा - पापा जी हमें भी योगा सिखा दीजिए अगर आपके पास समय है तो हम व्यायाम कक्ष में दोनों बहन व्यायाम कर रही हैं।

धर्मवीर फोन सुनकर कहने लगा सोमनाथ से - दोनों बेटियां एक्सरसाइज कर रही है चलो दोनों को योगा के कुछ स्टेप्स बता दिए जाएं दिए जाएं ।

सोमनाथ कहने लगा कि वह सब तो ठीक है लेकिन योगा ड्रैस तो पहनने को बोलो उनको ।

धर्मवीर कहने लगा - आप मेरी बहू को कम मत समझना मुझे पूर्ण विश्वास है कि उसने अपने बाप के लिए वैसे ही कपड़े पहने होंगे जैसे कपड़ों में देखने की इच्छा सोमनाथ जी कर रहे हैं ।

ऐसा सुनकर सोमनाथ हंस दिया और दोनों चलने लगे।

जैसे ही दोनों ने कक्ष में कदम रखा दोनों के मुंह खुले के खुले रह गए क्योंकि उपासना और पूजा गेट की तरफ अपना पिछवाड़ा करके नीचे झुकी हुई थी और अपने हाथ को पैरों पर लगाने की कोशिश कर रही थी ।

हाथ पैरों तक नहीं पहुंच रहा था । इस तरह झुकी हुई कोई गदरायी लड़की देखकर इंसान वैसे ही अपना आपा खो देता है और यहां तो दो दो रंडियां अपने बाप और ससुर ससुर के सामने अपना पिछवाड़ा इस तरह फैला कर झुकी हुई थी जैसे कह रही हूं कि अब अपना तगड़ा लोड़ा हमारी चूतों में फंसा कर हमारी बच्चादानी में अपना बीज डाल डाल दीजिए।



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सोमनाथ और धर्मवीर दोनों एक दूसरे के मुंह को देखने लगे।

सोमनाथ को यकीन ही नहीं हो रहा था कि सामने झुकी झुकी दो घोड़ियों उसी की बेटी हैं। आज तक उनका बदन उसे क्यों नहीं दिखा इस बात का मलाल करते हुए सोमनाथ ने हंसते हुए कहा की दोनों बेटियां व्यायाम कर रही हैं ।

इतना सुनकर झुकी हुई उपासना और पूजा ने एक दूसरे की तरफ की तरफ देखा और दोनों अपने होठों पर मुस्कुराहट लाते हुए खड़ी हुई और सोमनाथ और धर्मवीर की तरफ मुड़ी तरफ मुड़ी अपने ससुर और पापा के सामने खड़ी दोनों बेटियां जब घूमी तो धर्मवीर और सोमनाथ की सोमनाथ की सांसे ही रुक गई गई गई ।

उनकी जांघों के बीच में चूत की बनावट उसके ऊपर पतली कमर और फिर पपीते जैसे मोटे मोटे चुचों को देखकर दोनों का लंड पैंट में इस हालत में था जैसे पागल खाने में कोई पागल कैद हो ।

धर्मवीर बोला - उपासना बेटा तुम्हें व्यायाम की क्या जरूरत है तुम्हारी बॉडी तो ठीक है, मेंटेन है ।

धर्मवीर की बात काटते हुए पूजा बोली - कहां मेंटेन है मौसा जी जी जी मौसा जी जी देखिए तो दीदी मोटी होती जा रही है ।

उपासना शर्मा गई और पूजा की तरफ देख कर बोली कह तो ऐसे रही है जैसे खुद मोटी ना हो हो तू भी तो मोटी ही है ही है तो मोटी ही है ही है।

धर्मवीर और सोमनाथ हंसते हुए कहने लगे किसने कहा तुम दोनों मोटी हो तुम मोटी नहीं हो।

उपासना बोली धर्मवीर से- कि पापा जी जी आप मुझे एक दिन योगा की स्टेप स्टेप सिखाने की बात कर रहे थे मैंने सोचा कि आज पूजा भी आई हुई है तो क्यों ना हम दोनों ही आपसे स्टेप सीख ले सीख ले ले ।

सोमनाथ बोला - हां यह सही रहेगा ।
तभी पूजा बोली सोमनाथ से- अच्छा पापा बताओ मैं और दीदी इस ड्रेस में कैसे लग रहे हैं।

सोमनाथ बोला मेरी तो तुम दोनों ही बेटियां हो और अपने बच्चे हर मां बाप के लिए सबसे प्यारे होते हैं । तुम्हें यह पूछना ही है तो अपने मौसा जी जी से पूछो मौसा जी से पूछो , धर्मवीर ही बताएंगे कि तुम कैसी लग रही हो ।

फिर पूजा ने बड़ी ही अदा से अपना एक हाथ अपने ढूंगे पर रखा और कूल्हे पर हाथ रख कर खड़ी हो गई खड़ी हो गई और बोली धर्मवीर से- बताइए मौसा जी जी हम दोनों आज कैसी लग रही है ?


धर्मवीर बोला --
दिलकश होंठ , निखरा चेहरा तुम्हारा ये गदराया हुआ बदन ,
दिलकश होंठ , निखरा चेहरा तुम्हारा ये गदराया हुआ बदन ,
ऐसे चमके रूप तुम्हारा, जैसे पानी में किरन ।
शहरों की इन गलियों में है चर्चे तुम्हारे नाम के ,
इतने सारे हुस्न के जलवे प्यार बिना किस काम के ।।



पूजा ये सुनकर शर्मा गयी क्योंकि वो जानती थी कि किस प्यार की बात धर्मवीर कर रहा है, वो समझ गयी थी कि इतनी रसीली चूतों का बिना लंड के क्या फायदा यही धर्मवीर का मतलब है ।


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शायरी सुनकर उपासना बोली शरमाते हुए - आपके शब्दों का भी कोई जवाब नहीं । अब हमें कोई स्टेप सिखाइए ।

धर्मवीर बोला - नहीं बेटी पहले तुम दोनों थोड़ा व्यायाम करो अपना पसीना निकालो जिससे कि तुम्हें हाथ और पैरों को मोड़ने में ज्यादा तकलीफ ना हो, और तुम योगा के स्टेप सीख सको ।

इतना सुनते ही उपासना बोली - लीजिये हम दोनों अपना पसीना निकालते हैं हम दोनों ट्रेडमिल पर दौड़ लेते है ।


इतना कहकर उपासना ने पूजा से कहा- चल मेरी बहन निकाल ले पसीना । यह बात उसने बड़े ही कामुक अंदाज में कही ।

दोनों अलग अलग ट्रेडमिल पर खड़ी हो गई और मशीन स्टार्ट कर दी ।
दोनों धीरे धीरे चलने लगी उनका चलना देख कर तो धर्मवीर से रहा नहीं जा रहा था दोनों के चूतड़ और चूची हिल रही थी । दोनों का पिछवाड़ा बराबर हिल रहा था अब धीरे-धीरे उपासना ने ट्रेडमिल की स्पीड बढ़ा दे स्पीड बढ़ा दे और उछल उछल कर उस पर दौड़ने लगी जितनी वह उछलती उतनी ही उनकी गांड हिलती उनके चूतड़ ऊपर नीचे हो जाते और चुचे तो मानो आगे दो पपीते उछल कूद कर रहे हो ।

ऐसा लग रहा था मानो स्वर्ग से दो कामदेवी उतारकर दौड़ने लगी हों ।
दोनों का भारी कूल्हों वाला शरीर दौड़ते दौड़ते 10 मिनट में ही थक गया । पसीने में लथपथ हो गयी थी दोनों ही ।

दोनों उतारकर धर्मवीर और सोमनाथ के सामने आई तो उनकी सांसे इतनी तेज चल रही थी कि दोनों के सीने पर पके पपीते ऊपर नीचे हो रहे थे ।

उपासना - हांफते हुए - पापाजी इससे ज्यादा याब मेरे बसकी नही है दौड़ना ।

धर्मवीर - चलो तो अब योगा शुरू करते हैं । तुम दोनों इस लाइन पर खड़े हो जाओ (धर्मवीर ने एक लाइन खींचते हुए कहा )।

दोनों लाइन पर खड़ी हो गयी ।

फिर धर्मवीर ने कहा याब तुम दोनों अपने हाथ ऊपर करो ।

दोनों ने शर्माते हुए अपने हाथ ऊपर कर लिए ।

धर्मवीर और सोमनाथ उनके सामने खड़े होकर देखने लगे । दोनों की गहरी नाभि के दर्शन हो रहे थे । चूचे बिल्कुल तनकर पर्वत की तरह खड़े थे ।

धर्मवीर - याब तुम दोनों बिना अपने पैर मोड़े अपने हाथों से पैर के अंगूठे को पकड़ने की कोशिश करो ।

ऐसा सुनकर दोनों फिर फर्श पर खड़ी खड़ी ही झुक गयी ।
धर्मवीर ने सोमनाथ को इशारा किया और फिर दोनों सोमनाथ और धर्मवीर , पूजा और उपासना के पीछे आकर खड़े हो गए ।

दोनों की लैगिंग में से पैंटी की लाइन साफ दिख रही थी ।
धर्मवीर हैरान था कि पूजा की टांगे उसके कूल्हों का भार कैसे संभालती होंगी ।
दोनों की गांड फैलकर चौड़ी हो गयी थी लग रहा था अब लैगिंग को फाड़कर चूतड़ बाहर निकल जाएंगे ।
दोनों के लंड खड़े थे अपनी औकात में ।



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उपासना के हाथ पैर के अंगूठे तक नही पहुंच पा रहे थे । यही तो धर्मवीर चाहता था ।

धर्मवीर - अरे उपासना बहु तुम्हारे हाथ अभी पैरो तक नही पहुंचे है थोड़ा और झुको ।
और ऐसा कहकर धर्मवीर उपासना के पीछे आकर उसकी कमर पर दबाब डालने लगा। और ऐसा करते हुए धर्मवीर उसकी गांड से सटकर खड़ा हो गया।

अब तो हालात कंट्रोल से बाहर थी धर्मवीर के लिए उसकी बहु की चौड़ी गांड उसके लंड के आगे ऐसे खुली हुई प्रतीत हो रही थी जैसे धर्मवीर का तगड़ा लंड एक बार मे ही कहा जाएगी ।

सोमनाथ धर्मवीर को ऐसा करते देखकर पूजा के पीछे उसके पिछवाड़े से सटकर खड़ा हो गया और पूजा की मदद करने लगा ।

नीचे झुकी दोनों कुतियाओं ने एकदूसरे की तरफ देखा उपासना ने पूजा की तरफ आंख मारी । और पूजा समझ गयी ।

पूजा और उपासना ने अपनी गांड के दवाब थोड़ा और बढ़ाया सोमनाथ और धर्मवीर के लंड पर।

सोमनाथ और धर्मवीर तो झड़ने की हालत में आगये ।

पूजा और उपासना जो भी कर रही थी बड़ी सावधानी से कर रही थी ताकि सोमनाथ और धर्मवीर को उनपर शक न हो ।

कुछ देर झुके रहने के बाद उपासना खड़ी होने लगी ये कहते हुए - पापाजी पैरो में दर्द होने लगा है ऐसे तो ।
पूजा भी खड़ी हो गयी ।

धर्मवीर - चली अब तुम दोनों घुटने मोड़कर कोहनी के बल फर्श पर बैठ जाओ ।

पूजा और उपासना दोनों फर्श पर कुतिया वाली पोजीशन में आगयी ।

अब तो भारी भारी जांघो पर रखे मोटे मोटे चूतड़ दिखाकर पूजा और उपासना दोनों को तड़पा रही थी ।



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सोमनाथ ने सोचा कुछ बात ही कर ली जाए जिससे कि पूजा और उपासना से थोड़ा खुल पाएं ।

सोमनाथ कहने लगा धर्मवीर से - वैसे समधी जी देखो आपने हमारी बड़ी बेटी उपासना को ठीक से खिलाया पिलाया नही है ।देखो हमारी पूजा भी उपासना से मोटी लगती है ।

धर्मवीर - कहाँ मोटी लगती है मुझे तो दोनों ही एक जैसी लग रहीं है सोमनाथ जी ।

उपासना अपनी कमर को और मोड़कर गांड को बाहर निकालते हुए - पापाजी आपको मैं पतली लगती हूँ क्या ?

सोमनाथ को अब उपासना की गांड ही दिखाई दे रही थी केवल उसके आगे कमर से मुह तक का शरीर तो उसके कूल्हे दिखने ही नही दे रहे थे ।

सोमनाथ - नही दुबली पतली तो नही हो उपासना तुम पर मुझे ऐसा लग रहा है कि पूजा तुमसे ज्यादा दमदार है ।

तभी बीच मे पूजा बोली - नही पापाजी दीदी की तरह मैं दमदार नही हूं । दीदी ज्यादा तगड़ी है मुझसे तो ।

अब पूजा और उपासना फर्श पर धीरे धीरे कुतियाओ की तरह फर्श पर चलने लगी। ऐसे चलने से जैसे ही दोनों रंडियां अपना एक घुटना आगे करती फिर दूसरा उठाकर आगे रखती दोनों की गांड का मटकाना और कमर के लचकना
सोमनाथ और धर्मवीर को पागल कर गया ।

धर्मवीर - जहाँ तक मेरा मानना है तुम दोनों ही तगड़ी और टिकने वाली चीज हो ।

उपासना यह सुनकर शरमा गयी ।

पूजा - टिकने वाली चीज हो मतलब मैं समझी नही मौसा जी ।

सोमनाथ - अरे बेटा समधी जी का ये मतलब है कि तुम दोनों ही हार मानने वाली नही हो किसी काम से ।

उपासना - ओह अच्छा पापाजी , हारना तो आपकी बेटियों ने सीखा ही नही है ।

धर्मवीर अब पूजा के आगे आकर खड़ा हो गया और सोमनाथ उपासना के आगे । दोनों कुतिया बनी हुईं थीं ।

धर्मवीर - पूजा बेटी अपनी कमर को थोड़ा नीचे की तरफ दबाओ । और उसकी मदद के बहाने पूजा की कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया । जब धर्मवीर ने ऐसा किया तो उसे झुकना पड़ा जिस वजह से पूजा का मुँह बिल्कुल धर्मवीर के लंड के पास आगया । पैंट में तंबू बना वह लंड ऐसा लग रहा था जैसे धर्मवीर ने पैंट में कोई खीरा छुपा रखा हो।

धर्मवीर ने सोमनाथ को इशारा किया सोमनाथ भी वैसा ही करने लगा ।

दोनों रंडियां अपना मुह जान पूछकर पैंट की चैन वाली जगह पर लगा देतीं और फिर पीछे हटा लेतीं ।

धर्मवीर और सोमनाथ की तो हालत ही खराब थी अब धर्मवीर और सोमनाथ अपने हाथ पूजा और उपासना के चौड़े चौड़े कूल्हों पर ले गए ।

उपासना अपने सगे बाप सोमनाथ के हाथों का स्पर्श अपने मस्ताने नितंबों पर पाकर शर्म से लाल सुर्ख हो गयी ।

सोमनाथ ने फिर बात जारी रखते हुए कहा - हां उपासना बेटी ये तो तुमने ठीक कहा हारने वाली चीज तो नही हो तुम ।

पूजा - पापाजी सिर्फ दीदी की ही तारीफ करोगे मैं भी किसी काम मे हारने वाली नही हूँ ।

धर्मवीर - तुम दोनों में औरतों वाली नही बल्कि घोड़ियों वाली ताकत है ।

इस बात का मतलब दोनों चुद्दकड़ बेटियां समझ रही थीं पर अनजान बनते हुए बोली ।



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उपासना - क्या सभी औरतों से ज्यादा ताकत है मुझमे पापाजी जो आप हम दोनों बहनों को घोड़ी बोल रहे है ।

सोमनाथ - हां बेटी तुम दोनों को देखकर ऐसा ही लग रहा है जैसे तुममें घोड़ियों जैसी ताकत है ।

पूजा - तो पापाजी फिर आप हमें घोड़ी ही बोलिये ।


धर्मवीर बोला - चलो अब तुम दोनों इसी लाइन पर सीधी लेट जाओ ।

उपासना और पूजा सीधी लेट गयीं ।

धर्मवीर बोला - अब तुम दोनों अपने हाथ पीछे लेजाकर फर्श पर सीधे कर लो योगा steps के लिए।
********
भाइयों और बहनों जल्दी जल्दी में ये आधी अधूरी update कर पाया हूँ । आगे से निराश नही करूँगा।
कहानी कैसी चल रही है अपना प्यार comments के जरिये बनाये रखना इस नाचीज पर ।
 
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update 18

धर्मवीर - इस तरह लेटकर अब अपने दोनों घुटनों को अपने पेट से लगाओ ।

यह सुनकर उपासना बोली - पापाजी पेट से कैसे लगाए घुटने तो छातियों पर आरहे है ।

सोमनाथ - हां बेटी यही मतलब है समधीजी का ।

उपासना और पूजा ने अपने दोनों घुटने अपनी छातियों से लगा लिए मोड़कर ।
अब तो उन दोनों के कूल्हों ने फैलकर अपना पूरा आ
कार ले लिया । पतली कमर के नीचे फैली हुई गांड आमंत्रित कर रही थी एक ताबड़तोड़ चुदाई को ।

सोमनाथ और धर्मवीर का कलेजा मुह को आगया ।

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अब धर्मवीर और सोमनाथ दोनों उनके मुंह को अपने गोद में लेकर बैठ गए फर्श पर और उनके पैरों को पकड़कर अपनी तरफ खींचकर बिल्कुल सीधा कर दिया ।
ऐसा करने से उपासना और पूजा के नितम्बो का उठान किसी को भी पागल करने के लिए काफी था ।

ऐसे बैठने से सोमनाथ और धर्मवीर का लंड अपनी औकात में आकर खड़ा हो गया और पूजा और उपासना के माथे से टकराने लगा ।

धर्मवीर - पूजा की जांघों पर हाथ फेरते हुए बोला - सही कहा था सोमनाथ जी हमारी बेटियों ने की ये हार मानने वाली घोड़ियां नही है ।

सोमनाथ - समधीजी घोड़ी वही अच्छी होती है जो कभी हारे ना।

दोनों की ये वार्तालाप सुनकर पूजा और उपासना शरमा गयीं ।क्योंकि वो जानती थी इस बात का मतलब । लेकिन उपासना बात को आगे बढ़ाते हुए सोमनाथ से बोली।

उपासना - पापाजी ऐसी घोड़ियों के लिए घुड़सवार भी दमदार होना चाहिए ।

सोमनाथ - घुड़सवार की तुम चिंता ना करो बेटी घुड़सवार तो ऐसे ही कि घोड़ियों के मुह से हिनहिनाने की आवाज तक ना निकले ।


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ऐसा बोलकर सोमनाथ ने अपने पैंट की चैन खोलकर अपना विशालकाय लंड उपासना के माथे पर रख दिया ।

जब उपासना ने अपने सगे बाप का लंबा लंड देखा तो उसके माथे से लेकर उसके होंठ सोमनाथ के आधे लंड पर ही आरहे थे। इतना लंबा लंड देखकर उपासना ने आंखे बंद करली।

धर्मवीर ने भी ऐसा ही किया तो धर्मवीर का लंड तो सोमनाथ से मोटा था पूजा को दोनों होंठ ढक गए उसके लंड से ।



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शाम हो चली थी तो धर्मवीर बोला - कि चलो सोमनाथ जी हम नहा लेते है ।

ऐसा बोलकर दोनों खड़े हो गए पूजा और उपासना को फर्श पर पड़ी छोड़कर बाहर निकल गए ।

पूजा और उपासना भी नहाकर निकल चुकी थी ।
दोनों ने अपने लिए ट्रांसपेरेंट साड़ी निकाली लेकिन कुछ सोचकर दोनों ने सूट सलवार पहन लिए और फैसला किया कि पहले पापाजी को चाय देकर आजाये फिर साड़ी पहनेंगे ।

ऐसा फैसला करके दोनों उपासना ने अपने हाथ मे चाय की ट्रे ली और पूजा ने कुछ स्नैक्स लिए और चल दिये धर्मवीर और सोमनाथ वाले रूम की तरफ ।

जैसे ही गेट पर पहुंचीं दोनों तो अचानक ठिठक गयीं क्योंकि अंदर से कुछ बात करने की आवाजें आरही थी ।
गेट खुला हुआ था । सोमनाथ जी सोफे पर बैठे थे और धर्मवीर जी बैड पर बैठे दोनों बातें कर रहे थे ।

पूजा ने इशारा किया उपासना को कि दीदी दोनों की बातें सुनते है ।

धर्मवीर - तो सोमनाथ जी आखिर करा ही दिए अपने अपनी बड़ी घोड़ी को अपने लंड के दर्शन ।

सोमनाथ - समधीजी अपने भी तो अपनी घोड़ी चुन ही ली है ।

धर्मवीर - तो देर कैसी फिर चलो उन दोनों की चूतों के छेदों को और चौड़ा कर दिया जाए ।

सोमनाथ - जल्दबाजी ठीक नही समधीजी । चूतों को तो हम आज फाड़ेंगे ही लेकिन तब जब वो दोनों अपनी चूतों को हमारे सामने हाथो से फैलाकर ये ना कहे कि पापाजी चोद दीजिये हमे और भर दीजिये हमारी चूतों को अपने मूसल जैसे लौड़ो से ।

धर्मवीर - तो फिर एक काम करते है दोनों को बुलाते है चाय के बहाने से और एक खेल खेलते है पत्तों से जो हारा उसे सजा देंगे और जाहिर सी बात है कि हम तो हारेंगे नही ।

सोमनाथ - समधीजी बात में तो दम है । फिर बुलाइये दोनों रंडियों को।





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धर्मवीर ने फोन मिलाया उपासना को।
उधर जैसे ही फोन लगाया उपासना ने तुरंत मोबाइल साइलेंट कर लिया । और पीछे जाकर कॉल उठायी ।

उपासना - जी पापाजी।

धर्मवीर - बेटा चाय लेकर आजाओ तुम्हारे पापाजी चाय के लिए बोल रहे है ।

उपासना - जी पापाजी हम तो चाय लेकर ही आरहे है लिफ्ट में है बस दो मिनट में आपके पास पहुंच जाएंगे।

फोन रखकर उपासना ने इशारा किया और दोनों एक मिनट गेट पर वेट करके चाय लेकर चली गयी अंदर ।

धर्मवीर और सोमनाथ जी ने जल्दी से चाय खत्म की और कहने लगे।

धर्मवीर - बेटी अगर तुम बोर हो रही हो तो क्यों ना कोई खेल खेला जाए तुम्हारे पापाजी का भी मन लग जायेगा।

पूजा - हां हां क्यों नही पर गेम क्या खेले ।

सोमनाथ - ताश खेल लेते है अगर सबकी रजामंदी हो तो ।

उपासना - हम तो हर खेल के लिए तैयार है पापाजी आप खेलिए तो सही ।

यह सुनकर दोनों समझ गए कि उपासना किस खेल की बात कर रही है ।

धर्मवीर - लेकिन पत्ते तो हैं नही और अनवर भी छुट्टियों पर है पत्ते तो खरीदकर लेन पड़ेंगे।

सोमनाथ - 5 मिनट लगेंगे लाने में चलो दोनों चलते है ।

धर्मवीर - ठीक है हम दोनों पत्ते लेकर आते है तब तक तुम यहीं इंतजार करो ।

यह कहकर धर्मवीर और सोमनाथ पत्ते लेने चले गए और उपासना और पूजा एकदूसरे को देखकर मुस्कुराने लगीं ।

कुछ मिनट बाद ही धर्मवीर और सोमनाथ पत्ते लेकर आगये और जैसे ही कमरे की तरफ बढ़े तो उनके कदमो की आहट सुनकर पूजा और उपासना दोनों एकदूसरे को इशारा करके जोर जोर से तेज आवाज में बातें करने लगी ताकि उनकी बातों को उनके पापा सुन सके।
और उधर धर्मवीर और सोमनाथ भी गेट पर खड़े होकर सुनने लगे ।

पूजा - दीदी जिस तरह से दोनों बात कर रहे थे मुझे तो लग रहा है कि हमारी चूतों का आज ही सत्यानाश होने वाला है ।

उपासना - हां तभी तो देखो कितने चालाक है दोनों ने पत्ते खेलने का फैसला किया है ताकि हम हार जाए और बदले में उनकी टांगो के नीचे आजाये ।

यह सुनकर धर्मवीर और सोमनाथ का मुह खुला का खुला रह गया कि दोनों की पोल तो पहले ही खुल गयी।
तब सोमनाथ ने धीरे से धर्मवीर के कान में कहा - लो समधीजी इन्होंने ने तो सारी बातें सुन ली और ये तो खुद ही दोनों चुदने को बेताब हैं। तो क्या पत्ते खेलना जाकर सीधे ही इनकी चुदाई कर देते है।

धर्मवीर - नही इसमे हमे ही शर्मिंदा होना पड़ेगा । अच्छा रहेगा कि ये खुद ही चुदने को बोले । तुम चुपचाप चलने दो ।

पूजा - मुझे तो दीदी तुम्हारे ससुर जी का लौड़ा बड़ा मोटा लगा । हाय मेरी तो चूत का बाजा बजा देगा ।

उपासना - मुझे भी अपने पापा का लंड बहुत लंबा लगा था जी चाह रहा था कि चुत को उनके लंड से सहला लूं ।

पूजा - लगता है दीदी आज तुम पापाजी के फनफनाते लंड से अपनी चूत की धज्जियां उड़वाने के लिए बेताब हो रही हो ।

उपासना - मेरी कुतिया बहन चूत तो आज तेरी भी फटेगी ।

पूजा - ना दीदी कुतिया ना बोलो मुझ जैसी संस्कारी लड़की को।

उपासना - हंसते हुए - संस्कारी , आज तेरे संस्कार तब देखूंगी जब तू अपनी चूत को मेरे ससुर के मुंह पर उठा उठाकर मारेगी ।

पूजा - दीदी आप वो दोनों आने वाले होंगे तो चुपचाप उनकी संस्कारी बहु बेटियों की तरह बैठो ।


ऐसा कहकर दोनों TV की स्क्रीन की तरफ देखने लगी ।

जैसे ही धर्मवीर और सोमनाथ ने ये सुना अपने लौडों को सैट करते हुए कमरे में घुसे।

धर्मवीर - लो बेटा हम ले आये पत्ते ।

उपासना - आइए पापाजी काफी देर लगा दी।

फिर चारो बैड पर बैठ जाते है। सोमनाथ जी पत्ते बांटते है और खेल शुरू होता है।

खेल का नियम रखा गया कि जिसका पत्ता बड़ा होगा वो जीता माना जायेगा और जितने वाला हारने वालो को यानी बाकी तीनो को कोई भी पनिशमेंट दे सकता है ।

पहली बाजी उपासना की थी । उसके पास सबसे बड़ा पत्ता हुकुम का बादशाह था उसने उसी की चाल की ।

तीनो ने पत्ते चले धर्मवीर ने हुकुम का इक्का मार दिया ।

धर्मवीर जीता अब पनिशमेंट देनी थी।

धर्मवीर ने कहा - मैं अपनी बहू को कोई कड़ी सजा तो दे नही सकता । चलो एक काम करो उपासना तुम और पूजा नाचकर दिखाओ । और सोमनाथ जी फैसला करेंगे कि किसने अच्छा डांस किया ।

उपासना मुस्कुराते हुए बोली मुझे तो नाचना आता भी नही पर सजा दी है तो नाचना ही पड़ेगा चलो पूजा ऐसा कहते हुए दोंनो मुस्कुराते हुए खड़ी हो गयी ।
असल मे दोनों समझ गयी कि नाचना तो बहाना है असलियत में तो इन दोनों ठरकियों को अपनी गांड और चूचे दिखाने हैं ।

दोनों कमरे में नाचने लगी अपनी ढूंगे पर हाथ रखकर ।
दोनों के मटकते कूल्हे लचकती कमर गजब ढा रही थी ।
दोनों के भारी भारी चूतड़ और चूचे हिल रहे थे ।


पांच मिनट नाचने के बाद दोनों रुक गयी । सोमनाथ जी ने कहा कि धर्मवीर जी मेरी दोनों ही बेटियों ने गजब का डांस किया है ।
 
दिल से दिल तक
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ये आपकी कहानी तो नहीं है
कम से कम लेखक का नाम तो लिख देते। नाम लिखना तो दूर इसे अपनी कहानी बोलकर छाप रहे हो।।
 
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ये आपकी कहानी तो नहीं है
कम से कम लेखक का नाम तो लिख देते। नाम लिखना तो दूर इसे अपनी कहानी बोलकर छाप रहे हो।।
Aapki kimti rai ke liye sukriya mahi bhai.ye story copy paste hai sahi hai aur first update copy karte hue ye post ho gaya ki story meri hai.agar aap writer hain to meri aapse gujarish hai ki ho sake to koi story yahan post karen ya cnp hi karen writer ke naam ke sath taki is site ko bhi aapka yogdaan mil sake aur sath hi sath kisi writer ke sath nainsafi na ho.aur han yahan story post karne ke paise nai milte hain ye baat jarur jaan lijiye.dhanybaad
 

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