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पापी परिवार--10

लोवर की सिलाई उधड़ते ही निक्की का शरीर अपने आप ही बिल्कुल ढीला पड़ गया ..निकुंज ने जो प्रेशर अपनी बहेन पर डाल रखा था ..ढीले पन की वजह से उसका बॅलेन्स बिगड़ा और अगले ही पल निक्की की ज़ोरदार चीख निकल गयी

" भाईईईईईईईईईईईई............ "

निकुंज के खड़े लंड की चोट पूरी ताक़त के साथ सीधी निक्की की कुँवारी चूत पर पड़ी और जब तक निकुंज सम्हल पाता वो अपनी बहेन के ऊपर गिर चुका था ..नीचे चूत पर कड़क लंड का दबाव और ऊपर ब्रा लेस छातियों के कड़े निपल ..दोनो की हालत खराब हो गयी जिसमे निक्की तो बुरी तारह से काँप गयी थी ..कुँवारी चूत पर पहली चोट वो भी किसी गैर मर्द की नही अपने सगे भाई निकुंज की ये सोच कर तो उसकी आत्मा शरीर का साथ छोड़ने को तैयार लगी

" सॉरी सॉरी सॉरी "

निकुंज अपनी बहेन से पहले होश मे आ गया क्यों कि वो उसके ऊपर लेटा था ..उनके आस पास होती चहल - पहेल को महसूस कर निकुंज तुरंत ही निक्की के ऊपर से हट गया ..अपने घुटनो पर बैठ उसने उतनी ही तेज़ी से निक्की की चौड़ी टाँगो को भी सीधा किया ताकि किसी और को उसके लोवर फटने का एहसाह ना हो सके ..लेकिन इस वक़्त निक्की बिल्कुल बेजान हो कर घास पर लेटी थी

एक सेक्स एक्सपीरियेन्स्ड मॅन होने से निकुंज को भली भाती पता था कि जिस तेज़ी से उसके लंड की ठोकर निक्की की चूत पर हुई है अगर बीच मे ये कपड़ो की दीवार ना होती तो पूरा 8" का लंड एक झटके मे चूत के अंदर चला जाता

" निक्की आर यू ऑलराइट ? "

लगभग 2 -3 मिनट के गॅप के बाद निकुंज ने उसके पैर की उंगलियों पर अपने हाथ का स्पर्श दिया ..लोवर की थ्रेड इतनी ज़्यादा उखड़ी थी कि अंदर पहनी नीली पैंटी की हल्की सी झलक लोवर के उधडे हिस्से के ऊपेर से दिख रही थी

" आँखें खोल निक्की "

निकुंज ने फिर से उसके पैर की उंगलियों को छुआ और इस बार निक्की ने होश मे आ कर अपनी आँखें खोल दी

" भाईईईईईई...... "

होश मे आते ही उसके भर्राये गले से निकली रुआसी आवाज़ सुन निकुंज का दिल बैठ गया ..हाथ का सहारा दे कर उसने निक्की को बैठाया और प्यार से उसके गाल पर आए आँसुओ को पोंछने लगा

" कुछ नही ..सब ठीक है "

झूठी मुस्कान से उसने निक्की को साहस देने की कोशिश की लेकिन इस बार निक्की फूट - फूट कर रोने लगी

" कुछ नही हुआ ..बी ब्रेव गुड़िया "

ना जाने क्यू इस घटना का दोषी खुद को मान कर निकुंज को भी रोना आ रहा था लेकिन अगर वो इस वक़्त रो देता तो निक्की को सम्हाल पाना उसके बस से बाहर हो जाता ..खड़ा लंड अब तक बैठ चुका था और निकुंज खुद की ग़लती के लिए बहुत शर्मिंदगी फील कर रहा था

निक्की की पीठ पर अपना हाथ फेर कर उसने काफ़ी हद तक उसे दिलासा दी और कुछ देर बाद निक्की के बहते आँसू तो थम गये लेकिन उसका सुबकना नही रुका ..हिचकी के ज़रिए उसकी सिसकियाँ अभी भी ज़ारी थी

" वैसे मेरी ये बिल्ली रोते हुए किन्नी सोहनी लगती है ..आए - हाए ये टमाटर से लाल गाल और अभी तो नाक भी रेड - रेड हो गयी है ..रो ले थोड़ी देर और ..बिल्लीइीईईईई "

इस मज़ाक की वजह से निक्की ने अपनी आँखें निकुंज के चेहरे पर डाली तो वो बड़े गौर अपनी बहेन के रोते चेहरे को देख रहा रहा था

" हाए मर जावां कूडीए "

इतना बोल कर निकुंज घास पर पीठ के बल लेट गया और अपने हाथ पूरी तरह से फैला दिए जैसे सच मे मरने वाला हो ..रोते चेहरे पर आती मुस्कान देख निकुंज को बड़ा संतोष हुआ ..शायद इस मज़ाक ने कुछ पल के लिए निक्की के जहेन से बीती बात भुला सी दी

" क्या देख रही है बिल्ली ..थोड़ा और मुस्कुरा देगी तो तो तेरा क्या बिगड़ जाएगा "

निकुंज खिल - खिला कर हँसने लगा और इस बार निक्की ने शरम से वशी - भूत हो अपना चेहरा हाथो से ढक लिया

" भाई चिढ़ाना बंद करो ..वरना मैं फिर से रो दूँगी "


माना कुछ पल के लिए निकुंज उसे बहलाने मे कामयाब रहा था पर इतने जल्दी अपने दिल इस से बात को निकालना ना तो निक्की के बस मे था ना ही उसके भाई के बस मे

" ना ना रोना नही ..तुझे पता है ना मैं अपनी बहनो को कभी रोते नही देख सकता ..ख़ास कर तुझे ..निम्मी पर तो मैं हमेशा झूठा गुस्सा करता रहता हूँ लेकिन तुझ से तो मैने आज तक उँची आवाज़ मे बात तक नही की "

इस बार निकुंज की आवाज़ मे भी भारी पन आ गया

[ ये एक दम सच था ..निकुंज कभी निम्मी को डाटने से नही चूकता था ..उसकी हरकत ही ऐसी थी जो वो रोज़ घर के किसी ना किसी मेंबर से डाँट खाती ..लेकिन नाराज़गी मे भी हमेशा प्यार ही छुपा होता था ..वहीं निक्की के केस मे निकुंज हमेशा उस से मुस्कुरा कर बात करता ..दोनो के नेचर हेल्पिंग होने से आपस मे पटरी भी बहुत खाती ..यही एक कारण था कि दोनो के कमरे भी आजू - बाजू मे ग्राउंड फ्लोर पर ही थे ]

" देखो जनाब की सूरत ..ऐसा लगता है मुझे चुप करने मे खुद भी रो देंगे "

निक्की ने थोड़ा सोच कर जवाब दिया ..अब जो हो चुका उसे भूल जाना ही ठीक था

" अरे मैं बहुत स्ट्रॉंग हूँ ..आवें आँसू नही निकलते मेरे "

निकुंज जवाब देते हुए वापस बैठ गया ..थोड़ी देर तक सब शांत रहा और दोनो काफ़ी नॉर्मल हो गये

" घर कैसे जाउन्गि भाई ..ये तो...... "

निक्की ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी ..बैठने के बाद उसने अपनी टाँगो को आपस मे बिल्कुल सटा रखा था ..लेकिन लोवर के बहुत ज़्यादा खुल जाने से कितनी भी कोशिशो के बाद भी वो अपनी पैंटी को छुपाने मे नाकामयाब थी ..रह - रह कर उसे ये भी डर लगता कि कहीं उसकी झांतो के बाल लोवर से बाहर ना निकले हों ..अगर वो अपना सर झुका कर चेक करती तो शायद निकुंज की नज़र भी उसकी टाँगो की जड़ मे जा सकती थी ..इस लिए उसने एक बार भी अपने नीचे का हाल नही देखा और जल्दी घर जाने का सोचने लगी ..घर जाने के लिए उसे चलना पड़ता और इस वक़्त पार्क मे इतनी भीड़ थी कि ये बात हर किसी को पता चल जाती

" नो टेन्षन ..मैं हूँ ना ..अपनी गुड़िया रानी को गोद मे उठा कर ले जाउन्गा "

निकुंज ने जवाब दिया और बिना किसी देरी के उठ कर निक्की को अपने हाथो से पकड़ ने लगा ..एक हाथ उसके घुटनो के नीचे डाल और दूसरे से उसकी पीठ को सपोर्ट देते हुए निकुंज ने किसी फूल की तरह उसे अपनी गोद मे उठा लिया

" भाईईईईई ......ये क्या कर रहो हो उतारो मुझे "

निक्की अपने भाई के इस कदम से घबरा गयी और उसकी गोद से नीचे उतरने की कोशिश करने लगी

" अरे तू बिल्कुल भी भारी नही है ..आज जिम नही जा पाउन्गा तो ऐसे ही मेरी एक्सर्साइज़ हो जाएगी "

निकुंज ने उसकी बात को अनसुना किया और पार्क के मेन गेट की तरफ चलने लगा ..आते - जाते लोगो की नज़र और मुस्कुराते चेहरे देख निक्की शरम से पागल हुई जा रही थी ..लेकिन ना जाने क्यों आज उसे अपने भाई का इस तरह से प्यार करना बहुत अच्छा भी लग रहा था

" भाई सब देख रहे हैं "

निक्की ने खुद की शर्माहट दिखाते हुए निकुंज से कहा ..उसके गाल पर छाई लाली देखते ही बनती थी ..ना तो उसका कोई बॉय फ्रेंड रहा था ना ही वो इस प्यार भरे एहसास को पहले कभी महसूस कर पाई थी ..निकुंज की मज़बूत बाहों मे आने के बाद आज उसे दुनिया की हर खुशी ..दौलत फीकी जान पड़ी

" तो देखने दो ना ..मैने अपनी बहेन को गोद मे उठा रखा है ..दुनिया देखे तो देखती रहे "

निकुंज का जवाब सुन निक्की ने प्यार से उसके गले मे अपनी बाहें डाल दी ..निकुंज को उसकी बहेन के अंदर आए इस बदलाव से हैरानी भी हुई और खुशी भी ..कहाँ कभी सड़क चलते उसने एक बार भी निकुंज का हाथ नही थामा था और आज कैसे खुले -आम अपनी बाहें अपने सगे भाई के गले मे डाले उसकी गोद मे टन्गि थी ..दोनो मेन गेट के काफ़ी नज़दीक पहुच गये

" लेकिन भाई लोगो को क्या पता कि हम भाई - बहेन है "

अचानक ही ज़्यादा खुश होने की वजह से निक्की के मूँह से ये बात निकल गयी ..बाद मे अपनी ही बात पर उसने गौर किया तो एक अजीब एहसाह से उसका रोम - रोम खिल उठा ..वहीं इस बात से निकुंज के कदम चलते - चलते रुक गये ..दोनो मेन गेट पार कर चुके थे लेकिन अभी भी कार तक पहुचने के लिए निकुंज को 20 कदम और चलना पड़ता

" बस अब उतर जा ..हम पार्क के बाहर आ गये हैं "

निकुंज ने उसे अपनी गोद से उतार कर ज़मीन पर खड़ा किया और बिना उसके चेहरे को देखे कार की तरफ बढ़ गया ..निक्की को इस बात पर एक झटका सा लगा ..शायद निकुंज को उसकी बात सुन अपनी करनी का दुख हुआ है ऐसा मंन मे सोच वो भी धीमे - धीमे कदमो से कार तक पहुचि और पहला गेट खोल अंदर बैठने लगी

" आइ'म सॉरी भाई ..वो सडन्ली मेरे मूँह से....... "

निक्की की बात बीच मे काट कर निकुंज ने कार का सेल्फ़ डाल दिया

" बैठ जा ..चलते मे बात करेंगे "

निक्की उदास मंन से ड्राइविंग सीट के बगल मे बैठी और गियर डाल निकुंज कार को रोड पर दौड़ाने लगा ..शांत अट्मॉस्फियर तोड़ते हुए निकुंज ने ही बात आगे स्टार्ट की

" ऐसी फिटिंग का लोवर कैसे ले लिया तूने ? "

निकुंज की निगाह इस वक़्त रोड पर जमी थी लेकिन मंन पूरा निक्की पर

" भाई ये लोवर मेरा नही है ..वो कल रात निम्मी की बच्ची दे गयी थी और शायद ये उसने जान कर किया है "

इतना बोल कर निक्की ने थोड़ी देर पहले का गुस्सा अपनी छोटी बहेन निम्मी पर निकाल दिया

" आज तुझे कॉलेज जाना है ? "

निकुंज ने उससे पूछा तो निक्की ने ना मे अपनी गर्दन हिला दी

" मैं तो 12 के बाद ही ऑफीस जाउन्गा ..थोड़ी देर वहाँ रुकते हैं "

निकुंज के हाथ की उंगली पर गौर किया तो उसका इशारा सी व्यू पर था

" हां ठीक है लेकिन मैं कार से नीचे नही उतरुँगी "

निक्की ने जवाब दिया और निकुंज ने रोड के लेफ्ट साइड मे कार को रोक दिया

" हां तो ये लोवर निम्मी का है ..और तुझे लगता है उसने जान कर तेरे साथ ऐसा मज़ाक किया "

निकुंज की बात और चेहरा दोनो काफ़ी सीरीयस हो गये

" मैं फुल्ली शुवर नही हूँ ..लेकिन उसकी हरकतें हमेशा दूसरो को परेशान करने मे लगी रहती हैं ..इसलिए मैने बोला "

निक्की के चेहरे पर आया गुस्सा और भी बढ़ गया जब निकुंज की ज़ुबान पर निम्मी का नाम आया

" अगर निम्मी ने जान कर तेरे साथ मज़ाक किया है तो मैं समझता हूँ उसने कोई ग़लती नही की "

निकुंज ने अपनी बात पूरी की तो निक्की भौचक्की हो कर उसके चेहरे को देखने लगी ..उसकी आँखें बड़ी हो गयी और इस वक़्त उसे अपनी बैठने की पोज़िशन का भी ध्यान नही रहा

" ये आप क्या कह रहे हो भाई ..क्या ये सही है कि कोई सरे बाज़ार अपनी बहेन को इस तरह से जॅलील करे "

निक्की ने तैश मे आ कर अपनी जुड़ी टाँगो को खोल दिया और उसका हाथ उसके फटे लोवर की तरफ इशारा करने लगा ..हलाकी ये सब उसने गुस्से मे आ कर किया था लेकिन जब तक वो वापस खुद को संभाल पाती निकुंज ने खुद ही उसे अपनी टांगे जोड़ने को बोल दिया

" निक्की ठीक से बैठ जा ..ये वक़्त नाराज़ होने का नही है "

निकुंज ने अपना चेहरा ओप्पोज़िट डाइरेक्षन मे घुमा कर कहा

" तो क्या प्यार करू ..एक तो मेरी इतनी बेज़्ज़ती करवा दी और आप भी उसी की साइड ले रहे हो "

निक्की की बातें अपनी छोटी बहेन के लिए आग उगल रही थी ..कल तो कितने प्यार से उसके रूम मे आई थी और अगले दिन ही उसे अपनी साज़िश का शिकार बना लिया

" मैं उसकी साइड नही ले रहा निक्की ..मेरे लिए तो तुम दोनो ही बराबर हो ..बस एक अंतर बता रहा हूँ जो तुम दोनो को एक दूसरे से बहुत जुदा करता है "

निकुंज बोलने लगा पर अभी भी उसका चेहरा सी व्यू की तरफ घूमा हुआ था

" कैसा अंतर भाई ? "

निक्की को उसके जवाब समझ नही आया तो उसने पूछा

" यही कि वो तुझसे 80% ज़्यादा अड्वान्स है ..आज की बदलती दुनिया के साथ अड्जस्ट कर सकती है ..वो भी बिना किसी दिक्कत के "

निकुंज उसे अंतर समझाने लगा

" भाई हम दोनो बहुत डिफरेंट हैं ...वो कुछ भी करे लेकिन मैं उसके जैसी नही बन सकती और बन ना भी नही चाहती ..बेशार्मो जैसे नंगा घूमना मेरे बस के बाहर है "

बात बढ़ कर इतने आगे पहुच गयी की टॉपिक ख़तम होने का नाम ही नही ले रहा था

" ये बात ग़लत है जो तू कह रही है ..माना वो काफ़ी फैशनेबल है लेकिन जो सबसे बड़ा अंतर है तुम दोनो मे ..तू जानती है वो क्या है ? "

आज हुई पार्क की घटना से दोनो बहेनॉ के आपसी संबंधो मे खटास आना कन्फर्म था इसी लिए निकुंज लगातार निक्की को समझा रहा था

" क्या अंतर है ..आप ही बता दो "

निक्की ने उसके चेहरे को अपनी तरफ घुमा कर कहा ..निकुंज ने पहली बार निक्की को इतने गुस्से मे देखा

निकुंज :- " कॉन्फिडेन्स ..जो शुरू से ही उसके खून मे है "

" कैसा कॉन्फिडेन्स भाई ज़रा मैं भी तो सुनू "

निक्की ने एक व्यंग छोड़ कर कहा ..कहीं ना कही उसके मन मे ये बात भी उठ रही थी कि शायद निम्मी उससे ज़्यादा क्लोज़ है अपने भाई से

" आज अगर तेरी जगह पार्क मे निम्मी होती ..तो मुझे यकीन है वो ज़रा भी नही रोती ..बल्कि इस सिचुयेशन से बाहर कैसे निकला जाए सिर्फ़ इसी बात पर उसका ध्यान रहता ..माना वो चुलबुली है ..हम मे से किसी की बात पर ध्यान नही देती ..लेकिन अपना रास्ता कैसे बनाया जाता है ..ये उसे बखूबी पता है ..और तो और अगर सच मे ये निम्मी की शैतानी थी तो तू इस बात से सबक ले ..ना कि नाराज़ हो कर खुद का खून जला "

निकुंज इतना बोल कर चुप हो गया ..निक्की को उसकी बात से इतना तो समझ आ गया कि वो कुछ भी ग़लत नही कह रहा

निक्की :- " लेकिन भाई ..वो हमेशा झूट बोलती है ..दूसरो से लड़ती है ..काम के वक़्त किसी गधे को भी अपना बाप बनाने से नही चूकती ..क्या ये सही है "

निकुंज :- " तूने उसके माइनस पायंट्स तो नोट किए पर क्या कोई प्लस पॉइंट नोट किया ..क्या कभी ये सोचा कि वो ऐसा क्यों करती है ..क्यों कि उसे पता है कि इस दुनिया मे जीना कितना मुश्किल है ..यहाँ अपना हक़ छीन ना पड़ता है ..हर वक़्त ये बात काम नही आएगी कि तुम मशहूर गुंडे रघु की बहनें हो ..जमाना बदल रहा है ..तेरा ऐम तक तो तुझे याद नही ..क्या बन ना चाहती थी और क्या बनती जा रही है ..मैं तुम दोनो के बीच कॉंपिटेशन का अखाड़ा नही बनाना चाहता ..बस इतना बता रहा हूँ कि ग्रो अप माइ स्वीटी ..दुनिया को समझ ..उसके हिसाब से चलना सीख ..आज अगर तुझे किसी सड़क पर छोड़ दिया जाए तो तू उस सड़क को पार भी नही कर पाएगी ..सच को मान और हमेशा खुश रह ..आज जो कुछ भी पार्क मे हुआ उसमे मेरी भी ग़लती थी ..लेकिन मेरी जगह अगर वहाँ डॅड भी होते तो वही होता जो मेरे साथ हुआ ..इसकी वजह मैं तुझे फिर कभी समझाउन्गा ..अभी अपना गुस्सा थूक और घर चलते हैं ..होप मेरे लिए तो तेरे दिल मे कोई भडास नही होगी और अगर हो तो माफ़ कर देना "

इतना बोल कर निकुंज ने गियर डाला और दोनो घर जाने के लिए निकल पड़े ..आज हुई कॉन्वर्सेशन के ज़रिए निकुंज ने उसे बिना कहे ही बहुत कुछ सोचने पर मजबूर कर दिया था ..रास्ते मे फिर निक्की ने उससे कोई और बात नही की ..शायद अपने भाई के द्वारा बताई गयी कुछ बातों का उस पर काफ़ी गहरा असर हुआ था ..लेकिन डॅड कहाँ से बीच मे आ गये इस बात ने उसका ध्यान सबसे ज़्यादा खीचा

घर पहुच कर दोनो भाई - बहेन अपने - अपने कमरो मे चले गये ..लेकिन दोनो के मंन आज अशांत थे ..निक्की के दिल मे अपनी बहेन के लिए नफ़रत और भाई के लिए प्यार बढ़ा वहीं निकुंज के दिल मे इस बात का दुख कि आज उसने अपनी बहेन पर ही बुरी नज़र डाली ..माना ये सब सिर्फ़ एक हादसे की वजह से शुरू हुआ लेकिन इस हादसे की चपेट मे उन दोनो के अलावा और भी काई लोग आ गये .....

क्रमशः...................................................
 
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