Incest तीनो की संमति से .....

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अब मेरा दूसरा हाथ दीदी की फूली हुई चूत सहला रहा था और दीदी अपनी चूत मेरे हाथ पर जोर से रगड़ रही थी, कहा-“तेरा जीजा मादरचोद तो बस मेरी जाँघ पर ही अपना पानी निकाल देता है। मेरे भाई, मैं तो तड़पती चीखती रहती थी पर वहां मेरी सुनने वाला कौन था? मेरे भाई मुझे आनंद आ रहा है। तेरा लण्ड भी बहुत खुश्बूदार है, बहुत सुंदर है, तेरा स्पर्श बहुत सेक्सी है। दीपू तेरे हाथ मेरे अंदर एक मज़ेदार आग भड़का रहे हैं। तेरी उंगलियां मेरी चूत में खलबली मचा रही हैं। मेरी चूत से रस टपक रहा है। तेरा स्पर्श ही मुझे औरत होने का एहसास करा रहा है। मैं तेरे अंदर समा जाना चाहती हूँ। चाहती हूँ की तू भी मेरे अंदर समा जाए। मेरे जिश्म का हर हिस्सा चूम लो मेरे भाई, और मुझे अपने जिश्म का हर हिस्सा चूम लेने दो…”

मैं जान गया था की दीदी अब तैयार है। मैंने एक पेग और बनाया और हम दोनों ने पी लिया। दीदी ने अपनी पैंटी अपने आप उतार डाली और मेरे लण्ड से खुले आम खेलने लगी। एक हाथ दीदी अपनी चूत पर हाथ फेर रही थी। मैंने झुक कर दीदी के निप्पल्स चूसना शुरू कर दिया और दीदी मेरे बालों में उंगलियां फेरने लगी। दीदी की चूची कठोर हो चुकी थी और अब मैंने अपने होंठ नीचे सरकाने शुरू कर दिए।

जब मेरे होंठ दीदी की चूत के नज़दीक गये तो वो उत्तेजना से चीख पड़ी-“दीपू, मेरे भाई। क्यों पागल कर रहे हो अपनी बहन को? मुझे चोद डालो मेरे भाई। तेरी बहन की चूत का प्यार मैंने तेरे लण्ड के लिये संभाल रखा है। डाल दो इसको मेरी चूत में…”

मैं अपने सारे कपड़े खोलता हुआ दीदी के ऊपर चढ़ गया। दीदी का नंगा जिश्म मेरे नीचे था और उसने बाहें खोलकर मुझे आलिंगन में भर लिया। दीदी की चूत रो रही थी, आूँसू बहा रही थी। मैंने प्यार से अपना सुपाड़ा दीदी की चूत की लंबाई पर रगड़ना शुरू कर दिया। हम भाई बहन की कामुकता हद पार कर गई।

फिर दीदी ने बबनती की-“भैया, अब रहा नहीं जाता। घुसेड़ दो मेरी चूत में। होने दो दर्द मुझे परवाह मत करो, पेलो मेरी चूत में अपना लण्ड…”

लेकिन मैंने अपना सुपाड़ा चूत के मुँह पर टिकाकर हल्का धसका मारा। चूत रस के कारण सुपाड़ा आसानी से चूत में घुस गया।

दीदी तड़प उठी, जिसमें दर्द कम और मज़ा ज़्यादा था-“हे भैया मर गई… आह्ह… हाय बहुत मज़ा दे रहे हो तुम… और धकेल दो अंदर… पेलते रहो भैया… ऊऊह्ह… मेरी चूत प्यासी है। आज पहली बार चुद रही है। बहुत प्यारे हो तुम मेरे भाई। डाल दो पूरा…”

मैंने लण्ड धीरे-धीरे आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। चूत गीली होने से लण्ड ऐसे अंदर घुस गया जैसे मक्खन में छुरी। पूजा दीदी की चूत क्या थी बिल्कुल आग की भट्ठी। मैं भी मज़े में था। दीदी के निप्पल्स चूसते हुए मैंने पूरा लण्ड ठेल दिया अंदर। दीदी की सिसकारियाँ उँची आवाज़ में गूँज रही थी। मुझे शक था की माँ ना सुन ले।

लेकिन मेरे मन ने कहा-“अगर माँ सुन लेती है तो सुन ले। उसकी बेटी उसके दामाद के साथ बंद कमरे में कोई भजन तो करेगी नहीं, आख़िरकार उसकी बेटी है, चुदाई के मज़े लूट रही है। उसे भी तो लण्ड का मज़ा चाहिए। आख़िर मेरी दीदी को भी तो लण्ड का सुख चाहिए ही ना। अगर उसका पति नहीं दे सका तो भाई का फर्ज़ है उसको वो मज़ा देना…” फिर मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी।

दीदी भी अपने चूतड़ ऊपर उठाने लगी। उसको लण्ड का मज़ा मिल रहा था। दीदी ने अपनी टांगे मेरी कमर पर कस दी और मुझसे पागलों की तरह लिपटने लगी। आप ये कहानी मेरा लण्ड तूफ़ानी गति से चुदाई कर रहा था। दीदी के हाथ मेरे नितंबों पर कस चुके थे।

मैं-“दीदी, कैसा लगा ये चुदाई का मज़ा? मेरा लण्ड? तेरी चूत में दर्द तो नहीं हो रहा? मेरी बहना तेरा भाई आज अपनी मासूका को चोद रहा है, किसी लड़की को
FunLoveद्वारा और वो भी अपनी सगी बहन को…”

दीदी नीचे से धक्के मारती हुई बोली-“दीपू, मुझे क्या पता था की चुदाई ऐसी होती है, इतनी मज़ेदार। भाई मेरे अंदर कुछ हो रहा है। मेरी चूत पानी छोड़ने वाली है। मैं झड़ने को हूँ… जोर से, और जोर से चोद मेरे भाई… उउिफ्र्फ… और जोर से भैयाआ…”

मैं भी तेज चुदाई कर रहा था। मेरा लण्ड चूत की गहराई में जाकर चोद रहा था और मुझे भी झड़ने में टाइम नहीं लगने वाला था ‘फ़च-फ़च’ की आवाज़ें आ रही थी। तभी मेरे लण्ड की पिचकारी निकल पड़ी, मैं सिसका-“आआह्ह… दीदीईईई मैं भी गया… मैं गयाअ…”

दीदी की चूत से रस की धारा गिरने लगी और हम दोनों झड़ गये। मम्मी बाहर से हम भाई बहन को देख रही थी। लेकिन हम इस बात से अंजान थे। फिर मैं पूजा दीदी के साथ लिपटकर सो गया। चुदाई इतनी जोरदार थी की मुझे पता ही नहीं चला की मैं कब तक सोता रहा। जब नींद खुली तो दोपहर के 12:00 बज चुके थे। दीदी मेरे बिस्तर में नहीं थी।

उठकर कपड़े पहने और मैं नहाने चला गया। पपछले दिन की शराब का नशा मुझे कुछ सोचने से रोक रहा था। सिर भारी था। नहाकर जब बाहर निकला तो मैं चुस्त महसूस करने लगा। दीदी के साथ चुदाई की याद मुझे अभी भी उतेजित कर रही थी। रात के बाद दीदी की चुदाई का अपना ही अलग मज़ा था, पर मुझे डर था की कहीं माँ हमारे इस रिश्ते से नाराज तो ना होगी? ये सवाल मेरे दिमाग़ में कौंध रहे थे। जब मैं निर्मित पढ़ रहे हैमम्मी के रूम से गुजर रहा था तो मुझे मम्मी और दीदी की आवाज़ सुनाई पड़ी,
यहाँ से अब कल मा बेटी उनका वार्तालाप और कुछ और भी ........
 
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उस से पहले मै कुछ बता देना चाहूंगी की रात को जब पूजा और दीपू की चुदाई चल रही थी उस के बाद ( मै उस चुदाई को डिस्टरब करना नहीं चाहती थी क्यों की बहोत से लोगो के हाथ अपने सही जगह पे थे)
जब दीपू और पूजा की चुदाई हो गई और दोनों नंगे पड़े रहे थे तब पूजा ने कहा “दीपू तुमने जवाब नहीं दिया यार की मोम से कुछ भी हुआ या नहीं”

दी: बताया ना कुछ भी नहीं और दीदी आपने भी कुछ नहीं बताया की मोम से आप की क्या बात हुई

पु: एक बात बता दीपू क्या तुम मोम से प्यार करते हो ???

दी सच बताऊ?? मुझे तुम पर विश्वास करना चाहिए ??? ( अब मै जानता थी की ये माल तो कही जानेवाला नहीं है अब जब तक मै उसे बच्चा ना दे दू तब तक तो नहीं )

पु: अब इतना हो चूका है फर भी पूछ रहे हो ? मेरे भाई अब तुम एक अच्छे बहनचोद हो पूरा विश्वास कर सकते हो

दी “सच कहू तो दीदी मै तुम्हारे पिछे कभी था ही नहीं, जो कुछ भी जबरजस्ती हुई वो बस एक एक्सीडेंट था और कुछ नहीं क्यों की मै शायद तुम्हे प्रिंसिपल का लंड चूसते देखा तो मुझे बस एक जलन सी थी| एक आग सी लगी हुई थी और ये जायज़ भी था, हाला की मै समजता था की वो सब गलत था या है इसलिए मैंने कभी भी अप्रोच नहीं किया| पर मै भी तो आखिर एक मर्द हु यार और मेरा भी लंड उस वक़्त खड़ा हुआ और मुझे भी तो बेसब्री थी की अगर मेरी बहन किसी और का लंड चूस सकती है तो मेरा क्यों नहीं एक जलन और एक आग दोनों मिल चुके थे| बस और कुछ नहीं|”

अब रही बात मोम की वो मेरा पहला और शायद आखरी क्रश है| बचपन से मुझे उसकी गांड आकर्षित करती रही है जब मुझे कुछ समज में नहीं था तब भी और जब मुझे कुछ समज में आने लगा तो और बढ़ गई हर वक़्त मुझे उसकी गांड के सामने मेरा लंड हार जाता है आज भी लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई और ना होगी भी| मैंने बहोत बार उसको छुप छूप के देखा है अधिनंगी भी देखा है और सच कहू तो बस हर बार घर में जब भी होता मेरी नज़रे उसके कपडे को चिर के अन्दर का नज़ारा देखती रहती थी और आज भी| अब तुमसे से कुछ छुपाना नहीं चाहता और मै जब तुम को चोद रहा था पर मेरा मन मोम के पास ही था मै तुम में मोम देख रहा था|

पु: “मालुम है बेटे तू क्या समजता है ये बात मेरे नोटिस में नहीं आई होगी ? मैंने कई बार देखा है की तुम मोम को पीछे से उसकी जवानी को जी भर के देखता था उस वक़्त मै भी ये सब समाज से विपरीत रिश्तो को गलत समजती थी लेकिन ये भी मानती थी की भाई अब जवान हो रहा है और घर में नहीं देखेगा तो और कहा जाएगा| मैंने तुम्हे कई बार उसकी पेंटी को स्मेल करते देखा है पर वो सब मैंने उतना इम्पोर्टेन्ट नहीं समजा था|” “और तू क्या समजता है ये बात उसकी नोटिस में नहीं होगी?” वो मेरी और तुम्हारी दोनों की मा है तुम से ज्यादा दिवाली उसने देखि है| कई बार हम ये समजते है की हम ने मा बाप को चूतिया बनाया पर असल में ये होता है की वो सामने से चूतिया बनते है सब कुछ जानते हुए भू अनजान बने रहते है|”

“खेर दीपू इन्सान को कुछ हालत एसे ही नहीं समज में आती है जब तक वो खुद वो स्थिति का अनुभव ना करे या फिर उस स्थिति में वो खुद ना जाये”



दी: क्या बक रही है कुछ समज मी आये ऐसा बोले तो अच्छा लगे

पु: हा हा हा हा हा मेरा भाई एक अच्छा चोदु तो है पर मगज से कमजोर है थोड़े में बहोत नहीं समज पाता......

पूजा ने अपने सर को दीपू की नंगी छाती पर रख के एक ऊँगली से उसके छाती के बालो को राउंड शेप में घुमाती खेलती हुई बोली “ बेटा ये बात इसी है की जब मेरी शादी हुई और मुझे चुदाई का मजा नहीं मिला तो मै कैसी बेबाक हुई थी, मुझे हर वक़्त बस एक लंड ही दीखता था, शरीर में एक भूख रहती थी एक आग चूत को कभी सहला ने से भी वो आग बुझती नहीं पर ज्यादा भड़क जाती थी, मुझे हर मर्द के निचे पेंट में उसका लंड कैसा होगा उसकी एक अनुभूति कल्पना में रची रहती थी जहा तक मी मैंने अपने ससुर के पेंट में भी देखा और कल्पना भी की की बस ये नहीं तो ससुरजी ही सही मुझे बच्चा नहीं मेरी चूत का भुक्का बोलाना था, मेरी गांड एक अच्छा लद के द्वारा धक्का चाहती थी|

दी: हां भाई समज गया पर उसका अभी क्या है?

पु: खेर अभी भी तू नहीं समजा चल खुल के बताती हु अब मेरी परिश्थिति को तू अच्छी तरह समज गया है अब मोम के बारे में सोच वो हमारे बचपन से विधवा का जीवन गुजारती है किस के लिए ??? हमारे लिए वो चाहती तो दूसरी शादी कर के अपनी गुफा को शांत रख सकती थी उसके नए पति से बच्चे पैदा कर सकती थी लेकिन उसने ऐसा नहीं किया और अपनी जवानी को विधवा के प्लेटफोर्म पर रख के बुढ़ापे में अपने आप को ढल दी बेचारी ने, सब को भूख लगती है उसी प्रकार उसे भी तो लगी होगी या लगती होगी, चलो एक तरह से ये भी सोच लेते है की कभी कभी वो किसी पुरुष से अपना छेद को भर भी लेती होगी पर मैंने आज तक ना देखा ना उसके व्यवहार में कभीऐसा अनुभव या अनुभूति हुई तो मै नहीं मानती, अब उसरे तरीके से देखे तो उसने अपनी भूख बैगन ऊँगली या कुछ और तरीके से शांत की और ये होना भी चाहिए पर ये सही है ??? सर बच्चो की जिंदगी के लिए उसे बैगन या ककड़ी से अपने दोनों छेदों को भरना !!!!!!!!!!!!!!!



पूजा की आँख में नमी भरी और एक दो बूंद उसकी आँखों ने टपका भी दिए “ ये वासना नहीं जरुरत है भाई जो मै और तुम अब तक नहीं समज सके शायद अब भी तुम नहीं समजे पर मै उस दौर से गुजारी तब मुझे मोम की हालत का पता चला मै सर 2 साल में थकी और अपने भाई से हार गई लेकिन अब वो सोच की कितना सालो से ऐसी है

पु: “ भाई मै उसे तुम्हारे लिए तुम्हारे निचे लाने की नहीं पर उसकी जरूरतों को समजते हुए मै तुम्हे उसके ऊपर लाने की कोशिश कर रही हु| एक तरीके से ये कह सकते है की मै तुम्हे सपोर्ट नहीं कर रही पर मोम को सपोर्ट कर रही हु

अब शायद मुझे भी कुछ समज में आने लगा था पर मेरी हालत कुछ कहने की नहीं थी

दी: दीदी मै आपसे आपकी बातो से सहमत हु और समज भी सकता हु लेकिन मै इस मामले में कुछ नहीं कर सकता क्यों की मै पहेल नहीं करूँगा और नहीं मोम

पता नहीं मोम मेरे बारे मे क्या समज रहि है और मेरी कल्पना में वो है पर मै उसके लिए शायद एक बेटा हु

पु: तू मेरा भी तो भाई था और मोम की ही सहमती से तू आज अपना लंड मेरे चूत और गांड की खबर लेता है उस में उसका कोई विरोध नहीं था

खेर वो सब बाते छोड़ तू मुझे ये बता की अगर वो कुछ ढीला छोड़े तो तू तक समज के आगे बढेगा ?

दी: दीदी ये मेरे लिए जीवन का सब से बड़ा गिफ्ट होगा भगवान की तरफ से

पु: चूतिये मुझे कुछ नहीं ??? जब की करुँगी मै !!!! मै तुम दोनों को मिलाने में जो हो सकेगा करुँगी पर एक शर्त पर

दी: हा हा पता है मुझे तेरी वो शर्त मै तुम्हे मा बना के रहूँगा बस !!!!

पु: नहीं वो शर्त नहीं है वो करार है बेटे

तो???????????????? अब कैसी शर्त

पु: जैसे तू तेरी मा का दीवाना है उसकी जवानी का दीवाना है वैसे ही कोई और भी है जो तेरी मा का दीवाना है

कौन है भोसड़ीका ????? बता तो सही मै उसकी मा चोद के उसके सामने रख दूंगा

पु: मै उस आदमी से एक करार में हु

अरे बता तो सही

पु: नहीं शायद तुम गुस्से में हो अभ इसही समय नहीं है लेकिन वो नहीं होगा ती मै कुछ नही कर सकुंगी

दी: चल अब बोल भी दे यार वैसे तू बहोत अच्छी है

पु: मस्का नहीं बेटे मै तुम से बड़ी हु तो कुछ दिवाली मैंने भी तुम से ज्यादा देखि है

दी: हे भगवान नाम तो बता मै कुछ नहीं करूँगा बस पक्का वादा करता हु

पु: तेरे जीजाजी यानि की रमेश

दी: बहेनचोद साला खुद की बीवी को अच्छे से चोद नहीं पाया और .......छी अगर मैंने वादा नहीं किया होता तो अभी उसकी मा चोद देता

स........टा........क से दीपू के गाल पर एक थप्पड़ पड़ी देख तू कुछ ज्यादा बोल रहा है उसके बारे में

मैएँ अपने गाल को सहलाते हुए : क्या गलत बोला मै और तूने मुझे मारा क्यों??????

पु: सुन साले मै उस से पहले प्यार नहीं करती थी क्यों की वो मुझे मेरी जरूरियात नहीं दे सकता था ...लेकिन अब उस से बहोत प्यार करती हु ये भी सुन क्यों उस से प्यार करती हु........

लेकिन उस ने मुझे अँधेरे में भी नहीं रखा उसने कह दिया अपनी कमजोरी

सब से बड़ी बात उसने मुज पर कोई पाबन्दी नहीं डाली मुझे फ्री रखा और कह दिया की तुम अगर कही किसी और से समागम करना चाहतो हो तो मुझे कोई एतराज नहीं ..............कोई पति ऐसा नहीं चाहेगा भले ही खुद की कमजोरी हो फिर भी अपनी बीवी को किसी और के निचे नहीं देगा ............और ये आदमी ने सामने से कहा तुम पसंद करो मै सपोर्ट करूँगा और जो भी परिणाम होने हम साथ में सहेंगे.............वो गे नहीं है फिर भी तुम्हारे साथ उसने खुद को समर्पित किया सिर्फ और सिर्फ मेरे खातिर ..............बच्चे के लिए ........वो चाहता तो हमें छोड़ के चला जाता......और सब से बड़ी बात भाई उसको मैंने रोते हुए देखा है........ सोच एक पुरुष की हालत उसको हालत क्या होगी जब उसकी बीवी किसी और से चुद रही होती है उसी के सामने और वो ककोल्ड की जवाबदारी निभा रहा है................ आई सेल्यूट हिम............ मैंने उसे कहा ये सब बांध अगर तुम्हे उतना दुःख हो रहा है तो .........उस ने हस के कहा नहीं अब रुक नही सकते ........कुछ इधर उधर की बाते हुई....... उसकी इच्छा जानी की मा को वो नंगा देखना चाहता है .......मैंने उसे कामिट कर दिया की कोशिश जरुर करुँगी और हां ये बात उसने मुझे हमारी चुदाई के पहले कही थी पर मैंने मजाक में लिया था की मुझे कुछ कर नहीं सकता और मेरी मा को देखना है..............और मै अपना ट्राय करुँगी रोक सको तो रोक लेना .............लेकिन एक बात समज ले की वो चोद नहीं सकता तो तुम्हारी मोम उसके सामने सेफ भी है................

दी: शायद दीदी आप सही कह रहे हो मै उसे मजाक में ले रहा था अच्छा किया एक थप्पड़ ने मुझे उसकी गहराई समज में आ गई मै भी पुरुष हु और उनकी स्थिति को समज सकता हु|

लेकिन अब मै क्या कर सकता हु मै खुद भी तो तरस रहा हु

तुम्हे कुछ नहीं करना है जो करुँगी मै करुँगी बस तुम्हे बता के करुँगी या बता दूंगी जहा तक होगा मै ये सब मेरे सामने होने दूंगी लेकिन अगर ऐसा नहीं हुआ तो भी मोम सेफ ही है

और तुम्हे कुछ नहीं करना है बस चुप रहना जैसे की तुम्हे कुछ पता ही नहीं ना मोम तुम्हे कुछ कहेगी ना तुम जीजाजी से समजे लल्लू ???????????



दीदी अब सो जाना पड़ेगा उतनी सी बात के लिए भी मुझे मेरी मर्दानगी साथ नहीं दे रही तो जीजू की तो बात ही अलग है .............मै ये शेर नहीं कर पाऊंगा क्यों की मा पर सिर्फ मेरा हक है

पु: सही कहा और जहा तक होगा मै कोशिश करुँगी तो मोम नामक माल सिर्फ तुम्हारा रहे और उनके छेद बस तुम्हे समर्पित रहे रमेश तो वैसे भी कुछ नहीं कर पायेगा तो भी उसकी गारंटी मै तुम्हे देती हु ........और हां हमारी चुदाई मोम ने देखि

क्या????? और हम ऐसी बात कर रहे है

नहीं बेटा वो सिर्फ थोडा देख के चली गई

चलो दीदी मुझे अब सोना पड़ेगा मै बहोत कन्फुज़ हु ........दीदी जो करो मुझे मत बताना मै जीजू की तरह महान नही हु.........मेरे बरदाश्त के बहार होगा सब..........

ठीक है लेकिन तेरी जानकारी में रहे|

और हम दोनों करवट बदल के सो गए|



बाकी कल
 
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अगली सुबह



अगली सुबह 8 बजे पूजा अपने बेड से उठी तो पाया की दोनों नंगे ही थे और दीपू का एक हाथ उसके स्तन पे था और लगभग आधा उसके ऊपर ही था क्यों की उस्ल्का एक पैर उसके साथल पे था जो उसके पेट से थोडा निचे वो धीरे से उसकी नींद ख़राब ना हो उसके हाथ और पैर को हटाके बेड पद बैठ गई उसने देखा की दीपू का लंड बहोत गहरी नींद में था एकदम मुरजाया हुआ

वो थोडा मुस्कुराई और धीरे से निचे की तरफ उसके लंड के करीब गई और एक मुस्कान के साथ मन में बोली बहोत थक गया है मेरी चूत का यार है ना !!! और थोडा झुक के जो लंड पे एक किस कर दी और थोडा लंड के ऊपर जो रात का माल पड़ा था दोनों का उसने धीरे से लंड को पकड़ के थोडा ऊपर की और कर के उसके सुप्पारा जो की चमड़ी के अन्दर पूरी नींद में था उसको अपनी जीभ की नोक से चाट कर साफ़ कर दिया एक चादर दीपू के ऊपर डाल दी और बोली मेरे लंड पे कोई नजर ना डाले और बाथरूम के तरफ फ्रेश होने को चली गई|



आधा घंटे के बाद जब वो अपने कमरे से बहार आई और सीडिया उतारते हुए देखा की मोम सोफे में बैठी हुई थी

अरे मोम आप उठ गई ???

मोम ने ऊपर की और देखा और इशारा किया की रम को बंध करे

पूजा ने रुम लोक किआ और फ़टाफ़ट निचे उतर गई पर ठीक से चल नहीं पाई

मोम थोडा सा मुस्कुराई और बोली “दीपू सो रहा है अभी ???? और तू मुझे पूछ रही है देख सुबह के 9 बज गए है”

“हां मोम सोरी वो जरा कल रात को थोडा लेट हो गया”

मोम थोडा हसी और बोली “हां भाई रात की थकावट वैसे भी कुछ ज्यदा होती है अब इतनी बार हो चुका है फिर भी उतरते वक़्त ठीक से उतर नहीं सकती !!!!!!!!!”

“मोम वो बस ऐसा वैसा कुछ नहीं आप भी ना मेरी टांग खीच ने से उबती ही नहीं”

“चल बाते मत बना मुझे पता है चाय किसे बनानी है मैंने मेरी चाय एक बार तो पि ली” मोम ने पूजा के शरीर पे पूरी नजर डालते हुए कहा

आप चाहे तो मै बना लेती हु दूसरी बार पीयेगी ??



हा बिलकुल अकेले में कुछ मजा ही नहीं आई चल मै भी अन्दर आती हु कुछ शब्जी काट लेती हु ..........

“वैसे भी अब इस घर में मै अकेली ही हु जिस के पास टाइम ही टाइम है बाकी लोग तो थके हुए ही रहते है” मोम अन्दर की ऑर चलते हुए बोली

“मम्मी तो आप भी थक जाए किसने रोका है”

“अब तू मेरी टांग खीच” हस्ते हुए मा बोली

“पता नहीं इस घर में और क्या क्या हुआ है और आगे क्या क्या होने वाला है मेरी तो समज के सब बाहर है”

पूजा को लगा की मोम को पघल ने के लिए उसे और बहोत महेनत करनी पड़ेगी|

“अच्छा मम्मी क्या आपको सच में ये सब बुरा अगता है?” अगर ऐसा है तो हम या मै चली जाती हु मेरा क्या है रमेश कोई और जुगार्ड कर लेगा या फिर मुझे ही कही और जगह ननगा होना पड़ेगा और उसके क्या क्या परिणाम हो सकते है या कितना ख़राब स्थिति का निर्माण होगा ये सब भुगतने को मुझे और मेरे घरवाले को तैयार ही रहना पड़ेगा|”

पूजा ने मोम को इमोशनल ब्लेक मेल करने प्रयास किया जो कुछ हद तक सार्थक भी रहा



मोम ने पूजा के गाल पर एक हलकी सी थप्पड़ मारते हुए कहा “ऐसी बात फिर कभी ना बोलना ये सब हुआ है उसमे सब की समाती है या थी सब से पहले रमेशजी की बाद में तेरी और मेरी भी हां मुझे ये सब बुरा तो लगा ही था पर अब शायद मै मन से इस रिश्ते को स्वीकार कर्ण लगी हु”

“पर कभी कभी डर भी लगता है की भविष्य में रमेशजी ने कुछ ऐसा वैसा सूना दिया मेरी बच्ची को तो मै क्या करुँगी” उस्न्की आँखे थोड़ी नमी हुई थी

“मोम उनकी फिकर ना करे क्यों की ये सब बाते पुरे सोच विचार के साथ किया है और सब बाते जो अब तक हुई है उसमे रमेश का पूरा साथ और सहकार है और आगे जो भी होगा उसमे भी”

पूजा को लगा मोम को थोडा सा जलन भी पैदा करनी पड़ेगी तभी ये भूख और बहार आ सकती है जब तक मोम की भूख बहार नहीं आयेगी या फिर लंड की तड़प जो है पर दिखा नहीं रही उसे बहार तो लाना ही पड़ेगा तभी दीपू का रास्ता साफ़ होगा और मेरा भी|

कुछ देर दोनों ने कुछ बात नहीं हुई पर अचानक पूजा ने कहा

“मम्मी, दीपू ने मुझे जिंदगी का असल आनंद दिया है। उसी ने मुझे बताया की एक मर्द एक औरत को कितना मज़ा और आनंद दे सकता है, सच माँ, दुनिया ने तो जितना दर्द दिया सब भुला दिया भाई ने। चाहे दुनियाँ इस प्यार को जो चाहे नाम दे, या पाप कहे लेकिन मेरे लिए दीपू किसी भगवान से कम नहीं है। मेरे लिए देवता है, मेरा मालिक है, मैं तो अपने भाई के साथ ये जिंदगी बिताने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ। कल तक लण्ड, चूत, चुदाई जैसे शब्द मुझे गाली लगते थे, लेकिन आज ये सब मेरी जिंदगी हैं। मम्मी, तू तो मेरी मम्मी है। तुझे तो मेरी खुशी की प्रार्थना करनी चाहिए। अब तो तुझे भी मर्द का सुख ना मिलने पर दुख हो रहा होगा। मम्मी, अब मैंने दीपू को अपना पति, अपना परमेश्वर मान लिया है…”

मोम: “ठीक है ठीक है” लेकिन इस “ठीक” है बोलने में पूजा को उसकी थोड़ी सी जलन दिखाई इ उनके मुह पर अब थोड़ी सी उदासी भी दिखी, अब तक चाय बन चुकी थी दो कप में चाय को निकाल के दोनों डायनिंग टेबल की और बढ़ी



दोनों डायनिंग टेबल पे बैठ के अपनी अपनी चाय को न्याय दे रहे थे तभी ..............



ट्रिन.......ट्रिन.........ट्रिन.......पूजा का मोबाइल बज उठा

पूजा ने स्क्रीन पे देखते हुए थोडा मुस्कुराई और फोन पिक किया

हल्लो .....

सामने से आवाज आई “hello आपको तो हमारी याद आएगी नहीं सोचा हमें ही याद करना पड़ेगा”

पु:”अरे एसा कुछ नहीं है डियर मै तुम लोगो को कैसे भूल सकती हु भला”

सामने: “खेर आपका फोन अब तक नहीं आया तो मुझे तो ऐसा लगा की मुझे आपको याद दिलानी ही पड़ेगी की दुनिया में और कोई भी है ....और बताओ बाकी आप लोग कैसे है?”

पु; “जी हम लोग तो सही है और अच्छे है आप लोग कैसे है और हां भूल ने की कोई बात ही नहीं बस समय नहीं मिला”



खेर चलो इन लोगो को बाते करने दो तब तक हम थोडा फ्लेश बेक में चले जाते है................... अभी तक की कहानी को यहाँ थोडा अल्पविराम देते है ताकि वो लोग अपनी आप को आगे बढे और तब तक हम कुछ और पता करके आते है वापिस यही पर ......................
 
Dark knight
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अगली सुबह



अगली सुबह 8 बजे पूजा अपने बेड से उठी तो पाया की दोनों नंगे ही थे और दीपू का एक हाथ उसके स्तन पे था और लगभग आधा उसके ऊपर ही था क्यों की उस्ल्का एक पैर उसके साथल पे था जो उसके पेट से थोडा निचे वो धीरे से उसकी नींद ख़राब ना हो उसके हाथ और पैर को हटाके बेड पद बैठ गई उसने देखा की दीपू का लंड बहोत गहरी नींद में था एकदम मुरजाया हुआ

वो थोडा मुस्कुराई और धीरे से निचे की तरफ उसके लंड के करीब गई और एक मुस्कान के साथ मन में बोली बहोत थक गया है मेरी चूत का यार है ना !!! और थोडा झुक के जो लंड पे एक किस कर दी और थोडा लंड के ऊपर जो रात का माल पड़ा था दोनों का उसने धीरे से लंड को पकड़ के थोडा ऊपर की और कर के उसके सुप्पारा जो की चमड़ी के अन्दर पूरी नींद में था उसको अपनी जीभ की नोक से चाट कर साफ़ कर दिया एक चादर दीपू के ऊपर डाल दी और बोली मेरे लंड पे कोई नजर ना डाले और बाथरूम के तरफ फ्रेश होने को चली गई|



आधा घंटे के बाद जब वो अपने कमरे से बहार आई और सीडिया उतारते हुए देखा की मोम सोफे में बैठी हुई थी

अरे मोम आप उठ गई ???

मोम ने ऊपर की और देखा और इशारा किया की रम को बंध करे

पूजा ने रुम लोक किआ और फ़टाफ़ट निचे उतर गई पर ठीक से चल नहीं पाई

मोम थोडा सा मुस्कुराई और बोली “दीपू सो रहा है अभी ???? और तू मुझे पूछ रही है देख सुबह के 9 बज गए है”

“हां मोम सोरी वो जरा कल रात को थोडा लेट हो गया”

मोम थोडा हसी और बोली “हां भाई रात की थकावट वैसे भी कुछ ज्यदा होती है अब इतनी बार हो चुका है फिर भी उतरते वक़्त ठीक से उतर नहीं सकती !!!!!!!!!”

“मोम वो बस ऐसा वैसा कुछ नहीं आप भी ना मेरी टांग खीच ने से उबती ही नहीं”

“चल बाते मत बना मुझे पता है चाय किसे बनानी है मैंने मेरी चाय एक बार तो पि ली” मोम ने पूजा के शरीर पे पूरी नजर डालते हुए कहा

आप चाहे तो मै बना लेती हु दूसरी बार पीयेगी ??



हा बिलकुल अकेले में कुछ मजा ही नहीं आई चल मै भी अन्दर आती हु कुछ शब्जी काट लेती हु ..........

“वैसे भी अब इस घर में मै अकेली ही हु जिस के पास टाइम ही टाइम है बाकी लोग तो थके हुए ही रहते है” मोम अन्दर की ऑर चलते हुए बोली

“मम्मी तो आप भी थक जाए किसने रोका है”

“अब तू मेरी टांग खीच” हस्ते हुए मा बोली

“पता नहीं इस घर में और क्या क्या हुआ है और आगे क्या क्या होने वाला है मेरी तो समज के सब बाहर है”

पूजा को लगा की मोम को पघल ने के लिए उसे और बहोत महेनत करनी पड़ेगी|

“अच्छा मम्मी क्या आपको सच में ये सब बुरा अगता है?” अगर ऐसा है तो हम या मै चली जाती हु मेरा क्या है रमेश कोई और जुगार्ड कर लेगा या फिर मुझे ही कही और जगह ननगा होना पड़ेगा और उसके क्या क्या परिणाम हो सकते है या कितना ख़राब स्थिति का निर्माण होगा ये सब भुगतने को मुझे और मेरे घरवाले को तैयार ही रहना पड़ेगा|”

पूजा ने मोम को इमोशनल ब्लेक मेल करने प्रयास किया जो कुछ हद तक सार्थक भी रहा



मोम ने पूजा के गाल पर एक हलकी सी थप्पड़ मारते हुए कहा “ऐसी बात फिर कभी ना बोलना ये सब हुआ है उसमे सब की समाती है या थी सब से पहले रमेशजी की बाद में तेरी और मेरी भी हां मुझे ये सब बुरा तो लगा ही था पर अब शायद मै मन से इस रिश्ते को स्वीकार कर्ण लगी हु”

“पर कभी कभी डर भी लगता है की भविष्य में रमेशजी ने कुछ ऐसा वैसा सूना दिया मेरी बच्ची को तो मै क्या करुँगी” उस्न्की आँखे थोड़ी नमी हुई थी

“मोम उनकी फिकर ना करे क्यों की ये सब बाते पुरे सोच विचार के साथ किया है और सब बाते जो अब तक हुई है उसमे रमेश का पूरा साथ और सहकार है और आगे जो भी होगा उसमे भी”

पूजा को लगा मोम को थोडा सा जलन भी पैदा करनी पड़ेगी तभी ये भूख और बहार आ सकती है जब तक मोम की भूख बहार नहीं आयेगी या फिर लंड की तड़प जो है पर दिखा नहीं रही उसे बहार तो लाना ही पड़ेगा तभी दीपू का रास्ता साफ़ होगा और मेरा भी|

कुछ देर दोनों ने कुछ बात नहीं हुई पर अचानक पूजा ने कहा

“मम्मी, दीपू ने मुझे जिंदगी का असल आनंद दिया है। उसी ने मुझे बताया की एक मर्द एक औरत को कितना मज़ा और आनंद दे सकता है, सच माँ, दुनिया ने तो जितना दर्द दिया सब भुला दिया भाई ने। चाहे दुनियाँ इस प्यार को जो चाहे नाम दे, या पाप कहे लेकिन मेरे लिए दीपू किसी भगवान से कम नहीं है। मेरे लिए देवता है, मेरा मालिक है, मैं तो अपने भाई के साथ ये जिंदगी बिताने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ। कल तक लण्ड, चूत, चुदाई जैसे शब्द मुझे गाली लगते थे, लेकिन आज ये सब मेरी जिंदगी हैं। मम्मी, तू तो मेरी मम्मी है। तुझे तो मेरी खुशी की प्रार्थना करनी चाहिए। अब तो तुझे भी मर्द का सुख ना मिलने पर दुख हो रहा होगा। मम्मी, अब मैंने दीपू को अपना पति, अपना परमेश्वर मान लिया है…”

मोम: “ठीक है ठीक है” लेकिन इस “ठीक” है बोलने में पूजा को उसकी थोड़ी सी जलन दिखाई इ उनके मुह पर अब थोड़ी सी उदासी भी दिखी, अब तक चाय बन चुकी थी दो कप में चाय को निकाल के दोनों डायनिंग टेबल की और बढ़ी



दोनों डायनिंग टेबल पे बैठ के अपनी अपनी चाय को न्याय दे रहे थे तभी ..............



ट्रिन.......ट्रिन.........ट्रिन.......पूजा का मोबाइल बज उठा

पूजा ने स्क्रीन पे देखते हुए थोडा मुस्कुराई और फोन पिक किया

हल्लो .....

सामने से आवाज आई “hello आपको तो हमारी याद आएगी नहीं सोचा हमें ही याद करना पड़ेगा”

पु:”अरे एसा कुछ नहीं है डियर मै तुम लोगो को कैसे भूल सकती हु भला”

सामने: “खेर आपका फोन अब तक नहीं आया तो मुझे तो ऐसा लगा की मुझे आपको याद दिलानी ही पड़ेगी की दुनिया में और कोई भी है ....और बताओ बाकी आप लोग कैसे है?”

पु; “जी हम लोग तो सही है और अच्छे है आप लोग कैसे है और हां भूल ने की कोई बात ही नहीं बस समय नहीं मिला”



खेर चलो इन लोगो को बाते करने दो तब तक हम थोडा फ्लेश बेक में चले जाते है................... अभी तक की कहानी को यहाँ थोडा अल्पविराम देते है ताकि वो लोग अपनी आप को आगे बढे और तब तक हम कुछ और पता करके आते है वापिस यही पर ......................
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हां तो अब हम चलते है रमेश के घर पर यानी की पूजा के ससुराल में

खेर हम लोग रमेश को तो जानते ही है| और वो वैसे तो हेंडसम है पर उसका लिंग बस मुतने के काबिल है वैसे वो ही अब तक जानता था की उसकी कमजोरी क्या है, वैसे वो ना तो गे है और नाही ककोल्ड पर बाकी आप लोग सब जानते है उसने क्या क्या किया लेकिन उसके बारे में घर में और कोई नहीं जानता और जो जनता है वो आगे पता चलेगा| अपना कंसल्टंसी का बिजनेस करता है और अच्छा कमाता है|

प्रदीप रमेश के पिताजी और पूजा के ससुरजी एक बेंक कर्मचारी और शेर मार्किट में काफी इन्वेस्ट करते है

मनोरमा प्रदीप की पत्नी और रमेश की मा और पूजा की सांस एक हाउस वाइफ है उनका नेचर वैसे तो मिलनसार है पर कुछ बातो में वो किसी की भी नहीं सुनती घर में शायद उनका बोल चलता है आकर्षक शरीर का ढांचा है पर थोड़ी सावली है

कोमल रमेश की बहन और पूजा की ननंद जो अभी छोटी है दीपू से 1 या दो साल छोटी स्कुल में पढ़ती है लेकिन अच्छी खासी विकासी हुई शरीर की मालिक है पूजा से थोड़ी सावली है पर बहोत ही आकर्षक बदन रखती है| अपनी शरीर का बहोत ख़याल रखनेवालो में से है| पढ़ाई में ठीक ठाक है पर इतर प्रवुत्ति काफी दिलचस्पी रखती है| उसका एक है की वो घर में सभी के बारे में सब जान ने का हमेशा प्रयास में रहती है| और सब से छोटी है इसलिए सब की प्यारी भी है और नटखट भी|



वैसे रमेश के घर में सब फ्री है किसी को कोई बंधन नहीं, प्रदीप जो की काफी गाली गलोच वाला आदमी है तो घर में सब को भाषा का कोई प्रॉब्लम नहीं| या यु कही ये की कोई भी कुछ भी और कैसी भी भाषा मे बात कर सकता है| अभद्र भाषा इनके के घर में भद्र तरीके से ले जाती है लेकिन सिर्फ और सिर्फ घर में और घर के मेम्बरों के बिच में ही |



अब जब रमेश की शादी की बात चल रही थी वैसे तो काफी रिश्ते आये थे लेकिन हर बार रमेश कोई ना कोई बहाने से वो सब टाल दिया करता था| वजह अलग थी पर घर में कोई और ही बहाना बता के शादी की बात से निकल जाता था लेकिन जब पूजा का रिश्ता आया तो मनोरमा ने पूजा को पसंद कर लिया था और उसने घर में कह दिया था की अब की बार अगर रमेश ने मना किया तो वो आत्महत्या कर लेगी| सो इस बार रमेश का कुछ नहीं चला और उसको कमन से उस शादी के लिए हां कर दी थी|



खेर शादी तो हो गई थी पूजा और रमेश की लेकिन सुहागरात में ही रमेश ने अपना पॉट प्रकाश दिया था| वैसे उसने पूजा के साथ सब कुछ किया जो वो कर सकता था लेकिन पर्फोर्मांस की बात जब आई तो उसकी सुहागरात बस कुछ मिनीटो में ख़तम हो गई| पूजा ने सोचा की शादी की थकान से शायद ऐसा हुआ है पर अगेल दो से तीन दिन ऐसा लगातार हुआ तो पूजा रोने लगी|

रमेश ने काफी समजाने की कोशिश की लेकिन पूजा बात को नहीं मानी तो रमेश ने सब बता दिया की क्यों ऐसा हुआ और क्यों उसने शादी करनी पड़ी| पूजा को तो आसमान फट पड़ा वैसे भी वो पहले से ही चुदासु तो थी ही और उसकी को इसा पति मिला| काई गुस्से से वो ना जाने या कुछ कह गई रमेश को लेकिन रमेश ने ना कुछ बोला और नहीं कोई प्रतिक्रया दी ना सफाई|



ऐसे ही कुछ दिन बीते तब पूजा ने उसे एक रात कहा की वो (रमेश) उसके काबिल नहीं है और ना ही वो यहाँ रह सकती है क्यों की हद स्त्री को प्रेम के साथ साथ कुछ और भी चाहिए| रमेश ने भी इकरार किया की तुम्हारी बात सही है पर मै अब क्या करू हमें इसका हल निकाल ना पड़ेगा



रमेश ने पूजा को बाहेधरी दी की व कुछ ना कुछ हल निकाल देगा .........



ऐसे ही एक साल होने का आ गया हर महीने (पीरियड) से पहले मनोरमा उसे कुछ पूछती की क्या कोई समाचार देगी| लेकिन पूजा क्या कहती और क्या करती कभी कभी अकेले में रो भी देती

हालाकि रमेश का उसे से संपूर्ण समर्थन था और वो उसकी बाकी की जवाबदारी पूरी तरह निभाता था कभी कोई समस्या यौन प्रकिर्या से सिवा रमेश में कोई खामी नहीं दिख रही थी| पूजा ने भी तो थोडा त्याग किया की और अपने मन को मना लिया था की एक चीज़ को छोड़ के बाकी रमेश में क्या बुराई है ??? और वो उसे नहीं छोड़ सकती हलाकि रमेश ने कहा भी था की उसे पसंद है बाहरी कोई व्यक्ति से अपनी आग बुझा सकती है अपर ऐसा उसने नहीं किया था| हां कभी कभी उसके बदन की आग उसे उस तरफ सोचने को मजबूर जरुर करती थी कभी कभी वो हर मर्द में उसका लंड की और ही देखती| वो शायद अपने ससुर के लंड को भी देखने की कोशिश करती लेकिन कभी उसने ऐसा किया जिस से ससुर उसकी तरफ आकर्षाये या उस तरफ कुशह सोचे| एक अच्छी बहु..............



लेकिन अब घर में थोडा थोडा तनाव पैदा होने लगा क्यों की उसकी सांस को अब शादी के बाद का रिजल्ट चाहिए था एक बच्छा जो उनकी गोद में खेले और ये स्वाभाविक भी है लेकिन जब भी पूजा की तरफ से समाचार नकार में आता वो चिड सी जाती| और नतीजे के तौर पर उसका व्यवहार पूजा के प्रति रुखा बनता गया और उसकी भाषा में जो अब तक विवेक था वो अब धीरे धीरे अद्रश्य होने लगा छोटी छोटी बातो में वो पूजा को कुछ भी बोल देती|

हालत धीरे धीरे बदल रहे थे घर में अब छोटी छोटी बातो में मनोरमा पूजा से लडती रहती थी और घर में भी कोइ उसे रोकता भी नहीं| कोमल ये बात अच्छे से समजती थी पर ना वो कुछ कहती ना स्थिति को संभालती उसकी उमर भी तो छोटी थी|

धीरे धीरे ये स्थिति बिगड़ने पे तुली थी अब पूजा का सहन करना भी मुश्किल होता वैसे बाकि लोग घर में उस से कोई दुर्व्यवहार नहीं करता था पर पूरा दिन सांस के साथ ही तो रहना होता था| अब बात यहाँ तक आ गई की मनोरमा उसे बांज का लेबल देने लगी हर बात पे वो पूजा को बांज बोलती रहती थी | “चूत में ही दम नहीं है तो शादी क्यों की मेरे बेटे से” जैसे गंदे और असहनीय ताने मिलने लगे|

हर रात को वो रमेश से जो भी होता दिन का वो कह देती आयर साथ साथ में ये भी कहती की सब ठीक हो जाएगा तुम अपने काम में ध्यान दो लेकिन आशा थी की रमेश कुछ करे



इस बिच में जैसे आप लोग जानते है रमेश पूजा को उकसाता रहता था की वो कोई और बाहरी रिलेशन में चली जाए और ये घर ताने को बंद कर सके, उन दोनों में काफी बात हुई अब शायद पूजा भी तैयार थी जैसा की आप को शुरुआत में बताया कुछ लोगो से चुद ने की बात भी हुई और साथ साथ में गंभीर परिणाम के बारे में भी सोचा नतीजा कुछ नहीं हो पाया और घर का माहोल बस ऐसा ही और दिन बा दिन ख़राब होता गया|

एक रविवार सब साथ में सुबह सुबह चाय का मजा ले रहे थे सभी घर के मेम्बर हाजिर थे और पूजा ने सब के लिए चाय और नाश्ता लेकर आई और अपनी जगह बैठी चाय पिने के लिए

तभी सांस: अरे बांज तुजे चाय की भी जरुरत है?

“मै अगर तुम्हारे जगह होती तो अब तक 2 बच्चे दे दिए होते मेरी चूत में अभी भी दम है और आज कल की लोंडिया में कोई दम ही नहीं नाहक का माल खाती रहती है और कुछ सामने दे नहीं सकती”
कोमल: मोम बस कर यार कितना ताना मारेगी और वो भी सुबह सुबह आज रविवार है छुट्टी है क्यों सब का मुड ख़राब कर रही है और साथ साथ में तुम्हारा भी आजकल सब बच्चे के बारे में बाद में सोचते है पहले एन्जॉय करने की सोच ते है तुम्हारा समय नहीं है अब नया ज़माना है लोग प्रिकोषण ले लेते है ताकि बच्छा ना हो और अभी समय भी कितना हुआ है”

प्रदीप:”तेरी मा को सब तुरंत ही चाहिए अब इसका हल कहा से लाये और वैसे भी रमेश अगर तुम ऐसा प्रिकोषण लेते भी हो तो अब बंध भी करो और कुछ प्रोडक्टिव रिसल्ट पर सोचो ये भी तो जरुरी है| जितना तुम लोग लेट करोगे उतना ही पीछे भी तो लेट होगा”

मनोरमा: “अरे ये सब ये बंज़ समजे तो ना बेटा तो बिज बो के सो जाता है पर ये उस बिज को क्या करती है कुछ पता नहीं चलता अन्दर भी उसका मुह है क्या जो खा जाती होगी और बेचारा रमेश बोये तो भी कितना बोये जब जमीं में ही फल देने का सामर्थ्य नहीं|

पूजा:”मोम जो आप सोचरही है ऐसा नहीं है”

मनोरमा:”बस कर साली नापावट भोस में दम नहीं मेरे बेटे की जिंदगी खराब हो रही है”

“suno प्रदीप अब कोई और एक लड़की देख लो जो फलद्रुप हो और रमेश की शादी उसी से कर देते है और ये यही कही पड़ी रहेगी मै किसी स्त्री को निकाल ने में नहीं मानती|

अब पूजा से ये सहन करना मुश्किल हो गया वो उठ खड़ी हुई और अन्दर की तरफ जाने लगी और रमेश की तरफ ऐसे देखा की अभ इवो फट पड़ेगी और जो है वो सब बोल देगी

उसके बाद मी मनोरमा ने कुछ और बोला और रमेश की और देखते कहा “बेटा अब तू दूसरी शादी के लिए तैयार हो जा और अब मै ऐसी ही धुन्धुंगी जो मुझे बच्चा तुरंत दे”

रमेश: मा हम लोग खुश है हमारी जिंदगी से तो तुम क्यों दुखी हो रही हो रही बात बच्चे की तो होंगे तुम नाहक चिंता कर रही हो

प्रदीप:”बेटा मै समज सकता हु की तुम दोनों की ये बात है पर अब दुनिया में भी कुछ दिखाना है हमें भी दुनिया में और समाज में रहना है तभी तो मैंने कहा की अगर प्रिकोशन लेते हो तो बंध करो और जमीन को बोने दो”

मनोरमा: “देख बेटे चूतिये जैसे बात तो तू कर ही मत बच्चे पीछे से नहीं आगे से होते है”

कोमल जोर से हसी और बोली:” मोम तुम कुछ भी बोलती रहती हो चलये शांति से चाय पीओ और पिने भी दो रोज की मगजमारी हो गई है अब ये कोइ कुछ समज ही नहीं रहा”

“हर बात की माँ बहन एक करने से कोई फायदा भी तो नहीं”

प्रदीप: “बेटा कोमल ये तेरा सब्जेक्ट नहीं है ये गंभीर मामला भी है” तो अपना मुह बंध रखो और देखो की क्या होता है खेर तुम्हे भी पता चलना चाहिए की शादी के बाद और भी कुछ जवाबदारी होती है तेरी भी शादी होगी और तुम्हे भी बच्चे देने है

कोमल थोडा सा शर्माती हुई बोली: “डेडी बात सही है लेकिन अभी मेरी बात ही नहीं हो रही और मै घर का माहोल ठीक करने की कोशिश कर रही थी बाकी आपलोगों की मर्जी भाभी बेचारी की गाड़ मार रहे हो तुम सभी लोग”

रमेश ने एक बार रसोई घर की और देखा जहा पूजा रो रही थी और वो भी दुखी हो गया था की क्या करू ............

तभी............................

बने रहिये

मुझे तो लगता है कहानी मजेदार बन रही है | बाकी आपको पता ...............
 
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रमेश का सर फटा पड़ा जा रहा था “ चुप सब “

क्या हम यहाँ पूजा की बुराई ही करने बैठे है? पूजा को यहाँ कोई समजने वाला है या भी ?

तुम लोग उस पर ये कैसे दावे कर सकते हो की वो बच्चे देने के काबिल नहीं है क्या टूल लोगो के पास कोई पुरावा है या बस यु ही मनघडंत जो भी मन में आया बक रहे हो खास का मोम !!!!!!!!!!!

मोम क्या आप मुझे बता सकते हो की पुँज का क्या दोष है ???

मोम अनुत्तर रही सिर्फ रमेश की और ताकती रही

रमेश ने अब पूजा के सामने देहा जो सिकड़ी हुई अपने सर को दोनों पैरो के घुटन पर टिकाये हुए थी और रोये जा रही थी

एल दम से रमेश फर पड़ा तो वो भी ताज्जुब में थी की रमेश को क्या हुआ दोनों की आँखे मिली और पूजा ने इनकार में सिर्फ अपना सिर हिलाया जैसे ना बोलने के लिए कह रही हो| हालाकि मन से वो भी बहोत चाहती थी की रमेश अब बाज़ी को संभाले क्यों की अब ये रोज रोज के ताने असहनीय बने हुए थे उसके लिए| वो भी चाहती थी की रमेश बोले और इस झंझट उसे निकाले और अपनी एक नयी दुनिया बनाने में मदद करे |



थोड़ी देर कोई कुछ नहीं बोला लेकिन आखिर प्रदीप ने चुओकिदी तोड़ी : “बेटा तुम जो कह रहे हो वो सही है लेकिन मर्द अपना बिज औरत में छोड़ के छोड़ देता है लेकिन औरत का शरीर भी तो उस काबिल होना चाहिए जिस से वो फलित हो|

रमेश अब शायद कुछ भी सुन ने को रेडी नहीं था : क्या औरत क्या पापा कुछ भी बोले जा रहे हो मैंने अब तक देखा की आप नाटक कर रहे हो अच्छे और आज के जमाने के बन ने के लिए लेकिन असल में आप हो नही”

“मतलब?” मोम ने सिर्फ उतना कहा और कुछ आगे बोलने जा रही थी पर रमेश की तेज आँखों ने और उस्न्की एक ऊँगली जो नाक पर जा टिकी देखि तो उस से आगे कुछ ना बोल सकी

प्रदीप: तुम कहना क्या चाहते हो ?

“यही की आप नाटक कर रहे हो और अगर ऐसा नहीं होता तो अब तक मोम को समजा चुके होते और ये ताना जो ये दे रही है मेरी पूजा को वो शायद बंध हो जाते और घर में शाति बनी रहती” रामेह्स नि अपनी गुस्सेवाली आँखों से तेज़ नजर से देखते हुए बोला

“तो क्या अब पूजा सिर्फ तुम्हारी है हमारी कुछ नहीं हम तो उसे सिर्फ ताने मारने के लाये है” मोम को शायद एक पॉइंट मिला बोलने के लिए

“अगर उसकी नाली में कुछ फलद्रुप बिज होते तो अब तक कुछ ना कुछ रिसल्ट हमारे पास भी होते और वैसे भी हमें उस से और कोई प्रॉब्लम तो है नहीं बस एक बच्चा दे दे”

“और अगर नहीं देती तो क्या करोगी उस के साथ ?? मार दोगी उस को ??? चलो एक बार मान भी लिया की जैसा तुमने कहा मै दूसरी शादी करू और उजा को कोने में रख दू और नयी वाली बच्चा देगी उसका प्रमाण है तुम्हारे पास ??????”

“सब से पहले मैंने शादी से मन किया तब तुम मरने का दावा या फिर नाटक किया और मुझे ये शादी करनी पड़ी वर्ना मै शादी करने का कभी मुड में नहीं था अब तुमने अपना फैसला सुनाया मेरा सोचा ही नहीं की मै क्या चाहता हु? क्या मै दूसरी शादी करूंगा या नहीं ? करूँगा तो वो बच्चा देगी भी या नहीं मान लो की वो भी नहीं दे पायी तो क्या करोगी?? तुम दोगी?????

मोम की आँखे फटी रह गी



अगर तुम में ताकत है तो बच्चा खुद ही दे दो मुज से उम्मीद मत रखो



प्रदी: “बेटा ऐसे ही कुछ भोल ने से समस्या हल नहो होगी मै मानता हु की मैंने मनोरमा का साथ दिया क्यों की मै भी तो घर में चाहेक चाहता हु और उसमे गलती क्या है बेटे ?? मानता हु की मनोरमा का व्यवहार गलत है भाषा अपनी आभू के साथ लेकिन ये भी समजो की ध्येय गलत नहीं है”

मै समज सकता हु पापा पर जो गलत है वो गलत है



मोम: बेटा पुँज से पहले में इस घर में हु ये मेरा घर है बाद में पूजा का भी हुआ मुझे उसके और कुछ नहीं चाहिए और नाही मुझे वो नापसंद है हमारे घर में वो एक दूध में चीनी की तरह मिल गई है हमारी घर के जो भी निति नियम है उसने एडोप्ट कर लिये है लेकिन जो है वो है और अगर ये गलत है तो है लेकिन जो है उसके लिए मै शर्मिंदा नहीं हु ये जान ले जो तू मुज पर अब तक इलज़ाम लगाए हुए है |



कोमल: क्या हम सिर्फ बहस ही करेंगे या फिर आगे भी बढ़ेंगे भाई आप को जो कुछ कहना है जैसा भी कहना है कह दो मुझे तो ये भी अच्छा लगे गा की भाभिको इस चर्चा में शामिल करो आखिर वोही मेईन पॉइंट है और वो रसोई में रोते रहे मुझे ये भी तो पसंद नहीं है|



पूजा लगातार रमेश को देखे हुए थी



प्रदीप: कोमल सही कह रही है शायद आज हम दिन खराब कर ही रहे तो क्यों ना अब इस का समाधान भी ढूंढा जाए ???

मोम: समाधान में क्या है अब जो है फैसला तो लेना ही है रमेश बेटे को ये नहीं तो कोई और ही देगी लेकिन मेरी फेमिली आगे बढ़ नि ही चाहिए

रमेश: मा तुम्हे लगता है की नयी बहु आएगी वो तुम्हे बच्चा दे ही देगी कहा से देगी ??? चलो अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा

सब लोग चुप रहो बस सुनो

रमेश: “इस कहानीमे मै और पूजा है पर जो आपकी कहानी में और एक बच्चा है जो नहीं हो सकेगा और ये मुमकिन नहीं

मोम: लेकिन क्यों मुमकिन नहीं ये जान ना जरुरी है हमारे लिए

रमेश: “यार सुन तो सही क्यों बिच बिच में टोकती रहती हो”

मै बाप नहीं बन सकता क्यों की मै नपुंसक हु आई बात समज में ?????????????

इतना सुनते ही सब के मुह अंडे आकर के हो गए

पूजा जल्दी ही उठ के बाहर आई और बोली “क्यों मेरे इए इतना बड़ा जुट बोल रहे हो ???? शायद मुज में ही कमी है और आप है की सब इलज़ाम अपने पर ले रहे हो क्यों जुट बोल रहे हो कह के रोने लगी



रमेश: सब चुप मतलब पूजा तुम भी उसमे शामिल थी तुम भी चुप रहो जोरो से चिल्लाते हुए कहा

अभ भी सब के मुह में अंडे घुसे ही पड़े थे कोई कुछनही बोला रम में एक प्रकार का सन्नाटा छ गया था सब को साप ने सूंघ लिया था

रमेश अपनी कुर्सी से उठा और अपने मोबाइल को अनलोक करके स्क्रीन पर एक पीडीऍफ़ फ़ाइल खोजी और डिस्प्ले पर रख दिया और सब के बिच में रख दिया

ना मोम ना प्रदीप ना कोमल किसी की भी हिम्मत नहीं हुई की उसमे क्या लिखा है वो पढ़े

शांत ........शांत .............शांत रम में कोई कुछ नही बोला

थोड़ी देर ऐसे माहोल बना रहा आखिर प्रदीप ने बोला : “ये बेटा तू क्या कह रहा है शायद तेरे बोलने में कुछ गलती हुई है या फिर हमें सुन ने में कोई गलती हुई है या फिर हम सब कुछ और ही समज रहे है

रमेश: “ फिर से कह रहा हु डेडी मै नपुंसक हु impotant जी से कहते है मै बाप कभी नहीं बन सकता और ये जो आप स्क्रीन पर देख रहे है वो उसका प्रमाण है

मनोरमा: “ये नहीं हो सकता क्या तू......तू........तू.....म.....म......बोलते आगे का .(भी) उसके गले से बहार नहीं आया हे भगवान ये क्या सूना रहा है मुझे और मुझे ही क्यों ऐसे सुन ना पद रहा है???”

रमेश: “ये सच है मोम अब और बताओ तुम कितनी लडकियों की जिंदगी मुज से बर्बाद कराओगी ????????????????”

अब तुम ही बताओ की मुझे दूसरी शादी करनी चाहिए या नहीं अरे मुझे तो पहली भी नहीं करनी थी और नहीं कभी करना चाहता था मुझे कोई हक नहीं है की मै पूजा की जिन्दी से खेलु उसके सभी अरमानो पे पानी फेरु| ये तो मेरे नसीब अच्छे है की पूजा ने ऐसा कुछ किया नहीं जीस से मेरी जिंदगी बर्बाद हो जाये वरना वो चाहती तो मुझे नपुंसक प्रमाणित (डिक्लेर) कर सकती थी और जो ये तुम लोग अपने आप को सामाजिक कह रहे हो उसमे इज्जत के फालूदा बन जाते मै पूजा का आभारी हु की उसने मेरे साथ कंधे से कंधा मिलाया पर ये जो उसके साथ व्यवहार हो रहा है वो मुझे अपने जी जान पे कोई चाक़ू चला रहा है ऐसा लगता था और हां एक बात और ये बात मै कब का बोल चूका होता पर यही बांज ने मुझे रोक के रखा हुआ था इस उम्मीद में की कल सब सही और ठीक हो जाएगा क्या ख़ाक हुआ सही भेन्चोद कोई उसे समज ही नहीं पाया “

हमें उससे आभार व्यक्त करना चाहिए की उसने हमारी इजात बनाए राखी और आज तक ये मै हु की मुज से अब उसका अपमान सहन नहीं हुआ जिस का कोई गलती है ही नहीं



रमेश उतना बोल के पानी पिने लगा लेकिन कोई कुछ भी नहीं बोला सब की मुंडी निचे जमीन को खोद रही थी

रमेश रोते हुए फिर से चिल्लाया :” हां मै नपुंसक हु”



5 मिनट तक कोई कुछ नही बोला फिर अचानक कोमल ने चुप्किदी तोड़ी और जोरो से ताली बजाने लगी और बोली “ भैया आज मुझे आप पे गर्व है इतनी बात बोलने में आपने बड़ी देर लगा दी मै इसी पल की बेसब्री से इंतज़ार कर रही थी की आप कुछ बोले”

अब रमेश सहित सब के मुह आश्चर्य के साथ खुले रह गए थे

रमेश: “तुम कहना क्या चाह रही हो ?????

कोमल: “भैया कुछ बोलने में गलती कर रहे है आप नपुंसक नहीं है पर आप के वीर्य में शुक्राणु की संख्या कम है और वो नहीं के बराबर है उसमे लिक्विड ज्यादा है और जो भी शुक्राणु है वो किसी भी महिला के फेलोपियन ट्यूब के पार जाने और बिज को छेद के के काबिल नहीं है”

रमेश: “what?????” तुम्हे कैसे पता क्या तुम पहले से ही जानती थी???”

कोमल :yes भैया उसी दिन से जानती हु जब आपके मोबाइल में ये मेसेज आया था मैंने आपको Dr से बात करते सूना था की रिपोर्ट कल तक आ जायेगी और मैंने आपका मोबाइल पे वोच कर के उसकी फ़ाइल मैंने अपने मोबाइल में डाल दी थी” सोरी

मोम जो अब तक आधी सोयी हुई थी अचानक उसे कोमल को बोला साली गन्दी छिनाल अब तक मुझे क्यों नहीं बताया???? किसी को तो बताना चाहिए था तो ये नोबत नहीं आती

कोमल: ये भैया को ही बोलना था मैंने सिर्फ भाभी का प्रोटेक्शन के लिए ये सब किया था अगर ऐसी परिश्थिति आती है जहा दूसरी शादी की और भाई भी रेडी हो जाते है तो ये धमाका मुझे करना था अन्यथा ये भाई को ही बोलना था| मै भी एक फिमेल हु और भाभी को अन्याय होने से तो रोकना था पर सच कहू तो मा तुम एक महिला ना बन सकी उसका मुझे दुःख है



इतना सुनते ही पूजा रसोई की और दौड पड़ी और कोमल अपनी कुर्सी को पीछे की ऑर करते उठ खड़ी हुई और बोली: “भाभी मुझे माफ़ कर दो”

bane rahiye
 
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कोमल: “भाभी उसमे मेरा कोइ दोष नहीं जब घर में शादी की बात हो रही थी और भाई मन कर रहा था तब भी मैंने कहा था की अगर भाई मना कर रहा है तो उसपे दबाव ना डाले पर कोई और किसी ने मेरी एक ना सुनी मै क्या करती और आखिरकर भाई भी तो राजी हो गए थे” मै बस जानती थी मेरी कोई आवाज नहीं है क्यों की मै चोटी हु

पूजा ने उसे कुछ न कहते हुए बस उसकी तरफ देख रही थी फिर कोमल ने उसका हाथ पकड़ कर लगभग खिचती चली जहा सब थे

कोमल: “मोम अब कुछ बाकी रह गया है या फिर अभी भी भाभी की जगह उस रसोई घर में ही है ?”

मनोरमा कुछ न बोली या फिर बोल ही नहीं सकी थोड़ी र=देर सब चुप रहे बाद में मनोरमा उठी और जहा पूजा कड़ी थी वहा गई और बोली: “बेटी क्या मुझे तुम माफ़ कर सकती हो” और उसके पैरो की तरफ झुकी

पूजा: “मम्मीजी ये क्या कर रही है अआप मुझे बांज से अब पापिनी बना रही है” उसने झ्क्ति हुई मम्मी को उठा लिया और साथ साथ अपने आप को गर्वित समजी की उसने भी मोम को ताना मार ही दिया

मोम ने उसे गले लगाया और बोली मुझे माफ़ कर दो बेटा मै सच में नहीं जानती थी

रमेश: चलो मोम अब आपने सब जान लिया और मुझे ख़ुशी है की अब घर में कोई ताना टोना नहीं होगा और पूजा को अपनी जिंदगी का मजे लेने दोगी

मनोरमा: हां बेटा सही कह रहा है मुज से बड़ी गलती हुई और पूजा पहले भी मेरी बेटी थी और आज से भी ये एक बुरा सपना समज के भूलजा बेटी कह के उन्होंने पूजा के सर पर हाथ रखा

प्रदीप: खेर चलो जो होना था हो गया लेकिन अब क्या ??? आज हम सब यहाँ बैठे है तो सब बात की चर्चा कर ही लेते है ताकि फिर कल कोई और चर्चा न हो

रमेश: देखो सब लोग अब सुनो मैंने और पूजा ने इस बारे में बहोत बाते की है पर कोई अंजाम अभी तक नहीं हुआ जैसे फर्टिलिटी ivf और बाहरी सेक्सुअल रिलेशन के बार एमे भी सोचा है अब सब सामने आ ही गया है तो हम सब मिलके ये सुलझा लेते है

वैसे मेरा कहना है की अब अब सब को पता है तो बच्चे की आशा छोड़ देनी चाहिए कोमल ने अपनीबात जो रखते हुए कहा

प्रदीप: सही है बेटा अब सब को पता है तो बच्चे की आशा छोड़ देनी चाहिए क्यों मनोरमा ??

सभी अब मनोरमा की और देखते हुए

हा लेकिन ..............

रमेश: चलो अब और पहेली भी रख ही देता हु मै सेक्स में कमजोर हु मतलब मै पूजा को सन्तुष्ट नहीं कर सकता और हर महिला की जरुरत ओटी है ऐसे ही मै समजता हु की पूजा की जरूरतों को भी हमें समजना च्चाह्ये

प्रदीप: हां ये भी है तो अब ????

मनोरमा: अभी वो समय नहीं है पर हां सोचना तो पड़ेगा और अब मै पूजा की जगह सोचती हु तो मुझे लगता है की हमें उसे फ्रीडम देनी चाहिए लेकिन घर में अहि क्यों की घर में आलरेडी एक अपरिपक्व चूत है

पूजा हसी और बोली बस आप लोगो का मान सन्मान मिला मेरे लिए ये बहित है मै अब कुछ न कुछ करके अपनी जिंदगी जी लुंगी

प्रदीप: ऐसा नहीं बेटा ये गलत बात है और मनोरमा की बात भी सही है हमें ऐसा कोई चाहिए जो मेरे घर की भी इज्जत रक्खे और पूजा की भी

सब लोगो ने काफी ऑप्शन के बारे में सोचा लेकिन रमेश पूजा और कोमल कोई ना कोई बहाना निकाल के टाल देते थे

काफी समय सोच विचार करने के बाद ये तय हुआ की कोई घर का आदमी हो जो सिर्फ पूजा का शरीर को शांत रखे और कोई गर्बाद भी ना करे और बच्चे होते रहे

सब सोच विचार कर ने के बाद और कई लोगो के बारे में सोचने के बाद कोई ऐसा ढंग का आदमी नहीं मिल रहा था तभी

रामेह्स: पप्पा क्या आप ये आम कर सकते है ???

मै ?????????????????

हां क्यों नहीं आप घर के हो और घर की बात घर में रहेगी

कोमल और मनोरमा दोनों के मुह खुले पड़े थे खास कर मनोरमा कुछ कहने को जा रही थी लेकिन को कोमल ने इशारे से मोम को चुप रहने का संदेसा दिया तो वो चुप हो गई

प्रदी: देखो बेटा बात तुम्हारी सही है पर मुझे लगता है की मै बुढा हो चूका हु और शायद पूजा की जरूरते मै न भी संभल पाऊ

तो क्या पप्पा अगर ऐसा होगा तो कुछ और सोचेंगे ..........

प्रदीप:पूजा बेटी तुम क्या कहती हो क्या तुम मेरे साथ सो सकती हो अरे अरे जल्दी नहीं है बस आराम से सोच के बता देना”ना होगा तो ठीक ही है”

कोमल तरत फुट पड़ी चलो अभी की बात यहाँ तक रेन्हने देते है और हम लोग कुछ्बना लेते है तबतक आप दोनों कही घूम आईये और माहोल थोडा हल्का हो जाएगा खाना खाते हुए फिर से यह बात करेंगे ठीक है ????

मनोरमा तुरंत बोली हां ठीक है

अब उसने बोल दिया तो सभी ने अपनी अपनी बैठक छोड़ दी और तीनो महिलाए रसोई घर में पहुची

जैसे ही रमेश और प्रदीप बहार गए कोमल दौड़ती हुई रसोई घर में आई और भाभी को गले लगा दिया और बोली अब आप खुश है ना भाभी

मोम आपको कोई प्रॉब्लम तो नहीं है ना पापा को शेर करने में !!!!!!!!!!!!

मोम: तुम शैतान है लड़की मेरे मुह से बोलवा रही हो

मोम आप बोले तो सही रहेगा मै बोलूंगी तो छोटा मुह बड़ी बात हो जायेगी

मनोरमा: देखो पूजा बेटी अब तुम फैसला कर लेना जो भी तुम्हारे मन में ए लेकिन प्रदीप की एक बात तो है की वो अब बुधा है और मुझे नहीं लगता की तुम जैसी कमसिन जवानी को खाने के काबिल है

पूजा: देखिये मा मुझे कोई आपत्ति नहीं है जैसा रमेश कहेगा और बाकी आपलोग जैसा कहेंगे वैसा होगा मै इस घर की हु और ये घर जो मेजोरिटी में कहेगा वो होगा

मनोरमा थोडा उदास होती हुई बोली रमेश ने ही तो ये उपाय बताया बेटा तो मुझे लगता है की रमेश ही तुजे प्रदीप के निचे तक ले जाएगा

कुछ और बोलने वाली थी पर अटक गई

मोम जो कहना है साफ़ साफ़ कहो हम तीनो ही है यहाँ और कोई पुरुष नहीं है

मनोरमा: देखो बेटा पूजा अब मै क्या कहू मुझे लग रहा है की मुझे इतिहास खोलना पड़ेगा

पूजा:इतिहास ????? मम्मी आप कुछ छिपा रही है अगर ऐसा है तो मुझे अभी घर का सदस्य नहीं माना जा रहा है ऐसा है क्या ???????????



मोम: नहीं बेटा ऐसा कुछ नहीं है तू अब इस घर की महारानी है मै खुद तुम से निचे देख रही हु अपने आप को

तो फिर बताएँगे क्या बात है शायद हो सकता है मै भी कुछ मदद कर सकू

ठीक है बेटे मै तेरे बारे में सोच के बोल रही थी और मै चाहती हु की तुम प्रदीप के निचे ना जाओ क्यों की वो नहीं बोलना हहेगा पर अब मुझे ही बताना होगा

रमेश और प्रदीप एक से है मोम ने धड़का किया पूजा के सामने तो जैसे बम फुट गया उसका मुह खुला का खुला रह गया

ये क्या कह रही है आप ????

हां बेटे पूजा ने कहा तो................उसने कोमल की और देखा ................ये .........दो............नो............

यही उछ रही हो न की ये दोनों कहा से आये .............

जी ,,,,,,,,माफ़ करना छोटा मुह है मेरा आप ना चाहो तो कोई बात नहीं ...............

ये दोनों अनिल के बच्चे है ...........अनिल जो प्रदीप का दोस्त है ...............

OMG मोम आप शायद नशे में तो नहीं ??????????

मनोरमा की आँखे भर आई और कहा नहीं बेटे ये सच है और मै अब पप्रदीप की नहीं अनिल की हु कई सालो से ये बात मेरे दोनों बच्चे जानते है फिर भी रमेश ने ऐसा क्यों कहा मुझे पता नहीं हां ये बात सच है की रमेश से प्रदीप थोडा अच्छा है वो वीर्यपात कर सकता है लेकिन लंड से हार गया है



कोमल: yes भाभी तो ये है सही कहानी जो आप समज रही है, शायद भाई ने जान्बुज कर कुछ सोच समज के कहा होगा पर आप मन कर देना क्यों की हम दोनों मा बेटी ये नहीं चाहती की आप पापा के सामने नंगी हो और सुबह रोते हुए बहार आओ अब हमें आपकी जरूरते पूरी करने की सोचना है नाकि बच्चे के लिए .. सही है ना मोम???

जी बेटे सही कह रही हो

मै चाहती हु की पूजा तुम एक अपने किसी ध्यान में हो उस से चुदवा लो जिस पे तुम्हे भरोसा हो हम मा बेटी और प्रदीप भी तुम्हारे साथ ही है, ये प्रदीप चूत नहीं चिर पा सकता तो गाड़ क्या खाख मारेगा और मै जानती हु की सभी छेदो को जहा तक सही तरीके से उपयोग ना हो कुछ मजा नहीं अच्छे मर्द से मस्लाना ही तो सही आनंद है और अब तक मै करती थी अब शायद तुम भी करोगी हम सांस बहु लेकिन एक बात है की मै तुम अनिल से भी नहीं करने दूंगी क्यों की अब बस हो गया सब को कुछ ना कुछ मलाई मिल नि चाहिए उसने भी मुझे कहा था की बहु को भी चोदु पर मैंने रोके हुए था और दूसरा उसने कोमल से थोडा बदसलूकी की थी तब से कोमल को वो पसंद नहीं और उसने मुझे भी कहा था की कोमल का शील उसे गिफ्ट दू मैंने उसे मन कर दिया उसके बाद में उसको मैंने कभी घर में नहीं लायी और सब जो कुछ भी होता है वो सब होटल में होता था पहले ये सब घर में होता था और तभी से कोमल को पता है और बाद में ये भोसड़ी ने रमेश को भी बता दिया था |

मै तो उसकी हो गई पर मै नहीं चाहती की मेरी बेटी और बहु भी उसके लंड पे टिंगे........वो भी मुज से एक बच्चा और मांग रहा है पर अभी नहीं कह के टाल देती हु क्यों की अब प्रदीप मना कर रहा है लेकिन ये बात है की मै प्रदीप से ज्यादा उसे प्रेम करती हु क्यों की वो मुझे और मेरे छेदों को संभालता है जब चाहे तब ..............

तो अब ??? पूजा ने कुछ सुजा ही नहीं तो पूछ लिया

कोमल:”भाभी आप पापा से मन कर दो और पापा को प्रॉब्लम अहि होगा मुझे पता है वैसे भी वो इस जवाबदारी में नहीं पडना चाहेंगे भाई कुछ ना कुछ रास्ता निकाल देंगे



खेर काफी कुछ उन तीनो में बाते हुई पर कहानी को लम्बा करना भी ठीक नहीं

जब पूजा को पुँछा गया तो पूजा ने स्पस्ट कह दिया की पापा के बारे में मै जानती हु और पापा ने भी कोई विरोध नहीं किया और सब ने बता दिया की पूजा अब सब जानती है तो किसी को कोई विरोध नहीं था

खेर उस दिन तो कुछ तय नहीं हुआ पर कुछ दिन गुजरने के बाद प्रदीप को एक सीवियर हार्ट एटेक आया और वो रात में ही चल बसे ....................

bane rahiye
 
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आप सब को विजयादशमी (दशहरा) की ढेर सारी शुभकामनाये |

मा दुर्गा हमारे अन्दर छुपे रावन रूपी सभी बुरायिओ को ध्वस्त करने की शक्ति प्रदान करे |

बस आज की यही मा दुर्गा से प्रार्थना है |

मा दुर्गा की आशीष सदा हम पर बनी रहे |

जय मा भारती ,जय मा दुर्गा (जय अम्बे माता), जय भवानी
 
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कुछ दिन पूरा माहोल शोकग्रस्त रहा | धीरे धीरे सब घर के लोग अपने वास्तविक जीवन में प्रश्थापित हुए |

और ऐसे ही एक दिन सब तीनो अपने घर में बैठे हुए थे रविवार का दिन था जैसे पहले ही था

रमेश: मोम अब हमें क्या करना चाहिए ??? आखिर कब तक ऐसे ही चलेगा अब हमें पूजा के बारे में और सोचना चाहिए? या फिर जैसे अभी चल रहा है वैसे ही चलना चाहिए ?

मोम: नहीं बेटा हमें पूजा के बारे में सोच ना चाहिए और जल्द से जल्द

कोमल: “भैया आप ने शायद सब सोच रखा है लेकिन आप जैसे शतरंज की चाल जैसे चल रहे हो ऐसा मुझे लगता है अगर आपन ने कुछ सोच के रखा है तो बताओ तो ज्यादा समय व्यतीत ना हो और हम उस पर पूरा ध्यान दे सके” “भाभी आप भी कुछ नहीं बोल रहे”

मोम: yes बेटा कोमल सही कह रही है अगर तुम ने कुछ सोचा है तो बताओ फिर जैसा भी हो हम लोग पूरी चर्चा के बाद ही सर्वानुमत ही कोई निर्णय लेंगे या ऐसा होता है की सब की सोच अलग अलग हो ती है या हो सकती है फिर तय करना मुश्किल हो जाएगा सब को ओनी सोच सही लगती है तो मेरा भी यही सुझाव है की तुम ने कुछ सोचा है तो बताओ वैसे भी अब प्रदीप नहीं है तो उनके बारे में जो सोच रखा था वो तो होना नहीं है अब दुसरे पहलु पे सोचे”



रमेश: “फिर भी मै सब के मन का समजना चाहूँगा और को इहो ऐसा तो अच्छी बात है

सभी ने अपने अपने विचार रखने शुरू किया मोम ने अपने भाई के बारे में बताया तो कोमल ने अपने ही किसी स्कुल का सीनियर के बारे में बताया पर सब में या ओ रमेश ने मना किया आया फिर पूजा ने

मोम:”अब तुम ही बताओ रमेश हम ने हमारा सोच कह दिया और नकारा भी गया”

रमेश: “मोम, कोमल,पूजा मै क्या सोचता हु की कुछ ऐसा हो जो हमारी फेमिली से हो और हम अपनी ही फेमिली में एक नया रिश्ता बनाए जिस से कोई हंगामा नहीं हो और सब सही तरीके से चलता रहे| ये एक दो दिन की बात नहीं है शायद हो सकता है की बच्चा होने का बाद भी ये रिलेशंचालू रहे और उसमे किसी को कोई आपत्ति ही ना हो और सब सही तरीके से चले |”

मोम:”हां ये भी सही है लेकिन अब तुमने सोचा है या फिर तुम दोनों का कोई अलग सोच के ही रखा है तो सिर्फ बताओ हम या मै हामी भर दूंगी|”

“जी भैया” कहती हुए भाभि के पेट पे हाथ घुमाते हुए बोली| “अब जल्दी ही कुछ करो यहाँ कुछ भरने के लिए”



“अब सब suno मैंने काफि सोच विचार के बाद ये निर्णय पे आया हु शायद आप लोगो को पसंद आये या ना भी आये” कह के रमेश ने बोलना शुरू किया .......................................



बहोत और सब जगह से सोच विचार करने के बाद सभी ने उस सोच को अपनाने ने के लिए हां मी भर दी |



अब उसका नतीजे के स्वरुप आप लोगो ने अब तक की कहानी सुन राखी है या पढ़ राखी है मतलब ये है की अब तक की कहानी जो आपने पढ़ी वो एक प्लान के स्वरुप चल रही थी और वो सब दिमांग रमेश का था| और आगे जो चलेगा वो सब रमेश के दिमांग की उपज होगा जिस में उसके घर वालो की रजामंदी से चल रहा है|

लेकिन इस बात की दीपू को या मंजू को कोई भी भनक नहीं है| ना पूजा ने बताया ना रमेश ने किसी को कुछ भी नहीं पता सिर्फ रमेश पूजा और उसके घरवालो के अलावा आपको पता है तो आप को भी विनंती है की आप भी किसी को ना बताये वैसे भी किसी के घर में क्या हो रहा है हमें क्या!!!!!!!!!!!!



अब हम चलते है वापिस अपनी कहानी पे जहा हम ने छोड़ा हुआ था|



ट्रिन.......ट्रिन.........ट्रिन.......पूजा का मोबाइल बज उठा

पूजा ने स्क्रीन पे देखते हुए थोडा मुस्कुराई और फोन पिक किया

हल्लो .....

सामने से आवाज आई “hello आपको तो हमारी याद आएगी नहीं सोचा हमें ही याद करना पड़ेगा”

पु:”अरे एसा कुछ नहीं है डियर मै तुम लोगो को कैसे भूल सकती हु भला”

सामने: “खेर आपका फोन अब तक नहीं आया तो मुझे तो ऐसा लगा की मुझे आपको याद दिलानी ही पड़ेगी की दुनिया में और कोई भी है ....और बताओ बाकी आप लोग कैसे है?”

पु; “जी हम लोग तो सही है और अच्छे है आप लोग कैसे है और हां भूल ने की कोई बात ही नहीं बस समय नहीं मिला”

और दोनोने कुछ बाते की जो मंजू ने कुछ ध्यान नहीं दिया उसका मन कही और ही चल रहा था अब वो दीपू के बारे में कुछ ह्ज्यदा ही सोच ने लगी थी|

आखिर फोन पर बात ख़तम होने के बाद पूजा वापिस अपने मा की पास आई और कुछ इधर उधर की बात हुई


“मम्मी, दीपू ने मुझे जिंदगी का असल आनंद दिया है। उसी ने मुझे बताया की एक मर्द एक औरत को कितना मज़ा और आनंद दे सकता है, सच माँ, दुनिया ने तो जितना दर्द दिया सब भुला दिया भाई ने। चाहे दुनियाँ इस प्यार को जो चाहे नाम दे, या पाप कहे लेकिन मेरे लिए दीपू किसी भगवान से कम नहीं है। मेरे लिए देवता है, मेरा मालिक है, मैं तो अपने भाई के साथ ये जिंदगी बिताने के लिए कुछ भी करने को तैयार हूँ। कल तक लण्ड, चूत, चुदाई जैसे शब्द मुझे गाली लगते थे, लेकिन आज ये सब मेरी जिंदगी हैं। मम्मी, तू तो मेरी मम्मी है। तुझे तो मेरी खुशी की प्रार्थना करनी चाहिए। अब तो तुझे भी मर्द का सुख ना मिलने पर दुख हो रहा होगा। मम्मी, अब मैंने दीपू को अपना पति, अपना परमेश्वर मान लिया है…”



यहाँ से हमें आगे जाना है

मुझे खुशी थी की पूजा दीदी खुद सारी जिंदगी मेरी बनकर रहना चाहती थी। वाह… बहन हो तो ऐसी।

पूजा दीदी और मम्मी को अकेले छोड़कर मैं अपने रूम में चला गया। कपड़े चेंज किए और घर से निकल गया। शाम को जब वापिस आया तो मम्मी मुझे अजीब नज़रों से देख रही थी। मम्मी ने भी आज लो-कट गले वाली स्लीवलेस कमीज़ और सलवार पहनी हुई थी। मम्मी का सूट इतना टाइट था की उसमें से मम्मी की बाडी का हर अंग का पूरा आकार सॉफ-सॉफ नज़र आ रहा था।

मेरे सामने मम्मी आंटा गूंधने लगी। जब वो आगे झुकती तो उसकी चूची लगभग पूरी झलक जाती, मेरी नज़र के सामने। मेरा लण्ड खड़ा होने लगा। अपने लण्ड को मसलते हुए मैंने सोचा की चलो दीदी को कमरे में लेजाकर चोदता हूँ। तभी माँ फिर से आगे झुकी और मेरी तरफ देखने लगी। उसकी नज़र से नहीं छुपा था की मैं मम्मी की गोरी-गोरी चूचियों को घूर रहा हूँ। तभी उसकी नज़र मेरी पैंट के सामने वाले उभार पर पड़ी। मेरी प्यारी मम्मी मुश्कुरा पड़ी।

मम्मी की मुश्कुराहट को देखकर मेरे मन में आया की उसको बाहों में भर लूँ और प्यार करूँ। मैंने कहा-“मम्मी, पूजा दीदी कहाँ है? दिखाई नहीं पड़ रही कहीं भी…”

मुझे याद आया कल रात की बात मम्मी बहार हम भाई बहन को देख रही हैं। लेकिन हम इस बात से अंजान थे। मैं पूजा दीदी के साथ लिपट कर सो गया। चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब तक सोता रहा। जब नींद खुली तो दोपहर के 12 बज चुके थे। दीदी मेरे बिस्तार में नहीं आप। उठ कर कपड़े पहनने और मैं नहाने चला गया। पिछले दिन की शराब का नशा मुझे कुछ सोचने से रोक रहा था.. सर भारी था। नहा कर जब बाहर निकला तो मैं चूसूंगा। दीदी के साथ चुदाई की याद मुझे अभी भी उत्तेजित कर रही थी। रात के बाद दीदी की चुदाई का अपना ही अलग मजा था पर मुझे डर था कि कहीं मां हमारी इस रिश्ते से नाराज तो नहीं होगी? ये सवाल मेरे दिमाग में कौंध रहे थे।



मम्मी-“अब सारा प्यार अपनी पूजा दीदी को ही देता रहेगा या अपनी इस मम्मी को भी कुछ हिस्सा देगा? बेटा, पूजा तुझसे बहुत खुश है। लेकिन हम लोगों को प्लान करना पड़ेगा। हम तीनों को किसी ना किसी चीज़ की ज़रूरत है। जमाई राजा ने जमाई का काम तो कुछ नहीं किया, लेकिन उसको हम ब्लैकमेल ज़रूर कर सकते हैं। तुम ऐसा करो की कुछ बीयर वगैरा ले आओ और हम मिलकर रात को बीयर पीकर बात करेंगे और हाँ कुल्फि तो तू अपनी दीदी को ही खिलाएगा, माँ की तुझे क्या ज़रूरत है? तुझे तो बस यही पता चला की मुझे एक अच्छे दामाद की ज़रूरत है। पर तूने इस बात का कभी नहीं सोचा की पूजा को भी पापा की कमी महसूस होती होगी…”



“क्यू तुझे अब पूजा के सिवा कोई दिखता नहीं है” ये सुन कर.... या इतना बोल मम्मी मंद मंद मुस्कुराने लगी मुझे समझ आ गया कि मम्मी का मन आज मस्ती करने का है मै थोड़ा सोच समज कर आगे बढ़ रहा था कि कहा मैं गलत ना हु मम्मी की बात सुन कर मैंने मम्मी की आंखें मेरी आंखे डाल कर कहा,

“ दिखता तो मुझे बहुत है पर क्या करूं कोई मुझे प्यार करने वाला मिले तब ना”

मम्मी; “अब सारा प्यार अपनी पूजा दीदी को ही देता रहेगा?”

मम्मी की इस बात पर मैंने कहा “मम्मी आपकी ही बेटी पूजा चाहती थी कि मैं उससे भाई के साथ साथ पति का बी प्यार दूं।“

मेरी बात सुन कर मम्मी, कुछ इस अंदाज में बोली “अच्छा तूने तो जान लिया कि पूजा को पति के प्यार की जरुरत ही तूने ये नहीं देखा कि पूजा को पापा के प्यार की भी जरूर है या..........

मम्मी ये बात बोलते अपने होंथ अपने दांतो मी दबा कर कटने लगी मम्मी ये बात बोलते अपने होंथ अपने दांतों में दबा कर काटने लगी। मैं मम्मी की बात समझ गया कि वो क्या कहना चाहती थी, मैं मुस्कुराता हुआ मम्मी के पास गया और मम्मी को कहा “अपनी बहन, मेरे साथ आए मम्मी का चेहरा उठा कर पूजा को तो पति के साथ, पापा के प्यार की ज़रुरत ही, पर पूजा की मम्मी को किसके प्यार की ज़रुरत ही ज़रा हमें भी तो पता चले और मम्मी की आँखे मी आँखे डाल कर मुस्कुरा कर “बताओ ना पूजा की मम्मी की पूजा की मम्मी को किसके प्यार की ज़रुरत है मेरे इस तरह रोमांटिक तारिके से पूछने पर मम्मी बड़े प्यार से मेरे कंधे पर अपना सर रख कर बोली.......................



अब अगले पार्ट में क्या होगा आप सको पता ही है ...............
 

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