Incest विधवा की कामवासना

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नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम दीपाली पाटिल है और मैं 35 साल की हूँ. मेरी शादी 24 साल की उम्र में ही हो गई थी और वो लवमैरिज थी.
हम पति पत्नी एक दूसरे को बहुत चाहते थे. हालांकि हर प्रेम कहानी की तरह शादी के कुछ सालों बाद हमारे रिश्ते भी बिगड़ते चले गए.

हमें एक दूसरे से किसी बात ने बांधे रखा था, तो वो हमारी बेटी की चाहत ने. मुझमें पहले से ही सेक्स में इतनी रुचि कभी नहीं रही थी.
ये भी हमारा रिश्ते बिगड़ने की एक वजह थी.

मैं दिखने में सांवली जरूर हूँ पर मुझे मेरे पति अक्सर मेरे फ़िगर की प्रशंसा करते थे.

खैर … एक साल पहले बीमारी के चलते मेरे पति का स्वर्गवास हो गया. उनके बीमा के चलते मुझे अच्छी ख़ासी रकम मिल गई थी जिससे मुझको काम करने की नौबत नहीं आयी.

अब मैं अपनी मुख्य सेक्स कहानी को सुनाती हूँ.

पति के स्वर्गवास के बाद कभी सेक्स की इच्छा तो नहीं हुई, पर वो कहते हैं ना 30 से 40 की उम्र में शरीर में वासना अधिक बढ़ जाती है. रिश्तों में तनाव के कारण वैसे भी हम बहुत कम … या ना के बराबर ही सेक्स करते थे.

उनके जाने के 6 महीने बाद मेरे शरीर में वासना भड़क उठी थी.

शादी के पहले और बाद मैंने कभी किसी पराए मर्द की तरफ उस नजर से नहीं देखा था.
लेकिन अब मैं खुद को संभाल ही नहीं पा रही थी.
वैसे मेरे पति भी अक्सर कहा करते थे कि मुझे कोई बॉयफ्रेंड पटा लेना चाहिए. वो अक्सर सेक्स करते समय रोल प्ले किया करते थे.

हमारी बेटी जिस स्कूल में पढ़ने जाती थी वहीं पर एक आदमी उसके बेटी को लेने और छोड़ने रोज आया करता था.
वो रोज मेरी तरफ ऐसे देखता था जैसे अक्सर लड़की को पटाने वाले लड़के देखते हैं.

उस समय मेरे पति थे तो मैंने यह बात अपने पति को भी बताई थी.
फिर मेरे पति ने एक दिन उसी आदमी को सोच कर मेरे साथ सेक्स किया था.
वो सेक्स मुझे न जाने क्यों बड़ा सुखद लगा था.

मैंने अपने पति से इस बात को कहा … तो उन्होंने मेरे साथ सेक्स करते समय उसी को रखना चालू कर दिया था.
जब भी मेरे पति मुझे चोदते तो मुझसे उसी आदमी को अपने ऊपर चढ़ा हुआ सिच कर चुदाई का मजा लेने को कहते थे.

हालांकि मुझे रोज रोज ऐसा करना कभी भी अच्छा नहीं लगा था और इस वजह से हमारे बीच कई बार झगड़े भी हुए.

अब जब पति नहीं रहे और मेरे अन्दर वासना भड़क उठी, तो मेरे जेहन में वही आदमी आने लगा.
वैसे भी मुझ जैसी स्त्री को ऐसे ही सोशियली अच्छे और नेक आदमी ही चाहिए होते हैं.

अब मैंने अपना मन बना कर उस आदमी को लिफ्ट देना चालू कर दिया. यानि कि मैं भी उसकी तरफ देख कर उसकी मुस्कुराहट का जवाब मुस्कुराहट से देने लगी.

एक दिन वो मेरे पास आकर अपना परिचय देने लगा.
मैंने भी अपना परिचय दिया और ‘हाई हैलो …’ कर दिया.

उसने एक कॉफी की गुजारिश की, जो मैंने मना नहीं की.
वो अपनी गाड़ी में मुझे सीसीडी लेकर गया जहां हम दोनों ने खुद के बारे में कुछ बातें की.

उसका नाम विकी था. विकी ने मेरे विधवा होने पर उसने शोक जताया, पर मन ही मन जरूर खुश हुआ होगा क्योंकि वो पिछले तीन साल से मुझे ताड़ रहा था.

अब मुझे परेशानी यह थी कि आगे कैसे बढ़ा जाए … क्योंकि मुझे चुदाई की इच्छा तो जरूर थी, पर डर भी लग रहा था.

खैर … हमने एक दूसरे का मोबाइल नंबर लेकर विदा ले ली.
अब हमारी रोज व्हाट्सएप पर बातें शुरू हो गईं. वो रोज मुझे शायरी, गुड मॉर्निंग और गुड नाइट के मैसेज भेजने लगा.

यह सिलसिला कब डबल मीनिंग वाले मैसेज में बदल गया समझ ही नहीं आया. अब तो हमारी चैट सेक्सी और कामोत्तेजक मैसेज में तब्दील हो गई थी.
हालांकि मैंने कभी वैसे मैसेज उसको नहीं भेजे, पर उसके भेजे ऐसे मैसेज को एंजॉय जरूर करने लगी थी.

एक दिन ऐसे ही कॉफी शॉप में बैठे बैठे उसने पूछा- हमें कहीं अकेले में भी मिलना चाहिए.
मैंने उसे ‘सोच कर बताऊंगी ..’ कहकर टाल दिया.

लेकिन मन ही मन उसकी चाहत जरूर थी या यूं कहो कि मैं भी यही चाहती थी.

फिर घर पहुंचने तक उसका ‘आई लव यू ..’ का मैसेज आ गया था और वो मुझे अकेले में मिलकर अलग ढंग से इजहार करने की इच्छा रख रहा था.

बस मैंने उसे दो दिन बाद मेरे अपने घर मिलेंगे कह के हां कह दी.
जिसके जवाब स्वरूप उसने बहुत सारे किसिंग वाली स्माइली भेज दीं.

मुझे दो दिन का समय खुद को संवारने के लिए चाहिए था.
मैंने दो दिन में वैक्सिंग फेशियल वगैरह कर ली.

वो गुरुवार का दिन था, हमेशा की तरह हम दोनों अपनी अपनी बेटियों को स्कूल पहुंचाने आ गए.

मैं अपनी स्कूटी पर निकली और उसे अपने पीछे आने का इशारा कर दिया. मेरे अपार्टमेंट के कुछ कदम पहले स्कूटी रोककर, मैंने उसे फोन किया और अपना फ्लैट नंबर बता दिया.

मैंने उसे ये भी हिदायत दी कि वो मेरे पहुंचने के दस मिनट बाद आए और सीधा दरवाजा खोल कर अन्दर आ जाए ताकि कोई उसे मेरे घर आते देख न ले.
साथ ही विंग में आते ही एक मिस कॉल देने के लिए कह दिया.

विकी भी हिदायतों का पालन करते हुए मेरे घर में दाखिल हो गया.
मैं दरवाजे के ठीक पीछे ही खड़ी थी.

जैसे ही विकी घर में दाखिल हुआ, मैंने तुरंत दरवाजा बंद कर दिया.

विकी ने मुझे तुरंत अपने बांहों में भर लिया और कहा- तुम बहुत अच्छी हो, मैं तुमसे प्यार करने लगा हूँ.
बस उसने मेरे ऊपर चुंबनों की झड़ी लगा दी.
मैं भी उसका साथ देने लगी.

मैं वन पीस सिल्क बेबीडॉल नाइटी पहने हुई थी जो सामने से खुली रहती है और एक तरह से सुविधाजनक ही रहती है.

प्रेम से उसने फिर से मेरे मस्तक पर किस करते हुए कहा- तुम बहुत खूबसूरत हो … और जितना लाजवाब तुम्हारा बदन है, उससे कहीं ज्यादा सुंदर तुम्हारा अन्तर्मन है.
मैंने भी जवाब में कहा- मैं भी तुम्हें चाहने लगी हूँ. यह वक़्त मुझे तुम्हारे नाम करना है. आज तुम मुझको महका दो, मुझे बहका दो … मेरे ख्वाबों को हकीकत बना दो.

मेरा बदन चिकना था और हर अंग में कटाव था. सुडौलता और सुंदरता की धनी, रूप लावण्य का रस छलकाती हुई उसकी बांहों में सिमटी मेरी जवानी उसकी कामकला के प्रदर्शन की प्रतीक्षा करने लगी.

वो मेरे रसीले होंठों से कामरस चूसने लगा और उसके हाथ मेरे उन्नत नोकदार उरोजों को सहलाने लगे.
मैं बिन जल मछली की भांति उसकी बांहों में छटपटाने लगी.

दो धधकते जिस्मों के बीच वासना और उत्तेजना के द्वन्द की शुरुवात हो चुकी थी.
मैंने उसके गले में बांहों का हार डाल दिया और उसके सर को खींच कर अपने उरोजों तक ले आई.

मेरी ब्रा से बाहर झांकते गुंदाज उभारों को वो जीभ से सहलाने लगा और हाथों से मेरी चुचियों की गोलाई को नापते हुए ब्रा के अन्दर हाथ डाल दिया.

उसने मेरे उरोजों को बाहर निकाल लिया. मेरे निप्पल बाहर आ गए थे, एकदम तने हुए काले निप्पल बाहर निकलकर मुझे मानो मुँह चिढ़ा रहे थे.

उसने उन्हें अपनी उंगलियों के बीच दबाकर उमेठ दिया. मैं दर्द और मजे से दोहरी हो गई और दूसरे ही पल उसने मेरे एक कड़क निप्पल पर अपना मुँह लगा दिया.

मैं ‘ईस्स ..’ करके रह गई.
मेरी कातिल आंखों पर वासना के डोरे पड़े थे. मेरी उंगलियां उसके बालों की जड़ में फंस कर उसे कस रही थीं.

मैंने अपने नाजुक होंठों को दातों के बीच दबा लिया था. वक़्त ठहर सा गया था, उत्तेजना उफान पर थी और उसका लंड अभी भी कपड़ों की कैद में था.
वो आज़ादी के लिए फड़फड़ा रहा था और कह रहा था कि इस कामुक मिलन का साक्षी मुझे भी बना लो. मेरे बिना तुम्हें जन्नत नसीब न होगी.

उसने बैचेनी से मेरी नाइटी खोलनी चाही और मैंने उसका साथ भी दिया.
इसी दौरान उसने भी अपने वस्त्रों को अपने तन से जुदा कर दिया.

मैं पिंक कलर की नाइटी के नीचे लाल कलर की जालीदार ब्रा पैंटी पहन कर आई थी.

मेरी नजर उसकी सजीली गठीली काया को निहार कर उसके लिंगदेव पर आकार ठहर गई.
उसका लिंगदेव उत्तेजना के कारण आसमान को ताक रहा था. लंड के ऊपर की त्वचा नीचे सरक चुकी थी और उसका गुलबी सुपारा चमक कर मेरी आंखों को चौंधिया रहा था.

उसके चुंबनों के वजह से मेरी चुत गीली हो गई थी. मेरे पैर उत्तेजना से कांपने लगे थे. मैं धड़ाम से सोफ़े के ऊपर बैठ गई.

विकी ने मेरी टांगों के बीच में जगह बनाई और घुटनों के बल बैठ गया. मेरे करीब आकर उसने पहले मेरी चुत को सूंघा. सूंघने से उसको चुत की सौंधी सी खुशबू आ रही थी.
मेरी चुत तो पहले ही गीली हो चुकी थी. मैंने खुद की उंगलियों से चुत की दोनों फांकों को अलग कर दिया.

उसने करीबन 5-6 बार मेरी चुत की चुम्मी ली और फिर चुत चुसाई में लग गया. उसने जीभ से चुत की लंबी फांक को सहलाना शुरू किया और अपने एक हाथ की बीच उंगली को मेरी चुत में घुसा दी.

मैं चिहुक उठी- उफ़्फ़. … आआहह … ऊई ईईईई..

मेरे हाथ उसके सर के पीछे थे, जो उसके बालों को सहला रहे थे और चुत की ओर लगातार खींच रहे थे. वो तो बस मेरी चुत चुसाई में तल्लीन था.

उसके मुँह से केवल ‘लप … लपर … लप ..’ सुनाई दे रहा था. उसकी उंगलियां मेरी चुत के गहराई में उतर रही थीं.
वो कभी मेरी चुत के दाने को चूसता, कभी दांतों से हल्के से काट लेता. ऐसा करके मुझे वो चरम सुख की ओर ले जा रहा था.

तभी मैंने उसके सर को अपनी जांघों के बीच में जकड़ लिया और दोनों हाथों से उसके सर को चुत की ओर खींचने लगी.

एक चीख मेरे मुँह से फूटी- आहहह आईईई … हाहहह … मैं गईईईई … और चूसो … आह चूस डालो सब रस.

मैं वासना में न जाने क्या क्या बड़बड़ाने लगी थी. तभी मैं झड़ कर निढाल हो गई.
विकी बोला- बिना लंड लिए ही झड़ गई तुम तो!

मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया और सर को पकड़ कर चूमने लगी.
उसने भी मुझे अपने आगोश में भर लिया.

एक हाथ से मैंने उसके लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी.

उसने मेरी आंखों में देखा, हम दोनों मदहोश हो गए थे और एक दूसरे में समा जाने के लिए बेकरार थे.

उसका खड़ा लंड अब काफी सख्त और लंबा हो गया था.
उत्सुकतावश मैं थोड़ी सी अलग होकर उसके लंड को निहारने लगी. करीब 7 इंच का लंड था जो मेरे पति के लंड से एक इंच ही शायद बड़ा था. पर हां मोटाई मेरे पति के लंड के मुक़ाबले दुगनी थी.

एक गैर मर्द का लम्बा मोटा लंड देख कर मेरे मुँह और चुत दोनों में पानी आ गया था.
 
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मैं तो उस खड़े लंड को अपनी चुत में लेने के लिए बेकरार हो उठी. मेरा कामातुर मन काबू में न रहा और मैंने खुद उठकर उसे सोफ़े पर बैठा दिया.

अब मैं खुद झुक कर उसके 8 इंच से भी बड़े मोटे लंड को बिना हाथ में पकड़े सीधे मुँह में भरने का प्रयास करने लगी.
उसके लिंगदेव उत्तेजना के कारण आसमान को ताक रहा था.

मैं उसके लंड के सुपारे को ही चूसने और चाटने लगी, लंड के नीचे गोलियों को सहलाने लगी.

मेरे हमले से बेचैन होकर उसने हाथ बढ़ा कर मेरी मांसल चुत को भींच लिया. मेरे मुँह से ‘आहह ..’ की आवाज निकल गई.
वो नीचे आकर सीधे मेरी चिकनी कामरस से भीगी चुत को सीधे खाने का प्रयास करने लगा.

उसकी इस हरकत से पहले से कामरस त्यागने को तैयार बैठी मैंने फिर से कामरस त्याग दिया. मैंने भी अपना मुँह खोलकर उसके लंड की अमृत बूंदों को ग्रहण करने का मन बना लिया.

वो एक शरीफ मर्द की तरह अपनी आह निकालता हुआ बोला- मेरा आने वाला है. मुँह हटा लो.
मगर मैं तो पहले से ही उसके लंड की रबड़ी खाने का मन बनाए बैठी थी. इतना शानदार लंड है तो रबड़ी भी मस्त ही होगी. मैं किसी भी सूरत में उसके लंड की रबड़ी को जाया नहीं देना चाहती थी.

मैंने आंखों से उसकी तरफ वासना से देखा और हाथ के इशारे से लंड रस मुँह में छोड़ देने का कह दिया.

उसने भी एक तेज आह के साथ अपने लंड से अमृत कलश छलका ही दिया, जिसे मैंने बड़े चाव से ग्रहण कर लिया.

उसके लंड से पिचकारी मारती धार निकली, जिसे मैंने मुँह खोलकर सीधे अन्दर ले लिया और लंड के रस को स्वाद के साथ चखने लगी.
एक के बाद एक सात आठ पिचकारी निकलने के बाद उसका लंड अपनी उत्तेजना को मेरे मुँह में खत्म कर चुका था.
मैंने उसके लंड के अमृत की कुछ बूंदें, जो इधर उधर मेरे मम्मों पर बिखर गई थीं, को अपनी उंगली से उठा कर चाट लिया.

वो निढाल सा कामवासना से भरी आंखों से मेरी तरफ देख रहा था.
मैंने अपनी मस्ती में उसके लंड को चाट-चाट कर साफ कर दिया.

अब मैं उसके सीने पर सर रखकर चौड़ी छाती पर उगे बालों को अपने होंठों से पुचकार रही थी; सीने पर हाथ फिराकर अपने प्रेम का लेपन कर रही थी. उसके हाथ मेरे मस्तक से होते हुए मेरे गेसुओं को सहला रहे थे. ऐसा उपक्रम कुछ लंबे समय तक चला.

फिर धीरे-धीरे उसके हाथ मेरे उरोजों तक पहुंचने लगे. वो मेरे निप्पलों पर उंगलियों से जादू सा करने लगा.

उसका लंड, जो अब तक अर्धमूर्छित था, फिर जोश में भर गया. अब उसका तना हुआ विशाल लंड मुझे चुभने लगा.

मैं भी अब चुदाई के लिए तैयार हो रही थी. मेरी गेहुंए रंग की चिकनी त्वचा और सुडौल काया उसे फिर से कामातुर कर गई.

मेरी कमर पर हाथ रखकर उसने मुझे उसकी ओर खींचा और सबसे पहले मेरी गर्दन पर चुंबन अंकित किया. फिर मेरे शानदार उरोजों पर मुँह लगाते हुए हाथ पीछे ले जाकर मांसल उभरे नितंबों को सहलाने लगा.
मैं उसका पूरा साथ देने लगी.

फिर मैंने उसके लंड को खुद ही संभाला और अपनी चिकनी चुत पर घिसने लगी.
चुत में कामरस का रिसाव पहले ही हो चुका था, जो लंड को चिकनाई प्रदान करने लगा था.

गर्म लंड चुत से लगा तो मेरी बेचैनी बढ़ गई थी.

उसने मेरे पैरों को उसके ऊपर खींचा, मुझे समझते देर नहीं लगी और मैंने अपने दोनों पैर उसके चेहरे के दोनों ओर डाल दिए और खिले हुए फूल की भांति सुंदर सांस लेती चुत को उसके मुँह पर टिका दिया.
उसने भी इस बार अलग सुख पहुंचाने के उद्देश्य से चुत में उंगली घुसेड़ दी और अपनी जीभ को चुत से लेकर गांड तक सैर करने लगा.

मेरे शरीर की थिरकन मेरे आनन्द की सीमा का बखान कर रही थी.

अब उसने मेरी चुत के दाने पर जीभ चलानी शुरू कर दी और मेरी चिकनी गांड पर दो चपत रसीद कर दीं. साथ ही चुत में दो उंगलियां डालकर मेरी वासना को और बढ़ाने का प्रयत्न करने लगा.
मेरा लंड चूसने का तरीका भी उग्र हो गया था.
हम दोनों की ही बेचैनी चुदाई के लिए चरम पर आ गई थी.

उसने मुझे जमीन पर लिटा दिया. उसने मेरे दोनों पैर हवा में उठाकर अपने हाथों में थाम लिए.

उसने लंड को चुत में सैट करने का कार्य मुझे सौंप दिया.
मैंने उसके मोटे अकड़ू लंड को अपनी चुत के छेद में सैट कर लिया.

मेरी चुत पहले ही रस बहाकर चिकनी और चिपचिपी हो चुकी थी, इसलिए चुत के मुहाने पर लंड का सुपारा रखते ही चुत ने मुँह खोलकर लंड का स्वागत किया.

मैंने ‘आहहह .. इह ..’ की मधुर ध्वनि के साथ लंड को अपने अन्दर समाहित करने का प्रयत्न किया. उसने झटके से लंड नहीं पेला .. बल्कि सिर्फ सुपारे को ही कुछ देर चुत के अन्दर बाहर किया, जिससे मैं और तड़प उठी.

मेरे मुख से स्वतः ही ‘ईस्स .. आहहह ..’ की मादक ध्वनि निकल पड़ी और मैं स्वयं कमर को उछालने का प्रयत्न करने लगी.

अब उसकी बेचैनी भी शवाब पर थी, तो उसने लंड को पूरा का पूरा एक साथ ही चुत की जड़ में बैठा दिया.
और ऐसा करते वक़्त हवा में उठे मेरे पैर मेरे ही चेहरे की ओर दबा दिए, जिससे चुत और भी उभर कर लंड लेने के लिए सामने आ गई.

लंबे मोटे लंड को पूरा ग्रहण कर मैं मजे और दर्द से कराह उठी.

मस्त चुदाई का दौर चल पड़ा.

मैंने चुदाई के झटकों से हिलते अपने नायाब स्तनों को स्वयं अपने हाथों से संभाल रखा था. मैं अपने निप्पल भी खुद ही उमेठ रही थी.

मेरी शानदार मखमली अनुभवी चुत पाकर लंड भी बावला हो गया और इसी बावलेपन ने बवाल ही मचा दिया.
उसने तेज़ धक्कों के साथ चुदाई की गति बढ़ा दी.

मेरे मुख से भी कामुक ध्वनियां निकल रही थीं.

दो अनुभवी बदन जैसे जैसे प्यास बुझाते रहे, त्यों त्यों प्यास भी बढ़ती चली गई. चुदाई का खेल चरम रोमांच पर था.
वो लंड को पहले चुत के मुहाने तक खींचता था, फिर उसी तेज़ी से जड़ तक समाहित कर देता था.
उस वक़्त हर धक्का, हम दोनों को ही खुशियों से सराबोर कर रहा था. चुदाई की रेल सरपट दौड़ने लगी थी.

‘आहहह .. उउउहह .. ईईईहहह .. मर गई रे .. चोद दे मुझे .. आह और चोद … यस फक मी हार्ड .. कम ऑन ..’
ऐसे अनेक शब्द मेरे मुख का शृंगार कर रहे थे.

हम दोनों की आंखें कामवासना से लाल हो चुकी थीं.
हम दोनों एक बार स्खलित हो चुके थे इसलिए अबकी बार कोई भी जंग को समाप्त नहीं करना चाहता था.

उसने घचाघच घचाघच चुदाई करते हुए मेरी चुत की बखिया उधेड़ दी.
मैंने अंग्रेजी में ‘फक मी हार्ड .. फक मी हार्ड ..’ की रात सी लगा दी.

‘ओहह आहह यू आर बेस्ट फकर ऑफ दी वर्ल्ड ..’ कहते हुए उसने मेरे उरोजों को ज़ोरों से भींच लिया.

मैं झड़कर शिथिल होने लगी. मैंने अपना अमृत बहा दिया था.
चुत से अब फच फच खच खच खच की आवाज आने लगी थी. उसने मेरे झड़ने के बाद भी चुदाई जारी रखी थी.

विकी ने अब मुझे अपने ऊपर बैठा लिया, मैंने खुद उसका लंड अपने चुत के ऊपर सैट कर लिया.
थोड़ी देर मैं लंड के ऊपर घोड़ी की तरह उठने बैठने लगी लेकिन उसकी जबरदस्त चुदाई के वजह से मेरी टांगों ने जल्द ही जवाब दे दिया.

वो अब भी जबरदस्त चुदाई में लगा हुआ था. उसने मेरे उछलते उरोजों को थाम लिया और दबाने लगा.

मैं तो जैसे सातवें आसमान में उड़ रही थी. एक हाथ से मेरी कमर को थामकर उसने मुझे उसके ऊपर झुका लिया.
उसकी मंशा को समझते हुए मैंने उसके होंठों पर चुबनों की बौछार लगा दी.
अब हम दोनों एक दूसरे की जीभ चूसते हुए डीप स्मूच करने लगे.

परिणाम वश उसका लंड और जबरदस्त चुदाई करने लगा, जो और अन्दर तक जाकर मुझे अपरिमित आनन्द का अनुभव दे रहा था. चुंबन के वजह से उसका लंड और विशालकाय हो गया था और उसे मैं पूरा महसूस कर पा रही थी.

मैं फिर से ‘आहह .. आउच .. आहह .. फक मी .. फक मी हार्डर ..’ कहने लगी.

मेरा धैर्य मेरा साथ छोड़ने लगा, शरीर में थिरकन के साथ अकड़न आने लगी.

मेरे शब्द उसे और वहशी बना रहे थे, उसका भी शरीर अकड़ने लगा, उसके पैरों के कंपनों को मैं महसूस कर रही थी. लंड सुरसुराने लगा और उसके लंड ने तेज़ पिचकारी छोड़ना चालू कर दिया.

‘आहह .. आहह …’

उसके वीर्य की हर एक बूंद को मैं महसूस कर पा रही थी. मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे किसी बंजर खेत में बारिश हो रही थी.

मेरी चुत उसके वीर्य से लबालब भर गई. मैं थककर उसके ऊपर ही निढाल होकर गिर गई.

हम दोनों ने ही असीम आनन्द को प्राप्त कर लिया था और दोनों थक गए थे.

उसने मुझे अपने आगोश में भर लिया. मेरी चुचे उसकी छाती पर दब से गए.

थोड़ी देर बाद सांसों के सामान्य होने के बाद मैंने उसकी तरफ चेहरा उठाकर देखा, वो भी मेरी नजरों में नजर मिलाकर मुस्कुराने लगा.
हमारे होंठ आपस ही जुड़ गए और हम डीप स्मूच करने लगे.

मैंने उसका शुक्रिया अदा करते हुए कहा- बहुत सालों बाद मैं इतनी चुदी हूँ. थैंक्यू.
‘योर वेलकम डार्लिंग.’

फिर हम दोनों उठाकर वॉश लेने चले गए, जहां और एक बार अपने प्यार का इजहार कराते हुए डीप स्मूच किया.
वक़्त की नजाकत को देखकर हम दोनों फटाफट तैयार हुए और अपनी अपनी बेटियों की स्कूल से पिकअप करने एक के पीछे एक घर से निकल गए.

और हां जाते जाते फिर मिलने का एक दूसरे से वादा भी ले लिया.

पति के साथ तो मैंने उनके गुजर जाने के काफी पहले से ही चुदाई करना बंद कर दी थी.

दोस्तो, हम दोनों का प्रेम विवाह जरूर था, पर समय के चलते हमारा वैवाहिक जीवन निरंतर खराब होता चला गया था.
हमारी बेटी ही थी, जिसकी वजह से हम दोनों एक दूसरे का साथ निभा रहे थे.

आज उसने पश्चात किसी गैर मर्द से चुदाई करना कितना सही था .. और कितना गलत .. यह मैं समझ नहीं पा रही थी. शायद अपनी इच्छा को मैं पूर्णरूप दे रही थी.

अब तो हम दोनों मेरे घर पर कई बार मिलने लगे. कभी हफ्ते में 2 बार, तो कभी एक बार, कभी कभी लगातार.
 

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