अध्याय - ७
“जल्दी करो और अपनी पैंट उतारो, सुनील...” शाहीन ने अपने पड़ोसी से कहा, “मैं तो समझी थी कि शायद कोमल घर से जाने वाली ही नहीं है।”
सुनील ने जल्दी करने की कोशिश की पर उसकी नज़रें शाहीन पर ही टिकी थीं जो अपने मम्मों को अपने हाथों में थामे चुदवाने के लिये पूरी तरह से तैयार खड़ी थी।
“वो थोड़ी...