Adultery आँचल की अय्याशियां

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आँचल
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चंडीगढ़ से देल्ही वापस लौटने के बाद सुनील फैक्ट्री चला गया. शाम को फैक्ट्री से घर लौटने के बाद आलोक जोशी (ससुर) अपनी प्यारी बहू को देखकर खुश हो गया. डिनर के वक़्त उसने आँचल को देखकर मुस्कुराहट बिखेरी लेकिन आँचल ने शरमाकर सर झुका लिया. ससुर सोचने लगा , ये तो पहले का जैसा बिहेव कर रही है , शरमा रही है. फिर वो हमारी फोन पे बातचीत का क्या हुआ ?

अगले कुछ दिनों में ससुर ने महसूस किया की आँचल उससे दूर ही रहने की कोशिश कर रही है ,अकेले में बात ही नहीं हो पा रही. सुबह वो सुनील के साथ फैक्ट्री चला जाता था और देर शाम को ही लौटना हो पाता था. फैक्ट्री की हालत डांवाडोल थी इसलिए सुनील के भरोसे छोड़ना भी ठीक नही था.

चंडीगढ़ में जस्सी के साथ जमकर हुई चुदाई के बारे में सोचकर आँचल के गाल लाल हो जाते थे , होठों पे मुस्कुराहट आ जाती थी और चूत गीली हो जाती थी. आँचल की उस चुदाई की थकान उतरने में ही कुछ दिन लग गये. आँचल को मालूम था की ससुरजी अकेले में मिलना चाह रहे हैं लेकिन उसने ससुर से दूरी बनाए रखी. सास की तबीयत भी अब कुछ सुधर गयी थी तो सास के द्वारा पकड़े जाने का भी डर था. कुछ दिन ऐसे ही चंडीगढ़ की मीठी यादों में गुजर गये.

सुनील भी अपने पुराने ढर्रे पर लौट आया था. मन हुआ तो किसी दिन आँचल की चुदाई कर देता था वरना करवट लेकर सो जाता था.

ऐसे ही चार पाँच हफ्ते निकल गये. ससुर बेचैन था की आँचल को कैसे पटाऊँ. उधर आँचल भी कब तक चुदाई की पुरानी यादों के भरोसे रहती , उसकी चूत भी खुजलाने लगी थी.

ऐसे में एक दिन ससुर को एक मौका हाथ लग ही गया.

हुआ ये की एक दिन फैक्ट्री में आलोक के एक पुराने दोस्त बलवंत का फोन आया की मेरी बेटी की शादी है , ज़रूर आना है.

ससुर ने सोचा की क्यूँ ना सुनील को शादी में भेज दूं ताकि आँचल से अकेले में मिलने का मौका मिल जाए.

ससुर बोला, " सुनील , चकरपुर से बलवंत का फोन आया है , उसकी बेटी की शादी है. मैं सोच रहा हूँ की तुम शादी में हो आओ. दुल्हन के लिए साड़ी और एक सोने का हार गिफ्ट ले जाना. ज्यादा महंगा मत लेना , ठीक है ? पुराना दोस्त है इतना तो देना ही पड़ेगा. "

सुनील ने हामी भर दी.

शाम को घर लौटकर सुनील ने आँचल को बताया,"अगले सोमवार को रौतेला अंकल की बेटी सोनू की शादी है , पापा ने मुझसे जाने को कहा है."

आँचल ने पूछा,"ये रौतेला अंकल कौन हैं ?"

"रौतेला अंकल पापा के बहुत पुराने दोस्त हैं. नैनीताल डीएसबी कैंपस से दोनों ने साथ ही ग्रेजुएशन की. फिर पापा देल्ही आ गये . रौतेला अंकल सरकारी टीचर बन गये. " सुनील ने बताया.

फिर सुनील ने आँचल से भी साथ चलने को कहा.

"आँचल तुम भी चलो, पहाड़ों की ठंडी हवा का मज़ा लिए बहुत दिन हो गये. वहाँ रिश्तेदारों से भी मिल आएँगे और शादी भी अटेंड कर लेंगे. पहले हल्दवानी जाएँगे और ताऊजी के घर रुकेंगे. फिर अल्मोड़ा चाचाजी से मिल आएँगे . उसके बाद हल्दवानी लौटकर शादी अटेंड कर लेंगे."

सुनील ने 4-5 दिन का प्रोग्राम बना लिया. आलोक ने जब सुना की बेटा , बहू को भी साथ ले जा रहा है तो सर पीट लिया. इससे बढ़िया तो मैं ही दोस्त के घर शादी में हो आता.

सुनील और आँचल कार से हल्दवानी , फिर अल्मोड़ा जाकर रिश्तेदारों से मिल आए और उसके बाद ताऊजी के पास हल्दवानी लौट आए.

सोमवार को सुनील का प्लान था की चकरपुर जाकर शादी में शामिल हो जाएँगे और रात में हल्दवानी लौट आएँगे.

आँचल ने ऑरेंज कलर की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज पहन लिया. बैकलेस ब्लाउज में पीठ पर सिर्फ़ एक स्ट्रिप थी इसलिए आँचल ने ब्रा नही पहनी.

"कैसी लग रही हूँ ?"

"बहुत खूबसूरत " , आँचल को अपनी बाँहों में लेते हुए सुनील बोला.
"लेकिन ये देल्ही नही है , हमें तो छोटे से कस्बे में जाना है . कुछ ज़्यादा ही मॉडर्न ड्रेस लग रही है."

"दूसरी बदल लूँ क्या ? "

"अरे रहने दो यार , पहले ही देर हो रही है , फिर से एक घंटा और लगाओगी."

सुनील को मालूम था उसकी खूबसूरत बीवी की ऐसी ड्रेस पर लोगों की निगाहें तो रहेंगी.

11 बजे सुबह सुनील और आँचल रौतेला अंकल के घर पहुँच गये. वहाँ सुनील ने आँचल को रौतेला अंकल और उनकी बीवी विमला आंटी से मिलवाया. रिवाज़ के अनुसार आँचल ने दोनों के पैर छुए. उन्ही के साथ
एक 45 – 46 बरस की औरत खड़ी थी , सुनील ने कहा, ये रावत आंटी हैं. आँचल ने रावत आंटी के भी पैर छुए.

फिर रौतेला अंकल सुनील को अपने खास लोगों से मिलाने ले गये और रावत आंटी आँचल को औरतों के पंडाल में ले गयी.

"आँचल मेरे साथ आओ, सब औरतें पंडाल में हैं. वहीं बैठते हैं."

रावत आंटी मिलनसार स्वभाव की औरत थी , जल्दी ही आँचल से घुल मिल गयी. उसने आँचल को कुछ और औरतों से भी मिलवाया.

रावत आंटी : ये आँचल है, देल्ही से आई है. रौतेलाजी के दोस्त की बहू है.

"बाहर से आई है , वो तो इसके कपड़ों से ही पता चल रहा है." कोई मुँहफट औरत बोली.

आँचल को उसकी बात अच्छी नही लगी, उसने मुँह बनाया , हुह …...होगी कोई गँवार.

फिर उनके बीच आपस में बातचीत होने लगी.

रावत आंटी : "तो आँचल कैसी चल रही है सुनील के साथ तुम्हारी लाइफ ? अभी तक कोई मेहमान नही आया ,क्या बात ?"

आँचल : "आंटी अभी डेढ़ साल ही तो हुआ है शादी को , उसके लिए तो अभी बहुत टाइम है."

"तभी तो इतना सेक्सी फिगर मेनटेन किया हुआ है. इतना आसान थोड़ी है शादी के बाद." बगल में बैठी औरत बोल पड़ी.

"अच्छा हुआ हमारे जैसे मर्द नही हैं जो की एक महीने में ही सारा फिगर बिगाड़ देते हैं. दबा दबा के लटका देते हैं." रावत आंटी ने अपनी बड़ी लेकिन लटकी हुई चूचियों की तरफ इशारा करते हुए कहा.

आँचल शरमा गयी , अभी तो इन औरतों से परिचय हुआ है और ये ऐसे बातें करने लगी हैं.

"बेचारी को क्यों तंग कर रही हो. चलो कुछ काम नही है क्या ? ", विमला आंटी ने आकर उन औरतों को चुप करा दिया.

फिर रावत आंटी ने आँचल को दुल्हन से मिलवाया," सोनू ये है , आँचल. सुनील की बीवी. और आँचल ये है हमारी सोनू. बहुत होशियार है पढ़ाई में. हमेशा टॉप करती है."

आँचल ने देखा सोनू दिखने में सुंदर है. मासूम चेहरा, गोरा रंग, पतली नाक, बड़ी बड़ी आँखें.

उसके बाद विमला आंटी ने आँचल को शादी का अरैंजमेंट दिखाया , कहाँ पर मंडप है, कहाँ खाने का इंतज़ाम है वगैरह. शादी में काफ़ी लोग आ चुके थे पर आँचल के लिए वो अंजाने चेहरे थे. मर्दों की निगाहें अपने बदन पर आँचल ने महसूस की पर उसे इसकी आदत थी , वो अपने अंदाज़ में इठलाती हुई इधर उधर घूमती रही.

"अरे कोई ऊपर जाकर देखो सब ठीक से सज़ा है की नही ?" विमला आंटी ने आवाज़ लगाई.

"चलो आँचल ऊपर के कमरे देखते हैं." रावत आंटी बोली.

रावत आंटी अपने साथ आँचल को फर्स्ट फ्लोर पे ले गयी. वहाँ उन्होने पहला कमरा चेक किया , उसमे सब ठीक से सज़ा था.

तभी नीचे से विमला आंटी ने आवाज़ लगाई, "अलमारी की चाभी कहाँ है ? मिल नही रही …"

रावत आंटी बोली,"आँचल ये दो कमरे देख लो . मैं अभी चाभी देकर आती हूँ."

"ठीक है आंटी."

आँचल ने दूसरा कमरा देखा , वहाँ भी सब ठीक था. फिर तीसरे कमरे में गयी , वहाँ बेड पर चादर वगैरह ठीक से नही बिछी थी तो आँचल ने उसे ठीक कर दिया.

तभी आँचल को कुछ लोगों के बोलने की आवाज़ सुनाई दी. उसने कमरे की साइड वाली खिड़की से बाहर देखा तो उस तरफ की बालकनी में तीन लोग आपस में बातें कर रहे थे.

"यार अपनी तो किस्मत ही खराब है , ऐसी भैंस जैसी बीवी मिली है , चोदने का मन ही नही करता." पहला आदमी बोला , जो करीब 40 – 42 का होगा.

"हाँ यार मेरी बीवी के भी दूध लटक गये हैं , अब मज़ा नही आता. कोई नयी चीज़ हाथ लगे तो मज़ा आए." दूसरा आदमी बोला , जो करीब 50 बरस का होगा.

"यार रावतजी, पुलिस की नौकरी में मैंने बहुत औरतें चोदीं हैं. जब भी छापेमारी में कालगर्ल्स पकड़ता था तो बिना चोदे नही जाने देता था. मगर साला इसी चक्कर में सस्पेंड हो गया." तीसरा आदमी दूसरे की तरफ देखते हुए बोला, वो भी 50 बरस के आस पास का हट्टा कट्टा आदमी था.

यानी की दूसरे आदमी का नाम रावतजी है.

"अरे दारोगाजी ऐसा क्या कर दिया ? " , पहले आदमी ने पूछा.

"वर्माजी होना क्या था. एक बड़े कस्टमर ने अपने लिए देल्ही से दो कालगर्ल्स का इंतज़ाम किया. मुखबिर से मुझे ये जानकारी मिल गयी. मैं अपने खास बंदे लेकर होटेल पहुँच गया , जहाँ वो रंगरेलियाँ मना रहा था. मोटी आसामी हाथ लगी थी . वो आदमी कहने लगा , मेरा नाम खराब हो जाएगा. 2 लाख लेकर उस आदमी को छोड़ दिया और कालगर्ल्स की जमकर चुदाई की. अब बात ये है की मुझे गांड मारने का शौक़ है लेकिन वो लड़कियाँ गांड मरवाने को राज़ी नही हुई. ज़बरदस्ती करने में एक की हालत खराब हो गयी. उस समय तो मैंने डरा धमका कर कार से उन्हें भेज दिया पर वो रास्ते में हालत बिगड़ने पर हॉस्पिटल में भरती हो गयी . वहाँ से ये बात फैल गयी और दूसरे दिन अख़बार में छप गयी. और मुझे सस्पेंड कर दिया गया."

उसकी बातें सुनकर आँचल डर गयी ये तो बहुत खराब आदमी लगता है.

"अब ऐसे काम करोगे तो सस्पेंड तो होना ही था." रावतजी हंसते हुए बोला.

"अरे उस ऑरेंज साड़ी वाली हुस्न की परी को देखा क्या ? साली की चूचियाँ ब्लाउज फाड़ने को तैयार हैं." पहला आदमी वर्माजी बोला.

"हाँ , साली अधनंगी बन के आई है. पूरी पीठ नंगी है और ब्रा भी नही पहनी है. उसकी चिकनी गोरी पीठ चाटने का मन कर रहा है. साली का पति लगता है ज़ोर से चूचियाँ दबाता नही तभी तो तन के उठी हुई हैं. मेरे हाथ लगे तो दो हफ्तों में दबा दबा के लटका दूं." रावतजी की आवाज़ थी.

"इतनी फैशनेबल लड़की यहाँ की नही लगती , कहीं बाहर से आई होगी. साड़ी तो ऐसी पहनी है की मटकती हुई गांड देखकर कोई भी लार टपका दे." वर्माजी बोला.

"किसकी बात कर रहे हो यार तुम लोग. ये कौन हुस्न की परी आ गयी यहाँ ?" दारोगा की कुछ समझ नही आया.

"सुबह सुबह पी ली है क्या जो ऐसी खूबसूरत लड़की आँख नही दिख रही. चलो नीचे चलते हैं वहीं दिख जाएगी." रावतजी ने जवाब दिया.

आँचल अपने बारे में उन लोगों को ऐसे बात करते देखकर सन्न रह गयी. उसने सोचा सुनील ने ठीक ही कहा था, बैकलेस ब्लाउज नही पहनना चाहिए था , पर अब क्या हो सकता था.
फिर जब उसने सुना की वो लोग नीचे जाने की बात कर रहे हैं तो वो तेज़ी से कमरे से बाहर आकर नीचे आ गयी.

कुछ देर बाद आँचल को सुनील मिल गया. उन्हें बात करते हुए कुछ ही मिनट हुए होंगे तभी सुनील बोला," आँचल ये रावत अंकल हैं , जो आंटी से पहले मिलाया था ना , वो इनकी ही वाइफ है. और ये मेरी बीवी आँचल है."

सुनील की बात पर आँचल ने पीछे पलटकर देखा , ओह…………...उसकी सांस रुक गयी. ये वही आदमी था जो फर्स्ट फ्लोर में उसके बारे में अनाप शनाप बक रहा था.

आँचल को झिझकते देखकर सुनील ने उसे पैर छूने का इशारा किया.

आँचल ने उसके पैर छुए.

उसने आँचल की नंगी बाहों को पकड़ते हुए ऊपर उठा दिया.अपनी मुलायम बाँहो में रावत अंकल की मजबूत पकड़ को आँचल ने महसूस किया, कितना कस के पकड़ रहा है, निशान बना देगा क्या. आँचल ने उसकी आँखों में अपने लिए हवस देखी.

"अरे बहू तुम्हारी जगह पैरो में नही है." फिर सुनील से बोला, " सुनील तुम्हारी बीवी तो बहुत खूबसूरत है."

आँचल ने देखा इसकी नज़र मेरी चूचियों पर ही है. वो सोचने लगी सुनील इसकी इतनी रेस्पेक्ट कर रहा है और ये मुझ पर नज़रें गड़ाए है.

फिर आँचल उन दोनों को छोड़कर पंडाल में चली गयी.

"अरे आँचल कहाँ चली गयी , मैं कब से तुम्हें ढूँढ रही हूँ." रावत आंटी उसको देखते ही बोली.

"तुम्हारा आदमी भी मुझे ही ढूँढ रहा है." आँचल ने धीरे से जवाब दिया.

"क्या कहा आँचल ? मुझे सुनाई नही दिया…..."

"नही ……कुछ नही."
 

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