Adultery आँचल की अय्याशियां

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आँचल
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ससुर तौलिए से आँचल की चूत पोंछकर उसे बेड में पेट के बल लिटा देता है. आँचल की गोरी बड़ी गांड पहाड़ जैसी ऊपर को उठी है. ससुर अपने दोनों हाथों से आँचल के नितंबों को मसलता है. फिर अपना मुँह नितंबों पर लगा देता है. उन्हें चूमने और चाटने लगता है . दोनों नितंबों को खूब चाटता है. उसके चाटने से आँचल के बड़े नितंब हिलते हैं. आँचल नीचे को मुँह किए लेटी रहती है और गुदगुदी का मज़ा लेती है. मस्त गांड है आँचल की, ससुर बहुत कामातुर हो जाता है और नितंबों पर दाँत गड़ाने लगता है .

"आउच…..." आँचल दर्द से चिल्लाती है और अपना दायां हाथ पीछे ले जाकर नितंबों को ससुर से बचाने के लिए हथेली से ढकने का प्रयास करती है. ससुर उसकी हथेली हटाता है , वो फिर से लगा देती है और ससुर को अपने नितंबों पर दाँत नहीं गड़ाने देती.

ससुर नीचे को बढ़ जाता है. आँचल की मांसल जांघों को चूमता है , चाटता है , उन पर हल्के से दाँत लगाता है. आँचल गदरायी हुई है , उसकी गोरी गोरी मोटी जांघों को ससुर अपनी लार से गीला कर देता है. फिर घुटनों के पीछे वाले हिस्से को चूमता है.

उसके बाद ससुर नंगी लेटी हुई आँचल के ऊपर आ जाता है . उसका मोटा लंड आँचल को अपनी गांड में चुभता है. फिर ससुर उसके बालों को हटाकर गर्दन के पीछे चूमता है. पीछे से मुँह घुसाकर आँचल के गालों को चूमने की कोशिश करता है. फिर उसके कान में जीभ घुसा देता है , कान को चाटता है और कान के निचले सिरे को होंठो में दबाकर खींचता है. ससुर की इन हरकतों से आँचल की उत्तेजना बढ़ने लगती है. ससुर उसके कंधों को चूमता है फिर पूरी नंगी पीठ को चूमता है . पूरे बदन को चूमने और चाटने से आँचल गनगना जाती है. उसकी चूत फिर से गीली होने लगती है. चुदाई का मन होने लगता है पर ससुरजी देर कर रहे हैं . आँचल के नंगे बदन से ससुर का मन ही नहीं भर रहा. उसे चूमने चाटने में ससुर को बहुत मज़ा मिल रहा है.

पीठ को चूमते चूमते ससुर फिर से नितंबों पर आ जाता है. दोनों नितंबों को हाथों से दबाता है , मुलायम नितंबों को मसलता है. आँचल सोचती है , सुनील फोरप्ले नहीं करता सीधे चुदाई पे आ जाता है , यहाँ ससुरजी मेरे नितंबों के पीछे पड़े हैं. आज इनको खा ही जाएँगे शायद. उसे अच्छा भी बहुत लग रहा है. पर अब सहन नहीं हो रहा , चुदाई की तड़प हो रही है.
ससुर दोनों हाथों से आँचल के नितंबों को पकड़कर अलग अलग खींचता है और पहाड़ जैसे नितंबों के बीच की दरार में मुँह घुसा देता है. पीछे से आँचल की चूत के फूले हुए होठों को जीभ से चाटता है , आँचल के बदन में कंपकपी दौड़ जाती है वो अपने नितंबों को ससुर के मुँह पर उछालती है और नितंबों इधर उधर को हिलाती है. पर ससुर की नितंबों पर मजबूत पकड़ है . फिर ससुर चूत के अंदर दो अँगुलियाँ घुसा देता है. चूत गीली हो रखी है उसकी अँगुलियाँ चूतरस से भीग जाती हैं. अंगुलियों को चूत में अंदर बाहर करता है .

"आह …...उूउउफ़फ्फ़…..." आँचल आँखें बंद करके सिसकती है.

थोड़ी देर चूत में अंगुली करने के बाद ससुर अँगुलियाँ बाहर निकाल लेता है. अब ससुर आँचल के ऊपर लेट जाता है , दो तीन धक्के गांड पर ऐसे ही लगाता है , ड्राइ हमपिंग करता है. फिर आँचल के घुटने अंदर को मोड़ देता है . आँचल की बड़ी गांड ऊपर को उठ जाती है. आँचल समझ जाती है अब ससुर कुतिया बनाकर चोदेंगे. वो अपने हाथों और घुटनों के बल कुतिया बन जाती है. और ससुर के अपनी चूत में लंड घुसाने का इंतज़ार करती है.

ससुर समझ जाता है अब बहू लंड लेने को तड़प रही है , उससे सहन नहीं हो रहा. पर ससुर से सीधे कह भी नहीं सकती.

ससुर अपने लंड को दो तीन बार हाथ से हिलाता है और आँचल की बड़ी गांड के पीछे घुटनों के बल आ जाता है. अपने लंड के सुपाड़े को आँचल की चूत के छेद पर लगता है और एक झटका देता है. गीली चूत में मोटा सुपाड़ा 2 इंच घुस जाता है. अभी 5.5 इंच लंड बाहर है.

"आअहह……….ओह……." मोटा सुपाड़ा टाइट चूत के अंदर घुसते ही आँचल सिसकारी लेती है.

ससुर सोचता है, इसकी शादी को डेढ़ साल हो गया है फिर भी साली की चूत इतनी टाइट कैसे है . लंड घुसते ही ऐसे चिल्लाती है जैसे कुँवारी हो.

ससुर थोड़ा रुकता है , उसको डर भी है की साली ज़ोर से चिल्लाएगी तो सुनील को नींद से उठा देगी. वो अंगुली नीचे ले जाकर आँचल की क्लिट को मसलने लगता है.

आँचल निचले होंठ को दांतो के बीच दबाकर मोटे लंड से चूत में हो रहे दर्द को सहन करने की कोशिश करती है. कुछ पल बाद ससुर धीरे धीरे बाकी लंड भी चूत में घुसाने लगता है.

"आअहह…..उफ़फ्फ़……..ओह…….उनन्नगज्गग……" आँचल दर्द सहन करने की कोशिश करती है. उफ ससुरजी का लंड बहुत मोटा है.

धीरे धीरे करते हुए ससुर पूरे लंड को जड़ तक बहू की चूत में घुसाने में सफल हो जाता है. और पूरा घुसाने के बाद फिर से कुछ पल रुकता है और आँचल की चूत को रिलैक्स होने का मौका देता है.

फिर ससुर हल्के हल्के धक्के लगाकर लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगता है. चूत की दीवारों पर लंड हल्के से रगड़ खाते हुए फिसलता है, आँचल को उस रगड़ से मज़ा मिलने लगता है. उसकी चूत और ज़्यादा गीली होने लगती है.

ससुर आँचल की कमर को दोनों हाथों से पकड़े हुए है और चूत में धक्के मार रहा है . आँचल की चूत की गर्मी उसके लंड को पिघला रही है. ससुर को बहुत आनंद आ रहा है. मस्ती में बहू को चोदते रहता है.

"आह …...उफफफ्फ़…....ओह……..उूउउ…….. आह …" आँचल कामोन्माद में सिसकारियाँ लेने लगती है.

"आ रहा है ना मज़ा , मेरी आँचल रानी ? "

"ओह्ह …..ससुरजी…",

"और ज़ोर से चोदूँ ?" ससुर आँचल से मज़े लेता है.

"हाँ …… ससुरजी…..और ज़ोर से…...." धीमी कामुक आवाज़ में आँचल ससुर को उत्साहित करती है.

अब ससुर तेज तेज धक्के लगाने लगता है. आँचल का पूरा बदन ज़ोर ज़ोर से झटके खाने लगता है , धक्कों की मार से वो आगे को गिरने लगती है पर ससुर उसकी कमर को कसकर पकड़े रहता है. ससुर का मोटा लंड आँचल की चूत को बुरी तरह से रौंदने लगता है .

"ओह…....ओइईईईई………..उफफफफफ्फ़…." आँचल को दर्द और कामसुख दोनों एक साथ मिल रहे हैं.

आँचल की बड़ी चूचियाँ नीचे को लटककर धक्कों से आगे पीछे हिलने लगती हैं. ससुर बीच बीच में हाथ आगे ले जाकर उसकी चूचियों को मसलने लगता है और धक्के लगाते रहता है.

कुछ देर बाद आँचल को ओर्गास्म आ जाता है और वो तेज सिसकारी लेते हुए झड़ जाती है.

"ऊऊऊऊओह…….ओइईईईईई ….माआआआअ……आअहह.."

बहू को झड़ते देख ससुर धक्कों की रफ़्तार कम कर देता है. बहू जब शांत पड़ जाती है तो ससुर फिर से तेज शॉट मारने लगता है.

अब ससुर के धक्कों की मार से आँचल थकने लगी है पर ससुर रुकने का नाम नहीं ले रहा. 20 मिनट से चोद रहा है पर झड़ता ही नहीं है. बाथरूम जाने से जो ब्रेक हुआ था उसकी वजह से. वरना अब तक झड़ गया होता.
कुछ देर बाद आँचल दूसरी बार झड़ जाती है. पर ससुर नहीं रुकता .

ससुर आँचल को चोदते रहता है और आँचल झड़ती रहती है और झड़ती रहती है और झड़ती रहती है ….ना जाने कितनी बार ………..

अब आँचल बुरी तरह थक चुकी है, उसकी चूत भी दर्द करने लगी है. उसने अपना सर बेड पर टिका दिया.

"बस करिए ससुरजी……....अब बहुत हो गया…...दर्द होने लगा है…..."

ससुर कोई जवाब नहीं देता उसे अपना ओर्गास्म निकालने की पड़ी है.

"प्लीज़ ससुरजी ….अब बस….." आँचल विनती करती है.

"बस थोड़ा सा…….निकलने वाला है." ससुर दिलासा देता है.

आँचल थोड़ी देर उसके धक्कों को और सहन करती है. 30- 40 मिनट तक लगातार चोदने के बाद ससुर आँचल की चूत को वीर्य से लबालब भर देता है. इतनी देर में तो वो दो बार झड़ जाता था पर आज की बात कुछ और थी. आँचल भी ससुर के स्टैमिना को मान गयी. बहुत दम है बुड्ढे में. मेरी हालत खराब कर दी.

ससुर आँचल के बगल में लेट जाता है. आँचल थककर चूर हो गयी है. उल्टे मुँह पड़ी रहती है. ससुर बहू दोनों की साँसें उखड़ गयी हैं. दोनों ही हाँफने लगते हैं. अब कमरे में ठप ठप की आवाज़ें आना बंद हो गयी हैं , ना ही आँचल की सिसकारियों की आवाज़ आ रही है. सिर्फ़ दोनों के गहरी साँसें लेने की आवाज़ आ रही है.

5 मिनट तक दोनों ऐसे पड़े रहते हैं कोई कुछ नहीं बोलता.

फिर आँचल बेड से उठती है और फर्श से उठाकर अपनी पैंटी पहनने लगती है. ससुर बहू को पैंटी पहनते हुए देखता है. आँचल बेबीडॉल को पहनने लगती है.

"सुबह और आना , सुनील के उठने से पहले."

"अब नहीं आऊँगी …"

"क्यूँ ..?" ससुर चौंकता है.

"आप रुकते ही नहीं , हालत खराब कर देते हो….." आँचल मुँह बनाती है.

हाहाहा……..ससुर हंसता है.

"बहुत मज़े लिए तूने , अब नखरे कर रही है."

आँचल शरमाकर मुस्कुराती है.

"अच्छा सही सही बता, तुझे सुनील के साथ ज़्यादा मज़ा आता है या मेरे साथ ?"

"आपके साथ…."

"वो क्यूँ ..?"

"सुनील का तो थोड़ी देर में ही निकल जाता है ……"

"अच्छा !! " , ससुर चौंकता है. तो ये बात है की बहू क्यूँ अनसॅटिस्फाइड रह जाती है.

"ये बता किसका लंड ज़्यादा बड़ा है ?"

"आपका तो बहुत बड़ा है. सुनील से तो दुगना है…..."

"ह्म्म्म्म....", बहू की टाइट चूत का राज़ भी खुल चुका है.

ससुर जानता है बहु अब उसके लंड की दीवानी हो चुकी है जब बुलाऊंगा तब आएगी.

"गुडनाइट ससुरजी.." आँचल ससुर के बेडरूम से बाहर निकलने लगती है.

"नहीं ऐसे नहीं….. ", ससुर बेड में लेटे लेटे अपने गाल की तरफ इशारा करता है.

आँचल मुँह बनाती है, ससुरजी बच्चे बन रहे हैं. दरवाज़े से वापस ससुरजी के पास आती है, उसका गाल चूमकर गुडनाइट कहती है और फिर कमरे से बाहर चली जाती है.

अपने बेडरूम में दबे पाँव आकर बेड में सो जाती है. खूब चुदी है , आज मीठी नींद आएगी……..
 
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आँचल के पिछले 3 - 4 महीने मज़े में गुज़रे. हालाँकि ससुर के साथ रोज़ रोज़ तो मौका नही मिल सकता था पर जब भी मौका मिलता वो मज़े कर लेती थी. पूरी नही भी तो अब वो कुछ तो सेक्सुअली सैटिस्फाइड थी.

फैक्ट्री के काम से सुनील को टूर पर जाना पड़ा तो आँचल भी घूमने के लिए उसके साथ चली जाती है.

टूर में एक दिन सुनील मीटिंग के बाद शाम को होटेल वापस लौटता है. सुनील और आँचल होटेल में अपने रूम में बैठे बातें कर रहे होते हैं तभी अचानक आँचल के सीने में दर्द उठता है . कुछ ही देर में दर्द चला जाता है पर सुनील घबरा जाता है. आँचल कहती है ऐसे ही दर्द हो गया होगा अब ठीक है. पर सुनील डॉक्टर को दिखाने की ज़िद करता है. वो होटेल मैनेजर से पता करता है की आसपास कोई क्लिनिक है या कोई डॉक्टर चेकअप के लिए आ सकता है. मैनेजर उसे बताता है की पास में ही डा.घुरड़ का क्लिनिक है , बहुत अच्छा डॉक्टर है, वहीं चेकअप करवा लो.

सुनील आँचल को लेकर डॉक्टर के क्लिनिक चला जाता है. वहाँ एक लंबा पर पतला सा हॉल था. जिसमे लाइन से चेयर्स लगी हुई थीं. वो वेटिंग रूम है. वेटिंग रूम के सामने तीन रूम हैं. सबसे पहले रिसेप्शन, फिर एग्जामिनेशन रूम और फिर लास्ट में डा.घुरड़ का रूम है. आँचल रिसेप्शनिस्ट से अपायंटमेंट लेती है और सुनील के साथ वेटिंग रूम में बैठ जाती है. वेटिंग रूम में अभी 15 – 20 लोग बैठे हैं.

जल्दी ही आँचल का नंबर आ जाता है. वो डा.घुरड़ के रूम में जाती है. डा.घुरड़ लगभग 50 – 55 की उमर का है.

डा.घुरड़ : मैडम क्या तकलीफ़ है आपको ?

आँचल : डा. साहब थोड़ी देर पहले मेरे सीने में दर्द उठा था. पर जल्दी ही ठीक हो गया था.

डा.घुरड़ : पहले भी कभी हुआ था.

आँचल : ना पहले तो कभी नही हुआ.

डा.घुरड़ : मैडम आप घबराईए नही, अभी चेकअप करूँगा. थोड़ा वेट कीजिए.

आँचल फिर से सुनील के पास वेटिंग रूम में आ जाती है. अब वेटिंग रूम में भीड़ बढ़ने लगी है 25 – 30 लोग आ चुके हैं. थोड़ी देर में नर्स आती है और आँचल को चेकअप के लिए एग्जामिनेशन रूम में ले जाती है. आँचल रूम में चली जाती है उसके पीछे नर्स भी अंदर चली जाती है और दरवाज़ा बंद कर देती है. पर दरवाज़ा फ्रेम से टकराकर फिर से थोड़ा सा खुल जाता है. नर्स का इस बात पर ध्यान नही जाता . वो आँचल को एक सफेद टॉवेल देती है और चेकअप के लिए कपड़े उतारने को कहती है.

सुनील जहाँ पर बैठा है उस एंगल से रूम के अंदर आँचल दिख रही है. दरवाज़ा ठीक से बंद नही हुआ इसलिए उसके अगल बगल बैठे 3-4 लोगों को भी रूम के अंदर दिख रहा है. बाहर से सुनील को आँचल साइड पोज़ में दिख रही है. वो पंजाबी सूट सलवार कमीज़ पहने हुए है. अब वो अपने कपड़े उतारने लगती है. पहले कमीज़ सर के ऊपर खींच लेती है और उतार देती है. अब वो सुनील को सिर्फ़ ब्रा और सलवार में दिख रही है. उसकी नंगी गोरी पीठ में सफेद ब्रा का सिर्फ़ एक इंच चौड़ा स्ट्रैप है. एक तरह से उसकी गोरी पीठ नंगी ही है. सुनील को एक्साइट्मेंट होने लगती है ऐसा लगता है जैसे वो छुप छुप कर किसी दूसरी औरत को देख रहा हो. पर उसके अगल बगल वालों को भी आँचल कपड़े उतारते हुए दिख रही है, इससे उसको एंबरेसमेंट भी फील होती है. उसका मन होता है की उठकर दरवाज़ा ठीक से बंद कर दूं ताकि और लोग उसकी बीवी का नंगा बदन देख ना पाएं. पर दूसरे ही पल वो सोचता है देख ही तो रहे हैं, देखने दो . उनके ऐसे अपनी बीवी को देखने से उसे एक अजीब सी एक्साइट्मेंट हो रही है और उसका लंड खड़ा होने लगता है.

फिर आँचल सलवार का नाड़ा खोलती है और झुककर पैरों से सलवार निकाल देती है. अब वो सिर्फ़ ब्रा पैंटी में है. झुककर सलवार निकालते समय उसके बड़े नितंब पीछे को उभर आते हैं , उसकी पैंटी नितंबों का दो तिहाई भाग ढक रही है, बाकी एक तिहाई हिस्सा नंगा है. सुनील के अगल बगल वाले 3-4 आदमियों की नज़रें आँचल पर ही हैं. वो सांस रोके हुए आँचल को कपड़े उतारते हुए देख रहे हैं. एक्साइट्मेंट से उनके होंठ सूखने लगते हैं.



फिर आँचल अपनी पीठ में हाथ लाती है और अपनी ब्रा का हुक खोल देती है. ब्रा के उतरते ही उसकी बड़ी चूचियाँ नंगी हो जाती हैं और हिलने डुलने लगती हैं. सुनील को साइड पोज़ में आँचल की बायीं चूची दिख रही है. गोरी , बड़ी चूची के ऊपर गुलाबी निप्पल और उसके चारों ओर हल्के भूरे रंग का ऐरोला दिख रहा है. फिर आँचल दोनों हाथों से पैंटी कमर से नीचे को खींचती है और थोड़ा आगे झुककर पैरों से पैंटी निकाल देती है. झुकने से उसकी बड़ी चूचियाँ नीचे को लटके हुए हिलती डुलती हैं और उसकी नंगी गोरी गांड पीछे को उभर कर सुनील को दिखती है. पैंटी उतारने के बाद आँचल अब पूरी नंगी हो जाती है. उसके गोरे गोरे नंगे नितंब हिल रहे हैं. साइड पोज़ में उसकी चूत के ऊपर के काले बाल दिखते हैं. जिन 3 – 4 लोगों को ये सीन दिख रहा है वो सांस रोककर देख रहे हैं. सुनील को एंबरेसमेंट फील होता है की उसकी बीवी का खूबसूरत नंगा बदन कुछ लोगों को दिख रहा है पर उसे उत्तेजना भी आ रही है. खुद उसने भी एक्साइटेड होकर आँचल को एक एक कपड़ा उतारते हुए देखा. सुनील का लंड पूरा टाइट हो चुका है वो पैंट में लंड को अड्जस्ट करता है. देखने वाले सभी के लंड टाइट हो चुके हैं.



तभी आँचल की नज़र दरवाज़े पर पड़ जाती है और वो शॉक्ड रह जाती है. उसे समझ आ जाता है की उसका स्ट्रिप शो 3-4 लोगों को दिख रहा है. वो जल्दी से अपने बदन में टॉवेल लपेट लेती है और नर्स से दरवाज़ा बंद करने को कहती है. आँचल बहुत एंबरेसमेंट फील करती है और उसका मुंह शरम से लाल हो जाता है. नर्स को भी बात समझ में आती है और वो तुरंत अच्छी तरह से दरवाज़ा बंद कर देती है.

बाहर बैठे आदमियों को फ्री शो दिखना बंद हो जाता है , देखने वाले निराशा में गहरी सांस लेते हैं. सुनील अब राहत की सांस लेता है. वो समझ रहा है की उसके अगल बगल वाले आदमी दरवाज़ा बंद हो जाने से निराश हैं. उसके मन में मिली जुली भावनाएं आती हैं. बीवी का नंगा बदन और लोगों के देख लेने से ह्युमिलिएशन भी फील होता है पर अपनी खूबसूरत बीवी पर प्राउड भी फील करता है. वो बहुत रोमांचित महसूस करता है और उसका मन करता है अभी एग्जामिनेशन रूम में जाकर टेबल पर ही आँचल को चोद डालूँ.

कुछ देर बाद रूम में डा.घुरड़ घुसता है . उसके दरवाज़ा खोलकर अंदर जाने से सुनील और उसके अगल बगल वालों को फिर से आँचल दिखती है. वो सफेद टॉवेल लपेटे टेबल के पास खड़ी है. टॉवेल से उसने चूचियाँ ढकी हैं और जांघों के बीच तक टॉवेल पहुँच रहा है. उसकी मांसल सुडौल जाँघें दिख रही हैं. कुछ देर बाद नर्स रूम से बाहर आती है फिर से सुनील को अंदर का नज़ारा दिखता है. अब आँचल टेबल पर लेटी हुई है और टॉवेल उसके पेट और जांघों पर है. उसकी बड़ी चूचियाँ नंगी हैं.

कुछ देर बाद डा.घुरड़ रूम से बाहर आ जाता है. एक झलक आँचल कपड़े पहनते हुए दिखती है. कुछ देर बाद आँचल पूरे कपड़े पहने हुए रूम से बाहर आ जाती है. सभी मर्दों की नज़रें आँचल पर हैं ख़ासकर उनकी जिन्होने उसे नंगी देख लिया था.

फिर सुनील आँचल के साथ क्लिनिक से बाहर आ जाता है. क्लिनिक से वो दोनों डिनर करने चले जाते हैं. और फिर डिनर करके वापस होटेल रूम में आ जाते हैं.

रूम में पहुँचकर सुनील आँचल को अपनी बाँहों में ले लेता है और उसके रसीले होठों को चूमने लगता है. आँचल को भी महसूस होता है आज सुनील बहुत एक्साइटेड है , पर क्यों है , ये उसे नही मालूम. वो भी चुंबन में सुनील का साथ देने लगती है दोनों एक दूसरे की जीभ को चूमते हैं और एक दूसरे के मुँह में जीभ घुसा देते हैं.

फिर सुनील आँचल की कमीज़ ऊपर को खींचने लगता है. आँचल महसूस करती है सुनील से सब्र नही हो रहा, बहुत जल्दी में है.

"रूको रूको….मैं उतारती हूँ…....आज बड़े मूड में हो…."

"सब्र नही हो रहा…….जल्दी उतारो…...."

आँचल कमीज़ ऊपर को खींचती है , कमीज़ उसकी आँखों के पास आकर उसका मुँह ढक देती है , तब तक सुनील उसकी सलवार के नाड़े को खोल देता है और सलवार आँचल के पैरों में गिर जाती है. आँचल बाँहों से कमीज़ खींचकर उतार देती है और पैरों को उठाकर सलवार निकाल देती है. अब वो सफेद ब्रा और सफेद पैंटी में है. सुनील जल्दी से अपनी शर्ट और पैंट उतारता है. उसकी जल्दबाज़ी देखकर आँचल के होठों पर मुस्कुराहट आ जाती है.

सुनील अपना अंडरवियर भी उतार देता है और नंगा हो जाता है. तब तक आँचल ने ब्रा उतार दी है. सुनील के लंड को पूरा तना हुआ देखकर आँचल उत्तेजित होने लगती है. सुनील झुककर उसकी पैंटी नीचे को खींच देता है , आँचल सुनील की पीठ पर हाथ रख देती है और एक एक करके टाँगें उठाकर पैंटी पैरों से निकाल देती है.

अब दोनों पति पत्नी पूरे नंगे हैं. सुनील आँचल को गोद में उठाता है और बेड में लिटा देता है. खुद आँचल के बदन के ऊपर लेट जाता है. आँचल के होठों को चूमता है. फिर उसकी चूचियों और निप्पल को चूसता है.

"उम्म्म…..ओह…." आँचल सिसकारियाँ लेती है.

"आज इतने एक्साइटेड क्यूँ हो ? ……"

"एग्जामिनेशन रूम में तुम्हें कपड़े उतारते देखा , तबसे मूड बना हुआ है….."

"ओह्ह …... इट वाज़ सो एंबॅरसिंग सुनील……….पता नही किस किस ने देख लिया मुझे …"

आँचल के गाल शरम से लाल हो जाते हैं.

"मेरे अगल बगल वाले तीन चार लोगों को दिख रहा था उस एंगल से. सबका खड़ा करवा दिया तुमने….."

"उम्म्म्…. बदमाश.."

आँचल नीचे हाथ ले जाकर सुनील के लंड को सहलाती है. उसकी चूत गीली होने लगती है. सुनील थोड़ी देर ही फोरप्ले करता है फिर आँचल की टाँगें फैला देता है और अपने तने हुए लंड को आँचल की चूत के छेद में लगा देता है.

सुनील एक धक्का लगाता है और उसका लंड आँचल की गीली चूत में फिसलता हुआ अंदर चला जाता है.

"आअहह….... ओह्ह …." चूत में लंड घुसते ही आँचल मज़े से सिसकती है.

अब सुनील आँचल की चूत में धक्के लगाने लगता है. लंड के चूत की दीवारों पर रगड़ने से आँचल मदहोश होने लगती है.

"आआहह…..और ज़ोर से ….सुनील…. हाँ …..ओह…..और ज़ोर से छोड़ो….." आँचल कामोत्तेजना में चिल्लाने लगती है.

सुनील धक्के लगाते रहता है , आँचल को ओर्गास्म आ जाता है
.
"आआहह……….ओइईईई…….माआआअ……....उफफफ्फ़…….सुनील…..."

आँचल की कामुक सिसकारियाँ सुनकर सुनील का लंड पानी छोड़ देता है. वो हाँफते हुए आँचल के बगल में लेट जाता है. दोनों अपनी साँसों पर काबू पाने का प्रयास करते हैं.

फिर आँचल सुनील के मुरझाए लंड को अपने हाथों से सहलाने लगी.

"बदमाश …..अगर तुम्हें पता था तो तुमने दरवाज़ा बंद क्यूँ नही किया ?"

"दरवाज़ा बंद करके मुझे भी तो दिखना बंद हो जाता…."

"तुम तो रोज़ ही देखते हो उसमें नया क्या है …?"

आँचल महसूस करती है उसकी बातें सुनकर सुनील का लंड फिर से तनने लगा है.

"नया ये है की और दिन तो मैं अकेले देखता हूँ , आज और लोग भी तो देख रहे थे तुम्हें."

"तो इससे तुम्हें क्यों एक्साइट्मेंट हुई ?"

"पता नही आँचल , पर मुझे ऐसे एक्साइट्मेंट कभी नही हुई. जब तुम कपड़े उतार रही थी और लोग तुम्हें देख रहे थे. तब मुझे अजीब सा रोमांच हो रहा था , एंबरेसमेंट भी हुई पर…."

अब सुनील का लंड फिर से फनफना गया. वो आँचल के ऊपर आ जाता है और चुदाई का दूसरा राउंड शुरू कर देता है.

"आअहह…...ओह……….." आँचल मज़े से सिसकारियाँ लेने लगती है. उसे महसूस होता है की सुनील को अपनी बीवी को एक्सपोज़ करने में बहुत एक्साइट्मेंट हुई.

"उफफफ्फ़…...आअहह…....तुम्हें शरम नही आई अपनी बीवी को एक्सपोज़ होते हुए देखने में ?.....आअहह…..."

"शरम भी आई पर मज़ा ज़्यादा आया…..." धक्के लगाते हुए सुनील बोला.

"ऊऊहह……..उन्न्ञन्…... एकदम बेकार क्लिनिक था , कहीं ऐसा चेकअप रूम होता है जहाँ सबकी नज़र पड़ती हो……….आअहह…...कितनी शरम आई मुझे … ओह्ह …...." आँचल सिसकारियाँ लेते हुए सुनील को और उकसाती है.

"बेकार नही बहुत बढ़िया क्लिनिक था. वरना हमें स्ट्रिप शो देखने को कैसे मिलता…."

"आअहह……....तुम भी ना……बस……..ओह्ह……बहुत मज़ा आ रहा है सुनील ……ऊऊीईईईईईईईईई……………माआ……………...उगग़गग….."

आँचल ज़ोर से सिसकते हुए दूसरी बार झड़ जाती है. वो अपने स्ट्रिप शो से भले ही एंबरेस्ड फील करती है पर उसे मालूम है आज सुनील उसी वजह से उसकी जमकर चुदाई कर रहा है और बहुत मज़े दिला रहा है….... बहुत दिन बाद आज सुनील को उसने इतना एक्साइटेड देखा.

फिर सुनील भी दूसरी बार आँचल की चूत में झड़ गया. सुनील और आँचल दोनों ही कामसंतुष्ट होकर नंगे ही एक दूसरे की बाँहों में सो जाते हैं.
 

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