ससुर तौलिए से आँचल की चूत पोंछकर उसे बेड में पेट के बल लिटा देता है. आँचल की गोरी बड़ी गांड पहाड़ जैसी ऊपर को उठी है. ससुर अपने दोनों हाथों से आँचल के नितंबों को मसलता है. फिर अपना मुँह नितंबों पर लगा देता है. उन्हें चूमने और चाटने लगता है . दोनों नितंबों को खूब चाटता है. उसके चाटने से आँचल के बड़े नितंब हिलते हैं. आँचल नीचे को मुँह किए लेटी रहती है और गुदगुदी का मज़ा लेती है. मस्त गांड है आँचल की, ससुर बहुत कामातुर हो जाता है और नितंबों पर दाँत गड़ाने लगता है .
"आउच…..." आँचल दर्द से चिल्लाती है और अपना दायां हाथ पीछे ले जाकर नितंबों को ससुर से बचाने के लिए हथेली से ढकने का प्रयास करती है. ससुर उसकी हथेली हटाता है , वो फिर से लगा देती है और ससुर को अपने नितंबों पर दाँत नहीं गड़ाने देती.
ससुर नीचे को बढ़ जाता है. आँचल की मांसल जांघों को चूमता है , चाटता है , उन पर हल्के से दाँत लगाता है. आँचल गदरायी हुई है , उसकी गोरी गोरी मोटी जांघों को ससुर अपनी लार से गीला कर देता है. फिर घुटनों के पीछे वाले हिस्से को चूमता है.
उसके बाद ससुर नंगी लेटी हुई आँचल के ऊपर आ जाता है . उसका मोटा लंड आँचल को अपनी गांड में चुभता है. फिर ससुर उसके बालों को हटाकर गर्दन के पीछे चूमता है. पीछे से मुँह घुसाकर आँचल के गालों को चूमने की कोशिश करता है. फिर उसके कान में जीभ घुसा देता है , कान को चाटता है और कान के निचले सिरे को होंठो में दबाकर खींचता है. ससुर की इन हरकतों से आँचल की उत्तेजना बढ़ने लगती है. ससुर उसके कंधों को चूमता है फिर पूरी नंगी पीठ को चूमता है . पूरे बदन को चूमने और चाटने से आँचल गनगना जाती है. उसकी चूत फिर से गीली होने लगती है. चुदाई का मन होने लगता है पर ससुरजी देर कर रहे हैं . आँचल के नंगे बदन से ससुर का मन ही नहीं भर रहा. उसे चूमने चाटने में ससुर को बहुत मज़ा मिल रहा है.
पीठ को चूमते चूमते ससुर फिर से नितंबों पर आ जाता है. दोनों नितंबों को हाथों से दबाता है , मुलायम नितंबों को मसलता है. आँचल सोचती है , सुनील फोरप्ले नहीं करता सीधे चुदाई पे आ जाता है , यहाँ ससुरजी मेरे नितंबों के पीछे पड़े हैं. आज इनको खा ही जाएँगे शायद. उसे अच्छा भी बहुत लग रहा है. पर अब सहन नहीं हो रहा , चुदाई की तड़प हो रही है.
ससुर दोनों हाथों से आँचल के नितंबों को पकड़कर अलग अलग खींचता है और पहाड़ जैसे नितंबों के बीच की दरार में मुँह घुसा देता है. पीछे से आँचल की चूत के फूले हुए होठों को जीभ से चाटता है , आँचल के बदन में कंपकपी दौड़ जाती है वो अपने नितंबों को ससुर के मुँह पर उछालती है और नितंबों इधर उधर को हिलाती है. पर ससुर की नितंबों पर मजबूत पकड़ है . फिर ससुर चूत के अंदर दो अँगुलियाँ घुसा देता है. चूत गीली हो रखी है उसकी अँगुलियाँ चूतरस से भीग जाती हैं. अंगुलियों को चूत में अंदर बाहर करता है .
"आह …...उूउउफ़फ्फ़…..." आँचल आँखें बंद करके सिसकती है.
थोड़ी देर चूत में अंगुली करने के बाद ससुर अँगुलियाँ बाहर निकाल लेता है. अब ससुर आँचल के ऊपर लेट जाता है , दो तीन धक्के गांड पर ऐसे ही लगाता है , ड्राइ हमपिंग करता है. फिर आँचल के घुटने अंदर को मोड़ देता है . आँचल की बड़ी गांड ऊपर को उठ जाती है. आँचल समझ जाती है अब ससुर कुतिया बनाकर चोदेंगे. वो अपने हाथों और घुटनों के बल कुतिया बन जाती है. और ससुर के अपनी चूत में लंड घुसाने का इंतज़ार करती है.
ससुर समझ जाता है अब बहू लंड लेने को तड़प रही है , उससे सहन नहीं हो रहा. पर ससुर से सीधे कह भी नहीं सकती.
ससुर अपने लंड को दो तीन बार हाथ से हिलाता है और आँचल की बड़ी गांड के पीछे घुटनों के बल आ जाता है. अपने लंड के सुपाड़े को आँचल की चूत के छेद पर लगता है और एक झटका देता है. गीली चूत में मोटा सुपाड़ा 2 इंच घुस जाता है. अभी 5.5 इंच लंड बाहर है.
"आअहह……….ओह……." मोटा सुपाड़ा टाइट चूत के अंदर घुसते ही आँचल सिसकारी लेती है.
ससुर सोचता है, इसकी शादी को डेढ़ साल हो गया है फिर भी साली की चूत इतनी टाइट कैसे है . लंड घुसते ही ऐसे चिल्लाती है जैसे कुँवारी हो.
ससुर थोड़ा रुकता है , उसको डर भी है की साली ज़ोर से चिल्लाएगी तो सुनील को नींद से उठा देगी. वो अंगुली नीचे ले जाकर आँचल की क्लिट को मसलने लगता है.
आँचल निचले होंठ को दांतो के बीच दबाकर मोटे लंड से चूत में हो रहे दर्द को सहन करने की कोशिश करती है. कुछ पल बाद ससुर धीरे धीरे बाकी लंड भी चूत में घुसाने लगता है.
"आअहह…..उफ़फ्फ़……..ओह…….उनन्नगज्गग……" आँचल दर्द सहन करने की कोशिश करती है. उफ ससुरजी का लंड बहुत मोटा है.
धीरे धीरे करते हुए ससुर पूरे लंड को जड़ तक बहू की चूत में घुसाने में सफल हो जाता है. और पूरा घुसाने के बाद फिर से कुछ पल रुकता है और आँचल की चूत को रिलैक्स होने का मौका देता है.
फिर ससुर हल्के हल्के धक्के लगाकर लंड को धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगता है. चूत की दीवारों पर लंड हल्के से रगड़ खाते हुए फिसलता है, आँचल को उस रगड़ से मज़ा मिलने लगता है. उसकी चूत और ज़्यादा गीली होने लगती है.
ससुर आँचल की कमर को दोनों हाथों से पकड़े हुए है और चूत में धक्के मार रहा है . आँचल की चूत की गर्मी उसके लंड को पिघला रही है. ससुर को बहुत आनंद आ रहा है. मस्ती में बहू को चोदते रहता है.
"आह …...उफफफ्फ़…....ओह……..उूउउ…….. आह …" आँचल कामोन्माद में सिसकारियाँ लेने लगती है.
"आ रहा है ना मज़ा , मेरी आँचल रानी ? "
"ओह्ह …..ससुरजी…",
"और ज़ोर से चोदूँ ?" ससुर आँचल से मज़े लेता है.
"हाँ …… ससुरजी…..और ज़ोर से…...." धीमी कामुक आवाज़ में आँचल ससुर को उत्साहित करती है.
अब ससुर तेज तेज धक्के लगाने लगता है. आँचल का पूरा बदन ज़ोर ज़ोर से झटके खाने लगता है , धक्कों की मार से वो आगे को गिरने लगती है पर ससुर उसकी कमर को कसकर पकड़े रहता है. ससुर का मोटा लंड आँचल की चूत को बुरी तरह से रौंदने लगता है .
"ओह…....ओइईईईई………..उफफफफफ्फ़…." आँचल को दर्द और कामसुख दोनों एक साथ मिल रहे हैं.
आँचल की बड़ी चूचियाँ नीचे को लटककर धक्कों से आगे पीछे हिलने लगती हैं. ससुर बीच बीच में हाथ आगे ले जाकर उसकी चूचियों को मसलने लगता है और धक्के लगाते रहता है.
कुछ देर बाद आँचल को ओर्गास्म आ जाता है और वो तेज सिसकारी लेते हुए झड़ जाती है.
"ऊऊऊऊओह…….ओइईईईईई ….माआआआअ……आअहह.."
बहू को झड़ते देख ससुर धक्कों की रफ़्तार कम कर देता है. बहू जब शांत पड़ जाती है तो ससुर फिर से तेज शॉट मारने लगता है.
अब ससुर के धक्कों की मार से आँचल थकने लगी है पर ससुर रुकने का नाम नहीं ले रहा. 20 मिनट से चोद रहा है पर झड़ता ही नहीं है. बाथरूम जाने से जो ब्रेक हुआ था उसकी वजह से. वरना अब तक झड़ गया होता.
कुछ देर बाद आँचल दूसरी बार झड़ जाती है. पर ससुर नहीं रुकता .
ससुर आँचल को चोदते रहता है और आँचल झड़ती रहती है और झड़ती रहती है और झड़ती रहती है ….ना जाने कितनी बार ………..
अब आँचल बुरी तरह थक चुकी है, उसकी चूत भी दर्द करने लगी है. उसने अपना सर बेड पर टिका दिया.
"बस करिए ससुरजी……....अब बहुत हो गया…...दर्द होने लगा है…..."
ससुर कोई जवाब नहीं देता उसे अपना ओर्गास्म निकालने की पड़ी है.
"प्लीज़ ससुरजी ….अब बस….." आँचल विनती करती है.
"बस थोड़ा सा…….निकलने वाला है." ससुर दिलासा देता है.
आँचल थोड़ी देर उसके धक्कों को और सहन करती है. 30- 40 मिनट तक लगातार चोदने के बाद ससुर आँचल की चूत को वीर्य से लबालब भर देता है. इतनी देर में तो वो दो बार झड़ जाता था पर आज की बात कुछ और थी. आँचल भी ससुर के स्टैमिना को मान गयी. बहुत दम है बुड्ढे में. मेरी हालत खराब कर दी.
ससुर आँचल के बगल में लेट जाता है. आँचल थककर चूर हो गयी है. उल्टे मुँह पड़ी रहती है. ससुर बहू दोनों की साँसें उखड़ गयी हैं. दोनों ही हाँफने लगते हैं. अब कमरे में ठप ठप की आवाज़ें आना बंद हो गयी हैं , ना ही आँचल की सिसकारियों की आवाज़ आ रही है. सिर्फ़ दोनों के गहरी साँसें लेने की आवाज़ आ रही है.
5 मिनट तक दोनों ऐसे पड़े रहते हैं कोई कुछ नहीं बोलता.
फिर आँचल बेड से उठती है और फर्श से उठाकर अपनी पैंटी पहनने लगती है. ससुर बहू को पैंटी पहनते हुए देखता है. आँचल बेबीडॉल को पहनने लगती है.
"सुबह और आना , सुनील के उठने से पहले."
"अब नहीं आऊँगी …"
"क्यूँ ..?" ससुर चौंकता है.
"आप रुकते ही नहीं , हालत खराब कर देते हो….." आँचल मुँह बनाती है.
हाहाहा……..ससुर हंसता है.
"बहुत मज़े लिए तूने , अब नखरे कर रही है."
आँचल शरमाकर मुस्कुराती है.
"अच्छा सही सही बता, तुझे सुनील के साथ ज़्यादा मज़ा आता है या मेरे साथ ?"
"आपके साथ…."
"वो क्यूँ ..?"
"सुनील का तो थोड़ी देर में ही निकल जाता है ……"
"अच्छा !! " , ससुर चौंकता है. तो ये बात है की बहू क्यूँ अनसॅटिस्फाइड रह जाती है.
"ये बता किसका लंड ज़्यादा बड़ा है ?"
"आपका तो बहुत बड़ा है. सुनील से तो दुगना है…..."
"ह्म्म्म्म....", बहू की टाइट चूत का राज़ भी खुल चुका है.
ससुर जानता है बहु अब उसके लंड की दीवानी हो चुकी है जब बुलाऊंगा तब आएगी.
"गुडनाइट ससुरजी.." आँचल ससुर के बेडरूम से बाहर निकलने लगती है.
"नहीं ऐसे नहीं….. ", ससुर बेड में लेटे लेटे अपने गाल की तरफ इशारा करता है.
आँचल मुँह बनाती है, ससुरजी बच्चे बन रहे हैं. दरवाज़े से वापस ससुरजी के पास आती है, उसका गाल चूमकर गुडनाइट कहती है और फिर कमरे से बाहर चली जाती है.
अपने बेडरूम में दबे पाँव आकर बेड में सो जाती है. खूब चुदी है , आज मीठी नींद आएगी……..