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Bahut bahut shukriyaDono hi pariwar ke log ek dusre Pehle hi nazar mai pasand agaye.
Awesome update

Bahut bahut shukriyaDono hi pariwar ke log ek dusre Pehle hi nazar mai pasand agaye.
Awesome update
FlashbackIs story mein ek baat saaf hai jarur ho na ho kamla aur Ravan ke bich khoon ka rishta hai...
Dono ko gussa aane par apna aapa kho dete hai... Saamne jo bhi aaye dho dete hai..... cheeje tod fod karne lag jaate hai gusse mein pagal hoke...
kahi manorama aur ravan ki koi flashback to nahi...
Destiny sahab![]()
![]()
Bahut bahut shukriyaLovable update
Ab ye kin hai ji apasyu aur dimpal par nazar rakh raha hai.
Dimpal anurag ki bato mai akar apasyu ko ha ro Keh diya kya anurag jaisa chahta hai waisa hoga and most importantly anurag ko apasyu ki itni fikar kyu?
Overall Nice update
Bechara ramanUpdate - 23
पिछले दो दिन से सुकन्या कुछ ज्यादा ही विचलित रहने लगीं थीं। गुमसुम सी एक कोने में बैठी रहती थी। उसके स्वभाव में इतना परिवर्तन सभी को खटक रहा था। नौकर चाकर सोच रहे थे सुकन्या को हुआ तो हुआ किया, ऐसे तो कभी नहीं करती थीं जो हमेशा सभी को बिना गलती के खरी खोटी सुना देती थी लेकिन पिछले दो दिनों से गलती करने पर भी कुछ नही कह रहे थे। दरसल आज सुबह नाश्ते के वक्त सुकन्या को जूस दिया जा रहा था। गिलास में जूस डालते वक्त जूस गिर गया ओर बह कर सुकन्या के कपड़ो पर गिर गया था। लेकिन सुकन्या ने कुछ नहीं कहा बस चुप चाप उठकर चली गईं। जिसके हाथ से जूस गिर था वो सोच रहा था आज तो समात आ गई लेकिन वैसा कुछ हुआ ही नहीं इसलिए सब अचंभित रह गए ओर सोचने लगे ऐसा कैसे हों सकता हैं बिना कुछ कहे सुकन्या कैसे चली गईं फिर सभी आपस में बात चीत करने लग गए।
"छोटी मालकिन के स्वभाव में इतना परिवर्तन ये तो चमत्कार हो गया"
"हां यार आज तो ये पीटने से बच गया इस'का किस्मत अच्छा था जो छोटी मालकिन का मिजाज़ बदला हुआ हैं नहीं तो आज इसको बहुत सुना देती साथ ही हम सब को लपेटे में ले लेती"
"हां यार मिजाज़ तो बदला हुआ है पिछले दो दिन से देख रहा हूं छोटी मालकिन गुमसुम सी रहने लगीं हैं चुप चाप एक कोने में बैठी रहती हैं।"
"मुझे लगता हैं छोटी मालकिन का छोटे मालिक से कुछ नोक झोंक हुआ होगा"
"शायद ऐसा ही हुआ होगा नही तो जब से मैं महल में काम करने आया हूं तब से आज देख रहा हूं गलती करने पर भी मालकिन ने कुछ नही कहा।"
"चलो जो भी हुआ वो छोटी मालकिन जाने लेकिन उनकी तीखी बाते सुनने की एक आदत सी हो गया हैं। कुछ अजीब सा लग रहा हैं।"
"तेरी आदत तू अपने पास ही रख मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा हैं। विधाता कुछ ऐसा करें छोटी मालकिन हमेशा हमेशा के लिए ऐसा ही रहे।"
सभी नौकर ऐसे ही तरह तरह की बाते कर रहे थे ओर काम भी कर रहे थे। सुकन्या के जाने के बाद रावण भी उसके पीछे पीछे चला गया। सुकन्या सोफे नुमा कुर्सी पर बैठी थीं उसे देखकर रावण बोला... सुकन्या आज तुम्हें किया हुआ जो तुमने नौकर को कुछ नहीं कहा। बताओ बात किया हैं।
सुकन्या कुछ नहीं बोली बस चुप रहीं उसका चुप रहना रावण को खटका इसलिए रावण को लगा जरूर कुछ बात हुआ होगा। जिससे सुकन्या बहुत परेशान हैं। तो रावण बोला…सुकन्या चलो तैयार हो जाओ हम कहीं घूम कर आते हैं।
सुकन्या…मुझे कही नहीं जाना आप जाइए जहां आप'को जाना हैं।
रावण...ये किया बात हुआ चलो जाओ जल्दी से तैयार हों जाओ आज तुम्हारा मुड़ सही नहीं लग रहा हैं। कहीं घूमकर आयेंगे तो तुम्हारा मुड़ भी सही हों जाएगा।
सुकन्या...आप मानते क्यों नहीं हमेशा जिद्द करते हों इतना जिद्द करना ठीक नहीं हैं।
रावण...जिद्द तो करुंगा ही आखिर तुम मेरी बीबी हों जब तुम जिद्द करती हो तब मैं तुम्हारा जिद्द पूरा करता हूं तो तुम्हे भी मेरा जिद्द बिना सवाल जवाब के पूरा करना चहिए।
सुकन्या...आप मानेंगे नहीं अपनी बात मनवा कर ही रहेंगे।
रावण...न बिलकुल नहीं चलो जल्दी से तैयार होकर नीचे आ जाओ।
कहकर रावण चला गया! मन ही मन सुकन्या सोचने लगीं किया करू जाऊ की न जाऊ उसका एक मन कर रहा था न जाऊ एक मन कर रहा था जाऊ बरहाल न न को हा में बदला ओर तैयार होने जानें लगीं फिर रुक गईं और सोचने लगीं एक बार फोन करके बात कर लेती हूं लेकिन उन्होंने कहा था मैं कभी उन्हें फोन न करूं कहीं नाराज हों गए तो, नहीं कर ही लेती हू जो होगा देखा जाएगा फिर सुकन्या ने एक नंबर डायल किया दुसरी और से receive करने पर सुकन्या ने कुछ कहा फिर कुछ क्षण चुप रहा उधर से कुछ बोला गया तब सुकन्या बोली... मै सुकन्या!
"तुझे कहा था न तू मुझे कभी फोन नहीं करेगी फिर फोन क्यों किया?"
सुकन्या...भईया अपका हालचाल जानने के लिए सुना हैं अपको…..
"जो भी सुना हैं ठीक सुन हैं लेकिन तू मुझे भाई क्यों कह रहीं हैं। तुझे कहा था न जब तक तू मेरा काम नहीं कर देता तब तक तू मुझे भाई नहीं बोलेगा"
सुकन्या...न जानें आप'की किया दुश्मनी हैं जिसका हर्जाना मुझे भरना पड़ रहा हैं। बचपन से सगे मां बाप भाई को जानते हुए भी उनका प्यार न पा सका दुसरे की बेटी बनकर पली बडी हुई ओर उन्होंने ही मेरी शादी रावण से करवाया सगे मां बाप के होते हुए भी मुझे दुसरे की बेटी बनकर जीना पड़ रहा हैं।
" ये तेरी नियति हैं। तुझे ऐसे ही जीना होगा जब तक मेरा काम पूरा नहीं हों जाता।"
सुकन्या…सही कहा ये मेरे भाग्य में लिखा हुआ हैं सगे बाप को उसके अंतिम समय देखने नहीं आ पाई बडी बहन समान जेठानी के साथ बुरा बरताव करना पड़ रहा हैं। एक रिश्ते की गांठ बांधने के लिए दुसरे रिश्तों की गांठ खोलती जा रही हूं।
"अब कर ही किया सकते है ये सब तू अपने भाग्य में लिखवा कर लाया हैं तू इसे नहीं बदल सकती।"
सुकन्या...आप ये बिलकुल न सोचे मै अपना भाग्य नहीं बदल सकती,बदल सकती हूं जितना मैं जानती हूं सब सुरभि दीदी और जेठ जी को बता दूंगी फिर उनसे माफ़ी मांग लूंगी।
"तू ऐसा बिल्कुल नहीं करेगी ऐसा किया तो तू पति और बेटे को हमेशा हमेशा के लिए खो देगा।"
सुकन्या...नहीं ऐसा बिल्कुल न करना मैं उन्हें कुछ भी नहीं बताऊंगी।
"ठीक है जब तक तू अपना मुंह बंद रखेगी तब तक तेरा पति और बेटा सलामत रहेगा। चल मै रखता हूं और आगे से भुल कर भी फोन नहीं करना जब तक की मेरा मकसद पूरा नहीं हों जाता।"
सुकन्या फ़ोन रख कर सुबक सुबक कर रोने लग गई ओर रोते हुए बोली...अच्छा हुआ जो उनके साथ बुरा हुआ। जिनके लिए रिश्ते कोई मायने नहीं रखता। उनके साथ बुरा होना ही चाहिए। अपने फायदे के लिए अपने ही जीजा और भांजे को मरने की धमकी दे। बहन को गलत रास्ते पर चलने को मजबूर करे, गलती तो मेरी ही थी जो उनके झांसे में आ गईं फिर उनकी बात मानकर दलदल में फसती गई। मुझे माफ करना दीदी मैं मजबूर हूं मै आप'के साथ गलत व्यवहार नहीं करूंगी तो मैं अपना परिवार खो दूंगी।
खुद की करनी पर सुकन्या को बहुत गिलानी होने लग गई। पर सुकन्या कर भी क्या सकती थी अब वो फांस चुकी थीं। कुछ क्षण तक रोती रहीं फिर तैयार हो'कर रावण के साथ घूमने चल दिया। इन दोनों के जाने के लामसम दो घंटे बाद रमन दार्जलिंग पहुंचा गया। बस से उतरते ही बैग उठाया और चल दिया अपने यार से मिलने, महल पहुंचा वहां रमन को, न रघु मिला न सुरभि न राजेंद्र और न ही पुष्पा दिखी तब बोल.. मुझे बुला लिया ओर यह कोई है ही नहीं, गए तो गए कहा, रघु ओ रघु कहा हैं तू देख तेरा दोस्त आ गया।
रमन के चीख चीख कर आवाज देने से एक नौकर भागा भागा आया और बोला...मालिक तो कलकत्ता गए हैं।
रमन...खुद कलकत्ता में डेरा जमाए बैठा हैं ओर मुझे यहां बुला लिया अभी कलकत्ता जाता हूं फिर उसकी अच्छे से खबर लेता हूं।
"आप को कहीं जाने की जरूरत नहीं हैं। वो लोग आ रहें हैं कुछ ही देर में पहुंच जाएंगे।"
रमन…आने दो उसे, अच्छे से खबर लूंगा। अच्छा सुन पानी बानी पुछने का कोई रिवाज बिबाज हैं की नहीं चल जा एक गिलास पानी ले'कर आ साथ में कुछ खाने को भी ले'कर आना बहुत भूख लगा हैं।
नौकर ने पहले एक गिलास पानी ला'कर दिया फिर कुछ नाश्ता ला'कर दिया। नाश्ता करके रमन काफी देर तक बैठा रहा। लेकिन रघु अभी तक आया नहीं कई बार फोन किया लेकिन उधर से जवाब आया साहब लोग तो सुबह ही निकाल गए पहुंचने वाले होंगे। इंतजार करते करते रमन थक चुका था अब उसे गुस्सा भी आने लग गया। तो रमन महल से बाहर गया महल के पीछे बहुत सारे पेड़ लगे हुए थे वहा से एक मोटा डंडा तोड़ा फिर आ'कर मुख्य दरवाज़े पर बैठ गया ओर बोला...बहुत कर लिया इस ईद के चांद का इंतजार आने दो डंडे से वेलकम करुंगा।
रमन डंडा हाथ में लिए बैठा, कुछ ही क्षण हुए था की एक कार गेट से परवेश किया जिसमे रघु और पुष्पा बैठे थे। रमन को देखकर रघु मुस्कुरा दिया और पुष्पा खुश होते हुए बोली...भईया कार रोको मुझे उतरना हैं रमन भईया आए हैं।
रघु...रोक रहा हूं इतनी जल्दी भी किया हैं। रुक जा कुछ देर फिर मिल लेना।
पुष्पा...नहीं आप अभी के अभी कार रोको मुझे उतरने दो फिर आप कार आगे ले जाना।
रघु ने कार रोका पुष्पा उतार गई और रघु कार लेकर आगे बड़ गया। पुष्पा उतरकर रमन के पास गया और बोला...कैसे हो भईया? कब आए? यह क्यों बैठे हों? आप के हाथ में डंडा क्यों हैं?
रमन खड़ा हुआ पुष्पा से गले मिला फिर बोला…एक साथ इतने सारे सवाल थोड़ी सांस ले ले नहीं तो सांस अटक जाएगा।
पुष्पा...अटकती है तो अटक जाने दो पहले आप बताओ आप को मेरी जरा सा भी याद नहीं आता।
रमन...आता है बहुत सारा तभी तो तूझ'से मिलने आ गया।
पुष्पा...सच्ची!
रमन...मुच्ची!
रघु कार गैराज में रख कर आ गया था और खड़े होकर दोनों की बाते सुनने लग गया। रमन जब पुष्पा को झूठा मस्का लगाते हुए मुच्ची बोला तब रघु बोला...कहे की मुच्ची वे, तुझे तो मैंने बुलाया था तब जा'कर कही आया, नहीं तो आ कहा रहा था।
रघु ने कुछ बढ़ा चढ़ा कर बोला जिससे पुष्पा रूठ गई ओर रमन से बोली...भईया आप कितने झूठे हों जाओ मैं आप'से बात नही करती।
इतना कह पुष्पा मुंह फुलाकर वही सीढ़ी पर बैठ गईं। पुष्पा को रूठते देख रमन आंखे चढ़ाकर रघु की ओर देखा फिर बोला...बहना अभी न रूठ जितना रूठना हैं, थोड़े देर बद रूठ लेना । अभी मुझे इस चौदमी के चांद की खबर लेना हैं।
पुष्पा...जाओ आप जिसका भी खबर लेना है लो मैं आप'से बात नहीं करती।
रमन डंडा ले फुल गुस्से में रघु की ओर बढ़ गया। गुस्सा क्यों न आए? पुष्पा न रूठे इसलिए झूठ बोला लेकिन रघु ने पोल खोल दिया फिर पुष्पा रूठ गई। रमन के हाथ में मोटा डंडा देख रघु बोला...यार डंडा फेक दे बहुत मोटा है हड्डी बाड्डी टूट जाएगा।
रमन…टूटे तो टूट जाएं मुझे उससे किया तेरी वजह से मेरी बहन मुझ'से रूठ गया।
रमन रघु के पास तक पहुंच गया उसी वक्त राजेंद्र की कार वह पहुंच गया। रमन के हाथ में डंडा देख सुरभि मुस्कुराने लगी ओर राजेंद्र कार रोककर बाहर निकल आया। रमन डंडा मरने ही वाला होता हैं तभी राजेंद्र दहाड़ कर बोला...रमन किया कर रहा है रघु को क्यों मार रहा हैं।
राजेंद्र की आवाज सुनकर रमन डंडा छोड़ दिया फिर चुप चाप खडा हो'कर, नजरे झुका लिया। ये देख पुष्पा खिलखिला कर हंस दिया और सुरभि कार से बाहर निकल आया फिर राजेंद्र से बोली…आप भी न कितना अच्छा सो चल रहा था अपने दहाड़ कर सब बंद करवा दिया। आप को मना किया था लेकिन आप हो की सुनते नहीं। फिर रमन से बोला…तू अपना सो चालू कर रघु के पापा कुछ नहीं कहेंगे।
सुरभि के कहने पर रमन न हिला न डुला झाड़वत खडा रहा पुष्पा पहले से ही हंस रहीं थी। रमन को खडा देख ओर जोर जोर से हसने लग गई। राजेंद्र वहा से निकलना ही बेहतर समझा इसलिए आगे कुछ बोले बिना अन्दर चला गया। राजेंद्र के अंदर जाते ही रमन टूट पड़ा ओर रघु को साथ लिए नीचे गिर गया। गिरते ही दोनों एक दूसरे को जकड़कर लोट पोट करने लग गए। दोनों को मल युद्ध करते देख सुरभि और पुष्पा खिलखिलाने लग गए। इधर दोनों के लोट पोट और गुथाम गुथी करने से कपड़े खराब होने लगें फर्श की धूल दोनों के कपड़ो की शोभा बड़ने लग गया। जब रघु को छुटकारा पाने का कोई और चारा न सूझा तब रघु बोला...रमन छोड़ दे नहीं तो सरप्राइस क्या है नहीं बताऊंगा?
सरप्राइस सुनते ही रमन ने रघु को छोड़ दिया दोनों उठकर खड़े हो गए। एक दुसरे के कपड़े झाड़ा फिर रमन बोला...यार बता न सरप्राइस क्या है? देख मैं कितने दूर से आया हूं और कब से बैठा बैठा wait कर रहा हूं।
रघु...हाथ में डंडा लिए wait कर रहा था। चाल हट मैं नहीं बताता।
सुरभि दोनों के पास आया दोनों के कान उमटते हुए बोली...तुम दोनों का बचपना अभी तक गया नहीं देखा तुम दोनों के करतब ने कपड़े गंदे कर दिए।
रघु...ahaaaa मां कान छोड़ों बहुत दर्द हो रहा हैं।
रमन…ahaaa रानी मां कान छोड़ों, कान को कुछ हो गया तो अपकी बहु शादी करने को मना कर देगी।
पुष्पा…नहीं मां रमन भईया के कान न छोड़ना ओर ज्यादा उमेठो मुझ'से झूठ क्यों बोला।
सुरभि ने दोनों के कान छोड़ा फिर बोली….चल अब अंदर सारे कपड़े गंदे हों गए पहले जा'कर कपड़े बदल ले फिर बात करेंगे।
सुरभि के पीछे पीछे दोनों मस्करी करते हुए अन्दर की और चल दिया। सुरभि के अन्दर घुसते ही पुष्पा दोनों हाथ फैलाए दरवाज़े पर खड़ी हों गई उसे देख रघु बोला...तू क्यों द्वारपाल बने खड़ी हो गईं? चल परे हट अन्दर जाने दे।
पुष्पा...आप जाओ अंदर लेकिन रमन भईया नहीं जायेगे उन्होंने मुझ'से झूठ क्यों बोला? पहले उन्हें सजा मिलेगा फ़िर रमन भईया को अन्दर जानें दूंगी।
पुष्पा के बोलते ही रमन समझ गया सजा के रुप में उसे करना किया होगा। इसलिए कान पकड़ा फिर उठक बैठक करते हुए sorry sorry बोलने लग गया। रमन को उठक बैठक करते देख पुष्पा खिलखिलाकर हंस दिया फिर सामने खड़ी हो'कर जोर जोर से गिनने लग गई। पुष्पा के करतब देख रघु पेट पकड़कर जोर जोर से हंसने लग गया। तब पुष्पा बोली...भईया आप क्यों बत्तीसी फाड़ रहें हो भुल गए गलती करने पर आप'को भी ऐसे ही सजा देती थीं। वो तो आज कल आप बच जाते हो मैं जो यह नहीं रहती थी लेकिन अब नहीं बच पाओगे मैं जो यह आ गई ।
रघु...हां हां मुझे याद है अब तू गिनती कर नहीं तो भुल जाएगी फिर मेरे दोस्त को डबल सजा भुगतना पड़ेगा।
पुष्पा फिर से गिनती करने लग गई ओर रघु अन्दर चला गया। पुष्पा की गिनती जब पचास तक पहुच गया। तब रमन रुक गया। रमन के रुकते ही पुष्पा बोली...आप रुक क्यों गए अभी आप'को पचास ओर उठक बैठक लगना हैं चलो जल्दी शुरू हों जाओ। देर किया तो मैं एक से गिनती गिनना शुरु कर दूंगी।
रमन...नहीं अभी शुरू करता हूं।
रमन फ़िर से उठक बैठक करना शुरु कर दिया। पुष्पा उंगली ऊपर नीचे करते हुए गिनने लग गई। उठा बैठक करते हुए रमन के जांघो में दर्द होने लग गया । इसलिए रमन धीरे धीर उठक बैठक करने लग गया ये देख पुष्पा रमन को रोक दिया फिर बोली….भईया आप'को इतनी तकलीफ हों रहा हैं तो आप बोले क्यों नहीं चलो अब बहुत हुआ अन्दर चलते हैं।
रमन और पुष्पा अन्दर चले गए रमन थोडा लगड़ा कर चल रहा था तो उसे देख रघु बोला….कैसा रहा सरप्राइस मजा आया की नहीं ।
रमन...ये सरप्राइस था ऐसा हो ही नहीं सकता। सरप्राइस कुछ ओर ही हैं। जो तू बता नहीं रहा हैं बता न सरप्राइस क्या हैं।
सुरभि...सरप्राइस जो भी हैं वो बाद में जान लेना पहले जा'कर कपड़े बदलकर आओ कितना गन्दा लग रहा हैं।
सुरभि के कहते ही रघु और रमन उठकर चल दिया पुष्पा भी उनके पीछे पीछे जानें लगीं तब सुरभि पुष्पा को रोकते हुए बोली…तू कहा जा रही हैं तू इधर आ सजा देने की तुझे बहुत शौक हैं। आज तुझे सजा मैं देती हूं।
पुष्पा…देखो मां आप मेरे और मेरे भाइयों के बिच में न पड़ें तो ही बेहतर होगा मेरे भाई है उनके साथ मैं जो चाहें करुंगी।
सुरभि...अच्छा! वो दोनों तेरे भाई है, तो मेरे बेटे भी हैं और तूने मेरे बेटे को सजा दिया हैं। तेरे कारण रमन ठीक से चल भी नहीं पा रहा है। अब तू भी कान पकड़ और तीस बार उठक बैठक लगा।
पुष्पा...मां मेरे साथ अपने बेटी के साथ ऐसा बरताव कर रहीं हो। आप अच्छा नहीं कर रहीं हो कह देती हूं।
सुरभि….चुप चाप अपने काम पर लग जा नहीं तो…
पुष्पा...ठीक हैं करती हूं।
पुष्पा कान पकड़कर उठक बैठक करने लग गई। कुछ ही उठक बैठक किया था कि अपश्यु आ गया। पुष्पा को उठक बैठक करते देख रोकते हुए बोला…. पुष्पा तू ये कान पकड़कर उठक बैठक क्यों कर रही हैं ये तेरा काम नहीं हैं।
आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से, यह तक साथ बने रहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Sunkanya bhai aur koi nahi mujhe to dala hi lagta hai kyunki ab tak wahi aisa hai jo is pariwar ke khilaf kuch badi sazish racg raga hai aur uske sath hi hadsa huwa hai jaha logon ne usey bharpur kutaUpdate - 23
पिछले दो दिन से सुकन्या कुछ ज्यादा ही विचलित रहने लगीं थीं। गुमसुम सी एक कोने में बैठी रहती थी। उसके स्वभाव में इतना परिवर्तन सभी को खटक रहा था। नौकर चाकर सोच रहे थे सुकन्या को हुआ तो हुआ किया, ऐसे तो कभी नहीं करती थीं जो हमेशा सभी को बिना गलती के खरी खोटी सुना देती थी लेकिन पिछले दो दिनों से गलती करने पर भी कुछ नही कह रहे थे। दरसल आज सुबह नाश्ते के वक्त सुकन्या को जूस दिया जा रहा था। गिलास में जूस डालते वक्त जूस गिर गया ओर बह कर सुकन्या के कपड़ो पर गिर गया था। लेकिन सुकन्या ने कुछ नहीं कहा बस चुप चाप उठकर चली गईं। जिसके हाथ से जूस गिर था वो सोच रहा था आज तो समात आ गई लेकिन वैसा कुछ हुआ ही नहीं इसलिए सब अचंभित रह गए ओर सोचने लगे ऐसा कैसे हों सकता हैं बिना कुछ कहे सुकन्या कैसे चली गईं फिर सभी आपस में बात चीत करने लग गए।
"छोटी मालकिन के स्वभाव में इतना परिवर्तन ये तो चमत्कार हो गया"
"हां यार आज तो ये पीटने से बच गया इस'का किस्मत अच्छा था जो छोटी मालकिन का मिजाज़ बदला हुआ हैं नहीं तो आज इसको बहुत सुना देती साथ ही हम सब को लपेटे में ले लेती"
"हां यार मिजाज़ तो बदला हुआ है पिछले दो दिन से देख रहा हूं छोटी मालकिन गुमसुम सी रहने लगीं हैं चुप चाप एक कोने में बैठी रहती हैं।"
"मुझे लगता हैं छोटी मालकिन का छोटे मालिक से कुछ नोक झोंक हुआ होगा"
"शायद ऐसा ही हुआ होगा नही तो जब से मैं महल में काम करने आया हूं तब से आज देख रहा हूं गलती करने पर भी मालकिन ने कुछ नही कहा।"
"चलो जो भी हुआ वो छोटी मालकिन जाने लेकिन उनकी तीखी बाते सुनने की एक आदत सी हो गया हैं। कुछ अजीब सा लग रहा हैं।"
"तेरी आदत तू अपने पास ही रख मुझे तो बहुत अच्छा लग रहा हैं। विधाता कुछ ऐसा करें छोटी मालकिन हमेशा हमेशा के लिए ऐसा ही रहे।"
सभी नौकर ऐसे ही तरह तरह की बाते कर रहे थे ओर काम भी कर रहे थे। सुकन्या के जाने के बाद रावण भी उसके पीछे पीछे चला गया। सुकन्या सोफे नुमा कुर्सी पर बैठी थीं उसे देखकर रावण बोला... सुकन्या आज तुम्हें किया हुआ जो तुमने नौकर को कुछ नहीं कहा। बताओ बात किया हैं।
सुकन्या कुछ नहीं बोली बस चुप रहीं उसका चुप रहना रावण को खटका इसलिए रावण को लगा जरूर कुछ बात हुआ होगा। जिससे सुकन्या बहुत परेशान हैं। तो रावण बोला…सुकन्या चलो तैयार हो जाओ हम कहीं घूम कर आते हैं।
सुकन्या…मुझे कही नहीं जाना आप जाइए जहां आप'को जाना हैं।
रावण...ये किया बात हुआ चलो जाओ जल्दी से तैयार हों जाओ आज तुम्हारा मुड़ सही नहीं लग रहा हैं। कहीं घूमकर आयेंगे तो तुम्हारा मुड़ भी सही हों जाएगा।
सुकन्या...आप मानते क्यों नहीं हमेशा जिद्द करते हों इतना जिद्द करना ठीक नहीं हैं।
रावण...जिद्द तो करुंगा ही आखिर तुम मेरी बीबी हों जब तुम जिद्द करती हो तब मैं तुम्हारा जिद्द पूरा करता हूं तो तुम्हे भी मेरा जिद्द बिना सवाल जवाब के पूरा करना चहिए।
सुकन्या...आप मानेंगे नहीं अपनी बात मनवा कर ही रहेंगे।
रावण...न बिलकुल नहीं चलो जल्दी से तैयार होकर नीचे आ जाओ।
कहकर रावण चला गया! मन ही मन सुकन्या सोचने लगीं किया करू जाऊ की न जाऊ उसका एक मन कर रहा था न जाऊ एक मन कर रहा था जाऊ बरहाल न न को हा में बदला ओर तैयार होने जानें लगीं फिर रुक गईं और सोचने लगीं एक बार फोन करके बात कर लेती हूं लेकिन उन्होंने कहा था मैं कभी उन्हें फोन न करूं कहीं नाराज हों गए तो, नहीं कर ही लेती हू जो होगा देखा जाएगा फिर सुकन्या ने एक नंबर डायल किया दुसरी और से receive करने पर सुकन्या ने कुछ कहा फिर कुछ क्षण चुप रहा उधर से कुछ बोला गया तब सुकन्या बोली... मै सुकन्या!
"तुझे कहा था न तू मुझे कभी फोन नहीं करेगी फिर फोन क्यों किया?"
सुकन्या...भईया अपका हालचाल जानने के लिए सुना हैं अपको…..
"जो भी सुना हैं ठीक सुन हैं लेकिन तू मुझे भाई क्यों कह रहीं हैं। तुझे कहा था न जब तक तू मेरा काम नहीं कर देता तब तक तू मुझे भाई नहीं बोलेगा"
सुकन्या...न जानें आप'की किया दुश्मनी हैं जिसका हर्जाना मुझे भरना पड़ रहा हैं। बचपन से सगे मां बाप भाई को जानते हुए भी उनका प्यार न पा सका दुसरे की बेटी बनकर पली बडी हुई ओर उन्होंने ही मेरी शादी रावण से करवाया सगे मां बाप के होते हुए भी मुझे दुसरे की बेटी बनकर जीना पड़ रहा हैं।
" ये तेरी नियति हैं। तुझे ऐसे ही जीना होगा जब तक मेरा काम पूरा नहीं हों जाता।"
सुकन्या…सही कहा ये मेरे भाग्य में लिखा हुआ हैं सगे बाप को उसके अंतिम समय देखने नहीं आ पाई बडी बहन समान जेठानी के साथ बुरा बरताव करना पड़ रहा हैं। एक रिश्ते की गांठ बांधने के लिए दुसरे रिश्तों की गांठ खोलती जा रही हूं।
"अब कर ही किया सकते है ये सब तू अपने भाग्य में लिखवा कर लाया हैं तू इसे नहीं बदल सकती।"
सुकन्या...आप ये बिलकुल न सोचे मै अपना भाग्य नहीं बदल सकती,बदल सकती हूं जितना मैं जानती हूं सब सुरभि दीदी और जेठ जी को बता दूंगी फिर उनसे माफ़ी मांग लूंगी।
"तू ऐसा बिल्कुल नहीं करेगी ऐसा किया तो तू पति और बेटे को हमेशा हमेशा के लिए खो देगा।"
सुकन्या...नहीं ऐसा बिल्कुल न करना मैं उन्हें कुछ भी नहीं बताऊंगी।
"ठीक है जब तक तू अपना मुंह बंद रखेगी तब तक तेरा पति और बेटा सलामत रहेगा। चल मै रखता हूं और आगे से भुल कर भी फोन नहीं करना जब तक की मेरा मकसद पूरा नहीं हों जाता।"
सुकन्या फ़ोन रख कर सुबक सुबक कर रोने लग गई ओर रोते हुए बोली...अच्छा हुआ जो उनके साथ बुरा हुआ। जिनके लिए रिश्ते कोई मायने नहीं रखता। उनके साथ बुरा होना ही चाहिए। अपने फायदे के लिए अपने ही जीजा और भांजे को मरने की धमकी दे। बहन को गलत रास्ते पर चलने को मजबूर करे, गलती तो मेरी ही थी जो उनके झांसे में आ गईं फिर उनकी बात मानकर दलदल में फसती गई। मुझे माफ करना दीदी मैं मजबूर हूं मै आप'के साथ गलत व्यवहार नहीं करूंगी तो मैं अपना परिवार खो दूंगी।
खुद की करनी पर सुकन्या को बहुत गिलानी होने लग गई। पर सुकन्या कर भी क्या सकती थी अब वो फांस चुकी थीं। कुछ क्षण तक रोती रहीं फिर तैयार हो'कर रावण के साथ घूमने चल दिया। इन दोनों के जाने के लामसम दो घंटे बाद रमन दार्जलिंग पहुंचा गया। बस से उतरते ही बैग उठाया और चल दिया अपने यार से मिलने, महल पहुंचा वहां रमन को, न रघु मिला न सुरभि न राजेंद्र और न ही पुष्पा दिखी तब बोल.. मुझे बुला लिया ओर यह कोई है ही नहीं, गए तो गए कहा, रघु ओ रघु कहा हैं तू देख तेरा दोस्त आ गया।
रमन के चीख चीख कर आवाज देने से एक नौकर भागा भागा आया और बोला...मालिक तो कलकत्ता गए हैं।
रमन...खुद कलकत्ता में डेरा जमाए बैठा हैं ओर मुझे यहां बुला लिया अभी कलकत्ता जाता हूं फिर उसकी अच्छे से खबर लेता हूं।
"आप को कहीं जाने की जरूरत नहीं हैं। वो लोग आ रहें हैं कुछ ही देर में पहुंच जाएंगे।"
रमन…आने दो उसे, अच्छे से खबर लूंगा। अच्छा सुन पानी बानी पुछने का कोई रिवाज बिबाज हैं की नहीं चल जा एक गिलास पानी ले'कर आ साथ में कुछ खाने को भी ले'कर आना बहुत भूख लगा हैं।
नौकर ने पहले एक गिलास पानी ला'कर दिया फिर कुछ नाश्ता ला'कर दिया। नाश्ता करके रमन काफी देर तक बैठा रहा। लेकिन रघु अभी तक आया नहीं कई बार फोन किया लेकिन उधर से जवाब आया साहब लोग तो सुबह ही निकाल गए पहुंचने वाले होंगे। इंतजार करते करते रमन थक चुका था अब उसे गुस्सा भी आने लग गया। तो रमन महल से बाहर गया महल के पीछे बहुत सारे पेड़ लगे हुए थे वहा से एक मोटा डंडा तोड़ा फिर आ'कर मुख्य दरवाज़े पर बैठ गया ओर बोला...बहुत कर लिया इस ईद के चांद का इंतजार आने दो डंडे से वेलकम करुंगा।
रमन डंडा हाथ में लिए बैठा, कुछ ही क्षण हुए था की एक कार गेट से परवेश किया जिसमे रघु और पुष्पा बैठे थे। रमन को देखकर रघु मुस्कुरा दिया और पुष्पा खुश होते हुए बोली...भईया कार रोको मुझे उतरना हैं रमन भईया आए हैं।
रघु...रोक रहा हूं इतनी जल्दी भी किया हैं। रुक जा कुछ देर फिर मिल लेना।
पुष्पा...नहीं आप अभी के अभी कार रोको मुझे उतरने दो फिर आप कार आगे ले जाना।
रघु ने कार रोका पुष्पा उतार गई और रघु कार लेकर आगे बड़ गया। पुष्पा उतरकर रमन के पास गया और बोला...कैसे हो भईया? कब आए? यह क्यों बैठे हों? आप के हाथ में डंडा क्यों हैं?
रमन खड़ा हुआ पुष्पा से गले मिला फिर बोला…एक साथ इतने सारे सवाल थोड़ी सांस ले ले नहीं तो सांस अटक जाएगा।
पुष्पा...अटकती है तो अटक जाने दो पहले आप बताओ आप को मेरी जरा सा भी याद नहीं आता।
रमन...आता है बहुत सारा तभी तो तूझ'से मिलने आ गया।
पुष्पा...सच्ची!
रमन...मुच्ची!
रघु कार गैराज में रख कर आ गया था और खड़े होकर दोनों की बाते सुनने लग गया। रमन जब पुष्पा को झूठा मस्का लगाते हुए मुच्ची बोला तब रघु बोला...कहे की मुच्ची वे, तुझे तो मैंने बुलाया था तब जा'कर कही आया, नहीं तो आ कहा रहा था।
रघु ने कुछ बढ़ा चढ़ा कर बोला जिससे पुष्पा रूठ गई ओर रमन से बोली...भईया आप कितने झूठे हों जाओ मैं आप'से बात नही करती।
इतना कह पुष्पा मुंह फुलाकर वही सीढ़ी पर बैठ गईं। पुष्पा को रूठते देख रमन आंखे चढ़ाकर रघु की ओर देखा फिर बोला...बहना अभी न रूठ जितना रूठना हैं, थोड़े देर बद रूठ लेना । अभी मुझे इस चौदमी के चांद की खबर लेना हैं।
पुष्पा...जाओ आप जिसका भी खबर लेना है लो मैं आप'से बात नहीं करती।
रमन डंडा ले फुल गुस्से में रघु की ओर बढ़ गया। गुस्सा क्यों न आए? पुष्पा न रूठे इसलिए झूठ बोला लेकिन रघु ने पोल खोल दिया फिर पुष्पा रूठ गई। रमन के हाथ में मोटा डंडा देख रघु बोला...यार डंडा फेक दे बहुत मोटा है हड्डी बाड्डी टूट जाएगा।
रमन…टूटे तो टूट जाएं मुझे उससे किया तेरी वजह से मेरी बहन मुझ'से रूठ गया।
रमन रघु के पास तक पहुंच गया उसी वक्त राजेंद्र की कार वह पहुंच गया। रमन के हाथ में डंडा देख सुरभि मुस्कुराने लगी ओर राजेंद्र कार रोककर बाहर निकल आया। रमन डंडा मरने ही वाला होता हैं तभी राजेंद्र दहाड़ कर बोला...रमन किया कर रहा है रघु को क्यों मार रहा हैं।
राजेंद्र की आवाज सुनकर रमन डंडा छोड़ दिया फिर चुप चाप खडा हो'कर, नजरे झुका लिया। ये देख पुष्पा खिलखिला कर हंस दिया और सुरभि कार से बाहर निकल आया फिर राजेंद्र से बोली…आप भी न कितना अच्छा सो चल रहा था अपने दहाड़ कर सब बंद करवा दिया। आप को मना किया था लेकिन आप हो की सुनते नहीं। फिर रमन से बोला…तू अपना सो चालू कर रघु के पापा कुछ नहीं कहेंगे।
सुरभि के कहने पर रमन न हिला न डुला झाड़वत खडा रहा पुष्पा पहले से ही हंस रहीं थी। रमन को खडा देख ओर जोर जोर से हसने लग गई। राजेंद्र वहा से निकलना ही बेहतर समझा इसलिए आगे कुछ बोले बिना अन्दर चला गया। राजेंद्र के अंदर जाते ही रमन टूट पड़ा ओर रघु को साथ लिए नीचे गिर गया। गिरते ही दोनों एक दूसरे को जकड़कर लोट पोट करने लग गए। दोनों को मल युद्ध करते देख सुरभि और पुष्पा खिलखिलाने लग गए। इधर दोनों के लोट पोट और गुथाम गुथी करने से कपड़े खराब होने लगें फर्श की धूल दोनों के कपड़ो की शोभा बड़ने लग गया। जब रघु को छुटकारा पाने का कोई और चारा न सूझा तब रघु बोला...रमन छोड़ दे नहीं तो सरप्राइस क्या है नहीं बताऊंगा?
सरप्राइस सुनते ही रमन ने रघु को छोड़ दिया दोनों उठकर खड़े हो गए। एक दुसरे के कपड़े झाड़ा फिर रमन बोला...यार बता न सरप्राइस क्या है? देख मैं कितने दूर से आया हूं और कब से बैठा बैठा wait कर रहा हूं।
रघु...हाथ में डंडा लिए wait कर रहा था। चाल हट मैं नहीं बताता।
सुरभि दोनों के पास आया दोनों के कान उमटते हुए बोली...तुम दोनों का बचपना अभी तक गया नहीं देखा तुम दोनों के करतब ने कपड़े गंदे कर दिए।
रघु...ahaaaa मां कान छोड़ों बहुत दर्द हो रहा हैं।
रमन…ahaaa रानी मां कान छोड़ों, कान को कुछ हो गया तो अपकी बहु शादी करने को मना कर देगी।
पुष्पा…नहीं मां रमन भईया के कान न छोड़ना ओर ज्यादा उमेठो मुझ'से झूठ क्यों बोला।
सुरभि ने दोनों के कान छोड़ा फिर बोली….चल अब अंदर सारे कपड़े गंदे हों गए पहले जा'कर कपड़े बदल ले फिर बात करेंगे।
सुरभि के पीछे पीछे दोनों मस्करी करते हुए अन्दर की और चल दिया। सुरभि के अन्दर घुसते ही पुष्पा दोनों हाथ फैलाए दरवाज़े पर खड़ी हों गई उसे देख रघु बोला...तू क्यों द्वारपाल बने खड़ी हो गईं? चल परे हट अन्दर जाने दे।
पुष्पा...आप जाओ अंदर लेकिन रमन भईया नहीं जायेगे उन्होंने मुझ'से झूठ क्यों बोला? पहले उन्हें सजा मिलेगा फ़िर रमन भईया को अन्दर जानें दूंगी।
पुष्पा के बोलते ही रमन समझ गया सजा के रुप में उसे करना किया होगा। इसलिए कान पकड़ा फिर उठक बैठक करते हुए sorry sorry बोलने लग गया। रमन को उठक बैठक करते देख पुष्पा खिलखिलाकर हंस दिया फिर सामने खड़ी हो'कर जोर जोर से गिनने लग गई। पुष्पा के करतब देख रघु पेट पकड़कर जोर जोर से हंसने लग गया। तब पुष्पा बोली...भईया आप क्यों बत्तीसी फाड़ रहें हो भुल गए गलती करने पर आप'को भी ऐसे ही सजा देती थीं। वो तो आज कल आप बच जाते हो मैं जो यह नहीं रहती थी लेकिन अब नहीं बच पाओगे मैं जो यह आ गई ।
रघु...हां हां मुझे याद है अब तू गिनती कर नहीं तो भुल जाएगी फिर मेरे दोस्त को डबल सजा भुगतना पड़ेगा।
पुष्पा फिर से गिनती करने लग गई ओर रघु अन्दर चला गया। पुष्पा की गिनती जब पचास तक पहुच गया। तब रमन रुक गया। रमन के रुकते ही पुष्पा बोली...आप रुक क्यों गए अभी आप'को पचास ओर उठक बैठक लगना हैं चलो जल्दी शुरू हों जाओ। देर किया तो मैं एक से गिनती गिनना शुरु कर दूंगी।
रमन...नहीं अभी शुरू करता हूं।
रमन फ़िर से उठक बैठक करना शुरु कर दिया। पुष्पा उंगली ऊपर नीचे करते हुए गिनने लग गई। उठा बैठक करते हुए रमन के जांघो में दर्द होने लग गया । इसलिए रमन धीरे धीर उठक बैठक करने लग गया ये देख पुष्पा रमन को रोक दिया फिर बोली….भईया आप'को इतनी तकलीफ हों रहा हैं तो आप बोले क्यों नहीं चलो अब बहुत हुआ अन्दर चलते हैं।
रमन और पुष्पा अन्दर चले गए रमन थोडा लगड़ा कर चल रहा था तो उसे देख रघु बोला….कैसा रहा सरप्राइस मजा आया की नहीं ।
रमन...ये सरप्राइस था ऐसा हो ही नहीं सकता। सरप्राइस कुछ ओर ही हैं। जो तू बता नहीं रहा हैं बता न सरप्राइस क्या हैं।
सुरभि...सरप्राइस जो भी हैं वो बाद में जान लेना पहले जा'कर कपड़े बदलकर आओ कितना गन्दा लग रहा हैं।
सुरभि के कहते ही रघु और रमन उठकर चल दिया पुष्पा भी उनके पीछे पीछे जानें लगीं तब सुरभि पुष्पा को रोकते हुए बोली…तू कहा जा रही हैं तू इधर आ सजा देने की तुझे बहुत शौक हैं। आज तुझे सजा मैं देती हूं।
पुष्पा…देखो मां आप मेरे और मेरे भाइयों के बिच में न पड़ें तो ही बेहतर होगा मेरे भाई है उनके साथ मैं जो चाहें करुंगी।
सुरभि...अच्छा! वो दोनों तेरे भाई है, तो मेरे बेटे भी हैं और तूने मेरे बेटे को सजा दिया हैं। तेरे कारण रमन ठीक से चल भी नहीं पा रहा है। अब तू भी कान पकड़ और तीस बार उठक बैठक लगा।
पुष्पा...मां मेरे साथ अपने बेटी के साथ ऐसा बरताव कर रहीं हो। आप अच्छा नहीं कर रहीं हो कह देती हूं।
सुरभि….चुप चाप अपने काम पर लग जा नहीं तो…
पुष्पा...ठीक हैं करती हूं।
पुष्पा कान पकड़कर उठक बैठक करने लग गई। कुछ ही उठक बैठक किया था कि अपश्यु आ गया। पुष्पा को उठक बैठक करते देख रोकते हुए बोला…. पुष्पा तू ये कान पकड़कर उठक बैठक क्यों कर रही हैं ये तेरा काम नहीं हैं।
आज के लिए इतना ही आगे की कहानी अगले अपडेट से, यह तक साथ बने रहने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
Itni shandar revo dene ke liye bahut bahut shukriyaUpdate 31
Main kya keh rahi hoon ki us kamine aapsyu ki jamke pitati ho hi jaane do
Tab jaake ushe ehsaas hoga ki dard kishe kehte hai
kyunki aapsyu un mein se jo laato ki bhoot baaton se nahi maante hai...
ab aati hoon kuch point ki baaton par..
1) ashish pushpa ke liye sahi ladka nahi hai, kyun... Kyunki usko pushpa se zyada kamla sexy lagti hai ... tharki kahi ka... kal ko shaadi ke baad pushpa se zyada khubsurat ladki dekh uske sath uch nich kar baitha to pushpa ka kya hoga .... isliye pushpa ke liye koi achha sa sidha ladka dhundhna chaahiye... Dusri baat ravan aur manorama ki tarah hi tez Dimag wali hai kamla na ki mahesh ki tarah chutiya.. isk matlab mahesh uska baap hai ki nahi ispe bhi shaq hai
2) kamla aur ravan ke behavior ek jaise hai.. ye koi ittefaq nahi hai balki jarur koi khoon ka rishta hai dono mein....
3) agar aise koi anjaan aadmi ragu ko bla fusla ke le jaata tab main is baat ko maan jaati, agar mahesh ko le jaata tab bhi ye baat ko inkaar nahi karti... lekin apsyu jaisa chalak dhurt insaan ko ek anjaan aake kuch bolke bahar le gaya... ye unbelievable hai...
Kahi mahesh ki tarah aapsyu bhi chutiya to nahi.... Kahi jamn ke baad hospital mein aapsyu aur kamla adal badal to to nahi gaye
Well shaandaar update, shaandaar lekhni ,shaandaar shabdon ka chayan...
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills![]()
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Kamla sexy hai tabhi to aashish ko sexy laga. Is bat ka jita jagta misal kalu aur bablu hai..Ashish ko pushpa se zyada Kamla sexy lagti hai.... ghor kalyug
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Andyking ji ye mahashay kaun hai inko to kabhi na suna
Bahut bahut shukriyaFinally chandi se pala pad gaya raghu ka![]()