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ये दिन भी ऐसी ही निकला । मैने मां को उदास पाया लेकिन पूछने का मौका नहीं मिला । परमानंद कमसे कम 10 दिन रहने वाले थे । बस उनकी बक बक और तरह तरह की कहानियां सुनने को मिलता था ।
ऐसे ही पूरे 4 दिन और चार मां की चार चूदाई देखी कालू और मैने पहले दिन तो मां को बोहोत दर्द में देखा था लेकिन पिछले तीन बार की चूदाई में मां को बोहोत आनंद में देखा था ।
कालू कहता मुझसे " लगता हे तेरा बाप एक हफ्ते में तेरी मां की बूर से बच्चा निकलेगा "
वो भी मेरी मां की चूदाई देख के मस्त था । उसने बताया की उसने मेरी मां की नाम का मुट्ठ मारा है। हालाकि मैने भी मारा है खुद पे काबू ना पा कर मां की चूदाई याद कर के पर मैने उसे नही बताया । चाहे हम कितना भी भाई जैसे दोस्त क्यू ना हो ये बात उसे बताने मे मुझे शर्म आई ।
और बस दो चूदाई बाकी थे । 5 बे चूदाई देखने सबेरे सबेरे निकल गए और हमेशा की तरह झोपड़ी में चुप गए । मां भी आई और घोड़ी बन के इंतजार करती रही ।
कुछी देर में मां हल्की हल्की सिसकारियां मारने लगी । मां चूद रही थी तभी बाबा मां के पीठ पर झुक गए और मां की चुचियों को दोनो हाथों से पकड़ लिया । मां मस्ती में चूद रही थी उनकी आंखे बंद थी मुंह से सिसकारियां मार रहीं थी ।
रोशनी में मां और बाबा की चेहरे दिखाई दे रहे थे पर कालू और में हैरान बोचक्का खा गए क्यू की मां की चूदाई करने वाला बाबा नही परमानंद थे । मेरा शरीर ठंड पर गया ये देख के लेकिन खून खोल उठा में भी बस कालू की तरह फटी नज़रों से देखता रहा कुछ समझ नही आया की क्या करू ।
परमानंद ने मां गर्दन चूम चूम के चोद रहा था और मां की गाल चूमने लगा और मां भी अपनी गाल रगड़ने लगी परमानंद की होठों पर लेकिन उसने आंखे खोली और जोर की चीख के साथ चिल्ला पड़ी " आ । आप चाचाजी "
मां हरबराती हुई परमानंद की नीचे से निकल आई और फुबक फुबक के रोने लगी ", चाचाजी आप । हाय मां । मुझे सक्क्क था पहले से ही । चाचाजी आप इतने दिनो से " मां फुट फूट के रोने लगी
परमानंद मां को मानाने लगा " बहु चुप हो जा हल्ला मत करो मेरी बात सुनो "
में भी गुस्से से खड़ा हुआ और परानंद को मारने के लिए ही आगे बढ़ा की कालू मुझे जबरदस्ती पकड़ के रोकता हे और समझता है " रुक रुक अभी नहीं। तेरी मां की इज्जत का सवाल हे। "
कालू की बात मुझे सही लगी और में खून पी गया अपना । में गुस्से में कुछ बोल नहीं पा रहा था । कालू मुझे समझआने लगा " देख अभी तेरी मां तुझे देख के शर्म से मर जायेगी । जो होना था जो चुका है बूढ़े को बाद में सबक देंगे अभी रुक देखते हे तेरी मां क्या कहती है "
हम दोनो फिर छेद से देखने । मां अपनी कपरे ठीक कर के अपने आपको पल्लू से ढक रही थी ।
ऐसे ही पूरे 4 दिन और चार मां की चार चूदाई देखी कालू और मैने पहले दिन तो मां को बोहोत दर्द में देखा था लेकिन पिछले तीन बार की चूदाई में मां को बोहोत आनंद में देखा था ।
कालू कहता मुझसे " लगता हे तेरा बाप एक हफ्ते में तेरी मां की बूर से बच्चा निकलेगा "
वो भी मेरी मां की चूदाई देख के मस्त था । उसने बताया की उसने मेरी मां की नाम का मुट्ठ मारा है। हालाकि मैने भी मारा है खुद पे काबू ना पा कर मां की चूदाई याद कर के पर मैने उसे नही बताया । चाहे हम कितना भी भाई जैसे दोस्त क्यू ना हो ये बात उसे बताने मे मुझे शर्म आई ।
और बस दो चूदाई बाकी थे । 5 बे चूदाई देखने सबेरे सबेरे निकल गए और हमेशा की तरह झोपड़ी में चुप गए । मां भी आई और घोड़ी बन के इंतजार करती रही ।
कुछी देर में मां हल्की हल्की सिसकारियां मारने लगी । मां चूद रही थी तभी बाबा मां के पीठ पर झुक गए और मां की चुचियों को दोनो हाथों से पकड़ लिया । मां मस्ती में चूद रही थी उनकी आंखे बंद थी मुंह से सिसकारियां मार रहीं थी ।
रोशनी में मां और बाबा की चेहरे दिखाई दे रहे थे पर कालू और में हैरान बोचक्का खा गए क्यू की मां की चूदाई करने वाला बाबा नही परमानंद थे । मेरा शरीर ठंड पर गया ये देख के लेकिन खून खोल उठा में भी बस कालू की तरह फटी नज़रों से देखता रहा कुछ समझ नही आया की क्या करू ।
परमानंद ने मां गर्दन चूम चूम के चोद रहा था और मां की गाल चूमने लगा और मां भी अपनी गाल रगड़ने लगी परमानंद की होठों पर लेकिन उसने आंखे खोली और जोर की चीख के साथ चिल्ला पड़ी " आ । आप चाचाजी "
मां हरबराती हुई परमानंद की नीचे से निकल आई और फुबक फुबक के रोने लगी ", चाचाजी आप । हाय मां । मुझे सक्क्क था पहले से ही । चाचाजी आप इतने दिनो से " मां फुट फूट के रोने लगी
परमानंद मां को मानाने लगा " बहु चुप हो जा हल्ला मत करो मेरी बात सुनो "
में भी गुस्से से खड़ा हुआ और परानंद को मारने के लिए ही आगे बढ़ा की कालू मुझे जबरदस्ती पकड़ के रोकता हे और समझता है " रुक रुक अभी नहीं। तेरी मां की इज्जत का सवाल हे। "
कालू की बात मुझे सही लगी और में खून पी गया अपना । में गुस्से में कुछ बोल नहीं पा रहा था । कालू मुझे समझआने लगा " देख अभी तेरी मां तुझे देख के शर्म से मर जायेगी । जो होना था जो चुका है बूढ़े को बाद में सबक देंगे अभी रुक देखते हे तेरी मां क्या कहती है "
हम दोनो फिर छेद से देखने । मां अपनी कपरे ठीक कर के अपने आपको पल्लू से ढक रही थी ।