Incest गांव का मौसम ( बड़ा प्यारा )

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दोनों मामी भांजा खूब मजा ले रहे थे बिलास गांव से बाहर गोदाम में पद्मा के साथ मजे कर रहा था उसे क्या मालूम था कि घर में उसकी बीवी गुलछर्रे उड़ा रही है और वह भी अपने भांजे के साथ,,,, दोनों पागलों की तरह एक दूसरे के बदन से मजे ले रहे थे,,सूरज जोर-जोर से कमर हिलाते हुए अपनी मामी के मुंह में ही गले तक लंड उतार दे रहा था जिसका मजा मंगल बड़े ही चाव से उठा रही थी,,सूरज को लगने लगा था कि कहीं लंड का पानी उसकी मामी के मुंह में ही ना निकल जाए उसके लिए वह लंड को बाहर खींच लिया और जैसे ही वह लंड को मुंह में से बाहर निकाला,,,,मंगल लंबी लंबी सांसे लेने लगी,,, लंबा मोटा लंड उसके गले में अटक रहा था लेकिन फिर भी चुदासपन के अंसर में वह पूरे लंड को मुंह में उतार लेना चाहती थी सूरज को मजा आ गया था, मंगल प्यासी नजरों से उसकी तरफ देख रही थी और ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी बुर में खुजली बढ़ती जा रही थी,,, एक हथेली को जांघो के बीच ले जाकर अपनी गुलाबी बुर की पत्तियों को मसलने लगी उसकी हरकत देखकर सूरज को इस बात का पता अब चला कि उसने पेंटी भी नहीं पहनी थी। इसे देख कर सूरज का लंड फोरन ठुनकी मारने लगा,,,
मंगल सूरज के लंड की तरफ देखते हुए बोली,,


ओ मेरे राजा अपनी बीवी की प्यास बुझा दे,, उसकी बुर में खुजली मची हुई है तुम्हारे लंड को लेने के लिए तड़प रही है बस अपने लंड को मेरी बुर में डाल कर चोद डालो मुझे,,,, अब मुझे बिल्कुल भी मत तड़पाओ मेरे राजा आ जाओ आ जाओ चढ़ जाओ मुझ पर,,,,
( अपनी मामी का बेहद कामुक निमंत्रण पत्र एवं अपने आप को रोक नहीं पाया और पलंग पर चढ़ गया उसे पलंग पर चढ़ता देखकर मंगल ने खुद ही अपनी टांगो को फैला दी,,,, बुर की गुलाबी पत्तियों को खुला हुआ देखकर उसके मुंह में पानी आ गया और वह अपनी मामी से बोला,,,।)

ऐसे नहीं मेरी मंगल रानी पहले मैं तेरी बुर के रस को अपनी जीभ से चाट कर पीऊंगा,,, उसके बाद तेरी रसीली बुर में अपना लंड डालकर तुझे चोदूंगा देखना आज मैं तेरी बुर के छेद को अपने लंड से और ज्यादा बड़ा कर दुंगा।

तो करना मेरे राजा तुझे इंकार किसने किया है न चाहत मेरी बुर को अपनी जीभ से चाट पूरा रस पीजा इसका,, (ऐसा कहते हुए मंगल अपनी कमर को ऊपर की तरफ उठा दी,,,,,, यह देख कर सूरज से रहा नहीं गया और वह अपनी मामी की बुर पर झुक गया मैं तुरंत अपनी जीभ को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच सटाकर चाटना शुरु कर दिया,,,,मंगल तुरंत सी सीयाने लगी,,, जैसे जैसे वह जीभ की चोट बुर की गुलाबी की पत्तियों पर मार रहा था वैसे वैसे उसका बदन उत्तेजना की लहर में कसमसा रहा था।
मंगल जोश में आकर सूरज के बाल को अपनी मुट्ठी में भींचकर जोर से उसके मुंह को अपनी बुर से सटाए हुए थी।
सससहहहहहह,,,,आाहहहहहहहहहह,,,, मेरे राजा बस ऐसे ही चाट,,,, ऊम्ममममममम,,,,, ओहहहहहहह मेरे सैंया,,,, आहहहहहह,,, चाट अपनी रानी की बुर को जोर-जोर से चाट,,,, खाजा मेरी बुर को,,, अपनी मामी की ऐसी बातें सुनकर सूरज और जोर-जोर से बुर में जीभ डाल कर चाटना शुरू कर दिया और थोड़ी ही देर में मंगल का पहला स्खलन हो गया,,,, जिसे सूरज बड़े चटकारे लेकर पूरा का पूरा गटक गया,,,,,

मंगल एक दम मस्त हो गई थी लेकिन अब उसे मोटे तगड़े लंड की जरूरत थी वह अपनी बुर मे सूरज का लंड डलवाना चाहती थी,,, जो कि इस बात को उसे बोलने की जरूरत नहीं थी यह सब उसके चेहरे के हाव भाव को देखकर साफ पता चल रहा था कि उसकी बुर में खुजली मची हुई थी,,सूरज की तड़प रहा था अपनी मामी की बुर में लंड डालने के लिए इसलिए वह तुरंत घुटनों के बल बैठकर दोनों हाथों को अपनी मामी की भराव दार गांड के नीचे ले गया और उसे उठाते हुए अपनी जांघ पर रख दिया,,,मंगल कि सांसे तीव्र गति से चलने लगी उसकी बुर उत्तेजना के मारे फुल कर गरम रोटी की तरह हो गई थी,,सूरज अपने लंड को पकड़ कर अपनी मामी की बुर में डालने की तैयारी कर रहा था और मंगल खुद अपने हाथों से अपने ब्लाउज के बाकी बचे बटन को खोल रही थी,,,,,सूरज उत्तेजना में एकदम सरोबोर हो चुका था एक पल का भी बिलंब ऊससे सह पाना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था । अपनी मामी को इस तरह से खुद ही अपने ब्लाउज के बटन खोल कर देख कर सूरज का लंड ठुनकी लेने लगा,,,सूरज अपने लड़के लंड को हाथ में लेकर उसे हिलाते हुए सुपाड़े का वार गुलाबी बुर की पत्तियों पर करने लगा,,,


सससससहहहहहह,,,, मेरे राजा अब इतना क्यों तड़पा रहा है बस डाल दे अपना पूरा लंड मेरी बुर में,,,( इतना कहते हुए मंगल अपने ब्लाउज के सारे बटन खोल चुकी थी,,, ब्लाउज के अंदर उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी जिससे पता चल रहा था कि मंगल कितनी ज्यादा उतावली थी वह कमरे में आते हैं अपनी ब्रा और पैंटी उतार चुकी थी,, ताकि उसे उतारने में व्यर्थ का समय ना गुजारना पड़े।)

ओह मंगल मेरी जान तुम्हारी बड़ी बड़ी चूचियां देख अगर तू ना जाने मुझे क्या होने लगता है मन करता है कि तुम्हारे बड़ी-बड़ी चुचियों को खा जाऊं,,,,,

खाजा मेरे राजा,,,,,, तुझे रोका किसने है लेकिन पहले अपना यह मुसल तो मेरी बुर में डाल बहुत बेचैन हो रही है मेरी बुर,,,,

देख रहा हूं मेरी रानी,,,( सुपाड़े को बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ते हुए) तेरी बुर का दाना बहुत ज्यादा फुदक रहा है।,,,

तो मुझे इतना क्यों तड़पा रहा है । (अपनी चूचियों को अपने दोनों हथेली में भरकर दबाते हुए),,,

तेरी बुर की गर्माहट अपने लंड पर महसूस कर रहा हूं देख रहा हूं कि तेरी बुर कितनी गरम है,,,,।

तो क्या महसूस हो रहा है तुझे,,,

यही कि तेरी बुर की गर्मी मेरे लंड को पिघला देगी,,,,

सससहहहहहहह,,,,,,, मेरे राजा यह बुर होती ही इतनी कमबख्त है कि किसी की शर्म नहीं भर्ती जो भी ईस पर स्पर्श होता है उसे पिघला देती है,,,, जरा संभलकर कहीं ऐसा ना हो कि वक्त से पहले ही तेरा लंड पिघल जाए और मैं प्यासी रह जाऊं,,,, ( जोर से अपनी चूची को दबाते हुए)

मुझ पर भरोसा रख मेरी रानी( लंड कै सुपाड़े को बुऱ की गुलाबी पत्तियों के बीच हल्के से दबाते हुए,,) मेरा लंड घोड़े के लंड के बराबर है जब तक तेरी बुर से पानी का फव्वारा दो तीन बार ना छुड़ा दे तब तक इसका पानी नहीं निकलने वाला,,,।

तो बस सूरज मेरे राजा अपनी मंगल को इस तरह से मत तड़पा डाल दे पूरा लंड मेरीे बुर में और जबरदस्त चुदाई कर दे मेरी बुर की,,,,

तू देखती जा मेरी रानी तेरी गुलाबी बुर को चोद चोद कर मैं कैसे लाल कर देता हूं,,,,
( दोनों मामी भांजे के बीच की सारी दूरियां सारे रिश्ते और सारे शर्मा मर्यादा की डोर पूरी तरह से तार-तार हो चुकी थी दोनों जिस तरह की अश्लील शब्दों में एक दूसरे से बात कर रहे थे इस बात का जरा भी एहसास तक नहीं हो रहा था कि वह दोनों रिश्ते में मामी भांजा हैं,,, बल्कि दोनों के व्यवहार को देखकर ऐसा ही लग रहा था कि दोनों पति पत्नी हो,,, प्यासी मंगल बिस्तर पर पीठ के बल लेटी हुई थी उसके दोनों हाथ उसकी खुद की चुचियों को दबा दबा कर उसका रस निचोड़ने में लगे हुए थे,,,, उसकी गुदाज मोटी मोटी जांघे सूरज की जांघों पर टिकी हुई थी दोनों के जांघों का स्पर्श दोनों के तन-बदन में जवानी का जोश भर दे रहा था।सूरज पूरी तरह से कूच करने के लिए तैयार हो चुका था,,,,

दो योद्धाओं के बीच खेले जाने वाले इस महायुद्ध के लिए रणभूमि पूरी तरह से तैयार हो चुकी थी,,,, अब देखना यह था कि इस रणभूमि में कौन सा योद्धा कितनी देर तक टिका रहता है,,,,सूरज अपने पूरे शस्त्र सरंजाम से युक्त होकर रणभूमि में उतर चुका था,,,सूरज ने अपने शस्त्र को अपने हाथ में लेकर अपने लक्ष्य को भेदने के लिए आगे बढ़ते हुए अपनी शस्त्र का अग्रभाग अपने लक्ष्य के मुखारविंदु पर सटा कर,, अपने सस्त्र पर अपनी ताकत का दबाव बढ़ाया और उसका शस्त्र अपने लक्ष्य को भेदते हुए,,, अपने लक्ष्य बिंदु के अंदर प्रवेश करने लगा सूरज का वार अचूक था जिसकी वजह से सामने का योद्धा धराशाई होता हुआ नजर आने लगा और लक्ष्य भेदन का दर्द ना सह पाने की वजह से,,, उसके मुंह से कराहने की आवाज आने लगी,,
महा योद्धा अपने आप को संभाल पाता इससे पहले ही सूरज ने अपने शस्त्र को पूरी तरह से अपने लक्ष्य को भेदने में पूरी ताकत लगाते हुए उसे जड़ तक उतार दिया,,, जिसकी वजह से सामने वाले योद्धा की चीख निकल गई और उसकी चीख सुनकर,,,,,सूरज के चेहरे पर विजयी मुस्कान तैरने लगी,, उसे अपने सस्त्र पर गर्व होने लगा क्योंकि उसे अपने शस्र पर पूरा यकीन था कि इसका वार कभी भी खाली नहीं जाता,,,,
सूरज का लंड उसकी मामी की बुर में जड़ तक गड़ चुका था। धीरे से अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा और लंड के टोपे को बुर के अंदर हल्का सा रहने दिया ताकि दोबारा वह बड़ी तेजी से अपने लंड को बुर के अंदर डाल सके,,मंगल अपने आप को संभाल पाती इससे पहले ही सूरज ने एक जोरदार और धक्का मारा लंड फिर से उसकी बुर की गहराई नापने लगा,,,,सूरज अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए अपनी मामी को चोदना शुरू कर दिया था,,,
सूरज की कमर बड़ी तेजी से हिलने लगी थी मंगल भी जवाबी कार्रवाई में अपनी भारी भरकम गांड को ऊपर की तरफ दम लगाकर उछाल दे रही थी जिसका असर सूरज पर बहुत गहरा हो रहा था वह अपने आप को संभाल पाने की स्थिति में बिल्कुल भी नहीं था उसका जोश आपे से बाहर हो रहा था।,,,सूरज गहरी सांस लेते हुए अपनी मामी की जबरदस्ती चुदाई कर रहा था और मंगल अपने ही हाथों से अपनी चुचियों का रस निकाल देने में लगी हुई थी दोनों एक दूसरे की आंखों में मदहोशी से देख रहे थे मंगल अपनी दोनों चुचियों को हथेली में पकड़कर अपने भांजे के आगे परोसते हुए उसे चूचियों को दबाने और पीने का आमंत्रण दे रहे थे यह आमंत्रण शब्दों में ना होकर महज इशारों में ही हो रहा था और यह इशारा सूरज बड़ी अच्छी तरह से समझ रहा था,,, वैसे भी चुदासपन का असर ही कुछ अलग होता है जो कि शब्दों में नहीं बस इशारों में ही बयां होता है,,,,सूरज भी अपनी मामी का इशारा और उसका आमंत्रण स्वीकार करते हुए उसकी तरफ झुकने लगा और अगले ही पल बड़ी बड़ी चूची को अपने हाथ में लेकर दबाना शुरु कर दिया जिसकी वजह से मंगल के मुंह से गर्माहट भरी सिसकारी निकल गई।
सससससहहहहहहह,,,, ओहहहहह मेरे राजा ऐसे ही दबाव जोर जोर से दबा पीछे मेरी चूचियों के रस को इस पर बिल्कुल भी रहम करना,,, यह बड़ी बेरहम है ना जाने कितने वर्षों से यह मुझे तड़पा रही है,,,,

तू चिंता मत कर मेरी जान अब तेरी चूचियां सही हाथ में आ गई है देखना में इसका क्या हश्र करता हूं,,,,,
( और सूरज अपनी मामी की चुचियों को जोर-जोर से दबाता हुआ) तू बहुत परेशान कर रही है मेरी रानी को मेरी मंगल को बहुत तड़पाती है तू अब देखना मैं तेरा कैसे रस निचोड़ता हूं,,,( ऐसा कहते हुए सूरज चूचियों को मुंह में भर कर पीने लगा और साथ ही अपनी कमर की रफ्तार को और ज्यादा तेज कर दिया उसकी बढ़ती हुई रफ्तार को देखकर मंगल अपने दोनों हाथ उसकी पीठ से नीचे की तरफ ले जाते हुए अपनी दोनों हथेलियों में सूरज की गांड को दबोच ली और उसके ऊपर नीचे होती हुई कमर के साथ साथ अपनी हथेलियों का भी दबाव उसकी गांड पर बराबर बनाए हुए नीचे से अपनी गांड को ऊछाल दे रही थी। दोनों बराबर एक दूसरे को टक्कर दे रहे थे सूरज का मोटा लंबा लंड बड़े आराम से फच फच करता हुआ उसकी मामी की बुर के अंदर बाहर हो रहा था जिसका आनंद बड़ी बखूबी से मंगल अपनी गांड को ऊपर की तरफ उछाल उछाल कर ले रही थी,
सूरज का कहना बिल्कुल सच साबित हो रहा था क्योंकि वह रणभूमि में ४५ मिनट से ज्यादा समय हो गया था जहां पर वह अपनी कला का जौहर दिखा रहा था और उसके हर बार पर मंगल म्हात होती हुई नजर आ रही थी,,,,सूरज किसी भी तरह से अपने आप को पीछे हटने के लिए विवश नहीं पा रहा था बल्कि वह जी जान लगाकर रणभूमि में टिका हुआ था। रणभूमि में हमेशा दो योद्धा एक दूसरे को परास्त करने में लगे होते हैं लेकिन इस रणभूमि में अपने सामने के योद्धा का दम और ताकत और हालात के साथ जुझने का पराक्रम देखकर,,
बेहद खुशी होती है इसलिए तो मंगल नाम की योद्धा अपने सामने वाले योद्धा की वीरता और पराक्रम को देख कर मन ही मन बेहद प्रसन्न हो रही थी।

जिस तरह से चुदवासा होकर सूरज ने अपने लंड को अपनी मामी के मुंह से बाहर खींचकर निकाला था उसे देखकर मंगल को ऐसा लग रहा था कि सूरज झड़ने के बिल्कुल करीब पहुंच गया है और वह शायद ज्यादा देर तक नहीं टिक पाएगा और ताश के पत्तों की तरह ढेर हो जाएगा,,, लेकिन उसके सोचने के विपरीत सूरज बराबर का टक्कर दे रहा था और बिना हतास हुए वह उसकी बुर पर चोट पर चोट लगाए जा रहा था।मंगल को सूरज की कही बात याद आ गई कि सच में उसका कहना एकदम सार्थक हो रहा था कि उसका लंड घोड़े का लंड है और जब तक दो तीन बार उसका खुद का पानी नहीं निकाल देगा तब तक उसका पानी नहीं निकलेगा और यह बात बिल्कुल सच साबित हो रही थी,,

क्योंकि मंगल की बुर एक बार पानी फेंक चुकी थी और दूसरी बार फेंतने की तैयारी में थी,,,सूरज पूरी ताकत के साथ अपनी मामी को हुमुच हुमुच कर चोद रहा था। उसके लंड की बड़ी-बड़ी गोलियां जब जब मंगल के नितंबों से टकरा रही थी तब तब ठाप ठाप की आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे सूरज लगातार अपनी मामी की चुचियों को बारी-बारी से चूस और दबा रहा था,,,, तभी एक जोरदार धक्के के साथ मंगल की बुर ने फिर से पानी फेंक दी,,,,मंगल की बुर पूरी तरह से पनिया चुकी थी जिसकी वजह से उसने से फच फच की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी,,,,,सूरज की सांसो की गति तेज चलने लगी थी वह अपनी मामी की बुर में जोर जोर से धक्के लगाते हुए बोले जा रहा था,,,


ले मेरी जान और ले ले मेरा पूरा लंड ले खाजा,,,,, मेरी मंगल रानी तू बहुत अच्छी है बहुत खूबसूरत है तेरी बुर और भी ज्यादा खूबसूरत है देख मेरा लंड कैसे तेरी बुऱ के अंदर बाहर हो रहा है,,,,।

हारे सूरज मेरे राजा तू बहुत मस्त चोेदता है तू बहुत चुदक्कड़ है आज तू एकदम मामीचोद बन गया है।।
( आज पहली बार से मैंने अपनी मामी के मुंह से इस तरह की गाली सुनी थी और यह गाली सुनकर सूरज का जोश दुगना हो गया था सूरज इस तरह की गाली की वजह से डबल जोश के साथ अपनी मामी की चुदाई करते हुए बोला,,,।)

हां मंगल रानी मैं मामीचोद हो गया हूं लेकिन तू भी एकदम गंदी हो गई है देख कैसे अपने भांजे से अपनी टांग फैलाकर चुदवा रही है,,,,, तू बहुत मस्त है मेरी जान,,,,( इतना कहते हुए और जोर जोर से धक्के लगाने लगा और १०,,,,१५ धक्कों के साथ ही वह भी अपने लंड की पिचकारी बुर के अंदर मार दिया।मंगल भी इसी के साथ ही एक बार और अपना पानी छोड़ दि,,,सूरज अपनी मामी की चुचियों पर डह पड़ा,,,,मंगल के साथ-साथ वह भी बुरी तरह से हांफ रहा था। दोनों के बदन पसीने से तरबतर हो चुके थे हालांकि मंगल के बदन पर अपनी भी कपड़े थे थोड़ी देर बाद दोनों शांत हुए मंगल अपनी नाजुक नाजुक उंगलियों से अपने भांजे के बालों को सहला रही थी और उसका लंड ढीला पड़कर अपने आप ही उसकी बुर से बाहर आ गया।मंगल के चेहरे पर संतुष्टि जनक एहसास साफ झलक रहा था वह पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी वह अपने भांजे के बालों को होले होले सहलाते हुए बोली,,,,

सूरज तू बहुत अच्छा लड़का है मैंने कभी सोची भी नहीं थी कि मेरी प्यास तू बुझाएगा,,, जिंदगी में पहली बार मुझे प्यार का मतलब समझ में आया है मेरे अंदर भी प्यार का एहसास होने लगा और वह प्यार मुझे तुझसे मिल रहा है मैं बहुत खुशनसीब हूं कि मुझे तेरे जैसा लड़का मेरे जीवन में आया,,,, (सूरज अपनी मामी की बात को गौर से सुन रहा था और धीरे-धीरे चूची को अपने मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया,,,।)
आहहहहहह क्या कर रहा है,,,,(सूरज ने निप्पल को हल्के से दांत से काट लिया जिसकी वजह से मंगल की आह निकल गई),,,

कुछ नहीं मेरी रानी मैं तो प्यार कर रहा हूं,,,,

तेरे प्यार करने का तरीका बड़ा घातक होता है,,,

ऐसा क्यों मेरी जान,,,, (वहं हाथ से चूची को दबाते हुए बोला।)

मुझसे प्यार करते समय कितना बेरहम हो जाता है तू तुझे इस बात का भी एहसास नहीं होता कि मुझे कितना दर्द करता है।(मंगल उसी तरह से उसके बालों को सहलाते हुए बोली,,,)

सूरज को मालूम था कि उसकी मामी किस बारे में बात कर रही है फिर भी अनजान बनते हुए बोला,,,


दर्द,,,,,, कैसा दर्द मेरी रानी,,,,,,

अब बंद मत ऐसे कह रहा जैसे कि तुझे कुछ पता ही नहीं है,,,

सही में मंगल मुझे कुछ भी नहीं मालूम तू किस बारे में बात कर रही है,,,।( वह दूसरी चूची को मुंह में भरते हुए बोला,,,)

अरे बुद्धू तब की बात कर रही हुं जब तू अपने लंड को मेरी बुर में डाल कर मुझे चोदता है,,,,,, तब मुझे बहुत दर्द करता है।

दर्द करता है (आश्चर्य के साथ) लेकिन जब मैं अपने लंड को तुम्हारी बुर में डालकर जोर जोर से चोद देता हूं तब तो तुम्हारे मुंह से,,,आाहहहहह,,,, ऊहहहहहहहहह,,,,,,, सससससहहहहहह,,, जैसी मस्ती भरी आवाजे आती है।

धत,,,,, वह तो जब मज़ा आने लगता है तब इस तरह की आवाज निकलती है उसके पहले तो दर्द करता है ना,,,,( थोड़ा रुक कर) लेकिन एक बात कहूं सुबह जब तक चुदाई में दर्द का एहसास नहीं होता तब तक चुदवाने में मजा भी नहीं आता,,,,

सच मेरी जान,,,,

हां रे मैं बिल्कुल सच कह रही हूं औरतों को चुदवाने में तभी मजा आती है जब मर्द के लंड से उसकी बुर में दर्द होने लगे उसके मुंह से चीख भरी आह निकल जाए,,,,, तभी तो चुदाई का असली मजा शुरू होता है,,,,,


मंगल मेरी रानी है सच बताऊं तो मुझे भी तभी मजा आती है जब तुम्हारे मुंह से इस तरह की आवाजें आने लगती है तब मेरे धक्के और भी ज्यादा तेज हो जाते हैं,,,, (सूरज की बात सुनते ही मंगल मुस्कुराने लगी,,, लेकिन तभी उसे उसकी जांघों के बीच चुभने का एहसास होने लगा वह समझ गई कि सूरज का लंड फीर से चोदने के लिए तैयार हो रहा है,,,, वह तुरंत अपना एक हाथ नीचे ले जा कर के अपने भांजे के लंड को पकड़े तो उसे इस बात का एहसास हो गया कि उसका लंड फिर से पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जो कि उसकी बुर के मुहाने पर रगड़ खा रहा था वह उसे हाथ में पकड़ते हुए बोली,,,,


मेरे राजा तेरा लंड तो एक बार फिर से देख कैसे खड़ा हो गया,,,


मंगल मेरी छम्मक छल्लो तू है इतनी कामुक कि तुझे देखते ही मेरा तो क्या मुर्दों का भी लंड खड़ा हो जाएं तेरी गर्म बातों ने मुझे फिर से तैयार कर दिया है,,,,

तो तेरा इरादा क्या है,,,,,( उत्तेजना बस होकर अपने होंठ को अपने दांत से दबाते हुए बोली)


मेरा इरादा तो बिल्कुल नेक है मैं फिर से तेरी लूंगा लेकिन इस बार पीछे से,,,,

हां वह तो देख ही रही हूं कि तेरे इरादे कितने नेक हैं,,,, चलो मैं भी तैयार हूं तुझे पीछे से देने के लिए क्योंकि मुझे भी बहुत मज़ा आता है जब तू मेरी पीछे से लेता है,,,,, लेकिन संभाल कर पीछे से मेरी बुर ही लेना कही मेरी गांड मत मार लेना,,,(इतना कह कर मंगल हसने लगी,,,, लेकिन सूरज अपनी मामी की मस्ती भरी बात सुनकर बोला।)

सच कहूं तो मंगल मेरी जान मैं जब भी तेरी बड़ी-बड़ी गोल-गोल गांड देखता हूं तो मेरा सबसे पहला मन यही करता है कि मैं तेरी गांड मारु,,,,

( अपने भांजे का इरादा सुनते ही वह जल्दी से बोली)

नहीं नहीं ऐसा मत करना मुझे बहुत दर्द होगा तू मेरी गांड का छेद तो देख ही रहा है कितना छोटा है तेरा लंड का सुपाड़ा कितना मोटा है एक बार गया तो तू मेरी गांड ही फाड़ देगा,,, नहीं मैं तुझे गांड मारने नहीं दूंगी,,,,,


औहहहह मंगल मेरी रानी मेरी बहुत इच्छा होती है पूरी गांड मारने के लिए काश मुझे तेरी गांड मिल जाती तो मजा ही आ जाता,,,,

देख तू अपना सारा ध्यान मेरी बुर पर ही लगा मेरी जान के बारे में जरा भी मत सोचना जब कभी इच्छा हुई तो जरूर तुझे अपनी गांड मरवाऊंगी लेकिन मुझे डर बहुत लगता है,,,, अभी तो सिर्फ मुझे चोद मेरी बुर की प्यास बुझा,,,, (मंगल सूरज बातों से एकदम उत्तेजित हो गई थी उससे रहा नहीं जा रहा था)


चल ठीक है कोई बात नहीं जिस दिन बहुत ज्यादा मन करेगा उस दिन मैं तेरी एक नहीं सुनूंगा चल अब जल्दी से घोड़ी बन जा,,,,( इतना कहते हुए सूरज अपनी मामी के बदन के ऊपर से उठ गया,,,मंगल भी बेहद चुदवासी हो चुकी थी,, वह भी जल्दी से बिस्तर पर से उठी और घोड़ी की तरह बन गई,, उसे भी बहुत जल्दी थी अपने भांजे के लंड को एक बार फिर से अपनी बुर में लेने के लिए,,,,सूरज के सामने उसकी मामी घोड़ी बनी हुई थी सूरज अपनी मामी को घोड़ी बनी देख कर उसे चोदने के लिए एकदम लालायित हो गया। गोल गोल बड़ी बड़ी गांड देखकर उसका मन उसकी गांड मारने को करने लगा लेकिन इस समय ऊसकी मामी तैयार नहीं थी इसलिए वह अपने मन की बात को दबा ले गया,,,, लेकिन अपनी मामी की गोरी गोरी चमकत़ी हुई गांड देखकर उससे रहा नहीं गया और वह दो चार चपत फिर से अपनी मामी की गोरी गांड पर लगा दिया,,,, जिसकी वजह से एक बार फिर से मंगल को मुंह से कराहने की आवाज आ गई लेकिन उसे भी इस तरह की चपत अपनी गांड पर पड़ता देख कर उसे बेहद आनंद की प्राप्ति होती थी,,,,

सूरज बिल्कुल भी देर किए बिना एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर अपनी मामी कि बूर के मुहाने पर रखकर जोरदार धक्का मारा और एक साथ में ही उसका पूरा लंड बुर के अंदर उतर गया,,,, दोनों हाथ से अपनी मामी की गदराई गांड को पकड़कर वह जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया।
आहहहहहह ऊहहहहहहहह कि गरम मस्ती भरी आवाजों के साथ मंगल भी चुदाई का मजा लेने लगी,,,, करीब ४० मिनट बाद जोरदार चुदाई करके सूरज फिर से अपनी पिचकारी बुर में ही छोड़ दिया,,,,,
दोनों तृप्त होकर वैसे ही एक दूसरे की बाहों में बाहें डाले सो गए,,,,
 
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सूरज और मंगल ने तो आज रात को सारी हदें पार करते हुए एक दूसरे को चुदाई काअद्भुत और अलौकिक सुख की प्राप्ति कराते हुए आनंद से पूरी रात गुजारी,,, इस तरह रात मंगल ने,,, आज तक कभी नहीं मनाई थी,,
सूरज अपनी मामी की फूली हुई कचोरी जैसी बुर पाकर बेहद प्रसन्न और आनंदित था,,,, और मंगल भी अपने भांजे को मजबूत और दमदार लंड से चुद कर और भी ज्यादा निखर गई थी। भांजे के रूप में उसे चारदीवारी के अंदर का प्रेमी और पति दोनों मिल चुका था जिसके साथ वह जब चाहे तब अपने बुर की प्यास बुझा सकती थी,,,,,,, कुछ दिनों से तो वह अपने पति बिलास को बिल्कुल भी भूल चुकी थी अब वह उसे मनाने या आकर्षित करने में कोई दिलचस्पी नहीं रखती थी और वैसे भी अब इसकी उसे जरूरत भी नहीं थी क्योंकि बिलास से बेहतर और जवान प्रेमी कहो या पति उसे मिल चुका था बिलास जी छोटे से और पतले लंड की कामना में जिसे रात रात भर करवटें बदल कर बिताना पड़ रहा था,,,
ऐसे हालात में उसे घोड़े जैसा दमदार लंड मिल चुका था तो,,,, छोटे से नुन्नी के लिए ,, भला वह ऊसे क्यो याद करती,,,,, मंगल की बुर में अब सूरज के लंबे तगड़े और दमदार मोटाई वाले लंड का सांचा बन चुका था जिसमें अब नुन्नी के लिए कोई स्थान नहीं था।,,,,
दूसरी तरफ गांव से बाहर गए हैं बिलास और पद्माके बीच पैसे की मांगनी को लेकर झगड़ा हो गया,,,
शहर के बाहर गोदाम में, बिलास ने पद्माके बदन पर के एक-एक करके सारे कपड़ों को उतार फेंका,,, पद्मा भी बिलास के कपड़े उतार रही थी कुछ ही सेकंड में दोनों पूरी तरह से नंगे हो गए लालटेन की दूधिया रोशनी में पद्मा के गोरे बदन को चमकता देखकर बिलास के लंड में सुरसुराहट होने लगी,,,, पद्मा अपनी जवानी के जलवे बिखेरते हुए अध खड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ कर हिलाते हुए उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, पद्मा की यह अदा देख कर तो बिलास एक दम मस्त हो गया वह हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में दोनों के बदन में सुरूर चढ़ने लगा,,,, बिलास पद्मा की बांह पकड़ कर उसे खड़ी किया,,,, और झट से उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,, पद्मा का वजन ५० से ५५ किलो के लगभग था लेकिन फिर भी जवानी की जोश में चुदवासा होकर बिलास ने उसे बड़े आराम से अपनी गोद में उठा लिया,,,,,, और सीधे ले जाकर पलंग पर पटक दिया नरम नरम गद्दे पर पद्मा गिरते ही किसी गेंद की भांति उछल गई जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां टोकरी में रखे फल की तरह इधर-उधर होने लगी,,, जिसे बिलास अपने दोनों हाथ बढ़ाकर जल्दी से झपट लिया और उसकी टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाकर अपने लंड को उसकी बुर के मुहाने पर रखकर,, धीरे-धीरे बुर के अंदर सरकाना शुरू कर दिया,,, और थोड़ी ही देर में उसका पूरा लंड पद्मा की बुर में समा गया,,, बिलास पूरी तरह से जोश से भर चुका था और इसी पल का इंतजार रहता कर रही थी जैसे ही वह अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए उसे चोदना शुरू किया ही था कि पद्मा अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ कर एक तरह से उसे रोकते हुए बोली,,,,,

ऐसे नहीं करने दूंगी जान,,,

क्यों क्या हुआ,,, (पद्मा द्वारा इस तरह से रोके जाने पर बिलास झुंझलाहट भरे स्वर में बोला)

क्या कर रही हो पद्मा,,,,


ऐसे नहीं करने दूंगी पहले तुम भी मुझे तोहफा देना होगा,,,

अरे ले लेना तोहफा अब गांव से इतनी दूर तुम्हें चोदने के लिए लाया हूं चोदने तो दो,,,,

हमें जानती हूं तुम गांव से इतनी दूर मुझे इस गोदाम में चोदने के लिए लाए हो,,, इसलिए तो मैं तुमसे कह रही हूं कि मुझे भी बाहर जाने के रूप में आज तोहफा तो मिलना चाहिए,,,,,


हां दे दूंगा मैं तुम्हें तोहफा लेकिन ऐसे मौके पर मुझे रोक कर मेरा मूड मत खराब करो,,,

मुझे ५०००० हजार का सोने का हार बनवाना है,,,,

क्या तुम पागल हो गई हो अभी पिछले हफ्ते तो मैंने तुम्हें रुपया दिया हूं और आज फिर से तुम पैसे मांग रही हो,,,
( ५०००० हजार की बात सुनते ही आश्चर्य के साथ बिलास बोला,,,।)

हमें जानती हूं कि तुम मुझे पैसे दिए थे लेकिन वह मेरी जरूरत थी लेकिन आज तो मैं तुमसे तोहफे के रुप में मांग रही हुे मेरे राजा,,,,

तुम्हें मालूम भी है कि तुम तोहफे में क्या मांग रही हो,,,,

मैं जानती हूं और बड़े अच्छे तरीके से जानती हो कि मैं तुमसे क्या मांग रही हूं और यह मेरा तुम पर हक भी है मांगना क्योंकि मैं तुम्हारी प्रेमिका हूं प्रियंका क्या तुम्हारी आधी घरवाली है जिसे तुमने अपने लिए रखेल बनाकर रखा हुआ है,,,,
( पद्मा अपनी अदाओं का जादू चलाने लगी वह जानती थी कि,,, किस तरह से बिलास को पैसे देने के लिए मनाना है इसलिए वह जितना लंड उसकी बुर में घुसा हुआ था वह नीचे हाथ लगा कर लंड को पकड़कर हल्के हल्के बुर में ही आगे पीछे करने लगी उसकी इस हरकत से बिलास एकदम बेकाबू हो गया वह पद्मा को चोदने के लिए मचलने लगा,,, और उसे चोदने के लिए कैसे ही अपनी कमर को नीचे की तरफ बढ़ाया,, पद्माने फिर से उसे रोक दी और उसे रोकते हुए बोली,,,।)
ऐसे नहीं डालने दूंगी,,, मे जानती हुं की तुम्हारा लंड तड़प रहा है मेरी दूर के अंदर जाने के लिए। और सच बताऊं तो मेरे राजा मेरी बुर भी तड़प रही है तुम्हारे लंड को लेने के लिए,,,,
(पद्मा अच्छी तरह से जानती थी कि इस तरह की बातें सुनकर बिलास पागल हो जाता है उसे ऐसी बातें बहुत ही अच्छी लगती है जब उसको चुदवाते समय गंदी बातें करो तो वह उस समय कुछ भी करने को तैयार हो जाता है और इसका असर बिलास पर भी अच्छी तरह से हो रहा था,,, वह पद्माकी मस्ती भरी बातें सुनकर एकदम से चुदवासा हुआ जा रहा था,,,,, वह पद्मा की बुर में अपने लंड को अंदर बाहर करके चोदने के लिए मरा जा रहा था,,,पद्मा एक बार फिर से अपनी बात मनवाते हुए उसे बोली,,)
बोलो मेरे राजा मेरी ख्वाइश पूरी करोगे ना मुझे सोने का हार बनाने के लिए ५०००० हजार दोगे ना,,,,
( इतना कहते हुए पद्माने बिलास के दोनों हथेलियों को अपने दोनों बड़े-बड़े खरबूजे पर रख दी जिस पर हाथ पड़ते ही बिलास से रहा नहीं गया और वह जोर जोर से दबाना शुरु कर दिया और उसे दबाते हुए बोला,,,।)
हां ले लेना मेरी जान मैं तुम्हें सोने का हार बनाने के लिए पैसे दूंगा लेकिन अब मुझे चोदने दो,,,
( पद्माका काम बन चुका था एक बार फिर से वहां उसे चुदवासा करके उससे पैसे ऐंठने में कामयाब हो गई,, इसलिए जिस हांथ से वह बिलास की कमर को पकड़ कर उसे रोके हुए थी,,, उसी हाथ को वह कमर से हटाकर उसके नितंबों पर रखकर ऊसका दबाव अपनीे बुर पर बढ़ाते हुए बोली,,,।

रोका किसने है मेरे राजा अपने तो अपने लंड को मेरी बुर की गहराई में मुझे मस्त कर दो,,,


इतना सुनते ही बिलास जोर-जोर से अपने लंड को पद्माकी बुर के अंदर बाहर करते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया,,, कमरे में पद्माकी सिचकारी की आवाज गूंजने लगी,,,, बिलास पद्माको जोर जोर से जोर देना शुरु कर दिया पूरा कमाल दिखाते हुए पद्माने बिलास को एकदम पागल बना दी,,,, थोड़ी ही देर में वह जोर जोर से चिल्लाते हुए अपना पानी छोड़ने लगी फिर उसके बाद २,,,४ धक्को मे हीं बिलास भी अपना पानी निकाल कर उसके ऊपर भी निढाल हो गया,,,,
बिलास का लंड अपनी बुर में लेकर जोर जोर से चिल्लाते हुए चुदवाना यह पद्माका बहुत बड़ा नाटक था,,,, बिलास को यह जताने की पूरी कोशिश करा देती कि उसका लंड लेकर उसे बुर में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है,,,, और वह जान बूझकर गरम गरम सिचकारी अपने मुंह से छोड़ते हुए,,,, बिलास का हौसला बढ़ाते हुए यह जताने की कोशिश करती कि उसका लंड लेकर उसे चुदवाने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही है और वह एक दम मस्त हो गई है,,, और जैसा वहां जताने की कोशिश करती थी बिलास उस पर पूरा भरोसा करते हुए और जोर-जोर से अपने लंड के धक्के उसकी बुर में लगाता था वह यही सोचता था कि पद्माको उसके लंड से चोदने में बहुत मजा आता है लेकिन सच इसके विपरीत था,, पद्माजेसी चुदक्कड़ औरत के लिए बिलास का छोटा और पतला लंड कोई मायने नहीं रखता था,,,, पद्माको मोटे लंबे लंड से चुदने की आदत थी और मोटे लंड से चुदने में उसे बेहद आनंद मिलता था,,,, बिलास के साथ वह तो सिर्फ एक नाटक ही करती थी उसके पैसे ऐंठने के लिए,,, और अब तक वह अपनी अदाओं का जादू और जबरदस्त नाटक की बदौलत बिलास से लाखों रुपए ऐंठ चुकी थी,,,। हालांकि यह बात धीरे-धीरे बिलास को समझ में आने लगी थी लेकिन वह इतना ज्यादा चुदास से भरा रहता था कि पद्माकी हर एक अदा पर लाखों रुपए लूटाने के लिए तैयार हो जाता था वह आज की रात को भी उसे पैसे देने के लिए राजी हो गया,,,

दूसरी तरफ मंजू की हालत खराब थी अब तो रात दिन उसके दिमाग में बस सूरज हीें छाया रहता था,, उसके लंड की ठोकर को साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर पर महसूस करके वह सूरज के लंड की ठोकर को भूल नहीं पा रही थी बार-बार उस,,लंड की ठोकर को अपनी बुर पर महसुस करके वह गीली हो जा रही थी,,, वह मन में इस बात से और भी ज्यादा उत्साहित और उत्तेजित हो जा रही थी कि जब साड़ी के ऊपर से ही उसका ताकतवर लंड बुर के द्वार पर दस्तक दे देता है,, तब वह जब ऊसके नंगे लंड को अपनी बुर के अंदर महसूस करेगी तब उसका क्या हाल होगा,,,, यह सोचकर ही मंजू ना जाने कितनी बार पानी छोड़ दी थी। अधिकतर हालातों में औरतों का चरित्र उसकी २ इंच की बुर में छिपी होती है जब तक उसके अंदर कुलबुलाहट नहीं होती तब तक वह एकदम सीधी सादी और संस्कारी बनी रहती है।
लेकिन जैसे ही बुर के अंदर कुलबुलाहट और खुजली मचने लगती है तब,,, औरत बुर के अंदर की खुजली मिटाने के लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हो जातीे हैं,,, ठीक उसी तरह के हालात दोनों औरतों के सामने पैदा हो चुके थे और उनमें से एक औरत ने तो सारी हदें पार करके अपने भांजे से ही शारीरिक संबंध बनाकर अपनी बुर की खुजली मिटाने का सारा जुगाड़ जमा ली थी। और दूसरी उसका लंड पाने के लिए तड़प रही थी,,,, पेसे से दोनों औरते संस्कारी थी इसलिए कोई सोच भी नहीं सकता था कि सामाजिक स्तर पर इतने ऊंचे होद्दे पर होते हुए भी,,, दोनों औरतें अपनी वासना के आगे विवश होकर इस तरह के भी कदम उठा सकतीे हैं,,,। खेतो में अब मंजू को अधिकतर,,,सूरज का ही इंतजार रहता था उसकी आंखें उसी को ढुंढ़ती थी,,, और इस बात का ख्याल भी रखती थी कि कहीं उसकी ताका-झांकी का पता सूरज की मामी मंगल को ना हो जाए,,,
 
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इसे ही एक दिन सूरज को खत से खेतो की खाद का बिल मिला था जिस पर उसे उसके मामा का अंगूठा लगाके दुकान से खाद लेना था,, जिसके लिए सूरज घर आ गया लेकिन घर पर आकर केवल उसे उसकी मामी ही नजर आती थी उसकी खूबसूरती का रसपान करते हुए चार-पांच दिन बीत गए लेकिन उसने बिल पर अपने मामा के अंगूठा नहीं लिया,, बिल पर अंगूठा लेने की अंतिम तारीख थी,, क्योंकि उसे दुकान में देकर जमा करकर खेतो के लिए खाद लेना थी,, लेकिन वह भूल गया था और उसके मामा घर से गोदाम चले गए थे,,,,, वह उस बिल पर अपने मामा के अंगूठा कराने के लिए अपने मामा के गोदाम की तरफ निकल गया।
दूसरी तरफ चार-पांच दिन गुजर जाने की वजह से पद्माभी परेशान हो चुकी थी क्योंकि उसे अभी तक रकम नहीं मिली थी। क्योंकि बिलास उसे पैसे नहीं देना चाहता था जब पद्मा करीब नहीं होती थी तो वह इस बारे में जरूर सोचना था और उसे लगने भी लगा था कि वह काफी पैसे उसके ऊपर लुटा चुका है और उसकी लालच और ज्यादा बढ़ती जा रही है,,
लेकिन जब पीड़िता उसके करीब होती थी तो वह सब कुछ भूल जाता था,,, गोदाम में अपना काम करते हुए बिलास मन में ठान लिया था कि इस बार वह पद्माको पैसे नहीं देगा चाहे जो भी हो जाए अगर ऐसा हुआ तो वह साफ-साफ उसे कहकर काम से निकाल देगा और दूसरी तरफ पद्मा बाहर में बैठ कर उस पैसे के बारे में ही सोच रही थी,,, वह उठकर बिलास के कमरे में जाने लगी,,, क्योंकि वह जानती थी कि बिलास से किस तरह से पैसे लेने हैं,,, पद्माके दरवाजा खोलकर कमरे में प्रवेश कि,, बिलास अलमारी म से कोई खाता ढूंढ रहा था,,,, पद्मा बिना कुछ सोचे समझे पीछे से जाकर बिलास के बदन से लिपट गई,,, और उससे लिपटते हुए बोली,,, बिलास मेरी जान कुछ दिनों से तो मेरे ऊपर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हो क्या कोई और मिल गई है तुम्हें (इतना कहते हुए वह अपना हाथ नीचे ले जाकर पेंट के ऊपर से बिलास के लंड को सहलाने लगी,,, बिलास समझ रहा था कि वह क्या करने आई है लेकिन वह उसकी उंगलियों के जादू से बच नहीं सका क्योंकि कुछ ही सेकंड में उसके लंड में हरकत होना शुरू हो गई,,,,, और पद्मा धीरे से उसकी पेंट की बटन खोलकर एक झटके से ही चड्डी सहित उसके पैंट को घुटनों तक सरका दी,,, और बिलास को अपनी तरफ घुमा दी,,,, एक हाथ से उसका लंड पकड़ कर ही लाते हुए उसके होठों को चूमने लगी बिलास की हालत उसकी इस हरकत से और ज्यादा खराब होने लगी,,, बिलास उत्तेजित होकर अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर पद्मा की चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा पद्मा समझ गई कि अब यह एकदम चुदवासा हुए जा रहा है,,, तभी उसकी तड़प को और ज्यादा बढ़ाते हुए पद्मा बिलास से दो कदम पीछे हटी और उसके सामने ही अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी बिलास अपना लंड पकड़ कर यह नजारा देखकर और ज्यादा मस्त हुए जा रहा था। कभी पद्माने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दि और अपनी पैंटी को नीचे की तरफ सरकाते हुए जांघों में फंसा दी,,, बिलास की नजर पद्माकी चिकनी बुर पर पड़ते ही वह एकदम से चुदवासा हो गया पद्माने जान बूझकर अपनी बुर को आज साफ की थी,,,, बिलास पद्माकी तरफ आगे बढ़ता इससे पहले ही पद्मा उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई,,, बिलास को समझ पाता इससे पहले ही वह अपनी नजरें पीछे घुमा कर बिलास की तरफ मादक मुस्कान बिखेरते हुए देखती हुई टेबल के ऊपर झुक गई और अपनी भारी-भरकम गांड को बिलास के सामने परोस दी,,, पद्माकी यही कामुक अदाएं बिलास की जान ले लेती थी बिलास से रहा नहीं गया और वह पद्माकी तरफ अपना लंड पकड़े आगे बढ़ा,,, पद्मा समझ गई थी कि वह अब एकदम से चुदवासा हो गया है। बिलास आगे बढ़कर पद्माकी गांड को दोनों हाथों से थाम लिया,,, पद्मा समझ गई कि अब वह लंड डालने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका है, वह अपना लंड ऊसकी बूर से सटाता इससे पहले ही,, पद्माअपनी गांड को आगे की तरफ सिकोड़ ली,, और वह अपनीे गांड को सिकोड़ते हुए बोली,,,

तुम अब बदल गए हो बिलास तुम मुझ पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते,,,,

ऐसा क्यों कह रही हो जान मैं तुम पर बराबर ध्यान देता हूं,,,

नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है तो मुझ पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते कुछ दिनों से तो तुम मुझसे बात तक नहीं कीए हो,,

ऐसा कुछ भी नहीं है पद्मा,,,, तुम्हें गलतफहमी हो रही है । (इतना कहते हुए वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर पद्माकि बड़ी-बड़ी गांड को पकड़ना चाह रहा था कि तभी वह उसका हाथ झटकते हुए बोली,,,)

गलतफहमी मुझे नहीं,,,, बल्कि तुम सच में बदल गए हो,,, व
उस रात मैं अपना परिवार अपने पति को छोड़ कर तुम्हारे साथ गांव के बाहर गई सिर्फ तुम्हें खुश करने के,,, लिए,,, तुम्हारी खुशी की खातिर में अपने परिवार को बार-बार छोड़ कर तुम्हारे साथ कहीं भी चल देती हूं,,,,

यह तुम क्या कह रही हो पद्मा मुझे बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा है । (इतना कहते हुए एक बार फिर से पद्माकी भराव दार गांड को थामने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि फिर से वह उसका हाथ झटकते हुए बोली,,,,)
उस रात तुमने मुझे कुछ भी नहीं दिया सिवाय झूठे वादे के,,,,,


नहीं जान ऐसा कुछ भी नहीं है मैं तुम्हें झूठा वादा नहीं दिया हूं (इतना कहते हुए बिलास फिर से उसकी मतवाली गांड पर अपना हाथ रखने चला लेकीन इस बार पद्माने उसके हाथ को झटकी नहीं,,,, वह अपनी नंगी गांड पर उसके हाथ को रखने दी,,, पद्माकी मस्त नंगी गांड पर अपने दोनों हाथ रखते ही उसका जोश बढ़ने लगा और वह कसकर रिता की गांड को अपनी हथेली में भरकर दबाने लगा,,, ऐसा करते ही बिलास को लगने लगा कि पद्मा नरम पड़ रही है और एक कदम आगे बढ़कर धीरे से अपने लंड को पद्मा की बुर के मुहाने सटा दिया,,,, लेकिन इस बार भी पद्माने उसे कुछ नहीं बोली बस अपनी नजरें पीछे की तरफ घुमा कर बिलास की हरकत पर नजर रखते हुए बोली,,,,

बिलास तुम मुझे धोखा दिए हो,,

नहीं जान ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मैं भला तुम्हें क्यों धोखा दूंगा,,,,

तो तुमने उस रात को मुझे ५०००० हजार देने का वादा किया था लेकिन अब तक पैसे के बारे में मुझसे कोई जिक्र तक नहीं किए हो,,,,

पद्मा तुम मुझे गलत समझ रही हो कुछ दिनों से मैं बहुत परेशान हूं इसलिए तुम्हें पैसे नहीं दे पाया तुम तो जानती हो ब्याज के धंधे में कितना काम रहता है,,,( इस बार बिलास ने अपने लंड के सुपाड़े को पद्माकी पनियाई बुर के अंदर उतार दिया,,, उसे लगने लगा कि पद्मा चोदने के लिए बिल्कुल तैयार हो चुकी है इसलिए उसका विरोध नहीं कर रही है लेकिन उसके सोचने के बिल्कुल विपरीत पद्माएक हाथ पीछे ले जाकर बिलास के लंड को पकड़कर अपने हाथ से ही अपनी बुर से बाहर निकाल दि,,,, और लंड को अपनी बुर से बाहर निकालते हुए बोली,,,,

नहीं मैं वैसे झूठे इंसान के साथ कोई भी संबंध रखना नहीं चाहती (इतना कहते हुए पद्मा खड़ी हो गई और अपनी साड़ी को नीचे कर दी,,, बिलास पद्माकी हरकत से एकदम से तड़प उठा क्योंकि अभी भी उसके लंड पर से पद्माके मदन रस की बूंदे टपक रही थी, वह एकदम से चुदवासा हो गया था ओर पद्मा की बुर में लंड डालने के लिए तड़प रहा था,,,, वह एक हाथ में लंड थामे पद्मा को बोला,,,
 
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ऐसा मत करो जान तुम मेरे लिए सब कुछ हो,,,, तुम अच्छी तरह से जानती हो कि अब तक मैंने तुम्हारी सारी जरूरतों को पूरी करते आया हुं,,,, तुम्हारी यह जरूरत भी मैं पूरी कर दूंगा तुम इतनी जल्दी नाराज हो जाती हो यह मुझे अच्छा नहीं लगता,,,,

अच्छा तो मुझे भी नहीं लगता बिलास लेकिन क्या करें तो मुझे एकदम मजबूर कर देते हो मैंने तुम्हें सब कुछ दे चुकी हूं अपनी इज्जत तक तुम्हें दे चुकी हूं लेकिन तुम्हें मेरी जरा भी फिक्र नहीं है,,,,,

मुझे तुम्हारी बहुत फिक्र है पद्मा(इतना कहते हुए वह अपने दोनों हाथ से पद्माकी साड़ी ऊपर सरका ने लगा तो पद्माने फिर से उसका हाथ दूर झटक दी,,, )

रहने दो बिलास तुम्हें अगर मेरी जरा भी इज्जत होती मेरी बात मानते तो मुझे कब से ५०००० हजार दे दिए होते सोने का हार बनवाने के लिए,,,,


तुम्हें मना कब कर रहा हूं तुम्हें देने के लिए तो तैयार हूं,,, तुम मुझे बस अभी चोदने दो मैं तुम्हें ५०००० हजार दूंगा,,,

नहीं तुम फिर झूठ बोल रहे हो चोदने के बाद फिर भूल जाओगे,,

नहीं भूलूंगा मुझे तड़पाओ मत देखो मेरा लंड कितना तड़प रहा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए,,,,
( यही तो पद्मा चाहती थी वह जानबूझकर सब कुछ कर रही थी वह बिलास को अपना खूबसूरत बदन और अपनी बुर पर उसके लंड का स्पर्श करा कर जानबूझकर उसके लंड को बाहर खींच दी थी,,,, पद्मा बिलास को उसकी बुर पाने के लिए एकदम विवस देखना चाहती थी जो कि वह हो चुका था,,, इसी पल का वह इंतजार कर रही थी वह जानती थी कि ऐसे मोड़ पर पहुंच कर वहं जरूर उसे पैसे देने के लिए तैयार हो जाएगा,,,, उसका चलाया तीर निशाने पर लगा था। वह फिर से अपने बातों के जादू में उसे उलझाते हुए बोली,,,।

देखो बिलास तुम तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो क्योंकि इस बार तुम अगर मुझसे झूठ बोले तो मेरा और तुम्हारा रिश्ता नहीं खत्म हो जाएगा तुमको हमारे प्यार का वास्ता है अगर इस बार तुम झूठ बोले,,,


नहीं मेरी जान मैं कभी झूठ नहीं बोलता ना आप बोल रहा हूं मैं बिलकुल सच बोल रहा हूं बस मुझे चोदने दो,,,,

तुम कहते हो तो इस बार तुम पर भरोसा करके तुम्हारी बात मान जाती हूं,,,,

मेरी जान,,, बस अपनी सारी को ऊपर करो और झुक जाओ,,,,
( पद्मा एक बार फिर से अपने हुस्न के जादू से बिलास से अपनी बात मनवा ली थी और जल्दी से अपनी साड़ी को ऊपर कमर तक उठा कर फिर से टेबल पर झुक गई,,,, पद्माकी मस्त गांड देखकर बिलास से रहा नहीं गया और वह अपने लंड को पद्माकी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया एक बार फिर से पद्माझूठ-मूठ का बिलास की चुदाई से सिसकने लगी,,,, वह जोर-जोर से अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेलकर बिलास का मजा दुगना कर रही थी,,,

ओ मेरी जान पद्मा तुम बहुत मस्त हो मैं तुम्हारी तरह ही बीवी चाहता था तुम बहुत अच्छी औरत हो जब से तुम मेरी जिंदगी में आइ हो तब से मेरी जिंदगी में बहार आ गई है,,,,,आााहहहहहह आहहहहहह,,,, पद्मा बहुत मजा आ रहा है।

हां जान मुझे भी बहुत मजा आ रहा है चुदाई का असली मजा मुझे तुम्हारे लंड से ही आता है,,,,आहहहहहहह,,, आहहहहहहहहह,,,, बिलास और जोर से और जोर से चोदो मुझे,,,,,
( अपने कमरे में बिलास पद्माको चोदकर मस्त हुए जा रहा था पद्माभी उसका पूरा सहयोग करते हुए उसके लंड का मजा ले रही थी,,, बाहर बाकी मजदूर और पूरी दुनिया से बेखबर होकर दोनों एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश कर रहे थे,,,,, कि तभी अचानक कमरे का दरवाजा खुला,,, पद्मा और बिलास की नजरें एक साथ दरवाजे की तरफ घूमी और सूरज अंदर का नजारा देखकर एकदम हैरान रह गया किसी भी भांजे के लिए यह नजारा बेहद आश्चर्यजनक रूप से हैरान कर देने वाला ही था क्योंकि उसका मामा अपने ही यहाँ काम कर रही औरत की चुदाई कर रहा था। सूरज आंखें फाड़े कमरे में अपने मामा की करतूत को देख रहा था,,, उसका मामा पद्मा को चोद रहा था जो कि वह खुद टेबल पर झुकी हुई थी और उसकी सारी पूरी कमर तक उठी हुई थी, और उसकी लाल रंग की पेंटी उसकी जांघों में फंसी हुई थी,,, सूरज साफ-साफ देख पा रहा था कि उसके मामा का लंड उस औरत की बुर में जल्दी-जल्दी अंदर बाहर हो रहा था,,, और वह भी समझ गया कि जिस तरह से दोनों हांप रहे थे दोनों का पानी निकलने ही वाला था,,,, बिलास के साथ-साथ पद्मा भी इस तरह से ऑफिस का दरवाजा खुलने पर एकदम हड़बड़ा से गए थे,,,,, तीनों की नजरें एक दूसरे को देख रही थी यह नजारा देखकर सूरज पल भर के लिए एकदम शर्मिंदा हो गया क्योंकि उसे अपने मामा से ऐसी उम्मीद नहीं थी,,, वहां खड़ा रहना और ऐसे हालात में अपने मामा से बिल पर अंगूठा लेना उसे ठीक नहीं लगा और वह वहां एक पल भी रुकना गवारा नहीं समझा और वापस लौट गया,,, बिलास की हालत ऐसी हो गई थी कि बिना धक्के मारे ही उसका पानी निकल गया,,,,

पद्मा अपनी पैंटी को ऊपर चढ़ाते हुए आश्चर्य के साथ बिलास से बोली,,,,

यह लड़का कौन था बिलास,,,,,
( इस बार बिलास पद्मा पर गुस्सा होते हुए बोला)

वह मेरा भांजा था लेकिन पद्मा तुमने जो आज गलती की हो यह गलती मेरी जिंदगी में ना जाने कैसा तूफान लाएगी,,, ठिकसे दरवाजा ठीक से बंद नहीं होता,,,,

मुझ पर चिल्लाओ मत बिलास जितनी गलती मेरी है उतनी गलती तुम्हारी भी है,,,,,, आप अपने वादे के मुताबिक मुझे ५०००० हजार दो,,,

अभी तुम जाओ पद्मा मैं बाद में तुम्हें दे दूंगा अभी मेरा मूड खराब है,,,,
( पद्मा ऐसे हालात में पैसे मांगने पर जोर देना ठीक नहीं समझी क्योंकि वह जानते थे कि गलती उसकी है इसलिए शांति से उसकी कमरे से बाहर निकल गई,,,,)
 
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सूरज अपने मामा के गोदाम से वापस लौट आया था। कमरे के अंदर का नजारा देखकर उसके चेहरे के हाव भाव साफ बता रहे थे कि, वह उस नजारे की वजह से हैरान और परेशान था। उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था और ना ही अपने मामा से इस तरह की उम्मीद थी।,,, वह रास्ते पर अपने मामा के बारे में और उस नजारे के बारे में सोचता हुआ चला जा रहा था,,,, अब उसे इस बात का बिल्कुल भी ख्याल नहीं था कि उसे बिल पर उसके मामा का अंगूठा लेना हे,,,, वह तो बल्कि एकदम सदमे में था क्योंकि जो भी हो वह अपने मामा को बहुत ही अच्छा इंसान समझता था और उन्हें बेहद इज्जत देता था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने उसके मामा का जो चेहरा सामने आया था इस चेहरे को देख कर सूरज काफी परेशान हो गया था। अभी तक वह अपने मामा के चरित्र को लेकर किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा था,,,
उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था और वह खेतो के किनारे पेड़ के नीचे रखे पत्थर पर बैठ गया,,, और अपने मामा के बारे में सोचने लगा उसे इस बात का ख्याल आने लगा कि उसकी मामी ने उसे यह बात जरूर बताई थी कि उसके मामा उसकी मामी को प्यार नहीं करते ना ही उनकी जरूरतों का ख्याल रखते हैं। धीरे-धीरे उसे अपने मामा के चरित्र के बारे में समझ आने लगा था। क्योंकि सूरज अब पूरी तरह से जवान होने की कगार पर पहुंच चुका था और तो और मर्दों का संबंध औरतों से किस प्रकार का होता है,,, ऐसे रिश्तो के बारे में वह अपनी मामी से सीख चुका था और यह समझते उसे बिल्कुल भी देर नहीं लगी कि उसके मामा का संबंध उस औरत के साथ बिल्कुल नाजायज था,,,

धीरे-धीरे ऊसको यह समझ मे आने लगा कि उसकी मामी के साथ के मामा क्यों ऐसा कर रहे हैं। क्यों उसकी मामी अंदर ही अंदर इतना घूटती रहती थी आखिर क्यों इतने वर्षों से वहं प्यासी ही रह गई,,,,, आखिर क्यों उसकी मामी को अपने ही भांजे से चुदने के लिए मजबूर होना पड़ा,,,,,
सूरज की आंखों के सामने बार-बार कमरे का नजारा घूम जा रहा था जो कि इस बात को भी झुठला या नहीं जा सकता था कि गोदाम के अंदर का नजारा उसके बदन में गर्मी पैदा कर दिया था,,,, क्योंकि जैसे ही वह कमरे का दरवाजा खोला था सामने ही टेबल पर खूबसूरत औरत गोरे बदन के तीखे नैन नक्श वाली अपने गदराए बदन को लेकर टेबल पर झुकी हुई थी,,, उसकी साड़ी ऊपर कमर तक चढ़ी हुई थी जिसकी वजह से उसकी नंगी बड़ी-बड़ी गांड साफ नजर आ रही थी। और उसकी पैंटी उसकी जांघों में फंसी हुई थी,,,, सूरज ने एकदम साफ साफ उस नजारे को देख पाया था कि उसके मामा का लंड ऊसकी बुर मे बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रहा था और इन दोनों के चेहरे के हाव भाव को देख कर ऐसा ही लग रहा था कि दोनों कमरे के अंदर चुदाई में पूरी तरह से मग्न होकर उस पल का आनंद उठा रहे थे,,, और तो और चुदाई की वजह से उस औरत की सिसकारी भी छुट़ रही थी,,,
उस नजारे को याद करके सूरज के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, सूरज एकदम कामोत्तेजित हो चुका था अगर गोदाम में चुदाई कर रहे हैं उसके मामा की जगह कोई और होता तो शायद उस पल के बारे में सोच-सोच कर और ज्यादा आनंदित अपने आपको महसूस कर पाता लेकिन उस शख्सियत उसके खुद के मामा है इस बारे में जानकर उसके मन में चिंता की भावना उठने लगी थी,, सूरज के मन में अब यह बात पक्के तौर पर घर कर गई कि उसके मामा ऊसकी मामी को धोखा दे रहे थे,,,

बार-बार उसकी आंखों के सामने उसके मन मस्तिष्क को विचलित कर देने वाला लेकिन बड़ा ही कामुकता से भरा हुआ नजारा नाच जा रहा था,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर उसकी आंखों ने क्या देख लिया,, कभी-कभी तो उसे, अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था,,, वह अपने आप से ही सवाल करता कि क्या जो उसने देखा वह वास्तव में सच था या एक सपना,,,, अगर चौथ की आंखों में देखा वह हकीकत था तो क्या वास्तव में उसके मामा का संबंध किसी गैर औरत के साथ है,, लेकिन भले ही वह औरत देखने में कामुक लगती हो उससे भी ज्यादा सेक्सी और खूबसूरत सही मायने में उस औरत के मुकाबले उसकी मामी बेहद सेक्सी और बेहद खूबसूरत थी,,,, कोई अंधा व्यक्ति भी होगा तो वह गधे की खुशबू और गुलाब की खुशबू को सुंघकर ही पहचान लेगा,,, औरत अगर गेंदे का फूल थी तो उसकी मामी एक खिलता हुआ गुलाब थी जिसकी खुशबू चारों तरफ खुद-ब-खुद हवाओं के जरिए पहुंच ही जाती है ऐसे में उसके मामा का उस औरत के साथ इस तरह के संबंध रखना इस बात को वह हजम नहीं कर पा रहा था। उसे अच्छी तरह से याद आ रहा था कि उसकी मामी ने खुद उससे यह कही थी कि उसके मामा उससे प्यार नहीं करते,,, नहीं उसकी जरूरतों को कभी पूरा करते हैं,,, और तो और उसी ने ही यह भी साफ शब्दों में बताई थी कि उसके मामा उसे शारीरिक सुख नहीं देते तभी तो वह खुद ही उसके साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपनी जरुरतों को पूरा कर रही थी और अपनी प्यास भी बुझा रही थी,,,

उसके मामा का इस तरह से उसकी मामी के प्रति रूखापन उसके लिए ही फायदेमंद था अगर ऐसा ना होता तो आज वहां दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत की खूबसूरत बदन की खुशबू अपने अंदर उतार नहीं पाता उसके बेहद लचीले और मादक अंगों को अपने हाथों से स्पर्श नहीं कर पाता और दुनिया की सर्वश्रेष्ठ नितंबों को अपने हथेली में भरकर दबाने का सुख नहीं भोग पाता और ना ही उसके दोनों खरबूजा का स्वाद चख पाता,,, और ना ही जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही, खूबसूरत औरत को चोदने का सुख हासिल नहीं कर पाता और ना ही दुनिया के सारे मर्द, औरत के जिस अंग जिसे बुर कहते हैं ना तो उसके दर्शन कर पाता और ना ही उसके शारीरिक रचना के बारे में कभी समझ पाता,,, सूरज अच्छी तरह से जानता था कि वह जवान होने के साथ ही किसी लड़की की खूबसूरती के पीछे इतना आकर्षित नहीं हुआ था जितना कि वह खुद की मामी की खूबसूरत बदन और उसकी खूबसूरती के प्रति आकर्षित हुआ था क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मामी की खूबसूरती के आगे एक खूबसूरत लड़की भी पानी भरने के बराबर थी,,, यही बात उसे समझ में नहीं आ रही थी कि जिस की खूबसूरती का दीवाना पूरा गांव पूरी बस्ती और उसकी उम्र के सारे लड़के थे ऐसी खूबसूरत औरत को छोड़कर उसके मामा उस काम वाली औरत के दीवाने क्यों हो गए,,,, और उसे यह बात भी अच्छी तरह से समझ में आ रही थी कि जिस तरह से उसके मामा उस औरत को कमरे के अंदर ही,,,
जबकि वह सारे मजदूर गोदाम के बाहर हाजिर भी थे और ऐसे समय में उसके मामा जिस तरह से बेफिक्र हो कर के उस औरत की चुदाई कर रहे थे और वह औरत भी एक दम मस्त हो करके जिस तरह से उसके मामा से चुदवा रही थी,,,, उसने चेहरे को देख कर यह बात तो एकदम पक्की थी कि यह पहली बार का नहीं था उसके मामा और वह औरत गोदाम में पहले भी बहुत बार इसी तरह की रंगरेलियां मना चुके थे,,, सूरज को अपने मामा की हरकत की वजह से थोड़ा दुख भी था लेकिन अंदर ही अंदर थोड़ी खुशी भी हो रही थी क्योंकि उसकी मामी की तरफ उसके मामा की यही बेरुखी उसे और भी ज्यादा उसकी मामी के करीब रखने में मददगार साबित हो रही थी।
 
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बिलास गोदाम वाली बात से एकदम परेशान हो चुका था उसे इस बात का डर था कि कहीं सूरज उसकी मामी से सब कुछ बता ना दे,,,, वह घर जाने वाला नहीं था लेकिन फिर भी घर चला गया था,,,, बिलास की मौजूदगी से मंगल को एतराज होने लगा उसे अब बिलास का घर रहना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था,,, क्योंकि मंगल की बुर में खुजली हो रही थी और वह आज की रात सूरज से फिर से चुदवाने का मूड बना ली थी,,, लेकिन बिलास इस तरह से घर आकर उसका सारा प्लान चौपट कर दिया था,,,, सूरज को भी अपने मामा का इस तरह से अब घर पर उपस्थित रहना अच्छा नहीं लगता था क्योंकि उसका तो वह हमेशा ही मुड बना रहता था और अगर मुड ना भी बना रहे तोभी अपनी मामी की मटकती हुई गांड को देखकर उसका लंड खड़ा हो जाता था,,,

वह मन मे सोचा कि उसके मामा घर पर ही है तो क्यों ना वह खाद के बिल पर उनके अंगूठे का निशान ले,, यही सोचकर वह अपने मामा के कमरे में पहुंच गए वैसे तो सुबह वाली वाक्या को याद करके उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी फिर भी बिल पर तो अंगूठा कर आने ही थे इसलिए अपने मामा के सामने बिल ऊन्हे थमाते हुए बोला,,,

मामा इस खाद के बिल पर आपके अंगूठे के निशान चाहिए अगर आप इसको अंगूठा कर देते तो मैं इसे दुकान में जमा करा देता,,,,
( बिलास कुर्सी पर बैठकर सुबह वाले वाक्य के बारे में ही सोच कर परेशान हो रहा था और इस तरह से एकाएक सूरज की आवाज सुनकर वह हड़बड़ा गया,,,।)

हंहं हं हं,,, लाओ में अंगूठा कर देता हूं,,,( बिलास बिल पर अंगूठे के निशान करने लगते हैं लेकिन वह इतना शर्मीला था कि अपनी नजरें उठाकर सूरज की तरफ देख नहीं पा रहा था और निशान करते-करते नजरें झुकाए हुए ही बोला,,,।)

सूरज मै शर्मिंदा हूं,,, मैं इतना शर्मिंदा हूं कि मैं तुमसे ठीक से नजरें भी नहीं मिला पा रहा हुं,,, ( नजरें झुकाए हुए ही) सुबह में जो कुछ भी हो गोदाम में हो रहा था और जो कुछ भी तुमने देखा उसको लेकर मैं तुमसे माफी मांगना चाहता हूं मेरी इज्जत मेरी साख सब तुम्हारे हाथ में है,,,, जो कुछ भी हुआ मैं भावना में बहक गया था,,, ऐसे हालात में मर्दों की क्या स्थिति होती है जब तुम मेरे बराबर होगे तो शायद तुम भी समझ जाओगे,,,, ( बिलास बोलते-बोलते एकदम रोने जैसा हो गया और लगभग रोते हुए बोला) भांजे मुझे माफ कर दे (हाथ जोड़ते हुए) मैं तुझ से माफी मांगता हूं जो कुछ भी हुआ उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूं,,, भांजे जो कुछ भी तुमने देखा अपनी मामी से मत बताना,,,, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूं तुम कहो तो मैं तुम्हारे पांव पड़ने के लिए तैयार हुं,,( इतना कहने के साथ ही नीचे छुपकर सूरज के पांव पकड़ते हुए)
भांजे मेरी इज्जत बचा लो,,,,

यह क्या कर रहे हो मामा ( अपने मामा का हाथ पकड़कर उठाते हुए) ऐसा मत करो मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।

मुझे माफ कर दे भांजे प्लीज अपनी मामी से यह सब कुछ भी मत बताना,,,

मुझ पर भरोसा रखो मैं कुछ भी नहीं बताऊंगा,,,, आप की हरकत देखकर तो मुझे बहुत गुस्सा आया था और मैं यहां बात मामी को जरूर बताता लेकिन आपकी स्थिति देखकर मामी
को बताना यह ठीक नहीं रहेगा,,,

भांजे मुझ पर यह बड़ी कृपा रहेगी तेरी,,,

मुझ पर भरोसा रखो मैं कुछ भी नहीं बताऊंगा मैं नहीं चाहता कि इस तरह से मामी को गोदाम वाली बात बताने से अपने घर संसार में किसी भी प्रकार की कड़वाहट पैदा हो,,,

भांजे सूरज तू बहुत अच्छा है मुझे तेरे ऊपर गर्व है और हां तुझे किसी भी चीज की जरूरत पड़े या पैसे की जरूरत पड़े जेब खर्च की जरूरत पड़े किसी भी प्रकार की कोई भी स्थिति में तुझे जरूरत पड़े तो बेझिझक तुम मुझसे कह सकते हो,, आज से तुम मुझे अपना दोस्त ही समझो,,, बस यह राज,,, राज ही रखना इसके बदले में मैं तुम्हें कोई भी कीमत देने को तैयार हूं,,।

मामा आप चिंता मत करो यह राज मेरे सीने में ही दफन रहेगा,,( कितना कहते हुए कहा अपने मामा के हाथ से बिल लेकर जाने को होता है कि तभी उसके मामा उसे रोकते हुए बोले,,,)
रुको सूरज,,, उस अलमारी से निकालकर मुझे सर दर्द की दवा देते जाओ सुबह से मेरा सर दर्द कर रहा है तुमसे बात करके मुझे थोड़ा हल्का महसूस हो रहा है,,

ठीक है मामा ( इतना कहने के साथ ही वह ड्रोवर में से सर दर्द की गोली निकालकर और पानी का गिलास लेकर अपने मामा को थमा देता है,,, बिलास गोली खाकर अपने भांजे से बोला,,,।)
भांजे अब मैं थोड़ी देर आराम करूंगा तुम मामी भांजे खाना खा लेना मुझे भूख नहीं है ।

ठीक है मामा ,,,, (इतना कहकर सूरज अपने मामा का एक नया रूप देख रहा था उसने आज तक अपने मामा को इतना कमजोर और बेबस कभी नहीं देखा था और यह सिर्फ इसके लिए कि उसने अपने मामा को उस औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाते देख लिया था और उस बात को राज रखने के लिए उसके मामा सूरज के सामने गिड़गिड़ा रहे थे और यही देखकर सूरज पिघल गया,,,
लेकिन तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी,,, उसे मालूम था कि किस तरह के संबंध में अपनी मामी के साथ बना रखे हैं आज नहीं तो कल उसके मामा को इस बात की खबर लग ही जाएगी,,, और मन ही मन उसने नक्की कर लिया की जिस समय उसके मामा को उसके और उसकी मामी के बीच शारीरिक संबंध के बारे में पता चलेगा उस समय वह अपने मामा को गोदाम वाली बात बता कर उन्हें खामोश रहने के लिए जरूर कहेगा,,,, और उसके मामा आप नाराज छुपाने के लिए अपनी पत्नी और उसके भांजे के बीच के संबंध को लेकर चुप्पी साध लेंगे यह बात उसके दिमाग में आते ही उसका मन खुशी से झूम उठा,,,,
अब उसे अपना राज घर में खुल जाने का किसी भी बात का डर नहीं था। जिस तरह से उसके मामा उसके सामने गिड़गिड़ा रहे थे वह देखते हुए इसके और उसकी मामी के बीच के संबंध को लेकर उनसे कुछ भी नहीं कहा जाएगा और वह अपना संबंध अपनी मामी के साथ उसी तरह से बरकरार रख सकता है। वह मन ही मन सोचने लगा कि अच्छा ही हुआ कि आज वह बिल पर अंगूठा कराने के बहाने अपने मामा के गोदाम चला गया और वहां जाकर के उसे अपने मामा को काबू में रखने का बहुत ही बड़ा खजाना मिल चुका था,,,,
उसके मामा की रंगरेलियां को छुपाने का राज ही सूरज के लिए बहुत बड़ा खजाना था क्योंकि इसी राज के बदौलत वह अपनी मामी के साथ अपने शारीरिक संबंध को कायम रख सकता था वह भी बिना किसी झिझक के,,,,
खुशी खुशी वह रसोई घर की तरफ जाने लगा जहां पर उसकी मामी खाना बना रही थी,,,, वह पीछे से जाकर अपनी मामी को बाहों में भरते हुए उसके गर्दन को चूमने लगा,,,, एक तो पहले से ही मंगल चुदवासी थी,,, और अपने भांजे की हरकत की वजह से उसकी कामाग्नि और ज्यादा भड़क उठी,,, वह सब्जी बना रही थी और कढ़ई में,, तेल के छींटे मार कर यह अंदाजा लगा रही थी कि कढ़ाई गरम हुई है या नहीं,,,, लेकिन कढ़ाई पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और तेल के छींटे पड़ते ही एक दम से छनछनाहट की आवाज आने लगी,,,, ठीक यही हाल मंगल का भी था मामी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी अपने भांजे के लंड को याद करके और उसके भांजे की यह हरकत जब वह उसे बाहों में पीछे से मार लिया तो वह अभी गर्म तेल की तरह छन छना गई,,,, उसे अपने भावनाओं पर काबू नहीं हो सका और वह तुरंत एक हाथ पीछे ले जाकर अपने भांजे के लंड को धोती के ऊपर से ही दबोच ली,,,, जो कि नितंबों की गर्माहट और उसके स्पर्श की वजह से धीरे-धीरे तनाव में आ रहा था,,, उसकी मोटाई मंगल के हाथों में आते ही एक बार फिर से उसकी बुर में कुलबुलाहट होने लगी,,, सूरज पागलों की तरह उसकी गर्दन को चुमे जा रहा था और मंगल अपने भांजे के खड़े हो रहे लंड को हथेली में भरकर जोर-जोर से दबाते हुए बोली,,,

ओहहहहह,,, सूरज ऐसा मत करो तू जानता हूं कि मेरे तन बदन में आग लग जाती है जब तू ऐसी हरकत करता है,,, ओर इस आग को तू ही बुझा सकता है।,,

तो इसमें क्या हुआ मामी बोलो तो अभी बुझा दूं तुम्हारे तन बदन की आग अपनी पिचकारी से पानी की बौछार करके,,
( इतना कहते हुए, सूरज अपनी दोनों हथेलियों को ब्लाउज के ऊपर से अपनी मामी की बड़ी बड़ी चुचीयो पर रखकर दबाने लगा,,,,।)

सससससहहहहहह,,,,,, सूरज,,,,, मैं भी तो यही चाहती हूं लेकिन तेरे मामा घर पर हीं है,,,( तभी सूरज जोर से चूची को मसल देता है ओर मंगल की हालत और ज्यादा खराब हो जाती है) आहहहहहहहहह,,,, सूरज,,,,,, मन तो कर रहा है कि तेरा लंड अपनी बुर में डलवा कर अपनी प्यास बुझा लु,,,,


तो देर किस बात की है मामी बस अपनी साड़ी उठा लो उसके बाद मैं खुद तुम्हारी प्यास बुझा दूंगा,,,,( ऐसा कहते हुए वह ब्लाउज के बटन खोलने लगा मंगल अपने भांजे की इस हरकत पर एकदम से कामातुर तो हो ही चुकी थी लेकिन अपने पति के डर की वजह से उसे रोकते हुए बोली,,, ।)

नहीं सूरज ऐसा मत कर तेरे मामा घर पर ही है,,,,

घर पर ही है तो मैं क्या करूं मैं उन से नहीं डरता मैं किसी से भी नहीं डरता,,,,, मैं बस इतना जानता हूं कि मैं तुमसे प्यार करता हूं,,,,,
( सूरज की बात सुनकर मंगल खुश हो गई जिस तरह से वह हिम्मत दिखा रहा था उसकी हिम्मत को देखकर मंगल की छाती और ज्यादा चौड़ी हो गई वह इसी तरह का प्रेमी चाहती थी,,, लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी कि घर पर बिलास मौजूद है अगर ऐसे हालात में उसने उन दोनों को देख लिया तो गजब हो जाएगा इस बात का उसे बराबर डर बना हुआ था लेकिन सूरज को मालूम था कि उसके मामा कमरे में आराम कर रहे थे अब नीचे नहीं आने वाले इसीलिए वह अपनी मामी के ऊपर अपनी हिम्मती होने का रोब झाड़ रहा था,,

वैसे भी कुछ हद तक उसके मन से उसके मामा का डर बिलकुल निकल चुका था क्योंकि जिस हालात में उसने अपने मामा को रंगे हाथ उनकी मजदूर औरत के साथ रंगरेलियां मनाते हुए पकड़ा था उसे देखने के बाद और अपने मामा को उसके सामने गिड़गिड़ाते हुए देखकर उसकी हिम्मत खुल चुकी थी वह पूरी तरह से तैयार हो चुका था कि अगर इस समय वहां अपनी मामी की चुदाई कर रहा हूं लेकिन उसके मामा उसे देख ले तब भी उस हालात से निपटने की ताकत उसमें आ चुकी थी। मंगल अपने भांजे की हिम्मत देख कर खुश होते हुए बोली,,,)

तेरी इसी बात पर तो मैं तेरी दीवानी हो चुकी हूं तेरी हिम्मत देखकर मुझे भी हिम्मत आती है लेकिन सब्र कर तेरे मामा घर पर हीं है तू नहीं जानता कि जितना उतावला और जोश तुझने मुझे चोदने के लिए भऱा है,, उससे कई गुना ज्यादा मैं उतावली हूं तेरे लंड को अपनीे बुर में डलवाने के लिए,,,( अपने भांजे के लंड को धोती के ऊपर से ही अपनी हथेली में बड़ा होता हुआ महसूस करके और भी ज्यादा चुदवासी हो चुकी थी,,,) मैं तो रोज यही चाहती हूं कि तू रात को मेरे पास ही सोए और सोने से पहले जी भर कर मुझे रगड़े लेकिन लगता है कि आज ऐसा नहीं हो पाएगा,,,,

हो पाएगा मामी जरूर हो पाएगा बस थोड़ा सा तुम मेरा साथ दो,,,

नहीं सूरज मान जा ऐसा मत कर,,,( जोश में आकर लंड को दबाते हुए) तेरे मामा ने देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,

कुछ गजब नहीं होगा मामी मैं सब कुछ संभाल लूंगा बस तुम एक बार अपनी साड़ी ऊपर उठा लो,,, फिर देखना मेरा कमाल तुम्हारी बुर से मदन रस की हर एक बूंद को अपने लंड से खींचकर बाहर ना निकाल दिया तो मेरा नाम सूरज नहीं,,,
( इतना कहने के साथ ही सूरज लगभग जबरदस्ती करते हुए ब्लाउज के सारे बटन खोल दिया,,, मंगल अपने भांजे की हरकत से रोमांच भी अनुभव कर रही थी और उसे डर भी लग रहा था,,,, मंगल कुछ कह पाती इससे पहले ही सूरज ने अपनी मामी की लाल ब्रा को नीचे से उसकी पट्टी को पकड़कर एकदम से ऊपर की तरफ कर दिया जिसकी वजह से उसके दोनों चुचिया एकदम नंगी होकर सीना ताने तन कर खड़ी हो गई,,, और सूरज अपनी दोनों हथेलियों में दोनों को भरकर दबाने लगा,,,,
 
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सीईईीईईीई,,,,,, सूरज ऐसा मत कर तेरे मामा आ गए तो हम दोनों का जीना दुश्वार हो जाएगा,,,,,

कुछ नहीं होगा मामी बस तुम ऐसे ही खड़ी रहो,,,,,
( इतना कहकर सूरज जोर-जोर से अपनी मामी की चुचियों को दबाने लगा उसका लंड धोती मे पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जो कि उसकी गांड के बीच की दरार में साड़ी सही धंसता चला जा रहा था,,,अपने भांजे के लंड का कड़तपन मंगल को अपनी भारी भरकम गांड पर साफ तौर पर महसूस हो रहा था जिसकी वजह से उसके तन बदन में कामाग्नि पूरी तरह से भड़कने लगी थी,,,,, सूरज अपनी मामी की प्यास को और ज्यादा बढ़ाने के लिए हल्के हल्के अपनी कमर को आगे पीछे कर के एैसा हरकत करने लगा कि मानो वह उस की चुदाई कर रहा हो,, ऐसी हरकत की बदौलत मंगल के भी सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा था,,,, कढ़ाई में डाला हुआ तेल पूरी तरह से गर्म होकर छन छना रहा था,,, बिल्कुल मंगल की जवानी की करा मंगल की मदहोश कर देने वाली जवानी भी इसी तरह से तड़पते हुए छनछना रही थी,,,, सूरज जोर जोर से अपनी मामी की चुचियों को दबा दबा कर एकदम टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,, मंगल के मुंह से बार-बार गर्म सिसकारी छूट जा रही थी जिसे वह दबाने की पूरी कोशिश कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि घर में उसका पति बिलास है अगर उसके कानों में इस सिसकारी की आवाज चली गई तो घर में भूचाल आ जाएगा,,,।सूरज चाहता तो बता सकता था कि उसके मामा दवाई खाकर कमरे में आराम कर रहे हो खाना खाने भी नीचे नहीं आएंगे,,,,, लेकिन यह बात वह अपनी मामी से छिपा रहा था वह देखना चाहता था कि उसकी मामी चुदवाने के लिए किस हद तक जा सकती हैं,,,, मंगल बार-बार उसे रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन सूरज कहां मानने वाला था,, वह बार-बार अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए अपने लंड को साड़ी सहीत गांड की दरार में घुसेड़ दे रहा था,,,, और अपने भांजे की ईसी हरकत पर मंगल की बुर पानी पानी हुए जा रही थी,,, तभी सूरज अपनी मामी की बड़ी बड़ी चूची को दबाते दबाते एक हाथ नीचे की तरफ ले जा कर के साड़ी के ऊपर से ही बुर को मसलना शुरू कर दिया,,,

आहहहहहहहह,,,, सूरज यह क्या कर रहा है तू तुझे जरा सा भी डर नहीं लग रहा है तेरे मामा आ गए तो गजब हो जाएगा तू ऐसा मत कर, कल मैं जरूर तुझे अपनी बुर का स्वाद चखाऊंगी लेकिन इस समय जाने दे,,,,

नहीं मामी मैं किसी से भी नहीं डरता मुझे तुम्हारी बुर चाहिए और अभी चाहिए देख नहीं रही हो मेरा लंड कितना तड़प रहा है तुम्हारी बुर मे जाने के लिए,,,,

मंगल अजीब से हालात में फंसी हुई थी एक तो उसे अपने पति का डर भी लग रहा था और उसे अपने भांजे की हरकत की वजह से मजा भी आ रहा था वह खुद अपने भांजे से चुद़ना चाहती थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अभी रहने दे या अभी इसी समय करवा ले,,,, इसी उधेड़बुन में वह लगी हुई थी और अपने बदन की प्यास बुझाने के लिए अपने भांजे की बात ना मानने के लिए तैयार भी नहीं थी और अपने भांजे की बात सुनकर उसका तन बदन चुदवाने के लिए तड़प उठा और एक बार फिर से वह अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर के,,, अपने भांजे के खड़े लंड का जायजा लेते हुए उसे धोती के ऊपर से ही दबाने लगी,,,, इस बार जैसे ही वह धोती के ऊपर से अपने भांजे के लंड को दबाईं इसकी मोटाई और गर्माहट अपने हथेली में महसूस करके उसकी बूर एकदम से फुदकने लगी,,,, उसकी बुर से जरा भी सब्र नहीं हुआ और उसकी बुर में मदन रस की बुंदे टपकाना शुरू कर दी,,,, मंगल एकदम से तड़प उठी और उसने कस के अपने भांजे के लंड को दबा दी,,,, सूरज एकदम पागल हुआ जा रहा था उसके मामा की मौजूदगी में वह आज अपनी मामी को चोदने का सुख भोगना चाहता था,,,, इसलिए वह धीरे धीरे अपनी मामी की साड़ी को ऊपर की तरफ ऊठाने लगा,,, मंगल उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकने की कोशिश करने लगी लेकिन सूरज जबरदस्ती साड़ी को ऊपर कमर तक उठा दिया और जैसे ही कमर तक गाड़ी आई मंगल की नंगी गांड सूरज की आंखों के सामने अपना गोरापन लिए चमकने लगी सूरज की आंखों में भी अपनी मामी की नंगी गांड देखकर एकदम से चमक आ गई क्योंकि उसकी मामी ने पेंटी नहीं पहनी थी और सूरजऐसा नजारा देखकर एकदम से मदहोश हो गया और गांड के दोनों फंकों पर एक-एक चपत जड़ते हुए बोला,,,,

ओहहहहहह,,,,, मामी मेरी जान पहले से ही चुदवाने के लिए तैयार हो तभी तो पेंटी निकाल कर रखी हो,,,, सच-सच बताना (इतना कहते हुए वह फिर से जोर से अपनी मामी की नंगी गांड पर चपत लगा दिया और मंगल के मुंह से आह निकल गई,,,) मेरा मोटा लंड अपनी बुर में डलवाने के लिए तड़प रही हो ना,,,,( इतना कहने के साथ ही वह अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड को दोनों हथेली में भर भर कर दबाने लगा,,,, अपने भांजे की इस तरह की हरकत से मंगल एकदम मदहोश होने लगी,,,, उसे मजा आ रहा था और वह गर्म सरकारी लेते हुए बोली,,
ससससहहहहह,,,, सूरज मैं तुझसे झूठ नहीं बोलूंगी सच बताऊं तो जो तू कह रहा है वह एकदम सच है,,, मैं तेरे लंड के लिए तड़प रही हुं,,, जब से खेतों से लौटी हूं तब से मैं तुझसे चुदवाने के फिराक में हूं इसीलिए आते ही अपनी पेंटी को निकाल फेंकी थी। लेकिन तेरे मामा आकर मेरा सारा मूड खराब कर दिए,,,,

( सूरज समझ गया कि उसकी मामी बहुत प्यासी है,,, वह उसका लंड लेने के लिए तड़प रही है,, अगर वह इस समय अपनी मामी को चोदकर ऊसकी प्यास नहीं बुझाएगा तो रात भर भर प्यासी रहकर तड़पती रह जाएगी,,,, इसलिए वह एक हांथ अपनी मामी की बुर पर रखकर से मसलते हुए बोला,,,

मामी तुम सच-सच बताना इस समय तुम मुझसे चुदवाना चाहती हो कि नहीं,,,
( अपने भांजे के मुंह से यह सवाल सुनकर वह थोड़ा परेशान हो गई क्योंकि सच में वह अपने भांजे से चुदवाना चाहती थी लेकिन उसे अपने पति की हाजरी से डर लग रहा था,,, फिर भी वह अपने भांजे से बोली)

हां,,, लेकिन कैसे तेरे मामा घर पर है,,,,,

बस तुम चिंता मत करो मैं सब संभाल लूंगा मैं अभी इसी समय रसोई में तुम्हें चोदूंगा,,,, सच बताऊं तो मैं भी तुम्हें चोदने के लिए एकदम से तड़प रहा हूं अगर इस इस समय तुम्हें नहीं चोदा तो मुझे हाथ हिला कर ही काम चलाना पड़ेगा,,,

लेकिन तेरे मामा ,,,,( मंगल आशंका जताते हुए बोली लेकिन वह अपनी बात पूरी कर पाती इससे पहले ही सूरज अपने धोती को खोलकर अपनी धोती को चड्डी सहित जांघो तक सरका दिया,,,, जैसे ही उसने अपनी धोती उतारा, उसका लंबा बड़ा मोटा लंड देखकर मंगल की बुर से पानी फेंकने लगा,, वह उसके लंड को लेने के लिए तड़प उठी,,, उसके सब्र का बांध बिल्कुल टूट चुका था वह भी कुछ समय के लिए एकदम से भूल गए कि उसका पति घर में मौजूद है और उसकी पत्नी उसकी मौजूदगी के बावजूद भी वह अपने भांजे से चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गई,,,, सूरज भी बिल्कुल देर नहीं करना चाहता था उसके हकदार अपने मामा का बिल्कुल भी नहीं था बल्कि उसे अपने ऊपर सब्र नहीं हो रहा था,,, वह जल्दी से अपनी मामी को पकड़कर नीचे की तरफ झुका दिया और उसे झुकाकर एकदम घोड़ी बना दिया,,, उसकी मामी अपने भांजे के लंड को अपनी बुर के अंदर लेने के लिए ललच रही थी,,,, सूरज भी जल्दी से अपने खड़े लंड को पकड़कर अपनी मामी की बुर के मुहाने पर सटा दिया,,, मंगल अपनी बुर के ऊपर अपने भांजे के गरम लंड का सुपाड़ा महसूस करते ही एक दम से तड़प उठी,,,, तभी सूरज हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ झटका दिया,,, मंगल की बुर पहले से ही पानी पानी हो चुकी थी इसलिए पहली बार में ही लंड सटाक से बुर के अंदर समा गया,,, आधा लंड मंगल की बुर में था,,, और सूरज ने फिर से एक जोरदार झटका मारा और पूरा लंड उसकी मामी की बुर में समा गया,,, मंगल के मुंह से चीख निकलते निकलते रह गई,,, सूरज पूरी तरह से जोश में भरा हुआ था और वह तुरंत अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए अपनी मामी को चोदना शुरू कर दिया,,,, मंगल भी मस्त होकर अपने भांजे के लंड से चुदने का मजा लेने लगी,,,, पूरा रसोई घर गर्म सिसकारीयो से गुजने लगा,,, रसोई का दरवाजा खुला हुआ था लेकिन फिर भी दोनों में से किसी को भी इस बात की बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी सूरज अपनी मामी को जोर-जोर से चोदे जा रहा था,,, मंगल भी उसका पूरा साथ देते हुए जोर-जोर से अपने गांड़ को पीछे की तरफ ठेल दे रही थी,,, करीब आधे घंटे के बाद सूरज के लंड से जोरदार पिचकारी निकली जोकि मंगल की बुर को पूरी तरह से भिगो दी, साथ में मंगल भी झढ़ गई,,,
 
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मंगल को यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह के हालात में भी उसने संभोग सुख को बहुत ही बेहतरीन तरीके से भोगी है,,,, घर में पति की मौजूदगी के बावजूद भी अपने भांजे की जिद के आगे वह अपनी साड़ी को कमर तक उठा कर जिस तरह से अपने भांजे के लंड को अपनी बुर की गहराई में उतार कर उससे चुदवाने का मजा ली थी,,, वह बेहद काबिले तारीफ थी,,, बार-बार मंगल की इच्छा हो रही थी कि अपने हाथों से अपनी पीठ थपथपाए,,, क्योंकि उसने आज अपने नजरिए से बेहद ही हिम्मत भरा कदम उठाई थी एक तो सुबह से ही उसकी बुर में खुजली मची हुई थी वह अपने भांजे से जी भर के चुदवाना चाहती थी। लेकिन वह अपने बुर की प्यास अपने भांजे के लंड से बुझाती इससे पहले ही बिलास घर पर हाजिर हो गया था,,, और ऐसे मौके पर जब बदन प्यास से एकदम तड़प रहा हो,,, तब उस शख्स के लिए किसी की भी हाजिरी कबाब में हड्डी की तरह खटकती है,,, और यही वजह थी कि बिलास उसका पति होने के बावजूद भी उसका घर पर आना मंगल को अच्छा नहीं लग रहा था,,, उसे लगने लगा था कि आज की रात वह प्यासी ही रह जाएगी,,, लेकिन ऐन मौके पर सूरज के द्वारा दिखाई गई उसकी हिम्मत उसके लिए उसकी प्यास बुझाने का एक अद्भुत मौका कारगर सिद्ध हुआ,,,, मंगल मन ही मन यह बात भी मानती थी कि भले ही उसके मन में रसोई के अंदर अपने भांजे से चुदवाते समय उसके पति के आ जाने का डर बराबर बना हुआ था,, लेकिन इस डर में भी एक बेहद अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी और जिस तरह का अनुभव उसे किचन के अंदर घर पर पति की हाजिरी में चुदवाते समय हुआ था उस तरह का अनुभव उसे पहले कभी नहीं हुआ था,,
कुल मिलाकर उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी,,, वह बार-बार यह सोच कर हैरान हो रही थी कि आखिरकार इतनी हिम्मत सूरज में आई कैसे,,, उसे उसकी हिम्मत पर यकीन नहीं हो पा रहा था लेकिन यह कानों सुनी नहीं बल्कि आंखों देखी और खुद पर अनुभव किया हुआ मामला था इसलिए उसे उसकी हिम्मत की दाद देनी ही पड़ी,,,, सूरज काफी खुश था वह किस बात पर और भी ज्यादा खुश था कि अच्छा ही हुआ कि वह अपने मामा के गोदाम चला गया और वहां ना चाहते हुए भी गोदाम का नजारा अपनी आंखों से देख लिया तभी तो उसे अपने मामा को काबू में करने का पूरा तरीका मालूम पड़ गया एक तरह से घोड़े की लगाम के हाथों में आ चुकीे थी,, जिससे कि वह उस घोड़े को पूरी तरह से अपने काबू में रख सकता था आखिरकार घोडी़े की
सवारी करना हो तो घोड़े को तो काबू में रखना ही पड़ता है।,, कुल मिलाकर सूरज के लिए बहुत ही अच्छा हो रहा था वह अपनी किस्मत पर बहुत खुश था क्योंकि ना चाहते हुए भी उस की झोली में मंगल नाम की खूबसूरत फूल आ गिरा था जिसकी खुशबू मैं वह अपना रात दिन गुजार रहा था।

मेरे दिल की प्यास बुझा चुकी थी वह जो चाहती थी वह उसे प्राप्त हो चुका था,,, इसलिए उसे रात भर बिस्तर पर करवटें नहीं बदलना पड़ेगा उसे चैन की नींद आने वाली थी इसलिए वह अपना सारा काम निपटा कर कमरे में पहुंची तो बिलास जाग रहा था औपचारिकतावश वह बिलास से बोली,,

क्या हुआ आपको आपकी तबीयत तो ठीक है सूरज ने बताया कि आप खाना नहीं खाएंगे आप आराम कर रहे हैं इसलिए मैं आपको जगाने नहीं आई,,,,
( मंगल बिलास के माथे पर हाथ रखकर उसकी तबीयत जानने की कोशिश करते हुए औपचारिकतावश बोल रही थी और मंगल की बात सुनकर बिलास को इस बात की तसल्ली थी कि उसके भांजे ने अभी तक उसकी मामी से कुछ भी नहीं कहा था वह मन ही मन खुश होने लगा,,, और वैसे ही अपने चेहरे पर थोड़ी सी नरमी लाते हुए बोला,,,,।)

हां थोड़ा सर दर्द कर रहा था वह क्या है कि गोदाम में काम कुछ ज्यादा बढ़ गया है इसके लिए,,,,


लाइए मैं आपका सर दबा देती हुं।

नहीं अब इसकी जरूरत नहीं है मैं दवा खा चुका हूं इसलिए मुझे अभी आराम है,,,,।

ठीक है आप आराम करिए तब तक मैं कपड़े चेंज कर लेती हूं (इतना कहने के साथ ही मंगल अलमारी के करीब जाकर अपनी साड़ी उतारने लगी,,, वह अपनी साड़ी उतारते हुए आज मंगल आईने में अपने रूप को देखकर मन ही मन प्रसन्न भी हो रही थी,,, उसकी प्रसन्नता का कारण सूरज था जो कि पूरी तरह से उसके रूप यौवन का दीवाना हो चुका था,,, मंगल को अपनी खूबसूरती और अपने बदन की बनावट पर गर्व महसूस हो रहा था क्योंकि इस उम्र में पहुंचने के बाद भी एक जवान हो रहा लड़का उसका पूरी तरह से दीवाना था और इस उम्र में भी उसे एक जवान लंड से चुद़ने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा था,,, वरना इस उम्र में अक्सर ऐसे ही लंड बुर में,,, डलवाने के लिए मिलते हैं जिसे खड़ा करते करते ही आधी रात गुजर जाती है,, और मुश्किल से खड़ा होने के बाद भी जब बुर की गहराई में उतरता है तो,,,, गुलाबी दीवारों से पसीज रहे गर्म लावा की गर्माहट मै कुछ ही सेकंड में मर्दानगी पिघलकर फुर्र हो जाती है। और वह औरत प्यासी ही रह जाती है ऐसी उम्र में जब औरतों को चाहिए रहता है कि उसकी जवानी को कोई एकदम से रगड़ डालें,,, उसके बदन के हर एक अंग को अपनी हथेली में भर कर मसले,,, उसकी बुर में अपन मजबूत लंड डालकर ऐसा चोदे कि उसकी बुर नमकीन रस का फव्वारा फूट पड़े,,,,, लेकिन अक्सर औरतों को ऐसी ही उम्र में ही ढीले लंड मिलते हैं जिनसे उनकी प्यास बुझने की वजाय और ज्यादा भड़क उठती है,,, लेकिन कुछ औरतें मंगल की तरह अपवाद होती हैं,,, जिन्हें इस उम्र मे भी,, अपनी प्यास बुझाने के लिए जवान लंड मिल जाता है,,, जिन से चूद कर वह अपनी प्यास बुझाती हैं,,, यही वजह थी कि कपड़े चेंज करते समय मंगल के चेहरे पर मुस्कान फैल जा रही थी,,, एक-एक करके वह धीरे-धीरे अपने बदन पर से अपने वस्त्र को दूर कर रही थी उसके बदन पर इस समय मात्र पेंटिं और ब्रा ही रह गई थी,,, बिलास अपनी पत्नी को देखकर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था उसकी खूबसूरती आज उसकी आंखों को चौधिया दे रही थी,,,, बिलास की नजर अपनी बीवी के अर्ध नग्न बदन पर ऊपर से नीचे की तरफ दौड़ रही थी,,, उसका गोरा मखमली बदन आज उसे अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था। खास करके उसकी भारी भरकम गांड जो कि सूरज के हाथों में आने से ऐसा लग रहा था कि पहले से ज्यादा भारी हो चला था,,,, ऐसा लग रहा था मानो कि फिर से किसी कारीगर ने अपने हाथों का जादू उसके नितंबों पर बिखेर दिया हो,,, उसने अपनी सारी कारीगरी मंगल के नितंबों को तराशने में लगा दिया है। बिलास अपनी बीवी की बड़ी बड़ी गांड देखकर उत्तेजित होने लगा था उस के लंड में भी तनाव आना शुरू हो गया था। उसे लग रहा था कि वह उसे अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए अपने कपड़े उतार रही है और उसे इस बात की भी उम्मीद थी कि वह अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर पूरी तरह से नंगी हो जाएगी,,, लेकिन ऐसा नहीं हुआ हां अलमारी में से अपना गांऊन निकाल कर पहन ली,,, लेकिन बिलास आज अपनी बीवी को भोगने का मन बना लिया था। आज मंगल से संभोग की इच्छा बड़ी तीव्र होती जा रही थी। वैसे भी पद्मा से अब उसका मन भर चुका था,,,, मंगल की बड़ी बड़ी गांड और ऊसकानभरावदार बदन देख कर एक बार फिर से उसके मन में उत्सुकता बढ़ने लगी,, मंगल आते ही बिस्तर पर लेट गई और दूसरी तरफ करवट लेकर सोने लगी,, मंगल की बड़ी बड़ी गांड जोकी गांऊन में से भी बिल्कुल साफ साफ ऊभरकर सामने नजर आ रही थी,,, बिलास अपने मन में आए लालच को रोक नहीं सका और अपना हाथ आगे बढ़ा कर मंगल की गांड पर रख दिया,,,,, उसे लगा था कि उसके स्पर्श से मंगल शर्म के मारे सिहर उठेगी,,, क्योंकि अब तक ऐसा ही होता आया था लेकिन आज उसके सोच के बिल्कुल विपरीत मंगल ने उसका हाथ पीछे झटक दी,,,, यह बिलास के लिए बिल्कुल साफ इशारा था कि अब उसे उस की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है,,,,
बिलास को बिल्कुल भी समझ में नहीं आया कि यह क्या हो रहा है इसलिए वह एक बार फिर से उसके नितंबों पर हाथ रखा लेकिन इस बार भी मंगल उसका हाथ झटकते हुए बोली मैं थक गई हूं मुझे नींद आ रही है,,,

बिलास एकदम परेशान हो गया उसे मंगल का यह बदला हुआ स्वभाव और व्यवहार बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा था आखिरकार वह भी करवट लेकर सो गया,,,,
 
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बिलास अपनी बीवी मंगल के व्यवहार से थोड़ा सा परेशान था उसे उसके बदलते व्यवहार के बारे में कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन इस समय उसके लिए यह कोई बड़ी समस्या नहीं थी बल्कि उसका सारा ध्यान इस बात पर केंद्रित था कि सूरज गोदाम वाली बात कही उसकी मामी से ना बता दे,,, लेकिन कुछ दिन तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ कि जिससे लगे कि सूरज ने उसकी मामी से सब कुछ बता दिया हो सब कुछ नॉर्मल ही चल रहा था इस बात से उसे बेहद खुशी हुई और वह सूरज के कमरे में जाकर उसे धन्यवाद देते हुए बोला,,

सूरज तूने जो मेरे लिए किया है वह शायद कोई भी भांजा अपने मामा के लिए नहीं कर सकता,,,, इसलिए मुझे तुझ पर बहुत गर्व होता है,,,,,

मामा इसमें शुक्रिया बोलने वाली कोई बात नहीं है जो कुछ भी मैंने किया वह आपकी और पूरे घर की भलाई के लिए मैंने किया,,, क्योंकि यह बात मामी को पता चलती तो शायद ऊन्हे बहुत दुख होता है और घर का माहौल भी बिगड़ सकता था।,,,( सूरज अपने मामा की आंखों में देखते हुए बोला)

तू बहुत समझदार है भांजे इसलिए ऐसी बात को छुपा दे क्या वरना कोई भी होता अपनी बात को ऐसी अवस्था में देखकर वह अपनी मामी से जरूर बता देता,,,, इसलिए तो मैं तुझे शुक्रिया कहने आया हूं कि तूने मेरी इज्जत रख ली और इसी घर में शांति भी कायम रखने में पूरी मदद किया इसलिए मैं तुझसे वादा करता हूं कि चाहे कुछ भी हो मैं तेरा साथ जरूर दूंगा चाहे कोई भी हालात हो,, मैं पूरी तरह से तेरे साथ रहूंगा भले ही तू उस समय गलत क्यों ना हो,,,,
( सूरज अपने मामा की बात सुनकर बेहद खुश हो रहा था उसकी खुशी के पीछे बहुत बड़ा कारण था क्योंकि वह जानता था कि आज नहीं तो कल उसके और उसकी मामी के बीच में शारीरिक संबंध के बारे में उसके मामा को जरूर पता चलेगा और वह उस समय गोदाम वाली बात का फायदा अपने मामा से उठाते हुए अपनी सारी गलतियों पर पर्दा डाल देगा और बिलास को भी अपना मुंह बंद रखना होगा,,,, सूरज अपने मामा की बात सुनकर खुश होता हुआ बोला।)

आप सच कह रहे हो मामा ,,,,

हां भांजे मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं,,,, तुझे अभी कुछ चाहिए तो बोल मैं तुझे अभी वह चीज ला कर देता हूं,,,हां लेकिन इस बारे में भी तेरी मामी को पता नहीं लगना चाहिए वरना वह खामखा तुझ पर नाराज होगी,,,, बोल तुझे कुछ चाहिए,,,,,

नहीं मामा मुझे कुछ नहीं चाहिए बस मैं एक बात आपसे पूछना चाहता हूं और मैं चाहता हूं कि उसका जवाब आप बिल्कुल सच सच देना,,,,
( सूरज की बात सुनते ही बिलास के चेहरे पर परेशानी के बाल साफ नजर आने लगे वह समझ नहीं पा रहा था कि उसका भांजा उससे क्या पूछना चाहता है लेकिन फिर भी वह जवाब देने के लिए तैयार था क्योंकि इनकार करने का कोई भी कारण उसके पास नहीं था इसलिए वह बोला,,,)

पूछो क्या पूछना चाहते हो मैं तुम्हें इनकार भी नहीं कर सकता,,,

मैं जानता हूं कि आप इनकार नहीं कर सकते इसलिए तो मैं एक ही बात पूछ रहा हूं क्योंकि पूछना नहीं चाहिए और खास करके अपने ही मामा से,,,,
( सूरज मुस्कुराते हुए बोल रहा था और अपने भांजे की बात सुनकर बिलास को उसकी बात में एक छुपी हुई धमकी का एहसास हो रहा था लेकिन इस समय बिलास मजबूर था इसलिए उसके सारे नखरे सहने में ही उसकी भलाई थी,,,,।)

पूछो,,,,,


मामा वैसे तो मैं पूछना नहीं चाहता लेकिन मेरे मन में ढेर सारे सवाल उमड़ रहे हैं जिसका जवाब सिर्फ आप ही दे सकते हो और ना चाहते हुए भी मुझे आपसे सवाल करना पड़ रहा है,,।
( बिलास हां में सिर हिला दिया जैसे कि कोई विचारमग्न में तल्लीन हो चुका था।,, सूरज के मन में भी इतनी चाहत हो रही थी क्योंकि जो सवाल वह अपने मामा पर करने जा रहा था इस तरह का सवाल शायद ही कोई भांजा अपने मामा से किया हो इसलिए उसे शर्म से भी महसूस हो रही थी लेकिन वहां उस गोदाम वाली औरत से संबंध बनाने का असली कारण अपने मामा के मुंह से सुनना चाहता था इसलिए वह शरमाते हुए बोला,,,,)

मामा वैसे तो गोदाम के अंदर जो मैंने देखा वह मुझे नहीं देखना चाहिए था लेकिन जो कुछ भी हुआ अनजाने में ही हुआ ना तो में बिल पर आपका अंगूठा लेने गोदाम जाता और ना ही मैं उस दृश्य को देखता,,,, और ना ही मेरे मन में इस तरह के सवाल उत्पन्न होते,,,,

कैसे सवाल तुम सीधे-सीधे पूछो इस तरह से बात को गोल-गोल क्यों घुमा रहे हो,,,( बिलास थोड़ा नाराजगी दर्शाते हुए बोला,,।)

मैं यही पूछना चाहता था कि मामी इतनी ज्यादा खूबसूरत है लेकिन फिर भी आप उस गोदाम वाली औरत के साथ उस तरह के संबंध क्यों रख रहे थे,,,, जबकि वह मामी की खूबसूरती के आगे कुछ भी नहीं थी,,,,
( सूरज के सवाल को सुनकर बिलास की भाौवे तन गई,,, उसे कुछ पल के लिए तो समझ में नहीं आया कि सूरज यह क्या पूछ रहा है इसका जवाब देना शायद बिलास के बस में नहीं था इसलिए वह बोला)

यह कैसा सवाल है यह कोई सवाल तो नहीं हुआ,,,,

यही तो सवाल है मामा ,,,,

नहीं भांजे यह कोई सवाल नहीं हुआ और अभी यह सब जानने के लिए तुम्हारी उम्र छोटी है वैसे भी मुझे देर हो रही है मुझे बाहर काम से जाना है,,,,।

मामा यह कोई बात नहीं हुई और मेरी उम्र अब छोटी नहीं है अगर मेरी उम्र छोटी होती तो मैंने जो गोदाम में देखा सबकुछ मामी को बता दिया होता तो आप की खातिर मैं यह राज को राज ही रखा हूं,,,, अगर आप मेरे सवालों का ठीक ठीक जवाब नहीं देंगे तो शायद यह राज,,, राज नहीं रह जाएगा,,,

तो तुम मुझे धमकी दे रहे हो,,,,,( बिलास के चेहरे पर चिंता के भाव साफ नजर आ रहे थे।)

धमकी नहीं दे रहा हूं मामा बस में सच्चाई जानना चाहता हूं क्योंकि जो आप कर रहे हैं यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है,, इसलिए मैं जानना चाहता हूं कि मामी जितनी खूबसूरत औरत होने के बावजूद भी आप दूसरी औरतों के पास क्यों जाते हैं,,,,,
( बिलास हैरान था सूरज के सवाल और इस उम्र में उनकी इस तरह की बातें सुनकर बिलास को भी अब ऐसा लगने लगा था कि वास्तव में तो बहुत छोटा नहीं रह गया था क्योंकि जिस तरह कि वह बातें करता था एक बच्चा नहीं कर सकता था। बिलास किसी भी तरह से बात को टालने में लगा हुआ था इसलिए वह फिर से बोला,,,,।)

भांजे मैं तुझ से बता नहीं सकता,,, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि तू अपनी मामी के बारे में आप उससे जुड़ी किसी भी प्रकार की बातों को सुनने के लिए तेरी उम्र ठीक है,,

मामा मैं कह रहा हूं ना कि मैं अब बच्चा नहीं रहा जब मैं आपके राज को राज रख सकता हूं तो उस राज्य से जुड़ी हर बात को सुनने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं और वैसे भी अपने राजदार से कोई भी बात राज नहीं रखनी चाहिए।


तेरी बातें सुनकर ऐसा लगने लगा है कि तू सच मे बड़ा हो गया है,,,,लेकिन क्या तू अपनी मामी के बारे में उस तरह की बातें सुन लेगा,,,,

नहीं मैं अपनी मामी के बारे में इस तरह की बातें कभी नहीं सुन पाऊंगा लेकिन हां अगर यह बात आप कहेंगे तो जरूर मुझे सुनना पड़ेगा,,,, बाहर हाल अगर यह सारी बातें कोई और करता तो शायद में एक ही मुक्के में उसका मुंह तोड़ दिया होता,,, इसलिए आप निश्चिंत होकर बताइए और एक दोस्त की तरह ना की मामा की तरह क्योंकि जब बच्चे बड़े हो जाएं तो मामा को चाहिए कि वह अपने भांजे के साथ दोस्त जैसा व्यवहार करें,,,,,


( सूरज की बातें और उसकी दिमाग में चल रही कोलाहल को देखते हुए बिलास को बड़ी हैरानी हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह मासूम सा दिखने वाला सूरज इतनी सारी बड़ी-बड़ी बातें कैसे कर ले रहा है उसे समझ में आ रहा था कि सूरज जैसा दिखता है वैसा बिलकुल भी नहीं है यह बहुत ही चालाक और बड़ा हो गया है,,, इसके सवाल को टाल देना अब उसके बस में नहीं था वह जानता था कि सूरज अपने सवाल का जवाब उससे पाकर ही रहेगा और कोई समय होता तो शायद वह उसे थप्पड़ मारकर उसे चुप करा सकता था लेकिन इस समय सूरज उसका बहुत ही गहरा जानता था जो कि उसकी जिंदगी में तबाही ला सकता था इसलिए उसे जैसा वह कहता था वैसा ही उसे करना था क्योंकि यही उसकी मजबूरी थी इसलिए वह बोला,,,।)

भांजे मैं नहीं चाहता कि तुम इस तरह की बातें सुनो लेकिन जब तुम जिद कर रहे हो तो मैं तुम्हें सब बता देता हूं लेकिन ध्यान रहे कि मेरे और तुम्हारे बीच में यह सारी बातों का पता किसी और को ना चले वरना गजब हो जाएगा,,

आप फिकर मत करो मामा मैं तुम्हारा हर राज अपने सीने में दफन रखूंगा,,,,,

भांजे जिस तरह से तू कह रहा है कि तेरी मामी बहुत ही खूबसूरत है यह बात मैं भी अच्छी तरह से जानता हूं लेकिन सिर्फ खूबसूरती से ही मर्दों का पेट नहीं भरता,,, तेरी मामी हर तरह से बिल्कुल परफेक्ट है लेकिन तू शायद नहीं जानता कि तेरे मामी बिस्तर पर एकदम ठंडी है जो कि औरत को नहीं होना चाहिए खास करके अपने ही पति के साथ,,,,
( सूरज अपने मामा की बात को बड़े गौर से सुन रहा था वह अपने बात की कही गई बात का मतलब अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन कुछ ना समझ पाने का नाटक करते हुए वह अपने मामा से बोला,,,।)

बिस्तर में ठंडी,,,,,,, मैं कुछ समझा नहीं पाता जरा आप खुलकर समझाएंगे,,,,

भांजे मैं तुझे कैसे समझाऊं खुलकर बोलने जैसा मुझे नहीं लगता कि कुछ भी है तू बस समझ जा,,,,

पर मामा मुझे आपकी कही गई बात बिल्कुल समझ में नहीं आ रही है तो मैं कैसे समझा जांऊ,, क्या बात कुछ गंदी तरह की है,,,,।

हां,,,,, ( बिलास तपाक से बोला)

तो क्या हुआ मामा वैसे भी तो अब हम दोनों दोस्त हैं और दोस्त में इस तरह की बातें तो होती रहती हैं आप बिना किसी बात का संकोच किए बिना सब कुछ बताइए वह भी खुलकर जैसे कि एक दोस्त अपने दोस्त को बताता है।

सूरज तू पागल हो गया है भला एक मामा अपने भांजे से इस तरह की गंदी बातें और वह भी तेरी मामी के बारे में कैसे कर सकता है,,,।

गोदाम में किसी गैर औरत के साथ जिस्मानी ताल्लुकात रख सकते हैं अपने ही राजदार को बताने में आपको शर्म महसूस हो रही है,,,

लेकिन मामा यह बात भी आप अच्छी तरह से समझ लो कि गोदाम वाली बात को मुझे मामी से बताने में किसी भी प्रकार की शर्म महसूस नहीं होगी मैं सब कुछ बता दूंगा जो मैंने देखा,,,,

सूरज तुम मेरी मजबूरी का फायदा उठा रहे हो,,

फायदा तो आप उठा रहे हैं मेरी मामी के भोलेपन का उसके संस्कार का उसके विश्वास का और उसके समर्पण का,,,,
( बिलास समझ गया कि सूरज बिल्कुल भी मानने वाला नहीं है इसलिए वह तंग आकर बोला।)

तुम नहीं मानोगे तो सुनो,,,, तुम्हारी मामी को कुछ भी नहीं आता मर्दों को कैसे खुश रखा जाता है ईस कला को,,, औरत होने के बावजूद भी उसे नहीं मालूम,,, जब भी मैं उसे चोदने के लिए उसके कपड़े उतारता हूं तो वह अपनी तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देती बस एक निर्जीव शरीर की तरह पड़ी रहती है मुझे ही सब कुछ करना पड़ता है,,,
( सूरज की जीद के आगे आज वह पहली बार अपने मामा के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुन रहा था सूरज के कहे अनुसार बिलास बेहद अश्लील शब्दों में वर्णन कर रहा था,)
उसके ब्लाउज से लेकर के उसकी पैंटी तक मुझे ही उतारनी पड़ती हैं,,,, वह बस शर्मा कर दूसरी तरफ मुंह फेर लेती है तो शायद यह सब बातों के लिए अभी बच्चा है जब बड़ा हो गया तो तुझे खुद समझ में आ जाएगा कि एक आदमी औरत के साथ क्या चाहता है वह बिस्तर पर जब औरत के साथ संबंध बनाने को होता है तो वह औरत की तरफ से किसकी प्रतिक्रिया की आशा रखता है,,,,,
( बिलास सूरज के सामने सिर झुका कर सब कुछ बोले जा रहा था और यह सब सुनने में सूरज को मजा भी आ रहा था।) तेरी मामी कुछ भी नहीं करती ना तो वह मुझे अपनी बांहों में करती है ना ही मुझे चुम़ती है,,,,, और तो और वहां अपने मुंह से संबंध बनाते समय एक भी शब्द मुझे प्रोत्साहित करने के लिए नहीं बोलती,,,,।
( बिलास अपने मन की भड़ास निकाली जा रहा था लेकिन जिस तरह की बातें हो आप उसकी मामी के बारे में बता रहा था यह सब से सूरज को बड़ा अजीब लग रहा था क्योंकि बिस्तर पर सूरज के साथ उसकी मामी बिल्कुल भी ठंडी औरत की तरह प्रतिक्रिया नहीं करती बल्कि वह तो इस तरह की प्रतिक्रिया करती है कि ऐसा लगता है कि जन्मों की प्यासी हो,,, )
तुझे शायद नहीं पता सूरज मर्दों को तब और ज्यादा आनंद आता है जब औरत उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती है,,,( अपने मामा के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर सूरज की भौंवे तन जा रही थी,,, )
लेकिन सूरज शादी के इतने साल गुजर गए लेकिन आज तक तेरी मामी ने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर नहीं चूसी,,, जब कभी भी मैं उसे जोर जबरदस्ती करके उसके मुंह में अपना लंड डालकर उसे चुसवाने की कोशिश करता भी हूं तो वह उल्टी कर देती है,,
तू सोच भी नहीं सकता कि मैं किस तरह से अपने दिन गुजार रहा हूं एक खूबसूरत औरत का पति होने के बावजूद भी औरत का शौक मुझे नहीं मिल पाता,,,, तेरी मामी सामने से कभी भी मुझे चोदने के लिए नहीं बोलती जब भी कुछ भी करना होता है तो मुझे ही करना पड़ता है,,,
( सूरज अपने मामा की बात सुनकर सोच रहा था कि उसके साथ तो बिल्कुल उल्टा होता है उसकी मामी तो खुद ही पहले से ही उससे चुदने के लिए तैयार रहती है )
जिस औरत को तु गोदाम मे देखा,,, उसे मुझे कुछ भी नहीं बताना पड़ता और ना ही कुछ सिखाना पड़ता है,,, उसे सब पता चल जाता है कि कब मुझे क्या करवाना है तू शायद नहीं जानता कि गोदाम में भी मैंने उसे नहीं बुलाया था वह खुद ही आकर के मुझ से चुदवाने लगी,,,, मर्दों को कैसे खुश किया जाता है या वह औरत अच्छी तरह से जानती है और वह मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर देती है यही कारण है कि मुझे इस तरह से दूसरी औरत के साथ बाहर संबंध रखना पड़ता है।
( बिलास की बात सुनो बड़े गौर से सुन रहा था उसे अपने मामा की बात सुनकर मजा भी आ रहा था लेकिन जिस तरह से वहां उसकी मामी को ठंडी औरत बता रहे थे उसके जी में तो आ रहा था कि वह साफ-साफ कह दे कि तुम्हारे छोटे लंड से चुदने मैं उसे बिल्कुल भी मजा नहीं आता,,,, वह अब मेरे मोटे और लंबे लंड से चुदकर एक दम मस्त हो गई है,,,लेकिन ऐसा कहना बिल्कुल भी ठीक नहीं था इसलिए वह बोला,,,)

मामा अगर ऐसी बात है तो आपको मामी के साथ मिलकर खुलकर यह सब बातों पर चर्चा कर लेनी चाहिए थी ताकि मामी भी दूसरी औरतों की तरह तुम्हें पूरी तरह से संतुष्ट कर सके,,,
 
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तुझे क्या लगता है कि मैं इन सब बातों के बारे में उसे चर्चा नहीं किया हम उसे समझाने की लाख कोशिश किया लेकिन वह बिल्कुल भी नहीं मानी वह दूसरी औरतों की तरह बनना ही नहीं चाहती,,, वह कहती है कि इस तरह की हरकत करने के लिए उसके संस्कार ऊसे इजाजत नहीं देते,,,, मैं फिर भी उसे समझाया कि अपने पति के साथ तो वहां किसी भी हद तक जा सकती है और वैसे भी किसी गैर मर्द के साथ तो उसे करना नहीं था लेकिन फिर भी वह नहीं मानी और इसी वजह से मैं उससे दूर होता गया,,,,
( इस बात को सुनकर सूरज मन ही मन में बोला कि अच्छा हुआ कि तुम उससे दूर होते चले गए और मैं उसके बिल्कुल करीब पहुंच गया वरना ऐसी खूबसूरत औरत को भोगने का सुख शायद उसे नसीब नहीं हो पाता,,,)

चल अच्छा अब मैं जाता हूं आखिरकार तूने अपनी मनमानी कर ही लिया जो मैं नहीं कहना चाहता था वह तुझसे कहना ही पड़ा,,,,

कोई बात नहीं मामा,,, ऐसा समझो कि आप अपने भांजे से नहीं बल्कि अपने दोस्त से अपने दिल का हाल बता रहे हैं,,,।
( अपने भांजे की बात और उसकी समझदारी देखकर बिलास मुस्कुरा दिया और उसके सर पर हाथ रखते हुए बोला,,,)

अच्छा चल मुझे देर हो रही है मुझे बाहर जाना है और तुझे कभी भी किसी चीज की जरूरत पड़े तो मुझे बोल देना बिल्कुल भी मत हिचकिचाना,,,
( इस बात पर वह मन ही मन बोला कि मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे बस तुम्हारी बीवी चाहिए और मैं उसे तुम्हारी आंखों के सामने चोदना चाहता हूं,,, लेकिन ऐसा कहने की हिम्मत उसमे अभी नहीं थी,,,)

ठीक है मामा जब भी मुझे किसी चीज की जरूरत पड़ेगी मैं आपसे मांग लूंगा और तुम्हें भी वादा करना होगा कि उस चीज के लिए मुझे कभी भी इनकार नहीं करोगे,,,,

ठीक है मैं वादा करता हूं कि तुम्हें कभी भी किसी चीज के लिए मना नहीं करुंगा,,,, अब मैं चलता हूं,,
( इतना कहकर बिलास सूरज के कमरे से बाहर निकल गया अपने गोदाम की तरफ जाने के लिए सूरज कुछ देर वहीं बैठा रहा और अपने मामा की कही बातों पर गौर करने लगा,,, अपनी मामी के बारे में सोचने लगा कि उसके हाथ पांव और उसके पूरे शरीर को संस्कारों ने अपनी जकड़ में रखा हुआ था जिसकी वजह से वह इतनी उम्र में भी प्यासी रह गई थी,,,,
और अच्छा ही हुआ कि यह संस्कार और मर्यादा की दीवार ने उसे इतने वर्षों तक अपनी कैद में जकडे रखा जिसकी वजह से,,, आज वह खूबसूरती और कामुकता की देवी उसके बिल्कुल करीब है,,, सूरज अपनी मामी को याद करके एकदम मदहोश हुए जा रहा था,,, वह बिस्तर पर बैठे-बैठे अपनी आलस मरोड़ते हुए बोला,,,

ओहहहहह,,, मंगल मेरी जान अब तो तुम्हारे खूबसूरत बदन की खुशबू भी मेरे अंदर से आने लगी है,,,,ऐसा कहते हुए उसके लंड में तनाव आ गया,, और वहां अपने लंड को धोती के ऊपर से ही मसलते हुए अपनी मामी को याद करने लगा,,, अपने मामा के मुंह से सारी बातों को सुनकर उस को सुकून महसूस हो रहा था,,,, वह मन ही मन में यह सोच कर बहुत खुश हो रहा था कि आज पहली बार किसी मामा ने अपने भांजे को अपनी निजी जिंदगी के पन्नों को खोलकर बताया होगा और वह भी खुद अपनी ही बीवी के बारे में और अपने भांजे को यह सब सुनकर सूरज काफी उत्तेजित हो चुका था वह अपने मामा की कमजोरी जानता था और यह भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मामी को क्या चाहिए,,,, वह अच्छी तरह से जानता था कि अपने मामा के राज को किस समय उपयोग में लाना है इस बारे में सोचकर वह काफी उत्साहित भी था।
ऐसे ही दिन गुजरते जा रहे थे जब भी मौका मिलता है तो सूरज और मंगल एक दूसरे के अंगों को अपने बदन में उतार लेने की प्रतिस्पर्धा में उतर जाते अपनी प्यास को बुझाने में मंगल अपना तन मन सब कुछ न्योछावर कर चुकी थी सूरज भी एक भी मौका नहीं खोता था अपनी मामी की चुदाई करने के लिए,,,, वह कभी भी घर में कर जहां कहीं भी एकांत पाता तो वह अपनी मामी को चोदने में कोई भी कसर नहीं बाकी रखता था और उसकी मामी भी अपने भांजे से चुदने में किसी भी प्रकार की हिचकिचाहट नहीं रखती थी,,,, ईन दीने बिलास बार-बार मंगल के साथ शारीरिक संबंध बनाने की उत्कंठा जाहिर करता लेकिन हर बार कोई न कोई बहाना धर के मंगल उसके आग्रह को ठुकरा देती थी,,, बिलास को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें ऐसे ही धीरे-धीरे दिन गुजरते जा रहे थे,,,,



इसे ही एक दिन मंगल मन ही मन खुश हो रही थी क्योंकि उसे दो दिन बाद गांव जाना था बहुत साल बाद उसे आज गांव जाना हुआ था,,,, अक्सर वह गांव कभी कबार ही जा पाती थी जब कभी सादी विवाह का अवसर आता था तब,,,,,, और अब अवसर आया था कि जब उसे गांव जाना पड़ रहा था,,, ऐसे तो वह बहुत खुश थी लेकिन तभी उसे इस बात का ख्याल हुआ कि यहां तो वह जब जाती थी तब अपने बदन की प्यास अपने ही भांजे से बुझवा लेती थी,, लेकिन दूसरे गांव में कैसे मुमकिन होगा क्योंकि वहां तो पूरा परिवार इकट्ठा रहता है,,,, यह ख्याल आते ही वह चिंतित हो गई लेकिन फिर कभी उसे इस बात का एहसास हुआ कि इधर रह कर भी कभी कभार उसे बिल्कुल भी मौका नहीं मिलता था लेकिन उसका भांजा कैसे भी करके चोदने का जुगाड़ बना ही लेता था तो उधर भी वह कोई ना कोई जुगाड़ जरूर बना लेगा यह ख्याल आते ही उसके चेहरे पर मुस्कुराहट फैल गई,,,,

सूरज अपनी मामी को खुश होता हुआ देखकर बोला,,,,

क्या बात है मामी आज ज्यादा खुश नजर आ रही हो लगता है कि कल मेरा लंड तुम्हारी बुर में कुछ ज्यादा ही घुस गया है,,,।

अरे वह तो हमेशा ही मेरी बुर की गहराई नापता है,,,, और सच बताऊं तुझे इस तरह से तू इतनी तेज तेज धक्के मार रहा था मुझे तो लग रहा था कि तू लंड को मेरे पेट में उतार देगा,,,

क्या करूं मामी छोटा पड़ जाता है वरना सच में मैं पूरा का पूरा उतार डालता,,,

छोटा पड़ जाता है,,,,, अरे बदतमीज तेरा लंड तो एकदम गधे के लंड की तरह है,,, और तू कह रहा है कि छोटा पड़ जाता है,,, तेरा लंड किसी भी औरत के लिए सबसे ज्यादा लंबा है,,, तभी तो मेरी चीख निकाल देता है तू,,,,,


पर मुझे तो छोटा ही लगता है मैं सोचता हूं कि एकाद ईंच और बड़ा होता तो और मजा आता,,,

एकदम मामीचोद हो गया है तू,,,,, सांड़ जैसा लंड रखा है फिर भी बोलता है कि छोटा है,,,,,

मामी तुम्हारे मुंह से गाली मुझे बहुत अच्छी लगती है,,,,।

तो क्या मैं तुझे हरदम गाली देती रहूं (मंगल मुस्कुराते हुए बोली)

हां,,,,, दीया करो,,,,

तू सच में पागल है क्या तुझे गाली सुनने में ईतना अच्छा लगता है,,,। तब तो तेरे दोस्त भी तुझे जब गाली देते होंगे तो तू ऊन्हे कुछ नहीं कहता होगा,,,,

नहीं ऐसी बात नहीं है मुझे सिर्फ तुम्हारे मुंह से सुनना अच्छा लगता है दोस्तों के मुंह से नहीं,,,,

मेरे मुंह से तुझे क्यों अच्छा लगता है,,,,।

क्योंकि तुम एक औरत हो और मेरी मामी है इसलिए ना जाने क्यों तुम्हारे मुंह से मुझे गाली अच्छी लगती है (इतना कहते हुए वह मंगल के करीब जाने लगा)

कौन सी गाली तुझे अच्छी लगती है,,,

मामीचोद,,,,,( ब्लाउज के ऊपर से ही अपने मामी की चूची पर हाथ रखते हुए बोला,,,।)

वह तो तू हो ही गया है । (मंगल मुस्कुराते हुए बोली)

मैं समझा नहीं,,,,

तुझे गाली का मतलब पता भी नहीं है और तुझे अच्छा भी लगता है,,,,।

हां मुझे अच्छा लगता है लेकिन मामी इसका मतलब क्या होता है,,,।

जो तू मेरे साथ करता है,,


साफ-साफ बताओ ना पहेलियां क्यों बुझाती हो,,, ( ऐसा कहते हुए सूरज एक बार फिर से अपनी मामी को पीछे से बाहों में भर कर चूचियों को दबाने लगा,,।)

साफ-साफ कहूं तो,,, जब एक भांजा अपनी मामी को ही चोदने लगता है तो,,,वह मामीचोद हो जाता है।,,,,
( अपनी मामी की ऐसी बातें सुनकर सूरज के बदन में फिर से शुरूर चढ़ने लगा,,,, सूरज का लंड तनाव में आने लगा,,, वह अपनी मामी की मस्त बातों को सुनकर मस्त होता हुआ जोर-जोर से चूचियों को दबाना शुरु कर दिया,,, जिसकी वजह से मंगल के बदन में भी काम भावना ऊफान मारने लगा,,, और उसके मुंह सें स्तन मर्दन की वजह से दर्द के साथ सिसकारी छुटने लगी,,,।)

सससहहहहहह,,,,,, क्या कर रहा है,,,,


वही जो एक मामीचोद करता है,,,,


तू तो एकदम पक्का मामीचोद बन गया,,

बनाया किसने है,,,?

धत्त,,,, बदमाश हो गया है तू,,,,,
( मंगल अपने भांजे की हथेलियों से स्तन मर्दन का आनंद लेते हुए बोली,,,,)

मामी तुम पहले से ही ऐसे ही भोसड़ा चोदी थी कि अब बन गई,,,
( अपने भांजे के मुंह से अपने लिए इस तरह की गाली सुनकर मंगल एकदम आश्चर्य में पड़ गई,,,, उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि सूरज इस तरह की अश्लील शब्दों का प्रयोग करेगा और वह भी उसके ही लिए इसलिए अपने लिए भोसड़ा चोदी का संबोधन सुनकर,,, मंगल उत्तेजना में एकदम से गनगना गई,,,, इस गाली को सुनकर उसे अपने बचपन का दिन याद आ गया जिसे बचपन कहना ठीक नहीं था क्योंकि वह उस समय जवानी की दहलीज पर कदम रख रही थी,,, और कुदरत ने तो वैसे ही उसको बेइंतहा खूबसूरती बख्शी थी,, उस समय वह अपने गांव थी,,, गांव के लड़कों के साथ साथ दूसरे गांव के लड़के भी उसकी खूबसूरती के दीवाने थे,,, ऐसे ही उसकी एक सहेली थी जिसका नाम कमला था,,, वह भी खूबसूरत थी,,, लेकिन मंगल जितनी खूबसूरत नहीं थी और वह एक लड़के से प्यार करती थी जिसके पीछे वहां हमेशा लगी रहती थी लेकिन वह उसे बिल्कुल भी भाव नहीं देता था क्योंकि वह मंगल के पीछे पड़ा था और मंगल उसे बिल्कुल भी भाव नहीं देती थी क्योंकि वह,,, प्यार व्यार के चक्कर से कोसों दूर थी।
जब भी कमला उस लड़के से बात करनी को चलती तो वहां कोई ना कोई बहाना बनाकर वहां से हट जाता और हमेशा मंगल के ही इर्द गिर्द नजर आता,,, यह बात हमेशा कमला को खटकती रहती थी एक दिन वह उस लड़के को जबरदस्ती पकड़ कर उसी से यह पूछने लगे कि वह उससे प्यार करता है कि नहीं,, लेकिन वह लड़का इनकार कर दिया और बोला मैं तो मंगल से प्यार करता है जबकि वह एक तरफा ही प्यार था जबकी इस बारे में कुछ भी नहीं जानती थी,,, बिना कुछ सोचे समझे कमला अपनी सहेली मंगल से झगड़ा करने लगी और अपनी सहेलियों के बीच उससे गाली गलौज करने लगी,, उस दिन उसने मंगल को रंडी छिनाल भोसड़ा चौदी और ना जाने कौन कौन सी गाल़ी देकर उसे बेइज्जत करदी,,,,
उस दिन कमला की गाली गलौज से मंगल बेहद शर्मिंदगी महसूस करने लगी और वह रोने लगी उस दिन उसे अपने सहेली द्वारा दी गई गाली बहुत ही भद्दी लगी थी जिसकी वजह से उसे बहुत दुख हुआ था,,, लेकिन आज वही भद्दी गाली,,,, भोसड़ा चोदी जैसा संबोधन अपने लिए अपने ही भांजे के मुंह से सुनकर बेहद उत्तेजना का अनुभव कर रही थी और बहुत ही अच्छा भी लग रहा था,,,,,,, इसलिए वह मुस्कुराते हुए सूरजसे बोली,,,)

सूरज तू यह सब गाली कहां से सीख गया,,,

बस गांव के दोस्तों के मुंह से सुना था इसलिए आज तुम्हें कह दिया,,,

और कैसी-कैसी गाली देते हैं तेरे दोस्त,,,

रंडी छिनार बैंनचोद मादरचोद,,,भोसड़ा चोदी,,,,

छी,,,,, तेरे दोस्त तों बहुत गंदे हैं क्या तुझे भी ईस तरह की गाली देते थे,,,,

तो क्या खेल खेल मे वह लोग सब को गाली देते हैं,,,( इतना कहने के साथ ही वह एक बार फिर से ब्लाउज के बटन खोलने लगा लेकिन मंगल भी उसे रोक नहीं रही थी क्योंकि कुछ देर पहले कुछ देने के बावजूद इस समय फिर से उसकी बुर गीलीं होने लगी थी,,,, अगले ही पल सूरज ने एक बार फिर से अपनी मामी के ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए और उसकी नंगी चूची को हाथ में भरकर मसलने लगा,,,,)
ससससहहहहह आहहहहहहह सूरज धीरे से मसल दर्द हो रहा है,, अभी अभी तो तूने किया था और फिर शुरू हो गया,,,

क्या करूं मामी तुम्हें देखता हूं तो मेरा लंड बेकाबू हो जाता है,,,

धत्त,,, शैतान,,,,, ( अपनी हथेली को सूरज की हथेली पर रखकर जोर से दबाते हुए बोली,,, यह सूरज का हौसला बढ़ाने के लिए उस ने की थी और इसीलिए सूरज भी और जोर से मसलते हुए बोला,,,।)

अच्छा मामी तुम बताई नहीं कि तुम पहले से ही भोसड़ा चोदी थी या अब बन गई हो,,,

अब बन गई हूं,,,, तेरे लंबे और मोटे लंड को अपनी बुर में लेने के लिए भोसड़ा चोदी बन गई हुं,,,,,,,, क्यों तुझे अच्छा नहीं लगता,,,,

मुझे तो बहुत अच्छा लगता है मामी जब तुम अपनी टांगे फैलाकर अपना भोसड़ा मेरे लिए खोलती हो,, तब मन करता है कि ईसमें समा जाऊं,,,,
( ऐसा कहते हुए सूरज साड़ी के ऊपर से ही अपनी मामी की बुर को हथेली में दबोच लिया,,, जिससे मंगल उत्तेजना के मारे सिहर उठी,,,)
मामी तुम मेरी हो और हमेशा मेरी ही रहना,,,, तुम्हारी इस खूबसूरत बदन पर तुम्हारी चूची पर तुम्हारी मदद से गांड पर तुम्हारी बुर पर बस मेरा ही हक है,,,, किसी और के लिए. ईसे ( मंगल की टांगों को पकड़ कर) मत खोलना,,

( अपने भांजे की बात सुनकर मंगल एकदम भाव विभोर हो गई और बोली,,,।)

इस पर तेरा ही हक है यह टांगे खुलेगीे तो बस तेरे लिए ही,, किसी और के लिए नहीं,,,,

लेकिन मामा (इतना कहकर सूरज खामोश हो गया)

बिल्कुल भी नहीं खुलेंगी अब तों मैं तेरे मामा को जरा भी भाव नहीं देती,,,,

मुझे अब उनके लंड की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है मेरी बुर में बस तेरे लंड के लिए जगह है,,,,,

( दोनों की वार्तालाप एकदम अश्लील होती जा रही थी और दोनों को बेहद मजा भी आ रहा था,, सूरज की हरकत की वजह से सूरज के साथ-साथ मंगल भी पूरी तरह से कमोत्तेजित हो चुकी थी,,,, सूरज का लंड एक अपनी मामी की रसीली बुर की सैर करने के लिए तैयार हो चुका था,,, जो की सीधे उसके नितंबों पर धस रहा था। सूरज एक पल का भी विलंब करना बड़ा मुश्किल हुए जा रहा था इसलिए वह एक हाथ से अपने धोती खोल कर,,, चड्डी को नीचे सरका दिया,,, उसका लंबा मोटा लंड हवा में लहराने लगा और अगले ही पल वह पास में पड़ी स्टूल को अपनी तरफ खींच कर उस पर बैठ गया,,,, मंगल उसे देखती रही और वह अपनी मामी की तरफ देखकर अपने लंड को मुठीयाने लगा,,, दोनों के बदन में मदहोशी छाने लगी थी उन दोनों की आंखों में एक दूसरे के अंदर समा जाने की प्यास साफ झलक रही थी,,, अपने भांजे के खड़े लंड को देख कर मंगल की लार टपकने लगी,,, पूरा माहौल चुदास से भर चुका था,,,, मंगल का भी लावा पिघलने लगा था। मंगल चुदास से भर चुकी थी और खुद ही अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी,,, दोनों एक दूसरे की आंखों में डूबते चले जा रहे थे,,,, मंगल अपनी साड़ी उठाकर अपनी पैंटी को नीचे की तरफ सरकाने लगी,, और अगले ही पल वाह अपनी पैंटी को अपनी सुडौल टांगों से बाहर निकाल फेंकी ,,, मंगल के बदन में उत्तेजना के साथ-साथ मदहोशी छा चुकी थी उसकी आंखों में देख कर ऐसा लग रहा था कि शराब की पूरी बोतल गटक गई है।,, अपने भांजे के लंड को देखकर वास्तव में उसे नशा सा हो गया था और वह अपने भांजे को ललचाने के लिए अपनी बुर को अपनी हथेली से मसलते हुएगरम सिसकारी छोड़ने लगी,,,

सससहहहहहहह,,,,,, आहहहहहहहहह,, सससससस,, सूरज मेरे राजा देख मेरी बुर तेरे लंड को देखकर कैसे पिघल रही है। बस अब बिल्कुल भी देर मत कर अपने लंड को चोद़कर अपनी मामी की प्यास बुझा दे।,,,,,

( मंगल अपने भांजे को अपनी बुर का रास्ता दिखाते हुए उसे आमंत्रित कर रही थी और सूरज अपने लंड नुमा गाड़ी को पूरी तरह से लगाम कसे के घुसाने के लिए तैयार था,,,, वह भी जोर-जोर से अपने लंड को हीलाते हुए बोला,,,

ओहहहहहह मेरी जान मेरीे मंगल देख मेरा लंड भी तेरीे बुर में जाने के लिए तड़प रहा है,,,, अब बिल्कुल भी देर मत कर,,,,,, मेरी रानी,,,,, आजा मेरे लंड पर बैठ जा आजा मेरी जान,,, बिल्कुल भी देर मत कर,,,,,
( सूरज पूरी तरह से मदहोश होकर अपनी मामी को अपनी तरफ बुलाने लगा,,, उसकी मामी की बुर में खुजली मची हुई थी इसलिए वह मादक अदा के साथ अपने कदम बढ़ाते हुए अपने भांजे के करीब जाने लगी,,, मंगल की नजर अपने भांजे के मोटे लंड पर ही टिकी हुई थी,,, वह अपने भांजे के बिल्कुल करीब पहुंच गई और अपनी साड़ी को पूरी तरह से कमर तक उठा कर अपनी दोनों टांगों को स्टूल के इर्द-गिर्द रखते हुए,, अपनी भारी भरकम गांड को लंड के ऊपर रखने को हुई थी की,,, सूरज अपने दोनों हाथों से अपनी मामी की मदमस्त गांड को थामते हुए बोला,,,
ओहहहहहहहह मेरी जान तू बहुत खूबसूरत है तेरी गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो जाता है बस अपनी गांड को मेरे लंड पर रख दे मेरी जान,,,, मेरी रंडी मेरी छिनार मेरी भोसड़ा चोदी ले मेरे लंड को अपने भोसडे में डाल ले,,,,,

( अपने भांजे के मुंह पर गंदी बातें सुनकर मंगल और ज्यादा उत्तेजित हो गई और अपनी बुर की गुलाबी चूत को अपने भांजे के लंड के सुपाड़े पर रखते हुए,,, बैठने लगी,,, सूरज भी अपनी मामी की कमर थाम कर उसे नीचे की तरफ दबाने लगा और देखते ही देखते सूरज का मोटा लंबा लंड उसकी मामी की बुर में पूरी तरह से खो गया,,,,, बस फीर क्या था मंगल अपने भांजे के लंड पर कूदना शुरू कर दी,,,, दोनों एक दूसरे में समाने के लिए पूरी तरह से उत्तेजित हो गए मंगल सूरज को अपनी बाहों में भर कर जोर जोर से अपनी बड़ी बड़ी गांड को अपने भांजे के लंड पर पटक रही थी,,,, जिसकी वजह से सूरज पूरी तरह से मस्त हो चुका था और वह भी नीचे से ऊपर की तरफ धक्के लगा रहा था,,,, मंगल को इस समय अपने तरीके से चुदवाते हुए अगर कोई देख लेता तो जीस हरकत और मदहोश होकर मामी अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में ले रही थी उसे देखकर मंगल को रंडी ही समझता,,,
और वैसे भी औरतों को चुदवाने में असली मजा तभी आता है जब वह लंड लेते समय एकदम रंडियों की तरह हरकत करतीे हैं,,, सूरज पूरी तरह से चुदास से भर चुका था,,, और वहां अपनी मामी की बड़ी-बड़ी पपाया की जैसी चूची को मुंह में भरकर उस का रस पीने लगा था,,,, जिससे मंगल के उन्माद में निरंतर वृद्धि होती जा रही थी,,,,
फच्च,,,,, फच्च,,,,, की आवाज से पूरा कमरा गुंज रहा था,,,

मंगल की गर्म सिसकारियां इतनी तेज हो इतनी ज्यादा उन्मादक ठीक है अगर कोई सिर्फ उसकी सिसकारियों की आवाज सुने तो ऐसा ही लगेगा की वह कोई जोरदार चुदाई की आवाज सुन रहा है,,,, मदहोशी और संपूर्ण रूप से वासना युक्त चुदाई का खेल चल रहा था,,,, मंगल भी किसी कामदेवीं से कम नहीं लग रही थी वह जिस तरह से सूरज के लंबे लंबे लंड पर कूद-कूद कर लंड को अपनी बुर की गहराई में उतार रही थी ऐसा ही लग रहा था कि जैसे वह गंदी पिचारो की कलाकार हो,,,, सूरज को अपने लंड की गोलाई पर मंगल की बुर की दीवारें कसती हुई महसूस हो रही थी,,,, जिससे उसको आभास हो चुका था कि मंगल पानी छोड़ने वाली है और वैसे भी वह भी चरमोत्कर्ष के बिल्कुल करीब पहुंच चुका था मंगल जोर-जोर से अपने भांजे के लंड पर कूद रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई धोबी कपड़े को बड़े से पत्थर पर पटक-पटक कर धो रहा है,,,,, दोनों की सांसो की गति तेज होने लगी थी मंगल के मुंह से गरम सिसकारी की आवाज और ज्यादा तेज होती जा रही थी,,,,

ससससहहहहह आहहहहहहहह,,,,,,, ऊहहहहहहहह,,,, ओ मेरे राजा ऐसे ही चोद मुझे और जोर जोर से चोद,,,,, आहहहहहहह,,,,, चौद अपनी रानी को,,,, मेरी बुर का भोसड़ा बना दे,,,,,( अपनी मामी के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर सूरज एकदम जोश से भर गया,,, और वह बिना रुके नीचे से तेजी से धक्के लगाने लगा जिससे लगातार नैन मिला के मुंह से सिसकारी छूटने लगी)
आहहहह,,,,,,, आहहहहहह,,,,, आहहहह,,,,, आहहहहहह आाहहहहहहहहहह,,, मेरे राजा मेरे सूरज मैं तो गई मैं तो गई मेरे राजा,,,,,आहहहहहहहहह,,,,,, ऊइईईईीीईई मा,,,,,,
( इतना कहने के साथ ही वह अपने भांजे के लंड पर कूदते हुए पानी छोड़ दी और दो चार धक्कों के बाद ही सूरज भी अपने लंड की पिचकारी बुर में छोड़ दिया,,, दोनों एक बार फिर से संतुष्ट हो चुके थे,,,, दोनों कुछ देर बाद शांत हुए तो,, मंगल सूरज के लंड के ऊपर ऊठते हुए बोली,,,
अरे मैं तुझे एक बात तो बताना भूल ही गई,,,,

( ऐसा कहते हुए वह सूरज अपने कपड़े पहनने लगा मंगल भी बाजुमे पढ़ी हुई अपनी पैंटी को उठाकर अपनी टांग में डालते हुए बोली,,,)

हमें दो दिन बाद हमे मेरे गांव जाना है, मेरे छोटे भाई की शादी तय हुई है उस दिन में तुम्हे बताना भूल गईं,,

वाहहहह मामी तुमने तो मुझे बहुत अच्छी खबर सुनाई मुझे भी गांव जाने में बहुत मजा आता है,,,

लेकिन एक बात की टेंशन है,,,

टेंशन किस बात की टेंशन,,,

अरे यार यहां पर तो हम दोनों को यह सब करने के लिए मौका मिल ही जाता है लेकिन वहां पूरा परिवार होगा वहां कैसे मौका मिलेगा और मुझे तो जब तक तेरा लंड नहीं ले लुं तब तक मुझे चैन की नींद नहीं आती,,,,

कोई बात नहीं मामी तुम फिकर मत करो वहां भी मैं कोई ना कोई जुगाड़ ढूंढ ही लूंगा,,,

मुझे तेरे पर पूरा भरोसा है (मंगल मुस्कुराते हुए बोली)
 

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