सूरज बाजार में सुबह से शाम हो जाएगी काफी समय लगेगा तब तक तू अकेले रह लेगा क्या,,,,
तभी तो मैं जा नहीं रहा हूं ना मैं ईतना समय लगेगा तो मैं बोर हो जाऊंगा,,
( सूरज तो बस बहाना बना रहा था घर पर रुकने का क्योंकि वह जान चुका था कि उसकी सुधियां मामी भी रुकने वाली है और घर में उसकी सुधियां मामी भी और उसके सिवा कोई भी नहीं था अगर ऐसे में उसके मन में जो चल रहा है वह हो गया तो उसके तो भाग्य खुल जाएंगे यही सब सोचकर उसके मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी।)
चल कोई बात नहीं जैसा तुझे ठीक लगे तो यही कमरे में रहकर आराम करना
(इतना कहने के साथ ही मंगल दरवाजे की कुंडी लगाकर अपनी साड़ी को उतारने लगी ताकि दूसरी साड़ी पहन सके,,, कुछ ही सेकंड में मंगल अपने बदन से साड़ी को उतार कर बिस्तर पर फेंक दी उसके बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट ही था जो कि पेटीकोट काफी चुस्त होने की वजह से,,, उसकी भरावदार बड़ी-बड़ी गोल गांड उभरकर सामने नजर आ रही थी।
एक तो पहले से ही उसकी सुधियां मामी की गदराई जवानी उसके तन बदन में चिंगारियां पैदा कर रही थी और आंखों के सामने उसकी मंगल मामी की,,बड़ी बड़ी गांड शोले भड़काने लगी थी। काफीै दिन हो चुके थे सूरज को चुदाई कीए वैसे तो २ दिन ही गुजरे थे लेकिन एक एक दिन उसे महीनों जैसा लगता था ।जब तक वह अपनी मंगल मामी की बुर में लंड डालकर चोद न दे, तब तक ऊसका मन नहीं भरता था। इसलिए आज मौका देखकर वह बिस्तर पर पर से उठा और पीछे से जाकर मंगल मामी को अपनी बांहों में दबोच लिया,,,
लंड पहले से ही पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, इसलिए जैसे ही वह मंगल मामी को पीछे से बाहों में भरा, धोती में तना हुआ लंड,, सीधे पेटीकोट को चीरता हुआ गांड की दोनों फांखों के बीच धंसने लगा,,, जो हाल सूरज का हो रहा था वही हाल मंगल का भी था,,,, इसलिए एकाएक लंड की चुभन महसूस होती है वह उत्तेजना से सिहर उठी।
सूरज मंगल मामी को बाहों में भरते ही उसके गर्दन पर चुंबनों की बारिश कर दिया,,, उसकी इस हरकत पर मंगल इतराते हुए बोली,,,
अब जाकर तुझे अपनी मामी की याद आ रही है अब तक तो तू दूर ही दूर रह रहा था,,, सोचती थी गांव में जाकर खूब मजे करूंगी लेकिन दो दिन तक तूने ऐसे ही गुजार दिया,,,
मामी मैं तो हमेशा तैयार ही रहता था लेकिन तुम ही रात भर ना जाने कहां गायब रहती थी।
सूरज ब्लाउज के ऊपर से हीलाते मंगल मामी की चुचियों को दबाता हुआ बोला,,,
ससससहहहहह,,,, आहहहहहहहह,,,, क्या करूं सूरज इतने बरसों बाद आई हूं तो कोई ना कोई बुला ही लेता है बातें करने के लिए (मंगल सिसकारी लेते हुए बोली)
वह सब जाने दो अभी तो मौका मिला है तो क्यों ना इस मौके का फायदा उठा लिया जाए (और इतना कहने के साथ ही सूरज मंगल मामी को अपनी तरफ घुमा लिया और उसे गुलाबी होठों पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरु कर दिया,,, उसकी मामी भी उत्तेजित अवस्था में उसे अपनी बांहों में भर्ती हुई बोली।)
मौका तो है लेकिन ज्यादा समय नहीं है कोई भी मुझे बुलाने आ जाएगा,,( इतना कहने के साथ ही मंगल अपने भांजे के धोती में अपना हाथ डालकर उसके टनटनाए हुए लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर हीलाने लगी।
कोई बात नहीं मामी इतना समय तो बहुत है। उस तरफ घूम कर झुक जाओ बाकीे सब मैं संभाल लुंगा,,,,
देखना भांजे तू संभाल लेना अगर कोई आ गया बुलाने तो क्या होगा (और इतना कहते हुए वह दीवार की तरफ मुंह करके झुक गई)
तू चिंता मत कर मामी तब तक में हम दोनों का पानी निकल दुंगा ( इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी मामी की पीठ पर हाथ रखकर थोड़ा सा दबा कर उसे और झुकने का इशारा किया ताकि उनकी बड़ी बड़ी गांड थोड़ी और ऊपर की तरफ उठ जाएं,,,, मंगल भी कुछ ज्यादा ही चुदवासी हो चुकी थी इसलिए अपनी भांजे की बात मानते हुए थोड़ा सा और नीचे की तरफ झुक कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को उपर की तरफ उठा दी,,,,
सूरज अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड जौकी पेटीकोट में ढंकी होने के बावजूद भी अपना कहर पूरी तरह से ढाने में कारगर थी,,, वह एक पल की भी देरी किए बिना झटसे दोनों हाथों से अपनी मामी की पेटीकोट को पकड़कर उपर की तरफ सरकाने लगा और देखते ही देखते वह कमर तक पेटीकोट को उठा दिया,,,, गोरी गोरी गाल पर गुलाबी कलर की पेंटिं अपना कहर ढा रही थी जिसे देखते ही सूरज के मुंह से सिसकारी निकल गई,,,
ऊफ्फफफ,,,,,, मामी यह तेरी कच्छी मन करता है कि बिना उतारे ही ईसमे अपना लंड डाल दुं,,,
( इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी मामी की पेंटिं ऊतारे बिना ही उसपर दोनों हथेलियां रखकर नरम नरम गांड को दबाना शुरु कर दिया,,,, अपने भांजे की ऐसी कामुक हरकत की वजह से उसके बदन में उत्तेजना की लहर सर से पांव तक बड़ी तीव्र गति से दौड़ने लगी,,,
भांजे ऐसी बातों में ही वक्त जाया मत कर जरूर कोई आ जाएगा बुलाने तब हम दोनों प्यासे हीं रह जाएंगे,,,
( उसकी मामी सच कह रही थी यह बात सूरज भी अच्छी तरह से जानता था क्योंकि वह लोगों को बाजार जाना था,,,, इसलिए वक्त की नजाकत को समझते हुए सूरज अपनी मामी की बात सुनकर तुरंत पेंटिं को दोनों छोर से पकड़कर नीचे जांघाे तक सरका दिया,,, सूरज अपनी मामी की बुर हाथ लगा कर बुर की स्थिति का जायजा लिया तो इस बात का उसे एहसास हो गया कि उसकी मामी कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ रही थी,,, इसलिए ज्यादा देर ना लगाते हुए धोती को नीचे किया और अपने खड़ा लंड को अपनी मामी की बुर से सटाकर जोर से धक्का लगाया तो लंड सबकुछ चीरता हुआ,,, बुर की गहराई में उतर गया,,, इस धक्के से मंगल की चीख निकलते निकलते रह गई । मंगल कामोत्तेजित हुए बोली,,,,
सससहहहहहह,,,,,, बस सूरज अब रुकना नहीं जोर जोर से चोद मुझे मेरा पानी निकाल दे,,,,
इतना सुनना था कि सूरज भी जोश में आ गया और बिना रुके धक्के लगा कर अपनी मामी के बुर चोदना शुरू कर दिया,, नानी के गांव में दोनाे पहली बार चुदाई का आनंद ले रहे थे,,,, मंगल भी जिंदगी में पहली बार अपने गांव में चुदाई का आनंद ले रही थी,, इसलिए कुछ ज्यादा ही उत्तेजित नजर आ रही थी। वह भी जोर जोर से अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल ठेल कर अपने भांजे के लंड को अपनी बुर मे जल्दी से जल्दी ऊतारती चली जा रही थी।
अपनी मामी का छिनार पन सूरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ा दे रहा था,,,, इस समय बैलेंस से वह अपनी मामी की चुदाई कर रहा था लेकिन उसके जेहन में उसकी सुधियां मामी का गदराया बदन बसा हुआ था,,,
वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी सुधियां मामी,,, उसकी मंगल मामी जितनी खूबसूरत नहीं है लेकिन फिर भी किसी और औरत को चोदने की लालसा बढ़ती जा रही थी। इसलिए बार-बार उसे ऐसा ही लग रहा था कि वह अपनी सुधियां मामी की बालों वाली बुर में लंड डाल रहा है। वैसे भी मर्दों की प्यास एक औरत तक कहां सीमीत रहती है,, भले ही उसके बिस्तर पर दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत क्यों ना हो उसकी नजर इधर उधर चली जाती है,,,। यही सूरज के साथ भी हो रहा था वैसे भी सूरज भी तो एक मर्द ही था ।mऊसका लंड बड़ी तीव्र गति से उसकी मामी की बुर के अंदर बाहर हो रहा था।
मंगल अपने भांजे से चुदवाते हुए हल्की-हल्की सिसकारी ले रही थी ताकि उसकी आवाज कमरे से बाहर ना जा सके। सूरज की उत्तेजना पल पल बढ़ती जा रही थी जिसका, असर यह हो रहा था कि वह बार-बार अपनी मामी की गोरी गोरी गांड पर चपत लगा दे रहा था। और इस तरह से चपत लगाने की वजह से मंगल भी बेहद कामोत्तेजित हो करके जोर-जोर से अपनी गांड को पीछे दे रही थी,,, दोनों को इस समय गांव के घर के इस कमरे में बेहद आनंद आ रहा था। मंगल की हल्की हल्की गरम सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी सूरज की हालत भी पल-पल खराब होते जा रही थी।
लंड का कड़कपन मंगल की बुर की गहराई में और ज्यादा बढ़ता जा रहा था। कुछ ही देर में मंगल पसीने से तरबतर हो गई,, दोनों चरम सुख के बिल्कुल करीब पहुंच चुके थे,,, सूरज का धक्का तेज होता जा रहा था और साथ ही मंगल भी अपनी कमर को पीछे की तरफ बड़ी तेजी से उछालने लगी थी,,, सूरज की उत्तेजना उसके बस में बिल्कुल भी नहीं थी और आगे दोनों हाथ को बढ़ाकर अपनी मामी की दोनो चुचियों को पकड़कर दबाते हुए धक्के लगाने लगा,, दो चार धक्कों के बाद ही दोनों एक साथ झड़ गए,,,
मंगल जल्दी से अपने कपड़े पहन कर जा चुकी थी और कुछ ही देर में घर के सभी लोग बैलगाड़ी में बैठकर बाजार की तरफ निकल गए,,,
सुधियां अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी हुई थी उसकी आंखों के सामने से सूरज का तगड़ा लंड हटने का नाम नहीं ले रहा था।,, जब से उसने सूरज का संपूर्ण नग्नावस्था में दीदार की थी तब से उसकी हालत पतली हो गई थी उसकी आंखों की नींद और चैन सब कुछ उड़ गया था। बार-बार उसकी बुर गीली हो जा रही थी जिसे वह साड़ी से ही साफ कर दे रही थी,,,
आज बरसों के बाद उसके मन में भी एक अजीब सी हलचल मची हुई थी उसका मन सूरज के प्रति मचलने लगा था। ना जाने उसके मन में कैसे-कैसे ख्याल आता रहे थे। जिंदगी में उसने भी कभी दूसरे पुरुष का संसर्ग नहीं की थी। लेकिन आज उसका मन विचलित हो रहा था। वह जानती थी कि सूरज भी घर पर मौजूद है वह साथ में बाजार नहीं गया है।,, बहुत कुछ सोचने के बाद वह सूरज के कमरे की तरफ चल दी।
तभी तो मैं जा नहीं रहा हूं ना मैं ईतना समय लगेगा तो मैं बोर हो जाऊंगा,,
( सूरज तो बस बहाना बना रहा था घर पर रुकने का क्योंकि वह जान चुका था कि उसकी सुधियां मामी भी रुकने वाली है और घर में उसकी सुधियां मामी भी और उसके सिवा कोई भी नहीं था अगर ऐसे में उसके मन में जो चल रहा है वह हो गया तो उसके तो भाग्य खुल जाएंगे यही सब सोचकर उसके मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी।)
चल कोई बात नहीं जैसा तुझे ठीक लगे तो यही कमरे में रहकर आराम करना
(इतना कहने के साथ ही मंगल दरवाजे की कुंडी लगाकर अपनी साड़ी को उतारने लगी ताकि दूसरी साड़ी पहन सके,,, कुछ ही सेकंड में मंगल अपने बदन से साड़ी को उतार कर बिस्तर पर फेंक दी उसके बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट ही था जो कि पेटीकोट काफी चुस्त होने की वजह से,,, उसकी भरावदार बड़ी-बड़ी गोल गांड उभरकर सामने नजर आ रही थी।
एक तो पहले से ही उसकी सुधियां मामी की गदराई जवानी उसके तन बदन में चिंगारियां पैदा कर रही थी और आंखों के सामने उसकी मंगल मामी की,,बड़ी बड़ी गांड शोले भड़काने लगी थी। काफीै दिन हो चुके थे सूरज को चुदाई कीए वैसे तो २ दिन ही गुजरे थे लेकिन एक एक दिन उसे महीनों जैसा लगता था ।जब तक वह अपनी मंगल मामी की बुर में लंड डालकर चोद न दे, तब तक ऊसका मन नहीं भरता था। इसलिए आज मौका देखकर वह बिस्तर पर पर से उठा और पीछे से जाकर मंगल मामी को अपनी बांहों में दबोच लिया,,,
लंड पहले से ही पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, इसलिए जैसे ही वह मंगल मामी को पीछे से बाहों में भरा, धोती में तना हुआ लंड,, सीधे पेटीकोट को चीरता हुआ गांड की दोनों फांखों के बीच धंसने लगा,,, जो हाल सूरज का हो रहा था वही हाल मंगल का भी था,,,, इसलिए एकाएक लंड की चुभन महसूस होती है वह उत्तेजना से सिहर उठी।
सूरज मंगल मामी को बाहों में भरते ही उसके गर्दन पर चुंबनों की बारिश कर दिया,,, उसकी इस हरकत पर मंगल इतराते हुए बोली,,,
अब जाकर तुझे अपनी मामी की याद आ रही है अब तक तो तू दूर ही दूर रह रहा था,,, सोचती थी गांव में जाकर खूब मजे करूंगी लेकिन दो दिन तक तूने ऐसे ही गुजार दिया,,,
मामी मैं तो हमेशा तैयार ही रहता था लेकिन तुम ही रात भर ना जाने कहां गायब रहती थी।
सूरज ब्लाउज के ऊपर से हीलाते मंगल मामी की चुचियों को दबाता हुआ बोला,,,
ससससहहहहह,,,, आहहहहहहहह,,,, क्या करूं सूरज इतने बरसों बाद आई हूं तो कोई ना कोई बुला ही लेता है बातें करने के लिए (मंगल सिसकारी लेते हुए बोली)
वह सब जाने दो अभी तो मौका मिला है तो क्यों ना इस मौके का फायदा उठा लिया जाए (और इतना कहने के साथ ही सूरज मंगल मामी को अपनी तरफ घुमा लिया और उसे गुलाबी होठों पर अपने होंठ रख कर चूसना शुरु कर दिया,,, उसकी मामी भी उत्तेजित अवस्था में उसे अपनी बांहों में भर्ती हुई बोली।)
मौका तो है लेकिन ज्यादा समय नहीं है कोई भी मुझे बुलाने आ जाएगा,,( इतना कहने के साथ ही मंगल अपने भांजे के धोती में अपना हाथ डालकर उसके टनटनाए हुए लंड को अपनी मुट्ठी में भरकर हीलाने लगी।
कोई बात नहीं मामी इतना समय तो बहुत है। उस तरफ घूम कर झुक जाओ बाकीे सब मैं संभाल लुंगा,,,,
देखना भांजे तू संभाल लेना अगर कोई आ गया बुलाने तो क्या होगा (और इतना कहते हुए वह दीवार की तरफ मुंह करके झुक गई)
तू चिंता मत कर मामी तब तक में हम दोनों का पानी निकल दुंगा ( इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी मामी की पीठ पर हाथ रखकर थोड़ा सा दबा कर उसे और झुकने का इशारा किया ताकि उनकी बड़ी बड़ी गांड थोड़ी और ऊपर की तरफ उठ जाएं,,,, मंगल भी कुछ ज्यादा ही चुदवासी हो चुकी थी इसलिए अपनी भांजे की बात मानते हुए थोड़ा सा और नीचे की तरफ झुक कर अपनी बड़ी बड़ी गांड को उपर की तरफ उठा दी,,,,
सूरज अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड जौकी पेटीकोट में ढंकी होने के बावजूद भी अपना कहर पूरी तरह से ढाने में कारगर थी,,, वह एक पल की भी देरी किए बिना झटसे दोनों हाथों से अपनी मामी की पेटीकोट को पकड़कर उपर की तरफ सरकाने लगा और देखते ही देखते वह कमर तक पेटीकोट को उठा दिया,,,, गोरी गोरी गाल पर गुलाबी कलर की पेंटिं अपना कहर ढा रही थी जिसे देखते ही सूरज के मुंह से सिसकारी निकल गई,,,
ऊफ्फफफ,,,,,, मामी यह तेरी कच्छी मन करता है कि बिना उतारे ही ईसमे अपना लंड डाल दुं,,,
( इतना कहने के साथ ही सूरज अपनी मामी की पेंटिं ऊतारे बिना ही उसपर दोनों हथेलियां रखकर नरम नरम गांड को दबाना शुरु कर दिया,,,, अपने भांजे की ऐसी कामुक हरकत की वजह से उसके बदन में उत्तेजना की लहर सर से पांव तक बड़ी तीव्र गति से दौड़ने लगी,,,
भांजे ऐसी बातों में ही वक्त जाया मत कर जरूर कोई आ जाएगा बुलाने तब हम दोनों प्यासे हीं रह जाएंगे,,,
( उसकी मामी सच कह रही थी यह बात सूरज भी अच्छी तरह से जानता था क्योंकि वह लोगों को बाजार जाना था,,,, इसलिए वक्त की नजाकत को समझते हुए सूरज अपनी मामी की बात सुनकर तुरंत पेंटिं को दोनों छोर से पकड़कर नीचे जांघाे तक सरका दिया,,, सूरज अपनी मामी की बुर हाथ लगा कर बुर की स्थिति का जायजा लिया तो इस बात का उसे एहसास हो गया कि उसकी मामी कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ रही थी,,, इसलिए ज्यादा देर ना लगाते हुए धोती को नीचे किया और अपने खड़ा लंड को अपनी मामी की बुर से सटाकर जोर से धक्का लगाया तो लंड सबकुछ चीरता हुआ,,, बुर की गहराई में उतर गया,,, इस धक्के से मंगल की चीख निकलते निकलते रह गई । मंगल कामोत्तेजित हुए बोली,,,,
सससहहहहहह,,,,,, बस सूरज अब रुकना नहीं जोर जोर से चोद मुझे मेरा पानी निकाल दे,,,,
इतना सुनना था कि सूरज भी जोश में आ गया और बिना रुके धक्के लगा कर अपनी मामी के बुर चोदना शुरू कर दिया,, नानी के गांव में दोनाे पहली बार चुदाई का आनंद ले रहे थे,,,, मंगल भी जिंदगी में पहली बार अपने गांव में चुदाई का आनंद ले रही थी,, इसलिए कुछ ज्यादा ही उत्तेजित नजर आ रही थी। वह भी जोर जोर से अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेल ठेल कर अपने भांजे के लंड को अपनी बुर मे जल्दी से जल्दी ऊतारती चली जा रही थी।
अपनी मामी का छिनार पन सूरज की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ा दे रहा था,,,, इस समय बैलेंस से वह अपनी मामी की चुदाई कर रहा था लेकिन उसके जेहन में उसकी सुधियां मामी का गदराया बदन बसा हुआ था,,,
वह अच्छी तरह से जानता था कि उसकी सुधियां मामी,,, उसकी मंगल मामी जितनी खूबसूरत नहीं है लेकिन फिर भी किसी और औरत को चोदने की लालसा बढ़ती जा रही थी। इसलिए बार-बार उसे ऐसा ही लग रहा था कि वह अपनी सुधियां मामी की बालों वाली बुर में लंड डाल रहा है। वैसे भी मर्दों की प्यास एक औरत तक कहां सीमीत रहती है,, भले ही उसके बिस्तर पर दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत क्यों ना हो उसकी नजर इधर उधर चली जाती है,,,। यही सूरज के साथ भी हो रहा था वैसे भी सूरज भी तो एक मर्द ही था ।mऊसका लंड बड़ी तीव्र गति से उसकी मामी की बुर के अंदर बाहर हो रहा था।
मंगल अपने भांजे से चुदवाते हुए हल्की-हल्की सिसकारी ले रही थी ताकि उसकी आवाज कमरे से बाहर ना जा सके। सूरज की उत्तेजना पल पल बढ़ती जा रही थी जिसका, असर यह हो रहा था कि वह बार-बार अपनी मामी की गोरी गोरी गांड पर चपत लगा दे रहा था। और इस तरह से चपत लगाने की वजह से मंगल भी बेहद कामोत्तेजित हो करके जोर-जोर से अपनी गांड को पीछे दे रही थी,,, दोनों को इस समय गांव के घर के इस कमरे में बेहद आनंद आ रहा था। मंगल की हल्की हल्की गरम सिसकारियां पूरे कमरे में गूंज रही थी सूरज की हालत भी पल-पल खराब होते जा रही थी।
लंड का कड़कपन मंगल की बुर की गहराई में और ज्यादा बढ़ता जा रहा था। कुछ ही देर में मंगल पसीने से तरबतर हो गई,, दोनों चरम सुख के बिल्कुल करीब पहुंच चुके थे,,, सूरज का धक्का तेज होता जा रहा था और साथ ही मंगल भी अपनी कमर को पीछे की तरफ बड़ी तेजी से उछालने लगी थी,,, सूरज की उत्तेजना उसके बस में बिल्कुल भी नहीं थी और आगे दोनों हाथ को बढ़ाकर अपनी मामी की दोनो चुचियों को पकड़कर दबाते हुए धक्के लगाने लगा,, दो चार धक्कों के बाद ही दोनों एक साथ झड़ गए,,,
मंगल जल्दी से अपने कपड़े पहन कर जा चुकी थी और कुछ ही देर में घर के सभी लोग बैलगाड़ी में बैठकर बाजार की तरफ निकल गए,,,
सुधियां अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी हुई थी उसकी आंखों के सामने से सूरज का तगड़ा लंड हटने का नाम नहीं ले रहा था।,, जब से उसने सूरज का संपूर्ण नग्नावस्था में दीदार की थी तब से उसकी हालत पतली हो गई थी उसकी आंखों की नींद और चैन सब कुछ उड़ गया था। बार-बार उसकी बुर गीली हो जा रही थी जिसे वह साड़ी से ही साफ कर दे रही थी,,,
आज बरसों के बाद उसके मन में भी एक अजीब सी हलचल मची हुई थी उसका मन सूरज के प्रति मचलने लगा था। ना जाने उसके मन में कैसे-कैसे ख्याल आता रहे थे। जिंदगी में उसने भी कभी दूसरे पुरुष का संसर्ग नहीं की थी। लेकिन आज उसका मन विचलित हो रहा था। वह जानती थी कि सूरज भी घर पर मौजूद है वह साथ में बाजार नहीं गया है।,, बहुत कुछ सोचने के बाद वह सूरज के कमरे की तरफ चल दी।