Incest गांव का मौसम ( बड़ा प्यारा )

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हां शालू मैं अपनी नजरें हटा सकता था वहां से जा सकता था लेकिन एक मर्द के लिए यह नजारा बेहद मादक होता है भला वह औरतों के इस नग्नता के मादकता से कैसे बच सकता है मैं अपने आपको बहुत संभालने की कोशिश किया लेकिन मैं अपने आप को संभाल नहीं पाया,,,

फिर झूठ तुम थोड़ा सा भी अपने आप को संभालने की कोशिश नहीं किए बल्कि तुम तो, मेरी मां की गांड देखकर अपना वह निकाल लिए थे,,,
( सूरज शालू के मुंह से इतना सुनते ही उत्तेजना से भर गया क्योंकि वह जानता था कि शालू क्या निकालने के लिए बात कर रही थी उसे उम्मीद नहीं थी कि शालू इतनी जल्दी यहां तक पहुंच जाएगी,,, उसे शालू की यह बात बेहद सुकून भरी लग रही थी शालू भी हैरान थी कि उसके मुंह से ऐसा क्यों निकल जा रहा है,,, शालू की बात को समझने के बावजूद भी अनजान बनते हुए सूरज बोला,,)

क्या निकाल लिए थे,,,?

अपना वो,,,,( शालू नजरें नीचे झुकाते हुए बोली,,।)

अपना वो मैं कुछ समझा नहीं तुम क्या कह रही हो,,,

देखो सूरज जान कर भी अनजान बनने की कोशिश मत करो,,,

मैं कहां इंसान बनने की कोशिश कर रहा हूं तुम्ह़ी मुझे बात को गोल-गोल घुमाते हुए बोल रही हो,,,, सीधे-सीधे क्यों नहीं बता देती कि मैंने क्या गलती किया हुं,,,,
( सूरज की बात सुनकर शालू खामोश हो गई वह सब कुछ बोल देना चाह रही थी लेकिन उसे बोलते हुए शर्म सी आ रही थी,,, मुख्य सड़क पर साइकल अपने गति से चली जा रही थी। बाजार आने वाला था सूरज को यह नहीं मालूम था कि बाजार कब आएगा इसलिए वह बात को आगे बढ़ातै हुए बोला,,,)

खैर छोड़ो खामखा तुम मुझ पर इल्जाम लगा रही हो अच्छा यह बताओ बाजार कितनी दूर है अभी,,,,

बस आने ही वाला है और मैं खामखा तुम पर इल्जाम नहीं लगा रहे हैं मैं जो देखी वही बता रही हूं,,,

देखो शालू तुमने कुछ नहीं देखी जो देखी सब अधूरा देखी हो और अपने मन से ही मनगढ़ंत कहानी बना रही हो,,,,


मैं मनगढ़ंत कहानी नहीं बना रही हूं मैं जो कह रही हूं सब सच कह रही हूं तुमने मेरी मां की गांड को देखकर अपना लंड बाहर निकाल कर उसे हिलाने लगे थे,,,
( शालू आवेश में आकर बोल गई लेकिन लंड शब्द बोलते ही उसके तन बदन में अजीब सी हलचल होने लगी,,, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके मुंह से ऐसे शब्द निकल गए,,, और सूरज शालू के मुंह से यह सुनकर मंद मंद मुस्कुराने लगा और उसकी मुस्कुराहट इस बात का सबूत था कि जैसा वह चाह रहा था वैसा ही हो रहा है,,, सूरज जानबूझकर इस बात का एहसास शालू को बिल्कुल भी नहीं दिला रहा था कि उसके मुंह से क्या निकल गया इसलिए वह खुद ही जल्दी से बोला।)

शालू इसमें क्या मेरी गलती है मेरे जैसा जवान लड़का अगर किसी खूबसूरत औरत को इस हाल में देखेगा तो क्या करेगा,,( अब सूरज शालू को बहकाने के लिए उसकी मां के बारे में बढ़ा चढ़ाकर बोलने लगा।) और शालू तुम्हारी मां कितनी ज्यादा खूबसूरत हैं लंबी तंबी है,, चौड़ा सीना, और छातियों की शोभा बढ़ाते हुए उनकी बड़ी बड़ी चूचियां,,,

यह क्या कह रहे हो सूरज,,( शालू सूरज को टोकते हुए बोली लेकिन सूरज बिना रुके ही बोला,,,)

अरे पहले सुनो तो,,, मैं सच कह रहा हूं तुम्हारी मां बहुत खूबसूरत है तुम्हें पता है तुम्हारी मां की चुचिया इतनी बड़ी-बड़ी है कि ठीक तरह से ब्लाउज में भी नहीं समा पाती,,,, और उनकी गांड कितनी गोल-गोल और बड़ी है कि साड़ी के ऊपर से भी सब कुछ साफ साफ नजर आता है,,
( सूरज जानबूझकर खुले शब्दों में शालू की मां की तारीफ करते हुए उनकी नग्नता को अपने शब्दों में ढालते हुए शालू को बता रहा था,,, शालू की चढ़ती जवानी भी,, ऊबाल मार रही थी,,, इसलिए तो अब वह सूरज को रोक नहीं रही थी बल्कि उसकी बातों का मजा ले रही थी उसे भी अपनी मां की ही सही और इस तरह की बातें अच्छी लग रही थी,,, सूरज तो अब एकदम बेशर्मी पर उतर आया था इसलिए अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)

और जरा सोचो जब तुम्हारी मां की मदमस्त गांड साड़ी के ऊपर कितनी खूबसूरत लगती है तो जब वह साड़ी उठा देती तो कितनी खूबसूरत लगती और यही उस दिन भी मेरे साथ हुआ जिसकी गांड को मैं साड़ी के ऊपर से देख देख कर ना जाने कैसी खुमारी में मदहोश होने लगा था,,, और वही गांड जब मैं पूरी तरह से नंगी देखा तो मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपना लंड निकाल कर हिलाने लगा,,,,, ( सूरज पूरी तरह से बेशर्म बनकर शालू के सामने खुले शब्दों में उस दिन के वाक्ये को बंया कर रहा था,, जिसे सुनकर शालू के तन-बदन में भी खुमारी छाने लगी,,,,)
शालू यही मेरी गलती है जो कि इसमें भी मेरी कोई गलती नहीं है यह सब उम्र का दोष है,,,,

बात अगर इतने से रुक जाती सूरज तो शायद में तुम्हें माफ कर देती लेकिन तुमने तो बात को और ज्यादा बढ़ा दिया,,,,

मैंने कहा बात को आगे बढ़ा दिया,,,,

चलो बनो मत,, तुम उसी तरह से अपने उसको,,,, हिलाते हुए मेरी मां के पीछे चले गए जब वह बैठकर पेशाब कर रही थी,,, और फिर,,, (इतना कहकर शालू खामोश हो गई क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि इसके आगे वह अपनी बात कहने के लिए उन शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकती थी क्योंकि यह उसके संस्कार के खिलाफ थे लेकिन उम्र का पड़ाव उसे वह शब्द बोलने के लिए मजबूर कर रहे थे लेकिन शालू की खामोशी को देखकर सूरज बोला ।)


और फिर,,,, और फिर क्या,,,,?
( सूरज जानता था कि शालू इसके आगे क्या कहने वाली है और वह उसके मुंह से सुनना चाहता था,,, शालू मन ही मन में सोच रही थी ईतना कुछ तो बोल गई है यह भी बोल दे,,, वैसे भी उसकी चढ़ती जवानी यह सब गंदी बातों के चलते मदहोश होने लगी थी और उसे भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी इसलिए वह भी अश्लील शब्दों को बोलकर उन शब्दों के एहसास का मजा लेना चाहती थी इसलिए वह बोली,,,)

फिर क्या,,,,,,, तुम ,,,, अपने उसको हिलाते हुए मेरी मां के उस में डाल दिए,,,,,( शालू शरमाते हुए और घबराते हुए बोल गई,,,,, लेकिन इतना बोलते ही उसके जांघों के बीच हलचल सी होने लगी,,,, उसकी कुंवारी बुर में नमकीन पानी का सैलाब उठने लगा,,, सूरज तो शालू के मुंह से सुनने के लिए बेकरार सा बैठा था और जैसे ही उसके मुंह से इतना सुना वह झट से बोला,,,


किसमे,,, बुर मे,,,, ( सूरज बुर शब्द एकदम बेशर्मों की तरह बोला था,,,)


जब जानते हो तो फिर क्यों बोलते हो,,,,
( शालू सूरज की बातों पर एतराज जताते हुए बोली लेकिन उसके मुंह से बुर शब्द सुनकर उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,,)

हां ऐसा ही हुआ शालू लेकिन इसमें क्या मेरा दोष था। तुम सब कुछ देख रही थी तो यह भी देखी होगी कि किस तरह से तुम्हारी मां अपनी बड़ी बड़ी गांड और अपनी रसीली बुर दिखाते हुए मूत रही थी,,,,( सूरज अपनी बेशर्मी का पारा और ज्यादा नीचे गिराते जा रहा था,,,) और तुम ही सोचो जब एक जवान लड़का और एक औरत की बहुत मस्त गांड और उसकी रसीली बुर देखेगा तो उससे भला कैसे रहा पाएगा,,, यह तो एक तरह से औरत की तरफ से मर्दों के लिए निमंत्रण हो गया और मैं भी तुम्हारी मां के दिए गए इस निमंत्रण को स्वीकार करते हुए वही किया जो एक मर्द को करना चाहिए था मैंने भी अपने लंड को तुम्हारी मां की बुर में डालकर उन्हें चोदने लगा,,,,
( सूरज उत्तेजनात्मक स्वर में साइकल को चलाते हुए बोल रहा था,,, उसे मालूम था कि वह जिन शब्दों का प्रयोग कर रहा है वह शब्द शालू के शालू मन पर बहुत भारी पड़ने वाले हैं और उसकी सोच बिल्कुल सही थे शालू एकदम उत्तेजना ग्रस्त हो़ चुकी थी,,, चोदना शब्द सुनकर तो उसके तन-बदन में आग लग सी गई थी,,, सूरज के द्वारा कामुक शब्दों में वर्णन सुनकर शालू की आंखों के सामने रात वाली घटना संपूर्ण रूप से किसी फिल्म के चलचित्र की तरह घूमने लगी,,, वह पल भर में ही सोचने लगी कि कैसे उसकी मां अपनी साड़ी उठाकर मुतने के लिए तैयार थी और सूरज उसकी मां की बड़ी बड़ी गांड को देख कर एकदम से चुदवासा हो गया था पीछे से जाकर उसकी मां की बुर में लंड डालकर चोदने लगा था,,,, यह सब सोचकर शालू का गोरा चेहरा उत्तेजना के मारे लाल टमाटर की तरह हो गया,, जोकी साइकल में लगे शीशे में सूरज को साफ साफ नजर आ रहा था,,,, तभी वह शरमाते हुए धीमे स्वर में सूरज से बोली,,,)

लेकिन तुम्हें यह नहीं करना चाहिए था तुम अपने आपको रोक सकते थे,,,

रोक तो मुझे तुम्हारी मां मतलब की मामी भी सकती थी।,,,, लेकिन उन्होंने भी मुझे नहीं रोका यह भी तुम अच्छी तरह से देख रही होगी,,,,
( सूरज की यह बात सुनकर शालू सोचने लगी कि सूरज सच ही कह रहा है क्योंकि वह भी अच्छी तरह से देखी थी की,,, सूरज द्वारा इतनी है गंदी हरकत के बावजूद भी उसकी मां उसे बिल्कुल भी रोकने की कोशिश नहीं की थी वह सब सोच ही रही थी कि तभी सूरज बोला,,,)
तुम बेकार में बात का बतंगड़ बना रही हो अगर मेरी हरकत ऊन्हे गंदी लगती तो वह खुद ही मुझे रोक दी होती,,,, लेकिन उन्होंने मुझे बिल्कुल भी नहीं रोकी बाकी तुम अच्छी तरह से देख रही होगी कि वह खुद ही मुझे झोपड़ी में चलने के लिए कह रही थी,,,,
( सूरज की यह बातों ने शालू को एकदम खामोश कर दिया,, क्योंकि जो कुछ भी सूरज कह रहा था वह बिल्कुल सच कह रहा था शालू मन में सोचने लगे कि अगर उसकी मां को एतराज होता तो उसे थप्पड़ मारकर उसे रोक देती लेकिन वह तो खुद ही उसे पास की झोपड़ी में जाने के लिए कह रही थी,,,, तभी शालू बोली,,,)

यही बात तो मुझे भी समझ में नहीं आ रही है अगर तुम इतना आगे बढ़ गए फिर तो मां तुम्हें रोक सकती थी तुम्हें मार सकती थी लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ भी नहीं किया तभी तो मैं मां से भी नाराज हो लेकिन मुझे यह समझ में नहीं आता कि मां ने आखिर ऐसा किया क्यों नहीं तुम्हें आगे क्यों बढ़ने दिया,,,, मां के हाव भाव से ऐसा लग रहा था कि तुम दोनों के बीच पहले से ही,,,,,
( इतना कहकर शालू खामोश हो गई और शालू की बात को सूरज आगे बढ़ाते हुए बोला।)

तुम सही सोच रही हो शालू मैं तुमसे कुछ भी नहीं छुपाऊंगा,,,,

सूरज सोच रहा था कि अब सही मौका आ गया है सब कुछ बताने का और वह जानता था कि उसकी नमक मिर्ची लगी गंदी बातों को सुनकर शालू का शालू मन मदहोश होने लगेगा और वह मदहोश हो रही शालू के साथ वह सब आसानी से कर लेगा जो वह उसकी मां के साथ कर दे एकदम मस्त हो गया था,,,, इसलिए वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,,

तुम सही सोच रही हो कि मेरी हरकत के बावजूद भी तुम्हारी मां कुछ बोली थी वही मुझे रोकी क्यों नहीं क्योंकि हम दोनों के बीच पहले भी शारीरिक संबंध बन चुका था,,,,


क्या मुझे यकीन नहीं हो रहा है,,,, ।( शालू आश्चर्य से बोली।)

यही सच है शालू,,,,


तुम तो इतने गंदे हो वह हमें समझ सकती हूं लेकिन मेरी मां ऐसी नहीं हो सकती क्योंकि आज तक मैंने उनके बारे में कहीं भी किसी के भी मुंह से ऐसी बातें नहीं सुनी हुं की उन पर इस तरह का सक कर सकूं,,,,,


देखो शालू मैं जानता हूं कि तुम्हारी मां बहुत अच्छी हैं लेकिन यह सब अनजाने में ही हो गया,,,,


अनजाने में नहीं यह सब तुम दोनों का किया कराया है अब तो मुझे अपनी मां पर भी नफरत होने लगी है मुझे यकीन नहीं होता है कि मैं उनकी बेटी हूं तुम दोनों अपने रिश्तो का लिहाज बोलकर एक दूसरे के साथ इस तरह के संबंध बनाते आ रहे हो और तुम दोनों को जरा भी शर्म भी नहीं आई,,,,, ( शालू गुस्से में बोली जा रही थी, उसे अब अपनी मां पर भी बेहद क्रोध आ रहा था उसे अब तक सिर्फ शक हो रहा था कि उस रात के पहले भी उसकी मां का संबंध सूरज के साथ था लेकिन सूरज के मुंह से सुन लेने के बाद उसका शक यकीन में और सच्चाई से वाकिफ हो चुका था उसे अपनी मां से यह बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी इसलिए उसे अपनी मां से नफरत सी होने लगी थी और वह सूरज को भी भला बुरा कहे जा रही थी,,,,
सूरज उसे समझाने की बहुत कोशिश कर रहा था लेकिन शालू अब कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थी जिस रिश्ते को याद करके उसके बदन में काम उत्तेजना का अनुभव हो रहा था अब उसकी जगह आवेश और क्रोध में ले लिया था अब शालू उस दृश्य को याद करके जब उसकी मां साड़ी उठाकर पेशाब करने की तैयारी कर रही थी और सूरज अपना लंड धोती से बाहर निकालकर मसल रहा था,,, यह सब दृश्य उसे दोनों की साजिश के तहत लगने लगी,,,, पीछे से जाकर उसकी मां की बुर में सूरज का युं लंड डालना,, शालू के क्रोध को और भी ज्यादा बढ़ा रहा था,,, बार-बार उसे वह दृश्य याद आ रहा था जब,,,, सूरज उसकी मां की बुर में लंड डाला था तब उसकी मां हैरान परेशान और क्रोधित होने की वजह यह जानकर कि उसकी बुर में लंड डालने वाला दूसरा कोई नहीं सूरज है तो वह मुस्कुराने लगी थी,,,,

और तब तक सूरज भी दो तीन बार उसकी बुर में लंड को अंदर बाहर कर चुका था और यह हरकत कोई और ना देख ले इसलिए खुद ही उसे झोपड़ी में चलने का इशारा की थी ताकि वहां खुलकर चुदाई का मजा ले सकें,,, यह सब याद करके उसके बदन में क्रोध की ज्वाला फूट रही थी वह दोनों के प्रति एकदम आवेश में आ चुकी थी,,,,


सूरज और उसकी मां के बीच चुदाई का पल पल का दृश्य उसकी आंखों के सामने नाच रहा था लेकिन इस समय उस दृश्य को याद करके उसके बदन में किसी भी प्रकार की उत्तेजना का अनुभव नहीं बल्कि क्रोध का एहसास हो रहा था। सूरज लाख समझाने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह सुनने को तैयार ही नहीं थी सूरज को लगने लगा कि उसका खेल उल्टा पड़ने लगा है। अब शालू को समझाना नामुमकिन सा होता जा रहा था और उसके हाथ में आई बाजी उसे उसके हाथ से निकलती हुई लगने लगी थी इस सुनहरे मौके पर उसे पूरा विश्वास था कि वह आज शालू के खूबसूरत जिस्म को हासिल करके रहेगा और उसके बदन के मदन रस को अपने होठों से पिएगा लेकिन शालू के गुस्से को देखते हुए उसे यह सब नामुमकिन सा लगने लगा वह कैसे शालू को मनाए कैसे उसके बदन अपनी बाहों में भर पाए यह सब सोच ही रहा था कि तब तक बाजार आ गया।



बाजार आ चुका था,, गांव का बाजार होने की वजह से बाजार कुछ खास बड़ा नहीं होता लेकिन जरूरत का सामान मिल ही जाता था। सूरज के चेहरे पर हाथ में आया मौका खो जाने का डर साफ नजर आ रहा था। उसने यहां आने से पहले ना जाने कितने ख्वाब देख चुका था शालू को लेकर,,, वाह सोच रहा था कि उसकी कामुक बातों की वजह से शालू कामोत्तेजित हो जाएगी और वो उसके साथ संभोग सुख भोग सकेगा और उसे ऐसा होता नजर भी आने लगा था लेकिन ऐन मौके पर शालू का रवैया बदलने लगा,,,, और उसका बदला हुआ मूड देखकर सूरज को अपने किए कराए पर पानी फिरता नजर आने लगा,,,,,, सूरज साइकल बाजू में खड़ी किया ही था कि शालू खुद ही कपड़े की दुकान में चली गई और वहां जाकर कपड़े पसंद करने लगी,,, सूरज भी तिनकों को सहारा समझकर मन में आग जगाए हुए शालू के पीछे पीछे वह भी दुकान में प्रवेश कर गया,,, शालू काउंटर पर अपने लिए कपड़े निकलवा रही थी,,, काउंटर पर खड़ी लड़की भी मुस्कुरा मुस्कुरा कर शालू को कपड़े दिखा रहीे थी। शालू के पास आज पर्याप्त मात्रा में पैसे थे जिसकी वजह से वह अपने मनपसंद किसी भी तरह के कपड़े को खरीद सकती थी इसलिए उसे और भी अच्छे कपड़े चाहिए थे और अपने मनपसंद के कपड़े लेकर के,,वह बहुत खुश नजर आ रही थी,,, लेकिन कपड़ों को पसंद करने में सूरज भी उसकी मदद कर रहा था जिसका वह बिल्कुल भी विरोध नहीं कर रही थी क्योंकि उसे यकीन था कि जो कपड़े लड़कों को अच्छे लगते हैं वह लड़कियों को जरूर पहनने में अच्छे लगेंगे इसलिए शालू की पसंद में सूरज की भी पसंद शामिल थी,,, हालांकि शालू सूरज से ज्यादा बातें नहीं कर रही थी बस हां, ना में ही जवाब दे रही थी।,,,, सूरज शालू से ज्यादा से ज्यादा नजदीकी बनाने की कोशिश कर रहा था इसलिए साए की तरह उसके पीछे पीछे लगा हुआ था क्योंकि आज वह अपना इरादा पूरा करना चाहता था लेकिन जिस तरह से शालू का मूड उखड़ गया था उसे देखते हुए सूरज के लिए यह काफी मुश्किल होता जा रहा था लेकिन फिर भी सूरज हार ना मानकर अपनी कोशिश जारी रखा था,,,,,

आगे आगे चल रही शालू की खूबसूरती को वह पीछे से नजर भर कर देख रहा था उसके हिलते डुलते गोल गोल नितंबों पर उसकी निगाहें टिकी हुई थी,,, शालू की मदमस्त कसी हुई गांड को देखकर सूरज का लंड हिलेारे ले रहा था बार-बार सूरज का मन उस पर हाथ फेरने को कर रहा था लेकिन अभी शालू का मिजाज कुछ ज्यादा ही गर्म था इसलिए वहां यह गुस्ताखी करना ठीक नहीं समझ रहा था,,,, कुछ ही देर में शालू ने अपने जरूरत की सारी खरीदी कर चुकी थी अब लगभग उसके पास पैसे भी नहीं बचे थे,,,, इसलिए वह सूरज को चलने के लिए बोली लेकिन सूरज उसके मन में कामोत्तेजना के बीज बोना चाहता था,, इसलिए उसके मन को बहलाने के लिए वह बोला,,,,

शालू इतनी दूर आए हैं तो कुछ खा पी लेते हैं वैसे भी मुझे भूख भी लगी है चलो किसी अच्छे से मिठाई के दुकान में चलते हैं,,

यह तुम्हारे बड़े गांव का बाजार नहीं है यह गांव का बाजार है यहां कोई बड़ा बड़ी मिठाई की दुकान नहीं है लेकिन हां,,, चलो मैं अच्छी जगह ले चलती हुं,,,,
( इतना कहकर वह आगे आगे चलने लगी सूरज ऊसे आगे जाते हुए देखने लगा,,, उसे किस समय शालू के बदले हुए रवैये को देखकर आश्चर्य होने लगा,,, क्योंकि ईस समय उसके चेहरे पर नाराजगी के भाव बिल्कुल भी नजर नहीं आ रहे थे,,, यह देखकर सूरज का चेहरा खिल उठा,,,, वह आगे आगे चले जा रही थी और सूरज भी उसके पीछे हो लिया,,, क्योंकि वह जानता था कि गांव के बाजार के बारे में उससे बेहतर शालू ही जान सकती है,, दो-चार दुकान छोड़ने के बाद ही एक छोटी सी हलवाई की दुकान थी और शालू दुकान के आगे खड़ी हो गई,,, ऊसके खड़ी होते ही सूरज समझ गया कि इसी दुकान की शायद शालू बात कर रही है,,,, इसलिए वह शालू के करीब जाकर बोला,,

यही दुकान है?

हां यही है।,,
( शालू का जवाब सुनते ही सूरज दुकान में प्रवेश कर गया और उसके पीछे पीछे शालू भी,,, सूरज लकड़ी की कुर्सी पर बैठ चुका था और उसके बगल में शालू भी जाकर बैठ गई,,,, )

देखो शालू यहां के बारे में मुझे कुछ ज्यादा मालूम नहीं है इसलिए क्या खाना है यह तुम्ही बताओ,,,
( शालू यह सुनकर खुश हो गई वह जब भी बाजार आती थी तो गरमा गरम समोसे और उसके साथ ठंडा पीती थी,,,। इसलिए वह झट से गरमा गरम समोसे और गन्ने का ठंडे रस के बारे में सूरज से बोल दी,,, सूरज को भी शालू की बात से तसल्ली हुई क्योंकि वह बेझिझक बोल रही थी,,, सूरज को लगने लगा कि शायद उसका गुस्सा कम आने लगा है और इस बात पर सूरज को राहत मिल रही थी। सूरज ने भी दुकान वाले को जो कि गरमा गरम समोसे छान रहा था,,, उसे दो दो समोसे और २ गन्ने के रस के ग्लास लाने के लिए बोल दिया,,,,, शालू से बात करना चाह रहा था लेकिन इस समय दुकान में और भी लोग मौजूद थे इसलिए कुछ बोल नहीं पा रहा था,,,, कुछ ही देर में दुकान वाला उनके टेबल पर समोसे और गन्ने का रस लेकर आ गया बातों का दौर शुरू करने के लिए सूरज बोला,,,)

लगता है तुम्हें गन्ने का रस बहुत ज्यादा पसंद है,,

हां लेकिन समोसे के साथ ही मैं जब भी बाजार आती हूं समोसे और गन्ने का रस जरूर लेती हूं,,, क्यों तुम्हें पसंद नहीं है क्या,,,

मुझे भी पसंद है तभी तो मैं यह कह रहा हूं मेरी और तुम्हारी पसंद मिलती जुलती है,,,
( इतना सुनकर शालू मुस्कुरा दी,,,, और समोसे खाने लगी सूरज भी समोसे खाने लगा शालू के मन में अभी भी सूरज ने जो किया उसको लेकर घृणा और क्रोध आ रहा था,,, लेकिन वह एक बात समझ नहीं पा रही थी की इतना गुस्सा करने के बावजूद भी उसका मन ना जाने क्यों सूरज के प्रति खींचा चला जा रहा था,,, वह समोसे खाते हुए कनखियों से सूरज की तरफ देख रही थी लेकिन जब जब उसे वह दृश्य याद आता है जब सूरज,,,, उसकी मां की टांगों के बीच जगह बनाकर अपने लंड को ऊसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए उसे चोद रहा था तब वह उसके चेहरे से अपनी नजरें हटा लेती थी,,, लेकिन पल भर में फिर से उसका मन सूरज के प्रति आकर्षित होने लगता यह बात उसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही थी कि जिस लड़के से उसे नफरत करनी चाहिए थी उसके लिए प्रति उसका मन क्यों आकर्षित हुए जा रहा था,,,
यह बात शालू की समझकर बिल्कुल परे थी लेकिन यही जवानी का दस्तूर भी था जवानी में कब किसके प्रति मन आकर्षित हो जाए यह कोई भी नहीं कह सकता भले ही वाह कितना भी नफरत के लायक क्यों ना हो,,, और यही शालू के साथ भी हो रहा था सूरज इस बात को नोटिस कर रहा था कि शालू समोसे खाते हुए उसे कनखियों में देख रही है,,,, उसे यह सब अच्छा भी लग रहा था,,,,

शालू को सूरज अच्छा लगने लगा था यह है उसकी सोच के बिल्कुल विपरीत था क्योंकि उसके मन में उसके प्रति नफ़रत भी हो रही थी उत्तर को भी आ रहा था लेकिन अपने मन पर उसका बस बिल्कुल भी नहीं चल पा रहा था इसमें शालू का दोष बिल्कुल भी नहीं था सूरज था ह़ी इतना खूबसूरत कि किसी का भी मन उस पर मोहित हो जाए,,,,, इसका ताजा उदाहरण खुद उसकी सगी मंगल मामी उसकी मंजू मौसी थी,,, अपने आप को संभाल पाने में बिल्कुल समर्थ थी लेकिन इसके बावजूद भी सूरज के प्रति इन औरतों का मन बहक चुका था,,,तो भला शालू की क्या विषाद थी वह तो इस उम्र से गुजर रही थी कि कहीं भी किसी भी वक्त पांव फिसल जाए,,
दोनों समोसे और गन्ने के रस की ठंडक लेकर दुकान से बाहर निकल चुके थे,,,, अब ऊन्हे गांव की तरफ जाना था,,, सूरज के हाथों से समय धीरे-धीरे रेती की तरह फिसलता जा रहा था,,, उसे समझ में नहीं आ रहा था कि शालू को वह कैसे पटाए,,, सूरज शालू के हाथों से कपड़ों की थैली लेकर साइकल के हैंडल के बाजू में अटका दिया,,, सूरज साइकल पर बैठ चुका था और,,, शालू जैसे ही साइकल पर बेठनें चली वैसे ही सूरज उसे रोकते हुए बोला,,,

ऐसे मत बैठो शालू दोनों तरफ अपने पांव करके बैठो एक तरफ पांव करके बैठती हो तो एक तरफ वजन लगने लगता है और साइकल चलाने में मुझे दिक्कत होती है,,,,
( सूरज की बात सुनकर शालू उसकी बात मान गई और दोनों तरफ पांव करके बैठ गई,,, सूरज अपने चाल पर मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,, वह जानबूझकर शालू को इस तरह से देखने के लिए बोला था ताकि वह जब भी साइकल ब्रेक जोर से मारे तो उसकी नरम नरम चुचिया उसकी पीठ से चिपक जाएं,,,, और सूरज उसे इस तरह से गर्म करना चाहता था साइकल पर दोनो बैठ कर घर की तरफ लौटने लगे उसे समझ नहीं आ रहा था कि बात की शुरुआत कैसे करें उसके पास समय बहुत कम था अगर वह इस सफर के दौरान उसके साथ कुछ नहीं कर पाया तो हो सकता है कि शालू यह बात सबको बता दें और उसकी बदनामी हो जाए,,,, ऐसा ना हो इसके लिए शालू के साथ शारीरिक संबंध बनाना बेहद जरूरी हो रहा था सूरज के लिए इसलिए वह इसी जुगाड़ में लगा हुआ था वह जानबूझकर अपनी बातों से शालू की बुर को गिली करना चाहता था इसलिए वह बात की शुरुआत करते हुए बोला,,,

शालू तुम मुझ से अब भी नाराज हो,,


तुमने कोई महान काम नहीं किया हो कि मैं तुमसे नाराज ना होऊ,,,

देखो शालू तुम अपने नजरिए से देख रही हो इसलिए तुम्हें यह खराब लग रहा है लेकिन एक औरत के नजरिए से देखोगी तो तुम्हें भी यह सब अच्छा लगेगा,,,


क्या अच्छा लगेगा सूरज,,, मुझे ये अच्छा लगेगा,,,की तुम मेरी मां को चोदते हो,,
( शालू गुस्से में खुले शब्दों में बोल रही थी, और शालू के मुंह से शब्द सुनकर सूरज को आशा की किरण नजर आने लगी उसे लगने लगा कि यह चिंगारी को अगर सही हवा मिले तो यह ज्वाला का रूप धारण कर लेंगे और यह से ज्वाला का रूप देने के लिए सूरज अपनी बातो मैं कामुकता की आग भरने लगा,, )

शालू मैं अच्छी तरह से जानता हूं कि बेटी होने के नाते तुमसे तुम्हारी मां और मेरे बीच का रिश्ता यह बर्दाश्त नहीं हो पा रहा है लेकिन शालू इसमें तुम्हारी मां की कोई गलती नहीं है और ना ही मेरी कोई गलती है,,,

हां इसमें तुम दोनों की गलती नहीं है तुम दोनों तो बिल्कुल नादान थे बच्चे थे इसके लिए ऐसा हो गया अपनी हवस को नादानी का नाम देकर निकलने की कोशिश मत करो


मैं इस में से निकलने की कोशिश नहीं कर रहा हूं करके तुम्हें सच्चाई बता रहा हूं,, शालू,,, जैसे इंसान को भुख प्यास लगती है वैसे ही उनके जिस्म में इस तरह की भी जिस्मानी भूख पैदा होती है,,, और क्या उनकी याद भूख घर मै नहीं मिटती तो वह लोग अपनी भूख मिटाने के लिए बाहर का रास्ता इख्तियार करते हैं,,,

तुम्हारी बात मेरे को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही है,,
( शालू आश्चर्य से बोली,,, सूरज बड़ी चालाकी से साइकल को कम तेज़ी से लिए जा रहा था क्योंकि वह सफर के दरमियां हीं अपनी मन की इच्छा को पूरी करना चाहता था इसलिए वह शालू को ठीक से समझाते हुए बोला)

देखो शालू जो काम तुम्हारी मां के साथ तुमने मुझे करते हुए देखी यही काम तुम्हारे पिता को करना चाहिए था लेकिन मुझे बताते हुए दुख हो रहा है कि तुम्हारे पापा तुम्हारी मां पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते,,,

मतलब मैं कुछ समझी नहीं,,,।m

देखो शालू तुम्हारी मां अभी बहुत जवान है तो उनके अंदर चुदवाने की भी भुख पेदा होती है,,,,
( सूरज के मुंह से अपनी मां के प्रति इतनी गंदी बात को सुनकर जहां पर उसे गुस्सा भी आ रहा था लेकिन मन ही मन उसे अच्छा भी लग रहा था इस तरह से खुली भाषा में अपनी मां की चुदाई की बात सुनकर शालू पूरी तरह से उत्तेजना की राह पकड़ ली थी,,, उसे सूरज की यह बात अच्छी लग रही थी और मैं नहीं मानता यह इच्छा भी रख रही थी कि सूरज इससे भी ज्यादा गंदी भाषा का प्रयोग करें,,)
और शालू यह चुदाई की भूख एक मजबूत और तगड़े लंड से ही मिटती है। और इस उम्र में तुम्हारी मां को मोटा तगड़ा और लंबा लंड की जरूरत पड़ रही थी,,, जो कि चुदाई की यह भूख तुम्हारे पिता मिटा नहीं पा रहे थे,,, जो काम में तुम्हारी मां के साथ कर रहा था वही काम तुम्हारे पिताजी को करना चाहिए था उन्हें चाहिए था कि तुम्हारी मां को जी भर कर चोदे ताकि उन्हें किसी दूसरे मर्द की ज़रूरत ही ना पड़ सके,,,( सूरजnखुले शब्दो मे उसकी मां के बारे में बेहद गंदी बातें कर रहा था जो कि शालू के तन-बदन में उत्तेजना के अंकुर को पानी देकर सींचने का काम कर रहा था,, उत्तेजना के मारे शालू का गला सुर्ख होने लगा था,,, उसके चेहरे पर शर्म ओ हया की लाली खीेलने लगी थी,,,, ना चाहते हुए भी शालू को यह सब बातें अच्छी लगने लगी थी,, शालू पूरी तरह से खामोश हो चुकी थी और उसकी खामोशी देखकर सूरज को लगने लगा था कि उसकी गंदी बातें शालू के बदन में कामोत्तेजना की लहर पैदा कर रही है,,,, सूरजnके चेहरे पर प्रसन्नता के भाव नजर आने लगे वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला।)
और जब शालू तुम्हारी मां को तुम्हारे पिताजी की बेहद आवश्यकता होने लगी ऐसे में तुम्हारे पिताजी तुम्हारी मां पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे पाए और तुम्हारी मां मेरे साथ बहक गई,,,,

बहक गई ऐसे कैसे बहक गई आज तक तो ऐसा कभी भी नहीं हुआ पूरा गांव मेरी मां की इज्जत करता है और उनके संस्कार के बारे में आए दिन मुझे अच्छी-अच्छी बातें सुनने को मिलती है तो अब ऐसा कैसे हो गया कि मेरी मां बहक गई यह बात मुझे कुछ समझ में नहीं आ रही,,,,( शालू एतराज जताते हुए बोली)

शालू मैं समझ सकता हूं तुम्हारी भावनाओं को किसी भी लड़की के लिए उसकी मां का इस तरह से किसी गैर से चुदवाने अच्छा नहीं लगेगा और इसीलिए तुम्हें भी मुझ पर और तुम्हारी मां पर क्रोध आ रहा होगा लेकिन मैं जो कह रहा हूं सच कह रहा हूं ईसमें भी तुम्हारी मां का कोई भी कसूर नहीं है,,,,

नहीं इसमें तुम दोनों का ही कसूर है,,,,

देखो शालू अगर तुम्हारे पिताजी तुम्हारी मां की जरूरतों को पूरा करते तो उनके कदम कभी भी नहीं बहकते,,,,


तुम कहना क्या चाहते हो सूरज,,?

देखो बुरा मत मानना मैं यही कहना चाहता हूं कि,, तुम्हारे पिताजी याने मेरे बड़े मामा इस लायक है ही नहीं कि तुम्हारी मां यानी मेरी सुधियां मामी के जिस्म की प्यास बुझा सके,,,
( अपने पिताजी की सूरज के मुंह से इस तरह से बेइज्जती भरे शब्द सुनकर शालू से रहा नहीं गया और वह गुस्से में बोली,,,,)

तब तो तुम्हारे बिलास मामा भी इस लायक नहीं होंगे कि तुम्हारी मंगल मामी के जिस्म की प्यास बुझा सके,,,,

क्या मतलब? ( सूरज आश्चर्य के साथ बोला)

मेरा मतलब यही है कि तब तो तुम्हारे बिलास मामा भी तुम्हारी मंगल मामी की जरूरतों को पूरा नहीं कर पाते होंगे तभी तो तुम अपनी मंगल मामी को भी चोदते हो,,,,
( शालू की यह बात सुनकर सूरज एकदम से सन्न रह गया,,, उसे अपने कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि वह क्या सुन रहा है,,, उसने एकाएक साइकल को ब्रेक लगा कर वहीं रोक दिया और शालू की तरफ देखने लगा,,)
कुछ देर के लिए तो सूरज को अपने कानों पर भरोसा ही नहीं हुआ कि शालू क्या कह रही है,,, वह एकाएक साइकल को ब्रेक लगाकर शालू को ही घूरने लगा,,, उसे यू घूरता हुआ देखकर शालू बोली,,,

क्यों क्या हुआ झटका लगा ना,,,,।( शालू व्यंग्यात्मक स्वर में बोली। सूरज को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था कि वह क्या बोले बस एक टक शालू को ही देखे जा रहा था,,, तभी कुछ पल तक शालू की तरफ देखने के बाद वह बोला,,,,)


शालू तुम यह क्या कह रही हो मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है,,,।( इतना कहते हुए,,, वह नजरें चुराकर साइकल पर पैडल मारने लगा क्योंकि साइकल रुक गई थी,,, सूरज के मन में अजीब सा डर पैदा हो गया क्योंकि जिस तरह से वह बोल रही थी उसे शंका सी होने लगी कि कहीं उसे उसके और उसकी मंगल मामी के बीच के संबंध के बारे में पता तो नहीं चल गया,,,, सूरज को यूं नजरें चुराता हुआ देखकर शालू बोली,,,,


क्यों अभी क्या हुआ अभी तुम्हारा दिमाग काम करना क्यों बंद कर दिया क्यों तुम्हें कुछ समझ में नहीं आ रहा है अभी कुछ देर पहले तो तुम औरतों के सुख उनकी खुशी और मर्दों की नाकामयाबी के बारे में बहुत ज्यादा लेक्चर झाड़ रहे थे अब क्या हो गया,,,,,
( शालू के यह शब्द सुनकर सूरज बुरी तरह से सकपका गया था,,,,, साइकल के पैडल चलाते हुए साइकल आगे बढ़ा दिया और बोला,,)

तुम बेवजह मुझ पर इल्जाम लगा रहे हो ऐसा कुछ भी नहीं है मैं जानता हूं कि मेरा संबंध है तुम्हारी मां के साथ होने की वजह से तुम मनगढ़ंत कहानी बना रही हो,,,,


मैं कोई कहानी नहीं बना रही हूं बस तुम्हारा पाप तुम्हें याद दिला रही हूं,,,

बस करो शालू बेवजह की बातें बनाने की जरूरत नहीं है मैं जानता हूं कि तुम्हारी मां के साथ जो कुछ भी हुआ वह अनजाने में हुआ लेकिन यूं बेवजह मुझ पर कोई इल्जाम मत लगाओ,,,

मैं अपनी आंखों से देखी हूं सूरज,,,

आंखों से क्या मतलब है कि तुम अपनी आंखों से देखी हो तुम्हें ऐसा लगता है कि तुम कुछ भी बोलोगेी और मैं विश्वास कर लूंगा जरा थोड़ा तो शर्म करो तुम किस पर इल्जाम लगा रही हो खुद मेरी मंगल मामी पर,,, वह मेरी मां जैसी है मैं भला ऐसा कैसे कर सकता हूं तुम ऐसा सोच भी कैसे सकती हो,,

इल्जाम नहीं हकीकत है,, और वह देखने के बाद ही तो मैं समझ गई कि तुम्हारे लिए रिश्ते कुछ भी मायने नहीं रखते, जो इंसान खुद अपने ही मां समान औरत को चोद सकता है तो उसके लिए भला मामी चाची कौन सी बड़ी बात है,,,,
( सूरज शालू की बातें सुनकर मन ही मन घबराने लगा उसे यकीन हो चला था कि शालू उसे कहीं ना कहीं देख चुकी है मैं समझ नहीं पा रहा था कि आज तक उसकी और उसके मंगल मामी की रिश्ते के बारे में किसी को भी नहीं पता चला तो शालू कैसे जान गई यह तो गजब हो गया है अगर यह बात किसी और को पता चल गया तब तो वह किसी को मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाएगा उसके मन में यही सब गढ़ मतलब चल रहा था।)

देखो शालू मैं रिश्तो की बहुत कदर करता हूं हां तुम्हारी मां के साथ मतलब कि मेरी सुधियां मामी के साथ मैंने जो कुछ भी किया वह अनजाने में और बहकने की वजह से हो गया,,, यह बात तुम भी अच्छी तरह से जानती हो लेकिन यह झूठा इल्जाम तो मत लगाओ कि मेरे और मेरी मां समान है बचपन से उन्होंने मुझे मां जैसा प्यार किया है में उन्हें मां मानता हू बस उन्हें मामी कहकर पुकारता हू और उनके साथ मेरे संबंध है,,,

याद नहीं आ रहा है ना सूरज, चलो मैं ही याद दिला देती हूं,,,,( हवा से उड़ रही अपने बालों की लट को कान के पीछे ले जाते हुए बोली यह नजारा सूरज साइकल के शीशे में देख रहा था लेकिन इस समय अब उसकी खूबसूरती से ज्यादा उसका ध्यान उसकी बातों पर था)
याद है सुबह मैं दोपहर में बुआ को बुलाने आए थे मैं बार-बार दरवाजा खटखटाती रही लेकिन दरवाजा जल्दी नहीं खुला और जब खुला भी तो बुआ को जिस हाल में मैं देखी थी मैं कल्पना भी नहीं कर सकती थी,, ( सूरज साइकल चलाते हुए बड़े ध्यान से शालू की बातों को सुन रहा था।) बुआ जब दरवाजा खोली तो,,, मेरी नजर सीधे उनकी बड़ी बड़ी चूचियां पर पड़ गई जो कि एक दम नंगी थी और जिसे छुपाने के लिए ऊपर से साड़ी डाल रखी थी,,,,( सूरज यह सुनते ही एक दम से चौंक गया वह समझ गया कि शालू सही कह रही है।)
मुझे यह देखकर बड़ा अजीब लगा,,, ना जाने क्यों मेरे मन में ऐसा लगने लगा कि कुछ गड़बड़ जरूर है क्योंकि तुम भी चादर ओढ़ के दूसरी तरफ मुंह फेर कर लेटे हुए थे,,,, मैं बातें तो बुआ से कर रही थी लेकिन कमरे के अंदर का जायजा भी ले रही थी तभी मेरी नजर बिस्तर के नीचे फेंकी हुई ब्लाउज पर पड़ी और मेरा शंका थोड़ा बहुत यकीन की तरफ जाने लगा,,,, बुआ भी थके होने का बहाना बना रही थी और मेरे साथ नहीं आई,,, और मैं वहां से चली गई,,,,
( सूरज शालू की हर एक बात को सुनकर पूरी तरह से घबरा चुका था पर समझ गया कि जो नहीं होना था वही हुआ है,, लेकिन फिर भी अपना बचाव करते हुए बोला।)

तुम पागल हो शालू,, सिर्फ इतना देखकर तुम कैसे अंदाजा लगा ली की मेरे और मेरी मंगल मामी के बीच गलत संबंध है,,, तुम तो अच्छी तरह से जानते हो कि कि गर्मी के मौसम में औरतें हमेशा गर्मी की वजह से अपनीे ब्लाउज निकाल कर ही सोती हैं,,,, और रही बात ब्लाउज फेकने की तो वह फेकी नहीं होगी बल्कि बिस्तर से नीचे गिर गई होगी,,,,, बस इतने से तुम कैसे अंदाजा लगा ले कि हम दोनों के बीच गलत संबंध है तुम्हें शर्म तक नहीं आई ऐसा इल्जाम लगाते हुए,,,
( सूरज साइकल चलाते हुए बोला,,,,)

मुझे भी यही लगा था सूरज,,, मैं बार-बार अपने मन को समझाने की कोशिश कर रही थी कि जो मैं देख रही हूं और समझ रही हूं भगवान करे ऐसा ना हो,,, मेरे मन में यही ख्याल आ रहे थे कि हो सकता है कि जो मैं देखी हूं सब गलत होता है गर्मी की वजह से ही बुआ अपनी ब्लाउज निकालकर फेकी हो,,, लेकिन यह भी समझ में नहीं आ रहा था कि तुम इतनी गर्मी में भी और खुद ही कह रहे हो कि घर में में वह अपने ब्लाउज निकाल कर बिस्तर पर रख दी होंगी,,, और तुम ऐसे ही गर्मी में चादर ओढ़ कर पड़े थे,,,,

( इतना सुनकर सूरज सकते में आ गया क्योंकि जो वह कह रहा था गर्मी के कारण तो उसके विरोधाभास वह भी चादर ओढ़ कर ही लेटा था,, फिर भी वह अपना बचाव करने के लिए पूरा कसर करने पर आतुर था इसलिए वह बोला,,)

चलो मान लिया कि तुम जो देखी उसे गलत समझ ली लेकिन फिर भी तो तुम ने हम दोनों के बीच ऐसा कुछ नहीं देखी जो कि गलत हो फिर भी तुम ऐसे तुम यह नहीं कह सकती शालू कि हम दोनों गलत है,,,


तुम ठीक कह रहे हो सूरज,,, बुआ के इनकार करने के बाद भी वहां से चली गई लेकिन मेरा मन नहीं माना क्योंकि मेरे मन में शंका पैदा हो चुकी थी कि तुम दोनों के बीच जरूर कुछ गलत हो रहा है और मैं यही अपनी शंका को मिटाने के लिए वापस कमरे की तरफ आई,,,,
अंदर से तुम दोनों की खुशर फुसर की आवाज बाहर आ रही थी,,,, मुझसे रहा नहीं गया और मैं दरवाजे में बने छेद से अंदर कमरे में झांकने लगी,,,( शालू के मुंह से इतना सुनकर सूरज का दिल जोर से धड़कने लगा,, और शालू अपने शब्दों का बार किसी हथौड़े की मानिंद उसके कानों पर करते हुए बोली) और अंदर का नजारा देखकर तो मेरे पैरों के नीचे से जमीन सरकने लगी मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि मैं इस तरह का नजारा देखूंगी,,,,( सूरज का दिल भय से जमने लगा था,, क्योंकि अब वह भी जानता था कि शालू क्या कहने वाली है।) मैं तो वह नजारा देखकर एकदम शर्म से पानी-पानी हो गई मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि सूरज और मंगल बूआ के आपस में इस तरह से गलत संबंध बनाएंगे,,,यह भी मे देख पा रही थी कि तुम्हारी मंगल मामी को, तुमसे चुदवाने में जरा भी शर्म महसूस नहीं हो रही थी बल्कि वह तो खूब मजे ले रही थी और तुम भी कितने मजे के साथ,, अपनी मां समान मामी की दोनों टांगो को फैला कर उनके ऊपर चढ़ कर उन्हें चोद रहे थे,,,,
यह सब मैं अगर अपनी आंखों से नहीं देखती तो जिंदगी में कभी भी यकीन नहीं कर पाती,,,
( सूरज शालू की बातें सुनकर एकदम से सन्न रह गया,,,) तुम इतने गंदे हो तुम्हारा भोला चेहरा देखकर कोई भी यकीन नहीं कर पाएगा,,,, अब क्या कहते हो सूरज तुम्हारे बिलास मामा भी तुम्हारी मंगल मामी की प्यास बुझाने में सक्षम नहीं है यह सच है?
( सूरज क्या बोलता है उसके पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था वह तो एकदम आवाक सा रह गया था, उसके सामने अब कोई भी रास्ता नहीं था शालू जो कुछ भी बोल रही थी वह सरासर सत्य था,, जिसे झूठ लाने के लिए उसके पास कोई भी बहाना नहीं था।,, वह खामोश ही रहा,, पल भर में ही उसके चेहरे की रंगत उड़ गई थी,,, उसे यूं खामोश देखकर शालू बोली,,)

क्यों क्या हुआ सूरज बोलती बंद हो गई अब नहीं बोलोगे कुछ,,,,, तुम और तुम्हारी मंगल मामी दोनों गंदे हैं दोनों के बीच के पवित्र रिश्ते को तार तार करते हुए एक मर्द और औरत के बीच का वासना का रिश्ता जोड़ लिए हो,,, तुम अपनी मां समान मंगल बूआ के साथ,,,चुदाई का खेल खेलकर यह साबित कर दिया कि तुम दुनिया के सबसे गंदे लड़के हो और मेरी बुआ सबसे गंदी औरत है जो कि समझदार होने के बावजूद भी इस पवित्र रिश्ते को रोकने की वजाए बढ़ाते जा रही है,,,,

सच कहूं तो तुम दोनों के बीच के यह अपवित्र रिश्ते को मैं अपनी मां से बताना चाहती थी,,, और इसीलिए उस दिन मौका देखकर उनके पीछे-पीछे जाने वाली थी लेकिन मुझसे पहले तुम उसके पीछे चलने लगे और मैं वहीं खड़ी हो गई यह देखने के लिए कि तुम क्या करती हो और जब तुम ऐसी वैसी हरकत करोगे तो मैं तुरंत आ जाऊंगी और गुस्से में सब कुछ बता दूंगी लेकिन वहां का नजारा देखकर मे दंग रह गई,,, मुझे लगा था कि तुम्हारी हरकत की वजह से मां तुझे डांटेगी और मैं सब कुछ बता दूंगी,,, लेकिन तुम्हारी गंदी हरकत के बावजूद भी मां तुमसे हंस कर बातें करने लगी और खुद ही झोपड़ी में जाने के लिए बोली तो मैं हैरान रह गई,,,,। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है तुम नहीं जानते सूरज कि मुझे अभी भी कितना ज्यादा क्रोध आ रहा है।,,,
( शालू की बातें सुनकर वैसे तो सूरज के पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं था।)

अपनी सच्चाई के बारे में क्योंकि आज तक किसी को भी कानों-कान भनक तक नहीं हुई थी उस हक़ीकत को शालू जान चुकी थी यह जानकर सूरज को बहुत बड़ा झटका सा लगा था उसे लगने लगा था कि अगर शालू कभी भी आवेश में आकर किसी को भी उसके और उसकी मंगल मामी के बीच के गंदे रिश्ते को बता देगी तब क्या होगा अब तो वह दोनों पूरे परिवार की नजरों से नीचे गिर जाएगे। यह सोचकर सूरज काफी परेशान हुए जा रहा था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह शालू को कैसे समझाएं कैसे मनाए कि इस राज को वह अपने अंदर ही राज बनाकर रखें,,, लेकिन वह जानता था कि शालू कभी भी नहीं समझेगी क्योंकि वह गुस्से में थी,,, वह काफी सोचने के बाद उसे कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था लेकिन तभी उसके दिमाग में घंटी बजने लगी उसे उम्मीद की किरण नजर आने लगी उसके पास एक ही रास्ता था जिसको अपने मन में सोच कर उसके चेहरे पर मुस्कान फैल गई,,,,

लेकिन यह उम्मीद भी काफी ना उम्मीद कहीं बराबर थी लेकिन नामुमकिन बिल्कुल भी नहीं थी वह मन में यह सोच रहा था कि अगर शालू का मुंह बंद रखना है तो जिस तरह से उसने उसकी मां कि चुदाई किया है उसी तरह से शालू को भी अगर वह चोद दे,,, तब शालू उसकी और उसके मां के बीच के संबंध को राज ही रखेगी क्योंकि तब वह किसी से भी बताने लायक नहीं रह जाएगी,,,,,,
लेकिन कैसे मनाए यह उसे समझ में नहीं आ रहा था,, दोनों के बीच काफी लंबी खामोशी छाई हुई थी वह कम धीरे से अपनी साइकल को आगे बढ़ा रहा है ताकि उसके पास पर्याप्त मात्रा में समय बचे और वैसे अभी भी उसके पास काफी समय था आसमान में बादलों का झुंड तिरकट कर रहा था जो कि कभी भी बरस सकता था,,,, और वास्तव में सूरज यहीं चाहता था कि बारिश हो जाए,,,,,, शालू खामोश थी क्योंकि क्रोध में आकर उसने सूरज को लंबा चौड़ा भाषण सुना दी थी और तो और सूरज के गहरे राज को भी जान चुकी थी,,,, सूरज शालू को मनाना चाहता था लेकिन शालू का गुस्सा देखते हुए उसे यह नामुमकिन सा लग रहा था,,, लेकिन इस सफर के दौरान उसे मनाना भी बेहद जरूरी था लेकिन कैसे सूरज को कोई रास्ता नजर नहीं आ रहा था तभी उसके मन में ख्याल आया कि शालू जिस तरह से चुदाई की बातों को खुलकर कर रही थी,,,, जरूर उन बातों को करते हुए उसके तन-बदन में चुदास की लहर फैल गई होगी,,, और उसे मनाने का यही रास्ता भीं था सूरज जानता था कि औरतें और लड़कियां गंदी बातें को सुनकर धीरे-धीरे मस्त होने लगती है,,,
( इसी का उदाहरण था की वह कल रात अपनी बातों से रत्ना जैसी उम्रदराज और समझदार औरत को चोद सका,, तो ये शालू तो एक लड़की है,,)
अगर औरते गंदी बातें अच्छी लगने लगती है तो इसका मतलब है कि वह अपने आप ही अपना सब कुछ समर्पण करने के लिए तैयार हो जाती हैं। सूरज भी यही करना चाहता था,,, वह अपनी रसीली बातों से शालू को पूरी तरह से प्रभावित और उत्तेजित करके अपना काम निकालना चाहता था और यह सब उसे बहुत जल्दी करना था इसलिए वह शालू से बातों की शुरुआत करते हुए बोला,,,

मैं जानता हूं शालू कि मेरे पास बोलने के लिए कुछ भी नहीं है लेकिन जैसा कि मैं तुम्हें बोला कि तुम्हारे पिताजी तुम्हारी मां के जिस्म की प्यास को नहीं बुझा सकते और तुम्हारी मां कि ठीक ढंग से चुदाई भी नहीं कर सकते ठीक उसी तरह जो तुम कह रही हो वह बिल्कुल ठीक है कि मेरे बिलास मामा भी मेरी मंगल मामी को ढंग से चुदाई का सुख नहीं दे सकते,,,, ( सूरज अपनी कामुकता भरी बातों का ध्यान शालू के ईर्द गिर्द फेलाने लगा,,, शालू उसकी बात को सुनने लगी,,, क्योंकि भले वह गुस्से में थी लेकिन सूरज की गंदी बातें उसे अच्छी लगती थी,,, सूरज अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)
देखो शालू जैसा कि मैं तुम्हें पहले भी बता चुका हूं कि औरतों को जिस तरह से पेट के लिए भूख लगती है उसी तरह से उन्हें,,, चुदवाने की भी भूख लगती है और ऊनकी रसीली बुर भी मोटे लंबे लंड के लिए तड़पती है,,,( सूरज जानबूझकर एकदम खुले शब्दों में बोल रहा था और साइकल में लगे शीसे में शालू के चेहरे की तरफ देख ले रहा था वह उसके हाव-भाव को देखना चाह रहा था कि उसके गंदे शब्दों को सुनकर उसके चेहरे के हाव-भाव कैसे बदलते हैं,,, और सूरज की खुल़ी गंदी बातों को सुनकर शालू के चेहरे का हाव भाव बदल रहा था जो कि सूरज को शीशे में साफ साफ नजर आ रहा था और उसके बदलते हुए चेहरे को देखकर उसके भी चेहरे पर मुस्कुराहट आने लगी थी,,,, वह अपनी बातों को और भी ज्यादा गंदा करते हुए बोला,,,,)
मेरी मंगल मामी भी मोटे तगड़े और लंबे लंड के लिए तड़प रही थी वह भी अपनी बुर में मोटा लंड डलवाकर जबरदस्त धक्कों के साथ चुदवाना चाहती थी,,, वह चाहती थी कि कोई जवान मर्द उसे अपनी बाहों में भर कर उसकी बड़ी-बड़ी गांड को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर अपने मोटा लंड को उसकी रसीली बुर में डालकर तेज धक्को के साथ उसे चोदे,,, ताकि उसकी बुर भलभलाकर पानी फेंकने लगे,,,,


( सूरज जानबूझकर इस समय सुधियां मामी के बारे में ना बोल कर खुद अपनी मंगल मामी के बारे में गंदी बातें कर रहा था ताकि मंगल मामी की गंदी बातें सुनकर शालू की बुर में भी पानी का सैलाब उठने लगे और शायद ऐसा हो भी रहा था,, वह साइकल के पीछे बैठे-बैठे कसमसा रही थी,, जो कि दोनों तरफ एक एक पैर करके बैठने की वजह से उसकी बुर हलके से खुल गई थी जो की खुला तो बिल्कुल भी नहीं कहा जा सकता था क्योंकि वह अभी तक पूरी तरह से कुंवारी थी,,, लेकिन जिस तरह से उसने अपनी जांघों के बीच हाथ ले जाकर शायद अपनी पेंटी को एडजस्ट करने की कोशिश की थी और यह हरकत सूरज शीशे में देख लिया था और वह समझ गया था कि उसकी गरम बातों का असर शालू पर होने लगा था। यह पक्के तौर पर अब यकीन हो गया जब शालू ने सूरज से उसकी गरम बातों को सुनकर बोली,,)

तुम्हें कैसे मालूम कि मंगल बूआ को जो तुम कह रहे हो उसकी जरूरत है,,,,।( शालू कसमसाहट भरी आवाज में बोली और उसकी यह बात सुनकर उसे बम के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव खेीलने लगे,, क्योंकि वह समझ गया कि शालू को भी उसकी बात अच्छी लगने लगी है और यही उसके पास मौका था वह बेहद खुश नजर आने लगा पलभर में ही उसे लगने लगा के पास उसके पीछे बैठी शालू इस समय कमर के नीचे बिल्कुल नंगी होती तो उसे पकड़ कर बैठी होती और तब उसे कितना मज़ा आता जब ऊसकी नंगी बुर उसके नितंबों से सटी होती और उसकी नरम नरम चिकनी जांगे उसकी जांघों से रगड़ खा रही होती,,,, पल भर में वह कल्पना के सागर में खोने लगा,, तो शालू फिर से उसे दोबारा अपना सवाल दोहराते हुए बोली,,,,

बोलो ना सूरज तुम्हें कैसे पता चला कि मंगल बूआ जो तुम कह रहे हो उसके लिए तड़प रही है,,,?
 
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शालू की उत्सुकता इस बात को बेहतर ढंग से साबित कर रही थी कि सूरज की बातों में उसे भी आनंद मिल रहा था,,, शालू के मन में गुदगुदी हो रही थी क्योंकि जिस तरह से सूरज ने अपने मुंह से मंगल बुआ की गंदी बातों को छेड़ा था उसे जानने के लिए शालू का शालू मन मचल उठा था,,, उसके तन-बदन में सूरज की बातों नें उत्तेजना की लहर दौड़ा दिया था,,, शालू पूरी तरह से सफर का आनंद ले रही थी लेकिन,,, बीच-बीच में उसे सूरज और उसकी मां का ख्याल आते ही उसका मन क्रोध से भर उठता था पर इस समय उसके मन में उत्सुकता के लड्डू फूट रहे थे उसकी जवानी भी चिकोटी काट रही थी,,,,
सूरज को भी उसका लक्ष्य प्राप्त होता नजर आ रहा था सूरज भी आतुरता अपनी कामुकता भरी बातों के शहद में शालू की खूबसूरत जवानी को भिगोने के लिए,,, इसलिए वहां अपनी बातों में नमक मिर्च का तड़का लगाते हुए बोलना शुरू किया,,,,

देखो शालू औरत ऐसी चीज होती है जिसे आज तक कोई नहीं समझ पाया मेरी मंगल मामी के बारे में भी मेरा कुछ ऐसा ही ख्याल था क्योंकि जिस रूप में मैं देखता रहा था उसे देखते हुए मुझे इस बात का कभी भी अंदाजा नहीं था कि,,, औरत का कोई दूसरा रूप भी हो सकता है। जिस तरह से तुम अपनी मां की इज्जत करती हो सम्मान करती हो और उन्हें हमेशा संस्कारी देखना चाहती हो वैसा ही मेरे मन में भी हमेशा से था और वैसा सब कुछ चल भी रहा था,,,, लेकिन एक दिन मैं घर जल्दी लौट आया,,,, मुझे जोर से पेशाब लगी हुई थी और मैं गुसलखाने की तरफ जाने लगा और जैसे ही गुलसखाने का दरवाजा खोला तो अंदर का नजारा देखकर मैं एकदम से दंग रह गया,,,,
( सूरज चटकारा लगाते हुए मनगढ़ंत कहानी शालू को सुना रहा था और शालू बड़े ध्यान से सूरज की बातें सुन रही थी, जिसे सुनते हुए उसकी दिल की धड़कनें बढ़ती जा रही थी,,,, सूरज इतना कहकर कुछ देर के लिए खामोश हो गया उनकी खामोशी देखते हुए उत्सुकतावश शालू बोली,,)

क्या देख लिया तुमने?

मैं जो देखो अगर मेरी जगह कोई और भी देख लेता तो शायद वह भी आज ऐसा ही करता,, जेसा की मैं करता आ, रहा हूं,,,


वही तो मैं तुमसे पूछ रही हूं कि ऐसा क्या देख लिया तुमने कि तुम्हारी जिंदगी ही बदल गई,,

शालू मैंने देखा कि मेरी मंगल मामी चौकी पर बैठी हुई है एकदम नंगी,,, और जैसे ही मेरा ध्यान उसकी जांघों के बीच गया तो मैं उधर का नजारा देखकर एकदम सन्न रह गया,, मंगल मामी के हाथों में एक मोटा बेगन जिसे वह जोर-जोर से अपनी बुर के अंदर बाहर करते हुए आंखों को बंद करके गरम सिसकारी ले रही थी।,,, मुझे तो कुछ देर तक समझ नहीं आया कि आखिरकार यह हो क्या रहा है,,
( सूरज की मनगढ़ंत कहानी को शालू कल्पना का रूप देकर अपने मन में जैसा वह बता रहा था उस तरह का चित्र स्पष्ट करने लगी उसे साफ साफ नजर आ रहा था कि कैसे, सूरज अचानक दरवाजा खुला होगा और उसकी मंगल मामी सामने चौकी पर बैठकर किस तरह से अपनी दोनो टांगो को फैला कर बैगन को अपनी बुर के अंदर बाहर करते हुए मस्त हो रही होगी,,, उस दृश्य की कल्पना करके शालू भी मस्त होने लगी उसकी भी बुर नुमा कटोरी में नमकीन पानी भरने लगा,,,, वह अपना कान बराबर लगाकर सूरज की मस्त बातों को सुन रही थी,,)

मंगल मामी को इस हाल में देखकर मेरे तन-बदन में अजीब सा महसूस होने लगा क्योंकि जिंदगी में पहली बार में किसी औरत के नंगे बदन को देखा था और वह भी मंगल मामी को,,,, कुछ पल तक मैं वही खड़ा उस नजारे को देखता रहा, क्योंकि मैं एकदम मंत्रमुग्ध हो गया था और जब मुझे इस बात का ख्याल आया कि मैं कुछ गलत ही देख रहा हूं तो वहां से लौटना चाहा लेकिन ना जाने कैसी कशिश थी उस नजारे में कि मेरे पांव हील डुल नहीं रहे थे,,,
मुझे डर भी लगने लगा की कहीं मंगल मामी ने आंख खोलकर मुझे उन्हें देखता हुआ पकड़ ली तो मुझे मार पड़ेगी और यही सोचकर मैं जाने ही वाला था कि तभी मंगल मामी की आंख खुल गई और वह मुझे अपने सामने देखकर एकदम से हैरान हो गई वह एकदम शर्मिंदगी की हालत में जल्दी से अपनी बुर मे से बेगन निकाल कर,,, पीछे फेंक दी।,,,
( शालू ध्यान से सूरज की बातों को सुनकर अजीब से हालात में फंसती चली जा रही थी। उसके तन बदन में ना जाने कैसी कसमसाहट महसूस हो रही थी)
मंगल मामी पूरी तरह से घबरा चुकी थी, उसे दरवाजे को कुंडी ना लगाने की अपनी भूल पर पछतावा हो रहा था,,,
वह अपने दोनों हाथों से अपने खूबसूरत अंगों को छुपाने की कोशिश कर रही थी। यह सब देख कर मुझे ना जाने क्या होने लगा मेरे तन बदन में उत्तेजना अपना असर दिखाने लगी,,,, मेरी मंगल मामी मुझसे कुछ बोल पाती इससे पहले उसकी नजर मेरे धोती पर पड़ गई जो कि खड़े लंड की वजह से तंबू बनता चला जा रहा था।,, मैं खुद बदहवास सा हो गया था,,, मुझे अपनी नजरें फेर लेनी चाहिए थी लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं कर सका बल्कि मैं तो टकटकी लगाए मंगल मामी की खूबसूरत बदन को ऊपर से नीचे तक नजर भर कर देख रहा था,,,।( सूरज धीरे-धीरे साइकल चलाते हुए अपनी मनगढ़ंत कहानी को मिर्च-मसाला के साथ कामुकता का तड़का लगाते हुए शालू को सुना रहा था और उसका उत्तेजना से लाल हुआ चेहरा शीशे में देखकर खुश हो रहा था और वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)

मंगल मामी जो कि शर्मा रही थी लेकिन एकाएक उसके चेहरे के हाव-भाव बदलने लगे वह मुस्कुराने लगी और उत्तेजना के मारे अपने होठों को काटने लगी,, मैं उसका रूप देखा तो देखता ही रह गया इस समय वह एकदम काम की देवी लग रही थी,,,, यह सब क्या हो रहा है मैं कुछ समझ नहीं पाया शालू मंगल मामी के मन में क्या चल रहा है यह भी मुझे पता नहीं चला उनकी आंखों में एक अजीब सा नशा छा छाने लगा था जिसके नशे में मैं अपने आपको भूलने लगा था,,,, वह मुझे इशारे से अपने करीब बुलाई और मैं मंत्रमुग्ध सा उसके करीब जाने लगा,,, जैसे ही मैं उसके करीब पर मामी बिना कुछ बोले बस मेरी आंखों में झांकते हुए ऐसा लग रहा था कि जैसे वह मुझे अपनी आंखों से सम्मोहित कर ले रही है और धीरे धीरे मेरे धोती को खोलने लगी,, मैं कुछ समझ पाता इससे पहले ही मेरा मोटा लंड उसके मुंह में था और वह चूसना शुरू कर दी,,,,
मैं तो एक दम से पागल होने लगा मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह सब सच में हो रहा है।,,, मंगल मामी पागलों की तरह मेरा मोटा लंड चुसे में लेकर चूसे जा रही थी
( सूरज के मुंह से मंगल बुआ की इतनी गंदी बात सुनकर शालू के तन बदन में कामोत्तेजना की लहर दोड़ने लगी,,, उसे यकीन नहीं हो रहा कि तुम जो कुछ भी बोल रहा है वह सच बोल रहा है क्योंकि उसके मन में अभी भी शंका ऊठ रही थी कि कोई कैसे अपनी मां जैसी औरत के बारे में इतनी गंदी बातें बता सकता है लेकिन तभी उसे याद आया कि वह तो वास्तव मैं सूरज को अपनी खुद की मां को चुदते देखा है और यह ख्याल आते ही उसके तन-बदन में चुदास की लहर दौड़नें लगी उस की रसीली कुंवारी बुर पानी की बूंदों को टपकाने लगी,,, उत्तेजना के मारे शालू का चेहरा लाल टमाटर हो गया था उसे इसका बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उसके चेहरे की लालिमा को सूरज साइकल के शीशे में अच्छी तरह से देख रहा है। शालू अपनी बढ़ती हुई सांसो की गति के साथ,,,

सूरज की मधभरी लच्छेदार बातों में उलझते चली जा रही थी,,, सूरज अपनी बात को जारी रखते हुए बोले जा रहा था।) सच कहूं तो शालू में उस समय इस बात को बिल्कुल भी भूल गया कि वह मेरी मां समान है ना जाने क्यों मुझे मज़ा आने लगा,,,,

क्या जरा भी मंगल बुआ के मन में हिचकिचाहट नहीं हुई कि तुम उसके बेटे जैसे हो,,,

बिल्कुल भी नहीं हुई वह तो बल्कि लंड को और मजे के साथ पूरा का पूरा लंड मुंह में उतार कर चूस रही थी,,, सच कहूं तो शालू बहुत ही जबर्दस्त नजारा था गुसलखाने में मंगल मामी पूरी नंगी होकर मेरा बड़ा लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी,,,
( इतनी गंदी बातें वह सूरज के मुंह से उसकी मंगल मामी के बारे में सुनकर शालू के तन-बदन में कामज्वर बढ़ने लगा उसकी पैंटी गीली होने लगी।)

फिर क्या हुआ सूरज(शालू कसमसाहट भरी आवाज में बोली,,।)

मुझे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था मुझे बस मजा आ रहा था क्या करना है क्या नहीं करना है यह तो मुझे पता ही नहीं था क्योंकि यह सब मेरे साथ पहली बार हो रहा था मंगल मामी मुझे समझाते हुए वहीं गुसलखाने में ही मेरे लंड को अपनी बुर से टीकाकर उसमें धक्के मारने के लिए बोली और जैसा मंगल मामी बोली जा रही थी वैसा मैं कर रहा था। सच कहूं तो शालू ना जाने कैसा मजा मिल रहा था जब मैं अपनी मंगल मामी के बुर में धक्के लगा रहा था,, मंगल मामी की गरम सिसकारी पूरे गुसलखाने में गूंज रही थी,,,, और वह मुझसे चुदवाते समय बोले जा रही थी कि मुझे तेरे जैसा ही मर्द चाहिए था चुदवाने के लिए,,, तेरे मामा से अब कुछ नहीं हो पाता, मैं दिन रात तड़पती रहती हूं चुदवाने के लिए,,,,,
( शालू तो ऐसी गंदी बातें सुनकर एकदम आपे से बाहर होने लगी उसके बदन में कसमसाहट अपना असर दिखाने लगी,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें लगातार उसकी बुर से मदन रस रहा था,,,, यही देखने के लिए जैसे ही वह अपना हाथ अपनी जांघों के बीच सलवार के ऊपर से ही बुर पर लगाई उसे महसूस हो गया की उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी है और यह हरकत सूरज को शीशे में साफ साफ दिख गई अब उसे पक्का यकीन हो गया कि शालू पूरी तरह से लाइन पर आ रही है और वह अपनी गरमा-गरम बातों को जारी रखते हुए बोला,,,।)

मैं लगातार मंगल मामी की बुर में धक्के लगा रहा था और मेरी मंगल मामी भी खूब मजे ले लेकर मुझसे चुदवा रही थी,,, इसके बाद मेरा पानी निकल गया उस दिन से लेकर आज तक मंगल मामी मुझसे ही चुदवा रही है,, अब तुम ही बताओ शालू इसमें मेरी क्या गलती है एक औरत जो एकदम प्यासी थी जो कभी भी भटक सकती थी अपने पति से बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हो पा रही थी दिन-रात उसके ऊपर बदन की प्यास हावी होती जा रही थी और वह औरत अपने पति से संतुष्ट ना होकर जिसने उसे बचपन से अपने बेटे की तरह पाला हो वह अपने ही बेटे जैसे लड़के से चुदवा कर संतुष्ट हो जाए तो इसमें भला कौन सी बड़ी बात है और वैसे भी यह राज किसी को कहां पता चलने वाला था,,,


सूरज शालू के तन-बदन में चुदास का लहर भर चुका था,,, शालू की भी बुर में चीटियां रेंगने लगी थी,,, वह कुछ बोल नहीं पा रही थी लेकिन उसके चेहरे के हाव-भाव सब कुछ बयां कर रहे थे,,,, वह तो बस कल्पना में ही सूरज और अपनी बुआ को संभोगरत देखकर एकदम पानी पानी हुए जा रही थी,,, उसे कुछ भी बोलता ना देख कर सूरज बोला,,,

शालू मर्द हमेशा से औरतों की जरूरत रहा है और औरत हमेशा से मर्दों की जरूरत रही है अगर औरत मर्द में सुख ढुंढती है तो मर्द भी औरत मे हीं सुख ढुंढता है,,, रिश्ते नाते अपनी जगह है और जिस्म की प्यास अपनी जगह है दोनों अपनी अपनी जगह सही हैं,,,,

( शालू सूरज की बातों को ध्यान से सुन रही थी और फिर बोली)

चलो मैं मान ली की मंगल बुआ की जरूरत हीं तुम दोनों को इस तरह के संबंध बनाने पर मजबूर किया लेकिन तुम तो पहली बार गांव आए हो तो ऐसे में ऐसा क्या हो गया कि तुमने मेरी मां के साथ भी उसी तरह के संबंध बना लिए,,,
( शालू के सवालों से सूरज मन ही मन प्रसन्न हो रहा था उसकी उत्सुकता यह दर्शा रही थी कि उसे मजा आ रहा है। इसलिए वह उसकी मां की भी कहानी को थोड़ा नमक मिर्ची लगाते हुए बोला।)

जैसा कि मैंने तुम्हें बताया कि मंगल मामी भी प्यासी ही थी ठीक उसी तरह से सुधियां मामी भी लंड की प्यासी है मैं सच कह रहा हूं कि बड़े मामा भी सुधियां मामी को ठीक तरह से चोद नहीं पाते और वैसे भी तुम्हारी मां कोई बुढ़ी नहीं हुई है,,, जो यह सब ना करें तुम्हें शायद मालूम नहीं है कि इस उम्र में ही औरतों की प्यास और ज्यादा बढ़ जाती है और तुम्हारी मां तो वैसे भी बहुत खूबसूरत है
( सूरज रत्ना के सामने जानबूझकर उसकी मां की तारीफ करते हुए उसे उकसा रहा था) तुम शायद नहीं जानते कि तुम्हारी मां को देखकर बहुतों का लंड खड़ा हो जाता है।( सूरज की इस बात पर शालू के चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई,, ओ भी इस बात पर कि अभी भी उसकी मां ने जवानी बरकरार थी।)
मेरा भी हो गया था?

क्या हो गया था ? (शालू तपाक से बोली)

लंड खड़ा हो गया था और क्या,,, पहले दिन ही जब मैं तुम्हारी मां को देखा तो न जाने मुझे क्या होने लगा तुम्हारी मां की बड़ी बड़ी गांड मेरे होश उड़ा रही थी,,,, लेकिन मेरे मन में ऐसा कुछ भी नहीं था बस उन्हें देखकर मैं थोड़ा सा उत्तेजित हो जाता था वह तो एक दिन मैं अपने कमरे में कपड़े बदल रहा था मैं तुमसे कुछ भी नहीं छुपाऊंगा सच कहूं तो उस दिन भी मैं तुम्हारी मां के बारे में ही सोच रहा था जिसकी वजह से मेरा लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था,,, कमरे में अकेले होने की वजह से मैं बिल्कुल नंगा था मुझे यह नहीं मालूम था कि दरवाजा बंद नहीं है कभी तुम्हारी मां को ढूंढते हुए आई और दरवाजा खोल दी,,,, और उन्होंने मुझे पूरी तरह से नंगा देख लिया खास करके उनकी निगाह मेरे मोटे तगड़े लंड पर ही टिकी हुई थी,,
मैं तो हक्का-बक्का रह गया मुझे लगा कि सुधियां मामी मुझे डाटेंगी लेकिन वह बिना कुछ बोले मुस्कुराकर चली गई,, पता नहीं उसी दिन तुम सब शादी की खरीदी करने के लिए बाजार जा रहे थे,,,( सूरज की बात सुनकर शालू कुछ याद करने लगी,,,।) लेकिन तुम्हारी मां तबीयत का बहाना करके तुम लोगों के साथ बाजार नहीं गई,,,,

हां मां उस दिन कह रही थी कि तबीयत ठीक नहीं है इसलिए नहीं गई,,,

लेकिन तुम्हारी मां तुम सब से झूठ बोल रही थी उनकी तबीयत खराब नहीं थी बल्कि उनकी आंखों में मेरी तगड़े मोटे लंड का नशा छाने लगा था,,

क्या बकवास कर रहे हो सूरज,,,

मैं बकवास नहीं सच कह रहा हूं तुम लोगों के जाने के बाद तुम्हारी मां मेरे कमरे में आई हो मदद करने के बहाने मुझे अपने कमरे में बुलाई और मैं जब तुम्हारी मां के कमरे में गया तो वह लेटी हुई थी,,, वह मुझसे अपनी कमर की मालिश करवा रही थी और मालिश करवाते करवाते वह अपने बदन से सारे कपड़े उतार के एकदम नंगी हो गई,,,, और वही हुआ जो मंगल मामी के साथ हुआ था तुम लोगों के आते आते तुम्हारी मां मुझसे चार बार चुदवाई,,,,
और यह सब किसी को भी पता नहीं चलता सिर्फ तुम ही को पता चल गया और हम लोग पकड़े गए,,, बस यही हुआ शालू औरत अपनी जिस्म की प्यास के आगे कमजोर पड़ जाती है और वह किसी से भी संबंध बना लेती है,, वह तो अच्छा हुआ कि तुम्हारी मां अब तक किसी के साथ गलत संबंध नहीं बनाई थी और बनाई भी तो मेरे साथ मैं तो यहां से चला जाऊंगा फिर यह सिलसिला खत्म हो जाएगा अगर सोच लो गांव में किसी और के साथ लेकर संबंध बनाती तो तेरे गांव में बदनामी भी होने का डर था और यह संबंध यही नहीं रुकता बल्कि आगे बढ़ पाता था तब तुम क्या करती,,,,
( शालू सूरज की बातों को सुनकर सोच में पड़ गई थी क्योंकि शालू के मन में जिस तरह की बातों को सूरज ने डाला था उससे शालू को,, अजीब सा महसूस हो रहा था उसके बदन में कसमसाहट बढ़ती जा रही थी अब उसके मन में उसकी मां के प्रति और सूरज के प्रति किसी भी प्रकार का आवेश नहीं था,,, बल्कि उसके मन में अभी से बात की उत्सुकता कुछ ज्यादा ही बढ़ती जा रही थी कि क्या वास्तव में सूरज का लंड इतना तगड़ा है कि खुद उसकी मां और और सूरज की मंगल मामी रिश्ते का बिल्कुल भी ख्याल ना करते हुए ऊससे चुदवा ली,,, अब तो शालू भी सूरज के लंड को देखने के लिए बेकरार है,, कितनी अश्लील बातें दोनों के बीच हो चुकी थी तो अब शालू के मन में ऐसा कुछ भी नहीं था कि सूरज से थोड़ा भी शर्म ओ हया का पर्दा रखा जाए इसलिए वह बोली,,,

सूरज तुम इतना बढ़ा चढ़ाकर बोल रहे हो तुम्हारे लंड को देखकर तुम्हारी मंगल मामी और मेरी मां बहक गई फिर ऐसा क्या हाथ है तुम्हारे लंड में कि वह दोनों अपने आप पर जरा भी काबू नहीं कर पाई,,,,
( शालू की बात सुनकर तुरंत समझ गया कि अब वह बहकने लगी है और यही मौका है जब उसे अपने बातों में बहकाकर उसे चोदा जा सकता है। अब तो वह भी उतावला हो चुका था शालू को अपना मोटा तगड़ा लंड दिखाने के लिए)

शालू यह बात तुम बिल्कुल भी नहीं समझोगी क्योंकि मैं जानता हूं कि तुम अभी तक एकदम कुंवारी हो तुम्हारी बुर में अभी तक लंड नही गया है,,,, सच कह रहा हूं ना तुम अब तक किसी से चुदवाई नहीं हो ना,,, या चोरी-छुपे तुम भी चुदवा चुकी हो,,,
( सूरज अब अपने पूरे कमीनेपन पर उतर आया था,,, क्योंकि वह अब गांव की तरफ मुख्य सड़क पर अपनी साइकल को मोड़ चुका था आसमान में काले बादल छाने लगे थे और हल्की-हल्की बुंदे भी गिरने लगी थी,,, शालू तो सूरज के मुंह से अपने लिए इतनी गंदी बातें सुनकर एकदम शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,, लेकिन दोनों के बीच इतनी गंदी गंदी बातें हो चुकी थी इसलिए शर्म करने का कोई फायदा नहीं था शालू की पूरी तरह से इन सब बातों का मजा ले लेना चाहती थी इसलिए वह बोली,,)

सूरज,,,,, ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है,,,

तो करवाना है क्या शालू,,,,
( सूरज के इस सवाल से शालू शरमा गई,,, और शरमाते हुए बोली,,)

पागल हो गए हो क्या तुम मुझे अपनी मंगल मामी और मेरी मां की तरह समझे हो,,,,

चुदवाने की प्यास तो सबमे जगती है शालू,,,, आज नहीं तो कल तुम भी मोटे लंड के लिए तड़पोगी,,,

यह कैसी बातें कर रहे हो सूरज मैं तुम्हारी बहन जैसी हूं,,,

मुझे मालूम है रिश्ते में तुम्हारी मां भी मेरी बड़ी मामी है। तुम्हारी बुआ मेरी मामी है लेकिन जरूरत,,, जरूरत होती है। उसके आगे किसी का बस नहीं चलता,,,, और तुम रिश्ते में मेरी सगी बहन थोड़ी हो,,, और वैसे भी मामा की लड़की से साथ शादी की जाती है,, और तुम मुझे अपना भाई बना रही हो,,,

( सूरज की बातें शालू को अच्छी लग रही थी उसके मन के किसी कोने में यह बात पनप रही थी कि सूरज जिस तरह से उसकी मां को चोद रहा था उसी तरह से उसको भी चोदे,,, लेकिन यह बात वह कैसे बोलें,,,, तभी सड़क के किनारे साइकल खड़ी करके वह बाइक से शालू को उतरने के लिए बोला,,

यहां क्यों रोक दिए,,,

अरे मुझे जोरों की पेशाब लगी है इसलिए रोक दिया पहले कर लूं तब चलते है,,,
( सूरज की बात सुनकर शालू कुछ बोली नहीं लेकिन पेशाब वाली बात सुनकर उसके मन में सूरज का लंड देखने की उत्सुकता बढ़ने लगी और सूरज भी जानबूझकर यहां साइकल रोका था ताकि वह अपने मोटे तगड़े लंड को शालू को दिखा सके,,, ऐसी जगह जाकर पेशाब करने लगा जहां से शालू को साफ साफ नजर आए और उसे यकीन था कि शालू जरूर की तरफ देखेगी और ऐसा ही हुआ सूरज धोती से अपना लंड बाहर निकाल कर पेशाब करने लगा,, शालू उत्सुकतावश इधर उधर हो रही थी उसे सूरज की तरफ देखने में शर्म महसूस हो रही थी लेकिन फिर भी वह अपने मन को रोक नहीं पाई,,, और सूरज की तरफ देखने लगी, सूरज भी यह जान गया कि शालू उसी की तरफ देख रही है तो जानबूझकर अपने लंड को हिलाता हुआ पेशाब करने लगा,,, मोटा तगड़ा खड़ा लंड देखकर शालू की बुर पसीजने लगी अब तो उसके मन में भी ऐसा होने लगा कि सूरज अपने मोटे लंड को ऊसकी बुर में डालकर चोदे,,,, शायद मौसम भी सूरज पर मेहरबान थी,, वह पेशाब कर ही रहा था कि तभी जोर से बारिश होने लगी,,,, बारिश से बचने का कोई भी सहारा नजर नहीं आ रहा था कभी शालू सड़क के किनारे बनी झोपड़ी में जाकर अपने आप को बारिश से बचाने लगी लेकिन तब तक वह पूरी तरह से भीग चुकी थी,,, यह सूरज अच्छी तरह से देख रहा था वह जानबूझकर अपने लंड को धोती में वापस ना डाल कर यह जताने के लिए कि वह भी बारिश से बचने के लिए भागा है,,, वह भी भागते-भागते उसी झोपड़ी में घुस गया,,,
शालू अपने दुपट्टे से पानी साफ कर रही थी तभी उसकी नजर सूरज की खुली धोती से बाहर झांक रहे उसके खड़े लंड पर पड़ी और वह एकटक उसे देखती रह गई,,, उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी बारिश का पानी शालू की उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा रहा था शालू गौर से उसके खड़े लंड को देख रही थी और सूरज इतना बेशर्म था कि उसे धोती में अंदर डालने के लिए बिल्कुल भी तैयार नजर नहीं आ रहा था। बल्कि वह जानबूझकर शालू को दिखा रहा था दोनों पूरी तरह से भीग चुके थे,,,, सूरज बेशर्म बनकर शालू की तरफ देखे जा रहा था और शालू मदहोश होकर सूरज के मोटे लंड को देखे जा रही थी यह उसके लिए पहला मौका था जब वह खड़े लंड को अपनी आंखों से देख रही थी,,,,
 
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हालांकि वह दो बार चुदाई के गर्म दृश्य को देख चुकी थी लेकिन लंड को नहीं देख पाई थी इसलिए उसके तन-बदन में अजीब सी हलचल सी होने लगी सूरज भी एकदम बेशर्मी पर उतर आया था और जानबूझकर उसकी आंखों के सामने अपने लंड को पकड़कर हिलाते हुए दिखा रहा था,,, यह दृश्य इतना ज्यादा कामोत्तेजना से भरपूर था कि शालू अपने ऊपर से अपना काबू खोते जा रही थी और जैसे लग रहा था कि बारिश भी आज उसके पक्ष में बिल्कुल भी नहीं है उसके मन पर बरसात का सुहाना मौसम भी हावी होता जा रहा था,,,
शालू लगातार सूरज के लंड को देखकर एकदम चुदवासी हुए जा रही थी,,,, तभी एकाएक बहुत जोर से बादल गरजा,,, शालू एकदम से घबरा गई और तुरंत जाकर डर के मारे सूरज के सीने से चिपक गई वह डर के मारे उसे एकदम से सट गई थी,,, सूरज तो जैसे इस मौके के ताक में ही था वह तुरंत शालू को अपनी बाहों में भर लिया,,, ना जाने क्यों शालू को सूरज की बाहों में सुकून मिल रहा था वह उससे और भी ज्यादा चिपक गई, तभी उसे अपनी जांघों के बीच ठीक उसकी बुर के ऊपर सूरज का खड़ा लंड महसूस होने लगा अब तो शालू की हालत और ज्यादा खराब हो गई और वह कामोत्तेजना बस सूरज से और ज्यादा चिपक गई,,,, शालू को यह सब बेहद आनंददायक लग रहा था,,, सूरज के लंड के ठोकर को अपनी बुर की दीवारों पर बराबर महसूस कर पा रही थी,,,, सलवार पूरी तरह से गीली होने की वजह से सूरज के लंड का कड़कपन शालू अच्छी तरह से महसूस करके मदहोश हुए जा रही थी किस के मन में यह भावना उत्पन्न हो रही थी कि काश सूरज बिना बोले उसकी बुर के अंदर ही पूरा लंड डालकर उसे चोदे,,,,
सूरज भी मदहोश हुआ जा रहा था और मन ही मन में इस बार इस बारिश को धन्यवाद भी दे रहा था,,, बादलों का गरजना और उसकी गड़गड़ाहट लगातार चालू थी जिसकी वजह से डर के मारे भी शालू सूरज को छोड़ नहीं रही थी उसे मजा भी आ रहा था और डर भी लग रहा था। सूरज हाथ में आया सुनहरा मौका किसी भी हाल में अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था इसलिए वह तुरंत शालू को अपनी बाहों में कस के अपने दोनों हाथों को उसके खूबसूरत बदन पर फिराने लगा,, अगले ही पल वह अपने दोनों मजबूत हथेलियों को उसके कमर के नीचे ले जाकर के उसकी गोल गोल नितंबों पर रख दिया और उसे कसकर अपने हथेली में दबोच लिया,,,,,



ससससहहहहहहह क्या कर रहे हो सूरज,,,,
( शालू गर्म होते हुए बोली उसकी आवाज में कसमसाहट साफ नजर आ रही थी और सूरज उसकी ऐसी कसमसाहट भरी आवाज सुनकर एकदम से उत्तेजित होते हुए बिना कुछ बोले उसके गुलाबी होठों को अपने होठों में भरकर चुसना शुरु कर दिया।,,, पहले तो शर्म के मारे शालू अपना मुंह इधर उधर करने लगी लेकिन सूरज बहुत चालाक था वह अपने होठो की पकड़ से शालू के गुलाबी होठों को छोड़ ही नहीं रहा था,,, और कुछ ही सेकंड बाद शालू भी मदहोश होकर उसका साथ देते हुए उसके होठों को भी चुसना शुरू कर दी,,, माहौल पूरी तरह से गरमाता जा रहा था। बारिश थमने का नाम नहीं ले रही थी और सूरज भी यही चाह रहा था कि जब तक उसका काम ना हो जाए तब तक यह बारिश बंद ना हो। सूरज अपने हाथों को हरकत करने के लिए खुला छोड़ दिया था। कुछ देर तक वहां उसके नितंबों को दबाने के बाद एक हाथ ऊपर की तरफ लाकर उसकी संतरे सामान चुची पर रखकर उसे दबाने लगा ईससे शालू की गर्मी और ज्यादा बढ़ने लगी,,,। उसके मुंह से रह-रहकर सिसकारी की आवाज निकल रही थी जिससे सूरज की हिम्मत और ज्यादा बढ़ रही थी। सूरज अपने खड़े लंड का दबाव बराबर उसकी बुर पर बनाए हुए था जिसकी वजह से शालू की बुर कचोरी की तरह फुलते चली जा रही थी। शालू के बस में अब कुछ भी नहीं था जो थोड़ा बहुत,,, बेमन से वह सूरज को रोकने की कोशिश कर रही थी वह कोशिश भी बंद हो चुकी थी,,,, तभी सूरज दोनों हाथ नीचे ले जाकर उसकी सलवार की डोरी खोलने लगा और तुरंत शालू का हाथ पकड़कर उसे रोकने की कोशिश करने लगी और बोली,,,,

नहीं सूरज यह गलत है,,,,
( सूरज जानता था कि उसका विरोध कमजोर है इसलिए वह उसकी एक ना सुना और सलवार की डोरी खोलते हुए बोला)

कुछ गलत नहीं है इस समय तुम्हारी बुर को मेरे लंड की और मेरे लंड को तुम्हारी बुर की जरूरत है,,,,
( और इतना कहकर सूरज उसके सलवार की डोरी खोल दिया अब शालू की धड़कन तेज होने लगी क्योंकि,, सूरज ने उसकी सलवार के साथ-साथ उसकी पैंटी भी पकड़ कर नीचे घुटनों तक सरका दिया था कमर के नीचे वह नंगी हो चुकी थी उसका बेशकीमती खजाना सूरज की आंखों के सामने चमक रहा था,,,, सूरज से रहा नहीं गया उसकी आंखों के सामने एकदम कुंवारी बुर उसके होश उड़ा रही थी जिस पर हल्के हल्के छोटे-छोटे रोयेंदार बाल उगे हुए थे,,, सूरज तुरंत अपने घुटनों के बल बैठ गया और अपने प्यासे होठ को शालू की कमसिन बुर पर रखकर उसे चाटना शुरु कर दिया,,, सूरज की हरकत से तो शालू एकदम से बदहवास सी होने लगी,,, ना चाहते हुए भी उसके मुख से गर्म सिसकारियां फूटने लगी,,,, कुछ देर तक शालू की कुंवारी बुर के मदन रस का आनंद लेने के बाद,,, सूरज उसकी सलवार और कुतरे को उतारने लगा और इसमें शालू भी उसका सहयोग दे रही थी अगले ही पल शालू एकदम नंगी हो गई आज सूरज का सपना पूरा होने जा रहा था। शालू को चोदने की ख्वाहिश तो उसकी कब से ही थी लेकिन जब उसे इस बात का पता चला था कि उसकी उसकी मां के बीच के संबंध के बारे में शालू को पता चल गया है तब से ही वह उसे चोदना चाहता था ताकि वह हमेशा के लिए उसके मुंह पर पट्टी लगा सके,,, और अब सूरज ऊस मैं अपने कामयाब होने जा रहा था,,, झोपड़ी में सूखी घास का ढेर था जिसे वह जमीन पर बिठा दिया और उसके ऊपर शालू काही दुपट्टा बिछाकर उस पर शालू को नीचे बैठ ने के लिए बोला,,

अभ शालू की चूत काम रस टपका रही थी,,,,शालू की चूत में आग लगी हुई थी वह जल्द से जल्द सूरज के लंड को अपनी चूत के अंदर महसूस करना चाहती थी लेकिन वह जानती थी कि यह कार्य इतना आसान बिल्कुल भी नहीं है,,, सूरज अपने होठों को उसके गुलाबी लाल-लाल होठों पर रखकर उसके रस को चूसना शुरू कर दिया,,, शालू चुम्बन से पूरी तरह से गनगना गई खास करके इस चुंबन का असर उसके निचले होंठो पर हो रहा था,,,,
शालू की सांसे तेज चलने लगी थी सूरज शालू के होठों को पागलों की तरह चूस रहा था,,, अद्भुत सुख के एहसास से सूरज और शालू दोनों मदहोश हुए जा रहे थे,,, सूरज की घुटनों के बल बैठ गया था और शालू की चूची को पकड़कर उसे दबाते हुए उसके लाल-लाल होठों का रसपान कर रहा था,,,,

शालू बेल की तरह सूरज के बदन से लिपट गई थी और सूरज उसकी चूची के साथ-साथ उसके संपूर्ण बदन पर अपना हाथ फिर रहा था,,, वह अगले पल शालू की चूत पर अपनी हथेली लगाकर अपनी उंगली से उसके गुलाबी छेद को कुरेदता हुआ उसके मदन रस को निकाल रहा था,,,,

सहहहहह आहहहहह सूरज,,,,, मैं पागल हो जाऊंगी,,,,सहहहहह आहहहहहहह यह सब क्या कर रहा है तू,,,,ओहहहहहह ,, सूरज,,,,


तू चिंता मत कर शालू तुझे इतना मजा दूंगा कि तू जिंदगी भर याद रखेगी बस जैसा बोलता हूं तो वैसा ही कर,,,(अपने होठों को शालू के होठों से हटाते हुए सूरज बोला सूरज का इरादा और कुछ करने का था वह शालू के खूबसूरत चेहरे को देखते हुए एक हाथ उसके सर पर रख कर उसे नीचे की तरफ दबाने लगा,,,
शालू पूरी तरह से सूरज के आकर्षण में बंध चुकी थी शालू उसके आदेश का पालन करते हुए धीरे-धीरे जहां पर वह लिए जा रहा था वहीं पर अपना चेहरा लिए जा रही थी देखते ही देखते संजू उसके मुंह को ठीक अपने लंड के सामने लेकर आ गया लंड से उसके होठों की दूरी मात्र तीन अंगुल की दूरी पर थे,,, शालू इतने नजदीक से सूरज के खड़े लंड को देखकर पानी पानी होने लगी लंड से उठ रही मादक खुशबू उसके नथुनों में पहुंच रही थी जिससे वह और ज्यादा उत्तेजित होने लगी,,,,,,

उत्तेजना के मारे सूरज की सांस अटक रही थी क्योंकि वह शालू को अपना लंड चुसवाने जा रहा था,जो कि आज तक वह कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी जिंदगी में ऐसा पल आएगा जब वह अपनी मामा की लड़की के साथ इस तरह का संबंध बनाते हुए आनंद लेगा,,,,

कुछ सेकंड के लिए शालू और सूरज की नजरें आपस में टकराई दोनों एक दूसरे की नजरों में देख रहे थे इस तरह से दोनों के तन बदन में और ज्यादा आग लग रही थी सूरज शालू के होठों को अपने लंड पर स्पर्श कराते हुए बोला,,,,


ओहहह‌ शालू तुम मुझे पागल कर देगी बस अब इसे मुंह में लेकर चूस,,,
(सूरज की इस बात को सुनकर शालू ने आश्चर्य से सूरज की तरफ देखने लगी क्योंकि उसे नहीं मालूम था कि शायद लंड को मुंह में लिया जाता है,,,,सूरज शालू की आंखों में उठ रहे सवाल को अच्छी तरह से समझ गया था इसलिए एक हाथ से अपने लंड को पकड़ कर उसके सुपाड़े को शालू के लाल-लाल होठों पर रगड़ते हुए बोला,,,)


बहुत मजा आएगा भरोसा रख मैं भी तेरी चूत चाटा ना कितना मजा आया,,,, तू भी मुंह में लेकर इसे की जा कर दें ताकि तेरी चूत में आराम से चला जाए,,,,(और इतना कहते ही सूरज खुद ही अपने लंड के सुपाड़े को शालू के होंठों के बीच रगड़ने लगा,,,
शालू से भी बर्दाश्त नहीं हुआ शालू को सूरज पर भरोसा होने लगा था और वह जानती थी कि अगर वह कह रहा है तो इस क्रिया को करने में बेहद आनंद प्राप्त होगा इसलिए वह अपने लाल-लाल होठों को खोल कर सूरज के लंड को अपने मुंह में लेने का आमंत्रण दे दी,,,,
मुंह के खुलते ही सूरज बिना देरी किए अपनी लंड के सुपाड़े को शालू के लाल-लाल होठों के बीच प्रवेश करा दिया,,,, जैसे ही सूरज को अपने सुपड़े पर शालू की जीभ का स्पर्श महसूस हुआ सूरज पूरी तरह से तिलमिला गया,,, उसका रोम-रोम झन्ना गया,,,, और उसकी आंखें अपने आप ही बंद हो गई वह सातवें आसमान में उड़ने लगा देखते ही देखते हैं शालू उसके सोचने के मुताबिक बेहद अच्छे ढंग से उसके लंड को चूसने लगी चाटने लगी,,,

शालू की तरफ से यह सूरज के लिए बेहद अद्भुत क्रिया थी जिसमें सूरज पूरी तरह से मदहोश होकर डूबता चला जा रहा था,,,,, देखते ही देखते सूरज अपनी कमर को आगे पीछे करके हिलाना शुरू कर दिया और इस क्रिया को करने से शालू को अपने होंठों के बीच सूरज का लंड अंदर बाहर होता हुआ महसूस होने लगा शालू को भी अद्भुत सुख की प्राप्ति हो रही थी वह सूरज की कमर को पकड़ कर खुद ही अपना मुंह आगे पीछे करने लगी ऐसा लग रहा था कि जैसे यह शालू का पहली बार नहीं बल्कि कई बार यह क्रिया को कर चुकी है क्योंकि उसकी हरकत बिल्कुल खेली खाई औरत की तरह थी इसलिए तो सूरज पूरी तरह से मस्त हुआ जा रहा था,,,,देखते ही देखते सूरज शालू का मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया था,,,,

बारिश के मौसम में सूरज और शालू दोनों अपनी जवानी का मजा लूट रहे थे दोनों की उम्र लगभग लगभग एक जैसी ही थी इसलिए इस उम्र में चुदाई की प्यास जागना लाजमी था,,,,शालू और सूरज दोनों संपूर्ण रूप से नग्न अवस्था में झोपड़ी के अंदर जवानी का मजा लूट रहे थे,,,,
शालू की चूत से काम रस बार-बार उबाल मार कर बाहर निकल रहा था अभी तक शालू ने अपनी चूत में सूरज के लंड को प्रवेश नहीं कराई थी लेकिन फिर भी एक बार उसका पानी निकल चुका था,,,,,
सूरज का लंड ईतना मोटा और लंबा था कि रह-रहकर शालू की सांस अटक जा रही थी,,,, कुछ देर तक सूरज इसी तरह से मजा लेता रहा और झुक कर उसकी चूची से भी खेल रहा था लेकिन अब समय आ गया था गर्म लोड़े पर हथोड़ा मारने का वह जानता था कि शालू की चूत गरम हो चुकी है,,,, अब उसपर अपना‌ लंड रुपी हथोडा मारना बेहद जरूरी है,,,

इसलिए सूरज अपने लंड को शालू के मुंह से बाहर निकाल लिया,,, शालू की सांसे बेहद गहरी चल रही थी और सांस लेने के साथ उसकी नारंगी या ऊपर नीचे हो रही थी,,, जिसे देखकर सुरज के तन बदन में शालू को चोदने का जोश बढ़ रहा था,,,,


अब देखना शालू मैं कैसे तेरी चूत में अपना लंड डालकर तेरी चुदाई करता हूं तुझे बहुत मजा आएगा,,,,(अपने लंड को मुठीयाते हुए,,) तू तैयार है ना लेने के लिए,,,
(सूरज के इस सवाल पर शालू कुछ बोली नहीं बस शर्मा कर अपनी नजरों को नीचे झुका ली जो कि उसकी तरफ से सूरज को हा थी,,,,)


अब तु पीठ के बल लेट जा,,,, फिर देख मेरा कमाल,,,,

(सूरज की बात सुनते ही शालू पीठ के बल लेट गई उसकी आंखों में चुदाई की चमक साफ नजर आ रही थी वह पूरी तरह से उससे कुछ ही अगले पल के लिए वह जल्द से जल्द सूरज के लंड को अपनी बुर में महसूस करना चाहती थी,,,, सूरज शालू की दोनों टांगों के बीच घुटनों के बल बैठ कर उसकी बुर को अपने हाथों से पकड़कर फैलाते हुए बोला,,,)

हाय रे शालू तेरी बूर तो कचोरी जैसी एकदम फुल गई है,,,,(इतना कहने के साथ ही अपनी हथेली को उस पर रखकर फिराते हुए अपनी उंगली को उस दरार में डाल कर उसके काम रस को जो की उंगली पर लगी हुई थी उसे अपने मुंह में डालकर चाटने लगा,,,
सूरज की यह हरकत शालू से बर्दाश्त के बाहर थी,,, वह पूरी तरह से मचल उठी क्योंकि उसकी आंखों के सामने सूरज उसकी चूत से मलाई निकाल कर चाट रहा था,,,, शालू शर्मा कर अपनी नजरों को दूसरी तरफ ‌फेर ली,,, सूरज मुस्कुराता हुआ शालू की कमर को पकड़कर अपनी तरफ खींच लिया और अपने लंड को पकड़ कर उस पर ढेर सारा थूक लगाकर उसके सुपाड़े को शालू की चूत पर रख कर रगड़ने लगा,,, अपनी हरकत से सूरज शालू की तड़प को और ज्यादा बढ़ा रहा था,,

सूरज के लंड को अपनी चूत पर महसूस करके शालू जल्द से जल्द उसे अपनी चूत के अंदर ले लेना चाहती थी खुद ही अपनी कमर को हल्के हल्के ऊपर उठा रही थी,,, शालू की तड़प देख कर सूरज मन ही मन बहुत खुश हो रहा था और वह हाथ से पकड़ कर अपनी लंड की सुपड़े को शालू की गुलाबी चूत के अंदर प्रवेश कराने की कोशिश करने लगा,,, शालू का गुलाबी छेद सुपाड़े की तुलना छोटा था जो कि इस समय तो उसमें प्रवेश कराना नामुमकिन लग रहा था लेकिन सूरज को इस बात की अच्छी तरह से खबर थी कि थोड़ी मेहनत करने पर उसका लंड जरूर घुस जाएगा,,,,
इसलिए हार माने बिना सूरज अपने लंड को शालू की चूत में डालने का प्रयास करने लगा,,,, बार-बार सूरज शालू की चूत पर अपने मुंह से थूक गिरा कर उसे की गीला कर दे रहा था,,, जिससे चूत और लंड दोनों पर चिकनाहट बराबर बनी हुई थी देखते ही देखते सूरज के लंड का सुपाड़ा शालू की चूत में आधा प्रवेश करने लगा लेकिन इतने में ही शालू की आंखों के सामने चांद तारे नजर आने लगे उसे दर्द का एहसास होने लगा,,,,
वह बर्दाश्त करके अपने दर्द को रोके हुए थी,,, सूरज बीच-बीच में उसका हौसला बढ़ाते हुए उसकी चूचियों को दबा दे रहा था उसे चूम ले रहा था उसे मुंह में लेकर पी ले रहा था,,,, आधा सुपाड़ा शालू की चूत में घुस चुका था और आधा और डालने में सूरज को मशक्कत करनी पड़ रही थी,,,, वह अपने मन में सोचने लगा कि औरतों की चूत में कितने आराम से चला जा रहा था और शालू की चूत में जाने में बड़ी मुश्किल हो रही है औरतों और कुंवारी शालू की चूत में उसे फर्क अच्छी तरह से मालूम था,,,,

सूरज के माथे पर पसीने की बूंदे ऊपर आई थी जो कि दर्शा रही थी कि सूरज कितना मेहनत कर रहा था,,, एक बार फिर से सूरज अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलने लगा,,, शालू का दर्द बढ़ा तो वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर सूरज की छाती पर रखती और उसे रोकने लगी दर्द के मारे शालू की आंखों से आंसू निकल आए थे,,,,


बस बस सूरज अब नहीं इससे आगे बिल्कुल भी मत बढ़ना मुझे बहुत दर्द हो रहा है,,,,


अरे पगली तू चिंता क्यों करती है थोड़ा बहुत दर्द होगा लेकिन उसके बाद इतना मजा आएगा क्योंकि खुद अपनी गांड में लंड के ऊपर पटक-पटक कर लेगी,,,,


नहीं नहीं मुझे नहीं लगता कि मजा आएगा मुझे तो बहुत दर्द हो रहा है,,,(शालू उसे रोकते हुए बोली,,, सूरज शालू की आंखों में आंसू को देख कर अच्छी तरह से समझ गया था कि उसे दर्द बहुत हो रहा है लेकिन वह अच्छी तरह से जानता था कि अगर शालू ने इस बार उसके लंड को बाहर निकलवा दी तो फिर कभी भी उसके लंड को अपनी चूत में नहीं लगी इसलिए सूरज बड़े धैर्य से काम ले रहा था वह शालू को समझाना चाहता था,,, सूरज और शालू दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था,,,
सूरज शालू के ध्यान को दूसरी तरफ ले जाने के लिए उसके ऊपर झुक गया और उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया,,,,
धीरे-धीरे शालू का दर्द स्तन मर्दन और उसकी चुसाई में खोने लगा,,,, सूरज दोनों चुचियों को बारी-बारी से मुंह में भर कर पीने लगा,,,
जहां उसके चेहरे पर दर्द के भाव नजर आ रहे थे वही चूची को पीने से उसकी आंखों में आनंद की चमक नजर आने लगी उसे मजा आने लगा था और ईसी मौके का फायदा उठाते हुए सूरज अपने दोनों हाथ नीचे की तरफ ले जाकर शालू को अपनी बाहों में कस लिया और इस बार कच कचा कर अपनी कमर को आगे की तरफ फेंक दिया और इस बार सुपाड़ा क्या सुपाड़े के साथ-साथ आधा लंड शालू की चूत में समा गया,,,, शालू दर्द से बिलबिला उठी,,, और जोर से चीख दि अहाहहहा,,,,,,सूरज,,,,,,,,हाहहहहहहह,,,,, निकल दो बहुत दर्द हो रहा है,,,,,


शालू दर्द के मारे वह छटपटा रही थी,,, सूरज उसे अपने नीचे अच्छे से दबाया हुआ था उसका लंड अभी भी आधा उसकी चूत में घुसा हुआ था लेकिन अब आगे से ज्यादा डालने की इच्छा सूरज की बिल्कुल भी नहीं हो रही थी क्योंकि इस समय शालू को ज्यादा दर्द कर रहा था,,,,
कुछ देर तक सूरज शालू को उसी स्थिति में अपनी बाहों में जकड़े रहा वह धीरे-धीरे शांत हो जाने देना चाहता था और थोड़ी ही देर में शालू का दर्द कम होने लगा तो सूरज उसे उत्तेजित करने के लिए उसकी चूची को मुंह में लेकर पीना शुरू कर दिया,,,,,देखते ही देखते सूरज अपनी सूझबूझ से एक बार फिर से शालू के बदन में उत्तेजना की लहर भरने लगा,,,। एक बार फिर से उसके मुख से गर्म से इस कार्य की आवाज आने लगीइस बार उसकी उत्तेजना कुछ ज्यादा ही नजर आ रही थी क्योंकि इस बार उसकी चूत में आधा लंड घुसा हुआ था,,,,

सूरज धीरे-धीरे जितना घुसा था उतनी ही लंड को अंदर बाहर करके शालू को चोदना शुरू कर दिया सूरज का लंड कुछ ज्यादा ही मोटा था इसलिए शालू को मजा आने लगा अंदर बाहर होते हुए लंड को महसूस करके शालू पानी पानी होने लगी और वह खुद सूरज के सर को अपनी चूची पर दबाकर अपना दूध पीलाने लगी,,,

शालू की हरकत को देखकर सूरज मन ही मन प्रसन्न होने लगा,,,,लेकिन कुछ देर तक वह शालू की चूची को मुंह में लेकर पीता रहा और अपने धक्को को हल्के हल्के मारता रहा,,, शालू को चोदते हुए सूरज बोला,,,

अब कैसा लग रहा है मेरी जान,,(सूरज उत्तेजित स्वर में पहली बार शालू के लिए जान शब्द का उच्चारण किया था जो कि शालू सूरज के मुंह से अपने लिए जान सकते का प्रयोग सुनकर पूरी तरह से मस्त हो गई और बोली)


बहुत मजा आ रहा है सूरज ऐसा मजा मुझे कभी नहीं मिला,,,
इसी मजे के खातिर शायद मेरी मां और मंगल बुआ तुमसे सारे रिश्ते नाते भूल कर चुदवाने के लिए तयार हो गई,,,


में भी तुमसे यही कह रहा था,, बदन की प्यास एक ऐसी चीज होती है की सारे रिश्ते नाते भूला देती है,, अब देखो ना तुमने कभी सोचा था की तुम अपनी प्यास बुझाने के लिए मेरा लंड अपनी चूत में लेकर चुदवाएगी,,,


हां कभीं नही सोचा था,,, मजा आ रहा है बस ऐसे ही जोर जोर से धक्के मार,,,,आहहहह आहहहहहहह ,,,,
(सूरज शालू की बातों को सुनकर पूरी तरह से जोश में आ गया और ओ समझ गया कि पूरा का पूरा एक ही बार में डाल देना है,,,,इसलिए वह शालू के लाल-लाल होठों पर अपने होंठ रख कर उसके होठों को चूसते हुए कचकच आकर एक आखरी धक्का मारा,,, और इस बार सूरज का मोटा तगड़ा लंड चूत के अंदर की साड़ी अड़चनों को दूर करता हुआ एकदम गहराई में जाकर घुस गया,,,, सूरज के इस जबरदस्त प्रहार से शालू एकदम हैरान रह गई उसकी आंखें फटी की फटी रह गई,,,यकीन नहीं हो रहा था कि अभी भी आधा लंड बचा हुआ था उसे लग रहा था कि वह पूरा लंड को अपनी चूत में ले चुकी है,,, इस बार भी उसे दर्द हुआ लेकिन सूरज की सूझबूझ से इस बार उसे दर्द कम हुआ लेकिन फिर भी इस जबरदस्त धक्के की वजह से शालू पसीने से तरबतर हो गई लेकिन इस बार सूरज नहीं रुका वह शालू के होठों को चूसता हुआ अपने धक्कों को जारी रखा,,,,

शालू की चूत में लंड पेलते हुए सूरज को इस बात का एहसास हो रहा था कि सुधियां मामी की बुर में उसकी बेटी की बुर मैं बहोत का फर्क है,,, उसे सुधियां मामी से ज्यादा शालू की कसी हुई बुर चोदने में ज्यादा मजा मिल रहा था,,,,


सुधियां को तो इस बात का एहसास तक नहीं था,, उसने शालू को सूरज के साथ कपड़े लेने बाजार भेजा था,, पर वह दोनों सारी दुनिया को भूल कर एक दूसरे में समाने की भरपूर कोशिश कर रहे थे,,,,
सूरज के धक्के तेज हो रहे थे फच फच की आवाज पूरी झोपड़ी में गूंज रहा थी,,,, सूरज पूरी ताकत लगाकर अपना लंड शालू की बुर में लंड डाल रहा था क्योंकि अब शालू भी पूरी ताकत से सूरज के लंड को अपनी बुर में ले रही थी वह भी पूरी तरह से जोश से भरी हुई थी वह भी रह-रहकर उत्तेजना के मारे नीचे से अपनी कमर ऊपर की तरफ उछाल दे रही थी,,,,,,
सूरज जोर जोर से धक्के लगाते हुए शालू की चुदाई कर रहा था ऐसा लग रहा था कि जैसे कि वह दुबारा कभी उसे मिल नहीं पाएगी या तो फिर ऐसा कभी उसके पास मौका नहीं मिलेगा इसलिए उसका पूरा रस निचोड़ लेना चाहता था,,,,

शालू पानी पानी हुए जा रही थी और सूरज उसे चोद कर पूरी तरह से मस्त कर रहा था जिंदगी में पहली बार शालू चुदाई का सुख भोग रही थी,,,,
सूरज शालू की कसी हुई बुर में अभी तक टिका हुआ था वरना कोई और होता तो अब तक पानी फेंक दिया होता इसीलिए तो धक्के पर धक्के लगा रहा था और उसे शालू की चूत में धक्का लगाने में मजा भी आ रहा था,,,, तभी कुछ ही देर बाद शालू की सांसे बड़ी तेजी से चलने लगी,,,, वह कसमसाने लगी और यही हाल सूरज का भी था सूरज भी अपने चरम सुख के बेहद करीब पहुंच गया था इसलिए शालू को अपनी बाहों में कस कर अपनी कमर हिलाना शुरू कर दिया,,,,
और १५,२० झटको में ही दोनों एक साथ झड़ने लगे,,,, वही पूरी तरह से तृप्त हो चुकी थी,,, सूरज शालू की चुदाई करके मस्त हो चुका था,,,,

सूरज बेहद खुश था कुछ देर तक शालू के ऊपर लेटे रहने के बाद वह उठा और कपड़े पहनने लगा शालू भी शरमाते हुए पास में पड़ी अपनी सलवार उठा कर सूरज से नजरें बचाते हुए पहहने लगी,,
अपनी सलवार की डोरी बांधते हुए दूसरी तरफ मुंह फेर कर वह शरमाते हुए बोली,,,

सूरज यहां जो कुछ भी हुआ उसके बारे में तुम कभी भी किसी को कुछ भी मत बताना,,,

तुम चिंता मत करो मैं किसी को कुछ भी नहीं कहूंगा लेकिन तुम भी किसी को कुछ भी मत कहना हम दोनों राज बस हम दोनों तक सीमित रहें,,,
( इतना कहकर सूरज मुस्कुरा दिया जवाब में शालू भी मुस्कुरा दी,,)

सूरज बहुत खुश था,,, साथ ही शालू की बेहद प्रसन्न नजर आ रही थी क्योंकि आज पहली बार उसने संभोग सुख की अद्भुत आनंद की अनुभूति की थी उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि संभोग में इतना आनंद प्राप्त होता है,,,,
शालू की मां को इस बात का बेहद बेसब्री से इंतजार था कि सूरज ने शालू को मना लिया या नहीं इसलिए पहुंचते ही शालू के जाने के बाद बड़ी बेसब्र हो कर सूरज से पूछने लगी की शालू मानी या नहीं मानी,,, सूरज हंसकर जवाब देते हुए बोला,,

मानेगी कैसे नहीं मानी आखिरकार मैंने तुमसे वादा जो किया था,,,।

तुम्हारा मतलब है कि अब शालू की तरफ से किसी बात का डर नहीं है,,,।

बिल्कुल भी नहीं जिंदगी भर हम दोनों का राज,, राज बनकर रहेगा,,,,।

लेकिन यह हुआ कैसे वह तो बहुत गुस्से में नजर आ रही थी कैसे मान गई।


बड़ी मुश्किल से मानी है मामी,,, उसको मनाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़े हैं मैं तो थक चुका हूं इसलिए अपने कमरे में जा रहा हूं आराम करने आप किसी बात की चिंता मत करना,,,
( इतना कहकर सूरज मुस्कुराते हुए अपने कमरे की तरफ चला गया और वह सूरज को चाहते हैं वह देखती रही और मन ही मन उसे धन्यवाद भी कर रही थी,,,, लेकिन उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि आखिरकार सूरज ने उसे मना कैसे लिया यह बात उसे पल्ले नहीं पड़ रही थी लेकिन जो भी हो उसके लिए राहत की ही खबर थी अब उसे शालू की तरफ से किसी बात का डर नहीं था। वह भी मुस्कुराते हुए अपने काम में लग गई लेकिन उसे यह कहां मालूम था कि सूरज ने उसका मुंह बंद करने के लिए उसकी बुर का द्वार खोल दिया था,,,)

रात को शालू अपने कमरे में लेट कर बिस्तर पर करवटें बदल रही थी उसे अब समझ में आ गया था कि औरत को वाकई में पेट की भूख के साथ-साथ अपने बदन की भी भूख लगती है क्योंकि अब उसने लंड का स्वाद चख ली थी और इस समय उसे फिर से अपनी बुर के अंदर मोटे लंड की आवश्यकता जान पड़ रही थी। मैं बिस्तर पर करवट बदलते हुए सलवार के ऊपर से अपनी फूली हुई बुर को अपनी हथेली से रगड़ रही थी,, इस समय जिस तरह की कसक उसके बदन में उठ रही थी उसे देखते हुए वह समझ गई कि समय के अनुसार मैं तो उसकी मां की कोई गलती है और ना ही मंगल बुआ की यह तो औरत की ही जरूरत है। यह बात शालू अच्छी तरह से समझ गई वह करवटें बदलते हुए उस पल को याद करने लगी जब सूरज उस की रसीली बुर पर अपने होठ रखकर ऊसे चूसना शुरु किया था,,,, यू एकाएक सूरज की इस हरकत की वजह से शालू को ऐसा महसूस हो रहा था कि उसका पूरा बदन हवा में झूला झूल रहा है। उसे इस बात की बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि सूरज ऐसी कुछ हरकत करेगा उसके तन-बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ गई थी जिसे वह महसूस करके अपने आपे से बाहर होती जा रही थी सूरज को रोक पाने की स्थिति में वह बिल्कुल भी नहीं थी।शालू मन में यह सोचकर उत्तेजित हो जा रही थी कि वह अपने आपे से बाहर उसी समय हो गई थी जब सलवार के ऊपर से ही सूरज का नंगा लंड ऊसकी कचौऱी जैसी बुर पर ठोकर लगा रहा था,,,, उसी समय उसका मन कहा कि वह खुद ही अपनी सलवार निकालकर सूरज के लंड को अपऩी बुर में ले ले,,,, लेकिन शर्म और संस्कार की दीवार उसे ऐसा करने से रोक रही थी,,,,
शालू को झोपड़ी में बिताया सूरज के साथ वह एक एक पल किसी फिल्म की तरह ऊसकी आंखो के सामने नाच रहा था,,,, शालू मन में सोच रही थी कि मुझे तो इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि लड़कों का लंड इतना मोटा और तगड़ा होता है। उसे तो सूरज का लंड देख कर मन ही मन घबराहट हो रही थी,,,,

वह मन मै यह सोच रही थी कि अगर वह सूरज के लंड को अपनी बुर में लेने के लिए तैयार भी हो जाती है तो वह कैसे ले पाएगी,, लेकिन सूरज बेहद चालाकी से पूरी तरह से अपनी हरकतों की वजह से उसकी पूरी को पूरी तरह से गीली कर दिया था जिसकी गीलेपन ने इतने मोटे लंड को बुर के अंदर सरकने में अच्छी तरह से मदद किया और वह है मोटे लंड को इतनी दूर में महसूस करके चुदाई की असीम आनंद को प्राप्त कर सकी,,,, शालू बिस्तर पर करवट लेते हुए यही सब सोच रही थी उसकी बुर भी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी,,,,
चुदाई के असीम सुख प्राप्त करने की तड़प को अब वह अच्छी तरह से महसूस कर पा रही थी,, अब उसे अपनी मां से किसी भी बात का गिला नहीं था और ना ही अपनी बुआ से अब शालू को रिश्तो के बीच की यह नाजायज संबंध किसी भी प्रकार से गलत नहीं लग रहा था। सूरज और मंगल बुआ के बीच के शारीरिक संबंध के खिलाफ अब वह बिल्कुल भी नहीं थी और ना ही मामी और भांजे के साथ साथ भाई और उसके के रिश्ते के बीच शारीरिक संबंध को लेकर उसके मन में किसी भी प्रकार का अवरोध नहीं था अब वह अच्छी तरह से समझ गई थी कि शारीरिक जरूरत को पूरा करना ही सबसे अग्रिम है बाकी रिश्ते-नाते बाद में,,,
अब सूरज की बात बिल्कुल सही लगने लगी कि अगर वह अपनी सुधियां मामी और मंगल मामी के साथ शारीरिक संबंध बनाकर उन दोनों को अपने लंड से पूरी तरह से संतुष्ट नहीं करता तो वह दोनों के बहकने का पूरा चांस था,,,और ऐसे में परिवार की बदनामी होना स्वाभाविक ही था,,,,
शालू के मन में ढेर सारी भावनाएं उमड़ रही थी,,, उसे वापस अच्छी तरह से याद है जब सूरज उसकी बुर में लंड पेलते हुए उसे चोद रहा था,,, और वह कामुकता के असीम सागर में डूबती चली जा रही थी जब वह उसकी दोनों चूचियों को दबा रहा था तो उसे बहोत मजा आ रहा था,,, शालू पूरी तरह से सूरज के रंग में रंग चुकी थी उसे बहुत मजा आया था,,,, सूरज के हर धक्के को वह इस समय याद करके रोमांचित हुए जा रही थी,,,, उसकी बुर गीली होने लगी थी,,, इस समय उसे सूरज की बहुत याद आ रही थी अगर इस समय सूरज उसके पास होता तो वह खुद ही उसके लंड पर चढ़ जाती,,,,

जी मैं तो आ रहा था कि वह खुद ही सूरज के पास चली जाए और उस से जी भर कर चुदाई का मजा ले,,, लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकती थी काफी देर तक वहं झोपड़ी में हुई चुदाई के बारे में सोचकर अपनी बुर को सहलाती रही,,, और कब नींद की आगोश में चली गई उसे भी पता नहीं चला,,,
 
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दूसरी तरफ सूरज जैसे ही कमरे में आराम के लिए जाने वाला था,,,, तभी मंगल उसे रोकते हुए बोली,,,
सूरज एक जरूरी काम था,,,, जीजाजी को कुछ काम है वह शादी शादी वाले दिन यहां आने वाले है तो तुझे अभी मेरी बड़ी बहन को लाने के लिए जाना है,,,,
(सूरज शालू की चुदाई करके थक गया था,, वह आराम करने के लिए अपने कमरे में जाने वाला था,,,, लेकिन मंगल मामी ने उसे जो काम बताया था उसे करना भी जरूरी था,,)
इसी लिए वह बेमन मन लिया,,,, मंगल ने उसे तयार होकर आने के लिए कहा,,,
थोड़ी सूरज तयार होकर बाहर आ गया,,,, तो देखता है की बाहर एक तांगा खड़ा था,, मंगल भी उस तांगे के पास खड़ी थी,,, सूरज अपनी मंगल मामी के पास जाके बोला,,,,
मामी ये तांगा किसका है,,, मंगल सूरज के तरफ देखते हुए बोली,, ये तांगा हमारे पहचान के रिश्तेदार का है,, शादी ब्याह के दिन है तो घर में किधर जाना हो तो जरूरत पड़ेगी इस लिए लाया है,,,, और तुझे ये तांगा लेकर मेरी बड़ी बहन को लाने के लिए जाना है,, और इतना कहकर सूरज को अपने बहन के गांव जाने का रास्ता बता देती है,,,,
मंगल की बहन का गांव चार गांव छोड़कर था,,,, शाम का वक्त हो चुका था,,, सूरज तांगे पर बैठकर मंगल मामी ने बताए रास्ते पर उसकी बहन की लाने निकल पड़ा,,,,
रास्ते में जाते वक्त उसे एक छोटी नदी मिली उसने जादा पानी नहीं था,, तो तांगा बिना किसी तकलीफ से नदी को पार कर गया,, उसे अपने मामी की बड़ी बहन के घर पहुंच ने में काफी समय हो गया था,,,, रात के अंधेरे में सूरज को मामी की बहन के घर ढूंढने में बड़ी मुस्किल हो रही थी,,,, सूरज को घर नहीं मिल रहा था तो सूरज ने तांगे को एक घर के बाहर रोक दिया,,,तांगे की आवाज सुनकर अंदर से एक आदमी बाहर आया वह आदमी उन्रदराज लग रहा था,,,,

वह अपने घर के बाहर टांगे को रुका हुआ देखा कर तांगे के पास गया और तांगे में बैठे सूरज से बोला,,,, कोन हो बिटवा इतनी रात को तांगा लेकर किधर से आए हो और तुम्हे किसके घर जाना है,,,,
सूरज उस आदमी की बात सुनकर उसे बताता है की,,,, मेरा नाम
सूरज है,,,, और मुझे मेरी मंगल मामी ने उनकी बहन को लाने के लिए भेजा है,,,, पर रात के अंधेरे में मुझे उनका घर नहीं मिल रहा है,,,, समझ नही आ रहा की क्या करू,,,
सूरज की बाते सुनकर उसे समझ आ गया की यह वही लड़का है जिसे गांव से भेजने वाले थे,,,,
वह आदमी ने सूरज से बोला,,, मेरा नाम धरमपाल है और बिटवा तुमने बिल्कुल सही जगह तांगा रोका है,,,, तुम्हे जिसे लाने के लिए बोला था वह मेरी बहु है,,,,( सूरज अपने ख्यालों में सोचने लगा चलो सही जगह आ गए बहुत परेशान हो गया था,,,,)

तभी धरमपाल बोला अरे बिट्वा कहा खो गए नींद आ रही है क्या,,,
तभी सूरज अपने खयालों से बाहर आ कर हड़बड़ाहट में बोलता है,,, जी जी हा वो तांगा चलाने के कारण थकान और थोड़ी नींद आ रही है,,,,
कोई बात नही बिट्वा तांगे को बाजू में खड़ा कर दो और घर में चलो,,
सूरज धरमपाल की बात मानकर टांगे की बाजू में खड़ा कर दिया घोड़े को टांगे से खोलकर उसकी रस्सी को खूठे से बांध कर उसे चारा डाल कर धरमपाल के पास आ गया,,,,
सूरज पास आतेही धरमपाल बोला,,,, बिट्वा मेरा बेटा और बहू पास के गांव रिश्तेदार के यहां गए है कल दोपहर तक आ जायेगे,,, उनके आते ही तुम बहु को लेकर अपने गांव जा सकते हो,,, उनके आने तक तुम हमारे मेहमान हो और मेहमानों की मेहमान नवाजी हम बहुत अच्छी करते है,,, और हा तकलीफ के लिए माफी चाहता हूं कि मेरे बेटे को खेतों में बहुत काम रहता है इसी वजह से उसे कही भी आने जाने का भी समय नहीं मिलता,,,
लेकिन आज बहु के आज जादा जोर देने पर भी वह रिश्तेदार के यहां नही जा रहा था,,,, कह रहा था खेतो में बहुत काम है में नही जा सकता,,,
बहु तो नाराज हो गई, कहने लगी सारा दिन काम ही करते रहते हो मुझपर जरा भी ध्यान नहीं देते हो और मेरे भाई की शादी है दो तीन शादी से पहले वहा जाते है,,,, लेकिन आप बस अपने कामों में पड़े हो,, और उनके बीच में झगड़ा होने लगा,,पर तभी मैने अपने बेटे को समझाया कि खेतो को में देख लूंगा तुम बहु को लेकर चले जाओ तब वह मान गया,,,,,

( सूरज अपने मन में सोच रहा था की,,,, में कहा आकर फस गया अगर अपने मामा के यहां होता तो मंगल मामी नही तो सुधियां मामा को अब तक चोद रहा होता,,,, सोचा था कल सुबह जल्दी निकलेंगे लेकिन कल दोपहर तक इंतजार करना पड़ेगा यह सोच कर वह परेशान होने लगा था,,,)

चलो बिट्वा घर के अंदर चलकर मुंह हाथ धोकर खाना खालों,,,
सूरज ने वहापर खाना खाया और उसे सोने के लिए एक कमरा दिया था,,, सूरज कमरे में जाकर बिस्तर पर लेट गया और थकान के कारण उसे जल्दी नींद आ गई और वह सो गया,,,
 

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