Incest जिंदगी के रंग अपनों के संग (Completed)

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में-सोनम मुझे वॉशरूम जाना था ना.

सोनम-ठीक है 10मिनट सिर्फ़.

में-थॅंक्स ये कार्ड लो प्ल्ज़ पेमेंट भी करती आना.

में-बोलो रोहन क्या बात है.

रोहन-अजय प्रिया तुम्हारे साथ सीट शेर नही करना चाहती वो चाहती है कि कल से में उसके साथ बैठू.

में-ठीक है जैसा वो चाहे तुम मेरी सीट पे बैठ सकते हो.

रोहन-तुम चाहो तो मेरी किसी भी फ्रेंड् के साथ बैठ सकते हो.

में-उस की ज़रूरत नही है मेरा बेस्ट फ्रेंड् भी इसी क्लास में है में उसके साथ एडजस्ट हो जाउन्गा .ओके तुम टेन्षन ना लो मेरी तरफ से
कोई प्रॉब्लम नही होगी अब मुझे चलना चाहिए काफ़ी लेट हो रहा है हमें तुम अपनी पार्टी एंजाय करो.

और हम दोनों बाहर आ गये हम ने टॅक्सी ली और रवि के घर पहुँच गये वहाँ पे मेरी उम्मीद से हट के सभी जाग रहे थे.

में-कोई खास कारण आप लोगो के इस तरह से जागने का.

जिया दी-नही चल जा के आराम कर हम भी आराम करने जा रहे है सुबह बात करते है.

में-ऐसी क्या बात है जो आप लोग मुझे अभी नही बता सकते.

नैना दी-अजय चलो जाओ रवि के रूम में जिया ने कहा ना कि सुबह बात करेंगे तो सुबह बात करेंगे और अब मुझे तुझ से कोई भी एक्सक्यूज नही सुनने.

आख़िर कार मैने अपनी हार मानते हुए चला गया रवि के रूम में और रवि को बिस्तर से नीचे गिरा के सो गया कब मेरी आख लगी पता ही नही चला.
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नैना दी-अजय चलो जाओ रवि के रूम में जिया ने कहा ना कि सुबह बात करेंगे तो सुबह बात करेंगे और अब मुझे तुझ से कोई भी एक्सक्यूज नही सुनने.

आख़िर कार मैने अपनी हार मानते हुए चला गया रवि के रूम में और रवि को बिस्तर से नीचे गिरा के सो गया कब मेरी आख लगी पता ही नही चला.
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प्रिया अपने रूम में ही चक्कर लगाते हुए. खुद से ही बात कर रही थी जैसे पागल हो गयी हो.

आज जो भी हुआ ठीक नही हुआ मुझे अजय से ऐसी बात नही करनी चाहिए थी .

पर में भी क्या करती एक तो उसने मेरा फोन नही उठाया और फिर वो सोनम के साथ कैसे चिपक के बैठ रहा था तो मुझे भी गुस्सा आ गया.

गुस्सा आना ठीक है पर उस की इन्सल्ट करना वो भी सब के सामने अब अगर उस ने अपनी फ्रेंड्सशिप तोड़ ली तो उस की ग़लती नही होगी.

ऐसे कैसे फ्रेंड्सशिप तोड़ लेगा मुझसे आख़िर पूरे स्कूल की सबसे ब्यूटीफूल लड़की हूँ और वैसे भी ग़लती उस की है उसे मुझसे माफी माँगनी चाहिए.

ठीक है फिर तू इंतज़ार करती है उसके माफी माँगने का कही ऐसा ना हो कि कोई और इस मोके का फ़ायदा उठा ले वैसे भी बहुत लड़किया उसके पीछे पड़ी है.

अगर किसी ने उस से दोस्ती तो दूर की बात उसके पास आने की भी कोशिश की तो उस का मूह नोच लूँगी में वो सिर्फ़ मेरा है सिर्फ़ मेरा.ठीक है में कल ही उस से माफी माँग लुगी तब तो ठीक होगा ना .

हाँ शायद तब सब ठीक हो जाए........

पर प्रिया को क्या पता कि हमेंशा वो नही होता जो हम सोचते या चाहते है कभी कभी वो भी हो जाता है जो हमारी सोच से बिल्कुल परे होता है वो कहते है ना कि वक़्त किस को क्या दिखाए किसी को कुछ नही पता.ये तो बस एक शुरुआत थी उसकी लाइफ में आने वाले तूफान की ........,...
अब मेरी लाइफ पहले के मुक़ाबले काफ़ी ईज़ी हो गयी थी क्यूँ कि मुझे पता है कि मुझे क्या करना है और क्या नही कौन मेरे लिए है और में किस के लिए .

सुबह मुझे किसी ने बड़े प्यार से जगाया जी हाँ रवि कमिने ने पूरा एक बाल्टी ठंडा पानी जो मेरे उपर डाल दिया था और सच में मुझे बहुत ही प्यार आया उस पे और मैने उस को प्यार करने के लिए अभी उठ ही रहा था कि वो भाग गया रूम से और शायद नीचे हॉल में चला गया.
मेरी साली किस्मत ही खराब है घर पे नैना दी और यहाँ पे ये कमीना पर इसको तो में छोड़ने वाला नही हूँ पर कर भी क्या सकता हूँ सभी का सपोर्ट उसी को होगा .

खैर में फ्रेश हो के नीचे चला गया जहाँ सब मुझे देख के हस रहे थे जैसे कि में कोई जोकर हूँ.

में-ज़्यादा हँसने की ज़रूरत नही है .

रवि-अरे तेरे को देख के थोड़े हस रहे है वो तो हमे एक जोक याद आ गया था इसलिए हस रहे है.

में-ज़्यादा स्मार्ट मत बन चल जल्दी तैयार हो जा स्कूल के लिए लेट हो रहे है.

रवि-चल बे में तैयार हूँ तू अपना देख.

में-रुक कमीने तुझे अभी बताता हूँ.(और उस को पकड़ के बेटे अगर अभी के अभी अगर तूने मामला शांत नही किया तो में सब को बता दूँगा की तेरे साथ क्लासरूम में क्या हुआ था )

रवि-भाई कैसी बात कर रहा है तू तो भाई है अपना और वैसे भी हम ने डिसाइड किया था कि एक दूसरे की सीक्रेट दूसरो के सामने नही खोलेगे भाई प्लज़्ज़्ज़्ज़.

में-ये तो पहले सोचना था तू मामला सही कर रहा है कि में ***

रवि करता हूँ भाई .फिर रवि ने सब को बड़ी मुस्किल से समझाया और में भी अपना सीना चोडा कर के घूमने लगा .

में-जिया दी आप ने कल रात कोई बात अधूरी छोड़ दी थी.

जिया दी- हाँ पहले तू प्रॉमिस कर कि तू गुस्सा या एमोशनल नही होगा.

में-में ऐसा कोई प्रॉमिस नही करने वाला .

जिया दी-देख अजय तो में तुझे ऐसा कुछ नही बताने वाली.

में-तो ठीक है में कही और से पता कर लूँगा और आप जानती है कि अगर में किसी बात पे आ जाऊ तो मुझे कोई नही रोक सकता और अगर वो बात मेरी फॅमिली की हो तो फिर….

नैना दी-अजय ऐसी कोई बात नही है.

में-अगर ऐसी बात नही है तो ये प्रॉमिस की क्या ज़रूरत है.

रवि-ये सब हो क्या रहा है कोई मुझे भी बताएगा.

जिया दी-तुझे ज़्यादा सोचने की ज़रूरत नही है और चुप कर के नाश्ता कर.

नैना दी-चल तू अभी स्कूल जा में तुझे घर पे बता दूँगी और हाँ कोई टेन्षन लेने की ज़रूरत नही है ठीक है ना.

में-अगर किसी इंसान की सुबह ही ऐसे कन्फ्यूज़ से स्टार्ट हो तो क्या करे वो .

नैना दी-चल ज़्यादा बाते मत कर और स्कूल जा मुझे भी घर जाना है और एक बार और बोल रही हूँ कि टेन्षन की कोई बात नही है.

रवि-भाई चल स्कूल चलते है नही तो मुझे मामला कुछ गरम होता दिख रहा है और जब दी कह रही है कि कोई टेन्षन नही है तो नही होगी.

मैं-ठीक है पर शाम को मुझे कोई एक्सक्यूस नही चाहिए.
 
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नैना दी-बिल्कुल कोई एक्सक्यूस नही बस अब तू अपना मूड ठीक कर और चल ज़रा मुस्करा दे.

में-जैसा आप कहे दी वैसे आज सुबह से वो आफ़त की पूडिया नही दिखी.

रवि-में भी वो ही पूछने वाला था वो कहाँ है और अजय अच्छा नाम है आज से में भी उस को इसी नाम से बुलाने वाला हूँ आफ़त की
पूडिया .झकास.

में-तब तो तू गया काम से मुझे किसी ने बताया था कि उस आफ़त के पूडिया के हाथो से किसी का मर्डर होने की काफ़ी संभाना है .

रवि-तू मज़ाक कर रहा है .

में-बिल्कुल नही .(पर असल में ये सिर्फ़ मज़ाक ही था क्यूँ कि ये सुबह से ही मेरे मज़े ले रहा था.और मुझे ये भी पता है कि रवि इन सब
बातों में बहुत विश्वास करता है जैसे कि भूत प्रेत एट्सेटरा)

रवि-तुझे किस ने बताया ये सब.

में-तुझे नही पता एक बार हम ने उस का फ्यूचर दिखाया था टॅरो कार्ड रीडर से उसी ने बताया था और ये भी की उस लड़के या आदमी का नाम का पहला वर्ड र से स्टार्ट होगा.

रवि-थॅंक्स जो तूने मुझे बता दिया वैसे भी वो बहुत ही गुस्से वाली है और मुझे भी ऐसा ही लगता है कि मेरा उस से दूर रहना ही अच्छा है.
इसी तरह हम लोग बात करते हुए या यू कह ले की रवि को डराते हुए स्कूल पहुँच गये.

में-रवि आज में तेरी सीट पे बैठुगा.

रवि-ऐसा क्यूँ .

में-तुझे कोई प्रॉब्लम है .

रवि-नही बस ऐसे ही चल आ जा .

रवि क्लास में पीछे की सीट में बैठा था और में आगे .पर अब जब मुझे रवि के साथ अपनी सीट शेर करनी थी तो मुझे भी पीछे ही जाना पड़ा.

प्रिया-हाई अजय सॉरी कल के लिए.

में-कोई बात नही ऐसा हो जाता है .

प्रिया-थॅंक्स तुम ने मुझे माफ़ कर दिया.

में-मैने कहा ना कोई नही अब मुझे चलना चाहिए क्लास स्टार्ट होने वाली है.

प्रिया-पर तुम्हारी सीट तो यहाँ है ना.

में-नही अब नही है .

और में पीछे रवि के पास चला गया प्रिया क्या सोच रही थी मुझे नही पता पर अब मुझे मेरी लाइफ के गोल के बारे में पता था.

फिर कुछ ही देर में रोहन भी आ गया और प्रिया के पास की सीट खाली देख के वो ऐसा खुश हुआ जैसे कि उस ने दुनिया जीत ली हो और
वो वहाँ जा के बैठ गया……






फिर क्लास स्टार्ट हुई में ये तो नही कहुगा कि मुझे प्रिया से दूर हो के कोई फ़र्क नही पड़ रहा था सच ये था कि अंदर दिल में आग लगी हुई थी पर मेरे पास कोई और रास्ता नही था इसी में हम दोनों की भलाई थी.और किसी तरह हम ने हाफ टाइम तक क्लास अटेंड किया फिर जैसे ही बेल हुई में क्लास रूम से ऐसे निकला जैसे कोई कैदी किसी क़ैदखाने से निकलता है.

में-रवि चल कॅंटीन चलते है.

रवि-चल वैसे भी आज तेरी टर्न है ट्रीट की लास्ट टाइम मैने दे थी .

में-चल बे झूठे कितना झूठ बोलता है लास्ट टाइम मैने दे थी.

रवि-देख मुझसे झूठ मत बोल नही तो में तेरे से बात नही करने वाला.

में-तू तो लड़कियो की तरह नाराज़ हो गया चल में ही ट्रीट देता हूँ आज पर नेक्स्ट टाइम तेरा टर्न होगा,
 
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रवि-चल वैसे भी आज तेरी टर्न है ट्रीट की लास्ट टाइम मैने दे थी .

में-चल बे झूठे कितना झूठ बोलता है लास्ट टाइम मैने दे थी.

रवि-देख मुझसे झूठ मत बोल नही तो में तेरे से बात नही करने वाला.

में-तू तो लड़कियो की तरह नाराज़ हो गया चल में ही ट्रीट देता हूँ आज पर नेक्स्ट टाइम तेरा टर्न होगा,

कॅंटीन में जा के हम ने अपनी फ़ेवरेट टेबल पकड़ ली (यानी कि बैठ गये) रवि ऑर्डर लेने चला गया .तभी मुझे सामने से प्रिया आती हुई देखी और वो सीधी ही मेरी तरफ आ रही थी.ये कुछ नया हो रहा था मेरे साथ आज के दिन मैने ये तो नही सोचा था.

प्रिया-तुम मुझे इग्नोर क्यूँ कर रहे हो.

में- तुमे ऐसा क्यूँ लग रहा है.

प्रिया-देखो ज़्यादा स्मार्ट बनने की कोशिश मत करो तुम्हें पता है कि में क्या कह रही हूँ.

में-देखो प्रिया ऐसा कुछ नही है बस अब में अपने बेस्ट फ्रेंड् के साथ कुछ टाइम बिताना चाहता हूँ और कुछ नही.

अभी प्रिया कुछ बोलने ही वाली थी कि रोहन आ गया .

रोहन-प्रिया तुम यहाँ में तुम्हें कब से ढूँढ रहा हूँ.

प्रिया-क्यूँ क्या बात है .

में-में चलता हूँ मुझे कुछ काम याद आ गया.

और में वहाँ से जाने लगा कि तभी प्रिया ने मेरा हाथ पकड़ लिया .

में-प्रिया ये क्या है छोड़ो मुझे सभी स्टूडेंट देख रहे है हमें.

प्रिया-पहले मुझे अपने सवालो के जबाब चाहिए.

में-ठीक है पर ये कोई तरीका नही है और हम छुट्टी के बाद बात करेंगे.

और में वहाँ से रवि को ले के निकल गया अब मेरा मूड आगे क्लास अटेंड करने का नही था क्यूँ कि आज सुबह से मेरे साथ बड़े ही अजीब हालात पैदा हो रहे थे पहले जिया दी और अब ये मैने किसी तरह रवि को समझा के में घर के लिए निकल गया घर जा के पता चला कि
दी अभी रवि के घर से नही आई है मुझे थोड़ा अजीब लगा पर मैने उस पे ज़्यादा ध्यान नही दिया और अपने रूम में जा के फ्रेश हो के लेट गया मेरी आख कब लगी मुझे पता ही नही चला.
 
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बॅक टू प्रेजेंट………….

क्या सच में ये सब हुआ था सब के साथ .

मैने पीछे मूड के देखा तो गुड़िया खड़ी थी पीछे पता नही कब से पर अब मुझे मेरी बेबकूफी पे हसी आ रही थी जो बात में किसी को नही बताना चाह रहा था वो अब सब को पता थी.

में-तुम कब से खड़ी हो यहाँ पे.इधर आओ.

गुड़िया मेरे गले लगते हुए जब से आप जॅक अंकल को अपनी स्टोरी सुना रहे थे तब से पर आप ने बताया नही कि ये सब सच है .

में-ये जानना ज़रूरी है तुम्हारे लिए.

गुड़िया -हाँ .

में-हाँ ये बिल्कुल सच है पर आधा अभी आधी स्टोरी बाकी है जो में अब जॅक अंकल को नही सुनाने वाला.

जॅक-क्यूँ तुम्हें पता है मुझे पहली बार कुछ इंट्रेस्टिंग लगा है अब तो मुझे ये पूरी सुननी है किसी भी कीमत पे.

गुड़िया -और मुझे भी वैसे वो प्रिया कितनी बुरी है मुझे मिल जाए तो में उस को****

में-ज़्यादा गुस्सा अच्छा नही अब ये बताओ कि क्या करने आई थी यहाँ पर.

गुड़िया –में तो बस खुद को आकेला महसूस कर रही थी तो आपको ढूँढने लगी तभी आपको यहाँ जॅक अंकल के साथ बात करते हुए देखा मैने सोचा की में आपको डिस्टर्ब नही करूगी इसलिए आप की बात सुनने लगी .

में-तुमे नही पता कि किसी की बातें सुनना बहुत बुरी बात होती है.

जॅक-चलो आज के लिए इतना काफ़ी है बाकी कल देखते है में तो चला आराम करने तुम भी डिन्नर कर के आराम करो कल से
तुम्हारी असली ट्रनिंग सुरू होगी.

में-ओके .

गुड़िया –चलो डिन्नर करते है आज में आपको अपने हाथ से डिन्नर कराती हूँ.

में-सच में तब तो आज में सारा ख़तम कर दूँगा किसी के लिए भी कुछ नही बचने वाला सोच लो.

गुड़िया -सोच लिया चलो .

फिर हम हॉल में आ गये और मॉम डॅड से थोड़ी बहुत बातें हुई फिर सच में गुड़िया ने ही अपने हाथो से मुझे डिन्नर खिलाया और मैने सच में आज बाकी दिनो के मुक़ाबले कुछ ज़्यादा ही खा लिया इतना कि बाद में मुझे मेडिसन भी लेनी पड़ी.पर गुड़िया का मुझे ऐसे खाना खिलाने से मुझे नैना दी की याद आ गयी पता नही मेरे बिना उन का क्या हो रहा होगा मुझे ये तो पक्का पता है कि वो अपना डिन्नर या लंच ढंग से
नही कर रही होगी पर में कुछ नही कर सकता ये जान के भी बड़ा दुख होता है.फिर दिल को एक शकुन मिलता है कि जल्द ही वो भी मेरे पास होगी बस उन के पास होने का अहसास ही मेरे सारे दुख दर्द पे भारी है जब मेरी दी हो साथ तो में सारी दुनिया का मुकाबला
कर सकता हूँ.

गुड़िया -किस के बारे में सोच रहे हो.

में-नैना दी के बारे में तुम कभी मिली हो उन से.

गुड़िया -नही बस डॅड से सुना है कि वो बहुत सुंदर है और अच्छी भी.

में-बिल्कुल ठीक सुना है तुमने वो बहुत सुंदर और अच्छी है पर तुम से ज़्यादा सुंदर नही है.चलो सो जाओ कल स्कूल जाना है तुम्हे .

गुड़िया -मुझे कुछ चाहिए आप से और प्ल्ज़ आप मना नही करेंगे प्ल्ज़ प्ल्ज़्ज़.

में-ओके पर क्या चाहिए पहले ये बताओ.

गुड़िया -परसो से हमारी छुट्टियाँ स्टार्ट हो रही है और प्ल्ज़ इस बार आप मुझे कही घुमाने ले चलो प्ल्ज़ में कभी भी बाहर घूमने नही गयी.
 
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में-इधर आ .वो मेरे पास आ गयी और सुन ऐसे कामो के लिए कभी भी छोटे रिक्वेस्ट नही करते सीधा ऑर्डर करते है.

गुड़िया भाग के मेरे गले लग गयी मुझे उसे ऐसे खुस देख के बहुत अच्छा लगा .

में-चल अब सो जा और और कल स्कूल से आ के अपनी प्लॅनिंग कर लेना कि कहाँ जाना है ओके.

गुड़िया -भाई क्या में अपनी कुछ फ्रेंड्स को भी साथ ले लूँ.और एक बात वो कल खाडुश अमृता दी आ रही है मुझे लेने को प्ल्ज़ आप मुझे
उन से बचा लेना प्ल्ज़.

में-अच्छा और वो क्यू भला उन्हे कोई काम होगा तुमसे.

गुड़िया -नही उन्हे कोई काम नही है बस ऐसे ही जब भी मेरी छुट्टी पड़ती है तो मुझे अपने साथ ले जाती है और बस हुकुम चलाती रहती है.

में-तू है इतनी प्यारी कि सब तेरे साथ रहना चाहते है चल में देख लूँगा और तू अपनी फ्रेंड्स को भी बुला ले और ये ट्रिप मेरी तरफ से सब
के लिए ओके चल अब और कोई बात नही चुप चाप सो जा.

गुड़िया -हाँ तो चलो मुझे सुलाओ नही तो मुझे नीद नही आने वाली.

अब मेरे पास कुछ नही बचा था बोलने को किसी ने सही ही कहा है कि आप सब से जीत सकते हो पर कभी भी अपने छोटे ब्रो*आंड सिस* से पंगा मत लेना नही तो 100 में 100 बार मूह की खानी पड़ेगी.

गुड़िया ने मेरी गोद में अपना सिर रख के लेट गयी और में उसके सिर में धीरे धीरे हाथ फेरने लगा कुछ देर के बाद वो सो गयी तो मैने सोचा कि चलो इसे ठीक से सुला दूं पे में ऐसा कर नही पाया क्यूँ कि सोते हुए भी उस की पकड़ मुझ पे बिल्कुल भी ढीली नही हुवी थी आख़िर कार एक बार फिर मेरी हार हुई और मैने उस को ऐसे ही रहने दिया और मेरी कब आख लग गयी पता ही चला सुबह हमारे हिट्लर के दरवाजे पे नोक के साथ ही मेरी नीद खुली और मैने गुड़िया को साइड कर के गेट खोला तो सामने जॅक खड़ा था उस ने मुझे घड़ी की तरफ इशारा कर
के ये बताया कि में लेट हो रहा हूँ और मैने रिप्लाइ में अपने हाथ की 5 उंगलिओ को दिखा के 5 मीं और ले लिए और शायद आज वो अच्छे मूड में था इसलिए उस ने मुझसे बिना किसी बहस के 5 मीं दे भी दिए जो आज की ब्रेकिंग न्यूज़ होनी चाहिए थी पर हाए रे मेरी किस्मत
यहाँ भी धोका दे गयी.कभी कभी में सोचता हूँ कि जब मेरी किस्मत लिखी जा रही थी तब या तो लिखने वाला महा कमीना होगा या उस
को मुझसे कोई खास खुन्नश होगी नही तो ऐसा मेरे साथ बार बार नही होता.
 
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आज जो होने वाला था उस से मेरी पूरी लाइफ ही चेंज हो गयी मेरी जीने का तरीका मुझे मजबूरी में बदलना पड़ा मुझे और ये सब सिर्फ़ जॅक की वजह से पता नही उस ने ये सही किया या ग़लत ये तो वक़्त ही बताएगा पर अभी तो मेरा दिल बस जॅक का खून करने को कर रहा
था काश में ऐसा कर सकता ….*****

जॅक-तो तुम तैयार हो ट्रनिंगे के लिए .

में-अगर नही भी हुआ तो तुम छोड़ने वाले नही हो हैं ना .

जॅक-हाँ क्यूँ नही.चलो आज कुछ नया करते है तुम्हें पता है कि हर इंसान की शक्ति का एक शोर्से होता है.

में-नही मुझे ऐसी किसी फज़ूल बातों पे विश्वास नही है.

जॅक-अगर में तुम्हें विश्वास दिला दूं तो तुम मेरे कहे अनुसार चलोगे.

में-बिल्कुल पर कभी ऐसा नही हो सकता.

जॅक-देखते है आओ में तुमे कुछ दिखाता हूँ.

और हम लोग यहाँ से एक छोटे से फव्वारे के पास चले गये जो यही गार्डन में था.

में-अब क्या .

जॅक-देखते रहो.

फिर जो उसने किया वो में अपनी जिंदगी भर नही भूल सकता ऐसा मेरे या किसी भी आम इंसान के लिए देखना या करना नामुमकिन था.

में-ये क्या है ऐसा नही हो सकता ज़रूर ये कोई ट्रिक है ना.

जॅक-तुम्हें ये लगता है कि ये ट्रिक है में ऐसा पूरे दिन भर कर सकता हूँ.

में- पर ये नामुमकिन है ऐसा हो ही नही सकता ये तो****

जॅक-मुझे पता है तुम क्या कहना चाहते हो पर तुम्हारे लिए ये सब जानना भी ज़रूरी है मुझे पता है कि इस समय तुम्हारे दिमाग़ में बहुत
से सवाल उठ रहे होगे पर उन से काफ़ी सवालो के जबाब तुम्हे खुद ही ढूँढने होगे और ये ही आज की तुम्हारी ट्रनिंग है .

में-पर ये हो ही नही सकता ये नामुमकिन है तो में सवाल कहाँ से ढूंडू.

जॅक-अजय अब तुम जिस लाइफ में कदम रखने वाले हो वहाँ कुछ भी नामुमकिन नही है कुछ भी नही .

में-पर क्या सच में वो तुम ने किया था .

जॅक-बिल्कुल और तुम्हें उस से कही आगे जाना है.चलो अब कॉलेज के लिए तैयार हो जाओ कल मिलते है और हाँ आज मुझे कहीं जाना है तो में कॉलेज नही आ रहा तो अपना ध्यान रखना.

में-ये तो अच्छी बात है वैसे भी आज से वो रवि का बच्चा भी आ रहा है.

जॅक-चलो तब ठीक है.

फिर में अपने रूम में चला गया गुड़िया वहाँ नही थी पर आज की सुबह मेरी धमाकेदार रही थी आज मैने वो देखा जो आज तक किसी
ने नही देखा होगा में बस ये बात रवि और अपने दोस्तो को बताने के लिए मरा जा रहा था.तभी मेरा फोन बजने लगा और ये जॅक का फोन था.

में-अब भी कुछ बच गया क्या .
 
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में-ये तो अच्छी बात है वैसे भी आज से वो रवि का बच्चा भी आ रहा है.

जॅक-चलो तब ठीक है.

फिर में अपने रूम में चला गया गुड़िया वहाँ नही थी पर आज की सुबह मेरी धमाकेदार रही थी आज मैने वो देखा जो आज तक किसी ने नही देखा होगा में बस ये बात रवि और अपने दोस्तो को बताने के लिए मरा जा रहा था.तभी मेरा फोन बजने लगा और ये जॅक का फोन था.

में-अब भी कुछ बच गया क्या .

जॅक-हाँ और वो ये कि जो भी आज हुआ वो किसी को पता ना चले नही तो उसके लिए अच्छा नही होगा समझे.

में-यार तुम्हारी प्रॉब्लम क्या है हर काम में अपनी टाँग लगा देते हो.

जॅक-अब क्या करूँ मेरी टाँग ही इतनी बड़ी है बस जो मैने कहा वो ध्यान रखना.

में-ठीक है .

फिर में रेडी हो के नीचे हॉल में चला गया जहाँ गुड़िया नाश्ते पे मेरा वेट कर रहे थे.

में-क्या हो रहा है आज तो राजकुमारी जी यही है अभी तक.

गुड़िया -हहा मुझे हसी नही आई अब जल्दी से मुझे नाश्ता कराओ मुझे स्कूल के लिए लेट हो रहा है.

मॉम-ये क्या बदतमीज़ी है अपना नाश्ता अपने आप करो और स्कूल जाओ बाहर ड्राइवर तुम्हारा वेट कर रहा है.

में-मॉम आप हमारे बीच ना आएँ में देख लूँगा इसको आप टेन्षन ना लें.

मॉम-ठीक है आज से में कभी तुम दोनों के बीच नही आने वाली.

गुड़िया -ये ही ठीक है .

फिर मैने गुड़िया को नाश्ता करवाया और हम दोनों अपने स्कूल और कॉलेज के लिए निकल गये.

आज रघु को किसी काम से कहीं जाना था इसलिए वो कॉलेज नही जाने वाला था.में अभी कॉलेज में पहुँचा ही था कि निशा मुझे गेट पे खड़ी मिल गयी और काफ़ी गुस्से में लग रही थी मैने सोचा कि साइड से निकल लूँ पर हाए रे मेरी किस्मत ऐसा हो ना सका और निशा ने मुझे गेट पे ही रोक लिया .

निशा-कहाँ जा रहे हो में कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ यहाँ पे और तुम ऐसे ही जा रहे हो बिना मुझ से मिले हुए.

में-ऐसा नही निशा में तो बस .हाँ वो में वो देख नही पाया सॉरी.

निशा-झूट मत बोलो नही तो …

रवि-कोई प्रॉब्लम है मिस कहीं ये आपको परेशान तो नही कर रहा है अगर कर रहा है तो मुझे बता दें में इसे अभी ठीक कर देता हूँ.

निशा-और आप कौन है.

जी में रवि हूँ और मैने भी इसी कॉलेज में अड्मिशन लिया है बस थोड़ा लेट एंट्री हुई है.

निशा-तभी इतना बोल रहे हो नही तो शायद तुम्हे नही पता कि ये क्या कर सकता है.

रवि-ये कुछ नही कर सकता इस जैसे तो मैने पता नही कितने ठीक किए है .

निशा-ज़्यादा ओवरकॉन्फिडेन्स अच्छा नही होता.

में-भाई मेरी कोई ग़लती नही है और ये मेरी दोस्त है तुम तो खमखा ही ग़लत सोच रहे हो.

रवि-मुझे पता है में क्या कर रहा हूँ मुझे कुछ बताने की ज़रूरत नही है .तो आप का क्या नाम है मिस आप बोलें में इसे अभी ठीक कर
देता हूँ.

निशा-निशा नाम है मेरा हम दोस्त है इसलिए तुम यहाँ से जा सकते हो.

रवि-बेटा आज बच गया तू नही तो कल की कसर निकाल लेता आज.

में-भाई आज मेरी किस्मत बहुत जोरो पे है.

निशा-ये सब क्या हो रहा है कोई मुझे भी कुछ बताएगा.

में-निशा इन से मिलो ये मेरा बेस्ट फ्रेंड् और भाई रवि है उस दिन पार्टी में मिले थे पर उस टाइम इसने मास्क पहना हुआ था.

निशा-अच्छा तो तुम दोनों दोस्त हो और ये अमृता के अंकल के फ्रेंड् का बेटा है.

में-ऐसा भी कह सकती हो चलो क्लास चलते है लेट हो रहे है.
 

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