Incest कथा चोदमपुर की

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आखिरी अपडेट में अपने देखा कैसे कर्मा और मां के बीच में चुंबन होती है और फिर मां कर्मा को इस बारे में बात न करने की कसम देकर चली जाती है ... अब आगे

अपडेट 8

मैं अगली सुबह जब सोकर उठा तो देखा 8 बज गए, मैंने सोचा आज तो देर तक सोता रहा, गांव में लोग जल्दी उठ जाते हैं सूरज निकलने से पहले ... मैं उठा और बाथरूम में घुस गया ताजा होकर बहार आया तो देखा पापा और अनुज चाय पी रहे थे मैं रसोई की तरफ बड़ा तो पापा बोले,
पापा- कर्मा इतना लेट तक कौन सोता है, जल्दी उठा कर थोड़ा, व्यायाम किया कर सेहत अच्छी रहेगी..

मैं- जी पापा कल से करुंगा
अनुज - पापा भैया कुजेडनहीं करने वाले, एक नंबर के आलसी हैं ये ... ही ही ही



मैं- अपना काम कर, माँ अपने नाली साफ करने वाले को घर में क्यों आने दिया बदबू आ रही है .....



ये सुनकर अनुज का मुह बन गया और पापा से बोला



अनुज-देखो पापा क्या बोल रहे हैं...



पापा हंसते हुए बोले- तुम दोनो ही पागल हो जैसे जैसे बढ़ते जा रहे हो और पागलपन बढ़ रहा है तुम्हारा ...



मैं रसोई में चला गया जहां मां खाना बना रही थी ... मैंने मां के मूड को चेक करने के लिए मजाक करना शुरू किया का कहीं रात वाली बात से मां में कोई चेंज तो नहीं आया...



मैं- बा मुलैजा होशियार, सल्तनत के महाराज खुद किचन में पधार चुके हैं .....उनकी शाही चाय किधर है पेश की जाए,



माँ मेरी बात सुनकर हंसने लगी और मुझे बिलकुल नॉर्मल लग रही थी मुझे ये देखकर और खुशी हुई...



माँ- महाराजा चुपचाप अपनी चाय उठाओ नहीं तो शाही थप्पड़ खा जाओगे..
मैं और मां हंसने लगे फिर मैंने बोला
मैं- अभी लेता हूं थोड़ा मां को प्यार तो करलें..

मैं ये देखना चाहता था क्या मां मुझे रोकेगी, कुछ चेंज आया है और नहीं? लेकिन मां ने कुछ नहीं बोला और मैंने उन साइड से गले लगा लिया और साड़ी के ऊपर से ही पेट पर हाथ फिराने लगा ....

मां ने फिर भी कुछ नहीं बोला और एक सेकंड के लिए मेरे कंधे पर सर को टीका दिया जैसा वो भी मेरा साथ दे रही हो गले लगने में लेकिन हाथ में आटा था इसलिय हाथ नहीं लगा सकतीं थी ... फिर मुझे मेरा लंड कडक होता हुआ महसूस हुआ मैं पीछे हट गया ... और मां के गाल को चूम लिया और फिर दूसरी तरह भी चूम लिया, मां मुस्कुरा रही थी फिर मैंने अपने गाल पर इशारा किया तो मां ने अपने रासीले होंठ मेरे गाल पर रख दिए, और फिर मैंने चेहरा घुमाया तो ऐसा ही उन्होंठों दूसरे गाल पर किया ... फिर मुझे शरारत सूझी तो मैंने अपने होंठ को भी आगे कर दिया ... मुझे लगा मां मुझे दांतेंगी लेकिन जैसा उन्होन मेरे गाल पर किया था वैसा ही अपने होंठों पर मेरे होंठों पर रखे और हटा लिए। मेरे बदन में फिर से करंट दौड़ गया .... लेकिन मां के चेहरे पर मुझे अभी भी कोई अलग भाव नहीं दिखे थे वो ही थे जो एक मां के अपने बेटे के लिए होते हैं मैं समझ नहीं पा रहा था मां के व्यवहार को। फिर सोचा बेटा वो तेरी माँ है...उसने तुझे जन्म दिया है इतनी आसान से नहीं समझेगा तू फिर माँ ने थोड़ा मुस्कुराया और बोली

मां- जा अब नाश्ता कर....
मैंने भी अपनी थाली उठाई और किचन से बाहर पापा और अनुज के पास जकर बैठा और नाश्ता करने लगा .... मैं बात से खुश था के रात की वजह से मां में कोई बदलाव नहीं आया है और उन्होंने अभी मेरे होंठों को चूमा है भी ... इसी खुशी खुशी में मैंने नाशता कर लिया ... तबी पापा बोल पड़े.



पापा- कर्मा आज तू मेंरे साथ चल आज बाग में और खेत पर बहुत काम है... तेरी गरमियों की छुट्टियां भी चल रही है तो मदद हो जाएगी...
मैं भी क्या बोलता मैंने भी हां में सर हिला दिया ... और फिर थोड़ी देर बाद पापा के साथ निकल गया ....
वहां पहुच कर हम लोग काम पर लग गए.. मैंने सोचा अच्छा हुआ मैं आ गया और सब पापा अकेले कैसे करते हैं ... तो काम करते करते दोपहर हो गई ... अनुज खाना लेकर आया ... मैंने और पापा ने खाना खाया फिर अनुज को पापा ने भेजा और हम काम में लगने वाले ही के राजन चाचा आ गए ...

राजन च- क्या बात है आज तो बाप बेटे बहुत मेहनत कर रहे हैं....
पापा ने मुस्कुराते हुए उनकी तरफ देखा और बोले
पापा- बाप के बाद बाप की हर चीज पर बेटा ही तो मेहनत करेगा तो अभी से क्यों नहीं...
मेरे मन में ये सुनकर मां का ख्याल आ गया और सोचा लगा मां भी तो पापा की हैं तो मुझे उन पर भी मेहनत करनी चाहिए .....
राजन छ- बिक्कुल भाईसाहब ये तो लाख रुपए की बात कहीं अपने.... चलो आप काम करो मुझे भी काम है...
पापा- क्या काम है परेशान लग रहा है...
राजन च- अरे भाईसाब वो हमारी छत से मिट्टी झड़ रही है चूहो ने दिवारो को खोद खोद कर खोखला बना दिया है तो उसी की मरम्मत करवा रहा था अब वो घनश्याम मिस्त्री बोल रहा है की कल तक ही सब हो पाएगा ठीक से... तो बच्चन के सोने की व्यवस्था कहां की जाए सोच रहा था ......
पापा- तू बड़ा बेवकूफ है, मेरा घर तेरा नहीं है जो तू सोच रहा था कहां जाए...
राजन च- हंसते हुए हैं भाई साब ... ही ही ... तुम सही कह रहे हैं अभी सबको घर भेज देता हूं ... मुझे तो रात को रुकना पड़ेगा के आदमी कोई सामना न उठा लें और भैंस भी है वो दो कहां परशान होंगे मेरे साथ .....
पापा- और क्या पागल था तू जब काम शुरू हुआ तब भी भेज दिया होता...
राजन च- हां भाई साब भेजता हूं अभी ... और ये तो और अच्छा हुआ ... करमा बेटा तू आज से ही पल्ली बिटिया को अंग्रेजी पढ़ना भी चालू कर देना ...



मैं तो सुनकर वैसा ही बहुत खुश था के चाची आज की रात हमारे साथ रुकने वाली है... मैने खुशी कहा...
मैं - जी चाचा .... आज ही पडढाऊंगा ..
पापा- अरे क्यों नहीं... ये बढ़ा है छोटो को पढाना इसका फ़र्ज़ बनता है...
फिर ये सुनकर और पापा को बोलकर राजन चाचा चले गए... मैं और पापा शाम तक काम करते रहे...
शाम को जब घर पहुंचे तो गेट पल्ली ने खोला .... और मजाक में बोली ...
पल्लवी- हां जी किससे काम है....
मैं भी उसके मजाक में साथ देने लगा...
मैं- जी मेम साब आपसे ही था आपका पार्सल आया था...
पल्लवी- सच्ची कहां है पार्सल लाओ दिखो मुझे....
मैंने अपना हाथ जब से निकला और ऐसे कुछ हो उसमे और फिर आगे बढ़ा कर उसके कान पर चपत मार दी ... और बोला



मैं- ये रहा आपका पार्सल ... आपके पार्सल में थप्पड़ था ....



पल्लवी हंसने लगी और बोली
पल्लवी-भैया आप भी ना बहुत खराब हैं....



फिर हम दोनो अंदर आए तो देखा मां और चाची बैठ कर बातें कर रही हैं... मुझे देखते ही चाची और फिर मां बोली आ गया तू पापा कहां है...



मैं- आ रहे हैं... भैंसों को बांधकर...



मां- चल बैठ तू... मैं चाय बनाती हूं तेरे लिए...
ममता च- हैं दीदी आप क्यूं बनाएंगे... ए पल्ली जरा सबके लिए चाय तो बना...

पल्ली- अभी लाई मां बनाकर....
और ये कहकर पल्ली किचन में चली गई अनुज हॉल में बैठा था ... मैंने चुपके से देखा तो वो बार बार किचन में देख कर मस्कुरा रहा था ... मैं समझ गया दोनो का कुछ तो चक्कर चल रहा है ... मैं मस्कुरा दीया और सोचा करने दो सबका हक है ......



फिर मैं वही मां और चाची के पास खाट पर लेट गया और उनसे बातें करने लगा ... इतने में पल्ली चाय लेकर आ गई ... सबको दी पापा भी आ गए थे तो भी पीने लगे ... फिर चाय खतम करके मैं फिर से लेट गया इस बार अपना सर मां के गोद में रख लिया ... और आज इतना काम किया था के थका होंने की वजह से मुझे मां की गोद में कब निंद आ गई पता ही नहीं चला ...



मुझे अचानक से एहसास हुआ के कोई मुझे हिला रहा है और कुछ आवाज दे रहा है ... फिर मेरी आंखें खुली तो देखा के पल्ली मेरे कंधे पकड कर मुझे हिला रही थी ... और बोल रही थी ...
पल्ली-उठो भैया चलो खाना खा लो बहुत सो लिए...
मैं: सोने दे ना
पल्ली- नहीं बिलकुल नहीं उठो अभी खाना खाओ और मुझे पढाना भी है तुम भूल गए।
और इतना कहकर उसे मेरा हाथ खिंचकर मुझे बिठा दिया ... मैं उठा मुंह धोकर आया हॉल में तो देखा पापा, अनुज और राजन चाचा खाना खा रहे हैं ...
राजन च- आज तो थका दिया तुझे तेरे पापा ने कर्मा जल्दी सो गया तबी...



पापा- अरे थकना तो था ही बहुत मेहनत की आज बेचारे ने सारे काम खुद ही किए मुझे तो हर काम में रोक देता था का लाओ पापा आप बैठो मैं करता हूं...



ममता च- है ही हमारा बच्चा इतना समझदार...इसको तो चांद जैसी बहू मिलेगी...
इसे सुंकर सब मस्कुराने लगे .... तो फिर मैंने भी मजाक करते हुए बोला हैं चाची लेकिन आपने तो शादी कर ली अब कहां से मिलेगी ....
ममता च- हट बदमाश अभी बताती हैं तुझे..
.ये कहते हुए मुझे सर पर मारा सब हंसने लगे और फिर मुझे खाना दिया और मैं भी खाने लगा ... और फिर मैंने मजाक करते हुए कहा ...
मैं- आज कुछ खास है क्या
माँ - क्यों क्या हुआ करना चाहते हो

मैं- फिर ये भिखारी को हमारे साथ खाना क्यों खिलाया जा रहा है....



अनुज मेरी बात समझ कर बोलने लगा... मां देखलो ना फिर से बोल रहे हैं....



सब हंसने लगे पल्ली तो बहुत हंस रही थी ... मैने बोला
में- मैंने तेरा नाम लिया अब तू खुद को ही समझौता है तो मैं क्या करूं?.



मां-हंसते हुए- चलो चलो अब लडना बंद और खाने पर ध्यान दो...
फिर सबने खाना खाया .... मां चाची और पल्ली ने भी .... राजन चाचा फिर घर चले गए वो वो सोने वाले थे ...



मां ने पल्ली और चाची को अपने से बगल वाला कमरा जो खली था वो दिया था ... मैंने सोचा अगर पल्ली चाची के साथ होगी तो मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा तो मुझे कुछ सोचना होगा ... इतने में पल्ली बोल पड़ी



पल्ली-भैया मुझे पढाना भी है तुम्हें



मुझे भी याद आ गया मैंने कुछ सोचते हुए कहा:



मैं- हां बिलकुल अभी पढ़ाऊंगा पर चाची जब तक मैं पल्ली को पढ़ाऊंगा तब तक आप मेरे कमरे में सो जाओगी..मेरे कमरे का बल्ब खराब है मैं यहां जिस कमरे में आप हो उसमे पढा दूंगा जब पढ़ाई खतम होगी तो आपको बुला दूंगा



माँ और तो बता देता बल्ब चेंज करा देती और तुम दोनो मेरे कमरे में पढ़ लो ना चाची को क्यूं परशान करते हो...



ममता च- अरे दीदी इसमे परशानी क्या और वैसे भी भाईसाब भी थेके होंगे उनको और आप आराम से सोना ... मैं सो जाऊंगी ...



माँ ने अनुज की तरफ देखा और बोला



अनुज-मां सोचना भी मत मुझे ये चिढाते रहेंगे और ना खुद उसे पढयेंगे न मुझे पढने देंगे ..



सब उसकी बात सुनकर मस्कुरा दिए फिर चाची ने बोला



ममता च- हैं कोई बात नहीं.. मैंसो जाऊंगी कर्मा के रे में तुम लड़ो मत दोनो



ये कहकर चाची हंसने लगी तो फिर मैं उठा अपने कमरे में गया और बल्ब को थोड़ा ढीला कर दिया जिससे वो चले न ताकी किसी को शक न हो..और फिर एक निक्कर और टीशर्ट पहन कर चाची के कमरे में फिर गया तो वो खाली था फिर माँ पापा के कमरे में जाकर देखा तो माँ पापा और चाची बातें कर रहे थे .... मैंने पूछा



मैं, - पल्ली कहाँ है



ममता च- यहीं तो थी शायद बाथरूम में होगी आती ही होगी....



मैं- ठीक है...



इतना कहकर उनके कमरे से निकला और देखा दो बाथरूम का गेट खुला है...



फिर मैंने अनुज का कमरा देखा तो भी खाली था मैंने सोचा कहां गया ये तो फिर मैं छत पर गया सीडीयो से झांक कर देखा तो चौक गया वैसा ही हो गया था जैसा मैंने सोचा था...



अनुज और पल्ली एक दूसरे के होंठ को चूस रहे थे और मैंने ध्यान से देखा तो अनुज टी-शर्ट के ऊपर से ही पल्ली के स्तन दबा रहा था..फिर अपने होंठ अलग करके अनुज पल्ली के पीछे जकर खड़ा हो गया और उसमें शर्ट से बूब्स निकाल कर दबाने लगा...











मुझे चांदनी रात में ये नजरा बड़ा कामूक लग रहा था ... देखते ही मेरा लंड तुरंत टाइट हो गया ... चांदनी में चमकते उसके बड़े स्तन बहुत रसीले लगे रहे थे पहली बार पल्ली को मैंने ऐसा देखा था सोचा ... ये भी चाची जैसी ही मस्त माल है हर चीज मे,

मैं अपने लंड को निकर के ऊपर से मसल रहा था मैंने भी सोच लिया आज छोटा भाई बेटी को मसल रहा है तो बड़ा भाई भी आज मां को छोद देगा ........ लेकिन मुझे उनके लिए डर भी था की किसी को शक हो जाएगा ये यहां ऐसे लगे रहेंगे तो मैं सीढ़ियों से नीचे आया और आवाज लगाई



मैं- पल्लल्लिइइइइइइइइ कहां है तू अगले ही मिनट में पल्ली नीचे आते हैं, थोड़ी थोड़ी सा हांफ रही थी थोड़ा डर भी था उसकी आंखों में ...



मैं- चल पढ़ने चल...



पल्ली- हां भइया चलो .....



फिर हम कमरे में आए तो पल्ली आगे झुक कर बिस्तर पर बैठा कर बिस्तर पर पढ़ी अपनी किताबे उठाने लगी मुझे उसके ऊपर उठ गई और उसकी मोटी जांघें दिखने लगी मेरा लंड और तंग हो गया। वो तो निक्कर ढीला था इसलिए ज़्यादा ज्यादा कुछ पता नहीं चला...









फिर पल्ली बिस्तर पर बैठ गई और मैं भी

फिर मेने उसे पढ़ाने लगा साथ ही बीच बीच में उसके टी शर्ट से झांकते हुए रसीले संतरों का भी आंखों ही आंखों से रस पी रहा था पता ही नही चला पल्ली कब इतनी बड़ी हो गई पढ़ते पढ़ाते डेढ़ घंटा हो गया तो ... थोड़ी देर बाद बोली...



पल्ली- भैया मैं टॉयलेट होकर आती हूं...



मैं- हां होकर आ...



फिर वो चली गई मैंने भी अपने लंड को थोड़ा हिला दुला कर एडजस्ट किया और लेट गया मैं भी सोच रहा था जल्दी से पढाई खतम हो और मैं चाची के साथ कुछ मज़े करुं ...

इंतज़ार करते हुए मैंने देखा के 5 मिनट से ज्यादा हो गए और पल्ली नहीं आई थी ... मैंने सोचा कहीं ये और अनुज फिर से तो नहीं शुरू हो गए और मैं कमरे के बाहर निकला तो आंगन में अंधेरा था लेकिन राइट साइड से थोड़ी रोशनी आ रही थी .. मां पापा के कमरे का जो बाथरूम था उससे मैंने देखा तो मुझे दिखा गेट थोड़ा सा खुला हुआ है और पल्ली वही खडी हुई है इसके आगे का मुझे नहीं दिख रहा था... तो जो देखा उसे देख कर मैं चौक गया पल्ली बाथरूम के दूसरे गेट से जो मां पापा के रूम में खुलता था उसके अंदर देख रही है ... उसके संतरी चूचे बाहर हैं और उसका हाथ उसकी चूत पर है .....









ये देख मेरा लंड तन गया और मैं उसके बड़े बड़े चुच्चों को देखता ही रह गया ... वैसे तो मैं सारा मामला समझ गया के पल्ली यहां वॉशरूम में आई होगी और यहां मां पापा की आवाज सुन ली होगी और उनकी कामलीला देखकर ये गरम हो गई है वैसे भी छत पर भी ये गरम होकर आई थी .... मैं बाथरूम के अंदर घुसा और गेट बन्द कर लिया पल्ली अभी भी बसुध सी अंदरर देखे जा रही थी उसे ये पता ही नहीं था के मैं उसके पीछे बाथरूम में हूं। मैं उसके पीछे खड़ा हो गया और एक बार नज़र उठा कर मैंने भी माँ पापा के कमरे के अंदर देखा तो क्या नज़रा था





मां और पापा 69 पोजीशन में ... मां की गांड हमारी तरफ थी। मां ने बस एक ब्रा पहन राखी थी लेकिन उनकी बड़ी बड़ी चूचियां उसके बाहर ही थीं और पापा भी बिलकुल नंगे थे .. बड़े बड़े तरबूजो के बीच पापा अपनी जीब घुसा रहे थे। . माँ भी अपनी गांड घुमा घुमा कर अपनी चूत चटवा रही थी ... उधार माँ मम्ममहम्मम करके अपना मुह पापा के लंड पर ऊपर नीचे कर रही थी .. पूरे चाव से चूस रही थी अपने पति के लंड को...

ये देख कर मेरा लंड फटने को हो रहा था और उसका दर्द मुझसे सहन नहीं हुआ और मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया ... और फिर अपने हाथ पल्ली की कमर पर रख दिए मेरे हाथ लगते ही उसे पलट कर देखा और मुझे देख थोड़ा डर गई मुझे लगा के ये चिल्लाने वाली है और जैसे ही उसने अपना मुंह खोला और मैंने अपने होंठों उसके होंठों पर रख दिए और उसकी चीख बंद कर दी और फिर धीरे धीरे उसके होंठों को चूसने लगा ... पहले तो वो थोड़ा झटपटाई पर वो इतनी गरम थी के अगले ही मिनट में मेरा साथ देने लगी और मेरे साथ में मेरे होंठों को चूसने लगी ..



मैं उसके रसीले होंठों को चूसते हुए अपना हाथ उसी पूरी नंगी कमर पर फिराने लगा और उसके पेट को ममसने लगा और उसकी नाभी को छेड़ने लगा वो और गरम हो गई ... वो थोड़ा और पीछे हो गई उसके शरीर मुझसे चिपक गया, मेरा नंगा लंड उसकी गांड से चिपक गया जिसे उसे भी महसूस किया और मैं अपनी कमर हिलाकर लंड को उसकी गांड पर घिसने लगा, वो बहुत गरम हो गई थी।

मैं भी ऐसे मौके को जाने नहीं देना चाहता था मैंने अपने होंठों को उसके होंठो से हटाया और उसकी गर्दन को चूमने लगा उसका चेहरा फिर सेआगे आ गया और कमरे की अंदर हो गया ... वो माँ पापा को देखने लगी मैंने देखा तो अपनी पोजिशन चेंज कर ली थी



अब पापा मां की एक तरफ लेटकर उनकी चूत में अपना लंड पेल रहे थे ... मुझे मां की चूत में उनका लंड आता जाता हुआ साफ दिख रहा था ... मां के मुंह से अअह्ह्ह्ह अअह्ह्ह्ह्ह की आवाज आ रही थी और पापा को और तेज़ चोदने को बोल रही थी ... पापा उनकी गर्दन पर चूम रहे थे .... और सत्तासात चूत में लंड पेले जा रहे थे ... मेरा लंड तो जैसे पत्थर का हो गया था और पल्ली की गांड पर ठोकरे मार रहा था जैसा कपड़ो को चीरकर कर घुस जाएगा अभी अंदरर ... मैंने भी कमर से हाथ ऊपर करके उसके स्तन पर ले गया और उसकी टी-शर्ट को उठाकर स्तन बहार निकल लिए और उन्हे दबाने लगा वो भी अपनी सिसकियो को दबाती हुई मां पापा की चुदाई देखे जा रही थी और अपने चुचियां दबाने दे रही थी .... क्या मस्त चुचियां थी उसकी जवानी से भरी हुई और बड़ी बड़ी जैसे उनमें गरम और नरम माखन भरा गया हो .... मेरे लंड की हलत बहुत खराब थी मैंने सोचा ये ही सही मौका है अभी मुझे कुछ न कुछ तो करना चाहए मैंने ..



मैंने अपनी कमर पीछे करके ... पल्ली की स्कर्ट को उसके ऊपर उठा दिया ... उसके पैंटी में कसे हुए चुतड़ मेरे सामने आ गए .... जिन्हे देख कर मैं पागल हो गया और फिर से अपना लंड उसकी गांड की दरार में फसाकर आगे पीछे करने लगा मुझे बहुत मजा एक रहा था ... पल्ली भी अपनी गांड ऊपर नीचे करके मेरे लंड पर अपने चूतड़ों को घस रही थी ... घिसने के बाद मैं पीछे हट गया और पल्ली को थोड़ा आगे की तरफ झुकने के लिए पीछे से धक्का दिया उसने अपने हाथ गेट की वगल वाली दीवार पर टीका लिए मैं उसके पीछे घुटनो के बल बैठ गया और उसके मस्त चूतड़ों को चूमने लगाचाटने लगा। .उसकी पैंटी के ऊपर से किस कर रहा था ... उसकी काले रंग की पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी ... मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत वाली जगह पर अपनी जीभ फिराई... तो पल्लवी झटपटाने लगी ...

ऐसा कई बार किआ और पल्ली का रिएक्शन हर बार वही था मैंने फिर उसकी पैंटी को साइड किया और उसे छू कर देखा क्या चूत थी उसे मस्त ... होंठ आप में मिले हुए थे ... पूरी गीली होकर रस बहा रही थी ... मेरे मुह में पानी आ गया और मैंने अपनी जीभ उसके चूत पर रख दी और और ऊपर नीचे करते हुए चाटने लगा वो तो पागल हुए जा रही थी ऐसा लग रहा था वो कभी भी गिर जाएगी उसकी टांगे कांप रहीं थी ... फिर मैं अपनी जीभ पूरा ऊपर नीचे फिराने लगा जिससे मेरी जीभ उसकी गांद के छेद से भी टच होंकर आ रही पल्ली अपनी चुचियों को अपने हाथों से मसल रही थी मैं उसकी चूत और गांड को चाटे जा रहा था









फिर मैंने एक दो मिनट और चूत चट्टी और फिर खड़ा हो गया और अब मैं बहुत उत्साहित हो गया था सही गलत से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ना था अब मैंने झट से अपना हाथ आगे बढ़कर उसकी टी शर्ट को उतर दिया वो ऊपर से नंगी हो गई और मैंने भी अपनी टी शर्ट निकल दी और उसकी पीठ से चिपक गया और उसके बड़ी चुच्चिया दबाने लगा





वो बस आआह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह भैया कर रही थी बहुत धीरे से मैंने एक हाथ नीचे लेजाकर अपना निक्कर निकल दिया और उसकी पैंटी की साइड में हाथ दाल कर उसे भी नीचे की सरका दिया वो अब भी मां और पापा को देखे जा रही थी। मैंने भी कमरे के अंदर झंका तो देखा के मां पापा अब भी चुदई कर रहे हैं वो भी ज़ोरों से बस पोजीशन चेंज थी...



पापा मां को घोड़ी बना कर चोद रहे थे .... मां के मुह से आआ आआह की सिसकारी निकल रही थी ... पापा के झटके बहुत तगड़े थे ... मां के चूचे लटके हुए झटके खा रहे है जिन्हे ... देखते ही मेरे लंड में भी जैसा खून उतर आया हो ... वो दर्द करने लगा .... मैंने भी सोचा के अब बरदस्त नहीं हो रहा फिर क्या मैं तो पूरा नंगा था ही पल्ली के कामुक बदन पर भी बस एक स्कर्ट थी। मैंने देर ना करते हुए अपने हाथ पर थूक लगाकर लंड के सिरे पर लगाया और अपने लंड को पकडा और पल्ली की गांड की दरार में ऊपर से लेके नीचे तक घिसा पल्ली भी अपनी गांड हिला रही थी फिर मैंने देखा की पल्ली का ध्यान अबभी मां पापा की चुदाई पर है तो मैंने एक हाथ से उसे चूतड़ों को पकड़ा और एक हाथ में लंड लेकर उसकी जवान चूत के होंथो पर रखा और एक कटारा झटका लगा दिया ... जिससे मेरे लंड का टोपा पुछ्छ से उसकी चूत के अंदर। ... पल्ली की तो जैसी आंखें बहार आने को हो गई .... मैंने झट से हाथ उसके मुह पर रख लिया और उसे चीखने से रोका ... मेरा लंड का टोपा चूत के अंदर था ... उसकी चूत बेहद तंग थी लेकिन मुझे एक चीज का एहसास हुआ की सील टूटी हुई थी ... मैंने सोचा के ये तो पहले भी चुद चुकी है ... मैंने सोचा ये सब बाद में सोचूंगा अभी लंड और चूत पर ध्यान देता हूं ..... पल्ली बुरी तरह दर्द से झटपटा रही थी अगर मैंने उसे पकडा हुआ न होता तो वो गिर चूकी होती मैं उसे शांत करने के लिए उसकी चुचियों को थोड़ा थोड़ा दबाने लगा थोड़ी देर बाद उसका थोड़ा दर्द शांत हुआ तो उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया जो के उसके चुचे पर था शायद ये बताने के लिए वो तय्यार है आगे लेने के लिए लेकिन मैंने उसके मुह से हाथ नहीं हटा दिया था मुझे पता था मेरा लंड काफ़ी बड़ा है और मोटा है भी अभी तक तो बस टोपा ही और गया है .... मैंने धीरे से झटका मारा तो दो इंच और अंदर चला गया ... मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसा मेरा लंड किसी भट्टी में है जो उसे निचोड रही है.. लंड और अंदर जाते ही पल्ली ने मेरा हाथ फिर से पकड कर दबा दिया



मैं एक मिनट के लिए और रुक गया लेकिन अब मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था ... अगली बार पल्ली जैसे ही तैयार हुई मैंने जोर का झटका दीया और मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों को चीरता हुआ पूरा उसकी कसी हुई रसीली चूत में गच्च से समा गया । मुझे अलग ही सुख का आनंद मिल रहा था जो एक बिलकुल टाइट चूट में लंड डालने से मिलता है... पल्ली की तो गांड ही फट गई थी इतना बड़ा लंड लेकर ... वो बहुत तेज सांस ले रही थी ... बस भैया भइया कह कर फुसफुसा रही थी ... मेरा लंड उसकी चूत में था औरर वो मुझे भैया कह रही थी ये सुनकर मुझे अच्छा लग रहा था शायद रिश्तों में चुदाई का ये ही मजा होता है... ... खैर चुच्चे मसलते हुऐ पल्ली एक बार फिर से थोड़ा ठीक हुई तो मैंने भी धीरे से लंड बहार खिंचा और फिर अंदर कर दिया पल्लवी की हम भैया आआह करके एक और आह निकली ... मैं पल्ली को धीरे धीरे धीरे से चोदने लगा।

मुझे बड़ा मजा आ रहा था और अब पल्ली भी आह आह्ह्ह करके चुदाई का मजा ले रही थी .... मुझे उसकी चूत में लंड डालके बहुत अच्छा लगा रहा था ... उसकी चूत में ऐसा लग रहा था जैसा मेरा लंड किसी गरम मखन की पोटली में है .... मैं अपनी कमर आगे पीछे करके चूत में लंड सट्टा सट पेल रहा था ... पल्ली भी अब बहुत मजे लेकर अपनी कमर आगे पीछे करके चूदवा रही थी ... और एक बड़े और मोटे लंड से चुडवाने का। जो मजा है वो ले रही थी .... पर अब मेरा मन उसे अच्छा से तेज तेज चोदने का था ... जो की यहां मुमकिन नहीं था मैंने पल्ली के कान में कहा चलो अपने कमरे में चलते हैं ... उसे भी हां में सर हिला दिया ... मैंने लंड छुट में डाले डाले ही हम दोनो के कपड़ो को उठाया और पल्ली के हाथों में पक्डा दिया और फिर उसे कमर को पकड़ कर अपने लंड पर तांग सा लिया उसे दोनो पैर हवा में थे ... .मैं उसकी चूत से लंड नहीं निकलना चाहता था मुझे पता था इतनी मुश्किल से घुसा है अभी निकलना फिर से तकलीफ देगा ... मैंने उसे आगे कर के उठाया किया और अपने कमरे की तरफ बढ़ने से पहले एक नजर मां पापा के कमरे में डाली तो देखा वहा तूफान थम चूका था लेकिन जो नजारा था वो अब भी जानलेवा था


मां लेटी हुई थी और पापा का लंड उनके हाथ में था ... मां के पूरे चेहरे पर पापा के लंड का रस बिखरा हुआ था ... मां इस रूप में एक सेक्स की देवी लग रही थी .. इतना कामुक नजारा देख कर मेरे लंड ने ऐसा लगा कुछ बून्दे पल्ली की चूत में अपने रस की छोड दी ... माँ उसके लंड को जीब से चटकर साफ कर रही थी मैंने भी वहा और रुकना ठीक ना समझ और बाथरूम से पल्लवी को उठाकर निकला ... .मेरे हर कदम के साथ पल्लवी मेरे लंड पर ऊपर नीचे होती और हम दोनो की ही एक आह निकल।जाती ... फिर ऐसे ही मजे लेते हुए हम पहुंच गए दोनो पल्ली और चाची के कमरे में पहुचे जहान में मैं उसे पढ़ा रहा था और फिर मैंने गेट बन्द किआ और बेड के सहारा झुकाके उसे तेज और ज़ोरदार झटको के साथ चोदने लगा ... पल्ली भी सिस्किया ले कर बोल रही थी हां चोदो भैया और तेज चोदोडो .. जैसे ताऊ जी अभी ताई जी को चोद दिया। ..आआह्ह्ह्ह मजा आ गया भइया तुम्हारा वो तो बहुत बड़ा है .... मेरी तो फाड़ के रख दी ... आह्ह्ह्ह्ह ... मुझे उसकी बातें सुनकर और तेज जोश आ गया और मैं उसे. बुरी तरह चोदने लगा और फिर ऐसे ही दो चार मिनट चुदने का बाद पल्ली की पूरी बॉडी अकड़ गई और वो मेरे लंड पर झड़ गई ... उसकी.चूत को देखा तो उसके होंठों खुले हुए थे ... ऐसा लग रहा था जैसे इसमे किसी ने कोई डंडा घुसा है पर मेरा काम अभी नहीं हुआ था ...
मैं झुक कर फिर से उसकी चूत वैसे ही चाटने लगा और चाटते हुए मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा ... 5 मिनट ऐसे चूत चटवाने के बाद वो फिर से गरम हो गई .... मैंने उसे घुमा लिया अब वो बिस्तर पर झुक कर बैठी थी मेरी तरफ मुह करके और मैं बिस्तर के किनारे पर खड़ा था .... वो मेरी तरह देख रही थी .. जैसे पूछ रही हो का क्या करना है अब मैंने उसके बालो में हाथ फेरा और अपने लंड जी तरफ हाथ करके बोला



मैं- पल्ली इसे प्यार करना...



पल्ली- भैया मैं वो..



वो इतना ही बोल पाई के मैंने उसके होठों से अपना लंड टच कर दिया ... उसकी जीवन अपने आप निकल आई और वो मेरे लंड को चाटने लगी .... कभी तोपे को तो कभी पूरे लंड पर जीभ फिरती ... अब मैंने उस लंड को मुह में लेने को बोला तो उसने कोशिश की लेकिन लंड मुह में घुस ही नहीं पा रहा था ... फिर एक और उसने लंड को चाटा और दोबारा से मुह बड़ा सा खोल कर लंड के टोपे को अपने मुह में घूस लिया। .... आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या मजेदार आनंद था ये ... उसके छोटे से मुंह में मेरा लंड देकर मैं तो धन्या हो गया था..वो अब थोड़ा आगे पीछे अपना चेहरा हिला कर लंड को चूस रही थी ... ऐसा लगा ही नहीं रहा था के वो ये सब पहली बार कर रही होगी ... मैंने सोचा ये अपनी मां से भी आगे निकलेगी .... वो मेरा लंड शिद्दत से चूस रही थी

ऐसे ही कुछ डर लंड चुसाने के बाद मुझे लगा कहीं मैं झड़ न जौन इस्लिये उसे रोका और अपना लंड उसके मुह से बाहर निकला और झुक कर उसके चुचे चूसने लगा आह्ह्ह मलाई दार चुचियों से मलाई मेरे मुंह में घुल रही थी ऐसे से कुछ... एक को मसलता और दूसरे को चूसता ऐसे ही अगले 10 मिनट तक उनसे खेलता रहा ... फिर थोरा और नीच झुक कर उसके पेट पर पर किस करना लगा उसे चाटने लगा वो मेरे बालो में हाथ फेर रही थी उसके पेट की त्वचा बहुत मुलायम थी जैसे रेशम हो ... मैं उसे कभी चाटता तो कभी मसलता... फिर उसकी नाभि में जीभ डालकर उसे चाटने लगा वो आह्ह्ह भैया करने लगी ... ऐसे ही थोड़ी देर तक चैटने के बाद मैं बिस्तर पर बैठा और वो मेरी तराफ पीठ करके मेरी गोद में बैठने लगी उसने अपने हाथों से मेरे लंड को सीधा खड़ा किया और अपनी चूत के द्वार से भीड़ा दीया और थोड़ी सी नीचे हो गई..जिससे मेरे लंड का टोपा एक बार फिर से उसकी चूत में था ... उसके मुह से आह मां मार डाला निकल गया .... मैं मां सुनते ही सोचने लगा और बोला... तेरी मां भी चुदेगी इसी लंड से तू बस देखती जा ... फिर मैंने अपने हाथ उसे कमर पर रख लिया और नीचे की तरफ दबाया और अपनी गांड उठा कर नीचे से लंड पल दिया उसकी चूत में ... एक बार फिर से मेरा लंड पल्लवी की चूत में था ...



पल्लवी - आह्ह्ह्ह्ह भैया तुम्हारा तो बहुत बड़ा है ... पता नहीं कैसे चला गया ये मेरी छोटी सी चूतट में .. और ये कहते हुए वो अपनी गांद गोल गोल घुमने लगी बैठा बैठा ही बड़ा मजा आ रहा था..



मैं- बेटा ये ही तो बात होती है चूत की.. लंड चाहे कितना भी बड़ा क्यों ना हो चूत ले ही लेति है पूरा ....







पल्ली- आह भैया मजा आ रहा है छोड़ो .... चोद चोद के अपनी बहन की चूत फड़ दो ... हाय क्या लंड है भइया आपका ... आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ... भैया मुझे अब हमेशा चोदना .. जहान जैसे बोलोगे ... आह्ह्ह आह्ह्ह चुद जाउंगी बस मुझे ये लंड चाहिए अपनी चूत में ....



मैं- ये ली अपनी चुदासी चूत में ... खा जा मेरा पूरा लंड .... हां बेटा तुझे मैं हमेशा चोदूंगा अब तेरी। जैसी चूत को कहां भूल पाएगा मेरा लोडा ... हां हन्नन ... ऐसे ही जोरदार चुदाई चल रही थी ... थाप थाप की आवाज आ रही थी कमरे में ... फिर पल्ली इज पोजीशन में उछल उछल कर थक गई .... अब मैंने बिस्तर पर लिटाया और उसके पैरों के बीच आ गया और एक तांग अपने कांधे पर रखली और एक ही झटके में फिर से लंड उसकी चूत में घुसा दिया ... और अपनी कमर हिला कर ज़ोर से चोदने लगा।



वो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भैया आह्ह्ह्ह्ह्ह भैयाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआहं बोलरही थी मैं आगे झुका और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए ... उसके बाद मैं उसके चूचे को मुह में लेकर चूसने लगा और तबद तोड़ चोदे जा रहा था उसकी चूत को ... अब मेरा भी लंड झड़ने को तयार था .... बुरी तारिके से मैं उसकी चूत का कचुमर बनाए जा रहा था और वो आह्ह्ह्ह्ह्ह हाय भइया .... हाय भैया चोदो बोले जा रही थी ....



और चोदते चोदते मैं बहुत तेज हो गया जिससे पल्ली भी एक बार फिर मेरे लंड के झटको को सह नहीं पाई और दोबारा झड़ गई ...मैं भी चाहते हुए भी अब और खुद को रोक नहीं पाया और जैसे ही मुझे मेरा रस लंड के टोपे की ओर दौड़ता हुआ महसूस हुआ मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और आगे जकर उसके मुह में डाल दियार सारा रस उसके मुह में उगल दिया ... मेरे लंड से इतना रस निकला के उसे पूरा मुह भर गया जितना वो पी सकती थी उसने पिया ... और कुछ बह कर बाहर उसकी चुचियों पर भी गिर गया ... फिर मेरा लंड सिकुडन लगा उसे अपने मुह में लाया पूरा लंड चाट चाट कर साफ किया ... बड़ी कामुक लग रही थी वो है पूरे चेहरे पर और चुच्चियो पर मेरा पानी था ... बड़े हाय सिंपल भाव से उसने पूछा



पल्लवी- भैया फिर कब चोदोगे?



मैं उसके तो सावल से हैरान हो गया ... लेकिन फिर मुझे हसी भी आई की कितनी आसानी से इसने ये पूछच लिया ... मैंने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा और बोला अपनी चूत को देख ...



उसके अपने चूत की तरफ देखा वो सूज सी गई थी छेद से भी खुला बुआ था मैंने बोला जैसे ही ये ठीक हो जाएगा मैं लूँड पेल दूंगा ये सुनकर वोहंसने लगी मैंने भी हंसते हुए अपने कपड़े पहने उसने गंदे कपड़े से पोंछ कर खुद को साफ किया और जो रस उसके बदन पर लगा हुआ था उसने अपनी चुच्छियो से और जो मुह पर लगा था उनग्लियों से इकट्ठा करके चाट गई ... और बोली ....



पल्लवी- भैया आपके पानी का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगा...



मैं- अब तो बहुत मिलेगा तुझे ये पीने को ... मेरी रानी .... ये सुनकर वो हंसने लगी और मैंने बोला के तू सो जा मैं जाता हूं .. चाची ना आए तो तू टटेंशन मत लिओ ... मैं उनहे जगाऊंगा नहीं क्योंकि यहां आई तो यहां की खुशबू से उन्हे शक हो सकता है वो बोली



पल्लवी- ठीक है भैया



और अपनी स्कर्ट और पैंटी पहन ली ... इस्के बाद मैंने उसके होंठों को चूमा थोड़ी देर हम एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे फिर मैं कमरे से निकल गया ...

आगे की कहानी उगाली अपडेट में .... आप लोग कृप्या प्रतिक्रिया देते रहें और पढ़ते रहें ... धन्यवाद
pura update hi garam tha. thand ke mausam mein aag ka kam kar raha hai ye update. Pallaviiii ..:drool: karma ki kismat buland hai jo itni kadak maal mil gayi :sex: anuj ko thanks kahna chahiye :D
 
ᴋɪɴᴋʏ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ
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आखिरी अपडेट में अपने देखा कैसे कर्मा और मां के बीच में चुंबन होती है और फिर मां कर्मा को इस बारे में बात न करने की कसम देकर चली जाती है ... अब आगे

अपडेट 8

मैं अगली सुबह जब सोकर उठा तो देखा 8 बज गए, मैंने सोचा आज तो देर तक सोता रहा, गांव में लोग जल्दी उठ जाते हैं सूरज निकलने से पहले ... मैं उठा और बाथरूम में घुस गया ताजा होकर बहार आया तो देखा पापा और अनुज चाय पी रहे थे मैं रसोई की तरफ बड़ा तो पापा बोले,
पापा- कर्मा इतना लेट तक कौन सोता है, जल्दी उठा कर थोड़ा, व्यायाम किया कर सेहत अच्छी रहेगी..

मैं- जी पापा कल से करुंगा
अनुज - पापा भैया कुजेडनहीं करने वाले, एक नंबर के आलसी हैं ये ... ही ही ही



मैं- अपना काम कर, माँ अपने नाली साफ करने वाले को घर में क्यों आने दिया बदबू आ रही है .....



ये सुनकर अनुज का मुह बन गया और पापा से बोला



अनुज-देखो पापा क्या बोल रहे हैं...



पापा हंसते हुए बोले- तुम दोनो ही पागल हो जैसे जैसे बढ़ते जा रहे हो और पागलपन बढ़ रहा है तुम्हारा ...



मैं रसोई में चला गया जहां मां खाना बना रही थी ... मैंने मां के मूड को चेक करने के लिए मजाक करना शुरू किया का कहीं रात वाली बात से मां में कोई चेंज तो नहीं आया...



मैं- बा मुलैजा होशियार, सल्तनत के महाराज खुद किचन में पधार चुके हैं .....उनकी शाही चाय किधर है पेश की जाए,



माँ मेरी बात सुनकर हंसने लगी और मुझे बिलकुल नॉर्मल लग रही थी मुझे ये देखकर और खुशी हुई...



माँ- महाराजा चुपचाप अपनी चाय उठाओ नहीं तो शाही थप्पड़ खा जाओगे..
मैं और मां हंसने लगे फिर मैंने बोला
मैं- अभी लेता हूं थोड़ा मां को प्यार तो करलें..

मैं ये देखना चाहता था क्या मां मुझे रोकेगी, कुछ चेंज आया है और नहीं? लेकिन मां ने कुछ नहीं बोला और मैंने उन साइड से गले लगा लिया और साड़ी के ऊपर से ही पेट पर हाथ फिराने लगा ....

मां ने फिर भी कुछ नहीं बोला और एक सेकंड के लिए मेरे कंधे पर सर को टीका दिया जैसा वो भी मेरा साथ दे रही हो गले लगने में लेकिन हाथ में आटा था इसलिय हाथ नहीं लगा सकतीं थी ... फिर मुझे मेरा लंड कडक होता हुआ महसूस हुआ मैं पीछे हट गया ... और मां के गाल को चूम लिया और फिर दूसरी तरह भी चूम लिया, मां मुस्कुरा रही थी फिर मैंने अपने गाल पर इशारा किया तो मां ने अपने रासीले होंठ मेरे गाल पर रख दिए, और फिर मैंने चेहरा घुमाया तो ऐसा ही उन्होंठों दूसरे गाल पर किया ... फिर मुझे शरारत सूझी तो मैंने अपने होंठ को भी आगे कर दिया ... मुझे लगा मां मुझे दांतेंगी लेकिन जैसा उन्होन मेरे गाल पर किया था वैसा ही अपने होंठों पर मेरे होंठों पर रखे और हटा लिए। मेरे बदन में फिर से करंट दौड़ गया .... लेकिन मां के चेहरे पर मुझे अभी भी कोई अलग भाव नहीं दिखे थे वो ही थे जो एक मां के अपने बेटे के लिए होते हैं मैं समझ नहीं पा रहा था मां के व्यवहार को। फिर सोचा बेटा वो तेरी माँ है...उसने तुझे जन्म दिया है इतनी आसान से नहीं समझेगा तू फिर माँ ने थोड़ा मुस्कुराया और बोली

मां- जा अब नाश्ता कर....
मैंने भी अपनी थाली उठाई और किचन से बाहर पापा और अनुज के पास जकर बैठा और नाश्ता करने लगा .... मैं बात से खुश था के रात की वजह से मां में कोई बदलाव नहीं आया है और उन्होंने अभी मेरे होंठों को चूमा है भी ... इसी खुशी खुशी में मैंने नाशता कर लिया ... तबी पापा बोल पड़े.



पापा- कर्मा आज तू मेंरे साथ चल आज बाग में और खेत पर बहुत काम है... तेरी गरमियों की छुट्टियां भी चल रही है तो मदद हो जाएगी...
मैं भी क्या बोलता मैंने भी हां में सर हिला दिया ... और फिर थोड़ी देर बाद पापा के साथ निकल गया ....
वहां पहुच कर हम लोग काम पर लग गए.. मैंने सोचा अच्छा हुआ मैं आ गया और सब पापा अकेले कैसे करते हैं ... तो काम करते करते दोपहर हो गई ... अनुज खाना लेकर आया ... मैंने और पापा ने खाना खाया फिर अनुज को पापा ने भेजा और हम काम में लगने वाले ही के राजन चाचा आ गए ...

राजन च- क्या बात है आज तो बाप बेटे बहुत मेहनत कर रहे हैं....
पापा ने मुस्कुराते हुए उनकी तरफ देखा और बोले
पापा- बाप के बाद बाप की हर चीज पर बेटा ही तो मेहनत करेगा तो अभी से क्यों नहीं...
मेरे मन में ये सुनकर मां का ख्याल आ गया और सोचा लगा मां भी तो पापा की हैं तो मुझे उन पर भी मेहनत करनी चाहिए .....
राजन छ- बिक्कुल भाईसाहब ये तो लाख रुपए की बात कहीं अपने.... चलो आप काम करो मुझे भी काम है...
पापा- क्या काम है परेशान लग रहा है...
राजन च- अरे भाईसाब वो हमारी छत से मिट्टी झड़ रही है चूहो ने दिवारो को खोद खोद कर खोखला बना दिया है तो उसी की मरम्मत करवा रहा था अब वो घनश्याम मिस्त्री बोल रहा है की कल तक ही सब हो पाएगा ठीक से... तो बच्चन के सोने की व्यवस्था कहां की जाए सोच रहा था ......
पापा- तू बड़ा बेवकूफ है, मेरा घर तेरा नहीं है जो तू सोच रहा था कहां जाए...
राजन च- हंसते हुए हैं भाई साब ... ही ही ... तुम सही कह रहे हैं अभी सबको घर भेज देता हूं ... मुझे तो रात को रुकना पड़ेगा के आदमी कोई सामना न उठा लें और भैंस भी है वो दो कहां परशान होंगे मेरे साथ .....
पापा- और क्या पागल था तू जब काम शुरू हुआ तब भी भेज दिया होता...
राजन च- हां भाई साब भेजता हूं अभी ... और ये तो और अच्छा हुआ ... करमा बेटा तू आज से ही पल्ली बिटिया को अंग्रेजी पढ़ना भी चालू कर देना ...



मैं तो सुनकर वैसा ही बहुत खुश था के चाची आज की रात हमारे साथ रुकने वाली है... मैने खुशी कहा...
मैं - जी चाचा .... आज ही पडढाऊंगा ..
पापा- अरे क्यों नहीं... ये बढ़ा है छोटो को पढाना इसका फ़र्ज़ बनता है...
फिर ये सुनकर और पापा को बोलकर राजन चाचा चले गए... मैं और पापा शाम तक काम करते रहे...
शाम को जब घर पहुंचे तो गेट पल्ली ने खोला .... और मजाक में बोली ...
पल्लवी- हां जी किससे काम है....
मैं भी उसके मजाक में साथ देने लगा...
मैं- जी मेम साब आपसे ही था आपका पार्सल आया था...
पल्लवी- सच्ची कहां है पार्सल लाओ दिखो मुझे....
मैंने अपना हाथ जब से निकला और ऐसे कुछ हो उसमे और फिर आगे बढ़ा कर उसके कान पर चपत मार दी ... और बोला



मैं- ये रहा आपका पार्सल ... आपके पार्सल में थप्पड़ था ....



पल्लवी हंसने लगी और बोली
पल्लवी-भैया आप भी ना बहुत खराब हैं....



फिर हम दोनो अंदर आए तो देखा मां और चाची बैठ कर बातें कर रही हैं... मुझे देखते ही चाची और फिर मां बोली आ गया तू पापा कहां है...



मैं- आ रहे हैं... भैंसों को बांधकर...



मां- चल बैठ तू... मैं चाय बनाती हूं तेरे लिए...
ममता च- हैं दीदी आप क्यूं बनाएंगे... ए पल्ली जरा सबके लिए चाय तो बना...

पल्ली- अभी लाई मां बनाकर....
और ये कहकर पल्ली किचन में चली गई अनुज हॉल में बैठा था ... मैंने चुपके से देखा तो वो बार बार किचन में देख कर मस्कुरा रहा था ... मैं समझ गया दोनो का कुछ तो चक्कर चल रहा है ... मैं मस्कुरा दीया और सोचा करने दो सबका हक है ......



फिर मैं वही मां और चाची के पास खाट पर लेट गया और उनसे बातें करने लगा ... इतने में पल्ली चाय लेकर आ गई ... सबको दी पापा भी आ गए थे तो भी पीने लगे ... फिर चाय खतम करके मैं फिर से लेट गया इस बार अपना सर मां के गोद में रख लिया ... और आज इतना काम किया था के थका होंने की वजह से मुझे मां की गोद में कब निंद आ गई पता ही नहीं चला ...



मुझे अचानक से एहसास हुआ के कोई मुझे हिला रहा है और कुछ आवाज दे रहा है ... फिर मेरी आंखें खुली तो देखा के पल्ली मेरे कंधे पकड कर मुझे हिला रही थी ... और बोल रही थी ...
पल्ली-उठो भैया चलो खाना खा लो बहुत सो लिए...
मैं: सोने दे ना
पल्ली- नहीं बिलकुल नहीं उठो अभी खाना खाओ और मुझे पढाना भी है तुम भूल गए।
और इतना कहकर उसे मेरा हाथ खिंचकर मुझे बिठा दिया ... मैं उठा मुंह धोकर आया हॉल में तो देखा पापा, अनुज और राजन चाचा खाना खा रहे हैं ...
राजन च- आज तो थका दिया तुझे तेरे पापा ने कर्मा जल्दी सो गया तबी...



पापा- अरे थकना तो था ही बहुत मेहनत की आज बेचारे ने सारे काम खुद ही किए मुझे तो हर काम में रोक देता था का लाओ पापा आप बैठो मैं करता हूं...



ममता च- है ही हमारा बच्चा इतना समझदार...इसको तो चांद जैसी बहू मिलेगी...
इसे सुंकर सब मस्कुराने लगे .... तो फिर मैंने भी मजाक करते हुए बोला हैं चाची लेकिन आपने तो शादी कर ली अब कहां से मिलेगी ....
ममता च- हट बदमाश अभी बताती हैं तुझे..
.ये कहते हुए मुझे सर पर मारा सब हंसने लगे और फिर मुझे खाना दिया और मैं भी खाने लगा ... और फिर मैंने मजाक करते हुए कहा ...
मैं- आज कुछ खास है क्या
माँ - क्यों क्या हुआ करना चाहते हो

मैं- फिर ये भिखारी को हमारे साथ खाना क्यों खिलाया जा रहा है....



अनुज मेरी बात समझ कर बोलने लगा... मां देखलो ना फिर से बोल रहे हैं....



सब हंसने लगे पल्ली तो बहुत हंस रही थी ... मैने बोला
में- मैंने तेरा नाम लिया अब तू खुद को ही समझौता है तो मैं क्या करूं?.



मां-हंसते हुए- चलो चलो अब लडना बंद और खाने पर ध्यान दो...
फिर सबने खाना खाया .... मां चाची और पल्ली ने भी .... राजन चाचा फिर घर चले गए वो वो सोने वाले थे ...



मां ने पल्ली और चाची को अपने से बगल वाला कमरा जो खली था वो दिया था ... मैंने सोचा अगर पल्ली चाची के साथ होगी तो मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा तो मुझे कुछ सोचना होगा ... इतने में पल्ली बोल पड़ी



पल्ली-भैया मुझे पढाना भी है तुम्हें



मुझे भी याद आ गया मैंने कुछ सोचते हुए कहा:



मैं- हां बिलकुल अभी पढ़ाऊंगा पर चाची जब तक मैं पल्ली को पढ़ाऊंगा तब तक आप मेरे कमरे में सो जाओगी..मेरे कमरे का बल्ब खराब है मैं यहां जिस कमरे में आप हो उसमे पढा दूंगा जब पढ़ाई खतम होगी तो आपको बुला दूंगा



माँ और तो बता देता बल्ब चेंज करा देती और तुम दोनो मेरे कमरे में पढ़ लो ना चाची को क्यूं परशान करते हो...



ममता च- अरे दीदी इसमे परशानी क्या और वैसे भी भाईसाब भी थेके होंगे उनको और आप आराम से सोना ... मैं सो जाऊंगी ...



माँ ने अनुज की तरफ देखा और बोला



अनुज-मां सोचना भी मत मुझे ये चिढाते रहेंगे और ना खुद उसे पढयेंगे न मुझे पढने देंगे ..



सब उसकी बात सुनकर मस्कुरा दिए फिर चाची ने बोला



ममता च- हैं कोई बात नहीं.. मैंसो जाऊंगी कर्मा के रे में तुम लड़ो मत दोनो



ये कहकर चाची हंसने लगी तो फिर मैं उठा अपने कमरे में गया और बल्ब को थोड़ा ढीला कर दिया जिससे वो चले न ताकी किसी को शक न हो..और फिर एक निक्कर और टीशर्ट पहन कर चाची के कमरे में फिर गया तो वो खाली था फिर माँ पापा के कमरे में जाकर देखा तो माँ पापा और चाची बातें कर रहे थे .... मैंने पूछा



मैं, - पल्ली कहाँ है



ममता च- यहीं तो थी शायद बाथरूम में होगी आती ही होगी....



मैं- ठीक है...



इतना कहकर उनके कमरे से निकला और देखा दो बाथरूम का गेट खुला है...



फिर मैंने अनुज का कमरा देखा तो भी खाली था मैंने सोचा कहां गया ये तो फिर मैं छत पर गया सीडीयो से झांक कर देखा तो चौक गया वैसा ही हो गया था जैसा मैंने सोचा था...



अनुज और पल्ली एक दूसरे के होंठ को चूस रहे थे और मैंने ध्यान से देखा तो अनुज टी-शर्ट के ऊपर से ही पल्ली के स्तन दबा रहा था..फिर अपने होंठ अलग करके अनुज पल्ली के पीछे जकर खड़ा हो गया और उसमें शर्ट से बूब्स निकाल कर दबाने लगा...











मुझे चांदनी रात में ये नजरा बड़ा कामूक लग रहा था ... देखते ही मेरा लंड तुरंत टाइट हो गया ... चांदनी में चमकते उसके बड़े स्तन बहुत रसीले लगे रहे थे पहली बार पल्ली को मैंने ऐसा देखा था सोचा ... ये भी चाची जैसी ही मस्त माल है हर चीज मे,

मैं अपने लंड को निकर के ऊपर से मसल रहा था मैंने भी सोच लिया आज छोटा भाई बेटी को मसल रहा है तो बड़ा भाई भी आज मां को छोद देगा ........ लेकिन मुझे उनके लिए डर भी था की किसी को शक हो जाएगा ये यहां ऐसे लगे रहेंगे तो मैं सीढ़ियों से नीचे आया और आवाज लगाई



मैं- पल्लल्लिइइइइइइइइ कहां है तू अगले ही मिनट में पल्ली नीचे आते हैं, थोड़ी थोड़ी सा हांफ रही थी थोड़ा डर भी था उसकी आंखों में ...



मैं- चल पढ़ने चल...



पल्ली- हां भइया चलो .....



फिर हम कमरे में आए तो पल्ली आगे झुक कर बिस्तर पर बैठा कर बिस्तर पर पढ़ी अपनी किताबे उठाने लगी मुझे उसके ऊपर उठ गई और उसकी मोटी जांघें दिखने लगी मेरा लंड और तंग हो गया। वो तो निक्कर ढीला था इसलिए ज़्यादा ज्यादा कुछ पता नहीं चला...









फिर पल्ली बिस्तर पर बैठ गई और मैं भी

फिर मेने उसे पढ़ाने लगा साथ ही बीच बीच में उसके टी शर्ट से झांकते हुए रसीले संतरों का भी आंखों ही आंखों से रस पी रहा था पता ही नही चला पल्ली कब इतनी बड़ी हो गई पढ़ते पढ़ाते डेढ़ घंटा हो गया तो ... थोड़ी देर बाद बोली...



पल्ली- भैया मैं टॉयलेट होकर आती हूं...



मैं- हां होकर आ...



फिर वो चली गई मैंने भी अपने लंड को थोड़ा हिला दुला कर एडजस्ट किया और लेट गया मैं भी सोच रहा था जल्दी से पढाई खतम हो और मैं चाची के साथ कुछ मज़े करुं ...

इंतज़ार करते हुए मैंने देखा के 5 मिनट से ज्यादा हो गए और पल्ली नहीं आई थी ... मैंने सोचा कहीं ये और अनुज फिर से तो नहीं शुरू हो गए और मैं कमरे के बाहर निकला तो आंगन में अंधेरा था लेकिन राइट साइड से थोड़ी रोशनी आ रही थी .. मां पापा के कमरे का जो बाथरूम था उससे मैंने देखा तो मुझे दिखा गेट थोड़ा सा खुला हुआ है और पल्ली वही खडी हुई है इसके आगे का मुझे नहीं दिख रहा था... तो जो देखा उसे देख कर मैं चौक गया पल्ली बाथरूम के दूसरे गेट से जो मां पापा के रूम में खुलता था उसके अंदर देख रही है ... उसके संतरी चूचे बाहर हैं और उसका हाथ उसकी चूत पर है .....









ये देख मेरा लंड तन गया और मैं उसके बड़े बड़े चुच्चों को देखता ही रह गया ... वैसे तो मैं सारा मामला समझ गया के पल्ली यहां वॉशरूम में आई होगी और यहां मां पापा की आवाज सुन ली होगी और उनकी कामलीला देखकर ये गरम हो गई है वैसे भी छत पर भी ये गरम होकर आई थी .... मैं बाथरूम के अंदर घुसा और गेट बन्द कर लिया पल्ली अभी भी बसुध सी अंदरर देखे जा रही थी उसे ये पता ही नहीं था के मैं उसके पीछे बाथरूम में हूं। मैं उसके पीछे खड़ा हो गया और एक बार नज़र उठा कर मैंने भी माँ पापा के कमरे के अंदर देखा तो क्या नज़रा था





मां और पापा 69 पोजीशन में ... मां की गांड हमारी तरफ थी। मां ने बस एक ब्रा पहन राखी थी लेकिन उनकी बड़ी बड़ी चूचियां उसके बाहर ही थीं और पापा भी बिलकुल नंगे थे .. बड़े बड़े तरबूजो के बीच पापा अपनी जीब घुसा रहे थे। . माँ भी अपनी गांड घुमा घुमा कर अपनी चूत चटवा रही थी ... उधार माँ मम्ममहम्मम करके अपना मुह पापा के लंड पर ऊपर नीचे कर रही थी .. पूरे चाव से चूस रही थी अपने पति के लंड को...

ये देख कर मेरा लंड फटने को हो रहा था और उसका दर्द मुझसे सहन नहीं हुआ और मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया ... और फिर अपने हाथ पल्ली की कमर पर रख दिए मेरे हाथ लगते ही उसे पलट कर देखा और मुझे देख थोड़ा डर गई मुझे लगा के ये चिल्लाने वाली है और जैसे ही उसने अपना मुंह खोला और मैंने अपने होंठों उसके होंठों पर रख दिए और उसकी चीख बंद कर दी और फिर धीरे धीरे उसके होंठों को चूसने लगा ... पहले तो वो थोड़ा झटपटाई पर वो इतनी गरम थी के अगले ही मिनट में मेरा साथ देने लगी और मेरे साथ में मेरे होंठों को चूसने लगी ..



मैं उसके रसीले होंठों को चूसते हुए अपना हाथ उसी पूरी नंगी कमर पर फिराने लगा और उसके पेट को ममसने लगा और उसकी नाभी को छेड़ने लगा वो और गरम हो गई ... वो थोड़ा और पीछे हो गई उसके शरीर मुझसे चिपक गया, मेरा नंगा लंड उसकी गांड से चिपक गया जिसे उसे भी महसूस किया और मैं अपनी कमर हिलाकर लंड को उसकी गांड पर घिसने लगा, वो बहुत गरम हो गई थी।

मैं भी ऐसे मौके को जाने नहीं देना चाहता था मैंने अपने होंठों को उसके होंठो से हटाया और उसकी गर्दन को चूमने लगा उसका चेहरा फिर सेआगे आ गया और कमरे की अंदर हो गया ... वो माँ पापा को देखने लगी मैंने देखा तो अपनी पोजिशन चेंज कर ली थी



अब पापा मां की एक तरफ लेटकर उनकी चूत में अपना लंड पेल रहे थे ... मुझे मां की चूत में उनका लंड आता जाता हुआ साफ दिख रहा था ... मां के मुंह से अअह्ह्ह्ह अअह्ह्ह्ह्ह की आवाज आ रही थी और पापा को और तेज़ चोदने को बोल रही थी ... पापा उनकी गर्दन पर चूम रहे थे .... और सत्तासात चूत में लंड पेले जा रहे थे ... मेरा लंड तो जैसे पत्थर का हो गया था और पल्ली की गांड पर ठोकरे मार रहा था जैसा कपड़ो को चीरकर कर घुस जाएगा अभी अंदरर ... मैंने भी कमर से हाथ ऊपर करके उसके स्तन पर ले गया और उसकी टी-शर्ट को उठाकर स्तन बहार निकल लिए और उन्हे दबाने लगा वो भी अपनी सिसकियो को दबाती हुई मां पापा की चुदाई देखे जा रही थी और अपने चुचियां दबाने दे रही थी .... क्या मस्त चुचियां थी उसकी जवानी से भरी हुई और बड़ी बड़ी जैसे उनमें गरम और नरम माखन भरा गया हो .... मेरे लंड की हलत बहुत खराब थी मैंने सोचा ये ही सही मौका है अभी मुझे कुछ न कुछ तो करना चाहए मैंने ..



मैंने अपनी कमर पीछे करके ... पल्ली की स्कर्ट को उसके ऊपर उठा दिया ... उसके पैंटी में कसे हुए चुतड़ मेरे सामने आ गए .... जिन्हे देख कर मैं पागल हो गया और फिर से अपना लंड उसकी गांड की दरार में फसाकर आगे पीछे करने लगा मुझे बहुत मजा एक रहा था ... पल्ली भी अपनी गांड ऊपर नीचे करके मेरे लंड पर अपने चूतड़ों को घस रही थी ... घिसने के बाद मैं पीछे हट गया और पल्ली को थोड़ा आगे की तरफ झुकने के लिए पीछे से धक्का दिया उसने अपने हाथ गेट की वगल वाली दीवार पर टीका लिए मैं उसके पीछे घुटनो के बल बैठ गया और उसके मस्त चूतड़ों को चूमने लगाचाटने लगा। .उसकी पैंटी के ऊपर से किस कर रहा था ... उसकी काले रंग की पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी ... मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत वाली जगह पर अपनी जीभ फिराई... तो पल्लवी झटपटाने लगी ...

ऐसा कई बार किआ और पल्ली का रिएक्शन हर बार वही था मैंने फिर उसकी पैंटी को साइड किया और उसे छू कर देखा क्या चूत थी उसे मस्त ... होंठ आप में मिले हुए थे ... पूरी गीली होकर रस बहा रही थी ... मेरे मुह में पानी आ गया और मैंने अपनी जीभ उसके चूत पर रख दी और और ऊपर नीचे करते हुए चाटने लगा वो तो पागल हुए जा रही थी ऐसा लग रहा था वो कभी भी गिर जाएगी उसकी टांगे कांप रहीं थी ... फिर मैं अपनी जीभ पूरा ऊपर नीचे फिराने लगा जिससे मेरी जीभ उसकी गांद के छेद से भी टच होंकर आ रही पल्ली अपनी चुचियों को अपने हाथों से मसल रही थी मैं उसकी चूत और गांड को चाटे जा रहा था









फिर मैंने एक दो मिनट और चूत चट्टी और फिर खड़ा हो गया और अब मैं बहुत उत्साहित हो गया था सही गलत से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ना था अब मैंने झट से अपना हाथ आगे बढ़कर उसकी टी शर्ट को उतर दिया वो ऊपर से नंगी हो गई और मैंने भी अपनी टी शर्ट निकल दी और उसकी पीठ से चिपक गया और उसके बड़ी चुच्चिया दबाने लगा





वो बस आआह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह भैया कर रही थी बहुत धीरे से मैंने एक हाथ नीचे लेजाकर अपना निक्कर निकल दिया और उसकी पैंटी की साइड में हाथ दाल कर उसे भी नीचे की सरका दिया वो अब भी मां और पापा को देखे जा रही थी। मैंने भी कमरे के अंदर झंका तो देखा के मां पापा अब भी चुदई कर रहे हैं वो भी ज़ोरों से बस पोजीशन चेंज थी...



पापा मां को घोड़ी बना कर चोद रहे थे .... मां के मुह से आआ आआह की सिसकारी निकल रही थी ... पापा के झटके बहुत तगड़े थे ... मां के चूचे लटके हुए झटके खा रहे है जिन्हे ... देखते ही मेरे लंड में भी जैसा खून उतर आया हो ... वो दर्द करने लगा .... मैंने भी सोचा के अब बरदस्त नहीं हो रहा फिर क्या मैं तो पूरा नंगा था ही पल्ली के कामुक बदन पर भी बस एक स्कर्ट थी। मैंने देर ना करते हुए अपने हाथ पर थूक लगाकर लंड के सिरे पर लगाया और अपने लंड को पकडा और पल्ली की गांड की दरार में ऊपर से लेके नीचे तक घिसा पल्ली भी अपनी गांड हिला रही थी फिर मैंने देखा की पल्ली का ध्यान अबभी मां पापा की चुदाई पर है तो मैंने एक हाथ से उसे चूतड़ों को पकड़ा और एक हाथ में लंड लेकर उसकी जवान चूत के होंथो पर रखा और एक कटारा झटका लगा दिया ... जिससे मेरे लंड का टोपा पुछ्छ से उसकी चूत के अंदर। ... पल्ली की तो जैसी आंखें बहार आने को हो गई .... मैंने झट से हाथ उसके मुह पर रख लिया और उसे चीखने से रोका ... मेरा लंड का टोपा चूत के अंदर था ... उसकी चूत बेहद तंग थी लेकिन मुझे एक चीज का एहसास हुआ की सील टूटी हुई थी ... मैंने सोचा के ये तो पहले भी चुद चुकी है ... मैंने सोचा ये सब बाद में सोचूंगा अभी लंड और चूत पर ध्यान देता हूं ..... पल्ली बुरी तरह दर्द से झटपटा रही थी अगर मैंने उसे पकडा हुआ न होता तो वो गिर चूकी होती मैं उसे शांत करने के लिए उसकी चुचियों को थोड़ा थोड़ा दबाने लगा थोड़ी देर बाद उसका थोड़ा दर्द शांत हुआ तो उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया जो के उसके चुचे पर था शायद ये बताने के लिए वो तय्यार है आगे लेने के लिए लेकिन मैंने उसके मुह से हाथ नहीं हटा दिया था मुझे पता था मेरा लंड काफ़ी बड़ा है और मोटा है भी अभी तक तो बस टोपा ही और गया है .... मैंने धीरे से झटका मारा तो दो इंच और अंदर चला गया ... मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसा मेरा लंड किसी भट्टी में है जो उसे निचोड रही है.. लंड और अंदर जाते ही पल्ली ने मेरा हाथ फिर से पकड कर दबा दिया



मैं एक मिनट के लिए और रुक गया लेकिन अब मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था ... अगली बार पल्ली जैसे ही तैयार हुई मैंने जोर का झटका दीया और मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों को चीरता हुआ पूरा उसकी कसी हुई रसीली चूत में गच्च से समा गया । मुझे अलग ही सुख का आनंद मिल रहा था जो एक बिलकुल टाइट चूट में लंड डालने से मिलता है... पल्ली की तो गांड ही फट गई थी इतना बड़ा लंड लेकर ... वो बहुत तेज सांस ले रही थी ... बस भैया भइया कह कर फुसफुसा रही थी ... मेरा लंड उसकी चूत में था औरर वो मुझे भैया कह रही थी ये सुनकर मुझे अच्छा लग रहा था शायद रिश्तों में चुदाई का ये ही मजा होता है... ... खैर चुच्चे मसलते हुऐ पल्ली एक बार फिर से थोड़ा ठीक हुई तो मैंने भी धीरे से लंड बहार खिंचा और फिर अंदर कर दिया पल्लवी की हम भैया आआह करके एक और आह निकली ... मैं पल्ली को धीरे धीरे धीरे से चोदने लगा।

मुझे बड़ा मजा आ रहा था और अब पल्ली भी आह आह्ह्ह करके चुदाई का मजा ले रही थी .... मुझे उसकी चूत में लंड डालके बहुत अच्छा लगा रहा था ... उसकी चूत में ऐसा लग रहा था जैसा मेरा लंड किसी गरम मखन की पोटली में है .... मैं अपनी कमर आगे पीछे करके चूत में लंड सट्टा सट पेल रहा था ... पल्ली भी अब बहुत मजे लेकर अपनी कमर आगे पीछे करके चूदवा रही थी ... और एक बड़े और मोटे लंड से चुडवाने का। जो मजा है वो ले रही थी .... पर अब मेरा मन उसे अच्छा से तेज तेज चोदने का था ... जो की यहां मुमकिन नहीं था मैंने पल्ली के कान में कहा चलो अपने कमरे में चलते हैं ... उसे भी हां में सर हिला दिया ... मैंने लंड छुट में डाले डाले ही हम दोनो के कपड़ो को उठाया और पल्ली के हाथों में पक्डा दिया और फिर उसे कमर को पकड़ कर अपने लंड पर तांग सा लिया उसे दोनो पैर हवा में थे ... .मैं उसकी चूत से लंड नहीं निकलना चाहता था मुझे पता था इतनी मुश्किल से घुसा है अभी निकलना फिर से तकलीफ देगा ... मैंने उसे आगे कर के उठाया किया और अपने कमरे की तरफ बढ़ने से पहले एक नजर मां पापा के कमरे में डाली तो देखा वहा तूफान थम चूका था लेकिन जो नजारा था वो अब भी जानलेवा था


मां लेटी हुई थी और पापा का लंड उनके हाथ में था ... मां के पूरे चेहरे पर पापा के लंड का रस बिखरा हुआ था ... मां इस रूप में एक सेक्स की देवी लग रही थी .. इतना कामुक नजारा देख कर मेरे लंड ने ऐसा लगा कुछ बून्दे पल्ली की चूत में अपने रस की छोड दी ... माँ उसके लंड को जीब से चटकर साफ कर रही थी मैंने भी वहा और रुकना ठीक ना समझ और बाथरूम से पल्लवी को उठाकर निकला ... .मेरे हर कदम के साथ पल्लवी मेरे लंड पर ऊपर नीचे होती और हम दोनो की ही एक आह निकल।जाती ... फिर ऐसे ही मजे लेते हुए हम पहुंच गए दोनो पल्ली और चाची के कमरे में पहुचे जहान में मैं उसे पढ़ा रहा था और फिर मैंने गेट बन्द किआ और बेड के सहारा झुकाके उसे तेज और ज़ोरदार झटको के साथ चोदने लगा ... पल्ली भी सिस्किया ले कर बोल रही थी हां चोदो भैया और तेज चोदोडो .. जैसे ताऊ जी अभी ताई जी को चोद दिया। ..आआह्ह्ह्ह मजा आ गया भइया तुम्हारा वो तो बहुत बड़ा है .... मेरी तो फाड़ के रख दी ... आह्ह्ह्ह्ह ... मुझे उसकी बातें सुनकर और तेज जोश आ गया और मैं उसे. बुरी तरह चोदने लगा और फिर ऐसे ही दो चार मिनट चुदने का बाद पल्ली की पूरी बॉडी अकड़ गई और वो मेरे लंड पर झड़ गई ... उसकी.चूत को देखा तो उसके होंठों खुले हुए थे ... ऐसा लग रहा था जैसे इसमे किसी ने कोई डंडा घुसा है पर मेरा काम अभी नहीं हुआ था ...
मैं झुक कर फिर से उसकी चूत वैसे ही चाटने लगा और चाटते हुए मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा ... 5 मिनट ऐसे चूत चटवाने के बाद वो फिर से गरम हो गई .... मैंने उसे घुमा लिया अब वो बिस्तर पर झुक कर बैठी थी मेरी तरफ मुह करके और मैं बिस्तर के किनारे पर खड़ा था .... वो मेरी तरह देख रही थी .. जैसे पूछ रही हो का क्या करना है अब मैंने उसके बालो में हाथ फेरा और अपने लंड जी तरफ हाथ करके बोला



मैं- पल्ली इसे प्यार करना...



पल्ली- भैया मैं वो..



वो इतना ही बोल पाई के मैंने उसके होठों से अपना लंड टच कर दिया ... उसकी जीवन अपने आप निकल आई और वो मेरे लंड को चाटने लगी .... कभी तोपे को तो कभी पूरे लंड पर जीभ फिरती ... अब मैंने उस लंड को मुह में लेने को बोला तो उसने कोशिश की लेकिन लंड मुह में घुस ही नहीं पा रहा था ... फिर एक और उसने लंड को चाटा और दोबारा से मुह बड़ा सा खोल कर लंड के टोपे को अपने मुह में घूस लिया। .... आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या मजेदार आनंद था ये ... उसके छोटे से मुंह में मेरा लंड देकर मैं तो धन्या हो गया था..वो अब थोड़ा आगे पीछे अपना चेहरा हिला कर लंड को चूस रही थी ... ऐसा लगा ही नहीं रहा था के वो ये सब पहली बार कर रही होगी ... मैंने सोचा ये अपनी मां से भी आगे निकलेगी .... वो मेरा लंड शिद्दत से चूस रही थी

ऐसे ही कुछ डर लंड चुसाने के बाद मुझे लगा कहीं मैं झड़ न जौन इस्लिये उसे रोका और अपना लंड उसके मुह से बाहर निकला और झुक कर उसके चुचे चूसने लगा आह्ह्ह मलाई दार चुचियों से मलाई मेरे मुंह में घुल रही थी ऐसे से कुछ... एक को मसलता और दूसरे को चूसता ऐसे ही अगले 10 मिनट तक उनसे खेलता रहा ... फिर थोरा और नीच झुक कर उसके पेट पर पर किस करना लगा उसे चाटने लगा वो मेरे बालो में हाथ फेर रही थी उसके पेट की त्वचा बहुत मुलायम थी जैसे रेशम हो ... मैं उसे कभी चाटता तो कभी मसलता... फिर उसकी नाभि में जीभ डालकर उसे चाटने लगा वो आह्ह्ह भैया करने लगी ... ऐसे ही थोड़ी देर तक चैटने के बाद मैं बिस्तर पर बैठा और वो मेरी तराफ पीठ करके मेरी गोद में बैठने लगी उसने अपने हाथों से मेरे लंड को सीधा खड़ा किया और अपनी चूत के द्वार से भीड़ा दीया और थोड़ी सी नीचे हो गई..जिससे मेरे लंड का टोपा एक बार फिर से उसकी चूत में था ... उसके मुह से आह मां मार डाला निकल गया .... मैं मां सुनते ही सोचने लगा और बोला... तेरी मां भी चुदेगी इसी लंड से तू बस देखती जा ... फिर मैंने अपने हाथ उसे कमर पर रख लिया और नीचे की तरफ दबाया और अपनी गांड उठा कर नीचे से लंड पल दिया उसकी चूत में ... एक बार फिर से मेरा लंड पल्लवी की चूत में था ...



पल्लवी - आह्ह्ह्ह्ह भैया तुम्हारा तो बहुत बड़ा है ... पता नहीं कैसे चला गया ये मेरी छोटी सी चूतट में .. और ये कहते हुए वो अपनी गांद गोल गोल घुमने लगी बैठा बैठा ही बड़ा मजा आ रहा था..



मैं- बेटा ये ही तो बात होती है चूत की.. लंड चाहे कितना भी बड़ा क्यों ना हो चूत ले ही लेति है पूरा ....







पल्ली- आह भैया मजा आ रहा है छोड़ो .... चोद चोद के अपनी बहन की चूत फड़ दो ... हाय क्या लंड है भइया आपका ... आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ... भैया मुझे अब हमेशा चोदना .. जहान जैसे बोलोगे ... आह्ह्ह आह्ह्ह चुद जाउंगी बस मुझे ये लंड चाहिए अपनी चूत में ....



मैं- ये ली अपनी चुदासी चूत में ... खा जा मेरा पूरा लंड .... हां बेटा तुझे मैं हमेशा चोदूंगा अब तेरी। जैसी चूत को कहां भूल पाएगा मेरा लोडा ... हां हन्नन ... ऐसे ही जोरदार चुदाई चल रही थी ... थाप थाप की आवाज आ रही थी कमरे में ... फिर पल्ली इज पोजीशन में उछल उछल कर थक गई .... अब मैंने बिस्तर पर लिटाया और उसके पैरों के बीच आ गया और एक तांग अपने कांधे पर रखली और एक ही झटके में फिर से लंड उसकी चूत में घुसा दिया ... और अपनी कमर हिला कर ज़ोर से चोदने लगा।



वो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भैया आह्ह्ह्ह्ह्ह भैयाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआहं बोलरही थी मैं आगे झुका और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए ... उसके बाद मैं उसके चूचे को मुह में लेकर चूसने लगा और तबद तोड़ चोदे जा रहा था उसकी चूत को ... अब मेरा भी लंड झड़ने को तयार था .... बुरी तारिके से मैं उसकी चूत का कचुमर बनाए जा रहा था और वो आह्ह्ह्ह्ह्ह हाय भइया .... हाय भैया चोदो बोले जा रही थी ....



और चोदते चोदते मैं बहुत तेज हो गया जिससे पल्ली भी एक बार फिर मेरे लंड के झटको को सह नहीं पाई और दोबारा झड़ गई ...मैं भी चाहते हुए भी अब और खुद को रोक नहीं पाया और जैसे ही मुझे मेरा रस लंड के टोपे की ओर दौड़ता हुआ महसूस हुआ मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और आगे जकर उसके मुह में डाल दियार सारा रस उसके मुह में उगल दिया ... मेरे लंड से इतना रस निकला के उसे पूरा मुह भर गया जितना वो पी सकती थी उसने पिया ... और कुछ बह कर बाहर उसकी चुचियों पर भी गिर गया ... फिर मेरा लंड सिकुडन लगा उसे अपने मुह में लाया पूरा लंड चाट चाट कर साफ किया ... बड़ी कामुक लग रही थी वो है पूरे चेहरे पर और चुच्चियो पर मेरा पानी था ... बड़े हाय सिंपल भाव से उसने पूछा



पल्लवी- भैया फिर कब चोदोगे?



मैं उसके तो सावल से हैरान हो गया ... लेकिन फिर मुझे हसी भी आई की कितनी आसानी से इसने ये पूछच लिया ... मैंने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा और बोला अपनी चूत को देख ...



उसके अपने चूत की तरफ देखा वो सूज सी गई थी छेद से भी खुला बुआ था मैंने बोला जैसे ही ये ठीक हो जाएगा मैं लूँड पेल दूंगा ये सुनकर वोहंसने लगी मैंने भी हंसते हुए अपने कपड़े पहने उसने गंदे कपड़े से पोंछ कर खुद को साफ किया और जो रस उसके बदन पर लगा हुआ था उसने अपनी चुच्छियो से और जो मुह पर लगा था उनग्लियों से इकट्ठा करके चाट गई ... और बोली ....



पल्लवी- भैया आपके पानी का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगा...



मैं- अब तो बहुत मिलेगा तुझे ये पीने को ... मेरी रानी .... ये सुनकर वो हंसने लगी और मैंने बोला के तू सो जा मैं जाता हूं .. चाची ना आए तो तू टटेंशन मत लिओ ... मैं उनहे जगाऊंगा नहीं क्योंकि यहां आई तो यहां की खुशबू से उन्हे शक हो सकता है वो बोली



पल्लवी- ठीक है भैया



और अपनी स्कर्ट और पैंटी पहन ली ... इस्के बाद मैंने उसके होंठों को चूमा थोड़ी देर हम एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे फिर मैं कमरे से निकल गया ...

आगे की कहानी उगाली अपडेट में .... आप लोग कृप्या प्रतिक्रिया देते रहें और पढ़ते रहें ... धन्यवाद
Kabhi kai baar mehnat karne par bhi fal nahi milta ,kabhi bina mehnat ke hi fal mil jata hai .karma ke masle me bina mehnat ke ek kafi mitha fal uski jholi me a gira, fal se jyada kachi kali kahe to jyada wajjib hoga , joh khane me mulayam bhi thi aur rasbhari bhi .
 
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pura update hi garam tha. thand ke mausam mein aag ka kam kar raha hai ye update. Pallaviiii ..:drool: karma ki kismat buland hai jo itni kadak maal mil gayi :sex: anuj ko thanks kahna chahiye :D
Bahut bahut dhanyawad mitra, sath bane raho aur bhi ek se ek garam update aate rahenge।
 
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Kabhi kai baar mehnat karne par bhi fal nahi milta ,kabhi bina mehnat ke hi fal mil jata hai .karma ke masle me bina mehnat ke ek kafi mitha fal uski jholi me a gira, fal se jyada kachi kali kahe to jyada wajjib hoga , joh khane me mulayam bhi thi aur rasbhari bhi .
Bilkul sahi aur phal aisa ho to banda bas uska ras hi nikal ke choosta rahe,
Pratikriya ke liye dhanyawad sath bane rahein।
 
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आखिरी अपडेट में अपने देखा कैसे कर्मा और मां के बीच में चुंबन होती है और फिर मां कर्मा को इस बारे में बात न करने की कसम देकर चली जाती है ... अब आगे

अपडेट 8

मैं अगली सुबह जब सोकर उठा तो देखा 8 बज गए, मैंने सोचा आज तो देर तक सोता रहा, गांव में लोग जल्दी उठ जाते हैं सूरज निकलने से पहले ... मैं उठा और बाथरूम में घुस गया ताजा होकर बहार आया तो देखा पापा और अनुज चाय पी रहे थे मैं रसोई की तरफ बड़ा तो पापा बोले,
पापा- कर्मा इतना लेट तक कौन सोता है, जल्दी उठा कर थोड़ा, व्यायाम किया कर सेहत अच्छी रहेगी..

मैं- जी पापा कल से करुंगा
अनुज - पापा भैया कुजेडनहीं करने वाले, एक नंबर के आलसी हैं ये ... ही ही ही



मैं- अपना काम कर, माँ अपने नाली साफ करने वाले को घर में क्यों आने दिया बदबू आ रही है .....



ये सुनकर अनुज का मुह बन गया और पापा से बोला



अनुज-देखो पापा क्या बोल रहे हैं...



पापा हंसते हुए बोले- तुम दोनो ही पागल हो जैसे जैसे बढ़ते जा रहे हो और पागलपन बढ़ रहा है तुम्हारा ...



मैं रसोई में चला गया जहां मां खाना बना रही थी ... मैंने मां के मूड को चेक करने के लिए मजाक करना शुरू किया का कहीं रात वाली बात से मां में कोई चेंज तो नहीं आया...



मैं- बा मुलैजा होशियार, सल्तनत के महाराज खुद किचन में पधार चुके हैं .....उनकी शाही चाय किधर है पेश की जाए,



माँ मेरी बात सुनकर हंसने लगी और मुझे बिलकुल नॉर्मल लग रही थी मुझे ये देखकर और खुशी हुई...



माँ- महाराजा चुपचाप अपनी चाय उठाओ नहीं तो शाही थप्पड़ खा जाओगे..
मैं और मां हंसने लगे फिर मैंने बोला
मैं- अभी लेता हूं थोड़ा मां को प्यार तो करलें..

मैं ये देखना चाहता था क्या मां मुझे रोकेगी, कुछ चेंज आया है और नहीं? लेकिन मां ने कुछ नहीं बोला और मैंने उन साइड से गले लगा लिया और साड़ी के ऊपर से ही पेट पर हाथ फिराने लगा ....

मां ने फिर भी कुछ नहीं बोला और एक सेकंड के लिए मेरे कंधे पर सर को टीका दिया जैसा वो भी मेरा साथ दे रही हो गले लगने में लेकिन हाथ में आटा था इसलिय हाथ नहीं लगा सकतीं थी ... फिर मुझे मेरा लंड कडक होता हुआ महसूस हुआ मैं पीछे हट गया ... और मां के गाल को चूम लिया और फिर दूसरी तरह भी चूम लिया, मां मुस्कुरा रही थी फिर मैंने अपने गाल पर इशारा किया तो मां ने अपने रासीले होंठ मेरे गाल पर रख दिए, और फिर मैंने चेहरा घुमाया तो ऐसा ही उन्होंठों दूसरे गाल पर किया ... फिर मुझे शरारत सूझी तो मैंने अपने होंठ को भी आगे कर दिया ... मुझे लगा मां मुझे दांतेंगी लेकिन जैसा उन्होन मेरे गाल पर किया था वैसा ही अपने होंठों पर मेरे होंठों पर रखे और हटा लिए। मेरे बदन में फिर से करंट दौड़ गया .... लेकिन मां के चेहरे पर मुझे अभी भी कोई अलग भाव नहीं दिखे थे वो ही थे जो एक मां के अपने बेटे के लिए होते हैं मैं समझ नहीं पा रहा था मां के व्यवहार को। फिर सोचा बेटा वो तेरी माँ है...उसने तुझे जन्म दिया है इतनी आसान से नहीं समझेगा तू फिर माँ ने थोड़ा मुस्कुराया और बोली

मां- जा अब नाश्ता कर....
मैंने भी अपनी थाली उठाई और किचन से बाहर पापा और अनुज के पास जकर बैठा और नाश्ता करने लगा .... मैं बात से खुश था के रात की वजह से मां में कोई बदलाव नहीं आया है और उन्होंने अभी मेरे होंठों को चूमा है भी ... इसी खुशी खुशी में मैंने नाशता कर लिया ... तबी पापा बोल पड़े.



पापा- कर्मा आज तू मेंरे साथ चल आज बाग में और खेत पर बहुत काम है... तेरी गरमियों की छुट्टियां भी चल रही है तो मदद हो जाएगी...
मैं भी क्या बोलता मैंने भी हां में सर हिला दिया ... और फिर थोड़ी देर बाद पापा के साथ निकल गया ....
वहां पहुच कर हम लोग काम पर लग गए.. मैंने सोचा अच्छा हुआ मैं आ गया और सब पापा अकेले कैसे करते हैं ... तो काम करते करते दोपहर हो गई ... अनुज खाना लेकर आया ... मैंने और पापा ने खाना खाया फिर अनुज को पापा ने भेजा और हम काम में लगने वाले ही के राजन चाचा आ गए ...

राजन च- क्या बात है आज तो बाप बेटे बहुत मेहनत कर रहे हैं....
पापा ने मुस्कुराते हुए उनकी तरफ देखा और बोले
पापा- बाप के बाद बाप की हर चीज पर बेटा ही तो मेहनत करेगा तो अभी से क्यों नहीं...
मेरे मन में ये सुनकर मां का ख्याल आ गया और सोचा लगा मां भी तो पापा की हैं तो मुझे उन पर भी मेहनत करनी चाहिए .....
राजन छ- बिक्कुल भाईसाहब ये तो लाख रुपए की बात कहीं अपने.... चलो आप काम करो मुझे भी काम है...
पापा- क्या काम है परेशान लग रहा है...
राजन च- अरे भाईसाब वो हमारी छत से मिट्टी झड़ रही है चूहो ने दिवारो को खोद खोद कर खोखला बना दिया है तो उसी की मरम्मत करवा रहा था अब वो घनश्याम मिस्त्री बोल रहा है की कल तक ही सब हो पाएगा ठीक से... तो बच्चन के सोने की व्यवस्था कहां की जाए सोच रहा था ......
पापा- तू बड़ा बेवकूफ है, मेरा घर तेरा नहीं है जो तू सोच रहा था कहां जाए...
राजन च- हंसते हुए हैं भाई साब ... ही ही ... तुम सही कह रहे हैं अभी सबको घर भेज देता हूं ... मुझे तो रात को रुकना पड़ेगा के आदमी कोई सामना न उठा लें और भैंस भी है वो दो कहां परशान होंगे मेरे साथ .....
पापा- और क्या पागल था तू जब काम शुरू हुआ तब भी भेज दिया होता...
राजन च- हां भाई साब भेजता हूं अभी ... और ये तो और अच्छा हुआ ... करमा बेटा तू आज से ही पल्ली बिटिया को अंग्रेजी पढ़ना भी चालू कर देना ...



मैं तो सुनकर वैसा ही बहुत खुश था के चाची आज की रात हमारे साथ रुकने वाली है... मैने खुशी कहा...
मैं - जी चाचा .... आज ही पडढाऊंगा ..
पापा- अरे क्यों नहीं... ये बढ़ा है छोटो को पढाना इसका फ़र्ज़ बनता है...
फिर ये सुनकर और पापा को बोलकर राजन चाचा चले गए... मैं और पापा शाम तक काम करते रहे...
शाम को जब घर पहुंचे तो गेट पल्ली ने खोला .... और मजाक में बोली ...
पल्लवी- हां जी किससे काम है....
मैं भी उसके मजाक में साथ देने लगा...
मैं- जी मेम साब आपसे ही था आपका पार्सल आया था...
पल्लवी- सच्ची कहां है पार्सल लाओ दिखो मुझे....
मैंने अपना हाथ जब से निकला और ऐसे कुछ हो उसमे और फिर आगे बढ़ा कर उसके कान पर चपत मार दी ... और बोला



मैं- ये रहा आपका पार्सल ... आपके पार्सल में थप्पड़ था ....



पल्लवी हंसने लगी और बोली
पल्लवी-भैया आप भी ना बहुत खराब हैं....



फिर हम दोनो अंदर आए तो देखा मां और चाची बैठ कर बातें कर रही हैं... मुझे देखते ही चाची और फिर मां बोली आ गया तू पापा कहां है...



मैं- आ रहे हैं... भैंसों को बांधकर...



मां- चल बैठ तू... मैं चाय बनाती हूं तेरे लिए...
ममता च- हैं दीदी आप क्यूं बनाएंगे... ए पल्ली जरा सबके लिए चाय तो बना...

पल्ली- अभी लाई मां बनाकर....
और ये कहकर पल्ली किचन में चली गई अनुज हॉल में बैठा था ... मैंने चुपके से देखा तो वो बार बार किचन में देख कर मस्कुरा रहा था ... मैं समझ गया दोनो का कुछ तो चक्कर चल रहा है ... मैं मस्कुरा दीया और सोचा करने दो सबका हक है ......



फिर मैं वही मां और चाची के पास खाट पर लेट गया और उनसे बातें करने लगा ... इतने में पल्ली चाय लेकर आ गई ... सबको दी पापा भी आ गए थे तो भी पीने लगे ... फिर चाय खतम करके मैं फिर से लेट गया इस बार अपना सर मां के गोद में रख लिया ... और आज इतना काम किया था के थका होंने की वजह से मुझे मां की गोद में कब निंद आ गई पता ही नहीं चला ...



मुझे अचानक से एहसास हुआ के कोई मुझे हिला रहा है और कुछ आवाज दे रहा है ... फिर मेरी आंखें खुली तो देखा के पल्ली मेरे कंधे पकड कर मुझे हिला रही थी ... और बोल रही थी ...
पल्ली-उठो भैया चलो खाना खा लो बहुत सो लिए...
मैं: सोने दे ना
पल्ली- नहीं बिलकुल नहीं उठो अभी खाना खाओ और मुझे पढाना भी है तुम भूल गए।
और इतना कहकर उसे मेरा हाथ खिंचकर मुझे बिठा दिया ... मैं उठा मुंह धोकर आया हॉल में तो देखा पापा, अनुज और राजन चाचा खाना खा रहे हैं ...
राजन च- आज तो थका दिया तुझे तेरे पापा ने कर्मा जल्दी सो गया तबी...



पापा- अरे थकना तो था ही बहुत मेहनत की आज बेचारे ने सारे काम खुद ही किए मुझे तो हर काम में रोक देता था का लाओ पापा आप बैठो मैं करता हूं...



ममता च- है ही हमारा बच्चा इतना समझदार...इसको तो चांद जैसी बहू मिलेगी...
इसे सुंकर सब मस्कुराने लगे .... तो फिर मैंने भी मजाक करते हुए बोला हैं चाची लेकिन आपने तो शादी कर ली अब कहां से मिलेगी ....
ममता च- हट बदमाश अभी बताती हैं तुझे..
.ये कहते हुए मुझे सर पर मारा सब हंसने लगे और फिर मुझे खाना दिया और मैं भी खाने लगा ... और फिर मैंने मजाक करते हुए कहा ...
मैं- आज कुछ खास है क्या
माँ - क्यों क्या हुआ करना चाहते हो

मैं- फिर ये भिखारी को हमारे साथ खाना क्यों खिलाया जा रहा है....



अनुज मेरी बात समझ कर बोलने लगा... मां देखलो ना फिर से बोल रहे हैं....



सब हंसने लगे पल्ली तो बहुत हंस रही थी ... मैने बोला
में- मैंने तेरा नाम लिया अब तू खुद को ही समझौता है तो मैं क्या करूं?.



मां-हंसते हुए- चलो चलो अब लडना बंद और खाने पर ध्यान दो...
फिर सबने खाना खाया .... मां चाची और पल्ली ने भी .... राजन चाचा फिर घर चले गए वो वो सोने वाले थे ...



मां ने पल्ली और चाची को अपने से बगल वाला कमरा जो खली था वो दिया था ... मैंने सोचा अगर पल्ली चाची के साथ होगी तो मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा तो मुझे कुछ सोचना होगा ... इतने में पल्ली बोल पड़ी



पल्ली-भैया मुझे पढाना भी है तुम्हें



मुझे भी याद आ गया मैंने कुछ सोचते हुए कहा:



मैं- हां बिलकुल अभी पढ़ाऊंगा पर चाची जब तक मैं पल्ली को पढ़ाऊंगा तब तक आप मेरे कमरे में सो जाओगी..मेरे कमरे का बल्ब खराब है मैं यहां जिस कमरे में आप हो उसमे पढा दूंगा जब पढ़ाई खतम होगी तो आपको बुला दूंगा



माँ और तो बता देता बल्ब चेंज करा देती और तुम दोनो मेरे कमरे में पढ़ लो ना चाची को क्यूं परशान करते हो...



ममता च- अरे दीदी इसमे परशानी क्या और वैसे भी भाईसाब भी थेके होंगे उनको और आप आराम से सोना ... मैं सो जाऊंगी ...



माँ ने अनुज की तरफ देखा और बोला



अनुज-मां सोचना भी मत मुझे ये चिढाते रहेंगे और ना खुद उसे पढयेंगे न मुझे पढने देंगे ..



सब उसकी बात सुनकर मस्कुरा दिए फिर चाची ने बोला



ममता च- हैं कोई बात नहीं.. मैंसो जाऊंगी कर्मा के रे में तुम लड़ो मत दोनो



ये कहकर चाची हंसने लगी तो फिर मैं उठा अपने कमरे में गया और बल्ब को थोड़ा ढीला कर दिया जिससे वो चले न ताकी किसी को शक न हो..और फिर एक निक्कर और टीशर्ट पहन कर चाची के कमरे में फिर गया तो वो खाली था फिर माँ पापा के कमरे में जाकर देखा तो माँ पापा और चाची बातें कर रहे थे .... मैंने पूछा



मैं, - पल्ली कहाँ है



ममता च- यहीं तो थी शायद बाथरूम में होगी आती ही होगी....



मैं- ठीक है...



इतना कहकर उनके कमरे से निकला और देखा दो बाथरूम का गेट खुला है...



फिर मैंने अनुज का कमरा देखा तो भी खाली था मैंने सोचा कहां गया ये तो फिर मैं छत पर गया सीडीयो से झांक कर देखा तो चौक गया वैसा ही हो गया था जैसा मैंने सोचा था...



अनुज और पल्ली एक दूसरे के होंठ को चूस रहे थे और मैंने ध्यान से देखा तो अनुज टी-शर्ट के ऊपर से ही पल्ली के स्तन दबा रहा था..फिर अपने होंठ अलग करके अनुज पल्ली के पीछे जकर खड़ा हो गया और उसमें शर्ट से बूब्स निकाल कर दबाने लगा...











मुझे चांदनी रात में ये नजरा बड़ा कामूक लग रहा था ... देखते ही मेरा लंड तुरंत टाइट हो गया ... चांदनी में चमकते उसके बड़े स्तन बहुत रसीले लगे रहे थे पहली बार पल्ली को मैंने ऐसा देखा था सोचा ... ये भी चाची जैसी ही मस्त माल है हर चीज मे,

मैं अपने लंड को निकर के ऊपर से मसल रहा था मैंने भी सोच लिया आज छोटा भाई बेटी को मसल रहा है तो बड़ा भाई भी आज मां को छोद देगा ........ लेकिन मुझे उनके लिए डर भी था की किसी को शक हो जाएगा ये यहां ऐसे लगे रहेंगे तो मैं सीढ़ियों से नीचे आया और आवाज लगाई



मैं- पल्लल्लिइइइइइइइइ कहां है तू अगले ही मिनट में पल्ली नीचे आते हैं, थोड़ी थोड़ी सा हांफ रही थी थोड़ा डर भी था उसकी आंखों में ...



मैं- चल पढ़ने चल...



पल्ली- हां भइया चलो .....



फिर हम कमरे में आए तो पल्ली आगे झुक कर बिस्तर पर बैठा कर बिस्तर पर पढ़ी अपनी किताबे उठाने लगी मुझे उसके ऊपर उठ गई और उसकी मोटी जांघें दिखने लगी मेरा लंड और तंग हो गया। वो तो निक्कर ढीला था इसलिए ज़्यादा ज्यादा कुछ पता नहीं चला...









फिर पल्ली बिस्तर पर बैठ गई और मैं भी

फिर मेने उसे पढ़ाने लगा साथ ही बीच बीच में उसके टी शर्ट से झांकते हुए रसीले संतरों का भी आंखों ही आंखों से रस पी रहा था पता ही नही चला पल्ली कब इतनी बड़ी हो गई पढ़ते पढ़ाते डेढ़ घंटा हो गया तो ... थोड़ी देर बाद बोली...



पल्ली- भैया मैं टॉयलेट होकर आती हूं...



मैं- हां होकर आ...



फिर वो चली गई मैंने भी अपने लंड को थोड़ा हिला दुला कर एडजस्ट किया और लेट गया मैं भी सोच रहा था जल्दी से पढाई खतम हो और मैं चाची के साथ कुछ मज़े करुं ...

इंतज़ार करते हुए मैंने देखा के 5 मिनट से ज्यादा हो गए और पल्ली नहीं आई थी ... मैंने सोचा कहीं ये और अनुज फिर से तो नहीं शुरू हो गए और मैं कमरे के बाहर निकला तो आंगन में अंधेरा था लेकिन राइट साइड से थोड़ी रोशनी आ रही थी .. मां पापा के कमरे का जो बाथरूम था उससे मैंने देखा तो मुझे दिखा गेट थोड़ा सा खुला हुआ है और पल्ली वही खडी हुई है इसके आगे का मुझे नहीं दिख रहा था... तो जो देखा उसे देख कर मैं चौक गया पल्ली बाथरूम के दूसरे गेट से जो मां पापा के रूम में खुलता था उसके अंदर देख रही है ... उसके संतरी चूचे बाहर हैं और उसका हाथ उसकी चूत पर है .....









ये देख मेरा लंड तन गया और मैं उसके बड़े बड़े चुच्चों को देखता ही रह गया ... वैसे तो मैं सारा मामला समझ गया के पल्ली यहां वॉशरूम में आई होगी और यहां मां पापा की आवाज सुन ली होगी और उनकी कामलीला देखकर ये गरम हो गई है वैसे भी छत पर भी ये गरम होकर आई थी .... मैं बाथरूम के अंदर घुसा और गेट बन्द कर लिया पल्ली अभी भी बसुध सी अंदरर देखे जा रही थी उसे ये पता ही नहीं था के मैं उसके पीछे बाथरूम में हूं। मैं उसके पीछे खड़ा हो गया और एक बार नज़र उठा कर मैंने भी माँ पापा के कमरे के अंदर देखा तो क्या नज़रा था





मां और पापा 69 पोजीशन में ... मां की गांड हमारी तरफ थी। मां ने बस एक ब्रा पहन राखी थी लेकिन उनकी बड़ी बड़ी चूचियां उसके बाहर ही थीं और पापा भी बिलकुल नंगे थे .. बड़े बड़े तरबूजो के बीच पापा अपनी जीब घुसा रहे थे। . माँ भी अपनी गांड घुमा घुमा कर अपनी चूत चटवा रही थी ... उधार माँ मम्ममहम्मम करके अपना मुह पापा के लंड पर ऊपर नीचे कर रही थी .. पूरे चाव से चूस रही थी अपने पति के लंड को...

ये देख कर मेरा लंड फटने को हो रहा था और उसका दर्द मुझसे सहन नहीं हुआ और मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया ... और फिर अपने हाथ पल्ली की कमर पर रख दिए मेरे हाथ लगते ही उसे पलट कर देखा और मुझे देख थोड़ा डर गई मुझे लगा के ये चिल्लाने वाली है और जैसे ही उसने अपना मुंह खोला और मैंने अपने होंठों उसके होंठों पर रख दिए और उसकी चीख बंद कर दी और फिर धीरे धीरे उसके होंठों को चूसने लगा ... पहले तो वो थोड़ा झटपटाई पर वो इतनी गरम थी के अगले ही मिनट में मेरा साथ देने लगी और मेरे साथ में मेरे होंठों को चूसने लगी ..



मैं उसके रसीले होंठों को चूसते हुए अपना हाथ उसी पूरी नंगी कमर पर फिराने लगा और उसके पेट को ममसने लगा और उसकी नाभी को छेड़ने लगा वो और गरम हो गई ... वो थोड़ा और पीछे हो गई उसके शरीर मुझसे चिपक गया, मेरा नंगा लंड उसकी गांड से चिपक गया जिसे उसे भी महसूस किया और मैं अपनी कमर हिलाकर लंड को उसकी गांड पर घिसने लगा, वो बहुत गरम हो गई थी।

मैं भी ऐसे मौके को जाने नहीं देना चाहता था मैंने अपने होंठों को उसके होंठो से हटाया और उसकी गर्दन को चूमने लगा उसका चेहरा फिर सेआगे आ गया और कमरे की अंदर हो गया ... वो माँ पापा को देखने लगी मैंने देखा तो अपनी पोजिशन चेंज कर ली थी



अब पापा मां की एक तरफ लेटकर उनकी चूत में अपना लंड पेल रहे थे ... मुझे मां की चूत में उनका लंड आता जाता हुआ साफ दिख रहा था ... मां के मुंह से अअह्ह्ह्ह अअह्ह्ह्ह्ह की आवाज आ रही थी और पापा को और तेज़ चोदने को बोल रही थी ... पापा उनकी गर्दन पर चूम रहे थे .... और सत्तासात चूत में लंड पेले जा रहे थे ... मेरा लंड तो जैसे पत्थर का हो गया था और पल्ली की गांड पर ठोकरे मार रहा था जैसा कपड़ो को चीरकर कर घुस जाएगा अभी अंदरर ... मैंने भी कमर से हाथ ऊपर करके उसके स्तन पर ले गया और उसकी टी-शर्ट को उठाकर स्तन बहार निकल लिए और उन्हे दबाने लगा वो भी अपनी सिसकियो को दबाती हुई मां पापा की चुदाई देखे जा रही थी और अपने चुचियां दबाने दे रही थी .... क्या मस्त चुचियां थी उसकी जवानी से भरी हुई और बड़ी बड़ी जैसे उनमें गरम और नरम माखन भरा गया हो .... मेरे लंड की हलत बहुत खराब थी मैंने सोचा ये ही सही मौका है अभी मुझे कुछ न कुछ तो करना चाहए मैंने ..



मैंने अपनी कमर पीछे करके ... पल्ली की स्कर्ट को उसके ऊपर उठा दिया ... उसके पैंटी में कसे हुए चुतड़ मेरे सामने आ गए .... जिन्हे देख कर मैं पागल हो गया और फिर से अपना लंड उसकी गांड की दरार में फसाकर आगे पीछे करने लगा मुझे बहुत मजा एक रहा था ... पल्ली भी अपनी गांड ऊपर नीचे करके मेरे लंड पर अपने चूतड़ों को घस रही थी ... घिसने के बाद मैं पीछे हट गया और पल्ली को थोड़ा आगे की तरफ झुकने के लिए पीछे से धक्का दिया उसने अपने हाथ गेट की वगल वाली दीवार पर टीका लिए मैं उसके पीछे घुटनो के बल बैठ गया और उसके मस्त चूतड़ों को चूमने लगाचाटने लगा। .उसकी पैंटी के ऊपर से किस कर रहा था ... उसकी काले रंग की पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी ... मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत वाली जगह पर अपनी जीभ फिराई... तो पल्लवी झटपटाने लगी ...

ऐसा कई बार किआ और पल्ली का रिएक्शन हर बार वही था मैंने फिर उसकी पैंटी को साइड किया और उसे छू कर देखा क्या चूत थी उसे मस्त ... होंठ आप में मिले हुए थे ... पूरी गीली होकर रस बहा रही थी ... मेरे मुह में पानी आ गया और मैंने अपनी जीभ उसके चूत पर रख दी और और ऊपर नीचे करते हुए चाटने लगा वो तो पागल हुए जा रही थी ऐसा लग रहा था वो कभी भी गिर जाएगी उसकी टांगे कांप रहीं थी ... फिर मैं अपनी जीभ पूरा ऊपर नीचे फिराने लगा जिससे मेरी जीभ उसकी गांद के छेद से भी टच होंकर आ रही पल्ली अपनी चुचियों को अपने हाथों से मसल रही थी मैं उसकी चूत और गांड को चाटे जा रहा था









फिर मैंने एक दो मिनट और चूत चट्टी और फिर खड़ा हो गया और अब मैं बहुत उत्साहित हो गया था सही गलत से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ना था अब मैंने झट से अपना हाथ आगे बढ़कर उसकी टी शर्ट को उतर दिया वो ऊपर से नंगी हो गई और मैंने भी अपनी टी शर्ट निकल दी और उसकी पीठ से चिपक गया और उसके बड़ी चुच्चिया दबाने लगा





वो बस आआह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह भैया कर रही थी बहुत धीरे से मैंने एक हाथ नीचे लेजाकर अपना निक्कर निकल दिया और उसकी पैंटी की साइड में हाथ दाल कर उसे भी नीचे की सरका दिया वो अब भी मां और पापा को देखे जा रही थी। मैंने भी कमरे के अंदर झंका तो देखा के मां पापा अब भी चुदई कर रहे हैं वो भी ज़ोरों से बस पोजीशन चेंज थी...



पापा मां को घोड़ी बना कर चोद रहे थे .... मां के मुह से आआ आआह की सिसकारी निकल रही थी ... पापा के झटके बहुत तगड़े थे ... मां के चूचे लटके हुए झटके खा रहे है जिन्हे ... देखते ही मेरे लंड में भी जैसा खून उतर आया हो ... वो दर्द करने लगा .... मैंने भी सोचा के अब बरदस्त नहीं हो रहा फिर क्या मैं तो पूरा नंगा था ही पल्ली के कामुक बदन पर भी बस एक स्कर्ट थी। मैंने देर ना करते हुए अपने हाथ पर थूक लगाकर लंड के सिरे पर लगाया और अपने लंड को पकडा और पल्ली की गांड की दरार में ऊपर से लेके नीचे तक घिसा पल्ली भी अपनी गांड हिला रही थी फिर मैंने देखा की पल्ली का ध्यान अबभी मां पापा की चुदाई पर है तो मैंने एक हाथ से उसे चूतड़ों को पकड़ा और एक हाथ में लंड लेकर उसकी जवान चूत के होंथो पर रखा और एक कटारा झटका लगा दिया ... जिससे मेरे लंड का टोपा पुछ्छ से उसकी चूत के अंदर। ... पल्ली की तो जैसी आंखें बहार आने को हो गई .... मैंने झट से हाथ उसके मुह पर रख लिया और उसे चीखने से रोका ... मेरा लंड का टोपा चूत के अंदर था ... उसकी चूत बेहद तंग थी लेकिन मुझे एक चीज का एहसास हुआ की सील टूटी हुई थी ... मैंने सोचा के ये तो पहले भी चुद चुकी है ... मैंने सोचा ये सब बाद में सोचूंगा अभी लंड और चूत पर ध्यान देता हूं ..... पल्ली बुरी तरह दर्द से झटपटा रही थी अगर मैंने उसे पकडा हुआ न होता तो वो गिर चूकी होती मैं उसे शांत करने के लिए उसकी चुचियों को थोड़ा थोड़ा दबाने लगा थोड़ी देर बाद उसका थोड़ा दर्द शांत हुआ तो उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया जो के उसके चुचे पर था शायद ये बताने के लिए वो तय्यार है आगे लेने के लिए लेकिन मैंने उसके मुह से हाथ नहीं हटा दिया था मुझे पता था मेरा लंड काफ़ी बड़ा है और मोटा है भी अभी तक तो बस टोपा ही और गया है .... मैंने धीरे से झटका मारा तो दो इंच और अंदर चला गया ... मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसा मेरा लंड किसी भट्टी में है जो उसे निचोड रही है.. लंड और अंदर जाते ही पल्ली ने मेरा हाथ फिर से पकड कर दबा दिया



मैं एक मिनट के लिए और रुक गया लेकिन अब मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था ... अगली बार पल्ली जैसे ही तैयार हुई मैंने जोर का झटका दीया और मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों को चीरता हुआ पूरा उसकी कसी हुई रसीली चूत में गच्च से समा गया । मुझे अलग ही सुख का आनंद मिल रहा था जो एक बिलकुल टाइट चूट में लंड डालने से मिलता है... पल्ली की तो गांड ही फट गई थी इतना बड़ा लंड लेकर ... वो बहुत तेज सांस ले रही थी ... बस भैया भइया कह कर फुसफुसा रही थी ... मेरा लंड उसकी चूत में था औरर वो मुझे भैया कह रही थी ये सुनकर मुझे अच्छा लग रहा था शायद रिश्तों में चुदाई का ये ही मजा होता है... ... खैर चुच्चे मसलते हुऐ पल्ली एक बार फिर से थोड़ा ठीक हुई तो मैंने भी धीरे से लंड बहार खिंचा और फिर अंदर कर दिया पल्लवी की हम भैया आआह करके एक और आह निकली ... मैं पल्ली को धीरे धीरे धीरे से चोदने लगा।

मुझे बड़ा मजा आ रहा था और अब पल्ली भी आह आह्ह्ह करके चुदाई का मजा ले रही थी .... मुझे उसकी चूत में लंड डालके बहुत अच्छा लगा रहा था ... उसकी चूत में ऐसा लग रहा था जैसा मेरा लंड किसी गरम मखन की पोटली में है .... मैं अपनी कमर आगे पीछे करके चूत में लंड सट्टा सट पेल रहा था ... पल्ली भी अब बहुत मजे लेकर अपनी कमर आगे पीछे करके चूदवा रही थी ... और एक बड़े और मोटे लंड से चुडवाने का। जो मजा है वो ले रही थी .... पर अब मेरा मन उसे अच्छा से तेज तेज चोदने का था ... जो की यहां मुमकिन नहीं था मैंने पल्ली के कान में कहा चलो अपने कमरे में चलते हैं ... उसे भी हां में सर हिला दिया ... मैंने लंड छुट में डाले डाले ही हम दोनो के कपड़ो को उठाया और पल्ली के हाथों में पक्डा दिया और फिर उसे कमर को पकड़ कर अपने लंड पर तांग सा लिया उसे दोनो पैर हवा में थे ... .मैं उसकी चूत से लंड नहीं निकलना चाहता था मुझे पता था इतनी मुश्किल से घुसा है अभी निकलना फिर से तकलीफ देगा ... मैंने उसे आगे कर के उठाया किया और अपने कमरे की तरफ बढ़ने से पहले एक नजर मां पापा के कमरे में डाली तो देखा वहा तूफान थम चूका था लेकिन जो नजारा था वो अब भी जानलेवा था


मां लेटी हुई थी और पापा का लंड उनके हाथ में था ... मां के पूरे चेहरे पर पापा के लंड का रस बिखरा हुआ था ... मां इस रूप में एक सेक्स की देवी लग रही थी .. इतना कामुक नजारा देख कर मेरे लंड ने ऐसा लगा कुछ बून्दे पल्ली की चूत में अपने रस की छोड दी ... माँ उसके लंड को जीब से चटकर साफ कर रही थी मैंने भी वहा और रुकना ठीक ना समझ और बाथरूम से पल्लवी को उठाकर निकला ... .मेरे हर कदम के साथ पल्लवी मेरे लंड पर ऊपर नीचे होती और हम दोनो की ही एक आह निकल।जाती ... फिर ऐसे ही मजे लेते हुए हम पहुंच गए दोनो पल्ली और चाची के कमरे में पहुचे जहान में मैं उसे पढ़ा रहा था और फिर मैंने गेट बन्द किआ और बेड के सहारा झुकाके उसे तेज और ज़ोरदार झटको के साथ चोदने लगा ... पल्ली भी सिस्किया ले कर बोल रही थी हां चोदो भैया और तेज चोदोडो .. जैसे ताऊ जी अभी ताई जी को चोद दिया। ..आआह्ह्ह्ह मजा आ गया भइया तुम्हारा वो तो बहुत बड़ा है .... मेरी तो फाड़ के रख दी ... आह्ह्ह्ह्ह ... मुझे उसकी बातें सुनकर और तेज जोश आ गया और मैं उसे. बुरी तरह चोदने लगा और फिर ऐसे ही दो चार मिनट चुदने का बाद पल्ली की पूरी बॉडी अकड़ गई और वो मेरे लंड पर झड़ गई ... उसकी.चूत को देखा तो उसके होंठों खुले हुए थे ... ऐसा लग रहा था जैसे इसमे किसी ने कोई डंडा घुसा है पर मेरा काम अभी नहीं हुआ था ...
मैं झुक कर फिर से उसकी चूत वैसे ही चाटने लगा और चाटते हुए मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा ... 5 मिनट ऐसे चूत चटवाने के बाद वो फिर से गरम हो गई .... मैंने उसे घुमा लिया अब वो बिस्तर पर झुक कर बैठी थी मेरी तरफ मुह करके और मैं बिस्तर के किनारे पर खड़ा था .... वो मेरी तरह देख रही थी .. जैसे पूछ रही हो का क्या करना है अब मैंने उसके बालो में हाथ फेरा और अपने लंड जी तरफ हाथ करके बोला



मैं- पल्ली इसे प्यार करना...



पल्ली- भैया मैं वो..



वो इतना ही बोल पाई के मैंने उसके होठों से अपना लंड टच कर दिया ... उसकी जीवन अपने आप निकल आई और वो मेरे लंड को चाटने लगी .... कभी तोपे को तो कभी पूरे लंड पर जीभ फिरती ... अब मैंने उस लंड को मुह में लेने को बोला तो उसने कोशिश की लेकिन लंड मुह में घुस ही नहीं पा रहा था ... फिर एक और उसने लंड को चाटा और दोबारा से मुह बड़ा सा खोल कर लंड के टोपे को अपने मुह में घूस लिया। .... आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या मजेदार आनंद था ये ... उसके छोटे से मुंह में मेरा लंड देकर मैं तो धन्या हो गया था..वो अब थोड़ा आगे पीछे अपना चेहरा हिला कर लंड को चूस रही थी ... ऐसा लगा ही नहीं रहा था के वो ये सब पहली बार कर रही होगी ... मैंने सोचा ये अपनी मां से भी आगे निकलेगी .... वो मेरा लंड शिद्दत से चूस रही थी

ऐसे ही कुछ डर लंड चुसाने के बाद मुझे लगा कहीं मैं झड़ न जौन इस्लिये उसे रोका और अपना लंड उसके मुह से बाहर निकला और झुक कर उसके चुचे चूसने लगा आह्ह्ह मलाई दार चुचियों से मलाई मेरे मुंह में घुल रही थी ऐसे से कुछ... एक को मसलता और दूसरे को चूसता ऐसे ही अगले 10 मिनट तक उनसे खेलता रहा ... फिर थोरा और नीच झुक कर उसके पेट पर पर किस करना लगा उसे चाटने लगा वो मेरे बालो में हाथ फेर रही थी उसके पेट की त्वचा बहुत मुलायम थी जैसे रेशम हो ... मैं उसे कभी चाटता तो कभी मसलता... फिर उसकी नाभि में जीभ डालकर उसे चाटने लगा वो आह्ह्ह भैया करने लगी ... ऐसे ही थोड़ी देर तक चैटने के बाद मैं बिस्तर पर बैठा और वो मेरी तराफ पीठ करके मेरी गोद में बैठने लगी उसने अपने हाथों से मेरे लंड को सीधा खड़ा किया और अपनी चूत के द्वार से भीड़ा दीया और थोड़ी सी नीचे हो गई..जिससे मेरे लंड का टोपा एक बार फिर से उसकी चूत में था ... उसके मुह से आह मां मार डाला निकल गया .... मैं मां सुनते ही सोचने लगा और बोला... तेरी मां भी चुदेगी इसी लंड से तू बस देखती जा ... फिर मैंने अपने हाथ उसे कमर पर रख लिया और नीचे की तरफ दबाया और अपनी गांड उठा कर नीचे से लंड पल दिया उसकी चूत में ... एक बार फिर से मेरा लंड पल्लवी की चूत में था ...



पल्लवी - आह्ह्ह्ह्ह भैया तुम्हारा तो बहुत बड़ा है ... पता नहीं कैसे चला गया ये मेरी छोटी सी चूतट में .. और ये कहते हुए वो अपनी गांद गोल गोल घुमने लगी बैठा बैठा ही बड़ा मजा आ रहा था..



मैं- बेटा ये ही तो बात होती है चूत की.. लंड चाहे कितना भी बड़ा क्यों ना हो चूत ले ही लेति है पूरा ....







पल्ली- आह भैया मजा आ रहा है छोड़ो .... चोद चोद के अपनी बहन की चूत फड़ दो ... हाय क्या लंड है भइया आपका ... आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ... भैया मुझे अब हमेशा चोदना .. जहान जैसे बोलोगे ... आह्ह्ह आह्ह्ह चुद जाउंगी बस मुझे ये लंड चाहिए अपनी चूत में ....



मैं- ये ली अपनी चुदासी चूत में ... खा जा मेरा पूरा लंड .... हां बेटा तुझे मैं हमेशा चोदूंगा अब तेरी। जैसी चूत को कहां भूल पाएगा मेरा लोडा ... हां हन्नन ... ऐसे ही जोरदार चुदाई चल रही थी ... थाप थाप की आवाज आ रही थी कमरे में ... फिर पल्ली इज पोजीशन में उछल उछल कर थक गई .... अब मैंने बिस्तर पर लिटाया और उसके पैरों के बीच आ गया और एक तांग अपने कांधे पर रखली और एक ही झटके में फिर से लंड उसकी चूत में घुसा दिया ... और अपनी कमर हिला कर ज़ोर से चोदने लगा।



वो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भैया आह्ह्ह्ह्ह्ह भैयाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआहं बोलरही थी मैं आगे झुका और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए ... उसके बाद मैं उसके चूचे को मुह में लेकर चूसने लगा और तबद तोड़ चोदे जा रहा था उसकी चूत को ... अब मेरा भी लंड झड़ने को तयार था .... बुरी तारिके से मैं उसकी चूत का कचुमर बनाए जा रहा था और वो आह्ह्ह्ह्ह्ह हाय भइया .... हाय भैया चोदो बोले जा रही थी ....



और चोदते चोदते मैं बहुत तेज हो गया जिससे पल्ली भी एक बार फिर मेरे लंड के झटको को सह नहीं पाई और दोबारा झड़ गई ...मैं भी चाहते हुए भी अब और खुद को रोक नहीं पाया और जैसे ही मुझे मेरा रस लंड के टोपे की ओर दौड़ता हुआ महसूस हुआ मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और आगे जकर उसके मुह में डाल दियार सारा रस उसके मुह में उगल दिया ... मेरे लंड से इतना रस निकला के उसे पूरा मुह भर गया जितना वो पी सकती थी उसने पिया ... और कुछ बह कर बाहर उसकी चुचियों पर भी गिर गया ... फिर मेरा लंड सिकुडन लगा उसे अपने मुह में लाया पूरा लंड चाट चाट कर साफ किया ... बड़ी कामुक लग रही थी वो है पूरे चेहरे पर और चुच्चियो पर मेरा पानी था ... बड़े हाय सिंपल भाव से उसने पूछा



पल्लवी- भैया फिर कब चोदोगे?



मैं उसके तो सावल से हैरान हो गया ... लेकिन फिर मुझे हसी भी आई की कितनी आसानी से इसने ये पूछच लिया ... मैंने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा और बोला अपनी चूत को देख ...



उसके अपने चूत की तरफ देखा वो सूज सी गई थी छेद से भी खुला बुआ था मैंने बोला जैसे ही ये ठीक हो जाएगा मैं लूँड पेल दूंगा ये सुनकर वोहंसने लगी मैंने भी हंसते हुए अपने कपड़े पहने उसने गंदे कपड़े से पोंछ कर खुद को साफ किया और जो रस उसके बदन पर लगा हुआ था उसने अपनी चुच्छियो से और जो मुह पर लगा था उनग्लियों से इकट्ठा करके चाट गई ... और बोली ....



पल्लवी- भैया आपके पानी का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगा...



मैं- अब तो बहुत मिलेगा तुझे ये पीने को ... मेरी रानी .... ये सुनकर वो हंसने लगी और मैंने बोला के तू सो जा मैं जाता हूं .. चाची ना आए तो तू टटेंशन मत लिओ ... मैं उनहे जगाऊंगा नहीं क्योंकि यहां आई तो यहां की खुशबू से उन्हे शक हो सकता है वो बोली



पल्लवी- ठीक है भैया



और अपनी स्कर्ट और पैंटी पहन ली ... इस्के बाद मैंने उसके होंठों को चूमा थोड़ी देर हम एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे फिर मैं कमरे से निकल गया ...

आगे की कहानी उगाली अपडेट में .... आप लोग कृप्या प्रतिक्रिया देते रहें और पढ़ते रहें ... धन्यवाद
Ab kehne ya likhne ke liye kuch bacha hi nahi.. jaisi ma waisi beti.. jaisi mamta waisi hi uski beti pallavi.. aur wo hawasi karma haramkhor to tha hi, baaki rahi sahi kasar uska najayaj bhai anuj puri karne ke phirak mein hai..
Btw inlogo ko hazar gaaliyaan dun par koi fark na pade in kirdaaro ko..

shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan aur sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi...
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :yourock: :yourock:
 
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आखिरी अपडेट में अपने देखा कैसे कर्मा और मां के बीच में चुंबन होती है और फिर मां कर्मा को इस बारे में बात न करने की कसम देकर चली जाती है ... अब आगे

अपडेट 8

मैं अगली सुबह जब सोकर उठा तो देखा 8 बज गए, मैंने सोचा आज तो देर तक सोता रहा, गांव में लोग जल्दी उठ जाते हैं सूरज निकलने से पहले ... मैं उठा और बाथरूम में घुस गया ताजा होकर बहार आया तो देखा पापा और अनुज चाय पी रहे थे मैं रसोई की तरफ बड़ा तो पापा बोले,
पापा- कर्मा इतना लेट तक कौन सोता है, जल्दी उठा कर थोड़ा, व्यायाम किया कर सेहत अच्छी रहेगी..

मैं- जी पापा कल से करुंगा
अनुज - पापा भैया कुजेडनहीं करने वाले, एक नंबर के आलसी हैं ये ... ही ही ही



मैं- अपना काम कर, माँ अपने नाली साफ करने वाले को घर में क्यों आने दिया बदबू आ रही है .....



ये सुनकर अनुज का मुह बन गया और पापा से बोला



अनुज-देखो पापा क्या बोल रहे हैं...



पापा हंसते हुए बोले- तुम दोनो ही पागल हो जैसे जैसे बढ़ते जा रहे हो और पागलपन बढ़ रहा है तुम्हारा ...



मैं रसोई में चला गया जहां मां खाना बना रही थी ... मैंने मां के मूड को चेक करने के लिए मजाक करना शुरू किया का कहीं रात वाली बात से मां में कोई चेंज तो नहीं आया...



मैं- बा मुलैजा होशियार, सल्तनत के महाराज खुद किचन में पधार चुके हैं .....उनकी शाही चाय किधर है पेश की जाए,



माँ मेरी बात सुनकर हंसने लगी और मुझे बिलकुल नॉर्मल लग रही थी मुझे ये देखकर और खुशी हुई...



माँ- महाराजा चुपचाप अपनी चाय उठाओ नहीं तो शाही थप्पड़ खा जाओगे..
मैं और मां हंसने लगे फिर मैंने बोला
मैं- अभी लेता हूं थोड़ा मां को प्यार तो करलें..

मैं ये देखना चाहता था क्या मां मुझे रोकेगी, कुछ चेंज आया है और नहीं? लेकिन मां ने कुछ नहीं बोला और मैंने उन साइड से गले लगा लिया और साड़ी के ऊपर से ही पेट पर हाथ फिराने लगा ....

मां ने फिर भी कुछ नहीं बोला और एक सेकंड के लिए मेरे कंधे पर सर को टीका दिया जैसा वो भी मेरा साथ दे रही हो गले लगने में लेकिन हाथ में आटा था इसलिय हाथ नहीं लगा सकतीं थी ... फिर मुझे मेरा लंड कडक होता हुआ महसूस हुआ मैं पीछे हट गया ... और मां के गाल को चूम लिया और फिर दूसरी तरह भी चूम लिया, मां मुस्कुरा रही थी फिर मैंने अपने गाल पर इशारा किया तो मां ने अपने रासीले होंठ मेरे गाल पर रख दिए, और फिर मैंने चेहरा घुमाया तो ऐसा ही उन्होंठों दूसरे गाल पर किया ... फिर मुझे शरारत सूझी तो मैंने अपने होंठ को भी आगे कर दिया ... मुझे लगा मां मुझे दांतेंगी लेकिन जैसा उन्होन मेरे गाल पर किया था वैसा ही अपने होंठों पर मेरे होंठों पर रखे और हटा लिए। मेरे बदन में फिर से करंट दौड़ गया .... लेकिन मां के चेहरे पर मुझे अभी भी कोई अलग भाव नहीं दिखे थे वो ही थे जो एक मां के अपने बेटे के लिए होते हैं मैं समझ नहीं पा रहा था मां के व्यवहार को। फिर सोचा बेटा वो तेरी माँ है...उसने तुझे जन्म दिया है इतनी आसान से नहीं समझेगा तू फिर माँ ने थोड़ा मुस्कुराया और बोली

मां- जा अब नाश्ता कर....
मैंने भी अपनी थाली उठाई और किचन से बाहर पापा और अनुज के पास जकर बैठा और नाश्ता करने लगा .... मैं बात से खुश था के रात की वजह से मां में कोई बदलाव नहीं आया है और उन्होंने अभी मेरे होंठों को चूमा है भी ... इसी खुशी खुशी में मैंने नाशता कर लिया ... तबी पापा बोल पड़े.



पापा- कर्मा आज तू मेंरे साथ चल आज बाग में और खेत पर बहुत काम है... तेरी गरमियों की छुट्टियां भी चल रही है तो मदद हो जाएगी...
मैं भी क्या बोलता मैंने भी हां में सर हिला दिया ... और फिर थोड़ी देर बाद पापा के साथ निकल गया ....
वहां पहुच कर हम लोग काम पर लग गए.. मैंने सोचा अच्छा हुआ मैं आ गया और सब पापा अकेले कैसे करते हैं ... तो काम करते करते दोपहर हो गई ... अनुज खाना लेकर आया ... मैंने और पापा ने खाना खाया फिर अनुज को पापा ने भेजा और हम काम में लगने वाले ही के राजन चाचा आ गए ...

राजन च- क्या बात है आज तो बाप बेटे बहुत मेहनत कर रहे हैं....
पापा ने मुस्कुराते हुए उनकी तरफ देखा और बोले
पापा- बाप के बाद बाप की हर चीज पर बेटा ही तो मेहनत करेगा तो अभी से क्यों नहीं...
मेरे मन में ये सुनकर मां का ख्याल आ गया और सोचा लगा मां भी तो पापा की हैं तो मुझे उन पर भी मेहनत करनी चाहिए .....
राजन छ- बिक्कुल भाईसाहब ये तो लाख रुपए की बात कहीं अपने.... चलो आप काम करो मुझे भी काम है...
पापा- क्या काम है परेशान लग रहा है...
राजन च- अरे भाईसाब वो हमारी छत से मिट्टी झड़ रही है चूहो ने दिवारो को खोद खोद कर खोखला बना दिया है तो उसी की मरम्मत करवा रहा था अब वो घनश्याम मिस्त्री बोल रहा है की कल तक ही सब हो पाएगा ठीक से... तो बच्चन के सोने की व्यवस्था कहां की जाए सोच रहा था ......
पापा- तू बड़ा बेवकूफ है, मेरा घर तेरा नहीं है जो तू सोच रहा था कहां जाए...
राजन च- हंसते हुए हैं भाई साब ... ही ही ... तुम सही कह रहे हैं अभी सबको घर भेज देता हूं ... मुझे तो रात को रुकना पड़ेगा के आदमी कोई सामना न उठा लें और भैंस भी है वो दो कहां परशान होंगे मेरे साथ .....
पापा- और क्या पागल था तू जब काम शुरू हुआ तब भी भेज दिया होता...
राजन च- हां भाई साब भेजता हूं अभी ... और ये तो और अच्छा हुआ ... करमा बेटा तू आज से ही पल्ली बिटिया को अंग्रेजी पढ़ना भी चालू कर देना ...



मैं तो सुनकर वैसा ही बहुत खुश था के चाची आज की रात हमारे साथ रुकने वाली है... मैने खुशी कहा...
मैं - जी चाचा .... आज ही पडढाऊंगा ..
पापा- अरे क्यों नहीं... ये बढ़ा है छोटो को पढाना इसका फ़र्ज़ बनता है...
फिर ये सुनकर और पापा को बोलकर राजन चाचा चले गए... मैं और पापा शाम तक काम करते रहे...
शाम को जब घर पहुंचे तो गेट पल्ली ने खोला .... और मजाक में बोली ...
पल्लवी- हां जी किससे काम है....
मैं भी उसके मजाक में साथ देने लगा...
मैं- जी मेम साब आपसे ही था आपका पार्सल आया था...
पल्लवी- सच्ची कहां है पार्सल लाओ दिखो मुझे....
मैंने अपना हाथ जब से निकला और ऐसे कुछ हो उसमे और फिर आगे बढ़ा कर उसके कान पर चपत मार दी ... और बोला



मैं- ये रहा आपका पार्सल ... आपके पार्सल में थप्पड़ था ....



पल्लवी हंसने लगी और बोली
पल्लवी-भैया आप भी ना बहुत खराब हैं....



फिर हम दोनो अंदर आए तो देखा मां और चाची बैठ कर बातें कर रही हैं... मुझे देखते ही चाची और फिर मां बोली आ गया तू पापा कहां है...



मैं- आ रहे हैं... भैंसों को बांधकर...



मां- चल बैठ तू... मैं चाय बनाती हूं तेरे लिए...
ममता च- हैं दीदी आप क्यूं बनाएंगे... ए पल्ली जरा सबके लिए चाय तो बना...

पल्ली- अभी लाई मां बनाकर....
और ये कहकर पल्ली किचन में चली गई अनुज हॉल में बैठा था ... मैंने चुपके से देखा तो वो बार बार किचन में देख कर मस्कुरा रहा था ... मैं समझ गया दोनो का कुछ तो चक्कर चल रहा है ... मैं मस्कुरा दीया और सोचा करने दो सबका हक है ......



फिर मैं वही मां और चाची के पास खाट पर लेट गया और उनसे बातें करने लगा ... इतने में पल्ली चाय लेकर आ गई ... सबको दी पापा भी आ गए थे तो भी पीने लगे ... फिर चाय खतम करके मैं फिर से लेट गया इस बार अपना सर मां के गोद में रख लिया ... और आज इतना काम किया था के थका होंने की वजह से मुझे मां की गोद में कब निंद आ गई पता ही नहीं चला ...



मुझे अचानक से एहसास हुआ के कोई मुझे हिला रहा है और कुछ आवाज दे रहा है ... फिर मेरी आंखें खुली तो देखा के पल्ली मेरे कंधे पकड कर मुझे हिला रही थी ... और बोल रही थी ...
पल्ली-उठो भैया चलो खाना खा लो बहुत सो लिए...
मैं: सोने दे ना
पल्ली- नहीं बिलकुल नहीं उठो अभी खाना खाओ और मुझे पढाना भी है तुम भूल गए।
और इतना कहकर उसे मेरा हाथ खिंचकर मुझे बिठा दिया ... मैं उठा मुंह धोकर आया हॉल में तो देखा पापा, अनुज और राजन चाचा खाना खा रहे हैं ...
राजन च- आज तो थका दिया तुझे तेरे पापा ने कर्मा जल्दी सो गया तबी...



पापा- अरे थकना तो था ही बहुत मेहनत की आज बेचारे ने सारे काम खुद ही किए मुझे तो हर काम में रोक देता था का लाओ पापा आप बैठो मैं करता हूं...



ममता च- है ही हमारा बच्चा इतना समझदार...इसको तो चांद जैसी बहू मिलेगी...
इसे सुंकर सब मस्कुराने लगे .... तो फिर मैंने भी मजाक करते हुए बोला हैं चाची लेकिन आपने तो शादी कर ली अब कहां से मिलेगी ....
ममता च- हट बदमाश अभी बताती हैं तुझे..
.ये कहते हुए मुझे सर पर मारा सब हंसने लगे और फिर मुझे खाना दिया और मैं भी खाने लगा ... और फिर मैंने मजाक करते हुए कहा ...
मैं- आज कुछ खास है क्या
माँ - क्यों क्या हुआ करना चाहते हो

मैं- फिर ये भिखारी को हमारे साथ खाना क्यों खिलाया जा रहा है....



अनुज मेरी बात समझ कर बोलने लगा... मां देखलो ना फिर से बोल रहे हैं....



सब हंसने लगे पल्ली तो बहुत हंस रही थी ... मैने बोला
में- मैंने तेरा नाम लिया अब तू खुद को ही समझौता है तो मैं क्या करूं?.



मां-हंसते हुए- चलो चलो अब लडना बंद और खाने पर ध्यान दो...
फिर सबने खाना खाया .... मां चाची और पल्ली ने भी .... राजन चाचा फिर घर चले गए वो वो सोने वाले थे ...



मां ने पल्ली और चाची को अपने से बगल वाला कमरा जो खली था वो दिया था ... मैंने सोचा अगर पल्ली चाची के साथ होगी तो मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा तो मुझे कुछ सोचना होगा ... इतने में पल्ली बोल पड़ी



पल्ली-भैया मुझे पढाना भी है तुम्हें



मुझे भी याद आ गया मैंने कुछ सोचते हुए कहा:



मैं- हां बिलकुल अभी पढ़ाऊंगा पर चाची जब तक मैं पल्ली को पढ़ाऊंगा तब तक आप मेरे कमरे में सो जाओगी..मेरे कमरे का बल्ब खराब है मैं यहां जिस कमरे में आप हो उसमे पढा दूंगा जब पढ़ाई खतम होगी तो आपको बुला दूंगा



माँ और तो बता देता बल्ब चेंज करा देती और तुम दोनो मेरे कमरे में पढ़ लो ना चाची को क्यूं परशान करते हो...



ममता च- अरे दीदी इसमे परशानी क्या और वैसे भी भाईसाब भी थेके होंगे उनको और आप आराम से सोना ... मैं सो जाऊंगी ...



माँ ने अनुज की तरफ देखा और बोला



अनुज-मां सोचना भी मत मुझे ये चिढाते रहेंगे और ना खुद उसे पढयेंगे न मुझे पढने देंगे ..



सब उसकी बात सुनकर मस्कुरा दिए फिर चाची ने बोला



ममता च- हैं कोई बात नहीं.. मैंसो जाऊंगी कर्मा के रे में तुम लड़ो मत दोनो



ये कहकर चाची हंसने लगी तो फिर मैं उठा अपने कमरे में गया और बल्ब को थोड़ा ढीला कर दिया जिससे वो चले न ताकी किसी को शक न हो..और फिर एक निक्कर और टीशर्ट पहन कर चाची के कमरे में फिर गया तो वो खाली था फिर माँ पापा के कमरे में जाकर देखा तो माँ पापा और चाची बातें कर रहे थे .... मैंने पूछा



मैं, - पल्ली कहाँ है



ममता च- यहीं तो थी शायद बाथरूम में होगी आती ही होगी....



मैं- ठीक है...



इतना कहकर उनके कमरे से निकला और देखा दो बाथरूम का गेट खुला है...



फिर मैंने अनुज का कमरा देखा तो भी खाली था मैंने सोचा कहां गया ये तो फिर मैं छत पर गया सीडीयो से झांक कर देखा तो चौक गया वैसा ही हो गया था जैसा मैंने सोचा था...



अनुज और पल्ली एक दूसरे के होंठ को चूस रहे थे और मैंने ध्यान से देखा तो अनुज टी-शर्ट के ऊपर से ही पल्ली के स्तन दबा रहा था..फिर अपने होंठ अलग करके अनुज पल्ली के पीछे जकर खड़ा हो गया और उसमें शर्ट से बूब्स निकाल कर दबाने लगा...











मुझे चांदनी रात में ये नजरा बड़ा कामूक लग रहा था ... देखते ही मेरा लंड तुरंत टाइट हो गया ... चांदनी में चमकते उसके बड़े स्तन बहुत रसीले लगे रहे थे पहली बार पल्ली को मैंने ऐसा देखा था सोचा ... ये भी चाची जैसी ही मस्त माल है हर चीज मे,

मैं अपने लंड को निकर के ऊपर से मसल रहा था मैंने भी सोच लिया आज छोटा भाई बेटी को मसल रहा है तो बड़ा भाई भी आज मां को छोद देगा ........ लेकिन मुझे उनके लिए डर भी था की किसी को शक हो जाएगा ये यहां ऐसे लगे रहेंगे तो मैं सीढ़ियों से नीचे आया और आवाज लगाई



मैं- पल्लल्लिइइइइइइइइ कहां है तू अगले ही मिनट में पल्ली नीचे आते हैं, थोड़ी थोड़ी सा हांफ रही थी थोड़ा डर भी था उसकी आंखों में ...



मैं- चल पढ़ने चल...



पल्ली- हां भइया चलो .....



फिर हम कमरे में आए तो पल्ली आगे झुक कर बिस्तर पर बैठा कर बिस्तर पर पढ़ी अपनी किताबे उठाने लगी मुझे उसके ऊपर उठ गई और उसकी मोटी जांघें दिखने लगी मेरा लंड और तंग हो गया। वो तो निक्कर ढीला था इसलिए ज़्यादा ज्यादा कुछ पता नहीं चला...









फिर पल्ली बिस्तर पर बैठ गई और मैं भी

फिर मेने उसे पढ़ाने लगा साथ ही बीच बीच में उसके टी शर्ट से झांकते हुए रसीले संतरों का भी आंखों ही आंखों से रस पी रहा था पता ही नही चला पल्ली कब इतनी बड़ी हो गई पढ़ते पढ़ाते डेढ़ घंटा हो गया तो ... थोड़ी देर बाद बोली...



पल्ली- भैया मैं टॉयलेट होकर आती हूं...



मैं- हां होकर आ...



फिर वो चली गई मैंने भी अपने लंड को थोड़ा हिला दुला कर एडजस्ट किया और लेट गया मैं भी सोच रहा था जल्दी से पढाई खतम हो और मैं चाची के साथ कुछ मज़े करुं ...

इंतज़ार करते हुए मैंने देखा के 5 मिनट से ज्यादा हो गए और पल्ली नहीं आई थी ... मैंने सोचा कहीं ये और अनुज फिर से तो नहीं शुरू हो गए और मैं कमरे के बाहर निकला तो आंगन में अंधेरा था लेकिन राइट साइड से थोड़ी रोशनी आ रही थी .. मां पापा के कमरे का जो बाथरूम था उससे मैंने देखा तो मुझे दिखा गेट थोड़ा सा खुला हुआ है और पल्ली वही खडी हुई है इसके आगे का मुझे नहीं दिख रहा था... तो जो देखा उसे देख कर मैं चौक गया पल्ली बाथरूम के दूसरे गेट से जो मां पापा के रूम में खुलता था उसके अंदर देख रही है ... उसके संतरी चूचे बाहर हैं और उसका हाथ उसकी चूत पर है .....









ये देख मेरा लंड तन गया और मैं उसके बड़े बड़े चुच्चों को देखता ही रह गया ... वैसे तो मैं सारा मामला समझ गया के पल्ली यहां वॉशरूम में आई होगी और यहां मां पापा की आवाज सुन ली होगी और उनकी कामलीला देखकर ये गरम हो गई है वैसे भी छत पर भी ये गरम होकर आई थी .... मैं बाथरूम के अंदर घुसा और गेट बन्द कर लिया पल्ली अभी भी बसुध सी अंदरर देखे जा रही थी उसे ये पता ही नहीं था के मैं उसके पीछे बाथरूम में हूं। मैं उसके पीछे खड़ा हो गया और एक बार नज़र उठा कर मैंने भी माँ पापा के कमरे के अंदर देखा तो क्या नज़रा था





मां और पापा 69 पोजीशन में ... मां की गांड हमारी तरफ थी। मां ने बस एक ब्रा पहन राखी थी लेकिन उनकी बड़ी बड़ी चूचियां उसके बाहर ही थीं और पापा भी बिलकुल नंगे थे .. बड़े बड़े तरबूजो के बीच पापा अपनी जीब घुसा रहे थे। . माँ भी अपनी गांड घुमा घुमा कर अपनी चूत चटवा रही थी ... उधार माँ मम्ममहम्मम करके अपना मुह पापा के लंड पर ऊपर नीचे कर रही थी .. पूरे चाव से चूस रही थी अपने पति के लंड को...

ये देख कर मेरा लंड फटने को हो रहा था और उसका दर्द मुझसे सहन नहीं हुआ और मैंने अपना लंड बाहर निकाल लिया ... और फिर अपने हाथ पल्ली की कमर पर रख दिए मेरे हाथ लगते ही उसे पलट कर देखा और मुझे देख थोड़ा डर गई मुझे लगा के ये चिल्लाने वाली है और जैसे ही उसने अपना मुंह खोला और मैंने अपने होंठों उसके होंठों पर रख दिए और उसकी चीख बंद कर दी और फिर धीरे धीरे उसके होंठों को चूसने लगा ... पहले तो वो थोड़ा झटपटाई पर वो इतनी गरम थी के अगले ही मिनट में मेरा साथ देने लगी और मेरे साथ में मेरे होंठों को चूसने लगी ..



मैं उसके रसीले होंठों को चूसते हुए अपना हाथ उसी पूरी नंगी कमर पर फिराने लगा और उसके पेट को ममसने लगा और उसकी नाभी को छेड़ने लगा वो और गरम हो गई ... वो थोड़ा और पीछे हो गई उसके शरीर मुझसे चिपक गया, मेरा नंगा लंड उसकी गांड से चिपक गया जिसे उसे भी महसूस किया और मैं अपनी कमर हिलाकर लंड को उसकी गांड पर घिसने लगा, वो बहुत गरम हो गई थी।

मैं भी ऐसे मौके को जाने नहीं देना चाहता था मैंने अपने होंठों को उसके होंठो से हटाया और उसकी गर्दन को चूमने लगा उसका चेहरा फिर सेआगे आ गया और कमरे की अंदर हो गया ... वो माँ पापा को देखने लगी मैंने देखा तो अपनी पोजिशन चेंज कर ली थी



अब पापा मां की एक तरफ लेटकर उनकी चूत में अपना लंड पेल रहे थे ... मुझे मां की चूत में उनका लंड आता जाता हुआ साफ दिख रहा था ... मां के मुंह से अअह्ह्ह्ह अअह्ह्ह्ह्ह की आवाज आ रही थी और पापा को और तेज़ चोदने को बोल रही थी ... पापा उनकी गर्दन पर चूम रहे थे .... और सत्तासात चूत में लंड पेले जा रहे थे ... मेरा लंड तो जैसे पत्थर का हो गया था और पल्ली की गांड पर ठोकरे मार रहा था जैसा कपड़ो को चीरकर कर घुस जाएगा अभी अंदरर ... मैंने भी कमर से हाथ ऊपर करके उसके स्तन पर ले गया और उसकी टी-शर्ट को उठाकर स्तन बहार निकल लिए और उन्हे दबाने लगा वो भी अपनी सिसकियो को दबाती हुई मां पापा की चुदाई देखे जा रही थी और अपने चुचियां दबाने दे रही थी .... क्या मस्त चुचियां थी उसकी जवानी से भरी हुई और बड़ी बड़ी जैसे उनमें गरम और नरम माखन भरा गया हो .... मेरे लंड की हलत बहुत खराब थी मैंने सोचा ये ही सही मौका है अभी मुझे कुछ न कुछ तो करना चाहए मैंने ..



मैंने अपनी कमर पीछे करके ... पल्ली की स्कर्ट को उसके ऊपर उठा दिया ... उसके पैंटी में कसे हुए चुतड़ मेरे सामने आ गए .... जिन्हे देख कर मैं पागल हो गया और फिर से अपना लंड उसकी गांड की दरार में फसाकर आगे पीछे करने लगा मुझे बहुत मजा एक रहा था ... पल्ली भी अपनी गांड ऊपर नीचे करके मेरे लंड पर अपने चूतड़ों को घस रही थी ... घिसने के बाद मैं पीछे हट गया और पल्ली को थोड़ा आगे की तरफ झुकने के लिए पीछे से धक्का दिया उसने अपने हाथ गेट की वगल वाली दीवार पर टीका लिए मैं उसके पीछे घुटनो के बल बैठ गया और उसके मस्त चूतड़ों को चूमने लगाचाटने लगा। .उसकी पैंटी के ऊपर से किस कर रहा था ... उसकी काले रंग की पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी ... मैंने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत वाली जगह पर अपनी जीभ फिराई... तो पल्लवी झटपटाने लगी ...

ऐसा कई बार किआ और पल्ली का रिएक्शन हर बार वही था मैंने फिर उसकी पैंटी को साइड किया और उसे छू कर देखा क्या चूत थी उसे मस्त ... होंठ आप में मिले हुए थे ... पूरी गीली होकर रस बहा रही थी ... मेरे मुह में पानी आ गया और मैंने अपनी जीभ उसके चूत पर रख दी और और ऊपर नीचे करते हुए चाटने लगा वो तो पागल हुए जा रही थी ऐसा लग रहा था वो कभी भी गिर जाएगी उसकी टांगे कांप रहीं थी ... फिर मैं अपनी जीभ पूरा ऊपर नीचे फिराने लगा जिससे मेरी जीभ उसकी गांद के छेद से भी टच होंकर आ रही पल्ली अपनी चुचियों को अपने हाथों से मसल रही थी मैं उसकी चूत और गांड को चाटे जा रहा था









फिर मैंने एक दो मिनट और चूत चट्टी और फिर खड़ा हो गया और अब मैं बहुत उत्साहित हो गया था सही गलत से मुझे कोई फर्क नहीं पड़ना था अब मैंने झट से अपना हाथ आगे बढ़कर उसकी टी शर्ट को उतर दिया वो ऊपर से नंगी हो गई और मैंने भी अपनी टी शर्ट निकल दी और उसकी पीठ से चिपक गया और उसके बड़ी चुच्चिया दबाने लगा





वो बस आआह्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह्ह भैया कर रही थी बहुत धीरे से मैंने एक हाथ नीचे लेजाकर अपना निक्कर निकल दिया और उसकी पैंटी की साइड में हाथ दाल कर उसे भी नीचे की सरका दिया वो अब भी मां और पापा को देखे जा रही थी। मैंने भी कमरे के अंदर झंका तो देखा के मां पापा अब भी चुदई कर रहे हैं वो भी ज़ोरों से बस पोजीशन चेंज थी...



पापा मां को घोड़ी बना कर चोद रहे थे .... मां के मुह से आआ आआह की सिसकारी निकल रही थी ... पापा के झटके बहुत तगड़े थे ... मां के चूचे लटके हुए झटके खा रहे है जिन्हे ... देखते ही मेरे लंड में भी जैसा खून उतर आया हो ... वो दर्द करने लगा .... मैंने भी सोचा के अब बरदस्त नहीं हो रहा फिर क्या मैं तो पूरा नंगा था ही पल्ली के कामुक बदन पर भी बस एक स्कर्ट थी। मैंने देर ना करते हुए अपने हाथ पर थूक लगाकर लंड के सिरे पर लगाया और अपने लंड को पकडा और पल्ली की गांड की दरार में ऊपर से लेके नीचे तक घिसा पल्ली भी अपनी गांड हिला रही थी फिर मैंने देखा की पल्ली का ध्यान अबभी मां पापा की चुदाई पर है तो मैंने एक हाथ से उसे चूतड़ों को पकड़ा और एक हाथ में लंड लेकर उसकी जवान चूत के होंथो पर रखा और एक कटारा झटका लगा दिया ... जिससे मेरे लंड का टोपा पुछ्छ से उसकी चूत के अंदर। ... पल्ली की तो जैसी आंखें बहार आने को हो गई .... मैंने झट से हाथ उसके मुह पर रख लिया और उसे चीखने से रोका ... मेरा लंड का टोपा चूत के अंदर था ... उसकी चूत बेहद तंग थी लेकिन मुझे एक चीज का एहसास हुआ की सील टूटी हुई थी ... मैंने सोचा के ये तो पहले भी चुद चुकी है ... मैंने सोचा ये सब बाद में सोचूंगा अभी लंड और चूत पर ध्यान देता हूं ..... पल्ली बुरी तरह दर्द से झटपटा रही थी अगर मैंने उसे पकडा हुआ न होता तो वो गिर चूकी होती मैं उसे शांत करने के लिए उसकी चुचियों को थोड़ा थोड़ा दबाने लगा थोड़ी देर बाद उसका थोड़ा दर्द शांत हुआ तो उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया जो के उसके चुचे पर था शायद ये बताने के लिए वो तय्यार है आगे लेने के लिए लेकिन मैंने उसके मुह से हाथ नहीं हटा दिया था मुझे पता था मेरा लंड काफ़ी बड़ा है और मोटा है भी अभी तक तो बस टोपा ही और गया है .... मैंने धीरे से झटका मारा तो दो इंच और अंदर चला गया ... मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसा मेरा लंड किसी भट्टी में है जो उसे निचोड रही है.. लंड और अंदर जाते ही पल्ली ने मेरा हाथ फिर से पकड कर दबा दिया



मैं एक मिनट के लिए और रुक गया लेकिन अब मुझसे भी रुका नहीं जा रहा था ... अगली बार पल्ली जैसे ही तैयार हुई मैंने जोर का झटका दीया और मेरा लंड उसकी चूत की दीवारों को चीरता हुआ पूरा उसकी कसी हुई रसीली चूत में गच्च से समा गया । मुझे अलग ही सुख का आनंद मिल रहा था जो एक बिलकुल टाइट चूट में लंड डालने से मिलता है... पल्ली की तो गांड ही फट गई थी इतना बड़ा लंड लेकर ... वो बहुत तेज सांस ले रही थी ... बस भैया भइया कह कर फुसफुसा रही थी ... मेरा लंड उसकी चूत में था औरर वो मुझे भैया कह रही थी ये सुनकर मुझे अच्छा लग रहा था शायद रिश्तों में चुदाई का ये ही मजा होता है... ... खैर चुच्चे मसलते हुऐ पल्ली एक बार फिर से थोड़ा ठीक हुई तो मैंने भी धीरे से लंड बहार खिंचा और फिर अंदर कर दिया पल्लवी की हम भैया आआह करके एक और आह निकली ... मैं पल्ली को धीरे धीरे धीरे से चोदने लगा।

मुझे बड़ा मजा आ रहा था और अब पल्ली भी आह आह्ह्ह करके चुदाई का मजा ले रही थी .... मुझे उसकी चूत में लंड डालके बहुत अच्छा लगा रहा था ... उसकी चूत में ऐसा लग रहा था जैसा मेरा लंड किसी गरम मखन की पोटली में है .... मैं अपनी कमर आगे पीछे करके चूत में लंड सट्टा सट पेल रहा था ... पल्ली भी अब बहुत मजे लेकर अपनी कमर आगे पीछे करके चूदवा रही थी ... और एक बड़े और मोटे लंड से चुडवाने का। जो मजा है वो ले रही थी .... पर अब मेरा मन उसे अच्छा से तेज तेज चोदने का था ... जो की यहां मुमकिन नहीं था मैंने पल्ली के कान में कहा चलो अपने कमरे में चलते हैं ... उसे भी हां में सर हिला दिया ... मैंने लंड छुट में डाले डाले ही हम दोनो के कपड़ो को उठाया और पल्ली के हाथों में पक्डा दिया और फिर उसे कमर को पकड़ कर अपने लंड पर तांग सा लिया उसे दोनो पैर हवा में थे ... .मैं उसकी चूत से लंड नहीं निकलना चाहता था मुझे पता था इतनी मुश्किल से घुसा है अभी निकलना फिर से तकलीफ देगा ... मैंने उसे आगे कर के उठाया किया और अपने कमरे की तरफ बढ़ने से पहले एक नजर मां पापा के कमरे में डाली तो देखा वहा तूफान थम चूका था लेकिन जो नजारा था वो अब भी जानलेवा था


मां लेटी हुई थी और पापा का लंड उनके हाथ में था ... मां के पूरे चेहरे पर पापा के लंड का रस बिखरा हुआ था ... मां इस रूप में एक सेक्स की देवी लग रही थी .. इतना कामुक नजारा देख कर मेरे लंड ने ऐसा लगा कुछ बून्दे पल्ली की चूत में अपने रस की छोड दी ... माँ उसके लंड को जीब से चटकर साफ कर रही थी मैंने भी वहा और रुकना ठीक ना समझ और बाथरूम से पल्लवी को उठाकर निकला ... .मेरे हर कदम के साथ पल्लवी मेरे लंड पर ऊपर नीचे होती और हम दोनो की ही एक आह निकल।जाती ... फिर ऐसे ही मजे लेते हुए हम पहुंच गए दोनो पल्ली और चाची के कमरे में पहुचे जहान में मैं उसे पढ़ा रहा था और फिर मैंने गेट बन्द किआ और बेड के सहारा झुकाके उसे तेज और ज़ोरदार झटको के साथ चोदने लगा ... पल्ली भी सिस्किया ले कर बोल रही थी हां चोदो भैया और तेज चोदोडो .. जैसे ताऊ जी अभी ताई जी को चोद दिया। ..आआह्ह्ह्ह मजा आ गया भइया तुम्हारा वो तो बहुत बड़ा है .... मेरी तो फाड़ के रख दी ... आह्ह्ह्ह्ह ... मुझे उसकी बातें सुनकर और तेज जोश आ गया और मैं उसे. बुरी तरह चोदने लगा और फिर ऐसे ही दो चार मिनट चुदने का बाद पल्ली की पूरी बॉडी अकड़ गई और वो मेरे लंड पर झड़ गई ... उसकी.चूत को देखा तो उसके होंठों खुले हुए थे ... ऐसा लग रहा था जैसे इसमे किसी ने कोई डंडा घुसा है पर मेरा काम अभी नहीं हुआ था ...
मैं झुक कर फिर से उसकी चूत वैसे ही चाटने लगा और चाटते हुए मैं उसकी चूत में उंगली करने लगा ... 5 मिनट ऐसे चूत चटवाने के बाद वो फिर से गरम हो गई .... मैंने उसे घुमा लिया अब वो बिस्तर पर झुक कर बैठी थी मेरी तरफ मुह करके और मैं बिस्तर के किनारे पर खड़ा था .... वो मेरी तरह देख रही थी .. जैसे पूछ रही हो का क्या करना है अब मैंने उसके बालो में हाथ फेरा और अपने लंड जी तरफ हाथ करके बोला



मैं- पल्ली इसे प्यार करना...



पल्ली- भैया मैं वो..



वो इतना ही बोल पाई के मैंने उसके होठों से अपना लंड टच कर दिया ... उसकी जीवन अपने आप निकल आई और वो मेरे लंड को चाटने लगी .... कभी तोपे को तो कभी पूरे लंड पर जीभ फिरती ... अब मैंने उस लंड को मुह में लेने को बोला तो उसने कोशिश की लेकिन लंड मुह में घुस ही नहीं पा रहा था ... फिर एक और उसने लंड को चाटा और दोबारा से मुह बड़ा सा खोल कर लंड के टोपे को अपने मुह में घूस लिया। .... आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या मजेदार आनंद था ये ... उसके छोटे से मुंह में मेरा लंड देकर मैं तो धन्या हो गया था..वो अब थोड़ा आगे पीछे अपना चेहरा हिला कर लंड को चूस रही थी ... ऐसा लगा ही नहीं रहा था के वो ये सब पहली बार कर रही होगी ... मैंने सोचा ये अपनी मां से भी आगे निकलेगी .... वो मेरा लंड शिद्दत से चूस रही थी

ऐसे ही कुछ डर लंड चुसाने के बाद मुझे लगा कहीं मैं झड़ न जौन इस्लिये उसे रोका और अपना लंड उसके मुह से बाहर निकला और झुक कर उसके चुचे चूसने लगा आह्ह्ह मलाई दार चुचियों से मलाई मेरे मुंह में घुल रही थी ऐसे से कुछ... एक को मसलता और दूसरे को चूसता ऐसे ही अगले 10 मिनट तक उनसे खेलता रहा ... फिर थोरा और नीच झुक कर उसके पेट पर पर किस करना लगा उसे चाटने लगा वो मेरे बालो में हाथ फेर रही थी उसके पेट की त्वचा बहुत मुलायम थी जैसे रेशम हो ... मैं उसे कभी चाटता तो कभी मसलता... फिर उसकी नाभि में जीभ डालकर उसे चाटने लगा वो आह्ह्ह भैया करने लगी ... ऐसे ही थोड़ी देर तक चैटने के बाद मैं बिस्तर पर बैठा और वो मेरी तराफ पीठ करके मेरी गोद में बैठने लगी उसने अपने हाथों से मेरे लंड को सीधा खड़ा किया और अपनी चूत के द्वार से भीड़ा दीया और थोड़ी सी नीचे हो गई..जिससे मेरे लंड का टोपा एक बार फिर से उसकी चूत में था ... उसके मुह से आह मां मार डाला निकल गया .... मैं मां सुनते ही सोचने लगा और बोला... तेरी मां भी चुदेगी इसी लंड से तू बस देखती जा ... फिर मैंने अपने हाथ उसे कमर पर रख लिया और नीचे की तरफ दबाया और अपनी गांड उठा कर नीचे से लंड पल दिया उसकी चूत में ... एक बार फिर से मेरा लंड पल्लवी की चूत में था ...



पल्लवी - आह्ह्ह्ह्ह भैया तुम्हारा तो बहुत बड़ा है ... पता नहीं कैसे चला गया ये मेरी छोटी सी चूतट में .. और ये कहते हुए वो अपनी गांद गोल गोल घुमने लगी बैठा बैठा ही बड़ा मजा आ रहा था..



मैं- बेटा ये ही तो बात होती है चूत की.. लंड चाहे कितना भी बड़ा क्यों ना हो चूत ले ही लेति है पूरा ....







पल्ली- आह भैया मजा आ रहा है छोड़ो .... चोद चोद के अपनी बहन की चूत फड़ दो ... हाय क्या लंड है भइया आपका ... आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ... भैया मुझे अब हमेशा चोदना .. जहान जैसे बोलोगे ... आह्ह्ह आह्ह्ह चुद जाउंगी बस मुझे ये लंड चाहिए अपनी चूत में ....



मैं- ये ली अपनी चुदासी चूत में ... खा जा मेरा पूरा लंड .... हां बेटा तुझे मैं हमेशा चोदूंगा अब तेरी। जैसी चूत को कहां भूल पाएगा मेरा लोडा ... हां हन्नन ... ऐसे ही जोरदार चुदाई चल रही थी ... थाप थाप की आवाज आ रही थी कमरे में ... फिर पल्ली इज पोजीशन में उछल उछल कर थक गई .... अब मैंने बिस्तर पर लिटाया और उसके पैरों के बीच आ गया और एक तांग अपने कांधे पर रखली और एक ही झटके में फिर से लंड उसकी चूत में घुसा दिया ... और अपनी कमर हिला कर ज़ोर से चोदने लगा।



वो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भैया आह्ह्ह्ह्ह्ह भैयाआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआआहं बोलरही थी मैं आगे झुका और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए ... उसके बाद मैं उसके चूचे को मुह में लेकर चूसने लगा और तबद तोड़ चोदे जा रहा था उसकी चूत को ... अब मेरा भी लंड झड़ने को तयार था .... बुरी तारिके से मैं उसकी चूत का कचुमर बनाए जा रहा था और वो आह्ह्ह्ह्ह्ह हाय भइया .... हाय भैया चोदो बोले जा रही थी ....



और चोदते चोदते मैं बहुत तेज हो गया जिससे पल्ली भी एक बार फिर मेरे लंड के झटको को सह नहीं पाई और दोबारा झड़ गई ...मैं भी चाहते हुए भी अब और खुद को रोक नहीं पाया और जैसे ही मुझे मेरा रस लंड के टोपे की ओर दौड़ता हुआ महसूस हुआ मैंने उसकी चूत से लंड निकाला और आगे जकर उसके मुह में डाल दियार सारा रस उसके मुह में उगल दिया ... मेरे लंड से इतना रस निकला के उसे पूरा मुह भर गया जितना वो पी सकती थी उसने पिया ... और कुछ बह कर बाहर उसकी चुचियों पर भी गिर गया ... फिर मेरा लंड सिकुडन लगा उसे अपने मुह में लाया पूरा लंड चाट चाट कर साफ किया ... बड़ी कामुक लग रही थी वो है पूरे चेहरे पर और चुच्चियो पर मेरा पानी था ... बड़े हाय सिंपल भाव से उसने पूछा



पल्लवी- भैया फिर कब चोदोगे?



मैं उसके तो सावल से हैरान हो गया ... लेकिन फिर मुझे हसी भी आई की कितनी आसानी से इसने ये पूछच लिया ... मैंने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरा और बोला अपनी चूत को देख ...



उसके अपने चूत की तरफ देखा वो सूज सी गई थी छेद से भी खुला बुआ था मैंने बोला जैसे ही ये ठीक हो जाएगा मैं लूँड पेल दूंगा ये सुनकर वोहंसने लगी मैंने भी हंसते हुए अपने कपड़े पहने उसने गंदे कपड़े से पोंछ कर खुद को साफ किया और जो रस उसके बदन पर लगा हुआ था उसने अपनी चुच्छियो से और जो मुह पर लगा था उनग्लियों से इकट्ठा करके चाट गई ... और बोली ....



पल्लवी- भैया आपके पानी का स्वाद मुझे बहुत अच्छा लगा...



मैं- अब तो बहुत मिलेगा तुझे ये पीने को ... मेरी रानी .... ये सुनकर वो हंसने लगी और मैंने बोला के तू सो जा मैं जाता हूं .. चाची ना आए तो तू टटेंशन मत लिओ ... मैं उनहे जगाऊंगा नहीं क्योंकि यहां आई तो यहां की खुशबू से उन्हे शक हो सकता है वो बोली



पल्लवी- ठीक है भैया



और अपनी स्कर्ट और पैंटी पहन ली ... इस्के बाद मैंने उसके होंठों को चूमा थोड़ी देर हम एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे फिर मैं कमरे से निकल गया ...

आगे की कहानी उगाली अपडेट में .... आप लोग कृप्या प्रतिक्रिया देते रहें और पढ़ते रहें ... धन्यवाद
:shag:

Update pdhane ke bad babu sona ko i miss uhh likh kar bhejna pd gaya :lol1:
 
Dramatic Entrance
854
1,309
123
Ab kehne ya likhne ke liye kuch bacha hi nahi.. jaisi ma waisi beti.. jaisi mamta waisi hi uski beti pallavi.. aur wo hawasi karma haramkhor to tha hi, baaki rahi sahi kasar uska najayaj bhai anuj puri karne ke phirak mein hai..
Btw inlogo ko hazar gaaliyaan dun par koi fark na pade in kirdaaro ko..

shaandar update, shaandar lekhni shaandar shabdon ka chayan aur sath hi dilkash kirdaaro ki bhumika bhi...
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills :yourock: :yourock:
Itane jaandar aur utsaah badhane wale revo ke baad bas itana hi kahna chahunga ki taarif ke liye bahut bahut dhanyawad:akshaysmile:
 

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