वो भी इस बात को समझता था। की अकेली ज़िंदगी आसान नहीं होता। फिर उसने कहा क्यों आप शादी नहीं कर रहे हो। तो मैंने कहा मैं नहीं कर सकती शादी। क्यों की मेरे मायके में भी मेरे पापा नहीं है और मम्मी भी भाग गयी शादी के चक्कर में मेरी शादी यहाँ चाचा और गाँव वाले ने मिलकर कर दिया नहीं तो मैं भी कुवारी ही रह जाती। ये बात सुनकर दूधवाला बहुत ही भावुक हो गया और चला गया। उस दिन के बाद से वो और भी मेरे करीब आ गया। उसकी बातें मुझे अच्छी लगने लगी। वो भी कहने लगा आपको किसी चीज की कमी हो तो बता देना।
पर मुझे बताने में समय लग गया। क्यों की मैं तो सेक्स करना चाहती थी। एक दिन की बात है मैंने उसको अंदर बुलाया और सेक्स का ऑफर दे दिया। पहले तो वो मना कर रहा था। वो कह रहा था मैं आपको बहुत चाहता हूँ पर आपकी दुःख की कहानी जब उस दिन सूना तो मेरा मन बदल गया चाहे तो आप मुझे भाई बना लो पर मैं आपके साथ सेक्स नहीं कर सकता। पर मैं निकली मेनका मैंने उसके सामने ही अपने कपडे उतार दिए और वही उसका मन डोल गया। उसने अपना कुर्ता उतारा और वही सोफे पर चुम्मा चाटी शुरू हो गया।
वो था बड़ा बलवान और सेक्सी उसने जैसे ही मेरे जिस्म को अपनी आगोश में लिया और उसके मजबूत हाथ मेरी चूचियों पर पड़े मैं पागल हो गयी। उसका लंड करीब दस इंच का था मोटा लम्बा ओह्ह्ह्हह्हह मैंने तुरंत ही उसको अपनी मुँह में ले लिया और चूसने लगा। पर उसे ये अच्छा नहीं लग रहा था पर मुझे बहुत उछला लग रहा था। उसने कहा अब मुझे पेलने दो। आपकी गर्मी मुझे उतारनी है ताकि आप और किसी के चक्कर में ना आओ। और उसने मेरी टांगो को खोला चूत को पांच मिनट तक चाटा और अपना मोटा लंड मेरी चुत पर लगा कर पेल दिया।
मैं सिहर गयी। इतना मोटा लंड और अंदर तक जब गया मेरी सिहरन शुरू हो गयी मेरे होठ सूखने लगे। मेरे कंठ सूखने लगे हाथों और पैरों में थरथराहट होने लगी। वो जोर जोर से धक्के देने लगा। मैं मजे लेने लगी ऐसा लग रहा था की रेगिस्तान में बारिश हो रही हो। काफी दिनों से नहीं चुदी थी और आज मौक़ा मिला तो पहलवान से चुदने का। जोर जोर से धक्के देकर अपना लंड मेरी चूत में पेल रहा था और मेरी मुँह से सिर्फ सिसकारियां ही निकल रही थी।
करीब बीस मिनट की चुदाई के बाद वो जोर से आआआआ आआआ कर के अपना वीर्य छोड़ दिया मेरी चूत में। वो कुछ ज्यादा जोर से ही आआआ ओह्ह्ह्हह्हह अअअअअ कर के वीर्य निकाला इस वजह से मेरे जेठ जी दौड़कर निचे आ गए देखने की क्या हुआ है। उनकी नींद खुल गयी थी। सुबह के करीब 6 : 45 हुआ था। भीम सिंह तुरंत ही वह से चलता बना अपना दूध का बर्तन लेकर। मैं नंगी थी तो जेठ के सामने ही कपडे पहनने लगी और फिर अपने कमरे में चली गयी और दरवाजा बंद कर ली।
मुझे बहुत डर लग रहा था की आगे क्या होगा। ये सब सोच कर मैं परेशां होने लगी। तभी मेरे जेठ जी मेरे ससुर को फ़ोन पर कह रहे थे। बाबूजी आप जल्दी घर आओ। तो उधर से ससुर जी बोले सत्संग के बाद आऊंगा। वो जेठ जी कह रहे थे तुरंत आओ। नहीं तो घर में बहुत बड़ा मुसीबत हो जाएगा। आपको आना पडेगा आओ देखो क्या हुआ घर में। आप सोच भी नहीं सकते। जल्दी आओ। अगर आपने देर किया तो घर में कुछ उल्टा सीधा होगा तो उसका जिम्मेदार मैं नहीं हु।
ससुर जी शायद उधर से बोले की ठीक है मैं आ रहा है। तभी मैंने दरवाजा खोला और जेठ जी को बोला मुझे माफ़ कर दीजिये बहुत बड़ी गलती हो गयी है मुझसे। ऐसा नहीं होगा। तो उन्होंने का आने दो बाबूजी को फिर बताता हु तेरे से क्या हुआ और तुम्हे बहुत गर्मी चढ़ गई है आने दो उनको फिर बताता हूँ।
मैंने फिर से दरवाजा बंद कर ली और पलंग पर लेट गयी मेरी धड़कन तेज तेज बढ़ने लगी। मुझे बहुत डर लग रहा था मुझे ये नहीं पता की वो दोनों मेरे साथ क्या करने वाले है।