Adultery मम्मी का शौहर

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अब्दुल फिर अंदर आया और राघव से साहब; आप से एक बात करनी है।

राघव; हां हां बोलो अब्दुल

अब्दुल; साहब आप जानते ही हैं ये निकाह सिर्फ और सिर्फ दिखावे के लिए है लेकिन लोग जो निकाह में आएंगे वो तो नहीं जानते, अगर उन्हें ये पता चले तो मोहल्ले में हमारी इज्जत चली जाएगी।

राघव; मैं समझ सकता हूं किसी को इसके बारे में पता नहीं चलेगा, आखिर हम दोनों की इज्जत का सवाल है।

अब्दुल; साहब हम सब जानते ही हैं कि यह निकाह किस मज़बूरी में हो रहा है।

मेंम साहब भी इस निकाह से दुखी हैं, पर वो क्या है निकाह में मेंम साहब थोड़ी सी खुश दिखेंगी, आप समझ रहे हैं ना।


राघव; मैं समझ सकता हूं तुम उसकी चिंता मत करो, चलों अब सगाई करा देते हैं।


सुमित्रा देवी; तो सगाई की रस्म शुरू करे,
राधा बहू दोनो को अंगूठी दे दो


राधा; जी मां अभी लाई,
ये लिजिए भाभी,
ये लो असलम

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(अभि) मैं सोचा रहा था कि असलम कैसे मान गया गुस्सा भी आ रहा था पर कुछ बोल नहीं सकता था, सबके सामने
मम्मी पापा को देखती है कि ये सब झलेना है ,
अब दूसरा रिश्ता जुड़ रहा है, मम्मी की आंखें नम थी।

असलम भी थोड़ा कन्फ्यूज था, कि उसकी होने वाली बेगम सुनीता आंटी है अभि की मम्मी है, अंदर थोड़ी खुशी भी थी कि एक खूबसूरत भरे बदन की औरत उसकी बेगम बनेंगी।


सलमा - असलम मालकिन को अंगूठी पहनाओ।

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असलम- हम्म अम्मी ( असलम मम्मी को अंगूठी पहना देता है)
सुमित्रा देवी; सुनीता तुम भी असलम को पहनो,
सुनीता थोड़ी झिझक महसूस कर रही थी, उसकी आंखें नम थी, सुनीता ने फिर अपने बेटे की उम्र के असलम को अंगूठी पहना दी,


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असलम जो अभि का बेस्ट फ्रेंड है जल्द ही सुनीता का शौहर होगा।

राधा; मुबारक हो सगाई हो गई।
रतन; चुप,

सुमित्रा देवी; तो सगाई हो गई शादी की तैयारी करो, शादी अच्छे से होगी पैसे की फिक्र मत करना।

राघव अब्दुल को शादी के लिए पैसे से दो,

राघव; जी मां,
राघव; अब्दुल ऑफिस से सब बिल पास करा लेना।

अब्दुल; जी साहब

सुमित्रा देवी; कल सुनीता बहू के घरवाले भी आ जाएंगे आप लोग बस 3 दिन बाद बारात लेकर आ जाना ठीक है।

अब्दुल- जी मांजी सब कर लेंगे अब हमें आज्ञा दीजिए

सुमित्रा देवी; ठीक है

अब्दुल; जी नमस्ते, असलम चलो घर बहुत काम है।

अभि- आंटी मुझे कुछ स्कूल का काम है असलम थोड़ी देर बाद आ जाएगा आप लोग जाओ।

सलमा- पर बेटा टाइम काम है बहुत काम है

अब्दुल- अरे रहने दो आ जाएगा ३० मिनट में आ जाना असलम ठीक है, अब तुम यहां नहीं आ सकते शादी तक ।

असलम- हम्म जी अब्बू
अब्दुल और सलमा अपने घर चले जाते हैं,
सुनीता भी अपने कमरे में जाकर अपना सामान पैक करने लगती हैं ।

असलम अभि कमरे में आता है अभि कमरा का दरवाजा बंद कर लेता है।

अभि असलम को एक मुक्का मारता है ।

असलम- अबे ये क्या कर रहा है

अभि- एक ओर मुक्का मरता है अबे तूने क्यों किया बे, ये सब जानते हुएं भी।

असलम- अबे बात तो सुन अब्बू ने सब बताया था, तेरे परिवार कितनी मुश्किल में है, तेरे नाना जी की शर्त जो वसीयत में है अगर पूरी नहीं हुई तो उनकी प्रोपर्टी में से तूम को कुछ नहीं मिलता,

अगर वसीयत से तेरे परिवार के लिए अगर पैसे नहीं आये तो तुझे और तेरे परिवार की जान को खतरा है।

अभि- पर मम्मी की शादी तूम से, स्कूल में सब मेरा मजाक उड़ायेंगे, और तूझे भी तो उस टाइप औरत पसंद है।

असलम- अबे ये सिर्फ वसीयत के लिए है, लोगों का काम है बोलना तो बोले रहेंगे, हम मिल के सॉल्व कर लेंगे भाई।

मैं आंटी की बहुत रिस्पेक्ट करता हूं, अम्मी की तरह है, ये बात तो है कि आंटी बहुत खूबसूरत है पर ख़ूबसूरत तो मेरी अम्मी भी है मैं उनकी भी रिस्पेक्ट करता हूं।

3 साल की बात है तू फिक्र मत कर तू भी तो होगा रहेगा ना मेरे पास घर में।

अभि - ठीक है पर देख जो भी हो, तू बाद में बदलना नहीं समझा,

असलम - हम्म भाई ये भी कोई कहने की बात है,चल अब मैं घर चलता हूं,

अम्मी अबू तो चले गए, तो में भी चलता हूं, और असलम चला गया।

अभि ने एक बात नोटिस की, जब से असलम और सुनीता की सगाई हुई थी

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असलम का लौड़ा उसकी सलवार में किसी बांस की तरह खड़ा था।
 
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सुनीता अपने कमरे में पैकिंग कर रही होती हैं, अपनी बेटी सन्ध्या के कमरे में शिफ्ट होने के लिए, तभी अचानक से राघव कमरे में आता हैं,

राघव- सुनीता सॉरी यार और थैंक यू अपने इस त्याग के लिए मैंने तुम को बहुत दुख दिया,
ये जुदाई बस 3 साल की है फिर हम साथ-साथ रहेंगे।

सुनीता रोते हुए राघव के गले लग जाती हैं,



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वो मैं कैसे रहूंगी अपनों से दूर इस घर से, एक नये रिश्ते में, एक नये धर्म में जाकर कैसे,


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राघव- बस ये समझ लो हम दोनों की परीक्षा है सुनीता

सुनीता- हम्म ठीक है, मैं मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोगों के साथ रही हूं जब लोगों को पता चलेगा, तब क्या होंगे सब इज्जत चली जाएगी,
बच्चों का भी सब खराब होगा संध्या तो अभी लंदन में है, जब वो आएगी तो उससे भी कैसा लगेगा।

राघव- सब ठीक होगा 3 साल बाद हम दोनों आपने परिवार सहित इस शहर से शिफ्ट हो जाएंगे।

सुनीता- ठीक है इस कमरे को आखिर बार देख लूं बहुत यादें हैं इसमें मेरी अब 3 साल बाद वापसी कर सकती हूं।

राघव; सुनीता एक बात और है कल निकाह में प्लीज अपना ये दुख छुपा लेना, क्योंकि निकाह में तुम यही चेहरा ले कर जाओगी तो लोग क्या कहेंगे समझ रही हो ना।

सुनीता; जी वो तो है हम अपनी कुर्बानी को यू ही बेकार तो नहीं देंगे,
(फिर सुनीता शिफ्ट हो जाती है अपनी बेटी संध्या के कमरे में)
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यहां सुमित्रा देवी सबको शादी का काम लगा देती है, शादी की तैयारी जोर-शोर चल रही थी,

अब्दुल के घर में भी तैयारी हो रही थे, अभि भी दुखी था वही असलम थोड़ा परेशान था, पर असलम खुश भी था अन्दर ही अन्दर क्योंकि इतनी खूबसूरत औरत मेरी बेगम होगी चाहे शादी का कोई भी कारण ही क्यों ना हो ।

फिर शादी का दिन आ जाता है।
 
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उधर असलम अपने घर पर एक कोने में लेटा था, उसकी आंखों के सामने बार - बार अभि की मम्मी (यानि उसकी बेगम) का चेहरा सामने आ रहा था, हंसते हुए


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मुस्कुराता चेहरा सामने आ रहा था, जब असलम से रहा नहीं गया तो असलम ने अपने मोबाइल से अपनी होने वाली बेगम (अभि की मम्मी ) की तस्वीर निकाल कर उसे देखने लगा। असलम को मानो ऐसा लग रहा था जैसे अभि की मम्मी साक्षात उसके सामने ही बैठी हो।


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आँखों से ही बात कर रही हो,


अभि की मम्मी; हाय दैया ऐसे क्या देख रहे हैं, जैसे पहले कभी देखे ही नहीं हो अब ऐसे देखोगे मुझे शर्म आती है अब बस बी करो ना।




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और असलम को देखते हुए मम्मी शर्माने लगी।


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ये सोचते ही असलम का लंड उसके कच्चे में खड़ा हो गया उसने जल्दी से अपनी लुंगी खोल दीं और अपनी होने वाली बेगम (अभि की मम्मी ) की पिक्चर को देखकर कच्चे के ऊपर से आपने लन्ड को सहलाने लगा,


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असलम लंड को सहलाने लगा उस समय असलम का लंबा लन्ड कहा माने वाला था वो तो बगावत के लिए तैयार था, फिर असलम ने अपने कच्छे को उतार अपने मुस्लिम लन्ड बाहर निकाल दिया।



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असलम का लंबा लन्ड ऐसे खड़ा देख
मम्मी तो ऐसे मुंह झुकायें खड़ी मुस्करा रही थी।
जैसा आंखों ही आंखों में पुछ रहीं हों हाय दैया रे इतना बड़ा और





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मानो मम्मी ने अभी तक सच में असलम का लंड देख रही हो।

असलम भी मम्मी की तस्वीर से बात करता हुआ, बेगम देखो ना इसकी तरफ
तो मम्मी मुंह झुकाये

बस मुस्करा रही थी



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असलम; अभी शरमा लो अब तीन साल तो बेगम तुम्हें इसी ही देखना है इसी खोली में,

इसी बिस्तर में मेरे साथ तब देखोगी की नहीं और अपने लंड को अपने हाथ में दबाये ऊपर नीचे करने लगा।



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तो मम्मी मानो ऐसे बोल रही है।


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तब काहे नहीं देखेंगे अपने मर्द का हम तो देखेंगे भी खेलेंगे-कूदेंगे इस डन्डे से,



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फिर खुद ही शर्मा कर है दैया हमारे मर्द का कितना लंबा ओर मोटा है हमरी तो रसभरी फाड़ देगा ।

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अपना काला मुस्टंडा लंड हिलाते - हिलाते असलम बेंड पर उल्टा लेट गया और मम्मी की तस्वीर को सामने रख कर अपनी कमर को धीरे-धीरे गोल घुमाने लगा ओर धक्के लगाने लगा मानो की असल का लंड मम्मी की चुत में फंसा हुआ है।

असलम को ऐसे अपनी कमर चलते देख मम्मी मनो बोली,

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दैया तुम तो हमें पेलने के लिए प्रैक्टिस शुरू कर दी है,


असलम तो तकिये के ऊपर चढ़ अपनी कमर को तेज़ तेज़ चलने लगा


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तकिये ऐसी हालत देख मम्मी बोली,


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हाय दैया रे बाप रे बाप, तकिये की क्या हालत कर रहे हैं ,जब मैं इसके नीचे पड़ी हूंगी तब मेरी क्या हालत करेगा।



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असलम बहुत ही तूफानी गति से अपनी कमर चला रहा था।


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जैसे उसका माल निकलने वाला हो कुछ ही मिनट में असलम के लंड का सब्र का बांध टूट गया जो माल उसे मम्मी के अंदर डालना था वो असलम ने उड़ेल दिया।



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असलम जब शांत हुआ मम्मी की तस्वीर को देखते हुए तो मम्मी से बोला,

बेगम देखना निकाह के बाद आपको ऐसे ही पेलूंगा बोलिये ना पिलवाओगी ना मुझसे ऐसे।




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मम्मी ; हाय दईया ये कैसी बात कर रहे हैं


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और मुस्कुरा कर , हम तो कहते हैं निकाह के बाद हमें



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इस से भी बुरी तरह पेलना, और मम्मी ने असलम को देख मुस्कुराने लगी।

आँखो के इशारों-इशारों से कह रहीं हों हाय रे, समझें कि नहीं,
बीवी को उसका मर्द नहीं पेलेगा तो कौन पेलेगा,



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ऐसे ही सोचते - सोचते रात गुज़र गई।

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३ दिन बाद शादी का दिन आ जाता है सारे मेहमान, रिश्तेदार आ गए, नाना-नानी, मामा-मामी सब मेहमान आ चुके थे।

सुनीता की मां को ये अच्छा नहीं लग रहा था, ना ही भाई को पर मजबूरी थी,
सुनीता भी बहुत दुखी थी क्या कर सकती थी उन्हें पता है कि आज वो 3 साल के लिए एक नए रिश्ते बंध रही ये घर छोड़ के जाना होगा,

समाज रिश्तेदार भी बोल रहे हैं कि क्या हो रहा है ये पर अब तो होना ही था, राघव भी मजबूरी में सब कर रहा था।

सुनीता दुल्हन की तरह सजी हुई थी, हाथों में असलम के नाम की मेहंदी पूरे बदन को एक दम चिकना बना दिया था।

सुमित्रा देवी और राघव के कहने पर सुनीता अपने चेहरे पर एक मुस्कान लिए हुई थी।


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आज सुनीता भी अपने सारे दुख भुला पर लोगों को दिखाने के लिए अपने होठों पर मुस्कान ले आई थी।

दुल्हन के जैसे ही मम्मी के चेहरे पर शर्म की लाली थी,

असलम की बारात आ जाती है, बारात बहुत अच्छे से आई होती है क्योंकि इतने सारे पैसा खर्च किया थे,
सलमा और अब्दुल भी जनता है सब खुश भी थे, कि इतने अच्छे से बारातियों का स्वागत करते हुआ, शादी हो रही समाज में रोब बन रहा है।

बारात में सारे मोहल्ले के लोग आए उसके मुस्लिम परिवार से ताल्लुक रखने वाले लोग, ये लोग पहली बार इतनी बड़ी शादी में आए थे सब नाच गा रहे थे असलम भी खुश ही था, कि इतने अच्छे से शादी हो रही थी फिर बारात दरवाजे पर आ गई


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सुमित्रा देवी; (सुनीता के मां बाप से) अरे बारात आ गई समधी-समधन जी बारात का स्वागत किजिए , आप बहूं के मां बाप है, सब आपको ही करना है।

सुनीता की मां; हम्म समधन जी, बहू थाली लाओ, असलम बेटे को घोड़ी से उतर जाओ।

सुनीता का भाई; जी मां
असलम घोड़ी से उतर दरवाजे पर आ जाता है

सुनीता की मां;- आइये असलम, अब्दुल सलमा जी आइये

सलमा- जी समधन जी

असलम की बुआ- अरे भाई भाभी अब आपनी समधन से अच्छे से मिलो क्यों भाईजान,

अब्दुल- हम्म ठीक है जो भी ही चलो आगे का करते हैं मांजी अंदर चले


सुमित्रा देवी;- हम्म आओ अंदर आओ सब का स्वागत है

(असलम और सारे बाराती अंदर आते हैं सब चोक जाते हैं कि इतनी शान असलम तो बड़े घर में गया है उनको थोड़ा सब पता था)

अभि भी साइड में खड़ा था क्या बोलता मेरे स्कूल के कुछ दोस्त भी बारात में आए थे कुछ असलम के मोहल्ले के लड़के मैं छूप रहा था उन से।


असलम- अभि कहीं नहीं दिखायी नहीं दे रहा कहां है कहीं आया ही ना हो,

समझ सकता हूं उसकी भी बुरा लग रहा होगा, मेरा दोस्त जो है,

फिर असलम अभि को कॉल करता है अभि कहां है तू दिख नहीं रहा

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अभि - यही हूं बस काम कर रहा हूं।


असलम- तू ठीक है ना

अभि - हम्म ठीक हूं।

असलम- सॉरी भाई समझ सकता हूं क्या सोच रहा होगा,

ये तू भी जानता है कि ये निकाह सिर्फ किस लिए हो रहा है 3 साल की बात है कुछ नहीं बदलने वाला उस सब से,

अभि - हम्म लेकिन समझ सकता हूं थोड़ा तो टाइम लगेगा,

असलम- हम्म समझता हूं कहां है तू ,

तू मेरा बेस्ट फ्रेंड है मेरे साथ बैठ मुझे भी अच्छा नहीं लग रहा ये लोग बकवास कर रहे हैं, तू रहेगा तो ये नहीं आएंगे मेरे पास

अभि - ठीक है आता हूं फिर अभि असलम के पास आ जाता है, सब खाना खा रहे होते हैं
असलम- सॉरी भाई
अभि- हम्म ठीक है कोई बात नहीं वसीयत के लिए 3 साल की बात है।

असलम- हम्म सही अच्छा हुआ तू आ गया, बड़ा ही अजीब लग रहा था ये मोहल्ले के दोस्त लोग बकवास और फालतू में बोल रहे थे।

अभि- हम्म ठीक है बस अच्छा लग रहा है तेरे मोहल्ले के मेहमान थोड़े लो ग्रेड बिहेव कर रहे हैं।


असलम- पहली बार इतनी बड़ी शानदार शादी देख रहे हैं ना

अभि- हम्म मोहल्ले के यार तो ठीक है पर तुम ने तो यहां स्कूल और ट्यूशन के दोस्तो को भी बुलाया है।

मुझे राज, अली, रवि और किशन दिखाई दिये।


असलम- मैंने नहीं बुलाया साले खुद आ गए

अभि- हम्म फिर भी यार समझ नहीं आ रहा है अच्छा बस ३ पेपर ही बचे हैं स्कूल तो जा ही नहीं सकता।

असलम- हम्म सब जल्दी से खत्म हो बस इसलिए सब नॉर्मल है तेरी फैमिली से खतरा टले।
प्रॉपर्टी तो तेरे नाम होगी ना सुना है अब्बू से मैंने 3 साल बाद आधी अंकल के नाम पर

अभि - मुझे ज्यादा नहीं पता इस बारे में,


असलम- मैंने सब पता किया भाई अंकल की कंपनी पर 500 करोड़ का कर्ज है तेरे नाम 1000 करोड़ होंगे तो तू अमीर हो जाएगा, खुद के पैसे

अभि - हम्म वो पैसे काम के लिए है पापा का कर्ज खत्म हो फैमिली सिक्योर हो,
ये 3 साल का खत्म हो सब फिर से नॉर्मल हो, जल्दी से यार ये सब झलेना है।

असलम- हम्म सही कहां
 
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सब कुछ ऐसे ही चल रहा था, अब मौलवी आ जाता है और अब्दुल से कहता है ,

मौलवी- अब्दुल निकाह का वक्त हो गया है बुलाओ दूल्हा-दुल्हन को।

अब्दुल- जी मौलवी साहब

अब्दुल- राघव और सुमित्रा देवी से कहता है कि निकाह का वक्त हो गया है मालकिन को बुलाओ

सुमित्रा देवी- राधा बहू जाओ सुनीता बहू को ले आओ।

राधा- जी मांजी
(चलो अब 3 साल आराम से इस घर में मेरा राज कोई नहीं होगा डांटने वाला भाभी बड़ी बनती थी अब मुसलमान के गरीब घर में मुसलमान की बीवी कहलाएगी, क्योंकि 3 साल बाद तो पहले जैसा नियम का हवाला नहीं दे पाएगी। ३ साल मुस्लिम मर्द के नीचे रहेगी, वो इज्जत थोड़े ही रहेगी बस अभि का बुरा लग रहा है उससे भी उस गरीब घर में रहना होगा )


उधर सुनीता के कमरे में।
(सुनीता अपने कमरे में अपने भाई और भाभी के साथ तैयार बैठी थी)

राधा - भाभी चलिये निकाह का वक्त हो गया बुलाया है आपको

फिर सुनीता धीरे से आंख के आंसू पौछती है फिर सुनीता की भाभी और राधा सुनीता को लेकर आ जाते हैं

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मोलवी- असलम से ये निकाह हो रहा है,
असलम तुम्हारे सुनीता के साथ निकाह कबूल है।
क्या तुम सुनीता को अपनी बेगम कबूल करते हो।


असलम- सोचता है पहले (कि उफ़ आंटी क्या लग रही है बिल्कुल परी वो सब वीडियो की हीरोइन फेल है पर आंटी मेरी शादी हो रही है पर वजह पता है वफादारी भी है पर फिर भी ये हुस्न की परी मेरे कमरे में मेरे बिस्तर पर मेरे साथ होगी, क्या मैं वफ़ा निभा सकूंगा मुझे तो नहीं लगता, वैसे रिस्पेक्ट करता हूं आंटी की अभि की मम्मी है )

असलम की बुआ - असलम-असलम क्या सोच रहा है बोलो कबूल है

सलमा - हम्म बेटा बोलो

असलम- अभि को देखता है अभि खड़ा हुआ था चुप-चाप,
असलम सुनीता को देख के धीरे से बोला (कबूल है कबूल है कबूल है)

असलम के बोलते ही उसकी तरफ के लोग मुबारक हो मुबारक हो कहने लगते हैं।

मौलवी ( सुनीता की ओर देख )
मौलवी - सुनीता तुम्हें अब्दुल के बेटे असलम के साथ निकाह कबूल है

( सुनीता चुप थी उनको सब याद आ रहा है इतने साल सब कुछ सोच रही होती है, कि आज ३ साल के लिए नए रिश्ते, नए घर, नयी संस्कृति कैसे)


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मौलवी- ज़ोर से सुनीता तुम्हें असलम के साथ निकाह कबूल है।


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सुमित्रा देवी- सुनीता बहू बेटी बोलो,

सुनीता की आंखें भरी हुई होती है भारी मन से (कबूल है कबूल है कबूल है)

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इतना कहकर सुनीता सर झुका कर चुप हो जाती है उन्हें पता था क्या हुआ है

अभि की आंख में पानी आ गया, राघव भी रोने लगे पर क्या कर सकते थे।

जैसे ही सुनीता ने कबूल है कहा तभी असलम की ओर से बेठी औरतें जो सुनीता के साथ बैठी थी खुशी से दुल्हन को निकाह की मुबारकबाद देने लगतीं हैं।


मौलवी- मुबारक हो निकाह मुक्कमल हुआ, अब आप दोनो मिया बीवी हुए , निकाह हो गया।
 
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असलम की तरफ से सब असलम उसकी अम्मी अब्बू को मुबारकबाद देने लगे, फिर सब की फोटो खींचवाने लगें।

सब बाराती दावत उड़ा रहे थे उसमें असलम के मोहल्ले के कुछ दोस्त भी थे, सलीम युसुफ़ रहमान।


( अभि की जबानी )

मैं उन के पीछे खड़ा उनकी बात सुन रहा था, उन मैं एक सलीम था वो असलम के मोहल्ले में रहता था असलम का जिगरी यार था।

सलीम - यार कुछ भी कहो असलम भाई को बेगम जोरदार मिली है एकदम कड़क माल है


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यूसुफ; भाई सही कह रहा हो असलम तो आज रात अपनी बेगम की १० बार लेगा।

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सलीम; यार लेगा क्यों नहीं माल ही इतना जोरदार ही चुची देखी है बिलकुल नागपुरी संतरे है

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रहमान; वो ही भाई असलम तो एक ही रात में निचोड़ डालेगा साला
यूसुफ; सही कह रहा ही भाई सारी रात चढ़ा रहेगा घोड़ी बना कर,

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सलीम; यार अगर घोड़ी बनाई ना चूत में डालने से पहले पीछे डाल देगा देखा नहीं, तो कितनी जबरदस्त है।


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असलम के तो मज़े ही मज़े है

रहमान; असलम इस छमिया के मजे लेगा हम साले इस छमिया के बारे में मैं सोच सोच कर हिलायेंगे सब मम्मी को देख हंसने लगे।

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मैं अपनी मम्मी के बारे में मैं इतनी गंदी बातें सुन के लिए मजबूर था, कुछ कर नहीं सकता था, वो सब तो मम्मी के बारे में सोच कर हिलायेंगे,

असलम मम्मी के नाम पर तो उसकी मुहर लग चुकी था, मैं जानता था भले ही वो बोल रहा है कि वह मम्मी की इज्जत करता है ।

पर उसके लौड़े पर, वह नहीं करता उसके लिए तो मम्मी सिर्फ एक औरत है, वह मम्मी पर अपनी पक्की मुहर लगा कर मानेगा।

यह बात इतनी सौ फीसदी सही थी।

बस अब ये देखना था कि असलम अपने लौड़े से मम्मी पर मुहर कब लगता है,


सुहागरात में या फिर कुछ दिनों के बाद।
 
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फिर मम्मी ओर असलम की हिंदू तरीके से शादी हुई क्योंकि मम्मी को बुरा ना लगे


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नानी मम्मी को घर के मंदिर ले गई और असलम मेरे पास आया


असलम- भाई सॉरी मैं समझ सकता हूं

अभी - हम्म ठीक है अब जो भी हो ३ साल तो ये है
नानी मम्मी को पूजा करा के बैठ जाती हैं

नानी - बेटी माफ़ कर दे तेरे पापा के कारण ये हुआ वो वसीयत लिखें पर बदले नहीं पर और ये ३ साल की बात है बेटी ,

मम्मी (दुखी मन से) हम्म मम्मी

नानी - सुनीता वो सुहागरात तो तुम नहीं करोगी पर बाकी पत्नी धर्म तो निभाना होगा ना घर का काम वगेरह सब।

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नानी - हम्म ठीक है इतने में मामी आती हैं,

मामी - मां दीदी को बाहर बुला रहे हैं, विदाई का वक्त हो गया है।

मम्मी बाहर आ जाती है जहाँ वकील होता है,


वकील - हम्म तो राघव की वसीयत की शर्त हो गई है तो आधी प्रॉपर्टी और पैसे आपके बेटे अभिराज (अभि ) का नाम कर रहे हैं ठीक है,


वकील - पहले सुनीता जी और आप साइन कर दीजिए मम्मी साइन कर देती हैं आखिर इसी के लिए तो यह शादी हुई है।


वकील- थैंक यू अब असलम तुम भी साइन करो यहां पति वाले मैं

असलम- (अब्दुल को देखता है) अब्बू
अब्दुल- असलम कर दो साइन

फिर असलम भी साइन कर देता है

वकील- ठीक है आप दोनो के हो गए अब अभि बेटा तुम भी यहां साइन करो अपनी ज़ायदाद संभालों।



मैं पापा और मम्मी को देखता हूं साइन कर देता हूं।


वकील- और ये 1000 करोड़ की ज़ायदाद अभिराज (अभि ) की हुई मुबारक हो।

अब बाकी की आधी प्रॉपर्टी 3 साल बाद आपके नाम होगी।

राघव जी ३ साल से पहले शादी खत्म नहीं हो सकती वरना आपके ऊपर उल्टा केस होगा बाकी सब प्रॉपर्टी सीज हो जायेगी और जो भी इन सब में जो लोग इस मामले में हैं सब को सज़ा होगी।

अगर आप चाहो तो 3 साल बाद तलाक ले सकते हो या जारी रख सकते हो ।

अच्छा अब मैं चलता हूं ये बोल
वकील चला जाता है ।

सलमा- अब्दुल से क्या मतलब की 3 साल बाद चाहे तो हमेशा के लिए शादी जारी रख कर सकते हैं।


अब्दुल- देखो जो है 3 साल की बात है बस चलो अब बाकी का करते हैं,


सलमा- पर 3 साल के बाद हमें क्या मिलेगा असलम की तो जिंदगी खराब होगी इसी वजह से।


अब्दुल- हमें मालिक के लिए अपना फर्ज निभाना है समझी ओर क्या चाहिए।

पापा सब बात सून रहे थे,

पापा- अब्दुल सुनो मैं एक बात बोलना भूल गया था कि मैं अभी असलम को १०० करोड़ और 3 साल के बाद १०० करोड़ ओर मिलेगा।

अब्दुल साहब इसकी कोई जरूरत नहीं है, वह सलमा बस असलम के लिए फिक्रमंद है,


पापा अरे ऐसा कुछ नहीं है, तुम जो कर रहे हो, बहुत कम है चलो अब कुछ मत बोलना ।

फिर पापा चले जाते हैं।


अब्दुल- सलमा से देखा सुन लिया अब खुश हो १०० करोड़ अब १०० करोड़ 3 साल बाद

सलमा- 100 करोड़ हम तो अपने मोहल्ले और समाज में बहुत अमीर ही जाएंगे , चलिए बिदाई का वक्त हो गया है

फिर बिदाई होने लगती है और मैं भी बारात के साथ मम्मी और असलम के साथ उसके घर जाता हूं
 
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मम्मी की बिदाई हो जाती है ओर गाड़ी में हम असलम के घर जा रहे होते हैं,

जैसे ही असलम के मोहल्ले में घुसते हैं जो एक मुस्लिम बस्ती होती है थोड़ी गंदगी भी थी हम खुद पहली बार आए थे यहां बहुत अजीब लग रहा था ।

मम्मी भी ये सब पहली बार देख रही थीं फिर हम एक छोटे से कच्चे घर के सामने रुके


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अब्दुल- आइये मेम सहाब घर आ गया।
असलम की बुआ- क्या बोल रहे हो भाई जान मेम साहब अब ये असलम की बेगम है।

अब्दुल- जो भी हो है तो मेम साहब ही ना तुम चुप रहो, मम्मी ओर असलम उतरे मैंने भी देखा तो एक छोटा कच्चा घर है ,

असलम का घर देख मम्मी भी अंदर से शॉक्ड थी मैं भी, कि यहां कैसे रहेंगे ऊपर से सब मुस्लिम लोग,

अब्दुल- सलमा अंदर से आई हम अंदर से आ जाते हैं , घर ज्यादा बड़ा नहीं पर ठीक ही था एक छोटा सा हॉल एक किचन ले दो छोटे कमरे।


मम्मी ओर असलम को साथ बैठा दिया , मेरे बाजू में बैठ गया सारे मोहल्ले के लोग घर भर गया था।


पड़ोसी जुबेदा- अरे सलमा आपा बहू तो काफी खूबसूरती और भारी हुई है मुबारक हो बेटे की शादी की,

सलमा - शुक्रिया

मोहल्ले का दोस्त - असलम भाभी जान तो बहुत खूबसूरत और भारी हुई है बहुत नसीब वाले हो अब तो मज़े है,

असलम ने कुछ नहीं बोला

पड़ोसी रुखसाना ; बहू की उमर थोड़ी बड़ी लग रही है

पड़ोसी फ़रीदा- बहन ये इश्क का मामला है और तुम तो जानो ही इश्क-विश्क के मामले में आज कल किसी की सुनते ही कहा है

पड़ोसी जुबीदा - ठीक कहती हो बहन ये मुहा इश्क होता ही नामुराद ऐसा है, वैसे बहन असलम ने लड़की तो बड़ी जोरदार पटाई है।
फिर जुबीदा असलम को छेड़ते हुए क्यों असलम मियां बहू के साथ कब से तेरा इलू- इलू चल रहा था ये सुन कर मम्मी ओर असलम दोनो शर्म से पानी- पानी हो रहें थे।

रुखसाना; अरे अपनी खाला से क्या शरमाना अब देखो कैसे शरमा रहे हैं जब बहू से प्यार कर रहा था, तब तो नहीं शरमा रहा था,




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कब से चल रहा था ये चक्कर कितने साल से बता सिर्फ प्यार की बातें ही की या कुछ किया भी है।

असलम क्या बोलता,

अब्दुल- अरे सब हो गया सब अब जाओ रात हो गई सब थक गए होंगे तो कल मिलते है

आप लोग जाइये
 
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