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अब्दुल फिर अंदर आया और राघव से साहब; आप से एक बात करनी है।
राघव; हां हां बोलो अब्दुल
अब्दुल; साहब आप जानते ही हैं ये निकाह सिर्फ और सिर्फ दिखावे के लिए है लेकिन लोग जो निकाह में आएंगे वो तो नहीं जानते, अगर उन्हें ये पता चले तो मोहल्ले में हमारी इज्जत चली जाएगी।
राघव; मैं समझ सकता हूं किसी को इसके बारे में पता नहीं चलेगा, आखिर हम दोनों की इज्जत का सवाल है।
अब्दुल; साहब हम सब जानते ही हैं कि यह निकाह किस मज़बूरी में हो रहा है।
मेंम साहब भी इस निकाह से दुखी हैं, पर वो क्या है निकाह में मेंम साहब थोड़ी सी खुश दिखेंगी, आप समझ रहे हैं ना।
राघव; मैं समझ सकता हूं तुम उसकी चिंता मत करो, चलों अब सगाई करा देते हैं।
सुमित्रा देवी; तो सगाई की रस्म शुरू करे,
राधा बहू दोनो को अंगूठी दे दो
राधा; जी मां अभी लाई,
ये लिजिए भाभी,
ये लो असलम
(अभि) मैं सोचा रहा था कि असलम कैसे मान गया गुस्सा भी आ रहा था पर कुछ बोल नहीं सकता था, सबके सामने
मम्मी पापा को देखती है कि ये सब झलेना है ,
अब दूसरा रिश्ता जुड़ रहा है, मम्मी की आंखें नम थी।
असलम भी थोड़ा कन्फ्यूज था, कि उसकी होने वाली बेगम सुनीता आंटी है अभि की मम्मी है, अंदर थोड़ी खुशी भी थी कि एक खूबसूरत भरे बदन की औरत उसकी बेगम बनेंगी।
सलमा - असलम मालकिन को अंगूठी पहनाओ।
असलम- हम्म अम्मी ( असलम मम्मी को अंगूठी पहना देता है)
सुमित्रा देवी; सुनीता तुम भी असलम को पहनो,
सुनीता थोड़ी झिझक महसूस कर रही थी, उसकी आंखें नम थी, सुनीता ने फिर अपने बेटे की उम्र के असलम को अंगूठी पहना दी,
असलम जो अभि का बेस्ट फ्रेंड है जल्द ही सुनीता का शौहर होगा।
राधा; मुबारक हो सगाई हो गई।
रतन; चुप,
सुमित्रा देवी; तो सगाई हो गई शादी की तैयारी करो, शादी अच्छे से होगी पैसे की फिक्र मत करना।
राघव अब्दुल को शादी के लिए पैसे से दो,
राघव; जी मां,
राघव; अब्दुल ऑफिस से सब बिल पास करा लेना।
अब्दुल; जी साहब
सुमित्रा देवी; कल सुनीता बहू के घरवाले भी आ जाएंगे आप लोग बस 3 दिन बाद बारात लेकर आ जाना ठीक है।
अब्दुल- जी मांजी सब कर लेंगे अब हमें आज्ञा दीजिए
सुमित्रा देवी; ठीक है
अब्दुल; जी नमस्ते, असलम चलो घर बहुत काम है।
अभि- आंटी मुझे कुछ स्कूल का काम है असलम थोड़ी देर बाद आ जाएगा आप लोग जाओ।
सलमा- पर बेटा टाइम काम है बहुत काम है
अब्दुल- अरे रहने दो आ जाएगा ३० मिनट में आ जाना असलम ठीक है, अब तुम यहां नहीं आ सकते शादी तक ।
असलम- हम्म जी अब्बू
अब्दुल और सलमा अपने घर चले जाते हैं,
सुनीता भी अपने कमरे में जाकर अपना सामान पैक करने लगती हैं ।
असलम अभि कमरे में आता है अभि कमरा का दरवाजा बंद कर लेता है।
अभि असलम को एक मुक्का मारता है ।
असलम- अबे ये क्या कर रहा है
अभि- एक ओर मुक्का मरता है अबे तूने क्यों किया बे, ये सब जानते हुएं भी।
असलम- अबे बात तो सुन अब्बू ने सब बताया था, तेरे परिवार कितनी मुश्किल में है, तेरे नाना जी की शर्त जो वसीयत में है अगर पूरी नहीं हुई तो उनकी प्रोपर्टी में से तूम को कुछ नहीं मिलता,
अगर वसीयत से तेरे परिवार के लिए अगर पैसे नहीं आये तो तुझे और तेरे परिवार की जान को खतरा है।
अभि- पर मम्मी की शादी तूम से, स्कूल में सब मेरा मजाक उड़ायेंगे, और तूझे भी तो उस टाइप औरत पसंद है।
असलम- अबे ये सिर्फ वसीयत के लिए है, लोगों का काम है बोलना तो बोले रहेंगे, हम मिल के सॉल्व कर लेंगे भाई।
मैं आंटी की बहुत रिस्पेक्ट करता हूं, अम्मी की तरह है, ये बात तो है कि आंटी बहुत खूबसूरत है पर ख़ूबसूरत तो मेरी अम्मी भी है मैं उनकी भी रिस्पेक्ट करता हूं।
3 साल की बात है तू फिक्र मत कर तू भी तो होगा रहेगा ना मेरे पास घर में।
अभि - ठीक है पर देख जो भी हो, तू बाद में बदलना नहीं समझा,
असलम - हम्म भाई ये भी कोई कहने की बात है,चल अब मैं घर चलता हूं,
अम्मी अबू तो चले गए, तो में भी चलता हूं, और असलम चला गया।
अभि ने एक बात नोटिस की, जब से असलम और सुनीता की सगाई हुई थी
असलम का लौड़ा उसकी सलवार में किसी बांस की तरह खड़ा था।
राघव; हां हां बोलो अब्दुल
अब्दुल; साहब आप जानते ही हैं ये निकाह सिर्फ और सिर्फ दिखावे के लिए है लेकिन लोग जो निकाह में आएंगे वो तो नहीं जानते, अगर उन्हें ये पता चले तो मोहल्ले में हमारी इज्जत चली जाएगी।
राघव; मैं समझ सकता हूं किसी को इसके बारे में पता नहीं चलेगा, आखिर हम दोनों की इज्जत का सवाल है।
अब्दुल; साहब हम सब जानते ही हैं कि यह निकाह किस मज़बूरी में हो रहा है।
मेंम साहब भी इस निकाह से दुखी हैं, पर वो क्या है निकाह में मेंम साहब थोड़ी सी खुश दिखेंगी, आप समझ रहे हैं ना।
राघव; मैं समझ सकता हूं तुम उसकी चिंता मत करो, चलों अब सगाई करा देते हैं।
सुमित्रा देवी; तो सगाई की रस्म शुरू करे,
राधा बहू दोनो को अंगूठी दे दो
राधा; जी मां अभी लाई,
ये लिजिए भाभी,
ये लो असलम

(अभि) मैं सोचा रहा था कि असलम कैसे मान गया गुस्सा भी आ रहा था पर कुछ बोल नहीं सकता था, सबके सामने
मम्मी पापा को देखती है कि ये सब झलेना है ,
अब दूसरा रिश्ता जुड़ रहा है, मम्मी की आंखें नम थी।
असलम भी थोड़ा कन्फ्यूज था, कि उसकी होने वाली बेगम सुनीता आंटी है अभि की मम्मी है, अंदर थोड़ी खुशी भी थी कि एक खूबसूरत भरे बदन की औरत उसकी बेगम बनेंगी।
सलमा - असलम मालकिन को अंगूठी पहनाओ।

असलम- हम्म अम्मी ( असलम मम्मी को अंगूठी पहना देता है)
सुमित्रा देवी; सुनीता तुम भी असलम को पहनो,
सुनीता थोड़ी झिझक महसूस कर रही थी, उसकी आंखें नम थी, सुनीता ने फिर अपने बेटे की उम्र के असलम को अंगूठी पहना दी,

असलम जो अभि का बेस्ट फ्रेंड है जल्द ही सुनीता का शौहर होगा।
राधा; मुबारक हो सगाई हो गई।
रतन; चुप,
सुमित्रा देवी; तो सगाई हो गई शादी की तैयारी करो, शादी अच्छे से होगी पैसे की फिक्र मत करना।
राघव अब्दुल को शादी के लिए पैसे से दो,
राघव; जी मां,
राघव; अब्दुल ऑफिस से सब बिल पास करा लेना।
अब्दुल; जी साहब
सुमित्रा देवी; कल सुनीता बहू के घरवाले भी आ जाएंगे आप लोग बस 3 दिन बाद बारात लेकर आ जाना ठीक है।
अब्दुल- जी मांजी सब कर लेंगे अब हमें आज्ञा दीजिए
सुमित्रा देवी; ठीक है
अब्दुल; जी नमस्ते, असलम चलो घर बहुत काम है।
अभि- आंटी मुझे कुछ स्कूल का काम है असलम थोड़ी देर बाद आ जाएगा आप लोग जाओ।
सलमा- पर बेटा टाइम काम है बहुत काम है
अब्दुल- अरे रहने दो आ जाएगा ३० मिनट में आ जाना असलम ठीक है, अब तुम यहां नहीं आ सकते शादी तक ।
असलम- हम्म जी अब्बू
अब्दुल और सलमा अपने घर चले जाते हैं,
सुनीता भी अपने कमरे में जाकर अपना सामान पैक करने लगती हैं ।
असलम अभि कमरे में आता है अभि कमरा का दरवाजा बंद कर लेता है।
अभि असलम को एक मुक्का मारता है ।
असलम- अबे ये क्या कर रहा है
अभि- एक ओर मुक्का मरता है अबे तूने क्यों किया बे, ये सब जानते हुएं भी।
असलम- अबे बात तो सुन अब्बू ने सब बताया था, तेरे परिवार कितनी मुश्किल में है, तेरे नाना जी की शर्त जो वसीयत में है अगर पूरी नहीं हुई तो उनकी प्रोपर्टी में से तूम को कुछ नहीं मिलता,
अगर वसीयत से तेरे परिवार के लिए अगर पैसे नहीं आये तो तुझे और तेरे परिवार की जान को खतरा है।
अभि- पर मम्मी की शादी तूम से, स्कूल में सब मेरा मजाक उड़ायेंगे, और तूझे भी तो उस टाइप औरत पसंद है।
असलम- अबे ये सिर्फ वसीयत के लिए है, लोगों का काम है बोलना तो बोले रहेंगे, हम मिल के सॉल्व कर लेंगे भाई।
मैं आंटी की बहुत रिस्पेक्ट करता हूं, अम्मी की तरह है, ये बात तो है कि आंटी बहुत खूबसूरत है पर ख़ूबसूरत तो मेरी अम्मी भी है मैं उनकी भी रिस्पेक्ट करता हूं।
3 साल की बात है तू फिक्र मत कर तू भी तो होगा रहेगा ना मेरे पास घर में।
अभि - ठीक है पर देख जो भी हो, तू बाद में बदलना नहीं समझा,
असलम - हम्म भाई ये भी कोई कहने की बात है,चल अब मैं घर चलता हूं,
अम्मी अबू तो चले गए, तो में भी चलता हूं, और असलम चला गया।
अभि ने एक बात नोटिस की, जब से असलम और सुनीता की सगाई हुई थी

असलम का लौड़ा उसकी सलवार में किसी बांस की तरह खड़ा था।
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