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काम करते-करते थककर राज थोड़ी देर आराम करने के लिए कार के मडगार्ड पर बैठ गया और कारीगर से बोला, “जरा बाहर वाले से एक चाय तो मंगवाओ।”
कारीगर दौड़ता हुआ बाहर चला गया। राज पैकेट निकाल कर सिगरेट सुलगाने लगा। कार के मालिक सूटेड-बूटेड व्यक्ति ने अखबार पढ़ते-पढ़ते राज की ओर देखा और मुंह बनाकर बोला, “भई! मुझे जरा जल्दी है....”
“आप ही का काम हो रहा है साहब।” राज ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा, “दो घण्टे से अधिक हो गए लगे लगे-चन्द मिनट सुस्ताने तो दें।”
“सुस्ताने के लिए तो पूरी रात पड़ी है...” वह व्यक्ति झल्लाकर बोला, “मैं लेट हो गया तो मैनेजर से भेंट भी न हो सकेगी...”
राज उठ खड़ा हुआ। उसने सिगरेट के दो गहरे कश लिए और उस व्यक्ति की आंखों में देखता हुआ बोला, “यहां जो भी काम कराने आता है हवा के घोड़े पर सवार आता है....हम लोग इन्सान है मशीन नहीं कि थकान का भान ही न हो....और फिर मशीन को भी आराम की आवश्यकता होती है।”
राज के तेवर देखकर व्यक्ति कुछ नर्म पड़ गया और खुशामद भरे स्वर में बोला, “तुम नहीं समझ सकते भाई। यह मेरे भाई के भविष्य का प्रश्न है....मुझे हर हालत में पांच बजे से पहले जेमसन कम्पनी के मैनेजर से मिलना है। मेरा भाई इंजीनियर है....मैं जेमसन कम्पनी के मैनेजर के नाम एक सिफारिशी पत्र लाया हूं....यदि काम बन गया तो मेरे भाई को पांच हजार रुपये महीने की नौकरी मिल जाएगी।”
राज ने ध्यान से उस व्यक्ति के चेहरे को देखा....कितनी तड़प थी अपने भाई के लिए इस व्यक्ति के चेहरे पर....राज के हृदय में एक ज्ञात-सी हूक उठी....उसी समय कारीगर चाय लेकर आ गया राज ने कहा, “पी ले तू....मैं थोड़ी देर बाद पी लूंगा।”
राज कार के पास आ गया। उस व्यक्ति के चेहरे पर धन्यवाद कहती हुई मुस्कराहट आ गई। वह राज के पास खिसककर बोला‒
“क्षमा करना मिस्त्री....मैं झुंझलाहट में जरा कठोर शब्दों में कुछ कह गया था। तुम नहीं जानते मैं अपने भाई के लिए कितना चिन्तित हूं....बड़ी कठिनाई से मैंने उसे इंजीनियरिंग पढ़ाई है....किन्तु, दो वर्षों से बेकार फिर रहा है;...कहते हैं हिन्दुस्तान में टैकनिकल हैन्डस का अभाव है....हजारों युवक इंजीनियरी पास करके बेकार फिर रहे हैं।”
“जब हर तीसरा व्यक्ति इंजीनियर बन जाएगा तो यही होगा।” राज ने रेंच चलाते हुए कहा, “आप उसके बड़े भाई हैं?”
“बड़ा भाई ही छोटे भाई के भविष्य के लिए इतना चिन्तित हो सकता है....बेकार फिरते-फिरते लड़का बिगड़ा जा रहा है....मैं उसका मन नहीं तोड़ सकता.....जो मांगता है खर्च के लिए देता हूं....कहीं वह यह न समझने लगे कि बड़ा भाई मेरी बेकारी से तंग आ गया है और अब पीछा छुड़ाना चाहता है।”
राज के मन में एक विचित्र-सी हलचल हो रही थी....एक हूक....एक कसक....एक विशेष सी तड़प....उसने उस व्यक्ति से पूछा‒
“क्या नौकरी है जेमसन एण्ड जेमसन में....”
“नौकरी क्या? कुछ समय गुजरना है......वास्तव में मेरी अपनी फैक्टरी में ही काम निकलने वाला है....किन्तु चन्द महीने और भाई बेकार रहा तो बिल्कुल नाकारा हो जाएगा....दोस्त-यार बस हा-हा, हू-हू के ही साथी होते हैं....इसीलिए सोचा है जेमसन एण्ड जेमसन में कुछ दिन लगा रहेगा तो कम से कम समय अनुकूलता तो सीख जाएगा....मैं जानता हूं वह बहुत सख्त काम नहीं कर सकता...जेमसन एण्ड जेमसन अपने यहां तैयार होने वाली कारों के कुछ खास पुर्जे विदेश से मंगवाती है....किन्तु धीरे-धीरे इन पुर्जों को भारत में तैयार करने की योजना बन रही है....उनमें से एक पुर्जा ऐसा है जो यहां के बड़े-बड़े इंजीनियरों को भी चक्कर में डाले हुए है। उस पुर्जे की तैयारी के लिए फर्म छः छः महीने के लिए इंजीनियर नौकर रखती है....छः महीने तक वह सफल नहीं होते तो समझौते के अनुसार उन्हें अलग कर दिया जाता है और नये किसी इंजीनियर को प्रयोग का अवसर दिया जाता है। मैं जानता हूं मेरा भाई वह पुर्जा नहीं बना सकता किन्तु छः महीने तक पांच हजार रुपये महीना तो कमा ही लेगा....यदि छः महीने बाद भी कोई काम न मिला तो पैसे से कोई धंधा ही कर लेगा।”
“किन्तु यह तो अच्छी बात नहीं, यह तो केवल स्वार्थता है....आप जानते हैं कि आपका भाई वह पुर्जा नहीं बना सकता, फिर भी आप उसे वह नौकरी दिवाना चाहते हैं....यह तो समाज और देश से द्रोह होगा।”
“अरे भई आजकल अपने कर्तव्यों में कौन ईमानदारी बरतता है....आपने सुना नहीं गंगा के उस पुल के विषय में जिसका बजट तैयार हुआ, पुल कागजों पर बना, रकम दे दी गई और जब निरीक्षण के लिए सरकारी कमीशन गया तो उस स्थान पर कभी कोई पुल नहीं बना था।”
राज कुछ न बोला। वह चुपचाप इंजन की मरम्मत करता रहा।
दस मिनट बाद कार ठीक हो गई। उस व्यक्ति ने मरम्मत का बिल चुकाया और इतनी शीघ्र काम पूरा करने पर राज का धन्यवाद करके चला गया। उसके चले जाने के बाद राज ने सिगरेट सुलगाया और वहीं एक दूसरी गाड़ी के मडगार्ड पर बैठते हुए उसने एक कारीगर को चाय लाने के लिए कहा। उसकी दृष्टि अचानक ही उस अखबार पर पड़ी जिसे वह व्यक्ति पढ़ रहा था। राज ने अखबार उठा लिया। अखबार तह किया हुआ था और सबसे ऊपर ही एक इश्तहार पर राज की दृष्टि पड़ी जिसके गिर्द लाल पेंसिल से हाशिया खींच दिया गया था। यह अखबार वह व्यक्ति शीघ्रता में यहीं भूल गया था। इश्तहार के बीच में एक पुर्जे की तस्वीर थी जिसे बनाने के लिए जेमसन कम्पनी को किसी कुशल इंजीनियर की आवश्यकता थी।
राज बड़े ध्यान से उस पुर्जे की तस्वीर देखता रहा।
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कारीगर दौड़ता हुआ बाहर चला गया। राज पैकेट निकाल कर सिगरेट सुलगाने लगा। कार के मालिक सूटेड-बूटेड व्यक्ति ने अखबार पढ़ते-पढ़ते राज की ओर देखा और मुंह बनाकर बोला, “भई! मुझे जरा जल्दी है....”
“आप ही का काम हो रहा है साहब।” राज ने सिगरेट सुलगाते हुए कहा, “दो घण्टे से अधिक हो गए लगे लगे-चन्द मिनट सुस्ताने तो दें।”
“सुस्ताने के लिए तो पूरी रात पड़ी है...” वह व्यक्ति झल्लाकर बोला, “मैं लेट हो गया तो मैनेजर से भेंट भी न हो सकेगी...”
राज उठ खड़ा हुआ। उसने सिगरेट के दो गहरे कश लिए और उस व्यक्ति की आंखों में देखता हुआ बोला, “यहां जो भी काम कराने आता है हवा के घोड़े पर सवार आता है....हम लोग इन्सान है मशीन नहीं कि थकान का भान ही न हो....और फिर मशीन को भी आराम की आवश्यकता होती है।”
राज के तेवर देखकर व्यक्ति कुछ नर्म पड़ गया और खुशामद भरे स्वर में बोला, “तुम नहीं समझ सकते भाई। यह मेरे भाई के भविष्य का प्रश्न है....मुझे हर हालत में पांच बजे से पहले जेमसन कम्पनी के मैनेजर से मिलना है। मेरा भाई इंजीनियर है....मैं जेमसन कम्पनी के मैनेजर के नाम एक सिफारिशी पत्र लाया हूं....यदि काम बन गया तो मेरे भाई को पांच हजार रुपये महीने की नौकरी मिल जाएगी।”
राज ने ध्यान से उस व्यक्ति के चेहरे को देखा....कितनी तड़प थी अपने भाई के लिए इस व्यक्ति के चेहरे पर....राज के हृदय में एक ज्ञात-सी हूक उठी....उसी समय कारीगर चाय लेकर आ गया राज ने कहा, “पी ले तू....मैं थोड़ी देर बाद पी लूंगा।”
राज कार के पास आ गया। उस व्यक्ति के चेहरे पर धन्यवाद कहती हुई मुस्कराहट आ गई। वह राज के पास खिसककर बोला‒
“क्षमा करना मिस्त्री....मैं झुंझलाहट में जरा कठोर शब्दों में कुछ कह गया था। तुम नहीं जानते मैं अपने भाई के लिए कितना चिन्तित हूं....बड़ी कठिनाई से मैंने उसे इंजीनियरिंग पढ़ाई है....किन्तु, दो वर्षों से बेकार फिर रहा है;...कहते हैं हिन्दुस्तान में टैकनिकल हैन्डस का अभाव है....हजारों युवक इंजीनियरी पास करके बेकार फिर रहे हैं।”
“जब हर तीसरा व्यक्ति इंजीनियर बन जाएगा तो यही होगा।” राज ने रेंच चलाते हुए कहा, “आप उसके बड़े भाई हैं?”
“बड़ा भाई ही छोटे भाई के भविष्य के लिए इतना चिन्तित हो सकता है....बेकार फिरते-फिरते लड़का बिगड़ा जा रहा है....मैं उसका मन नहीं तोड़ सकता.....जो मांगता है खर्च के लिए देता हूं....कहीं वह यह न समझने लगे कि बड़ा भाई मेरी बेकारी से तंग आ गया है और अब पीछा छुड़ाना चाहता है।”
राज के मन में एक विचित्र-सी हलचल हो रही थी....एक हूक....एक कसक....एक विशेष सी तड़प....उसने उस व्यक्ति से पूछा‒
“क्या नौकरी है जेमसन एण्ड जेमसन में....”
“नौकरी क्या? कुछ समय गुजरना है......वास्तव में मेरी अपनी फैक्टरी में ही काम निकलने वाला है....किन्तु चन्द महीने और भाई बेकार रहा तो बिल्कुल नाकारा हो जाएगा....दोस्त-यार बस हा-हा, हू-हू के ही साथी होते हैं....इसीलिए सोचा है जेमसन एण्ड जेमसन में कुछ दिन लगा रहेगा तो कम से कम समय अनुकूलता तो सीख जाएगा....मैं जानता हूं वह बहुत सख्त काम नहीं कर सकता...जेमसन एण्ड जेमसन अपने यहां तैयार होने वाली कारों के कुछ खास पुर्जे विदेश से मंगवाती है....किन्तु धीरे-धीरे इन पुर्जों को भारत में तैयार करने की योजना बन रही है....उनमें से एक पुर्जा ऐसा है जो यहां के बड़े-बड़े इंजीनियरों को भी चक्कर में डाले हुए है। उस पुर्जे की तैयारी के लिए फर्म छः छः महीने के लिए इंजीनियर नौकर रखती है....छः महीने तक वह सफल नहीं होते तो समझौते के अनुसार उन्हें अलग कर दिया जाता है और नये किसी इंजीनियर को प्रयोग का अवसर दिया जाता है। मैं जानता हूं मेरा भाई वह पुर्जा नहीं बना सकता किन्तु छः महीने तक पांच हजार रुपये महीना तो कमा ही लेगा....यदि छः महीने बाद भी कोई काम न मिला तो पैसे से कोई धंधा ही कर लेगा।”
“किन्तु यह तो अच्छी बात नहीं, यह तो केवल स्वार्थता है....आप जानते हैं कि आपका भाई वह पुर्जा नहीं बना सकता, फिर भी आप उसे वह नौकरी दिवाना चाहते हैं....यह तो समाज और देश से द्रोह होगा।”
“अरे भई आजकल अपने कर्तव्यों में कौन ईमानदारी बरतता है....आपने सुना नहीं गंगा के उस पुल के विषय में जिसका बजट तैयार हुआ, पुल कागजों पर बना, रकम दे दी गई और जब निरीक्षण के लिए सरकारी कमीशन गया तो उस स्थान पर कभी कोई पुल नहीं बना था।”
राज कुछ न बोला। वह चुपचाप इंजन की मरम्मत करता रहा।
दस मिनट बाद कार ठीक हो गई। उस व्यक्ति ने मरम्मत का बिल चुकाया और इतनी शीघ्र काम पूरा करने पर राज का धन्यवाद करके चला गया। उसके चले जाने के बाद राज ने सिगरेट सुलगाया और वहीं एक दूसरी गाड़ी के मडगार्ड पर बैठते हुए उसने एक कारीगर को चाय लाने के लिए कहा। उसकी दृष्टि अचानक ही उस अखबार पर पड़ी जिसे वह व्यक्ति पढ़ रहा था। राज ने अखबार उठा लिया। अखबार तह किया हुआ था और सबसे ऊपर ही एक इश्तहार पर राज की दृष्टि पड़ी जिसके गिर्द लाल पेंसिल से हाशिया खींच दिया गया था। यह अखबार वह व्यक्ति शीघ्रता में यहीं भूल गया था। इश्तहार के बीच में एक पुर्जे की तस्वीर थी जिसे बनाने के लिए जेमसन कम्पनी को किसी कुशल इंजीनियर की आवश्यकता थी।
राज बड़े ध्यान से उस पुर्जे की तस्वीर देखता रहा।
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