Incest हाय रे ज़ालिम................

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देवा;नूतन की चूत में झटके मार रहा था और नूतन अपने पिया के लंड की ताप सह रही थी मगर वो इतनी ज्यादा उतेजित थी के ज़्यादा देर टीक नहीं पाती और अपने देवा को अपनी बाहों में कस लेती है।
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नुतन ;आहह मर गयी भइया।
मेरी चूत आहह बस भी करो उन्हहह।
रुक जाओ ना कोई आ जायेगा ना आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
उन्हें बाहर से कुछ शोर सुनाई देता है।
नुतन;झट से अपने हाथ से देवा का लंड पकड़ के अपनी चूत से बाहर निकाल देती है और खड़ी होकर कपडे पहनने लगती है।
देवा;का दिमाग घूम जाता है जब वो अपने पूरे जोश में था और अपने सुहागरात का मजा ले रहा था ठीक उसी वक़्त नूतन ने उसके लंड को बाहर खीच ली थी।
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देवा; साली छिनाल क्या कर रही है
नुतन;जाओ यहाँ से मेरे ससुराल वालों ने देख लिया तो क्या होगा पता भी है।
देवा;तेरी माँ की।
देवा का लंड फौलाद की तरह खड़ा था।
किसी किंग कोबरा की तरह अपने फन को उठाये वो डसने को तैयार था।
बाहर से आती आवाज़ देवा को कपडे पहनने पर मजबूर कर देती है और वो अपने कपडे पहनकर पीछे के दरवाज़े से बाहर निकल जाता है।
वो अपने लंड को बार बार पायजामे के अंदर दबा रहा था मगर वो था की बैठने का नाम नहीं ले रहा था।
उसे नूतन पर ग़ुस्सा भी बहुत आ रहा था। ऐसा बहुत कम हुआ था उसके साथ की किसी ने चूत से उसके लंड को बाहर खीचा हो।


मगर वो जनता था की नूतन अभी इस काम में नई है और जब वो शालु के घर को अच्छी तरह से जान जाएगी तब वो भी खुल कर अपनी चूत कुटावायेगी।
वो अपने घर की तरफ मुडा ही था की उसे पीछे से शालु आवाज़ देती है।
देवा;पलट कर देखता है तो वो शालु को देखता ही रह जाता है।
शालु सिर्फ ब्लाउज और पेटिकोट में दरवाज़े के पास खड़ी थी।
उसके बाल खुले हुए थे और ऑंखों में शराब सा नशा दूर से चमक रहा था।
पप्पू;अपने हरामीपन से बाज़ नहीं आया था।
उसने शालु के मुँह में अपना लंड डाल कर उसे खड़ा करके नूतन के पास चला गया था और शालु अपनी चूत मलते रह गई थी।
वो पप्पू को गलियां देना चाहती थी मगर उसके सुहागरात होने के कारण वो चुप रह गई थी।

देवा शालू के करीब आता है।
क्या हुआ काकी तबियत तो ठीक है।
शालु;तू पहले अंदर आजा।
देवा;घर के अंदर आता है और शालु दरवाज़ा बंद करके उसका हाथ पकड़ के अपने रूम में ले जाती है।
देवा का लंड तो पहले से तैयार खड़ा था ऊपर से शालु अपनी कमर मटका रही थी।
शालु बिस्तर पर उल्टा लेट जाती है और अपनी पेटीकोट को कमर तक चढ़ा लेती है।
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अरे देख क्या रहा है वो तेल की शीशी ले और मेरी कमर की मालिश कर दे ज़रा बेटा।
सुबह से शादी के काम काज से कमर दर्द कर रही है
लगता है कोई नस चढ़ गई है।
देवा;मुस्कराता हुआ तेल की शीशी लेकर शालु की कमर के पास बैठ जाता है।
अपने दोनों हाथों में तेल मल कर वो शालु की पिण्डलियों की मालिश करने लगता है।
शालु मर्द का हाथ अपने जिस्म पर महसूस करके सिहर उठती है।
उसकी चुत का दाना फिर से फरमाईश करने लगता है।
शालू:उन्ह क्या हाथ है तेरा बेटा। दर्द ग़ायब होने लगा है ऊपर भी थोड़ा सा आह्ह्ह।
शालु ने अंदर कुछ नहीं पहनी थी। देवा का हाथ ऊपर की तरफ बढ़ने लगता है और जैसे जैसे तेल से भिगे हुए हाथ ऊपर चढ़ने लगते है शालु की सिसकारियाँ गहरी होने लगती है।ऊह आह्ह्ह्ह।
देवा;शालू मुझे लगता है पप्पू ने आज भी तुझे अधूरा रख दिया काकी।
शालु;चौंक कर गर्दन घुमा कर देवा की तरफ देखती है।
और फिर धीमी आवाज़ में कहती है हाँ।
देवा;शालू की कमर के ऊपर चढ़ जाता है और अपने पायजामे को उतार देता है।
अपने लंड को हाथ में पकड़ कर वो उसपर भी तेल लगा देता है और उसे सीधा शालु की कमर की दरार के बीचो बीच घीसने लगता है।
शालु;आहह क्या कर रहा है ।उहँन ये गरम गरम क्या है रे आह्ह्ह।
देवा;तेरे मरद का लंड है मेरी जान जिसे तू भी लेना चाहती है बोल लेना चाहती है ना।
औ ये कहते हुए दो थप्पड शालु की चूतड़ पर जड़ देता है।
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शालु; उई माँ पूछता क्यों है जब तुझे सब पता है तो। आहह। ठोक दे न अंदर अपने हथोड़े जैसे लंड को आह्ह्ह्ह।
देवा भी यही चाहता था वो अपने लंड को शालु की चूत के ऊपर टिकाता है और एक झटके में उसे शालु की चूत के अंदर पहुंचा देता है।
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शालु का पूरा जिस्म कंप जाता है वो दोनों हाथों से तकिये को जकड लेती है।
आह्ह्ह मार देता है तू हरामी जब भी अंदर घुसाता है आहह।
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देवा;मेरे लंड की रानी तेरी चूत का मजा ही कुछ और है आहह।
शालु;उन्हह बड़ा हरामी है रे देवा तू। मेरी बेटी को भी यही कहकर लेता है माँ आह्ह्ह।
देवा पुरी तरह शालु के ऊपर चढ़ जाता है और सटा सट सटा सट अपने लंड के वार से शालु की चूत के छक्के छुड़ाने लगता है।
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इस पोजीशन में शालु की चूत की जड़ तक देवा का लंड नहीं पहुँच पा रहा था और शालु उस वक़्त उसे अपने अंदर तक लेना चाहती थी। वो देवा को नीचे लेटने के लिए कहती है और अपनी दोनों टाँगें उसके कमर के आजु बाजु डालकर अपनी चूत के मुहाने पर देवा का लंड टीका देती है।
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देवा;नीचे झुक थोड़ा सा।
शालु;अपनी चूचियों को देवा के मुँह के पास ले आती है और देवा उन्हें अपने मुँह में लेकर लंड को नीचे से झटका देता है।
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शालु;कमर को थोड़ा उठाती है और फिर उस पर बैठती चली जाती है और देवा का विशाल लंड शालू की चूत में घुसता चला जाता है।
आहहहह्ह्ह्ह।

शालू: आह्ह्ह मेरे राजा हां पी जा मेरा दूध तेरे लिए है।
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सच कहूं तू ही असली मरद है मेरा आहह्ह्ह्ह
मेरी रोज़ लिया कर ना रे।
देवा;अब तो तेरी बहु आ गई है अब तुझे नहीं करुँगा मैं शालु।
शालू ;क्या कहा नहीं करेगा। ऐसे कैसे नहीं करेगा उह
मेरी बहु को भी नीचे लिटा दूंगी तेरे। तू फिकर मत कर तेरी बहन है तो क्या हुआ।
मगर मुझे नहीं करेगा न तो तेरा जीना मुश्किल कर दूंगी। आह्ह्ह्ह कमीने ।
देवा;दिल ही दिल में मुस्कुराने लगता है।
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वो जो चाहता था वही बात शालु ने उससे आज कह दी थी।
अपने लंड की तपीश से वो शालु की चूत को जलाने लगता है और शालु भी अपने देवा में खो जाती है।
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इधर देवा के घर में रत्ना और नीलम देवा का इंतज़ार कर रही थी।
देवा एक घंटे बाद शालु की जम कर चुदाई करने के बाद घर आता है और अपने हाथ मुँह धो कर अपने रूम में चला जाता है।
रत्ना;नीलम बिटिया जा ज़रा देवा से पूछ ले। खाना खाया है की नही।
रत्ना;सुबह की बात से देवा से थोडी सी नाराज़ थी।
देवा ने उसका हाथ पकड़ के जो हरकत देवकी के सामने किया था । उसी बात से रत्ना थोडी परेशान थी।
नीलम;देवा के रूम में जाकर उसके पास बैठ जाती है।
माँ ने कहा है की तुम्हें पूछ लूँ की खाना खाओगे क्या।
देवा;नीलम की तरफ देखते हुए हँस देता है।
नीलम;हँस क्यों रहे हो जी।
देवा;वो इसलिए जी क्यों की तू बिलकुल ऐसे अंदाज़ में पूछ रही है जैसे हम अभी से पति पत्नी हो गए है।
नीलम;शरमा जाती है। कुछ भी कहते हो माँ सुन लेगी तो...।
देवा;नीलम का हाथ अपने हाथों में ले लेता है।
सच कहूं नीलम आज मंडप में मेरा भी दिल किया की तेरी माँ से हमारे बारे में बात करुं।
नीलम का दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगता है।
उसके होंठ काँपने लगते है उसे कुछ भी नहीं सूझता की क्या कहे।
नीलम;माँ बुला रही है।
देवा;कोई नहीं बुला रहा जब देखो बहाने बना कर भाग जाती है।
बैठ न थोडी देर।
नीलम;ममता दीदी चली गई है तो घर कितना खाली खाली लगता है ना।
देवा; हाँ ममता थी तो घर में एक रौनक सी थी।
वो नहीं है तो घर काटने को दौडता है।
नीलम चुप हो जाती है।
जब रश्मि दीदी गई थी तब मुझे भी ऐसे ही लगता था।
देवा;मुझे ये घर जल्द से जल्द रौशन करना है नीलम।
नीलम;कैसे।
देवा;तुझे अपनी पत्नी बना कर जब मै हमेशा के लिए यहाँ लाऊँगा तब मेरे घर में और मेरे जीवन में रौशनी ही रौशनी हो जाएंगी।
मै तुझसे बहुत प्यार करता हूँ नीलम और तेरे बिना मुझे कोई भी नहीं भाता।
मै तुझे अपनी पत्नी बनी देखना चाहता हूँ जल्द से जल्द।
नीलम;सर झुका कर बस इतना कह पाती है।
मै भी आपके जीवन में सारे रंग भरना चाहती हूँ।
देवा;नीलम का सर ऊपर उठाता है ।
वैसे आज कोई बहुत सुन्दर लग रही थी।
नीलम;कौंन।
देवा;मेरी नीलम रानी।
नीलम;बुरी तरह शर्मा जाती है वो उठ कर जाने लगती है मगर नीलम के प्रेम में पागल देवा उसे जाने नहीं देता और बिस्तर पर गिरा देता है।

नीलम;क्या कर रहे हो माँ आ जायेगी ना।
देवा;सुबह से तुझे देख रहा हूँ और जानती है सबसे प्यारी चीज़ मुझे तुझ में क्या लगी।
नीलम;क्या जी।
देवा; ये।
वो अपने होठो को नीलम के होठो से मिला देता है।
नीलम;अपनी उँगलियों को देवा के बालों में डाल देती है और अपने होठो को खोल देती है। ये सोचते हुए की जो मेरे पति को पसंद है वो मै उसे जी भर कर दूंगी।

रत्ना;नीलम कहा है बिटिया।
नीलम;देवा को धक्का देकर रत्ना के पास चलि जाती है और देवा अपने होठो को पोछते हुए दिल ही दिल में खुश हो जाता है।
वो अपने बिस्तर पर पिछले दो घंटे से पड़ा था मगर उससे नींद नहीं आ रही थी।
वो उठकर पानी पीने के लिए किचन की तरफ जाता है और उसे रतना के रूम में रौशनी दिखाई देती है।
वो अंदर झाँक कर देखता है तो उसे नीलम सोये हुए दिखाई देती है और रत्ना छत को देखते हुए नज़र आती है।
रत्ना;को भी नींद नहीं आ रही थी । वो भी जग रही थी।
देवा; धीरे से दरवाज़ा खोलता है और अंदर आ जाता है
उसे अंदर आता देख रत्ना अपनी ऑंखें बंद कर लेती है।
देवा;रौशनी को कम करके रत्ना के पीछे आकर लेट जाता है।
रत्ना;करवट बदल लेती है और नीलम की तरफ मुँह और देवा की तरफ पीठ कर देती है।
देवा;पास में पड़ी हुई रज़ाई अपने और रत्ना के ऊपर डाल देता है और अपना एक हाथ रत्ना की कमर पर रख देता है।
रत्ना;अपने कमर पर हाथ पडते ही उसे झटका देती है।
देवा;फिर से रखता है।
रत्ना;फिर से हाथ झटक देती है।
इस बार देवा हाथ कमर पर नहीं बल्कि सीधा रत्ना की चुचियों पर रख देता है।
रत्ना; कांप जाती है।
देवा;चुप चाप वैसे ही पड़ा रहता है।
मगर धीरे धीरे पीछे से वो रत्ना की चूतड से चिपक जाता है।
रत्ना;उस वक़्त साडी पहनी हुई थी।
देवा;अपनी माँ से इतना करीब पहले कभी नहीं हुआ था और उसे इस बात पर भी यक़ीन नहीं हो रहा था की वो रत्ना के इतने क़रीब है और रत्ना उसे कुछ भी नहीं कह रही।
देवा;अपने पायजामे का नाडा खोलता है और अपने लंड को बाहर निकाल कर उसे पीछे से रत्ना की गांड की दरार पर लगा देता है।
रत्ना;अपनी ऑंखें बंद कर लेती है वो जानती थी की उसे क्या चूभ रहा है।
मगर वो खामोश थी।
रात के अँधेरे में देवा का जोश भी धीरे धीरे बढ़ने लगता है और वो अपने हाथ से धीरे धीरे रत्ना की चुचियों को सहलाने लगता है।

रत्ना;जो काफी देर से अपनी साँस रोके पड़ी थी सिसकने लगती है मगर पास में नीलम के लेटी होने की वजह से वो ज़्यादा शोर भी नहीं मचा सकती थी।

देवा;इसी बात का फायदा उठा कर अपने हाथ की पकड़ मज़बूत करने लगता है और रत्ना के चुचियों को पूरी ताकत से मसलने लगता है।
रत्ना; उह्ह्ह आह्ह्ह।
बस कसमासने लगती है।
देवा;रत्न को घुमा कर सीधा लिटा देता है
और अपने होठो को रत्ना की कान के पास लाकर धीरे से उसके कान में कहता है।
माँ मुझे माफ़ कर दे मगर मुझसे नाराज़ मत रह वरना मै मर जाऊँगा।।
रत्ना;एक पल के लिए अपनी ऑंखें खोलती है और फिर बंद कर देती है।
देवा;समझ जाता है की रत्ना ने उसे माफ़ कर दिया है।
वो रत्ना का नरम हाथ अपने हाथ में ले लेता है और उसे सरकाते हुए अपने लंड पर रख देता है।
अपने हाथ में रत्ना ने इससे खूसबूरत और गरम चीज़ पहले कभी नहीं पकडी थी।
वो अपना हाथ देवा के लंड से हटाना चाहती है मगर देवा उसे हाथ हटाने नहीं देता।
और रत्ना के ब्लाउज को थोड़ा सा नीचे सरका कर रत्ना के निप्पल को अपने मुँह में भर लेता है।
देवा;की ये मरदाना हरकत रत्ना को पागल कर देती है और रत्ना अपनी ऑखें बंद करके देवा के लंड को मज़बूती से अपने हाथ में जकड लेती है।
देवा;किसी बच्चे की तरह रत्ना के निप्पल्स को चुसने लगता है और रत्ना अपने हाथों से देवा के लंड को सहलाने लगती है।।

दोनो एक अजीब दुनिया में पहुँच जाते है इशारों नज़रों में कही जाने वाली बात आज सच होते नज़र आने लगती है मगर अचानक पता नहीं रत्ना को क्या हो जाता है और वो देवा के लंड को छोड देती है और उसके मुँह से अपने निप्पल्स को बाहर निकाल कर अपना ब्लाउज ऊपर चढा लेती है।
देवा;हक्का बक्का से रत्ना को देखने लगता है उसे समझ नहीं आता की ये रत्ना को हुआ क्या है।
रत्ना;ऊँगली के इशारे से देवा को बाहर जाने के लिए कहती है और देवा बिना कुछ बोले वहां से अपने रूम में चला जाता है।
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देवा;नूतन की चूत में झटके मार रहा था और नूतन अपने पिया के लंड की ताप सह रही थी मगर वो इतनी ज्यादा उतेजित थी के ज़्यादा देर टीक नहीं पाती और अपने देवा को अपनी बाहों में कस लेती है।नुतन ;आहह मर गयी भइया।
मेरी चूत आहह बस भी करो उन्हहह।
रुक जाओ ना कोई आ जायेगा ना आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
उन्हें बाहर से कुछ शोर सुनाई देता है।
नुतन;झट से अपने हाथ से देवा का लंड पकड़ के अपनी चूत से बाहर निकाल देती है और खड़ी होकर कपडे पहनने लगती है।
देवा;का दिमाग घूम जाता है जब वो अपने पूरे जोश में था और अपने सुहागरात का मजा ले रहा था ठीक उसी वक़्त नूतन ने उसके लंड को बाहर खीच ली थी।देवा; साली छिनाल क्या कर रही है
नुतन;जाओ यहाँ से मेरे ससुराल वालों ने देख लिया तो क्या होगा पता भी है।
देवा;तेरी माँ की।
देवा का लंड फौलाद की तरह खड़ा था।
किसी किंग कोबरा की तरह अपने फन को उठाये वो डसने को तैयार था।
बाहर से आती आवाज़ देवा को कपडे पहनने पर मजबूर कर देती है और वो अपने कपडे पहनकर पीछे के दरवाज़े से बाहर निकल जाता है।
वो अपने लंड को बार बार पायजामे के अंदर दबा रहा था मगर वो था की बैठने का नाम नहीं ले रहा था।
उसे नूतन पर ग़ुस्सा भी बहुत आ रहा था। ऐसा बहुत कम हुआ था उसके साथ की किसी ने चूत से उसके लंड को बाहर खीचा हो।
वो रत्ना का नरम हाथ अपने हाथ में ले लेता है और उसे सरकाते हुए अपने लंड पर रख देता है।
अपने हाथ में रत्ना ने इससे खूसबूरत और गरम चीज़ पहले कभी नहीं पकडी थी।
वो अपना हाथ देवा के लंड से हटाना चाहती है मगर देवा उसे हाथ हटाने नहीं देता।

और रत्ना के ब्लाउज को थोड़ा सा नीचे सरका कर रत्ना के निप्पल को अपने मुँह में भर लेता है।
 
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रत्ना ने देवा के खड़े लंड पर जो धोखा की थी उस बात से देवा थोड़ा परेशान था मगर वो हिम्मत नहीं हारा था। वो ये समझ रहा था की नीलम की वजह से शायद रत्ना ने उसे और कुछ करने नहीं दिया।
सुबह सुबह देवा तैयार होकर अपने खेत देखने चला जाता है वो अपने खेतों में काम कर रहा था की उसे पदमा आती दिखाई देती है।
जब पदमा देवा के पास पहुँचती है तो देवा को उसे देख हंसी आ जाती है।
पदमा;हंस क्यों रहे हो।कुछ लगा हुआ है क्या मुझे।
देवा;नहीं नहीं बस तुम्हारा पेट देख कर हंसी आ गई। ऐसा लग रहा है जैस तूम एक नहीं दो तीन बच्चे पैदा करोगी।
पदमा;हरामी सब तेरी वजह से हुआ है मेरा हाल ये।
इतना बड़ा पेट लेकर घुमना पड़ता है मुझे पहले ही अच्छी थी ।
देवा;वैसे कौन सा महीना चल रहा है काकी।
पदमा;अरे बाप तू है तो तुझे पता होना चाहिए ना।
आखरी महिना चल रहा है।
हाँ तुझे क्या पता रहेगा कितने दिन से तो शक्ल नहीं दिखाया कम्बखत तूने मुझे।
देवा;पदमा का हाथ पकड़ के अपने पास बैठा लेता है और उसके पेट पर हाथ फेरते हुए बड़े प्यार से कहता है।
मेरी जान तू तो वो औरत है जिसने मुझे सारे सुख दिया सबसे पहले।
मै बहुत भाग्यशाली हूँ जो तेरी जैसी औरत मेरी ज़िन्दगी में आई।
पदमा की ऑंखें भर आती है।
नही नहीं ऐसा मत कहो भाग्यशाली तो मै हूँ देवा। सच कहूं माँ बनने की ख़ुशी क्या होती है जैसे मुझे पता नहीं थी।
तुमने मुझे माँ बना कर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया है।
देवा;पदमा के होठो को चूम लेता है
वैसे तू आई क्यों थी इतनी सुबह सुबह।
पदमा;देख मै तेरी बातों में बताना भुल गई।
बडी मालकिन ने तुझे याद की थी कल। मै रात में आ नहीं सकी इसलिए सुबह आ गई।
तू शाम ढले हवेली चले जाना पता नहीं क्या काम है मालकिन को।
ये कहते हुए पदमा वहां से चली जाती है और देवा सोच में पड़ जाता है की आखिर रुक्मणी को अब क्या काम आ गया है उससे।
वो अपने काम में फिर से लग जाता है।
और जब दोपहर होती है तो खाना खाने के लिए घर चला आता है।

जब वो घर में दाखिल होता है तो उसे कोई भी नज़र नहीं आता न नीलम और न रत्ना। वो रत्न को ढूँढ़ते ढूँढ़ते उसके रूम में चला जाता है।
रत्ना;उस वक़्त नहा कर अभी अभी बाथरूम से बाहर निकली थी।
देवा की ऑंखें उसे ऐसे रूप में देख चकम जाती है।
वो दबे पांव चलता हुआ रत्ना के पीछे जाकर खड़ा हो जाता है और उसे अपनी बाहों में कस लेता है।
रत्ना;कौंन।
ओह देवा क्या कर रहा है छोड मुझे। पागल तो नहीं हो गया है ना तु।
देवा;हाँ माँ मै पागल हो गया हूँ तेरे प्यार में। कब तक इस प्यासे को तड़पाएगी मेरी माँ।दे दे न मुझे एक बार।
रत्ना;आह मै कहती हूँ छोड मुझे। रात में भी तूने जो हरकत की वो ठीक नहीं आहह क्या कर रहा है देवा।

देवा;अपने मज़बूत पंजो से रत्ना के बड़े बड़े ब्रैस्ट को मसलने लगता है और रत्ना जल बिन मछली की तरह तडपने लगती है।
देवा;मुझे एक बार दे दे माँ सच कहता हूँ।
मेरी दिवानी न बना दिया तो देवा नाम नहीं मेंरा।
वह अपने जोश में क्या क्या बड़बड़ाये जा रहा था उसे भी पता नहीं था।
रत्ना;देवा मै तेरी माँ हूँ बेटा। तू जो चाहता है वो मै तुझे नहीं दे सकती न उन्हह।
देवा;रत्ना की एक नहीं सुनता और उसे बिस्तर पर गिरा देता है।
देखो माँ जल्दी से मेरी बन जाओ और जो मै मंगलसुत्र तुम्हारे लिए लाया हूँ उसे पहन लो।


रत्ना;नहीं पहनूंगी कभी नहीं छोड दे मुझे अखरी बार कह देती हूँ।
देवा;रत्ना के तेवर देख अपना अखरी हथियार इस्तेमाल करता है।
वो रत्न को पूरी तरह अपने नीचे दबा देता है जिसे उसका खड़ा लंड सीधा रत्ना की जांघो में चुभता हुआ चूत पर जा रुकता है।
वो रत्ना के दोनों ब्रैस्ट को सहलता हुआ एक निप्पल को अपने मुँह में खीच लेता है गलप्प गलप्प गलप्प्प गलप्पप्प।

चुत पर लंड का धक्का और ब्रैस्ट की चुसाई से रत्ना थोडी ढीली पड़ जाती है और बस धीरे धीरे देवा को धकेलने लगती है।
रत्ना;देख छोड दे ना रे हां क्या करता है बेटा । आहह गांव वाले क्या सोचेंगे हमारे बारे में उहंन आह्ह।
देवा;मुझे किसी की परवाह नहीं गलप्प्प गलप्प गलप्प गलप्प्प।
देवा का लंड अपनी माँ की चूत की खुशबु से इतना खड़ा हो चूका था की वो उसके पायजामे में चीखने लगता है।
जैसे ही देवा अपने पयजामे का नाडा खोल कर अपना हथियार बाहर निकालता है । रत्ना उसका इरादा समझ जाती है और उसे धक्का देकर पीछे ढकेल देती है और झट से खडी हो जाती है।

देवा;माँ ये क्या है।
रत्ना: एक तरफ तुम मुझसे इतना प्यार करने की बात करता है और दूसरी तरफ ऐसे जबरदस्ती......।
रत्ना;देवा की तरफ पीठ करके खडी हो जाती है।
देख देवा तू जो करना चाहता है वो नहीं हो सकता।
देवा;मगर क्यों बोलो मुझे। क्या मै अपनी माँ को ख़ुशी नहीं दे सकता। क्या तुम मेरे नाम का मंगल सूत्र नहीं पहन सकती।
रत्ना;नहीं पहन सकती।
देवा;तुम्हें पहनना होगा और मै तुम्हें पहनाकर रहूँगा चाहे कुछ भी करना पड़े मुझे।
रत्ना;एक औरत एक पति के होते हुए दूसरे के नाम का मंगलसूत्र नहीं पहन सकती।
देवा;क्या मतलब माँ।
रत्ना;देवा के तरफ घूमते ही...
तेरे बापू मरे नहीं है वो लापता हुए है।
जब तक मुझे ये पता नहीं चल जाता की वो ज़िंदा है या नहीं मै उनकी जगह किसी को नहीं दे सकती।
और आइन्दा अगर तुमने मेरे साथ ज़बर्दस्ती करने की कोशिश भी की न तो याद रखना। मै तुमसे कभी बात नहीं करुँगी।
रत्ना की बात सुनकर देवा खड़ा हो जाता है
और उसका खड़ा लंड बैठ जाता है।
वो रत्ना के एकदम पास आकर खड़ा हो जाता है।
मै यही सुनना चाहता था की मेरी माँ मुझे कैसे मिलेगी।
माँ तूने अपने दिल की बात बता कर बहुत अच्छा की।
मै भी बापू के बारे में जानना चाहता हूँ आखिर उन्हें हुआ क्या है कहाँ है वो और मै जानता हूँ मुझे उनके बारे में कौन बता सकता है।
तू चिंता मत कर माँ मै बापू के बारे में तुझे सब कुछ बता दूँगा।
बस तुझे एक वादा करना होगा तुझे बापू के बारे में सब पता चलने के बाद तुम्हें मेरी हर बात माननी होगी।
रत्ना;अपनी गर्दन मोड़ कर दिल में सोचने लगती है।
हाँ ज़ालिम जानती हूँ तेरी इच्छा।
अगर मै नहीं मानी तो....।
देवा; पीछे से रत्ना को जकड लेता है
और उसकी गर्दन पर चूम लेता है।
मुझे पता है ये खूबसूरत जिस्म एक दिन मेरे नीचे होगा और उस दिन मै दुनिया का सबसे खुशनसीब इंसान होऊंगा।
रत्ना;चल हट बेशर्म कहीं का।
रत्ना और कुछ नहीं कहती बस मुस्कुराते हुए वहां से बाहर निकल जाती है।

देवा भी मुस्कुरा देता है ये सोचते हुए की वो अपनी रत्ना को पूरी पाकर रहेगा बस उसे पता चल जाए की उसके बापू का क्या हुआ है।
शाम होते होते देवा खाना खाकर हवेली चला जाता है वो सीधा रुक्मणी के रूम में चला जाता है।
उसे हैरत भी होती है की इतनी बडी हवेली में कोई भी नज़र नहीं आ रहा।
रुक्मणी और रानी बिस्तर पर बैठी बातें ही कर रही थी जब देवा वहां पहुँचता है।
देवा;को देख दोनों बिस्तर से खड़ी हो जाती है और रानी दरवाज़ा बंद करके देवा का हाथ पकड़ के पीछे वाले रूम में ले आती है। उसके पीछे पीछे रुक्मणी भी चली आती है।
रुक्मणी;बडी देर लगा दिया देवा।
देवा;वो खेत में ज़्यादा काम था न। पदमा काकी कह रही थी आपने मुझे याद किया था।
रुक्मणी;तू बैठ तो सही तुझे किसी ने देखा तो नहीं न यहाँ आते हुए।
देवा;नहीं किसी ने नहीं। कोई भी नहीं है बाहर तो....
रानी;देखा माँ दोनों वहीँ गए होंगे।
रुक्मणी;हाँ वो छिनाल का आखरी दिन है यहाँ अब।
देवा को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वो दोनों क्या बातें कर रही है।
बात क्या है मालकिन।
रुक्मणी;देवा मेरा एक काम करेगा।
देवा;एक क्या मालकिन आप जो कहो वो मै करुन्गा।
रुक्मणी;देवा का हाथ पकड़ कर उसे अपने साथ हवेली के पीछे बने रूम की तरफ ले जाती है।
आवाज़ मत करना चुपचाप चलते रह।
रानी भी दबे पांव उन दोनों के पीछे चलने लगती है।


उधर शालु के घर में पप्पू को तो जैसे सब कुछ मिल गया था।
नुतन और नीलम रत्ना के घर आई हुई थी।
और पप्पू अपनी बहन रश्मि के साथ बैठा घर में बातें कर रहा था।
रश्मी;क्यों भाई कैसे रही सुहागरात।
पप्पू; क्या तू भी कुछ भी पूछती है अच्छी ही रही।
रश्मी;एक बात बता। तुम ज़्यादा चले या नूतन भाभी।
पप्पू;तुझे क्या लगता है।
शालु;मेरा बेटा किसी से काम थोड़े न है।
शालु भी कमर मटकाती हुए उन दोनों के पास चली आती है।
पप्पू;देखो ना माँ रश्मि कैसी बातें कर रही है
रश्मी;उई हुई शर्मा तो ऐसे रहा है जैसे नई नवेली दुल्हन हो ज़रा मै भी तो देखूं रात भर इसकी घिसाये हुई भी है या नही
वो पप्पू को गिरा देती है और उसके पेंट को खोल कर नीचे सरका देती है।

पल भर में पप्पू का लंड रश्मि के हाथ में आ जाता है।

पप्पू;आहह रश्मी नूतन और नीलम आ जाएँगी ना।
रश्मी;देख रही हूँ बस गलप्प गलपप गलल्प।
पप्पू;माँ आहह रोको न इसे आह्ह्ह।
रश्मी;देखो माँ कैसे खड़ा हो रहा है तुझे देख कर
शालु;भी पप्पू का चप्पो देखने के लिए झुकती है और दोनों माँ बेटी किसी रण्डियों के तरह पप्पू के लंड पर झपट पडती है।
एक एक करके दोनों माँ बेटी अपने मुँह में पप्पू का लंड लेकर चुसने लगती है।
रश्मी;गलप्प गलप्प इससे अब भी नूतन की चूत की महक आ रही है।

शालु;मुझे भी चाटने दे मेरे बेटे का गलप्प गलपप
पप्पू;की हालत ख़राब होने लगती है। रात में नूतन के साथ क्या हुआ ये सिर्फ पप्पू और नूतन जानती थी मगर इस वक़्त जो पप्पू के छोटे से लंड के साथ ये दोनों कर रही थी वो पप्पू के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल था।
उसे ज़्यादा देर भी नहीं लगती और पप्पु चीखता हुआ रश्मि के मुँह में अपना चिपचिपा पानी छोड कर निढाल हो जाता है।
रश्मी;बेचैन से पप्पू को देखने लगती है।
माँ मुझे नहीं लगता भाई रात भर टीका भी होगा।
शालु;उसे चुप रहने के लिए कहती है उसने बाहर से आती आवाज़ सुन ली थी।
वो पप्पू को कपडे पहनने के लिए कहती है और खुद बाहर निकल आती है।
वो जैसे ही बाहर आती है सामने नूतन और नीलम को देख पहले घबरा जाती है मगर दोनों के चेहरे से लग रहा था की वो अभी अभी आये है।
शालु खुद को सँभाल कर किचन में चली जाती है।
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पल भर में पप्पू का लंड रश्मि के हाथ में आ जाता है।
पप्पू;आहह रश्मी नूतन और नीलम आ जाएँगी ना।
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शालु;भी पप्पू का चप्पो देखने के लिए झुकती है और दोनों माँ बेटी किसी रण्डियों के तरह पप्पू के लंड पर झपट पडती है।
एक एक करके दोनों माँ बेटी अपने मुँह में पप्पू का लंड लेकर चुसने लगती है।
रश्मी;गलप्प गलप्प इससे अब भी नूतन की चूत की महक आ रही है।

शालु;मुझे भी चाटने दे मेरे बेटे का गलप्प गलपप
पप्पू;की हालत ख़राब होने लगती है। रात में नूतन के साथ क्या हुआ ये सिर्फ पप्पू और नूतन जानती थी मगर इस वक़्त जो पप्पू के छोटे से लंड के साथ ये दोनों कर रही थी वो पप्पू के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल था।

उसे ज़्यादा देर भी नहीं लगती और पप्पु चीखता हुआ रश्मि के मुँह में अपना चिपचिपा पानी छोड कर निढाल हो जाता है।
 
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रानी और रुक्मणी देवा को लेकर हवेली के पीछे बने एक छोटे से रूम की तरफ जा रही थी।
देवा को उस वक़्त तक कुछ भी समझ नहीं आ रहा था की ये दोनों औरतें आखिर उससे चाहती क्या है।
रुक्मणी;रूम की खिडकी के पास आकर रुक जाती है और ईशारे से देवा और रानी को चुप रहने के लिए कहती है।
रानी; धीरे से खिडकी को थोड़ा सा धकेलती है और अंदर का नज़ारा देख उसका खून गरम हो जाता है।
वो देवा को वहां बुला लेती है और रुक्मणी भी पीछे से अंदर देखने लगती है।
लाईट की धीमी रौशनी में साफ़ नज़र आ रहा था की रूम के अंदर क्या शुरु है।
देवा;रुक्मणी की तरफ देखती है उसकी ऑंखों में वो चमक साफ़ दिखाई दे रही थी
जो एक मरद की ऑंखों में आ जाती है जब वो ऐसा नज़ारा देखता है और पास में दो जवान औरतें खड़ी हुई हो तब तो हालत और भी ख़राब हो जाती है।
अंदर का नज़ारा देवा के लिए नया नहीं था वो इस बात से पहले से वाकिफ़ था।
मगर वो उस वक़्त ऐसा दिखा रहा था जैसे पहली मर्तबा देख रहा हो।
रुक्मणी;चलो यहाँ से।
और तीनो फिर से हवेली में चले जाते है।
देवा;मुझे तो यक़ीन नहीं हो रहा मालकिन।
रुक्मणी;अपनी ऑंखों देखी पर भी तुझे यक़ीन नहीं आ रहा।
देवा;नहीं मेरे कहने का मतलब है की मालिक और वो औरत जिसे वो अपने दोस्त के बीवी कहते है वो दोनों ऐसा भी कर सकते है। मैंने तो सपने में भी नहीं सोचा था।
रुक्मणी;वो सब बातें बाद में करेंगे पहले एक काम कर।
वो धीरे धीरे अपनी बात देवा को समझा देती है और देवा रुक्मणी की बात सुनकर हवेली से तेज़ क़दमों के साथ बाहर निकल जाता है।
गांव के तीन सरपंच थे।
उन में से एक हिम्मत राव भी था।
देवा;सीधा दोनों सरपंच के घर चला जाता है और उन्हें और कुछ गांव वालों को लेकर उन्हें सीधा हवेली के पीछे वाले रूम की खिडके के पास ले जाता है।
और एक एक करके सभी को अंदर का नज़ारा दिखा देता है।

देवा;अब कहिये अगर गांव का सरपंच ही ऐसी हरकतें करेंगे तो हमारी बहु बेटियों की इज़्ज़त की रक्षा कौन करेंगा। बोलिये
सरपंच;चलो मेरे साथ।
वो सब की सब टोली उस रूम पर धावा बोल देती है और देवा एक लात में दरवाज़ा खोल देता है।
अंदर हिम्मत और बिंदिया।
दोनों एक दूसरे से नंगे बदन चिपके हुए थे
अचानक हुए इस हमले से वो दोनों बुरी तरह डर जाते है।
हिम्मत अपने सामने खड़े गांव वालो और दोनों सरपंच को देख बौखला जाता है।
वो जल्दी से खड़ा हो जाता है और पास में पड़ी हुए अपनी लुंगी पहनने लगता है।
सरपँच;हम सब देख चुके है हिम्मत राव जी अब आपकी चोरी पकड़ी जा चुकी है।
इस औरत को आप अपने दोस्त के बीवी बता कर यहाँ रख रहे थे और अब इसी के साथ रास रीला मनाये जा रहे है। क्या असर पड़ेंगा हमारे बेटियों पर बोलिये।
हिम्मत;सरपंच जी वो मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गई।
सरपँच;भूल नहीं पाप हुआ है आपसे।
और इस पाप का प्राश्चित भी आपको करना होगा।
हिम्मत;क्या मतलब।
सरपँच;मतलब तो आपको कल पंचायत में पता चल ही जायेगा
पहले आज अभी इसी वक़्त आप अपनी इस औरत को वहां छोड आये जहाँ से आप इसे लाए हैं वरना ये काम हमे करना होगा और पूरा गांव यहाँ बुलाना होगा।
हिम्मत;को कुछ सुझ नहीं रहा था हाथ पैर काँप रहे थे उसके। यही हाल बिंदिया का भी था।
सबसे पीछे खड़ा देवा मुस्कुरा रहा था।
और उसकी मुस्कान हिम्मत ने देख लिया था।
हिम्मत; मैं अभी इसे इसके गांव छोड आता हूँ।
मगर गांव वालों के सामने कुछ मत कहना आप लोग। आपलोग जो कहेंगे मुझे मंज़ूर होगी वो सजा।
सरपँच;कल सुबह १० बजे पंचायत आ जाना।
ये कहकर दोनों सरपंच और देवा वहां से बाहर निकल जाते है।
बिंदिया; ये क्या हो गया जी।
हिम्मत;अरे करम जली जल्दी जल्दी कपडे पहन ले
तूझे तेरे घर छोड आता हूँ।
और मुझे पता है ये किसकी हरकत है साला अपने आखरी दिनों में भी मुझे परेशान कर रहा है।
बिंदिया;कौंन।
हिम्मत;देवा। वही है इस सबके पीछे। चल चल जल्दी कर।
दोनो कपडे पहनकर कार में बैठ कर बिंदिया के गांव की तरफ चले जाते है और उन दोनों के जाने के बाद दोनों सरपंच देवा का शुक्रिया अदा करके अपने घर लौट जाते है।
ये कहते हुए की इस गांव को एक जवान सरपंच मिलने वाला है।

देवा;हवेली के अंदर पहुँच के रुक्मणी और रानी को पूरी बात बताता है।
उसकी बात सुनकर दोनों झूम उठते है और रुक्मणी रानी के सामने देवा की छाती से चिपक जाती है।
वो ख़ुशी में देवा की गर्दन पर चुमने लगती है।
पास में खड़ी रानी भी हंसने लगती है।
दोनो औरतों के ज़िन्दगी का सबसे बड़ा कांटा देवा ने एक झटके में हटा दिया था।
मगर वो दोनों ये नहीं जानती थी की इस बात से देवा की जान को कितना बड़ा खतरा हो गया था।


हिम्मत अपनी बेइज़्ज़ती बर्दाश्त करने वालों में से नहीं था।
जब रुक्मणी को होश आता है की रानी भी वहां खड़ी है तो वो शरमा जाती है और चाये बनाने के बहाने से किचन में चली जाती है।
देवा; मैं अभी आया।
वो भी रुक्मणी के पीछे पीछे किचन में चला जाता है और पीछे से रुक्मणी को अपनी बाहों में जकड लेता है।
रुक्मणी;आह्ह्ह्ह।
देवा क्या कर रहे हो छोड़ो मुझे।
देवा;नहीं छोड़ूँगा जब तक मुझे मेरा इनाम नहीं मिल जाता।
रुक्मणी :क्या कैसा इनाम रे।
देवा; अच्छा कैसा इनाम। तुम्हारे एक कहने पर सब कुछ कर दिया और अब पूछती हो कैसा इनाम।
रुक्मणी;बोलो क्या चाहिए तुम्हें।
देवा;रुक्मणी को घुमा कर अपनी तरफ कर देता है।
रुक्मणी के सुड़ौल कड़क ब्रैस्ट देवा की छाती से रगडने लगते है
रुक्मणी;अपनी साँसों को किसी तरहं सँभाल रही थी वो देवा के सामने पिघलने लगते थी और इस बात से देवा भी बा खूबी वाकिफ़ था।
देवा;अपने दोनों हाथों में रुक्मणी का चेहरा थाम लेता है
मेरी तरफ देखो मालकिन।
रुक्मणी;हमम....
देवा; धीरे से अपने होठो को रुक्मणी के कान के पास लाकर कुछ फुसफुसाता है और उसकी बात सुनकर रुक्मणी के पैर काँपने लगते है।
आंखेँ फटी की फटी रह जाती है।
देवा ने बडी आसानी से उससे इतनी बड़ी बात कह दिया था जिसकी उम्मीद उसे उस वक़्त तो बिलकुल भी नहीं थी।
रुक्मणी;ना में सर हिलाती है।
देवा;फिर से रुक्मणी की ऑंखों में झाँकने लगता है।
मुझे पता है तुम अपनी बात से पीछे नहीं हटोगी।
रुक्मणी;मगर देवा। समझो ना।
देवा;मुझे मेरा इनाम चाहिए अभी और इसी वक़्त।

रुक्मणी;नज़रें झुकाये ज़मीन की तरफ देखने लगती है।
उसके हाथों में पसीना आने लगता है और दिल तेज़ रफ़्तार से धड़कने लगता है।
देवा;रुक्मणी के काँधे पर हाथ रख कर उसे नीचे बैठा देता है और रुक्मणी नीचे बैठती चलि जाती है।
देवा;रुक्मणि का आँचल हटा देता है और दोनों हाथों से रुक्मणी के ब्लाउज के सामने के बटन खोल देता है
उस वक़्त अंदर रुक्मणी ने कुछ नहीं पहनी थी।
सफेद मख़मली वो कपास के गोले देवा की ऑंखों के सामने लटकने लगते है जिसे देख देवा का लंड पहले सलामी देने लगता है।
देवा;अपने लंड को पकड़ कर रुक्मणी के ब्रैस्ट पर मारने लगता है।
मेरे लंड को अपने मुँह में लेकर मुझे मेरा इनाम दे दो मालकिन ।
रुक्मणी;काँपते हाथों से देवा के लंड को पकड़ लीती है
ज़िन्दगी में जिसे इतने शिदत से उसने चाही थी आज वो हसीं तरीन चीज उसके ऑंखों के सामने थी वो काँपते हाथों से उस खूबसूरत लंड को पकड़ कर अपने होठो से लगने को बेताब थी।
देवा;जल्दी करो मालकिन आह्ह्ह।
जल्दी करो।
रुक्मणी;धीरे से देवा के लंड के सामने की चमड़ी को ऊपर सरका देती है और चमकता हुआ देवा का लंड का सुपाडा सामने आ जाता है जिस पर मोती सा एक पानी का कतरा चमकने लगता है।
उस मोती को रुक्मणी अपने होठो में जज़्ब कर लेती है और देखते ही देखते लंड को चुमते हुए अपने हलक के अंदर तक उतार लेती है।
वो नशा जो सर चढ़ कर बोलता है। आज रुक्मणी की जिस्म में आग भड़कने के लिए काफी था।
अपने देवा के लंड की खुशबु उसे अंदर ही अंदर मदहोश किये जा रही थी। वो दिवानी सी हो गई थी उसे पकड और अपनी दिवानगी की इन्तहा वो देवा के लंड को मरोड़ मरोड़ कर चुसते हुए उसे दिखा रही थी।
देवा सुलग उठा था।
आज तक कई औरतों लडकीयों की चुदाई करने वाला देवा के लंड में अकडन सी होने लगती है और वो रुक्मणी के बाल पकड़ कर अपने लंड को आगे पीछे करने लगता है।
रुक्मणी;गलप्प अहह गलप्प गलप्पप्प।
मेरे देवा गलप्प गलप्प
वो दिल ही दिल में सोचने लगती है।
मेरे देवा आहह गलप्प मुझे ये दे दो गलप्प गलप्प्प गप्पप्प।
हमेशा के लिए गलप्प गलप्प्प।
मुझे दासी बना लो अपनी देवा गलप्प गलप्प्प।
रानी;माँ कहाँ हो माँ
रानी किचन के दरवाज़े के पास आकर ख़ड़ी हो जाती है और रुक्मणी के मुँह में देवा का लंड देख सहम सी जाती है।वो कुछ नहीं कहती और अपने रूम में चलि जाती है।

रुक्मणी;उससे अपने मुँह से निकालना तो बिलकुल भी नहीं चाहती थी।
और देवा उसे रुक्मणी के दूसरे सुराख़ में जल्द से जल्द घुसाना चाहता था मगर वो वक़्त शायद अभी नहीं आया था।
रुक्मणी;अपने दिल को सँभालते हुए खड़ी हो जाती है और रानी के रूम की तरफ चलि जाती है।
देवा;ये तो जैसे गाण्ड में किसी ने ऊँगली करके भाग गया हो ऐसा लगता है।
इस खड़े लंड के दर्द से देवा को बहुत ग़ुस्सा आता था।
एक बार जब उसका लंड खड़ा हो जाता तो उसे चूत या गाण्ड चाहिए ही चाहिए होती थी और रुक्मणी की हरकत उसे तिलमिला देती है।
वो अपने लंड को किसी तरह अपने पेंट में डाल कर हवेली से बाहर निकल जाता है। ये सोचते हुए की पप्पू की गाण्ड या शालु की चूत ही मिल जाये तो दर्द से आराम मिले। मगर शायद उसकी किस्मत आज कुछ खास नहीं थी।
न पप्पू था और न शालु नज़र आ रही थी। शालु के घर में अँधेरा था।


वो उस वक़्त जाकर कोई हंगमा नहीं करना चाहता था।
देवा; लंड को सहलाते हुए अपने घर चला आता है और सीधा अपने रूम में आकर बिस्तर पर लेट जाता है। अपने कपडे निकाल कर वो अपने लंड को सहलाने लगता है मगर उसके पथरीले हाथ में लंड को और दर्द होने लगता है।
रत्ना;उसे घर में घुसता देख चुकी थी उसे ये बात अजीब भी लगी थी की बिना बोले चाले वो सीधा अपने रूम में क्यों चला गया।
इधर रानी बिस्तर पर लेटी हुई थी। जब रुक्मणी वहां आती है अपनी रानी को बिस्तर पर आधी नंगी पड़ी देख वो मुसकरा देती है और उसकी ऑंखों में देखते हुए अपने सारे कपडे निकाल देती है और रानी के ऊपर चढ जाती है।
रानी;माँ वो देवा क्या कर रहा था ।
रुक्मणी;अपने होठो से रानी के गाल को चुमते हुए अपने दो उँगलियों से रानी की चूत को सहलाने लगती है।
वो मुझे कुछ नहीं कर रहा था मै उसका लंड चूस रही थी जैसे तू चुसा करती थी पहले।
रानी;माँ ऐसा मत करो न आह्ह्ह्ह।
रुक्मणी;क्यूँ दर्द होता है।
रानी;नहीं माँ आग बढ़ जाती है।
रुक्मणी;कहाँ बिटिया।
रानी;यहाँ मेरी चूत में माँ।

रुक्मणी;रानी के होठो को चुमते हुए नीचे झुकती चली जाती है और रानी की चूत पर पहुँच कर अपनी ज़ुबान से रानी की चूत को चुमते हुए खाने लगती है।
यहाँ।
रानी; हाँ माँ....
इसे कुछ करो न माँ
मै मर रही हूँ इस आग में आह्ह्ह्ह।
रुक्मणी;अपनी दो उँगलियों को मुँह में डालकर गीला करती है और फिर उन गीली उँगलियों को रानी की चूत में घूस्सा देती है।
रानी;माँ आह्ह्ह्ह धीरे से करो ना.....
रानी को मीठा मीठा दर्द होने लगता है।
दोनों माँ बेटी एक दूसरे के जिस्म की आग शांत करने लग जाती है।

और इधर देवा को जानलेवा दर्द सताने लगता है उसके लंड में खिंचाव से उसके लंड की नसे मोटी हो चुकी थी। उसे कोई नरम चीज़ चाहिए थी जो उसे आराम दे।

वो दर्द से चीखने लगता है और उसकी चीख रत्ना सुन लेती है।
वो भागते हुए देवा के रूम में चली आती है और सामने देवा को नंगा पड़ा कराहता देख घबरा जाती है।
रत्ना;क्या हुआ रे तू ऐसा क्यों पड़ा है कुछ काटा क्या तुझे।
देवा;माँ मुझे यहाँ बहुत दर्द हो रहा है। मै मर रहा हूँ माँ कुछ करो अह्ह्ह।
रत्ना: मैं वैध को बुलवा भेजती हूँ।
देवा;उसके आने तक मै बचूँगा नहीं आह्ह्ह्ह।
रत्ना;घबरा कर देवा का लंड अपने कोमल हाथों में थाम लेती है।
गरम फौलादी लंड जैसे ही रत्ना के हाथों में आता है देवा का चिखना बंद हो जाता है और वो फटी फटी ऑंखों से रत्ना को देखने लगता है।
रत्ना;समझ जाती है की देवा को क्या हुआ है।
हकीकत में देवा अपने बापू पर गया था।
कभी कभी देवा के बापू को भी लंड में खींचाव से दर्द होता था। उस वक़्त रत्ना ही उस दर्द का इलाज करती थी।
रत्ना;रूम में अँधेरा कर देती है और धीरे से देवा के लंड को पकड़ के सहलाने लगती है।
देवा;आहें भरने लगता है उसका दर्द कम तो नहीं हुआ था मगर अब वो बढ़ नहीं रहा था।
देवा को कुछ गीला गीला अपने लंड पर महसूस होता है
वो सर उठा कर देखता है और देखता ही रह जाता है
रत्ना;उसके लंड पर झुक जाती है और अपने मुँह में देवा के लंड को लेकर चूसने लगती है गल्पप गप्प्प गलप्पप्प।
देवा; माँ
आह आह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह....
रत्ना;अपना काम शुरु रखती है वो किसी तरह अपने जज़्बात को एक तरफ रख कर अपने देवा के दर्द को कम करने की पूरी कोशिश करती है।
पहली बार अपनी माँ के गरम मुँह का स्वाद चख कर देवा का लंड भी निहाल हो जाता है और अपनी पहली धार अपनी माँ के मुंह के नाम कर देता है। इतनी जल्दी कभी देवा नहीं झडा था। शायद ये अपनी सगी माँ की चूत से निकलने वाली खुशबु का असर था की देवा अपना गरम लावा रत्ना के मुँह में उंडेल देता है।
वो थोडी देर बाद जब ऑंखें खोल कर देखता है तो रत्ना को वहां नहीं पाता।
रत्ना;अपने रूम में जाकर रूम अंदर से बंद कर लेती है
देवा का पानी अब भी उसके मुँह में था वो उसे थूकना चाहती थी मगर ऐसा नहीं करती और उस गाढ़े गाढ़े पानी को रत्ना ऑखें बंद करके पी जाती है। पानी हलक में उतारते ही उसकी चूत में कोई चिंगारी फ़ेंक देता है जिसे बुझाते बुझाते अपनी चूत को रगडते रगडते रत्ना बिस्तर पर लेट जाती है।
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रत्ना;रूम में अँधेरा कर देती है और धीरे से देवा के लंड को पकड़ के सहलाने लगती है।
देवा;आहें भरने लगता है उसका दर्द कम तो नहीं हुआ था मगर अब वो बढ़ नहीं रहा था।
देवा को कुछ गीला गीला अपने लंड पर महसूस होता है
वो सर उठा कर देखता है और देखता ही रह जाता है
रत्ना;उसके लंड पर झुक जाती है और अपने मुँह में देवा के लंड को लेकर चूसने लगती है गल्पप गप्प्प गलप्पप्प।
देवा; माँ
आह आह आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह....
रत्ना;अपना काम शुरु रखती है वो किसी तरह अपने जज़्बात को एक तरफ रख कर अपने देवा के दर्द को कम करने की पूरी कोशिश करती है।
पहली बार अपनी माँ के गरम मुँह का स्वाद चख कर देवा का लंड भी निहाल हो जाता है और अपनी पहली धार अपनी माँ के मुंह के नाम कर देता है। इतनी जल्दी कभी देवा नहीं झडा था। शायद ये अपनी सगी माँ की चूत से निकलने वाली खुशबु का असर था की देवा अपना गरम लावा रत्ना के मुँह में उंडेल देता है।
वो थोडी देर बाद जब ऑंखें खोल कर देखता है तो रत्ना को वहां नहीं पाता।
रत्ना;अपने रूम में जाकर रूम अंदर से बंद कर लेती है

देवा का पानी अब भी उसके मुँह में था वो उसे थूकना चाहती थी मगर ऐसा नहीं करती और उस गाढ़े गाढ़े पानी को रत्ना ऑखें बंद करके पी जाती है। पानी हलक में उतारते ही उसकी चूत में कोई चिंगारी फ़ेंक देता है जिसे बुझाते बुझाते अपनी चूत को रगडते रगडते रत्ना बिस्तर पर लेट जाती है।
 
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Introduction
ये कहानी है भारत के एक छोटे से गाँव अम्बेटकली की।एक छोटा मगर बेहद खूबसूरत गांव में रहता है ।

देवा
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२० साल का ये गबरू जवान।।अपने १० एकड के खेत में खूब दिल लगा के मेहनत करता है । उसे न शराब का शौक है न चरस गांजे का।
बचपन से उसे कसरत और कुश्ती का बहुत शौक रहा है पर सबसे ज़्यादा चाह है उसे चूत की हालाँकि अभी तक उसे ये मिला नहीं है।।
देवा।अपनी माँ रत्ना और छोटी बहन ममता के साथ रहता है।
बाप का साया देवा के सर से पांच साल पहले ही उठ गया था।



रत्ना
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एक गदराई हुई ४० साल की खूबसूरत औरत जो पिछले 5 साल से अपनी चूत की आग अपनी उँगलियों से तो कभी बैगन मूली से शांत करते आ रही है।।पति तो उसका रहा नहीं और बाहर वालो को वो देना नहीं चाहती।।

अपने बेटे देवा को खेती बाड़ी में हाथ बटाने वाली रत्ना बहुत हँसमुख है पर उसकी हँसी के पीछे के दर्द को कोई नहीं समझता उसका अपना बेटा देवा भी नही।

ममता
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देवा की खूबसूरत बहन।
एक 18 साल की चंचल खुबसुरत कुँवारी लड़की है जो अपना समय दिन भर अपने सहेलीयों के साथ बातें करने में गुजारती है उन बातों में सिर्फ सेक्स की बाते होती है।।जल्द से जल्द लंड लेने की उसकी चाह ने उसके दोनों आमो को वक़्त से पहले ही पका दिया है।

देवा का एक दोस्त है।।


पप्पु
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18 साल के पप्पू को बचपन में बैल ने ऐसा लात मारा की उसके पप्पू में हिलने डुलने की ताकत नहीं रही।जीस्म तो अपनी उम्र के हिसाब से बढ़ता गया पर औज़ार छोटा का छोटा रह गया।

पप्पू की माँ

शालु
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एक गरम खून वाली 38 साल की औरत है।जिसका पति तो है पर किसी काम का नहीं। चोदता तो है पर ठीक से नहीं । दिन रात नशे में पड़ा रहने वाला शालु का पति जब घर आता है तो पहले गाली देता है और फिर दो चार धक्के उसके बाद सारी रात शालू अपनी चूत मसलती रहती है या ऊँगली से अपने आप को शांत करती है।

शालु की दो और बेटियां है।
एक रश्मि
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उमर 18 साल अपनी माँ की तरह मदमस्त रहने वाली लड़की।



दूसरी बेटी
नीलम
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एक खामोश तबियत वाली। अपनी दुनिया में जीने वाली लड़की को जब भी कोई देखता है यही कहता है ये साली शालु के पति की नहीं हो सकती।

इसी गांव में एक जागिरदार की हवेली है।जिसमें रहते है।

सेठ हिम्मत राव
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हिम्मत राव इस गांव के जमींदार है उसकी गांव में बहुत चलती है। वो गांव में जो चाहे वो कर सकता है। सभी गांव वाले हिम्मत राव से डरते है। हिम्मत राव ने कुछ गुंडे भी पाल रखे है और उसके पास बंदूके भी है।




उनकी पत्नी - रुक्मणि
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रंग तो इसका जानदार है पर चूत बड़ी नमकीन है।।
ये सेठ हिम्मत राव की दूसरी पत्नी है पहली वाली इस दुनिया में नहीं रही।
रुक्मणी के शादी को 3 साल हो चुके है पर अभी तक कोई बच्चा नहीं हुआ है।

सेठ हिम्मत राव को पहली वीवी से एक बेटी है।

रानी-
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उम्र 19 साल है पर नखरे और अदायें किसी तरह भी 19 वाली के नहीं लगते।घर के लोग इसे परी भी बुलाते है यानि इसका घर का नाम परी भी है। बाप के पैसों को पानी की तरह बहाना इसका शौक है।।घमन्डी नकचढी जो कहना है इसे कह सकते है। बस एक ही चीज़ इस में अच्छी है वो छुपी है बेचारी की जांघों के बीच में।




इस हवेली में एक नौकरानी काम करती है।

पदमा
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रुक्मणी की जायज़ और नाजायज़ हर काम पदमा ही करती है।

और भी लोग है इस गांव में धीरे धीरे वो सभी आपके सामने आयेंगे।
mast intro
 
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देवा;अपने खेत में अपने दोस्त पप्पू के साथ बैठा हुआ था।
सामने पप्पू की कुछ बकरियाँ और बैल चारा खा रहे थे।

आज देवा का मूड कुछ उदास सा था।

पप्पू;क्या बात है देवा बड़ा गुमसुम सा बैठा है।

देवा;अरे यार साली ये भी कोई ज़िन्दगी है सुबह खेत में जाओ दिन भर काम करो और रात को खाना खाके सो जाओ।
इससे अच्छा तो मै कोई बकरा होता कम से कम दिन रात किसी न किसी की बकरी को ले रहा होता।

ओ देख सामने तेरा बकरा कैसे बकरी के ऊपर चढ के घूस्सा रहा है।

पप्पू;उदास मत हो देवा हर कुत्ते का टाइम आता है
अपना भी आयेंगा।

देवा;ये बात सुनके खिलखिलाके हंसने लगता हैं।
साले तू बहुत बड़ा गांडु है।
चल ये बता वो हिम्मत राव की लौंडिया कैसी है।
सुना है कल ही शहर से पढ़ के गांव आई है।
बचपन में देखा था उसे साली बडी चिकनी दिखती थी।
एक दो बार तो छुपा छुपी के खेल में मैंने उसे कस के निचोड़ा था।

पता नहीं उसे याद भी होंगा की नही।

पप्पू;माल तो एक से एक है गांव में पर साली कोई भाव नहीं देती।

देवा;दिल ही दिल में ।
तेरी माँ कम गदराया हुआ माल है क्या।
साली एक बार दे दे बस तो मजा आ जाए।

देवा;वैसे तू क्या करेंगा किसी लड़की को पटा के।
साले तेरा तो इतना छोटा है की किनारे से घुम के वापस आ जाए।

पप्पू;अपना चेहरा इधर उधर घुमाने लगता है।
मुझे जाना है वरना माँ ढूँढ़ते ढूँढ़ते यहाँ तक आ जाएगी।

देवा;पप्पू;के कमर पे हाथ फेरने लगता है।
आज बड़ा दिल कर रहा है पप्पु।
NICE START
 
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पप्पू घबरा जाता है उसे पता था देवा का इशारा किस तरफ है।
नही देवा दो दिन पहले तूने बड़ा दर्द दिया है मुझे अभी तक दुःखता है।

देवा;पप्पू को अपनी तरफ खिचता है।
साले नाटक तो ऐसे कर रहा है जैसे तेरी माँ की चूत मांग रहा हूँ।
चल जल्दी कर वरना कोई आ जायेंगा।

पप्पू का दिल ज़ोर से धड़कने लगता है।
पिछले 1 साल पहले शुरू हुआ ये खेल अब देवा के लिए आये दिन की बात थी।
लौंडिया तो कोई हाथ नहीं चढती थी तो पप्पू से ही काम चलाना पड़ता था।

वैसे पप्पू था भी बिलकुल लड़की जैसा।
नाजुक नाज़ुक हाथ पैर पतली सी कमर गोरा चिट्टा जिस्म।

देवा की नज़र तो पप्पू की दोनों बहनो और उसकी माँ शालु पे टिकी हुई थी पर वो सबसे पहले पप्पू को अपनी ऊँगली पे नचाना चाहता था । वो जानता था ये एक बार उसके चंगुल में फँस गया तो वो सब भी नीचे एक दिन आ जाएंगी।

देवा को तो शौक चेरी का था पर अभी तक कोई उसके नीचे आके नहीं पीसी थी।
इससे लिए पप्पू का पो पो बजाता रहता था।

पप्पू की माँ शालु अपने बेटे को ढूँढ़ती ढूँढ़ती देवा के खेत तक आ पहुंची थी । वो बस पप्पु को आवाज़ देने वाली थी की उसे सामने देवा पप्पू के कमर पे हाथ फेरता हुआ और उसे अपने गोद में बैठा के उसके गाल को अपने दाँतो से काटता हुआ नज़र आता है वो वही रुक के सामने का नज़ारा देखने लगती है।

देवा;पप्पू को अपने गोद में बैठा के उसके पेंट के बटनों को खोल के अपना एक हाथ उसके कमर पे रख के हलके हलके उसके नरम कमर को दबा रहा था।

और पप्पू देवा से चिपक के ठण्डी ठण्डी साँसे ले रहा था।

पप्पू;आह जाने देना देवा । कोई देख लेगा आह।

देवा देखने दे कुछ नहीं होता मेरे खेत में कोई नहीं आता।

पप्पू;पर देवा मुझे बहुत दर्द होता है तेरा कितना बड़ा है।

देवा; साले लेते वक़्त तो गाण्ड ऐसे हिलाता है जैसे और जम के लेना है तुझे चल आजा ऊपर।

और देवा वही एक चादर पे लेट जाता है।
WOW VERY NICE
 
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पप्पू;पहले खुद के और फिर देवा के सारे कपडे निकाल देता है।

देवा;चल जल्दी कर।

पप्पू;देवा के लंड को हाथ में ले के सहलाने लगता है।
धीरे धीरे देवा का लंड खड़ा होने लगता है।

पप्पु की गाण्ड आवाज़ दे रही थी। वो भी अपना मुंह खोल देता है और देवा का लंड पप्पू के मुंह में घुस जाता है और पप्पू देवा का लंड चूसने लगता है।
गलप्प गलप्प.....




देवा अपना सर जोश में इधर उधर करने लगता है की तभी उसकी नज़र शालु पे पड़ती है जो पेड़ के पीछे छुपी ये सब देख रही थी।

देवा की गाण्ड फ़टी की फ़टी रह जाती है पर अगले ही पल उसे एहसास होता है की शालु का एक हाथ उसके चूत पे है और वो ऑंखें फाड़े पप्पू को नहीं बल्कि देवा के लंड को देख रही है जो पूरी तरह तन के 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा हो गया था।

पप्पू का पूरा मुंह भी देवा के लंड को अपने मुंह में नहीं ले पा रहा था। वो बार बार साँस लेने के लिए उसे बाहर निकाल लेता और हर बार शालु देवा के पूरे लंड का दीदार अच्छे से कर लेती।

देवा;आह बस कर साले आह।

पप्पू पे कोई असर नहीं होता वो तो बस देवा के लंड में खो चुका था।
गलप्प गलप्प गलप्प।

देवा थोड़ी ज़ोर से बोलता है।
अब्बे तेरी माँ को चोदूँ पप्पू छोड़ दे वरना दोनों माँ बेटे को एक साथ चोदुँगा आह।

ये आवाज़ शालु के कानो तक पहुँच जाती है और उसकी उँगलियों का दबाव चूत के और अंदर तक होने लगता है

देवा खड़ा हो जाता है और साथ में पप्पू भी।
PAPPU KI MUMMY BHI SET KAR DEGA
 
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देवा; चल झुक जा।

पप्पू;आराम आराम से करना देवा तू तो एक ही बारे में खुट्टा गाड देता है।

देवा; अच्छा अच्छा बातें बंद कर।
और देवा ये कहते हुए अपने लंड को पप्पू के कमर पे मारने लगता है।

पप्पू;आह माँ।
सिसकारियां उसके मुंह से निकलती और शालु के कानो तक पहुँच जाती।

देवा;अपने लंड पे थूक लगा के धीरे धीरे लंड को पप्पू की गाण्ड में घूसाने लगता है । आह आह थोड़ा पैर चौड़े कर गांडु आह।
जैसे जैसे लन्ड पप्पू की गांड में घुस रहा है पप्पू चिल्लाने लगता है।फिर एक झटके में देवा अपना पूरा लंड पप्पू के गांड में पेल देता है।

पप्पू; आह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हाय्य्य्य माँ मै मर जाऊँगा । आह देवा निकाल ले अह्ह्ह्हह मै हाथ से हिला देता हूँ इसे आहः।

देवा कहाँ सुनने वाला था वो तो बस अपने आँखों में शालु के गदराये हुए गाँड को सोच सोच के सटा सट लंड पप्पू के गाण्ड में पेले जा रहा था।

पप्पू की हालत ऐसी थी के कोई भी तरस खाके उसे छोड दे । पर देवा बेरहम मरद था पप्पू जानता था की जब तक देवा का पानी नहीं निकलेगा वो रुकने वाला नहीं है।

और सबसे खतरनाक बात ये थी ये देवा का पानी 20-30 मिनट तक नहीं निकलता था।



धक्कों की बरसात पीछे से शुरू थी और पप्पू की चीखें तेज़ और तेज़ होते जा रही थी।

शालु;अपनी चूत को रगडते हुए थक चुकी थी पर देवा था की पसीने में तर बतर होने के बावजूद भी बाहर निकालने को तैयार नहीं था।

20 मिनट के बाद देवा अपने लंड को बाहर निकाल लेता है और उसका पानी पप्पू के कमर पे गिरने लगता है और कुछ देर बाद पानी से गिला लंड पप्पू के कमर पे घीसने लगता है।

शालु तेजी से अपने घर की तरफ चल देती है
WOW GAY SEX STORY
 
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उसे यक़ीन ही नहीं हो रहा था की उसका बेटा ऐसे काम भी कर सकता है।
पर उसका दिल देवा के लंड को सोच सोच के उछल रहा था।

पप्पू अपने पेंट को पहन के लडख़ड़ाता हुआ अपने घर की तरफ चलने लगता है।

देवा उसे देख के हंसने लगता है।
अब्बे ठीक से तो चल।

पप्पू कुछ नहीं बोलता वो बोलने की हालत में नहीं था।

तभी देवा भी अपना ट्रेक्टर लेके आ जाता है और पप्पू उसमें बैठ जाता है दोनों चुप चाप पप्पू के घर की तरफ चले जाते है।

जब दोनों पप्पू के घर पहुंचते है तो शालु उन्हें दरवाज़े पे खड़े मिलती है।
उसके चेहरे पे मुसकान थी पर वो किस चीज़ की थी ये तो सिर्फ वो खुद जानती थी।

पप्पू लंगड़ाता हुआ घर में चला जाता है।

शालू :अरे बेटा क्या हुआ कहीं दर्द हो रहा है क्या किसी ने मारा क्या तुझे।

देवा;वो काकी पप्पू नीचे गिर गया था आम के पेड़ से शायद मोच आ गई है।

शालु;हाँ बेटा अब बड़े बड़े पेड़ पे चढेगा तो लगेंगा ही। देवा तू अंदर आ ना मै कुछ नाश्ता बनाती हूँ तेरे लिये।

देवा;इसकी कोई ज़रूरत नहीं काकी।

शालु;अरे थक गया होगा न कितनी मेहनत करता है तू
चल बैठ।

देवा बैठ जाता है।
काकी काका कहीं नज़र नहीं आ रहे।

शालु;वो दोनों बच्चीयों के साथ शहर गए है रात तक आ जाएंगे।

देवा;शालू के मोटे मोटे ब्रैस्ट देखने लगता है।


शालु : देखता क्या है पी ले ना।

देवा;क्या।

शालु :अरे बाबा चाय ठन्डी हो जाएंगी पी ले।

देवा; चाये की चुस्की लेते हुए काकी आज आप बहुत खूबसूरत लग रही हो।

शालु;हल्के से मुस्कूराते हुए चल हट बदमाश कही के।

देवा;चाय का कप नीचे रख देता है और जाने के लिए उठता ही है की शालु उसके एकदम सामने आ जाती है।

शालु;अरे पसीना तो पोंछ लिया कर की बस दिन रात काम काम।
ओ देवा का पसीना पोंछने लगती है और साथ ही साथ अपने ब्रैस्ट देवा की छाती से रगडने लगती है।

देवा की ऑखें बंद हो जाती है और वो दोनों हाथ पीछे ले जाके शालु के कमर को ज़ोर से मसल देता है।


शालु; उई माँ क्या करता है बदमाश।
और वो चाय का कप उठाके किचन में चली जाती है।

देवा;दिल ही दिल में मुस्कराता हुआ वहां से अपने घर की तरफ चल देता है।
WOW SUPERB POST
 

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