अगले कुछ दिन तक ससुर को आँचल के साथ कोई मौका नहीं मिलता वो बेचैन हो जाता है. आँचल को ऑफिस से फोन करता है.
"बहुत मन कर रहा है बहू….."
"ओह्ह….ससुरजी…"
"अच्छा सुन ये बता सुनील कब सोता है ?"
"सुनील तो बेड में जाते ही सो जाते हैं."
"आज सुनील के सोने के बाद लिविंग रूम में आ जाना. मैं वहीं तेरा इंतज़ार करूँगा."
"नहीं नहीं ….कोई जाग गया तो…"
"कोई नहीं जागेगा बस तू 15 मिनट के लिए आ जाना."
"ठीक है कोशिश करूँगी."
"कोशिश नहीं तू आना ज़रूर ."
"ठीक है …आऊँगी …ससुरजी..."
रात में डिनर करके आँचल सुनील के साथ अपने बेडरूम में चली जाती है. सास और ससुर अपने बेडरूम में सोने चले जाते हैं. बेड में जाने के कुछ देर बाद सास खर्राटे लेने लगती है. आधे घंटे बाद ससुर लिविंग रूम में आता है और टीवी देखने लगता है. टीवी तो बहाना है वो आँचल का इंतज़ार करता है. जब उसको नींद नहीं आती तो वो अक्सर लिविंग रूम में आकर टीवी देखता है इसलिए उसे कोई फिक्र नहीं.
उधर आँचल बेड में लेट जाती है. सुनील बेड में लेटकर कोई नावेल पढ़ने लगता है. आँचल उसके सोने का इंतज़ार करती है. लेकिन सुनील सो नहीं रहा.
"सुनील सो जाओ अब."
"बहुत इंटरेस्टिंग नावेल है , थोड़ी सी बची है , खत्म करके ही सोऊंगा."
थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद आँचल को नींद आ जाती है.
ससुर टीवी खोले बैठा है , बोर हो रहा है. पर आँचल नहीं आ रही. एक डेढ़ घंटे तक इंतज़ार करने के बाद टीवी बंद कर देता है. आँचल को कोसता है पता नहीं क्यूँ नहीं आई ? उसका मन नहीं मानता अपने बेडरूम में जाने की बजाय आँचल के बेडरूम के दरवाज़े पर जाकर कान लगाता है. कहीं आँचल के ऊपर सुनील तो नहीं चढ़ा हुआ है ? कोई आवाज़ नहीं आ रही , लाइट भी ऑफ है. लगता है सो गयी है. फोन या मैसेज भी नहीं कर सकता कहीं सुनील ना उठा ले .
ससुर खिन्न होकर अपने बेडरूम में वापस आ जाता है.
अगले दिन सास के भाई का लड़का मुकुल वहाँ आता है. उस समय घर पर सास और आँचल थीं. ससुर और सुनील फैक्ट्री गये हुए थे. मुकुल अपनी बुआजी को बहुत अच्छा मानता है. आज उनके साथ ही लंच करता है.
"बुआजी हमारे घर चलिए ना. कुछ दिन वहीं रहेंगी."
"फिर आऊँगी बेटा किसी दिन."
"नहीं नहीं आज ही चलिए ना मेरे साथ. आँचल भाभी आप बुआजी को मेरे साथ भेज दो ना."
मुकुल बहुत ज़िद करता है. बुआजी को ले जाए बिना मानता नहीं.
लंच के बाद सास अपना थोड़ा सामान बैग में रखकर मुकुल के साथ कार में उसके घर चली जाती है.
"बहू, मुकुल बहुत ज़िद कर रहा है. परसों आ जाऊँगी."
शाम को फैक्ट्री से ससुर और सुनील घर लौटते हैं. आँचल उन्हें बताती है सासूजी मुकुल के साथ चली गयी हैं. परसों वापस आ जाएँगी.
ये खबर सुनकर ससुर बहुत खुश हो जाता है. उसकी खुशी आँचल से छुपती नहीं. वो जानती है घर में सास के ना होने का ससुर पूरा फायदा उठाएगा. ससुर के साथ चुदाई की कल्पना से वो भी एक्साइटेड होती है .
डिनर के पहले ससुर आँचल से कहता है," आज ज़रूर आ जाना. मैं दरवाजा खुला रखूँगा."
आँचल शरमाती भी है और उसके चेहरे पर मुस्कान भी है ," हाँ … आऊँगी …ससुरजी..."
"हाँ हाँ तो कल भी बहुत कह रही थी पर आयी नहीं."
"आज आऊँगी…..."
डिनर के बाद ससुर अपने कमरे में चला जाता है. आज अकेले सोएगा.
सुनील और आँचल अपने बेडरूम में चले जाते हैं.
सोते समय आँचल सोचती है आज तो ससुर के कमरे में जाना है , कोई सेक्सी लिंजरी पहनती हूँ, जिससे ससुर मस्त हो जाए. अपना वॉर्डरोब खोलती है और एक सेक्सी बेबीडॉल नाइटी निकालती है जो उसने कुछ समय पहले खरीदी थी पर कभी पहनी नहीं. आँचल अपना पंजाबी सूट उतार देती है और ब्रा भी उतार देती है. पैंटी के ऊपर बेबीडॉल नाइटी पहन लेती है जो पूरी पारदर्शी है. और उसमें आँचल की पैंटी साफ दिखती है.
उधर ससुर अपने बेडरूम की लाइट ऑफ करके नाइट बल्ब ऑन कर देता है. मेरी आँचल रानी कब आएगी , बेड में लेटे हुए इंतज़ार करता है.
सुनील देखता है आँचल बेबीडॉल में बहुत ही मादक लग रही है. उसका मन मचल जाता है और वो कामातुर हो उठता है. सुनील सोचता है आँचल मुझे रिझाने के लिए इतनी सेक्सी नाइटी पहन रही है.
"ये कब ली तुमने ? बहुत ही सेक्सी लग रही हो."
" ले आई थी. पर पहनी नहीं."
"पीछे मुड़ के दिखाओ."
आँचल को सुनील से ऐसे रिएक्शन की उम्मीद नहीं थी. सुनील को आकर्षित होते देखकर वो खुश होती है और पीछे घूम जाती है
सुनील देखता है पीछे से आँचल की पैंटी में सिर्फ़ एक पतली डोरी है और आँचल के गोरे बड़े नितंब नंगे दिख रहे हैं.
वो बेड से उठता है और आँचल को अपने आलिंगन में कसकर उसके होंठ चूमने लगता है.
आँचल सोचती है , वाह रे बेबीडॉल , सुनील तो बहुत एक्साइटेड हो गया है.
सुनील थोड़ी देर तक आँचल को चूमता है फिर उसको गोदी में उठाकर बेड में लिटा देता है.
आज सुरूर में है सुनील . आँचल को भी अच्छा महसूस हो रहा है.
आँचल को बेड में लिटाने के बाद सुनील अपने कपड़े उतारकर फेंक देता है. चुदाई की जल्दबाज़ी में है. सुनील का लंड तन के फनफना रहा है , झटके मार रहा है. आँचल भी खड़े लंड को देखकर उत्तेजित होने लगती है. ससुर के पास जाना है, भूल ही गयी है.
उधर ससुर बेड में लेटे हुए बेचैन हो रहा है. लगता है साली आज भी सो गयी है.
नंगा होकर सुनील आँचल की पैंटी उतार कर फर्श में फेंक देता है. उसकी बेबीडॉल उतारता नहीं पर ऊपर को चूचियों तक खींच देता है. नंगी आँचल के ऊपर लेट जाता है और उसकी बड़ी चूचियों को मुँह में भरकर चूसने लगता है. सुनील तो सीधे चुदाई करने वालों में था , आज चूची चूसने का मन कैसे हो गया. आँचल भी खुश होती है. और खूब मज़े से अपनी चूची चुसवाती है.
सुनील थोड़ी देर तक दोनों चूचियों को मसलता है उनका निपल मुँह में भरता है , आँचल कामोत्तेजना से पागल हुई जा रही है , उसकी चूत रस छोड़ने लगती है.
अब सुनील आँचल की गोरी मांसल जाँघों को दोनों हाथों में पकड़ता है और फैला देता है. खुद उसकी टाँगों के बीच आकर आँचल की गुलाबी चूत के छेद में अपने लंड का टोपा लगाता है. आँचल की चूत सनसनाने लगती है. सुनील एक झटका देता है और पूरा 4.5 " का लंड एक ही बार में आँचल की चूत में घुसा देता है.
"आअहह….ओह…..." , आँचल ज़ोर से सिसकारी लेती है. चूत में लंड घुसने का मज़ा ही कुछ और है.
सुनील अपने लंड पर आँचल की चूत की गर्मी महसूस करता है. कामोन्माद में भरकर गीली चूत में धक्के मारने लगता है.
"ओह्ह सुनील…...आअहह…..." आँचल मस्ती में सिसकने लगी.
कमरे में ठप.. ठुप... ठप... ठुप की आवाज़ें गूंजने लगती है. कमरे की दीवारें पति पत्नी की चुदाई की गवाह बनी हुई हैं. बहुत कामुक दृश्य है. सुनील अपनी खूबसूरत और मादक बीवी की चूत में लंड पेल रहा है.
"आअहह सुनील…. और जोर से चोदो ...आह…..आअहह…..." आँचल कामुक अंदाज में सुनील को और जोर से चोदने को उकसाती है.
थोड़ी देर में आँचल की गरम चूत ने सुनील के लंड से पानी निचोड़ लिया.
सुनील आहह……भरते हुए आँचल की चूत में वीर्य छोड़ देता है.
उसी के साथ आँचल भी जोर से सिसकारियां लेते हुए झड़ जाती है.
"ओह्ह ………उइईइइईइ……. माँआआ …...आअहह…..."
कामसंतुष्टि से खुश होकर सुनील अपने बेड में नंगा लेट जाता है. गहरी साँसें लेते हुए वो थोड़ी देर सीधा लेटे रहता है. आँचल भी साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रही है. कुछ देर बाद आँचल की तरफ पीठ करके करवट पे लेट जाता है . कुछ ही देर में खर्राटे लेने लगता है.
आँचल अभी भी सीधी लेटी हुई है. सुनील को खर्राटे लेते देखकर आँचल बेड से उठती है और फर्श से उठाकर अपनी पैंटी पहन लेती है. फिर सुनील की साइड में जाकर उसे चादर ओढ़ा देती है . बेडरूम की लाइट ऑफ कर देती है और चुपचाप रूम से बाहर आ जाती है.
आँचल ससुर के बेडरूम में आती है. धीरे से दरवाज़े को खोलती है, ससुर बेड में लेटा हुआ है.
नाइट बल्ब की बहुत हलकी रोशनी में आँचल को बेबीडॉल में देखता है. बहुत ही कामुक लग रही है बहू.
ससुर का लंड सीधे छत की तरफ खड़ा हो जाता है. वो बेड से उठता है और आँचल को अपनी बाँहों में भरकर बेतहाशा चूमता है.
फिर दरवाज़े में लॉक लगा देता है. आँचल की बेबीडॉल और पैंटी उतारकर फर्श में फेंक देता है. आँचल को नंगी बेड में पटक देता है. और अपने कपड़े उतारकर नंगा हो जाता है.
ससुर के लंड से प्री-कम निकलने लगता है. आह…...कयामत है साली. नंगी देखने भर से मेरा पानी निकाल देती है.
आँचल ससुर का 7.5 " का तना हुआ लंड देखती है. उफ कितना बड़ा और मोटा है ससुरजी का . जो खाते हैं इसी में लगता है शायद. उसकी चूत में फूरफ़ुरी दौड़ जाती है.
ससुर बेड में आकर आँचल की एक चूची को मुँह में भर लेता है और दूसरी चूची को ज़ोर से मसलता है.
"आहह….." ससुरजी बड़े बेरहम हैं, हाथ भी कितने सख़्त हैं.
थोड़ी देर चूचियों को चूसकर ससुर नीचे को खिसक जाता है. आँचल की फूली हुई चूत के होठों पर जीभ लगाता है.
"ओह्ह…उनन्नज्ग…. आहह …." अपनी मुलायम चूत पर ससुर की खुरदूरी जीभ लगने से आँचल सिसकती है.
ससुर क्लिट को जीभ से कुरेदता है. चूत के होठों में गीलापन महसूस करता है.
ससुर खुश हो जाता है. बहू मेरे लिए बहुत गीली हो रखी है.
" लगता है तू भी मेरे लिए बहुत तड़प रही है."
"उनन्न…...ससुरजी……"
अब ससुर आँचल की चूत में जीभ घुसा देता है . चूत की दीवारों पर जीभ घुमाता है.
जीभ में कुछ अजीब सा स्वाद आता है. आज बहू की चूत का स्वाद कुछ अजीब है , चूतरस गाढ़ा सा महसूस हो रहा है. क्या बात ?
ससुर अपनी जीभ को चूत से बाहर निकाल लेता है. चूत के अंदर दो अँगुलियाँ डाल कर अंदर बाहर करता है.
"आअहह…...ओह्ह…..उनन्नज्ज्ग……" आँचल आँखें बंद करके सिसकारियाँ लेती रहती है.
ससुर अपनी अँगुलियाँ बाहर निकलता है. सुनील का वीर्य उसकी अंगुलियों में चिपक जाता है.
ससुर देखता है अँगुलियाँ सफेद हो रखी हैं , चूतरस नहीं है , ये तो साला वीर्य लग गया मेरी अंगुलियों में.
"बहू , ये तेरी चूत में तो ……... सुनील ने चोदा क्या तुझे ?"
"हाँ …ससुरजी." आँचल शरमाते हुए धीमे से बोलती है.
अब आँचल भी आँखें खोल के ससुरजी को देख रही है और ससुर अपनी अंगुलियों को देख रहा है.
धत तेरे की………साली ने सुनील का वीर्य चटा दिया मुझे …..
"पहले क्यूँ नहीं बताया तूने ?"
"ओह्ह….ससुरजी……आपने मौका ही कहाँ दिया …" आँचल धीमे से मादक आवाज़ में जवाब देती है.
ससुर थू थू ……करके थूकता है. सब स्वाद बिगड़ गया मुँह का.
ससुर बेड से उठकर बाथरूम चला जाता है और साबुन से अपनी अँगुलियाँ धोता है. खूब कुल्ला करके मुँह साफ करता है.
बेड में बैठी आँचल उसकी इस हालत पर हँसी रोकने की कोशिश करती है पर रुक नहीं रही.
ससुर वापस बेडरूम में आता है और आँचल को पकड़कर बाथरूम ले जाता है. वहाँ उसकी चूत में अपनी अंगुलियों को डालकर पानी से साफ करता है और चूत के आस पास भी पानी से धोता है. आँचल को अभी भी हँसी आ रही है.
फिर तौलिए से आँचल की चूत पोंछकर उसे बेड में पेट के बल लिटा देता है. आँचल की गोरी बड़ी गांड पहाड़ जैसी ऊपर को उठी है. ससुर अपने दोनों हाथों से आँचल के नितंबों को मसलता है. फिर अपना मुँह नितंबों पर लगा देता है.