Adultery आँचल की अय्याशियां

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आँचल
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ससुर निश्चिंत था की जब आँचल चंडीगढ़ से लौटकर आएगी तो ज़रूर उसको चोदने देगी. फोन में तो कह रही थी की देल्ही वापस आकर आपके साथ प्यास बुझाऊँगी. पर उसे क्या पता था की आँचल तो जस्सी के साथ ही अपनी जी भरके प्यास बुझा आई थी.

अगले कुछ दिनों में ससुर ने महसूस किया की आँचल उससे दूर ही रहने की कोशिश कर रही है. ससुर को आँचल से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नही थी. वो तो सोच रहा था की आँचल के वापस आते ही उसके साथ चुदाई का प्लान बनाएगा पर यहाँ तो आँचल उससे नॉर्मली बिहेव कर रही थी , पहले के जैसे.

ससुर अनुभवी आदमी था उसे शक़ हो गया की आँचल ज़रूर चंडीगढ़ में किसी ना किसी के साथ चुदाई के मज़े ले के आई है तभी शांत हो रखी है और मुझे भाव नही दे रही. चेहरा भी खिला खिला है , पूर्ण संतुष्टि के भाव हैं. लगता है खूब अपने मन की करके आई है. हँसती खिलखिलाती रहती है , यहाँ मेरा कलेजा जल रहा है.

अकेले में बात भी नही हो पा रही थी. सुबह वो सुनील के साथ फैक्ट्री चला जाता था और देर शाम को ही लौटना हो पाता था. फैक्ट्री की हालत डाँवाडोल थी इसलिए सुनील के भरोसे छोड़ना भी ठीक नही था. ख़ान के दिए लोन से जैसे तैसे काम चल रहा था.

आँचल जानती थी की देल्ही वापस आने के बाद ससुरजी उसे चोदने का कोई मौका हाथ से जाने नही देंगे. लेकिन जस्सी ने उसे इतना चोदा था की उसकी प्यास कुछ दिनों बुझी रही. चंडीगढ़ में जस्सी के साथ जमकर हुई चुदाई के बारे में सोचकर आँचल के गाल लाल हो जाते थे , होठों पे मुस्कुराहट आ जाती थी और चूत गीली हो जाती थी. आँचल की उस चुदाई की थकान उतरने में ही कुछ दिन लग गये.

सेक्सुअली सैटिस्फाइड होने के बाद आँचल को कुछ दिन तक पतिव्रता होने का सुर चढ़ा रहता था. उसने ससुर से पहले की तरह दूरी बनाए रखी. वैसे भी घर में इतने लोगो के होने से ससुर को आँचल से अकेले में अपने मन की बात करने का मौका नही मिल पा रहा था. सास की तबीयत अब ठीक थी , उसके द्वारा पकड़े जाने का डर भी था.

आँचल के अगले कुछ दिन ऐसे ही चंडीगढ़ की मीठी यादों में गुजर गये. सुनील भी अपने पुराने ढर्रे पर लौट आया था. रिया के आने से उसकी लाइफ में जो एक्साइट्मेंट आई थी वो भी अब नही रही. मन हुआ तो किसी दिन आँचल की चुदाई कर देता था वरना करवट लेकर सो जाता था , फैक्ट्री की टेंशन में ही ज़्यादा रहता था.

ऐसे ही दो तीन हफ्ते निकल गये. सास अब अपने काम खुद कर लेती थी तो उसने सुनीता की छुट्टी कर दी. ससुर बेचैन था सुनीता भी गयी, आँचल को कैसे पटाऊँ. अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता था , नाश्ते और डिनर की टेबल पर आँखों ही आँखों में इशारे करता था पर आँचल शरमाकर सर झुका लेती थी. ससुर को पता था सुनील आँचल को संतुष्ट नही कर पाता है. कुछ दिन इंतज़ार करना पड़ेगा.

पर आँचल भी कब तक चुदाई की पुरानी यादों के भरोसे रहती , उसको भी रगड़ के चुदाई की इच्छा होने लगी. रिया बता रही थी ससुरजी ने मोटे लंड से चोदकर बहुत मज़े दिए. पूरे तीन दिन मेरे ससुरजी के साथ मज़े करके गयी और मुझे खबर तक नही लगी.
लिविंग रूम में सुनीता को चोदते हुए तो मैंने भी देखा था उस रात को. उफ कितनी रगड़ के चुदाई कर रहे थे उसकी अपने मोटे लंड से ससुरजी. मुझे भी वैसे ही चोदेंगे ससुरजी ? आँचल की चूत गीली हो गयी …….
नही नही ये ठीक नही होगा …. … किसी और मर्द की बात अलग है पर सुनील के बाप के साथ ? उसका दिमाग़ कह रहा था ये ग़लत होगा. लेकिन सुनील मुझे सेक्सुअली सैटिस्फाई नही कर पाता तो मैं क्या करूँ ? अजीब सी दुविधा थी.

धीरे धीरे उसने ससुर को रेस्पॉन्स देना शुरू कर दिया. उसके हाव भाव से ससुर को भी पता चल गया अब लाइन दे रही है. ससुर ने आँचल की आँखों में प्यास देखी. हाँ, अब सही मौका है. अब इसको कहीं बाहर ले जाकर चोदता हूँ. ससुर आगे का प्लान बनाने लगा.

कुछ दिनों बाद एक सुबह नाश्ते के समय ससुर को मौका मिल गया.

सुनील नाश्ता करके उठ गया था.टेबल पर आँचल और उसके सास ससुर थे. आँचल की नज़रें ससुर से मिलती हैं , वो नाश्ता करते हुए उसी को देख रहा था. आँचल शरमा जाती है और चुपचाप नाश्ता करने लगती है. फिर सास उठी और अपनी प्लेट लेकर किचन में जाने लगी. आँचल ने भी नाश्ता कर लिया था वो उठ कर जाने लगती है . जैसे ही ससुर की चेयर के पास से गुजरती है तो ससुर पीछे से उसकी बायीं बाँह पकड़ लेता है . बाँह पकड़ने से आँचल घूम जाती है और उसका मुँह ससुरजी की तरफ हो जाता है .

"छोड़िए ना ……..सासूजी देख लेंगी." आँचल फुसफुसाती है.

"मुझे मालूम है तू तड़प रही है. सही कह रहा हूँ ना ?" ससुर भी धीरे से बोलता है.

" जाने दीजिए ना...."

किचन में पानी गिरने की आवाज़ आ रही है. सासूजी ने सिंक का नल खोल दिया.

"देख , आज 11 बजे तू ब्राइट होटेल में आ जाना . वहीं तेरी प्यास बुझाऊंगा. आएगी ना ?"

आँचल ने कोई जवाब नही दिया. हाथ छुड़ाने की हल्की कोशिश करती रही. उसकी नज़र किचन की तरफ है , सासूजी किसी भी वक़्त बाहर आ जाएगी और यहाँ ससुरजी हाथ नही छोड़ रहे.

ससुर ने देखा , ये ऐसे नही मानेगी. अब ससुर ने आँचल का हाथ अपने पैंट के ऊपर से लंड पर रख दिया और दबाए रखा.

"देख ये भी तेरे लिए तड़प रहा है."

किचन में पानी गिरना बंद हो गया. सासूजी ने नल बंद कर दिया. आँचल की घबराहट बढ़ गयी.

"उन्न्नह...ससुरजी ...क्या करते हैं. सासूजी आ जाएँगी......छोड़िए मेरा हाथ."

"पहले हाँ बोल……... आएगी ना ?"

"जी……..आऊँगी…..." आँचल को अपनी जान छुड़ाने के लिए कहना ही पड़ता है.

ससुर आँचल का हाथ छोड़ देता है. उसी समय सास भी किचन से बाहर आ जाती है और आँचल ससुर से पीछा छुड़ाकर किचन में चली जाती है.

फिर ससुर सुनील के साथ फैक्ट्री चला गया. वहीं से उसने ब्राइट होटेल में एक रूम बुक करवा लिया.

आँचल भी नाश्ते के बाद अपने बेडरूम में चली गयी.

ससुर फैक्ट्री से आँचल को फोन करता है. आँचल आ रही है ना , कन्फर्म करने के लिए.

"होटेल में रूम बुक करवा दिया है. आ रही है ना ?"

"ये सही नही है , ससुरजी….."

"तू डर मत. किसी को पता नही चलेगा. सही ग़लत कुछ नही. मैं तुझे बहुत मज़ा दूँगा."

"उम्म्म….."

"शर्माती क्यों है ? मैं हूँ ना तुझे खुश करने के लिए ......चल अब रखता हूँ. तू तैयार हो जाना ."

आँचल नहाने के लिए बाथरूम चली जाती है. नहाने के बाद होटेल जाने के लिए तैयार होने लगती है.
आँचल अपना वॉर्डरोब खोलती है . क्या पहनूं ? जिससे ससुरजी रीझ जाएँ. फिर वो एक ब्लैक कलर की साड़ी और मैचिंग ब्लाउज निकालती है. साथ में ब्लैक पेटीकोट और ब्लैक पैंटी. नेट वाली पैंटी थी बोयशॉर्ट टाइप की , जो V शेप की बजाय स्ट्रिप शेप की होती है और नितंबों का सिर्फ़ ऊपरी हिस्सा ढकती है. ब्लाउज बैकलेस था जिसमे पीठ पर एक पतली स्ट्रिप और एक डोरी थी. बैकलेस ब्लाउज होने से उसने ब्रा नही पहनी. ब्लाउज में बिना ब्रा के उसकी बड़ी चूचियों का शेप साफ दिख रहा था. ब्लाउज के ऊपर साड़ी के पल्लू से चूचियों को ढककर आँचल अपने को मिरर में देखती है. अच्छी लग रही हूँ. खुद ही अपने रूप पर मोहित हो जाती है. फिर हल्का मेकअप करती है ,परफ्यूम डालकर बेडरूम से बाहर आ जाती है.

तैयार होते हुए आँचल को अजीब सा रोमांच हो रहा था. उसका दिल जोरो से धड़क रहा था. कुछ घबराहट सी भी हो रही थी. कुछ ग़लत जैसा भी उसे महसूस हो रहा था. इसी का रोमांच भी था.

सास को शॉपिंग के लिए जा रही हूँ बोलकर , 10:30 बजे आँचल कार से ब्राइट होटेल के लिए निकल गयी.

उधर ससुर भी फैक्ट्री में सुनील से बैंक में कुछ काम है कहकर होटेल के लिए निकल गया . होटेल पहुँचकर ससुर आँचल का इंतज़ार करने लगा. कुछ ही समय बाद आँचल भी वहाँ पहुँच गयी.

जब आँचल आई तो ससुर देखते रह गया, ब्लैक साड़ी और बैकलेस ब्लाउज में गोरे रंग की आँचल गजब की खूबसूरत लग रही है. ससुर का मन प्रसन्न हो गया , आज तो धन्य हो जाऊँगा.

"बहुत खूबसूरत लग रही हो बहू….."

फिर ससुर ने रिसेप्शन से रूम की चाभी ली और दोनों लिफ्ट से ऊपर रूम में चले गये. रिसेप्शन में स्टाफ ने देखा , खूबसूरत लड़की है 25-26 से ज़्यादा की नही होगी और साथ में 54 – 55 का बड़ी उमर का आदमी है. इन दोनों का रिश्ता क्या है ? बुड्ढे ने कहाँ से पटायी ये अप्सरा ?

रूम में आने के बाद ससुर ने ……….
 
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होटेल के रूम में आने के बाद ससुर ने आँचल को अपनी बाँहों में भर लिया. कुछ पल उसके खूबसूरत चेहरे को एकटक देखता रहा. उसको विश्वास नही हो रहा आज उसकी दिल की तमन्ना पूरी होने जा रही थी. कितनी सुंदर है मेरी बहू …

आँचल ने ससुर को प्यार भरी नज़रों से अपने चेहरे को देखते पाया, शरमाकर उसने अपनी नज़रें झुका ली. फिर ससुर धीरे से अपना चेहरा झुकाते हुए आँचल के होठों के करीब अपने होंठ लाया. चुंबन की अपेक्षा में आँचल के होंठ कंपकपाने लगे. ससुर आँचल के रसीले होठों से रस चूसने लगा. आँचल ने आँखें बंद कर ली. उसके होठों को ऐसे ही कुछ पल तक चूसने के बाद ससुर ने आँचल के होठों के बीच जीभ डाल दी. आँचल ने अपना मुँह खोल दिया और ससुर की जीभ से अपनी जीभ मिला दी. कुछ पलों तक दोनों की जीभ एक दूसरे से लिपटी रही फिर चुंबन ने तेज़ी पकड़ ली. फिर ससुर ने आँचल की साड़ी के पल्लू के अंदर ब्लाउज पर दायां हाथ रख दिया और उसकी बिना ब्रा की चूचियों को सहलाने लगा. धीरे धीरे चूचियों पर दबाव बढ़ाकर ब्लाउज के बाहर से ही उनको दबाने लगा.

आँचल के मुँह से घुटी घुटी सिसकारियाँ निकलने लगीं.
"उंगग्गग……...उग्गग……".

ससुर अपनी जीभ आँचल के मुँह में घुमाने लगा और हाथ से आँचल की बड़ी और नरम चूचियों को पतले ब्लाउज के बाहर से मसलने लगा. आँचल के कड़े हो चुके निपल्स ससुर ने अंगुलियों से महसूस किए.

कुछ देर बाद दोनों के होंठ अलग हो गये. दोनों की साँसें गहरे चुंबन से भारी हो गयी थी.

अब ससुर आँचल की साड़ी उतारने लगा. साड़ी उतरने के बाद अब आँचल सिर्फ़ काले रंगे के पेटीकोट और बैकलेस पतले ब्लाउज में थी. उस पतले ब्लाउज में आँचल की बड़ी बड़ी चूचियां बाहर आने को मचल रही थी.

ससुर अपनी कमीज़ के बटन खोलने लगता है. आँचल ब्लाउज और पेटीकोट में खड़ी है. ससुर को कपड़े उतारते हुए देखती है पर अपने कपडे नहीं खोलती. ससुर पैंट भी उतार देता है और अब वो सिर्फ़ बनियान और अंडरवियर में है. आँचल की नज़रें उसके अंडरवियर पर हैं जिसके अंदर ससुर का अधखड़ा लंड अंडरवियर के कपड़े को बाहर को ताने हुए है.

फिर ससुर आँचल के पीछे जाता है और उसका ब्लाउज उतार देता है. ब्लाउज उतरते ही आँचल की गोरी बड़ी चूचियाँ नंगी हो जाती हैं. आँचल का कमर से ऊपर का गोरा नंगा बदन नीचे काला पेटीकोट होने से और भी ज़्यादा मादक लग रहा है.

ससुर बेड में नीचे पैर करके बैठ जाता है और आँचल को साइड पोज़ में अपनी गोद में बिठा लेता है. बाएं हाथ को आँचल की नंगी पीठ के पीछे से ले जाकर उसकी बायीं बाँह को पकड़ लेता है और दायीं हथेली को उसकी बायीं चूची के ऊपर रख देता है और हल्के हल्के सहलाने लगता है. फिर अपना मुँह आँचल के दाएं गाल के करीब लाता है और उसका गाल चूमता है ,फिर दाएं कान को होठों से चूमता है और कान के निचले हिस्से को दांतों से खींचता है.

आँचल गोद में बैठे हुए सिसकती है, "ओह्ह ……………..उन्न्नज्ज्ग…."

फिर ससुर अपने होठों को कान से नीचे को लाता है और आँचल की गोरी गर्दन को चूमता है , जीभ लगाकर चाटता है. आँचल उसकी इस हरकत से सनसना जाती है और अपनी गर्दन हटाने की कोशिश करती है.

ससुर अपने होंठ और नीचे लाता है और आँचल के दाएं कंधे को चूमता है और हल्के से दाँत गड़ा देता है. आँचल आँखें बंद किए हुए उहह….. आह …...करते हुए सिसकती है. ससुर के हाथ दोनों चूचियों को दबाते और सहलाते रहते हैं.

फिर दायीं चूची के निप्पल को अपने अंगूठे और दूसरी अंगुली के बीच में पकड़कर मरोड़ता है और घुमाता है , ऐसा ही बायीं चूची पर भी करता है.

आँचल से बर्दाश्त नही हो रहा है. सिसकते हुए उसके होंठ सूखने लगते हैं. वो होठों पर जीभ फिराकर गीला करती है.

ससुर आँचल के दाएं हाथ को अपने कंधे पर डालता है और उसकी दायीं चूची को हाथ से पकड़कर अपने मुँह में भरने की कोशिश करता है. बड़ी चूची है फिर भी जितना हो सके मुँह में भर लेता है और बच्चे के जैसे चूसता है. बहुत मुलायम चूची है. उसके चूची चूसने से आँचल पागल हुई जा रही है. उसकी चूत से रस बहने लगता है. ऐसे ही दोनों चूचियों और उनके निप्पल को चूसता है. कामातुर होकर ससुर आँचल की नरम चूचियों पर ज़ोर से दाँत गड़ा देता है. आँचल दर्द से तड़पती है ……आआहह……

गोरी चूची पर निप्पल के चारो और हल्के भूरे रंग के ऐरोला को ससुर जीभ से चाटता है और निप्पल को जीभ से छेड़ता है, आँचल से सहन नही होता और वो ससुर की गोद में ही उचकने लगती है.

जी भरकर आँचल की चूचियों से खेलने के बाद ससुर आँचल को गोद से उतार देता है. फिर खुद भी खड़ा हो जाता है और अपना अंडरवियर उतार देता है. उसका लंड तना हुआ तो है पर अभी अपनी पूरी लंबाई में नही आया है.

आँचल की नज़र ससुर के मोटे और बड़े लंड पर पड़ती है. उत्तेजना से उसके होंठ सूख जाते हैं वो अपनी जीभ फिराकर होठों को गीला करती है.

ससुर देखता है बहू मेरे लंड को देख रही है. वो आँचल के कंधे पर हाथ रखकर उसको नीचे झुकाता है. आँचल समझ जाती है और नीचे बैठकर ससुर के लंड को पकड़ लेती है. फिर सुपाड़े को जीभ लगाकर चाटती है. सुपाड़े के नरम माँस पर आँचल की जीभ लगने से ससुर सिसकता है. आँचल एक नज़र ऊपर करके ससुर को देखती है फिर सुपाड़े को मुँह में ले लेती है. और अपना मुँह आगे पीछे हिलाकर लंड चूसने लगती है. ससुर को मज़ा आ रहा है. वो आँचल के सर के पीछे अपने हाथ रख देता है. थोड़ी देर तक चूसने के बाद आँचल लंड को बाहर निकाल लेती है और लार से गीले हुए लंड को अपने हाथ से आगे पीछे करके तेज तेज मूठ मारती है. लंड अब काफ़ी मोटा और कड़ा हो चुका है. आँचल फिर से लंड को मुँह में भर लेती है और चूसने लगती है. एक हाथ से उसने लंड को जड़ पर पकड़ा हुआ है दूसरे हाथ से ससुर की लटकती गोलियों को सहलाने लगती है. फिर लंड को मुँह से निकाल देती है और लंड ऊपर को करके जड़ पर चाटती है और गोलियों को चूमती है.

ससुर पगलाए जा रहा है. आअहह…….क्या चूसती है साली………..कहाँ से सीखी है पता नही………..बहुत एक्सपर्ट हो गयी है.

"आहह………...बहुत मज़ा दे रही हो बहू ." ससुर सिसकता है.

आँचल तारीफ से खुश होती है , सिसकते हुए ससुर को देखती है. उसके होठों में मुस्कान आ जाती है. फिर वो और भी ज़ोर से लंड को चूसने लगती है. ससुर अपनी बनियान उतार देता है. अब पूरा नंगा हो गया है. आँचल अभी भी पेटीकोट पहने हुए है.

ससुर हाथ नीचे ले जाकर आँचल की चूचियों को मसलता है.

आँचल इतने मज़े से लंड चूसती है की कुछ देर बाद ससुर को लगता है ये तो पानी निकाल देगी. ससुर आँचल के मुँह से लंड बाहर निकालने की कोशिश करता है . पर आँचल लंड नही छोड़ती और फिर ससुर का पानी निकल जाता है. लेकिन तब तक ससुर लंड को आँचल के मुँह से बाहर निकाल रहा होता है. वीर्य की धार कुछ आँचल के मुँह के अंदर जाती है , कुछ उसके चेहरे और गले में पड़ जाती है. आँचल ससुर के अंडरवियर से अपना चेहरा और गला पोंछ लेती है.

अब ससुर आँचल की पेटीकोट का नाड़ा खोल देता है और पेटीकोट फर्श पर गिर जाता है. आँचल अपने पैरों को उठाकर पेटीकोट निकाल देती है. ससुर देखता है आँचल ने तो फैंसी पैंटी पहनी हुई है. वो और भी एक्साइटेड हो जाता है.
ससुर आँचल को बेड में लिटा देता है और खुद उसके ऊपर आ जाता है. आँचल के होठों को चूमता है फिर नीचे को खिसकने लगता है. उसकी गर्दन चूमता है और फिर चूचियों को चूसने लगता है. निप्पल को चूसता है. आँचल सिसकारियाँ लेने लगती है.

"उनन्ं……आअहह…….. ओह्ह …..."

फिर नीचे को खिसकता है और आँचल के मुलायम गोरे पेट को चूमता है. उसकी गहरी नाभि को चूमता है फिर जीभ डालकर घुमाता है. आँचल तड़पने लगती है.

फिर और नीचे खिसक जाता है. आँचल के बाएं पैर के अंगूठे को अपने मुँह में भरकर चूसता है. ऐसे ही दाएं पैर के अंगूठे को भी चूसता है. काम की देवी के बदन के हर हिस्से को चूमना चाहता है. उसकी गोरी टांगों को चूमता है , घुटनों को चूमता है. फिर उसकी मांसल जाँघों को चूमता है. पैंटी के नीचे जाँघों के अंदरूनी हिस्से को जीभ से चाटता है. सेन्सिटिव भाग पर जीभ लगने से आँचल गनगना जाती है और अपनी जाँघें हटाने की कोशिश करती है.

अब ससुर पैंटी के ऊपर से चूत पर मुँह लगा देता है. आँचल की चूत की मादक गंध उसे महसूस होती है . कस्तूरी तो यहाँ छुपी है. वो पैंटी के बाहर से ही चूत को मुँह में लेने की कोशिश करता है. फिर दोनों हाथों से पैंटी नीचे को खींचता है. आँचल अपनी गांड उठाकर पैंटी उतारने में मदद करती है. ससुर आँचल की टाँगों से पैंटी उतारकर फर्श में डाल देता है. अब आँचल पूरी नंगी हो गयी.

पहली बार ससुर आँचल की चूत को देखता है. आँचल की पावरोटी जैसी फूली हुई गुलाबी चूत देखकर ससुर कामवासना से पागल हो जाता है. क्या फूली हुई चूत पाई है ! ऐसी तो पहले कभी नही देखी. चूत के ऊपर छोटे छोटे बाल हैं. शायद कुछ ही दिन पहले शेव किया है. ससुर तुरंत अपना मुँह चूत पर लगा देता है और फूले हुए होठों को चाटने लगता है. आँचल की क्लिट को जीभ से छेड़ देता है.

"आअहह…….. ओह्ह …..." आँचल सिसकने लगती है.

फिर ससुर आँचल की चूत के अंदर जीभ घुसा देता है और अंदर बाहर करने लगता है. आँचल की चूत गीली हो रखी है. ससुर की जीभ को उसके चूतरस का स्वाद आता है. वो जीभ से चूतरस चाटने लगता है. कामोत्तेजित होकर आँचल ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगती है और तड़पकर इधर उधर सर हिलाती है . अपने हाथों से चादर को कस के पकड़ लेती है और अपने नितंबों को ससुर के मुँह पर उछाल देती है.

"मज़ा आ रहा है बहू ?" आँचल को उछलते देख ससुर मुस्कुराता है.

कोई और होता तो अब तक आँचल उसका सर पकड़कर चूत पर दबा देती लेकिन ससुर की शरम से वो ऐसा नही कर पाती है. फिर ससुर चूत से जीभ बाहर निकाल लेता है और दो अँगुलियाँ चूत में डालकर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगता है. आँचल बहुत उत्तेजित हो जाती है और नितंबों को ऊपर उछालने लगती है. कुछ ही देर में चूत से रस बहाते हुए वो झड़ जाती है.

"आअहह……. ओह …………ओइईईईईई…… माँआआ …..आह……."

अब ससुर ने आँचल की चूत से अँगुलियाँ बाहर निकाल ली. दोनों अँगुलियाँ आँचल के चूतरस से भीगी हुई थीं. ससुर ने आँचल को दिखाते हुए अपनी गीली अंगुलियों को चाट लिया.

उसके बाद ससुर ने आँचल की टाँगों को घुटनों से मोड़ लिया और उसकी चूत के छेद में अपने मोटे लंड का सुपाड़ा लगाया. पहला झटका दिया मोटा सुपाड़ा अंदर घुस गया.

"आआआअहह ……ओइईईईईईईईईईईईईई…………...माँआम्म्म्माआआआआआआ….."मोटा सुपाड़ा टाइट चूत में घुसते ही आँचल चिल्लाई.

उसका चिल्लाना देखकर ससुर रुक गया.

"तेरी चूत तो बहुत टाइट है ", धीरे धीरे लंड को और अंदर डालने की कोशिश करते हुए ससुर बोलता है.

"आआआअहह……." मोटे लंड से आँचल को दर्द हो रहा था.

ऐसा करते करते कुछ देर बाद ससुर अपना पूरा लंड जड़ तक चूत के अंदर घुसाने में सफल हो गया. पूरा लंड घुसने के बाद ससुर कुछ पल रुका रहा. आँचल की गरम और टाइट चूत ने ससुर के मोटे लंड को बुरी तरह जकड़ लिया.

अब ससुर धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करके चूत पर धक्के लगाने लगा. आँचल को ऐसा लगा जैसे ससुर के मोटे लंड ने उसकी टाइट चूत को पूरा भर दिया है.

मोटे लंड के चूत की दीवारों में रगड़ खाने से आँचल की सिसकारियाँ निकलने लगी.

"आअहह………...उंगग्गग…………. ओह्ह ….."

"अब मज़ा आ रहा है ना ? " , आँचल को सिसकारियाँ लेते हुए देखकर ससुर बोलता है.

"आअहह ………..बहुत मज़ा आ रहा है…..ससुरजी……ओइईईईई …" उत्तेजना में आँचल बेशरम होकर अपने नितंबों को ऊपर उछालने लगी और ससुर को नीचे से धक्के मारने लगी.

आँचल को मज़े में अपनी गांड ऊपर उछालते देखकर ससुर भी हैरान हुआ. बहू तो बहुत कामुक है. इसे तो पूरी मस्ती चढ़ गयी है.

अब ससुर भी जोश में आ गया और उसने आँचल की चूत में तेज तेज धक्के लगाने शुरू कर दिए. उसकी गोलियाँ आँचल की उठी हुई गांड से टकराने लगी. पूरे कमरे में ठप ठप ठप की आवाज़ गूंजने लगी.

तेज धक्कों से आँचल का पूरा बदन हिलने लगा. उसकी बड़ी चूचियाँ छाती पर ऊपर नीचे हिलने लगी.

"ऊऊउीईईई……..ओह…….आआअहह…....उईईई……..माँआम्म्माआ….." ससुर के तेज धक्कों से आँचल चिल्लाने लगी और फिर उसको ओर्गास्म आ गया और वो दूसरी बार झड़ गयी.

आँचल को झड़ते देखकर ससुर ने धक्के लगाना कम कर दिया और झड़ती हुई आँचल के चेहरे के बदलते भावों को देखते हुए मज़े लेने लगा. कुछ देर बाद उसने फिर से स्ट्रोक लगाने शुरू किए और गीली चूत में लंड के अंदर बाहर जाने से कमरे में फच फच फच की आवाज़ गूंजने लगी.

आँचल ने मदहोशी में देखा , ससुर धक्के पर धक्के लगाए जा रहा है. ससुर आँचल की बड़ी गोरी चूचियों को दोनों हाथ से मसलते हुए धक्के लगाते रहा. आँचल थक चुकी थी पर ससुर एक बार झड़ने के बाद चुदाई को लंबा खींच रहा था.

आँचल अपने मन में सोचती है , ससुरजी तो थक ही नहीं रहे इस उम्र में भी बहुत स्टेमिना है .

कुछ देर बाद ससुर ने आँचल की चूत में वीर्य की धार छोड़ दी और उसे लबालब भर दिया. आँचल ने अपनी चूत में ससुर के गरम वीर्य को महसूस किया.

झड़ने के बाद ससुर थककर आँचल के बगल में लेट गया. दोनों के बदन पसीने से भीग गये थे और साँसें उखड़ी हुई थी.

आँचल अपने नंगे बदन पर चादर डाल लेती है. ससुर नंगा ही पड़ा रहता है.

कुछ देर बाद ससुर ने आँचल की तरफ करवट ली और उसके चेहरे से बालों की लट हटाते हुए बोला," मज़ा आया ना ?"

"हाँ ……ससुरजी….." आँचल धीमी आवाज़ में जवाब देती है.

"अब तुझे फिकर करने की ज़रूरत नही. मैं तुझे ऐसे ही मज़ा दूँगा. ठीक है …?" आँचल के गुलाबी गालों पर प्यार से हाथ फेरते हुए ससुर बोला.

"ओह्ह …...ससुरजी….."

ससुर को मालूम था की बस एक बार आँचल उससे चुद जाएगी तो फिर मना नही करेगी.

ससुर ने आँचल को भी अपनी तरफ करवट पे कर लिया और दोनों के मुँह एक दूसरे की तरफ हो गये. फिर ससुर ने आँचल के बदन से चादर कमर तक खिसका दी और उसको आलिंगन में लेकर उसकी नंगी पीठ पर हाथ फिराने लगा. और उसके होठों , नाक और गालों को चूमने लगा. आँचल ने अपने मुलायम बड़े नितंबों पर ससुर के खुरदुरे हाथ घूमते हुए महसूस किए.

ससुर और आँचल दो बार झड़कर कामतृप्त हो गये थे. 15 मिनट ऐसे ही लेटे रहने के बाद ससुर बेड से उठ गया और अंडरवियर पहनने लगा. उसको कपड़े पहनते देख आँचल भी उठ गयी और फर्श से उठाकर पैंटी पहन ली और पेटीकोट बाँध लिया. फिर ब्लाउज पहनकर साड़ी पहनने लगी.

कपड़े पहनकर दोनों होटेल से बाहर आ गये. दोनों के चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव थे. ससुर को अपनी मादक बहू के बदन का रस पीने को मिला था , और आँचल को ससुर के मोटे लंड से चुदने का मज़ा मिला था.

दोनों ही जानते थे अब उनकी आपस में एक दूसरे से ही कामसुख की प्राप्ति होते रहेगी.

रिसेप्शन में होटेल स्टाफ ने ससुर के साथ आँचल को आते हुए देखा. दो घंटे चुदाई करके आये हैं ये दोनों.

"क्या मस्त माल चोदा है बुड्ढे ने ?"

फिर ससुर फैक्ट्री चला गया और आँचल घर में दिखाने के लिए छोटी मोटी शॉपिंग करने चली गयी.
 
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अगले कुछ दिन तक ससुर को आँचल के साथ कोई मौका नहीं मिलता वो बेचैन हो जाता है. आँचल को ऑफिस से फोन करता है.

"बहुत मन कर रहा है बहू….."

"ओह्ह….ससुरजी…"

"अच्छा सुन ये बता सुनील कब सोता है ?"

"सुनील तो बेड में जाते ही सो जाते हैं."

"आज सुनील के सोने के बाद लिविंग रूम में आ जाना. मैं वहीं तेरा इंतज़ार करूँगा."

"नहीं नहीं ….कोई जाग गया तो…"

"कोई नहीं जागेगा बस तू 15 मिनट के लिए आ जाना."

"ठीक है कोशिश करूँगी."

"कोशिश नहीं तू आना ज़रूर ."

"ठीक है …आऊँगी …ससुरजी..."

रात में डिनर करके आँचल सुनील के साथ अपने बेडरूम में चली जाती है. सास और ससुर अपने बेडरूम में सोने चले जाते हैं. बेड में जाने के कुछ देर बाद सास खर्राटे लेने लगती है. आधे घंटे बाद ससुर लिविंग रूम में आता है और टीवी देखने लगता है. टीवी तो बहाना है वो आँचल का इंतज़ार करता है. जब उसको नींद नहीं आती तो वो अक्सर लिविंग रूम में आकर टीवी देखता है इसलिए उसे कोई फिक्र नहीं.

उधर आँचल बेड में लेट जाती है. सुनील बेड में लेटकर कोई नावेल पढ़ने लगता है. आँचल उसके सोने का इंतज़ार करती है. लेकिन सुनील सो नहीं रहा.

"सुनील सो जाओ अब."

"बहुत इंटरेस्टिंग नावेल है , थोड़ी सी बची है , खत्म करके ही सोऊंगा."

थोड़ी देर इंतज़ार करने के बाद आँचल को नींद आ जाती है.

ससुर टीवी खोले बैठा है , बोर हो रहा है. पर आँचल नहीं आ रही. एक डेढ़ घंटे तक इंतज़ार करने के बाद टीवी बंद कर देता है. आँचल को कोसता है पता नहीं क्यूँ नहीं आई ? उसका मन नहीं मानता अपने बेडरूम में जाने की बजाय आँचल के बेडरूम के दरवाज़े पर जाकर कान लगाता है. कहीं आँचल के ऊपर सुनील तो नहीं चढ़ा हुआ है ? कोई आवाज़ नहीं आ रही , लाइट भी ऑफ है. लगता है सो गयी है. फोन या मैसेज भी नहीं कर सकता कहीं सुनील ना उठा ले .

ससुर खिन्न होकर अपने बेडरूम में वापस आ जाता है.

अगले दिन सास के भाई का लड़का मुकुल वहाँ आता है. उस समय घर पर सास और आँचल थीं. ससुर और सुनील फैक्ट्री गये हुए थे. मुकुल अपनी बुआजी को बहुत अच्छा मानता है. आज उनके साथ ही लंच करता है.

"बुआजी हमारे घर चलिए ना. कुछ दिन वहीं रहेंगी."

"फिर आऊँगी बेटा किसी दिन."

"नहीं नहीं आज ही चलिए ना मेरे साथ. आँचल भाभी आप बुआजी को मेरे साथ भेज दो ना."

मुकुल बहुत ज़िद करता है. बुआजी को ले जाए बिना मानता नहीं.

लंच के बाद सास अपना थोड़ा सामान बैग में रखकर मुकुल के साथ कार में उसके घर चली जाती है.

"बहू, मुकुल बहुत ज़िद कर रहा है. परसों आ जाऊँगी."

शाम को फैक्ट्री से ससुर और सुनील घर लौटते हैं. आँचल उन्हें बताती है सासूजी मुकुल के साथ चली गयी हैं. परसों वापस आ जाएँगी.

ये खबर सुनकर ससुर बहुत खुश हो जाता है. उसकी खुशी आँचल से छुपती नहीं. वो जानती है घर में सास के ना होने का ससुर पूरा फायदा उठाएगा. ससुर के साथ चुदाई की कल्पना से वो भी एक्साइटेड होती है .

डिनर के पहले ससुर आँचल से कहता है," आज ज़रूर आ जाना. मैं दरवाजा खुला रखूँगा."

आँचल शरमाती भी है और उसके चेहरे पर मुस्कान भी है ," हाँ … आऊँगी …ससुरजी..."

"हाँ हाँ तो कल भी बहुत कह रही थी पर आयी नहीं."

"आज आऊँगी…..."

डिनर के बाद ससुर अपने कमरे में चला जाता है. आज अकेले सोएगा.

सुनील और आँचल अपने बेडरूम में चले जाते हैं.

सोते समय आँचल सोचती है आज तो ससुर के कमरे में जाना है , कोई सेक्सी लिंजरी पहनती हूँ, जिससे ससुर मस्त हो जाए. अपना वॉर्डरोब खोलती है और एक सेक्सी बेबीडॉल नाइटी निकालती है जो उसने कुछ समय पहले खरीदी थी पर कभी पहनी नहीं. आँचल अपना पंजाबी सूट उतार देती है और ब्रा भी उतार देती है. पैंटी के ऊपर बेबीडॉल नाइटी पहन लेती है जो पूरी पारदर्शी है. और उसमें आँचल की पैंटी साफ दिखती है.

उधर ससुर अपने बेडरूम की लाइट ऑफ करके नाइट बल्ब ऑन कर देता है. मेरी आँचल रानी कब आएगी , बेड में लेटे हुए इंतज़ार करता है.

सुनील देखता है आँचल बेबीडॉल में बहुत ही मादक लग रही है. उसका मन मचल जाता है और वो कामातुर हो उठता है. सुनील सोचता है आँचल मुझे रिझाने के लिए इतनी सेक्सी नाइटी पहन रही है.

"ये कब ली तुमने ? बहुत ही सेक्सी लग रही हो."

" ले आई थी. पर पहनी नहीं."

"पीछे मुड़ के दिखाओ."

आँचल को सुनील से ऐसे रिएक्शन की उम्मीद नहीं थी. सुनील को आकर्षित होते देखकर वो खुश होती है और पीछे घूम जाती है
सुनील देखता है पीछे से आँचल की पैंटी में सिर्फ़ एक पतली डोरी है और आँचल के गोरे बड़े नितंब नंगे दिख रहे हैं.

वो बेड से उठता है और आँचल को अपने आलिंगन में कसकर उसके होंठ चूमने लगता है.

आँचल सोचती है , वाह रे बेबीडॉल , सुनील तो बहुत एक्साइटेड हो गया है.

सुनील थोड़ी देर तक आँचल को चूमता है फिर उसको गोदी में उठाकर बेड में लिटा देता है.

आज सुरूर में है सुनील . आँचल को भी अच्छा महसूस हो रहा है.

आँचल को बेड में लिटाने के बाद सुनील अपने कपड़े उतारकर फेंक देता है. चुदाई की जल्दबाज़ी में है. सुनील का लंड तन के फनफना रहा है , झटके मार रहा है. आँचल भी खड़े लंड को देखकर उत्तेजित होने लगती है. ससुर के पास जाना है, भूल ही गयी है.

उधर ससुर बेड में लेटे हुए बेचैन हो रहा है. लगता है साली आज भी सो गयी है.

नंगा होकर सुनील आँचल की पैंटी उतार कर फर्श में फेंक देता है. उसकी बेबीडॉल उतारता नहीं पर ऊपर को चूचियों तक खींच देता है. नंगी आँचल के ऊपर लेट जाता है और उसकी बड़ी चूचियों को मुँह में भरकर चूसने लगता है. सुनील तो सीधे चुदाई करने वालों में था , आज चूची चूसने का मन कैसे हो गया. आँचल भी खुश होती है. और खूब मज़े से अपनी चूची चुसवाती है.

सुनील थोड़ी देर तक दोनों चूचियों को मसलता है उनका निपल मुँह में भरता है , आँचल कामोत्तेजना से पागल हुई जा रही है , उसकी चूत रस छोड़ने लगती है.

अब सुनील आँचल की गोरी मांसल जाँघों को दोनों हाथों में पकड़ता है और फैला देता है. खुद उसकी टाँगों के बीच आकर आँचल की गुलाबी चूत के छेद में अपने लंड का टोपा लगाता है. आँचल की चूत सनसनाने लगती है. सुनील एक झटका देता है और पूरा 4.5 " का लंड एक ही बार में आँचल की चूत में घुसा देता है.

"आअहह….ओह…..." , आँचल ज़ोर से सिसकारी लेती है. चूत में लंड घुसने का मज़ा ही कुछ और है.

सुनील अपने लंड पर आँचल की चूत की गर्मी महसूस करता है. कामोन्माद में भरकर गीली चूत में धक्के मारने लगता है.

"ओह्ह सुनील…...आअहह…..." आँचल मस्ती में सिसकने लगी.

कमरे में ठप.. ठुप... ठप... ठुप की आवाज़ें गूंजने लगती है. कमरे की दीवारें पति पत्नी की चुदाई की गवाह बनी हुई हैं. बहुत कामुक दृश्य है. सुनील अपनी खूबसूरत और मादक बीवी की चूत में लंड पेल रहा है.

"आअहह सुनील…. और जोर से चोदो ...आह…..आअहह…..." आँचल कामुक अंदाज में सुनील को और जोर से चोदने को उकसाती है.

थोड़ी देर में आँचल की गरम चूत ने सुनील के लंड से पानी निचोड़ लिया.

सुनील आहह……भरते हुए आँचल की चूत में वीर्य छोड़ देता है.

उसी के साथ आँचल भी जोर से सिसकारियां लेते हुए झड़ जाती है.

"ओह्ह ………उइईइइईइ……. माँआआ …...आअहह…..."

कामसंतुष्टि से खुश होकर सुनील अपने बेड में नंगा लेट जाता है. गहरी साँसें लेते हुए वो थोड़ी देर सीधा लेटे रहता है. आँचल भी साँसों पर काबू पाने की कोशिश कर रही है. कुछ देर बाद आँचल की तरफ पीठ करके करवट पे लेट जाता है . कुछ ही देर में खर्राटे लेने लगता है.

आँचल अभी भी सीधी लेटी हुई है. सुनील को खर्राटे लेते देखकर आँचल बेड से उठती है और फर्श से उठाकर अपनी पैंटी पहन लेती है. फिर सुनील की साइड में जाकर उसे चादर ओढ़ा देती है . बेडरूम की लाइट ऑफ कर देती है और चुपचाप रूम से बाहर आ जाती है.

आँचल ससुर के बेडरूम में आती है. धीरे से दरवाज़े को खोलती है, ससुर बेड में लेटा हुआ है.

नाइट बल्ब की बहुत हलकी रोशनी में आँचल को बेबीडॉल में देखता है. बहुत ही कामुक लग रही है बहू.
ससुर का लंड सीधे छत की तरफ खड़ा हो जाता है. वो बेड से उठता है और आँचल को अपनी बाँहों में भरकर बेतहाशा चूमता है.

फिर दरवाज़े में लॉक लगा देता है. आँचल की बेबीडॉल और पैंटी उतारकर फर्श में फेंक देता है. आँचल को नंगी बेड में पटक देता है. और अपने कपड़े उतारकर नंगा हो जाता है.

ससुर के लंड से प्री-कम निकलने लगता है. आह…...कयामत है साली. नंगी देखने भर से मेरा पानी निकाल देती है.

आँचल ससुर का 7.5 " का तना हुआ लंड देखती है. उफ कितना बड़ा और मोटा है ससुरजी का . जो खाते हैं इसी में लगता है शायद. उसकी चूत में फूरफ़ुरी दौड़ जाती है.

ससुर बेड में आकर आँचल की एक चूची को मुँह में भर लेता है और दूसरी चूची को ज़ोर से मसलता है.

"आहह….." ससुरजी बड़े बेरहम हैं, हाथ भी कितने सख़्त हैं.

थोड़ी देर चूचियों को चूसकर ससुर नीचे को खिसक जाता है. आँचल की फूली हुई चूत के होठों पर जीभ लगाता है.

"ओह्ह…उनन्नज्ग…. आहह …." अपनी मुलायम चूत पर ससुर की खुरदूरी जीभ लगने से आँचल सिसकती है.

ससुर क्लिट को जीभ से कुरेदता है. चूत के होठों में गीलापन महसूस करता है.

ससुर खुश हो जाता है. बहू मेरे लिए बहुत गीली हो रखी है.

" लगता है तू भी मेरे लिए बहुत तड़प रही है."

"उनन्न…...ससुरजी……"

अब ससुर आँचल की चूत में जीभ घुसा देता है . चूत की दीवारों पर जीभ घुमाता है.

जीभ में कुछ अजीब सा स्वाद आता है. आज बहू की चूत का स्वाद कुछ अजीब है , चूतरस गाढ़ा सा महसूस हो रहा है. क्या बात ?

ससुर अपनी जीभ को चूत से बाहर निकाल लेता है. चूत के अंदर दो अँगुलियाँ डाल कर अंदर बाहर करता है.

"आअहह…...ओह्ह…..उनन्नज्ज्ग……" आँचल आँखें बंद करके सिसकारियाँ लेती रहती है.

ससुर अपनी अँगुलियाँ बाहर निकलता है. सुनील का वीर्य उसकी अंगुलियों में चिपक जाता है.

ससुर देखता है अँगुलियाँ सफेद हो रखी हैं , चूतरस नहीं है , ये तो साला वीर्य लग गया मेरी अंगुलियों में.

"बहू , ये तेरी चूत में तो ……... सुनील ने चोदा क्या तुझे ?"

"हाँ …ससुरजी." आँचल शरमाते हुए धीमे से बोलती है.

अब आँचल भी आँखें खोल के ससुरजी को देख रही है और ससुर अपनी अंगुलियों को देख रहा है.

धत तेरे की………साली ने सुनील का वीर्य चटा दिया मुझे …..

"पहले क्यूँ नहीं बताया तूने ?"

"ओह्ह….ससुरजी……आपने मौका ही कहाँ दिया …" आँचल धीमे से मादक आवाज़ में जवाब देती है.

ससुर थू थू ……करके थूकता है. सब स्वाद बिगड़ गया मुँह का.

ससुर बेड से उठकर बाथरूम चला जाता है और साबुन से अपनी अँगुलियाँ धोता है. खूब कुल्ला करके मुँह साफ करता है.

बेड में बैठी आँचल उसकी इस हालत पर हँसी रोकने की कोशिश करती है पर रुक नहीं रही.

ससुर वापस बेडरूम में आता है और आँचल को पकड़कर बाथरूम ले जाता है. वहाँ उसकी चूत में अपनी अंगुलियों को डालकर पानी से साफ करता है और चूत के आस पास भी पानी से धोता है. आँचल को अभी भी हँसी आ रही है.

फिर तौलिए से आँचल की चूत पोंछकर उसे बेड में पेट के बल लिटा देता है. आँचल की गोरी बड़ी गांड पहाड़ जैसी ऊपर को उठी है. ससुर अपने दोनों हाथों से आँचल के नितंबों को मसलता है. फिर अपना मुँह नितंबों पर लगा देता है.
 

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