#27
“शर्म तो बेच ही दी थी तूने अब यार भी बदलने लगी है , बेशर्म रांड कमसेकम इस पवित्र जगह पर तो अपना गंद मत फैला. और इतनी ही आग लगी है तो गाँव में गबरू बहुत है उनके निचे ही लेट जा , और इसे देख अबकी बार तो नया लौंडा पाला है तूने, ये तो तेरे झांटो तक भी नहीं पहुंच पायेगा. ”
उस उपहास भरी आवाज सुनकर हम दोनों अलग हो गए , मैंने देखा वो दो आदमी थे, जिसने मोना को ये असभ्य बाते कही थी वो शरीर में ठीक था , ऊँचा कद, सर पर केसरी पग बांधे .
“जुबान को लगाम दे, वर्ना खींच ली जाएगी ” मैंने उस से कहा
“नहीं देव, ” मोना ने मेरा हाथ पकड़ लिया .
“सही कह रही है ये रांड , लौंडे तेरी औकात नहीं जा भाग यहाँ से कहीं और जा, मेरा मूड आज अच्छा है वर्ना अब तक तो धरती पर गिरा होता तू, ”
मैं- जाना तो तुझे है , मोना से माफ़ी मांग ले , वर्ना तेरे अच्छे दिन को मैं ऐसा बुरा बना दूंगा की तू सोच कर कांप जायेगा
“देव, बात को आगे मत बढाओ , हम चलते है यहाँ से ” मोना ने कहा
मैं- बेशक हम चलेंगे पर पहले मैं इसे जरा तमीज सिखा दूँ
“मानना पड़ेगा तेरी हिम्मत को लौंडे, जब्बर के सामने बड़े बड़े मूत देते है और तू टकराने की सोच रहा है , ये तो शुक्र है की ये सतनाम बाउजी की लौंडिया है वर्ना कभी का इसे चोद देता मैं . ”
सटक , इसके आगे जब्बर कुछ नहीं बोल पाया , मैंने आगे बढ़ कर उसके चेहरे पर थप्पड़ जड़ दिया था . मैंने उसका कालर पकड़ लिया
“मैंने कहा था न , तेरी जुबान खींच लूँगा. तू होगा कुछ भी पर मोना के साथ मैं हूँ तेरी तो औकात ही क्या तेरा पूरा गाँव भी आ जाये तो इसका कुछ नहीं कर पायेगा. ” मैंने एक लात जब्बर के घुटने पर मारी और वो तिलमिला गया .
उसके साथ वाला आदमी भी भिड़ने लगा मुझे, पर मुझे भी गुस्सा चढ़ आया था .मामला गरम हो गया था , मेरी और जब्बर की हाथापाई बढ़ ही गयी थी की तभी वहां पर एक जीप आकर रुकी उसमे से कुछ आदमी उतरे और हम दोनों को अलग अलग किया .
“छोड़ मुझे इसका मैं क़त्ल कर दूंगा ” जब्बर ने गुस्से से कहा
मैं- आ साले , आ तो सही यही इसी जगह गाड दूंगा तुझे .
“शांत, दोनों शांत ” एक गहरी आवाज गूंजी . मैंने देखा गाड़ी से एक बुजुर्ग उतर कर हमारी तरफ आ रहा था .
उस आदमी ने एक नजर मुझ पर और मोना पर डाली और फिर जब्बर की तरफ चल दिया .
“कितनी बार कहा है , हर जगह मत उलझा कर अभी अभी जेल से आया है ऐश कर , सारी उम्र पड़ी है न ये सब करने की चल घर जा ” उसने कहा
जब्बर उसके कहते ही चल पड़ा , कुछ दूर जाकर रुका और मुझे देख कर बोला- तेरे दिन पुरे हो गए , तू कहीं भी जाकर छुप जा , तू मुझे देख ले तेरी मौत हु मैं
“दिनों की किसने गिनती की है , तू मर्द है तो आ अभी , इसी जगह , भागता क्यों है साले, देख लेते है कौन किसका क्या करता है , ” मैंने जवाब दिया .
वो बुजुर्ग मेरे पास आया मेरी आँखों में देखते हुए बोला- खून बहुत गर्म है तेरा, खून बड़ा कीमती होता है संभाल कर रख लौंडे, कही ऐसा न हो ऐसी कीमती चीज नालियों में बह कर बर्बाद हो जाये.
“ऐसे खून को बर्बाद हो जाना चाहिए जो एक नारी के सम्मान की रक्षा न कर सके, तेरा ये जब्बर मोना को कुछ कुछ कह रहा था , और मेरे सामने कोई मोना से ऐसा व्यवहार करे ये मैं बर्दाश्त नहीं करूँगा . ये जब्बर होगा कोई भी पर जो बात इसने कही है , माफ़ी लायक नहीं है ये ” मैंने कहा
जब्बर- बाउजी, ये इस लौंडे के साथ गंद फैला रही थी यहाँ , मैं बस इन्हें रोक रहा था ये नंगापन करने से
“ले जा छोरी इस लड़के को यहाँ से ” उस बुजुर्ग ने जैसे आदेश दिया .
मोना ने मेरा हाथ पकड़ लिया बोली- चलो यहाँ से , मेरे लिए
फिर आगे मैंने कुछ नहीं कहा , हम दोनों वापिस उसकी हवेली आ गए. मुझे गुस्सा बहुत था
“सब मेरी गलती है देव, ”मोना बोली
मैं- नहीं , गलती तो उस नीच की है
मोना- तुम्हे इन सब में नहीं पड़ना चाहिए
मैं-और मेरे सामने कोई तुमसे ऐसे बोल जाये .
मोना- जब्बर को मैंने ही सजा सुनाई थी ,
मैं- तो क्या .
मोना -जब्बर मेरे बाप का आदमी है वो बुजुर्ग जो वहां था कोई और नहीं मेरा बाप था , सतनाम मुडकी .
मोना की बात सुनकर मुझे कोई खास फर्क नहीं पड़ा.
मैं- फिर भी तेरे बाप ने उसका ही पक्ष लिया .
मोना- बेटियों का पक्ष कौन लेता है , और मेरा बाप इन्सान कहाँ है वो तो एक जीता जागता राक्षस है . उसने मुझे ऐसा घाव दिया है जो मेरे जीते जी तो भर नहीं सकता .
मैं- तुम जज हो , पेल दो इन सबको
मोना- इस शहर में जज होना , न होना बराबर ही है , मेरी औकात बस कोर्ट तक ही सिमित है उसके बाहर राज चलता है मेरे बाप का.
मैं- पर उसने तुम्हे रांड बोला ,
मोना- जब्बर की गन्दी नजर हमेशा ही थी मुझ पर , उसने मेरी सहेली का बलात्कार किया था , मैंने उसे सजा सुनाई थी पर जिस के लिए उसे सजा देना चाहती थी वो केस कभी किसी ठाणे में दर्ज ही नहीं हुआ
मोना की आंखो में आंसू भर आये, न चाहते हुए भी रोने लगी वो .
मैं- क्या हुआ था .
मोना- उसने मेरी जिन्दगी उजाड़ दी,