#32
“हाँ, ये एक शमशान है ” मोना ने कहा
कुछ देर बस मैं उसे देखता रहा .
“शमशान में शम्भू की मूर्ति ” मैंने सवाल किया .
मोना- शिव तो सब कही है ,
मैं- सो तो है पर शमशान में शम्भू साधना करते है , यहाँ मूर्ति का पूजन कैसे हो सकता है .
मोना- ये बड़ी गूढ़ बाते है देव, तुम्हे और मुझे समझने नहीं आने वाली, ये शमशान कच्येचे कलवो था काहिर शिवाला अब बीता दौर है
मैं- क्यों
मोना मुझे जवाब देती उस से पहले ही मेरी नजर एक काले साए पर पड़ी .
“ये तो मीरा है , ये यहाँ क्या कर रही है ” मैंने मोना को मीरा की तरफ इशारा करते हुए कहा
मोना- उस से ही पूछते है .
हम दोनों मीरा के पास गए. और वहां जाकर हमें एक और ही अजीब बात दिखी , मीरा एक जगह बैठी थी दीपक जला कर .
मैं- तुम यहाँ कैसे माई
मीरा- यही मैं तुमसे पूछना चाहती हूँ .
मैं- चला जाता अगर कल मुझ पर हमला नहीं होता ,
मैंने अपनी शर्ट उतारी और जख्म मीरा को दिखाया . खून से सनी पट्टिया देख कर मीरा की आँखे जैसे बाहर को आ गयी . बड़ी फुर्ती से उठी वो
एक झटके से पट्टी खींच ली उसने दर्द के मारे चीख पड़ा मैं .
“माई, क्या कर रही हो तुम ” मोना को गुस्स्सा आ गया .
मीरा- तू दूर खड़ी रह छोरी , मुझे देखने दे.
हंसली से लेकर पसलियों तक बड़ा गहरा चीरा था वो .
मीरा- कहाँ हुआ ये तूने देखा किसी को
मैं- हुआ तो यही था इन शिलाओ के पास . मैं वहां खड़ा था . मैंने इशारा किया . मैं वहां खड़ा था . बेशक चांदनी रात थी ,, पर फिर भी इधर अँधेरा था . यहाँ पर बहुत बड़ी रस्सी पड़ी थी मैंने बस उसे छुआ था और फिर अचानक से मुझे दर्द हुआ और मैं बेहोश हो गया .
“मैंने लाख कहा था सुलतान को तुझे कभी न भेजे यहाँ पर वो न जाने किस मिटटी का बना है इतना सब देखने के बाद भी उसका कलेजा नहीं भरा जा ये दिखा उसे ” मीरा की आँखों में आंसू भर आये.
मोना- आप बाबा को कैसे जानती है माई
मीरा- ठाकर की छोरी तू तो चुप ही रह, साथ लायी थी न इसे, फिर क्यों छोड़ा , कहीं तेरी साजिश तो नहीं थी ये
मोना- क्या बोल रही हो माई, मुझे मालूम ही नहीं कब ये शादी से गायब हो गया , मुझे अगर मालूम होता तो एक पल क्या मैं देव को लाती ही नहीं यहाँ .
मीरा- मुझे बिसबास नहीं तुझ पर छोरी , पर तू अगर हिमायती है इसकी तो इसे अभी सुलतान के पास लेजा . जख्म गहरा है ये पट्टिया कामयाब नहीं हफ्ते भर का टेम है बस ,ये छोरा अमानत है प्राण संकट में डाल दिए इसके , इसे लेजा अभी के अभी .
मोना- पर
मीरा- पर वर मत कर छोरी. सुलतान के पास जा और कहना की मीरा को शक्ल न दिखाए अपनी वो , जा चली जा .
मोना और मैं वापिस गाँव के लिए चल पड़े. रह गयी मीरा जो अब शम्भू की मूर्ति के पास खड़ी थी .
“तेरी लीला तू जाने, मैं तब चुप रही सोची तेरी मर्जी है तू जो करे ठीक करे सब्र कर लिया था मैंने. पर इस अभागे का के दोष है , ये न समझ तो भटकते हुए आ पहुंचा इधर, और कौन सा गुनाह किया इसने तेरे दर पर तो सब आवे है इन्सान, भुत पिसाच, नाग . तू तो सबका है तू जानता है वो सुहासिनी का अंश है और तेरे दरबार में सुहासिनी के अंश पर ये विपदा आन पड़ी शम्भू, कर कोई चमत्कार , मेरी खाली झोली में बस यो लड़का ही है , इसकी रक्षा कर मेरे मालिक ” मीरा ने अपने आंसू हथेली पर इकठ्ठा किये और शम्भू के चरणों में रख दिए.
हमें मेरे गाँव आने में करीब दो घंटे लग गए. हम सीधा मजार पर गए . मैंने देखा बाबा चिलम लगाये अपने ठिकाने पर बैठा है . हम गाड़ी से उतरे. मोना ने बाबा को आवाज दी . हमें देखते ही बाबा के होंठो पर मुस्कान आ गयी .
“आ मुसाफिर, तेरे बिना तो मन लगता ही नहीं आजा चा पीते है .” बाबा ने आवाज दी .
मैंने मोना को चेयर पर बिठाया और बाबा के पास गया .
मोना- बाबा मुसीबत आन पड़ी है , मीरा नाराज है तुमसे .
बाबा- आज की नाराज है क्या एक मुद्दत हुई अब तो
मोना- बाबा बात कुछ और है
मोना कुछ कहती उस से पहले ही मैंने शर्ट उतार दी . बाबा के हाथ से चिलम निचे गिर गयी . अफीम खाई आँखे और चौड़ी हो गयी . बाबा ने मेरे सीने के जख्म को देखा , कुछ सूंघा
“असंभव , ये मुमकिन नहीं ” बाबा ने कहा .
मैं- क्या मुमकिन नहीं .
“मुसाफिर, मुझे पूरी घटना बता कुछ छिपाना नहीं तुझे कसम है मेरी ” बाबा ने उत्तेजित स्वर में कहा .
मैंने बाबा को सारी घटना बताई. बाबा की पेशानी पर बल पड़ गया .
“कुछ तो बोल बाबा ” मैंने कहा
बाबा- रे छोरे यो के मुसीबत कमा लाया तू . सोची तो कुछ और थी बन कुछ और गयी . मैं के करू इब्ब.
मोना- राह दिखाओ बाबा. मीरा माई कह रही थी एक हफ्ते का समय है देव के पास.
बाबा- आज रात तुम यही रुको. आने वाले कुछ दिन बड़े भारी होने वाले है . पर एक बात खटक रही है चरवाहों का तिबारा तु खुद न देख सके . बेशक तू खास है पर मेरे जंचती नहीं ये बात
मोना- क्या है बाबा ये चरवाहों का तिबारा
बाबा- बताता हूँ ठाकर की छोरी , एक लम्बी कहानी है और छोटी जिंदगानी . हमारे कबीले के लोग पहले बहुत घूमते थे इधर उधर, कुछ खास सामान होता था , तो लूटपाट से बचने के लिए हम ने एक तिबारा बनाया था , अक्सर कुछ खास लोग वहां रात को रुक जाते थे . तुम लोगो को यकीं करने में थोड़ी मुश्किल होगी पर फिर हम उसे छुपा देते थे .
मैं- मतलब
बाबा- ये हमारी कुछ कलाए थी . पर एक मुद्दत से वो छुपा हुआ है यहाँ तक की हम भी उसे प्रकट नहीं कर सकते . इसलिए मुझे अचम्भा है , मुसाफिर उस रात तेरे साथ कोई और भी था , बता कौन था .
“हाँ, ये एक शमशान है ” मोना ने कहा
कुछ देर बस मैं उसे देखता रहा .
“शमशान में शम्भू की मूर्ति ” मैंने सवाल किया .
मोना- शिव तो सब कही है ,
मैं- सो तो है पर शमशान में शम्भू साधना करते है , यहाँ मूर्ति का पूजन कैसे हो सकता है .
मोना- ये बड़ी गूढ़ बाते है देव, तुम्हे और मुझे समझने नहीं आने वाली, ये शमशान कच्येचे कलवो था काहिर शिवाला अब बीता दौर है
मैं- क्यों
मोना मुझे जवाब देती उस से पहले ही मेरी नजर एक काले साए पर पड़ी .
“ये तो मीरा है , ये यहाँ क्या कर रही है ” मैंने मोना को मीरा की तरफ इशारा करते हुए कहा
मोना- उस से ही पूछते है .
हम दोनों मीरा के पास गए. और वहां जाकर हमें एक और ही अजीब बात दिखी , मीरा एक जगह बैठी थी दीपक जला कर .
मैं- तुम यहाँ कैसे माई
मीरा- यही मैं तुमसे पूछना चाहती हूँ .
मैं- चला जाता अगर कल मुझ पर हमला नहीं होता ,
मैंने अपनी शर्ट उतारी और जख्म मीरा को दिखाया . खून से सनी पट्टिया देख कर मीरा की आँखे जैसे बाहर को आ गयी . बड़ी फुर्ती से उठी वो
एक झटके से पट्टी खींच ली उसने दर्द के मारे चीख पड़ा मैं .
“माई, क्या कर रही हो तुम ” मोना को गुस्स्सा आ गया .
मीरा- तू दूर खड़ी रह छोरी , मुझे देखने दे.
हंसली से लेकर पसलियों तक बड़ा गहरा चीरा था वो .
मीरा- कहाँ हुआ ये तूने देखा किसी को
मैं- हुआ तो यही था इन शिलाओ के पास . मैं वहां खड़ा था . मैंने इशारा किया . मैं वहां खड़ा था . बेशक चांदनी रात थी ,, पर फिर भी इधर अँधेरा था . यहाँ पर बहुत बड़ी रस्सी पड़ी थी मैंने बस उसे छुआ था और फिर अचानक से मुझे दर्द हुआ और मैं बेहोश हो गया .
“मैंने लाख कहा था सुलतान को तुझे कभी न भेजे यहाँ पर वो न जाने किस मिटटी का बना है इतना सब देखने के बाद भी उसका कलेजा नहीं भरा जा ये दिखा उसे ” मीरा की आँखों में आंसू भर आये.
मोना- आप बाबा को कैसे जानती है माई
मीरा- ठाकर की छोरी तू तो चुप ही रह, साथ लायी थी न इसे, फिर क्यों छोड़ा , कहीं तेरी साजिश तो नहीं थी ये
मोना- क्या बोल रही हो माई, मुझे मालूम ही नहीं कब ये शादी से गायब हो गया , मुझे अगर मालूम होता तो एक पल क्या मैं देव को लाती ही नहीं यहाँ .
मीरा- मुझे बिसबास नहीं तुझ पर छोरी , पर तू अगर हिमायती है इसकी तो इसे अभी सुलतान के पास लेजा . जख्म गहरा है ये पट्टिया कामयाब नहीं हफ्ते भर का टेम है बस ,ये छोरा अमानत है प्राण संकट में डाल दिए इसके , इसे लेजा अभी के अभी .
मोना- पर
मीरा- पर वर मत कर छोरी. सुलतान के पास जा और कहना की मीरा को शक्ल न दिखाए अपनी वो , जा चली जा .
मोना और मैं वापिस गाँव के लिए चल पड़े. रह गयी मीरा जो अब शम्भू की मूर्ति के पास खड़ी थी .
“तेरी लीला तू जाने, मैं तब चुप रही सोची तेरी मर्जी है तू जो करे ठीक करे सब्र कर लिया था मैंने. पर इस अभागे का के दोष है , ये न समझ तो भटकते हुए आ पहुंचा इधर, और कौन सा गुनाह किया इसने तेरे दर पर तो सब आवे है इन्सान, भुत पिसाच, नाग . तू तो सबका है तू जानता है वो सुहासिनी का अंश है और तेरे दरबार में सुहासिनी के अंश पर ये विपदा आन पड़ी शम्भू, कर कोई चमत्कार , मेरी खाली झोली में बस यो लड़का ही है , इसकी रक्षा कर मेरे मालिक ” मीरा ने अपने आंसू हथेली पर इकठ्ठा किये और शम्भू के चरणों में रख दिए.
हमें मेरे गाँव आने में करीब दो घंटे लग गए. हम सीधा मजार पर गए . मैंने देखा बाबा चिलम लगाये अपने ठिकाने पर बैठा है . हम गाड़ी से उतरे. मोना ने बाबा को आवाज दी . हमें देखते ही बाबा के होंठो पर मुस्कान आ गयी .
“आ मुसाफिर, तेरे बिना तो मन लगता ही नहीं आजा चा पीते है .” बाबा ने आवाज दी .
मैंने मोना को चेयर पर बिठाया और बाबा के पास गया .
मोना- बाबा मुसीबत आन पड़ी है , मीरा नाराज है तुमसे .
बाबा- आज की नाराज है क्या एक मुद्दत हुई अब तो
मोना- बाबा बात कुछ और है
मोना कुछ कहती उस से पहले ही मैंने शर्ट उतार दी . बाबा के हाथ से चिलम निचे गिर गयी . अफीम खाई आँखे और चौड़ी हो गयी . बाबा ने मेरे सीने के जख्म को देखा , कुछ सूंघा
“असंभव , ये मुमकिन नहीं ” बाबा ने कहा .
मैं- क्या मुमकिन नहीं .
“मुसाफिर, मुझे पूरी घटना बता कुछ छिपाना नहीं तुझे कसम है मेरी ” बाबा ने उत्तेजित स्वर में कहा .
मैंने बाबा को सारी घटना बताई. बाबा की पेशानी पर बल पड़ गया .
“कुछ तो बोल बाबा ” मैंने कहा
बाबा- रे छोरे यो के मुसीबत कमा लाया तू . सोची तो कुछ और थी बन कुछ और गयी . मैं के करू इब्ब.
मोना- राह दिखाओ बाबा. मीरा माई कह रही थी एक हफ्ते का समय है देव के पास.
बाबा- आज रात तुम यही रुको. आने वाले कुछ दिन बड़े भारी होने वाले है . पर एक बात खटक रही है चरवाहों का तिबारा तु खुद न देख सके . बेशक तू खास है पर मेरे जंचती नहीं ये बात
मोना- क्या है बाबा ये चरवाहों का तिबारा
बाबा- बताता हूँ ठाकर की छोरी , एक लम्बी कहानी है और छोटी जिंदगानी . हमारे कबीले के लोग पहले बहुत घूमते थे इधर उधर, कुछ खास सामान होता था , तो लूटपाट से बचने के लिए हम ने एक तिबारा बनाया था , अक्सर कुछ खास लोग वहां रात को रुक जाते थे . तुम लोगो को यकीं करने में थोड़ी मुश्किल होगी पर फिर हम उसे छुपा देते थे .
मैं- मतलब
बाबा- ये हमारी कुछ कलाए थी . पर एक मुद्दत से वो छुपा हुआ है यहाँ तक की हम भी उसे प्रकट नहीं कर सकते . इसलिए मुझे अचम्भा है , मुसाफिर उस रात तेरे साथ कोई और भी था , बता कौन था .