दूसरे दिन वह काफी परेशान नजर आ रही थी,, कल की घटना उसे झकझोर कर रख दी थी। खेतों में काम करने का उसका मन बिल्कुल नहीं लग रहा था। खेतो में बैठे-बैठे ही वह कल की घटना को याद करके उत्तेजित हो जा रही थी। जब वह खेतों में मिट्टी हटाने के लिए फावड़े के डंडे को पकडा उसे एसा लगा उसने अपने भांजे के लंड को पकड़ा हो, जिसकी वजह से उसकी बुर फिर से रिसने लगी थी। उन अति उत्तेजक पलों को याद करके वह परेशान भी हो रही थी,,, और उसके मन के कीसी कोने में उन पलों को लेकर उसके बदन में एक उमंग सी भी जाग जा रही थी। इस परिस्थिति से निकलने का उसे कोई भी रास्ता सूझ नहीं रहा था ऐसा लग रहा था कि वह अपनी मंजिल से कहीं,,दुर ,, इस भूलभुलैया भरे रास्ते में कहीं खो गई है। जब भी वहं उन बातों से अपना पीछा छुड़ाती तो उसे मंजू के द्वारा कही गई बेगन की उपयोगिता के बारे में बात याद आ जाती तो उसकी आंखों के सामने मंडी से खरीदी हुई लंबी चोड़ी और मोटी बैगन नजर आने लगती।
मंगल अजीबो किस्म की कशमकश में डूबी हुई थी। इसी कशमकश में कब दोपहर हो गई शाम पता ही नहीं चला,
अपनी घर की तरफ जाते समय उसे रास्ते में मंजू मिल गई जो उसे देखते ही दौड़ती हुई उसके पास आए और बोली।
क्या यार मंगल आज कहां रह गई थी सुबह मिलने नहीं आई। कुछ परेशान सीे लग रही हो क्या हुआ? ( मंगल के चेहरे की तरफ देखते हुए बोली।)
कुछ नहीं मंजू बस सिर में थोड़ा सा दर्द है इसलिए किसी काम में मन नहीं लग रहा।
( मंगल की बात का गलत मतलब निकालते हुए मंजू अपनी आंखों को गोल-गोल ना नचाते हुए मजाकिया अंदाज में बोली।)
ओहहह,,,, हो,,,,,,,, लगता है कि हमारे भाई साहब ने रात भर आपको सोने नहीं दिया है । खूब जमकर सेवा हुई है तुम्हारी।
( मंजू की बात सुनते ही मंगल को ऐसा लगने लगा कि जैसे किसी ने उसके घाव पर नमक छिड़क दिया हो,,,, और अपने घाव को वह किसी से दिखा भी नहीं सकती थी। हाल ऐसा हो गया था मंगलका कि जैसे सांप किसी छछूंदर को निगल जाता है और ना उसे अंदर ही निगल पाता है और ना ही बाहर ऊगल पाता है। फिर भी बड़े मायूस लफ्जों से मंजू को जवाब देते हुए बोली।),,,,,,,,,
नहीं यार मंजू तुम हर बात का गलत मतलब,,,,,,,, निकालती हो,,,,,, ऐसा कुछ भी नहीं है जैसा तुम सोच रही हो।
( मंगल का जवाब सुनकर मंजू मुस्कुराते हुए बोली।)
बोल लो जितना झूठ बोलना है,,,,,, आखिर सच तो तुम कभी बताओगीे नहीं,,,,,,
नहीं मंजू कल से मेरे सर में दर्द हो रहा है इसलिए मेरा मन किसी काम नहीं लग रहा,,,,,, हां तुम्हें देखकर ऐसा जरूर लग रहा है कि शायद तुम रात भर सोई नहीं हो,,,,,,
( मंगल ऐसा कहने के साथ ही उसे बैगन वाली बात याद आ गई। उसका मन कह रहा था कि वह उससे बैगन के बारे में पूछे लेकिन बोलने से हीचकींचा रही थी वह भी जानना चाहती थी कि मंजू में उस बैगन का उपयोग कि या नहीं लेकिन बोले कैसे औरतों की बात औरत से ही कहने में उसे शर्म सीे महसूस हो रही थी। शर्म के मारे उसने बैगन वाली बात को ना पूछने में ही भलाई समझी,,,, लेकिन तभी मुस्कुराते हुए मंजू बोली।)
हां यार सारी रात जागकर ही गुजारी हूं,,,,,,( थोड़ा शांत होकर) लेकिन अकेले ही,,,,,,
अकेले ही,,,,,,,,,,,, क्यों,,,,,, भाई साहब कहां चले गए?
यार वह किसी काम से बाहर गए हुए हैं,,,,,
जब वह बाहर गए थे तो फिर क्यों जग रही थी,,,, सो जाना चाहिए था ना।
यार सोतो जाती लेकिन क्या करूं मंडी से जो बड़े-बड़े बेगन लेकर गई थी उसका क्या करती,,,,,,
मतलब,,, (मंगल आश्चर्य के साथ बोली)
यार अभी कल ही तो मंडी में मैंने तुम्हें बताई थी की बेगन सिर्फ खाने के लिए ही नहीं,,,,,, औरते अपनी प्यास बुझाने के लिए भी इसका उपयोग करती हैं।
( मंजू की बात सुनकर मंगल एकदम दंग रह गई वह इतना तो जानती ही थी कि मंजू बेगन ले जा करके क्या करेगी क्योंकि उसी ने कल अपने मुंह से ही मंगल को बताई थी। मंगल और ज्यादा जानना चाहती थी लेकिन उसे पूछने में शर्म आ रही थी। जानने के बावजूद भी अनजान बनते हुए वह बोली,,,,,,
तुमने कैसे बैगन का उपयोग किया? ( मंगल मंजू से और भी बातें जानने के लिए बड़ी उत्सुकता से पूछ रही थी। लेकिन यह सब पूछते हुए उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी,, जो कि सीधे जाकर के उसकी जांघों के बीच असर कर रही थी। मंगल के सवाल पर मंजू बोली।)
अच्छा अभी तो तुम्हें सर दर्द हो रहा था और सर दर्द की वजह से कुछ बोल नहीं रही थी और अब बेगन के बारे में जानने की लिए ईतनी ज्यादा उत्सुक हुए जा रही हो। ( मंजू हाथ नचाते हुए बोली।)
नहीं मंजू ऐसी कोई बात नहीं है लेकिन मुझे बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि बेगन जैसी सब्जी को खाने के साथ-साथ कोई इस तरह के उपयोग में भी ले सकता है,, इस बात से मैं काफी हैरान हूं।
इसमें हैरानी किस बात की है। अच्छा कोई बात नहीं मैं तुम्हें सब कुछ बताऊंगी क्योंकि तुम मेरी सबसे अच्छी सहेली हो,,,,( मंजू का इतना कहना था की मंगल की नजर सामने से आ रहे सूरज पर पड़ी तो एक बार फीर से ऊसे देखते ही उसकी बूर कुल बुला गई। और जब वह कदम बढ़ाते हुए मंगल की तरफ बढ़ रहा था तो मंगलकी नजर बार बार उसकी जगह पर भी पता करें उसके हथियार पर चली जा रही थी लेकिन इस समय उसका हथियार बिल्कुल शांत था फिर भी वह कल्पना मैं उसे लटकते हुए देख रही थी ।,,,, मंगल की तो हालत खराब हो जा रही थी जैसे ही सूरज बिल्कुल करीब आया मंजू भी उसे गौर से देखने लगी। सूरज कुछ कहता इससे पहले ही मंगल उसे जाकर बैलगाड़ी लेके आने के लिए बोली वह बिना कुछ बोले बैलगाड़ी की तरफ चला गया मंजू उसे तब तक देखती रही जब तक की वह बैलगाड़ी के पास नहीं गया।,,,,, बैलगाड़ी को बैल बांधते वक्त मंजू बोली,,,,)
वाह मंगल तुम्हारा भांजा तो एक दम जवान हो गया,,,,,,,
( मंजू तुम हमको बड़े ही कामुक नजरों से देख रही थी लेकिन इस बात पर मंगल बिल्कुल भी ध्यान नहीं दी,,, उसे तो बस बैगन के बारे में ही जानने की उत्सुकता थी इसलिए वह मंजू की बात को काटते हुए बोली। )
अरे तुम क्या कह रही थी बेगन के बारे में,,,,,,,,,
( निर्मल आपकी बात से जैसे मंजू का ध्यान टूटा हो इस तरह से वह बोली,,,,)
हां तो मैं कह रही थी,,,, अच्छा मंगल एक बात बताओ,,,,
हां पूछो,,,,,,,
देखो सब ठीक से बताना बिल्कुल भी शर्माना मत तभी मैं तुम्हें बैगन के उपयोग के बारे में बताऊंगी।
बोलो,,,, ( मंगल कुछ देर सोचने के बाद बोली)
अच्छा मंगल यह बताओ कि उसका आकार कैसा होता है?
किसका ? ( मंगल आश्चार्य के साथ बोली)
अरे उसी का जिसके बदले में बैगन का उपयोग किया जाता है।
( अब इतना सुनते ही मंगल सकपका गई वह समझ गई थी। मंजू किसके बारे में बोल रही है और ऊससे क्या बुलवाना चाहती है। मंगल अब बुरी तरह फंस चुकी थी वह चाहती तो बिना कुछ बोले वहां से जा सकती थी,,,, लेकिन उसकी तो उत्सुकता इतनी ज्यादा बढ़ गई थी बेगन की उपयोगिता के बारे में जानने की,,,, कि वह इधर उधर नजर दौड़ाते हुए वहीं खड़ी रही,,,,,, और मंजू उसे इधर उधर नजरें घुमाते हुए देखकर बोली।)
क्या यार निर्मला,,,,,, एक औरत हो करके औरत से औरत वाली बात करने पर तुम्हें शर्म महसूस हो रही है जाओ तो मैं भी तुम्हें कुछ नहीं बताती,,,,,,
यार मंजू ऐसी बात नहीं है,,, लेकिन मैंने कभी भी ऐसी बातें नहीं की और ना ही किसी के सामने ऐसे शब्दों का प्रयोग की हूं। इसलिए मुझे शर्म सी आ रही है।
यार सच में कमाल हो,,,, यह जरूरी तो नहीं कि तुम हमेशा ऐसी बातें करने से कतराती रहो,,,, एक न एक दिन तो सबको पहली बार ही करना होता है। अब मैं भी तुम्हारी तरह शर्माती तो क्या तुम्हें यह सब बातें बताती,,,, तुम मेरी सबसे अच्छी सहेली हो इसलिए मैं तुमसे ऐसी बातें करती हूं वरना मैंने आज तक किसी से भी अपने बारे में या ऐसी बातें कभी नहीं की।,,,,,,,,,, ( मंजू बातें जरूर मंगल से कर रही थी लेकिन उसकी नजर बार बार बैलगाड़ी ला रहे में सूरजपर चली जा रही थी। मंजू बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,,)
अच्छा चलो बताओ किसके बदले मे बैगन का उपयोग करने के लिए मैं बता रही हूं।
( मंजू की बात सुनकर फिर से मंगल शर्मा कर इधर-उधर नजरें दौड़ाने लगी और फिर से ऊसे नजरें चुराते हुए देखकर मंजू जोर से बोली,,,,,)
बोलो जल्दी,,,,,,,,
( मंजू की आवाज सुनकर एकाएक मंगल के मुंह से निकल गया।)
ललल,,,, लंड,,,,,
( मंगल के मुंह से इतना निकलना था कि मंजू मुस्कुराने लगी लेकिन मंगल का हाल बुरा हो रहा था वह एकदम से शर्मा गई बल्कि शर्म के मारे वह मंजू के सामने शरमा जा रही थी। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके मुंह से आखिर यह शब्द कैसे निकल गया लेकिन उसके बदन में डर के साथ साथ उन्माद की तरंगे भी लहराने लगी। "लंड" शब्द बोलकर उसे अजीब के सुख की अनुभूति हो रही थी जिसको वह शब्दों में बयान नहीं कर सकती थी। वहीं दूसरी तरफ से चल बड़ी खुश नजर आ रही थी और खुश होते हुए वह बोली।)
हां अब आए ना लाइन पे,,,,,,,, शर्माओगी तो जिंदगी का मजा नहीं ले पाओगी,,,,,,,, चलो यह तो बता दीे की किस के बदले बैगन का उपयोग किया जाता है। ऊसके आकार और ऊसकी लंबाई चौड़ाई और उसकी मोटाई से तो तुम अच्छी तरह से वाकिफ हो,,,,, बैगन देखने में एकदम किस की तरह लगता है यह भी बता दो,,,,,, देखो शर्माना मत।
लंड की तरह,,,,,( इस बार भी वह झट से बोल दी,,, मंजू मुस्कुरा रही थी। क्योंकि वह भी पहली बार ही मंगलके मुंह से इतने अश्लील शब्द सुन रही थी। मंगलकी बात सुनकर मंजू बोली।)
लंड की तरह तो होता ही है लेकिन उससे भी ज्यादा भयंकर होता है।,,, अगर एक अच्छा खासा बैगन मिल जाए तो उसके आगे आदमी का लंड उसकी अपेक्षा आधा और पतला ही होता है ।
मंगलतुम तो अच्छी तरह से जानती हो और तुम सच-सच बताना बैगन के आगे तुम्हारे पति का लंड छोटा ओर पतला नहीं लगता,,,,,,,
( मंजू इतना कहकर मंगल की तरफ सवालिया नजरों से देखने लगी और मंजू की बात सुनकर मंगल सोच में पड़ गई उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि वह इस सवाल का जवाब दे या ना दे लेकिन जो बात मंजू कह रही थी वह बिल्कुल सच ही थी। वास्तव में जिस बैगन को वह अपने घर पर लेकर गई थी उस बैगन की अपेक्षा उसके पति का लंड छोटा ही था। यह सब उसके दिमाग में चल ही रहा था कि तभी उसे याद आया कि वह अपने भांजे के लंड को भी देख चुकी है जिसकी लंबाई चौड़ाई मोटाई बिल्कुल बैगन जैसी ही थी। अपने भांजे के हथियार के बारे में सोच कर उसकी आंखों में चमक आ गई,,,,, वहां मंजू से बताने के लिए अपना मुंह खोल ही थी कि उसके शब्द गले में ही अटक कर रहे गए। उसे जैसे कुछ याद आ गया हो,,, वह कुछ बोल ना सकी और उसे इस तरह से खामोश देखकर मंजू ने अपने सवाल दुबारा दोहराई तो वह बोली कुछ नहीं बल्कि हां में सिर हिला दी। )
मैं जानती थी तुम्हारा जवाब यही होगा मंगल क्योंकि बेगन के आगे तो मेरे पति का भी लंड छोटा ही है। और यह बात सभी औरतों को अच्छी तरह से मालूम है।
अच्छा यह बताओ निर्मला,,, कि अपने पति के लंड,,, जो की बेगन से आधा और पतला ही होता है उस से चुदने में तुम्हें मजा आता है ना,,,,,, बोलो,,,,,
(मंजू के ईस बात पर मंगल फिर से सक पका गई,,,, उसके लिए फिर से इस सवाल का जवाब देना मुश्किल हो रहा था लेकिन फिर भी बताना तो था ही,,,, इसलिए वह बोली।)
हां मजा तो आता ही है,,,,,,,
तो सोचो मंगल जब बैगन से भी आधे और पतले लंड से चुदने मे ईतना मजा मिलता है,,,, तो जब एक मोटा ताजा लंबा बैगन बुर मे घुसेगा तो औरत को कीतना मजा मिलेगा,,,,,
( मंजू की यह कामुक बात सुनते ही ऊत्तेजना के मारे मंगल की सांस ऊपर नीचे हो गई ऊसकी बुर से तुरंत मदन रस की बुंद टपक गई।
मंजू की बात सुनकर मंगल की हालत खराब हुए जा रही थी। जब मंजू के मुंह से उसने यह बात सुनी कि जब एक मोटा ताजा लंबा बैगन बुर में घुसेगा तो कितना मजा देगा इस बात को सुनते ही,,,, मंगल की रसीली बुर कुलबुलाने लगी और तुरंत उत्तेजना के मारे उसमें से मदन रस की बूंदे टपकने लगी जिससे मंगल को बेहद ही अजीबो किस्म की सुख की अनुभूति हो रही थी। मंगल मंजू की यह बात सुनकर क्या जवाब दे यह तो उसके समझ के भी बाहर था। मंजू उसे बहुत ही कामुक तरीके से बता रही थी। जिसे सुनकर मंगलपल-पल उत्तेजना की खाई में उतरती ही जा रही थी।,,,, बात को आगे बढ़ाते हुए मंजू बोली।
सच मंगल जब मैं पहली बार इस तरह की हरकत की थी तो मैं तो खुशी से झूम ही उठी थी। अब मैं तुझसे कुछ नहीं छुपाऊंगी,,,, वह क्या है कि एक ही लंड से बार बार चुदने पर इतना मजा नहीं आता और तो और जैसे-जैसे हमारी उमर हो जाती हैं,,, अपने हम उम्र की औरतों की प्यास और भी ज्यादा बढ़ने लगती है और उस प्यास को बुझाने के लिए,,,, मोटा ताजा और जवान लंड की जरूरत होती है। लेकिन इस उम्र में तो पति का लंड ऊतना मजा नहीं दे पाता है जितना कि जवानी के दिनों में देता था। और तो और उसकी लंबाई चौड़ाई भी अपनी प्यास के मुताबिक और कम लगने लगती है। सच कहूं तो मुझे अपने पति से चुदने ऊतना में मजा नहीं आता जितना मजा मुझे बैंगन मूली और केले से मिल जाता है। ( मंजू की खुली बातें सुनकर तो मंगल की हालत और खराब होने लगी उसकी सांसे तेज चलने लगी उसका चेहरा शर्म के मारे सुर्ख लाल होने लगा। वह यकीन नहीं कर पा रही थी कि कोई सब्जी और फलों के सहारे से भी अपनी प्यास बुझा सकता है। मंजू भी ये सब करती होगी इस बात पर ऊसे विश्वास नहीं हो रहा था। लेकिन जिस आत्मविश्वास के साथ वह बता रही थी इससे बिल्कुल साफ था कि मंजू भी एसा जरुर करती होगी तभी तो उसे इसके उपयोग के बारे में इतनी बारीकी से मालूम है। मंजू को भी बताते बताते उत्तेजना का अनुभव होने लगा था उसका भी चेहरा सुर्ख लाल हो रहा था। मंगल को तो कल के बारे में जानना था कि वह बैगन का उपयोग सच में करी थी कि नहीं,,,,, वह सीधे सीधे खुलकर तो पूछ नहीं सकती थी क्योंकि उसे ऐसा करने में अभी भी शर्म महसूस हो रही थी। इसलिए एक बहाने से बात को घुमाते घुमाते बोली,,,,,,
मंजू कल रात भर जागकर क्या करी? ( मंगल हिचकीचाते हुए बोली,,,, मंगल की बात सुनकर मंजू मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली।।)
अरे वही तो बता रही हूं कल वैसे भी मुझे मस्ती चढ़ी हुई थी।
अब अपनी प्यास बुझाने के लिए जवान लंड कहां से लाऊ,,,,,, मिल तो जाए लेकिन बदनामी का डर बना रहता है। और जवान लंड घर में ही पर उपलब्ध होता तो उस का भरपूर उपयोग करती,,,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह कुछ देर खामोश रहकर सूरज की तरफ इशारा करते हुए) मंगल तुम्हारे पास तो जवान लंड उपलब्ध है,,,,, तुम तो उसका पूरा फायदा उठा सकती हो,,,,,, तड़पना तो हम जैसी औरतों के ही किस्मत में है। ( मंजू बात बात में बहुत बड़ी बात कह गई थी लेकिन इस समय उत्तेजना के असर की वजह से मंगल ने इस बात पर जरा भी ध्यान नहीं दी और मंजू बात को आगे बढ़ाते हुए बोली,,,,)
हां तो में यह कह रही थी कि मेरे बदन में चुदाई की आग भड़की हुई थी और ऐसे में मेरे पति घर पर नहीं थे और घर पर होते भी तो शायद ऊनकी चुदाई से मेरी प्यास बुझने वाली नहीं थी,,,, इसलिए मैं रात को सोने से पहले एक अच्छा मोटा और तगड़ा जिसकी लंबाई लंड से दो गुनी थी,,,, उसे पानी से साफ करके अपने साथ कमरे में ले गई। सच कहूं तो मंगल उस बैगन को हाथ में लेते ही मेरी बुर कुलबुलाने लगी थी। कमरे में जाते ही मैंने अपने सारे कपड़े उतार कर एक दम नंगी हो गई और उस बैगन पर जो की कुछ ज्यादा ही मोटा था उस पर नारियल का तेल लगा कर उसे चिकना कर दी,,,,,( मंजू की बातें सुनकर तो मंगल कि सांसे ऊपर नीचे हुए जा रही थी । उसकी पैंटी बुर के मदन रस की वजह से पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। जिसके गीलेपन का एहसास उसे अच्छी तरह हो रहा था लेकिन वह जानबूझकर अपना हाथ जांघों के बीच नहीं ले जा रही थी। मंजू अपनी बात बताते हुए मंगल को और भी ज्यादा उत्तेजित किए जा रही थी।)
अब क्या था मैं तो पूरी नंगी हो कर के अपने बिस्तर पर लेट गई। मेरे बदन में कितनी ज्यादा उत्तेजना फैली हुई थी कि मेरी सांसे ऊपर नीचे चल रही थी। मेरी सांसो के साथ साथ मेरी ये ( अपनी छातियों की तरफ देखते हुए) बड़ी बड़ी चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही थी,,,, जिसे देख कर मेरी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ने लगी और मैं तुरंत अपनें एक हाथ से अपनी चूची को पकड़कर दबाने लगीे और एक हाथ में बैगन को ले करके उसे अपनी बुर पर रगड़ने लगी। ( मंजू कि यह गरम और उत्तेजक बातें सुनकर मंगल का गला सूखने लगा था उसे पेट ठीक से थुक भी नहीं निगला जा रहा था। ) सच कहूं तो मंगल मुझे सिर्फ बैगन को रगड़ने मात्र से ही ईतना आनंद मिल रहा था तो सोचो जब मैं उसे अपनी बुर में डाल ती तो कितना मजा मिलता। ( मंजू की बात करते तो मंगलके होश उड़ चुके थे वहां आश्चर्यचकित होते हुए बोली।)
सच मंजू,,,,,
हां यार मैं बिलकुल सच कह रही हूं जब मैं उसे धीरे धीरे अपनी बुर में डालने लगी तो मेरा बदन उत्तेजना के मारे ऐसा लग रहा था कि हवा में उड़ रहा हो,,,,, मैं बैगन को जितना हो सकता था उतना अपनी बुर में डाल दी,, मेरी बुर में बैगन पूरी तरह से समाने के बाद भी 5 इंच बाहर ही था। ( यह सुनकर केतु मंगल के होश ही उड़ गए उसे यकीन नहीं आ रहा था कि मंजू ने सचमुच ऐसा कारनामा कर दी है। लेकिन उसकी बात कर पर मंगल को यकीन करना ही पड़ा क्योंकि उसे मालूम था कि वह इस मामले में बिल्कुल भी झूठ नहीं बोल रही थी। )
मंगल एक बार बैगन पूरी तरह से मेरी बुर में घुसा तो मैं उसे अंदर बाहर करते हुएे अपने मन में कल्पना करने लगी कि कोई मुझे चोद रहा है जिसका लंड मोटा और लंबा है। सच कहूं तो मंगल मुझे बहुत मजा आया,,,, और मैं रात भर लगभग पांच छ: बार झड़ी,,,,, बस एक बात का मलाल हमेशा रह जाता है।
कौन सी बात,, ? ( मंगल गले मे थुक निगलते हुए बोली।)
अरे यार यही कि काश ऐसा कोई मर्द होता है,,, जिसका बैगन जितना ही लंबा तगड़ा लंड होता,,,, जो मेरी बुर में अपना लंड डालकर मुझे चोदकर मेरी प्यास बुझाता।
( मंगल तो मंजू की ऐसी गंदी और खुद ही बातें सुनकर एकदम से बेहाल हुए जा रहीे थी,,,, मंजू की यह बात सुनकर मंगल को तुरंत उसके भांजे की याद आ गई क्योंकि जिस तरह के लंड के साइज की वह बात कर रही थी वैसा ही बेगन जैसा लंड सूरज का था। सूरज की याद आते ही मंगल की आंखों में चमक आ गई एक पल को तो उसे ऐसा लगा की वह मंजू को अपने भांजे के हथियार के बारे में बता दें लेकिन ऐसा कहना उसे उचित नहीं लगा तो वह खामोश ही रह गई। हां लेकिन मंजू के मुंह से अपनी दिली ख्वाहिश को जानकर यह ख्वाहिश मंगल के मन में भी जगने लगी,,,, जिन शब्दों में मंजू ने बैगन की उपयोगिता को बताई थी वह सुनकर मंगल का भी मन डोलने लगा,,,, उसे भी याद आ गया कि वह भी मार्केट से लंबे मोटे बेगन को खरीदकर कपाट में रखी हुई है। दोनों का चेहरा सुर्ख लाल हो चुका था फिर दोनों को वहां खड़े खड़े बातें करते काफी समय भी हो गया था। मंजू भी आसमान की तरफ देखते हुए बोली।
काफी समय हो गया मंगल अब हमें चलना चाहिए,,,,,
( मंजू की बात सुनकर मंगल ने भी आसमान की तरफ देखी और फिर बैलगाड़ी की तरफ जाने लगी जिसमें सूरज बैठा हुआ था और बोली।)
हां समय तो काफी हो गया है,,,,,,,,,,,, ठीक है अच्छा मैं चलते है। ( इतना कहकर वह बैलगाड़ी की तरफ कदम बढ़ाना ही वाली थी कि मंजू बोली,,,,,,)
मंगल मेरी बात मानो तो तुम भी एक बार बैगन जरूर इस्तमाल करना फिर देखना तुम्हें कितना मज़ा आता है। ( इतना कहने के साथ ही वह बैलगाड़ी की तरफ देखते हुए ) हां लेकिन तुम्हें बैंगन की जरूरत नहीं पड़ेगी क्योंकि तुम्हारे घर में ही जवान लंड है। ( इतना कहने के साथ ही वह हंसने लगी और उसे हंसता हुआ देखकर और उसकी बात का मतलब समझ कर मंगल बोली।)
धत्त,,,,,, कितनी गंदी हो तुम,,,,,,,
गंदी नहीं बल्कि सच कह रही हूं एक बार जरूर इस्तमाल करना।
( इतना कहने के साथ ही वह चली गई और उसे जाते हुए मंगल देखती रह गई क्योंकि मंजू जाते-जाते उसके दिमाग को और उसकी ख्वाहिशों को झकझोर कर रख,,,, दी थी। मंजू के जवान लंड का मतलब वह अच्छी तरह से समझती थी,,,, वह अभी भी वहीं खड़ी थी यह देखकर सूरज बैलगाड़ी में से ही अपनी मामी को आवाज लगाते हुए बोला।)
मामी अब वहां क्यों खड़ी हो मंजू मौसी चली गई।
( सूरज की आवाज सुनकर जैसे उसका ध्यान तो उठा हो और वह बैलगाड़ी की तरफ जाने लगी,,,,, रास्ते भर उसने सूरज से बिल्कुल भी बात नहीं की के दिमाग में बस मंजू की बातें ही चल रही थी उसने अपनी पैंटी को पूरी तरह से गीली कर ली थी। सूरज अपनी मामी से यह जरुर पूछा की वह मंजू मौसी से इतनी देर तक क्या बातें कर रही थी,
लेकिन सूरज एक बात पर जरूर ध्यान दे रहा था कि उसकी मामी का हाथ बार बार उसकी जांघो के चला जा रहा था, और कुछ देर तक वहां के बीच वाले अंग को खुजला ले रही थी । और उस जगह पर अपनी मामी को खुजलाते हुए देखकर उसके मन में उत्तेजना के साथ साथ उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी। सूरज के मन में जांगो के बीच वाली जगह को लेकर उत्सुकता ज्यादा थी,,,,
क्योंकि आज तक उसने किसी भी लड़की या औरत को नंगी नहीं देखा था तो उनके नाजुक अंगों के बारे में उनके आकार के बारे में सूरज को कुछ भी नहीं मालूम था और ना ही वह कल्पना में उन अंगों के आकारों के बारे में सोच सकता था। इसलिए अब उसके मन में बूर को को देखने और जानने की जिज्ञासा पनपने लगी थी।
इसलिए वह बड़े गौर से अपनी मामी को बैलगाड़ी चलाते हुए देख रहा था और बार-बार उसके हाथ जो की गीली पैंटी को एडजस्ट करने और बुर को खुजलाने के लिए जांगो के बीच जा रहा था उसे वह बड़े ध्यान से देख रहा था और ऊस नजारे को देखकर उत्तेजित भी हुआ जा रहा था। मंगल भी बैलगाड़ी में मंजू की बातों को याद करके उत्तेजित हुए जा रही थी,,, और बार-बार बैंगन की तुलना अपने भांजे के मोटे और तगडे लंड से किए जा रही थी। मंजू जोकि लंबे और मोटे बिल्कुल बैगन जैसे लंड से चुदाना चाहती थी,,, ठीक है वैसा ही लंड तो उसके भांजे सूरज का है बार-बार यही बात मंगल के मन में आ रही थी। मंगल को मंजू की यह बात भी बार-बार याद आ रही थी कि जब औरतों को छोटे लंड से चुदने में इतना मजा आता है तो सोचो लंड से भी लंबा और उससे भी डबल मोटाई वाले बेगन से कितना मजा आता होगा। यह बात बार-बार याद करके मंगल की बुर गिली हुई जा रही थी। क्योंकि उसने तो आज तक बस अपने पति के ही लंड से चुदते आई थी जो की बेगन से भी आधे और एकदम पतला था। फिर भी वह तड़पती थी अपने पति से चुदने के लिए उसके लंड को अपनी बुर में लेने के लिए।
तो वह भी यही सोच रही थी कि अगर छोटे और पतले लंड से उसे इतना मजा आता है तो अगर वह लंड की जगह मोटे तगड़े बैगन को अपनी बुर में डालें तो उसे कितना मजा आएगा,,,,, मंगल बैलगाड़ी में बैठे बैठे हुए मंजू की कही हुई बातों को याद करके अत्यधिक उत्तेजना का अनुभव कर रही थी तभी उसे मंजू कि वह बात याद आ गई जवान लंड वाली जो की उसका इशारा सूरज की तरफ ही था,,,, मंजू का मतलब बिल्कुल साफ था वह ईशारों ही ईशारों में उसे अपने ही भांजे के लंड से चुदने के लिए बोल रही थी,,,,,। मंजू तो जवान लंड के लिए सूरज की तरफ इशारा की थी लेकिन यह बाद उसे बिल्कुल नहीं मालूम था कि सूरज के पास जवान लंड तो था ही साथ ही साथ उसकी लंबाई और मोटाई बिल्कुल बैगन की ही तरह थी,,,, जिस तरह से वह अपनी दिली ख्वाहिश मंगल को बता रही थी कि वह मोटे तगड़े बैगन जैसे लंड से चुदना चाहती है तो अगर उसे इस बात की थोड़ी सी भी भनक लग जाए की सूरज का लंड वैसा ही है जैसा कि वह कल्पना करती है तो शायद वह सूरज से भी चुदवा ले। मंजू को सूरज से चुदवाने की कल्पना ही मंगल को उत्तेजित किए जा रही थी। और जिस तरह से वह बता रही थी कि लंबे लंड से और ज्यादा मजा मिलता है तो मंगल भी कल्पना में ही अपने बेटे से चुदवाने और उसके मोटे लंड को अपनी बुर में लेने का ख्वाब बैलगाड़ी मन में ही सोचने लगी।,,,, लेकिन जल्द ही उसे इस बात का आभास हो गया कि जिस बारे में वह कल्पना कर रही है वह ठीक नहीं है। दूसरी तरफ सूरज लगातार अपनी मामी को ही,,,,,, देखे जा रहा था,,,, अपनी मामी के बूर के बारे में सोच-सोच कर ही उसके अंदर प्रचंड कामोत्तेजना की अनुभूति हो रही थी। वह तो सिर्फ अभी अपनी मामी को साड़ी में ही देखा था तो उसका यह हाल था अगर वह अपनी मामी को संपूर्ण नग्नावस्था में देख लो तो ना जाने उसका क्या हाल होगा।
दोनों के मन में एक दूसरे के बदन को लेकर के ढेर सारी भावनाएं उत्पन्न हो रही थी कि तभी घर आ गया।