Incest गांव का मौसम ( बड़ा प्यारा )

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मंगल बारिश के बंद होते ही तुरंत बैलगाड़ी कच्ची सड़क पर लाकर अपने घर की तरफ बढ़ा दी,, बैलगाड़ी को सड़क पर लाते वक्त बैलगाड़ी को गीली सड़क की वजह से थोड़ा झटका लगा जिससे सूरज की नींद टूट गई,,, मामी को बैलगाड़ी चलाता देख कर सूरज शरम के मारे कुछ नही बोला,,, रास्ते भर दोनों एक दूसरे से नजर नहीं मिला पा रहे थे,, मंगल को इस बात का पछतावा बिल्कुल भी नहीं था कि उसने अपने भांजे के ही साथ संभोग सुख का आनंद ले ली है । बल्कि वह भी शर्म के मारे नजरें नहीं मिला पा रही थी। सूरज मन-ही-मन अति प्रसन्न हो रहा था आज उसके मन की बात सच हो गई थी।
आज जो कुछ भी होगा उसके लिए शायद दोनों ही पूरी तरह से तैयार नहीं थे वह तो गांव में मेले के लिए निकले थे लेकिन हालात ने उन्हें उस एकांत जगह पर रुकने को मजबूर कर दिया था। तूफानी बारिश एकदम थक चुकी थी मौसम धीरे धीरे साफ होने लगा था दूर सूरज की लालिमा हल्के हल्के धरती से जैसे बाहर आ रही हो,,,, मंगल आराम से बैलगाड़ी चलाते हुए,,, यह सोच रही थी कि अब मंजू उससे ना आने का कारण पूछेगी तो वह क्या बताएगी तभी वह अपने ही सवाल का जवाब मन में ढूंढते हुए मन में ही बोली थी वह भी तो जान ही रही होगी कि तूफानी बारिश किस तरह से पूरे गांव को अपने कब्जे में ले ली थी सड़क तक सुनसान सा हो चुका था ऐसे में भला कैसे उसके घर पहुंच पाते,,,,, वह मन ही मन मंजू के सवाल का जवाब ढूंढ ली थी।
थोड़ी ही देर में मंगल की बैलगाड़ी घर के पास झोपड़ी के अंदर प्रवेश की उसमें से सूरज उतर कर बिना कुछ बोले अपने कमरे की तरफ चला गया,,, मंगल ने बैलों को आजाद कर के खुटे से बांध कर उने चारा डाला और मंगल भी धीरे धीरे कुछ सोचते हुए अपने घर में प्रवेश की तो सामने से ही बिलास तैयार होकर सीढ़ियों से नीचे उतरता हुआ नजर आया उसे देखते ही मंगल बोली,,,,,

अरे आप तैयार हो गए रूको भी खाना बना देतीे हुं।

नहीं कोई जरुरत नहीं है में कही बाहर खा लूंगा मुझे देर हो रही है।


लेकिन आप आज बहुत जल्दी जा रहे हैं,,,,
( मंगल के ईतने कहने के साथ ही बिलास आगे बढ़ गया और जाते-जाते बोला।)

मुझे आज जरुरी काम है इसलिए जल्दी जाना है। ( और इतना कहने के साथ यह वह घर से बाहर चला गया।,,, मंगल उसे घर के बाहर जाते हुए देखती रही,,,, मंगल उसे गुस्से की नज़र से देखने लगी और मन ही मन उसे कोसते हुए बोली,,,,, अगर तू मुझ पर ध्यान दिया होता तो आज यह दिन नहीं देखना पड़ता,,,,, इतना कहने के साथ ही वहां पास में पड़ी कुर्सी पर बैठ गई और रात की घटना के बारे में सोचने लगी,,,, उसे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि उसने कुछ ऐसा कदम उठा ली है जो कि उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल कर रख सकती है। एक मन ऊसका कह रहा था कि मंगल तूने जो कि वह बिल्कुल गलत है,,, तुझे ऐसा नहीं करना चाहिए था तूने मामी बेटे के बीच के पवित्र रिश्ते को तार तार कर दी है तूने वह शर्मनाक काम कर दी है जिसके बारे में सोचना भी पाप है। यह ख्याल मन में आते ही मंगल का मन ग्लानी से भर जा रहा था,,,, उसे सच में लगने लगा कि उसने जो की है वह सच में बेहद गलत है उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था लेकिन तभी उसका दूसरा मन कहता कि तूने जो की है उसमें कोई गलती नहीं है जो कुछ हुआ वह हालात की वजह से हुआ,,,, ईस तरह से एकांत में बरसती बारिश में उन दोनों की जगह कोई भी होता तो उनके साथ भी यही होता आखिरकार मंगल सबसे पहले एक औरत है जो कि बरसों से अपने पति के प्यार के लिए तरस रही थी जिसने अभी तक अपने पति से संभोग सुख का पूरा आनंद भी नहीं लेता इतने वर्षों से ऊसकी बुर प्यासी थी,,,, जो कि एक मोटा और तगड़ा लंड के लिए तड़प रही थी और ऐसा दमदार लंड उसके भांजे के पास था जिसे वह अपने हाथों में लेकर बारीकी से उस का निरीक्षण कर चुकी थी,,,, सूरज भी जवान हो रहा गठीले बदन का मर्द था। जिसके अंदर जवानी का जोश हिलोरे मार रहा था। जिसकी नजरे मदमस्त बदन वाली औरतों के अंगो ऊपांगो पर घूमने लगी थी ऊन्हें देख कर उसके लंड में भी तनाव आना शुरू हो गया था और तो और वह खुद ही अपनी मामी की खूबसूरत बदन से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था। ऐसे में उस की उत्सुकता औरतों को और भी अच्छे से जानने की बढ़ती ही जा रही थी,,, और जिस हालात में वह रात भर तूफानी बारिश में रुका था,,, बैलगाड़ी के अंदर अपनी खूबसूरत और कामुक बदन वाली मंगल को वह सिर्फ औरत की ही नजर से देख रहा था। ऐसे में बरसों से प्यासी एक पत्नी अपने पति से जरा भी प्यार ना पाने की वजह से,,,, एक प्यासी औरत बन चुकी थी जो किसी भी तरह से अपनी प्यास बुझाना चाहती थी और दूसरी तरफ जवान हो रहा सूरज,,, जो औरतों के बदन से आ रही मादक खुशबू को अपने सीने में उतारना चाहता था। ऐसे में दोनों के बीच मामी भांजे के रिश्ते की जगह केवल औरत और मर्द का यह रिश्ता रह गया था इसलिए दोनों सब कुछ भूल कर एक दूसरे में समाते हुए सारे रिश्ते नातों को तोड़कर संभोग सुख की असीम आनंद कीें गाथा को लिखने में जुड़ गए । उस पल को याद करके मंगल की बुर फिर से पानी पानी हुए जा रही थी,,, सारी रात जागने की वजह से वह थक चुकी थी उसे अपने बदन में थकान सी महसूस हो रही थी,,, और जिस आनंद को पाने के लिए वह बरसों से तरस रही थी उसके लिए तो जगना भी जरूरी था,,, बिना कर्म किए बिना मेहनत किए कभी भी फल नहीं मिलता,,,, और मंगल तो बरसों से प्यासी थी अपनी प्यास बुझाने के लिए अगर उसने महीनों जागना भी पड़ता तो भी उसके लिए वह तैयार थी।
मंगल कुर्सी पर बैठकर यही सब याद करते करते कब उसकी आंख लग गई उसे पता नहीं चला।
यही हाल सूरज का भी था उसे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि रात को बैलगाड़ी में उसने अपनी मामी को चोदा है। और यकीन भी कैसे करता यह तो उसके लिए एक सपना ही था अपनी मामी के खूबसूरत बदन को देख देखकर उसके कल्पनाओं का घोड़ा ना जाने कितनी तीव्र गति से कहां-कहां दौड़ आया था। मंगल की बड़ी बड़ी चूचियां उसके बड़े बड़े नितंब को याद करके ना जाने कितनी बार उसने अपने लंड को अपने ही हाथों से शांत किया था। सूरज को वह पल बराबर उसके जेहन में बस गया था जब उसने अपनी मामी की रसीली बुर को पहली बार बैलगाड़ी के अंदर देखा,,,, वह अभी तक उस अंग के बारे में केवल कल्पना ही करता आया था।
 
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सूरज अपनी नजरों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि उसने अपनी आंखों से अपनी मामी की नंगी बुर को देखा है। उसकी बनावट उसके आकार को देखकर आश्चर्यचकित रह गया। वैसे भी उसकी मामी की बुर इस उम्र में भी बेहद खुबसूरत थी जिसकी वजह से उसकी गुलाब की पत्तियां बस हल्की हल्की ही नजर आ रही थी और नजर आ रही थी बस केवल एक हल्की सी पतली लकीर,,,, जिसमें लाखों खुशबूदार फूलों के रस को निचोड़कर सारा रस भरा हुआ था। सूरज अपनी मामी की जांघों के बीच जब पतली सी दरार को देखा तो उसके बदन में हलचल सी मच गई,,,, उसने उसे कोई भी सुराग नजर नहीं आ रहा था इसलिए वह और भी ज्यादा दंग इस बात से था कि आखिरकार बुर में लंड जाता कैसे हैं और क्या इतनी सी छोटी सी बुर में मोटा लंबा लंड घुस जाता है। यह सब बातें उस समय उसे बेहद परेशान किए हुए थी। ऊस पल की उत्तेजना उसके बदन में झनझनाहट की तीव्रता को और भी ज्यादा बढ़ा दी थी। जब सूरज ने अपनी अंगुलियों से अपनी मामी की दहकती हुई बुर को स्पर्श किया तो उस समय उसका पूरा वजूद किसी सूखे पत्ते की तरह फड़फड़ासा गया। उसे मंगल की गुलाबी बुर का स्पर्श किसी बिजली के तार में दौड़ते करंट से कम नहीं लगा था। सूरज अपने बिस्तर पर लेटे लेटे यही सब सोच रहा था और यह सब सोचते हुए उसका हाथ खुद-ब-खुद धोती में चला गया,,,,
उसका लंड एक बार फिर से पूरी तरह से तैयार होकर खड़ा हो गया था। जिसे वह हल्के हल्के सहलाते हुए आनंद की अनुभूति कर रहा था। उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि बाहर से एकदम छोटी दीखने वाली बुर अपने अंदर ना जाने कितने महासागर को समेटे हुए हैं। आंखों को ठंडक प्रदान करने वाली रसीलपुर अपने अंदर ना जाने कितनी गर्मी भरे हुए हैं,,, क्योंकि वह जब अपने लंड को अपनी मामी की बुर के अंदर उतारा था तो उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि बुर के अंदर की गर्मी किसी तपती हुई भट्टी के समान होगी,,,,, उसे एक पल तो ऐसा लगा कि जैसे उसका लंड मंगल की बुर के अंदर की गर्मी में पिघल जाएगा,,,, लेकिन ना जाने वह कैसे संभाल गया उसे खुद भी नहीं पता चला। उसे इतना तो उसके दोस्तों के द्वारा पता ही चल गया था कि चुदाई करने में बहुत मजा आता है लेकिन इतना ज्यादा मजा आता है उसे इस बात का पता मंगल की चुदाई करने के बाद ही हुआ। अपनी मामी की चुदाई करने के बाद उसके मन में किसी भी प्रकार की ग्लानी नहीं थी। बल्की वह तोें इस नए रिश्ते से बेहद खुश था। लेकिन उसके मन में अभी भी है सवाल बना हुआ ही था कि क्या आगे भी उसकी मामी इसी तरह से उसके साथ संबंध कायम रखेगी या यह संबंध यहीं खत्म हो जाएगा यही सब सोचते हुए वह भी सो गया,,,

दोपहर को चिड़ियों की आवाज से मंगल की नींद खुली,, उसने देखा दोपहर हो गई थी वह झट से उठ कर तरो ताजा हो कर रसोई में खाना बनाने चली गई रसोई में देखा तो सब्जी खतम हो गई थी, मंगल ने देर ना करते हुए थैली को लेकर मंडी की तरफ निकल पड़ी,, मंडी से मंगल ने लंबी दूधी बैगन और बाकी की सब्जियां खरीद कर वापस घर की तरफ आने लगी,,

तभी मंगल को सामने मंजू नजर आइ मंगल को खुद अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकि ले देकर मंजू ही उसकी खास सहेली थी। उसके घर ना पहुंच पाने का दुख मंगल को भी था लेकिन हालात ही उसके सामने कुछ इस तरह से अपना हाथ रोके खड़े थे कि वह उसके घर पहुंच ही नहीं पाए शायद किस्मत को कुछ और मंजूर था और जो मंजूर था वह हो चुका था। अब तो मंगल बस इसी उधेड़बुन में लगी हुई थी कि मंजू को कैसे समझाएं। यह सब सोचते हुए ही मंजू के पास पहुंच गई,,जैसे ही मंजू ने मंगल को अपने पास आते देखा उसने सवालों की झड़ी बरसने लगी।

क्या हुआ मंगल दिखा दी तुमने अपनी दोस्ती कितने प्यार से मैंने तुम्हें अपने घर खाने को पर बुलया था और तुम हो कि एक बार भी बताना मुनासिब नहीं समझा,,,

अरे यार मेरी बात तो सुनो कि सब कुछ तुम बोलती ही रहोगी,,,

अब क्या सुनाऊं मैं और सुनने सुनाने के लिए कुछ बाकी रखा ही कहां है तुमने,,,,,
अरे नहीं आना था तो मुझे साफ-साफ बोलदी होती मैं पागलों की तरह तुम्हारा इंतजार तो नहीं करती,,,,,,

अरे बाबा मेरी बात तो सुनो,,,, मेरी सुनोगी भी या खुद ही बक बक बक बक करती रहोगी तुम्हें इतना तो पता ही होगा कि कल रात कितनी मूसलधार बारिश पड़ी है। हम निकले ही तो थी तुम्हारे घर पर आने के लिए लेकिन बीच रास्ते में ही ऐसी तूफानी बारिश पड़ने लगी कि आगे कुछ भी नजर नहीं आ रहा था दुर्घटना होते-होते बचा। तुम्हें तो पता ही होगा कि बारिश में बैलगाड़ी कितने संभालकर चलाना पड़ता है और ऐसी स्थिति में बैलगाड़ी चला पाना बहोत मुश्किल हो रहा था।
इतनी तेज बारिश हो रही थी कि सड़क पर कुछ भी नजर नहीं आ रहा था अगर ऐसे में मैं तुम्हारे घर आने की कोशिश भी करती तो शायद दुर्घटना हो जाता हमे मजबूरन बैलगाड़ी को सड़क से नीचे उतारकर पेड़ के नीचे खड़ी करनी पड़ी,,,, और तुम सायद नहीं जानती कि रात भर हमें वही ही रुकना पड़ा जब तक की बारिश बंद नहीं हो गई। एक तो भूखे प्यासे हम लोग रात भर वही रूके रहे और तू है कि हम लोगों को ही भला बुरा कहे जा रही है।
( मंगल की बात सुनकर मंजू को इस बात का पछतावा होने लगा कि आप बिना कुछ सोचे समझे मंगल को बोले जा रहीे थी,,,, तभी वह अपनी गलती मान कर बात को घुमाते हुए अपने मजाकिया अंदाज में बोली।)

वाह मंगल रात भर बरसती बारिश में और वह भी बैलगाड़ी के अंदर मुझे तो लग रहा है रात भर भाई साब ने तेरी जमकर चुदाई किए होंगे,,,,,

तु फिर शुरू हो गई तेरे दिमाग में सच में गंदगी भरी हुई जब देखो तुझे एक ही बात सुझती है।

क्या करूं मंगल रानी जब तक बदन में जवानी है मजे ले लेना चाहिए एक बार बुढ़ापा आ गया तो बस सब कुछ एक सपना सा हो जाएगा।


तो भाई साहब तो है ना जमकर मजा लिया करो उनके साथ।


अपनी किस्मत कहां ऐसी है ऊन्हे तो काम से ही फुर्सत नहीं मिलती। बस तड़प कर ओर हथेलीे से रगड़ कर ही रह जाती हुं।
( मंजू की बात सुनकर मंगल भी कुछ पल के लिए खो सी गई और मन ही मन सोचने लगी कि मंजू की तरह ही उसकी भी हालत यही थी वह भी तड़प कर रहे जाती थी। चुदाई का असली सुख क्या होता है यह तो वह भूल ही चुकी थी,,,, मंगल कुछ और सोच पाती इससे पहले ही फिर से मंजू बोली,,,।)

अरे क्या हुआ तू खामोश क्यों हो गई अच्छा सच सच बताओ क्या भाई साहब ने रात भर तेरी ली है कि नहीं,,,,?

अरे यार तू सच में पागल है क्या तेरे भाई साहब को कहा फुर्सत मिलती है मेरे साथ कहीं भी आने जाने के लिए वह तो अपने ब्याज के धंधे में ही मस्त रहते हैं।


तो फिर तू किसके साथ आ रही थी।

ओहह,,, जवान लड़के के साथ और वह भी तूफानी बारिश में सड़क के किनारे एक लड़का और एक खूबसूरत औरत बैलगाड़ी के अंदर बड़ा ही कामुक मौसम,,,,,,वाहहह,,,,, मेरी जान जरूर कुछ ना कुछ हुआ होगा,,,,,,,


धत्तत्त,,,,,, तू सच में एकदम पागल है,,वह मेरा बेटे जैसा है। तू इतना गंदा क्यों सोचती है?

अरे पागल मैं नहीं तू है सूरज तेरा सगा बेटा थोड़ी है और फिर बेटा है तो क्या हुआ है तो जहान में उस की नसों में भी जवान खून दोड़ रहा होगा,,, एक जवान खूबसूरत औरत को अपने करीब और वह भी ऐसी बरसती बारिश में पाकर उसका भी लंड खड़ा हो गया होगा,,,,,

मंजू,,,,,,,, क्या बकवास कर रही है।

बकवास नहीं सच कह रही हूं मैंने बहुत सी किताबो में पढ़ा है की एक जवान बेटा,,, अपनी मां की चुदाई करता है और उसकी मां भी अपने बेटे से जम कर चुदवाती है।


बस कर मंजू तू अब बहुत बोल रही है ऐसा कुछ भी नहीं है।


क्या सच में कुछ नहीं हुआ?

नहीं यार ऐसा कुछ भी नहीं हुआ मैं इस तरह कुछ सोच भी नहीं सकती।

यार इतना अच्छा मौका तुम दोनों ने गंवा दिया तो रात भर क्या हुआ मंजीरा बजा रहे थे।

बारिश बंद होने का इंतजार कर रहे थे।( मंगल हंसते हुए बोली।)

धत्त तुम दोनों बेवकूफ के बेवकूफ हो,,,, अगर कहीं मैं ऐसी परिस्थिति में अपने बेटे या भांजे के साथ तूफानी बारिश में कहीं फसी होती तो सच में उस के जवान लंड से जरूर चुदी होती,,,,,


क्या सच में तू ऐसा करती मंजू,,,,


तो क्या मंगल में तेरी तरह बेवकूफ थोड़ी हूं इस उम्र में जवान लंड का स्वाद चखने को मिल जाए यही बहुत होता है,,, घर के जवान बेटे से चुदवाती सब कुछ सुरक्षित ही रहता है और इस उम्र में कहीं बाहर जाकर मुंह मारो तो बदनामी का डर भी रहता है और इतना मजा भी नहीं आता। और इस तरह से तो घर की बात घर में ही रह जाती है।
( मंगल मंजू की यह बात सुनकर हंसने लगी और हंसते हंसते कुछ सोचते हुए बोली,,,, )

यार मंजू कितना अच्छा होता अगर तेरा और मेरा एक बेटा होता,,, तू किसी डॉक्टर के वहां चेकअप नहीं करवाई।


करवाई थी यार मेरा तो सब कुछ नॉर्मल है खामी तो उनके मे ही,,,,


तो उनको इलाज करवाना था ना।


लेकिन वह इलाज के लिए तैयार हो तो ना मर्द हैं कभी झुकना नहीं चाहते,,, इसलिए तो आज तक बिना औलाद के ही हूं,,,, सच कहूं तो मंगल इसलिए मेरा मन इधर उधर भटकता रहता है किसी और से संबंध बनाने के लिए लेकिन भले ही में इतना कुछ बोल डालती हूं अंदर ही अंदर मुझे बहुत ही शर्म महसूस होती है । मेरी बातें सुनकर तू भी यही सोचती होगी कि मैं गंदी औरत हुं,,, लेकिन सच बताऊं तो मैंने आज तक कभी भी किसी गैर मर्द के साथ संबंध नहीं बनाए।
( मंजू की बात सुनकर मंगल थोड़ा उदास हो गई और उस को दिलासा देते हुए बोली,,,,)

तू परेशान मत हो मंजू सब कुछ ठीक हो जाएगा,,,,
ओर अपने मन में विचार करने लगी की,,
(मेरे पति में भी कुछ कमी होगी जिस वजह से में भी मां नही बन पाई)
तभी मंजू बोली जिससे मंगल ख्यालों से बाहर आ गई,,

क्या खाक ठीक हो जाएगा मंगल तू भी बस झूठा दिलासा देती रहती है,,,,,( तभी मंजू हंसते हुए बोली) हां जरूर ठीक हो जाएगा जब तू अपने भांजे को मेरे पास भेज देगी हो सकता है उसके जवान लंड से चुदकर में पेट से हो जाऊं( इतना कहने के साथ ही वह जोर जोर से हंसने लगी लेकिन मंगल खामोशी रही वह मंजू की बात सुनकर कुछ भी नहीं बोल पाई तभी मंजू बोली,,,,)

अच्छा यह तो बताओ कि तू आज सुबह खेतों में क्यों नहीं आई।

अरे कैसे आती है अभी तो मैं सोकर उठी हूं ओर सब्जी नहीं थी तो मंडी चली आई ,,,,,,

चलो अच्छा कोई बात नहीं मुझे घर में जाना है कल मिलते हैं । बाय,,,,
( इतना कहने के साथ ही मंजू अपने घर की तरफ निकल गई,, और मंजू की कही बात पर गौर करने लगी कि वह किस तरह से एकदम बेशर्मों की तरह ऊससे सूरज से चुदने की बात कर रही थी,, क्या सच में वह ऐसा कर सकती है अभी तक उसके कोई भी संतान नहीं है हो सकता है संतान की लालच में वह ईस तरह के कदम उठा ले,,,, और तभी उसकी कही वह बात याद आने लगी थी मां बेटे के बीच शारीरिक संबंध को लेकर कभी भी किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा वह सच ही कह रही थी कि बेटा अपने मुंह से तो यह नहीं कहूंगा कि वह अपनी मां को चोदता है और ना ही मा ही कहेगी कि अपने बेटे से चुदवाती है। इस बात पर गौर करके मंगल के चेहरे पर खुशी की चमक आ गई,,
वह यह सोचते घर के अंदर आ गई और काफी देर से उस कुर्सी पर बैठी रही,,,, तभी उसे ध्यान आया कि सूरज भी शायद अपने कमरे में अभी तक सो ही रहा है। इसलिए वह उठकर सूरज के कमरे में जाकर उसे जगाने की सोची और वह सूरज के कमरे तक पहुंच भी गई, कमरे का दरवाजा खुला हुआ था इसलिए वह दरवाजे पर बिना दस्तक दिए कमरे में प्रवेश कर गई,,, कमरे में प्रवेश करते ही जैसे ही उसकी नजर बिस्तर पर पड़ी तो वह बिस्तर का नजारा देख कर एकदम से उत्तेजित हो गई,,,, सूरज एकदम गहरी नींद में था उसकी धोती जांघो तक सरकी हुई थी,,,, और उसका लंड पूरी तरह से टनटना कर खड़ा था जिसे उसने नींद में भी अपने हाथों से पकड़ा हुआ था,,, खड़े लंड को देख कर एक बार फिर से मंगल की बुर में सुरसुराहट होने लगी,, एक बार फिर से उसकी जवानी हिलोरे मारने लगी,,,,, रात को अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में लेकर उसकी प्यास बुझने की बजाए और ज्यादा बढ़ गई थी,,,।
 
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मंगल अपने भांजे के कमरे में खड़े-खड़े अपने भांजे के टनटनाए हुए लंड को देख कर चुदवासी हुए जा रही थी। बैलगाड़ी के अंदर अपने भांजे से जबरदस्ती चुदाई का वह एहसास अभी भी उसके मन में ताजा था वह जानती थी कि उसके भांजे का मोटा लंड उसकी बुर में एकदम रगड़ता हुआ अंदर बाहर होता था। जिसकी रगड़ की गर्मी में उसकी बुर की अंदरूनी दीवारे पसीज पसीज कर पानी छोड़ रही थी। अपने भांजे के लंड को देखकर उसका जोर-जोर से कमर हिलाना याद आ गया जो कि बिना रुके अपनी गति को बिना परिवर्तित कीए एक ही लय में उसकी बुर में अंदर बाहर डालते हुए उसे चोद रहा था। सूरज की जबरजस्त कमर हिलाई से ही वह समझ चुकी थी कि उसके भांजे में बहुत दम है। क्योंकि इस तरह के जबरदस्त प्रहार के साथ आज तक बिलास ने कभी भी उसकी चुदाई नही किया था,,, बिलास का लंड को बुर की पूरी तरह से गहराई भी कभी नहीं नाप पाया था और सूरज हर धक्के के साथ मंगल की बुर की गहराई में उतर जाता था। उसे यकीन नहीं हो पा रहा था कि सुबह इतनी जबरदस्त धक्कों के साथ उसकी चुदाई करेगा और इतनी देर तक टिका भी रहेगा वरना बिलास तो पत्ते की महल की तरह दो चार धक्को मेही ढेर हो जाता था।
मंगल की सांसो की गति गति तीव्र गति से चल रही थी बड़ा ही मोहक और मादक नजारा कमरे का बना हुआ था सूरज बिस्तर पर पीठ के बल एकदम चित लेटा हुआ था,,, उसका लंड नींद में होने के बावजूद भी पूरी तरह से छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था। मंगल के बदन में हलचल सी मची हुई थी उसकी बुर उत्तेजना के मारे पानी पानी हुए जा रही थी पेंटी पूरी तरह से गीली होने लगी थी। मंगल की बुर में चीटियां रेंगने लगी थी एक ही दिन में यह दूसरी बार था जब उसका मन चुदवाने को व्याकुल हुए जा रहा था। मंगल की सांसे बड़ी ही तीव्र गति से चल रही थी। रिश्तो के बीच की मर्यादा की डोरी को उसने रात को ही बैलगाड़ी के अंदर तोड़ चुकी थी,,,, मान मर्यादा संस्कार सब कुछ पीछे छुट़ चुका था,,,
सूरज के कुंवारेपन को खुद उसकी मामी ही तोड़ चुकी थी।
सूरज के मन में कोई भी पछतावा नहीं था इसलिए तू एकदम गहरी नींद में बेफिक्र होकर वह सो रहा था और मंगल थी की,, एक बार फिर से उसके मन में चुदवाने की कसक जगने लगी थी। वैसे भी वह कर भी क्या सकती थी चुदाई का सुख होता है इतना बेहतरीन और आनंद दायक कि इंसान उस सुख को पाने के लिए हमेशा लालायित रहता है। एक बार मंगल ने अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में ले चुकी थी इसलिए सारी सरमाया दूर हो चुकी थी लेकिन थोड़ी सी झिझक अभी भी उसके मन में थी। क्योंकि उस समय तो मौसम भी कुछ हद तक बेईमानी पर उतर आया था दोनों के मन में एक दूसरे के प्रति आकर्षण का बल कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था। जो कि धीरे-धीरे वह आकर्षण संभोग में तब्दील हो गया पर यहां तो सूरज गहरी नींद में सो रहा था। लेकिन उसका लंड पूरी तरह से ऐसा खड़ा था कि मानो किसी की चुदाई करने जा रहा हो,,, तभी मंगल को ख्याल आया कि कुछ ही घंटे पहले सूरज ने उसकी जमकर चुदाई किया था हो सकता है अभी भी उसके सपने में वह उसे ही चोद रहा हो तभी तो उसका लंड इस तरह से टनटना कर खड़ा है। जैसे कि उस रात वह सूरज से चुदने का सपना देख रही थी।
मंगल को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें कमरे का माहौल पूरी तरह से गरमा चुका था एक तरफ उसका भांजा पूरी गहरी नींद में लेटा हुआ था जिसका लंड तनकर एकदम छत की तरफ मुंह उठाए खड़ा था। और दूसरी तरफ मंगल जो की उसके बिस्तर के करीब खड़ी होकर उसके लंबे लंड को ही देखे जा रही थी और एक बार फिर से उसकी बुर कुबुलाने लगी थी अपने भांजे के लंड को पूरी तरह से अपने अंदर उतारने के लिए। मंगल की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी इसलिए उसने अपने साड़ी पूरी तरह से कमर तक उठा कर पैंटी के ऊपर से ही अपनी बुर को रगड़ना शुरु कर दी थी जो की पूरी तरह से गीली हो चुकी थी। मंगल घर आने पर अपने कपड़े चेंज नहीं की थी,, यह वही उत्तेजक कपड़े थे जिसे देखकर सूरज का मनं डगमगाने लगा था। उसकी आंखों में अपनी मां के बदन से संसर्ग करने लिए एक चमक सी नजर आने लगी थी। मंगल के साड़ी का पल्लू उसके कंधे से नीचे गिर चुका था जिससे उसकी भारी भरकम छातियां सूरज के होश उड़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार थी वह अभी नींद में था मंगल को यह समझ में नहीं आ रहा था कि उसे जगाना ठीक रहेगा या नहीं। क्योंकि उसे इस तरह से गहरी नींद में जगाने से कहीं उसका जोस ठंडा ना हो जाए यही सोचकर उस ने उसे नींद से नहीं जगाई। लेकिन अपनी उत्तेजना अपनी प्यास कैसे बुझाएं यह भी उसे समझ में नहीं आ रहा था। धीरे-धीरे उत्तेजना के मारे उसने अपनी पैंटी को जांघो तक सरका दी थी। उसकी चिकनी रसीली बुर फुल कर गरम रोटी की तरह हो गई थी जो कि उसमें से मालपुआ के समान रस टपक रहा था। यह मालपुआ कारण मर्दों के लिए किसी अमृत से कम नहीं था जिसे वह किसी बर्तन से नहीं बल्कि खुद ही अपनी जीभ लगा कर उसके स्वाद का रसपान करने के लिए तड़पते रहते हैं। मर्द औरत के मालपुआ में से टपक रहे मदन रस का रसपान किस तरह से करते हैं उसका अनुभव अभी तक पूरी तरह से मंगल को भी नहीं था क्योंकि उसने अभी तक बिलास द्वारा एक कला का उपयोग पूरी तरह से नहीं कर के देखी थी शुरु शुरु में इस तरह की कला का प्रदर्शन बिलास द्वारा जरुर हुआ था लेकिन उस समय के माहौल के अनुसार इस समय का माहौल पूरी तरह से बदल चुका था जो कि उसके मानस पटल पर से पूरी तरह से बिसर चुके थे। वह धीरे धीरे अपनी बुर में अपनी उंगली को उतारना शुरू कर दी,,, साथ ही जैसे जैसे वह अपनी उंगली को अंदर बाहर करते जा रही थी,, उसकी सांसो की गति और भी ज्यादा तीव्र होती जा रही थी। मंगल अपनी बुर की प्यास बुझाने के लिए पूरी तरह से तड़प रही थी व्याकुल हुए जा रहे थे उसे कुछ सूझ नहीं रहा था तभी उसने कुछ ऐसा कर डाला जिसके बारे में उसने कभी सोची भी नहीं थी और ना ही कभी आज तक ऐसा की थी।
मंगल धीरे धीरे करके अपनी पेंटि को पूरी तरह से अपनी लंबी चिकनी टांगो से बाहर कर दी,,,, और साड़ी को भी उतार फेंकी,,,, साड़ी को उतार ने के बाद वह अपनी पेटीकोट की डोरी को खोलकर पेटीकोट को भी नीचे जमीन पर फेंक दी। उसे अपने बदन की गर्मी बर्दाश्त नहीं हो रही थी इसलिए जल्दी-जल्दी अपने ब्लाउज के बटन को खोलकर ब्रा सहित उसे भी उतार फेंकी,,, मंगल इस समय बिल्कुल नंगी हो चुकी थी किस तरह से उसने अब तक शर्म की चादर ओढ़ कर अपनी संस्कार को अपने अंदर से कभी भी दूर नहीं होने दी थी उसी तरह से आज उसने अपने संस्कार और शर्म की चादर को अपने ऊपर से पूरी तरह से उतार कर पूरी तरह से बेशर्म हो चुकी थी। मंगल का यह रूप आज तक किसी ने नहीं देखा था खुद सूरज भी उसका नया और कामी रुप देख कर हैरान हो चुका था। लेकिन अपनी मामी के इस नए रूप को देखकर क्रोध करने की जगह वह इस कामुक रूप देखकर पूरी तरह से प्रशन्न और उत्तेजित हो चुका था। अगर ईस समय वह जाग रहा होता तो शायद जिस तरह का वाक्या रात को दोनों के बीच घट चुका था उसे देखते हुए इस समय मंगल को कुछ भी करने की जरूरत नहीं थी जो भी करना था वह सूरज खुद ही करता। वह खुद ही अपनी मामी की साड़ी को उतारता उसकी ब्लाउज के बटन को खोलता उसकी पेटीकोट की डोरी को खोलकर उस की पेटीकोट को नीचे सरका देता,,,,और ऊसकी गीली पेंटी को उतार कर कब अपने मुसल जेसे लंड को उसकी बुर में उतार देता इसका अंदाजा शायद मंगल को भी नहीं था। लेकिन अभी सूरज सो रहा था इसलिए जो भी करना था वह मंगल को ही करना था मंगल एक बार अपनी दूर को अपनी हथेली से रगड़ी और अगले ही पल अपने भांजे के बिस्तर पर चढ़ गई,,,,
 
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और देखते ही देखते मंगलं घुटनों के बल आगे बढ़ते हुए,,,, सूरज की कमर के करीब पहुंच गई और एक घुटने को आगे बढ़ाकर उसकी कमर के बगल में रखी और दूसरे घुटने को आगे की तरफ करके सूरज के कमर के इर्द गिर्द अपनी पोजीशन को ठीक तरह से बना ली,,,,,,
वह एक नजर अपने भांजे पर डाली तो बड़ी मासूमियत के साथ वह गहरी नींद का आनंद ले रहा था जिसे देखकर उसके होठों पर मुस्कान खिल गई,,,, मंगल धीरे से एक हाथ नीचे ले जाकर अपने भांजे के खड़े लंड को पकड़ ली,,, लंड की गर्माहट उसके बदन को पूरी तरह से झन झनाकर रख दी,,,, उत्तेजना के मारे मंगल का गला सूख रहा था,,,,,, वह जिस तरह की हिम्मत आज दिखाने जा रही थी इस तरह की हिम्मत के बारे में कभी उसने ना कल्पना की थी और ना ही बिलास के साथ ऐसी हिम्मत दीखाने की कोशिश हि की थी जिस के साथ वह चुदाई का पूरी तरह से मजा ले सकती थी। लेकिन उस समय संस्कार और मर्यादा की दीवार इतनी ज्यादा लंबी थी कि वह उस दीवार को लांघने की सोच भी नहीं सकती थी,,,, लेकिन इस समय उसके बदन पर वासना के पर लग चुके थे जिससे वह इस तरह की दीवारें लांघने में पूरी तरह से सक्षम हो चुकी थी।

मंगल अपने भांजे का लंड थामें नजरें झुका कर अपनी बुर की गुलाबी छेंद की तरफ देख रही थी और लंड के सुपाड़े से टटोल कर अपनी गुलाबी बुर का सुराग ढूंढ रही थी। और जैसे ही सुपाड़े का स्पर्श बुर के गुलाबी छेद पर हुआ वैसे ही तुरंत मंगल के बदन में जैसे करंट दौड़ गया हो,,,, उसका बदन पूरी तरह से एक अजीब से ऊन्माद में सिहर उठा। मंगल को सूरज के लंड का ठिकाना मिल चुका था,,, वह एक पल की भी देरी किए बिना तुरंत अपना पूरा दबाव,,, सूरज के लंड पर बढ़ाने लगी। बुर पूरी तरह से गिली थी और एक बार सूरज मंगल की बुर में लंड डालकर पूरी तरह से चोद चुका था,,, जिससे मंगल की बुर का आकार सूरज के लंड के जितना बन चुका था इसलिए बड़े ही आराम से जिसे जिसे मंगल अपनी भारी भरकम गांड का दबाव लंड पर बढ़ा रहीे थीे वैसे वैसे धीरे धीरे सूरज लंड ऊसकी मामी की बुर मे धंसता चला जा रहा था। धीरे धीरे करके मंगल अपने भांजे का लंड पूरी तरह से अपनी बुर के अंदर उतार ली और उसकी जांघों पर बैठ गई,,,,, मंगल के बदन में पूरी तरह से उत्तेजना बढ़ चुकी थी।

ऊसकी सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी और सांसो के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही थी। बड़ा ही उत्तेजक नजारा था मंगल अपने भांजे का लंड पूरा अपने बुर में उतार चुकी थी लेकिन सूरज के बदन में जरा भी हरकत नहीं हो रही थी वह पूरी तरह से गहरी नींद में था।
मंगल से अब बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था वह धीरे-धीरे सूरज के लंड पर उठने बैठने लगी,,,, मंगल के बदन में उत्तेजना की लहर अपना असर दिखा रही थी मंगल को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी। धीरे-धीरे मंगल अपनी गति को बढ़ाना शुरू कर दी उसे बहुत ही ज्यादा मजा आया था वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि इस तरह से अद्भुत आनंद की अनुभूति होती है। हालांकि बिलास ने शुरुआती दौर में मंगल के साथ ऐसे आसन को करने की कोशिश कर चुका था लेकिन मंगल होते शर्मीले स्वभाव के कारण मंगल ही इनकार कर दी,,,, इसलिए ना तो ऐसे आसन का सुख बिलास ही भोग पाया और ना ही मंगल को ऐसे आसन में मिलने वाली सुख की अनुभूति हो पाई इसलिए तो आज इस तरह का आसन आजमाकर वह बेहद आनंद की अनुभुती कर रही थी। उसकी गति अब बढ़ने लगी थी।
वह अब जोर-जोर से सूरज की लंड पर कुदने लगी थी।
ऊसकी बड़ी बड़ी चुचीयां हवा मे झुल रही थी। सूरज की नींद टूट चुकी थी वह अपनी मामी की हरक़त देखकर पूरी तरह से उत्तेजना मे सरोबोर हो चुका था। वह कुछ भी बोल नहीं पाया बस उत्तेजना के मारे उसका मुंह खुला का खुला रह गया था। मंगल सूरज की दोनों हाथ को पकड़कर उस की हथेलियों को अपनी दोनो चुचियों पर रख दि और सूरज भी मौके की नजाकत को समझते वह जोर जोर से दबाने लगा जैसे कि पके हुए आम को दबा रहा हो,,, मामी भांजे दोनों के बीच किसी भी प्रकार का वार्तालाप नहीं हो रहा था दोनों एक दूसरे की आंखों में डूबते जा रहे थे। सूरज भी रह रह कर नीचे से धक्के लगा दे रहा था। मंगल के ईस तरह से उछलने से पूरी खाट हचमचा जा रहा था। दोनों को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी दोनों इसने रिश्ते से बेहद खुश नजर आ रहे थे। थोड़ी ही देर बाद मंगल की सांसे और तेज चलने लगी उसका बदन अकड़ने लगा,,, सूरज का भी यही हाल था दोनों सांसे तेज चल रही थी और वहां की मौका देख कर नीचे से जोर जोर धक्के लगा रहा था। थोड़ी ही देर में दोनों एक साथ हांफते हुए झड़ने लगे। कुछ ही घंटों के अंतराल में सूरज और मंगल का यह दूसरी चुदाई जो की दोनो को सम्पुर्ण संतुष्टी का एहसास करा गई थी।,,,,
 
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दोनों ने एक बार फिर से संतुष्टि भऱा एहसास अपने बदन में महसूस कर चुके थे। मंगल अपने भांजेके लंड के ऊपर सवार होकर भल भला कर झड़ने के बाद उसके ऊपर से उतर कर उसे से नजरें मिलाए बिना ही अपने कपड़े समेटे और उसे बिना पहने ही उसके कमरे से बाहर निकल गई लेकिन जिस तरह से मंगल अपने कपड़ों को समेट कर ले कर जा रही थी बिस्तर पर लेटे लेटे सूरज अपनी मामी को जाते हुए देख रहा था,,, उस की प्यासी नजर मंगल की मटकती हुई गोल गांड पर ही टिकी हुई थी जो कि इस समय बेहद मादकता से भरा हुआ प्याला लग रहीे थी। मंगल अच्छी तरह से जानती थी कि सूरज और उसके सिवा इस समय घर पर कोई भी नहीं था इसलिए वह बेझिझक अपने कपड़े पहने बिना ही वह कपड़ों को समेट कर कमरे से बाहर निकल गई और बिल्कुल नंगी ही चहल कदमी करते हुए बाथरुम के अंदर घुस गई।
घर का वातावरण पूरी तरह से बदल चुका था मामी भांजे का रिश्ता अब वासना के समंदर में गोते लगाता हुआ ना जाने किस साहिल से टकरा रहा था या तो ना मंगल ही जानती थी और ना ही सूरज,,,,, लेकिन दोनों इस नए रिश्ते से बेहद खुश हैं क्योंकि उनके चेहरे से साफ मालूम पड़ रहा था।
मंगल की बुर से निकला मदन रस और सूरज के लंड से निकला पानी का फव्वारा दोनों मिलकर सूरज के लंड को पूरी तरह से गीला हो चुके थे। सूरज अपने लंड की तरफ देख कर मन ही मन मुस्कुरा रहा था उसे अभी भी यकीन नहीं हो पा रहा था कि जिस बंदे को अपनी मुट्ठी में भरकर आगे पीछे हिलाते हुए अपनी ही मामी को चोदने की कल्पना करते हुए पानी निकालता था आज वही लंड हकीकत में उसकी मामी की बुर के अंदर सैर सपाटा कर के बाहर आ चुका था। अपनी मामी की मटकती हुई गांड को याद करके सूरज अपने लंड पर लगे मदन रस को चादर से साफ करने लगा।
दोनों के बीच अब कोई भी रिश्ते और मर्यादा की दीवार नहीं बची थी सारे रिश्ते नाते संस्कारों और मर्यादा की दीवार को दोनों एक साथ लांघ चुके थे। मंगल का बदन संतुष्टि और प्रसन्नता के कारण और भी ज्यादा निखर चुका था। आज दोनों घर पर थे क्योंकि रात भर की थकान के कारण सुबह खेतों जाना संभव नहीं था इसलिए अपने भांजे का प्यार पाकर मंगल बहुत ही ज्यादा प्रसन्न होकर अपने भांजे के लिए खाना बनाई। थोड़ी देर बाद सूरज भी नहा धोकर तैयार होकर नीचे आ गया लेकिन वह अपनी मामी से नजर नहीं मिला पा रहा था। और मिलाता भी कैसे क्योंकि कुछ ऐसा दोनों के बीच हो गया था कि दोनों एक दूसरे से नजर मिलाने में कतरा रहे थे लेकिन दोनों बार चुदाई का सुख बराबर हासिल करने के लिए एक दूसरे के बदन में समा जाने तक की ताकत लगा दिए थे। दोनों जमीन पर बैठ कर खाना खा रहे थे और एक दूसरे को कनखियों में देख रहे थे अपनी मामी के बदन पर सूरज की नजर रह-रहकर घूम जा रहे थे जिसकी वजह से उसके लंड का तनाव फिर से बढ़ने लगा था। मंगल की बुर एक बार फिर से फूल पीचक रही थी। इसमें दोनों का कोई दोष नहीं था मौसम का सावन तो था नहीं कि साल में बस एक ही बार आए,,,,,,, यह तो आकर्षण और रिश्तो के बीच बासना का तूफान था जोंकि बार-बार आना था।
दो दो बार अपने भांजे के लंड से चुदने के बाद भी उसकी बुर की खुजली नहीं मिली थी और मेीटती भी कैसे उसकी बुर तो बरसों से प्यासी थी। जिसकी खुजली एक दो बार की चुदाई से नहीं जाने वाली थी। मंगल खाना खाते हुए अपने भांजे के चेहरे की तरफ देखे जा रही थी जिसे देखकर बिल्कुल भी नहीं लगता था कि उसने ही दो बार में उसकी बुर के आकार को बदल कर रख दिया है। मंगल से तो रहा नहीं जा रहा था वह तो चाहती थी कि खाना खाते समय भी सूरज उसकी बूर में अपना लंड डालकर उसे चोदे,,,,,
लेकिन सूरज तो इतना शर्मा रहा था कि उसे से ठीक से नजरें तक नहीं मिला पा रहा था। मंगल उससे कुछ कह पाती इससे पहले ही वह जैसे तैसे करके अपना खाना खत्म किया और बिना बोले ही घर से बाहर निकल गया मंगल प्यासी नजरों से उसे जाता हुआ देखती रह गई लेकिन उसे रोकने के लिए आवाज नहीं दे पाई।
मंगल ईस बात से बेहद खुश थी की,, अब उसे बिस्तर पर प्यासी रहकर अपनी एड़िया नहीं रगड़नी पड़ेगी,,,,, उसकी प्यास बुझाने वाला उसके घर में ही मौजूद था अब बिलास पर पूरी तरह से उसे आश्रित नहीं रहना पड़ेगा। जो कि खुद उस ने आज तक उस की प्यास पूरी तरह से नहीं बुझा पाया था। वह मन ही मन सोच रही थी कि घर में बिलास सूरज और उसके सिवा कोई भी नहीं था और यही तो उसके लिए पूरी तरह से लाभदायक था क्योंकि बिलास अधिकतर घर से बाहर ही रहता था और ऐसे मैं घर पर सिर्फ सूरज और मंगल ही रह जाते थे। मंगल ऐसे में जब चाहे तब अपने भांजे के लंड से अपनी प्यास बुझा सकती थी ना किसी को कभी भी कोई शक होगा और ना ही किसी को पता चलेगा,,,,
और तो और बिलास महीने में एकाद दो बार ब्याज के सिलसिले में घर से बाहर ही रहता था और ऐसे मैं रात रंगीन करने का उसके पास पूरा मौका था। यही सब सोचकर मंगल मन ही मन प्रसन्न हुए जा रहेी थी। वह जमीन पर से झूठे बर्तन को समेटकर रसोई में ले गई और वहां पर उसे साफ करने लगी। उसकी बुर की कुलबुलाहट बढ़ती जा रही थे वह फिर से अपने भांजे से चुद़ना चाहतीे थी। उसे ऐसा लग रहा था कि अभी थोड़ी देर बाद उसका भांजा घर पर आएगा तब वह एक बार फिर से अपने भांजे से चुदवाएगी,,,, इसलिए वो जल्दी जल्दी घर का सारा काम करके अपने कमरे में बैठकर अपने भांजे का इंतजार करने लगी। घड़ी की सूई अपनी धुरी पर घूमती रही समय रेत की तरह मंगल के हाथ से फिसलता रहा,, इंतजार कर कर के मंगल की तड़प बढ़ती जा रही थी। वह पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी,,,,
लेकिन सूरज घर पर वापस नहीं आया वह बाहर ही अपने दोस्तों के साथ खेलता रहा क्योंकि घर आने में उसे शर्म महसूस हो रहे थे भले ही वह ताबड़तोड़ अपने लंड का प्रहार करते हुए अपनी मामी की जबरदस्त चुदाई कर चुका था । लेकिन वहां उस समय का बासना का तूफान था जो कि रोकने से भी रुक नहीं पाता,,,,, लेकिन इस समय खेल के मैदान में उसका दिमाग शांत हो चुका था इसलिए बीती बातों को याद करके वह मन ही मन शर्म सा महसूस कर रहा था कि कैसे वह अपनी मामी से आंख मिलाएगा केसेे वह उससे बातें करेगा,, उसकी मामी उसके बारे में क्या सोचेगी कि कैसे वह बिना शर्म कि उसकी बुर में अपना लंड पेल कर बिना रुके धड़ाधड़ उसकी चुदाई किए जा रहा था। वह सोचेगी की एक बार भी उसने उसे रोकने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया। लेकिन यदि उसके दिमाग में ख्याल आ रहा था कि जब उसकी मामी ने ही खुद को नहीं रोक पाए तो वह क्यों उसे रोके,,, उसकी मामी भी यही चाहती हो तो वह क्या कर सकता है। अगर इसमें कुछ गलत होता तो उसकी मामी ही उसे खुद रोक दी होती। उसकी मामी भी यही चाहती थी कि वहं उसे जमकर चोदे,,,,, तभी तो एक बार शायद गलती हो सकती है क्योंकि बैलगाड़ी में एकांत का वातावरण भी कुछ हद तक खुद के पक्ष में ही था इसलिए बैलगाड़ी के अंदर जो उसकी मामी ने उसके साथ चुदवा कर सारी मान मर्यादा भूल गई यह हो सकता है कि माहौल के हिसाब से ना चाहते हुए भी गलत हो गया हो,,, लेकिन जो कमरे में हुआ,,,, वह गलती से नहीं हो सकता क्योंकि वह अपने कमरे में सो रहा था उसकी मामी भी पूरे कपड़े पहनी हुई थी लेकिन जब बिस्तर पर उसके ऊपर चढ़ी थी तो उसके बदन पर कपड़े का एक रेशा तक नहीं था। वह पूरी तरह से नंगी थी और खुद ही उसके लंड पर बैठ कर,,, पूरे लंड को अपनी बुर में ले कर उठ बैठकर लंड को अंदर बाहर कर रही थी यह गलती से नहीं बल्कि जानबूझ कर कर रही थी इसका मतलब यही है कि वह उससे चुदना ही चाहती थी। पूरी तरह से जांच परख लेने के बाद सूरज इसी निष्कर्ष पर आया कि जो भी हो रहा है वह एक तरह से ठीक ही हो रहा है। यह सब सोचकर वह देर से घर पर लौटा शाम ढल चुकी थी। मंगल रसोई घर में रसोई तैयार कर रही थी तभी दरवाजे की कड़ी बजी,,,, कड़ी की आवाज सुनते ही वह समझ गई कि सूरज खेल कर आ चुका है क्योंकि बिलास ईस समय आता नहीं था वह देर रात को ही आता था। मंगल जल्दी से जानबूझकर अपने ब्लाउज की दो बटन को खोल दी और साड़ी को पूरी तरह से अस्तव्यस्त कर दी ताकि उसके बदन का ज्यादातर भाग सूरज को दिखाई दे। साड़ी को थोड़ा सा ऊपर करके कमर में खोज दी जिसकी वजह से उसकी गोरी चिकनी टांग नजर आने लगी। वह जल्दी से दरवाजे पर गई तब तक सूरज तीन चार बार कड़ी बजा चुका था। दरवाजा खोलते ही वह बोली।

क्या बेटा मैं खोल तो रही थी तुझे बहुत जल्दी पड़ी है। ठीक से खोल तो लेनें दिया कर,,,,,, ( मंगल दो अर्थ वाले शब्दों का प्रयोग कर रहे थे लेकिन सूरज समझ नहीं पा रहा था पर दरवाजा खुलते ही जो नजारा उसकी आंखों के सामने नजर आया उस नजारे को देखकर उसके लंड में हरकत होने लगी। वह सूख को निकलता हुआ अपनी आंखों को मंगल की चूचियों पर गड़ाए हुए बोला।

माफ करो मामी मुझे लगा कि आप काम में व्यस्त होंगी तो ध्यान नहीं देंगेी इसलिए मैं दो चार बार कड़ी बजा दिया,,,,,


आजकल तुझे बजाने में कुछ ज्यादा ही मजा मिल रहा है। ( मंगल मुस्कुराते हुए बोली लेकिन अपनी मामी की यह बात सुनकर सूरज झेंप सा गया,,,,, और झेंपते हुए बोला,,,,)

कुछ नहीं तू नहीं समझेगा,,,,,,, अच्छा अंदर तो आ कि ऐसे ही भूखे भेड़िए की तरह मुझे घूरता रहेगा,,,,,, ( वह सूरज की नज़रों का पीछा करते हुए बोली क्योंकि वह अभी भी उसकी अधखुलें ब्लाऊज,, में से झांक रही उसकी चूचियों को ही देख रहा था अपनी मामी की बात सुनते ही वह सकपका गया।। और शरमाकर अपनी नजरें नीची कर के अंदर आ गया। सूरज मन-ही-मन अपनी मामी की खुले हुए ब्लाउज के दोनों बटन के बारे में सोच रहा था आखिरकार वह क्यों खुले हुए होते हैं या ऐसा तो नहीं कि उन्हें मामी ही खोल देती है। लेकिन पहले तो वह इस तरह से नहीं खोलती थी,,,, अब क्यों उसके ब्लाउज के दोनों बटन खुले हुए होते हैं कहीं वह जानबूझकर अपनी चूचियों को दिखाती तो नहीं है यही तब सवाल उसके मन में उठ रहे थे।


और अपने मन में उठ रहे सवालों का जवाब भी उसके पास ही मौजूद था। पिछले कुछ दिनों कि अपनी मामी के द्वारा हुई गंदी हरकत और अपने दोस्तों की बातों से वह तो इतना समझ ही गया था कि औरत अपने फायदे के लिए ही अपने अंगों को दिखाती है जो कि उसकी मामी भी यही कर रही थी और लगभग दो बार उसका फायदा भी उठा चुकी थी जिसमें उसका याद ही नहीं बल्की खुद सूरज का भी फायदा था। यह सोचते ही उसके मन में और भी ज्यादा जिज्ञासा जगने लगी और उसके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। वह मन में यह सोचने लगा कि जब उसकी मामी आगे से ही सब कुछ कर चुकी है और आगे भी करने के लिए पूरी तरह से तैयार है तो वह क्यों अपने कदम पीछे हटाए आखिरकार वह भी तो जवान हो रहा बलिष्ठ काठी का लड़का था उसके भी मन में ढेर सारे अरमान उठ़ रहे थे।

यह सब सोचकर उसके लंड का तनाव और भी ज्यादा बढ़ने लगा था वह मन ही मन सोचने लगा था कि उसकी मामी ने उसे शरीर सुख का मजा चुदाई का कैसा अद्भुत एहसास बदन में होता है यह सब सिखाई और अपने मदमस्त बदन के साथ पूरी तरह से मस्ती करने का बदन के साथ खेलने का पूरी तरह से मौका उसे दी,,, वह मन ही मन अपनी मामी को शुक्रिया अदा कर रहा था कि जिस अंग के बारे में वह कल्पना ही करता रहता था उस अंग को उसकी मामी ने पूरी तरह से खोल कर ऊस अंग के आकार और भूगोल के साथ उसे रुबरु कराई।
यह सब सोचकर उसका मन उत्तेजना से भरने लगा । वह मन हीं मन नक्की कर लिया कि अगर ऊसकी मामी आगे भी इस तरह का मौका देती रहेगी तो वह इस मौके का फायदा उठाने से बिल्कुल भी नहीं चूकेगा। वह यह सब सोच कर मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रहा था और मंगल मुस्कुराते हुए अपनी गांड को कुछ ज्यादा ही ऊभारकर मटकते हुए रसोई घर में चली गई मंगल का यह अंदाज सूरज को पूरी तरह से उसका दीवाना बना गया। अपनी मामी के अंदाज़ और उसकी हरकत को देखते हुए सूरज पूरी तरह से समझ गया कि जो कुछ भी हो रहा है वह अनजाने में नहीं बल्कि जान बूझकर ही हो रहा है। यह ख्याल मन में आते हीै उसके लंड ने ठुनकी मारना शुरू कर दिया। घर में ही चुदाई का सामान पूरी तरह से तैयार होता देख कर उसकी खुशी का कोई ठिकाना ना रहा। वह अपनी मामी के अंदाज को देखने के लिए पानी पीने के बहाने रसोई घर में चला गया

ओर मटके में से पानी पीने लगा मंगल आटा गूथ रही थी और आटा गूंथते हुए अपनी गोलगोल गांड को अजीब सी थिरकन देते हुए,,, इधर-उधर मटकाने लगी।
अपनी मामी की मटकती हुई गांड को देखकर तोे सूरज की सांस ही अटक गई। उत्तेजना के मारे उसका गला सूखने लगा धोती में तंबू पूरी तरह से बन चुका था जो कि उसकी मामी की नजर में साफ साफ आ सकता था लेकिन वह उसे छुपाने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं किया। क्योंकि वह भी जान चुका था कि उसकी मामी जिस तरह की हरकत कर रही है उसे फिर से लंड की जरूरत है। सूरज पानी पीते हुए ऊपर से नीचे तक अपनी मामी के खूबसूरत बदन को देखकर उत्तेजित हुआ जा रहा था मंगल भी आंटा गुंथते हुए अपने बदन का मदमस्त हिस्सा इस तरह से बाहर को निकली हुई थी कि ऐसा लग रहा था वह अपने खूबसूरत बदन का वह हिस्सा सूरज को परोस रही हो,,,,,
जिसे देखकर सूरज के मुंह में पानी आ जा रहा था। सूरज पानी पीकर गलास वापस रख दिया लेकिन अपनी मामी से कुछ भी बोल पाने की हिम्मत उसमे नहीं हो रही थी। मंगल की बुर पानी-पानी हो जा रही थी उसे फिर से अपने भांजे के लंड की जरूरत थी दो बार चुदने के बाद भी उसकी प्यास कम होने की वजाय और भी ज्यादा बढ़ चुकी थी।
वह पूरी तरह से चुदवासी हो चुकी थी। उसके जी में तो आ रहा था वह खुद सूरज को बोल दे कि वह तुझसे फिर से चुदना चाहती है तू चोद जमकर चोद,,,, लेकिन इतना कहने की हिम्मत शायद उसमें भी अभी नहीं थी। दो दो बार संभोग सुख भोग चुके मामी भांजे अभी भी आगे बढ़ने से शर्मा रहे थे। मंगल इस बात से तो पूरी तरह से आश्वस्त थी की अब वह जब चाहे तब अपने भांजे से चुद सकती है।
लेकिन उसके लिए अपनी शर्म को पूरी तरह से त्याग देना पड़ेगा जो कि अभी भी उसके कदम को कुछ हद तक रोके हुए थी। मंगल तिरछी नजरों से सूरज की तरफ देख रही थी जो कि अभी भी मटकी के पास ही खड़ा था और उसके तरफ ही चोर नजरों से देख ले रहा था तभी मंगल की नजर उसके धोती में बने तंबू पर पड़ी तो उसके मन का मोर अपने पंख फैला कर नाचने लगा। उसे यकीन हो चला कि अगर वह चाहे तो रसोई में ही अपने भांजे से संभोग सुख का फिर से आनंद ले सकती है। लेकिन केसे यह उसे समझ में नहीं आ रहा था उसे डर था कि कहीं सूरज किचन से बाहर ना चला जाए इसलिए उसे रोकना बहुत जरुरी था। और सच में सूरज भी यही सोच रहा था कि ज्यादा देर तक इस तरह से रूकना ठीक नहीं है इसलिए वह रसोई से बाहर निकलने को ही था की झट से मंगल बोली।

बेटा कहां जा रहे हो आज मेरी मदद नहीं करोगे क्या?

हां हां करूंगा ना मामी बताओ ना क्या करना है। ( सूरज झट से जवाब देते हुए बोला वह तो खुद रसोई में रुककर अपनी मामी की खूबसूरत बदन के दर्शन करना चाहता था।)

बेटा जरा सब्जी तो काट दे मेरे हाथों में आटा लगा हुआ है।
(वह अपने हाथ को सूरज की तरफ दिखाते हुए बोली)

ठीक है मामी लाओं में सब्जी काट देता हूं। पर सब्जी कौन सी काटनी है।
 
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दूधी मोटी मोटी और एकदम लंबी,,,, एकदम तगड़ी देख ले कपाट में रखी होगी,,,,,( इतना कहकर मंगल मुस्कुराने लगी सूरज को अब अपनी मामी का या मुस्कुराना और उसके बातों का मतलब थोड़ा थोड़ा समझ में आने लगा था। वह बिना कुछ बोले कपाट में से दुधी निकाल कर किचन पर रख दिया,,, उसका लंड लगातार धोती में तंबू बनाए हुए था जिस पर बार-बार मंगल की नजर पड़ रही थी।और उसे देखकर मंगल की बुर फूल पिेचक रही थी। उसका बस चलता तो वह खुद ही अपने भांजे के धोती को निकालकर उसके लंड को अपनी बुर में डलवा कर चुद गई होती लेकिन अभी मजबूर थी,,, अपने भांजे के साथ चुदवाने के बाद भी अभी भी वह शर्मो हया के पर्दे में कैद थी।
सूरज दूधी को चाकू से काटना शुरु कर दिया जिसे देखकर मंगल मुस्कुराने लगी और मुस्कुराते हुए बोली,,,,,

दुधी कैसी है सूरज?

कैसी है मतलब मामी मे कुछ समझा नहीं,,,,

अरे बुद्धू कैसी है मतलब उसका साइज़ की मोटाई लंबाई कैसी है तभी तो बनने में स्वादिष्ट आएगी,,,,,
( सूरज आप अपनी मामी का मतलब समझने लगा था लेकिन फिर भी अनजान बनते हुए बोला।)

मुझे क्या मालूम मामी मैं खाना थोड़े ही पकाता हूं।

हां सही बात है तुम लडको लोगों को कहां पता कि दूधी का मजा औरतों को कैसा लगता है। मर्दों का तो काम ही होता है बस दूधी खरीद कर ले जाओ और उसे घर पर रख दो तुम लोग यह भी नहीं देखते कि दूधी लंबी है कि छोटी है कि मोटी है कितना तगड़ा है

यह सब से तुम लोगों को कोई भी मतलब नहीं होता बस अपना फर्ज निभा देते हो और अपना मजा लेने के औरतों को थमा देती हो कभी यह सब भी तो सोचा करो कि औरतों को क्या पसंद है दुधी का साइज कितना होना चाहिए,,,, दूधी कितनी लंबी होनी चाहिए,,,,
कितनी मोटी होती है तब मजा आता है,,,,,,,,,,,,,,,,,
उसी पकाने में
( मंगल पकाना शब्द अपना मतलब निकल जाने के बाद ही बोली थी सूरज पूरी तरह से समझ गया था कि वह दूधी के बहाने उसके लंड के बारे में बात कर रहीे हैं। सूरज को भी अपनी मामी के दो अर्थ वाले शब्द को सुनकर मजा आने लगा था। तभी तो वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,,,)

मामी क्या सच में ऐसा होता है लेकिन दूधी की ये वाली बात तो मैं नहीं जानता था कि दुधी के पतले मोटे लंबे तगड़े होने से औरतों को फर्क पड़ता है। आख़िर ईसे पका कर खाना ही तो है।

तू सच में बुद्धू है सूरज पकाना ही तो है यह तो मुझे अच्छी तरह से मालूम है लेकिन पतली दुबली होने पर उसमें से कुछ निकलता नहीं है बल्कि गर्मी से ही खत्म हो जाता है। और दूधी जब मोटी तगड़ी और लंबी होती है तो,,,, उसे पकने में टाइम लगता है करने में टाइम लगता है,,, जरा सी गर्मी पाकर तुरंत पिघल नहीं जाता बल्कि गर्म होकर धीरे-धीरे अपना पानी छोड़ता रहता है। तब जाकर उसे खाने में औरतों को इतना मजा आता है कि तुम लोगों को इस बात का एहसास तक नहीं होता।
( मंगल खुद नहीं समझ रही थी कि वह क्या कह रही है लेकिन जो भी कह रही थी उस बात को कहने में वह पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी उसकी पैंटी पूरी तरह से गीली हो चुकी थी वह एकदम से चुदवासी हो गई थी,,, यही हाल सूरज का भी था। अपनी मामी के दो अर्थ वाली बात को सुनकर वह पूरी तरह से गरमा चुका था उसका लंड धोती के अंदर गदर मचाए हुए था। जिस की हालत को मंगल तिरछी नजर से देख ले रही थी यही सही समय भी था लेकिन कैसे यह नहीं समझ पा रही थी मंगल तभी उसके मन में एक ख्याल आया वह आंटे को घूंथते हुए,,,,
अपने दोनों हथेलीयो को पूरी तरह से गीले आटे में सान ली,,, और अपने पैरों को पटकने लगे वह इस तरह से बर्ताव करने लगी कि जैसे उसकी साड़ी में कोई कीड़ा या चींटी घुस गई हो,,,,, उसके दोनों हाथ आटे में सने हुए थे और वह जोर जोर से अपने पैरों को पटकते हुए सूरज की तरफ देखने लगी जो की दूधी को काट रहा था,,,,, अपनी मामी को इस तरह से उछलता हुआ देखकर वह बोला,,,,

क्या हुआ मामी इस तरह से क्यों उछल रही हो?

लगता है कि कुछ मेरी साड़ी में घुस गया है।

क्या घुस गया है मामी ,,,,,,

अरे मुझे क्या मालूम धीरे धीरे काट रहा है मुझे डर लग रहा है (बुरा सा मुंह बनाते हुए बोली)

तो देख लो ना क्या है?

अरे पागल अगर मेरे दोनों हाथों में आटा ना लगा हुआ होता तो क्या मैं देख नहीं लेती।,,,,,,,( वह जोर-जोर से पैरों को पटकते हुए बोली सूरज को लग रहा था कि शायद सच में कोई कीड़ा होगा जो साड़ी में घुस गया है।)

तो मामी जल्दी से हाथ धो कर देख लो कि क्या है,,,,,


अरे इतना समय नहीं है मेरे पास मुझे गुदगुदी सी हो रही है और धीरे-धीरे लगता है काट भी रहा है,,,,,
( वह उसी तरह से उछलते हुए बोली लेकिन इस बार सूरज की नजर उसकी दोनों चूचियों कर चली गई जो की उछलकूद मचाते हुए ब्लाउज को पूरी तरह से झकझोर दे रही थी। यह नजारा बड़ा ही काम होता जिस तरह से मंगल उछल-कूद मचा रहे थे उस तरह से तो लग रहा था कि उसकी बड़ी बड़ी दोनो चुचियों के वजन से उसके ब्लाउज के बाकी बचे बटन भी टूट जाएंगे,,,,,, वह वही खड़ा हो कर के अपनी मामी को ऊछलता हुआ देखता रहा और उत्तेजित होता रहा। उसके धोती मे बना तंबु अपनी सीमा को पार कर चुका था। सूरज को यह नजारा बेहद कामुक लग रहा था। उसकी नजर ब्लाउज के अंदर उछलते हुए गदर मचा रहे दोनों खरबूजे पर टिकी हुई थी। तभी उसकी मामी पैर पटकते हुए बोली।

सूरज एक काम कर तू ही देख ले की क्या है?

मामी में? ( सूरज आश्चर्य के साथ बोला)

हां तु जल्दी से देख मुझसे रहा नहीं जा रहा,,,,,

( अपनी मामी की बात सुनकर सूरज खुश हो गया सूरज तो यही चाहता ही था,,, अपनी मामी की साड़ी उठाकर ऊसके मदमस्त बदन का दीदार करने का इससे अच्छा मौका भला कहां मिल पाता । वह तो झट से सारा काम छोड़कर अपनी मामी के पास पहुंच गया। सूरज ठीक अपनी मामी के पीछे खड़ा था। और अपने भांजे को अपनी ठीक पीछे खड़ा हुआ देखकर मंगल के बदन मे गुदगुदी होने लगी। उसकी युक्ति उसे सफल होती हुई दिख रही थी। सूरज की तो दिल की धड़कन बढ़ती जा रही थी वह धीरे से अपनी मामी की साडी को पकड़ा और उसे उठाने लगा,,, जैसे जैसे साड़ी ऊपर की तरफ उठ रही थी वैसे वैसे उसकी नंगी टांगें अपना जलवा पूरी तरह से बिखेर रही थी। अपनी मामी की नंगी पिंडलियों को देखकर सूरज का गला सूखने लगा मोटी मोटी नंगी जांघे उसके होश उड़ा रही थी। धीरे धीरे करके उसने अपनी मामी की सारी को कमर तक उठा दिया कमर तक साड़ी के उठते ही बड़ा ही उत्तेजक कामोत्तेजना से भरपूर वह नजर आपकी आंखों के सामने दिखाई देने लगा कि उसका लंड भी उस नजारे को देख कर सलामी भरने लगा। यह नजारा देख कर तो सूरज की सांस ही अटक गई मंगल की मखमली गुलाबी रंग की पैंटी सूरज के होश उड़ा रहीे थी। सूरज अच्छी तरह से जानता था कि मखमली गुलाबी रंग की पैंटी में मंगल की गुलाबी रंग का खजाना छिपा हुआ है। सूरज तो अपनी मामी की साड़ी को कमर तक उठा कर बिना कुछ बोले बस उसकी गोल नितंबों को देखे जा रहा था। मंगल भी ऊछल कुद मचाना बंद कर दी थी,,,, इतने करीब एक बार फिर से अपने भांजे को पाकर और ऐसी स्थिति में कि उसका भांजा खुद ऊसकी साड़ी उठाकर कमर तक किया हो,,, और उसकी बड़ी बड़ी गांड को देख रहा हूं इस बात से ही उसका बदन पूरी तरह से उत्तेजना के मारे सरसराने लगा।
कुछ देर तक दोनों यूं ही ऐसे ही खड़े रहे सूरज की आंखें नहीं देख रही थी अपनी मामी की खूबसूरत बदन का दीदार करते हुए और मंगल कसमसा रही थी ऐसी स्थिति में अपने आप को पा कर। मंगल की सांसो के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी छातिया भी ऊपर नीचे हो रही थी। तभी सूरज हकलाते हुए बोला।

मममम,,,, मामी ,,,, यहां तो कुछ भी नजर नही आ रहा है।

सूरज मेरी पेंटी मे है,,,,

( अपनी मामी की हर बात सुनते ही उसका बदन उत्तेजना के मारे कांप गया। उसे भला ऐसा करने में क्यो ईन्कार होता ।
वह एक हाथ से अपनी मामी की साड़ी पकड़ कर दूसरे हाथ से धीरे-धीरे अपनी मामी की पैंटी को नीचे सरकाने लगा,,, उसके हाथ उत्तेजना के मारे कांप रहे थे उसका गला सूख रहा था।
धीरे-धीरे करके उसने अपनी मामी की पैंटी को एकदम नीचे जांघो तक सरका दिया। वह बड़ी ही प्यासी आंखों से अपनी मामी की भरी हुई नितंब को देख रहा था,,, मंगल भी अपनी गर्दन घुमा कर अपने भांजे की हरकत को देखकर एकदम खामोश हो चुकी थी। उसकी बुर की मदनरस टपक रहा था गजब का माहौल बन चुका था। भांजा अपनी मामी की साड़ी उठाकर उसकी पैंटी को नीचे तक सरका दिया था। वह कुछ पल तक अपनी मामी के नितंबो को देखने के बाद बोला ।

मामी यहां तो कुछ भी नजर नहीं आ रहा है।

( अब उसकी मामी क्या कहती कुछ होता तो ना बताती,,,, अब बताने के लिए कुछ बचा ही नहीं था,,,, मंगल के बदन में वासना पूरी तरह से बस चुकी थी,,,,, इसलिए वह अपने दोनों हाथ को पीछे की तरफ लाकर सूरज की धोती को खोलते हुए बोली,,,,,

ऐसे कैसे कुछ नजर नहीं आ रहा है मुझे तो कोई कीड़ा है है जो बहुत तेज काट रहा है।
( इतना कहने के साथ ही मंगल ने अपने भांजे की धोती को खोल करो उसके लंड को बाहर निकाल कर अपने हाथ में पकड़ ली,,,, सूरज तो एकदम हैरान रह गया वह कुछ और समझ पाता इससे पहले ही,,,मंगल ने उसके लंड को अपनी गांड की गहरी दरार में धंसाकर रगड़ने लगी,,,, अपनी मामी की हरकत पर तो सूरज की हालत एकदम से खराब हो गई,,,, ऊसका गला एकदम से सुख गया उसके मुंह से एक भी शब्द निकल नहीं पा रहे थे। मंगल जल्द से जल्द अपने भांजे के लंड को अपनी गुलाबी बुर के छेद का रास्ता दिखा देना चाहती थी,,,, लेकिन जिस तरह से वह सीधी खड़ी थी इस तरह से गुलाबी छेद का मिलना बहुत मुश्किल था। इसलिए वो जल्दी से अपना एक पैर उठाकर किचन के टेबल पर रख दें जिससे उसकी गुलाबी रंग का सुराग साफ साफ नजर आने लगा और मंगल ने अपने भांजे के लंड के सुपाड़े को गुलाबी बुर के छेद पर रखते हुए बोली।

ईसी मे घुसा हुआ है कीड़ा,,,,, अब ईसे तुम्हें ही निकालना है।

( अपनी मामी की इतनी बात सुनकर वह अपने मामी के ईसारे को समझ गया। दो बार उसने अपनी मामी की चुदाई कर चुका था इसलिए उसे मालूम था कि अब क्या करना है। वह तुरंत अपनी मामी की गांड को दोनों हाथों से थाम कर अपने लंड को अंदर घुसाना शुरू किया। बुर पहले से ही पनीया चुकी थी,,,, इसलिए लंड को अंदर सरकाने में ज्यादा दिक्कत नहीं हुई और सूरज ने थोड़े से ही झटके में अपने लंड को अपनी मामी की बुर की गहराई में उतार दिया। वह समझ गया कि उसकी मामी नाटक कर रही थी कोई कीड़ा वीड़ा नहीं था,,,, बल्की ऊसकी बुर में चुदाई का कीड़ा घुसा हुआ था जिसे वह उसके लंड से निकलवाना चाहती थी। थोड़ी ही देर में मंगल की सिसकारी छूटने लगी,,, सूरज एक बार फिर से पहले वाली ही रफ्तार से अपनी मामी की चुदाई कर रहा था। मंगल को भी जैसे अपने भांजे की इस रफ्तार से मजा आने लगा था। वह भी गरम सिसकारी निकालते हुए अपने भांजे से चुदने का मजा ले रही थी। सूरजका मोटा लंबा लंड बड़ी रफ्तार के साथ उसकी मामी की बुर के अंदर बाहर हो रहा था। करीब बीस मिनट तक वह ईसी तरह से अपनी मामी को जमकर चोदता रहा,,,,, थोड़ी ही देर में दोनो की सांसे तीव्र गति से चलने लगी दोनों का बदन एक साथ अकड़ने लगा,,,,, और मामी भांजे दोनो एकसाथ भलभला कर झड़ने लगे। एक बार फिर मंगल अपनी प्यास बुझा,, चुकी थी।
 
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अद्भुत संभोग के ऐहसास से मंगल और सूरज दोनों भर चुके थे। सूरज अपनी मामी की एक बार और जबरदस्त चुदाई करने के बाद वहां रुका ही नहीं अपने कपड़े ठीक कर के वह सीधा रसोई घर के बाहर आ गया। मंगल तो कुछ देर तक उसी स्थिति में खड़ी रही उसके दोनों हाथ किचन फ्लोर पर थे और वो थोड़ा सा झुकी हुई हांफ रही थी। उसका पूरा बदन आनंदित होकर फुदकने लगा था। और उसका मन पुलकित क्यों ना होता बरसों से किस प्यार के लिए जिस गरमा गरम रगड़ के लिए तरस रही थी उसे एक ही दिन में तीन बार उसके ही भांजे ने अपने दमदार मूसल से उसकी बुर को रगड़ चुका था। सब्र का फल मीठा होता है यह कथन मंगल के लिए बराबर बैठ रहा था। उसने आधी जिंदगी सब्र कर के ही बीता दी थी लेकिन अब लग रहा था कि उसके सब्र का फल उसे मिलने लगा था। मंगल रसोईघर में उसी स्थिति में हाथ रही थी उसके माथे से पसीने की बूंदें मोतियों की बूंदें बन कर नीचे फर्श पर गिर रही थी। उसे मन ही मन बेहद खुशी हो रही थी कि उसे कर्म का फल मिला था पसीना बहाने का प्रतिफल मिला था इसलिए मंगल को आया पसीना बहाना बेकार नहीं गया था। उसके चेहरे पर उत्तेजना की लालिमा पूरी तरह से छाई हुई थी। ब्लाउज के बटन कुछ हद तक टाइट हो चुके थे उत्तेजना के मारे उसके चुचियों का आकार अपने आकार से कुछ हद तक बढ़ चुके थे। मंगल की बुर से सूरज के साथ साथ खुद उसका भी मदन रस नीचे टपक कर उसकी जांघों को भीगो रहा था। कुछ ही मिनटों में मंगल की सांसें पूर्वरत हुई तो वह अपनी साड़ी जो कि अभी भी उसकी कमर तक चढ़ी हुई थी,,, और उसकी गोलाकार नितंबं लालटेन की रोशनी में चमक रही थी,,, मखमली पेंटी का जो घुटनों में अभी तक सिमट कर रहना मंगल की स्थिति का बयान कर रही थी।
मंगल के बदन में आया वासना का तूफान गुजर चुका था,,,
वह अपनी पेंट को ऊपर सरका कर साड़ी को नीचे कर ली और खाना बनाने लगी।
अपने कमरे में सूरज भी बहुत खुश नजर आ रहा था। तीन तीन बार अपनी मामी से संभोग करने के बाद भी उसे यकीन ही नहीं हो पा रहा था कि उसने अपनी मामी के साथ संभोग किया है। खुशी के मारे उसके पैर जमीन पर नहीं पढ़ रहे थे उसके हाथों में खूबसूरती का पूरा खजाना लग चुका था। जब से वह औरतों की ताक झांक में लगा था तब से अपनी मामी के खूबसूरत बदन का दीवाना हो चुका था। दिन रात अपनी मामी की खूबसूरत बदन की कल्पना करके अपने आप को संतुष्ट करता रहता था लेकिन वह यह नहीं जानता था कि उसकी कल्पना हकीकत में बदल जाएगी। जो भी हो रहा था उसे रोक पाना अब दोनों के बस में नहीं था।
रात का खाना तैयार हो चुका था खाना तैयार करके मंगल नीचे से ही सूरज को आवाज लगाई और सूरज भी अपनी मामी की आवाज सुनकर हाथ मुंह धो कर तरोताजा हो कर के खाना खाने नीचे आ गया।
दोनों खाना खा रहे थे लेकिन फिर से सुबह की ही तरह दोनों के बीच किसी भी प्रकार की वार्तालाप नहीं हो रही थी बस एक दूसरे को कनखियों में देखे जा रहे थे। दोनों के बीच सब कुछ हो जाने के बावजूद भी वार्तालाप की त्रुटि दोनों के बीच एक तरह की दूरी बनाए हुए थी। मंगल एक परीपकव महिला थी,,,,
भले ही वह खुलकर शारीरिक सुख का मजा भोग नहीं पाई थी लेकिन इतना तो जरूर जानती थी कि औरत और मर्द के बीच का रिश्ता किस तरह से एकदम खुलकर सामने आता है। तीन बार अपने भांजे से संभोग सुख का आनंद उठा चुकी थी,,, लेकिन तीनों बार खुद मंगल ने ही पहल की थी। उसकी दिली ख्वाहिश यह थी कि सूरज पहल करें वह खुद उसे अपनी बाहों में लेकर उसे प्यार करे के चुमे चाटे उसके गुलाबी होठों को अपने होठों में भरकर चुसे,,,, उसकी बुर में खुद ही उसकी जांघों को फैला कर अपना लंड डाल कर चोदे,,,,, लेकिन वह अच्छी तरह से देख चुकी थी कि सूरज पहल नहीं कर पा रहा था अगर सूरज की जगह कोई और लड़का होता तो मंगल को इतनी जहेमत उठाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। लड़के तो इसी ताक में रहते हैं कि कब औरत का इशारा मिले और वह कब शुरु पड़ जाए,,,,,
मंगल खाना खाते समय यही सब सोच रही थी और सूरज पर अपनी नजर गड़ाए हुए थी। फिर वह खाना खाते समय यह सोचे कि सूरज को अगर पूरी तरह से खोलना है तो उससे बात करनी होगी वरना वह अपनी तरफ से कुछ भी नहीं कर पाएगा हो सकता है कि वह अपनी मामी के साथ खुलकर कुछ नहीं कर पा रहा है अगर उसकी जगह कोई और औरत होती तो,,, वह भी सिर्फ उसका इशारा मिलने का इंतजार करता और इशारा मिल जाने पर खुद ही उसके ऊपर चढ़ बैठता । यह बात मंगल के मन में एक दम पर बैठ गई कि सच में वह रिश्तो की कदर करते हुए खुल नहीं पा रहा है क्योंकि जिस तरह का उसके पास हथियार था वहां किसी भी औरत को अपना दीवाना बना सकने में पूरी तरह से सक्षम था। सूरज उसके साथ रिश्तो की व्याख्या को देखते हुए अभी भी शर्मा रहा था। मंगल उससे बातचीत करना चाहती थी उसकी सहानुभूति हासिल करना चाहती थी क्योंकि जिस उम्र के दौर से वह गुजर रहा था,,, ऐसे में तो ही वहां अपनी मामी के प्रति मन में गलत धारणा बांध लिया तो दोनों का रिश्ता उलझ कर रह जाएगा। इसलिए वह मन में सोच ली कि सूरज से बातचीत करना बेहद जरूरी है खास करके उनके बीच इस नए रिश्ते के बारे में उसकी सहानुभूति भी हासिल करना बेहद जरुरी है लेकिन शुरुआत कहां से करें यह उसे समझ में नहीं आ रहा था घर में दोनों अकेले थे। बिलास घर पर लोटेगा भी या नहीं लौटेगा या नक्ती नहीं था। मंगल यही मन में सोचते सोचते खाना खा ली सूरज भी खाना खा चुका था। जैसे ही खाना खा कर सूरज उठने वाला था वैसे ही मंगल बोली,,,,,

सूरज थोड़ा पानी देना तो,,,,( मंगल सूरज से कुछ और बोलना चाहती थी लेकिन हड़बड़ाहट में उसके मुंह से कुछ और निकल गया,,, ऊसे समझ में नहीं आया कि क्या बोले कहां से शुरुआत करें। तब तक सूरज पानी का जग उठा कर जग से मंगल की गिलास को पानी से भरने लगा। सूरज भी बेहद शर्म महसूस कर रहा था इसलिए अपनी मामी से ठीक से नजर भी नहीं मिला पा रहा था वह जल्दी से गिलास में पानी भरकर अपने कमरे की तरफ चला गया,,,,, मंगल भी उसे रोक नहीं पाई और सूरज को अपने कमरे की तरफ जाते हुए बेबस होकर देखती रही लेकिन यह बात उसके लिए बड़ी ही संतोष कारक थी की,, सूरज को इस नए रिश्ते से बिल्कुल भी एतराज नहीं था। उसने अभी तक उससे इस तरह के रिश्ते के बारे में जरा भी बात नहीं किया था और ना ही उसके चेहरे से कुछ ऐसा प्रतीत होता था कि मंगल की हरकत की वजह से वह दुखी है या उसे यह सब अच्छा नहीं लगा तुम कि वह तो चेहरे से बेहद खुश नजर आ रहा था बस उसके अंदर अभी भी शर्म थी जिसकी वजह से वो खुलकर सामने नहीं आ पा रहा था। और कुछ होता भी क्यों नहीं आखिरकार लड़कों को चाहिए भी क्या वह तो दिन रात लड़कियों और औरतों के बारे में ही सोच कर मुठ मारते रहते हैं। ऊनको तो बस लड़कियों और औरतों की बुर से ही मतलब रहता है कि कब मौका मिले और अपना लंड उसमें डाल कर ठंडा हो जाए,,,,,
और सूरज तो मन में यही चाहता था तभी तो जब उसे मौका मिला तो कैसी पागलों की तरह बुर में लंड डालकर बिना रूके एक वहीं रफ्तार से उसे चोद डाला,,,, और तीनों बार ऐसा नहीं लगा कि वह अपनी मामी को चोदने में जरा भी ऐतराज कर रहा हो,,,, बल्कि वह तो जैसे पहले से ही तैयार रहता था तभी तो उसके धोती के अंदर ही उसका लंड पूरी तरह से तना हुआ होता था। वह यही सब सोचकर एकदम मस्त हुए जा रही थी,,,, वो फिर सोचने लगी कि तभी तो रसोई घर में वह प्यार की नजरों से उसे घूर रहा था। और उसे देख देख कर उसके धोती में तंबू बन गया था। मंगल यह सोच कर मन ही मन बहुत खुश होने लगी वह समझ गई थी कि उसे सूरज की तरफ से किसी भी प्रकार का खतरा नहीं है।
वह सूरज को पूरी तरह से अपने हुस्न का दीवाना बना देगी,, वह उसे इतना सुख देगी कि वह कभी भी मामी-भांजे के रिश्ते के बारे में किसी को कुछ भी नहीं कहेगा क्योंकि इसमें भी तो उसका ही फायदा है रोज उसे चोदने को मदमस्त बुर मिलेगी,,, दबा दबा कर पीने को बड़े बड़े दो खरबूजे मिलेंगे,,,
एक बेहद खूबसूरत मदमस्त बदन वाली और अपने प्यार में मस्त कर देने वाली उसे औरत मिलेगी और क्या चाहिए उसे उसकीे तो दसो की दश उंगलियां घी में ही रहेंगी। यह सब बातें सोच कर तो मंगल का खुद का बदन उत्तेजना से गनगना गया। मंगल कुछ देर तक वहीं बैठ कर आगे के प्लान के बारे में सोचती रही और यह सोच कर उठी कि जब वह अपने कमरे में जाएगी तो किसी न किसी बहाने से सूरज को अपने कमरे में बुला लेगी क्योंकि फिर से एक बार मंगल उत्तेजित हो चुकी थी एक बार फिर से ऊसकी बुर में चीटियां रेंगने लगी थी। वह खुशी खुशी जमीन पर से उठी और जल्दी जल्दी साफ सफाई का काम निपटाकर अपने कमरे में पहुंच गई। और जल्दी जल्दी अपने कपड़े बदल कर एक खूबसूरत गाउन पहन कर तैयार हो गई। वह अपने बिस्तर पर बैठ कर कुछ समय बीतने का इंतजार करने लगी।

मंगल आज पहली बार बिलास का इंतजार किए बिना अपने कमरे में आ गई थी। वह सूरज के साथ इतने अंतरंग पल बिता चुकी थी कि उसे बिलास का ख्याल ही नहीं रहा।

वह तो बिलास को बिल्कुल भी भूल चुकी थी उसे याद ही नहीं आ रहा कि उसका पति बिलास भी है उसे तो चारों तरफ बस सूरज ही सूरज नजर आता था। बिलास का ख्याल मन में आते ही उसके चेहरे का रंग फीका पड़ गया उसके रंग में भंग पड़ता नजर आने लगा,,,, वह अपने बिस्तर पर ही बैठी रही। वहां बैठे बैठे मंगल को काफी समय हो गया और जैसे-जैसे समय बीत रहा था उसके चेहरे की रंगत वापस आ रही थी। क्योंकि उसे अब लगने लगा था कि बिलास आज घर नहीं आएगा,,,,,,
दूसरी तरफ सूरज का भी यही हाल था उसकी आंखों से भी नींद कोसों दूर थीे वह भी अपनी मामी के ख्यालों में खोया हुआ था।
मंगल से रहा नहीं गया और वहां बैठकर अपने कमरे से बाहर आ गई वह कुछ देर तक वहीं खड़े होकर सोचने लगी कि वह अपने भांजे के कमरे में जाए या ना जाए,,कहीं वह सो ना गया हो। फीर भी वह कमरे की तरफ चल दी।
 
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मंगल की बुर में गुदगुदी हो रही थी। उसके मन में गुब्बारे फूट रहे थे क्योंकि सूरज का कमरा कुछ ही दूरी पर था और वहां पहुंचते ही वह उसकी बाहों में सिमट जाना चाहती थी उसकी लंबी चौड़ी छातीयों में सो जाना चाहती थी उसके मर्दाना हथियार से अपनी बुर की अंदरूनी दीवारों को पसीज देना चाहती थी। वह बड़े ही उत्सुकता से अपने भांजे की कमरे की तरफ चले जा रही थी। वह चलते हुए अपने भांजे से चुदने के ख्याल से ही मस्त हुए जा रही थी। उसकी बुर की गुलाबी फांके उत्तेजना के मारे कंपकपा रही थी। तकरीबन ११:३० का समय हो रहा था वह पूरी तरह से निश्चिंत हो गई थी कि अब शायद बिलास नहीं आएगा इसलिए वह चुदवासी होकर अपने भांजे के कमरे की तरफ आगे बढ़ रही थी। जब एक औरत काम वीहीन हो जाती है तो वह कुछ भी करने पर उतारू हो जाती है । वासना की चिंगारी सोला का रूप धारण कर चुकी थी। जिसके तपन में मंगल और सूरज दोनों ही तप रहे थे। जो हाल मंगल का था वही हाल सूरज का भी था वह भी अपने कमरे में करवटें बदल रहा था उसके जेहन में बस उसकी मामी ही बसी हुई थी जिसके खूबसूरत बदन की कल्पना करके पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका था और अपने हाथ से ही अपने लंड को हिला रहा था उसके मन में भी ढेर सारे सवाल और जवाब खुद-ब-खुद उमड़ रहे थे। वह इतना तो समझ गया था कि उसकी मामी पूरी तरह से चुदवाती हो चुकी हे तभी तो एक ही दिन में तीन तीन बार अपने ही भांजे के लंड से चुद चुकी थी। वह यह भी जान चुका था कि उसकी मामी बेहद प्यासी औरत है,,, लेकिन यह उसे समझ में नहीं आ रहा था कि पहले वह इस तरह की नहीं थी कुछ दिन में ऐसा क्या हुआ कि वह बदल गई,,,, पहले वह अपने बदन का एक भी अंग खुला नहीं रखती थी बड़े सलीके से कपड़े पहना करती थी लेकिन कुछ दिनों से उसके पहरावे और रहन सहन में भी बदलाव आ चुका था। और यह बदलाव कुछ हद तक सीमित ना रहकर अपना विस्तार फैला चुका था। और यही मर्यादा भंग करने में कारण रूप भी था।
यह सब सोचते हुए सूरज हैरान भी बहुत था और जो उन दोनों के बीच तीन तीन बार घटित चुका था उस बात को लेकर जब उसके सिर से वासना का भुत ऊतरता तो बहुत पछतावा महसूस करता था। उस बात को लेकर उसके अंदर का मर्द दूर-दूर तक नजर नहीं आता था और एक उसके अंदर का भांजा जाग जाता था। यह ख्याल उसके मन में कई बार आया कि वह अपनी मामी को इस बात को लेकर जरुर समझाएगा,,,,
क्योंकि जिसके साथ वह इस तरह के शारीरिक संबंध बना चुका था वह उसकी खुद की मामी थी,,,मामी उसके मां समान थी,
और अपनी मामी के साथ इस तरह के संबंध बनाना पाप की श्रेणी में आता है इस बात का ज्ञात होते ही वह बहुत परेशान हो जाता था और उसके मन में ढेर सारे सवाल पैदा होने लगते थे कि आखिरकार वह उसका भांजा होने के बावजूद भी क्यों अपनी ही मामी के साथ संबंध बनाया यह ख्याल मन में आते ही वह बेहद परेशान और अंदर से टूटने लगता था लेकिन जब उसके जेहन में उसकी मामी की खूबसूरत बदन उसकी मखमली काया का एहसास होता,,,, उसके खूबसूरत बदन के उभार और कटाव की रेखा कृति उसकी आंखों के सामने आती और वह मखमली एहसास जब उसका हथियार उसकी मामी की खूबसूरत और बेहद नरम अंग के अंदर प्रवेश करता और उसके खूबसूरत गोल गोल बड़ी-बड़ी मखमली गद्देदार नितंब जब ऊसकी जांघों से रगड़ खाती तो उसके अंदर का भांजा मरकर एक मर्द जाग जाता था जो कि अपनी मामी को भांजे की नजर से नहीं बल्कि एक मर्द की नजर से उसके अंदर एक औरत को ही ढूंढता रहता था। यह सब ख्याल उसके अंदर से सारे वाद-विवादों को एक तरफ करके जो एक मर्द और औरत के ही रिश्ते को कायम करने की सोचने लगता और यही सब सोचते हुए अपने कमरे में वह अपने लंड को हिला रहा था।
दूसरी तरफ मंगल पूरी तरह से कामातुर होकर अपने पति की गैरहाजिरी में अपने भांजे से चुदने की आतुरता लिए उसके कमरे की तरफ बढ़ रही थी और अगले ही पल वह सूरज के कमरे के बाहर खड़ी थी। उसका दिल जोरो से धड़क रहा था वह अपने भांजे के साथ पूरी तरह से निश्चिंत होकर के अपनी रात रंगीन करना चाहती थी। बुर का इस तरह से कामोत्तेजित हो कर फुदकना उसे अच्छे संकेत लग रहे थे वह पूरी तरह से आश्वस्त थी कि कमरे के अंदर उसका भांजा आज उसको जी भर के रगड़ेगा। जैसा वह चाहती है उसका भांजा वैसा ही उसके साथ करेगा। यही सोचकर धड़कते दिल के साथ वह अपने भांजे के दरवाजे पर दस्तक देने के लिए हाथ उठा रही थी कि तभी दरवाजे की कड़ी बज गई। दरवाजे पर बेल बजते ही वह पूरी तरह से चौंक गई,,,,,,,
उसका हाथ जोकि अपने भांजे के दरवाजे पर दस्तक देने के लिए उठा था वह उठा का उठा ही रह गया,,,,, उसके सारे अरमान बूर के नमकीन पानी में बह गए,,,,,, उसके अंदर ही अंदर बेहद क्रोध की प्रतीति होने लगी। वह समझ गई कि उसका नाश पीटा पति बिलास वापस आ गया है। आज मंगल के मन में ऐसी इच्छा हो रही थी कि वह अपने पति को आज जी भर के गालियां दे लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकती थी बस मन में ही दो चार गाली देकर अपना मन मार कर अपने भांजे के कमरे के बाहर से दरवाजे की तरफ दरवाजा खोलने के लिए जाने लगी जब तक वह दरवाजे पर पहुंचती बिलास बार-बार कड़ी बजाए जा रहा था।

हां हां दरवाजा खोल रहीे हुं इतना बजाने की जरूरत नहीं है। ( वह मन ही मन में बड़बड़ाते हुए दरवाजा खोली,,,, और दरवाजा के खुलते ही बिलास घर में प्रवेश करते हुए बोला।)

इतनी देर लगती है दरवाजा खोलते हुए,,,, कब से मैं कड़ी बजा रहा हूं।

मुझे क्या पता था बस जरा सी आंख लग गई थी। ( मंगल अपने व्यवहार में नरमी लाते हुए बोली।)
आप हाथ मुंह धो कर आ जाइए मैं आपके लिए खाना लगा देती हुं।

कोई जरूरत नहीं है मैं खाना खा चुका हूं और वैसे भी मैं थका हुआ हूं मुझे सोना है। ( इतना कहते हुए वह सीढ़ियां चढ़ने लगा और मंगल वहीं खड़ी होकर अपने पति को जाते हुए देखती रही हो मन ही मन में सोचने लगी कि जो इंसान उसके साथ ठीक से बात भी नहीं कर रहा है वह उसे प्यार क्या खाक करेगा। लेकिन अब उसके लिए बिलास का प्यार कुछ मायने नहीं रखता था एक ही दिन में वह अपने भांजे की दीवानी हो गई थी। क्योंकि आज भले ही यह मौका उसके हाथ से ज्यादा रहा लेकिन अब तो ईस तरह के मौके उसे बार-बार मिलने वाले थे। और उन मौकों का बड़े ही गरम जोशी के साथ स्वागत करने के लिए वह पूरी तरह से तैयार थी।
लेकिन इस समय उसके बदन की गर्मी पूरी तरह से ठंडी हो चुकी थी उसके चुदास पन में तप रहा ऊसका बदन अब उसके पति के ठंडे प्रतिभावं के कारण और इस तरह से आ जाने के कारण,,, ठंडा हो गया था उसका मूड पूरी तरह से खराब हो गया था। वह गर्म आहें भरते हुए एक नजर अपने भांजे के कमरे की तरफ घूम आई और सीढ़ियां चढ़ने लगी।
बिस्तर पर पहुंचते ही वह करवट लेकर एक हाथ गाउन के ऊपर से ही अपने बुर पर रखकर उसे रगड़ते हुए सो गई।

दूसरे दिन खेतों में मंजू से मुलाकात होते ही मंजू इस तरह से उससे लिपट गई जैसे कि बहुत दिन बाद मिली हो,,,
अपने घर पर खाने को ना आने की वजह से वह मंगल से नाराज थी जबकि मंगलने उसे पूरी बात बता भी दी थी।

मंगलतू मेरे घर पर नही आइ मुझे बहुत बुरा लगा।

क्या मंजू तुझे मैं उस दिन बताई थी कि किस तरह से हम लोग बारिश में फंस गए थे।

हां मैं जानती हूं तभी तो मैं बस नाराजगी जाहिर कर रही हूं। वरना मैं तुझ से बात ही नहीं करती।

यार क्या करुं मंजू बरसात ही इतनी तूफानी थी कि मैं ना तो घर वापस लौट सकी और ना ही तेरे घर आ सकी,,,

चल कोई बात नहीं मंगल लेकिन जिस तरह से क्यों तूफानी बारिश में बैलगाड़ी के अंदर फसी हुई थी मुझे तो बड़ा कामुक लग रहा था। सोच एक औरत के लिए कितना मदहोश कर देने वाला मौका होता है जब इस तरह की बारिश हो और वह भी सुनसान जगह पर और कार में केवल एक खूबसूरत औरत (मंगल की तरफ इशारा करते हुए) और एक जवान हो रहा लड़का जिसका हथियार न जाने कितना तगड़ा होगा (हथियार का जिक्र आते ही मंगलकी आंखों के आगे सूरज का लंबा लंड झुलतें हुए नजर आने लगा।) यार मंगल तू पूरा का पूरा फायदा उठा सकती थी तु जरा सोच अगर ऐसे हालात में तेरे और तेरे भांजे के बीच में शारीरिक संबंध बन जाता तोभी दुनिया को कहां पता चलने वाला था कि तुम दोनों के बीच क्या है।
( मंजू की ईस तरह की बाते सुनकर मंगल बड़े असमंजस मे थी। वह समझ में नहीं पा रही थी कि मंजू को क्या जवाब दें क्योंकि जिस तरह की मंजू आशंका जताते हुए उस मौके का फायदा उठाने के लिए उसे बोल रही थी ठीक उसी तरह का भरपूर फायदा उसने उठा चुकी थी और तूफानी बारिश में ही नहीं बल्कि घर पर भी दो बार अपने भांजे से शारीरिक संबंध बना चुकी थी। शर्म के मारे मंगल मंजू से ठीक से नजरें भी नहीं मिला पा रही थी। वह अपनी आंख चुराते हुए अपनी खेतो की तरफ बढ़ने लगी,, और आगे बढ़ते हुए बोली।)

धत्त,,,,, तू एकदम पागल हो गई है।

क्या पागल हो गई हुं, सच तो कह रही हुं ( मंजू भी उसके पीछे पीछे जाते हुए बोली।)

मंजू तू चीज मौके का फायदा उठाने के लिए बोल रही है और किसके साथ बोल रही है तो अच्छी तरह से जानती है कि वह मेरा भांजा है। यह सब जानते हुए भी तो एकदम बेशर्मों की तरह बातें कर रही है।( मंगल अपनी आंखें चुराते हुए बोली।)

अरे क्या बेशर्मों की तरह बातें कर रहीे हुं जो कह रही हूं सच तो कह रही हूं।


तुझे इतना सब कुछ अच्छा लग रहा है तू जो मुझे कह रही है वह तू ही कर ले।( मंगल मंजू की तरफ देखते हुए बोली उसे लगा कि ऐसा कहने पर मंजू शांत हो जाएगी लेकिन ऊसका जवाब सुनकर वहां एक दम से दंग रह गई,,, मंजू मुस्कुराते हुए बोली।)

तो भेज दे अपने भांजे को मेरे पास पूरा मर्द बना दूंगी ( इतना कहने के साथ ही वह मुस्कुराते हुए अपनी खेतो की तरफ चली गई,,, मंगल तो उसे आश्चर्य के साथ जाते हुए वहीं खड़ी देखती रह गई वह उसकी बात सुनकर पूरी तरह से दंग रह गई थी उसे यकीन नहीं हो रहा था कि यह एक औरत की सोच है। मंजू एक औरत होने के बावजूद इतनी गंदी बात कैसे बोल गई उसे समझ में नहीं आ रहा था।

हालांकि वह इतना जरूर जानती थी कि,,, मंजू थोड़ा खुले विचारों वाली औरत है लेकिन इस स्तर से वह बात करेगी यह मंगल को यकीन नहीं हो रहा था। कुछ पल वह खेतो के बाहर खड़ी रही और फिर अंदर चली गई आज उसका मन बिल्कुल भी खेतो में नहीं लग रहा था बार बार उसकी आंखों के सामने अपने भांजे के साथ बिताए वह कामुक पल याद आ रहे थे। रह रह कर वह अपने भांजे के मोटे लंड की रगड़ को अपनी बुर के अंदर महसूस करके उत्तेजित हो जा रही थी। मंजू की बातें उसे अंदर तक हिलाकर रख दी थी।
लेकिन मंजू जो भी कह रही थी वह ठीक ही कह रही थी क्योंकि मंगल भी अच्छी तरह से जानती थी कि इस तरह के संबंध में किसी को पता चले ईस बात की जरा भी गुंजाईस नही होती। मंगल भी अपने रिश्ते को लेकर के थोड़ी बहुत निश्चिंत थी लेकिन फिर भी उसे अपने भांजे को पूरी तरह से विश्वास में लेने के लिए उससे बात करना बहुत जरूरी था।
वह खेतो में बैठे-बैठे यही सोच रही थी कि घर पर पहुंचेगी तो इस बारे में वह सूरज से वह पूरी बात करेगी और उसे विश्वास मे लेगी।

यही सोचकर वहां घर पहुंचते ही जल्दी-जल्दी घर का सारा काम काज कर के,,, और सुबह के साथ मिलकर खाना खाकर,,,, सारे काम निपटा दी,,,,, वह खाना खाते समय ही सूरज से बात करना चाहती थी लेकिन शर्म के मारे एक शब्द भी नहीं बोल पाई। उससे बोला भी नहीं जा रहा था और बात करना भी बेहद जरूरी था। ऐसी इंतजार और इंतजार की कशमकश में दिन गुजरने वाला था सूरज अपने कमरे में आराम कर रहा था और नीचे मंगल अपने भांजे से बात करने के लिए बेचैन हुए जा रही थी। वासना में सोचने लगी कि अगर ऐसे ही वहां अभी भी शर्म करती रहीे तो यूं ही रह जाएगी और कहीं इस नए रिश्ते के बारे में सूरज नादानी में किसी से कुछ कह दिया तो खामखां बदनामी हो जाएगी। इसलिए मन में ठान ली कि आज वह सूरज से बात करके ही रहेगी इसलिए वह सोचेगी सूरज के कमरे में जाकर बात करना ही उचित रहेगा,,,,, बात करने के उद्देश्य से वह सूरज के कमरे की तरफ जाने लगी,,,,
 
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मंगल के मन में अजीब सी हलचल मची हुई थी अपने भांजे से बात करने के बारे में सोच कर ही,,,,, वह बहुत ज्यादा उत्सुक भी थी अपने भांजे से बात करके अपने नए रिश्ते के बारे में सारी रुकावटें और धारणाओं को साफ कर लेना चाहती थी। उसकी इच्छा यही थी कि अपने भांजे के साथ खुलकर आनंद लें और वह भी उसके साथ खुले तौर पर जैसे एक मर्द अपनी प्रेमिका से बर्ताव करते हैं उसी तरह से वह भी बर्ताव करें। इन्हीं सब के बारे में बात करने के लिए अपने भांजे के कमरे की तरफ जाने लगी,,,,, मंगल के मन में वासना का जो बीज अंकुरीत हो रहा था उस पौधे पर अपने भांजे के हांथों से पानी डालने जा रही थी। मंगल के मन में इस बात को लेकर बहुत दुविधा थे कि वह अपने भांजे से इस बारे में बात की शुरुआत केसे करेगी। यही सब सोचते हुए मंगल अपने भांजे के कमरे तक पहुंच गई,,,,, मन में बड़ी हलचल सी मच रही थी क्या कहे क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था दरवाजा बंद था उसे यह नहीं पता था कि अंदर सूरज सो रहा है या जाग रहा है लेकिन फिर भी मन की दुविधा को अपने अंदर उमड़ रही भावनाओं को पंख देने के लिए वह दरवाजे पर दस्तक दी,,, दरवाजे पर खट खट की आवाज से ही सूरज अपने बिस्तर पर से नीचे खड़ा हो गया,,,, वह इतना तो समझ गया था कि दरवाजे पर उसकी मामी खड़ी है क्योंकि घर में उन दोनों के सिवा तीसरा कोई भी नहीं था,, लेकीन यह समझ में नहीं आ रहा था की आखिर ऊसकी मामी क्यों आई है लेकिन तभी उसकी आंखों में चमक आ गई इस बात को लेकर कि शायद उसकी मामी का फिर से मूड बन गया है। वह तुरंत बिस्तर पर से नीचे उतर गया। मंगल दूसरी बार दरवाजे पर दस्तक देती ईससे पहले ही वह दरवाजा खोलते हुए बोला।

क्या बात है मामी आप यहां,,,,,

क्यों आ नहीं सकती क्या,,,,?

नहीं मेरे कहने का यह मतलब नहीं था आप इतने टाइम पर आराम करती हैं इसलिए,,,,,,

हां मुझे तुझसे कुछ जरूरी काम था,,,,,,( मंगल की यह बात सुनते ही सूरज का दिल जोरो से उछलने लगा उसे लगने लगा कि उसकी मामी फिर से उसके साथ चुदवाना चाहती है। इसलिए जानबूझकर बनते हुए वह बोला।)

क्या काम था मामी ,,,,,


अरे सब कुछ यही खड़े-खड़े पूछता रहेगा या मुझे अंदर भी आने देगा,,,

हां हां मामी अंदर आइए ना (इतना कहते हुए वह थोड़ा सा बगल में हो गया और मंगल कमरे के अंदर प्रदेश कि कमरे में मंगल के प्रवेश करते ही मारे खुशी के सूरज ने दरवाजा बंद कर दिया,,,,, ऊसे लगने लगा कि अब फिर से मामी की खूबसूरत रसीली बुर में लंड डालने को मिलेगा,,,, मंगल भी बड़ी मस्ती के साथ अपनी साड़ी के आंचल को हवा में लहराते हुए बिस्तर पर अपनी मद मस्त गांड का सारा वजन रख कर आराम से बैठ गई,,,,,, और सूरज से बोली,,,)

आज तू भी इधर मेरे बगल में बैठ,,,, ( सूरज को तो बस सुनने भर की देरी थी वह तुरंत जाकर अपनी मामी की बगल में बैठ गया,,,, और बोला,,,,,)

क्या बात है मामी आप क्या बात करना चाहती हो,,,,,
( अपने भांजे की इस सवाल पर मंगल हिचकिचा रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था की बात की शुरुआत कैसे करें इसलिए शर्मा कर इधर उधर नजरें घुमा ले रही थी इसलिए यह देखकर सूरजvदुबारा अपनी मामी से बोला,,,।)

क्या हुआ मामी आप क्या बात करना चाहती हैं मुझे बताओ तो,,,,,

सूरज,,,,,, मैं हम दोनों के बीच जो कुछ भी हुआ उस बारे में बात करना चाहती हुं।,,,,

कैसी बात मामी ,,,,,


देख आज तुझे मै अपनी जिंदगी की पूरी सच्चाई बताती हूं,,,
( सूरज अपनी मामी की तरफ ध्यान से देख रहा था वह तो अपनी मामी की खूबसूरती में खोया हुआ था उसका गोऱा रंग लालटेन के उजाले में और भी ज्यादा चमक रहा था। वह बार बार पंखे की हवा में लहरा रही अपनी बालों की लटों को बार-बार अपनी उंगलियों से गोरे गाल पर से हटा दे रहीे थी। जिससे मंगल की यह अदा सूरज के बदन में हलचल मचा दे रही थी।)
सूरज तू मुझे देखकर यही समझता होगा कि मैं बहुत खुश हूं मेरी जिंदगी बड़े अच्छे से गुजर रही है और तेरे मामा मुझे बेहद प्यार करते हैं। ( सूरज अपनी मामी की तरफ बड़े ध्यान से देख रहा था और उसकी बातों को सुन रहा था।) मेरे मुस्कुराते हंसते चेहरे के पीछे कितना दर्द कितना दूख छुपा हुआ है आज मैं तुझे सब बताऊंगी।


मामी तुम्हारी बात का कोई मतलब नहीं समझ पा रहा हूं आप कहना क्या चाहतीे हैं।( सूरज अपनी मामी को बड़े ही आश्चर्य के साथ बोला वाकई में उसे अपनी मामी की बात समझ में नहीं आ रही थी कि आखिर वह कहना क्या चाह रही थी।)

सूरज पहले तो मैं तुझे साफ साफ शब्दों में बता देना चाहती हुं कि तेरे मामा मुझसे बिल्कुल भी प्यार नहीं करते।
( अपनी मामी की यह बात सुनते ही सूरज एकदम आश्चर्यचकित हो गया उसे अपनी मामी के कहे गए शब्दों पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था।)
हां सूरज यह बिल्कुल सच है शुरु शुरु में शादी के बाद तो ३ साल तक उन्होंने मुझसे बेहद प्यार किया लेकिन उसके बाद भी मुझे कोई संतान नहीं हुइ,,, अपना वंश कैसे बढ़ेगा इस बात से चिंतित तेरे मामा ने तेरे मा बाप गुजरने के बाद तुझे यहा पर लेके आ गए में भी तुझे अपने आज बेटे जैसा प्यार करती थी,,,लेकिन तुझे यहां पर लाने बाद जैसे वह मुझ से दूरी रखने लगे। और यह सिलसिला आज तक जारी है।

मामी मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि ऐसा आपके साथ हुआ है और हो रहा है क्योंकि आप को देख कर आप के चेहरे पर मुस्कुराहट देखकर कभी भी ऐसा नहीं लगता कि आप इतना ज्यादा दुखी है।

क्या करूं सूरज झूठी मुस्कान पर दुनिया के सामने अपना दुख छुपा ले जाती हुं लेकिन अब तू बड़ा हो गया है इसलिए तुझे मैं यह सब बता रही हूं। तेरे साथ जो मुझे इस तरह के संबंध की शुरूआत करनी पड़ी इसके पीछे भी यही कारण है।
( सूरज को अपनी मामी की यह बात समझ में नहीं आई वह जानना चाहता था कि उसके साथ इस तरह के संबंध बने हैं उसके पीछे इन हालातो को कैसे जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। ईसलिए वह अपनी मामी से बोला,,,,

मामी मैं कुछ समझा नहीं,,,,,

अब तुझे कैसे समझाऊं मुझे समझ में खुद नहीं आ रहा है कि यह बात मैं तुझसे बोलु या ना बोलु। ( मंगल इधर उधर देखते हुए बोली।)

मामी आप सब अब बता ही रही हो तो यह भी बता दो,,,,


तुझे जरूर बताऊंगी लेकिन तू मेरे बारे में कुछ गलत मत समझना तेरी मामी अभी भी पहले की ही तरह है बस थोड़ा सा प्यार पाना चाहती है। तुझे लाने के बाद तेरे मामा मुझ से शारीरिक संबंध ना के बराबर रखने लगे,,,, शारीरिक संबंध मतलब तेरे मामा मुझे चोदना ही बंद कर दिए,,,, ( चोदना शब्द सुनते ही सूरज के कान के साथ-साथ उसका लंड भी खड़ा हो गया और यह शब्द बोलते हुए और वह भी अपने भांजे के सामने मंगल के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ गई,,,, सूरज आश्चर्य के साथ बोला।)

मामी यह कैसे शब्दों का प्रयोग आप कर रही है।?

क्या करूं सूरज अब यह तुझसे ना कहूं तो किससे कहूं,, मैं अब जानती हूं कि तू बड़ा हो गया है समझदार हो गया है इसलिए तू मेरी इन बातों को जरूर समझेगा,,,,, तू शायद नहीं जानता की औरतों की भी बहुत इच्छा होती है।
( सूरज अपनी मामी के कहने का मतलब अच्छी तरह से जानता था फिर भी अनजान बनता हुआ बोला।)

कैसी इच्छा मामी ?

चुदने की,,ओर कीसकी,,, ( थोड़ा रुककर बोली,,,,, )
मैं कितना तड़प रही हूं इसका एहसास शायद किसी को नहीं होगा एक औरत अपने पति से क्या चाहती है प्यार प्यार और बस प्यार,,,, लेकिन तेरे मामा ने तो मुझसे जैसे मुंह मोड़ लिया हो। मैं रात भर बिस्तर पर करवट बदलती रहती हूं मैं कितने बदनसीब हूं कि तेरे मामा के करीब होने के बावजूद भी मुझे कोई सुख नहीं है। तेरे मामा कभी कबार जब उनका मूड करता है तो मेरे साथ बिना बताए बिना प्यार किए ही चोदने लगते हैं।

( सूरज अपनी मामी के बगल में बिल्कुल सट कर बैठा हुआ था अपनी मामी की बातें सुनकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी जोंकि उसके लंड पर साफ असर कर रही थी।
वह कभी सपने में भी सोच नहीं सकता था कि उसकी मामी उससे इस तरह की बातें करेगी,,,, चोदने चुदने जेसी अश्लील शब्दों का प्रयोग वह बिल्कुल सहज भाव से कर रही थी। सूरज को आप इतना तो समझ में आ रहा था कि उसकी मामी उसके सामने पूरी तरह से खुल चुकी है तो उसे इस तरह से दबे दबे रहने से कोई फायदा नहीं था,,,, इसलिए वह भी अपनी मामी के सामने खुलते हुए बड़ी हिम्मत जुटाकर बोला।)

मुझे तो मामी बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है आप इतनी खूबसूरत है तुम्हारा बदन इतना खूबसूरत है जब दूसरों का मन हो जाता है तो आप तो पूरी तरह से मामा की हो और वह जब चाहे तब आप को चोद सकते हैं तो वह ऐसा क्यों कर रहे हैं।

यही तो मुझे नहीं पता चल रहा है आज कितने बरस बीत गए लेकिन तेरे मामा मुझे ढंग से प्यार नहीं कर सके,,,, और यही कारण है कि मेरा झुकाव तेरी तरफ बढ़ने लगा,,,,

मेरी तरफ,,,, मेरी तरफ क्यों मामी ,,,,,

सूरज इतने से तू समझ तो गया होगा कि मैं कितने वर्षों से प्यासी हूं और वह भी तेरे मामा से चुदने के लिए लेकिन तेरे मामा मेरी प्यास कभी भी बुझाने की जरूरत नहीं समझे,,,
मै दीन रात चुदाई के सपने देखा करती थी,,,,( सूरज अपनी मामी की बातों को सुनकर एकदम चुदवासा हो गया था,,,, धोती में उसका लंड पूरी तरह से तन कर खड़ा हो गया था,,,
जिसे वह बार बार हाथ लगाकर एडजस्ट करने की कोशिश कर रहा था और मंगल की निगाह में उसकी यह हरकत साफ आ रही थी।) मैं बरसों से अपनी प्यास को अपने अंदर दबा कर रखी हूं लेकिन मेरी प्यास उस समय एकदम भड़क गई जब मैं तुझे पहली बार तेरे कमरे में बिल्कुल नंगा खड़ा देखी थी,,,,( अपनी मामी की आवाज सुनकर सूरज एकदम से चौक उठा और बोला,,,)

बिल्कुल नंगा,,,, मुझे और मेरे कमरे में,,,,, कब मामी ,,,,?
( सूरज आश्चर्य के साथ बोला उसकी यह बात सुनकर मंगल मुस्कुराने लगी उसे पता था कि इस रिश्ते को हमेशा कायम रखना है तो दोनों के बीच की दीवार मजबूत होनी चाहिए इसलिए उन दोनों के बीच की सारी ग़लतफ़हमियां की दीवारों को गिराना बहुत जरूरी था इसलिए मुस्कुराते हुए मंगल बोली।)

सूरज जब मैं तुझे पहली बार उस अवस्था में देखी थी तो मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि यह मेरा भांजा है शाम को किचन में मदद कराने के लिए मुझे तेरी जरूरत थी,,,

किचन में मदद कराने के उद्देश्य से मैं तेरे कमरे की तरफ गई कमरे का दरवाजा तो बंद था लेकिन खिड़की हल्की सी खुली हुई थी जिसमे मेरी नज़र पड़ते ही मैं वह देखी जिस पर मुझे कभी विश्वास ही नहीं हो रहा था,,,,

ऐसा क्या देख ली मम्मी,,,,,

अरे बताती हूं थोड़ा सब्र तो कर ले भागी नहीं जा रही,,,( इतना कहने के साथ ही वह थोड़ा आगे की तरफ झुकी जिसकी वजह से उसके कंधे पर से साड़ी का पल्लु नीचे गिर गया या यू कह लो कि उसने जानबूझकर साड़ी के पल्लू को नीचे गिरा दी,,,, जिसकी वजह से ब्लाउज में कैद उसके दोनों कबूतर फड़फड़ाने लगे,,,, बड़ी बड़ी खूबसूरत चूचियां ब्लाउज के बटनों पर अपना सारा वजन डाल चुकी थी,, जिससे बटन टूटने की पूरी की पूरी सक्यता नजर आ. रही थी। चूचियां ऐसी लग रही थी कि मानो पेड़ पर कटहल लटक रहे हो,,,, सूरज की नजर जैसे ही अपनी मामी के ब्लाउज के अंदर झांक रही चुचीयो पर पड़ी उसके मुंह में तो पानी आ गया। वह प्यासी अपनी मामी की चुचियों को ही देखे जा रहा था जो कि मंगल को भी साफ दिखाई दे रहा था और वह अपने भांजे को इस तरह से प्यासी नजरों से अपनी तरफ देखता हुआ पाकर मन ही मन प्रसन्न हो रही थी। वाह जानबूझकर साड़ी के पल्लू को ठीक करने की जरुरत नहीं समझी और इसी तरह से अपनी चूचियों का प्रदर्शन अपने भांजे के सामने करती रही। और अपने होठों पर कामुक मुस्कान लाते हुए बोली,,,)

तेरे बदन पर मात्र लंगोट ही था जोकि आगे से एकदम तंबू बना हुआ था जिसे साफ साफ पता चल रहा था कि तेरा लंड पूरी तरह से खड़ा है। ( लंड शब्द सुनते ही सूरज के बदन में हलचल सी मच गई,,, और साथ ही मंगल की बुर में भी पानी का आवागमन शुरू हो गया। सूरज तो बड़े ध्यान से अपनी मामी की चुचियों को देखते हुए उसकी बातों को सुन रहा था।)
मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था सूरज तेरा तंबू इतना भयानक भी हो सकता है तू ना जाने कसरत कर रहा था कि क्या कर रहा था यह तो मुझे समझ में नहीं आ रहा था।

क्यों मामी,,,?

अरे क्योंकि तेरी हालत कुछ अजीब सी थी तेरा पूरा बदन पसीने से लथपथ था तु बार बार अपने लंगोट में बने उस तंबु को ही देखे जा रहा था। मैं तो तेरे तंबू को देख कर ही अंदाजा लगा लेी कि तेरा लंड कितना बड़ा होगा,,,,( सूरज को अपनी मामी की बातें बेहद मस्ती भरी लग रही थी और उसे याद आ गया कि वह किस दिन की बात कर रही थी,,, वह अपने दोस्तों की बातें सुनकर इस तरह से उत्तेजित हो चुका था क्योंकि वह लोग इसकी मामी के बारे में गंदी बातें कर रहे थे यह उसी दिन की बात थी जिस बारे में मंगल बता रही थी।)
मेरा अंदाजा सही बिल्कुल सही निकला जब तू अपने तंबू को ठीक तरह से देखने के लिए अपने लंगोट को खोलकर नीचे की तरफ सरका कर देखा तो मेरी नजर तेरे लंबे मोटे ताजे और तगडे लंड पर पड़ गई,,,, सच बताऊं तो सूरज मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि इतना लंबा मोटा तेरा लंड है मैं तो देख कर एकदम चौक सी गई,,,, शायद तुझे भी बड़ा अजीब सा लगा था और तू जल्दी से अपने लंगोट को ऊपर चढ़ा लिया। सच यह नजारा ४ से ५ सेकंड का ही था लेकिन इतने भरसे ही मेरा मन एकदम से बदल गया मेरे बदन में पूरी तरह से हलचल होने लगी बार बार मेरी आंखो के सामने तेरा लंबा लंड नजर आने लगा और तेरे लंड के बारे में सोचते ही मेरी बुर हमेशा पानी पानी हो जाती थी।

बुर,,,, ( अपनी मामी के मुंह से यह शब्द सुनते ही सूरज के मुंह से भी यह सब्द अचानक ही निकल पड़ा। )

हां मेरी बुर,,,,,,, जिस मे तू अपना लंड डालकर मुझे चोद रहा था।

ऊसे बुर कहते हैं मामी ( ऊंगली से सूरज अपनी मामी की जांघों के बीच इशारा करते हुए बोला,,, सूरज का इशारा पाते ही उसकी नजर खुद ब खुद अपनी बुर के ऊपर चली गई जो कि वह साड़ी के ऊपर से ही नजर घुमा दी थी और मुस्कुराने लगी। )

हां सूरज इसे ही बुर कहते हैं जिसमें तू अपने लंड को तीन बार डाल कर चोद चुका है और मेरी प्यास को भी बुझाने में मेरी मदद किया है। और मैं यही कहना चाहती हूं कि तू आगे भी मेरी इसी तरह से प्यास बुझाता रहे,,,,, सच बोल सूरज मेरी प्यास हमेशा इसी तरह से बुझाता रहेगा ना,,,,
( इतना कहते हुए मामी अपने भांजे का हाथ पकड़कर अपने हाथ में रख ली,,,)
बोल सूरज बोल तू मेरे साथ सब कुछ वैसा ही करेगा ना जो एक मर्द अपनी औरत के साथ करता है,,( सूरज को तो समझ में नहीं आ रहा था कि वह अपनी मामी के सवाल का क्या जवाब दें उसके हांथो में तो ऊसकी मामी खुद ही अपने बदन की पूरी विरासत थमा रही थी उसके जिस्म की पूरी सियासत सूरज को अपने हाथों से ही सोंप रही थी,,,,भला एक जवान हो रहे लड़के के लिए इस तरह का एक मदमस्त और जवान औरत के आमंत्रण से भला इंकार कैसे हो सकता था। सूरज तो खुद अपनी मामी के प्रति पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था वह खुद अपनी मामी को दिन रात चोदना चाहता था। ईसलिए इंकार करने जैसा कुछ भी नहीं था वह झट से अपनी मामी की ऊंगलियों को अपनी हथेली में कस कर दबाता हुआ बोला,,,,।

हां मामी मैं जरूर करूंगा तुम्हें अब किसी बात की फिक्र नहीं रहेगी,,,,, ( अपने भांजे की यह बात सुनकर वह पूरी तरह से प्रसन्न हो गई और खुश होते हुए बोली।)

मुझे तुझसे ऐसी ही उम्मीद थी सूरज तू ही मेरा सहारा बनेगा तेरे मामा ने मुझे जो खुशियां ना दे पाए वह तु मुझे देगा,,, और सच कहूं तो बैलगाड़ी के अंदर तूफानी बारिश में तेरे मोटे लंबे लंड से चुदने के बाद मैं तो तेरी दीवानी हो गई हूं,,, तुने जो इस तरह से चोद कर मेरा पानी निकाला है मुझे यकीन नहीं हो पा रहा है ऐसा सुख मैंने आज तक कभी भी नहीं भोग पाई,,,, तेरे मामा से भी मुझे इस तरह का सुख कभी भी नहीं मिला क्योंकि तेरे मामा का लंड तेरे से आधा भी नहीं होगा,,,,
(अपनी मामी के मुंह से अपनी तारीफ और अपनी मर्दाना ताकत की तारीफ को सुनकर वो खुश होने लगा,,,)
और एक बात और सूरज तू कभी भी किसी को भी इस रिश्ते के बारे में कुछ भी नहीं कहेगा,,,, मुझसे वादा कर मेरी कसम खा ( इतना कहने के साथ ही वह अपने भांजे के हाथ को अपने सिर पर रख कर उसे कसम खिलाने लगी)

मामी ने क्या तुम्हें पागल लगता हूं कि जो इन सब बातों को किसी और से कहूंगा मैं कभी भी उसका ज़िक्र तक नहीं करूंगा लेकिन अगर मामा को पता चल गया तो,,,,

नहीं पता चलेगा उस मूए को कभी भी नहीं पता चलेगा,,,,,

( इतना कहते हुए मंगल सूरज के एकदम करीब आ गई थी। उसके दिल की धड़कन बढ़ने लगी थी सूरज का भी यही हाल था अपनी मामी के बदन से सटकर उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी खास करके उसका लंड जोकि धोती में पूरी तरह से टन टनाकर खड़ा हो चुका था,,, उसकी हालत खराब हो रही थी जिसे वह बार बार अपना हाथ लगाकर एडजस्ट कर रहा था लेकिन मंगल से देखा नहीं गया और उसने तुरंत उसके धोती के ऊपर से ही लंड पकड़ ली,,, जैसे ही मंगल ने अपने भांजे के लंड को धोती के ऊपर से पकड़ी वैसे ही सूरज के बदन में एक करंट सा दौड़ गया,,,, उत्तेजना के मारे दोनों का गला सूखने लगा मंगल की बुर से तो मलाई टपक रही थी,,,,
वह एकदम से चुदवासी हो चुकी थी,,,, अपनी जवान भांजे को इतने करीब पाकर उससे रहा नहीं गया और वह झट से अपने गुलाबी होठों को उसके हाेठ पर रखकर चूसने लगी,,,, सूरज भी कहां पीछे हटने वाला था वह तुरंत अपनी मामी की चुचियों को ब्लाउज के ऊपर से ही दबाने लगा बिस्तर उन दोनों के घमासान युध्ध के लिए पूरी तरह से तैयार था। सूरज ने तुरंत अपनी मामी के ब्लाउज के बटन को खोल डाला,,,, मंगल जैसे पहले से ही तैयारी कर के आई हो इस तरह से उसने आज ब्रा ही नहीं पहनी थी। इसलिए ब्लाउज के बटन खुलते ही उसके दोनों खरबूजे हवा में उड़ने लगे,,,,
मंगल पूरी तरह से वासना में वशीभूत होकर अपने भांजे के लंड को पजामे के ऊपर से ही दबाए जा रहेी थी। वह अपने भांजे के होठो को चूमते हुए उसे बिस्तर पर लिटाने लगी,,,
दोनों एक बार संभोग सुख प्राप्त करने के लिए अपने आपको तैयार कर चुके थे मंगल का ब्लाउज खुल चुका था और सूरज अपने धोती को खोलकर नीचे की तरफ सरका रहा था।
मंगल एक बार फिर से अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में लेना चाहती थी,,,, इसलिए तो दोनों एक दूसरे के कपड़ों को जल्द से जल्द बदन पर से उतार फैंकना चाहते थे। सूरज अपनी मामी के गुलाबी होठों से अपने होंठ को हटाकर अपनी मामी की बड़ी बड़ी चूचियों को पीने ही जा रहा था कि तभी दरवाजे की कड़ी बजने लगी,,,,

दरवाजे पर बज रही कड़ी की परवाह किए बिना ही सूरज अपना मुंह अपनी मामी की बड़ी बड़ी चूची ऊपर रखकर उसे जोर-जोर से पीने लगा,,,,, मंगल भी एकदम कामोत्तेजित हो चुकी थी वह अपने भांजे को अपनी बाहों में कस कर दबोचते हुए अपने सीने में समा लेने के लिए पूरी कोशिश कर रही थी। सूरज की उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही थी उसका लंड तन कर एकदम खड़ा हो चुका था जोकि ईस समय मंगल अपनी हथेली में दबोच कर उसे जोर जोर से मुठिया रही थी। दोनों उत्तेजना में करो बोर हो चुके थे रह-रहकर दरवाजे पर कड़ी बज रही थी लेकिन दोनों एक दूसरे में खोने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुके थे। मैंने अपनी हथेली में अपने भांजे के लंड की गर्मी को महसूस करके पूरी तरह से गीली हुए जा रही थी दरवाजे पर बज रही कड़ी की परवाह किए बिना ही वह अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी। उसे लगने लगा था कि शायद बिलास वापस घर पर आ चुका है लेकिन इस समय मंगल के साथ साथ सूरज के सर पर भी वासना का चुदास पन पूरी तरह से छा चुका था। सूरजतो अपनी मामी की चुचियों पर ही जैसे टूट पड़ा हो बार-बार कभी दांई चूची को मुंह मे भर कर चुसता तो कभी बांई.
दोनों में से निकल रहे रस को वह गटक जा रहा था,,,,, वह रह रह कर अपनी मामी की निप्पल को दांतो से काट भी ले रहा था जिससे मंगल की सिसकारी निकल जा रही थी और उसे मजा भी बहुत आ रहा था। उसकी गरम सिसकारी पूरे कमरे में गूंज रही थी।

सससससहहहहहह,,,,, आहहहहहहहह,,,, सूरज बस ऐसे ही चूस मेरी चूची को,,,,, बहुत मजा आ रहा है इस तरह से तो कभी तेरे मामा ने भी मेरी चूचियों के साथ मस्ती नहीं किया,,,, उसकी सारी कसर तू पूरी कर दे और जोर जोर से दबा दबा कर पी सारा रस निचोड़ डाल,,,,, आाााहहहहहह,,,, सूरज,,,,
( सूरज तो अपनी मामी की कामुक बातें सुनकर एकदम से उत्तेजना से भर गया और जोर-जोर से अपनी मामी की चुचियों को दबा दबा कर वह पीना शुरु कर दिया। लेकिन उसे दरवाजे पर पहुंच रही कड़ी की आवाज सुनकर डर लगने लगा,, था कि उसके मामा को कहीं पता न चल जाए,,,,, इसलिए वह अपनी मामी की चूची पर से अपना मुंह उठाकर उससे बोला,,,,)

मामी लगता है मामा घर आ गए हैं,,,, अगर ऊन्हे पता चल गया तो,,,,

तू चिंता मत कर उन्हें कुछ भी पता नहीं चलेगा बस तू लगे रे,,,,, ( इतना कहने के साथ ही वह अपने भांजे को बाहों में भर कर अपने ऊपर चढ़ा ली और झट से अपनी टांगो को फैला दी,,,,, पेंटी को तो वह पहले से ही निकाल चुकी थी इसलिए ज्यादा देर ना लगाते हुए,,, अपने भांजे के खड़े लंड के सुपाड़े को अपनी गुलाबी बुर के छेद पर रख दी,,,,, ओर बोली)

बस सूरज अपने पास समय बहुत कम है तु जल्दी से अपने खड़े लंड को मेरी बुर के अंदर उतार कर जोर जोर से चोद,,,,
( सूरज के लिए तो अपनी मामी का यह इशारा ही काफी था उसे काफी तसल्ली मिली थी जब सब कुछ संभाल लेने की बात कही थी इसलिए उसे किसी बात की चिंता फिक्र नहीं थी वह तो अपनी मामी की इजाजत पाते ही,,, अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ाने लगा जैसे जैसे अपनी कमर को आगे बढ़ा रहा था वैसे वैसे उसके लंड का मोटा सुपाड़ा मंगल की पनियाई बुर के अंदर सरकता जा रहा था,,,, जैसे-जैसे मंगल अपनी बुर के अंदर अपने भांजे के लंड के मोटे सुपाड़े को महसूस करती जा रही थी वैसे वैसे उसकी उत्तेजना चरम शिखर पर पहुंचती जा रही थी उसका गला उत्तेजना के मारे सूखने लगा था।
आज चौथी बार वह अपनी बुर में किसी मर्द के लंड का एहसास कर रही थी जो कि अब तक अपने पति बिलास के पतले लंड से चुदकर वह संतुष्ट नहीं हो पाई थी। मंगल तो इतने से ही पूरे पसीने से तरबतर हो चुकी थी। सूरज जैसे अपनी मामी पर टूट ही पड़ा था वह बार-बार अपनी मामी के दोनों खरबूजे को दबाता हुआ उसे मुंह में भरकर टुकड़ों में काट रहा था जिससे मंगलnको भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी जब जब सूरज अपनी मामी की बड़ी बड़ी चूची पर दांत गड़ाकर उसे हल्के से काटता तब तब मंगल के मुंह से गर्म सिसकारी के साथ साथ ऊई मामी जैसे गर्म कर देने वाले शब्द निकल जा रहे थे। माहौल पूरी तरह से कामुक चुका हूं सूरज का लंड उसकी मामी की बुर की गहराई नापने का था वह धड़ाधड़ अंदर बाहर करते हुए अपनी कमर हिला रहा था।
दरवाजे पर बार-बार कड़ी बज रही थी जिसकी फिक्र आप दोनों को बिल्कुल नहीं थी क्योंकि दोनों एक अजीब सी दुनिया में विचरण कर रहे थे। जहां पर विचरण करने का आनंद बड़ा ही अद्भुत और उन्मादक होता है। हर धक्के के साथ मंगल सातवें आसमान पर पहुंच जा रही थी जिस तरह का जबरदस्त प्रहार सूरज कर रहा था इस तरह के प्रहार के लिए वह एकदम तरस रही थी,,, बिलास ने ऐसे घमासान कर रहे जबरदस्त धक़्कों के साथ मंगल की कभी भी चुदाई नहीं किया था। मंगल हैरान थी अपने भांजे की ताकत को देखकर पूरा पलंग चरमरा रहा था। चर्र्र चर्र्र,,,,,, की
आवाज से पूरा कमरा गूंज रहा था।सूरज का लंड पिस्टन की तरह मंगल की बुर के अंदर बाहर हो रहा था। दोनो की सांसे बड़ी तेज चल रही थी,,,, मंगल से तो उसकी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी वह बड़ी तेजी से और गहरी गहरी सांसे ले रही थी जिस वजह से सूरज का मुंह उसकी दोनों गदराई नरम नरम चुचियों के बीच ढक जा रही थी। जिससे सूरज को भी बहुत मजा आ रहा था।

ओहहहहह,,,,,, सूरज बस ऐसे ही जोर जोर से धक्के लगा चोद मुझे,,,,,,,ओहहहह सूरज क्या मस्त चोदता है रे तू, मुझे तो यकीन नहीं आ रहा है कि तू मेरा भांजा है बस ऐसे ही धक्के लगा जोर जोर से धक्के लगा,,,ऊम्ममममममम,,,,, ओहह,,,,


मंगल पूरी तरह से पागल हो चुकी थी चुदाई का ऐसा अद्भुत एहसास उसने कभी भी महसूस नहीं की थी। दरवाजे की कड़ी के साथ साथ,,,, उसकी आवाज की लय के साथ सूरज की कमर भी हील रही थी। अपनी मामी को इस तरह से मदमस्त होकर चुदवाते हुए देखकर सूरज एक दम मस्त हो गया और वह और भी तेज तेज धक्के लगाने लगा।
मदमस्त हो चुकी मंगल ने अपने भांजे से चुदते हुए इस समय कुछ ऐसी हरकत कर दी की इस हरकत पर खुद मंगल भी पूरी तरह से चौंक गई,,,,, ऐसी हरकत उसने आज तक अपने पति से चुदते हुए भी नहीं की थी,,,, आज वह अपने भांजे के जबरदस्त धक्कों का जवाब देते हुए नीचे से अपनी मदमस्त गदराई हुई गांड को ऊपर की तरफ उठा कर खुद धक्के लगाने लगी,,,, दोनों किसी से कम नहीं थे दोनों पलंग पर एक दूसरे को पछाड़ देना चाहते थे इस समय सूरज का कमरा कमरा ना हो कर दो कुश्ती बाजो का अखाड़ा हो चुका था दोनों किसी से कम नहीं थे,,,, एक खेली खाई मदमस्त परिपक्व गजराज हुई जवानी की मालकिन थी तो दूसरी तरफ नए-नए उन्मादों से भरा हुआ जवान लट्ठ,,,, जिसने जवानी का जोश कूट कूट कर भरा हुआ था और वह अपना जोश अपनी मामी को पूरी तरह से दिखा रहा था। मंगल की बड़ी बड़ी भारी भरकम गांड जब ऊपर की तरफ ऊछलती थी तो वह नजारा देख कर किसी की भी सांस अटक जाए,,,,
उन्मादक और अति उत्तेजक नजारा बड़ी किस्मत वालों को देखने और महसूस करने को मिलता है। इस समय वह किस्मत वाला दूसरा कोई नहीं खुद मंगल का भांजा सूरज था। जो अपनी जवानी के रस से अपनी मामी की बुर को भर देना चाहता था।
थोड़ी ही देर में दोनों की सांसे तीव्र गति से चलने लगी दोनों ऐसे लग रहे थे जैसे किसी मैराथन दौड़ की प्रतियोगिता में हिस्सा ले रहे हो और एक दूसरे को पछाड़ देने की होड़ में लगे हुए हो,,,, थोड़ी ही देर में तेज झटकों के साथ ही सूरज का बदन अकड़ने लगा साथ ही मंगल का बदन भी अकड़ना शुरू हो गया,,,, और अगले धक्के के साथ ही सूरज भलभलाकर अपना गरम लावा अपनी मामी की बुर में छोड़ने लगा साथ ही मंगल भी अपना मदन रस बहाने लगी,,,
दोनों एक दूसरे की बाहों में तेज-तेज हांफने लगे,,, थोड़ी देर बाद जब मुझे होश आया तो दरवाजे पर बज रही कड़ी का ख्याल हुआ जल्दी-जल्दी दोनों बिस्तर पर से उठ कर अपने कपड़ों को ठीक कर दिए,,, सूरज को डर लग रहा था वह सोच रहा था कि दरवाजे पर उसके मामा होंगे इसलिए घबरा रहा था लेकिन मंगल ने सारा बहाना तैयार कर ली थी,,,,, उसे मालूम था कि क्या कहना है। दोनों जल्दी जल्दी एक कमरे से बाहर आकर सीढ़ियों से नीचे उतरने लगे लेकिन बेल बजने की आवाज़ अब नहीं आ रही थी,,,,, अब तो मंगल जी घबराने लगे तो समझ में नहीं आ रहा था कि अब क्या होगा अगर बिलास होगा तो आज बहुत बिगड़ेगा,,,,,,,
यही सोचकर उस ने जैसे ही दरवाजा खोला तो सामने देख लिए एक वृद्ध औरत बैठी हुई थी जोकी दूसरी तरफ दीवार को देख रही थी।,,,,, मंगल को समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह औरत कौन है वह और नजदीक जाने लगी तो मंगल के पैरों की चहल कदमी को भांपकर,,, जैसे ही वह औरत मंगल की तरफ नजर घुमाई उसे देखते ही मंगलके चेहरे पर मुस्कान फैल गई,,,,,,, ओर वह चंहकते हुए बोली,,,

मां आप,,,,,,,

हां रे,,,, मैं,,,,, कब से दरवाजे पर कड़ी बजा रही हूं लेकिन तू है कि जैसे घोड़े बेच कर सो रही है,,,,, (इतना कहने के साथ ही वह धीरे-धीरे उठने की कोशिश करके अपना हाथ मंगल की तरफ बढ़ा दी ताकि वह सहारा देकर उठा सके,,,,, और मंगल अभी तुरंत अपनी मां का हाथ पकड़कर उसे सहारा देते हुए उठा दी,,,,,)

मुझे माफ करना मां को क्या है कि मेरे सर में थोड़ा दर्द था इसलिए आंख लग गई तो पता ही नहीं चला,,,,,,( मंगल बहाना बनाते हुए अपनी मां से बोली,,,,)

चल कोई बात नहीं अच्छा यह तो बता कि तुम्हारा नन्हा मुन्ना भांजा सूरज कहां है,,,,,,


अरे मां अब वह नन्ना मुन्ना नहीं रह गया है अब तो पूरा जवान लड़का हो गया है अभी बुलातेी हूं।

सूरज जरा देख तो कौन आया है,,,,,
( सूरज वही घर के अंदर छुप कर बातें सुन रहा था और उन बातों को सुनकर उसे इतना तो पता चल गया था कि उसकी मामी की मार रिश्ते में उसकी नानी जो की घर पर आई है,,, वह जल्दी जल्दी घर के बाहर दरवाजे पर आया और खुश होते हुए अपने संस्कारी होने का प्रमाण पत्र देते हुए अपनी नानी के चरण स्पर्श कर लिया,,,,,)
 

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