Incest गांव का मौसम ( बड़ा प्यारा )

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देख तू सच सच बताओ झूठ मत बोल पूरे गांव में तुझे कौन सी लड़की सबसे अच्छी लगती है,,,

नहीं मामी इन सब बातों पर मेरा कभी ध्यान ही नहीं गया।

हे भगवान तेरे जैसा लड़का तो मैंने आज तक नहीं देखी अच्छा यह तो बता कि तुझे कौन अच्छी लगती है।
( सूरज को अपनी मामी की बातें और उसके बात करने का अंदाज कुछ अलग लग रहा था लेकिन तभी उसे अपने दोस्त की बात याद आ गई उसे भी लगने लगा कि आज उसकी मामी उसके दोस्त की भाभी की तरह ही बात कर रही है जिस तरह से वह बहुत चुदवासी थी हो सकता है उसकी मामी भी चुदवासी हो गई हो,, वरना इस तरह की बातें ना करती सूरज के लिए मौका बड़ा खास था वह मन ही मन सोचने लगा कि जब ऐसी बातें करते हुए उसके दोस्त की भाभी अपने ही देवर को ऊकसा कर उसके साथ चुदाई का सुख प्राप्त की। और आज उसकी मामी थी अपनी बातों से उसे उकसा रही है हो सकता है कि आज उसका भी मन लंड लेने को कर रहा है यही सब सोचकर सूरज इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था वह अपनी मामी की बातों का मतलब धीरे-धीरे समझ रहा था वरना ऐसी मुश्किल घड़ी में भी किसी औरत के चेहरे पर मुस्कुराहट नहीं आती लेकिन जिस तरह से मंगल मुस्कुरा रही थी सूरज को अब लगने लगा था कि इस मुस्कुराहट के पीछे कोई वजह जरुर है। ओर यह वजह शारीरिक सुख से ही संबंधित है। इस बात की शंका सूरज के मन में होते ही उसके बदन में गुदगुदी सी होने लगी।अब वह भी अपनी मामी से दूसरी तरह से ही बातें करना चाहता था क्योंकि उसकी मामी ने ही बोली थी कि आज जो भी उसके मन में हो सब बोल डाले,,,,

क्या हुआ क्या सोच रहा है बता ना तुझे कौन अच्छी लगती है । (अपनी मामी की बात सुनते ही जैसे उसकी तंद्रा भंग हुई हो इस तरह सेकपकाते हुए बोला)

कककक,,, कुछ तो नही,,,,


तो बताना तुझे कौन अच्छी लगती है ।

क्या मामी तुम तो मेरे पीछे ही पड़ गई हो,,,,,,,

अच्छा ठीक है कुछ मत बताओ मैं तुझसे अब कुछ पूछुंगी भी नहीं,,,( मंगल बनावटी गुस्सा बताते हुए बोली।)

लो अब तुम नाराज हो गई मामी मैं कह रहा हूं फिर बताने जैसा नहीं है क्योंकि वह लोग प्यार व्यार की बातें नहीं करते थे वह लोग कुछ और ही बताते थे।

क्या बताते थे वह लोग कैसी बातें करते थे?

क्या बताऊं मामी बताने लायक नहीं है।
( सूरज की यह बात सुनकर मंगल के मन में उत्सुकता जागने लगी उसे लगने लगा कि सूरज कुछ गंदी बातें छुपा रहा है और यही मौका भी अच्छा है उसके मुंह से गंदी बातें उगलवा कर आज की रात हसीन करने का,, मंगल के मन में ढेर सारी भावनाएं उमड़ने लगी वह सूरज से बोली।)

देख तू मुझसे शर्मा मत सब कुछ बोल डाल,,,,,


मामी मुझे बहुत शर्म आती है मैं कैसे बोलूं,,,,,,,

अच्छा तुम मुझे एक बात बता अगर मेरी जगह ऐसे मौके पर ऐसी सुनसान जगह पर और बरसती बारिश में तेरी कोई सहेली होती तो क्या तू उसे नहीं बताताा,,,,,, देख शर्मा मत,,,,

( अपनी मामी की ऐसी बातें सुनकर सूरज को लगने लगा कि आप जरुर उसके साथ कुछ ना कुछ अच्छा होने वाला है,,, वह भी मन ही मन सोचने लगा की जब उसकी मामी खुद ही सब कुछ सुनने के लिए तैयार है तो उसे बोलने में क्या हर्ज है इसलिए वह बोला।)


मामी वह लोग गंदी बातें करते है।,,,,


कैसी गंदी बातें किसके बारे में,,,,( इतना कहने के साथ ही वह बैलगाड़ी में पीछे सरक कर आराम से बैठ गई,,,,)

चूचूचूचू,,, चुदाई के बारे में,,,,,,( सूरज एकदम से डरते हुए बोला आज पहली बार उसके मुंह से यह शब्द बाहर निकले थे मंगल को भी अपने भांजे के मुंह से चुदाई शब्द सुनकर गर्माहट सी फैलने लगी। )

चुदाई के बारे में किस तरह के कैसी बातें जरा खुलकर तो बता मैं पहले ही तुझे बता चुकी हूं कि तू आज मत शर्मा,,, यह समझ ले कि तेरे सामने तेरी सहेली बैठी है और वैसे भी तो मैं तुझे अच्छी लगती हुं ना,, तो यही समझ ले आज यहां पर इस एकांत में तेरे साथ तेरी मामी नहीं बल्कि तेरी सहेली बैठीे है। और अपनी सहेली से शर्माने की कोई जरूरत नहीं है।
( मंगल के मन में पूरी तरह से वासना सवार हो चुकी थी कि मंजू वाली बात उसे अच्छी तरह से याद थी,,,, मंजू बार-बार उसे सूरज की तरफ इशारा करके उससे जवान लंड लेने की बात कर रही थी इसलिए मंगल का मन अपने भांजे के प्रति आकर्षित होने लगा था और ऐसे माहौल में तो उसके बदन में एक अजीब सी उत्सुकता सीे फेल जा रही थी। सूरज भी अपनी मामी की बातें सुनकर बोला।)

चचचच,, चुदाई,,,,, वाली बातें,,,,( सूरज फिर से शर्माते हुए बोला।,, अपनी मामी से इस तरह की बातें करने में उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जिसे वह बार-बार धोती के ऊपर से एडजस्ट कर रहा था और मंगल की नजर उसकी इस हरकत को ध्यान से देख रही थी। )

चुदाई वाली बातें तेरे दोस्त यह सब बातें करत लेकिन किस की चुदाई के बारे में बातें करते हैं

तेरे दोस्त इस तरह की बातें करते हैं। लेकीन कीस की चुदाई की बाते करते हैं । ( मंगल के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी अपने भांजे के मुंह से यह सब सुनकर उसका अंग अंग उन्माद से भरने लगा था। बाहर बारिश अपने जोरों पर अपना जलवा बिखेर रहे थे साथ ही बादलों की गड़गड़ाहट मौसम को और भी ज्यादा भयानक बना रहीे थी,,, लेकिन यह बारिश यह एकांत और बादलों की गड़गड़ाहट बैलगाड़ी के अंदर के माहौल को गर्मी प्रदान कर रही थी। सूरज भी अपनी मामी की बात का जवाब देते हुए बोला,,,,)

मामी वह बहुत गंदी बातें करते थे मैं तो वह बातें सुनकर ही हैरान था कि आखिर वह इस तरह की बातें कर कैसे लेते हैं।


किस तरह की बातें बेटा मुझे भी तो बता,,,,,( मंगल इस बार अपने एक पैर को फैलाकर आराम से बैठ गई लेकिन वह अपने पैर को जानबूझ कर इतना उठाई थी की साड़ी ऊपर की तरफ सरक गई और उसकी पिंडलियां जो कि एकदम गोरी थी वह साफ साफ नजर आने लगी उस पिंडलियों पर सूरज की नजर चली गई,,,, जिसे देख कर उसका लंड ठुनकी लेने लगा,,,,। इस बात का एहसास मंगल को भी है हो गया कि उसकी गोरी पिंडली को देखकर सूरज के बदन में हलचल सी मचनें लगी थी,,, इसलिए वह अपनी हथेली को अपनी पिंडली पर रखकर हल्के हल्के सहलाने लगी जिसे देखकर सूरज बावला होने लगा। और अपने बदन में अपनी मामी की गोरी गोरी पिंडली की गर्माहट को महसूस करते हुए बोला।)

मामी वह लोग एक दूसरे की बहन भाभी की गंदी बातें उनकी चुदाई करने की बातें करके मजा लेते थे,,,, ( मंगल को अपने भांजे की बात सुनते ही उसके बदन में गुदगुदी होने लगी और वह बोली।)

क्या एक दूसरे की बहन भाभी को चोदने की बात करते थे,,,( मंगल चोदने शब्द को कुछ ज्यादा ही भार देकर बोली थी ताकि सूरज के बदन में मस्ती की लहर दौडने़ लगे और वैसा हो भी रहा था सूरज कभी सोचा नहीं था कि उसकी मामी ऐसे शब्दों का प्रयोग करेगी और वह भी उसके ही सामने इसलिए आज पहली बार अपनी मामी के मुंह से चुदाई की बात सुनकर उसके बदन में हलचल सी मचलने लगी थी। सूरज का भी मन खुलने लगा वह मन ही मन सोच रहा था कि जब उसकी मामी इतना खुल सकती है तो वह भी अपनी बात को नमक मिर्च लगाकर क्यों नहीं बता सकता इसलिए वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला इस बार वह अपने अंदर चल रही हलचल को अपने शब्दों में बाहर लाते हुए अपनी मामी से बोला।)

और तो और मामी जब उन लोगों की मैंने यह बात सुनी कि वह लोग अपनी मा को भी गंदी नजर से देखते हैं तो मेरा दिमाग एकदम सन्न हो गया।
( सूरज दोस्तों की मा वाली बात जानबूझकर बोला था ताकि वह अपने लिए रास्ता साफ कर सके और अपने सूरज बेटे के मुंह से दोस्तों की मामी वाली बात सुनकर मंगल भी हैरान थी वह सूरज से बोली।)

क्या वह अपनी मा को गंदी नजर से देखते हैं पर तुझे कैसे मालूम पड़ा क्या बोल रहे थे वह लोग ?

मामी कैसे बताऊं मुझे शर्म आ रही है,,,,

शर्मा मत देख मैं तुझे बता चुकी हूं कि तू मुझे अपनी दोस्त समझ और मुझे सब कुछ बता दे । (इतना कहने के साथ ही वह अपनी पिंडली को खुजलाते खुजलाते एक बहाने से साड़ी को हल्के से और ऊपर उठा दी जिससे मंगल की जांघ का थोड़ा भाग नजर आने लगा। चिकनी गोरी जांघ का थोड़ा सा भाग देख कर सूरज के मन पर बिजलियां दौड़ने लगी,, और वह बोला।)

मामी बोलो ढेर सारी बातें करते थे जब हम लोग गांव में क्रिकेट खेलते रहते हैं और खेलते खेलते बाते करते रहते हैं तो दोस्त आपस में यह वाले ही बातें करते हैं जो कि मुझे साफ साफ सुनाई देती है एक तो अपने दोस्त से बोल रहा था कि,,,,, यार आज तो सुबह-सुबह ही मेरा मूड बन गया और मुझे मुठ मारना पड़ा,,,,
( मंगल तो अपने भांजे के मुंह से मुठ शब्द सुनते ही दंग रह गई और बोली।)

मूड बन गया मतलब कैसे,,,,,?

मामी वह बोल रहा था कि जब वह सुबह उठ कर बाथरूम की तरफ गया तो उसे नहीं मालूम था कि बाथरुम में उसकी भाभी है और वह बाथरूम का दरवाजा हल्का सा खुला ही था कि उसकी भाभी उसे एकदम नंगी बाथरूम में नहाती मिल गई,,, और वह बताने लगा कि उसकी भाभी की बड़ी-बड़ी गांड और उसकी बड़ी बड़ी चूचियां को देखकर उसका लंड टनटनाकर खड़ा हो गया। ( लंड टनटनाकर खड़े होने की बात सुनते ही मंगल की बुर में चीटियां रेंगने लगी। )
और तों और मामी जब उसने कहा कि,,, अगर उसकी भाभी जरा सा इशारा कर देती तो वह बाथरुम में घुसकर अपनी भाभी की बुर में लंड डालकर चोद दीया होता।
( अपने भांजे के मुंह से इस तरह की खूबी बातें सुनकर उसकी बुर उत्तेजना के मारे फुलने पिचकने लगी,,,, आश्चर्य के साथ उसका मुंह खुला का खुला रह गया था। मंगल हैरान होते हुए और साथ ही अपनी गोरी जांघ को हथेली से सहलाते हुए बोली।)
फिर क्या किया उसने,,,


फिर उसने बताया मामी की वह वंही दरवाजे पर ही अपने आप को छुपा कर खड़ा रहा और धीरे से अपने धोती को नीचे कर दिया,,, और वही खड़े खड़े अपनी भाभी को नंगी देखते हुए अपने लंड को हिलाने लगा,,,,, और तब तक हिलाते रहा जब तक कि उसका पानी नहीं निकल गया,,,,,

तुझे कैसे मालूम कि वह पानी निकलते तक हिलाते रहा।
 
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उसी ने तो बताया था।( इतना कहते हुए वह फीर से अपने खड़े लंड को एडजस्ट करने लगा। जो कि अपने भांजे की ईस हरकत को वह चुपके से देख रही थी। )

सूरज तेरे दोस्त तो बहुत ही गंदी बातें करते हैं । क्या वह सब सच में ऐसा करते हैं क्या सच में वह अपनी भाभी को चोदने की ख्वाहिश रखते हैं। ( मंगल गहरी सांसे लेते हुए बोली और गहरी सांस लेने की वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां ऊपर नीचे हो रही थी जोकी सूरज को साफ साफ नजर आ रही थी। )


ख्वाहिश ही नहीं मामी एक दोस्त ने तो यहां तक बताया कि एक रात जब वह अपनी मां के पास सो रहा था तो धीरे-धीरे करके उसने अपनी मां की ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए,,, बटन खोलने के बाद वह धीरे धीरे अपनी मां की चुचियों को दबाने लगा,,,( अपने भांजे के मुंह से यह बात सुनते ही मंगल की बुर से नमकीन पानी रिसने लगा,,, उसकी सांसे तेज चलने लगी।)


फीर क्या हुआ? ( मंगल बड़ी ही उत्सुकता के साथ होली यह सब बातें सूरज जानबूझकर नमक मिर्च लगाकर बोल रहा था जबकि उसके दोस्त ऐसा कुछ किए नहीं थे ,, पर हां बल्कि वह लोग अपनी मां को देखते जरूर थे।)

फिर क्या मामी जब उसने देखा कि उसकी मां के बदन में जरा भी हलचल नहीं हो रहा है तो मैं धीरे-धीरे अपनी मां की साड़ी को ऊपर उठाने लगा। लेकिन उसकी मां सोई नहीं थी जो कि यह बात उसने खुद बताई बहुत याद आ रही थी अपने बेटे की हरकत की वजह से उसकी सांसे तेज चल रही थी। उसे भी मजा आ रहा था।
( यह सब सुनकर मंगल की हालत खराब हुए जा रही थी।)

फीर क्या हुआ ?

उसके बाद उसने अपनी मां की साड़ी को पूरी कमर तक उठा दिया और धीरे-धीरे उसकी पैंटी को नीचे सरका कर अपने लंड को अपनी मां की गांड पर रगड़ने लगा। इतना करने से उसकी मां से रहा नहीं दिया और वह अपना हाथ पीछे ले जाकर अपने बेटे के लंड को पकड़ लि और अपने बुर से सटा दी,,,,

इसके बाद,,,,

इसके बाद क्या मामी उसके बाद तुम अपनी मां का इशारा पाकर वह अपनी मां को रात भर चोदता रहा।
( मंगल की तो सांस उखड़ने लगी उसकी बुर से पानी निकलने लगा वह धीरे-धीरे अपनी साड़ी को आधी जांघ तक सरका दी। और कामोत्तेजित होते हुए बोली।)
इसे तुमारे दोस्त बात करते है,,,
हां मामी सच में वह लोग एसी ही बातें करते हैं।

अच्छा जब वह लोग एक दूसरे की मां के बारे में खुद अपनी मां के बारे में गंदी बातें करते हैं तो वह लोग जरूर मेरे बारे में भी कुछ ना कुछ तो बोले ही होंगे,,,,,
( सूरज समझ गया कि उसकी मामी अपने बारे में भी सुनना चाहती है लेकिन फिर भी वह जान बूझकर ना बताने का नाटक करते हुए बोला।)

नहीं मामी जाने दो ना,,,,,

अरे कैसे जाने दो,,,,, बता तो सही वो लोग मेरे बारे में क्या बताते हैं तुझसे,,,,, क्या सोचते हैं वह लोग मेरे बारे में,,,,,


जाने दो ना मामी क्या करोगे सुनकर वह लोग तुम्हारे बारे में इतनी गंदी बातें बोल रहे थे कि मेरा तो एक बार झगड़ा भी हो चुका था।,,,,

अरे बता तो सही बोलो क्या बोल रहे थे मैं भी तो सुनूं कि मेरे पीठ पीछे लोग क्या क्या मेरे बारे में बोलते हैं और सोचते हैं।
देखो शर्मा मत इतना कुछ बता दिया है तो यह भी बता दे।

मामी मेरे दोस्त मुझे बोल रही थी कि तेरी मामी क्या माल लगती है तेरी मामी की बड़ी बड़ी गांड देख कर हम लोगों का तो लंड ही खड़ा हो जाता है।
( मंगल जानबूझकर अपने मुंह पर हाथ रखते हुए हैरान होने का नाटक करते हुए बोली।)

क्या तेरे दोस्त मेरे बारे में इस तरह की बातें करते हैं।( मंगल हैरान होने का सिर्फ नाटक कर रही थी लेकिन उसे अपने भांजे की यह बात सुनकर बड़ा ही मजा आ रहा था।)

हां मामी वह लोग यह भी कह रहे थे कि अगर तेरी मामी हम लोगों को मौका दे तो तेरी मामी की बूर में सारी रात लंड डालकर सारी रात तेरी मामी की चुदाई करें और तेरी मामी जब चलती है तो क्या मटक मटक कर अपनी गांड मटका तेरी चलती है और तो और,,,, रोज सुबह तेरी मामी को याद करके हम लोगों को मुठ मारकर पानी निकालना पड़ता है।

सूरज तेरे दोस्त तों बड़े ही आवारा कीस्म के हैं,,,, सारे के सारे लगता है ठरकी हैं। सबके मन में कितना गंदा विचार है अपनी भी मां के बारे में और दोस्तों की भी मां भाभीयों के बारे में।


इसलिए तो मामी मुझे ऊन लोगों की दोस्ती पसंद नहीं है।
( कुछ देर तक दोनों के बीच खामोशी छाई रही सूरज के साथ साथ मंगल भी पूरी तरह से कामुक होते जा रही थी सूरज का लंड उसके धोती में जोऱ दिए हुए था,, जिसे बार-बार वह अपने हाथ से एडजस्ट कर रहा था मंगल की भी पैंटी पूरी तरह से गीली होने लगी थी थोड़ी देर बाद वह बोली,,,)

सूरज तेरे सभी दोस्त अपनी मा के बारे में गंदी विचार रखते हैं और वह लोग अपनी मा को चोद भी चुके हैं और चोदना भी चाहते हैं,,


तो अपने दोस्तों की बातें सुन कर तेरे मन में भी तो कुछ कुछ होता होगा,,,, तू भी मुझे गंदी नजर से देखता होगा मेरे बदन पर अपनी नजरें दौड़ाता होगा,,,,, ( जांघों पर हथेली से सहलाते हुए) तू भी मुझे पीछे से देखता होगा जब मैं अपनी गांड मटका के चलती होऊंगी तब,,, तेरी नजर भी मेरी बड़ी बड़ी गांड पर टीकती होगी,,,, सच सच बताना सूरज क्योंकि मुझे नंगी देखा होगा ना।
( अपनी मामी की यह बात सुनकर सुबह में एकदम से तक पका गया उसकी मामी एकदम खुले शब्दों में उस से बातें कर रहे थे क्योंकि सूरज को अच्छी भी लग रही थी लेकिन ईस सवाल पर वह थोड़ा सा घबरा गया। उसे कुछ समझ में नहीं आया कि अपनी मामी के सवाल का वह क्या जवाब दे। मंगल अपने सवाल से अपने भांजे के चेहरे के बदले भाव को देख कर बोली।)
तू घबरा मत मैं तुझसे पहले ही कह चुकी हूं कि आज की रात तुम मुझसे बिल्कुल भी शर्म मत करना तुम मुझसे ऐसे बात करना कि जैसे तू अपनी दोस्त के साथ बात कर रहा हूं तुम मुझे अपना दोस्त समझ और सब कुछ बोल डाल अगर तूने मुझे दूसरी नजरिए से देखा भी है तो मुझे कोई एतराज नहीं होगा और तू कहीं मुझे एकदम नंगी भी देख चुका हे तो भी मैं तुझे कुछ नहीं कहूंगी बस तू मुझे सच सच बता दे तू ने मुझे नंगी देखा है कि नही।

( अपनी मामी की बात सुनकर उसके मन में थोड़ी राहत हुई उसे तो यह सब अच्छा लग रहा था कि आज उसकी मामी बिल्कुल खुले शब्दों में उससे बातें भी कर रही है और लगभग उसका साथ भी दे रही है। सूरज को इससे ज्यादा और क्या चाहिए था वैसे भी सूरज तू अपनी मामी के ख्यालों में खोया रहता था और आज तो उसे भरपूर मौका मिला था और वह भी उसकी मामी उसे साफ साफ शब्दों में सारा भी कर रही थी अगर आज सूरज इस मौके का फायदा नहीं उठाएगा तो शायद ही ऐसा मौका उसे दोबारा मिले वैसे भी बारिश कम होने का नाम नहीं ले रही थी तो यहां से जाने का सवाल ही नहीं होता था बादलों की गड़गड़ाहट से मौसम में एक रोमांच सा भर गया था। सुबह फिर भी एक बार कितना खुलना नहीं चाहता था वह जान बूझकर अपनी मामी से बोला।)

नहीं मामी जैसा तुम समझ रही हो वैसा बिलकुल भी नहीं है।


अरे ऐसे कैसे नहीं है तेरे दोस्त तेरे सामने ही अपनी मामी को चोदने का और एक दूसरे की मां को चोदने की बात करते हैं और मैं जानती हूं इस उमर में लड़कों को यह सब अच्छा भीं लगता है तो मैं कैसे मान लूं कि तेरे दोस्तों की बात सुनने के बाद भी तेरे मन में मेरे प्रति कोई आकर्षण नहीं जगा हो। क्या मैं तुझे अच्छी नहीं लगती हूं कि मेरा बदल इस लायक नहीं है कि तू मुझे पसंद ना कर सके,,, जबकि तू खुद अभी-अभी बोला था कि मैं तुझे बहुत अच्छी लगती हूं।


हां मामी तुम मुझे बहुत अच्छी लगती हो लेकिन,,,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह फिर से शांत हो गया,,,, उसे शांत देखकर मंगल फिर बोली।)

लेकिन क्या,,,,,,,( मंगल धीरे से साड़ी को ऊपर चढ़ाते हुए बोली अब उसकी जांघों का आधे से भी ज्यादा भाग नजर आने लगा था जिस पर नजर पड़ते ही सूरजकी आंखों में चमक नजर आने लगी,,,, और वह बोला।)

मामी अब मैं क्या बताऊं मुझसे कुछ बोला नहीं जा रहा है।

क्या सुनाऊं तू भी औरतों की तरह शर्मा रहा है देखने औरत होने के बावजूद भी कितना बिंदास होकर तुझसे बातें कर रही हुं। क्योंकि आज की रात कुछ खास है देख जो होता है अच्छे के लिए ही होता है हो सकता है यहां रुकना हम दोनों के लिए अच्छा ही हो वरना हम दोनों तो निकले थे गांव में मेले और मंजू के यहां खाने पे लेकिन एकाएक मौसम खराब हो गया बल्कि मौसम कितना साफ था। तु देख धीरे-धीरे कितना समय बीत गया अगर हम लोग इस तरह की बातें नहीं करते तो समय काटना भी बड़ा मुश्किल होता जाता और ऊपर से तूफानी बारिश में डर भी लगता। इसलिए जो बोलना है तो एकदम बिंदास बोल,,,,( अपनी मामी की बात को बड़े ध्यान से सुन रहा था और अपनी मामी के खूबसूरत चेहरे की तरफ देखते हुए वह बोला।)

क्या बोलूं मामी मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि कहां से शुरू करूं,,,,,,

मतलब तू मुझे नंगी देख चुका है,,,,( मंगल अपने भांजे की आंखों में झांकते हुए बोली,,,,, सूरज अपनी मामी की यह बात सुनकर सिर्फ हां में सिर हिलाकर नजरे नीचे झुका लिया अपने भांजे का जवाब सुनकर मंगल के बदन में गुदगुदी सी होने लगी,,,,
एक अजीब प्रकार का रोमांच उसके बदन में फैल गया। मन ही मन में सोचने लगी कि कब देखा होगा सूरज उसे नंगी,,, वो क्या कर रहीे थीे जब उसने उसे नंगी देखा होगा कैसा लगा होगा जब उसने उस के नंगे बदन को देखा होगा क्या उसमें भी उसके दोस्त की ही तरह अपनी मामी को नंगी देखकर अपने लंड को हिलाया होगा क्या उसके मन में भी है भावना जगी होगी कि वह अपनी मामी की चुदाई करें यही सब सोचकर मंगल का बदन उत्तेजना के मारे गनगना गया। उसकी सांसे तेज चलने लगी और सीने में अंदर बाहर हो रही सांसों के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां भी पहाड़ी घाटी की तरह ऊपर नीचे होते हुए कार के अंदर अपने भांजे पर कहर ढा रही थी,,, वह चहकते हुए बोली।)

क्या तूने सच मे मुझे नंगी देखा है कब देखा और कहां देखा मैं क्या कर रहीे थी जब तुने मुझे नंगी देखा था। बता ना देखा बिलकुल भी मत शर्माना इतना कुछ बता दिया है तो यह भी बता दे।
( सूरजको अब इस बात का पूरी तरह से आवास हो चुका था कि आज उसके साथ जरुर कुछ ना कुछ अच्छा ही होने वाला है वह तो अंदर ही अंदर मचल रहा था सब कुछ बताने के लिए बस थोड़ा सा नाटक कर रहा था वह नजरें उठाकर अपनी मामी की आंख में झांकते हुए बोला।)

दो तीन बार देख चुका हूं हालांकि मैं नंगी देखने के उद्देश्य से उस जगह पर नहीं पहुंचा था लेकिन फिर भी देख लिया,,,,

सच कहां कहां देखा था क्या मैं उसमे बिल्कुल नंगी थी क्या कर रही थीे मै,,


बाथरूम में ही देख चुका हूं और एक दिन घर के पीछे वाले भाग मे जब तुम कपड़े धो रहीे थी,,,
( घर के पीछे वाले भाग में देखने के नाम से ही मंगल की बदन में उत्तेजना की तेज बाहर दौड़ने लगी क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि घर के पीछे वाले भाग में जब वह कपड़े धो रहे थे तो एकदम बिंदास होकर अपनी बुर में उंगली डालकर अपने हाथों से अपनी बुर की प्यास बुझा रही थी।)

घर के पीछे वाले भाग में,,,,, तू कहां से देख लिया और क्या करने आया था पीछे?

मामी तुम उस दिन मुझे कहीं भी नजर नहीं आई मैं बस तुम्हें ढूंढते ढूंढते वहां पहुंच गया तो देखा कि तुम एकदम नंगी होकर कपड़े धो रही हो,,,,,

मुझे एकदम नंगी देख कर तुझे कैसा लगा,,,,


मामी अब मैं क्या बताऊं उस दिन पहली बार मैंने तुम्हें नहीं देखा था मुझे तो समझ में ही नहीं आया कि यह क्या हो रहा है मेरा तो दिमाग ही काम करना बंद कर दिया था अब तक मैंने तुम्हें कपड़ों में देखा था कपड़ो में आप काफी खूबसूरत लगती हो लेकिन उस दिन बिना कपड़ों की एकदम नंगी देख कर मुझे पता चला कि आप बेहद और ज्यादा बेहद खूबसूरत हो,,,,,

( अपने भांजे के मुंह से अपने बदन की तारीफ सुनकर मंगल को बहुत अच्छा लग रहा था वह खुश होते हुए बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।)

सच में मैं तुझे बेहद खूबसूरत लगती हूं अच्छा यह बता उस दिन मैं वहां क्या कर रही थी।


तुम कपड़े धो रही थी।

सिर्फ कपड़े धो रही थी या और कुछ भी कर रही थी।

( अपनी मामी की बात सुनकर सूरज समझ गया कि उसकी मामी उसके मुंह से क्या सुनना चाहती है। वह भी कहां पीछे हटने वाला था वह भी उस दिन जोे देखा वह साफ साफ बताया लेकिन थोड़ा घुमा फिरा कर,,,,)

मामी तुम कपड़े धोने के बाद अपने हाथ को नीचे की तरफ ले जा कर जोर जोर से ना जाने क्या कर रही थी मुझे दूर से तो कुछ साफ नहीं दिखाई दिया बस तुम्हारे हाथ की हरकत यह देख रही थी लेकिन यह समझ में नहीं आया कि तुम कर क्या रही हो,,,,,,
( सूरज की बात सुनकर मंगल मुस्कुराने लगी वह समझ गई कि सूरज अभी तक नादान है इसलिए आवाज नहीं समझ पाया कि वह क्या कर रही है इसलिए वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।)

अच्छा यह तो बता कि मुझे एकदम नंगी देख कर तुझे कुछ हुआ था।

पता नहीं मामी तुम्हें ऊस समय एकदम नंगी देखकर मेरे बदन में ना जाने क्या होने लगा पूरे बदन में गर्मी महसूस होने लगी मेरे माथे से पसीने की बूंदें टपकने लगी और,,,,,,,
( इतना कहकर वह चुप हो गया इस तरह से उसने चुप हो जा देख कर मंगल बोली।)

और,,,,, और क्या हुआ तो चुप क्यों हो गया बताना,,,,

मामी मुझे शर्म आ रही है।


अरे तू शर्मा मत जो भी उस दिन तुझे महसूस हुआ सब कुछ बता दे ( इतना कहते हुए जानबूझकर मंगल ने अपने कंधे पर से साड़ी का पल्लू नीचे गिरा दी जिससे उसकी भरी भरी छातियां सूरज की आंखों के सामने फड़फड़ाने लगी।
 
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मंगल ने जैसे ही जानबूझकर अपने साड़ी का पल्लू कंधे से नीचे गिराई उसकी भारी छातियां ब्लाउज में कैद दोनों कबूतरों के साथ फड़फड़ा कर सूरज की आंखों के सामने आ गए। अपनी मामी की बड़ी बड़ी चूचियां को देखकर जो कि अभी भी ब्लाउज में कैद थी,,,, सूरज के मुंह में पानी आ गया और जिस नजरिए से वह अपनी मामी की चूची को देख रहा था यह देख कर मंगल का मन खुशी से झूम उठा वह बड़ी प्यासी नजरों से अपनी मामी की चुचियों को देखे जा रहा था। मंगल भी अपने भांजे की हालत और ज्यादा खराब करते हुए हल्के से अपनी हथेली को अपनी एक चूची पर रखकर उसे सहलाते हुए अपनी जीभ से अपने सुर्ख होठों को गिला करते हुए बोली।

अब बता भी दे कि और क्या हुआ था। ( बैलगाड़ी से बाहर झांकते हुए) देख मौसम भी कितना कामुक होता जा रहा है सूरज की तो हालत खराब हुए जा रहीे थी, आज वह अपनी मामी का एक नया रुप देख रहा था। आज उसकी मामी कामसूत्र की कोई मूरत की तरह लग रही थी। उसके हाव भाव उसके बदन की रूपरेखा एकदम काम देवी की तरह लग रही थी।
सूरज के धोती में उसका टनटनाया हुआ लंड गदर मचाये हुए था। जिसे बार-बार वह हाथ लगा कर बैठ आने की कोशिश कर रहा था मंगल भी अपने भांजे की इस हरकत को काफी देर से गौर कर रही थी। सूरज के लिए भी अब सब कुछ साफ होता नजर आ रहा था जिस तरह से उसकी मामी उसे से जानबुझकर यह सब पूछना चाहती थी उससे बिल्कुल साफ हो गया था कि आज कोई नया अद्भुत अध्याय उसकी जिंदगी की किताब से जुड़ने वाला है। इसलिए वह बोला।


मामी ऐसे तो मैं तुम्हें पता तो नहीं लेकिन तुम इतना जोर दे रही हो तो मैं बता रहा हूं लेकिन इसके बाद तुम मुझ पर गुस्सा मत करना।


नहीं करूंगी तू बता तो,,,,,

मामी घर के पीछे तुम्हें कपड़े धोते हुए देखकर वह भी एक दम नंगी तो मेरी हालत खराब हो गई मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं तुम्हारी बड़ी बड़ी गाड़ और चिकना बदन मेरे दिल की धड़कन बढ़ाता जा रहा था मेरे माथे पर पसीने की बूंदें उपस आई थी। जैसे जैसे तुम्हारे हाथों में कपड़े धोने के लिए हरकत हो रही थी वैसे वैसे तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड बड़ी अजीब सी थिरकन लिेए हुए मटक रही थी।
तुम्हारा वह रुप देख कर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई थी सच कहूं तो मामी इससे पहले मैंने कभी किसी औरत को नंगी देखा ही नहीं था। नंगी औरत कैसी दिखती है मुझे कुछ भी नहीं मालूम था। जिंदगी में पहली बार मैंने किसी औरत को बिना कपड़ो के देखा था तभी तो मेरी सांसे एकदम तेज चलने लगी थी मुझे लेकिन वह समझ में नहीं आया कि जब आप सारे कपड़े धो चुकी थी उसके बाद ना जाने हाथ को इतनी तेजी से कहां रखकर हिला रही थी तुम्हारी पीठ मेरी आंखो के सामने थी इसलिए मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया लेकिन जो भी तुम कर रही थी वह मेरी हालत खराब किए हुए थी तुम्हें देखकर मेरा लंड एकदम टनटनाकर खड़ा हो गया था।( अपने भांजे की गरम बातें सुनकर मंगल की हालत खराब होने लगी उसकी भी सांसे धीरे-धीरे तेज चलने लगी थी। धीरे-धीरे अभी भी अपनी जांघों को फैला रही थी जिस पर बार-बार सूरज की नजर पहुंच जाती थी और उसके बदन में ठंडे मौसम में भी गर्माहट फैल जाती थी। मंगल अपनी एक उंगली को दोनो चुचियों की बीच की गहरी लकीर में हल्के से घुसाते हुए बोली।)


सच! क्या सच में तेरा लंड खड़ा हो गया था जब तेरा लंड खड़ा हो गया तब तूने क्या किया? ( मंगल की जबान एकदम रंडियों की तरह हो गई थी वह अब अपने भांजे से बिल्कुल भी शर्म नहीं कर रही थी और जो भी मुंह में आ रहा था अपने भांजे से बोल दे रही थी। और यही सब बातें मंगल के साथ-साथ सूरज के भी बदन में दबी हुई चिंगारी को भड़काने का काम कर रही थी।)

जब तुम्हें देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया तो मुझे कुछ समझ में नहीं आया कि यह क्या हो रहा है मुझे ऐसा लगने लगा कि जैसे मुझे जोरों से पिशाब लगी है और ना चाहते हुए भी मैंने धोती मेसे अपने लंड को बाहर निकाल लिया।

फिर क्या किया ? (मंगल उत्सुकतावश बोली)

उसके बाद मुझे कुछ समझ में नहीं आया और मैंने झट से अपने लंड को पकड़ लिया और ना जाने क्यों मैं उसे आगे पीछे करके हिलाने लगा ऐसा मैं क्यों कर रहा था यह मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आया लेकिन ऐसा करने में ना जाने मुझे क्यों मजा आ रहा था। जैसे जैसे तुम्हारे हाथ की हरकत बढ़ती जा रही थी वैसे वैसे मेरा हाथ भी जोर जोर से चल रहा था। और कुछ ही देर बाद मेरें लंड मेसे ना जाने कैसा सफेद सफेद पानी बाहर आ गया,,, लेकिन शायद वहां पानी बाहर निकल रहा था तो मुझे ना जाने अजीब प्रकार की सुख की अनुभूति हो रही थी ऐसा अनुभव मैंने इससे पहले कभी नहीं किया था। और मैं वहां से चला गया।
( सूरज भी मंगल की तरह खोलकर अपनी मामी से बातें करने लगा था वो जानबूझकर इतनी गरम गरम शब्दों में उस दिन की बातें बयान कर रहा था यह सब बातें सुनकर मंगल की बुर एकदम गीली हो चुकी थी। वह गर्म सांसे बाहर छोड़ते हुए बोली।)

सूरज तु तो एकदम से छिछोरा हो गया रे तू भी अपने दोस्तों की संगत में ऊन्ही की तरह करने लगा। अब वाकई में तू बहुत बड़ा हो गया है अच्छा यह बता कि बाद में तूने कब देखा मुझे बिना कपड़ों के।


आज ही तो देखा,,,,( इस बार सूरज एकदम बिंदास होकर बोला।)

आज,,,,,,,, आज कब देख लिया तूने ( मंगल के चेहरे के भाव बदल रहे थे।)

अरे आज ही तो देखा,,,,,, जब में मेले में आने के लिए तैयार हो चुका था और मुझे पिशाब लगी तो मैं बाथरुम की तरफ जाने लगा और जैसे ही बाथरूम में पहुंचा तो दरवाजा थोड़ा सा खुला हुआ था लेकिन मुझे क्या मालूम था कि अंदर तुम हो। मैं तो एक बार फिर से तुम को देखकर एकदम दंग रह गया उस दिन की एकदम नंगी थी बाथरूम में आज भी तुम एकदम नंगी होकर नहा रही थी,,,, मामी तुम्हारी खूबसूरती नंगे पैर में और भी ज्यादा निकल कर सामने आती है और तुम्हारी खूबसूरती देखकर तो मेरा मुंह खुला का खुला रह जाता है उस समय भी ऐसा हुआ तुम नहा रही थी और मैं तुम्हें बाथरुम से बाहर खड़ा हो कर देख रहा था और फिर से मेरा लंड टनटनाकर खड़ा हो गया,,,,( सूरज की बात सुनकर मंगल के चेहरे पर कामुक मुस्कान तैरने लगी।)
सच मामी फिर से तुम्हें नंगी देख कर मेरी हालत खराब होने लगी दिल को मैंने थोड़ा दूर से देखा था लेकिन आज लगभग बिल्कुल करीब से देख रहा था तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड पानी मैं भीगी हुई और भी ज्यादा खूबसूरत लग रही थी मैं तो बस देखता ही रह गया। मेरी हालत खराब होने लगी मैं अपने आप को संभाल पाता इससे पहले ही आपने वह नजारा मुझे दिखा दीे कि मैं तो पागल होते होते बचा।


ऐसा क्या तू ने देख लिया और मैंने क्या दिखा
दिया कि तू पागल होते होते बच गया।
 
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पूछो मत मामी कि मैंने क्या देख लिया (अपने लंड को धोती के ऊपर से सहलाते हुए) मैंने पहली बार तुम्हें पेशाब करते हुए देखा मेरी तो सांसे ही अटक गई मुझे यकीन नहीं आ रहा था कि मैं या क्या देख रहा हूं मुझे लगने लगा था कि कहीं मैं सपना तो नहीं देख रहा लेकिन सपना नहीं वह हकीकत था।
तुम जैसे ही बैठकर मौत ना शुरू करें ना जाने कहां से सीटी की आवाज मेरे कानों में गूंजने लगी मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि आवाज कहां से आ रही है बस इतना पता था कि तुम पेशाब कर रही हो मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपने कमरे में जा कर एक बार फिर से अपने लंड को हिलाकर पानी निकाल दिया।

( मंगल तो अपने भांजे की इस बात को सुनकर एकदम हैरान हो गई उत्तेजना और आश्चर्य दोनों के भाव उसके चेहरे पर साफ नजर आ रहे थे। वह इस बात से बिल्कुल हैरान हो चुकी थी कि उसकी पीठ पीछे इतना कुछ हो गया और उसे भनक तक नहीं लगी। उसका भांजा उसे नंगी देख देख कर अपना लंड हिला कर मुठ मारता रहा लेकिन इस बात का उसे जरा भी अंदाजा ही नहीं हुआ। इसका मतलब था कि वह अपने भांजे को अब तक एकदम नादान समझती थी लेकिन उसका भांजा उसकी सोच से एक कदम आगे ही था।)

वाह बेटा तूने तो कमाल कर दिया मुझे तो इस बात की भनक तक नहीं लगी और तू मेरी पीठ पीछे मुझे एकदम नंगी देख देखकर ना जाने कैसे-कैसे ख्याल करके अपना पानी निकालता रहा।

मामी जो कुछ भी हुआ सब अनजाने में हुआ मुझे तो इस बारे में कुछ पता भी नहीं था।

चल कोई बात नहीं मुझे पता है कि यह उम्र ही है ऐसी है अच्छा यह बता कि तूने मेरे बदन का कौन कौन सा हिस्सा देखा है।

लगभग मामी मैंने आपके बदन का हर हिस्सा देख लिया हूं,,,

अरे देख लिया है तो बता तो सही कौन कौन सा हिस्सा देखा है नाम लेकर तो बता (मंगल एक हाथ से धीरे-धीरे अपने ब्लाउज के बटन को खोलते हुए बोली)

मामी सबसे पहले तो मैंने आपकी दोनों बड़ी बड़ी चूचियां को देखा जिसे देख कर मैं एकदम हैरान हो गया और उसके बाद तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड को जिसका मटकना हालत खराब कर देता है।

और क्या देखा तूने,,,,( इतना कहने के साथ ही मंगल ब्लाउज के पहले बटन को खोल चुकी थी जिस पर सूरज की नजरें गड़ी हुई थी।)

बस मामी इसे ज्यादा मैंने और कुछ नहीं देखा,,,,,

क्या इससे ज्यादा तूने और कुछ नहीं देखा और तू कहता है कि मैंने सब कुछ देख लिया,,,, तूने औरतों के सारे अंग को देख लिया लेकिन औरत के मुख्य द्वार को अभी तक नहीं देख पाया,,,,

मुख्य द्वार ये मुख्य द्वार क्या होता है मामी ?( सूरज भोलेपन से बोला।)

तो सच में बुद्धू है अरे मुख्य द्वार मतलब जिसे बूर कहते हैं।
वह तो तूने देखा ही नहीं और तो मुझे कह रहा है कि तूने मुझे पेशाब करते हुए देखा।

हां मामी मैंने सच में तुम्हें पेशाब करते हुए देखा हूं लेकिन तुम्हारी बुर को मेने नहीं देख पाया।

पेशाब करते हुए देखा लेकिन पेशाब कहां से निकलती है तुझे नहीं दिखाई दिया।


नहीं मामी मैं सच कह रहा हूं पेशाब करते हुए देखा लेकिन पेशाब कहां से निकलती है वह मुझे नहीं दिखाई दिया क्योंकि आप बैठी हुई थी तो मुझे ठीक से नहीं दिखा।


पागल जिसमें से पेशाब निकलती है उसे ही बुर कहते हैं। और इसी बुर को पाने के लिए तो दुनिया का हर मर्द तड़पता रहता है तुझे पता है,,,,, अच्छा तु यह बता तूने कभी किसी औरत को चुदवाते या किसी आदमी को चोदते देखा है?

( भीगती तुफानी बारीश मे बैलगाड़ी के अंदर का तापमान एकदम गर्म हो चुका था। दोनों मामी भांजा की गर्म बातों से बैलगाड़ी के अंदर का माहौल एकदम गर्म हो चुका था दोनों कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि आपस में बैठकर इस तरह से गंदी बातें करेंगे और एक दूसरे के अंगों को प्यासी नजरों से देखेंगे लेकिन अब यह एक दम सच हो चुका था तूफानी बारिश में सड़क के किनारे सुनसान जगह पर जंगली झाड़ियों के बीच दोनों मामी भांजे किसी एक नए सफर के लिए निकल चुके थे जिसमें दोनों अपनी वासना का तूफान लिए दरिया को पार करने की पूरी कोशिश कर रहे थे।
गरम बातों की वजह से मंगल की बुर पूरी तरह से पानी हो चुकी थी उसका ब्लाउज का एक बटन खुला हुआ था उसके चेहरे पर कामुकता साफ नजर आ रहीे थीे, यही हाल सूरज का भी था धोती में उसका लंड तूफान मचाए हुए था वह बाहर आने के लिए तड़प रहा था जिसे वह बार बार अपने हाथों से शांत करने की कोशिश कर रहा था लेकिन वह शांत होने की वजह और भी ज्यादा भड़क रहा था। अपनी मामी के कामुकता से भरे इस सवाल का जवाब देते हुए सूरज बोला।)

नही मामी मैंने आज तक ऐसा कुछ भी नहीं देखा,,,


क्या बेटा तू क्या करता है इतना जवान हो कर के भी इस उम्र में तूने अब तो कुछ भी नहीं देख पाया। तुझे पता है एक आदमी अपने लंड को औरत के किस अंग में डालकर उसे चोदता है।
( मंगल के इस सवाल पर सूरज के चेहरे पर पसीने की बूंदे साफ झलतने लगी ऐसे ठंडे मौसम में भी दोनों मामी भांजे के बदन से पसीना टपक रहा था। सूरज अपनी मामी के सवाल का क्या जवाब दे उसके पास कोई जवाब नहीं था क्योंकि उसने आज तक चुदाई नामक कामक्रिडा को देखा ही नहीं था। उसे यह बिल्कुल भी नहीं पता था कि औरत अपनी किस्मत में आदमी की नंगा बुला कर चुदवाती है जो आदमी अपने लंड को औरत की किस अंग में डाल कर चोदता है । इन सब बातों से सूरज बिल्कुल अंजान था उसने बस दोस्तों से सुन रहा था था चोदना चुदाई करना चुदवाना,,,, इन सब का उल्लेख वह शब्दों से ही जानता था। इतना तो उसे पता था कि यह सब करने से औरत और मर्द दोनों को आनंद ही आनंद आता है। लेकिन कैसे करते हैं यह उसे नहीं मालूम था। इसलिए अपनी मामी के सवाल पर वह खामोश ही रहा लेकिन मंगल सूरज की खामोशी को तोड़ते हुए बोली।)

क्या हुआ बता,,,,, तुझे नहीं मालूम है क्या?
 
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( इस बार अपनी मामी की अधनंगी जांघो और ब्लाउज के खुले बटन मैसे आधे से ज्यादा बाहर निकली हुई चूचीयो की तरफ धोती के ऊपर से अपने लंड को मसलता हुआ ना में सिर हिला दिया। और अपनी भांजे का इशारा समझ कर वह मुस्कुराने लगी,,,, अपने भांजे के इशारे पर उसे वह समझ गई कि उसका भांजा वाकई में इस मामले में एकदम बुद्धू है भले ही उसके पास घोड़े के लंड की तरह हथियार है लेकिन उसकी बातों से साफ पता चलता है कि उसने अभी तक अपने लंड को सिर्फ हाथों से हीलाया है उसने अभी तक किसी भी लड़की या औरत की बुर का स्वाद नहीं चखा है। इस बात से वह एकदम प्रसन्न हो गई की उसका भांजा अभी तक एक दम कुंआरा था और मंजू की बात याद आते हीै उसके मन में सतरंगी तरंग बजने लगे कि इस उम्र में जवान लंड से चुदवाने का मजा ही कुछ और होता है.. मंगल के होठो पर कुटिल मुस्कान फैल गई वह अपने भांजे की नादानी देख कर खुशी से गदगद होने लगी। उसे बड़ा अजीब लगा कि इस उम्र में उसका भांजा अभी तक यह नहीं जानता कि लड़के लड़की के किस अंग में लंड डालकर उसे छोड़ते हैं बल्कि उसकी उम्र में तो लड़की ना जाने क्या-क्या कर चुके होते हैं। मंगल अपने भांजे की तरफ देखकर अपनी जवानी का जलवा दिखाते हुए मुस्कुराते हुए बोली।)

क्या सच में तुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम है कि लंड किस अंग में डाल कर चुदाई की जाती है या तो सिर्फ ऐसे ही भोला बन रहा है।

सच मामी मुझे बिल्कुल भी नहीं मालूम मैंने तो अभी तक कुछ देखा ही नहीं तो कैसे बता दूं।( सूरज के बदन मे भी उत्तेजना की लहर पुरी तरह से अपना जाल बिछा चुकी थी इसलिए वह अपनी मामी की आंखों के सामने जो अभी तक लंड को धोती के ऊपर से ही दबा दे रहा था वह अब जान बूझकर मसलने लगा था।यह देखकर मंगल की भी बुर कुलबुलाने लगी थी। उत्तेजना के मारे मंगल का चेहरा लाल लाल हो गया था जोकिं इस समय बेहद कामुक लग रहा था।
वो फिर से अपने सूखे होंठ पर जीभ फिराते हुए बोली।)
क्या सूरज मुझे तो लगता था कि मेरा भांजा जरूर गांव की दो चार लड़कियों को अपनी प्रेमिका बना कर रखा होगा।

( अपनी मामी की बात सुनकर सूरज हंसने लगा और सूरज को इस तरह हंसता हुआ देखकर मंगल बोली।)

क्यों क्या हुआ हंस क्यों रहा है।

अब हंसु नहीं तो क्या करूं मामी मुझे देखकर तुम्हें ऐसा लगता है कि मैं ऐसा कर सकता हूं।

क्यों तुम मर्द नहीं ह?

ऐसी बात नहीं है मम्मी,,,,,

फिर कैसी बात है,,,, हथियार तो बड़ा भारी रखा है,,,, लगता ही नहीं कि इंसान का है।
( सूरज अपनी मामी की यह बात सुनकर उसे एकटक देखने लगा उसे समझ में नहीं आया कि उसकी मामी क्या कह रही है बहुत बड़े ही आश्चर्य के साथ अपनी मामी को देखते हुए बोला।)

क्या मतलब मैं कुछ समझा नहीं,,,,,,


तू सच में एकदम बुद्धू का बुद्धू ही है। इतना भी नहीं समझता। अच्छा क्या तुझे गर्मी महसूस हो रही है। ( मंगल अपने माथे पर से पसीने को पोंछते हुए बोली।)

हां मामी मुझे भी गर्मी महसूस हो रही है देखो मेरे माथे पर भी पसीना ऊपस आया है,,,,।

तुझे मालूम है ऐसी बारिश के मौसम में पूरा वातावरण ठंडा हो जाता है और ऐसे में गर्मी महसूस नहीं होनी चाहिए लेकिन इस गर्मी के महसूस होने का कारण तु शायद नहीं जानता।

क्या कारण है मामी?

हम दोनों जिस तरह की बातें कर रहे हैं यह उन बातों में थोड़ी मस्ती की गर्मी है। तू भी अच्छी तरह से जानता है कि तेरे दोस्त भी इसी तरह की बातें करते हैं। और उनकी बातों को सुनकर तुझे भी मजा आता है सच सच बताना जब तेरे दोस्तों की बातें सुनकर तुझे भी मजा आता था ना। देखो झूठ मत बोलना सब कुछ खुलकर बोले अभी बोल दो आज की रात तेरे और मेरे बीच में शर्म की कोई दीवार नहीं होनी चाहिए मैं तुझसे पहले ही कह चुका हूं कि तुम मुझसे अपना दोस्त अपनी प्रेमिका समझ कर बात कर,,,,,

हां मामी उन लोगों की बातें गंदी जरूर थीै लेकिन मुझे भी मजा आता था।

तो जब वो तेरी मामी के बारे में मतलब कि मेरे बारे में गंदी बातें कर रहे थे तो तो तू ऊनसे झगड़ा क्यों करने लगा,,,,।


तो क्या करता वह लोग तुम्हारे बारे में गंदी गंदी बातें कर रहे थे और ऐसी गंदी गंदी बातें जो कि मैंने कभी सोचा भी नहीं था तो ऐसी बातें सुनकर मुझे गुस्सा आ गया और,,,,, और मैं उन लोगों से झगड़ा कर बैठा।
( अपने भांजे की बात सुनकर मंगल मुस्कुराने लगी और मुस्कुराती भी कैसे नहीं क्योंकि उसे भी अपने लिए उसके दोस्तों से उसका झगड़ा करना अच्छा लगा,,, तभी वह मुस्कुराते हुए अपने ब्लाउज की दूसरे बटन को भी खोलते हुए बोली।)

देख लगता है कि हम दोनों की बातें कुछ ज्यादा ही गर्म होती जा रही है इसलिए मुझे गर्मी कुछ ज्यादा ही लग रही है। ( ऐसा कहते हुए लेकिन मेरा नहीं अपने दूसरे बटन को भी खोल दी दूसरे बटन के खुलते ही उसकी आधे से भी ज्यादा चूचियां ऐसा लग रही थी कि अभी ब्लाउज की बाकी बचे बटन को तोड़कर बाहर आ जाएंगी। सूरज तो यह नजारा देख कर उत्तेजना के परम शिखर पर पहुंच गया उसकी सबसे बड़ी तेजी से चलने लगी और वह अपनी फटी आंखों से अपनी मामी के सीने की गोलाइयों को देखने लगा। सांसों के साथ साथ ऊपर नीचे होती हुई मंगल की चूचीयां किसी समुंदर में तैरते हुए पहाड़ की तरह लग रही थी। मंगल भी अच्छी तरह से जानती थी कि उसके हुस्न का जादू सूरज पर पूरी तरह से छा चुका था। मंगल को अपनी भांजे की हालत पर हंसी आ रही थी आज पहली बार मंगल ऐसे हालात के दौर से गुजर रही थी कि किसी के सामने वह अपने हुस्न का जलवा बिखेरते हुए अपने अंदर दबी हुई चिंगारी को भड़का रही थी। आज वह अपने भांजे के साथ रिश्तो की मर्यादा को तार-तार करने के लिए पूरी तरह से उतारू हो चुकी थी। बरसों की प्यासी मंगल आज हर रिश्ते को भूल जाना चाहती थी । समाज के पन्ने पर लिखे हुए मामी भांजे के रिश्ते को वह वासना के रबड़ से मिटा देना चाहतेी थी। सूरज की सबसे बड़ी तेजी चल रही थी और उसका हाथ उसके लंड पर धोती के ऊपर से ही उसे सहला रहा था वह भी अपनी शर्म को भूल चुका था इसमें उसकी भी कोई गलती नहीं थी हालात ही कुछ ऐसे बन चुके थे कि जिससे नजर. फेर पाना ऊसके बस मे नहीं था और वह कर भी क्या सकता था जिस उम्र के दौर सेवह गुजर रहा था ऐसे मैं अक्सर जवान होते लड़को की नजर ना चाहते हुए भी आपसी रिश्तो के पीछे छुपे खूबसूरत आकर्षण के प्रति आकर्षित हुए बिना नहीं रह पाते।
यही हाल सूरज का भी हो रहा था उसके सामने तो रूप खूबसूरती और कामुक्ता से भरा हुआ एक पतीला पड़ा था जिसमें से वह पेट भरना चाहता था,,, अपनी प्यास को बुझाना चाहता था अपनी भुख मिटाना चाहता था। लेकिन स्वादिष्ट व्यंजन से भरे हुए पतीले में वह हाथ बढ़ाने से डरता था जबकि मंगल तो खुद ही सूरज के सामने परोसी हुई थाली बन कर बैठी थी। मंगल सूरज के आगे हाथ बढ़ाने का इंतजार कर रही थी लेकिन उसकी हालत देखकर वह समझ गई थी कि सूरज से कुछ होने वाला नहीं है जो भी करना है उसे ही करना होगा।
रात गहराती जा रहे थे बादल अभी भी बरस रहे थे और साथ में गरज भी रहे थे दूर-दूर तक खाली बिजली के चमकने की रोशनी नजर आ रही थी सब कुछ वीरान पड़ा था ऐसे में मंगल और सूरज बैलगाड़ी में बैठ कर एक दूसरे के मन को उधेड़ रहे थे। आपसी बातचीत के दौरान दोनों को एक दूसरे को समझने में काफी मदद मिल रही थी। दोनों इतना तो जान ही चुके थे कि इस तूफानी बारिश का दूसरा अध्याय दोनों के लिए कुछ अजीब और अद्भुत लेकर आने वाला है।

मंगल सही मौके का इंतजार कर रहे थे अपनी जिंदगी में जिसने कभी गाली को भी अपने होठों पर नहीं आने दी थी आज वह खुद अपने बदन को अपने भांजे के सामने खोलकर धीरे-धीरे उसे उकसा रही थी। उसकी साड़ी जांघो पर चढ़ी हुई थी ब्लाउज के दोनों बटन खुले हुए थे जिसमें से आधे से भी ज्यादा चुचीयां बाहर को लटकी हुई थी। यह सब देख कर सूरज की हालत संभाले नहीं संभल रही थी वह अपने लंड को धोती के ऊपर से ही मसल रहा था। अपने भांजे को इस तरह से उसकी आंखों के सामने लंड को मसलता हुआ देखकर मंगल की बुर में चीटियां रेंगने रखी थी। वह अपने भांजे के हथियार को अच्छी तरह से अपने हाथों में लेकर देख चुकी थी इसके लिए वह जानती थी कि उसमें कितना दम है बस आजमाना बाकी था। मंगल अच्छी तरह से जानती थी कि उसके एक इशारे पर उसका भांजा उस पर टूट पड़ेगा और बरसों से ना बुझने वाली प्यासा कौ वह अपने लंड से रगड़ कर एकदम तृप्त कर देगा। मंगल अपने आपको अपने भांजे के साथ सांभोगिक मुठभेड़ के लिए पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी लेकिन फिर भी अभी आगे बढऩे मैं थोड़ा सा कतरा रही थी। अभी भी थोड़ी सी झिझक ऊसके अंदर बाकी थीै और वह इस झिझक को बातचीत से खत्म करना चाहती थी।
रात काफी हो चुकी थी रात के तकरीबन १:०० बज चुके थे। बातों की मस्ती में दोनों इस तरह से खोए की समय का ऊन्हे जरा भी पता ही नहीं चला। दोनों की आंखों से नींद कोसों दूर थी दोनों को नींद नहीं आ रही थी। हाथ में घड़ी पर नजर गई तो मंगल के होश उड़ गए कब तीन-चार घंटे बीत गए उसे पता ही नहीं चला। उसे अब इस बात का डर था कि अगर ऐसे ही सिर्फ बातों में ही उलझे रहे तो सुबह हो जाएगी और यह सुनहरा मौका उसके हाथ से निकल जाएगा। बारिश थी कि थमने का नाम ही नहीं ले रही थी। सूरज प्यासी आंखों से अपनी मामी को घूरे जा रहा था ।और उसका यह घूरना मंगल को बेहद आनंद की अनुभूति करा रहा था। मंगल समय को ऐसे गुजरने नहीं देना चाहती थी इसलिए वह हाथ में घडी की तरफ देखते हुए सूरज से बोली।

अरे सूरज देखो तो बातों ही बातों में कब समय गुजर गया इसका पता ही नहीं चला १:०० बज रहा है।

क्या बात कर रही हो मामी सच में १:०० बज रहा है।

हां रे ले तू भी देख ले (सूरज की तरफ घड़ी दीखा़ाते हुए बोली,,, यह घड़ी मंगल की शादी में उसकी बहन ने मंगल को तोफे में दीया था )

हां मामी सच में समय का तो पता ही नहीं चला।

अब तो मंजू की खाने की दावत भी ना जाने कब से खत्म हो चुकी होगी हम लोग गांव के मेले में जा नहीं पाए,,,,, लेकिन सूरज तू सच बताना मेले से ज्यादा मजा तुझे इधर एकांत में मेरे साथ आ रहा है कि नहीं।

हां मामी तुम सच कह रही हो मेले से ज्यादा मजा इधर आ रहा है,,,
(सूरज अपनी मामी की चुचियों की तरफ देखता हुआ बोला)

तु शायद नहीं जानता कि मैं तुझसे ऐसी बातें क्यों कर रही हूं मेरे अंदर यह सब बरसों से दबा हुआ है मैं यह सब बातें तेरे मामा से करना चाहती थी और एक पति भी अपनी पत्नी से इसी तरह की बातें करता है मस्ती करता है लेकिन तेरे मामा को मुझ पर ध्यान ही नहीं देते (इतना कहते हुए मंगल में थोड़ा सा अपने घुटनों को मोडी जिससे उसकी साडी पूरी तरह से उसकी कमर तक चल गई और उसकी लाल रंग की पैंटी नजर आने लगी सूरज की नजर सीधे अपनी मामी की पैंटी पर चली गई और वह अपने मामी की लाल पेंटिं को देखे कर एकदम से उत्तेजना का अनुभव करने लगा और उसकी सांसे तेज चलने लगी उसका हाथ अपने आप धोती के ऊपर से लंड को जोर-जोर से मसलने लगा,,,, यह तो बड़ा ही काम उत्तेजना से भरपूर नजारा था और एक जवान होते लड़के के लिए यह तो बेहद ही कामोत्तेजना और रोमांच से भरा हुआ नजारा था। मंगल को भी आवास हो गया कि उसका भांजा उसकी पेंटिं को देखकर एकद
उत्तेजित हो चुका है लेकिन वह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोली।)
 
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सूरज तू नहीं जानता कि तेरे मामा मुझसे हमेशा कटे कटे से रहते हैं मुझसे ठीक से बात भी नहीं करते इसलिए मैं हमेशा अपने दुखों को छुपा कर अपने चेहरे पर बनावटी हंसी लाकर दुनिया के सामने रहती हूं।

क्या बात कर रही हो मामी क्या मामा तुमसे प्यार नहीं करते?

अगर करते होते तो क्या मुझे तुझसे इस तरह की बातें करने की जरूरत पड़ती ( इतना कहते हुए उसने इस बार अपनी हथेली को अपनी पैंटी पर रखकर हल्के हल्के से सहलाने लगी यह नजारा देखकर सूरज से बिल्कुल भी रहा नहीं गया और वह गर्म आहें भरते हुए इस बात ना चाहते हुए भी धोती के ऊपर से ही अपने लंड को मुट्ठी में भर लिया और यह देखकर मंगल झट से बोली।)

क्या बात है बेटा मैं काफी देर से देख रही हुं कि तू बार बार अपना हाथ अपने लंड पर रख दे रहा है तुझे अभी भी आराम नहीं मिला है क्या?

( अपनी मामी के मुंह से लंड शब्द सुनकर उसका लंड और भी ज्यादा टनटना गया। लेकिन वह बहाना बनाते हुए बोला।)

नहीं ऐसा कुछ भी नहीं है मामी मुझे जोरों से पेशाब लगी है।

अरे तो फिर इतनी देर से तु रोका क्यों है कर क्यों नहीं लिया।


रुको मामी में करके आता हूं।
( अपने भांजे की बात सुनते ही देखें उसके दिमाग की बत्ती जली हो और उसने तुरंत अपने भांजे को रोकते हुए बोली।)

रुक जा बेटा बैलगाड़ी से नीचे मत ज ऐसी तूफानी बारिश में इस जंगल झाड़ी में सांप बिच्छू के होने का खतरा बना रहता है।

तो मैं पेशाब केसे करूंगा मामी,,,,

रुक जा में बैलगाड़ी के पड़दे थोड़ा खोल देती हुं तु यहीं से पेशाब कर ले,,,,


ऐसे में मामी तुम्हारे सामने में कैसे कर सकता हूं।

अरे पागल अब मुझसे शर्माने की क्या जरूरत है रुक जा में पड़दा खोल कर देती हूं।( इतना कहने के साथ ही मंगल अपने भांजे के करीब आ गई और वहां से पड़दे को खोलने लगी,,,)

ले अब कर ले,,,,

( सूरज की हालत खराब हुए जा रही थी उसे सच में पेशाब लगी थी उसका लंड पूरी तरह से धोती के अंदर खड़ा था और ऐसे मैं उसे अपनी मामी के सामने पेशाब करने में शर्म आ रही थी। मंगल अपने भांजे की स्थिति को अच्छी तरह से समझ गई और वह बोली।)

अच्छा रुक जा मैं जानती हूं तू मेरे सामने शर्मा रहा है,,, मैं ही तेरे लंड को तेरे धोती से बाहर निकाल देती हूं उसके बाद तो पेशाब कर लेना,,,,
( सूरज कुछ सोच पाता इससे पहले ही मंगल झट से उसके धोती की गांठ खोलने लगी मंगल के बगल में झुनझुनी सी फेल जा रही थी जब वह अपने भांजे के धोती में बने तंबू को देख रही थी। मंगल आज वासना के वशीभूत होकर वह भी करने को तैयार हो गई थी जो कि उसने आज तक अपनी पती के साथ भी नहीं की थी इस तरह से वह अपने पति की धोती को नहीं खोली थी। अगले ही पल मंगल ने अपने भांजे की धोती को खोलकर जांगो तक सरकादी और लंगोट को भी खोलकर नीचे सरका दि,, जेसे ही उसका खड़ा लंड लंगोट के बाहर आया तो वह हवा में झूलने लगा जिसे देखकर मंगल की बुर उत्तेजना के मारे फूलने पिचकने लगी। वह आंख फाड़े अपने भांजे के लंड को ही देखे जा रही थी,,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें अपने भांजे के लंड के मोटे सुपाड़े को देखकर उसका मन एकदम से ललच रहा था। उसके जी में तो आ रहा था कि वह अपने भांजे के लंड को मुंह में भरकर गन्ने की तरह चूस डाले,,,,,, तभी मंगल की नजर अपने भांजे की नजर से टकराई तो वह बेशर्मों की तरह अपने भांजे की आंख से आंख मिला कर देखने लगी,,,, सूरज भी अपनी मामी की नजर में वासना का उठा हुआ तूफान देख रहा था जिसके अंदर वह खुद को डूबता हुआ नजर आ रहा था सूरज की हालत एकदम खराब हो रही थी अजब सा माहौल बना हुआ था तूफानी बारिश ठंडा मौसम उसके बावजूद भी बैलगाड़ी के अंदर का तापमान एकदम गर्म था। उत्तेजना के मारे मंगल का गला सूख रहा था उसका चेहरा लाल सुर्ख हो चुका था वह अपने भांजे के लंड को अपने हथेली में पकड़ कर ना चाहते हुए भी ऊपर नीचे कर के हिलाते हुए बोली,,,,

देख मैं ना कहती थी कि तेरा हथियार देख कर लगता ही नहीं कि इंसान का हथियार है।( सूरज अपनी मामी की बात सुनकर एकदम खामोश था और कह भी क्या सकता था और मंगल सूरज के लंड को पकड़ कर बैलगाड़ी की खिड़की से थोड़ा सा बाहर निकाल कर बोली,,,)

अब ले मूत ले,,,,,,,

मंगल का इतना कहना था कि सूरज के लंड से पेशाब की पिचकारी निकलने लगी जो की बड़ी तेज रफ्तार से निकल रही थी। सूरज के लंड को मंगल अभी भी अपनी हथेली में कस के पकड़े हुए थी। सूरज की उत्तेजना का ठिकाना ना था उसे इस पल बेहद आनंद के अनुभूति हो रही थी वह कभी सोच भी नहीं सकता था कि उसकी जिंदगी में ऐसा भी पल आएगा। मंगल को बस एक टक अपने भांजे के लंड को और उसमें से निकलती तेजधार को देखे जा रही थी। सूरज पेशाब बैलगाड़ी के बाहर कर रहा था लेकिन गिली उसकी बुर हो रही थी। मंगल भी ईससे पहले किसी मर्द को पेशाब करते हुए नहीं देखी थी। मंगल से रहा नहीं गया तो वह एक हाथ से पेंटी के ऊपर से अपनी बुर को मसलने लगी जो कि काफी गीली हो चुकी थी। मंगल की पल-पल हालत खराब होती जा रही थी और कुछ ही देर में सूरज एकदम हल्का हो गया लेकिन उसके लंड का तनाव एकदम बरकरार था।
बैलगाड़ी के अंदर का माहौल अब पूरी तरह से गरम हो चुका था सूरज पेशाब कर चुका था लेकिन उसे धोती पहनने की शुध बिल्कुल भी नहीं थी,,,, ज्यों का त्यों वह अपनी मामी की आंखों में देखता हुआ वहीं बैठ गया,,,, उसका लंड पूरी तरह से खड़ा था जो कि अभी भी मंगल के ही हाथ में था मंगल भी नहीं चाहती थी कि सूरज धोती पहनकर इस अद्भुत नजारे पर पर्दा गिरा दे। मंगल को भी पेशाब का अनुभव होने लगा उसे भी जोरों की पेशाब आई थी। वह अपने भांजे के लंड को हाथ में लिए हुए ही सोचने लगी कि,,,, यही सही मौका है उसे अपने भांजे को अपनी बुर दिखाने का है जिसे उसने आज तक नहीं देख पाया था। वह मन ही मन पूरी तरह से अपने मन में यह धारणा बना ली थी कि वह अपनी रसीली बुर अपने भांजे को दिखा कर उसे संभोग के लिए उत्तेजित और उत्साहित कर लेगी,,, उसे अपनी इस धारणा पर पक्का विश्वास था कि उसका भांजा उसकी चिकनी रसीली बुर को देखे
गा तो जरुर ऊसे चोदने के लिए तड़प ऊठेगा।
 
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मंगल के हाथ में अभी भी उसके भांजे का टनटनाया हुआ लंड था जिसे वह रह रह कर आगे पीछे कर के हिला दे रही थी। सूरज के चेहरे पर उत्तेजना की आवाज साफ नजर आ रही थी उसका मुंह खुला हुआ था और वह जोर जोर से सांसे ले रहा था हल्के होने के बावजूद भी उसके बदन में भारी-भारी सी गुदगुदी सी हो रही थी उसे उम्मीद नहीं थी कि आज की रात उसके साथ कुछ ऐसा होगा,,,,, सूरज अपनी मामी की आंखों में देख रहा था और उसकी आंखों में वासना का समंदर साफ नजर आ रहा था उसे अपनी मामी की कही गई बात याद आने लगी थी आज हम लोग कार में ही मेला मनाएंगे,,,,, मंगल का दहकता बदन सूरज पर सोने बरसा रहा था उसकी अधनंगी आधी चूचियां किसी जीते-जागते बंम से कम नहीं थी जो कि कभी भी सूरज के सीने पर फट सकती थी। मंगल की हथेली में सूरज का गरम लंड और भी ज्यादा टाइट हो चुका था मंगल को सूरज के लंड का सुपाड़ा किसी हथौड़े की तरह ही मजबूत लग रहा था वह मन ही मन उस सुपाड़े को अपने बुर की दीवारों पर रगड़ता हुआ महसूस कर रही थी। मंगल के बर्तन में उत्तेजना और वासना पूरी तरह से सवार हो चुका था वह धीरे-धीरे अब अपने भांजे के लंड को मुठीयाना शुरु कर दी जिसमें सूरज को भी बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी। अब तो मंगल के लिए भी पीछे हट पाना बड़ा मुश्किल था बरसों से प्यासी बदन में चुदास से भरी हुई चिंगारी,, धीरे धीरे भड़क रही थी।
मंगल सूरज के खड़े लंड को मुठीयाते हुए बोली,,,

सूरज लगता है कि तुझे काफी देर से पेशाब लगी थी लेकिन तूने अब तक किया क्यों नहीं,,,,

क्या करता मामी पेशाब करने गया था बाथरूम में लेकिन वहां तुम एकदम नंगी होकर नहा रही थी तो मेरी पेशाब ही बंद हो गई।
( सूरज की बात सुनते ही मंगल को हंसी आ गई और हंसते हुए बोली।)

क्या सूरज इस तरह से कोई अपनी पेशाब रोकता है अरे चले आना चाहिए था ना बाथरूम में,,,, जैसे अभी मेरे सामने पेशाब कर रहा है वैसे उधर भी कर लिया होता।
तुझे पेशाब करता हुआ देखकर मुझे भी पेशाब लग गई। अब क्या करूं कैसे करूं मैं भी बैलगाड़ी के नीचे नहीं जा सकती नीचे पानी पानी होगा और घास झाड़ियों में जंगली जानवरों के होने का खतरा बना ही रहता है और बारिश भी बहुत तेज हो रही है। ( मंगल जान बुझकर इस तरह से बोल रही थी क्योंकि वह सूरज के मन की बात जानना चाहती थीे ।वह देखना चाहती थी कि सूरज क्या कहता है। लेकिन सूरज क्या कहता वह तो खुद ही अचंबित हो चुका था अपनी मामी के मुंह से पेशाब लगने की बात सुनकर। उत्तेजना के मारे मंगल के हाथ में ही उसका लंड ठुनकी लेने लगा,,, मंगल अबी भी सूरज की तरफ सवालिया नजरों से देख रही थी। सूरज यही चाहता था कि उसकी मामी उसकी आंखों के सामने ही पेशाब करें वह फिर से आज बाथरूम वाले नजारे को एकदम नजदीक से देखना चाहता था। इसलिए वह अपनी मामी से बोला।

मामी तुम भी यही कर लो,,,,,


यहां पर लेकिन मैं कैसे कर सकती हूं तू तो लड़का है कहीं से भी खड़ा होकर कर लेगा लेकिन मैं,,,,,

तो क्या हुआ मामी तुम भी मेरी तरह बैलगाड़ी में घुटने के बल बैठ कर बाहर की तरफ कर लो,,,,,

तू ठीक कह रहा है,,,, ( इतना कहने के साथ ही मंगल बैलगाड़ी की लकड़ी पर थोड़ा सा पाव को ऊपर की तरफ रख कर,,,, अपनी कमर को बैलगाड़ी की खिड़की की तरफ़ थोड़ा सा आगे बढ़ा ली,,,,, सूरज तो एकदम खुश हो गया और अपनी मामी के इस फैसले पर उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी उसके दिल की धड़कन तेज होने लगी,,,, उसे लगने लगा कि आज वह है जो अभी तक नहीं देख पाया आज उस अंग को देख लेगा और वह भी एक दम करीब से,,, मंगल भी होशियार थी वह एक हाथ बाजू में लकड़ी पर रखकर और दूसरे हाथ से नीचे की लकड़ी को पकड़ ली और ऐसा जताने लगी की वह सहारा लेकर खड़ी है और बाजूमे और नीचे लकड़ी पर से अपने हाथ को हटा नहीं सकती। सूरज ठीक अपनी मामी के पीछे ही था और अपनी मामी की हरकत को देख रहा था उसकी साड़ी घुटनों तक चढ़ी हुई थी और मंगल की बड़ी बड़ी गांड साड़ी में होने के बावजूद भी सूरज के ऊपर कहर बरसा रही थी वह फटी आंखों से अपनी मामी को देखे जा रहा था। तभी मंगल पीछे की तरफ नजर घुमाकर सूरज से बोली।

सूरज मैं अपनी साड़ी ऊपर नहीं कर सकती क्योंकि मैं दोनों हाथों से टेका ली हुई हूं। तू खुद ही मेरी साड़ी को ऊपर चढ़ा कर मेरी मदद कर दे।

इतना सुनते ही सूरज की तो सांसे ऊपर नीचे हो गई उसकी मामी जो करने को कह रही थी उसे करने के लिए दुनिया का कोई भी मर्द तुरंत तैयार हो जाए यहां तो मंगल खुद अपने भांजे से कह रहे थे जो कि वह अपनी मामी की खूबसूरत बदन से पूरी तरह से आकर्षित हो चुका था। उसका दिल जोरो से धड़कने लगा वह कभी सोच नहीं सकता था कि उसकी मामी उससे ऐसा कुछ कराएगी,,,, वह तोें अपनी मामी की साड़ी ऊपर उठाने के लिए पहले से ही तैयार बैठा था,, बस अपनी मामी के इशारे का इंतजार कर रहा था। इशारा मिलते ही उसने तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर दोनों छोर से साड़ी को पकड़ लिया और धीरे-धीरे उपर की तरफ उठाने लगा,,,, जैसे-जैसे साड़ी ऊपर की तरफ उठ रही थी वैसे वैसे मंगल की नंगी जांघ चमक उठ रही थी,,,, सूरज की हालत खराब हुए जा रही थी उसके लंड की ऐंठन बढ़ती जा रही थी मंगल भी बराबर नजर घुमाकर अपनी भांजे की हरकत को देख रही थी।
धीरे-धीरे करके आखिरकार सूरज ने अपनी मामी की साड़ी को कमर तक उठा ही दिया,,,, मंगल की बड़ी-बड़ी और विशाल अवतार गांड लाल पैंटी में लिपटी हुई सूरज की आंखों के सामने लपलपा रही थी उसे छल रही थी अपनी मायाजाल में और सूरज अपनी मामी के नितंबों के माया जाल में फंसता चला जा रहा था और फंसता भी कैसे नहीं इस मायाजाल से आज तक कोई भी मर्द बच नहीं पाया तो सूरज क्या चीज है। सूरज अपनी मामी के नितंबों को फटी आंखो से देखे जा रहा था और उसकी मामी भी नजरें घुमा कर अपने भांजे की हालत को देख कर मन ही मन मुस्करा रही थी। सूरज कुछ समझ पाता इससे पहले ही उसकी मामी बोली,,,

बेटा मैं अपने हाथों से अपनी पेंटिं नहीं निकाल पाऊंगी तू खुद ही मेरी पैंटी को नीचे कर दे,,,,,

( सूरज को तो मुंह मांगी मुराद मिल रही थी उसने तुरंत अपने कांपते हाथों को आगे बढ़ाकर अपनी उंगलियों को पैंटी के दोनों छोर पर फसा लिया और धीरे-धीरे पैंटी को नीचे सरकाने लगा,,,, जैसे जैसे सूरज अपने कांपते हाथों से पेंटिं को नीचे सरका रहा था वैसे वेसे वह नंगी होती चली जा रही थी। और अगले ही पल सूरज ने अपनी मामी की पैंटी को खींच कर नीचे जांघो तक कर दिया। अब सूरज की आंखों के सामने उसकी मामी की नंगी गांड कार की लालटेन की रोशनी में चमक रही थी। वह अपनी नजर उठा कर अपनी मामी की तरफ देखा तो उसकी मामी उसे धन्यवाद देते हुए बोली।

धन्यवाद बेटा मदद करने के लिए ( और इतना कहने के साथ ही वह छल छला कर पेशाब करने लगी,,, बुर से पेशाब की धार निकलते ही उसमें से सीटी की आवाज आने लगी और उसकी आवाज सूरज के कानों में पड़ते ही वह बेचैन हो गया
वह एकदम तड़प उठा और अपने आप ही वह थोड़ा सा आगे आकर अपनी मामी की बुर से निकलती पेशाब की धार को देखने लगा,,,,ऊफ्फ्फ्फ,,,,,, यह नजारा देखकर सूरज के मुंह से गर्म आह निकलने लगी वह कभी सोच भी नहीं सकता था कि ऐसा अद्भुत नजारा वो कभी इतने करीब से देख पाएगा,,,
मोह माया छल कपट प्यार वासना जादू सब कुछ था इस नजारे में और ऐसे नजारे को देखकर भला कौन सा दर्द होगा जो जानबूझकर इस अद्भुत नजारे को ना देख कर अपना मुंह मोडेगा। सूरज तो फटी आंखों से अपनी मामी की बुर से निकलते पेशाब की धार को देखकर एकदम कामोत्तेजित हो गया। मंगल अपने भांजे की हालत को देख कर मुस्कुरा रहेी थी
,, और वह मुस्कुराते हुए बोली।)
 
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ले ठीक से देख लें इसमें से ही पेशाब निकलती है जिसको बुर कहते हैं। ( जिस तरह से उसकी मामी मुस्कुराकर बता रही थी उसकी मुस्कुराहट देखकर सूरज के दिल पर बिजलियां गिर रही थी,, आश्चर्य के साथ उसका मुंह खुला का खुला रह गया था वह कभी अपनी मामी की बुर से निकल रही पेशाब को देखता तो कभी अपनी मामी की तरफ देखता,,, उसकी हालत एकदम कटे मुर्गे की तरह हो गई थी। बदन बुरी तरह फड़फड़ा रहा था लेकिन जान नहीं निकल पा रही थी।
मंगल की भी उत्तेजना की कोई सीमा नहीं थी उसने अपने जीवन में इस तरह की उत्तेजना का अनुभव कभी नहीं की थी। गजब का नजारा बना हुआ था वह भी कभी नहीं सोच सकती थी कि ऐसा पल उसकी जिंदगी में आएगा कि वह अपने भांजे के सामने ही उसकी आंखों के सामने ही खुद उसके हाथों से ही अपनी साड़ी को उठवाएगी और पेशाब करेगी यह सब बड़ा ही अद्भुत था दोनों के लिए सूरज के ना चाहते हुए भी खुद-ब-खुद उसका हाथ मंगल की बड़ी-बड़ी गांड पर चला गया जिस पर हथेली रखते ही उसके बदन में करंट का अनुभव होने लगा,,,, पहली बार वह किसी गांड पर हाथ रख रहा था जो कि उसके बदन को पूरी तरह से झनझना दिया था। धीरे धीरे हल्के हल्के में अपनी मामी की काम को करवाने लगा जो की मंगल को बहुत ही अच्छा लग रहा था। मंगल और सूरज दोनों यही चाह रहे थे कि यह पल यही थम जाए यहीं रुक जाए जो मजा इस पल में है ऐसा मजा किसी पल में नहीं मिलेगा,,,,, लेकिन ऐसा संभव नहीं था क्योंकि मंगल पेशाब कर चुकी थी,,,, उस का मन भी कार की खिड़की से हटने का नहीं कर रहा था वह यही चाह रही थी कि उसका भांजा उसकी रसीली बुर को बस देखता ही रहे,,
लेकिन पेशाब करने के बाद वह ज्यादा देर तक इस तरह से नहीं खड़ी रह सकती थी इसलिए वह खिड़की पर से हटी लेकिन अभी भी उसकी साडी कमर तक ही चढ़ी हुई थी और पेंटी जांघों तक सरकी हुई थी। और वह भी अपने भांजे की तरह ही मैं तो सारी को नीचे की और ना ही पैंटी को कहीं नहीं बस वैसे ही नीचे लकड़ी पर बैठ गई और जल्दी-जल्दी बैलगाड़ी के पड़दे नीचे करने लगी,, क्योंकि बाहर तेज हवा के साथ बारिश हो रही थी जिसकी वजह से पानी की बौछार से उसकी साडी और उसका ब्लाउज भीग चुका था। बैलगाड़ी में बैठ कर अपनी साड़ी को झाड़कर सुखाने की नाकाम कोशिश करने लगी,,,,,

लेकिन अपनी साड़ी को उतारने का इससे अच्छा मौका ना मिलेगा यह ख्याल उसके मन में आते हैं उसका मन मोर की तरह नाचने लगा,,,, लेकिन सूरज का ध्यान केवल उसकी रसीली बुर पर ही टिका हुआ था यह देख कर मंगल उससे बोली।


ले ओर नजर भर कर इसे ठीक से देख ले ( इतना कहने के साथ ही वह अपनी जांघ को थोड़ा सा फैला दी,,, सूरज का तो गला सूखने लगा) अब तक औरत कि तूने इसी अंग को नहीं देखा था ना।

हां मामी मैंने तुम्हारा सब कुछ देख लिया था लेकिन इस अंग को नहीं देख पाया था (वह कांपतेे स्वर में बोला)

कैसी लगी तुझे मेरी बुर (अपनी हथेली को अपनी बुर पर रखते हुए बोली)


गजब मामी एकदम अद्भुत मैंने आज तक इस से खूबसूरत कोई अंग नहीं देखा मुझे यकीन नहीं हो पा रहा है कि औरत के बदन में इस तरह का भी अंग होता है।


अच्छी लगी ना तुझे।

हां मामी बहुत अच्छी लगी,,,,,,


इसे छुने का दिल कर रहा है तेरा,,,,,


हां मामी मै ईसे छुना चाहता हूं देखना चाहता हूं कि छूने पर कैसा महसूस होता है।
( अपने भांजे की बात सुनकर मंगल मुस्कुरादी,,,,)

तो ले छू कर देख ले बहुत गर्म होती है।

सच मामी,,,

हां रे सच कह रही हूं लैं छुकर देख ले।
( मंगल का गला उत्तेजना के मारे सो रहा था उसका मन एकदम आनंदित हो चुका था,,, वासना ने उसके मन मस्तिष्क को पूरी तरह से अपने वश में कर लिया था। उस की रसीली बुर की गुलाबी फांकें अपने भांजे की उंगलियों के स्पर्श को आभास करके ही फुल पिचक रही थी। अपनी मामी का आदेश का पाकर सूरज कैसे अपने आप को रोक पाता वह तो कब से ईस पल का सपना देख रहा था। सूरज अपने कांपते हाथों को अपनी मामी की जांघों के बीच बढ़ाने लगा,,,, उसका दिमाग एकदम सुंन्न हो चुका था,, उसे कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था उसकी आंखों के सामने बस उसे अपनी मामी की बुर दिखाई दे रही थी जोंकि गुलाबी फांकों के बीच बेहद खूबसूरत लग रही थी अगले ही पल उसकी उंगलिया,, मंगल की चिकनी बुर को स्पर्श कर रहीे थीे जैसे ही सूरज ने अपनी उंगली को अपनी मामी की बुर से सटाया उसके बदन में जैसे करंट दौड़ गया हो इस तरह से उसका पूरा बदन गंनगना गया। अपनी मामी की बुर को स्पर्श करने के बावजूद भी उसे यकीन नहीं हो रहा था उसे ऐसा लग रहा था कि वो सपना ही देख रहा है। तभी उसकी मामी बोली,,,

कैसा लगा तुझे,,,,,

बहुत ही खूबसूरत मामी और वाकई में तुम्हारी बुर बहुत गर्म है।( वह अपनी मामी की तरफ देखे बिना ही बोला अपने भांजे का जवाब सुनकर मंगल मुस्कुराने लगी और धीरे-धीरे करके अपने ब्लाउज के बाकी बचे बटन को भी खोल दी,,, सूरज जब नजर उठा कर अपनी मामी की तरफ देखा तो मंगल बोली।

पानी की बौछार की वजह से मेरे कपड़े गीले हो गए हैं इसलिए इसे उतारना पड़ेगा,,,, ( सूरज तो और ज्यादा खुश हो गया क्योंकि उसे देखने लगा कि जैसे कि उसकी मामी उसकी आंखों के सामने पूरी तरह से नंगी हो जाएगी आज सच में मेले की ही रात है। सूरज धीरे धीरे करके अपनी मामी की बुर पर पूरी हथेली काही स्पर्श करने लगा,,,, रह-रहकर मंगल अपनी भांजे की हथेली का स्पर्श अपनी बुर पर करके एकदम से उत्तेजना के मारे सिहरं ऊठ रही थी और उसके मुंह से गरम सिसकारी निकल जा रही थी अगले ही पल,,,
मंगल अपने ब्लाऊज के साथ साथ अपनी ब्रा को भी उतार दी जैसे ही उसने अपनी ब्रा को अपने बदन से अलग की वैसे ही ऊसकी बड़ी बड़ी चूचीया सीना ताने सूरज के सीने में चुभने लगी,,,, सूरज यह देखकर एकदम हैरान हो गया,,, उत्तेजना की मारे उसने अपनी हथेली में अपनी मामी की बुर को भरकर दबोच लिया जिससे मंगल की हल्की सी चीख निकल गई,,

आहहहहहह,,,, क्या कर रहा है रे,,,,
लगता है तुझे मेरी बुर कुछ ज्यादा ही पसंद आ गई है तभी तो देखना तेरा लंड कैसा खड़ा हो गया है। तुझे पता है अगर तेरी जगह और मेरी जगह कोई प्रेमी प्रेमिका होती तो ना जाने उसके प्रेमी में कब से इस खड़े लंड को अपनी प्रेमिका की बुर में डाल कर चोद दिया होता,,,,,
( यह बात अपनी मामी के मुंह से सुनकर सूरज एकदम दंग रह गया वह समझ गया कि उसकी मामी एकदम चुदवासी हो गई है और चुदवाना चाहती है वह नादान बनते हुए बोला।)

सच मामी क्या ऐसा ही होता है?

हां बिल्कुल ऐसा ही होता है तो शायद नहीं जानता क्योंकि तूने अभी तक ना तो चुदाई देखा है और ना ही किसी को चोदा है इसलिए तुझे समझ में नहीं आ रहा पता है यह लंड क्यों खड़ा होता है,,

क्यों खड़ा होता है मामी( वह अपनी हथेली को अपनी मामी की बुर से रगड़ते हुए बोला)

बेवकूफ इस में जाने के लिए( वह उंगली के इशारे से सूरज को अपनी बुर दिखाते हुए बोली।)

क्या मामी कहीं इस छोटे से छेद में इतना मोटा और लंबा लंड घुस पाएगा,,,,( सूरज जानबूझकर नादान बनते हुए बोला)

अरे पागल एक छोटे से छेद में तो गधे का लंड घुस जाए,,,,
( सूरज अपनी मामी के मुंह से ऐसी बात सुनकर एकदम से हैरान हो गया।)
तुझे लगता है मेरी बात पर विश्वास नहीं होता अरे इसी में तो मर्द अपने लंड को डाल कर लंड को अंदर बाहर करते हुए चोदता है और इसी को चुदाई कहते हैं। तेरा दोस्त जो कि अपनी भाभी को चोदने की बात तुझे बताया था और तेरा वह दोस्त जो अपनी मा को भी चोद़ चुका था वह लोग इसी तरह से अपनी मा और भाभी की बुर में लंड डालकर चोदेे होंगे,,,, और तू केवल चुदाई शब्द ही सुनकर इतना प्रसन्न हो जाता है और अभी तो तुझे चुदाई के बारे में कुछ भी पता ही नहीं है अच्छा यह बताओ तेरे दोस्तों की बात सुनकर तेरा मन भी तो औरत को चोदने को करता होगा।

( सूरज मुंह से तो कुछ नहीं बोला बस हां में सिर हिला दिया,, यह देखकर मंगल मुस्कुरा दी और बोली।)

लेकिन कैसे,,, तुझे तो चोदना ही नहीं आता है अरे तुझे तो यह भी नहीं पता कि लंड कौन से अंग में डालकर चोदते हैं।
और मेरी बात पर विश्वास ही नहीं कर रहा कि इस बुर में (ऊंगली से बुर की तरफ इशारा करते हुए) तेरा इतना मोटा लंबा तगड़ा लंड भी चला जाएगा,,,,,
इतना कहते हुए उसने झट से अपने भांजे के लंड को पकड़ लिया
 
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उसका मन एकदम से मचलने लगा उसके तन-बदन के अंदर फड़फड़ा रहा कबूतर बाहर आने के लिए तड़पने लगा,,,, उसके पास एक बहुत ही सुनहरा मौका था इस मौके को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी। अपने भांजे के लंड को पकड़कर उस की चुदवाने की प्यास और ज्यादा बढ़ गई थी। उसकी नजर घड़ी पर गई तो तकरीबन पौने ४:०० का समय हो रहा था,,, बारिश का जोर भी धीरे-धीरे कम हो रहा था,,,,, मामी अपने भांजे के लंड को मुंह में लेकर चूस ना चाहती थी जबकि उसने आज तक अपने मन से अपने पति का लंड अपने मुंह में नही ली थी,,, वह अपने भांजे से अपनी बुर चटवाना चाहती थी,,, अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को उसके हाथों में सौंप कर उसे जोर जोर से मसलवाना चाहती थी,,, और अपनी चूची को उसके मुंह में देकर उसे से चुसवाना चाहती थी,,,,, लेकिन समय और बारिश का जोर कम होता देखकर वह अपने मन की बात को मन में ही दबा दूं क्योंकि यह सब के लिए ज्यादा समय नहीं बचा था,,,,, लेकिन इस समय वह अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में डलवा कर एक नए रिश्ते का उद्घाटन करना चाहती थी। क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी की अगर आज इसका भांजा अपने लंड को उसकी बुर में डाल कर चोद दिया तो वह पूरी तरह से उस का दीवाना हो जाएगा,,,, वह भी आजकी प्यासी रात को अपने भांजे के लंड से चुद कर तृप्त हो जाएगी,,,, और अगर आज चुदाई का कार्यक्रम संतुष्टी जनक से संपूर्ण हो गया तो यह चुसना चटवाना तो हमेशा होता रहेगा,,,, लेकिन जिस तरह से बातों ही बातों में समय बीतता जा रहा हूं अगर ऐसे ही बातें ही करते रहे तो हाथ में आया यह सुनहरा मौका निकल जाएगा और ना जाने भविष्य में ऐसा पल आए ना आए,,
इसलिए वह अपने आप को पूरी तरह से अपने भांजे के लंड को अपनी बुर में डलवाने के लिए तैयार कर ली,,,, और इसलिए वह अपने भांजे के लंड को आगे पीछे करते हुए मुट्ठीयाने लगी,,,,
समय रेती की तरह उसके हाथ से सरकता जा रहा था,,, बारिश का दौर एकदम कम हो चुका था और ऐसा लग रहा था कि कभी भी बारिश बंद हो सकती है। अब किसी भी बात को पूछने पुछाने का उसके पास समय नही था। सूरज भी बड़ी आतुरता के साथ अपनी मामी के अगले कदम का इंतजार कर रहा था। सूरज को बेहद आनंद की अनुभूति हो रही थी जब ऊसकी मामी ऊसके लंड को अपनी मुट्ठी में लेकर आगे पीछे कर रही थी। लंड का मोटा सुपाड़ा मंगल की बुर में खलबली मचाए हुआ था। धीरे से मंगल अपने लिए जगह बनाने लगी,,,वह बैलगाड़ी के बीचो-बीच बैठ गई,,,
सूरज कैसी नजरों से अपनी मामी के घर पर को देख रहा था लेकिन उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था। उत्तेजना के मारे मंगल की सांसे बड़ी तेजी से चल रही थी। सूरज का लंड अभी उसके हाथ में था। मंगल कसमसाते हुए अपनी गांड को थोड़ा सा इधर उधर की,, ऊसकी पेंटी,अभी भी उसके घुटनो में अटकी हुई थी,,,, जिसकी वजह से मंगल ठीक से पोजीशन नहीं बना पा रही थी इसलिए वह सूरज के लंड को छोड़कर अपने पेंटी को अपनी टांगो से उतार फेंकी,,, अब वह कमर के नीचे से बिल्कुल नंगी हो चुकी थी चुचिया तो वह पहले से ही दिखा रही थी । यह सब देखकर सूरज से रहा नहीं गया वह एकदम कामोत्तेजित हो चुका था लेकिन फिर भी जब वह अपनी मामी को अपनी पैंटी निकालते हुए देखा तो वह बोला।

यह क्या कर रही हो मामी,,,,,

अब कुछ भी बताने का समय नहीं है,,,( इतना कहते हुए उसने अपनी टांगो को फैला ली इससे उसकी रसीली बुर एकदम साफ साफ सूरज को नजर आ रही थी इतना खूबसूरत नजारा उसने कभी नहीं देखा था,,,, इसलिए उसने और कुछ पूछने की जरूरत नहीं समझा वह अपनी मामी को टांगे फैलाए बैठे हुए देखकर उत्तेजित हो ही रहा था कि तभी उसकी मामी ने फिर से सूरज का लंड पकड़ ली और ईस बार वह लंड को आगे की तरफ खींच कर उसके सुपाड़े को अपनी बुर के बिल्कुल करीब ले आई,,, यह देखकर सूरज की सांसे तीव्र गति से चलने लगी

मंगल की भी हालत इस समय काफी खराब हो रही थी। वह अपने भांजे के लंड के सुपड़े को अपनी बुर के बिल्कुल करीब एकदम करीब ला कर रुक गई थी,,,, उसके मन में उत्तेजना के साथ-साथ उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी जवान लंड की रगड़ वह भी मोटे और लंबे तगड़े की बुर की अंदर की दीवारों पर कैसा कहर ढाती है इसे महसूस करने की उत्सुकता मंगल के अंदर बढ़ती जा रही थी। सूरज समझ गया था कि अब उसका सपना पूरा होने वाला है। सूरज कुछ और सोच पाता इससे पहले ही मंगल ने लंड के सुपाड़े को अपनी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच सटा दी,,,, जैसे ही मंगल ने अपने भांजे के लंड के सुपाड़े को,,,अपनी बुर की गुलाबी पत्तियो के बीच सटाई वेसे ही ऊसके पुरे बदन मे हलचल सी मच गई ऊत्तेजना के मारे ऊसकी बुर फुलने पिचकने लगी। उसे इस बात का एहसास हो गया कि आज उसकी बुर में एकदम सही लंड जाने वाला है। सूरज की तो सासें ऊपर नीचे हो रही थी वह एक नजर सूरज की तरफ घूमाई और बोली।

अब देख,,,, तू बोलता था ना कि ईतनी छोटी सी बुर में इतना मोटा लंबा लंड कैसे जाएगा देख मे तुझे बताती हूं कि कैसे जाएगा। ( इतना कहते हुए मंगल ने एकदम ठीक से लंड के सुपाड़े को अपनी बुर के बीचो-बीच टीका दी,,, और बोली)

देख अब कैसे जाता है तू अपनी कमर को आगे की तरफ ठैल,,, अपने लंड को थोड़ा सा धक्का देकर मेरी बुर में डालने की कोशिश कर,,,,
( अपनी मामी की बात सुनकर तो सूरज पसीने से तरबतर हो गया उस की पराकाष्ठा की कोई सीमा नहीं थी,,, उसके मन में एक उमंग सी जग़ गई थी,,, चुदाई क्या होती है कैसे होती है आज यह उसकी मामी सिखाने वाली थी वह भी अपनी मामी की बात को मानते हुए,, अपनी कमर को आगे की तरफ ठेलना शुरू किया,,,, मंगल की बुर उत्तेजना के मारे काफी समय से पानी छोड़ रही थी इसलिए उसकी बुर की दीवारें पूरी तरह से गीली हो चुकी थी जिससे सूरज के लंड का सुपाड़ा बुर के अंदर सरकने लगा। इतने से ही मंगल को आभास हो गया कि उसके भांजे का लंड काफी मोटा है। जैसे-जैसे सूरज अपनी कमर को आगे की तरफ बढ़ा रहा था वैसे वैसे लंड का सुपाड़ा मंगल की बुर की दीवारों को फैलीता हुआ अंदर की तरफ सरक रहा था और मंगल को हल्के हल्के दर्द का अनुभव होने लगा। जैसे-जैसे मंगल की बुर का मुख्य खुल रहा था वैसे वैसे दर्द के मारे मंगल का भी मुंह खुलता चला जा रहा था। सूरज की तो हालत खराब हुए जा रहीे थीे, उसे इस बात का आभास बिल्कुल भी नहीं था कि बुर की अंदरूनी दीवारें बहुत ही ज्यादा गर्म होती है उसे ऐसा महसुस होने लगा कि उसका लंड गर्मी सें कही पिघल न जाए।
सूरज की हालत खराब हो जा रही थी उससे अब बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था तो उसके दिमाग पर उत्तेजना पूरी तरह से हावी हो चुकी थी,,, किसी उत्तेजना के चलते वह जोर से अपनी कमर को झटका दिया और इस बार उसका लंड आधे से ज्यादा मंगल की बुर में समा गया,,,,,,,
लेकिन इस धक्के ने मंगल की चीख निकाल दिया मंगल इस धक्के के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं थी,,, वह तो अच्छा हुआ कि वह लोग एकांत जगह पर थे इसलिए उसकी चीख दूसरा कोई नहीं सुन पाया,, सूरज अपनी मामी की चीख को सुनकर रुक गया और बोला।

क्या हुआ मामी ऐसे क्यों चिल्लाई,,,,

कुछ नही बेटा तेरा दम देख कर मेरी चीख निकल गई तू चिंता मत कर देख कैसे तेरा आधे से भी ज्यादा लंड मेरी बुर में समा गया है अब धीरे धीरे करके पूरा डाल दे।

( सूरज अभी संभोग के दौरान औरत के मुंह से निकलने वाली चीख से बिल्कुल भी अनजान था उसे इस बात का चेहरा भी ज्ञान नहीं था कि ऐसी चीजें संभोग के दौरान औरत को और भी ज्यादा मस्त कर देती है। सूरज चीख वाली बात पर बिलकुल भी ध्यान ना देते हुए अब फिर से आगे जुट चुका था। पनियाई बुर की वजह से धीरे-धीरे करके सूरज का लंड आगे बढ़ रहा था और मंगल को बेहद दर्द की अनुभूति भी होने लगी थी। अपने पति के लंड को जब भी बुर में लेती थी तो कभी भी उसे दर्द की अनुभूति नहीं हुई। वह नजरे नीचे झुका कर अपने भांजे के मोटे लंड को अपनी रसीली बुर के अंदर घुसता हुआ देख रही थी। उसकी सांसे बड़ी तेज चल रही थी और तेज चलती सांसो के साथ साथ उसकी नंगी चूचियां भी ऊपर नीचे हो रही थी जोकी सूरज के जोस को और ज्यादा बढ़ा रही थी। आखिरकार धीरे धीरे करके सूरज ने अपने लंड को अपनी मामी की बुर में डाल ही दिया,,
जैसे ही सूरज का पूरा लंड मंगल की बुर में कहीं खो सा गया हो ऐसा लगने लगा तब मंगल एकदम प्रसन्न होती हुई सूरज से बोली,,,

देख बेटा अपनी आंखो से देख ले मैं सच कह रही थी या झूठ,,,,,

तुम बिल्कुल सच कह रही हो मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा,,,,( सूरज कांपते स्वर में बोला। उसका पूरा लंड अपनी मामी की बुर में डालकर वह अपनी मामी की आंखों में देख रहा था। और अपनी मामी की आंखों में देखता हुआ बोला।
 
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अब क्या करूं मामी ,,,,,( सूरज बड़े ही भोले पन से बोला।)

बस अब तू अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए लंड को अंदर बाहर कर के मुझे चोद,,, ईसको ही चुदाई कहते हैं। ( मंगल बड़े ही उत्तेजनात्मक स्वर मे बोली,,, बस फिर क्या था सूरज शुरू हो गया वह अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए अपनी कमर को जोर-जोर से हिलाने लगा,,,, उसके अंदर पूरी तरह से जोश बढ़ चुका था मंगल को सूरज से इतनी तेज झटकों की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी। वह तो सोच रही थी कि सूरज बड़े आराम से धीरे धीरे अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए ऊसे चोदेगा लेकीन ऊसकी गिनती बिल्कुल ऊलटी पड़ गई थी। सूरज बड़ी तेजी ऊसे चोद रहा था । ऊसकी चुदाई देखकर ऊसका पुरा वजुद हील गया था। ऊसे यकीन नही हो रहा था की सूरज ऊसको चोद रहा है। क्योंकी सूरज अभी बिल्कुल नादान था। लेकीन वह ईस समय पुरी तरह से ऊत्तेजित हो चुका था। ईसलिए ऊसके रुकने का तो सवाल ही नही ऊठता था। वैसे भी मंगल अब उसे रोकने के लिए और धीरे-धीरे करने के लिए बोल ही नहीं सकती थी क्योंकि जिस रफ्तार से वह अपने लंड को बुर में अंदर बाहर कर रहा था उसे बहुत ही ज्यादा आनंद की अनुभूति हो रही थी।
फच्च फच्च करते हुए सूरज का लंड मंगल की बुर में अंदर बाहर हो रहा था। सूरज की रफ्तार बिल्कुल भी कम नहीं हो रही थी वह लगातार अपनी मामी की बुर में लंड अंदर बाहर करते हुए उसे चोद रहा था। थोड़ी ही देर में पूरी कार मंगल की गरम सिसकारियों से गूंजने लगी।
सससससहहहहहह,, आहहहहहह,,,,, सूरज क्या मस्त चोद रहा है तू और चोद,,,,आहहहह,,, आहहहहहह,,,,

मंगल की गरम सिसकारियां सुनकर सूरज का जोश और ज्यादा बढ़ने लगा और वह जोर जोर से धक्के लगाते हुए अपनी मामी को चोदने लगा,,,,,
मंगल की हालत खराब होने लगी थी काफी देर से सूरज एक ही लय मे अपनी मामी को चोदे जा रहा था,,,, मंगल हैरान थी की अभी तक सूरज का पानी नहीं निकला था,,,, सूरज की बुर में धक्के पर धक्का पड़ रहे थे ऊसको जब धक्का बर्दाश्त नहीं हुआ तो वह थोड़ा सा पीछे की तरफ झुक गई।
हर धक्के के साथ मंगल की बड़ी बड़ी चूचियां ऊछल जा रही थी। इसलिए मंगल खुद ही अपने भांजे के दोनों हांथ को पकड़ कर अपनी अपनी बड़ी बड़ी चुचीयाे पर रखकर ऊसे जोर जोर से दबाने के लिए बोली ।
सूरज तो दोनों खरबूजे को दोनों हाथ से पकड़ कर जोर जोर से दबाते हुए अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा,,, मंगल और सूरज दोनों को बहुत मजा आ रहा था उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि ऐसे एकांत में तूफानी बारिश में वो लोग इस तरह की चुदाई करेंगे। तकरीबन चालीस ४५ मिनट तक सूरज अपनी मामी की बुर को रौंदता रहा। और उसके बाद दोनों एक साथ झड़ गए,,,, जब सूरज झड़ने वाला था तो मंगल को इस का आभास हो गया और उसने कसके अपने भांजे की कमर को पकड़ कर अपनी बुर में दबाए रखी ताकि वह ऊसकी बुर में हि झड़े,,, तूफान एकदम से शांत हो गया था बैलगाड़ी के अंदर वासना का और बैलगाड़ी के बाहर बारीश का,,,
मंगल ने घड़ी देखी तो ५:०० बज रहा था सुबह हो चुकी थी बारिश भी एक दम से थक चुकी थी,,, अब यहां पर रुकना ठीक नहीं था इसलिए मंगल ने जल्दी जल्दी अपने कपड़े पहन कर एकदम से तैयार हो गई,,, सूरज थकान के कारण बाजू में गहरी नींद में सो गया था,, उसे जगाना मंगल ने ठीक नहीं समजा, मंगल को बैलगाड़ी चलाना आता था इस लिए सूरज को ना जगाकर बैलगाड़ी को मंगल घर की तरफ बढ़ा दी।
 

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