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Update 104
राक्षसलोक में भोकासुर ,बीरा और कालराक्षस को एक महल दिया गया था रहने के लिये ,उन तीनों के बारे में सब को पता चल गया था ,कालराक्षस को देख कर ही बहुत से राक्षस डर जाते थे ,जहा राक्षसलोक के सभी राक्षस 200 फिट के आस पास ही थे ,भुजंग के बेटे भी 250 फिट के आस पास लंम्बे थे वहां कालराक्षस 350 फिट का लंबा ,चौड़ा था ,दिखने में भी वो बाकी राक्षस की तरह गन्दा नही था ,उसका रंग एकदम गोरा ,सुंदर और आकर्षक मर्दानी चेहरा ,काले लम्बे बाल ,मजबूत कंधे ,बलशाली भुजाएं ,चौड़ी और विशाल छाती ,भारी भरकम टाँगे उसे सबसे अलग दिखा देती थी,राक्षसलोक में बस उसी के चर्चे हो रहे थे ,राक्षसलोक में बस एक भुजंग ही उसके टक्कर का था ,पर कहा वो 30 हजार साल का भुजंग और यहा एकदम जवान राक्षस ,कालराक्षस ने अपनी उम्र 900 साल बतायी थी सभी को ,राक्षसलोक की हर औरत में कालराक्षस की चर्चा होने लगी थी ,राजकुमार भोकाल को सब दुवा दे रहे थे ,उसके मरने की वजह से ही वो कालराक्षस को देख पा रहे थे,कालराक्षस किसी राजकुमार् से कम नही था ,जब विकराल बलिलोक जा रहा था तब उसने बहुत जिद की थी साथ जाने की ,पर विकराल को अपने ताकद पर बहुत ज्यादा घमण्ड था ,वो सबको दिखाना चाहता था कि भुजंग के बेटो में कितना दम है ,अपने भाई भोकाल को मारने वाले को वो राक्षस लोक में हाथ पांव काटकर लाने वाला था ,ताकि उसकी हालत देखकर सबको सबक मिल सके कि भुजंग से टकराने की सजा क्या होती है ,कालराक्षस को अपनी सेना का सेनापति बनाकर विकराल ने एक बेहतरीन योद्धा और ईमानदार राक्षस को अपने पाले में ले लिया था ,जिसकी वजह से उसके सभी भाई भी खुश थे ,कालराक्षस जैसा असमान्य राक्षस उनके पास होने से उनका ही फायदा था ,जब भुजंग कालराक्षस को देखेगा तो वो बहुत खुश होने वाला था ,भुजंग हमेशा राक्षसलोक के बहादुर और ताक़दवर राक्षसो को अपने सैन्य में भर्ती करता था ,वो हमेशा ताक़दवर और जांबाज लोगो की कद्र करता था ,अपने सैन्य को वो हमेशा युद्धकला की गुण सिखाता रहता ,भुजंग को सभी बहुत मानते थे ,उसकी जितनी इज्जत और मान राक्षसलोक में था ,उतना उसके किसी बेटो को नही मिलता क्योकि उसका कोई भी बेटा अच्छा नही था ,सभी एक नंबर के कमीने ,नीच और धोखेबाज थे ,वो राक्षसलोक के साथ पाताल से भी असुर ,दानव ,और पाताल की सुंदर औरतो को अपनी हवस का शिकार बनाते थे ,कितनी ही बार तो वो अपने पिता के पत्नियों को भी चोद चुके थे ,भुजंग की हजारो पत्निया थी ,35 हजार साल से लेकर 1000 साल तक कि राक्षस औरते उसकी पत्नियां थी ,बहुत सी असुर और पाताल की औरते भी उसकी पत्नियां थी ,सबसे उसे सन्ताने हुवीं थी ,उसके 1000 बेटे इन सभी औरतो से ही उसने पैदा किये थे ,भुजंग की 1200 बेटिया भी थी ,जिनमे से कुछ की शादिया हो गई थी और कुछ की बाकी थी ,पर पूरे राक्षसलोक में भुजंग की 20 बेटीयो के चर्चे थे ,वो बहुत ही ज्यादा सुंदर और ख़ूबसूरत थी ,भुजंग का एक खास महल था जिसमे भुजंग के सिवा कोई नही जा सकता था ,उसका कोई बेटा भी नही जा सकता था उस महल में ,उसी महल में भुजंग की 50 पत्नियां रहती थी जिनसे भुजंग बहुत ज्यादा प्यार करता था ,वो सभी बहुत ही खास और चहेती पत्नियां थी उसकी ,उनके बारे में यही कहा जाता था कि कुछ अप्सरा है तो कोई गंधर्व लोक की कन्याए ,उनसे ही भुजंग को 20 खूबसूरत बेटिया हुवीं थी ,उसके खुद के बेटे भी उनकी सूंदरता के दीवाने थे ,सभी उनसे शादी करके या जबरदस्ती पाने की कामना रखते थे ,भुजंग अपने बेटो को बहुत अच्छे से जानता था ,इसीलिये उसने अपने इस खास परिवार को सबसे दूर रखा हुवा था ,उस महल में काम करने के लिये सभी राक्षस महिलाएं जाती थी ,जिनपर खास भुजंग की माया का एक कवच होता ,उसी कवच के वजह से वो उस महल में जा सकती थी ,जो भी उस महल में चोरी छिपे घुसने की कोशिश करता वो एक पल में भुजंग के रक्षा कवच से मारा जाता ,वो रानी महल के नाम से राक्षसलोक में मशहूर था ,रानी महल कई हजार एकड़ में फैले एक सुंदर बगीचे में था ,जहा दुनिया की हर खूबसूरत चीज ,जीव ,पशु,पक्षी मौजूद थे ,भुजंग ने किसी स्वर्ग की तरह रानी महल को रखा हुवा था ,भुजंग पाताल में तपसाधना के लिये किसी गुप्त साधना पर कितने हजार साल पर गया था ,उसके साथ उसके 20 बेटे गये थे ,वो सबसे बडे और सबसे ज्यादा बलशाली थे ,अपने पिता की सुरक्षा करने वो उस जगह पर राक्षसलोक छोड़कर पाताल में हजारो साल से रह रहे थे ,कालराक्षस को यह सब जानकारी राक्षसलोक में आकर ही मिली थी ,राक्षसलोक को सजाने और सुंदर करने का काम बहुत जोरों से चल रहा था ,बहुत जल्द भुजंग यहा पर अपनी तपसाधना खत्म करके आने वाला था ,उसके स्वागत की तैयारी में राक्षसलोक को और सुंदर करने का काम सभी मिलकर कर रहे थे ,जिसपर भोकाल की मौत होने से और 100 भुजंग के बेटे उसके प्रतिशोध में जाने से भी कोई फर्क नही पड़ा था ,भोकासुर तो अपने गले मे उनको मिली खास राक्षस मुद्रा लेकर राक्षसलोक की सैर करने निकल गया था ,महल में बीरा और कालराक्षस ही बैठकर बाते कर रहे थे ,तभी एक सैनिक ने आकर उन्हें बताया कि राजकुमार् विचित्र ने उसे बुलाया है ,कालराक्षस उसीके साथ चला गया ,
राजकुमार विचित्र भुजंग का 700 वा बेटा था ,जो बहुत ही बुद्धिमान और शातिर राक्षस था ,उसके ऊपर भुजंग को भी बहुत ज्यादा भरोसा था ,वो ज्यादा किसी से नही मिलता ,उसके पास माया का जबरदस्त जादू था ,उसकी माया को कोई भी जल्दी नही तोड़ पाता था ,वो माया के साथ बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली और बलवान था ,उसे कालराक्षस ने भी नही देखा था ,वो अपने साथ के सैनिक से बात करता विचित्र के महल के बाहर पोहच गया ,उसे वहां से सैनिक ने अंदर जाने के लिये कहा ,अंदर सिर्फ विचित्र के खास लोग ही जा सकते थे ,कालराक्षस उस महल में दाखिल हो गया ,उसे महल में आते है वहा की माया के बारे में सब समझ आ गया ,पूरे महल में एकसे बढ़कर एक राक्षस सैनिक पहरा दे रहे थे ,उनमे कुछ असली थे तो कुछ मायावी ,कालराक्षस सबकी तरफ देखता चल रहा था ,उसे एक महल के अंदर से मायावी राक्षस सैनिक साथ लेकर चल रहा था ,कालराक्षस को लेकर एक दरबार मे ले आया जहा पर बस एक ही इंसान बैठा हुवा था सिहासन पर कालराक्षस को वही छोड़कर वो मायावी राक्षस चला गया ,
कालराक्षस ने अपने सामने बैठे उस राजकुमार् विचित्र को आदर से प्रणाम किया और अपने जगह पर खड़ा हो गया ,
कालराक्षस की तरफ देखते हुवे राजकुमार विचित्र ने कहा ,तो तुम हो कालराक्षस जिसके चर्चे हम सुबह से सुन रहे है ,तुम भोकाल के साथ कबसे हो ,तुम्हारा जन्म कहा हुवा था ,तुम्हारे माता पिता का नाम क्या है ,सब कुछ हम तुमसे जानना चाहते है ,तुमने सिर्फ इंद्रजीत का धनुष का भाता हमारे भाइयो को दिखाया ,उस भाते की कीमत बिना धनुष के कुछ भी नही है ,तुमसे वो सभी खुश हो सकते है में नही ,तुम यहा पर अपनी झूठी स्वामी भक्ति दिखा कर मुझे मूर्ख नही बना सकते ,
कालराक्षस ने कहा ,क्षमा करे राजकुमार् आपको मुझ पर विस्वास नही है यह जानकर मुझे बहुत दुख हुवा ,आपको मेरे बारे में पुछने का पूरा अधिकार है और में आपको सब कुछ बताने को भी तैयार हूं ,में बचपन से ही अनाथ हु ,मेरे माता पिता कौन है यह में भी नही जानता ,मेरा जन्म कहा हुवा यह में भी नही जानता ,जब होश संभला तो में राजकुमार् भोकाल के महल में ही रहता था ,उनकी सेवा करना ही मेरा धर्म था ,उन्होंने ही मुझे बहुत कुछ सिखाया था ,वो मेरे मालिक के साथ मेरे गुरु भी थे ,वो जहा जाते में उनके साथ होता ,जब राजकुमार भोकाल ने महाराज भुजंग बनकर गरुड़ लोक के महाराज को मारा था उस वक्त में भी उनके साथ ही था ,उस वक्त के बाद में कभी राक्षसलोक नही आया ,मुझे पाताल में राजकुमार भोकाल के साथ ही रहना पड़ा ,वहां पर काल लोक के असुरो से मुझे माया की बहुत सी विद्या सीखने को मिली ,पाताल में बहुत सी गुप्त कला और युद्धकला में राजकुमार भोकाल की वजह से सिख पाया ,उन्होंने ही मेरी क्षमता को देखकर मुझे कुछ दिव्य अस्रो का पता लगाने भेजा था ,मेरी शादी भी उनके महल में काम करने वाले एक दासी की बेटी से उन्होंने करवाई थी ,में आपको एक और राज की बात बताना चाहता हु जो शायद आपको पता नही होगी धरती पर एक बिल्व ऋषि का आश्रम है वही पर आज तक जितने भी राक्षस वीर मर चुके है उनके हथियार मौजूद थे ,उसकी रक्षा बीरा नाम की एक वीर राक्षस औरत करती है ,उस भूमि पर जाते ही कोई भी राक्षस पुरुष पल भर में मारा जाता है ,वहां पर एक बिल्व ऋषि का शाप का परिणाम आज भी मौजूद है ,वहां कोई राक्षस पुरुष नही जा सकता ,मेंनें मेरी पत्नी को वहां जानकारी लेने के लिये भेजा था ,उसे वहां कोई नही मिला ,सिर्फ उसे वो दिव्य भाता मिला ,या तो किसिने वो दिव्य हथियार हासिल कर लिए है या वो वहा से कही और रख दिये गए है ,में यह सब बातें राजकुमार भोकाल को बताने वापस पाताल आया था ,मुझे इन सब दिव्य हथियारों को ढूंढने में सेकड़ो साल लग गए थे ,जब में वापिस आया तो मुझे राजकुमार् भोकाल की मृत्यु के बारे में पता चल गया ,में खुद उसको मारना चाहता था जिसने हमारे राजकुमार् को मार दिया ,पर मेरे पास इस दिव्य हथियार का होना और उसकी जानकारी आप सब तक पहुचाना ज्यादा जरुरी था ,इसलिए में राक्षसलोक आया था ,आप को मेंनें सब बता दिया है ,आप महाराज तक यह सब जरूर पहुचा देंगे ,में तो राजकुमार् विकराल के साथ ही पाताल जाने वाले था पर उनके आदेश की वजह से मुझे यहा रुकना पड़ा ,में पहले से ही पाताल में रहता आया हु ,मुझे राक्षसलोक में रहना भी पसन्द नही है ,ना कोई यहा मेरा अपना है ,आप अगर मुझे आज्ञा दे तो में राजकुमार विकराल के पास चला जाता हूं ,वैसे भी राजकुमार विकराल उस शत्रु को आरामसे मार सकते है ,में उनसे पाताल में मिलकर उनकी जीत की बधाई भी दे दूंगा और बाद में अपनी पत्नी के साथ वही रहकर आपका दास बना रहुँगा ,आप जो काम मुझे करने को बोलेंगे उसे में हरसंभव पूरा करने की कोशिश करूंगा ,में आपसे माफी मांगू या आपके प्रतिरूप से यह आप बता दे ,आप जिस तरह अदृष्य होकर मेरे इर्दगिर्द घूम कर मुझे देख रहे इससे मुझे बहुत पीड़ा हो रही है ,आप को खुद मेरे घर अदृश्य होकर आना पड़ा ,आप मेरे साथ ही महल तक चलते आये ,आपको में अपने घर के पास ही देख चुका था ,पर किसी के सामने आपको देखने की बात करके में आपका अपमान नही कर सकता था ,आप मेरे मालिक है ,आपकी इज्जत और शान का मान रखना ही मेरा धर्म है ,विचित्र कालराक्षस की बाते सुनकर हैरान हो गया था ,जब कालराक्षस ने उसे यह बताया कि वो उसकी माया को पहचान चुका है इतना ही नही उसके अदृश्य रूप को भी वह आसानी से देख सकता है यह सुनकर विचित्र को आश्चर्य हुवा था ,उसकी माया उसके पिता और 20 बड़े भाई ही समझ सकते थे पुरे राक्षसलोक में ,आज कालराक्षस ने उसकी माया को तोड़कर उसको यह अहसास करा दिया था कि वो कितना ताक़दवर है माया में ,ऐसे बलवान ,स्वामी निष्ठ ,और मायावी राक्षस को खोना बहुत बड़ी भूल थी ,विचित्र को भी धरती के बिल्व ऋषि के आश्रम के बारे मे पता था ,भुजंग ने ही उसको धरती पर गुप्त रूप से भेजा था ,ताकि विचित्र अपनी माया से बीरा को हरा सके ,पर बीरा ने विचित्र के मायावी राक्षस सेना को पल भर में मार दिया था ,कालराक्षस इतना सब कुछ जानकर भी उनके परिवार का वफादारी करना नही भूला था ,ऐसे आदमी को अगर मेरे वजह से राक्षसलोक छोड़ना पड़ा और भुजंग को यह बात पता चली तो उसकी खैर नही थी ,भुजंग हमेशा ऐसे वफादार और बहादुरों की कद्र करता था ,विचित्र की नजर तो कालराक्षस के पत्नी पर थी ,दिखने में वो इतनी खूबसूरत तो नही थी पर उसका बदन बहुत जबरदस्त था ,उसे भोगने की चाहत विचित्र के मन मे हो गयी थी ,कालराक्षस को मार कर या उसे यहा से भगा कर वो उसकी पत्नी को भोगने वाला था ,पर कालराक्षस की बात सुनकर विचित्र ने अपने सब गलत खयाल छोड़ दिये ,उसने अपने असली रूप में आकर कालराक्षस को गले लगा लिया और कहा ,नही कालराक्षस तुम कही नही जाओगे ,तुम जैसे वीर और बहादुर राक्षसलोक की शान होते है ,आज से तुम विकराल ही नही बल्कि हम सभी के खास हो ,आज से में तुम्हे हमारी 3 विभाग की सेना का सेनापति घोषित करता हु ,हमारे पिता के लिये इतना सन्मान रखने वाले और हमारे परिवार के इतने भले की सोचने वाले को हम भला कही जाने देंगे ,उसके बात बहुत देर तक दोनो बाते करते रहे ,कालराक्षस ने विचित्र को बहुत सी नई माया सिखाई ,जिसकी वजह से विचित्र के लिये तो कालराक्षस उसका सबसे भरोसे का आदमी बन गया ,उसने अपने सभी 200 भाइयोंको बुलाकर कालराक्षस को सेनापति बनाने की बात बता दी ,विचित्र सबसे बड़ा और शक्तिशाली था ,सिर्फ उसको ही पहले कालराक्षस पसन्द नही आया था ,बाकी सभी भाइयों को तो वो पहले से पसन्द था ,पर जब उन्होंने देखा कि कालराक्षस ने अपने सबसे बुद्धिवान भाई को भी प्रभावित कर दिया है तो उनको इससे खुशी हो गयी ,सब लोगोने कालराक्षस से बाते की ,सबके लिये कालराक्षस एक खास आदमी बन गया था ,जब पूरे राक्षसलोक में यह बात फैल गई कि विचित्र ने भी कालराक्षस को पसन्द करके अपनी सेना का सेनापति बना दिया है ,तो उनके मन मे कालराक्षस को देखने को लालसा होने लगी ,विचित्र कभी किसी को जल्दी अपने पास नही आने देता था ,उसके महल में उसके सगे भाई भी जाने से डरते थे ,जब तक वो खुद किसी को नही बुलाता कोई उसके पास नही जाता ,ऐसे विचित्र को कालराक्षस को अपनी सेना का सेनापति बनाना खास बात थी ,विचित्र कालराक्षस से अपने बहुत काम करने को सोच रहा था ,उसका सबसे पहला काम रानी महल के अंदर जाने का था ,रानी महल की माया अगर कालराक्षस ने तोड़ी तो वो कालराक्षस को जो चाहे वो देने को तैयार था ,रानी महल में रहने वाली जिमाली और तामली को पाने का उसका बहुत बड़ा सपना था ,जब उसने अपनी दो सौतली बहनो को देखा था तबसे उन्हें पाने की लालसा उसके मन मे हो रही थी ,एक बार उसके पिता भुजंग के साथ उसने इन दोनो को देखा था ,दोनो सगी बहन थी ,सुंदरी नाम की अप्सरा से पैदा हुवीं यह दोनो बहने बहुत कमाल की थी ,उनका रूपसौन्दर्य देखकर विचित्र को तो उनके मा से भी संभोग करने की इच्छा होती थी ,ऐसी सुंदर कन्या पैदा करने वाली कितनी हसीन और खूबसूरत होगी ,यह सोचकर ही उसका लन्ड खड़ा हो जाता था ,कालराक्षस ने विचित्र से विदा लेते हुवे कहा कि राजकुमार् आप से एक बात कहनी थी मेरा एक साथी और हे जिसको मेंनें राक्षसलोक में नही लाया ,उसे मेंनें पाताल में ही छोड़कर आया था ,वो मुझसे भी ज्यादा बहादुर और ताक़दवर हे ,उसके पास मुझसे ज्यादा माया की विद्या की जानकारी है ,मुझे लगा था कि में वापस चला जाऊंगा आपको सब बता कर ,पर आपने मुझे यहाँ रोक दिया है ,वो भी राजकुमार भोकाल का खास था ,मेरे जैसा वो भी एक अनाथ है ,बस उसकी एक आदत ज्यादा खराब है ,वो बहुत बड़ा हवसी है ,इसी वजह से में उसे यहा नही लाया था ,पर उसकी वो आदत छोड़ दे तो वो मुझसे भी दस गुना काम का राक्षस है ,विचित्र की तो आंखे ही चमकने लगी यह सब सुनकर हवसी आदमी की तो उसे बहुत जरूरत थी ,कालराक्षस बहुत ज्यादा स्वामी भक्त और सीधा था ,उससे अपना काम करने में मुश्किल होता पर उसका दोस्त बहुत काम का साबित हो सकता है ,विचित्र ने हसकर कहा ,हवस ही हमारी सबसे बड़ी ताकद होती है कालराक्षस ,तुम बहुत सीधे और सरल हो तुमको हमारे पिता बहुत ज्यादा पसन्द करने वाले है ,तुम एक काम करो तुम्हारे दोस्त को आज ही राक्षसलोक बुला लो ,उसे मेरे साथ रखकर में उसे संभाल लूँगा ,उसकी हवस का भी में खयाल रख सकता हु जिससे वो यहा ठीक से रह लेगा ,क्या नाम है उसका
कालराक्षस ,जी उसका नाम कोबरा है ,उसका यह नाम उसने खुद रखा है ,वो महाराज भुजंग का आ बहुत बड़ा भक्त है ,वो उनको भगवान ही मानता है
विचित्र ,यह तो और भी अच्छी बात है ,वो अपने भगवान के बेटो के साथ रहेगा और जल्द ही अपने भगवान के दर्शन करने को उसे मिल जाएंगे ,तुम उसे आज ही बुला लो ,चाहो तो तुम खुद जाकर उसे ले आना ,यह लो यह एक राजमुद्रा है इसकी मदद से तुम कभी भी राक्षसलोक के बाहर द्वार से जा सकते हो ,वैसे भी तुमने अपने आते ही प्रवेश द्वार पर जो हंगामा किया था सब तुमको जान गए है ,और अब तुम हमारी 3 विभाग के सेना के सेनापति हो ,तुम्हे रोकने और टोकने की हिम्मत कोई भी नही कर सकता ,तुम आज ही शिवाय को यहा लेकर आना ,
कालराक्षस ने विचित्र से विदा लेकर अपने महल की और चला गया ,वो अपने मन मे हस रहा था ,यह विचित्र की गांण्ड में बहुत बड़ी खुजली है ना दुसरो की औरतो को भोगने की ,इसके लिये शिवाय ही बहुत सही रहेगा ,रानी महल में घुसने के लिये वो अपनी बेटी और पत्नि को भी शिवाय के सामने परोस देगा ,वैसे भी शिवाय ने कसम खायी है वो भुजंग की हर पापी और नीच औलाद को चोदेगा ,बहुत पाप कर लिया है इन सबने जरा इन्हें भी तो दर्द का एहसास मिलना चाहिये ,शिवाय तो मेरे साथ ही आने वाला था ,उसने विकराल उसके सभी भाइयों का क्या किया यह भी पता चल जाएगा मुझे राक्षसलोक के बाहर जाकर ,यहा में अपने मन से किसी के साथ संपर्क नही बना पा रहा हु ,भुजंग का ऐसा कौनसा राज है इस राक्षसलोक मे इसका पता भोकासुर लगाने गया है ,में जाकर शिवाय को लेकर आता हु ,राक्षसलोक के समय के अनुसार भुजंग को एक महीना लगने वाला है आने में उसके आने से पहले शिवाय यहा पर बहुत कुछ करके निकल जायेगा ,शिवाय के बारे में विचित्र और में ही जानते है ,बाकी कोई नही जानता और शिवाय यहा आकर विचित्र के साथ क्या करता है कोई नही बता सकता ,अपने ख्याल में डूबा कालराक्षस अपने दिए हुवे महल में वापिस आ गया ,उसने बीरा से कहा में थोड़ी देर में ही वापस आता हूं ,तब तक तुम हम तीनों के लिये खाना बना लो ,इतना कहकर कालराक्षस प्रवेश द्वार पर चल गया वहाँ उसने विचित्र से मिली मुद्रा से उस द्वार को खोल कर बाहर आ गया ,उसने सभी राक्षस सैनिकों से बात की उनकी माफी भी मांगी अपने कृत्य के लिये ,सबको यह बात पता चल चुकी थी वो अब 3 विभाग की सेना का प्रमुख बन गया है ,इस प्रवेश द्वार की रक्षा करने वाले सभी सैनिक उसके अधीन ही थे ,सबको बहुत अच्छा लगा कि यह राक्षस उनका प्रमुख होकर उनसे माफि मांग रहा है ,कालराक्षस ने उनकी मदद के लिये वहां कुछ भयानक मायावी जीव बनाकर दिए ,जो उनकी हर बात मानने का भी उसने प्रबंध कर दिया ,उन सबके साथ आधा घण्टा बिताक़र कालराक्षस ने उसे प्रवेश द्वार की सुरक्षा और कड़ी कर दी थी ,जिसे अपने कमरे में बैठकर देख रहे 10 राजकुमार बहुत खुश हो गए ,अपने पद पर आते ही कालराक्षस अपनी जिम्मेदारी निभा रहा था ,ना कि कोई जश्न मना रहा था बाकी राक्षस की तरह ,पर उन्हें क्या पता इस आधे घण्टे में क्या हुवा था ,शिवाय एक पल में ही यहा कालराक्षस के बुलाने पर आ गया था ,अपने अदृश रूप में आकर वो राक्षसलोक में दाखिल भी हो चुका था ,खुले दरवाजे से ,उसे कोई भी देख नही पाया था ,कालराक्षस ने उसे विचित्र कहा रहता है यह बता दिया था ,शिवाय ने सुबह ही शिवा से राक्षसलोक जाने के बारे में बात कर ली थी ,जैसे ही उसकी कालराक्षस से बात हुवीं वो एक पल में यहा आ गया था ,कालराक्षस ने अपने मन से उसे सब कुछ समाझा दिया था ,शिवाय सीधा विचित्र के महल में पहुच गया ,सबसे पहले शिवाय ने विचित्र की माया को तोड़कर वहां अपनी माया का जाल बिछा दिया ,विचित्र के सामने अदृश रुप में जाकर वो बैठ कर उसके मन की बात पढ़ने लगा ,विचित्र तो रानी महल के बारे में ही सोच रहा था ,उसे शिवाय का बहुत बेसब्री से इंतजार था ,शिवाय ने उसके मन की बात जानकर एकदम से विचित्र के सामने प्रकट हो गया ,शिवाय ने भी एक राक्षस का रुप ले लिया था ,कालराक्षस से भी बड़ा और बलवान रूप लेकर वो विचित्र के सामने खड़ा था ,उसे देखकर विचित्र की गांण्ड थोड़ी फट गई थी ,उसने डरते हुवे पूछा ,कौन हो तुम और मेरे महल में कैसे आ गए तुम ,शिवाय ने हसकर कहा ,लो आपने ही तो मुझे बुलाया है ,आप को रानी महल में जाना है ना राजकुमार ,में शिवाय हु आपका खास आदमी ,बोलिये कब चलना है रानी महल ,विचित्र उसकी बात सुनकर खुशी से उछल पड़ा ,साला तू तो बड़े काम का निकला शिवाय आते ही मेरी इच्छा पूरी करने लग गया ,तू मेरे मन को पढ़ सकता है ,इसका मतलब तू जरूर रानी महल की माया को तोड़ देगा ,चल हम अभी इसी वक्त चलते है रानी महल ,विचित्र ने शिवाया का हाथ पकड़ लिया और उसे लेकर सीधा रानी महल की सुरक्षा घेरे के बाहर पहुच गया ,शिवाय को उसने वो कवच दिखा दिया ,जो पूरे महल के चारो और लगा हुवा था ,वो एक कांच की तरह था ,जो किसी आम राक्षस को समझ नही आता था ,शिवाय ने उस कवच को देखकर कहा ,राजकुमार में इस मायावी कवच को तोड़ सकता हु पर कोई एक ही अंदर जा सकता है ,आप बोलिये में वैसा कर दूंगा ,
विचित्र बड़ी खुशी से, ठीक है तुम एक काम करो में इस कवच को पार करके अंदर जाना चाहता हु ,मुझे अंदर भेजकर तुम मेरे महल में लौट जाओ में तुमसे बाद में आकर मिलता हु ,शिवाय ने कहा ,ठीक है राजकुमार ,शिवाय ने एक कवच लगा दिया विचित्र के शरीर पर ,और कहा ,राजकुमार आप इस कवच से इस माया को तोड़ कर अंदर जा सकते है पर आप इसमे अदृश नही हो सकते ,आप को कोई भी देख सकता है ,बाकी आप की सभी शक्तिया काम करेगी ,
विचित्र ,मुझे बस इसे एक बार पार करने दो बाद में बाकी में सब देख लूँगा ,इस विचित्र की माया से सब डरते है राक्षसलोक में ,
शिवाय ने एक कवच लगा दिया विचित्र के शरीर पर और उसे अंदर जाने का इशारा किया ,विचित्र बहुत ज्यादा होशियार था ,उसने सबसे पहले अपने हाथ की एक उंगली अन्दर घुसाकर देखी ,अपनी उंगली को कोई नुकसान नही होता देखकर ही वो उस कवच के पार हो गया ,उसने शिवाय की तरफ हसकर देखा और कहा ,बहुत अच्छा काम किया है तुमने ,तुम यहा से लौट जाओ ,इतना कहने के बाद विचित्र आगे बढ गया ,उसने सबसे पहले अपने आप को अदृश करने का प्रयास किया जिसमें वो नाकाम रहा ,फिर उसने मन मे कहा मुझे शिवाय पर पूरा भरोसा करना होगा ,वह मेरे बहुत काम आने वाला है आगे ,पिताजी को आने में अभी एक महीना बाकी है तब तक मे जिमाली और तामली से विवाह कर लूंगा ,पिताजी भी मुझे कुछ नही कर सकते उनसे विवाह होने के बाद ,मेरे भाइयो ने तो उनकी पत्नियों को नही छोड़ा था ,उनकी कितनी ही बेटीयो को हम भाइयो ने उनके होते हुवे चोदा था ,में तो इन दोनो से शादी कर लूंगा और शिवाय की माया से इनके दिमाग में मेरे लिये प्रेम जगा दूँगा ,जब यह दोनो खुद अपने मुह से कहेगी की हमे विचित्र के साथ रहना है ,तो पिताजी कुछ नही कर सकते ,मेरे रानी महल की माया तोड़ने की खबर राक्षसलोक में जब फैल जाएगी हर कोई मुझसे और डरने लगे जाएगा ,कोई मेरे सामने आने की हिम्मत भी नही करेगा ,एक महीना इन दोनों की जवानी का सारा रस में पी जाऊंगा ,अपने मन मे विचार करता विचित्र रानी महल में दाखिल हो गया था ,उसको वहां देख कर हर कोई हैरान हो गया था ,किसी राक्षसलोक के राक्षस का यहा आना मना था ,कोई राजकुमार् तक नही आ सकता था यहा पर ,विचित्र को यहा देखकर सब डर भी गए थे ,उसकी मायावी ताकद के बारे में सभी जानते थे ,कोई उसे रोकने की हिम्मत भी नही कर रहा था ,और वैसे भी यहा सभी राक्षस औरते ही थी कोई राक्षस पुरुष नही था ,विचित्र की नजर तो बस जिमाली और तामली को ढूंढ रही थी ,उसे महल में एक से बढ़कर एक हसीन औरतें दिख रही थी ,जो जिमाली और तामली से भी बहुत ज्यादा खूबसूरत और हसीन थी ,विचित्र अपने मन मे पिताजी तो बहुत ज्यादा मजे करते है क्या एक से बढ़कर एक पटाखा है यहा पर लगता है सभी को चोद डालूं ,पर इनपर हाथ डालना बेवफुकी होगी ,पहले जिमाली और तामली को भोग लू उसके बाद सबका नंबर लगा दूँगा शिवाय की मदद से ,इस शिवाय को बहुत संभलकर रखना होगा ,इसे सबके सामने लाना नही नही होगा ,कालराक्षस मेरी यह बात नही टालेगा में उसे समझा दूँगा अगर नही माना तो उसका भी दिमाग शिवाय बदल देगा ,अपने ख़्याल में डूबा जिमाली और तामली को ढूंढने में पूरा महल घूम रहा था ,तभी उसे दोनो एक कमरे में नजर आ गयी ,दोनो विचित्र को अपने सामने देखकर घबरा गई वो अपना मुह खोलकर कुछ कह पाती उससे पहले ही विचित्र ने उन दोनों को अपनी माया से बेहोश कर दिया ,दोनो को बेहोश करके उसने अपनी माया से हवा में उठा लिया ,दोनो को लेकर वो महल के बाहर निकलने लगा ,तभी एक गजब की खूबसूरत औरत ने उसे रोकने कि कोशिश की पर विचित्र ने उसे एक पल में ही बेहोश कर दिया अपनी माया से ,सब रानी महल की औरते डर गई थी कोई कुछ नही बोल रहा था ,विचित्र उन दोनों को लेकर सबसे पहले सुरक्षा घेरे के बाहर आ गया उसके बाद उन दोनों को लेकर सीधा वो गायब होकर अपने महल में पोहच गया ,उसने दोनो को एक कमरे में बंद कर दिया और अपने महल में शिवाय को धुंडने लगा ,शिवाय उसे दरबार मे एक खुर्सी पर बैठा हुवा मिला ,विचित्र ने उसके सामने जाकर उसे आवाज लगाई ,शिवाय तुम्हारी वजह से आज में बहुत खुश हूं ,आज तुमने मेरी बरसो की तमन्ना पूरी कर दी है ,बोलो तुम्हे क्या चाहिए ,तुम जो भी मांगो में तुम्हे देने को तैयार हूं ,
शिवाय उसे देखकर हस रहा था वो विचित्र को देखकर बोला ,आप खुश तो में खुश ,मुझे कुछ भी नही चाहिए आपसे में हमेशा आप की सेवा करता रहूंगा सिर्फ आप यह बात कालराक्षस को मत बताना नही तो वो मुझे यहा से भगा देगा ,विचित्र ,नही शिवाय आज के बाद कोई तुम्हे यहा से नही निकाल सकता ,में कालराक्षस को कुछ नही बताने वाला ,आज से तुम अदृष्य रुप में ही राक्षसलोक में रहना ,तुन्हें जिस चीज की जरूरत हो तुम बस मुझे कह देना ,
शिवाय ,जैसा आप कहे ,में जरा कालराक्षस से मिलकर आता हूं ,आने के बाद में यही रहुँगा अपने अदृष्य रूप में ,आप जब भी मुझे बुलाया करेंगे में आ जाऊंगा ,इतना कहकर शिवाय वहां से अदृष्य हो गया ,विचित्र उसके जाते ही अपनी हवस के चलते जिमाली और तामली के कमरे में दाखिल हो गया ,अपने सब कपड़े उतार कर वो नंगा हो गया और जिमाली और तामली के भी सब कपड़े उतार कर उन्हें भी नंगा कर दिया अपनी माया से ,विचित्र ने अपनी माया से दोनो के हाथ पैर भी बांध दिये ,और अपने चेहरे को पकड़ कर वो बुरी तरह नोचने लगा ,अपने पूरे बदन पर उसने नाखूनों से नोच कर खुद को लहुलुहान कर दिया ,और उन दोनों के कमरे से बाहर आकर उसे वापस बन्द कर दिया और एक कमरे में जाकर नंगा ही सो गया ,इस सबके दौरान उसकी आंखें बंद ही थी ,यह सब किया था शिवाय की माया ने जो महल में ही मौजूद था ,आज से उसने विचित्र को अपना गुलाम बना दिया था ,जिसकी शुरवात उसने महल में आने के बाद ही कर दी थी ,अब विचित्र के साथ उसके सभी सैनिक शिवाय के गुलाम बन चुके थे ,
शिवाय अपने मन मे ,बेटा भुजंग तू बहुत पुण्यवान है ना ,तूने अभीतक कोई भी पाप नही किया ना ,अब देख जब तू वापस आएगा ना राक्षसलोक तू हर वो पाप करेगा जो तूने नहीं किया हो ,में तुझे हर वो पाप करवाने पर मजबूर कर दूंगा ,जिसे तू पुण्यकर्म समझ कर करेगा पर वो पापकर्म होगा जिसकी शुरुआत तू अपने बेटे की हत्या से करेगा ,तेरा बेटा विचित्र तेरी नजरो से सबसे पापी होगा ,उसे खुद तू ही मारेगा पर किसी निर्दोष को मारना पाप होता है यह तुझे समझ नही आएगा ,तेरा असली चेहरा और रुप में लाऊंगा सबके सामने ।