Incest जिन्दगी एक अनाथ की ~written by Goldybull~

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Update 104
राक्षसलोक में भोकासुर ,बीरा और कालराक्षस को एक महल दिया गया था रहने के लिये ,उन तीनों के बारे में सब को पता चल गया था ,कालराक्षस को देख कर ही बहुत से राक्षस डर जाते थे ,जहा राक्षसलोक के सभी राक्षस 200 फिट के आस पास ही थे ,भुजंग के बेटे भी 250 फिट के आस पास लंम्बे थे वहां कालराक्षस 350 फिट का लंबा ,चौड़ा था ,दिखने में भी वो बाकी राक्षस की तरह गन्दा नही था ,उसका रंग एकदम गोरा ,सुंदर और आकर्षक मर्दानी चेहरा ,काले लम्बे बाल ,मजबूत कंधे ,बलशाली भुजाएं ,चौड़ी और विशाल छाती ,भारी भरकम टाँगे उसे सबसे अलग दिखा देती थी,राक्षसलोक में बस उसी के चर्चे हो रहे थे ,राक्षसलोक में बस एक भुजंग ही उसके टक्कर का था ,पर कहा वो 30 हजार साल का भुजंग और यहा एकदम जवान राक्षस ,कालराक्षस ने अपनी उम्र 900 साल बतायी थी सभी को ,राक्षसलोक की हर औरत में कालराक्षस की चर्चा होने लगी थी ,राजकुमार भोकाल को सब दुवा दे रहे थे ,उसके मरने की वजह से ही वो कालराक्षस को देख पा रहे थे,कालराक्षस किसी राजकुमार् से कम नही था ,जब विकराल बलिलोक जा रहा था तब उसने बहुत जिद की थी साथ जाने की ,पर विकराल को अपने ताकद पर बहुत ज्यादा घमण्ड था ,वो सबको दिखाना चाहता था कि भुजंग के बेटो में कितना दम है ,अपने भाई भोकाल को मारने वाले को वो राक्षस लोक में हाथ पांव काटकर लाने वाला था ,ताकि उसकी हालत देखकर सबको सबक मिल सके कि भुजंग से टकराने की सजा क्या होती है ,कालराक्षस को अपनी सेना का सेनापति बनाकर विकराल ने एक बेहतरीन योद्धा और ईमानदार राक्षस को अपने पाले में ले लिया था ,जिसकी वजह से उसके सभी भाई भी खुश थे ,कालराक्षस जैसा असमान्य राक्षस उनके पास होने से उनका ही फायदा था ,जब भुजंग कालराक्षस को देखेगा तो वो बहुत खुश होने वाला था ,भुजंग हमेशा राक्षसलोक के बहादुर और ताक़दवर राक्षसो को अपने सैन्य में भर्ती करता था ,वो हमेशा ताक़दवर और जांबाज लोगो की कद्र करता था ,अपने सैन्य को वो हमेशा युद्धकला की गुण सिखाता रहता ,भुजंग को सभी बहुत मानते थे ,उसकी जितनी इज्जत और मान राक्षसलोक में था ,उतना उसके किसी बेटो को नही मिलता क्योकि उसका कोई भी बेटा अच्छा नही था ,सभी एक नंबर के कमीने ,नीच और धोखेबाज थे ,वो राक्षसलोक के साथ पाताल से भी असुर ,दानव ,और पाताल की सुंदर औरतो को अपनी हवस का शिकार बनाते थे ,कितनी ही बार तो वो अपने पिता के पत्नियों को भी चोद चुके थे ,भुजंग की हजारो पत्निया थी ,35 हजार साल से लेकर 1000 साल तक कि राक्षस औरते उसकी पत्नियां थी ,बहुत सी असुर और पाताल की औरते भी उसकी पत्नियां थी ,सबसे उसे सन्ताने हुवीं थी ,उसके 1000 बेटे इन सभी औरतो से ही उसने पैदा किये थे ,भुजंग की 1200 बेटिया भी थी ,जिनमे से कुछ की शादिया हो गई थी और कुछ की बाकी थी ,पर पूरे राक्षसलोक में भुजंग की 20 बेटीयो के चर्चे थे ,वो बहुत ही ज्यादा सुंदर और ख़ूबसूरत थी ,भुजंग का एक खास महल था जिसमे भुजंग के सिवा कोई नही जा सकता था ,उसका कोई बेटा भी नही जा सकता था उस महल में ,उसी महल में भुजंग की 50 पत्नियां रहती थी जिनसे भुजंग बहुत ज्यादा प्यार करता था ,वो सभी बहुत ही खास और चहेती पत्नियां थी उसकी ,उनके बारे में यही कहा जाता था कि कुछ अप्सरा है तो कोई गंधर्व लोक की कन्याए ,उनसे ही भुजंग को 20 खूबसूरत बेटिया हुवीं थी ,उसके खुद के बेटे भी उनकी सूंदरता के दीवाने थे ,सभी उनसे शादी करके या जबरदस्ती पाने की कामना रखते थे ,भुजंग अपने बेटो को बहुत अच्छे से जानता था ,इसीलिये उसने अपने इस खास परिवार को सबसे दूर रखा हुवा था ,उस महल में काम करने के लिये सभी राक्षस महिलाएं जाती थी ,जिनपर खास भुजंग की माया का एक कवच होता ,उसी कवच के वजह से वो उस महल में जा सकती थी ,जो भी उस महल में चोरी छिपे घुसने की कोशिश करता वो एक पल में भुजंग के रक्षा कवच से मारा जाता ,वो रानी महल के नाम से राक्षसलोक में मशहूर था ,रानी महल कई हजार एकड़ में फैले एक सुंदर बगीचे में था ,जहा दुनिया की हर खूबसूरत चीज ,जीव ,पशु,पक्षी मौजूद थे ,भुजंग ने किसी स्वर्ग की तरह रानी महल को रखा हुवा था ,भुजंग पाताल में तपसाधना के लिये किसी गुप्त साधना पर कितने हजार साल पर गया था ,उसके साथ उसके 20 बेटे गये थे ,वो सबसे बडे और सबसे ज्यादा बलशाली थे ,अपने पिता की सुरक्षा करने वो उस जगह पर राक्षसलोक छोड़कर पाताल में हजारो साल से रह रहे थे ,कालराक्षस को यह सब जानकारी राक्षसलोक में आकर ही मिली थी ,राक्षसलोक को सजाने और सुंदर करने का काम बहुत जोरों से चल रहा था ,बहुत जल्द भुजंग यहा पर अपनी तपसाधना खत्म करके आने वाला था ,उसके स्वागत की तैयारी में राक्षसलोक को और सुंदर करने का काम सभी मिलकर कर रहे थे ,जिसपर भोकाल की मौत होने से और 100 भुजंग के बेटे उसके प्रतिशोध में जाने से भी कोई फर्क नही पड़ा था ,भोकासुर तो अपने गले मे उनको मिली खास राक्षस मुद्रा लेकर राक्षसलोक की सैर करने निकल गया था ,महल में बीरा और कालराक्षस ही बैठकर बाते कर रहे थे ,तभी एक सैनिक ने आकर उन्हें बताया कि राजकुमार् विचित्र ने उसे बुलाया है ,कालराक्षस उसीके साथ चला गया ,
राजकुमार विचित्र भुजंग का 700 वा बेटा था ,जो बहुत ही बुद्धिमान और शातिर राक्षस था ,उसके ऊपर भुजंग को भी बहुत ज्यादा भरोसा था ,वो ज्यादा किसी से नही मिलता ,उसके पास माया का जबरदस्त जादू था ,उसकी माया को कोई भी जल्दी नही तोड़ पाता था ,वो माया के साथ बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली और बलवान था ,उसे कालराक्षस ने भी नही देखा था ,वो अपने साथ के सैनिक से बात करता विचित्र के महल के बाहर पोहच गया ,उसे वहां से सैनिक ने अंदर जाने के लिये कहा ,अंदर सिर्फ विचित्र के खास लोग ही जा सकते थे ,कालराक्षस उस महल में दाखिल हो गया ,उसे महल में आते है वहा की माया के बारे में सब समझ आ गया ,पूरे महल में एकसे बढ़कर एक राक्षस सैनिक पहरा दे रहे थे ,उनमे कुछ असली थे तो कुछ मायावी ,कालराक्षस सबकी तरफ देखता चल रहा था ,उसे एक महल के अंदर से मायावी राक्षस सैनिक साथ लेकर चल रहा था ,कालराक्षस को लेकर एक दरबार मे ले आया जहा पर बस एक ही इंसान बैठा हुवा था सिहासन पर कालराक्षस को वही छोड़कर वो मायावी राक्षस चला गया ,
कालराक्षस ने अपने सामने बैठे उस राजकुमार् विचित्र को आदर से प्रणाम किया और अपने जगह पर खड़ा हो गया ,
कालराक्षस की तरफ देखते हुवे राजकुमार विचित्र ने कहा ,तो तुम हो कालराक्षस जिसके चर्चे हम सुबह से सुन रहे है ,तुम भोकाल के साथ कबसे हो ,तुम्हारा जन्म कहा हुवा था ,तुम्हारे माता पिता का नाम क्या है ,सब कुछ हम तुमसे जानना चाहते है ,तुमने सिर्फ इंद्रजीत का धनुष का भाता हमारे भाइयो को दिखाया ,उस भाते की कीमत बिना धनुष के कुछ भी नही है ,तुमसे वो सभी खुश हो सकते है में नही ,तुम यहा पर अपनी झूठी स्वामी भक्ति दिखा कर मुझे मूर्ख नही बना सकते ,
कालराक्षस ने कहा ,क्षमा करे राजकुमार् आपको मुझ पर विस्वास नही है यह जानकर मुझे बहुत दुख हुवा ,आपको मेरे बारे में पुछने का पूरा अधिकार है और में आपको सब कुछ बताने को भी तैयार हूं ,में बचपन से ही अनाथ हु ,मेरे माता पिता कौन है यह में भी नही जानता ,मेरा जन्म कहा हुवा यह में भी नही जानता ,जब होश संभला तो में राजकुमार् भोकाल के महल में ही रहता था ,उनकी सेवा करना ही मेरा धर्म था ,उन्होंने ही मुझे बहुत कुछ सिखाया था ,वो मेरे मालिक के साथ मेरे गुरु भी थे ,वो जहा जाते में उनके साथ होता ,जब राजकुमार भोकाल ने महाराज भुजंग बनकर गरुड़ लोक के महाराज को मारा था उस वक्त में भी उनके साथ ही था ,उस वक्त के बाद में कभी राक्षसलोक नही आया ,मुझे पाताल में राजकुमार भोकाल के साथ ही रहना पड़ा ,वहां पर काल लोक के असुरो से मुझे माया की बहुत सी विद्या सीखने को मिली ,पाताल में बहुत सी गुप्त कला और युद्धकला में राजकुमार भोकाल की वजह से सिख पाया ,उन्होंने ही मेरी क्षमता को देखकर मुझे कुछ दिव्य अस्रो का पता लगाने भेजा था ,मेरी शादी भी उनके महल में काम करने वाले एक दासी की बेटी से उन्होंने करवाई थी ,में आपको एक और राज की बात बताना चाहता हु जो शायद आपको पता नही होगी धरती पर एक बिल्व ऋषि का आश्रम है वही पर आज तक जितने भी राक्षस वीर मर चुके है उनके हथियार मौजूद थे ,उसकी रक्षा बीरा नाम की एक वीर राक्षस औरत करती है ,उस भूमि पर जाते ही कोई भी राक्षस पुरुष पल भर में मारा जाता है ,वहां पर एक बिल्व ऋषि का शाप का परिणाम आज भी मौजूद है ,वहां कोई राक्षस पुरुष नही जा सकता ,मेंनें मेरी पत्नी को वहां जानकारी लेने के लिये भेजा था ,उसे वहां कोई नही मिला ,सिर्फ उसे वो दिव्य भाता मिला ,या तो किसिने वो दिव्य हथियार हासिल कर लिए है या वो वहा से कही और रख दिये गए है ,में यह सब बातें राजकुमार भोकाल को बताने वापस पाताल आया था ,मुझे इन सब दिव्य हथियारों को ढूंढने में सेकड़ो साल लग गए थे ,जब में वापिस आया तो मुझे राजकुमार् भोकाल की मृत्यु के बारे में पता चल गया ,में खुद उसको मारना चाहता था जिसने हमारे राजकुमार् को मार दिया ,पर मेरे पास इस दिव्य हथियार का होना और उसकी जानकारी आप सब तक पहुचाना ज्यादा जरुरी था ,इसलिए में राक्षसलोक आया था ,आप को मेंनें सब बता दिया है ,आप महाराज तक यह सब जरूर पहुचा देंगे ,में तो राजकुमार् विकराल के साथ ही पाताल जाने वाले था पर उनके आदेश की वजह से मुझे यहा रुकना पड़ा ,में पहले से ही पाताल में रहता आया हु ,मुझे राक्षसलोक में रहना भी पसन्द नही है ,ना कोई यहा मेरा अपना है ,आप अगर मुझे आज्ञा दे तो में राजकुमार विकराल के पास चला जाता हूं ,वैसे भी राजकुमार विकराल उस शत्रु को आरामसे मार सकते है ,में उनसे पाताल में मिलकर उनकी जीत की बधाई भी दे दूंगा और बाद में अपनी पत्नी के साथ वही रहकर आपका दास बना रहुँगा ,आप जो काम मुझे करने को बोलेंगे उसे में हरसंभव पूरा करने की कोशिश करूंगा ,में आपसे माफी मांगू या आपके प्रतिरूप से यह आप बता दे ,आप जिस तरह अदृष्य होकर मेरे इर्दगिर्द घूम कर मुझे देख रहे इससे मुझे बहुत पीड़ा हो रही है ,आप को खुद मेरे घर अदृश्य होकर आना पड़ा ,आप मेरे साथ ही महल तक चलते आये ,आपको में अपने घर के पास ही देख चुका था ,पर किसी के सामने आपको देखने की बात करके में आपका अपमान नही कर सकता था ,आप मेरे मालिक है ,आपकी इज्जत और शान का मान रखना ही मेरा धर्म है ,विचित्र कालराक्षस की बाते सुनकर हैरान हो गया था ,जब कालराक्षस ने उसे यह बताया कि वो उसकी माया को पहचान चुका है इतना ही नही उसके अदृश्य रूप को भी वह आसानी से देख सकता है यह सुनकर विचित्र को आश्चर्य हुवा था ,उसकी माया उसके पिता और 20 बड़े भाई ही समझ सकते थे पुरे राक्षसलोक में ,आज कालराक्षस ने उसकी माया को तोड़कर उसको यह अहसास करा दिया था कि वो कितना ताक़दवर है माया में ,ऐसे बलवान ,स्वामी निष्ठ ,और मायावी राक्षस को खोना बहुत बड़ी भूल थी ,विचित्र को भी धरती के बिल्व ऋषि के आश्रम के बारे मे पता था ,भुजंग ने ही उसको धरती पर गुप्त रूप से भेजा था ,ताकि विचित्र अपनी माया से बीरा को हरा सके ,पर बीरा ने विचित्र के मायावी राक्षस सेना को पल भर में मार दिया था ,कालराक्षस इतना सब कुछ जानकर भी उनके परिवार का वफादारी करना नही भूला था ,ऐसे आदमी को अगर मेरे वजह से राक्षसलोक छोड़ना पड़ा और भुजंग को यह बात पता चली तो उसकी खैर नही थी ,भुजंग हमेशा ऐसे वफादार और बहादुरों की कद्र करता था ,विचित्र की नजर तो कालराक्षस के पत्नी पर थी ,दिखने में वो इतनी खूबसूरत तो नही थी पर उसका बदन बहुत जबरदस्त था ,उसे भोगने की चाहत विचित्र के मन मे हो गयी थी ,कालराक्षस को मार कर या उसे यहा से भगा कर वो उसकी पत्नी को भोगने वाला था ,पर कालराक्षस की बात सुनकर विचित्र ने अपने सब गलत खयाल छोड़ दिये ,उसने अपने असली रूप में आकर कालराक्षस को गले लगा लिया और कहा ,नही कालराक्षस तुम कही नही जाओगे ,तुम जैसे वीर और बहादुर राक्षसलोक की शान होते है ,आज से तुम विकराल ही नही बल्कि हम सभी के खास हो ,आज से में तुम्हे हमारी 3 विभाग की सेना का सेनापति घोषित करता हु ,हमारे पिता के लिये इतना सन्मान रखने वाले और हमारे परिवार के इतने भले की सोचने वाले को हम भला कही जाने देंगे ,उसके बात बहुत देर तक दोनो बाते करते रहे ,कालराक्षस ने विचित्र को बहुत सी नई माया सिखाई ,जिसकी वजह से विचित्र के लिये तो कालराक्षस उसका सबसे भरोसे का आदमी बन गया ,उसने अपने सभी 200 भाइयोंको बुलाकर कालराक्षस को सेनापति बनाने की बात बता दी ,विचित्र सबसे बड़ा और शक्तिशाली था ,सिर्फ उसको ही पहले कालराक्षस पसन्द नही आया था ,बाकी सभी भाइयों को तो वो पहले से पसन्द था ,पर जब उन्होंने देखा कि कालराक्षस ने अपने सबसे बुद्धिवान भाई को भी प्रभावित कर दिया है तो उनको इससे खुशी हो गयी ,सब लोगोने कालराक्षस से बाते की ,सबके लिये कालराक्षस एक खास आदमी बन गया था ,जब पूरे राक्षसलोक में यह बात फैल गई कि विचित्र ने भी कालराक्षस को पसन्द करके अपनी सेना का सेनापति बना दिया है ,तो उनके मन मे कालराक्षस को देखने को लालसा होने लगी ,विचित्र कभी किसी को जल्दी अपने पास नही आने देता था ,उसके महल में उसके सगे भाई भी जाने से डरते थे ,जब तक वो खुद किसी को नही बुलाता कोई उसके पास नही जाता ,ऐसे विचित्र को कालराक्षस को अपनी सेना का सेनापति बनाना खास बात थी ,विचित्र कालराक्षस से अपने बहुत काम करने को सोच रहा था ,उसका सबसे पहला काम रानी महल के अंदर जाने का था ,रानी महल की माया अगर कालराक्षस ने तोड़ी तो वो कालराक्षस को जो चाहे वो देने को तैयार था ,रानी महल में रहने वाली जिमाली और तामली को पाने का उसका बहुत बड़ा सपना था ,जब उसने अपनी दो सौतली बहनो को देखा था तबसे उन्हें पाने की लालसा उसके मन मे हो रही थी ,एक बार उसके पिता भुजंग के साथ उसने इन दोनो को देखा था ,दोनो सगी बहन थी ,सुंदरी नाम की अप्सरा से पैदा हुवीं यह दोनो बहने बहुत कमाल की थी ,उनका रूपसौन्दर्य देखकर विचित्र को तो उनके मा से भी संभोग करने की इच्छा होती थी ,ऐसी सुंदर कन्या पैदा करने वाली कितनी हसीन और खूबसूरत होगी ,यह सोचकर ही उसका लन्ड खड़ा हो जाता था ,कालराक्षस ने विचित्र से विदा लेते हुवे कहा कि राजकुमार् आप से एक बात कहनी थी मेरा एक साथी और हे जिसको मेंनें राक्षसलोक में नही लाया ,उसे मेंनें पाताल में ही छोड़कर आया था ,वो मुझसे भी ज्यादा बहादुर और ताक़दवर हे ,उसके पास मुझसे ज्यादा माया की विद्या की जानकारी है ,मुझे लगा था कि में वापस चला जाऊंगा आपको सब बता कर ,पर आपने मुझे यहाँ रोक दिया है ,वो भी राजकुमार भोकाल का खास था ,मेरे जैसा वो भी एक अनाथ है ,बस उसकी एक आदत ज्यादा खराब है ,वो बहुत बड़ा हवसी है ,इसी वजह से में उसे यहा नही लाया था ,पर उसकी वो आदत छोड़ दे तो वो मुझसे भी दस गुना काम का राक्षस है ,विचित्र की तो आंखे ही चमकने लगी यह सब सुनकर हवसी आदमी की तो उसे बहुत जरूरत थी ,कालराक्षस बहुत ज्यादा स्वामी भक्त और सीधा था ,उससे अपना काम करने में मुश्किल होता पर उसका दोस्त बहुत काम का साबित हो सकता है ,विचित्र ने हसकर कहा ,हवस ही हमारी सबसे बड़ी ताकद होती है कालराक्षस ,तुम बहुत सीधे और सरल हो तुमको हमारे पिता बहुत ज्यादा पसन्द करने वाले है ,तुम एक काम करो तुम्हारे दोस्त को आज ही राक्षसलोक बुला लो ,उसे मेरे साथ रखकर में उसे संभाल लूँगा ,उसकी हवस का भी में खयाल रख सकता हु जिससे वो यहा ठीक से रह लेगा ,क्या नाम है उसका
कालराक्षस ,जी उसका नाम कोबरा है ,उसका यह नाम उसने खुद रखा है ,वो महाराज भुजंग का आ बहुत बड़ा भक्त है ,वो उनको भगवान ही मानता है
विचित्र ,यह तो और भी अच्छी बात है ,वो अपने भगवान के बेटो के साथ रहेगा और जल्द ही अपने भगवान के दर्शन करने को उसे मिल जाएंगे ,तुम उसे आज ही बुला लो ,चाहो तो तुम खुद जाकर उसे ले आना ,यह लो यह एक राजमुद्रा है इसकी मदद से तुम कभी भी राक्षसलोक के बाहर द्वार से जा सकते हो ,वैसे भी तुमने अपने आते ही प्रवेश द्वार पर जो हंगामा किया था सब तुमको जान गए है ,और अब तुम हमारी 3 विभाग के सेना के सेनापति हो ,तुम्हे रोकने और टोकने की हिम्मत कोई भी नही कर सकता ,तुम आज ही शिवाय को यहा लेकर आना ,
कालराक्षस ने विचित्र से विदा लेकर अपने महल की और चला गया ,वो अपने मन मे हस रहा था ,यह विचित्र की गांण्ड में बहुत बड़ी खुजली है ना दुसरो की औरतो को भोगने की ,इसके लिये शिवाय ही बहुत सही रहेगा ,रानी महल में घुसने के लिये वो अपनी बेटी और पत्नि को भी शिवाय के सामने परोस देगा ,वैसे भी शिवाय ने कसम खायी है वो भुजंग की हर पापी और नीच औलाद को चोदेगा ,बहुत पाप कर लिया है इन सबने जरा इन्हें भी तो दर्द का एहसास मिलना चाहिये ,शिवाय तो मेरे साथ ही आने वाला था ,उसने विकराल उसके सभी भाइयों का क्या किया यह भी पता चल जाएगा मुझे राक्षसलोक के बाहर जाकर ,यहा में अपने मन से किसी के साथ संपर्क नही बना पा रहा हु ,भुजंग का ऐसा कौनसा राज है इस राक्षसलोक मे इसका पता भोकासुर लगाने गया है ,में जाकर शिवाय को लेकर आता हु ,राक्षसलोक के समय के अनुसार भुजंग को एक महीना लगने वाला है आने में उसके आने से पहले शिवाय यहा पर बहुत कुछ करके निकल जायेगा ,शिवाय के बारे में विचित्र और में ही जानते है ,बाकी कोई नही जानता और शिवाय यहा आकर विचित्र के साथ क्या करता है कोई नही बता सकता ,अपने ख्याल में डूबा कालराक्षस अपने दिए हुवे महल में वापिस आ गया ,उसने बीरा से कहा में थोड़ी देर में ही वापस आता हूं ,तब तक तुम हम तीनों के लिये खाना बना लो ,इतना कहकर कालराक्षस प्रवेश द्वार पर चल गया वहाँ उसने विचित्र से मिली मुद्रा से उस द्वार को खोल कर बाहर आ गया ,उसने सभी राक्षस सैनिकों से बात की उनकी माफी भी मांगी अपने कृत्य के लिये ,सबको यह बात पता चल चुकी थी वो अब 3 विभाग की सेना का प्रमुख बन गया है ,इस प्रवेश द्वार की रक्षा करने वाले सभी सैनिक उसके अधीन ही थे ,सबको बहुत अच्छा लगा कि यह राक्षस उनका प्रमुख होकर उनसे माफि मांग रहा है ,कालराक्षस ने उनकी मदद के लिये वहां कुछ भयानक मायावी जीव बनाकर दिए ,जो उनकी हर बात मानने का भी उसने प्रबंध कर दिया ,उन सबके साथ आधा घण्टा बिताक़र कालराक्षस ने उसे प्रवेश द्वार की सुरक्षा और कड़ी कर दी थी ,जिसे अपने कमरे में बैठकर देख रहे 10 राजकुमार बहुत खुश हो गए ,अपने पद पर आते ही कालराक्षस अपनी जिम्मेदारी निभा रहा था ,ना कि कोई जश्न मना रहा था बाकी राक्षस की तरह ,पर उन्हें क्या पता इस आधे घण्टे में क्या हुवा था ,शिवाय एक पल में ही यहा कालराक्षस के बुलाने पर आ गया था ,अपने अदृश रूप में आकर वो राक्षसलोक में दाखिल भी हो चुका था ,खुले दरवाजे से ,उसे कोई भी देख नही पाया था ,कालराक्षस ने उसे विचित्र कहा रहता है यह बता दिया था ,शिवाय ने सुबह ही शिवा से राक्षसलोक जाने के बारे में बात कर ली थी ,जैसे ही उसकी कालराक्षस से बात हुवीं वो एक पल में यहा आ गया था ,कालराक्षस ने अपने मन से उसे सब कुछ समाझा दिया था ,शिवाय सीधा विचित्र के महल में पहुच गया ,सबसे पहले शिवाय ने विचित्र की माया को तोड़कर वहां अपनी माया का जाल बिछा दिया ,विचित्र के सामने अदृश रुप में जाकर वो बैठ कर उसके मन की बात पढ़ने लगा ,विचित्र तो रानी महल के बारे में ही सोच रहा था ,उसे शिवाय का बहुत बेसब्री से इंतजार था ,शिवाय ने उसके मन की बात जानकर एकदम से विचित्र के सामने प्रकट हो गया ,शिवाय ने भी एक राक्षस का रुप ले लिया था ,कालराक्षस से भी बड़ा और बलवान रूप लेकर वो विचित्र के सामने खड़ा था ,उसे देखकर विचित्र की गांण्ड थोड़ी फट गई थी ,उसने डरते हुवे पूछा ,कौन हो तुम और मेरे महल में कैसे आ गए तुम ,शिवाय ने हसकर कहा ,लो आपने ही तो मुझे बुलाया है ,आप को रानी महल में जाना है ना राजकुमार ,में शिवाय हु आपका खास आदमी ,बोलिये कब चलना है रानी महल ,विचित्र उसकी बात सुनकर खुशी से उछल पड़ा ,साला तू तो बड़े काम का निकला शिवाय आते ही मेरी इच्छा पूरी करने लग गया ,तू मेरे मन को पढ़ सकता है ,इसका मतलब तू जरूर रानी महल की माया को तोड़ देगा ,चल हम अभी इसी वक्त चलते है रानी महल ,विचित्र ने शिवाया का हाथ पकड़ लिया और उसे लेकर सीधा रानी महल की सुरक्षा घेरे के बाहर पहुच गया ,शिवाय को उसने वो कवच दिखा दिया ,जो पूरे महल के चारो और लगा हुवा था ,वो एक कांच की तरह था ,जो किसी आम राक्षस को समझ नही आता था ,शिवाय ने उस कवच को देखकर कहा ,राजकुमार में इस मायावी कवच को तोड़ सकता हु पर कोई एक ही अंदर जा सकता है ,आप बोलिये में वैसा कर दूंगा ,
विचित्र बड़ी खुशी से, ठीक है तुम एक काम करो में इस कवच को पार करके अंदर जाना चाहता हु ,मुझे अंदर भेजकर तुम मेरे महल में लौट जाओ में तुमसे बाद में आकर मिलता हु ,शिवाय ने कहा ,ठीक है राजकुमार ,शिवाय ने एक कवच लगा दिया विचित्र के शरीर पर ,और कहा ,राजकुमार आप इस कवच से इस माया को तोड़ कर अंदर जा सकते है पर आप इसमे अदृश नही हो सकते ,आप को कोई भी देख सकता है ,बाकी आप की सभी शक्तिया काम करेगी ,
विचित्र ,मुझे बस इसे एक बार पार करने दो बाद में बाकी में सब देख लूँगा ,इस विचित्र की माया से सब डरते है राक्षसलोक में ,
शिवाय ने एक कवच लगा दिया विचित्र के शरीर पर और उसे अंदर जाने का इशारा किया ,विचित्र बहुत ज्यादा होशियार था ,उसने सबसे पहले अपने हाथ की एक उंगली अन्दर घुसाकर देखी ,अपनी उंगली को कोई नुकसान नही होता देखकर ही वो उस कवच के पार हो गया ,उसने शिवाय की तरफ हसकर देखा और कहा ,बहुत अच्छा काम किया है तुमने ,तुम यहा से लौट जाओ ,इतना कहने के बाद विचित्र आगे बढ गया ,उसने सबसे पहले अपने आप को अदृश करने का प्रयास किया जिसमें वो नाकाम रहा ,फिर उसने मन मे कहा मुझे शिवाय पर पूरा भरोसा करना होगा ,वह मेरे बहुत काम आने वाला है आगे ,पिताजी को आने में अभी एक महीना बाकी है तब तक मे जिमाली और तामली से विवाह कर लूंगा ,पिताजी भी मुझे कुछ नही कर सकते उनसे विवाह होने के बाद ,मेरे भाइयो ने तो उनकी पत्नियों को नही छोड़ा था ,उनकी कितनी ही बेटीयो को हम भाइयो ने उनके होते हुवे चोदा था ,में तो इन दोनो से शादी कर लूंगा और शिवाय की माया से इनके दिमाग में मेरे लिये प्रेम जगा दूँगा ,जब यह दोनो खुद अपने मुह से कहेगी की हमे विचित्र के साथ रहना है ,तो पिताजी कुछ नही कर सकते ,मेरे रानी महल की माया तोड़ने की खबर राक्षसलोक में जब फैल जाएगी हर कोई मुझसे और डरने लगे जाएगा ,कोई मेरे सामने आने की हिम्मत भी नही करेगा ,एक महीना इन दोनों की जवानी का सारा रस में पी जाऊंगा ,अपने मन मे विचार करता विचित्र रानी महल में दाखिल हो गया था ,उसको वहां देख कर हर कोई हैरान हो गया था ,किसी राक्षसलोक के राक्षस का यहा आना मना था ,कोई राजकुमार् तक नही आ सकता था यहा पर ,विचित्र को यहा देखकर सब डर भी गए थे ,उसकी मायावी ताकद के बारे में सभी जानते थे ,कोई उसे रोकने की हिम्मत भी नही कर रहा था ,और वैसे भी यहा सभी राक्षस औरते ही थी कोई राक्षस पुरुष नही था ,विचित्र की नजर तो बस जिमाली और तामली को ढूंढ रही थी ,उसे महल में एक से बढ़कर एक हसीन औरतें दिख रही थी ,जो जिमाली और तामली से भी बहुत ज्यादा खूबसूरत और हसीन थी ,विचित्र अपने मन मे पिताजी तो बहुत ज्यादा मजे करते है क्या एक से बढ़कर एक पटाखा है यहा पर लगता है सभी को चोद डालूं ,पर इनपर हाथ डालना बेवफुकी होगी ,पहले जिमाली और तामली को भोग लू उसके बाद सबका नंबर लगा दूँगा शिवाय की मदद से ,इस शिवाय को बहुत संभलकर रखना होगा ,इसे सबके सामने लाना नही नही होगा ,कालराक्षस मेरी यह बात नही टालेगा में उसे समझा दूँगा अगर नही माना तो उसका भी दिमाग शिवाय बदल देगा ,अपने ख़्याल में डूबा जिमाली और तामली को ढूंढने में पूरा महल घूम रहा था ,तभी उसे दोनो एक कमरे में नजर आ गयी ,दोनो विचित्र को अपने सामने देखकर घबरा गई वो अपना मुह खोलकर कुछ कह पाती उससे पहले ही विचित्र ने उन दोनों को अपनी माया से बेहोश कर दिया ,दोनो को बेहोश करके उसने अपनी माया से हवा में उठा लिया ,दोनो को लेकर वो महल के बाहर निकलने लगा ,तभी एक गजब की खूबसूरत औरत ने उसे रोकने कि कोशिश की पर विचित्र ने उसे एक पल में ही बेहोश कर दिया अपनी माया से ,सब रानी महल की औरते डर गई थी कोई कुछ नही बोल रहा था ,विचित्र उन दोनों को लेकर सबसे पहले सुरक्षा घेरे के बाहर आ गया उसके बाद उन दोनों को लेकर सीधा वो गायब होकर अपने महल में पोहच गया ,उसने दोनो को एक कमरे में बंद कर दिया और अपने महल में शिवाय को धुंडने लगा ,शिवाय उसे दरबार मे एक खुर्सी पर बैठा हुवा मिला ,विचित्र ने उसके सामने जाकर उसे आवाज लगाई ,शिवाय तुम्हारी वजह से आज में बहुत खुश हूं ,आज तुमने मेरी बरसो की तमन्ना पूरी कर दी है ,बोलो तुम्हे क्या चाहिए ,तुम जो भी मांगो में तुम्हे देने को तैयार हूं ,
शिवाय उसे देखकर हस रहा था वो विचित्र को देखकर बोला ,आप खुश तो में खुश ,मुझे कुछ भी नही चाहिए आपसे में हमेशा आप की सेवा करता रहूंगा सिर्फ आप यह बात कालराक्षस को मत बताना नही तो वो मुझे यहा से भगा देगा ,विचित्र ,नही शिवाय आज के बाद कोई तुम्हे यहा से नही निकाल सकता ,में कालराक्षस को कुछ नही बताने वाला ,आज से तुम अदृष्य रुप में ही राक्षसलोक में रहना ,तुन्हें जिस चीज की जरूरत हो तुम बस मुझे कह देना ,
शिवाय ,जैसा आप कहे ,में जरा कालराक्षस से मिलकर आता हूं ,आने के बाद में यही रहुँगा अपने अदृष्य रूप में ,आप जब भी मुझे बुलाया करेंगे में आ जाऊंगा ,इतना कहकर शिवाय वहां से अदृष्य हो गया ,विचित्र उसके जाते ही अपनी हवस के चलते जिमाली और तामली के कमरे में दाखिल हो गया ,अपने सब कपड़े उतार कर वो नंगा हो गया और जिमाली और तामली के भी सब कपड़े उतार कर उन्हें भी नंगा कर दिया अपनी माया से ,विचित्र ने अपनी माया से दोनो के हाथ पैर भी बांध दिये ,और अपने चेहरे को पकड़ कर वो बुरी तरह नोचने लगा ,अपने पूरे बदन पर उसने नाखूनों से नोच कर खुद को लहुलुहान कर दिया ,और उन दोनों के कमरे से बाहर आकर उसे वापस बन्द कर दिया और एक कमरे में जाकर नंगा ही सो गया ,इस सबके दौरान उसकी आंखें बंद ही थी ,यह सब किया था शिवाय की माया ने जो महल में ही मौजूद था ,आज से उसने विचित्र को अपना गुलाम बना दिया था ,जिसकी शुरवात उसने महल में आने के बाद ही कर दी थी ,अब विचित्र के साथ उसके सभी सैनिक शिवाय के गुलाम बन चुके थे ,
शिवाय अपने मन मे ,बेटा भुजंग तू बहुत पुण्यवान है ना ,तूने अभीतक कोई भी पाप नही किया ना ,अब देख जब तू वापस आएगा ना राक्षसलोक तू हर वो पाप करेगा जो तूने नहीं किया हो ,में तुझे हर वो पाप करवाने पर मजबूर कर दूंगा ,जिसे तू पुण्यकर्म समझ कर करेगा पर वो पापकर्म होगा जिसकी शुरुआत तू अपने बेटे की हत्या से करेगा ,तेरा बेटा विचित्र तेरी नजरो से सबसे पापी होगा ,उसे खुद तू ही मारेगा पर किसी निर्दोष को मारना पाप होता है यह तुझे समझ नही आएगा ,तेरा असली चेहरा और रुप में लाऊंगा सबके सामने ।
 
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Update 104
राक्षसलोक में भोकासुर ,बीरा और कालराक्षस को एक महल दिया गया था रहने के लिये ,उन तीनों के बारे में सब को पता चल गया था ,कालराक्षस को देख कर ही बहुत से राक्षस डर जाते थे ,जहा राक्षसलोक के सभी राक्षस 200 फिट के आस पास ही थे ,भुजंग के बेटे भी 250 फिट के आस पास लंम्बे थे वहां कालराक्षस 350 फिट का लंबा ,चौड़ा था ,दिखने में भी वो बाकी राक्षस की तरह गन्दा नही था ,उसका रंग एकदम गोरा ,सुंदर और आकर्षक मर्दानी चेहरा ,काले लम्बे बाल ,मजबूत कंधे ,बलशाली भुजाएं ,चौड़ी और विशाल छाती ,भारी भरकम टाँगे उसे सबसे अलग दिखा देती थी,राक्षसलोक में बस उसी के चर्चे हो रहे थे ,राक्षसलोक में बस एक भुजंग ही उसके टक्कर का था ,पर कहा वो 30 हजार साल का भुजंग और यहा एकदम जवान राक्षस ,कालराक्षस ने अपनी उम्र 900 साल बतायी थी सभी को ,राक्षसलोक की हर औरत में कालराक्षस की चर्चा होने लगी थी ,राजकुमार भोकाल को सब दुवा दे रहे थे ,उसके मरने की वजह से ही वो कालराक्षस को देख पा रहे थे,कालराक्षस किसी राजकुमार् से कम नही था ,जब विकराल बलिलोक जा रहा था तब उसने बहुत जिद की थी साथ जाने की ,पर विकराल को अपने ताकद पर बहुत ज्यादा घमण्ड था ,वो सबको दिखाना चाहता था कि भुजंग के बेटो में कितना दम है ,अपने भाई भोकाल को मारने वाले को वो राक्षस लोक में हाथ पांव काटकर लाने वाला था ,ताकि उसकी हालत देखकर सबको सबक मिल सके कि भुजंग से टकराने की सजा क्या होती है ,कालराक्षस को अपनी सेना का सेनापति बनाकर विकराल ने एक बेहतरीन योद्धा और ईमानदार राक्षस को अपने पाले में ले लिया था ,जिसकी वजह से उसके सभी भाई भी खुश थे ,कालराक्षस जैसा असमान्य राक्षस उनके पास होने से उनका ही फायदा था ,जब भुजंग कालराक्षस को देखेगा तो वो बहुत खुश होने वाला था ,भुजंग हमेशा राक्षसलोक के बहादुर और ताक़दवर राक्षसो को अपने सैन्य में भर्ती करता था ,वो हमेशा ताक़दवर और जांबाज लोगो की कद्र करता था ,अपने सैन्य को वो हमेशा युद्धकला की गुण सिखाता रहता ,भुजंग को सभी बहुत मानते थे ,उसकी जितनी इज्जत और मान राक्षसलोक में था ,उतना उसके किसी बेटो को नही मिलता क्योकि उसका कोई भी बेटा अच्छा नही था ,सभी एक नंबर के कमीने ,नीच और धोखेबाज थे ,वो राक्षसलोक के साथ पाताल से भी असुर ,दानव ,और पाताल की सुंदर औरतो को अपनी हवस का शिकार बनाते थे ,कितनी ही बार तो वो अपने पिता के पत्नियों को भी चोद चुके थे ,भुजंग की हजारो पत्निया थी ,35 हजार साल से लेकर 1000 साल तक कि राक्षस औरते उसकी पत्नियां थी ,बहुत सी असुर और पाताल की औरते भी उसकी पत्नियां थी ,सबसे उसे सन्ताने हुवीं थी ,उसके 1000 बेटे इन सभी औरतो से ही उसने पैदा किये थे ,भुजंग की 1200 बेटिया भी थी ,जिनमे से कुछ की शादिया हो गई थी और कुछ की बाकी थी ,पर पूरे राक्षसलोक में भुजंग की 20 बेटीयो के चर्चे थे ,वो बहुत ही ज्यादा सुंदर और ख़ूबसूरत थी ,भुजंग का एक खास महल था जिसमे भुजंग के सिवा कोई नही जा सकता था ,उसका कोई बेटा भी नही जा सकता था उस महल में ,उसी महल में भुजंग की 50 पत्नियां रहती थी जिनसे भुजंग बहुत ज्यादा प्यार करता था ,वो सभी बहुत ही खास और चहेती पत्नियां थी उसकी ,उनके बारे में यही कहा जाता था कि कुछ अप्सरा है तो कोई गंधर्व लोक की कन्याए ,उनसे ही भुजंग को 20 खूबसूरत बेटिया हुवीं थी ,उसके खुद के बेटे भी उनकी सूंदरता के दीवाने थे ,सभी उनसे शादी करके या जबरदस्ती पाने की कामना रखते थे ,भुजंग अपने बेटो को बहुत अच्छे से जानता था ,इसीलिये उसने अपने इस खास परिवार को सबसे दूर रखा हुवा था ,उस महल में काम करने के लिये सभी राक्षस महिलाएं जाती थी ,जिनपर खास भुजंग की माया का एक कवच होता ,उसी कवच के वजह से वो उस महल में जा सकती थी ,जो भी उस महल में चोरी छिपे घुसने की कोशिश करता वो एक पल में भुजंग के रक्षा कवच से मारा जाता ,वो रानी महल के नाम से राक्षसलोक में मशहूर था ,रानी महल कई हजार एकड़ में फैले एक सुंदर बगीचे में था ,जहा दुनिया की हर खूबसूरत चीज ,जीव ,पशु,पक्षी मौजूद थे ,भुजंग ने किसी स्वर्ग की तरह रानी महल को रखा हुवा था ,भुजंग पाताल में तपसाधना के लिये किसी गुप्त साधना पर कितने हजार साल पर गया था ,उसके साथ उसके 20 बेटे गये थे ,वो सबसे बडे और सबसे ज्यादा बलशाली थे ,अपने पिता की सुरक्षा करने वो उस जगह पर राक्षसलोक छोड़कर पाताल में हजारो साल से रह रहे थे ,कालराक्षस को यह सब जानकारी राक्षसलोक में आकर ही मिली थी ,राक्षसलोक को सजाने और सुंदर करने का काम बहुत जोरों से चल रहा था ,बहुत जल्द भुजंग यहा पर अपनी तपसाधना खत्म करके आने वाला था ,उसके स्वागत की तैयारी में राक्षसलोक को और सुंदर करने का काम सभी मिलकर कर रहे थे ,जिसपर भोकाल की मौत होने से और 100 भुजंग के बेटे उसके प्रतिशोध में जाने से भी कोई फर्क नही पड़ा था ,भोकासुर तो अपने गले मे उनको मिली खास राक्षस मुद्रा लेकर राक्षसलोक की सैर करने निकल गया था ,महल में बीरा और कालराक्षस ही बैठकर बाते कर रहे थे ,तभी एक सैनिक ने आकर उन्हें बताया कि राजकुमार् विचित्र ने उसे बुलाया है ,कालराक्षस उसीके साथ चला गया ,
राजकुमार विचित्र भुजंग का 700 वा बेटा था ,जो बहुत ही बुद्धिमान और शातिर राक्षस था ,उसके ऊपर भुजंग को भी बहुत ज्यादा भरोसा था ,वो ज्यादा किसी से नही मिलता ,उसके पास माया का जबरदस्त जादू था ,उसकी माया को कोई भी जल्दी नही तोड़ पाता था ,वो माया के साथ बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली और बलवान था ,उसे कालराक्षस ने भी नही देखा था ,वो अपने साथ के सैनिक से बात करता विचित्र के महल के बाहर पोहच गया ,उसे वहां से सैनिक ने अंदर जाने के लिये कहा ,अंदर सिर्फ विचित्र के खास लोग ही जा सकते थे ,कालराक्षस उस महल में दाखिल हो गया ,उसे महल में आते है वहा की माया के बारे में सब समझ आ गया ,पूरे महल में एकसे बढ़कर एक राक्षस सैनिक पहरा दे रहे थे ,उनमे कुछ असली थे तो कुछ मायावी ,कालराक्षस सबकी तरफ देखता चल रहा था ,उसे एक महल के अंदर से मायावी राक्षस सैनिक साथ लेकर चल रहा था ,कालराक्षस को लेकर एक दरबार मे ले आया जहा पर बस एक ही इंसान बैठा हुवा था सिहासन पर कालराक्षस को वही छोड़कर वो मायावी राक्षस चला गया ,
कालराक्षस ने अपने सामने बैठे उस राजकुमार् विचित्र को आदर से प्रणाम किया और अपने जगह पर खड़ा हो गया ,
कालराक्षस की तरफ देखते हुवे राजकुमार विचित्र ने कहा ,तो तुम हो कालराक्षस जिसके चर्चे हम सुबह से सुन रहे है ,तुम भोकाल के साथ कबसे हो ,तुम्हारा जन्म कहा हुवा था ,तुम्हारे माता पिता का नाम क्या है ,सब कुछ हम तुमसे जानना चाहते है ,तुमने सिर्फ इंद्रजीत का धनुष का भाता हमारे भाइयो को दिखाया ,उस भाते की कीमत बिना धनुष के कुछ भी नही है ,तुमसे वो सभी खुश हो सकते है में नही ,तुम यहा पर अपनी झूठी स्वामी भक्ति दिखा कर मुझे मूर्ख नही बना सकते ,
कालराक्षस ने कहा ,क्षमा करे राजकुमार् आपको मुझ पर विस्वास नही है यह जानकर मुझे बहुत दुख हुवा ,आपको मेरे बारे में पुछने का पूरा अधिकार है और में आपको सब कुछ बताने को भी तैयार हूं ,में बचपन से ही अनाथ हु ,मेरे माता पिता कौन है यह में भी नही जानता ,मेरा जन्म कहा हुवा यह में भी नही जानता ,जब होश संभला तो में राजकुमार् भोकाल के महल में ही रहता था ,उनकी सेवा करना ही मेरा धर्म था ,उन्होंने ही मुझे बहुत कुछ सिखाया था ,वो मेरे मालिक के साथ मेरे गुरु भी थे ,वो जहा जाते में उनके साथ होता ,जब राजकुमार भोकाल ने महाराज भुजंग बनकर गरुड़ लोक के महाराज को मारा था उस वक्त में भी उनके साथ ही था ,उस वक्त के बाद में कभी राक्षसलोक नही आया ,मुझे पाताल में राजकुमार भोकाल के साथ ही रहना पड़ा ,वहां पर काल लोक के असुरो से मुझे माया की बहुत सी विद्या सीखने को मिली ,पाताल में बहुत सी गुप्त कला और युद्धकला में राजकुमार भोकाल की वजह से सिख पाया ,उन्होंने ही मेरी क्षमता को देखकर मुझे कुछ दिव्य अस्रो का पता लगाने भेजा था ,मेरी शादी भी उनके महल में काम करने वाले एक दासी की बेटी से उन्होंने करवाई थी ,में आपको एक और राज की बात बताना चाहता हु जो शायद आपको पता नही होगी धरती पर एक बिल्व ऋषि का आश्रम है वही पर आज तक जितने भी राक्षस वीर मर चुके है उनके हथियार मौजूद थे ,उसकी रक्षा बीरा नाम की एक वीर राक्षस औरत करती है ,उस भूमि पर जाते ही कोई भी राक्षस पुरुष पल भर में मारा जाता है ,वहां पर एक बिल्व ऋषि का शाप का परिणाम आज भी मौजूद है ,वहां कोई राक्षस पुरुष नही जा सकता ,मेंनें मेरी पत्नी को वहां जानकारी लेने के लिये भेजा था ,उसे वहां कोई नही मिला ,सिर्फ उसे वो दिव्य भाता मिला ,या तो किसिने वो दिव्य हथियार हासिल कर लिए है या वो वहा से कही और रख दिये गए है ,में यह सब बातें राजकुमार भोकाल को बताने वापस पाताल आया था ,मुझे इन सब दिव्य हथियारों को ढूंढने में सेकड़ो साल लग गए थे ,जब में वापिस आया तो मुझे राजकुमार् भोकाल की मृत्यु के बारे में पता चल गया ,में खुद उसको मारना चाहता था जिसने हमारे राजकुमार् को मार दिया ,पर मेरे पास इस दिव्य हथियार का होना और उसकी जानकारी आप सब तक पहुचाना ज्यादा जरुरी था ,इसलिए में राक्षसलोक आया था ,आप को मेंनें सब बता दिया है ,आप महाराज तक यह सब जरूर पहुचा देंगे ,में तो राजकुमार् विकराल के साथ ही पाताल जाने वाले था पर उनके आदेश की वजह से मुझे यहा रुकना पड़ा ,में पहले से ही पाताल में रहता आया हु ,मुझे राक्षसलोक में रहना भी पसन्द नही है ,ना कोई यहा मेरा अपना है ,आप अगर मुझे आज्ञा दे तो में राजकुमार विकराल के पास चला जाता हूं ,वैसे भी राजकुमार विकराल उस शत्रु को आरामसे मार सकते है ,में उनसे पाताल में मिलकर उनकी जीत की बधाई भी दे दूंगा और बाद में अपनी पत्नी के साथ वही रहकर आपका दास बना रहुँगा ,आप जो काम मुझे करने को बोलेंगे उसे में हरसंभव पूरा करने की कोशिश करूंगा ,में आपसे माफी मांगू या आपके प्रतिरूप से यह आप बता दे ,आप जिस तरह अदृष्य होकर मेरे इर्दगिर्द घूम कर मुझे देख रहे इससे मुझे बहुत पीड़ा हो रही है ,आप को खुद मेरे घर अदृश्य होकर आना पड़ा ,आप मेरे साथ ही महल तक चलते आये ,आपको में अपने घर के पास ही देख चुका था ,पर किसी के सामने आपको देखने की बात करके में आपका अपमान नही कर सकता था ,आप मेरे मालिक है ,आपकी इज्जत और शान का मान रखना ही मेरा धर्म है ,विचित्र कालराक्षस की बाते सुनकर हैरान हो गया था ,जब कालराक्षस ने उसे यह बताया कि वो उसकी माया को पहचान चुका है इतना ही नही उसके अदृश्य रूप को भी वह आसानी से देख सकता है यह सुनकर विचित्र को आश्चर्य हुवा था ,उसकी माया उसके पिता और 20 बड़े भाई ही समझ सकते थे पुरे राक्षसलोक में ,आज कालराक्षस ने उसकी माया को तोड़कर उसको यह अहसास करा दिया था कि वो कितना ताक़दवर है माया में ,ऐसे बलवान ,स्वामी निष्ठ ,और मायावी राक्षस को खोना बहुत बड़ी भूल थी ,विचित्र को भी धरती के बिल्व ऋषि के आश्रम के बारे मे पता था ,भुजंग ने ही उसको धरती पर गुप्त रूप से भेजा था ,ताकि विचित्र अपनी माया से बीरा को हरा सके ,पर बीरा ने विचित्र के मायावी राक्षस सेना को पल भर में मार दिया था ,कालराक्षस इतना सब कुछ जानकर भी उनके परिवार का वफादारी करना नही भूला था ,ऐसे आदमी को अगर मेरे वजह से राक्षसलोक छोड़ना पड़ा और भुजंग को यह बात पता चली तो उसकी खैर नही थी ,भुजंग हमेशा ऐसे वफादार और बहादुरों की कद्र करता था ,विचित्र की नजर तो कालराक्षस के पत्नी पर थी ,दिखने में वो इतनी खूबसूरत तो नही थी पर उसका बदन बहुत जबरदस्त था ,उसे भोगने की चाहत विचित्र के मन मे हो गयी थी ,कालराक्षस को मार कर या उसे यहा से भगा कर वो उसकी पत्नी को भोगने वाला था ,पर कालराक्षस की बात सुनकर विचित्र ने अपने सब गलत खयाल छोड़ दिये ,उसने अपने असली रूप में आकर कालराक्षस को गले लगा लिया और कहा ,नही कालराक्षस तुम कही नही जाओगे ,तुम जैसे वीर और बहादुर राक्षसलोक की शान होते है ,आज से तुम विकराल ही नही बल्कि हम सभी के खास हो ,आज से में तुम्हे हमारी 3 विभाग की सेना का सेनापति घोषित करता हु ,हमारे पिता के लिये इतना सन्मान रखने वाले और हमारे परिवार के इतने भले की सोचने वाले को हम भला कही जाने देंगे ,उसके बात बहुत देर तक दोनो बाते करते रहे ,कालराक्षस ने विचित्र को बहुत सी नई माया सिखाई ,जिसकी वजह से विचित्र के लिये तो कालराक्षस उसका सबसे भरोसे का आदमी बन गया ,उसने अपने सभी 200 भाइयोंको बुलाकर कालराक्षस को सेनापति बनाने की बात बता दी ,विचित्र सबसे बड़ा और शक्तिशाली था ,सिर्फ उसको ही पहले कालराक्षस पसन्द नही आया था ,बाकी सभी भाइयों को तो वो पहले से पसन्द था ,पर जब उन्होंने देखा कि कालराक्षस ने अपने सबसे बुद्धिवान भाई को भी प्रभावित कर दिया है तो उनको इससे खुशी हो गयी ,सब लोगोने कालराक्षस से बाते की ,सबके लिये कालराक्षस एक खास आदमी बन गया था ,जब पूरे राक्षसलोक में यह बात फैल गई कि विचित्र ने भी कालराक्षस को पसन्द करके अपनी सेना का सेनापति बना दिया है ,तो उनके मन मे कालराक्षस को देखने को लालसा होने लगी ,विचित्र कभी किसी को जल्दी अपने पास नही आने देता था ,उसके महल में उसके सगे भाई भी जाने से डरते थे ,जब तक वो खुद किसी को नही बुलाता कोई उसके पास नही जाता ,ऐसे विचित्र को कालराक्षस को अपनी सेना का सेनापति बनाना खास बात थी ,विचित्र कालराक्षस से अपने बहुत काम करने को सोच रहा था ,उसका सबसे पहला काम रानी महल के अंदर जाने का था ,रानी महल की माया अगर कालराक्षस ने तोड़ी तो वो कालराक्षस को जो चाहे वो देने को तैयार था ,रानी महल में रहने वाली जिमाली और तामली को पाने का उसका बहुत बड़ा सपना था ,जब उसने अपनी दो सौतली बहनो को देखा था तबसे उन्हें पाने की लालसा उसके मन मे हो रही थी ,एक बार उसके पिता भुजंग के साथ उसने इन दोनो को देखा था ,दोनो सगी बहन थी ,सुंदरी नाम की अप्सरा से पैदा हुवीं यह दोनो बहने बहुत कमाल की थी ,उनका रूपसौन्दर्य देखकर विचित्र को तो उनके मा से भी संभोग करने की इच्छा होती थी ,ऐसी सुंदर कन्या पैदा करने वाली कितनी हसीन और खूबसूरत होगी ,यह सोचकर ही उसका लन्ड खड़ा हो जाता था ,कालराक्षस ने विचित्र से विदा लेते हुवे कहा कि राजकुमार् आप से एक बात कहनी थी मेरा एक साथी और हे जिसको मेंनें राक्षसलोक में नही लाया ,उसे मेंनें पाताल में ही छोड़कर आया था ,वो मुझसे भी ज्यादा बहादुर और ताक़दवर हे ,उसके पास मुझसे ज्यादा माया की विद्या की जानकारी है ,मुझे लगा था कि में वापस चला जाऊंगा आपको सब बता कर ,पर आपने मुझे यहाँ रोक दिया है ,वो भी राजकुमार भोकाल का खास था ,मेरे जैसा वो भी एक अनाथ है ,बस उसकी एक आदत ज्यादा खराब है ,वो बहुत बड़ा हवसी है ,इसी वजह से में उसे यहा नही लाया था ,पर उसकी वो आदत छोड़ दे तो वो मुझसे भी दस गुना काम का राक्षस है ,विचित्र की तो आंखे ही चमकने लगी यह सब सुनकर हवसी आदमी की तो उसे बहुत जरूरत थी ,कालराक्षस बहुत ज्यादा स्वामी भक्त और सीधा था ,उससे अपना काम करने में मुश्किल होता पर उसका दोस्त बहुत काम का साबित हो सकता है ,विचित्र ने हसकर कहा ,हवस ही हमारी सबसे बड़ी ताकद होती है कालराक्षस ,तुम बहुत सीधे और सरल हो तुमको हमारे पिता बहुत ज्यादा पसन्द करने वाले है ,तुम एक काम करो तुम्हारे दोस्त को आज ही राक्षसलोक बुला लो ,उसे मेरे साथ रखकर में उसे संभाल लूँगा ,उसकी हवस का भी में खयाल रख सकता हु जिससे वो यहा ठीक से रह लेगा ,क्या नाम है उसका
कालराक्षस ,जी उसका नाम कोबरा है ,उसका यह नाम उसने खुद रखा है ,वो महाराज भुजंग का आ बहुत बड़ा भक्त है ,वो उनको भगवान ही मानता है
विचित्र ,यह तो और भी अच्छी बात है ,वो अपने भगवान के बेटो के साथ रहेगा और जल्द ही अपने भगवान के दर्शन करने को उसे मिल जाएंगे ,तुम उसे आज ही बुला लो ,चाहो तो तुम खुद जाकर उसे ले आना ,यह लो यह एक राजमुद्रा है इसकी मदद से तुम कभी भी राक्षसलोक के बाहर द्वार से जा सकते हो ,वैसे भी तुमने अपने आते ही प्रवेश द्वार पर जो हंगामा किया था सब तुमको जान गए है ,और अब तुम हमारी 3 विभाग के सेना के सेनापति हो ,तुम्हे रोकने और टोकने की हिम्मत कोई भी नही कर सकता ,तुम आज ही शिवाय को यहा लेकर आना ,
कालराक्षस ने विचित्र से विदा लेकर अपने महल की और चला गया ,वो अपने मन मे हस रहा था ,यह विचित्र की गांण्ड में बहुत बड़ी खुजली है ना दुसरो की औरतो को भोगने की ,इसके लिये शिवाय ही बहुत सही रहेगा ,रानी महल में घुसने के लिये वो अपनी बेटी और पत्नि को भी शिवाय के सामने परोस देगा ,वैसे भी शिवाय ने कसम खायी है वो भुजंग की हर पापी और नीच औलाद को चोदेगा ,बहुत पाप कर लिया है इन सबने जरा इन्हें भी तो दर्द का एहसास मिलना चाहिये ,शिवाय तो मेरे साथ ही आने वाला था ,उसने विकराल उसके सभी भाइयों का क्या किया यह भी पता चल जाएगा मुझे राक्षसलोक के बाहर जाकर ,यहा में अपने मन से किसी के साथ संपर्क नही बना पा रहा हु ,भुजंग का ऐसा कौनसा राज है इस राक्षसलोक मे इसका पता भोकासुर लगाने गया है ,में जाकर शिवाय को लेकर आता हु ,राक्षसलोक के समय के अनुसार भुजंग को एक महीना लगने वाला है आने में उसके आने से पहले शिवाय यहा पर बहुत कुछ करके निकल जायेगा ,शिवाय के बारे में विचित्र और में ही जानते है ,बाकी कोई नही जानता और शिवाय यहा आकर विचित्र के साथ क्या करता है कोई नही बता सकता ,अपने ख्याल में डूबा कालराक्षस अपने दिए हुवे महल में वापिस आ गया ,उसने बीरा से कहा में थोड़ी देर में ही वापस आता हूं ,तब तक तुम हम तीनों के लिये खाना बना लो ,इतना कहकर कालराक्षस प्रवेश द्वार पर चल गया वहाँ उसने विचित्र से मिली मुद्रा से उस द्वार को खोल कर बाहर आ गया ,उसने सभी राक्षस सैनिकों से बात की उनकी माफी भी मांगी अपने कृत्य के लिये ,सबको यह बात पता चल चुकी थी वो अब 3 विभाग की सेना का प्रमुख बन गया है ,इस प्रवेश द्वार की रक्षा करने वाले सभी सैनिक उसके अधीन ही थे ,सबको बहुत अच्छा लगा कि यह राक्षस उनका प्रमुख होकर उनसे माफि मांग रहा है ,कालराक्षस ने उनकी मदद के लिये वहां कुछ भयानक मायावी जीव बनाकर दिए ,जो उनकी हर बात मानने का भी उसने प्रबंध कर दिया ,उन सबके साथ आधा घण्टा बिताक़र कालराक्षस ने उसे प्रवेश द्वार की सुरक्षा और कड़ी कर दी थी ,जिसे अपने कमरे में बैठकर देख रहे 10 राजकुमार बहुत खुश हो गए ,अपने पद पर आते ही कालराक्षस अपनी जिम्मेदारी निभा रहा था ,ना कि कोई जश्न मना रहा था बाकी राक्षस की तरह ,पर उन्हें क्या पता इस आधे घण्टे में क्या हुवा था ,शिवाय एक पल में ही यहा कालराक्षस के बुलाने पर आ गया था ,अपने अदृश रूप में आकर वो राक्षसलोक में दाखिल भी हो चुका था ,खुले दरवाजे से ,उसे कोई भी देख नही पाया था ,कालराक्षस ने उसे विचित्र कहा रहता है यह बता दिया था ,शिवाय ने सुबह ही शिवा से राक्षसलोक जाने के बारे में बात कर ली थी ,जैसे ही उसकी कालराक्षस से बात हुवीं वो एक पल में यहा आ गया था ,कालराक्षस ने अपने मन से उसे सब कुछ समाझा दिया था ,शिवाय सीधा विचित्र के महल में पहुच गया ,सबसे पहले शिवाय ने विचित्र की माया को तोड़कर वहां अपनी माया का जाल बिछा दिया ,विचित्र के सामने अदृश रुप में जाकर वो बैठ कर उसके मन की बात पढ़ने लगा ,विचित्र तो रानी महल के बारे में ही सोच रहा था ,उसे शिवाय का बहुत बेसब्री से इंतजार था ,शिवाय ने उसके मन की बात जानकर एकदम से विचित्र के सामने प्रकट हो गया ,शिवाय ने भी एक राक्षस का रुप ले लिया था ,कालराक्षस से भी बड़ा और बलवान रूप लेकर वो विचित्र के सामने खड़ा था ,उसे देखकर विचित्र की गांण्ड थोड़ी फट गई थी ,उसने डरते हुवे पूछा ,कौन हो तुम और मेरे महल में कैसे आ गए तुम ,शिवाय ने हसकर कहा ,लो आपने ही तो मुझे बुलाया है ,आप को रानी महल में जाना है ना राजकुमार ,में शिवाय हु आपका खास आदमी ,बोलिये कब चलना है रानी महल ,विचित्र उसकी बात सुनकर खुशी से उछल पड़ा ,साला तू तो बड़े काम का निकला शिवाय आते ही मेरी इच्छा पूरी करने लग गया ,तू मेरे मन को पढ़ सकता है ,इसका मतलब तू जरूर रानी महल की माया को तोड़ देगा ,चल हम अभी इसी वक्त चलते है रानी महल ,विचित्र ने शिवाया का हाथ पकड़ लिया और उसे लेकर सीधा रानी महल की सुरक्षा घेरे के बाहर पहुच गया ,शिवाय को उसने वो कवच दिखा दिया ,जो पूरे महल के चारो और लगा हुवा था ,वो एक कांच की तरह था ,जो किसी आम राक्षस को समझ नही आता था ,शिवाय ने उस कवच को देखकर कहा ,राजकुमार में इस मायावी कवच को तोड़ सकता हु पर कोई एक ही अंदर जा सकता है ,आप बोलिये में वैसा कर दूंगा ,
विचित्र बड़ी खुशी से, ठीक है तुम एक काम करो में इस कवच को पार करके अंदर जाना चाहता हु ,मुझे अंदर भेजकर तुम मेरे महल में लौट जाओ में तुमसे बाद में आकर मिलता हु ,शिवाय ने कहा ,ठीक है राजकुमार ,शिवाय ने एक कवच लगा दिया विचित्र के शरीर पर ,और कहा ,राजकुमार आप इस कवच से इस माया को तोड़ कर अंदर जा सकते है पर आप इसमे अदृश नही हो सकते ,आप को कोई भी देख सकता है ,बाकी आप की सभी शक्तिया काम करेगी ,
विचित्र ,मुझे बस इसे एक बार पार करने दो बाद में बाकी में सब देख लूँगा ,इस विचित्र की माया से सब डरते है राक्षसलोक में ,
शिवाय ने एक कवच लगा दिया विचित्र के शरीर पर और उसे अंदर जाने का इशारा किया ,विचित्र बहुत ज्यादा होशियार था ,उसने सबसे पहले अपने हाथ की एक उंगली अन्दर घुसाकर देखी ,अपनी उंगली को कोई नुकसान नही होता देखकर ही वो उस कवच के पार हो गया ,उसने शिवाय की तरफ हसकर देखा और कहा ,बहुत अच्छा काम किया है तुमने ,तुम यहा से लौट जाओ ,इतना कहने के बाद विचित्र आगे बढ गया ,उसने सबसे पहले अपने आप को अदृश करने का प्रयास किया जिसमें वो नाकाम रहा ,फिर उसने मन मे कहा मुझे शिवाय पर पूरा भरोसा करना होगा ,वह मेरे बहुत काम आने वाला है आगे ,पिताजी को आने में अभी एक महीना बाकी है तब तक मे जिमाली और तामली से विवाह कर लूंगा ,पिताजी भी मुझे कुछ नही कर सकते उनसे विवाह होने के बाद ,मेरे भाइयो ने तो उनकी पत्नियों को नही छोड़ा था ,उनकी कितनी ही बेटीयो को हम भाइयो ने उनके होते हुवे चोदा था ,में तो इन दोनो से शादी कर लूंगा और शिवाय की माया से इनके दिमाग में मेरे लिये प्रेम जगा दूँगा ,जब यह दोनो खुद अपने मुह से कहेगी की हमे विचित्र के साथ रहना है ,तो पिताजी कुछ नही कर सकते ,मेरे रानी महल की माया तोड़ने की खबर राक्षसलोक में जब फैल जाएगी हर कोई मुझसे और डरने लगे जाएगा ,कोई मेरे सामने आने की हिम्मत भी नही करेगा ,एक महीना इन दोनों की जवानी का सारा रस में पी जाऊंगा ,अपने मन मे विचार करता विचित्र रानी महल में दाखिल हो गया था ,उसको वहां देख कर हर कोई हैरान हो गया था ,किसी राक्षसलोक के राक्षस का यहा आना मना था ,कोई राजकुमार् तक नही आ सकता था यहा पर ,विचित्र को यहा देखकर सब डर भी गए थे ,उसकी मायावी ताकद के बारे में सभी जानते थे ,कोई उसे रोकने की हिम्मत भी नही कर रहा था ,और वैसे भी यहा सभी राक्षस औरते ही थी कोई राक्षस पुरुष नही था ,विचित्र की नजर तो बस जिमाली और तामली को ढूंढ रही थी ,उसे महल में एक से बढ़कर एक हसीन औरतें दिख रही थी ,जो जिमाली और तामली से भी बहुत ज्यादा खूबसूरत और हसीन थी ,विचित्र अपने मन मे पिताजी तो बहुत ज्यादा मजे करते है क्या एक से बढ़कर एक पटाखा है यहा पर लगता है सभी को चोद डालूं ,पर इनपर हाथ डालना बेवफुकी होगी ,पहले जिमाली और तामली को भोग लू उसके बाद सबका नंबर लगा दूँगा शिवाय की मदद से ,इस शिवाय को बहुत संभलकर रखना होगा ,इसे सबके सामने लाना नही नही होगा ,कालराक्षस मेरी यह बात नही टालेगा में उसे समझा दूँगा अगर नही माना तो उसका भी दिमाग शिवाय बदल देगा ,अपने ख़्याल में डूबा जिमाली और तामली को ढूंढने में पूरा महल घूम रहा था ,तभी उसे दोनो एक कमरे में नजर आ गयी ,दोनो विचित्र को अपने सामने देखकर घबरा गई वो अपना मुह खोलकर कुछ कह पाती उससे पहले ही विचित्र ने उन दोनों को अपनी माया से बेहोश कर दिया ,दोनो को बेहोश करके उसने अपनी माया से हवा में उठा लिया ,दोनो को लेकर वो महल के बाहर निकलने लगा ,तभी एक गजब की खूबसूरत औरत ने उसे रोकने कि कोशिश की पर विचित्र ने उसे एक पल में ही बेहोश कर दिया अपनी माया से ,सब रानी महल की औरते डर गई थी कोई कुछ नही बोल रहा था ,विचित्र उन दोनों को लेकर सबसे पहले सुरक्षा घेरे के बाहर आ गया उसके बाद उन दोनों को लेकर सीधा वो गायब होकर अपने महल में पोहच गया ,उसने दोनो को एक कमरे में बंद कर दिया और अपने महल में शिवाय को धुंडने लगा ,शिवाय उसे दरबार मे एक खुर्सी पर बैठा हुवा मिला ,विचित्र ने उसके सामने जाकर उसे आवाज लगाई ,शिवाय तुम्हारी वजह से आज में बहुत खुश हूं ,आज तुमने मेरी बरसो की तमन्ना पूरी कर दी है ,बोलो तुम्हे क्या चाहिए ,तुम जो भी मांगो में तुम्हे देने को तैयार हूं ,
शिवाय उसे देखकर हस रहा था वो विचित्र को देखकर बोला ,आप खुश तो में खुश ,मुझे कुछ भी नही चाहिए आपसे में हमेशा आप की सेवा करता रहूंगा सिर्फ आप यह बात कालराक्षस को मत बताना नही तो वो मुझे यहा से भगा देगा ,विचित्र ,नही शिवाय आज के बाद कोई तुम्हे यहा से नही निकाल सकता ,में कालराक्षस को कुछ नही बताने वाला ,आज से तुम अदृष्य रुप में ही राक्षसलोक में रहना ,तुन्हें जिस चीज की जरूरत हो तुम बस मुझे कह देना ,
शिवाय ,जैसा आप कहे ,में जरा कालराक्षस से मिलकर आता हूं ,आने के बाद में यही रहुँगा अपने अदृष्य रूप में ,आप जब भी मुझे बुलाया करेंगे में आ जाऊंगा ,इतना कहकर शिवाय वहां से अदृष्य हो गया ,विचित्र उसके जाते ही अपनी हवस के चलते जिमाली और तामली के कमरे में दाखिल हो गया ,अपने सब कपड़े उतार कर वो नंगा हो गया और जिमाली और तामली के भी सब कपड़े उतार कर उन्हें भी नंगा कर दिया अपनी माया से ,विचित्र ने अपनी माया से दोनो के हाथ पैर भी बांध दिये ,और अपने चेहरे को पकड़ कर वो बुरी तरह नोचने लगा ,अपने पूरे बदन पर उसने नाखूनों से नोच कर खुद को लहुलुहान कर दिया ,और उन दोनों के कमरे से बाहर आकर उसे वापस बन्द कर दिया और एक कमरे में जाकर नंगा ही सो गया ,इस सबके दौरान उसकी आंखें बंद ही थी ,यह सब किया था शिवाय की माया ने जो महल में ही मौजूद था ,आज से उसने विचित्र को अपना गुलाम बना दिया था ,जिसकी शुरवात उसने महल में आने के बाद ही कर दी थी ,अब विचित्र के साथ उसके सभी सैनिक शिवाय के गुलाम बन चुके थे ,
शिवाय अपने मन मे ,बेटा भुजंग तू बहुत पुण्यवान है ना ,तूने अभीतक कोई भी पाप नही किया ना ,अब देख जब तू वापस आएगा ना राक्षसलोक तू हर वो पाप करेगा जो तूने नहीं किया हो ,में तुझे हर वो पाप करवाने पर मजबूर कर दूंगा ,जिसे तू पुण्यकर्म समझ कर करेगा पर वो पापकर्म होगा जिसकी शुरुआत तू अपने बेटे की हत्या से करेगा ,तेरा बेटा विचित्र तेरी नजरो से सबसे पापी होगा ,उसे खुद तू ही मारेगा पर किसी निर्दोष को मारना पाप होता है यह तुझे समझ नही आएगा ,तेरा असली चेहरा और रुप में लाऊंगा सबके सामने ।
 
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Update 105

शिवा की नींद अपने लन्ड पर हिलते पायल की धक्कों से खुल गई ,शिवा के लन्ड पर पायल न जाने कबसे उछलकूद कर रही थी ,उसके चुत के पानी से शिवा की जांघे तक गीली हो गयी थी ,पायल ने शिवा की आंखे खुली देखकर कहा ,लगता है आपका लन्ड भी आपकी तरह सो रहा था ,जाने कबसे उसको अपना माल निकलाने पर लगी हुवीं हु ,पर वो मान ही नही रहा 10 बार अपना पानी छोड़ चुकी हूं में इसकी वजह से ,पायल की इस प्यारी शिकायत को सुनकर शिवाने उसे पलट दिया ,और खुद पायल की चुत में जबरदस्त धक्के लगाने लगा ,उसकी चुत को कुछ ही देरमे अपनी गर्म मलाई से भरकर उसके होठो को चूमकर कहा ,अब खुश हो ना पायल ,हो गई तुम्हारी मन की मुराद पूरी ,पायल ने अपनी आंखें खोल कर शरारत से कहा ,नही अभी पीछे वाली भी मांग रही है ,थोड़ा उसपे भी रहम कर दीजिए ,बाद में अपने पेट को में खुद भर लुंगी ,पायल बहुत ही ज्यादा गर्म करने लगी थी शिवा को अपनी बातों से ,शिवा से इस कदर चुदने वाली वो पहली लड़की थी ,जो बेझिझक अपनी बातें कह देती थी ,शिवाने उसकी बात मानकर तबियत से उसकी गांण्ड को बजाया और उसे भी अपने माल से लभालब कर दिया ,पायल में जलतत्व की ताकद आ जाने से वो शिवा का माल चुत में हो या गांण्ड में बहुत जल्दी सोख लेती थी ,शिवाने पायल की 120 दिन तक चुदाई की समयमनी ,उसके चुत और गांण्ड को अपने माल से भरता ही रहा था वो दिन रात ,पायल ने सैकड़ो बार उसका माल अपने मुह से चूसकर पेट भर के पी लिया था ,जलतत्व की शक्ति आने से और शिवा के हलबी लन्ड से 120 दिन लगातार चुदने से नाजुक सी पायल एकदम बदल गई थी ,जहा उसकी फीगर 34 28 36 की थी वो किसी गदराई औरत की तरह 40 28 42 की हो गयी थी ,शिवा का माल पीकर तो उसका पूरा बदन चमकने लग गया था ,उसकी प्यास को बुझाकर शिवाने उसे समयमनी से बाहर लेकर आ गया ,पायल अपने कपड़े पहनने लगी तो उसकी पैंटी और ब्रा उसे बहुत छोटी होने लगी थी ,उसने शिवा की तरफ देखकर कहा ,अपनी शादी का तो में छिपा लुंगी पर इन दोनों का क्या बोलूंगी ,यह इतने बढ गये है कि सब समझ जाएंगे ,अपनी गांण्ड और चुचिया शिवा को दिखाकर पायल झूठे गुस्से से बोलने लगी थी ,शिवाने उसे नंगी ही अपने बाहो में भरकर उसके गांण्ड को दोनो हाथो से दबाकर कहा ,थोड़े दिन रुक जाओ ,तुम्हारे खानदान में सबसे बड़ी चुचिया और गांण्ड कि मालकिन तुम ही बनने वाली हो ,अभी तो शुरूआत हुवीं है थोड़ा और इंतजार कर लो ,में इन दोनों को 50 का बनाने वाला हु ,
पायल हसकर ,नही अभी यह नही बढ़ने वाले ,बस तुमसे एक दो बच्चे पैदा करने के बाद थोड़े बड़े हो सकते है 2 इंच पर अब जिंदगी भर में ऐसी दिखने वाली हु,
शिवा उसके होठो को चूमकर ,तुमको मुझपर यकीन नही है जो ऐसा बोल रही हो ,मुझे तो पूरा यकिन है यह बढ़ने वाले है मेरी ठुकाई से ,
पायल उसके होठों को बहुत देर तक चूसकर बोली ,मुझे भी पता है आप मानेंगे नही और ना आपका यह मूसल मानने वाला है ,जितना मन करे उतना बड़ा कर दो इन दोनों को ,वैसे भी अब यह मेरे नही तुम्हारे गुलाम हो चुके है ,
शिवा के साथ पायल बहुत देर तक बात करती रही ,उसे अपने जलतत्व की शक्ति का पूरा ज्ञान हो गया था ,उसका इस्तेमाल करने का तरीका भी उसे पता चल गया था ,शिवा के अंदर भी अब जल शक्ति का संचार हो चुका था ,शिवा ने उसे माही और फ़ातिमा के बारे में बता दिया कि उन दोनों से उसे अग्नितत्व की शक्ति मिल गई है ,पायल यह सुनकर बहुत खुश हो गईं,उसने उन दोनों से मिलने की जिद की तो पायल को लेकर शिवा सीधा माही और फ़ातिमा के कमरे में पहुच गया ,जो शिवा के बारे में बात कर रही थी ,अपने सामने शिवा और पायल को देखकर दोनो समज गई कि शिवा ने पायल को अपना बना लिया है ,तीनो एक दुसरे के गले लगकर बहुत खुशी से चहकने लगी ,शिवा ने नेत्रा को भी बुला लिया था ,नेत्रा को देख कर पायल हैरत से उसे देखने लगी ,तो नेत्रा ने उसे बता दिया कि शिवा और काल एक ही है ,और बाकी 4 तत्व की लड़कियां उनकी बहन है ,यह सुनकर पायल और ज्यादा खुश हो गयी ,उसने शिवा से कहा ,आप ने पूजा और मोना को भी पटा लो हम सभी बहने आपको मिलकर बहुत खुश रखेंगे ,शिवा पायल के बात से सकपका गया और हसकर बात को टालने के लिये बोला में थोड़ा काम से बाहर जा रहा हु ,तुम्हे जब घर जाना हो नेत्रा को बोल देना वो तुम्हे घर छोड़ देगी ,माही और फ़ातिमा की चुत की आग और तीन दिन तक शांत रहने वाली थी ,उसके बाद उन दोनों को भी रोज तगड़ी चुदाई की जरूरत पड़ने वाली थी ,पायल की आग कभी नही बुझने वाली थी ,उसे रोज चुदाई की जरूरत पड़ने वाली थी ,हर तत्व की बात अलग थी ,शिवा जितना जल्दी हो सके सभी ताकद को हासिल करने में लगा हुवा था ,उसने नेत्रा को मन मे बोल दिया कि शाम के पाँच बजे वो बलिलोक जाने वाले है ,साथ मे हिमांनी ,कामिनी और शिवानी को भी लेकर जाना है ,आज वो हिमांनी से शादी करने वाला था ,शिवा ने जब पायल को उन तीनों के साथ छोड़कर बाहर आया तब 3 बज रहे थे ,उसने ज्वाला ,सुनीता को समयमनी में 10 दिन तक अपने बड़े लन्ड से मजे दिए ,उसके बाद निता को 30 दिन तक लगातार समयमनी में चोदता रहा ,10 दिन सीमा को समयमनी में चोदकर शिवा एक घण्टे में सर्पलोक जाकर मंदा से मिलकर आ गया ,5 बजे शिवा नेत्रा के साथ बाकी तीनो को लेकर बलिलोक पहुच गया ,वहां पर उसने हिमांनी से शादी कर ली ,शिवा की शादी होने के बाद नेत्रा ,केतकी और शिवानी वापस घर लौट गए ,एक तो बलिलोक में धरती के मुकाबले समय बहुत धीमा होता था ,यहा के 30 दिन यानी धरती का एक घण्टा होता था ,हिमांनी को शिवा आज अपना पूरा वक्क्त देना चाहता था ,हिमांनी से शिवा की ज्यादा बातचीत भी नही होती थी ,लेकिन आज वो शिवा की पत्नी बन चुकी थी ,और शिवा उसे पूरी तरह से अपना बना लेने वाला था ,उसकी ताकद के साथ वो उसकी आत्मा को भी अपना बनाने वाला था ,हिमांनी के सामने ही उसने समयमनी को निकाल कर उसके अंदर दोनो को लेकर आया ,समयमनी के बारे में हिमांनी को बताते हुवे शिवा ने उसे एक बहुत ही सुंदर सी सुहाग की सेज पर बिठा दिया ,हिमांनी बस शिवा की तरफ देख रही थी एकटक ,वो शिवा की बाते सुनती रही बिनाबोले ,शिवा ने हिमांनी के पास बैठकर उसे पूछा, क्या बात है हिमांनी तुम इतनी चुप क्यों हो ,क्या कोई बात से तुम नाराज हो ,कही मुझसे शादी तुमने किसी दबाव में तो नहीं की है ना ,बोलो हिमांनी क्या बात है ,
हिमांनी एकदम शिवा के गले लग कर रोने लगी ,शिवा ने भी उसे रोने दिया ,जब तक वो रोती रही शिवा बस उसकी पीठ को सहलाता रहा बिना कुछ कहे ,हिमांनी का रोना कम होने के बाद शिवा ने उसके आसु भरे चेहरे को बड़े प्यार से पोछ लिया और उसे पीने के लिये पानी दे दिया ,हिमांनी ने वो पानी पीकर फिर शिवा के गले लगकर उसके बाहो में खुद को कसकर पकड़ के बैठ गयी ,मानो वो छोड़ देगी तो शिवा कही भाग न जाये उसे छोड़कर ,शिवा ने उसके सर को बड़े प्यार से सहलाकर कहा ,हिमांनी क्या बात है ,क्या हुवा है तुमको
हिमांनी ,आपसे प्यार हो गया है और में अपने प्यार की बाहो में आकर खुशी महसुस कर रही हु ,मेरी किस्मत में आप जैसा पतीं होगा इस बात का मुझे अभी तक यकीन नही हो रहा है ,
शिवा हसकर ,मेरी कितनी पत्निया है यह तुम जानती हो फिर भी मुझसे शादी करके खुश हो
हिमांनी ,आप खुद की कीमत क्या है यह नही जानते ,आप जैसे इंसान की पत्नी बनना तो भाग्य की बात है ,आप से विवाह करने वाली और आपके साथ रहने वाली हर लड़की भाग्यशाली है ,आप से मिलकर ही में जान पायी की असली मर्द कैसा होता है ,आपसे मिलने से पहले मेंनें सिर्फ वहशी जानवर ही देखे है ,जो अपनी सगी बेटी के लिये भी गलत विचार रखते थे ,भले कुछ प्रजाति में अपनी बेटी से विवाह होता है ,पर हमारे सर्पलोक में ऐसा पाप माना जाता है ,मेरा पिता खुद मेरी शक्ति पाने के लिये मुझसे शादी करने की इच्छा रखता था ,मेंनें पहली बार तुम्हे देखा था तब तुम नेत्रा को छोड़कर चले गए थे ,मुझे यकीन नही था कि तुम विषलोक में कभी वापिस आओगे ,पर तुम वापिस आये ऐसा काम करके जो कोई सोच भी नही सकता ,महानाग बनकर तुमने नेत्रा को ही नही मुझे भी बचा लिया ,तुम कभी खुद की पर्वा नही करते ,दूसरे के दुख दूर करने के लिये तुम एक पल में अपनी जान की बाजी लगा देते हो ,धरती पर आकर तुम्हारे एक एक कारनामे मेंनें अपने नजरो से देखे है ,जो इंसान बस दूसरे को खुशी देना जानता हो ,ऐसा मेरा पति बना है ,तो सोचो में कितनी भाग्यशाली हु ,तुमसे मुंबई के घर मे मौजूद हर लड़की प्यार करती है ,सब तुमपर अपनी जान एक पल में लुटाने को तैयार है ,पर तुम सिर्फ सबकी जिंदगी सवार रहे हो ,इतनी ताकद ,इतनी अद्भुत शक्तिया पाकर भी कभी तुमने उसका इस्तेमाल खुद के भले के लिये नही किया ,शिवाय ने तुम्हारे कहने पर एक दिन में दुनियाभर की दौलत जमा कर ली पर उसका एक पैसा तुमने नही रखा ,सब पैसा गरीबो के लिये खर्च कर रहे हो ,ना पैसे की भूक ,ना दौलत की चाह ,ना औरत के जिस्म की भूख ,आखिर तुम हो कौन ,जो थोड़ा भी मतलबी नही है ,कभी खुद के बारे में सोचा है तुमने ,कभी अपने दिल पर हाथ रख कर पूछा है अपने दिल से क्या चाहता है वो ,कभी खुद के लिये भी जीना नही चाहोगे ,तुम हम सबसे शादी करके हमारी तकलीफ़ खुद के सिर लेकर दुनिया भर से लड़ते हो ,कभी आज तक चैन की नींद भी सोये हो ,नही ,कभी नही ,में तुम्हारी पत्नी बनकर तुम्हारे सुख की नही दुख की भी भागीदार बनना चाहती हु ,
शिवा हिमांनी की बातों से यह समज गया था की हिमांनी उसे दिल से पसन्द करती है ,उसके दिल मे अपनी जगह देख कर शिवा ने उससे कहा ,हिमांनी बहुत सी बातें ऐसी है ,जो में तुम्हे नही बता सकता ,मेरे भी कुछ राज है जो शायद मेंनें सभी से छिपा कर रखे है ,में इतना भी अच्छा और भला नही हु,मुझमे भी बुराइयां है ,बहुत सी कमियां मुझमे भी है जो में दूर करने की हमेशा कोशिश करता हु ,बस में तुम्हे भी जब तक जिंदा हु हमेशा खुश रखने की पूरी कोशिश करूंगा ,तुम्हे कोई तकलीफ ना हो इस बात का में हमेशा ख्याल रखा करूँगा ,
हिमांनी शिवा के आंखों में देखकर बहुत प्यार से कहा ,आप की बनना तो मेरा सपना था जो आज पूरा हो गया है ,बस जिंदगी भर आपके साथ रहू यही में चाहती हु ,
हिमांनी एक नीली नागिन थी जो दुनिया की एकमात्र नागिन थी ,उसके बारे में कोई भी नही जानता था ,ना उसकी शक्तियो के बारे में ,बस एक बात सबको यही पता थी कि हिमांनी में बहुत सी दिव्य शक्तिया है जो उसके शादी के बाद उसके पति और उसे मिलने वाली है ,उसका पति महानाग होगा यह उसके जन्म के वक्त ही तय हो गया था ,या महानाग की पत्नी बनने ही उसने जन्म लिया था ,पर उसके जन्म के हजारो साल बाद महानाग का जन्म हुवा था ,कुदरत का खेल भी बड़ा निराला था ,शिवा की बहुत सी पत्निया उससे पैदा होने से पहले ही जन्म ले चुकी थी ,कुछ का निर्माण उसके लिए हुवा था तो कुछ उसके किस्मत से उसे मिल गई थी ,हर एक पत्नी ने उसे नई ताकद ही दी थी ,हिमांनी तो सबसे अलग थी ,उसकी ताकद और शक्तिया एक रहस्य थी ,शिवा को भी कुछ पता नही था कि उसे हिमांनी से शादी करके कौनसी ताकद मिलने वाली है ,हिमांनी शिवा के घर मे रहकर शिवा के सब कारनामे देख चुकी थी ,उसके मन मे शिवा के लिये एक सन्मान था ,शिवा ने हिमांनी के चेहरे को अपने दोनो हाथो में पकड़कर उसके नरम ग़ुलाबी ओठो को बड़े प्यार से चूमने लगा ,हिमांनी एक बहुत ही खूबसूरत लड़की थी ,वो दुनिया की एकमात्र निलनागिन होने से उसकी सब बातें निराली ही थी ,आज शिवा से मिलन करते वक्त वो अपने असली रूप में आ गयी थी ,पूरे नीले बदन की हिमांनी के बदन की चमक उसे बहुत ज्यादा खूबसूरत बना रही थी ,उसके सिर्फ होठ ही गुलाबी थे ,बाकी सारा बदन नीला था ,उसके दांत तक नीले रंग के थे ,उसके बालो का रंग भी एकदम नीला ही था ,शिवा इस अद्भुत हसीना को देख रहा था ,40 30 44 की उसकी गजब की फीगर ,7 फिट के आसपास उसकी लम्बाई ,एकदम कमाल का कटाव लिया उसका मादक रूप शिवा को भड़काने के लिये काफी था और जब हिमांनी अपने असली रूप में आ गई तब उसकी चुत से निकलती तेज गन्ध से शिवा का दिमाग घूमना शुरू हो गया था ,शिवा ने हिमांनी को एक पल में ही पूरा नंगा कर दिया अपनी माया से ,और खुद भी नंगा हो गया ,हिमांनी के बदन पर उसके होंठ ,उसके निप्पल और चुत का छेद तीनो ग़ुलाबी थे और बाकी सारा बदन एकदम नीला ,शिवा को इस बात का अंदाजा था कि इस कयामत के गांण्ड का छेद भी गुलाबी ही होगा ,शिवा को हिमांनी की चुत की गंध बहुत ज्यादा बैचेन करने लगी थी ,उसने सबसे पहले उन दूध के 40 के साइज के मटकों पे हमला कर दिया ,शिवा किसी भूखे बच्चे की तरह हिमांनी की चुचियो को निचोड़ रहा था ,दोनो चुचिया दबाकर उनके निप्पल को काटकर शिवा ने हिमांनी को भी मदहोश कर दिया था ,हिमांनी की चुत से पानी टपकने लग गया था ,हिमांनी को अपनी चुचिया को इस तरह मसलने से अद्भुत आनंद मिल रहा था ,शिवा ने उसकी चुचिया छोड़के उसके नाक में कबसे उसे आने वाली सुगन्ध की तरफ अपना रुख कर लिया ,किसी बड़ी सी पावरोटी जैसी एकमात्र नीली चुत को शिवा बड़े विस्मय से देख रहा था ,उसने उस चुत के बड़े और मोटे ओठो को चूमकर उसका रस चाट लिया ,हिमांनी के मुह से एक मादक सिसकी निकल गयी ,इस तरह से उसकी चुत पर शिवा की जीभ का स्पर्श ने उसे और मजा आने लगा ,शिवा उसकी चुत को कुते किबतरः चाटने लगा उसके ओठो को फैलाकर अपनी जीभ हिमांनी के गुलाबी छेद में घुस्साकर वो छेड़छाड़ करने लग गया ,हिमांनी मजे से झड़ती गई और शिवा उसके रस को पिता गया ,शिवा ने बहुत बार हिमांनी की चुत को चाट चाट कर ही झड़ंने पर मजबूर करता गया ,हिमांनी के चुत का रस उसे बहुत पसंद आया था ,उसने अपना मन भरने तक इस अनमोल रस को पीता रहा ,शिवा ने हिमांनी के गांण्ड के गुलाबी छेद को भी नही छोड़ा था उसे पी चूम कर चटाकर उसमे अपनी जीभ घुसाकर उसका भी स्वाद ले लिया था ,हिमांनी के चुत और गांण्ड का स्वाद शिवा को बहुत ही भा गया था ,इस हसीना को भोगने के भाग्य उसके नसीब में है इस बात की उसे बहुत खुशी हो रही थी ,शिवा ने हिमांनी को पीठ के बल सुलाकर उसकी चुत पर अपना लन्ड टिका दिया ,शिवा के इस दहकते 20 इंच लम्बे और 12 इंच मोटे लन्ड का हाल भी बुरा हो गया था ,उसे जल्द ही हिमानी के अंदर घुसने की ललक हो रही थी ,शिवा ने हिमांनी की बड़ी सी 44 की गांण्ड को मजबूती से पकड़ कर एक ही जबरदस्त धक्के में अपना लन्ड जड़ तक घुसा दिया ,शिवा के इस हमले को हिमांनी झेल नही सकी उसके मुह से बहुत ही ज्यादा भयानक चीख निकल गई ,शिवा के मूसल ने हिमांनी के नाजुक चुत को पूरा तहस नहस कर दिया था ,उसकी चुत को फाड़कर शिवा का लन्ड जड़ तक अंदर घुस गया था ,हिमांनी के चुत से खून निकल रहा था ,जिसका रंग एकदम नीला ही था ,शिवा का लन्ड उसके खुन को अपने आप सोख रहा था ,शिवा किसी पागल हाथी की तरह हिमांनी को रौंद रहा था ,उसके बदन में अलग ही नशा और जोश भर गया था ,उसके तूफानी धक्के हिमांनी की चीखें निकाल रहे थे ,पर शिवा को उसके दर्द की परवाह ही नही हो रही थी ,वो खुद के होश में ही नही था ,उसपर हिमांनी के चुत का जादू चल गया था ,हिमांनी के चुत का कसाव और गर्मी उसे बहुत ही मजा द्व रही थी ,उसके लन्ड पर हिमांनी के चुत की पकड़ एकदम कसकर हो गयी थी ,शिवा उसके चुत में लम्बे धक्के मारकर अपने लन्ड को और ज्यादा गहराई तक पहुचाने की कोशिश कर रहा था ,हिमांनी को गांड़ का तो उसने अपने मजबूत पंजो से दबादबाकर बुरा हाल कर दिया था ,हिमांनी इस लन्ड के प्रहार से दर्द में ही एक बार झड चुकी थी ,एक बार झड़ंने के बाद उसके दर्द में कुछ कमी हुवीं ,उसे भी अब शिवा के लन्ड के धक्के अपनी चुत में पसन्द आने लगे ,वो भी अपनी गांण्ड उठा उठाकर शिवा का साथ देंने लगी ,हर 10 मिनीट बाद हिमांनी झड जाती शिवा के लन्ड के मार से ,शिवा ने दस बार हिमांनी का पानी एक ही आसन में चोदकर निकाल दिया था ,शिवा का लन्ड आसानी से हिमांनी के चुत में अब अंदर बाहर हो रहा था ,शिवा ने हिमांनी को घोडी बनाकर उसे और बुरी तरीके से चोदना शुरू कर दिया ,हिमांनी को अब शिवा के लन्ड और ज्यादा मजा आने लगा था ,उसकी मुह से मादक सिसकिया निकाल कर वो अपनी खुशी का इजहार करती रही ,शिवा ने दो बार हिमांनी को घोडी बनाकर चोदा और तीसरी बार जब हिमांनी झड़ंगे लगी उस वक्त उसने अपने लन्ड से हिमांनी के चुत में अपनी गर्म मलाई की बौछार कर दी ,शिवा के लन्ड ने बहुत ज्यादा मात्रा में हिमांनी के चुत में अपना माल भर दिया था ,हिमांनी के चुत को इस गर्म गाढ़ी मलाई ने सुकून पहुचा दिया था ,अपने चुत के हर कोने में शिवा के माल को वो महसूस कर रही थी ,उसकी चुत बडे चाव से इस माल को पचाने लग गयी थी ,घोडी बनी हिमांनी के गांण्ड का छोटा सा छेद शिवा के कबसे बैचेन कर रहा था ,उसमे उंगलिया घुसाकर उसकी नरमाई का मजा तो वो कबसे ले चुका था पर उसके लन्ड को उस छेद का मजा लेना था ,शिवा ने अपने लन्ड का माल हिमांनी की चुत में भरने के एक बाद ,एक पल में ही हिमांनी के गुलाबी गांण्ड के छेद को अपने लन्ड के दो धक्के में ही फाड़ दिया था ,शिवा का लन्ड हिमांनी के गांण्ड में जड़ तक घुस कर एकदम खुश हो गया था ,हिमांनी का दर्द से बुरा हाल हो गया था ,अपने चुत के दर्द से वो अभी ही सम्भल पायी थी कि ,शिवा ने उसकी गांण्ड को फाड़कर वापिस उसके मुह से चीखे निकालने शुरू कर दी ,शिवा बिना रुके हिमांनी के गांण्ड को मारता रहा ,बहुत जल्द ही हिमांनी के गांण्ड का दर्द कम हो गया ,वो मजेसे शिवा के लन्ड के धक्के अपने गांण्ड मे लेकर अपनी गांण्ड शिवा के लन्ड पर पटकने लगी ,हिमांनी के गांण्ड को अपने माल से भरकर ही शिवाने दम लिया ,हिमांनी की गांण्ड मारने के बाद शिवा वापिस उसकी चुत पर टूट पड़ा ,हिमांनी के चुत में लन्ड घुस्साकर उसे कुतिया बनाकर शिवा उसे चोदता रहा ,कभी चुत तो कभी गांण्ड शिवा एक पल का भी आराम नही कर रहा था ,ना वो थक रहा था ना हिमांनी तक रही थी ,समय मनी में उनकी चुदाई बस चलते जा रही थी करीब समय मनी 100 साल तक दोनो चुदाई कर चुके थे पर दोनो की हवस कम नही हो रही थी ,200 साल हो जाने के बाद दोनो की हवस थोड़ी कम हो गई पर वो रुके नही जब समयमनी में 300 साल पूरे हुवे तब जाकर दोनो सन्तुष्ट हो गए थे ,हिमांनी की चुत और गांण्ड को शिवा ने अनगिनत बार अपने माल से भरे दिया था ,हिमांनी के चुत का पानी पीकर अपनी प्यास भी वो बूझा चुका था ,साथ मे हिमांनी को अपनी गर्म गाढ़ी मलाई का तो उसने दीवाना बना दिया था ,वो दोनो जब 300 साल समय मनी में गुजारकर बाहर आये तब बलि लोक में 90 दिन हो गए थे ,हिमांनी के रोम रोम में अब शिवा बस गया था ,उसकी हर धड़कन अब बस उसकी ही बन गई थी ,हिमांनी और शिवा बाहर आये शिवा का रूप एक निलनाग मे बदल गया जिसके 100 से ज्यादा सर थे ,हिमांनी भी शिवा की तरह 100 सर वाली नागिन में बदल गई थी ,दोनो में बहुत सी ताकते आ गयी थी ,समयमनी में 300 साल गुजर जाने से दोनो को अपनी सारी ताकद की जानकारी हो गयी थी ,हिमांनी का निर्माण त्रिशक्ति और त्रिदेवियों ने मिलकर किया था ,उसमे उन सबकी प्राप्त दिव्य शक्तिया थी ,जो अब शिवा की भी हो गयी थी ,जब तक शिवा और हिमांनी को साथ मे नही मारा जाता तब तक वो मर नही सकते थे ,दोनो को एक साथ मारने पर ही वो मर सकते थे ,उन दोनों को मारने के लिये त्रिशक्ति और त्रिदेवियों ने मिलकर बनाये किसी अस्त्र से ही मारा जा सकता था ,और ऐसे दो अस्रो की जरूरत उन दोनों को मारने के लिये पड़ने वाली थी ,और ऐसा कोई भी शस्र नही बनाया गया था उनके द्वारा ,शिवा और हिमांनी को ना रचनास्त्र ,विश्वास्त्र और नाही अजस्त्र नुकसान पहुचा सकते है ,ये तीनो भी अगर एक साथ उनपर छोड़ दिये तो वो नही मर सकते थे ,पर उन दोनों को एक ही व्यक्ति मार सकती है वो है तेजा ,जिसे त्रिदेवियों ने अपने पति से शक्ति लेकर निर्माण किया है ,तेजा एक पल में ही शिवा और हिमांनी को मार सकती है ,शिवा ने हिमांनी से कुछ देर बाते की और उसे धरती पर छोड़ दिया ,धरती पर रात के 9 बजे उसे छोड़कर शिवा पहले 1 घण्टा अश्वलोक गया फिर वहां से सिहलोक 1 घण्टा समय बिताकर वो तेजा के पास गरुड़ लोक चला गया ,वहां 6 घण्टे यानी सिहलोक के 6 साल तेजा और अपने बच्चों के साथ बिताकर वापिस धरती पर आ गया ,आज रात में ही नरगिस और उसका प्रतिरूप दुबई से लौट आए थे ,शिवा अपने कमरे में आने के बाद उसका प्रतिरूप शिवा में समा गया ,आज शिवा ने सोच लिया था कि वो सीमा की दोनो बेटिया और मनीषा और हेमा की बेटीयो से शादी कर लेगा ,6 तत्व की शक्तियां मिलने के बाद वो शिवानी के दर्द को खत्म कर सकेगा ,शिवानी का दर्द दूर करके ही उसे अब आराम मिलने वाला था ।
 
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Update 106

शिवाय विचित्र के महल में बाहर से आ रहे शोर को सुनकर देखने चला आया ,महल के बाहर जिमाली और तामली की माँ खड़ी थी ,महल में अंदर आने के लिये वो राक्षस सैनिकों की विनतीं कर रही थी ,शिवाय ने तुंरत अपने गुलाम विचित्र को बाहर बुलाया ,उसे कपड़े पहनाकर शिवाय ने सुंदरी से मिलने भेज दिया ,सुंदरी ने जब विचित्र के चेहरे की तरफ देखा तो उसकी सास ही अटक गई ,विचित्र के चेहरे पर नाखूनों के बहुत से निशान थे ,सुंदरी को अपनी बेटियों को बहुत चिंता होने लगी ,उसने विचित्र के आगे हाथ जोड़कर कहा ,आप ऐसा क्यों कर रहे राजकुमार ,जिमाली और तामली को आप राणी महल से लाकर आप अच्छा नही कर रहे ,आपके पिता को अगर यह बात मालूम चली तो आपको वो दंड देने से पीछे नही हटने वाले ,आप मेरी दोनो बेटीयो को मेरे हवाले कर दीजिये, में आपके पिता को कुछ भी नही कहूंगी ,कृपया आप मुझ पर दया कीजिये ,
विचित्र ,सुंदरी में तो आपको भी यहा लाने की सोच रहा था ,बस कुछ दिन रुक जाइये आपकी बेटीयो के मजे लेने के बाद आप का ही नम्बर लगने वाला है ही ही ही
सुंदरी विचित्र की बात सुनकर डर गई ,उसे भुजंग के सभी बेटो की हवस की कहानियां पता थी ,खुद भुजंग ने ही रानीमहल के सभी औरतो को रानीमहल से बाहर जाने की मनाई की थी ,जब भुजंग राक्षसलोक में होता तभी वो रानीमहल से बाहर निकलती थी ,वो भी जब भुजंग उनके साथ होता तो ही वो बाहर आती ,सुंदरी ने विचित्र की बहुत मिन्नतें की पर वो नही माना ,सुंदरी रोते हुवे वापस रानीमहल लौट गई ,राक्षसलोक में भुजंग के किसी और बेटे के पास जाना मतलब खुद उनका शिकार बनना था ,राक्षसलोक में कोई ऐसा नही था जो सुंदरी की मदद कर सकें ,भुजंग के आने में अभी महीने भर का समय था ,तब तक विचित्र अपनी बेटियों का क्या हाल करेगा यही सोच कर सुंदरी मर रही थी ,रोती बिलखती वो रानीमहल में विलाप कर रही थी ,रानीमहल में अब डर का माहौल हो गया था ,सबको अब अपनी इज्जत खतरे में दिखने लगी थी ,विचित्र ने जिस तरह जिमाली और तामली को रानीमहल का सुरक्षा कवच तोड़कर ले गया था ,उसका अब कोई भरोसा नही था कि किस वक्क्त वो वापिस यहा पर आकर और किसी को उठाकर ले न जाये ,सब औरते बहुत ही ज्यादा भयभीत हो गई थी ,भुजंग को अपने सुरक्षा कवच पर बहुत ज्यादा विश्वास था ,उसको तोड़कर कोई अंदर नही जा सकता इस बात से वो निश्चित होकर ही तपसाधना पर चला गया था पर विचित्र ने उस कवच को तोड़कर रानीमहल में एक भय का माहौल बना दिया था ,उनकी मदद के लिये अब राक्षसलोक में कोई भी नही था ,विचित्र के सभी भाई उसके खिलाफ न जाकर उसे और उकसा कर रानीमहल की औरतों का शिकार करने के लिये उसे और बल देने वाले थे ,उनके लिये यह बात तो खुशी की होगी कि विचित्र रानीमहल के सुरक्षा कवच को तोड़कर अंदर जा सकता है ,
और हुवा भी वैसा ही जैसे ही राक्षसलोक के अंदर यह खबर पहुच गई कि विचित्र ने रानीमहल के कवच को तोड़ कर दो राजकुमारीयो को उठा लाया है ,सारे भुजंग के बेटो में खुशी दौड़ गई ,उनके लिये विचित्र बहुत ही प्यारा हो गया था ,हर कोई राजकुमार विचित्र के पास जाकर उसे अपने लिये कोई रानीमहल की हसीना लाने की बात सोचने लगा था ,उन सबके मन मे हवस के नए अरमान जागने लगे थे ,कब विचित्र से मिलकर वो अपनी बात उसे कहे ऐसा उन्हें हो गया था ,विचित्र को खुश करने के लिये क्या किया जाए यही वो सोच कर उसे मिलने को जा रहे थे ,अपने पिता का उन्हें कोई डर नही था ,उनके पिता ने कभी उन्हें नही रोका था ,उन्होंने अपने पिता की न जाने कितनी पत्नियों को भोगा था और अपनी ही सौतेली बहनो का शिकार किया था ,उनके पिता उन्हें कभी कुछ नही कहते थे ,
विचित्र के महल में सुबह से उसे मिलने 300 से ज्यादा राजकुमार आकर चले गए थे ,हर कोई विचित्र के साथ खड़ा था उसके इस काम मे और वो विचित्र से अपने लिये भी किसी हसीना को लाने की विनतीं कर चुके थे ,विचित्र ने उससे मिलने आये सभी को हा कह कर खुश कर दिया था ,विचित्र ने सबको यही कह दिया था कि आज जिसे भी रानीमहल की औरते चाहिए वो मेरे महल के सामने दोपहर तक आ जाये ,विचित्र की यह बात भुजंग के सभी बेटो को मालूम हो गयी ,विचित्र के महल के बाहर दोपहर में उसके राक्षसलोक में मौजूद सभी भाई जमा हो गए थे ,विचित्र ने अपनी माया से एक बहुत बड़े मैदान का निर्माण करके अपने सभी भाइयो को वहां बैठने का प्रबंध कर दिया ,
विचित्र ने सब भाइयोंको को बिठाने के बाद सबके सामने खड़ा होकर बोला ,मेरे भाइयो में आप सबके लिये रानीमहल से औरते लाकर देने के लिये तैयार हूं ,पर वहां पर सिर्फ 50 रानियां और 70 राजकुमारियां है ,कुल मिलाकर वहां पर 120 औऱते है हम सब भाई संख्या में 879 के करीब है ,हमारे 100 भाई पाताल लोक गये है ,उनके आने के बाद वो भी इन औरतो की कामना जरूर करेंगे ,आप सभी को पता है कि रानी महल की औरतें कितनी हसीन और लाजवाब है ,अगर हमने उन्हें एक बार भी भोग लिया तो हम किसी दूसरे को उसे नही दे सकते ,उनके मादक जिस्म को हम अपने भाइयों को भी नही दे सकते है ,ऐसी खूबसूरत औरतो को हम हमेशा अपने पास ही रखना चाहेंगे ,इस लिये में चाहता हु ,की इस बात का फैसला हम मर्दांगी के बल पर करे ,हम भाइयों में जो भी आपस मे लड़कर जीत जाएगा वो ही इन औरतो का मालिक बनेगा ,हमे एक दुसरे पर जानलेवा हमले नही करने है ,बस मलविद्या में हम अपना बल आजमा कर ही यह फैसला करेंगें ,जो भी 119भाई जीत जायेगे इन 879 में से उनको रानीमहल की एक औरत मिल जाएगी ,और हमारे हारे हुवे भाई इस बात को मान जायँगे की जितने वाले उनके भाई ही उन औरतो के असली हकदार है ,सबसे पहले जो प्रवेश द्वार की रखवाली करते है इस जगह से चले जाइये ,उन सबको रानीमहल की सुंदर और कवारी दासिया में खुद देने वाला हु ,और जिन भाइयो को आपसे में मुकाबला नही करना है वो भी यहा से जा सकते है ,हम सब भाई है कोई शत्रु नही यह बात आप सब हमेशा याद रखिये ,
विचित्र की बात सबको सही लगी ,उसकी बुद्धिमानी और चतुराई को सब जानते थे ,उसने अपने 10 भाइयों को सबसे पहले पहरेदारी पर भेजकर अपनी बुद्धिमानि का सबूत दे दिया था ,लेकिन कुछ ऐसे भी थे जिन्हें यह बात पसन्द नही थी ,आपस मे लड़ना उन्हें कतई पसन्द नही था ,पर उन सबकी संख्या बहुत कम थी ,बस 60 भाई ऐसे थे जो मुकाबले के खिलाफ थे ,पर वो बाकी सभी को समझाने में नाकामयाब हो रहे थे ,बहुत देर तक वो अपने भाइयों को समझाते रहे ,पर कोई नही माना आखिर वो 60 भाई वहां से चले गए ,अब विचित्र ने सब भाइयो को एक बार और पूछा किसी को मंजूर नही हो तो वो भी यहा से जा सकता है ,उसके बाद विचित्र ने बचे हुवे सभी भाइयो को आपस मे मलविद्या एक मुकाबला लगा दिया ,विचित्र के बनाये मायावी आखडे में उसके भाई एक दूसरे पर अपना जोर दिखाने लगे ,पहले जो सिर्फ मलविद्या का मुकाबला होने वाला था वो धीरे धीरे एक खूनी जंग में बदल गया ,हर कोई अपने सामने वाले को मारकर इस मुकाबले को जीतने की कोशिश करने लगा ,कुछ ही देर में वहां पर भुजंग के 400 से ज्यादा बेटे एक दूसरे से लड़कर मर चुके थे ,विचित्र के इस मुकाबले को जीतने के लिये अपनी हवस के चक्कर मे वो एक दूसरे के खुन के प्यासे हो गए थे ,एक दूसरे को मारकर उनमे से आखिर 120 भाई बच गए थे ,679 इस मुकाबले में मारे गए थे ,जितने वाले सभी भुजंग के बेटो को अपने भाइयों के मरने का कोई गम नही था ,उनके नजरो के सामने तो बस रानीमहल की हसीन औरते घूम रही थी ,पूरे राक्षसलोक में विचित्र के इस खूनी खेल की खबर पहोच गयी थी ,एक साथ भुजंग के इतने बेटो के मरने से राक्षसलोक में खलबली मच गई थी ,कुछ दुखी हो रहे थे ,तो बहुत से राक्षस खुश हो गए थे ,भुजंग के बेटो से सताये जाने वालों में तो खुशी का माहौल हो गया था ,रानीमहल में भी इस बात की खबर हो गयी थी ,विचित्र को बहुत सी गन्दी गालिया और श्राप देती वो औरते अपने नसीब को कोस रही थी ,विचित्र ने अपने वादे के मुताबिक रानी महल की औरतो को अपने भाइयों को सौप दिया था ,सब भाइयो को एक एक औऱत देकर उनको विदा कर दिया था ,अपने महल के सामने पड़ी अपनी भाइयो की लाशों को विचित्र ने आग लगाकर जला दिया ,उस आग की लपटें पूरे राक्षसलोक में दिख रही थी ,सब भाइयो की लाशें एक जगह जमा करने के बाद उसका बहुत बड़ा ढेर लगाकर विचित्र ने आग लगाई थी ,कालराक्षस ,भोकासुर ,और बीरा इतनी बड़ी आग को देख रहे थे ,
बीरा ,यह इतनी प्रचंड आग कैसे लग गई ,और इस मांस के जलने की बदबू कैसे आ रही है ,
कालराक्षस ,कुछ नही बीरा यह बदबू भुजंग के बेटो की लाश जलने के वजह से आ रही है ,एक साथ भुजंग के 679 बेटे मर गए है आज ,उनकी ही लाशें जल रही है
बीरा हैरानी से ,उन सबकी एक साथ कैसे मौत हो गयी ,
कालराक्षस ने फिर उसे विचित्र की सारी कहानी बता दी ,शिवाय के बारे में उसे कुछ भी नही बताया ,बीरा को विचित्र पर बहुत ज्यादा गुस्सा आने लगा ,किसी औरत पर अत्याचार करने वाले को नही छोड़ना चाहिये ऐसा उसे लग रहा था ,कालराक्षस ने बीरा से इतना ही कहा ,तुम बिल्कुल चिंता मत करो ,किसी भी औरत पर एक खरोच तक नही आएगी ,बस भुजंग के आने तक तुम शांत रहना ,इस विचित्र को सजा वही देने वाला है ,तुम भूलकर भी उस विचित्र पर हमला मत करना ,नही तो सब कुछ बिगड़ जाएगा ,अपने गुस्से पर काबू रखो ,तुम्हारा गुस्सा कम करने का प्रबंध में अभी कर देता हूं ,इतना कहते है भोकासुर और कालराक्षस के शरीर से उनके लाखों प्रतिरूप तैयार हो गए ,जो सभी राक्षस की तरह दिखने लगे ,सिर्फ उनका आकार और कपड़े राक्षसलोक के सैनिकों की तरह थे ,सबकी शक्कल अलग अलग थी ,कोई भी भोकासुर या कालराक्षस जैसा नही दिख रहा था ,कालराक्षस ने अपनी माया से बीरा के शरीर पर एक कवच लगा दिया जिसकी वजह से वो औरत है या मर्द यह समझ नही आ रहा था ,सब करने के बाद बीरा से कालराक्षस ने कहा ,तुम जाओ इन सबके साथ ,जितने भी पापी और दृष्ट राक्षस तुम्हे मिले सबको मार दो ,इस राक्षसलोक मे हर पापी ,नीच और दृष्ट को मार दो ,कोई भी तुम्हे नही रोक सकेगा ,सिर्फ जब में तुम्हारे सामने आ जाऊ तब तुम इन सबके साथ गायब होकर अपने इसी घर मे आ जाना ,बीरा और भोकासुर अपने लाखो राक्षस सेना के साथ निकल पड़े थे ,सबके अंदर दिव्य शक्तिया थी ,हर राक्षस का मन पढ़कर और उससे बात करके वो जान लेते की यह पापी है या अच्छा ,फिर क्या था पूरे राक्षसलोक में कोहराम मच गया था ,हर तरफ नीच और पापी राक्षस गाजर मूली की तरह काटे जाने लगे थे ,250 अरब राक्षस में से चुन चुन बुरे और पापियो को मारा जाना चालू हो गया था ,
कालराक्षस सीधा उन 60 भाइयों की तरफ आया जो विचित्र से बहुत ज्यादा नाराज और गुस्सा था ,अपने भाइयों के मारे जाने से वो विचित्र पर बहुत ज्यादा भड़क गए थे ,जब कालराक्षस उनसे मिलने पहुचा था तो वो सभी उस पर भी अपने क्रोध की नजरों से देख रहे थे ,क्योंकि कालराक्षस तो विचित्र की सेना का सेनापति जो था ,
कालराक्षस ने सभी राजकुमारो को आदर से नमन किया और कहा ,आप सब मुझसे क्यो नाराज है में जानता हु ,पर में तो बस एक नौकर हु आपका ,में आपके हुकुम का बस एक गुलाम हु ,राजकुमार विचित्र की हरकत का में समर्थन भी नही कर सकता और विरोध भी ,आप मेरी मजबूरी समझ लिजिये ,में यहा आप को यही बताने आया था कि राक्षसलोक में कोहराम मच गया है ,जो राजकुमार मारे गए है उनकी सेना अपने राजकुमार के हत्या का बदला लेने के लिये पागल हो गयी है ,वो सब मिलकर जितने वाले राजकुमार के विभाग में हमला कर रहे है ,में यही बात बताने राजकुमार विचित्र के पास गया था पर उन्होंने मेरी कोई बात सुनी ही नही ,यह वक्क्त आप का मुझ पर गुस्सा करने का नही है ,हमे सबको मिलकर राक्षसलोक में चल रहे इस सब गड़बड़ी को रोकना होगा ,आप सबके होने से यह काम बहुत जल्दी होगा ,सबको कालराक्षस की बात सही लगी ,वो सब कालराक्षस के साथ निकल पड़े राक्षसलोक में हो रही मार काट रोकने ,पर कालराक्षस उसी जगह उन्हें लेकर जाता जहा पर बीरा ,भोकासुर और उसके प्रतिरूप ना हो ,यह लड़ाई अब कुछ अलग ही हो गई थी ,पहले भोकासुर और बीरा के साथ सभी प्रतिरूप पापियो को मार कर चले जाते ,उनके जाने के बाद जब कालराक्षस भुजंग के बेटो के साथ उस जगह सेना पर पहुच जाते तो सबको यही लगता यह इनका ही काम है उस जगह के सभी राक्षस इन पर टूट पड़ते थे ,कालराक्षस भी चुन चुन कर पापियो को मार देता था ,पूरे दस दिन तक यह खेल चल रहा था राक्षसलोक में 250 अरब का राक्षसलोक में 200 अरब से ज्यादा राक्षस मारे गए थे ,शिवाय इस सब मे कहा पीछे रहने वाला था ,वो कालराक्षस की सेना में एक राक्षस बन कर घुस गया था ,उसने अकेले ने ही 50 भुजंग के बेटो को मार दिया था ,सिर्फ 10 को ही जीवित छोड़ा था उनमें से ,वो सभी 10 भाई कालराक्षस के दीवाने हो गए थे ,कालराक्षस किसी ढाल की तरह उनके सामने रहता था ,उनपर आने वाला हर वार वो खुद पर झेल कर उनकी रक्षा करता था ,कालराक्षस के बदन पर बहुत से चोट के निशान बन गए थे ,जो असली लगने के लिये शिवाय ही शक्कल बदल बदल कर वार कर देता ,कालराक्षस के बहादुरी के किस्से पूरे राक्षसलोक में फैल गए थे ,एक साथ 1000 राक्षस के साथ लड़कर उसने अपना सिक्का सब पर जमा दिया था ,सबको क्या मालूम कि उनके ही आदमियों को मार कर कालराक्षस उनकी ताकद कम कर रहा है ,जिस 120 भाइयो के पास रानीमहल की औरते थी वो सभी शिवाय ने अपने गुलाम बना दिये थे ,उन सभी ने उन 120 औरतो को अपने अपने महल में नंगा करके बांध कर रख दिया था ,सभी औरतो के हाथ पांव पर नाखूनों के निशान बनाकर उन सबको बेहोश कर दिया था ,शिवाय उन भाइयों के द्वारा उन सभी औरतो को सिर्फ हाथ पांव पर ही जख्म करने को लगाता ,किसी भी औरत के नंगे शरीर को उसने किसी को भी देखने नही दिया था ,शिवाय का एक ही मकसद था भुजंग से पाप करवाना ,और अपने इस काम मे वो आधे से ज्यादा कामयाब हो चुका था ,शिवाय ने विचित्र को रानी महल में दो बार भेजकर पूरा रानीमहल देख लिया था ,सिर्फ एक ही हिस्सा ऐसा था जहाँ पर विचित्र नही जा पाया था ,उस जगह पर बेहद ही ताक़दवर सुरक्षा कवच लगा था ,उस जगह भुजंग ने क्या रखा था इस बात की शिवाय को बहुत ज्यादा उत्सुकता थी ,उस जगह पर सिर्फ शिवा ही जा सकता है ऐसा शिवाय को लगता था ,इसीलिए उसने कालराक्षस को बोलकर एक बार राक्षसलोक के प्रवेश द्वार को खोल कर बाहर जाने को कहा था ,कालराक्षस ने भी 10 राजकुमारों को अपने साथ राक्षसलोक के बाहर की सुरक्षा देखने का हवाला करके अपने साथ बाहर लाया था ,जब शिवा को उसने मानसिक सन्देश दिया तो शिवा ने कालराक्षस और शिवाय को अपने पास बुलाया और अपने अंदर लेकर जलतत्व की शक्ति के साथ ,हिमांनी से मिली शक्ति को अपने सभी अंशो में मिला लिया ,काल2 को शिवा ने कालराक्षस औऱ शिवाय के साथ राक्षसलोक भेज दिया ,शिवा को यकीन था कि काल2 भुजंग के सुरक्षा कवच को जरूर तोड़ देगा ,तीनो जब कुछ ही देर में राक्षसलोक के प्रवेश द्वार पर आए कालराक्षस का प्रतिरूप वही भुजंग के बेटो के साथ खड़ा था ,कालराक्षस अपने प्रतिरूप में समा गया ,काल2 और शिवाय दोनो राक्षसलोक में चले गए ,काल2 सभी काल या शिवा ही समझ रहे थे ,जब काल2 रानीमहल में दाखिल हुवा तो उसके सामने एक बहुत ही ताक़दवर सुरक्षा कवच लगा था ,जिसे तोड़ना किसी के बस का नही था ,जिसके पास त्रिशक्ति और त्रिदेवियों की मिली हुवीं शक्ति होगी वही इसको तोड़ सकता है ,जिसने अबतक कोई पाप न किया हो ऐसा ही पुण्यवान उस कवच के पार जा सकता था ,सबमें काल2 ही ऐसा था जिसने आज तक कुछ भी नही किया था ,ना किसी को मारा था ,न जख्मी किया था ,न किसीसे झूठ बोला था ,शिवा के साथ उसके सभी अंश भी काल2 जितने पुण्यवान नही थे ,हिमांनी की ताकद मिलने से काल2 की ताकद भी बढ गई थी ,उसने आसानी से वो कवच को पार कर लिया ,उस कवच के पार करते ही वो कवच टूट कर बिखर गया ,काल 2 के सामने दो बहुत ही सुंदर और खूबसूरत दिव्य कन्या खड़ी थी ,ऊँचाई में 7 फिट के आसपास वो कन्या अपनी आंखें बंद करके ध्यान मुद्रा में बैठी थी ,जब काल2 ने उस कवच को तोड़ कर उसमे प्रवेश किया तो उनकी आंखें खुल गई ,काल2 जो खुद को अदृश समझ रहा था ,उसके तरफ वो दोनो कन्या एक टक देख रही थी ,काल2 बिना बोले एक ही जगह पर खड़ा था उसे समझ नही आ रहा था कि क्या किया जाए ,तभी उसमे से एक कन्या बोली ,तुमने आज तक कोई भी पाप नही किया है ,अद्भुत बात है ,फिर भी तुम्हारे पास त्रिशक्ति और त्रिदेवियों की शक्तिया है ,तुम्हारे अंदर मुझे बहुत सी दिव्य शक्तिया दिख रही है ,तुम्हारा निर्माण खुद अश्व देवता ने किया है ,तुम जो भी हो आज से तुम हम दोनो के पतीं हो मेरा नाम तेजाली और यह मेरी बहन तेजस्वी है ,हम दोनो का निर्माण त्रिदेवियों ने किया है ,हम दोनो को इस कवच में उन्होंने ही रखा था ,हम से शादी करने के बाद भुजंग दुनिया का सबसे बलवान और शक्तिशाली पुरुष बनने वाला था ,पर तुमने उसके इस कवच के तोड़ने से पहले ही यहा आकर बहुत अच्छा काम किया है ,तुम्हारी वजह से हम दोनो किसी पापी की पत्निया नही बन सकी ,तुम्हारा हम पर बहुत बड़ा अहसान है ,
काल 2 ,आप दोनो को में एक बात बता दु में किसी का अंश हु ,उनके शरीर से मेरा निर्माण हुवा है ,में खुद कुछ भी नही हु ,आप को मुझसे नही उनसे विवाह करना चाहिए ,मेरे अंदर जो भी शक्तिया है वो सिर्फ नाम मात्र है असली शक्तिया और ताकद का मालिक वो है जिनका में अंश हु ,
दोनो लड़कियों ने कल2 का हाथ पकड़ लिया और वहां से गायब हो गयी ,वो तीनो पहले राक्षसलोक के बाहर आ गए ,उन दोनों के वजह से ही राक्षसलोक में कोई भी मानसिक संपर्क नही कर पाता था ,उनके जाने के बाद शिवाय ,कालराक्षस ,भोकासुर शिवा और बाकी सभी से मानसिक संपर्क कर पा रहे थे ,काल 2 ने सबसे पहले शिवा से अपने मन से बात करके उसे सब बता दिया शिवा अभी घर मे ही था ,उसने सब सुनने के बाद अपना एक प्रतिरूप घर पर छोड़ दिया और खुद अपनी नीलमणि की ताकद से खुद का चेहरा ढक कर काल2 और उन दो लड़कियों के सामने पहुच गया ,अपने सामने किसी को देखकर वो दोनो उसकी शक्कल देखने की और उसके बारे में जानने की कोशिश करने लगी ,पर वो न उसकी शक्कल देख पा रही थी और न ही उसके बारे में कुछ जान पा रही थी ,शिवा आसानी से उन दोनों के मन की बात पढ सकता था ,उनके मन की बात जानकर शिवा ने हसकर दोनो से कहा ,तेजाली और तेजस्वी आप जो सोच रही है वो बिल्कुल सही है ,में ही काल का भाई हु ,आप दोनो को में एक बात बोल दु में कोई पुण्यवान नही हु ,मेंनें बहुत से पाप किये है ,झूठ तो में हर पल बोलता रहता हूं ,आप को मुझसे नही मेरे भाई काल से ही शादी करनी चाहिए ,वो बहुत ही सरल ,सीधा और भला आदमी है ,वो मेरा अंश नही है ,वो खुद एक इंसान है ,उसे अश्वदेवता ने निर्माण किया है ,उसकी अभीतक एक भी शादी नही हुवीं है और मेरी कितनी शादिया हुवीं है मुझे ही याद नही है ,में बहुत व्यभिचारी भी हु ,आप दोनो के लिये काल ही एकदम सरल वर है ,आप इसके साथ शादी कर लीजिए यह आप दोनो के सिवा कभी किसिको नही देखेगा ,शिवा ने इतना कहने के बाद वहां से काल2 के मन मे कहा ,मेरे भाई खुद को मेरा अंश कभी मत समझ ,तेरा भी वजूद है मेरे पास जो सूवर्ण कि पेटी है जो मुझे सर्पलोक में मिली थी वो में तुझे दे रहा हु ,तू इन दोनों के साथ वहां जाकर शादी कर ले अंदर तुझे शामली मिल जाएगी ,उस सूवर्ण पेटी में समय चक्र नही होता है ,तुम उसमे हजारो साल भी रहोगे तो धरती पर एक ही दिन खत्म हुवा होगा ,शामली को मेंनें सब समाझा दिया है तेरे हाथ मे मेरे जाने के बाद वो सूवर्ण की पेटी आ जायेगी, चल में चलता हूं ,जब भी मुझे तेरी जरूरत होगी में शामली से बोल दूँगा वो तुझे बता देगी ,
शिवा के वहा से जाते ही काल2 के हाथ मे सूवर्ण की पेटी आ गयी ,काल2 ने उन दोनों से कहा ,आप दोनो का क्या फैसला है अब,दोनो बहने एक साथ ,हम आपसे ही विवाह करने वाले है ,
काल2 उन दोनों के साथ उस सूवर्ण पेटी में चला गया ,उन तीनों के उस सूवर्ण पेटी में जाने के बाद वो सूवर्ण पेटी भी गायब होकर वापिस शिवा के शरीर मे जाकर समा गई ,
त्रिशक्ति और त्रिदेविया साथ मे ही यह सब देख रहे थे ,सबने शिव जी से एक ही सवाल किया वो भी साथ मे ,शिवाने ऐसा क्यों किया ,इतनी बड़ी ताकद जो भुजंग के खिलाफ उसे काम मे आ सकती थी ,काल2 से शादी करने के बजाय उसने खुद उनसे शादी करनी चाहिए थी ,
महादेव हसकर ,यही तो शिवा की खासियत है ,वो शक्ति का भूखा नही है ,भुजंग से लड़ने के लिये भले ही ये दोनो उसके काम आ सकती थी ,पर शिवा ने उन दोनों से शादी न करके बहुत अच्छा काम किया है ,आज तक शिवा ही काल2 को ताकद देता था ,पर आज के बाद काल2 भी एक अलग ताकद से शिवा के साथ खड़ा होने वाला है ,और काल2 ही उन दोनों का असली वर था ,शिवा को यह बात पता थी ,शिवा भी कभी उस कवच को नही तोड़ पाता ,काल2 नही वह कबच तोड़ कर उनसे शादी करने का हक प्राप्त किया था ,त्रिदेवियों का दूसरा वर भी हमारे सामने आ गया है ,अब बारी है तीसरे वर की जो आप त्रिदेवियों ने उस भुजंग को दिया है ,उसके सामने आने के बाद ही भुजंग और शिवा की लड़ाई का मजा आने वाला है ,
महादेव की बात सुनकर तीनो देवियों के चेहरे चिंता से दुखी हो गए ,उन्होंने भुजंग को जो तीसरा वर दिया था उसे याद करके उन्हें अब बहुत ज्यादा चिंता होने लगी थी ,उनकी शक्कल देखकर त्रिशक्ति हस दिए ,भगवान विश्वेश ने कहा ,आप तीनो नाराज मत होइए देवी ,आप ने भुजंग को जो भी वर दिया था वो उसकी तपसाधना के वजह से आपको देना पड़ा ,कुछ ही वक्त बाद हम तीनों से भी वो अपनी तपसाधना से तीन वर मांगने वाला है ,हमे भी उसे तीन वर देने होंगे ,हम किसी भी भक्त को उसके तपसाधना के बदले जो उचित हो वही देते है ,आप बिलकुल चिंता मत कीजिये आज तक जिसने भी अपनी तपसाधना के बदले मिली शक्ति का गलत इस्तेमाल किया वो कभी सफल नही रहा है ,भुजंग भले 100 और वर मांग ले पर उसके बुरे कर्म उसका सर्वनाश ही करने वाले है ,शिवाय ने राक्षसलोक तबाह करके उसकी बर्बादी को शुरू कर दिया है ,और मुझे पूरा यकीन है शिवाय भुजंग को बहुत ज्यादा सताने वाला है ,शिवा के गुस्से से बना वो अंश है जो अभीतक अपने असली रूप को नही जान पाया है ,जिस दिन उसे अपनी असलियत का भान होगा ,शिवा से ज्यादा वो खतरनाक होने वाले है भुजंग के लिये ।
 
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Update 106

शिवाय विचित्र के महल में बाहर से आ रहे शोर को सुनकर देखने चला आया ,महल के बाहर जिमाली और तामली की माँ खड़ी थी ,महल में अंदर आने के लिये वो राक्षस सैनिकों की विनतीं कर रही थी ,शिवाय ने तुंरत अपने गुलाम विचित्र को बाहर बुलाया ,उसे कपड़े पहनाकर शिवाय ने सुंदरी से मिलने भेज दिया ,सुंदरी ने जब विचित्र के चेहरे की तरफ देखा तो उसकी सास ही अटक गई ,विचित्र के चेहरे पर नाखूनों के बहुत से निशान थे ,सुंदरी को अपनी बेटियों को बहुत चिंता होने लगी ,उसने विचित्र के आगे हाथ जोड़कर कहा ,आप ऐसा क्यों कर रहे राजकुमार ,जिमाली और तामली को आप राणी महल से लाकर आप अच्छा नही कर रहे ,आपके पिता को अगर यह बात मालूम चली तो आपको वो दंड देने से पीछे नही हटने वाले ,आप मेरी दोनो बेटीयो को मेरे हवाले कर दीजिये, में आपके पिता को कुछ भी नही कहूंगी ,कृपया आप मुझ पर दया कीजिये ,
विचित्र ,सुंदरी में तो आपको भी यहा लाने की सोच रहा था ,बस कुछ दिन रुक जाइये आपकी बेटीयो के मजे लेने के बाद आप का ही नम्बर लगने वाला है ही ही ही
सुंदरी विचित्र की बात सुनकर डर गई ,उसे भुजंग के सभी बेटो की हवस की कहानियां पता थी ,खुद भुजंग ने ही रानीमहल के सभी औरतो को रानीमहल से बाहर जाने की मनाई की थी ,जब भुजंग राक्षसलोक में होता तभी वो रानीमहल से बाहर निकलती थी ,वो भी जब भुजंग उनके साथ होता तो ही वो बाहर आती ,सुंदरी ने विचित्र की बहुत मिन्नतें की पर वो नही माना ,सुंदरी रोते हुवे वापस रानीमहल लौट गई ,राक्षसलोक में भुजंग के किसी और बेटे के पास जाना मतलब खुद उनका शिकार बनना था ,राक्षसलोक में कोई ऐसा नही था जो सुंदरी की मदद कर सकें ,भुजंग के आने में अभी महीने भर का समय था ,तब तक विचित्र अपनी बेटियों का क्या हाल करेगा यही सोच कर सुंदरी मर रही थी ,रोती बिलखती वो रानीमहल में विलाप कर रही थी ,रानीमहल में अब डर का माहौल हो गया था ,सबको अब अपनी इज्जत खतरे में दिखने लगी थी ,विचित्र ने जिस तरह जिमाली और तामली को रानीमहल का सुरक्षा कवच तोड़कर ले गया था ,उसका अब कोई भरोसा नही था कि किस वक्क्त वो वापिस यहा पर आकर और किसी को उठाकर ले न जाये ,सब औरते बहुत ही ज्यादा भयभीत हो गई थी ,भुजंग को अपने सुरक्षा कवच पर बहुत ज्यादा विश्वास था ,उसको तोड़कर कोई अंदर नही जा सकता इस बात से वो निश्चित होकर ही तपसाधना पर चला गया था पर विचित्र ने उस कवच को तोड़कर रानीमहल में एक भय का माहौल बना दिया था ,उनकी मदद के लिये अब राक्षसलोक में कोई भी नही था ,विचित्र के सभी भाई उसके खिलाफ न जाकर उसे और उकसा कर रानीमहल की औरतों का शिकार करने के लिये उसे और बल देने वाले थे ,उनके लिये यह बात तो खुशी की होगी कि विचित्र रानीमहल के सुरक्षा कवच को तोड़कर अंदर जा सकता है ,
और हुवा भी वैसा ही जैसे ही राक्षसलोक के अंदर यह खबर पहुच गई कि विचित्र ने रानीमहल के कवच को तोड़ कर दो राजकुमारीयो को उठा लाया है ,सारे भुजंग के बेटो में खुशी दौड़ गई ,उनके लिये विचित्र बहुत ही प्यारा हो गया था ,हर कोई राजकुमार विचित्र के पास जाकर उसे अपने लिये कोई रानीमहल की हसीना लाने की बात सोचने लगा था ,उन सबके मन मे हवस के नए अरमान जागने लगे थे ,कब विचित्र से मिलकर वो अपनी बात उसे कहे ऐसा उन्हें हो गया था ,विचित्र को खुश करने के लिये क्या किया जाए यही वो सोच कर उसे मिलने को जा रहे थे ,अपने पिता का उन्हें कोई डर नही था ,उनके पिता ने कभी उन्हें नही रोका था ,उन्होंने अपने पिता की न जाने कितनी पत्नियों को भोगा था और अपनी ही सौतेली बहनो का शिकार किया था ,उनके पिता उन्हें कभी कुछ नही कहते थे ,
विचित्र के महल में सुबह से उसे मिलने 300 से ज्यादा राजकुमार आकर चले गए थे ,हर कोई विचित्र के साथ खड़ा था उसके इस काम मे और वो विचित्र से अपने लिये भी किसी हसीना को लाने की विनतीं कर चुके थे ,विचित्र ने उससे मिलने आये सभी को हा कह कर खुश कर दिया था ,विचित्र ने सबको यही कह दिया था कि आज जिसे भी रानीमहल की औरते चाहिए वो मेरे महल के सामने दोपहर तक आ जाये ,विचित्र की यह बात भुजंग के सभी बेटो को मालूम हो गयी ,विचित्र के महल के बाहर दोपहर में उसके राक्षसलोक में मौजूद सभी भाई जमा हो गए थे ,विचित्र ने अपनी माया से एक बहुत बड़े मैदान का निर्माण करके अपने सभी भाइयो को वहां बैठने का प्रबंध कर दिया ,
विचित्र ने सब भाइयोंको को बिठाने के बाद सबके सामने खड़ा होकर बोला ,मेरे भाइयो में आप सबके लिये रानीमहल से औरते लाकर देने के लिये तैयार हूं ,पर वहां पर सिर्फ 50 रानियां और 70 राजकुमारियां है ,कुल मिलाकर वहां पर 120 औऱते है हम सब भाई संख्या में 879 के करीब है ,हमारे 100 भाई पाताल लोक गये है ,उनके आने के बाद वो भी इन औरतो की कामना जरूर करेंगे ,आप सभी को पता है कि रानी महल की औरतें कितनी हसीन और लाजवाब है ,अगर हमने उन्हें एक बार भी भोग लिया तो हम किसी दूसरे को उसे नही दे सकते ,उनके मादक जिस्म को हम अपने भाइयों को भी नही दे सकते है ,ऐसी खूबसूरत औरतो को हम हमेशा अपने पास ही रखना चाहेंगे ,इस लिये में चाहता हु ,की इस बात का फैसला हम मर्दांगी के बल पर करे ,हम भाइयों में जो भी आपस मे लड़कर जीत जाएगा वो ही इन औरतो का मालिक बनेगा ,हमे एक दुसरे पर जानलेवा हमले नही करने है ,बस मलविद्या में हम अपना बल आजमा कर ही यह फैसला करेंगें ,जो भी 119भाई जीत जायेगे इन 879 में से उनको रानीमहल की एक औरत मिल जाएगी ,और हमारे हारे हुवे भाई इस बात को मान जायँगे की जितने वाले उनके भाई ही उन औरतो के असली हकदार है ,सबसे पहले जो प्रवेश द्वार की रखवाली करते है इस जगह से चले जाइये ,उन सबको रानीमहल की सुंदर और कवारी दासिया में खुद देने वाला हु ,और जिन भाइयो को आपसे में मुकाबला नही करना है वो भी यहा से जा सकते है ,हम सब भाई है कोई शत्रु नही यह बात आप सब हमेशा याद रखिये ,
विचित्र की बात सबको सही लगी ,उसकी बुद्धिमानी और चतुराई को सब जानते थे ,उसने अपने 10 भाइयों को सबसे पहले पहरेदारी पर भेजकर अपनी बुद्धिमानि का सबूत दे दिया था ,लेकिन कुछ ऐसे भी थे जिन्हें यह बात पसन्द नही थी ,आपस मे लड़ना उन्हें कतई पसन्द नही था ,पर उन सबकी संख्या बहुत कम थी ,बस 60 भाई ऐसे थे जो मुकाबले के खिलाफ थे ,पर वो बाकी सभी को समझाने में नाकामयाब हो रहे थे ,बहुत देर तक वो अपने भाइयों को समझाते रहे ,पर कोई नही माना आखिर वो 60 भाई वहां से चले गए ,अब विचित्र ने सब भाइयो को एक बार और पूछा किसी को मंजूर नही हो तो वो भी यहा से जा सकता है ,उसके बाद विचित्र ने बचे हुवे सभी भाइयो को आपस मे मलविद्या एक मुकाबला लगा दिया ,विचित्र के बनाये मायावी आखडे में उसके भाई एक दूसरे पर अपना जोर दिखाने लगे ,पहले जो सिर्फ मलविद्या का मुकाबला होने वाला था वो धीरे धीरे एक खूनी जंग में बदल गया ,हर कोई अपने सामने वाले को मारकर इस मुकाबले को जीतने की कोशिश करने लगा ,कुछ ही देर में वहां पर भुजंग के 400 से ज्यादा बेटे एक दूसरे से लड़कर मर चुके थे ,विचित्र के इस मुकाबले को जीतने के लिये अपनी हवस के चक्कर मे वो एक दूसरे के खुन के प्यासे हो गए थे ,एक दूसरे को मारकर उनमे से आखिर 120 भाई बच गए थे ,679 इस मुकाबले में मारे गए थे ,जितने वाले सभी भुजंग के बेटो को अपने भाइयों के मरने का कोई गम नही था ,उनके नजरो के सामने तो बस रानीमहल की हसीन औरते घूम रही थी ,पूरे राक्षसलोक में विचित्र के इस खूनी खेल की खबर पहोच गयी थी ,एक साथ भुजंग के इतने बेटो के मरने से राक्षसलोक में खलबली मच गई थी ,कुछ दुखी हो रहे थे ,तो बहुत से राक्षस खुश हो गए थे ,भुजंग के बेटो से सताये जाने वालों में तो खुशी का माहौल हो गया था ,रानीमहल में भी इस बात की खबर हो गयी थी ,विचित्र को बहुत सी गन्दी गालिया और श्राप देती वो औरते अपने नसीब को कोस रही थी ,विचित्र ने अपने वादे के मुताबिक रानी महल की औरतो को अपने भाइयों को सौप दिया था ,सब भाइयो को एक एक औऱत देकर उनको विदा कर दिया था ,अपने महल के सामने पड़ी अपनी भाइयो की लाशों को विचित्र ने आग लगाकर जला दिया ,उस आग की लपटें पूरे राक्षसलोक में दिख रही थी ,सब भाइयो की लाशें एक जगह जमा करने के बाद उसका बहुत बड़ा ढेर लगाकर विचित्र ने आग लगाई थी ,कालराक्षस ,भोकासुर ,और बीरा इतनी बड़ी आग को देख रहे थे ,
बीरा ,यह इतनी प्रचंड आग कैसे लग गई ,और इस मांस के जलने की बदबू कैसे आ रही है ,
कालराक्षस ,कुछ नही बीरा यह बदबू भुजंग के बेटो की लाश जलने के वजह से आ रही है ,एक साथ भुजंग के 679 बेटे मर गए है आज ,उनकी ही लाशें जल रही है
बीरा हैरानी से ,उन सबकी एक साथ कैसे मौत हो गयी ,
कालराक्षस ने फिर उसे विचित्र की सारी कहानी बता दी ,शिवाय के बारे में उसे कुछ भी नही बताया ,बीरा को विचित्र पर बहुत ज्यादा गुस्सा आने लगा ,किसी औरत पर अत्याचार करने वाले को नही छोड़ना चाहिये ऐसा उसे लग रहा था ,कालराक्षस ने बीरा से इतना ही कहा ,तुम बिल्कुल चिंता मत करो ,किसी भी औरत पर एक खरोच तक नही आएगी ,बस भुजंग के आने तक तुम शांत रहना ,इस विचित्र को सजा वही देने वाला है ,तुम भूलकर भी उस विचित्र पर हमला मत करना ,नही तो सब कुछ बिगड़ जाएगा ,अपने गुस्से पर काबू रखो ,तुम्हारा गुस्सा कम करने का प्रबंध में अभी कर देता हूं ,इतना कहते है भोकासुर और कालराक्षस के शरीर से उनके लाखों प्रतिरूप तैयार हो गए ,जो सभी राक्षस की तरह दिखने लगे ,सिर्फ उनका आकार और कपड़े राक्षसलोक के सैनिकों की तरह थे ,सबकी शक्कल अलग अलग थी ,कोई भी भोकासुर या कालराक्षस जैसा नही दिख रहा था ,कालराक्षस ने अपनी माया से बीरा के शरीर पर एक कवच लगा दिया जिसकी वजह से वो औरत है या मर्द यह समझ नही आ रहा था ,सब करने के बाद बीरा से कालराक्षस ने कहा ,तुम जाओ इन सबके साथ ,जितने भी पापी और दृष्ट राक्षस तुम्हे मिले सबको मार दो ,इस राक्षसलोक मे हर पापी ,नीच और दृष्ट को मार दो ,कोई भी तुम्हे नही रोक सकेगा ,सिर्फ जब में तुम्हारे सामने आ जाऊ तब तुम इन सबके साथ गायब होकर अपने इसी घर मे आ जाना ,बीरा और भोकासुर अपने लाखो राक्षस सेना के साथ निकल पड़े थे ,सबके अंदर दिव्य शक्तिया थी ,हर राक्षस का मन पढ़कर और उससे बात करके वो जान लेते की यह पापी है या अच्छा ,फिर क्या था पूरे राक्षसलोक में कोहराम मच गया था ,हर तरफ नीच और पापी राक्षस गाजर मूली की तरह काटे जाने लगे थे ,250 अरब राक्षस में से चुन चुन बुरे और पापियो को मारा जाना चालू हो गया था ,
कालराक्षस सीधा उन 60 भाइयों की तरफ आया जो विचित्र से बहुत ज्यादा नाराज और गुस्सा था ,अपने भाइयों के मारे जाने से वो विचित्र पर बहुत ज्यादा भड़क गए थे ,जब कालराक्षस उनसे मिलने पहुचा था तो वो सभी उस पर भी अपने क्रोध की नजरों से देख रहे थे ,क्योंकि कालराक्षस तो विचित्र की सेना का सेनापति जो था ,
कालराक्षस ने सभी राजकुमारो को आदर से नमन किया और कहा ,आप सब मुझसे क्यो नाराज है में जानता हु ,पर में तो बस एक नौकर हु आपका ,में आपके हुकुम का बस एक गुलाम हु ,राजकुमार विचित्र की हरकत का में समर्थन भी नही कर सकता और विरोध भी ,आप मेरी मजबूरी समझ लिजिये ,में यहा आप को यही बताने आया था कि राक्षसलोक में कोहराम मच गया है ,जो राजकुमार मारे गए है उनकी सेना अपने राजकुमार के हत्या का बदला लेने के लिये पागल हो गयी है ,वो सब मिलकर जितने वाले राजकुमार के विभाग में हमला कर रहे है ,में यही बात बताने राजकुमार विचित्र के पास गया था पर उन्होंने मेरी कोई बात सुनी ही नही ,यह वक्क्त आप का मुझ पर गुस्सा करने का नही है ,हमे सबको मिलकर राक्षसलोक में चल रहे इस सब गड़बड़ी को रोकना होगा ,आप सबके होने से यह काम बहुत जल्दी होगा ,सबको कालराक्षस की बात सही लगी ,वो सब कालराक्षस के साथ निकल पड़े राक्षसलोक में हो रही मार काट रोकने ,पर कालराक्षस उसी जगह उन्हें लेकर जाता जहा पर बीरा ,भोकासुर और उसके प्रतिरूप ना हो ,यह लड़ाई अब कुछ अलग ही हो गई थी ,पहले भोकासुर और बीरा के साथ सभी प्रतिरूप पापियो को मार कर चले जाते ,उनके जाने के बाद जब कालराक्षस भुजंग के बेटो के साथ उस जगह सेना पर पहुच जाते तो सबको यही लगता यह इनका ही काम है उस जगह के सभी राक्षस इन पर टूट पड़ते थे ,कालराक्षस भी चुन चुन कर पापियो को मार देता था ,पूरे दस दिन तक यह खेल चल रहा था राक्षसलोक में 250 अरब का राक्षसलोक में 200 अरब से ज्यादा राक्षस मारे गए थे ,शिवाय इस सब मे कहा पीछे रहने वाला था ,वो कालराक्षस की सेना में एक राक्षस बन कर घुस गया था ,उसने अकेले ने ही 50 भुजंग के बेटो को मार दिया था ,सिर्फ 10 को ही जीवित छोड़ा था उनमें से ,वो सभी 10 भाई कालराक्षस के दीवाने हो गए थे ,कालराक्षस किसी ढाल की तरह उनके सामने रहता था ,उनपर आने वाला हर वार वो खुद पर झेल कर उनकी रक्षा करता था ,कालराक्षस के बदन पर बहुत से चोट के निशान बन गए थे ,जो असली लगने के लिये शिवाय ही शक्कल बदल बदल कर वार कर देता ,कालराक्षस के बहादुरी के किस्से पूरे राक्षसलोक में फैल गए थे ,एक साथ 1000 राक्षस के साथ लड़कर उसने अपना सिक्का सब पर जमा दिया था ,सबको क्या मालूम कि उनके ही आदमियों को मार कर कालराक्षस उनकी ताकद कम कर रहा है ,जिस 120 भाइयो के पास रानीमहल की औरते थी वो सभी शिवाय ने अपने गुलाम बना दिये थे ,उन सभी ने उन 120 औरतो को अपने अपने महल में नंगा करके बांध कर रख दिया था ,सभी औरतो के हाथ पांव पर नाखूनों के निशान बनाकर उन सबको बेहोश कर दिया था ,शिवाय उन भाइयों के द्वारा उन सभी औरतो को सिर्फ हाथ पांव पर ही जख्म करने को लगाता ,किसी भी औरत के नंगे शरीर को उसने किसी को भी देखने नही दिया था ,शिवाय का एक ही मकसद था भुजंग से पाप करवाना ,और अपने इस काम मे वो आधे से ज्यादा कामयाब हो चुका था ,शिवाय ने विचित्र को रानी महल में दो बार भेजकर पूरा रानीमहल देख लिया था ,सिर्फ एक ही हिस्सा ऐसा था जहाँ पर विचित्र नही जा पाया था ,उस जगह पर बेहद ही ताक़दवर सुरक्षा कवच लगा था ,उस जगह भुजंग ने क्या रखा था इस बात की शिवाय को बहुत ज्यादा उत्सुकता थी ,उस जगह पर सिर्फ शिवा ही जा सकता है ऐसा शिवाय को लगता था ,इसीलिए उसने कालराक्षस को बोलकर एक बार राक्षसलोक के प्रवेश द्वार को खोल कर बाहर जाने को कहा था ,कालराक्षस ने भी 10 राजकुमारों को अपने साथ राक्षसलोक के बाहर की सुरक्षा देखने का हवाला करके अपने साथ बाहर लाया था ,जब शिवा को उसने मानसिक सन्देश दिया तो शिवा ने कालराक्षस और शिवाय को अपने पास बुलाया और अपने अंदर लेकर जलतत्व की शक्ति के साथ ,हिमांनी से मिली शक्ति को अपने सभी अंशो में मिला लिया ,काल2 को शिवा ने कालराक्षस औऱ शिवाय के साथ राक्षसलोक भेज दिया ,शिवा को यकीन था कि काल2 भुजंग के सुरक्षा कवच को जरूर तोड़ देगा ,तीनो जब कुछ ही देर में राक्षसलोक के प्रवेश द्वार पर आए कालराक्षस का प्रतिरूप वही भुजंग के बेटो के साथ खड़ा था ,कालराक्षस अपने प्रतिरूप में समा गया ,काल2 और शिवाय दोनो राक्षसलोक में चले गए ,काल2 सभी काल या शिवा ही समझ रहे थे ,जब काल2 रानीमहल में दाखिल हुवा तो उसके सामने एक बहुत ही ताक़दवर सुरक्षा कवच लगा था ,जिसे तोड़ना किसी के बस का नही था ,जिसके पास त्रिशक्ति और त्रिदेवियों की मिली हुवीं शक्ति होगी वही इसको तोड़ सकता है ,जिसने अबतक कोई पाप न किया हो ऐसा ही पुण्यवान उस कवच के पार जा सकता था ,सबमें काल2 ही ऐसा था जिसने आज तक कुछ भी नही किया था ,ना किसी को मारा था ,न जख्मी किया था ,न किसीसे झूठ बोला था ,शिवा के साथ उसके सभी अंश भी काल2 जितने पुण्यवान नही थे ,हिमांनी की ताकद मिलने से काल2 की ताकद भी बढ गई थी ,उसने आसानी से वो कवच को पार कर लिया ,उस कवच के पार करते ही वो कवच टूट कर बिखर गया ,काल 2 के सामने दो बहुत ही सुंदर और खूबसूरत दिव्य कन्या खड़ी थी ,ऊँचाई में 7 फिट के आसपास वो कन्या अपनी आंखें बंद करके ध्यान मुद्रा में बैठी थी ,जब काल2 ने उस कवच को तोड़ कर उसमे प्रवेश किया तो उनकी आंखें खुल गई ,काल2 जो खुद को अदृश समझ रहा था ,उसके तरफ वो दोनो कन्या एक टक देख रही थी ,काल2 बिना बोले एक ही जगह पर खड़ा था उसे समझ नही आ रहा था कि क्या किया जाए ,तभी उसमे से एक कन्या बोली ,तुमने आज तक कोई भी पाप नही किया है ,अद्भुत बात है ,फिर भी तुम्हारे पास त्रिशक्ति और त्रिदेवियों की शक्तिया है ,तुम्हारे अंदर मुझे बहुत सी दिव्य शक्तिया दिख रही है ,तुम्हारा निर्माण खुद अश्व देवता ने किया है ,तुम जो भी हो आज से तुम हम दोनो के पतीं हो मेरा नाम तेजाली और यह मेरी बहन तेजस्वी है ,हम दोनो का निर्माण त्रिदेवियों ने किया है ,हम दोनो को इस कवच में उन्होंने ही रखा था ,हम से शादी करने के बाद भुजंग दुनिया का सबसे बलवान और शक्तिशाली पुरुष बनने वाला था ,पर तुमने उसके इस कवच के तोड़ने से पहले ही यहा आकर बहुत अच्छा काम किया है ,तुम्हारी वजह से हम दोनो किसी पापी की पत्निया नही बन सकी ,तुम्हारा हम पर बहुत बड़ा अहसान है ,
काल 2 ,आप दोनो को में एक बात बता दु में किसी का अंश हु ,उनके शरीर से मेरा निर्माण हुवा है ,में खुद कुछ भी नही हु ,आप को मुझसे नही उनसे विवाह करना चाहिए ,मेरे अंदर जो भी शक्तिया है वो सिर्फ नाम मात्र है असली शक्तिया और ताकद का मालिक वो है जिनका में अंश हु ,
दोनो लड़कियों ने कल2 का हाथ पकड़ लिया और वहां से गायब हो गयी ,वो तीनो पहले राक्षसलोक के बाहर आ गए ,उन दोनों के वजह से ही राक्षसलोक में कोई भी मानसिक संपर्क नही कर पाता था ,उनके जाने के बाद शिवाय ,कालराक्षस ,भोकासुर शिवा और बाकी सभी से मानसिक संपर्क कर पा रहे थे ,काल 2 ने सबसे पहले शिवा से अपने मन से बात करके उसे सब बता दिया शिवा अभी घर मे ही था ,उसने सब सुनने के बाद अपना एक प्रतिरूप घर पर छोड़ दिया और खुद अपनी नीलमणि की ताकद से खुद का चेहरा ढक कर काल2 और उन दो लड़कियों के सामने पहुच गया ,अपने सामने किसी को देखकर वो दोनो उसकी शक्कल देखने की और उसके बारे में जानने की कोशिश करने लगी ,पर वो न उसकी शक्कल देख पा रही थी और न ही उसके बारे में कुछ जान पा रही थी ,शिवा आसानी से उन दोनों के मन की बात पढ सकता था ,उनके मन की बात जानकर शिवा ने हसकर दोनो से कहा ,तेजाली और तेजस्वी आप जो सोच रही है वो बिल्कुल सही है ,में ही काल का भाई हु ,आप दोनो को में एक बात बोल दु में कोई पुण्यवान नही हु ,मेंनें बहुत से पाप किये है ,झूठ तो में हर पल बोलता रहता हूं ,आप को मुझसे नही मेरे भाई काल से ही शादी करनी चाहिए ,वो बहुत ही सरल ,सीधा और भला आदमी है ,वो मेरा अंश नही है ,वो खुद एक इंसान है ,उसे अश्वदेवता ने निर्माण किया है ,उसकी अभीतक एक भी शादी नही हुवीं है और मेरी कितनी शादिया हुवीं है मुझे ही याद नही है ,में बहुत व्यभिचारी भी हु ,आप दोनो के लिये काल ही एकदम सरल वर है ,आप इसके साथ शादी कर लीजिए यह आप दोनो के सिवा कभी किसिको नही देखेगा ,शिवा ने इतना कहने के बाद वहां से काल2 के मन मे कहा ,मेरे भाई खुद को मेरा अंश कभी मत समझ ,तेरा भी वजूद है मेरे पास जो सूवर्ण कि पेटी है जो मुझे सर्पलोक में मिली थी वो में तुझे दे रहा हु ,तू इन दोनों के साथ वहां जाकर शादी कर ले अंदर तुझे शामली मिल जाएगी ,उस सूवर्ण पेटी में समय चक्र नही होता है ,तुम उसमे हजारो साल भी रहोगे तो धरती पर एक ही दिन खत्म हुवा होगा ,शामली को मेंनें सब समाझा दिया है तेरे हाथ मे मेरे जाने के बाद वो सूवर्ण की पेटी आ जायेगी, चल में चलता हूं ,जब भी मुझे तेरी जरूरत होगी में शामली से बोल दूँगा वो तुझे बता देगी ,
शिवा के वहा से जाते ही काल2 के हाथ मे सूवर्ण की पेटी आ गयी ,काल2 ने उन दोनों से कहा ,आप दोनो का क्या फैसला है अब,दोनो बहने एक साथ ,हम आपसे ही विवाह करने वाले है ,
काल2 उन दोनों के साथ उस सूवर्ण पेटी में चला गया ,उन तीनों के उस सूवर्ण पेटी में जाने के बाद वो सूवर्ण पेटी भी गायब होकर वापिस शिवा के शरीर मे जाकर समा गई ,
त्रिशक्ति और त्रिदेविया साथ मे ही यह सब देख रहे थे ,सबने शिव जी से एक ही सवाल किया वो भी साथ मे ,शिवाने ऐसा क्यों किया ,इतनी बड़ी ताकद जो भुजंग के खिलाफ उसे काम मे आ सकती थी ,काल2 से शादी करने के बजाय उसने खुद उनसे शादी करनी चाहिए थी ,
महादेव हसकर ,यही तो शिवा की खासियत है ,वो शक्ति का भूखा नही है ,भुजंग से लड़ने के लिये भले ही ये दोनो उसके काम आ सकती थी ,पर शिवा ने उन दोनों से शादी न करके बहुत अच्छा काम किया है ,आज तक शिवा ही काल2 को ताकद देता था ,पर आज के बाद काल2 भी एक अलग ताकद से शिवा के साथ खड़ा होने वाला है ,और काल2 ही उन दोनों का असली वर था ,शिवा को यह बात पता थी ,शिवा भी कभी उस कवच को नही तोड़ पाता ,काल2 नही वह कबच तोड़ कर उनसे शादी करने का हक प्राप्त किया था ,त्रिदेवियों का दूसरा वर भी हमारे सामने आ गया है ,अब बारी है तीसरे वर की जो आप त्रिदेवियों ने उस भुजंग को दिया है ,उसके सामने आने के बाद ही भुजंग और शिवा की लड़ाई का मजा आने वाला है ,
महादेव की बात सुनकर तीनो देवियों के चेहरे चिंता से दुखी हो गए ,उन्होंने भुजंग को जो तीसरा वर दिया था उसे याद करके उन्हें अब बहुत ज्यादा चिंता होने लगी थी ,उनकी शक्कल देखकर त्रिशक्ति हस दिए ,भगवान विश्वेश ने कहा ,आप तीनो नाराज मत होइए देवी ,आप ने भुजंग को जो भी वर दिया था वो उसकी तपसाधना के वजह से आपको देना पड़ा ,कुछ ही वक्त बाद हम तीनों से भी वो अपनी तपसाधना से तीन वर मांगने वाला है ,हमे भी उसे तीन वर देने होंगे ,हम किसी भी भक्त को उसके तपसाधना के बदले जो उचित हो वही देते है ,आप बिलकुल चिंता मत कीजिये आज तक जिसने भी अपनी तपसाधना के बदले मिली शक्ति का गलत इस्तेमाल किया वो कभी सफल नही रहा है ,भुजंग भले 100 और वर मांग ले पर उसके बुरे कर्म उसका सर्वनाश ही करने वाले है ,शिवाय ने राक्षसलोक तबाह करके उसकी बर्बादी को शुरू कर दिया है ,और मुझे पूरा यकीन है शिवाय भुजंग को बहुत ज्यादा सताने वाला है ,शिवा के गुस्से से बना वो अंश है जो अभीतक अपने असली रूप को नही जान पाया है ,जिस दिन उसे अपनी असलियत का भान होगा ,शिवा से ज्यादा वो खतरनाक होने वाले है भुजंग के लिये ।
 
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Update 107


पाताल के अँधरे में बनी एक जगह जिसका निर्माण सिर्फ पुण्यवान लोगो को भक्ति करने के लिए किया गया था ,इस जगह पर पहले महाराज बलि तप किया करते थे ,आज उस जगह पर बैठकर तप करने वाला कोई और नही बल्कि भुजंग था पिछले हजार वर्षों से वो त्रिशक्तियो की आराधना कर रहा था ,उसके सामने एकदम लाखो सूर्य एकसाथ उदय होने के बाद दिखने वाला दिव्य प्रकाश हो गया ,उसकी आंखें एक दिव्य आवाज से खुल गई जो स्वयं भगवान विश्वेश की थी ,उठो भुजंग हम तुम्हारी साधना से खुश हो गए है ,तुम अपनी आंखें खोल सकते हो ,अपने कानों में इस आवाज के पड़ते ही भुजंग की आंखे खुल गई ,उसके सामने तीनो त्रिशक्ति खड़े थे ,भुजंग ने उन तीनों को साष्टांग दंडवत प्रणाम किया ,तीनो ने उसे आशिर्वाद दिया ,जिसकी वजह से हजारो साल से तप में बैठकर भुजंग का शरीर एकदम कमजोर हो गया था ,वो एकदम से बिल्कुल स्वस्थ हो गया था ,भुजंग ने त्रिशक्तियो से कहा ,आपका में सदैव में ऋणी हु भगवान आपके इस दास पर आपकी कृपा हमेशा ऐसे ही बनाकर रखिये ,
भगवान विश्वेश बोले ,जब तक तुम नेक राह पर चलते रहोगे हम सदैव तुम्हारे पीछे होंगें पर जिस दिन तुम गलत राह पर निकलोगे उस वक्त तुम हमारे पिछे नही होने वाले
भुजंग बहुत ही नम्र भाव से बोला ,भगवान ना में कभी सत्कर्म छोडूंगा और न ही कभी कोई गलत काम करने की कोशिश करूँगा ,में सदैव आपकी भक्ति ही करना चाहता हु ,
भगवान विश्वेश हसकर बोले ,तुम हो एकदम चतुर ,40 हजार साल के तुम हो गए हो उसमे से तुमने सिर्फ बचपन के 500 वर्ष और अपने राक्षसलोक मे उसे बसाकर 2 हजार साल रहकर बिताए है ,बाकी तुमने 37 हजार 500 वर्ष सिर्फ तपस्या ही कि हे ,तुमने पहली बार तपसाधना करके ज्ञान का वर लिया ,दूसरी बार दिव्य दृष्टि ,तीसरी बार माया विद्या ,चौथी बार दीर्घ आयु ,पांचवी बार दिव्य सन्तान ,छठी बार से तुमने सिर्फ हम तीनों से हमारे अस्रो का ही वर लिया है ,तुम्हारे पास हम तीनो के शस्र है वो भी 2 की संख्या में ,तुम्हारे पास त्रिदेवियों के द्वारा प्राप्त बहुत से दिव्य वरदान भी मिले हुवे है ,तुम दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति हो जिसके पास इतना सा कुछ है ,फिर भी तुम तपसाधना करके कुछ हासिल करने का मोह रखते हो ,बोलो तुम्हे क्या चाहिये हम तीनों से ,यह तुम्हारा आखरी मौका है हमसे कुछ मांगने का ,इसके बाद हम तुम्हे कोई वरदान नही देंनेवाले है चाहे तुम हमारी कितनी भी तपश्चर्या कर लो ,एक व्यक्ति को जितना दिया जाए उसके मुकाबले तुम्हे 10 गुना ज्यादा ही मिल चुका है ,आजतक के सबसे बलवान और शक्तिशाली राक्षस हो तुम ,जितनी तुम्हारे अंदर शक्तिया है उतनी आज से पहले किसीके पास नही थी ,तुम एक राक्षस होकर भी हमने कभी तुम्हे कुछ देने में संकोच नही रखा है ,ना अब करने वाले है ,तुम हमसे अमर होने के अलावा जो चाहे वो योग्य वरदान मांग सकते हो ,पर कुछ मांगने से पहले एक बार अपने राक्षसलोक को देख लो ,क्योकि तुम्हे वरदान मांगने के बाद कोई पछतावा न हो कि तुमको यह बात पहले क्यो पता नही थी ,अपनी दिव्य दृष्टि का उपयोग कर के देख लो ,फिर अपने वरदान मांगने के बारे में सोचना ,
भगवान विश्वेश की बात सुनकर भुजंग थोड़ा हिल गया ,उसने तुरंत अपने दिव्य दृष्टि का इस्तेमाल करके राक्षसलोक का ध्यान किया ,जब उसने सम्पूर्ण राक्षसलोक को अच्छे से देखा तो वो दर्द और गुस्से के कारण एकदम लालपिला हो गया ,उसे क्या कहे समझ नही आ रहा था ,भुजंग का बसाया राक्षसलोक बर्बाद हो गया था ,उसके सिर्फ 141 बेटे जिंदा थे राक्षसलोक में ,20 उसके साथ पाताल में मौजूद थे ,839 बेटे मारे गए थे ,रानीमहल को भी पूरा ध्वस्त कर दिया गया था ,रानीमहल में भुजंग की एक भी पत्नी या बेटी नही थी ,सब की सब उसके बेटो को घरमे नंगी हालात में बंधी हुवीं थी ,राक्षसलोक में 200 अरब से ज्यादा राक्षस आपस मे लड़कर मारे गए थे ,यहा तक उसकी त्रिदेवियों से प्राप्त दो दिव्य कन्याए भी रानीमहल से गायब हो गयी थी ,अपनी हजारो वर्षों की मेहनत से खड़े किये राक्षसलोक को इस बुरी हाल में देखकर भुजंग को बहुत बुरा लग रहा था ,इस सबकी जड़ विचित्र के लिये उसके मन मे बहुत ज्यादा नफरत औरत गुस्सा भर गया था ,अपने गुस्से पर काबू करता भुजंग अपनी आंखें बंद करके थरथर कांप रहा था ,आज जीवन मे पहली बार उसकी ऐसी हालत हो गयी थी ,किसी दुश्मन ने ऐसा किया होता तो वो उसे जान से मार कर अपना बदला पूरा करता पर अपने ही बेटो की इस हरकत से उसे बहुत ज्यादा बुरा लगने लगा था ,अपने आप को शांत करके उसने त्रिशक्तियो से कहा ,राक्षसलोक की हालत देखकर मुझे बहुत दुख हो रहा है प्रभु ,राक्षसलोक की ऐसी हालत कभी होगी ऐसा मेंनें सपने में भी नही सोचा था ,मेरे बेटे कितने हवसी है इस बात का मुझे पता था ,पर अपनी हवस के चलते एक दुसरे की जान तक ले सकते है इस बात का मुझे थोड़ा भी आभास नहीं था ,क्या में आप से एक बात पूछ सकता हु ,
भगवान विश्वेश ,भुजंग मेंनें पहले ही कह दिया है यह तुम्हारा आखरी मौका है वरदान पाने का उसके बाद तुम कितनी भी तपसाधना कर लो हम कोई भी वरदान नही देंगे तुम्हे ,ना ही त्रिदेविया कोई वरदान देगी ,तुम्हारी तपसाधना के बदले सिर्फ सुख और शांति का ही आशीर्वाद मिलेगा ,
भुजंग यह सब सुनकर बहुत बड़ी सोच में पड़ गया ,उसने पहले जो वरदान मांगने के बारे में सोचा था वो मांगे या अपने सभी बेटो को जीवदान मांगे वो यही सोच रहा था ,उसे अपने सभी बेटो से बहुत ज्यादा प्यार था ,उसका दिमाग काम नही कर रहा था ,की वो क्या मांगे ,बहुत देर सोचने के बाद उसने अपने तीनो वर मांगने का फैसला कर लिया ,उसने त्रिशक्तियो से कहा ,आप मुझे अमर नही कर सकते पर में दूसरा जो भी वर आपसे मांगु वो मुझे मिल जाएगा ना भगवान ,
भगवान विश्वेश ,सिर्फ उचित वरदान ही मिल सकता है ,तुम कुछ भी नही मांग सकते ,
भुजंग फिर एक बार सोचकर बोला ,ठीक है में आपके सामने मेरी इच्छा रखता हूं आप हा या ना में मुझे बता दे ,में पहला वरदान यह चाहता हु की मेरे सभी बेटे फिर से पहले जैसे शक्तिशाली थे उसी तरह जीवित हो जाये ,भगवान विश्वेश ने कहा ,तथास्तु ,ऐसा ही होगा जब तुम राक्षसलोक पहुच जाओगे तुम्हारे सभी बेटे तुम्हारे सामने जीवित हो जाएंगे ,उनकी मृत्यु हुवीं थी यह बात भी उन्हें याद नही रहेगी ,उनको अपनी मृत्यु कैसे और किस तरह हुवीं थी इसका अंदाजा नही रहेगा ,
भुजंग का चेहरा इस बात से उतर गया था ,उसे पता था भगवान विश्वेश कितने चतुर है ,उन्होंने उसके बेटो को जिंदा कर दिया पर जिन 102 बेटो की राक्षसलोक के बाहर मृत्यु हुवीं थी ,उनको मारने वाले के बारे में जानने की भुजंग की इच्छा अधूरी ही रह गई ,उसे अपने आप पर ही गुस्सा आने लगा था ,अगर ठीक तरीके से वरदान मांगा होता तो ऐसी कोई गड़बड़ नही होती ,अपने बाकी दो वरदान को अब वो बहुत ही सोच विचार करके मांगने वाला था ,अपने 102 बेटो को मारने वाला शत्रु कोई आम तो नही हो सकता था ,उसके बेटो के सामने देवता तक नही जाते थे ,जो भी उसके बेटो को मारने वाला था वो सामान्य नही हो सकता था ,इतने हजार साल में पहली बार किसीने भुजंग के सामने खड़े होने की हिम्मत की थी ,उसने भगवान पिनाकी की तरफ देखकर कहा ,भगवान में दूसरे वर में आपसे यह मांगना चाहता हु जब भी कोई मुझे मारे तो मेरे मरने के 24 घण्टे बाद ही में दुबारा जीवित हो जाऊं ,मेरे खुद के 1000 अंश बन जाने चाहिये ,हर एक मे मेरी सभी शक्तिया हो ,जिसने मुझे मारा होगा उसकी भी सभी शक्तिया मेरे हर एक अंश में आ जानी चाहिये ,मेरे सभी 1000 अंशो को एक साथ मारने पर ही मेरी मौत होनी चाहिये ,मेरा एक भी अंश बच गया तो बाकी सभी अंश नष्ट नही होने चाहिये ,भगवान पिनाकी ने कहा एक ही वरदान में बहुत कुछ मांग रहे हो ,लेकिन ठीक है यह तुम्हारा आखरी मौका है वरदान मांगने का तो में तुम्हे यह वरदान भी दे दूंगा ,तभी भगवान विश्वेश बोले ,क्षमा करें पिनाकी ,में कुछ कहना चाहता हु ,भुजंग का मुह एकदम उतर गया ,उसे पता था पिनाकी कभी कोई वरदान देते हुवे शर्त नही रखते वो खुले मन से सबको जो चाहे दे देते है ,पर भगवान विश्वेश हर मामले में ऐसा कोई तोड़ निकाल देते की कभी कोई पिनाकी का फायदा न उठा सके ,भगवान विश्वेश बोले ,तुम्हे पिनाकी वरदान तो दे देंगे पर एक बात याद रखना एक ही वरदान में तुम बहुत कुछ मांग रहे हो ,इसके बदले तुम्हे एक बात बतानी है ,त्रिदेवियों ने जो तुम्हे तीन वरदान दिए है वो तुम्हारी एक बार मृत्यु होने के बाद खत्म हो जाएंगे ,तुम्हारे 1000 अंश भी बनेंगे और तुम्हारे अंदर तुम्हे मारने वाले के सभी शक्तिया आ जायेगी पर तुम्हारे किसी भी अंश के पास त्रिदेवियों के तीनों वरदान नही रहने वाले ,
भुजंग का चेहरा यह सुनकर सफेद पड़ गया ,उसे त्रिदेवियों के वरदान गवाना मंजूर नही होने वाला था ,पर अचानक उसे याद आया कि त्रिदेवियों के एक वरदान से मिली दो दिव्य कन्याओं को तो वह पहले ही खो चुका है ,बाकी के दो वरदान ही उसके पास है ,एक वरदान में मिली उसे सुरक्षा शक्ति बहुत ही ज्यादा शक्तिशाली थी ,अगर किसी ने भुजंग को मार दिया तो वो शक्ति उसे कदापि जीवित नही छोड़ने वाली ,भुजंग के मरने के बाद उसे मारने वाले कि मौत भी एकदम पक्की थी ,उसने थोड़ी देर सोचकर कहा ,मुझे मंजूर है भगवान आपकी शर्त ,भुजंग के इतना कहते ही भगवान पिनाकी ने उसे तथास्तु कहकर दूसरा वरदान दे दिया ,भुजंग ने भगवान रचनाकार की तरफ देख कर कहा ,भगवान में तीसरे वरदान में आपसे यह चाहता हु की आप आज के बाद दुनिया मे किसी को भी कोई दिव्य शक्ति ,वरदान नही देंगे ,आज के बाद आप मेरे खिलाफ खड़े होने वाले कि कोई भी मदद नही करंगे ,तीनो त्रिशक्ति भुजंग के इस मांग से सोच में पड़ गए ,कुछ देर बाद विश्वेश जी के हा कहने पर रचनाकार जी ने भुजंग को तथास्तु कहकर तीसरा वरदान दे दिया ,भुजंग को आशिर्वाद देकर त्रिशक्ति वहां से चले गए ,त्रिशक्ति सीधे उसी जगह पहुच गये जहा पर तीनों त्रिदेविया यह सब देख रही थी ,अपने सामने त्रिशक्तियो को देखकर मा गिरिजा बोली ,आप तीनो ने यह क्या कर दिया ,भुजंग को आपने पहला वरदान दिया वो समझ सकते है ठीक था ,पर बाकी दो वरदान देकर आपने उसे एकदम अजेय बना दिया है ,
भगवान पिनाकी हसकर बोले ,देवी आप बिल्कुल चिंता ने करे राक्षस कोई छल करे और भगवान विश्वेश उसका तोड़ न निकाले ऐसा कभी हो सकता है ,भुजंग को वरदान तो मिल गए है पर उससे पहले हम तीनों ने बहुत कुछ कर भी दिया है ,आज तक किसी भी राक्षस का वध करने के लिये भगवान विश्वेश या मेंनें ही कोई अवतार लिया था ,पर भुजंग को मारने के लिये उसके सामने एक साथ त्रिशक्ति के अंश होने वाले है ,उसे वरदान देने से पहले ही हमने उसकी व्यवस्था कर दी है ,रचनाकार जी और विश्वेश जी का अंश उनके लाडले शिवाय में समा चुका है ,मेरा अंश भी एक खास में समा गया है ,भुजंग खुद को बहुत चतुर समझाता है पर उसकी चतुराई उसपर ही भारी पड़ने वाली है ,वो मूर्ख आगर चाहता तो उसके बेटो के द्वारा तपसाधना करवा सकता था ,उसके पास 1000 बेटे थे ,अपने बेटो को अगर वो तपसाधना करवा कर हमें प्रसन्न करवा लेता तो उसे बहुत ज्यादा फायदा हो सकता था ,पर वो अपने राक्षस स्वभाव के चलते कभी अच्छी बातें नही सोच सकता ,अपने शत्रु को कुछ न मिल पाए इस वजह से उसने अपना भी नुकसान करवा लिया है ,उसके दिमाग से आज हम तीनों को आपके द्वारा उसे दिया गया तीसरा वरदान भी समझ गया है ,उसने खुद अपने दिमाग में आपके तीनो वरदान के बारे में सोचा था उस वजह से हमे वो पता चल गया ,न ही हमने उसे कुछ पूछा ना ही कोई छल किया ,आप तो जानती है कि हम सिर्फ आप तीनो के सिवा किसी के भी दिमाग को पढ़ लेते है ,
माता पद्मा हसकर बोली ,हमने सब देख लिया है ,मेरे पति कभी किसी को छोड़ते है जो भुजंग उनकी बातों से न फ़साता ,उन्होंने उसे इतना डरा दिया कि वो अपनी मजबूरी में सब सोचने से खुद को रोक नही सका ,हमने उसे कहा था जब तक वो खुद हमारे तीनो वरदान को अपने दिमाग मे नही लाएगा कोई भी उसके दिमाग से जान नही पायेगा ,लेकिन हमारे पतीं तो बस इन राक्षस लोगो को हमेशा अपने खेल में आसानी से फसा लेते है ,
त्रिशक्ति यह सुनकर हसने लग गए ,तीनो को हँसता देखकर ,मा हंसिनी बोली ,भगवान आप सब तीसरे वरदान को जानकर भी हस रहे है ,हमे तो अपने तीसरे वरदान को याद करके ही बहुत चिंता होती है ,उस नीच भुजंग के ऐसे वरदान मांगने से हम तीनो भी बहुत गुस्सा हुवे थे पर उसके तपसाधना की वजह से हम उसे मार नही सके थे ,आपको उस वरदान से कोई चिंता नही हो रही है ,
भगवान विश्वेश बोले ,आप ने शिवा के जीवन के सफर् को नही देखा आजतक वो कभी खुद का नही सोचता ,वो दुनिया को बचाने के लिये हर वो काम कर देगा जो कोई सोच भी नही सकता ,बस शिवा को अपने आप पर यकीन रखना होगा आख़िरतक ,उसकी परीक्षा पहले से बहुत कठोर थी और हम सबके वरदान भुजंग को मिल जाने से शिवा की मुश्किलें बढ़ने वाली है ,पर हम सब शिवा की जितनी मदद कर सकते थे उतनी कर चुके है ,यह लड़ाई अब उन दोनों में ही होने वाली है ,भुजंग और शिवा दोनो को अपने दिमाग से काम लेना होगा ,
त्रिशक्ति और त्रिदेविया अब राक्षसलोक की तरफ देखने लगे जहा वो पहुच चुका था ,भुजंग और उसके 20 बेटे राक्षसलोक के दरवाजे पर पहुचे तो वहां पर खड़े इतने भयानक मायावी जीवो को देखकर आश्चर्य चकित हो गये थे ,भुजंग के आने से पहले ही शिवाय निकल जाने वाला था पर तभी उसके बदन में दो दिव्य अंश समा गये थे ,उसके अंदर ब्रह्या और विश्वेश के दो अंश एक साथ समा गए थे ,शिवाय को अपने अंदर इन दो अंशो के समान के बाद सबकुछ समझ गया था ,उसमे भी बहुत सी अद्धभुत शक्तिया आ गयी थी ,शिवा के पास भी कुछ शक्तिया नही थी ऐसी शक्तिया उसमे आ गयी थी ,सबसे बड़ी ताकद उसमे आ गई थी मोहिनी विद्या और माया की विद्या ,उसके जैसा दुनिया मे कोई मायावी नही होने वाला था ,भुजंग को भले ही माया विद्या वरदान में मिली हो पर शिवाय के अंदर तो खुद भगवान विश्वेश का अंश आ गया था ,उसके सामने लाख भुजंग भी एक साथ आ जाये तो उसकी माया को समझ नही पा सकते थे ,शिवाय ने अपनी आंखें बंद करके दोनो देवो का धन्यवाद किया ,शिवाय ने सबसे पहले एक राक्षस का रूप ले लिया जो कालराक्षस जैसा ही ताक़दवर और शक्तिशाली था ,पर चेहरा थोड़ा अलग कर लिया ,शिवाय ने कालराक्षस के सामने जाकर प्रकट हो गया ,कालराक्षस अपने सामने शिवाय को देखकर एकदम चकित हो गया ,उसने शिवाय से कहा ,तुम गये नही अभीतक यहा से ,अब तो प्रवेशद्वार से भी जाने की जरूरत नही है ,हम सीधा यहा से कही भी जा सकते है ,भुजंग कभी भी यहा पर आ सकता है ,तुम्हे उसके आने से पहले ही यहा से जाना होगा ,वो आने के बाद उसकी नजर से तुम नही बच पाओगे ,शिवाय उसकी बात सुनकर हस दिया और उसने कहा ,तुम उसकी चिंता छोड़ दो ,में तुम्हे कुछ बताना चाहता हु ,भोकासुर और बीरा को भी यही बुला लेते है ,उन दोनो के आने के बाद शिवाय ने अपनी माया विद्या का उपयोग उन तीनों पर कर दिया ,फिर उन तीनों से कहा ,में तुम्हे एक बात बताना चाहता हु ,भुजंग ने अपने अभी बेटो को जिंदा कर दिया है ,पर उन सबको यह नही पता रहने वाला है कि उनकी मौत कैसे हुवीं है ,मेंनें अपनी माया से तुम तीनो को एकदम सुरक्षित कर दिया है ,भुजंग तुम तीनो के मन को पढ़ने की कोशिश करेगा ,पर ना तुम्हारा मन पढ़कर वो कुछ जान पायेगा और ना ही तुम्हारी असलियत के बारे में वो पता कर पायेगा ,बीरा को भी वह कभी नही पहचान पायेगा ,में भोकाल के दिमाग पर अपनी माया से सब कुछ बिठा दूँगा ,बस उसे एक बार जीवित होने दो ,वो हमें उसका खास कहकर ही भुजंग से मिला देगा ,मेंनें भुजंग के बाकी 10 बेटो को भी अपनी माया में ले लिया है ,भुजंग के लिये हम दोनो अब बहुत खास होने वाले है ,आज से तुम और में दोनो भाई है यह तुम याद रखना ,बाकी तुम किसी बात की चिंता मत करना ,में सब सम्भाल लूंगा ,कालराक्षस ने भी शिवाय की बात मान ली ,कुछ ही पलों में भुजंग अपने 20 बेटो के साथ राक्षसलोक मे दाखिल हो गया ,राक्षसलोक में चारो तरफ राक्षस के शव पड़े हुवे थे ,भुजंग ने सबसे पहले अपनी माया से सब शव गायब कर दिए ,उसने अपनी माया से एक ही पल में राक्षसलोक को पहले जैसा कर दिया ,पूरा राक्षसलोक भुजंग के सामने खड़ा हो गया था ,भुजंग ने सबको अपने घर जाने के लिये कह दिया ,भुजंग के एक बार कहने पर ही सब वहां से चले गए ,भुजंग ने सबसे पहले विचित्र को अपने सामने बुलाया ,विचित्र के मन मे कोई डर नही था अपने पिता के पास जाने का वो एक अकड़ के साथ ही अपने पिता के सामने पहुच गया ,भुजंग ने विचित्र के आंखों में एक बार देख कर सब कुछ जानने की कोशिश की ,उसे ऐसा लग रहा था कि विचित्र को किसी ने अपने वश में करके उससे यह सब करवाया होगा ,इसलिए उसने सबसे पहले विचित्र को अपनी माया से अच्छी तरह जाँच कर देखा ,पर शिवाय की माया समझना उसके बस का नही था ,विचित्र के दिमाग को पढ़कर भुजंग को बहुत ज्यादा गुस्सा आने लगा था ,उसने यह तो पता कर लिया था कि विचित्र किसी के वश में नही है ,उसने अपने मन से ही सब किया था ,अपनी दिव्य दृष्टि से भुजंग ने अपनी प्यारी पत्नियों और बेटीयो को भी देख लिया ,जो जख्मी हालत में बिल्कुल नंगी पड़ी हुवीं थी ,उनके हाथपांव को बांध कर उन पर किये गए अत्याचार उनके शरीर के जख्म दिखा रहे थे ,विचित्र के वजह से ही यह सब हुवा था ,उसके वजह से ही उसकी पत्निया और बेटिया ऐसी हालत में पोहच गयी थी ,उसके बाकी के सभी 120 बेटे भी भुजंग के सामने खड़े थे ,उन सब की हवस के चलते राक्षसलोक में 200 अरब से ज्यादा राक्षस मारे गये थे ,उन सब पर भुजंग को बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था ,भुजंग ने विचित्र और उन सभी 120 बेटो को अपनी माया से बन्दी बना लिया ,विचित्र की तरफ देख कर भुजंग ने कहा ,तुम लोगो को में आज तक कभी कुछ नही कहता था पर तुम लोग अपनी सीमा भूल गए हो ,तुमने रानी महल में घुसने की हिम्मत कैसे की ,उसकी बात सुनकर विचित्र ने बिना डरे कहा ,पिताजी आप इतनी सुंदर औरतो का उपभोग करते है इतने सालों से ,हमने उसमे से थोड़ा अपने लिये ले लेने से कोई नुकसान तो नही हुवा ना ,क्या हमको ऐसी सुंदर औरतो का उपभोग करना गलत है ,हम भी तो आपके बेटे ही तो है ,ऐसा क्या गलत कर दिया हमने ,पहले भी तो हमने कितनी बार ऐसी हरकत की है ,तब आपने हमे कुछ नही कहा था ,आज ऐसा क्या हो गया ,जो आप हम सबको बन्दी बनाकर रख रहे हो ,
विचित्र की बात सुनकर तो भुजंग को और गुस्सा आ गया ,उसने कुछ गलत नही कहा था ,पर रानीमहल की सभी औऱते भुजंग के बहुत दिल के करीब थी ,अपने इस पुत्र की नीच बातो से भुजंग ने अपने क्रोध में आकर एक ही पल में अपने तलवार से उसका सर काट दिया ,विचित्र को ऐसा मारने से उसके बाकी सभी भाई भी डर गए थे ,जिन बेटो को भुजंग ने बन्दी बना लिया था ,उनकी अब अपने पिता का यह रूप देखकर गांण्ड फटने लगी थी ,भुजंग ने उन सभी की तरफ देख कर कहा ,तुम सबको में बहुत प्यार करता हु ,पर तुम लोग अपने हवस के चक्कर मे एप्निया मा और बहनो को भी नही छोड़ रहे हो ,तुम्हारे वजह से राक्षसलोक में इतने राक्षस मर गये ,अपने सगे भाइयों को भी तुमने मारने में कुछ गलत नही लग रहा था ,तुम सब को एक ही सजा मिलनी चाहिये ताकि राक्षसलोक में आगे कोई ऐसी हरकत नही करे ,आज के बाद तुम्हारी मौत देखकर सबको पता चल जाएगा कि गलती की सजा क्या हो सकती है ,भुजंग ने उन सभी 120 बेटो को एक बहुत बुरी मौत दे दी ,सभी 120 बेटों के गर्दन को उसने एक जगह पर लटका दिया ,और उनके धड़ को अपने हाथ मे एक अग्निबाण बनाकर जला दिया ,भुजंग के सामने अब उसके 879 बेटे थे ,उनमे से सिरफ 40 ही ऐसे थे जो पहले से जिंदा थे बाकी सब तो भुजंग राक्षसलोक आने बाद ही जीवित हो गए थे ,उन सबके सामने भुजंग ने इन 121 बेटो को मार दिया था ,अपने पिता का ऐसा रूप सब पहली बार देख रहे थे ,भुजंग ने उन सबसे कहा ,आज के बाद तुम सबने अपने किसी बहन या मा के साथ कोई गलत हरकत की तो वो अपनी मौत से नही बच सकता ,तुम सबको में यह पहली और आखरी बार बोल रहा हु ,इसके बाद जो भी गलती करेगा उसकी सजा एक ही होगी मौत ,
भुजंग की बात सबने सुन लि थी ,सबने अब सोच लिया था कि आज के बाद ऐसी कोई हरकत नही करनी है जिससे भुजंग नाराज हो जाये ,भुजंग ने सबसे बात करने के बाद एक बार अपनी आंखें बंद कर ली ,सबसे पहले उसने अपनी आंखें बंद करके विषलोक को अपनी दिव्यदृष्टि से देखने लगा ,पर विषलोक तो पूरा तबाह हो चुका था ,और विषलोक में हिमांनी भी नही थी ,हिमांनी एक नीली नागिन है और उसमे बहुत सी दिव्य शक्तिया है यह बात उसे पता थी ,महानाग ही विषलोक को तबाह कर सकता है यह भी उसे पता थी ,विषलोक तबाह होने से भुजंग समझ गया था कि महानाग आ चुका है ,हिमांनी भी उसके साथ ही गयी होगी ,उसके बाद भुजंग ने अपनी नजरो से शिवानी को देखना चाहा ,जो पाताल में बलिलोक में रहती है ,पर पूरा बलिलोक खाली था ,ना उसमे केतकी दिख रही थी ना ही शिवानी ,उसके बाद उसने धरती पर मरे हुवे राक्षस लोगो के दिव्य अस्र जिस बिल्व ऋषि के आश्रम में रखे थे उसके आसपास देखकर उन दिव्य अस्रो को महससुस करना चाहा ,पर उसकी दिव्यदृष्टि बिल्व ऋषि के आश्रम के अंदर नही जा सकती थी ,पर उसे यह समझ मे आ गया था कि वहाँ पर अब कोई भी दिव्य अस्र नही है ,उन दिव्य अस्रो को वो दूर से भी महसूस कर सकता था ,भुजंग को एक के बाद एक झटके लग रहे थे ,उसके तपसाधना में बैठने के बाद बहुत कुछ हो गया था दुनिया मे ,जो शक्तिया वो तपसाधना होने के बाद पाने वाला था वो सभी अब नही थे ,उसके त्रिदेवियों के वरदान से प्राप्त दो दिव्य कन्याओ को भी वह खो चुका था ,भुजंग को इस बात का यकीन हो गया था कि यह सब करने वाला कोई एक ही होगा ,उसीने भुजंग के बेटो को भी मारा होगा ,भुजंग का चेहरा गुस्से से लाल होने लगा था ,तभी उसके कान में अपने बेटे कनक की आवाज आयी ,कनक बोल रहा था ,पिताजी में अपने अंदर अपनी दिव्य तलवार को महसूस नही कर पा रहा हु ,लगता है मेरे अंदर मेरी दिव्य तलवार नही है ,धीरे धीरे जो उसके बेटे जीवित हो गए सभी एक एक करके यही कहने लगे कि उन्हें अपने अन्दर अपने दिव्य अस्र महसूस नही हो रहे है ,भुजंग समझ गया यह सब उसीके वरदान को सही तरीके से न मागने की वजह है ,उसने अपने मुह से एक जोरदार चीख निकाल ली ,भगवान विश्वेश आपने यह सही नही किया मेरे साथ ,मुझे आपने वरदान तो दे दिए पर मेरे बेटो की शक्तियां छीन ली आप ने ,यह आपने बहुत गलत किया है मेरे साथ ,में आज के बाद कभी आप त्रिशक्तियो की भक्ति नही करूँगा ,आपने मेरी तपसाधना का भी फल मुझे सही तरीके से नही दिया है ,तभी उसके कानों में भगवान विश्वेश की आवाज गूंज गई ,मूर्ख भुजंग अपने मुह से वरदान तूने खुद मांग लिए थे ,हमने उसमे कुछ भी नही किया ,तुझे वरदान मांगने नही आते सही तरीके से और तू हमे दोष दे रहा है ,एक बात का ख्याल रख तू हमारे सामने कुछ भी नही है ,अगर में गुस्से में आ गया न फिर तुझे तेरा कोई भी वरदान नही बचा सकता ,एक पल में तेरा खेल खत्म हो जाएगा ,तुझ जैसे दृष्टो को मारने से कोई भी मुझे नही रोक पायेगा ,इस लिये अपनी औकात में रहा कर ,में तुझे इसीलिए कभी पसन्द नही करता था ,आज के बाद तूने अगर हमारे बारे में कुछ भी बुरा कहा तो में उसी पल तुझे खत्म कर दूंगा ,
भुजंग की तो गांण्ड ही फट गई थी ,उसे पता था भगवान विश्वेश से पंगा लेना मतलब अपनी मौत को दावत देना है ,उसने तुंरत अपने हाथ जोड़कर भगवान विश्वेश से माफी मांगना शुरू कर दिया ,अपने पिता को ऐसा हाथ जोड़कर बड़बड़ाते देख कर सब हैरान हो गए थे ,आज पहली बार उन्होंने अपने पिता के चेहरे पर डर को देखा था
 
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Update 108
शिवा ने सुबह ही शिवाय को बता दिया था कि वो राक्षसलोक जा सकता है ,आज सुबह 7 बजे जब नाश्ता करने हॉल में पहुँचा तो उसे नाश्ता देने हिमांनी ही आगे आयी थी ,किसिको इस बात का कोई ऐतराज नही था पर हिमांनी और शिवा दोनो ही इस बात का मतलब समझ चुके थे ,अपने पति की सेवा करने का मौका हिमांनी कैसे छोड़ सकती थी ,आज शिवा सीमा की दोनो बेटीयो से मिलने जाने वाला था ,इसलिए वो घर से नाश्ता करके जल्दी ही निकल गया ,आज उसे रीमा और नेहा से मिलना था ,रीमा में आकाश तत्व और नेहा में बिजली तत्व की शक्तिया थी ,उसने अपने दिव्य दृष्टि से देखा तो दोनो बहने अपने घर से निकल कर एक कॉफी शॉप में आकर बैठी थी ,दोनो अपने घर से कालेज जाने के लिये ही निकली थी पर रात भर दोनो की बातों का एक ही विषय था शिवा से मिलने का दोनो बहने एक दुसरे के काफी करीब थी ,उन दोनों ने अपनी पसन्द भी बता दी थी ,शिवा दोनो को पंसद था पर उससे दोनो शादी कैसे कर सकती थी ,उनके घरवाले इस बात को कभी नही मानने वाले थे ,पर एक दूसरे के दिल का ख्याल दोनो को था ,दोनो ने सोच लिया था कि वह दोनो शिवासे ही शादी करेगी और अपने घरवालों को मना लेगी ,पर शिवा की परेशानी थी ,उसे भी तो यह बात पसन्द आनी चाहिए ना ,उसे तो यह भी नही पता होगा कि यह दोनो उसे पसन्द करती है ,शिवा से किस तरह मिला जाए इसकी तरकीब निकालती वो कॉफी पीकर सोच रही थी ,तभी उन दोनों के कान में एक आवाज पड़ी जिसकी वजह से वो उस आवाज की तरफ देखने लग गयी ,यह कोई और नही शिवा ही था ,जो दोनो से बात कर रहा था ,शिवा ने उन दोनों से कहा ,लगता है आप दोनो ने मुझे नही पहचाना में शिवा हु ,आपकी बहन नेत्रा से मिलने जब आयी थी तब मैने आप को वही देखा था ,आपके नाम रीमा और नेहा है ना ,दोनो बहने तो शिवा को अपने सामने देखकर कुछ देर के लिये एकदम स्तब्ध हो गयी थी ,जिसके साथ मिलकर बात करने के लिये वो कबसे अपना दिमाग लगा रही थी ,वही खुद उनके सामने खड़ा था ,दोनो को अपने तरफ एकटक देखते हुवे पाकर शिवा ने कहा ,आप लोगो को शायद मुझसे बात करना अच्छा नही लग रहा होगा ,में आपसे माफी मांगता हूं ,में तो बस आपको कॉफी पीते हुवे देखकर आपसे बात करने आ गया था ,अच्छा में चलता हूं ,शिवा को ऐसे जाते हुवे देखकर वो दोनो एकदम होश में आकर ,अरे आप कहा जा रहे ,आइये साथ मे बैठकर कॉफी तो पीजिये हमारे साथ ,दोनो को शिवा से अब क्या बात करे यह समझ नही आ रहा था ,उन्होंने शिवा को अपने पास बिठा तो लिया पर अपने दिल की बात कैसे करे यह वो सोच रही थी ,रीमा ने सोच लिया कि जो होगा देखा जाएगा ,एक तो आर नही तो पार ,उसने सीधा शिवा से कहा ,देखिये आप गलत मत समझना पर में आप से जो कहना चाहती हूं वो बात बिलकुल सच है ,हम आपसे कोई मजाक नही कर रहे है ,में और मेरी बहन आप को बहुत पसंद करते है ,हम दोनो आपके साथ शादी करना चाहते है ,आप को अगर यह बात पसन्द हो तो ही यह सब मुमकिन हो सकता है ,
शिवा ,लेकिन आपके घरवाले इस बात को मान लेंगे
रीमा ,वो हम देख लेंगे ,पहले आप मान जाए तो उनका मनाना इतना मुश्किल नही होगा ,
शिवा कुछ सोचकर ,आप दोनो मुझसे शादी कब करना चाहती है ,
रीमा ,जब भी आप कहे तभी कर लेंगे
शिवा ,अगर में कहु आज ही कर ले तो
नेहा यह कबसे दोनो की बाते सुन रही थी ,शिवा की बात सुनकर वो एकदम खुश होकर बोली ,हा चलेगा ,दीदी हम आज ही शिवा से शादी कर लेते है ,हम शादी में किसी को भी नही बुलाएंगे ,शादी होने के बाद ही सब को बोल देंगे ,
रीमा ने भी उसकी बात को मान लिया ,शिवा ने उन दोनों से कहा आप दोनो खुद की तैयारी कर लीजिये में 2 घण्टे में शादी की व्यवस्था करके आता हूं ,शिवा ने उन्हें अपना फोन नंबर दे दिया ,शिवा को इन दोनों को मनाने में ज्यादा वक्त नही लगा ,शिवा ने पहले ही अपने दो प्रतिरूप बनाकर उन्हें शादी की तैयारी करने के लिये बोल दिया ,शिवाने फिर अपना मोर्चा मनीषा और हेमा के बेटिया रिना और मधु की तरफ कर दिया ,वो दोनो भी रीमा और नेहा जैसी शादी की बात करने के लिये ही शिवासे मिलना चाहती ,शिवा ने उन्हें भी कह दिया कि वो उन दोनों से शादी के लिये तैयार है ,दोनो को शादी के लिये तैयार होने के लिये बोलकर शिवा उन्हें भी बता दिया कि तुम दोनो शादी के लिये तैयार हो जाओ में भी शादी की तैयारी कर लेता हूं ,शिवा के प्रतिरूप ने 4 जगह शादी की पूरी तैयारी कर ली थी ,शिवाने उन चारों से बारी बारी शादी कर ली ,रीमा और नेहा को उसने फ़ातिमा के फार्म हाउस का पता बता कर वहां जाकर रहने के लिये बोल दिया ,तो रिना और मधु को पायल के फ्लैट पर भेज दिया ,अब चारो के साथ सुहागरात मनानी थी ,शिवा ने पहले सीमा और फ़ातिमा के यहा अपने प्रतिरूप भेजकर सुहागरात की सब तैयारी कर ली थी ,सबसे पहले वो रीमा और नेहा के पास चला गया ,दोनो ने शादी भले एक के साथ कि हो पर वो कभी एक साथ सुहागरात नही मना सकती ,शिवा ने पहले रीमा और नेहा के साथ खाना खा लिया ,शिवा ने नेहा पर अपनी माया का उपयोग करके एक कमरे मव भेज दिया ,रीमा को समझ मे नही आया कि नेहा ऐसे बिना बोले क्यो चली गयी ,पर शिवा ने उसे कहा ,शायद वो चाहती हो आप बड़ी हो और पहला हक आपका है ,रीमा और नेहा के यहा आने के वक्त ही शिवा ने अपना एक प्रतिरूप रिना और मधु के पास खाना लेकर भेज दिया था ,उसको बस खाना खाकर उन दोनों से कुछ देर तक बाते करने को कह दिया था ,चारो से शादी करने में शिवा को दोपहर का 1 बज गए था, शिवा ने जब रीमा के साथ खाना खाकर बात कर रहा था उस वक्त 2 बज गए थे ,शिवाने ने रीमा के हाथ को पकड़ कर अपने पास खीच लिया ,उसपर अपनी माया का उपयोग करके वो उसे और नेहा को दोनो को पाताल में बलि लोक ले आया ,उसके पास धरती पर उन चारों को एक साथ समय देना मुश्किल था ,इसलिए उसने ऐसी जगह का चुनाव किया ताकि चारो को भरपूर समय दे सके ,शिवा जब उन दोनों को लेकर पाताल में आया था ,उसी वक्त उसका प्रतिरूप खाना लेकर रिना और मधु के पास गया था ,उन दोनों को खाना खाने औऱ बाते करने में ही 1 घण्टा लगने वाला था और यहा शिवा के पास 30 दिन थे पाताल में और साथ मे समयमनी की ताकद से उसे काफी समय मिलने वाला था ,
रीमा दिखने में अपनी माँ सीमा की तरह एक गजब की सुंदर लड़की थी 21 साल की रीमा का कद 5 फिट 10 इंच का था ,एकदम गोरी ,सुंदर चेहरा ,काले घने लम्बे बाल ,36 28 36 की एकदम परफेक्ट फीगर की मालकिन थी वो ,उसके बदन में एक अजीब सी कशिश थी जो देखना वाला उसके मोहपाश में आसानी से चला जाता था ,पर उसे आजतक कोई लड़का पसन्द ही नही आया था ,शिवा को देख कर ही वो एक पल में ही उसके प्यार में पड़ गयी थी ,क्या बात थी शिवा ने यह उसे नही पता पर रीमा के दिल ने उसे अपने अंदर देखकर ही जगह दे दी थी ,आज उसी के साथ शादी करके रीमा बहुत ही ज्यादा खुश थी ,शिवा ने पाताल में आते ही अपने माया से नेहा को एक कमरे में सुला दिया और रीमा को लेकर समयमनी में चला गया ,रीमा ने जब शिवा ने उसे अपने पास खिंच लिया था उसी वक्त शिवा के बाहो में समा गई थी ,शिवा की बाहो में आकर उसे बहुत ज्यादा सुकून मिल रहा था ,उसे ऐसा लग रहा था कि आज तक वो अधूरी ही थी जो पूरी हो गयी थी शिवा के बाहो में आकर ,रीमा को शिवा ने सुंदर से सुहाग पर बिठा दिया जिस पर बहुत ही ज्यादा खूबसूरत से फूलों से सजाई गयी थी ,रीमा के चेहरे को अपने दोनो हाथो में पकड़के शिवाने उसके नाजुक से ग़ुलाबी ओठो को चूम लिया ,उसके ओठो को रस पीते हुवे शिवा ने उसे पीठ के बल सुला दिया और खुद उसके ऊपर आकर उसके ओठो के साथ उसकी एकदम कड़क चुचियो पर रख दिया ,रीमा को भी शिवा के होठो को चूमने में मजा आ रहा था ,यह उसके जिन्दगी का पहला ही चुम्बन था ,अपने चुचियो पर शिवा के हाथ पड़ते ही रीमा के मुह से हलकीं सी सिसकी निकल गई जो बेहद ही कामुक निकली थी ,शिवा को ऐसा लग रहा था उसके सामने एकदम जवान सीमा ही है ,दोनो मा बेटिया दिखने में बहुत ज्यादा एक जैसी ही थी ,और दोनो भी कामुक आवाजे एक जैसे ही निकालती थी ,सीमा ऐसी कामुक आवाजे निकालती थी के शिवा का लन्ड उस आवाज से बहुत ही ज्यादा भड़क जाता था ,अपने कामुक आवाज से भड़काने वाली सीमा एकलौती थी ,पर रीमा ने भी वैसी ही आवाज निकाल के शिवा को यह बता दिया था कि में भी कुछ कम नहीं हूं अपनी माँ से ,शिवा लगातर रीमा की चुचिया दबाकर उसके होठो का रस पी रहा था ,पहले जो दोनो एक दूसरे को बहुत प्यार से चूम रहे थे उनका चुम्बन एकदम जंगली हो गया था ,दोनो किसी जंगली जानवर की तरह एक दुसरे होठो को चूम रहे थे ,शिवा ने रीमा को अपनी माया से कब का नंगा कर चुका था खुद के साथ,रीमा की एकदम गोरी ग़ुलाबी चुचिया को शिवा ने देखा तो वो उसके दबने से एकदम लाल हो गई थी ,शिवाने उसके ऊपर दिख रहै एकदम मोटे से निप्पल को पकड़ कर अपने मुह में भरकर उसे चुसने लगा और दूसरे को कस कर दबाने लगा ,रीमा को ऐसा लग रहा था शिवा उसके निप्पल से आज दूध निकाल कर ही दम लेगा ,इतनी जोरसे वो निप्पल को खींच रहा था ,रीमा शिवा के अपने चुचिया पर होते हमले से अपनी चुत का पानी एक बार छोड़ चुकी थी ,उसे शिवा के अपने चुचियो पर हो रही हाथो की मसलन बहुत ही भा रही थी ,शिवा उसके चुची को अपने मुह में लेकर चुसता ,काटता ,उसके निप्पल पर अपनी जीभ घुमाकर रीमा को नए नए मजे दे रहा था ,रीमा तो दो बार अपनी चुचिया पर हो रही शिवा की कलाकारीसे झड गयी थी ,शिवा के नाक में भी उसकी चुत से बहते पानी की सुगंध आ गयी थी ,उसे अब वो पानी चखना था ,इसलिये शिवाने रीमा की चुत की तरफ अपना मोर्चा कर लिया ,शिवा ने रीमा की टांगो को अपने हाथों से फैला दिया और उसके मोटी मांसल जांघो के बीच की नाजुक सी चुत को देखने लगा ,एकदम फूल सी कोमल वो चुत बहुत ही सुंदर थी ,एकदम गोरी थी रीमा की चुत ,उसके पतले से ओठ आपस मे मिले हुवे थे और एकदम छोटा सा लाल छेद उनके नीचे था ,जहा से रीमा की चुत का पानी रिस रहा था ,शिवा ने पहले उसके चुत के पास अपनी नाक ले जाकर उसके सुगन्ध को अपने अन्दर पूरा भर लिया और उस गोरी चुत को एक प्यारा सा चुम्बन कर लिया ,उस नाजुक चुत को चूमकर शिवाने उसे अपने मुह मे ही भर लिया और उसे चुसने लगा ,उसे लाल छेद में अपनी जीभ को नोकदार करके अंदर डालने लगा ,रीमा जो शिवा की सब हरकत को अपनी आंखें से देख रही थी ,उसके चुत को जब शिवा ने चूमा तो उसे एक जोरदार बिजली का झटका पूरे बदन में लग गया ,रीमा को लगा शिवा उसके चुत को चूमकर छोड़ देगा पर शिवा ने उसकी चुत को जब चूसना शुरू किया तो रीमा की जान ही जाने को हो गयी थी ,उसके पूरे बदन में मानो आग लग गई थी ,उसके चुत में तो पल पल नई लहरे उठकर उसे मजे देने लग गयी थी ,शिवा उसके नरम 36 की गांण्ड के गोल मटकों को दबाकर उसकी चुत का रस पीने में लगा रहा ,हर पांच मिनीट में रीमा अपनी चुत का बांध खोल कर झड रही थी ,शिवा ने कितनी बार उसके चुत का रस निकाला इसकी गिनती भी नही हो सकती थी ,रीमा मजे के सागर में डूब चुकी थी ,उसकी चुत तो अपनी खुशी हर पांच मिनीट में ही झड़कर बता रही थी ,शिवा ने उसकी चुत का पानी पीकर अपना पेट और मन दोनो को भर दिया था ,उसने रीमा के गांण्ड के छेद में अपनी एक उंगली से बहुत बार घुमाकर उसका भी जायजा ले लिया था ,अब शिवा को उसकी गांण्ड का स्वाद चखना था ,शिवा ने अपने होठ रीमा के चुत से हटाकर उसके गांड़ को थोड़ा ऊपर कर लिया ,रीमा ने अपनी आंखें खोल कर एक बार शिवा की तरफ नाराजगी से देख लिया ,उसके स्वर्ग जैसे सुख में उसने बाधा जो डाल दी थी ,उसकी चुत का चूसना उसे बहुत ज्यादा पसन्द आ रहा था ,पर उसकी आंखें और मुह एक ही पल और ज्यादा बड़े हो गए ,रीमा के मुह से एक जोरदार कामुक सिसकी निकल गई थी ,उसे इस बात का जरा भी उम्मीद नही थी ,शिवा ने उसकी गांण्ड के छेद में ही अपनी जीभ घुसा दी थी ,रीमा को तो बहुत ज्यादा मजा आ गया था शिवा की इस हरकत से ,उसकी चुत फड़फड़ने लग गई थी शिवा के गांण्ड चुसने से ,शिवाने की जीभ उसके गांड़ के छोटे से छेद में कहर मचा रही थी ,रीमा अपने बालों को नोचती इस परमसुख का मजे लेने लगी थी ,उसकी चुत ने तो मानी पानी की बाढ़ लगा दी थी ,जब तक शिवा उसकी गांण्ड को चैट रहा था उसकी चुत निरन्तर झड रही थी ,जो पानी सीधा उसकी चुत से बहकर उसके गांण्ड से होता शिवा के मुह में जा रहा था ,शिवा ने बहुत देर तक गांण्ड का स्वाद लेकर उसके चुत का पानी उसमे से पी रहा था ,शिवा ने रीमा की गांण्ड को छोड़कर सीमा के ऊपर आ गया ,शिवाने अपने लन्ड को तेल लगाकर कबसे चिकना कर दिया था ,रीमा की चुत तो इतनी पानी छोड़ चुकी थी कि उसकी चुत ही नही उसकी गांण्ड तक एकदम चिकनी हो गई थी ,शिवा ने रीमा के होठो को अपने मुह में लेकर उसकी गांण्ड को अपने दोनो मजबूत पंजो से पकड़ लिया ,अपने 20 इंच लम्बे और 12 इंच मोटे लन्ड को उसने रीमा की चुत के छोटेसे लाल छेद पर लगा दिया ,रीमा की आंखों में देखते हुवे शिवा ने एक ही जोरदार धक्के में रीमा की चुत को तहस नहस कर दिया ,शिवा ने अपने लन्ड के एक ही प्रहार से उसे रीमा के चुत में अपना लन्ड जड़ तक घुसा दिया था ,रीमा की चुत का छेद बुरी तरह फट कर बड़ा हो गया था ,उसके चुत से खुन की धार लग गई थी ,रीमा का मुह शिवा ने अपने होठो में पकड़ा था फिर भी उसकी चीख बहुत ही ज्यादा भयानक थी ,शिवा में जब से राक्षस का अंश आया था वो चुदाई के वक्त अलग ही हो जाता था ,उसे किसी औऱत को दर्द देना बहुत ज्यादा पसन्द आता था ,पहले की तरह शिवा अपने लन्ड को आराम से नही बल्कि पुरी ताकद से ही चुत में ठोकता था ,रीमा की एक चीख पूरी ही नही हुवीं थी कि शिवा ने उसके चुत में अपने लन्ड को टोपे तक बाहर निकाल कर वापिस तेजी से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया था ,रीमा को अपनी चुत में शिवा के इस मोटे गर्म लन्ड की ठोकरों से बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था ,शिवा का हर धक्का उसके बच्चेदानी के अंदर तक घुस कर चोट कर रहा था ,उसकी छोटी सी चुत इस लन्ड की मार से बहुत ज्यादा दर्द कर रही थी ,शिवा रीमा की गांण्ड को दबाकर उसकी चुत को पेल रहा था ,रीमा का दर्द कुछ वक्त बाद कम हो गया ,जहा शिवा का हर धक्का उसकी जान निकाल देता था अब उसे वही धक्का बहुत मजा देने लगा था ,वो भी अपनी गांण्ड उठाकर शिवा का लन्ड अपने चुत के और अंदर लेने की कोशिश कर रही थी ,उसकी चुत को तो शिवा के लन्ड ने अपना बांध खोंलने पर मजबूर कर दिया था ,रीमा बहुत जल्दी झड रही थी ,पर उसकी कामाग्नि बहुत भड़क रही थी ,हर बार झड़ने के बाद वो दुगनी तेजीसे शिवा से चुद रही थी ,शिवा ने भी उसकी चुत में अपना माल एक बार भर दिया था ,पर उसकी चुत तो वो माल एक पल में ही हजम कर चुकी थी ,शिवा ने उसकी चुत को अपने माल से हर एक घण्टे के बाद भरना शुरू कर दिया था ,रीमा की चुत बहुत ज्यादा कसाव वाली थी शिवा के लन्ड के इतने मार से भी वो थोड़ी भी ढीली नही पड़ रही थी ,उसका कसाव हर पल बढ़ता ही जा रहा था ,शिवा को भी ऐसी चुत मारने में बहुत ज्यादा मजा आ रहा था ,पर रीमा की चुत को 100 बार एक ही पोझ में भर कर भी रीमा शांत नही हो रही थी ,शिवा की भी अब थोड़ी फटने लगी थी ,रीमा को उसने घोडी बनाकर चोदना शुरू कर दिया ,रीमा की गोल गांण्ड को मसल कर वो उसकी चुत की फिरसे धज्जियाँ उड़ाने लगा था ,रीमा भी अपनी गांण्ड शिवा के लन्ड पर पटक पटक कर चुद रही थी ,उसके चुत को तो बस शिवा का माल ही चाहिये था ,जिसके लिये उसकी चुत शिवा के लन्ड को कसकर पकड़ कर निचोड़ रही थी ,शिवा के लन्ड को हर पांच मिनीट में रीमा की चुत झड़ने पर मजबूर करने लग गयी थी ,ना जाने कितनी बार शिवा उसकी चुत में झडा था ,पर उसके माल की एक भी बून्द उसके चुत ने नीचे नही गिरने दी थी ,शिवा का लन्ड भी बहुत बड़ी मात्रा में झड़ता था ,जहा बाकी लोग 100 बार झड़ंने के बाद जितना माल निकाल पाते उतना माल शिवा एक बार मे निकाल देता था ,पर रीमा की चुत उस माल को झड़ते ही एक ही पल में सोख ले रही थी ,शिवा को भी अब थोड़ा गुस्सा आने लगा था ,रीमा की चुत उसके बस में आने को तैयार ही नही थी ,शिवा ने रीमा की गांण्ड में अपनी उंगलि डालकर भी बहुत बार अंदर बाहर किया था ,शिवा ने अब रीमा की गांण्ड मारने का सोच कर अपना लन्ड झड़ंने के बाद उसकी चुत से निकाल लिया ,रीमा ने बहुत ही गुस्से से शिवा की तरफ पलटकर देखा ,उसे अपने चुत से शिवा का लन्ड निकालना बिलकुल पसन्द नही आया था ,रीमा की आंखे एकदम नीली हो गयी थी ,उसके आंखों का रंग एकदम आसमान जैसा नीला हो गया था ,शिवा के तरफ गुस्से से देखकर कुछ बोलने ही वाली थी कि उसके मुह से एक भयानक चीख निकल गई ,शिवाने अपने लन्ड के एक ही प्रहार से उसकी गांण्ड के छोटे से लाल छेद में अपना लन्ड घुसा दिया था ,उसकी गांण्ड में जड़ तक शिवा ने अपना लन्ड घुसाकर उसकी गांण्ड के छेद से ख़ून की धार निकाल दी थी ,शिवा ने रीमा की 36 की गोल गांण्ड को पकड़ कर उसमे अपने लन्ड को तेजी से अंदर बाहर करना शुरू कर दिया ,रीमा के मुह से बहुत ही भयानक चीखे निकल रही थी ,उसे यह दर्द बर्दाशत ही नही हो रहा था ,पर शिवा उस पर कोई रहम नही दिखा रहा था ,वो तो किसी कुतिया की तरह उसकी गांण्ड को चोदने में लगा हुवा था ,रीमा की चीखें कब मजे की सिसकियों में बदल गई पता ही नही चला ,रीमा भी अब मजे से अपनी गांण्ड में इस गर्म मूसल को लेने लगी ,अपने मुह से कामुक सिसकिया निकाल कर वो शिवा को और भड़काने लगिए ,शिवा भी बड़ी बेरहमी से उसकी गांण्ड की कुटाई करने में लगा था ,रीमा की चुत से मानो पानी के नल की तरह पानी गिर रहा था ,नीचे का पूरा पलँग उसकी चुत के पानी से भीग गया था ,शिवा समझ गया था कि रीमा की कमजोरी उसकी गांण्ड का छेद ही है ,शिवाने अपना माल उसकी चुत में भरकर फिर से उसकी गांण्ड को मारने में लगा गया ,रीमा की गांण्ड भी शिवा के माल को बहुत जल्दी सोख लेती थी ,शिवा ने दस बार उसकी गांण्ड में अपना माल भरकर ही उसे छोड़ दिया था ,रीमा किसी कटे पेड़ की तरह पलँग पर गिर गयी थी ,वो लम्बी लंबी साँसे लेकर अपने आप को ठीक कर रही थी ,अपने ही चुत के पानी मे वो नीचे पलँग पर लेटी हुवीं थी ,शिवा ने सबसे पहले उसके नीचे के पानी को अपनी माया से गायब कर दिया और एक नया पलँग वहा बना दिया ,रीमा के बदन को भी उसने साफ कर दिया था अपनी माया से ,रीमा के बाजू में लेटकर शिवा ने उसे अपनी बाहो में ले लिया ,रीमा भी किसी छोटे बच्चे की तरह शिवा से चिपक गई ,अपनी सास दुरस्त होने के बाद उसने सबसे पहले शिवा के ओठो को चूम लिया ,रीमा बोली ,में तो आपको अपनी आकाश तत्व की ताकद दे रही थी ना ,आपने तो मेरी जान ही निकाल दी ,आप अगर आपका वो मेरी उसमे और थोड़ी देर रखते तो में जिंदा ही नही बच पाती ,
शिवा हसकर ,मेरा वो और तुम्हारी उसमे का मतलब ,में कुछ समझा नही ,रीमा भी शिवा की इस बात से शर्मा गई उसने शिवा के गाल को काटकर कहा ,सब पता है आपको बस नाटक कर रहे है आप ,शिवा ने रीमा के होठो को चूमते हुवे उसे अपने ऊपर ले लिया ,बहुत देर तक दोनो एक दूसरे को चूमते रहे ,उसके बाद रीमा ने शिवा के होठो को छोड़ कर उसके पीठ पर बैठ गई ,उसने थोड़ा पीछे होते हुवे शिवा के लन्ड को अपने दोनो हाथो में पकड़ लिया ,शिवाक़े लन्ड को हैरत से देखकर वो बोली ,इतना बड़ा में अपने अंदर कैसे ले सकती हूं ,यह कैसे हो सकता है ,शिवा ने रीमा को अपने ऊपर खीच लिया और उसकी चुत को अपने लन्ड पर रखकर एक ही धक्के में उसे जड़ तक उतार दिया ,रीमा के मुह से एक दर्द और प्यार की सिसकी निकल गई ,उसकी चुत में अपना लन्ड बड़े प्यार से अंदर बाहर करके शिवा ने कहा ,ऐसे गया था अंदर ,तुम्हे मजा नही आया था क्या कुछ भी ,रीमा ने शिवा की आंखों में देखकर बड़ी सरगोशी से कहा ,मजा की बात कर रहे है आप ,आपने मुझे जीते जी स्वर्ग के मजे दिये है ,रीमा अपनी गांण्ड को पटक पटक कर शिवा के लन्ड को अपने अंदर लेने लगी और शिवा के ओठो को पकड़ कर चुसने लगी ,दोनो फिर लम्बी चुदाई में जुट गए थे ,शिवा ने रीमा को हर पोझ में चोद लिया था ,उसकी चुत और गांण्ड के छेद को ऊसने अपने लन्ड की गर्म मलाई को बहुत बार खिलाया था ,रीमा ने शिवा को लन्ड चुसाई का बहुत शानदार अनुभव दिया था ,उसके छोटे से मुह में वो शिवा का लन्ड पूरा भरकर चूस लेती थी ,शिवा की गोटिया दबाकर उसमे से रस निकाल लेती थी ,पूरे 600 दिन तक दोनो चुदाई के नए नये अंदाजा में सुख लेते रहे ,शिवा ने रीमा की तन की प्यास को बहुत अच्छे से बुझा दिया था ,जब 600 दिन पूरे हो गए ,दोनो एक दूसरे की बाहो में नंगे ही लेट कर बाते कर रहे थे ,
रिमा ,आप के अंदर भी आकाश तत्व की सभी शक्तिया आ गई है ,आप मेरे साथ आकाश तत्व के भी मालिक बन गए है ,शिवा ने कहा ,मालिक नही में तुम्हारा पतीं हु और तुम मेरी पत्नी ,रीमा बड़े प्यार से ,आप बहुत ज्यादा अच्छे है ,इसीलिये ऐसी बात कर सकते है ,में भाग्यशाली हु जो आपकी पत्नी बनी ,शिवा ,तुम जैसी पत्नी मिलना मेरा भाग्य है रीमा ,तुम्हे पता है बाकी तत्व की लड़कियां कौन है ,रीमा बोली ,पहले नही पता था ,पर मेरी आकाश तत्व की शक्ति आने के बाद मुझे ,माही ,फ़ातिमा ,पायल के बारे में पता चला गया है ,बाकी लडकिया कौन है यह मुझे उनकी शक्तिया जगने के बाद ही पता चल सकता है ,शिवा ने कहा ,उसमे एक है तुम्हारी बहन नेहा जिसमे बिजली तत्व की शक्ति है ,बाकी दोनो को भी तुम जानती हो ,रिना और मधु जिनमे पृथ्वी और वायु तत्व की शक्तिया है ,
रीमा यह सुनकर बहुत खुश हो गयी ,उसने शिवा को चूमकर कहा ,यह तो बहुत अच्छी बात है ,हम सब बहने आपके साथ हमेशा साथ मे रहने वाली है ,में माही दीदी और बाकियों से मिलना चाहती हु ,शिवा ने उसे और अपने आप को कपड़े पहनाकर उसे धरती पर माही के पास ले आया ,माही फ़ातिमा के घर पर ही थी ,उसने रीमा को देखकर कहा ,लगता है आपने रीमा से शादी कर ली है ,देखो तो मेरी छोटी बहन पूरी औरत बन गयी है ,शिवा से इतने दिन चुद कर रीमा का शरीर भी निखर गया था ,36 28 36 की रीमा याब40 30 40 की हो गयी थी ,अपनी बहन की ऐसी बात सुनकर वो शर्मा गई ,शिवाने नेत्रा को भी वहां बुला लिया और वहां से वापिस पाताल में चला गया ,नेत्रा अपने साथ मे फ़ातिमा और पायल को भी ले आयी थी ,
सभी बहने आप से मिलकर एकदम खुश हो गयी थी ,सभी आपस मे बाते करने लगी थी ,उन्हें अब अपनी तीन बहनो का इंतजार था जो अपनी शक्तिया मिलने के बाद यही आने वाली थी ,पायल ने अपने घर पर फोन करके बोल दिया कि वह माही दीदी के पास जा रही है ,वैसे ही रीमा ने भी अपनी माँ को फोन कर दिया कि वो पायल के साथ ही माही दीदी के पास जा रही है ,नेत्रा ने अपना एक प्रतिरूप घर पर छोड़ दिया था ,हिमांनी ,केतकी ,और शिवानी भी अपने प्रतिरूप बनाकर आ गयी थी ,रीमा को नेत्रा ने सब बता दिया शिवा और काल के एक ही होने की बात भी बता दी ,फिर सब लडकिया मिल के बातो में लग गयी थी ,इतने दिनों से गुमसुम रहने वाली हिमांनी भी शिवा के प्यार से बदल चुकी थी ,सबको अपनी बहने मानकर वो उनसे बहुत प्यार से रहने लगी थी ।
 
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Update 109

तीनो त्रिशक्ति भुजंग की हालत देख कर हस रहे थे ,रचनाकारजी बोले ,आज तक किसी को भूत या कोई डरावना जानवर देखकर डरते हुवे देखा है ,पर भुजंग तो आप की आवाज से ही डर गया भगवान विश्वेश ,और वो शिवाय आपकी आवाज निकाल कर उसे डरा रहा है ,पहली बार किसी व्यक्ति को भगवान की आवाज निकालकर दूसरे को डराते हुवे देख रहै है हम ,यह शिवाय भुजंग को बहुत सताने वाला ,
भगवान विश्वेश हसकर ,शिवाय भुजंग को वो डर दिखाएगा जो उसने कभी सोचा नही होगा ,उसे बहुत शौक है ना वरदान लेना त्रिशक्तियो से ,आप बस देखिये उसके वरदान ही उसे कितने घातक परिणाम देने वाले है ,
भगवान पिनाकी के चेहरे पर यह बात से एक मुस्कान आ गयी ,पहले तो भुजंग के पीछे शिवा पड़ा था ,वो कम था आपने अपने एक अंश को शिवाय में समा दिया है ,मुझे अब पूरा यकीन हो गया है ,आप भुजंग को बहुत बुरा दण्ड देने वाले है ,
भगवान विश्वेश ,पिनाकी यह सब खेल आपका ही रचाया है ,जिसमे आपने मुझे भी शामिल कर लिया है शिवाय के रूप में ,तो मेरा भी तो कुछ फर्ज बनता है ना ,
भगवान विश्वेश की बात से तीनों हसने लग गए थे ,तीनो त्रिदेविया अपने पतीं को ऐसे मुस्कुराते देखकर खुश हो रही थी ,पर मन ही मन उन्हें अपने तीसरे वरदान की बात याद आ जाती थी ,उन्हें बहुत कष्ट हो रहा था अपने तीसरे वरदान को याद करके ,उनके पति के चेहरे की मुस्कुराहट उनके दुख को और बढ़ा रही थी ,त्रिशक्तियो को तीसरे वरदान का पता होकर भी वो कुछ नही बोले थे ,उस वरदान की कोई भी काट नही थी ,यह बात वो तीनो जानती थी ,इस लिये उनके चेहरे पर खुशी के भाव होकर भी वो अंदर से बहुत ज्यादा दर्द में थी ,
राक्षसलोक में भुजंग के चेहरे का डर कम होने का नाम नही ले रहा था ,तभी उसके कानों में उसके बेटे की आवाज आयी ,पिताजी में आप से कुछ कहना चाहता हु ,यह आवाज भोकाल की थी ,उसकी तरफ देखकर भुजंग ने कहा ,बोलो भोकाल क्या कहना चाहते हो ,भोकाल ने अपने पिता से कहा ,पिताजी में आपको दो राक्षसो से मिलाना चाहता हु ,जो मेरे साथ ही रहते है ,बचपन से मेंनें इन्हें पाल पोस कर बड़ा किया है ,यह दोनो बहुत ही बलवान और शक्तिशाली है ,आप उन दोनों को देखकर बहुत खुश होंगे ,इन्होंने मेरी हर लड़ाई में बहुत ज्यादा मदत की है ,यह दोनो नही होते तो में सिहलोक और गरुड़ लोक के राजाओं को कभी नही मार पाता ,यह दोनो बहुत ही ज्यादा माहिर है लडने में ,भुजंग अपने बेटे भोकाल को बहुत अच्छे से जानता था वो कभी किसी की तारीफ नही करता था ,अगर वो किसी की तारीफ कर रहा होगा तो वो जरूर कुछ खास होंगे ,भुजंग ने भोकाल से कहा ,कौन है वो राक्षस ,मुझे देखना है ,कौन है वो दोनो ,भोकाल ने तुंरत कालराक्षस और शिवाय को आगे बुला लिया ,अपने सामने भुजंग ने अपने से भी बलावान और तगडे दो जवान राक्षस देखे ,उनको देख कर ही कोई भी उनकी ताकद का अंदाजा लगा सकता था ,भुजंग भी बहादुरी की कद्र करता था ,पर वो सिर्फ किसी की बात सुनकर उसपे यकीन करने वालो में से नही था ,उसने दोनो की तरफ देख कर कहा ,भोकाल की बात पर में यकीन कर सकता हु ,वो कभी मुझसे झूठ नही बोलता ,पर तुम्हारी ताकद का नमूना में भी एक बार देखना चाहता हु ,तुम दोनो मेरे किसी भी एक बेटे को हराकर अपनी ताकद दिखा सकते हो ,कोई युध्द नही करना है ,यह मेरे 20 बेटे है जिसमे से किसी एक को तुम खुद चुनकर मल्लयुद्ध में हराकर दिखा दो ,भुजंग की बात सुनकर उसके सभी बेटे हसने लगे ,उन्हें यह बात पता थी कि उनके जो यह 20 भाई है वो कितने ताक़दवर है ,कालराक्षस और शिवाय भले उनसे लम्बे चौड़े हो पर उन सब मे बहुत ज्यादा ताकद थी ,उनके सामने कोई स्वर्ग लोक का देवता भी नही टिक पाता था ,उन 20 भाइयो में से कोई एक भी पूरे देवताओं पर भारी था ,कालराक्षस और शिवाय को वो एक पल में हरा सकते थे ,
कालराक्षस सबसे पहले आगे कर बोला ,महाराज भुजंग को मेरा प्रणाम में कालराक्षस हु और यह मेरा भाई शिवाय है ,हम आपकी बात कभी नही टाल सकते पर राजकुमार के ऊपर हाथ उठाना हमे शोभा नही देता ,आज हम जो कुछ भी है आपके वजह से ही है ,और आप पर हाथ उठाना मुझे गलत लगता है ,उन्हें हराना मतलब उनका अपमान करना ही होगा न महाराज ,भुजंग को कालराक्षस की बात सुनकर बहुत अच्छा लगा था ,उसे समझ गया था कि यह बहुत ही स्वमिनिष्ठ और सही ख्याल वाला राक्षस है ,पर उसके 20 बेटो को वो कायर और डरपोक लगने लगा था ,वो कालराक्षस की तरफ देखकर हस रहे थे ,उनमें से एक बोला ,कालराक्षस तुम डरो मत हम तुम दोनो भाइयों को मारने नही वाले है ,सिर्फ तुम्हारी ताकद देखने वाले है ,तुम दोनो हमारे सामने नही टिक सकते यह बात हमे पता है ,पर तुम दोनो को भी पता चलना चहिये ना कि महाराज भुजंग के बेटो में कितना दम है ,भुजंग को अपने बेटे की बात बिल्कुल पसन्द नही आयी थी ,जो राक्षस उनका इतना सन्मान करता हो उसके साथ ऐसा बर्ताव करना एक राजकुमार को शोभा नही देता था ,भुजंग ने बहुत ही क्रोधित होकर अपने उस बेटे की तरफ देख कर कहा ,मूर्ख तुझे क्या लगता है यह तुझ से डर रहा है , यह बेचारा तो तुम्हे समांन दे रहा था ,पर तुम इसकी बातो को समझ नही सकते ,कालराक्षस और शिवाय में तुम्हे आज्ञा देता हूं ,तुम मल्लयुद्ध में इनसे लड़ो ,जरा इन्हें भी अपना दम दिखा दो ,में तुम्हारी बातो से यह तो जान गया हूं,की तुम में बल के साथ बुद्धि भी है ,थोड़ा ज्ञान इनको भी सीखा दो आज ,
भुजंग की बात सुनकर कालराक्षस ने उसे ही मल्लयुद्ध के लिये चुन लिया जो कालराक्षस को सुना रहा था ,विकट नाम उसका ,कालराक्षस की वजह से उसके पिता ने पहली बार उसका अपमान किया था ,इस वजह से वो बहुत ज्यादा गुस्से में था ,उसे कालराक्षस की गर्दन तोड़ने की इच्छा हो रही थी ,और जब कालराक्षस ने उसे ही मल्लयुद्ध को चुना उसे और गुस्सा आ गया ,उसने सोच लिया कि कालराक्षस को अब जिंदा नही छोड़ना है ,मल्लयुद्ध मे ही वो कालराक्षस को मार देने की बात वो सोच चुका था ,दोनो एक आखडे मे आ गए जो भुजंग ने अपनी माया से बना लिया था ,कालराक्षस 300 फिट का था तो विकट भी 280 फिट का एकदम तगडा राक्षस था ,उसने आखडे में आते ही कालराक्षस ओर आक्रमण कर दिया ,कालराक्षस भी चौकना था उसने विकट को अपने हाथों से पहले ही रोक लिया ,विकट और कालराक्षस दोनो एक दूसरे को अपने हाथों से पकड़ कर पीछे धकेलने की कोशिश कर रहे थे ,दोनो किसी पहाड़ जैसे एक दूसरे के सामने खड़े थे ,विकट अपनी पूरी ताकद लगाकर कालराक्षस को पीछे ढकेल रहा था ,पर कालराक्षस को वो अपनी जगह से हिला भी नही पा रहा था ,दोनो का बदन पसीने से भीग गया था ,विकट लगातार अपनी कोशिश कर रहा था पर उसकी ताकद के सामने कालराक्षस मजबूती से खड़ा था ,मैदान के बाहर सबको यही लग रहा था कि विकट कालराक्षस से खेल रहा है पर भुजंग को छोड़कर कोई नही जानता था कि कालराक्षस ही विकट से खेल रहा है ,भुजंग को अपने बेटे के हाल से ज्यादा कालराक्षस की ताकद देख कर खुशी हो रही थी ,कालराक्षस ने विकट के हाथों को छोड़ कर एक ही पल में उसे जमीन से उठाकर नीचे पटक दिया ,विकट को उसने इतनी जोर से पटका था कि पुरी जमीन हिल गयी थी ,विकट के मुह से खुन निकल गया था ,उसकी कमर की हड्डि तक टूट गई थी ,इतने जोर से पटकने से वो बेहोश हो गया था ,कालराक्षस ने उसके पास जाकर उसे उठाने की बहुत कोशिश की पर वो नही उठा ,फिर कालराक्षस ने उसे अपनी गोद मे उठाकर आखडे से बाहर लेकर आया ,भुजंग ने अपनी माया से एक पलँग बना दिया ,जिसपर कालराक्षस ने विकट को सुला दिया ,भुजंग के सभी बेटे कालराक्षस की ताकद देख कर हैरान हो गए थे ,विकट जैसे महाबली को उसने किसी बच्चे की तरह हरा दिया था ,उन्हें कालराक्षस पर बहुत ज्यादा गुस्सा आ रहा था ,अपने भाई के ऐसे हाल करने वाले को वो जिंदा नही छोड़ने वाले थे अब ,पर भुजंग के वजह से सब चुप थे ,भुजंग के यहा से जाते ही वो कालराक्षस को मार डालने की सोच चुके थे ,भुजंग ने कालराक्षस के कंधे पर एक हाथ रख दिया ,बहुत खूब कालराक्षस तुम सही में एक बलावान हो ,आज से तुम मेरे साथ ही रहा करोगे ,तुम आज से मेरे खास अंगरक्षक हो ,तुम्हे राक्षसलोक में कही भी जाने की आझादी होगी ,अगर किसी ने तुम्हारे नाखून को भी नुकसान पोहचने की सोची तो वो जिंदा नही बचेगा मेरे हाथों से ,यह आखरी बात उसने अपने बेटो की तरफ देख कर कही थी जिनके विचार वो जान गया था ,अपने मूर्ख बेटो के लिये वो ऐसे बलावान और स्वमिनिष्ठ को खोना नही चाहता था ,भुजंग के सब बेटो के गांण्ड के बाल जल गए थे भुजंग की बात सुनकर वो अब भुजंग का कुछ भी नही कर सकते थे ,अगर कालराक्षस को कुछ भी उन्होंने नुकसान किया तो भुजंग के कहर से वो बच नही पाते थे ,सब अपने गुस्से के वजह से लाल पीले हो रहे थे ,भुजंग ने कालराक्षस से कहा ,तुम्हारा बल तो देख लिया मेंनें अब बारी है तुम्हारे भाई की जरा देखे तो सही वो भी तुम्हारी तरह बलावान है कि नही शिवाय तुम्हे किस के साथ मलयुद्ध करना है ,भुजंग की बात सुनकर उसके सभी बेटो की आंखे एकदम चमक उठी ,कालराक्षस नही उसके भाई को मारने का मौका उन्हें मिल सकता था पर कालराक्षस की बात से उन्हें बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया ,कालराक्षस ने भुजंग से कहा ,महाराज आप शिवाय को लडने मत देना ,यह एक बार किसी के साथ लड़ना शुरू करता है तो वो सामने वाली की जान ही लेकर रहता है ,वो बहुत गुस्सेल है ,उसे अपने गुस्से में कुछ भी याद नही रहता ,वो अपने गुस्से में किसी राजकुमार की जान भी ले सकता है ,बाद में आप ही उसे मार देंगे उसकी हरकत से ,में आपसे विनतीं करता हु ,आप शिवाय को लड़ने के लिये मत कहिए ,कालराक्षस की बात सुनकर भुजंग तो समझ गया कि उसकी बात एकदम सही है ,पर उसके बेटो को यह बात बहुत लग गई थी ,वो अपने पिता की तरफ देखने लगे थे ,उन्हें चिन्ता होने लगी कि उनके पिता इस कालराक्षस कि बात मान न ले ,भुजंग के बेटो में से एक बोला ,डरो मत कालराक्षस हम वादा करते है अगर शिवाय के साथ मल्लयुद्ध में कोई मारा भी गया तो हम या हमारे पिता उसे कोई नुकसान नही करंगे और अगर शिवाय मलयुद्ध में मर गया तो भी तुम बुरा नही मानोगे ,
भुजंग को अपने बेटे की बात से बहुत ज्यादा क्रोध आ गया उसने उसके तरफ देखकर कहा ,कभी भी बात करने से पहले उसके परिणाम भी सोचने चाहिए ,तुमको शिवाय से लड़ने का बहुत ज्यादा शौक है ना ,तो ठीक है में वादा करता हु कालराक्षस शिवाय के हाथों कोई मर भी गया तो में उसे कुछ नहीं करूंगा ,पर शिवाय से कोई हार गया और शिवाय ने उसे नही मारा तो में खुद उसे मार दूँगा ,
भुजंग की बातों से सबको डर लगने लगा था ,पर शिवाय को मार देने का भुत उनके सर से नही उतरा था ,वो शिवाय की तरफ बहुत गुस्से से देख रहे थे ,शिवाय ने भी उसी राजकुमार को चुना जिसने भुजंग से बात की थी ,उसका नाम अशुभ था ,अपने नाम की तरह वो हमेशा बुरे कामो में माहिर था ,सबसे ज्यादा पापी और नीच वही था राक्षसलोक में ,उसके पापों की सजा देने ही शिवाय ने उसे चुना था ,अशुभ बहुत ज्यादा गुस्से में था ,वो बलावान के साथ बहुत ज्यादा बुद्धिशाली भी था ,उसे पता था कि शिवाय की अगर ताकद उससे ज्यादा निकली तो कैसे छल से इसे हराना है ,दोनो आखडे में उतर गए थे ,एक दूसरे की तरफ देख कर वो अंदाजा ले रहे थे ,जहा शिवाय के चेहरे पर मुस्कान थी तो अशुभ के चेहरे पर गुस्सा ,अशुभ ने शिवाय से कहा ,शिवाय तुमने बहुत बड़ी गलती कर दी है मुझे चुनकर ,में तुम्हे मारूंगा नही पर तुम्हे ऐसी जिंदगी दूँगा जो मौत से बद्दतर होगी ,
शिवाय ने उस हसकर कहा ,में भी तुम्हारा नाम अशुभ है ना उसे आज मिटा दूँगा ,मुझे तुम नही तुम्हारा नाम पसन्द नही आया ,इसीलिए मेंनें तुम्हे चुना है ,एक काम करो अपना नाम बदल लो आज से में तुम्हे नही मारूंगा फिर ,किसी दूसरे भाई से लड़ लूँगा ,तुम अपना नाम बदलकर यहा से भाग जाना फिर , शिवाय की बात से अशुभ और ज्यादा गुस्से में आ गया ,अशुभ की बात सबने सुन ली थी ,भुजंग का अखाड़ा ऐसी माया से बना था कि आखडे में लड़ने वाले कि बात सब आराम से सुन सकते थे ,पर शिवाय ने जो कहा था वो किसीने नही सुना था उसकी बजाए उन्हें यह सुनाई दिया कि शिवाय अशुभ से लड़ने से पहले माफी मांग रहा है ,शिवाय कह रहा था कि ,अगर वो यह मुकाबला जीत भी गया तो महाराज भुजंग को आपको मारने नही देगा ,वो महाराज के पैर पकड़ लेगा पर अशुभ को कुछ नही होने देगा ,शिवाय की बात सुनकर भुजंग को भी बहुत खुशी हुवीं की शिवाय भी कालराक्षस की तरह स्वामी निष्ठ है ,पर उसे क्या पता शिवाय कैसी चीज थी ,आज वो अशुभ को सबके सामने बहुत बुरी मौत मारने वाला था ,और अपनी ताकद के साथ सबके मन मे अपना डर बिठाने वाला था ,उसने कालराक्षस को पहले ही समझा दिया था कि क्या करना है ,वो दोनो एक दुसरे के मन मे बात कर रहे थे ,शिवाय के अंदर का रचनाकारजी का अंश कालराक्षस में समा गया था ,यह बात शिवाय को भी पता थी और कालराक्षस को भी ,सीधा रचनाकारजी का अंश कालराक्षस में नही समा सकता था ,क्योकि वो एक पूर्ण राक्षस अंश का था इसलियें पहले वो शिवाय जो एक पिनाकी अंश था उसमे समाया और फिर शिवाय के शरीर से निकल कर कालराक्षस में समा गया था ,अगर सीधा वो कालराक्षस में समा जाते तो कालराक्षस की मौत हो सकती थी ,शिवाय ऐसा था जिसमे रचनाकार ,विश्वेश और महेश तीनो के अंश थे ,उसमे शिवा से भी बहुत ज्यादा ताकद और शक्तिया थी ,दुनिया का यह पहला व्यक्ति था शिवाय जिसमे तीनो के अंश थे ,शिवा भी जितना खास नही था उतना शिवाय खास बन गया था ,इसके पीछे वजह थी भगवान विश्वेश की सोच ,जब त्रिशक्तियो को भुजंग के तीसरे वरदान का पता चला सबसे ज्यादा क्रोधित भगवान विश्वेश ही हो गए थे ,और भुजंग ने उनसे वरदान मांगा की आज के बाद वो किसी को कोई वरदान या शक्ति नही देंगे ,तब उन्होंने उनका सबसे शक्तिशाली अंश शिवाय के लिये बना कर शिवाय में समा दिया था ,भगवान विश्वेश का बस चलता तो वो भुजंग को ही मारने से नही चूकते थे ,पर उनके हाथ भुजंग की तपसाधना से बंधे हुवे थे ,पर भगवान विश्वेश किसी नीच और पापी को कभी नही छोड़ते थे ,उनकी दूर की सोच और बुद्धिमानी से हर कोई परिचित था ,भुजंग को भी सबक सिखाने के लिये उन्होंने ऐसी चाल चली थी भुजंग उसीके बनाये जाल में फंसकर मरने वाला था ,जो खेल पिनाकीजी का था उसमे विश्वेशजी भी अब खेलने वाले थे ,कपट का जवाब कपट से और छल का जवाब छल से देंना कोई उनसे ही सिख सकता था ,और भुजंग के सामने वो खुद एक अंश बनकर शिवाय के रूप में खड़े थे ,जो उनका बहुत ज्यादा प्रिय और पसन्द का था पहले से ,शिवाय की तरफ एक तेज चीख के साथ अशुभ ने छलाँग लगा दी ,शिवाय को जमीन पर गिराकर वो उसकी छाती पर बैठ गया और शिवाय के चेहरे पर अपने तेज मुक्कों की बरसात करने लगा ,शिवाय को अशुभ किसी कुते की तरह मार रहा था ,अपने लात और गुस्से से उसने शिवाय को लहूलुहान कर दिया था ,शिवाय को पटक पटक के अशुभ मार रहा था ,शिवाय भी उसका मार झेल रहा था ,अशुभ गुस्से से पागल हो गया था ,वो मल्लयुद्ध को कबसे छोड़कर शिवा पर अपनी तलवार से वार करने लगा था ,यह गलत होता देखकर भुजंग को कालराक्षस ने कहा ,महाराज आप राजकुमार् को रोक दीजिये ,यह मल्लयुद्ध नही हो रहा है ,शिवाय के हाथ मे कोई शस्र नही है और राजकुमार तलवार से उसे मार रहे है ,
भुजंग कितना भी अच्छा बनने का नाटक करे पर था तो वो अंदर से नीच ही ,उसने कालराक्षस से कहा ,नही अब यह मुकाबला किसी की जान जाने के बाद ही रुकने वाला है ,अगर शिवाय के हाथ मे तलवार होती और अशुभ निहत्था तो भी हम यह मुकाबला नही रोकते ,जब तक दोनो में से कोई मर नही जाता यह मुकाबला नही रुकने वाला ,तुम ही कहते थे ना शिवाय गुस्से में पागल हो जाता है ,जरा हम भी तो देखे तुम्हारे भाई का गुस्सा ,कबसे अशुभ की मार खा रहा है वो ,मुझे नही लगता अशुभ उसे जिंदा छोड़ेगा ,ही ही ही
शिवाय तो कबसे इसी बात का इंतजार था कि कब भुजंग का असली रूप सामने आए, शिवाय भुजंग के सामने ही उसके बेटे को मारने वाला था आज ,कबसे वो अशुभ की मार इसलिये खा रहा था ताकि उसे मारते वक्क्त किसी को यह नही लगे कि जानबूझकर शिवाय ने अशुभ को मारा हो ,सबको वो यही दिखाने वाला था कि अशुभ को अपनी जान बचाने के लिये ही मारना पड़ा उसको ,जैसे ही अशुभ ने अपनी तलवार का एक वार शिवाय पर किया तो शिवाय उसके वार से खुद को बचा लिया ,अशुभ ने शिवाय के बदन पर बहुत से वार किए थे ,पर यह पहला मौका था जब शिवाय खुद को बचा सका हो ,शिवाय अशुभ के वार से बचकर उसे एक तेज मुक्का मार दिया जो सीधा अशुभ के चेहरे पर लग गया ,अब शिवाय ने अशुभ को धोना शुरू कर दिया ,वो अशुभ के हर वार से बच कर उसे धोने लगा था ,उसने अशुभ का चेहरा पूरा खुन से लाल कर दिया था ,अशुभ के मुह से हर एक दांत उसने तोड़ दिया था अपने मुक्कों से ,अशुभ के हाथ से शिवाय ने उसकी तलवार छीन ली थी और उसी तलवार से अशुभ के दोनो हाथ एक पल में काट दिए थे ,कालराक्षस यह देख कर तेजीसी आखडे की तरफ लपक गया पर उसके आने से पहले ही शिवाय ने अशुभ के दोनो पैर काट दिए और उसके सिर को भी एक वार में काट दिया था ,अशुभ का सिर जाकर सीधा भुजंग के पैर में गिर गया था ,भुजंग सहित सभी यह देख कर भौचक्के हो गए थे ,उनके सामने ही अशुभ को शिवाय ने किसी गाजर मूली की तरह काट दिया था ,और वो कुछ भी नहीं कर सके थे ,उन सबका ध्यान कालराक्षस की आवाज से टूटा था ,जो शिवाय को आखडे में मार रहा था ,उसे रोकने सबसे पहले भोकाल ही आगे बढ गया ,उसने कालराक्षस को पकड़ कर शिवाय से दूर कर दिया और शिवाय के सामने खड़े होकर बहुत ही क्रोध से बोला ,कालराक्षस तुम भूलो मत तुम कहा खड़े हो ,मेरे पिता ने वचन दिया था कि शिवाय जीतेगा और किसी को मार भी देगा तो वो कुछ नही कहंगे ,तुम भले ही मेरे पिता के अंगरक्षक बन गए हो ,पर मेरे पिता की बात के खिलाफ तुम गये ,तो तुम्हे में ही मार दूँगा ,
भोकाल की बात सुनकर कालराक्षस बोला ,माफ कर दे राजकुमार पर आप इस नीच को मत बचाइए इसने अपने गुस्से में हमारे राजकुमार को मार दिया है ,यह अपने गुस्से में अपने मालिक को कैसे भूल सकता है ,
भोकाल ,उसे मेरे भाई अशुभ ने कितना मारा यह तुमने नही देखा ,अगर वो अशुभ भाई को नही मारता तो उसका मरना तय था ,हमारा भाई अशुभ और शिवाय में मुकाबला किसी के मरने के बाद ही खत्म होना था ,मेरे पिता ने भी यही कहा था ,उनकी बात हमारे लिये जान से बढ़कर होती है ,तुमने आज के बाद शिवाय को हाथ भी लगाया तो में तुम्हे जान से मार दूँगा ,
भोकाल की बातों से भुजंग भी कुछ नही कर सकता था ,उसे मजबूरन अपना गुस्सा पीना पड़ा ,अपने ही बेटे को मारने वाले को वो कुछ नही कर सकता था ,भोकाल अगर बीच मे नही आता तो भुजंग अपनी बातों को भूल पर शिवाय को जान से मार देता था ,पर भोकाल की बातों से भुजंग भी शांत हो गया ,उसने कहा ,कालराक्षस हम बहादुरी की कद्र करते है ,तुमने पहले ही कहा था कि शिवाय गुस्से में पागल हो जाता है ,हमने ही तुम्हारी बात नही मानी ,शिवाय को गलत भी नही कहा जा सकता ,उसने बस अपनी जान बचाने के लिये ही अशुभ को मारा है ,भोकाल अपने बड़े भाई के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी तुम्हारी है ,यह मुकाबला यही खत्म हुवा ,कालराक्षस और शिवाय तुम दोनो मेरे साथ आओ मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है ,भुजंग दोनो को लेकर राक्षसलोक में कही चला गया ,पीछे उसके सभी बेटे अपने भाई की मौत से बहुत ज्यादा गुस्से में आ गए थे ,सबने सोच लिया था कालराक्षस बिचारा अच्छा है पर इस शिवाय को जिंदा छोड़ना बहुत बड़ी भूल होगी ,इसे मारने पर पिताजी भी कुछ नही कहने वाले ,कालराक्षस ही उनका चहेता है ,शिवाय के मरने पर उन्हें खुशी ही मिलेगी ,
भुजंग उन दोनो को लेकर अपने खास महल में आ गया ,रानी महल में वो नही गया था ,वो उन दोनों को लेकर अपने एक अलग ही महल में आया था ,जिसके बारे में उसके सिवा किसी को नही पता था ,भुजंग उन दोनों को एक कमरे में लेकर आया ,दोनो को बिठाकर वो महल के अन्दर चला गया कुछ देर बाद उसके साथ दो बहुत ही बूढ़े राक्षस आ गए ,भुजंग ने उनसे कहा आप मे से एक इसका इलाज कीजिये और दूसरा विकट के महल में चला जाये ,उसे भी चोट लगी है ,भुजंग की बात सुनकर एक राक्षस वहां से चला गया और दूसरे राक्षस ने शिवाय के शरीर के सारे जख्म कुछ ही पल में ठीक कर दिए अपने पास की दवाइयों से ,फिर भुजंग से विदा लेकर वो भी चला गया ,भुजंग ने कहा ,यह दोनो भाई हमारे राजवैद्य है ,यह हजारो साल के है ,महाराज रावण से भी इनकी उम्र ज्यादा है ,यह दोनो 70 हजार साल से भी ज्यादा उम्र के है ,अपनी तपसाधना और अनुभव से बहुत ज्ञानी बन गए है ,यह सिर्फ़ किसी मरे हुवे को ठीक नही कर सकते ,बाकी हर बीमारी और जख्म को यह पल भर में ठीक कर सकते है ,यह मेरा सबसे खास महल है जिसके बारे में मेरे सिवा कोई नही जानता राक्षसलोक में ,मेरे बेटे और रानीमहल से भी कोई नही इसके बारे में जानने वाला ,यह महल मेंनें राक्षसलोक के नीचे बनाया है ,इसमे सिर्फ में जिसे चाहूं वही यहा आ सकता है ,मेंनें 1000 साल की तपसाधना करके त्रिदेवियों से यह महल बनवाया है ,इसकी माया कोई नही तोड़ सकता ,खुद त्रिशक्ति भी इस माया को नही तोड़ सकते ,मेरे इस महल में क्या होता है ,यहा में क्या करता हु कोई नही जान सकता ,ना त्रिशक्ति ना त्रिदेविया ,इस महल में मेरी बहुत सी ऐसी ताकद और शक्तिया है जिसके बारे में कोई नही जान सकता ,तुम दोनो को में यहा में किस लिये लाया हूं यही तुम सोच रहे हो ना ,हां हा हा ,डरो मत इस महल में किसी के भी मन की बात में सुन सकता हु भले ही वो कोई भी हो ,तुम दोनो के मन को में बाहर भी पढ सकता हु ,मेंनें तुम्हारे मन की हर एक बात जान ली थी ,तुम्हारे बारे में इस महल में आने के बाद मुझे सब पता चल गया है ,तुम दोनो खुद को कोई आम राक्षस समझ रहे होंगे आज तक ,पर तुम दोनो रावण के वंश से हो ,जो कि बहुत बडी बात है राक्षसलोक में ,हमारे राक्षसलोक में मेरे वंश के अलावा तुम दोनो ही रावण के वंश से हो ,में भी तुम दोनो की ताकद से पहले हैरान था कि आम राक्षस में इतनी ताकद और शक्ति कैसे हो सकती है ,पर इस महल में आकर मेरी सभी शंका दूर हो गई है ,अगर तुम दोनो कोई बहरूपिये होते तो तुम्हारा असली स्वरुप यह महल तुरंत दिखा कर बन्दी कर लेता ,पर तुम दोनो में असली राक्षस के अंश है ,और इस महल में जिसके अंदर राक्षस का अंश हो वही टिक सकता है ,मुझे इस बात की बहुत खुशी हुवीं की तुम दोनो असली रावण के वंश से हो ,में तुम्हे आज अपनी बेटियों से मिलाना चाहता हु ,इनके बारे में कोई भी नही जानता ,यह दोनो मेरी तपसाधना के वजह से पैदा हुवीं है ,यह दोनो भी दिव्य शक्तियों के साथ पैदा हुवीं है ,इनके सामने राक्षसलोक में कोई नही टिक सकता में भी इनके सामने कुछ नही हु,इनकी आज तक।शादी नही हुवीं है ,अगर उन दोनों को तुम दोनो में से कोई पसन्द आ गया तो में उनकी शादी उनके पसन्द से करवा दूँगा ,में तो चाहता हु की कालराक्षस से ही दोनो की शादी हो ,तुम बहुत ही अच्छे और भले लगे हो मुझे ,शिवाय का गुस्सा मुझे पसन्द नही है ,पर असली राक्षश की पहचान ही उसका गुस्सा होती है ,तुमने मेरे सामने मेरे बेटे को मार कर अपना गुस्सा दिखाया है ,में चाहता तो तुम्हे मार भी सकता था पर में एक बात से पीछे हट गया ,जो थी मेरी बेटिया वो दोनो भी बहुत गुस्से वाली है ,उनके लिये तुम भी सही हो ,पर दो गुस्से वाले कभी एक नही हो सकते ऐसा में मानता हूं ,देखते है तुम दोनो में से उन्हें कोई पसन्द आता है या नही ,उन दोनों को मेंनें आज तक बहुत से राक्षस वीर को दिखाया था पर उन्हें कोई पसन्द नही आया ,उनके नापसंद करने के बाद मेंनें उन सबको मार दिया था ,अबतक मे ऐसे 16हजार से ज्यादा राक्षसविरो को मार चुका हूं ,अगर उन दोनों ने तुम्हे नापसंद कर दिया तो वो जिसे नापसंद करेगी में उसे मार दूँगा ,
भुजंग के बाद खत्म होने के बाद दो बहुत ही बड़ी और सूंदर राक्षस कन्या वहां पर आ गयी ,वो भी भुजंग ,कालराक्षस और शिवाय की तरह 300 फिट की थी ,एकदम तगड़ी राक्षस कन्या होकर भी वो गजब की सुंदर थी ,दोनो ने आकर अपने पिता को नमन किया ,भुजंग उन दोनों से कहा ,बेटी गजाली और सुहाली यह दोनो भी हमारे राक्षसलोक के है ,भोकाल के साथ यह दोनो हजार साल से पाताल में रहते थे ,मेंनें इन्हें आज तुम्हे दिखाने लाया हूं ,दोनो भी रावण वंश के है और बहुत ही शक्तिशाली और ताक़दवर हे ,विकट और अशुभ को इन्होंने आसानी से हरा दिया ,खास कर इस शिवाय ने तो अशुभ की गर्दन ही काटकर उसे मार दिया ,इतना सुनकर दोनो एकदम गुस्से से पागल हो गयी ,अपने कमर पर लटकी तलवार निकाल कर वो शिवा को मारने ही वाली थी कि ,भुजंग बोला ,रको बेटी ,इन्हें मारो मत मेरे सामने ही यह मुकाबला हुवा था ,मेंनें ही ऐसा मुकाबला लगाया था कि किसी एक को मरना ही था ,इसने जानबूझकर नही मारा अशुभ को ,कालराक्षस और शिवाय दोनो एक दुसरे की तरफ देख रहे थे ,
कालराक्षस मन मे बोला ,मुझे लगता है यह भुजंग आज ही मरने वाला है ,यह दोनो हम दोनो को पसन्द करने से रही ,और भुजंग की औकात नही है हमे मारने की ,यह महल तुझे क्यो नही मिला था अभीतक ,तुझे इस महल के बारे में नही पता था ,
शिवाय ,नही भाई मुझे इस महल के बारे में कुछ भी नही पता ,तूने सुना नही भुजंग ने क्या कहा था कि त्रिदेवियों ने इस महल को बनाया है ,जहा त्रिशक्ति इस महल को नही जान सके आज तक तो हम कैसे जान लेते ,हम तो उनके सिर्फ एक अंश तो है
कालराक्षस ,इस भुजंग ने इस महल में हमे मार दिया तो हम इसका कुछ नही कर पाएंगे ,हमारी कोई भी ताकद यहा काम नही करेगी ,सिर्फ हम मन मे ही बात कर सकते है इस महल में ,अगर हम दोनो में रचनाकार और विश्वेश जी के अंश नही होते तो हम दोनो मन मे भी बात नही कर पाते और पकड़े भी जाते ,
शिवाय ,इसमे एक बात गलत है ,हम दोनो में राक्षस के अंश होने से हम पकड़े नही गये और दूसरी बात एकदम सही है कि हम दोनो में मोजूद रचनाकार और विश्वेश जी के अंश होने से यहा हम दोनो मन मे किसी के सुनाए दिए बिना बात कर सकते है ,
कालराक्षस ,लगता है यह गजाली और सुहाली हम दोनो को मार न दे नापसंद कर के ,
गजाली ,पिताजी हम चाहते है कि हम दोनो जरा इनका दम देख ले ,हम भी तो देखे हमारे भाइयो को मारने वाला कितना पानी मे है
सुहाली ,हा पिताजी आप सही कह रहे है ,आप से हम दोनो बहुत नाराज है ,आपने तपसाधना में जाने से पहले हमारा यहा से बाहर जाना बंद कर दिया था ,आपको पता है कोई असुर और एक राक्षस की पतीं पत्नी है जिन्होंने पूरे राक्षसलोक में बहुत मार काट की है ,हमारे अरबो राक्षस को उन्होंने मार दिया है ,हम अपने जादुई दर्पण में उनकी शक्कल तो नही देख पाए पर हमने एक काम कर दिया था ,लामन को हमने महल से बाहर निकाल दिया था ,वो जल्द ही उनका पता लगा लेगा ,हम दोनो अपने हाथों से उसे मारने वाले है ,में तो बस लामन का ही इंतजार कर रही हु,वो कहा रह गया यह समझ नही आ रहा है ,उसे अबतक तो आ जाना चाहिये था ,
कालराक्षस ने शिवाय के मन मे कहा ,भाई अब यह लामन कौन है ,तू जानता है क्या उसके बारे में ,
शिवाय ,अरे भाई पहले नही जानता था ,पर जब मेरे अंदर विश्वेश जी का अंश आ गया था तब मेंनें उसे देख लिया था ,भाई बहुत खतरनाक चीज़ है यह लामन ,पता नही कहा से लाया है साला यह लामन को भुजंग ,मेरे ख्याल से इसने अपने किसी तपसाधना से ही उसे हासिल किया होगा त्रिदेवियों से ,
कालराक्षस ,पर वो है क्या चीज और अब कहा है वो
शिवाय हसकर बोला ,वो लामन अब मेरे अंदर ही है ,उसे मेंनें तू जहा रहता था वहां से बन्दी बना लिया था ,अगर मेरे अंदर उस वक्क्त त्रिशक्तियो के तीनों अंश नही होते तो में भी इसके हाथो मारा जाता ,यह लामन सिर्फ त्रिशक्ति और त्रिदेवियों के ही वश में आ सकता था ,मेंनें बड़ी मुश्किल से इसे बन्दी।बनाया था ,यह महल में आकर और ज्यादा ताक़दवर हो गया है ,में इसे काबू करने की कबसे कोशिश कर रहा हु पर पता नही यह कबतक मेरे काबू में रहेगा ,
कालराक्षस ,अरे पर है क्या यह लामन यह तो बता मेरे बाप ,कबसे उसके बारे में बता कर मुझे भी डरा रहा है ,पहले यह दोनो राक्षस कन्या कम थी जो तू लामन की बाते बता रहा है ,
शिवाय ,भाई यह लामन ही नही इसकी बीवी लामनी और इसकी दो बेटियां भी इस महल में है ,यह मुझे यही बात बता रहा है ,वो तीनो इससे भी खतरनाक और शक्तिशाली है ,उन तीनों को इस लामन कि कबसे ख़ुश्बू आ रही है ,जब वो तीनो इसे धुंडने यहा पर आएगी तो यह अपने आप मेरे कैद से छूट जाएगा ,
कालराक्षस ,अरे पर यह तो बता यह लामन कौन है ,और उसकी बीवी और बेटिया कौन है ,बाकी कुछ भी मत बोल ,
शिवाय ,एक काम कर एक अपडेट और रुक जा ,उसके बाद तुझे सब पता चल जाएगा ।
 
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Update 110
शिवा जब पाताल में बलि लोक पहुचा तब नेहा को वो जिस कमरे में सोते हुवे छोड़ आया था उस तरफ बढ़ गया ,नेहा को जिस पलँग पर उसने सुलाया था उसे ही उसने अपनी माया से एकदम सुहाग की सेज की तरह सजा दिया ,नेहा के ऊपर से अपनी माया का प्रभाव उसने निकाल दिया और उसे अपने साथ समयमनी मे लेकर आ गया, ,जिसकी वजह से नेहा की आंखे एकदम से खुल गई ,अपने आप को सुहाग की सेज पर सोते देख कर वो खुद से एक बार मुस्कुरा गई ,उसने अपने आप से ही कहा ,चलो यह सपना नही है ,सचमुच में शिवा से शादी कर चुकी हूं,पर जनाब कहा चले गए मुझे यहा सोते हुवे छोड़कर ,उनकी पत्नी इस सुहाग की सेज पर उनकी राह देखते हुवे सो गई और वो खुद कही गायब हो गए है ,
जी मे तो आपकी उठने की ही राह देख रहा था ,आप सोते हुवे इतनी प्यारी लगती है कि दिल नही हो रहा था आपकी नींद में बाधा डाल दु ,शिवा की यह बात सुनकर नेहा एकदम शर्मा गई ,उसने शिवा से कहा ,इस तरह आप हमारी चोरी से बाते सुन रहे है ,आपको ऐसा करना अच्छा लगता है ,
शिवाने कहा ,लो हम हमारी पत्नी के कमरे में बैठना भी चोरी करना हो गया ,आप तो हमे चोर कहकर हम पर इल्जाम लगा रही है ,
नेहा ने अपनी आंखें शिवा की तरफ करके बड़े प्यार से कहा ,आप चोर नही तो क्या है ,एक बार हमें अपनी शक्कल दिखाकर हमारा दिल हमसे चुरा लिया जिसकी हमे भनक तक नही लगी ,दिल के साथ आपने हमारी रातों की नींद और चैन भी तो चूरा लिया ,आप जैसा शातिर चोर आज तक नही देखा मेंनें ,जो एक ही बार मे इतना कूछ कर सके
शिवा ने हसकर कहा ,आप तो एकदम शायर बन गई है ,हमे क्या पता हमारी पत्नी इतनी प्यारी शायराना अंदाज की होगी ,जो अपनी मीठी बातो से ही हमे खुश करने की सोच ही है ,
नेहा तुनकर ,तो आप कैसे खुश होने वाले है हम भी तो जाने आप के मन मे क्या है ,
शिवा ,जी हम तो जिस मुह से इतनी मीठी बोली निकल रही है उसीके लब चूम कर अपना मुह मीठा करने की सोच रहे है ,पर क्या पता इस चोर के नसीब में क्या लिखा है
नेहा ,आप जैसे चोर के नसीब में खुद को हमेशा आपके साथ देखना चाहुंगी ,इस ओठो की क्या बात है आप के लिये तो हम अपनी जान तक हसते हसते देने को तैयार है ,बस आप कहिए तो सही हम एक पल नही गवाएंगे ,
शिवा जो पलँग के बाजू में ही बैठा था एक कुर्सी पर उसने उठकर नेहा के पास जाकर बैठ गया ,नेहा के हाथों को चूमकर बोला ,आप हमारे लिये बहुत ही अनमोल हो ,आप की जान लेने की बात में कभी सोच भी नही सकता ,आप के ऊपर कोई आंच आये यह में कभी बर्दाशत नही कर पाऊंगा ,
नेहा शिवा की बात सुनकर उसके गले लग गई और कहने लगी ,आप मेरा नाम लेकर मुझे बुलाया करे ,इस तरह आप कहकर मत बुलाया करे ,में आपकी पत्नी हु ,में आपको आदर से आप कह सकती हूं ,पर आप मुझे कभी भी मेरे नाम के सिवा कुछ और नही पुकारा करेंगे ,
शिवा ,जैसा आपका हुकुम नेहा ,अब तो खुश हो ना
नेहा ,मेंनें कहा ना सिर्फ नेहा पुकारना आप नही तुम कहकर बोला कीजिये आप,
शिवा ने बिना कुछ बोले इस 20 साल की सुंदर लड़की के नाजुक से ग़ुलाबी होठ चुम लिये,नेहा भी गजब की सुंदर लड़की थी ,अपनी माँ और बाप का मिला जुला रूप लेकर पैदा हुवीं यह लड़की की कमाल की खूबसूरत थी ,एकदम गोरी ,सुंदर सा चेहरा ,नीली आंखे ,ग़ुलाबी फूलों से नाजुक पतले ओठ ,लम्बाई में 5 फिट 8 इंच और फीगर अपनी बहन से थोड़ा कम 34 28 36 पर हर चीज में अपनी बहन को टक्कर देंती थी ,सबसे ज्यादा गजब उसकी गांण्ड थी ,अपने माँ के तरह ही उसकी गांण्ड एकदम गोल थी ,सीमा की दोनो बेटिया कमाल की गांण्ड लेकर पैदा हुवीं थी ,तीनो की गांण्ड में एक ही लन्ड घुसने वाला था ,अचानक शिवा अपने ख्याल से बाहर आया ,उसके चेहरे पर तीनों की गांण्ड मारँने की बात से एक बहुत ही मीठी और शरारती मुस्कान आ गयी थी,
नेहा शिवा के चेहरे को देख रही थी ,उसके चेहरे पर उभरी इस दिलकश मुस्कान से उसे लगा शायद शिवा को उसके होठो को चुमना बहुत पसंद आ गया है ,उसने तुंरत शिवा के ओठो से अपने नाजुक होठ जोड़ दिए और प्यार से उन्हें चुसने लगी ,शिवा को नेहा की ये हरकत बहुत ही ज्यादा पसन्द आ गयी ,वो भी बड़ी चाव से उसका साथ देने लगा ,दोनो बहुत देर तक एक दुसरे के ओठ चुसते रहे ,कभी जीभ को एक दूसरे के मुह में घुस्साकर अपने लार का स्वाद एक दूसरे को दे रहे थे ,इस गर्म जवानी की मीठी हरकत से शिवा का लन्ड फड़फड़ने लगा था ,नेहा तो उसे चूमकर ही अपना दीवाना बना रही थी ,शिवाने अपनी माया से एक ही पल में नेहा को पूरी नंगी कर दिया ,शिवा के सामने अपने आप को एकदम नंगा पाकर नेहा शर्म से लाल हो गयी ,उसने झट से शिवा की बाहो में खुद को छुपा लिया ,शिवा ने नेहा को अपनी बाहो में भरकर ही पलँग पर लेट गया ,दोनो मादरजाद एकदम नंगे एक दूसरे के बाहो में लेटे थे ,नेहा के ऊपर सवार शिवा उसकी नीली आंखों में देख रहा था ,उसे अपने सामने लेटी नेत्रा ही नजर आने लगी थी ,नेहा और नेत्रा की माँ भले ही अलग हो पर दोनो का बाप तो एक ही था ,दोनो काफी हद तक एक दूसरे की तरह ही लगती थी ,शिवा ने बड़े ही प्यार से उसकी आँखों को चूम लिया ,उसके दिल मे नेहा के लिये इतने प्यार की वजह वो समझ गया था ,नेहा में वो कबसे नेत्रा को ही देख रहा था ,हजारो साल तक महानाग का इंतजार किया था उसने फिर अपने जीवन को त्याग दिया उसके मिलने के लिये ,बाद में दूसरा जन्म लेकर वो शिवा की पहली बीवी तो बन गई थी पर उसे उसका हक अभी तक नही मिला था ,पहले शिवा का डर उसे नेत्रा से दूर कर रहा था ,बाद में खुद की ही सोच से बनी एक अजीब शर्त जो नेत्रा को मालूम होने के बाद वो भी उसके पास नही आती थी ,अपनी सब शक्तिया मिलने के बाद ही नेत्रा से मिलन करना ,नेत्रा ने एक बार भी शिवा से कभी जिद नही की थी के उसे शिवा से मिलन करना है ,बहुत सी ऐसी शिवा की जीवन मे औऱते आ चुकी थी जो बिना शादी किये ही शिवा से मिलन कर चुकी थी ,पर नेत्रा को उसका हक अभी तक नही मिल पाया था ,बिना कुछ कहे वो शिवा की बात मान लेती ,शिवा की हर खुशी में वो उसका साथ देते रहती ,अपनी बहनों को शादी के बाद तुरंत ही पतीं का सुख मिल जाने पर वो उनसे ज्यादा खुश होती थी ,सिवाय कुछ मीठे पलो के शिवा ने उसके साथ वक्क्त भी ज्यादा नही बिताया था ,सभी को शिवा के साथ रहकर उससे मिलन करके प्यार मिल जाता था ,तेजा ,केतकी ,मंदा ,हिमांनी उसके साथ मिलन करके उसीकी आत्मा से जुड़ गई थी ,पर नेत्रा तो बिना कुछ कहे उसकी पूरी आत्मा बन गई थी ,उसका प्यार समर्पण त्याग सबसे अलग था ,अपनी माँ के साथ शिवा के संबंध होकर भी वो कुछ नही कहती थी ,अपनी माँ को मिल रही खुशी के लिये वो शिवा को भी कुछ नही कहती थी ,नेत्रा उसके जीवन मे आने के बाद ही शिवा को इतनी शक्तिया मिली थी ,एक तरह से देखा जाए तो शिवा की हर शक्ति उसकी देंन थी ,शिवा उसके साथ मिलन करके उसे खुशी नही तो अपने फायदे के लिये ही उसका इस्तेमाल करने वाला था ,अपनी शक्तियों के इस्तेमाल से नेत्रा भी शिवा जितनी ताक़दवर होने वाली थी ,शिवा की हर ताकद उसमे आने वाली थी ,शायद अपने अंदर की प्राचीन शक्तियो की बदौलत वो शिवासे कही गुना ताक़दवर बनने वाली थी ,उसकी शक्तिया को शिवा अपने ही काम को पूरा करने के लिए करने वाला था ,शिवा की सोच यही थी कि वो अगर मारा गया इस सब मे तो नेत्रा सब सम्भाल लेगी ,भले शिवा के साथ उसके अंश भी ना रहे पर नेत्रा के अन्दर उसकी सारी ताकद और शक्तिया आ जाने से वो मन्दिर के चमत्कारी पथर की रक्षा कर सकती है ,अपनी आंखों में इतनी गहराई से देखने वाले शिवा से नेहा को बहुत ज्यादा प्यार आ रहा था ,उसने अपने मदभरे होठो से उसे चूमकर कहा ,क्या देख रहे है आप मेरी आँखों मे इतनी देर से ,शिवा उसकी आवाज में वापिस अपने खयालो से बाहर आया ,बस अपने आप को देख रहा था ,नेहा बोली ,आप खुद को मेरी आँखों मे धुंड रहे है और आप मेरे दिल मे गहराई तक समा चुके है ,शिवाने नेहा की इतनी प्यारी बात सुनकर उसे फिर से चूमने लगा ,अपने मजबूत पंजो में उसकी गोल चुचिया पकड़ कर मसलते हुवे वो नेहा को पूरी तरह पागल करने लगा ,नेहा बहुत जल्दी गर्म होने लगी थी ,उसकी चुत से निकलती भाप से शिवा की कमर को उसके चुत की गर्मी का अहसास हो रहा था ,शिवा ने नेहा की 34 की चुचिया इतनी सख़्ति से मसल कर एकदम लाल कर दी थी ,नेहा को भी अपनी चुचिया शिवा के हाथों से दबवाने में बहुत मजा आ रहा था ,अपनी चुत को जांघो से रगड़कर उसमे हो रही सनसनी को कम करती शिवा को मजे से चूम रही थी ,शिवाने ने अपना चुम्बन तोड़ कर नेहा की मस्त 34 की चुचिया को अपने मुह में भर कर चूसना शुरू कर दिया ,शिवा उसके छोटे से निप्पल के साथ आधी चुचि अपने मुह में लेकर चूस रहा था ,इतनी मस्त चुचियो को अपने दांतों से काटने में उसे बहुत मजा आ रहा था ,नेहा का तो हाल एकदम बुरा हो रहा था ,अपने मुह से एकदम मदहोशी भरी आवाज निकाल कर शिवा की हरकत के मजे ले रही थी ,शिवा के बालों में अपनी उंगलिया घुमाकर उसके सिर को अपनी चुचियो पर दबा रही थी ,शिवा ने चुचिया चूसकर ही नेहा की चुत से दो बार पानी निकाल दिया था ,अपनी चुत से अमृतधारा की वर्षा करती नेहा एक सुखसागर में डूब चुकी थी ,उसके पुर बदन में एक हल्कापन आ गया था ,शिवा की हर हरकत उसे सुख देने के लिये बहुत थी ,इस लम्बे चौड़े बदन के नीचे फूल सी दबी नेहा पर वो पूरी तरह हावी हो गया था ,नेहा के चुचिया को अच्छी तरह मसल कर उनको पूरा निचोड़ ने बाद शिवा ने अपना मोर्चा नेहा की चुत की तरफ कर दिया ,नेहा की मखमली जांघो को सहलाकर अलग करते हुवे उसने उसकी सुंदर सी चुत को पूरी तरह उजागर कर दिया ,नेहा की चुत एकदम गोरी ग़ुलाबी थी ,उसके पतले से ओठ आपस मे एकदम चिपके हुवे थे ,चुत किसी पावरोटी की तरह एकदम फूली हुवीं थी ,उसकी चुत का छोटासा छेद अपनी लाली की वजह से एकदम खुलकर चमक रहा था ,शिवा ने उस छेद से बहते पानी को अपनी जीभ से चाट लिया ,जिसका नमकीन स्वाद उसे बहुत ज्यादा पसन्द आ गया ,शिवाने नेहा की 36 की मतवाली गांण्ड को भी अपने पंजो से थोड़ा ऊपर कर लिया उसके सामने नेहा के दो अनमोल खजाने एक साथ खुलकर दिखने लगे थे ,उन दो लाल सुर्ख फूलों को शिवा अपनी जीभ से एक साथ चाटने लगा ,नेहा का तो इस मजे से बुरा हाल हो गया था ,एक साथ शिवा उसकी लपलपाती जीभ से चुत और गांण्ड के छेद को चाट रहा था ,नेहा का बदन पूरा कापने लगा था ,शिवा बिना रुके उसकी दोनो छेदो को किसी कुत्ते की तरह चाट रहा था ,नेहा अपनी माँ को याद करती अपने मुह से ऐसी सिसकिया छोड़ रही थी कि शिवा का पूरा रोम रोम खिल उठता था ,वो उतनी ही तेजीसे अपनी जीभ चला रहा था ,शिवा के इस हमले से नेहा खुद को ज्यादा देर तक बर्दाश्त नही कर सकी उसकी चुत भलभला कर झड़ने लगी ,शिवा ने उसके झड़ंने के बाद अपनी जीभ को पूरा नोकदार करके नेहा की चुत में घुसा दिया और उस नमकीन पानी को पिने लगा ,अपनी चुत के अंदर शिवा की जीभ घुस जाने से मानो नेहा का बदन उसके काबू से बाहर हो गया ,शिवा की जीभ उसके चुत में घुसकर उसके अंदरूनी भागो से टकराने लगी ,नेहा अपने झड़ने के बाद अपने बदन में फैल रहे हल्केपन से एकदम से बाहर आ गई उसकी चुत का पानी बहुत तेजी से निरन्तर बहने लगा था ,नेहा की चुत किसी झरने की तरह फुट चुकी थी ,अपने आप को मिल रहे इस अदभुत मजे से नेहा एकदम जोर से सिसिकिया छोड़कर अपने बालों को नोचने लगी ,उसे इस कदर के झटके लग रहे थे अपनी चुत के झड़ने से मानो कोई बिजली का करंट उसके चुत में उठ रहा हो ,पर यह झटके तकलीफ नही असीम खुशी दे रहे थे नेहा को ,नेहा का बदन पूरा पसीने से भीगने लगा था ,उसकी चुत झड़ना बंद ही नही हो रही थी ,और शिवा भी उसकी चुत से अपनी जीभ नही निकाल रहा था ,वो नेहा के चुत से बहते हर कतरे को पी रहा था ,उसकी प्यास हर पल बढ रही थी इस नशीले पानी से ,नेहा की चुत भी बरस कर शिवा के हलक को सुखा नही होने दे रही थी ,न जाने कबतक उसकी चुत झड़ती रही ,जब उसकी चुत से पानी निकलना बंद हो गया तो शिवा ने अपनी जीभ उसके चुत से निकाल कर उसकी पूरी चुत को चाटकर साफ करने लगा ,पूरी चुत को साफ करने के बाद शिवा को अब उसकी जीभ से नेहा की छोटी सी गांण्ड के छेद का स्वाद लेना था ,शिवा ने एक ही पल में अपनी जीभ को नेहा के गांण्ड में नोकदार करके घुसा दिया ,नेहा अपने चुत से इतना पानी बह जाने के कारण एकदम सुस्त हो कर पड़ी थी ,उसके बदन को तो एकदम झटका लग गया शिवा की इस हरकत से ,वो अपने गांण्ड के छेद को अंदर खिंचकर शिवा की जीभ को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी ,पर उसकी नरम गांण्ड के नाजुक से छेद में इतनी ताकद नही थी कि वो शिवा की जीभ को बाहर कर सके ,उल्टा नेहा के हरकत से शिवा की जीभ और गहराई में घुसने लगी ,नेहा का गांण्ड का छेद अपने आप खुलने और बन्द होने लगा ,उसकी गांण्ड में कहर ढाती शिवा की जीभ से नेहा की चुत भी भड़क उठी ,उसकी चुत में इतनी भयानक सनसनी होने लगी कि नेहा एक जोरदार चीख निकाल कर फिर से झड़ने लगी ,शिवा ने नेहा की चुत को फिर मुह में भरकर उसके रस को पीना शुरू कर दिया ,इस बार तो उसकी चुत पहले से ज्यादा पानी छोड़ रही थी ,नेहा तो एक बेहोशी की हालात में पोहच गई थी ,उसकी आँखों के सामने एक अलग ही रोशनी उसे दिख रहीं थी ,नेहा के पूरे बदन में मानो एक सुकून की लहर दौड़ रही थी ,नेहा अपनी आंखें बंद करके लेटी इस पल का मजा ले रही थी ,उसके दिल मे शिवा के लिये अब भुग ही ज्यादा प्यार आने लगा था ,उसे शिवाने ऐसी खुशी दी थी जो नेहा ने कभी सोची भी नही थी ,उसका पूरा रोम रोम शिवा का दीवाना हो गया था ,शिवा ने नेहा की चुत और गांण्ड का स्वाद लेने के बाद नेहा के ऊपर लेट गया ,नेहा ने अपनी आंखें खोल कर शिवा की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी ,नेहा ने बिना कुछ कहे अपनी टाँगे उठाकर शिवा के कमर पर कस दी और शिवा को अपनी बाहो में भर लिया ,शिवाक़े होठो को चूस कर उसने शिवा गर्म लन्ड पर अपनी चुत पर अपनी चुत को घिसने लगी ,शिवा के लन्ड की गर्मी से उसकी चुत एकदम गनगना गई थी ,इतने मोटे और गर्म लन्ड की होती मालिश से उसकी चुत से पानी टपकने लगा ,शिवाने पहले ही अपने लन्ड को तेल से चिकना कर दिया था ,शिवाने भी नेहा की गांण्ड को अपने मजबुत पंजो में दबाकर उसकी चुत पर एक करारा वार कर दिया ,पूरे समयमनी में एक साथ दो चीखे निकल गई थी ,एक तो नेहा की थी जो अपनी चुत में इतना बड़ा और मोटा लन्ड घुस जाने से दर्द से निकल गई थी ,उसकी चुत को पूरी तरह फाड़कर शिवा का लन्ड जड़ तक अंदर घुस गया था ,20 इंच लम्बे और 12 इंच मोटे इस लन्ड ने नेहा की चुत को पूरा फाड़ दिया था ,उसकी चत से खुन की धारा बहकर नीचे गिरने लगी थी ,शिवा का लन्ड उसकी चुत में अंदर तक जाकर गर्भशय के अंदर तक घुसा हुवा था ,नेहा की चुत के गहराई में घुसकर शिवा ने उसकी चुत ही नही फाड़ी थी बल्कि उसके अंदर के बिजली तत्व को भी छेड़ दिया था ,जिसकी वजह से शिवा के लन्ड को बेहद तेज बिजली का झटका लगा था ,शिवा का लन्ड नेहा की चुत में घुसा होने से उसे लगातार बिजली के झटके लगने शुरू हो गए थे ,शिवा के मुह से इस वजह से बहुत ही भयानक चीखे निकल रही थी ,शिवा के अंदर इतनी शक्तिया होकर भी उसे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था ,नेहा का पूरा बदन एक बिजली के जैसा बन गया था ,शिवा किसी बिजली सी बनी लड़की के चुत में अपना लन्ड घुसाकर चीखे निकाल रहा था ,उसके मन मे एक ही ख्याल आ रहा था साला बहनचोद यह क्या चक्कर है ,ऐसा भी कभी होता है ,कोई चोदते हुवे बिजली के झटके भी देता है क्या ,यह नेहा साली इतनी मीठी मीठी बाते करती है और इसकी चुत मेंरे लन्ड को बिजली के झटके दे रही है ,अब इसकी चुत से लन्ड कैसे निकालू ,इसकी चुत ने तो मेरे लन्ड को बहुत ही कसकर पकड़ लिया है ,में इतनी ताकद लगाकर भी इससे दूर नही हो पा रहा हु ,शिवा ने बहुत कोशिश की अपना लन्ड बाहर निकालने की पर वो कामयाब नही रहा ,नेहा ने अचानक अपनी आंखें खोल ली उसकी आंखें एकदम बिजली जैसी सफ़ेद होकर चमक रही थी ,उसने शिवा को एक पल में ही अपने ऊपर से उठाकर बिना चुत से लन्ड निकाले अपने निचे ले लिया ,नेहा ने शिवाक़े ओठो को चूमकर अपनी चुत शिवा के लन्ड पर ऊपर नीचे करना शुरू कर दी ,नेहा के ओठो से भी बिजली के झटके शिवा के मुह से अंदर तक जा रहे थे ,नेहा शिवा को अपने नीचे लेकर बिजली की गति से अपनी चुत उसके लन्ड पर ऊपर नीचे करती उसे चूम रही थी ,नेहा के अंदर से आ रही बिजली का हर झटका उसके पूरे शरीर मे फैलने लगा था ,उसके खुन में भी वो समा रहा था ,शिवा का खुन बहुत गर्म होकर उबलने लगा था ,नेहा की तरह वो भी कुछ ही पलों में एक बिजली में बदल गया ,नेहा की चुत में अब नीचे से शिवा भी बड़ी तेजीसी झटके मारने लगा था ,नेहा की गांण्ड को पकड़ कर उसके चुत को फाडने में लग गया था ,शिवा का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुच गया था ,यह पहली बार शिवा को किसीने चोदते हुवे इतनी तकलीफ दी थी ,उसके लन्ड ने अब अपना सबसे रौद्र रूप धारण कर लिया था ,नेहा की चुत को पूरी तरह उसका लन्ड अब कुचलने लगा था ,शिवा ने एक ही पल में अपने जगह से खड़ा होकर खड़ा हो गया ,नेहा को अपने बाहो में थामकर उसे अपने लन्ड पर बिठाकर उसे चोदना लगा ,नेहा भी अपनी टाँगे शिवा के कमर में कस चुकी थी ,अपनी बाहो को शिवा के गले मे डालकर वो शिवा को चूमती मजेसे चुद रही थी ,शिवा जितना बेरहमी से उसे चोद रहा था उतना उसे मजा आ रहा था ,शिवा के हर धक्के का जवाब वो दुगने तेजीसी उछल उछल कर देने में लगी हुवीं थी ,शिवा ने नेहा की चुत से कितनी बार पानी निकाला और कितनी बार अपना पानी भरा इसकी कोई सीमा नही थी ,नेहा थकने का नाम ही नही ले रही थी ,शिवा ने उसे घोडी बनाकर कुतिया बनाकर हर आसन में चोद लिया था पर वो रुक ही नही रही थी ,उसकी भूख और आग बढ़ती ही जा रही थी ,शिवा भी उसकी चुत में अपना गर्म लावे जैसा वीर्य छोड़ कर उसे शांत करने की कोशिश कर रहा था ,उसकी चुत शिवा का वीर्य अपने अंदर गिरने के बाद कुछ देर तक उसका माल सोखने में लग जाति पर फिर दुगनी तेजीसी उसके लन्ड को अपने अंदर दबाकर और चुदने को तैयार हो जाती ,शिवाने आखिर उसकी गांण्ड में ही लन्ड डालकर उसकी आग बुझाने का फैसला कर लीया ,शिवा ने घोडी बनाकर चुदने वाली नेहा की चुत में अपना लन्ड झड़ंने के बाद जब उसकी चुत ने उसके लन्ड को थोडी देर के लिये ढीला पकड़ा था ,तेजीसे बाहर खीच लिया अपनी चुत से शिवा का लन्ड निकल जाने से नेहा बहुत ज्यादा गुस्से में आ गयी ,वो किसी बिजली की तरह कड़कड़ाने लगी थी ,उसके पूरे बदन से बिजली की बहुत ही भयानक गड़गड़ाहट निकल रही थी, शिवा को भी थोड़ा डर लग रहा थी इस भयानक आवाज से वो सोचने लगा साली यह बिजली से मुझे मार ही ना दे ,पता नही इसकी गांण्ड में लन्ड को कितने झटके खाने होंगे मेरे ,पर आज इसकी गांण्ड तो मार कर ही मरूंगा साली ने बहुत झटके दिए है मेरे लन्ड को ,आज इसकी गांण्ड फाड़कर अपना बदला लेकर रहूंगा ,शिवाने नेहा की गांण्ड को पकड़ कर एक ही हाहाकारी झटके में अपना लन्ड उसकी गांण्ड में जड़ तक घुसा दिया ,शिवा के इस हमले की वजह से नेहा दर्द और गुस्से से बहुत ज्यादा भड़क उठी ,उसकी गांण्ड में उसे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था ,नेहा के मुह से निकलती चीख उंसके बदन में उठने वाली बिजली की आवाज से बड़ी थी ,शिवा को उसकी चीख सुनकर बहुत खुशी हुवीं ,वो बेरहमी से नेहा की गांण्ड फाडने लगा ,नेहा की गांण्ड में भी बिजली के झटके उसे बैठ रहे थे पर वो खुद बिजली का बन गया था जिस वजह से उस झटकों से उसे कुछ भी तकलीफ नही हो रही थी ,नेहा की गांण्ड से लाल खुन निकल कर उसके बिजली से बने सफेद शरीर पर दिखाई दे रहा था ,थोड़ी ही देर में नेहा का शरीर एकदम काला पड़ गया जिसे देखकर शिवा भी हैरान हो गया ,नेहा की गांण्ड को मारना उसने नही रोका था फिर भी ,शिवा का लन्ड और उसका शरीर भी एकदम काला हो गया था ,दोनो के शरीर का हर भाग एकदम अँधरे से भी काला हो गया था पर अन्दर की बिजली भी काली हो गयी थी ,शिवा को कुछ समझ नही आ रहा था पर उसकी कामवासना बहुत ज्यादि बढ़ गई थी ,उसके बदन में बहुत ही ज्यादा गर्मी औऱ ताकद आ गयी थी ,वो नेहा की गांण्ड को और बुरी तरीके से चोद रहा था ,नेहा की चीखें अब बन्द हो गयी थी ,उसके मुह से कामुक सिसकिया निकल रही थी ,वो मजेसे अपनी गांण्ड में शिवा के लन्ड को झेल रही थी ,शिवा बहुत देर उसकी गांण्ड मारता रहा ,एक बार झडने के बाद वापिस उसकी कामवासना भड़क जाती और वो दुगनी तेजी से उसकी गांण्ड मारने लगता था ,नेहा का बहुत ही बुरा हाल कर दिया था शिवा ने गांण्ड मार कर वो लगातार 100 दिनों तक उसकी गांण्ड को ही मार रहा था ,पर उसकी हवस और कामवासना कम नही हो रही थी ,उसके अन्दर एक जानवर जाग गया था जिसकी भूक बहुत ही भयानक हो गयी थी ,नेहा की गांण्ड से लन्ड निकालकर जब उसने नेहा को 100 दिन के बाद छोड़ा तो नेहा ने चैन की सांस ली पर अगले ही पल शिवा ने अपने लन्ड से उसकी चुत को फाड़ना शुरू कर दिया ,अगले 300 दिनों तक शिवा उसे लगातार चोद रहा था ,कभी चुत तो कभी गांण्ड उसका लन्ड नेहा की पूरी कामवासना अब बुझा चूका था ,नेहा तो उसके लन्ड से मार खाकर थक गई थी ,बीच बीच मे शिवा उसके मुह को भी चोदकर उसे अपना माल खिला देता था ,शिवा की भूक पुर 500 दिन खत्म होने के बाद ही शांत हो गयी थी ,दोनो के शरीर अब अपने वास्तविक रूप में आ गए थे ,नेहा तो शिवा का माल पिछले 900 दिनों से खाकर एकदम सुस्त हो गयी थी ,वो शिवा के बाहो में चैन से सो गई ,दोनो एक दूसरे की बाहो में थककर 3 दिन तक सोते रहे ,दोनो बहुत ही ज्यादा सुकून की नींद ले रहे थे ,अपने अंदर की गर्मी नेहा में भरके शिवा भी शांत होकर सो गया था ,जब दोनो की नींद खुली तो नेहा ने शिवा से कहा ,आज आपने एक नही बल्कि दो तरह की बिजली की शक्तियां मेरे अंदर जगा दी है ,एक सफेद बिजली और दूसरी काली बिजली ,आप भी दोनो शक्तिया अपने अंदर समा चुके है ,सफेद बिजली बहुत ही घातक है उससे कोई नही बच पाता पर काली बिजली किसी की रूह तक को जला सकती ,जिनके पास शरीर नही होते उनपर सफेद बिजली का असर नही होता पर काली बिजली हर किसिको को खत्म कर सकती है ,वो आत्मा हो या कोई प्रेत या पिशाच हो ,इस काली बिजली का उपयोग नरक में किया जाता है ,पापी आत्मा को सजा देने के लिऐ ,आज से आपके अंदर दोनो शक्तिया आ गई है ,शिवा को समझ मे आ गया कि उसके और नेहा के बदन के काले होने का मतलब क्या था ,थोड़ी देर दोनो बाते करते रहे फिर शिवा ने उसे समयमनी से बाहर आ गए दोनो पिछले 1200 दिनों से समयमनी में थे ,लेकिन पाताल के बलिलोक में सिर्फ 20 घण्टे ही खत्म हुवे थे ,शिवा ने नेहा को भी सब बताकर नेत्रा और बाकियों के पास छोड़ दिया पाताल के बलि लोक में एक दिन बिताकर भी धरती पर सिर्फ 2 मिनीट ही खत्म हुवे थे ,रीमा को छोड़ने के बाद सिर्फ पांच ही मिनीट में शिवा वापिस आ गया था नेहा को लेकर ,नेहा को देखकर तो सबकी आंखे एकदम फटी रह गई थी ,अपनी बिजली की का तत्व आ जाने से शिवा के साथ इतनी भयानक चुदाई झेलकर आयी नेहा पहले से बहुत ज्यादा सुंदर हो गयी थी ,उसका 34 28 36 का साइज बदलकर 40 30 44 का हो गया था ,अपने सभी बहनो में उसकी गांण्ड एकदम बड़ी हो गयी थी , शिवा उसे सबके पास छोड़कर रिना और मधु के पास चला गया ,शिवा के जाने बाद पायल ने एक शैतानी मुस्कान के साथ नेहा से कहा ,लगता है नेहा को एक ही तरफ से शिवा ने जमकर बजाया है ,इसकी गांण्ड तो देखो ,हमारे खानदान की सभी लड़कियों से बड़ी हो गयी है ,एक ही बार चुद कर ,नेहा थोड़ा सम्भल कर रहना शिवा का भरोसा नही है वो शायद तुम्हारी गांण्ड को दुनिया की सबसी बड़ी ना कर दे,
नेहा भी कम नही थी ,उसने कहा ,तू रुक थोड़े दिन जिस दिन शिवा तेरी लेगा ना पीछे से कसम से कहती हूं ,सबसे बड़ी गांण्ड तेरी होगी ,तुझे पता है ना पानी मे बिजली कितने जोरदार झटके मारती है बुलबुल ही ही ही ।
 
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Update 110
शिवा जब पाताल में बलि लोक पहुचा तब नेहा को वो जिस कमरे में सोते हुवे छोड़ आया था उस तरफ बढ़ गया ,नेहा को जिस पलँग पर उसने सुलाया था उसे ही उसने अपनी माया से एकदम सुहाग की सेज की तरह सजा दिया ,नेहा के ऊपर से अपनी माया का प्रभाव उसने निकाल दिया और उसे अपने साथ समयमनी मे लेकर आ गया, ,जिसकी वजह से नेहा की आंखे एकदम से खुल गई ,अपने आप को सुहाग की सेज पर सोते देख कर वो खुद से एक बार मुस्कुरा गई ,उसने अपने आप से ही कहा ,चलो यह सपना नही है ,सचमुच में शिवा से शादी कर चुकी हूं,पर जनाब कहा चले गए मुझे यहा सोते हुवे छोड़कर ,उनकी पत्नी इस सुहाग की सेज पर उनकी राह देखते हुवे सो गई और वो खुद कही गायब हो गए है ,
जी मे तो आपकी उठने की ही राह देख रहा था ,आप सोते हुवे इतनी प्यारी लगती है कि दिल नही हो रहा था आपकी नींद में बाधा डाल दु ,शिवा की यह बात सुनकर नेहा एकदम शर्मा गई ,उसने शिवा से कहा ,इस तरह आप हमारी चोरी से बाते सुन रहे है ,आपको ऐसा करना अच्छा लगता है ,
शिवाने कहा ,लो हम हमारी पत्नी के कमरे में बैठना भी चोरी करना हो गया ,आप तो हमे चोर कहकर हम पर इल्जाम लगा रही है ,
नेहा ने अपनी आंखें शिवा की तरफ करके बड़े प्यार से कहा ,आप चोर नही तो क्या है ,एक बार हमें अपनी शक्कल दिखाकर हमारा दिल हमसे चुरा लिया जिसकी हमे भनक तक नही लगी ,दिल के साथ आपने हमारी रातों की नींद और चैन भी तो चूरा लिया ,आप जैसा शातिर चोर आज तक नही देखा मेंनें ,जो एक ही बार मे इतना कूछ कर सके
शिवा ने हसकर कहा ,आप तो एकदम शायर बन गई है ,हमे क्या पता हमारी पत्नी इतनी प्यारी शायराना अंदाज की होगी ,जो अपनी मीठी बातो से ही हमे खुश करने की सोच ही है ,
नेहा तुनकर ,तो आप कैसे खुश होने वाले है हम भी तो जाने आप के मन मे क्या है ,
शिवा ,जी हम तो जिस मुह से इतनी मीठी बोली निकल रही है उसीके लब चूम कर अपना मुह मीठा करने की सोच रहे है ,पर क्या पता इस चोर के नसीब में क्या लिखा है
नेहा ,आप जैसे चोर के नसीब में खुद को हमेशा आपके साथ देखना चाहुंगी ,इस ओठो की क्या बात है आप के लिये तो हम अपनी जान तक हसते हसते देने को तैयार है ,बस आप कहिए तो सही हम एक पल नही गवाएंगे ,
शिवा जो पलँग के बाजू में ही बैठा था एक कुर्सी पर उसने उठकर नेहा के पास जाकर बैठ गया ,नेहा के हाथों को चूमकर बोला ,आप हमारे लिये बहुत ही अनमोल हो ,आप की जान लेने की बात में कभी सोच भी नही सकता ,आप के ऊपर कोई आंच आये यह में कभी बर्दाशत नही कर पाऊंगा ,
नेहा शिवा की बात सुनकर उसके गले लग गई और कहने लगी ,आप मेरा नाम लेकर मुझे बुलाया करे ,इस तरह आप कहकर मत बुलाया करे ,में आपकी पत्नी हु ,में आपको आदर से आप कह सकती हूं ,पर आप मुझे कभी भी मेरे नाम के सिवा कुछ और नही पुकारा करेंगे ,
शिवा ,जैसा आपका हुकुम नेहा ,अब तो खुश हो ना
नेहा ,मेंनें कहा ना सिर्फ नेहा पुकारना आप नही तुम कहकर बोला कीजिये आप,
शिवा ने बिना कुछ बोले इस 20 साल की सुंदर लड़की के नाजुक से ग़ुलाबी होठ चुम लिये,नेहा भी गजब की सुंदर लड़की थी ,अपनी माँ और बाप का मिला जुला रूप लेकर पैदा हुवीं यह लड़की की कमाल की खूबसूरत थी ,एकदम गोरी ,सुंदर सा चेहरा ,नीली आंखे ,ग़ुलाबी फूलों से नाजुक पतले ओठ ,लम्बाई में 5 फिट 8 इंच और फीगर अपनी बहन से थोड़ा कम 34 28 36 पर हर चीज में अपनी बहन को टक्कर देंती थी ,सबसे ज्यादा गजब उसकी गांण्ड थी ,अपने माँ के तरह ही उसकी गांण्ड एकदम गोल थी ,सीमा की दोनो बेटिया कमाल की गांण्ड लेकर पैदा हुवीं थी ,तीनो की गांण्ड में एक ही लन्ड घुसने वाला था ,अचानक शिवा अपने ख्याल से बाहर आया ,उसके चेहरे पर तीनों की गांण्ड मारँने की बात से एक बहुत ही मीठी और शरारती मुस्कान आ गयी थी,
नेहा शिवा के चेहरे को देख रही थी ,उसके चेहरे पर उभरी इस दिलकश मुस्कान से उसे लगा शायद शिवा को उसके होठो को चुमना बहुत पसंद आ गया है ,उसने तुंरत शिवा के ओठो से अपने नाजुक होठ जोड़ दिए और प्यार से उन्हें चुसने लगी ,शिवा को नेहा की ये हरकत बहुत ही ज्यादा पसन्द आ गयी ,वो भी बड़ी चाव से उसका साथ देने लगा ,दोनो बहुत देर तक एक दुसरे के ओठ चुसते रहे ,कभी जीभ को एक दूसरे के मुह में घुस्साकर अपने लार का स्वाद एक दूसरे को दे रहे थे ,इस गर्म जवानी की मीठी हरकत से शिवा का लन्ड फड़फड़ने लगा था ,नेहा तो उसे चूमकर ही अपना दीवाना बना रही थी ,शिवाने अपनी माया से एक ही पल में नेहा को पूरी नंगी कर दिया ,शिवा के सामने अपने आप को एकदम नंगा पाकर नेहा शर्म से लाल हो गयी ,उसने झट से शिवा की बाहो में खुद को छुपा लिया ,शिवा ने नेहा को अपनी बाहो में भरकर ही पलँग पर लेट गया ,दोनो मादरजाद एकदम नंगे एक दूसरे के बाहो में लेटे थे ,नेहा के ऊपर सवार शिवा उसकी नीली आंखों में देख रहा था ,उसे अपने सामने लेटी नेत्रा ही नजर आने लगी थी ,नेहा और नेत्रा की माँ भले ही अलग हो पर दोनो का बाप तो एक ही था ,दोनो काफी हद तक एक दूसरे की तरह ही लगती थी ,शिवा ने बड़े ही प्यार से उसकी आँखों को चूम लिया ,उसके दिल मे नेहा के लिये इतने प्यार की वजह वो समझ गया था ,नेहा में वो कबसे नेत्रा को ही देख रहा था ,हजारो साल तक महानाग का इंतजार किया था उसने फिर अपने जीवन को त्याग दिया उसके मिलने के लिये ,बाद में दूसरा जन्म लेकर वो शिवा की पहली बीवी तो बन गई थी पर उसे उसका हक अभी तक नही मिला था ,पहले शिवा का डर उसे नेत्रा से दूर कर रहा था ,बाद में खुद की ही सोच से बनी एक अजीब शर्त जो नेत्रा को मालूम होने के बाद वो भी उसके पास नही आती थी ,अपनी सब शक्तिया मिलने के बाद ही नेत्रा से मिलन करना ,नेत्रा ने एक बार भी शिवा से कभी जिद नही की थी के उसे शिवा से मिलन करना है ,बहुत सी ऐसी शिवा की जीवन मे औऱते आ चुकी थी जो बिना शादी किये ही शिवा से मिलन कर चुकी थी ,पर नेत्रा को उसका हक अभी तक नही मिल पाया था ,बिना कुछ कहे वो शिवा की बात मान लेती ,शिवा की हर खुशी में वो उसका साथ देते रहती ,अपनी बहनों को शादी के बाद तुरंत ही पतीं का सुख मिल जाने पर वो उनसे ज्यादा खुश होती थी ,सिवाय कुछ मीठे पलो के शिवा ने उसके साथ वक्क्त भी ज्यादा नही बिताया था ,सभी को शिवा के साथ रहकर उससे मिलन करके प्यार मिल जाता था ,तेजा ,केतकी ,मंदा ,हिमांनी उसके साथ मिलन करके उसीकी आत्मा से जुड़ गई थी ,पर नेत्रा तो बिना कुछ कहे उसकी पूरी आत्मा बन गई थी ,उसका प्यार समर्पण त्याग सबसे अलग था ,अपनी माँ के साथ शिवा के संबंध होकर भी वो कुछ नही कहती थी ,अपनी माँ को मिल रही खुशी के लिये वो शिवा को भी कुछ नही कहती थी ,नेत्रा उसके जीवन मे आने के बाद ही शिवा को इतनी शक्तिया मिली थी ,एक तरह से देखा जाए तो शिवा की हर शक्ति उसकी देंन थी ,शिवा उसके साथ मिलन करके उसे खुशी नही तो अपने फायदे के लिये ही उसका इस्तेमाल करने वाला था ,अपनी शक्तियों के इस्तेमाल से नेत्रा भी शिवा जितनी ताक़दवर होने वाली थी ,शिवा की हर ताकद उसमे आने वाली थी ,शायद अपने अंदर की प्राचीन शक्तियो की बदौलत वो शिवासे कही गुना ताक़दवर बनने वाली थी ,उसकी शक्तिया को शिवा अपने ही काम को पूरा करने के लिए करने वाला था ,शिवा की सोच यही थी कि वो अगर मारा गया इस सब मे तो नेत्रा सब सम्भाल लेगी ,भले शिवा के साथ उसके अंश भी ना रहे पर नेत्रा के अन्दर उसकी सारी ताकद और शक्तिया आ जाने से वो मन्दिर के चमत्कारी पथर की रक्षा कर सकती है ,अपनी आंखों में इतनी गहराई से देखने वाले शिवा से नेहा को बहुत ज्यादा प्यार आ रहा था ,उसने अपने मदभरे होठो से उसे चूमकर कहा ,क्या देख रहे है आप मेरी आँखों मे इतनी देर से ,शिवा उसकी आवाज में वापिस अपने खयालो से बाहर आया ,बस अपने आप को देख रहा था ,नेहा बोली ,आप खुद को मेरी आँखों मे धुंड रहे है और आप मेरे दिल मे गहराई तक समा चुके है ,शिवाने नेहा की इतनी प्यारी बात सुनकर उसे फिर से चूमने लगा ,अपने मजबूत पंजो में उसकी गोल चुचिया पकड़ कर मसलते हुवे वो नेहा को पूरी तरह पागल करने लगा ,नेहा बहुत जल्दी गर्म होने लगी थी ,उसकी चुत से निकलती भाप से शिवा की कमर को उसके चुत की गर्मी का अहसास हो रहा था ,शिवा ने नेहा की 34 की चुचिया इतनी सख़्ति से मसल कर एकदम लाल कर दी थी ,नेहा को भी अपनी चुचिया शिवा के हाथों से दबवाने में बहुत मजा आ रहा था ,अपनी चुत को जांघो से रगड़कर उसमे हो रही सनसनी को कम करती शिवा को मजे से चूम रही थी ,शिवाने ने अपना चुम्बन तोड़ कर नेहा की मस्त 34 की चुचिया को अपने मुह में भर कर चूसना शुरू कर दिया ,शिवा उसके छोटे से निप्पल के साथ आधी चुचि अपने मुह में लेकर चूस रहा था ,इतनी मस्त चुचियो को अपने दांतों से काटने में उसे बहुत मजा आ रहा था ,नेहा का तो हाल एकदम बुरा हो रहा था ,अपने मुह से एकदम मदहोशी भरी आवाज निकाल कर शिवा की हरकत के मजे ले रही थी ,शिवा के बालों में अपनी उंगलिया घुमाकर उसके सिर को अपनी चुचियो पर दबा रही थी ,शिवा ने चुचिया चूसकर ही नेहा की चुत से दो बार पानी निकाल दिया था ,अपनी चुत से अमृतधारा की वर्षा करती नेहा एक सुखसागर में डूब चुकी थी ,उसके पुर बदन में एक हल्कापन आ गया था ,शिवा की हर हरकत उसे सुख देने के लिये बहुत थी ,इस लम्बे चौड़े बदन के नीचे फूल सी दबी नेहा पर वो पूरी तरह हावी हो गया था ,नेहा के चुचिया को अच्छी तरह मसल कर उनको पूरा निचोड़ ने बाद शिवा ने अपना मोर्चा नेहा की चुत की तरफ कर दिया ,नेहा की मखमली जांघो को सहलाकर अलग करते हुवे उसने उसकी सुंदर सी चुत को पूरी तरह उजागर कर दिया ,नेहा की चुत एकदम गोरी ग़ुलाबी थी ,उसके पतले से ओठ आपस मे एकदम चिपके हुवे थे ,चुत किसी पावरोटी की तरह एकदम फूली हुवीं थी ,उसकी चुत का छोटासा छेद अपनी लाली की वजह से एकदम खुलकर चमक रहा था ,शिवा ने उस छेद से बहते पानी को अपनी जीभ से चाट लिया ,जिसका नमकीन स्वाद उसे बहुत ज्यादा पसन्द आ गया ,शिवाने नेहा की 36 की मतवाली गांण्ड को भी अपने पंजो से थोड़ा ऊपर कर लिया उसके सामने नेहा के दो अनमोल खजाने एक साथ खुलकर दिखने लगे थे ,उन दो लाल सुर्ख फूलों को शिवा अपनी जीभ से एक साथ चाटने लगा ,नेहा का तो इस मजे से बुरा हाल हो गया था ,एक साथ शिवा उसकी लपलपाती जीभ से चुत और गांण्ड के छेद को चाट रहा था ,नेहा का बदन पूरा कापने लगा था ,शिवा बिना रुके उसकी दोनो छेदो को किसी कुत्ते की तरह चाट रहा था ,नेहा अपनी माँ को याद करती अपने मुह से ऐसी सिसकिया छोड़ रही थी कि शिवा का पूरा रोम रोम खिल उठता था ,वो उतनी ही तेजीसे अपनी जीभ चला रहा था ,शिवा के इस हमले से नेहा खुद को ज्यादा देर तक बर्दाश्त नही कर सकी उसकी चुत भलभला कर झड़ने लगी ,शिवा ने उसके झड़ंने के बाद अपनी जीभ को पूरा नोकदार करके नेहा की चुत में घुसा दिया और उस नमकीन पानी को पिने लगा ,अपनी चुत के अंदर शिवा की जीभ घुस जाने से मानो नेहा का बदन उसके काबू से बाहर हो गया ,शिवा की जीभ उसके चुत में घुसकर उसके अंदरूनी भागो से टकराने लगी ,नेहा अपने झड़ने के बाद अपने बदन में फैल रहे हल्केपन से एकदम से बाहर आ गई उसकी चुत का पानी बहुत तेजी से निरन्तर बहने लगा था ,नेहा की चुत किसी झरने की तरह फुट चुकी थी ,अपने आप को मिल रहे इस अदभुत मजे से नेहा एकदम जोर से सिसिकिया छोड़कर अपने बालों को नोचने लगी ,उसे इस कदर के झटके लग रहे थे अपनी चुत के झड़ने से मानो कोई बिजली का करंट उसके चुत में उठ रहा हो ,पर यह झटके तकलीफ नही असीम खुशी दे रहे थे नेहा को ,नेहा का बदन पूरा पसीने से भीगने लगा था ,उसकी चुत झड़ना बंद ही नही हो रही थी ,और शिवा भी उसकी चुत से अपनी जीभ नही निकाल रहा था ,वो नेहा के चुत से बहते हर कतरे को पी रहा था ,उसकी प्यास हर पल बढ रही थी इस नशीले पानी से ,नेहा की चुत भी बरस कर शिवा के हलक को सुखा नही होने दे रही थी ,न जाने कबतक उसकी चुत झड़ती रही ,जब उसकी चुत से पानी निकलना बंद हो गया तो शिवा ने अपनी जीभ उसके चुत से निकाल कर उसकी पूरी चुत को चाटकर साफ करने लगा ,पूरी चुत को साफ करने के बाद शिवा को अब उसकी जीभ से नेहा की छोटी सी गांण्ड के छेद का स्वाद लेना था ,शिवा ने एक ही पल में अपनी जीभ को नेहा के गांण्ड में नोकदार करके घुसा दिया ,नेहा अपने चुत से इतना पानी बह जाने के कारण एकदम सुस्त हो कर पड़ी थी ,उसके बदन को तो एकदम झटका लग गया शिवा की इस हरकत से ,वो अपने गांण्ड के छेद को अंदर खिंचकर शिवा की जीभ को बाहर निकालने की कोशिश करने लगी ,पर उसकी नरम गांण्ड के नाजुक से छेद में इतनी ताकद नही थी कि वो शिवा की जीभ को बाहर कर सके ,उल्टा नेहा के हरकत से शिवा की जीभ और गहराई में घुसने लगी ,नेहा का गांण्ड का छेद अपने आप खुलने और बन्द होने लगा ,उसकी गांण्ड में कहर ढाती शिवा की जीभ से नेहा की चुत भी भड़क उठी ,उसकी चुत में इतनी भयानक सनसनी होने लगी कि नेहा एक जोरदार चीख निकाल कर फिर से झड़ने लगी ,शिवा ने नेहा की चुत को फिर मुह में भरकर उसके रस को पीना शुरू कर दिया ,इस बार तो उसकी चुत पहले से ज्यादा पानी छोड़ रही थी ,नेहा तो एक बेहोशी की हालात में पोहच गई थी ,उसकी आँखों के सामने एक अलग ही रोशनी उसे दिख रहीं थी ,नेहा के पूरे बदन में मानो एक सुकून की लहर दौड़ रही थी ,नेहा अपनी आंखें बंद करके लेटी इस पल का मजा ले रही थी ,उसके दिल मे शिवा के लिये अब भुग ही ज्यादा प्यार आने लगा था ,उसे शिवाने ऐसी खुशी दी थी जो नेहा ने कभी सोची भी नही थी ,उसका पूरा रोम रोम शिवा का दीवाना हो गया था ,शिवा ने नेहा की चुत और गांण्ड का स्वाद लेने के बाद नेहा के ऊपर लेट गया ,नेहा ने अपनी आंखें खोल कर शिवा की तरफ देखा तो उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी ,नेहा ने बिना कुछ कहे अपनी टाँगे उठाकर शिवा के कमर पर कस दी और शिवा को अपनी बाहो में भर लिया ,शिवाक़े होठो को चूस कर उसने शिवा गर्म लन्ड पर अपनी चुत पर अपनी चुत को घिसने लगी ,शिवा के लन्ड की गर्मी से उसकी चुत एकदम गनगना गई थी ,इतने मोटे और गर्म लन्ड की होती मालिश से उसकी चुत से पानी टपकने लगा ,शिवाने पहले ही अपने लन्ड को तेल से चिकना कर दिया था ,शिवाने भी नेहा की गांण्ड को अपने मजबुत पंजो में दबाकर उसकी चुत पर एक करारा वार कर दिया ,पूरे समयमनी में एक साथ दो चीखे निकल गई थी ,एक तो नेहा की थी जो अपनी चुत में इतना बड़ा और मोटा लन्ड घुस जाने से दर्द से निकल गई थी ,उसकी चुत को पूरी तरह फाड़कर शिवा का लन्ड जड़ तक अंदर घुस गया था ,20 इंच लम्बे और 12 इंच मोटे इस लन्ड ने नेहा की चुत को पूरा फाड़ दिया था ,उसकी चत से खुन की धारा बहकर नीचे गिरने लगी थी ,शिवा का लन्ड उसकी चुत में अंदर तक जाकर गर्भशय के अंदर तक घुसा हुवा था ,नेहा की चुत के गहराई में घुसकर शिवा ने उसकी चुत ही नही फाड़ी थी बल्कि उसके अंदर के बिजली तत्व को भी छेड़ दिया था ,जिसकी वजह से शिवा के लन्ड को बेहद तेज बिजली का झटका लगा था ,शिवा का लन्ड नेहा की चुत में घुसा होने से उसे लगातार बिजली के झटके लगने शुरू हो गए थे ,शिवा के मुह से इस वजह से बहुत ही भयानक चीखे निकल रही थी ,शिवा के अंदर इतनी शक्तिया होकर भी उसे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था ,नेहा का पूरा बदन एक बिजली के जैसा बन गया था ,शिवा किसी बिजली सी बनी लड़की के चुत में अपना लन्ड घुसाकर चीखे निकाल रहा था ,उसके मन मे एक ही ख्याल आ रहा था साला बहनचोद यह क्या चक्कर है ,ऐसा भी कभी होता है ,कोई चोदते हुवे बिजली के झटके भी देता है क्या ,यह नेहा साली इतनी मीठी मीठी बाते करती है और इसकी चुत मेंरे लन्ड को बिजली के झटके दे रही है ,अब इसकी चुत से लन्ड कैसे निकालू ,इसकी चुत ने तो मेरे लन्ड को बहुत ही कसकर पकड़ लिया है ,में इतनी ताकद लगाकर भी इससे दूर नही हो पा रहा हु ,शिवा ने बहुत कोशिश की अपना लन्ड बाहर निकालने की पर वो कामयाब नही रहा ,नेहा ने अचानक अपनी आंखें खोल ली उसकी आंखें एकदम बिजली जैसी सफ़ेद होकर चमक रही थी ,उसने शिवा को एक पल में ही अपने ऊपर से उठाकर बिना चुत से लन्ड निकाले अपने निचे ले लिया ,नेहा ने शिवाक़े ओठो को चूमकर अपनी चुत शिवा के लन्ड पर ऊपर नीचे करना शुरू कर दी ,नेहा के ओठो से भी बिजली के झटके शिवा के मुह से अंदर तक जा रहे थे ,नेहा शिवा को अपने नीचे लेकर बिजली की गति से अपनी चुत उसके लन्ड पर ऊपर नीचे करती उसे चूम रही थी ,नेहा के अंदर से आ रही बिजली का हर झटका उसके पूरे शरीर मे फैलने लगा था ,उसके खुन में भी वो समा रहा था ,शिवा का खुन बहुत गर्म होकर उबलने लगा था ,नेहा की तरह वो भी कुछ ही पलों में एक बिजली में बदल गया ,नेहा की चुत में अब नीचे से शिवा भी बड़ी तेजीसी झटके मारने लगा था ,नेहा की गांण्ड को पकड़ कर उसके चुत को फाडने में लग गया था ,शिवा का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुच गया था ,यह पहली बार शिवा को किसीने चोदते हुवे इतनी तकलीफ दी थी ,उसके लन्ड ने अब अपना सबसे रौद्र रूप धारण कर लिया था ,नेहा की चुत को पूरी तरह उसका लन्ड अब कुचलने लगा था ,शिवा ने एक ही पल में अपने जगह से खड़ा होकर खड़ा हो गया ,नेहा को अपने बाहो में थामकर उसे अपने लन्ड पर बिठाकर उसे चोदना लगा ,नेहा भी अपनी टाँगे शिवा के कमर में कस चुकी थी ,अपनी बाहो को शिवा के गले मे डालकर वो शिवा को चूमती मजेसे चुद रही थी ,शिवा जितना बेरहमी से उसे चोद रहा था उतना उसे मजा आ रहा था ,शिवा के हर धक्के का जवाब वो दुगने तेजीसी उछल उछल कर देने में लगी हुवीं थी ,शिवा ने नेहा की चुत से कितनी बार पानी निकाला और कितनी बार अपना पानी भरा इसकी कोई सीमा नही थी ,नेहा थकने का नाम ही नही ले रही थी ,शिवा ने उसे घोडी बनाकर कुतिया बनाकर हर आसन में चोद लिया था पर वो रुक ही नही रही थी ,उसकी भूख और आग बढ़ती ही जा रही थी ,शिवा भी उसकी चुत में अपना गर्म लावे जैसा वीर्य छोड़ कर उसे शांत करने की कोशिश कर रहा था ,उसकी चुत शिवा का वीर्य अपने अंदर गिरने के बाद कुछ देर तक उसका माल सोखने में लग जाति पर फिर दुगनी तेजीसी उसके लन्ड को अपने अंदर दबाकर और चुदने को तैयार हो जाती ,शिवाने आखिर उसकी गांण्ड में ही लन्ड डालकर उसकी आग बुझाने का फैसला कर लीया ,शिवा ने घोडी बनाकर चुदने वाली नेहा की चुत में अपना लन्ड झड़ंने के बाद जब उसकी चुत ने उसके लन्ड को थोडी देर के लिये ढीला पकड़ा था ,तेजीसे बाहर खीच लिया अपनी चुत से शिवा का लन्ड निकल जाने से नेहा बहुत ज्यादा गुस्से में आ गयी ,वो किसी बिजली की तरह कड़कड़ाने लगी थी ,उसके पूरे बदन से बिजली की बहुत ही भयानक गड़गड़ाहट निकल रही थी, शिवा को भी थोड़ा डर लग रहा थी इस भयानक आवाज से वो सोचने लगा साली यह बिजली से मुझे मार ही ना दे ,पता नही इसकी गांण्ड में लन्ड को कितने झटके खाने होंगे मेरे ,पर आज इसकी गांण्ड तो मार कर ही मरूंगा साली ने बहुत झटके दिए है मेरे लन्ड को ,आज इसकी गांण्ड फाड़कर अपना बदला लेकर रहूंगा ,शिवाने नेहा की गांण्ड को पकड़ कर एक ही हाहाकारी झटके में अपना लन्ड उसकी गांण्ड में जड़ तक घुसा दिया ,शिवा के इस हमले की वजह से नेहा दर्द और गुस्से से बहुत ज्यादा भड़क उठी ,उसकी गांण्ड में उसे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था ,नेहा के मुह से निकलती चीख उंसके बदन में उठने वाली बिजली की आवाज से बड़ी थी ,शिवा को उसकी चीख सुनकर बहुत खुशी हुवीं ,वो बेरहमी से नेहा की गांण्ड फाडने लगा ,नेहा की गांण्ड में भी बिजली के झटके उसे बैठ रहे थे पर वो खुद बिजली का बन गया था जिस वजह से उस झटकों से उसे कुछ भी तकलीफ नही हो रही थी ,नेहा की गांण्ड से लाल खुन निकल कर उसके बिजली से बने सफेद शरीर पर दिखाई दे रहा था ,थोड़ी ही देर में नेहा का शरीर एकदम काला पड़ गया जिसे देखकर शिवा भी हैरान हो गया ,नेहा की गांण्ड को मारना उसने नही रोका था फिर भी ,शिवा का लन्ड और उसका शरीर भी एकदम काला हो गया था ,दोनो के शरीर का हर भाग एकदम अँधरे से भी काला हो गया था पर अन्दर की बिजली भी काली हो गयी थी ,शिवा को कुछ समझ नही आ रहा था पर उसकी कामवासना बहुत ज्यादि बढ़ गई थी ,उसके बदन में बहुत ही ज्यादा गर्मी औऱ ताकद आ गयी थी ,वो नेहा की गांण्ड को और बुरी तरीके से चोद रहा था ,नेहा की चीखें अब बन्द हो गयी थी ,उसके मुह से कामुक सिसकिया निकल रही थी ,वो मजेसे अपनी गांण्ड में शिवा के लन्ड को झेल रही थी ,शिवा बहुत देर उसकी गांण्ड मारता रहा ,एक बार झडने के बाद वापिस उसकी कामवासना भड़क जाती और वो दुगनी तेजी से उसकी गांण्ड मारने लगता था ,नेहा का बहुत ही बुरा हाल कर दिया था शिवा ने गांण्ड मार कर वो लगातार 100 दिनों तक उसकी गांण्ड को ही मार रहा था ,पर उसकी हवस और कामवासना कम नही हो रही थी ,उसके अन्दर एक जानवर जाग गया था जिसकी भूक बहुत ही भयानक हो गयी थी ,नेहा की गांण्ड से लन्ड निकालकर जब उसने नेहा को 100 दिन के बाद छोड़ा तो नेहा ने चैन की सांस ली पर अगले ही पल शिवा ने अपने लन्ड से उसकी चुत को फाड़ना शुरू कर दिया ,अगले 300 दिनों तक शिवा उसे लगातार चोद रहा था ,कभी चुत तो कभी गांण्ड उसका लन्ड नेहा की पूरी कामवासना अब बुझा चूका था ,नेहा तो उसके लन्ड से मार खाकर थक गई थी ,बीच बीच मे शिवा उसके मुह को भी चोदकर उसे अपना माल खिला देता था ,शिवा की भूक पुर 500 दिन खत्म होने के बाद ही शांत हो गयी थी ,दोनो के शरीर अब अपने वास्तविक रूप में आ गए थे ,नेहा तो शिवा का माल पिछले 900 दिनों से खाकर एकदम सुस्त हो गयी थी ,वो शिवा के बाहो में चैन से सो गई ,दोनो एक दूसरे की बाहो में थककर 3 दिन तक सोते रहे ,दोनो बहुत ही ज्यादा सुकून की नींद ले रहे थे ,अपने अंदर की गर्मी नेहा में भरके शिवा भी शांत होकर सो गया था ,जब दोनो की नींद खुली तो नेहा ने शिवा से कहा ,आज आपने एक नही बल्कि दो तरह की बिजली की शक्तियां मेरे अंदर जगा दी है ,एक सफेद बिजली और दूसरी काली बिजली ,आप भी दोनो शक्तिया अपने अंदर समा चुके है ,सफेद बिजली बहुत ही घातक है उससे कोई नही बच पाता पर काली बिजली किसी की रूह तक को जला सकती ,जिनके पास शरीर नही होते उनपर सफेद बिजली का असर नही होता पर काली बिजली हर किसिको को खत्म कर सकती है ,वो आत्मा हो या कोई प्रेत या पिशाच हो ,इस काली बिजली का उपयोग नरक में किया जाता है ,पापी आत्मा को सजा देने के लिऐ ,आज से आपके अंदर दोनो शक्तिया आ गई है ,शिवा को समझ मे आ गया कि उसके और नेहा के बदन के काले होने का मतलब क्या था ,थोड़ी देर दोनो बाते करते रहे फिर शिवा ने उसे समयमनी से बाहर आ गए दोनो पिछले 1200 दिनों से समयमनी में थे ,लेकिन पाताल के बलिलोक में सिर्फ 20 घण्टे ही खत्म हुवे थे ,शिवा ने नेहा को भी सब बताकर नेत्रा और बाकियों के पास छोड़ दिया पाताल के बलि लोक में एक दिन बिताकर भी धरती पर सिर्फ 2 मिनीट ही खत्म हुवे थे ,रीमा को छोड़ने के बाद सिर्फ पांच ही मिनीट में शिवा वापिस आ गया था नेहा को लेकर ,नेहा को देखकर तो सबकी आंखे एकदम फटी रह गई थी ,अपनी बिजली की का तत्व आ जाने से शिवा के साथ इतनी भयानक चुदाई झेलकर आयी नेहा पहले से बहुत ज्यादा सुंदर हो गयी थी ,उसका 34 28 36 का साइज बदलकर 40 30 44 का हो गया था ,अपने सभी बहनो में उसकी गांण्ड एकदम बड़ी हो गयी थी , शिवा उसे सबके पास छोड़कर रिना और मधु के पास चला गया ,शिवा के जाने बाद पायल ने एक शैतानी मुस्कान के साथ नेहा से कहा ,लगता है नेहा को एक ही तरफ से शिवा ने जमकर बजाया है ,इसकी गांण्ड तो देखो ,हमारे खानदान की सभी लड़कियों से बड़ी हो गयी है ,एक ही बार चुद कर ,नेहा थोड़ा सम्भल कर रहना शिवा का भरोसा नही है वो शायद तुम्हारी गांण्ड को दुनिया की सबसी बड़ी ना कर दे,
नेहा भी कम नही थी ,उसने कहा ,तू रुक थोड़े दिन जिस दिन शिवा तेरी लेगा ना पीछे से कसम से कहती हूं ,सबसे बड़ी गांण्ड तेरी होगी ,तुझे पता है ना पानी मे बिजली कितने जोरदार झटके मारती है बुलबुल ही ही ही ।
 

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