Incest जिन्दगी एक अनाथ की ~written by Goldybull~

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Update 53
काल को नेत्रा की मन की बातों से कुछ पता नही चल पा रहा था ,उसने सोचा अब सीधी बात करना ही ठीक होगा ,
काल,नेत्रा में तुमसे कुछ बाते बताना चाहता हु,शायद तुमको उसके बाद लगे कि में शादी क्यो नही करना चाहता था ,मेरी कुछ मजबूरिया थी जो में सबके सामने तुम्हे नही बता सकता था,तुम मेरी जिंदगी में आने से पहले मेरे साथ बहुत कुछ हुवा है ,जो तुम्हे मुझसे शादिसे पहले जानना चाहिये था ,अगर तुम को मेरी हकीकत पता चली होती तो ,शादी करना तो दूर की बात है तुम मेरी शक्कल भी नही देखना पसंद करती ,
नेत्रा ,आप मुझे कुछ बताने की जगह यह क्यो नही पूछते की मेने आपसे शादी क्यो की अपनी वशीकरण शक्ति का प्रयोग करके ,तो बाते आसान हो जाएगी समंझने में ,
काल ,में कुछ समाझा नही ,तुम आखिर कहना क्या चाहती हो ,
नेत्रा ,आप कुछ मत कहो ,पहले मेरी सारी बात सुनलो ,में आप के बारे में सबकुछ जानती हूं शिवा या काल जो भी आप हो में सबकुछ जानती हूं ,मुझमे सिर्फ वशीकरण की नही बाकी भी शक्तिया है जो आपने पूछी ही नही ,में जिसको भी स्पर्श करती हूं ,उसके बारे में सब कुछ जान जाती हु,में जब किसी को छूती हु तो उसके आज के दिन से उसके जन्म तक कि सब बातें मुझे पता चल जाती है ,आप पहले इंसान है जिसके जन्म के बाद 5 साल का में पता नही कर पायी, पर उसके बाद कि आपके 13 साल की पूरी जिंदगी में जान गयी थी ,भीकु ,शफ़ी चाचा, जीनत ,और उनका परिवार, नरगिस ,पूजा ,मोना, सब जानती हूं में ,आप के कितने लोगों से शारिरिक सम्बन्ध बने ,जीनत चाची से लेकर कल सिनोब और कोकी तक ,सब मालूम है मुझे ,तुम्हे क्या लगा मेरी माँ के साथ तुम्हारे शारिरिक संबंध है यह जानकर में तुमसे शादी करने की बात छोड़कर ,तुमसे नफरत करती ,तुम गलत हो शिवा में तुम्हे देखकर तुम्हे पसन्द करने लगी ,मुकाबले में जितने के बाद जब हम सबसे तुमने हात मिलाया था,उसी वक्त में सब जान गई थी तुम्हारे बारे में सब जानकर तो में तुम्हारी दीवानी हो गई ,तुम हमेशा दूसरे के दिलकी खुशी सोचते हो बजाय अपनी ,ऐसा इंसान कहा मिलता है ,तुमने मेरी माँ की उस वक्त मदत की जब उनकी इज्जत और जान दोनो दाव पर थी ,पर उसके बाद तुमने मेरी माँ के साथ जो शारिरिक सम्बन्ध रखें उसकी वजह से आज मेरी माँ 10 साल बाद खुश दिख रही है ,तुमने मेरी माँ को एक ऐसे गम से निकाला है जो वो मेरे जुड़वा भाई के मौत की वजह से जीना ही भूल गयी थी ,उन्होंने मुझे बहुत प्यार दिया पर वो अपने अंदर के दर्द से कभी निकल ही नही पा रही थी ,पर तुम्हारे साथ शारिरिक सम्बंध बनाने के बाद वो अब जीने लगी है ,हसने लगी है तो सोचो में तुमसे सब जानकर नफरत करती या मोहब्बत, आजकी दुनिया मे थोड़ी ताकत मिलने के बाद लोग अपने फायदे के लिये क्या नही करते ,पर तुम तो इतनी शक्तिया होकर भी एक नौकरी करते हो ,कभी अपने लिये तुमने क्या किया उन शक्तियों की मदद से ,
काल तो नेत्रा के मुह से सब सुनकर उसके मुह को एकटक देख रहा था ,
मेने कल अपने माता पितासे तुमसे आज मेरी शादी करने की जिद इस वजह से कर रहीं थीं कि मुझे पता था तुम मेरी माँ की वजह से कभी मुझसे शादी नही करोगे ,ना काल के रूप में और नाही शिवा के रूप में ,तुम मुझे कभी नही अपनाते ,मुझे पता था कि तुम बड़े पापा की बात कभी नही टालोगे ,तुम उनको अपना भगवान मानते हो ,इसी लिये मेने उनको तुमसे बात करने को कहा ,शायद तुम मान जाओ और मुझे अपना लो , तब बड़े पापा ने मुझे बहुत समझाया कि ऐसी एक दिन में शादी का फैसला गलत है ,में काल से बात करूंगा शादी के लिये पर में उसको कोई जबरदस्ती नही करूँगा ,प्यार कभी मांग कर नही मिलता ,तुम पहले काल को जानो ,कुछ दिन उसके साथ रहकर देखो ,फिर अगर तुम एक दूसरे को पसन्द करने लगे तो शादी कर लेना ,अब उनको क्या बोलती में की मेने तुम्हे पूरा जान लिया है ,लेकिन में अपने माँ बाप से ज्यादा उनको प्यार करतीं हु ,उनकी बात मेने मान ली कि में कल शादी करने की जिद नही करूंगी ,
लेकिन जब तुम नही माने तो मैंने तुम्हारे सामने आकर तुम्हारा हाथ पकड़कर देखना चाहती थी ,कि मुझे देखने के बाद तुम क्या सोचते हो ,अगर तुम मुझे देखकर पसन्द नही करते तो में कभी तुमको परेशान नही करती ,पर तुमको छूने पर तुम्हे भी मुझमे खिंचाव महसूस होता है यह में जान गई ,लेकिंन जब मैने देखा तुम विशाखा की बहन को बचाने के लिये क्या करने वाले हो तो में डर गई ,जहा तुम जाने वाले हो वहांपर तुम्हे में बहुत काम मे आ सकती पर तुम कभी मुझे अपने साथ नही लेके जाते ,इसलिए मैंने तुमपर अपनी ताकद का इस्तेमाल करके तुमसे शादी की ताकि में एक पत्नी के हक से तुम्हारे साथ चल सकूंगी ,शायद तुम्हे याद होगा बड़े पापा ने तुमसे 10 बार पूछा था शादि से पहले की तुम ये शादी किसी दबाव या मजबूरी में तो नही कर रहे हो ,वो तो परेशान थे कि की 1 मिनट पहले कुछ साल शादी न करने की बाते करने वाला अचानक अभी के अभि शादी के लिए कैसे मान गया ,मैंने तुमसे शादी तुमपर अपनी शक्ति का प्रयोग करके जबरदस्ती की है ,तुमको में पसन्द थी पर तुम मुझसे शादी नही करना चाहते यह बात मुझे पता है ,तुम मुझे जिंदगी भर अपने साथ मत रखना ,बस जब तुम विषलोक जाओगे तुमको मुझे अपने साथ लेकर जाना होगा ,मुझपर किसीभी जहर का असर नही होता ,दुनियका सबसे जहरीला कोबरा के जहर से भी मुझे कुछ नही होता ,और में किसीके भी अंदर के जहर को छूकर उसे बचा सकती हूं ,और यही ताकद तुमको विषलोक में बचा सकती है ,तुमको शायद एक बाद पता नही है पर तुम सिर्फ जहर से मर सकते हों ,तुम्हारी कोई भी शक्ति तुम्हे जहर से नही बचा सकती है ,तुम एक अच्छे इंसान हो मेने तुमसे जबरदस्ती शादी करके भी ,तुमको मेरे आंसू देखकर तकलीफ़ होना ही तुम्हारी इस बात का सबूत है तुम किसी ऐसे के आंसू देखकर भी परेशान होते है जिसने तुमको फसाया हो ,
काल नेत्रा की बातों से सोच में पड़ गया कि यह लड़की तो पूरी पागल है जो मुझे बचाने के लिए मुझसे ही शादी कर बैठी वो भी मुझे वश करके ,इसको समझना थोड़ा मुश्किल होगा मेरे लिये ,में इसके मन की बात जान नही पा रहा हु और यह बस मुझे छुकर ही सब जान लेती है ,
नेत्रा तुम्हे तो मेरे बारे में सब पता है, क्या तुम मुझे तुम्हारे बारे में नही बताओगी ,काल ,
तो इसमें कौन सी बड़ी बात है ,मेरे मन से पढ़कर सब जान लो ,किसने रोक है तुमको ,नेत्रा
में तुम्हारे मन को नही पढ़ पा रहा हु ,काल,
नेत्रा ने काल के हाथ को स्पर्श किया ,आप सचमुच मेरा मन नही पढ़ पा रहे हो ,अजीब बात है यह तो ,और आप को में पागल भी लगती हु ना
काल ने झट से अपना हाथ पीछे खीच लिया ,अरे नही वो में तो ऐसे ही सोच रहा था ,में सच मे थोड़ी तुमको पागल मानता हूं ,
तो एक काम करिए मेरा हाथ को छूकर देखो तो,में पता कर लुंगी तुम क्या मानते हो ,नेत्रा
काल कब से बेड पर नेत्रा के बाजू में बैठकर बात कर रहा था ,वो झटसे दूर हो गया ,नही नेत्रा इसकी कोई जरूरत नही है ,में तुमको कभी पागल नही मान सकता ,
नेत्रा को काल की हरकतें देखकर हँसी आ गई ,आप डरिये मत में आप मुझे कुछ भी कहंगे तो मुझे कभी बुरा नही लगेगा ,
काल अपने मन मे ,साला इससे बचके ही रहना होगा अब ,
नेत्रा ,आप को बता देती हूं में मेरे बारे में ,मुझमे बचपन से शक्तिया नही है पिछले 3 महीने से मुझमे यह शक्तिया आ गई है ,3 महीने पहले जब में पायल का हाथ पकड़ ली बाते करते वक्त तब मुझे पायल की जिंदगी ही देखने लगी किसी फिल्म की तरह तब में बहुत डर गई थी यह क्या हो रहा है मेरे साथ फिर यही बात पूजा ,मोना को छूकर देखने के बाद भी हुवीं ,उसके बाद मुझे तो लोगो को छूकर उनके बारे में जानने की आदत ही पड़ गई ,इसीमे मुझे यहभी पता चला कि में किसी को छूकर उसे जो कहु करवा सकती हूं, ऐसे ही एक दिन सड़क पर एक आदमी बेहोश पड़ा था ,उसके बारे में जानने के लिये मेने उसको छुकर देखा तो वो 1 मिनट में उठकर बैठ गया ,उसे छूने से मुझे पता चल गया था कि उसे एक जहरीले सांप ने काटा था ,में तब समझ गई के मेरे स्पर्श करने से ही वो ठीक हो गया है ,नही तो वो मरने वाला आदमी ऐसे कैसे उठकर बैठ जाता बिनकोई इलाज करने के
उसके बाद मेने हर तरह के जहरीले जानवर काटने वाले लोगों को अस्पताल में ढूंढ कर उन्हें छुकर देखती और ठीक कर देती ,यह में लोगो की मदद करने के लिए करती पर उनको में कोई पागल लगती ,मेने फिर खुद पर भी जहर का प्रयोग करके देखा ,मेने खुद को कितने ही जहरीले साँप से कटवाकर देखा ,मार्केट से सबसे जालिम जहर खरीद कर पीकर देखा पर मुझ पर किसी भी दवा का असर ही नहीं हुवा,तुमको यकीन नही होगा में बड़े पापा से कहकर जंगल से जहरीले साँप मंगवाती के हमे कॉलेज के वाइल्ड लाइफ प्रोजेक्ट में लगने वाला है ऐसा बोलकर ,उन सापो को भी खुद को कटवाकर देखा पर कभी कोई असर नही हुवा मुझपर ,काल एक काम करना तुम विशाखा को मुझे काटने को बोलो, में उसके जहर को एक बार जरूर अपने ऊपर क्या असर होता है यह देखना चाहती हु,
काल ,तुम पागल तो नही हों वो 50 फिट की विशाखा सैकड़ो साल पुरानी नागिन है वो कोई मामूली साँप नही है ,सर्पलोक के सबसे जहरीले भगवान वासुकि के वंश से है,उसके सिर्फ साँस लेने से ही उसके आसपास के 25 फिट के दायरे में आनेवाला कोई नही बचता , कोई हाथी भी उसके सांस के दायरे में आया तो गल जाएगा औफ तुम उससे खुद को कटवाना चाहती हो ,
नेत्रा ,देखो इस काम मे तुम्हारे दो फायदे है ,अगर विशाखा के जहर से में मर गईं तो आपके पीछे का सरदर्द कम हो जाएगा और बच गई तो आपको यह पता चल जाएगा कि मुझपर विशाखा के जहर का असर नही होता तो विषलोक में आपको मुझे लेकर जाने से फायदा ही होगा ,
काल मन मे इस को पागलपन कहे या इश्क का जुनून ,इस लड़की में दम तो है विशाखा से खुद को कटवाने को बोल रही है ,उस विशाखा से तो मेरी भी अब फटने लगी है कि में जहर से मर सकता हु ,अच्छा हुवा की में कल उससे और उसकी बहन से दूर था ,अब इसको कैसे समाझाया जाए ,
नेत्रा ,आप सिनोब और कोकी के पास जाकर आराम करे ,सुबह इस रूम में जल्दी आ जाना ,आप को लग रहा होगा कि में आपसे आज जबरदस्ती सुहागरात मनाने वाली हु ,यह बेडरूम तो मेरी चाची और बहनो ने सजाया था मुझे यह बात पता भी नही थी ,आप बिलकुल भी चिंता न करे में कभी आपके साथ सोने की ,या पत्नी का हक देने की जिद नही करूंगी ,एक को छोड़कर वो है विषलोक साथ लेकर जाने की ,वहां से आने के बाद आप कभी मुझसे नही मिले तो भी चलेगा ,आप अपनी जिंदगी जैसी जीना चाहे जी सकते है ,में कभी आपके रास्ते की रुकावट नही बनने वाली ,में आपके बिना रह लुंगी जिंदगी में यह मानकर की आप ठीक है ,खुश है ,इसका यह मतलब नही है कि में आपसे प्यार नही करती ,में सचमुच आपसे बहुत प्यार करती हूं ,आपने मेरे साथ शादी की ,मेरी मांग भरी ,मुझे अपनी पत्नी बनाया यही बात मेरे लिए जीवनभर खुशी देता रहेगा ,चाँद को तो हर कोई चाहता है,इसका मतलब यह नही की वो सबकी किस्मत में होता है ,आप जाइये और सुबह जल्दी आ जाइए ,
काल कुछ देर नेत्रा को देखता रहा और फिर सिनोब वाले कमरे में लौट आया ,दोनो शिवा के ऐसे जाने से चिंता में सोए नही थे ,शिवा जब कमरे में वापिस आया तो उसने उन्हें सब बता दिया क्या हुवा उसके साथ ,सिनोब को उसने पूछा कि वो नेत्रा की मन की बात पहले जान लेता था अब क्यों उसके मन की बात नही जान पाता ,
सिनोब ने कुछ देर सोचकर ,शायद वो अब तुम्हारी पत्नी बन जाने से ऐसा हुवा हो ,या दूसरी कोई और वजह हो,यह तो तुमको ही पता करना पड़ेगा ,पर तुम्हारी दूसरी सीढी विशाखा और सर्पिणी है अब ।
 
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Update 54
रात को जब सिनोब को लगा शिवा आज परेशान है वो कुछ नही करेगा सो जाएगा
सुबह जब काल नेत्रा के कमरे में पहुचा तो उसके दाएं पैर में दर्द हो रहा था ,बहुत दिनों बाद काल को कोई ऐसी शारीरिक पीड़ा हो रही थी उसके पैर के अंगूठे और उसकी बाजू की उंगली के बीच मे उसे ऐसा महसूस हो रहा था मानो उसमे कोई पतली सुई घुसी हुवी हो,वहां कोई जख्म नही था ,जो उसने नहाते वक्त भी देख लिया था पर कुछ नहीं था ,पर दर्द बरकार था ,
नेत्रा बेड पर सो रही थी , वो रातभर रोती रही ऐसा उसकी आँखों की आसपास के सूखे आसु उसकी गवाही दे रही थी ,काल को नेत्रा को ऐसे हाल में देखकर बुरा लग रहा था ,उसने नेत्रा को आवाज देकर उठाया तो दूसरे आवाज में ही वो उठ गई ,अपने सामने काल को देखकर वो खुश हो गई थी ,आप बैठिए में अभी नहाकर आती हु ,जब नेत्रा बाथरूम में नहाने गई तो उसके चलने में थोड़ी लड़खड़ाहट थी , नेत्रा नहाने गई तभी दरवाजे पर किसीने दस्तक दी ,दरवाजे पर सिमा चाची थी उनके हाथ मे चाय की ट्रे थी ,उन्होंने वो लाकर टेबल पर रख दी और एक चाय काल को देकर बिस्तर के तरफ देखने लगी ,
उनके चेहरे पर हँसी और आंखों में शरारत थी ,आप ने हमारी फूल सी बच्ची को ज्यादा सताया तो नही जमाइराजा ,और हसने लगी,
काल उसकी मन की बातों से समझ गया कि बेड पर बिछी सफेद चादर पर बीच के हिस्से में खून के धब्बे थे ,उसको देख कर ही सिमा चाची इशारा कर रही थी ,काल कुछ नही बोला ,बादमे नेत्रा के नहाने के बाद वो आ गई उसकी चाल देखकर सिमा ने उसे भी थोड़ा छेडा ,ऐसी ही हल्की फुल्की बाते ,हँसी मजाक सबके साथ करके नाश्ता भी हो गया ,तब नेत्रा ने अपनी माँ से मन्दिर में जाने की बात कही ,निता ने भी खुशी से उसे जाने की अनुमति दे दी ,नेत्रा आज पूरी सुहागन की तरह हरि साड़ी और ब्लाउज ,दोनो हाथो में लाल चुड़ीया ,पाव में पैजब गले मे मंगलसूत्र और मांग में लाल सिंदूर ,नेत्रा दिखने में बहुत खूबसूरत थी ,नीली आंखे ,काले लम्बे बाल ,दूध सी गोरी ,36 28 36 की कमाल की फिगर ,5 फिट 10 इंच की हाइट ,एक अप्सरा की तरह वो लगती थी ,काल या शिवा की ज़िंदगी मे जितनी भी लडकिया या औरते आयी थी उनमे कोई भी नेत्रा के बराबर नही थी ,नेत्रा की सुंदरता के सामने कोई नही टिकता था सिवाय उसकी माँ निता के ,
नेत्रा तो एक स्वप्न सुंदरी थी ,काल तो नेत्रा को ही एकटक देख रहा था ,नेत्रा काल के पास आकर ,चलिए हमें मन्दिर जाना है ,काल नेत्रा को देखते हुवे कब मन्दिर पहुचा उसे पता ही नही चला ,दोनों ने जाकर माता का जोड़ी से आशीर्वाद लिया,
नेत्रा, आपने कल मेरी मांग मेरे वशीकरण में भरी थी ,क्या आज आप एक बार मेरी मांग बार देंगे अपने होश में ,आखरी बार
काल ने बिना कुछ कहे कहि मन्दिर में रखी लाल सिंदूर उठाकर नेत्रा की मांग भर दी
नेत्रा के आखो में आसु आये पर उसने झट से उसे पोछकर आगे बढ़कर काल के पैर छू लिए
दोनो जब मन्दिर से बाहर आये तब नेत्रा ने कहा,आप विशाखा से बात कीजिये और उनके पास हमे लेकर चलिए ,
काल ने उसकी बात मानने से इनकार कर दिया,उसने बहुत बार मनाया पर काल माना ही नही ,नेत्रा की आंखों में आसु आ गए थे काल के मना करने से ,नेत्रा ने काल के एक हाथ को पकड़ कर उसे अपने वशीकरण में लेकर उसे विशाखा के पास लेकर चलने को कहा ,काल को जब होश आया तो उसने देखा की वो विशाखा की गुफा में खड़ा है और विशाखा अपने पूर्ण नागरूप अपने दाँत नेत्रा के हाथो में गाड़ चुकी है
उसके कुछ करने से पहले ही विशाखा ने अपना जहर नेत्रा के शरीर मे छोड़ दिया था ,रुक जाओ विशाखा वो मर जाएगी ,काल जोर से चिलाकर नेत्रा की तरफ भागा ,विशाखा उसे काटकर वहां से जा चुकी थी ,
नेत्रा का पूरा शरीर नीला पड़ गया था ,उसकी आंखें खुली थी ,उसने काल को अपने पास नही आने दिया
बस 2 मिनीट का समय दीजिए ,और आप रोईए मत,आपकी आँखों मे आसु मुझे बिल्कुल पसंद नही है, एक काम कर सकते है ,में आप को एक बार शिवा के रूप में देखना चाहतीं हु ,अगर में ना बचीं तो आपकी असली शक्कल देखकर जाने का सौभाग्य तो मिलेगा मुझे ,काल ने अपना शिवा का रूप ले लिया था ,और जाकर नेत्रा को गले लगा लिया, शिवा की मुह से निकल गया ,नेत्रा ,मेरी नेत्रा तुम मेरी हो, में तुम्हे कुछ नही होने दूँगा ,तुम पर सिर्फ मेरा ही अधिकार है ,
और शिवा ने अपने ओठ नेत्रा के ओठोसे जोड़कर उसे प्यार से चुसने लगा ,शिवा तो अलग ही दुनिया मे था ,जैसा वो निता के साथ किस करने में खो जाता था ,यह अहसास एकदम अलग था ,नेत्रा का भी हाल शिवा के जैसा ही था ,वो भी अपने प्यार के आगोश में सुधबुध खो चुकी थी ,दोनो ना जाने कबतक अपने होठो का रस एक दूसरे को पिलाते रहे ,दोनो की आत्मा मानो एक हो गयी थी,नेत्रा ने ही किस तोड़ा और शिवा की बाहो से निकल गई ,नेत्रा का चेहरा शर्म से पूरा लाल पड़ गया था ,उसकी वजह थी किस करते वक्त शिवा के हाथ नेत्रा के गांड़ को इतना मसल रहे थे कि वो किस करते करते ही झड गई थी ,शिवा भी अपने काल के रूप में कब का आ गया था ,नेत्रा को विशाखा के जहर का कुछ भी असर नही हुवा था वो एकदम ठीक थी,
काल को अब अच्छा लग रहा था ,नेत्रा खुद ठीक कर रहीं थी ,काल ने उसकी पूरी होठो की लाली खा ली थी ,उसके बाल ,उसकी साड़ी ,सब बिखर गए थे ,नेत्रा को देखता काल याद कर रहा था, कैसे उसने काल को अपने वश में करके उसे पहले विशाखा की गुफा में लाया ,फिर विशाखा को गुफा में बुलाया ,काल ने विशाखा को कहा वो नेत्रा को काटे ,वो मान नही रहीं थी ,तब काल ने कहा कि तुम इसको काटों इसे कुछ नही होगा,इसकी खुद की इच्छा है कि तुम इसके अंदर अपने जहर को जितना भर सकती है भरो ,लगे तो तुम इसे पूछ लो ,तो नेत्रा ने भी उसे कहा कि वो खुद ऐसा चाहती है ,उसके ऊपर किसी जहर का असर नही होता ,पर विशाखा मानी नही ,काल ने उसको फिर धमकी दी कि अगर तुमने इसको नहीं काटा ,तो में तुम्हारी बहन को मार दूँगा ,विशाखा काल की ताकद जानती थी ,इसलिये वो तैयार हो गई काटने को ,तब काल ने कहा इसे काटने के बाद तुम यहाँ से तुरन्त चली जाना और यहा क्या हो रहा है ये देखने के कोशिश भी मत करना ,में तुम्हे बुलाऊंगा तभी तुम यहा आना ,और काल ने जैसा कहा बिचारी विशाखा ने उसे वैसा ही किया था ,काल से यह सब वशीकरण में नेत्रा ने करवाया था ,
नेत्रा ने जैसे ही खुद को ठीक किया तो काल ने फिर उसे पकड़कर चुमना शुरू कर दिया ,पहले नेत्रा थोड़ी अचानक हुवे हमले से डरी फिर उसने अपने आप को काल के हवाले कर के उसका पूरा साथ देने लगी ,इस बार काल ने सिर्फ उसके होंठ ही चूसे ,
नेत्रा तुम मेरी बीवी हो ,और तुम्हारा मुझपर पूरा हक्क है ,पर तुम अपनी वशीकरण शक्ति का प्रयोग कभी मेरे ऊपर नही करोगी ,वचन दो मुझे
नेत्रा ,जी मे कसम खाती हु आज के बाद कभी आपके ऊपर अपनी वशीकरण शक्ति का प्रयोग खुद के फायदे के लिए नही करूंगी ,
काल ,नेत्रा तुमने मुझे पागल समझा है ,मुझे पता है तुम अपने फायदे के लिए, मेरे ऊपर कभी अपनी शक्ति का प्रयोग नही करोगी ,तुम यह कसम लो की कभी तुम मेरे उपर् अपनी वशीकरण शक्ति का प्रयोग नही करोगी ,
नेत्रा ,मेने वही कसम ली है ,और दिन में एक ही कसम ली जाती है ,
काल ,यह किसने कहा, यह किसने बताया तुमको ,
नेत्रा, किसीने नही ,लेकिन में दिन में एक ही कसम लेती हूं
काल को हसी आ गई
नेत्रा जिस दिन तुम और नरगिस साथ मे रहोगी बहुत लोग मारे जाएंगे ,काल
नरगिस दीदी तो मेरी बहुत अच्छी सहेली बन गई है ,और उनके बहुत अहसान है मुझपर नेत्रा ,
वो कैसे ,काल
बिचारी ने कितनी सेवा की अस्पताल में आपकी, उन्होंने आप के लिये अपने भाई को ही काट दिया था ,वो नही होती तो आप हमें कभी नही मिलते ,हम उनके लिए अपनी जान भी दे सकते है हसते हसते ,नेत्रा ,
नेत्रा तुम बिल्कुल पागल हो ,काल,
हा हु में पागल आपके प्यार में ,नेत्रा,
नेत्रा बोलते बोलते अपने दिल की बात बोल गई थी ,इसलिये एकदम चुप हो गई ,
नेत्रा एक काम करना तुम आज अपने माता पिता से बोल दो की आज शाम तुम मेरे साथ अपने घर जा रही हो हमेशा के लिए ,मुम्बई,काल,
नेत्रा भीगी पलको से काल को देख रही थी ,उसकी आँखों से बहते आंसू उसके अंदर के दर्द को बता रहे थे ,
अरे तुम मेरी बीवी हो तो तुम मेरे साथ हिं रहोगी ना हमेशा ,हा अगर तुमको में पसन्द नहीं हूं या तुमको मेरे साथ नहीं रहना तो कोई बात नही ,काल ,
नेत्रा तो रोते हुवे काल के बाहो में सिमट गयी थी ,उसके मुह से रोने की जो आवाज थी ,उसमे उसका दर्द था जो वो कल से अपने दिल मे दबाके बैठी थी ,अपने पति के ,अपने प्यार की बाहो में वो दर्द खुलकर उसके हमदर्द को सुना रहीं थी ,
नेत्रा ,जो लड़की मेरे लिये अपने आप को किसी हजारो साल पुराने साँप के सामने हसते हसते उसके जहरीले दांतो से कटवा सकती है ,उसके प्यार की में क्या कीमत लगा सकता हु ,जो एक दिन बिना साथ रहकर ,इतना प्यार कर सकती है
तो वो मेरे साथ मेरी पत्नी बनकर मुझे कितना प्यार करेगी ,
काल की बाते सुनकर नेत्रा उसकी बाहो ऐसी घुसने लगी मानो वो काल को अपने अंदर समेटने वाली हो ,काल के आगोश में नेत्रा जल्द ही सम्भल गई ,काल ने कहा ,मेरी एक बात मानोगी ,नेत्रा ने कहा ,आप विषलोक साथ मे न जाने की बात छोड़कर कुछ भी कहंगे में वो करूंगी ,
काल ,ठीक है पर तुम वह मेरी हर बात मानोगी, में विशाखा को बुलाता हु
काल ने विशाखा को याद किया वो पल भर में उनके सामने प्रकट हो गई
काल ,विशाखा में तुमसे माफी मांगता हूं मेरी बातों की पर हमें विषलोक जाना था इसलिये मेरी पत्नी को मैने तुम्हे काटने को कहा था ,में कभी तुमको या तुम्हारी बहन को नुकसान नही पहुचा सकता हु ,अब तुम यह बताओ कि विषलोक में कैसे जाते है और वहाँ पर हमें कहा पर मिलेगा अघोर विष ,
विशाखा, काल तुम्हे कैसे पता कि मेरी बहन अघोर विष से ठीक होगी ,और वो विषलोक में मिलता है ,और सबसे बड़ी बात मेरे काटने के बाद 1000 हाथी तक गल जाते है इतना विष निकलता है ,हमारे विष के सामने कोई नही टिक सकता ,हम भगवान वासुकि के वंशज है , हमारे विष के आगे सिर्फ महासर्पिणी कालनेत्री ही जिवित रह सकती है पर वो तो हजारो सालो से लुप्त है ,
काल ,विशाखा कौन थी कालनेत्री ,हमे उनके बारे में विस्तार से सब बाते बताओ ,
विशाखा ,काल सबको यह बात पता है कि भगवान शिव ने हलाहल या कालकूट विष पिया था दुनिया को बचाने तब उसकी एक बूंद गिर गई थी पृथ्वी पर जिसको पीकर ही विषारी जंतुओं में जहर आया था ,उस कालकूट बून्द को बहुत बड़ा हिस्सा एक नागिन ने पिया था ,वो जहर पीकर सामान्य साँप से 20 मुह वाली महासर्पिनी कलनेत्री बन गई ,उसका कोई मुकाबला नही था ,वो बहुत बड़ी शिवभक्त थी ,उसने बहुत ही बड़ेबड़े पापियो को मार गिराया था ,उसने हमेशा धर्म की रक्षा की थी ,बाद में वो कहा गई किसिको मालूम ही नही है,विषलोक ही उसका घर था ,वो वहा की राज कुमारी थी ,उनके ही महल में तुमको अघोर विष मिलेगा ,और विष लोक जाने के लिये तुम्हे प्रयागराज में गंगा में प्रवेश करके जाना होगा ,गंगा नदी में ही गुप्त मार्ग है जो तुम्हे ढूंढना होगा ,वही मार्ग तम्हे विषलोक लेकर जाएगा ।
 
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विशाखा से मिलने के बाद जब नेत्रा और काल घर लौट कर दोपहर का खाना सब के साथ मे खाकर अपने कमरे में आ गए ,नेत्रा ने खाना खाते वक्त ही परिवार में यह बता दिया कि काल और वो कुछ दिनों के लिए बाहर घूमने जा रहे है,
काल,नेत्रा एक बार और सोच लो मेरे साथ तुमको आने की जरुरत नही है ,
नेत्रा ,आप मुझे यह तो बताइये की विशाखा को किसने और क्यो इतना जख्मी किया ,आपने विशाखा के मन से जाना ही होगा सब
काल ,हा आज देखा मेने यह ,सर्पिणी और उस नीमोड राक्षस की लड़ाई हुवीं थी ,450 साल पहले ,वह राक्षस के साथ 3 और साथी थे ,उन चारो ने मिलकर नरभेडिये को मारना शुरू किया था मन्दिर के जंगलों में ,वो चारो इतने जहरीले थे कि कोई नरभेड़िया उनके सामने सास तक नही ले पाता था , उन्होंने कितने ही नरभेडिये को मार दिया था और उसके तीनो साथी सैकड़ो नरभेडिये को बंदी बनाकर काली घाटी ले गए उसी वक्त ,सर्पिणी और विशाखा ने मिलकर उन राक्षसो का मुकाबला किया था ,सर्पिणी ने ही नीमोड के साथी और को मार दिया था ,बाकी दोनो जान बचाकर भाग गये थे,नीमोड ने मरने से पहले विशाखा पर बहुत घातक वार किया था वो सर्पिणी ने अपने ऊपर ले लिया था ,सर्पिणी उस वार से बेहोश हो गयी उस के शरीर पर जो जख्म बने हे वो सिर्फ ,अघोर विष से ही ठीक हों सकते है , विशाखा और उसकी बहन को विषलोक में प्रवेश नही है ,उसकी वजह कालनेत्री है ,जब तक विषलोक में कालनेत्री रहती थी उसकी वजह से कोई भी इन्हें वहां टोकता नही था ,पर कालनेत्री के अचानक गायब होने के बाद उसके भाई ने इन दोनों को वहां पर आने पर पाबंदी लगा दी ,उनको यहीं लगता है कि कालनेत्री को गायब करने में इन दोनों को का ही हाथ है ,वो लोग अब इन दोनों को अपना शत्रु मानते है ,विशाखा ने कितनी बार उनसे अघोर विष मांगा था पर वो लोगो ने इसे कभी नही दिया ,
नेत्रा बोली ,काल हमको आज शाम को ही निकलना चाहियें ताकि हम कल सुबह तक प्रयागराज पहोंच सके
काल ,तुम मानोगी नही ,तुमको विशाखा ने आज स्पर्श किया था और तुम सब जान गई होगी उसके बाद ,फिर भी मुझसे पूछ रही हो ,ताकि में तुमको लेकर न जाने की बात छोड़कर बाकी बाते करता रहूं,
नेत्रा ,आप बहुत समझदार है ,मेरी बातों को समझ जाते है ना ,तो यह भी समझ लीजिये की में आपके साथ ही आने वाली हु ,
नेत्रा मानी नही और शाम को दोनो निकल गए अपनी मंजिल के लिये,
नील बोला, विशाखा तुम कहना चाहती हो की नेत्रा ही कालनेत्री है ,लेकिन वो तो हजारो साल से गायब है
विशाखा ,नील में मेरी बड़ी बहन जितनी तो नही पर हमारे वंश की सबसे जहरीली नागकन्या हु,मेरा जहर तो सर्पलोक के लोग भी नही सह सकते ,हम दोनों बहनों की सांस ही इतनी जहरीली है कि कोई भी हमारी जाती का नाग भी इसे बर्दाशत नही कर सकता , और नेत्रा ने बड़ी आसानी से मेरे जहर को हजम कर गई ,ये सिर्फ कालनेत्री ही कर सकती है ,
और हमारे पिता ने कहा था जो कालनेत्री से विवाह करेगा वही तुमसे भी शादी करेगा ,लेकिन कालनेत्री रही नही और हमे भी आजतक कोई वर मिला ही नही,हम दोनों बहनें अभी तक कवारी इसी वजह से है , आज तक कोई नही मिला जो हमारे सांसो के सामने टिक सके ,
नील ,अगर नेत्रा कालनेत्री है तो फिर काल ही तो तुम दोनो का वर नही
विशाखा, नही ऐसा नही होगा नील काल एक मनुष्य है और हमारा वर कोई महानाग ही हो सकता है ,भले ही नेत्रा ही कालनेत्री हो पर काल हमारा वर नही हो सकता
विशाखा और नील दोनो ही अपने अपने विचारोमे खामोश कितनी देर तक बैठकर अपने अपने रास्ते चले गए,
गंगा नदी के तट पर सुबह के वक्त प्रभु भोलेनाथ के दर्शन करके काल और नेत्रा खड़े थे ,काल ने कहा ,नेत्रा तुम को तैरना तो आता है ना ,और क्या तुम पानी मे इतनी देर तक सांस रोक सकती हो ,
नेत्रा ,में तुमको एक बात और बताती हु में जिसको स्पर्श करती हूं शायद उनके ज्ञान और शक्तियों को भी पा सकती हूं ,तुम पहले इंसान हो जिसे मेने स्पर्श किया था जिसमे शक्तिया थी ,आज में सुबह नहाते वक्त में तुम्हारी रूप बदलने की शक्ति को सोचकर अपना रूप बदलने की कोशिश कर रही थी ,तो में भी अपना रूप बदल रही थी ,जो चाहे वो रूप मैंने बदल कर देखा ,अब यह बात पक्की है कि मुझमे भी तुम जैसी शक्तिया आ गयी है , पानी मे जाकर यह बात की भी पुष्टि कर लेते है ,यह कहकर नेत्रा ने पानी मे छलांग लगा दी ,उसके पीछे काल भी कूद पड़ा ,काल ने देखा नेत्रा गहरे पानी मे उसीका इंतजार कर रही है वो आसानी से पानी मे सास ले रही थी ,तभी काल के मन मे नेत्रा की आवाज आयीं ,आप मेरे पीछे आइए ,मुझे विशाखा के स्पर्श करने के बाद विषलोक का रस्ता पता चला चुका था ,में आपको विषलोक ले चलती हु ,फिर नेत्रा के पीछे काल 10 मिनीट तक तेजीसे पानी मे सफर कर रहा था ,नेत्रा की पानी मे तैरने की स्पीड काफी तेज थी ,काल मन में उसकी इस स्पीड के तारीफ करता उसके पीछे ही चल रहा था ,नेत्रा एक जगह रूक गई जहा नदी के तल में बहुत बड़ा गड्ढा था ,नेत्रा ने काल का हाथ पकड़ा और उसके मन मे कहा कि उसका हाथ वो अब यहां से बाहर आने के बाद ही छोड़े और दोनो उस गड्ढे में उतर गए वो काफी गहरा और अंधेरे से भरा था ,पर दोनो उस अंधेरेमे आसानी से देख पा रहे थे ,दोनो ना जाने कितनी देर तक उस गहराई में सफर कर रहे थे पर वो गहराई खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी ,उनके उस सफर में वो अकेले ही थे ,ना कोई जीव ,ना मछली बस अंधेरे से भरा पानी ,कुछ देर बाद वो एक बहुत बड़ी गुफा के सामने पहुचे ,उस गुफा के नीचे वो अंधेरा गड्ढा गहराई तक फैला था ,नेत्रा ने काल का हाथ पकड़कर उस गुफा में घुस गई ,आप ये गड्ढा देख रहे हो ये नीचे कहा तक गया है कोई नही जानता ,बस ऐसा कहते है कि नीचे कोई महानाग है ,यहा नीचे जाने के लिए विषलोक के सभी लोग भी डरते है ,ऐसा कहा जाता है वो महानाग बहुत ही खतरनाक और विशाल है ,जिसे आजतक किसीने नही देखा है ,पर जो भी नीचे गया था उस कालनाग की तलाश में वो कभी लौटकर नही आया ,हम जिस गड्डे में प्रवेश करके आये थे उसमे का पानी गंगा नदी में कभी नही मिलता ,दोनो पानी हमेशा एक दूसरे से अलग रहते है ,अब हम जिस गुफा में आये है वही हमे विषलोक के दरवाजे तक लेकर जायेगी, तुम अपने आप को सर्पमानव में बदल लो विशाखा की तरह में भी वैसाही रूप लेती हूं ,तुम वहां किसी से कुछ भी बात नही करना ,किसीने कुछ भी पूछा तो उसका जवाब में ही दुंगी ,और यह सोचना बंद करो कि में तुम्हारे मन मे कैसे बात कर रही हु और तुम मुझसे नही कर पा रहे हो ,यह बात का जवाब में भी नही जानती ,
नेत्रा और काल ने सर्प मानव का रूप लेकर एक बहुत बड़े नीले रंग के दरवाजे तक पहुच गये ,उस दरवाजे पर बहुत ही विशाल और भयानक साँप पहरा दे रहे थे ,उनके सामने तो ये दोनों मानो ऐसे लग रहे थे हाथी के सामने कोई बिल्ली का बच्चा हो ,
उन दोनों को देखकर एक साँप आगे आया और पूछा ,कौन हो तुम ,और इस रास्ते से विषलोक में आना मना है यह बात तुमको पता नही है क्या
नेत्रा ,जी हम दोनों सैकडो सालो से गंगा नदी में इच्छाधारी बनने के लिये तप कर रहे थे ,हमे यह बात पता नही थी ,हम दोनों इतने सालों से भूखे प्यासे थे ,कुछ ताकत पाने के लिये विषलोक जाकर विषपान करने जा रहे थे ,आप हमें माफ कर दीजिये ,
वो सांप नेत्रा की बातों से प्रसन्न हुवा ,अति उत्तम सर्पि (बेटी) ,तुम जैसे जवान सर्प ही हमारी उम्मीद रहते है जो अपने आप को हमेशा निखारते है ,तुम विषलोक जा सकती हो, पिछले 400 सालों से यह मार्ग बंद कर दिया था ,पर तुम इन बातों से अनजान थी इसलिये में तुम्हे जाने देता हूं ,इस जवान सर्प की कमजोरी कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है लगता जो बोल नही पा रहा है तुम दोनो अंदर जा सकते हो ,कुछ दिन यहां के जहरीले फल और जहरीले पानी से तुम बहुत जल्द ठीक हो जाओगी ,
नेत्रा ने काल का हाथ पकड़ कर उस दरवाजे के सामने जाकर खड़ी हो गईं तो उस साँप ने दरवाजे की तरफ अपना एक हाथ को किया जिससे एक नीली रोशनी इन दोनों के बदन के साथ दरवाजे के साथ टकरा गई वो दोनो वहां से गायब होकर दरवाजे की दूसरी तरफ विषलोक में प्रवेश कर गए ,यह तो बहुत बड़ा नगर था ,हर तरफ नीली रोशनी फैली हुवीं थी , छोटे बड़े हर तरह के पक्के मकान बने हुवे थे,वहां पर बहुत बड़े महल भी दिख रहे थे जो अपनी सुंदरता बिखर रहे थे ,बड़ी सड़के ,हर तरफ घने पेड़ ,और बड़ी सी नीली नदी दिख रही थीं जो उस नगर के बीच मे से बह रही थी,सड़को पर काले ,पीले ,हरे रंगों के साँप घूम रहे थे ,उनमे बहुत से सर्पमानव भी थे ,यहा साँप ही नही हर तरह के पक्षी ,जानवर भी दिख रहे थे जो चारो तरफ घूम रहे थे अपने अपने कामो में ,काल यह सब आश्चर्य से देख रहा था ,
आप बस देखते ही रहैंगे क्या ,हमे अघोर विष के बारे में जानकारी लेकर उसे कैसे पाएं ये सोचना चाहिए ,नेत्रा बोली,
काल ,नेत्रा ये काम तुम आसानी से कर सकती हूं मुझसे ज्यादा ,हम किसी ऐसे को ढूंढते है जो राजमहल में काम करता हो ,उसे छुकर तुम आसानी से पता कर लोगी वो अघोर जहर कहा पर रखा है ,
फिर दोनो ने बड़ी मेहनत से एक महल में काम करने वाले राज सेवक को ढूंढ निकाला, उस सेवक को ढूंढने से पहले नेत्रा को 80 से ज्यादा लोगो को स्पर्श करना पड़ा था ,वो राजसेवक को स्पर्श करके उन दोनों को महल में जाने की तरकीब तो मिल गई पर अघोर विष की जानकारी नही मिली ,महल में विषपुर के राजा की बेटी बहुत सालो से बीमार थी ,उसे ना जाने कितने ही जहर पिलाए गये पर वो ठीक ही नही हो रहीं थी ,उसका इलाज करने हमेशा महल में कोई न कोई आता ही था ,तो वो दोनो भी इलाज करने के लिये महल में दाखिल हो गए
विषलोक के राजा का नाम विषदंश था और जो उसकी बेटी थी उसका नाम हिमानी था ,जब काल और नेत्रा ,हिमानी के इलाज के लिये महल में दाखिल हुवे तो उनकी पहले अच्छी तरह से तलाशी और पूछताछ की गई ,फिर सब ठीक लगने पर उन्हें राजा के सामने लेकर गए ,वहा विषदंश नेत्रा को ही देख रहा था एकटक जब वो उसको मिलने आयी थी ,नेत्रा और काल को उसने हिमानी के इलाज की आसानी से इजाजत दे दी थी ,उसकी पत्नी तो हैरान हो गई थी ,जो विषदंश 50 बार सामने वाली की पूरी पूछताछ खुद नही करता तब तक किसी को उसके बेटी का इलाज नही करने देता था, पर आज उसने बिना कुछ सवाल किये उन दोनों को इजाजत दे दी थी ,
जयमाला जो विषदंश की पत्नी थी ,अपने पति से बोली ,आज पहली बार आपने किसी को हिमानी के इलाज के लिये किसिको को बिनपुछे इजाजत कैसे दे दी ,
विषदंश ,जयमाला लगता है तुम यहाँ की रानी रहने के योग्य नही रही अब ,तुमने कुछ देखा नही
जयमाला ,में आपकी तरह इतनी बुद्धिमान नही हु जो सब देख सकू ,आप ही बता दीजिए मुझे
विषदंश ,जयमाला हमने इजाजत किसी और को नही बल्कि हमारी बहन कालनेत्री को दी है ,देखना कुछ पलों में हिमानी बिल्कुल ठीक होकर हम दोनों के सामने खड़ी होगी, हिमानी को ठीक मेरी बहन कालनेत्री के सिवा कोई नही कर सकता ,तुमने राज महल में कालनेत्री के घोड़े की आवाज तो सुनी होगी जो कितने सालो से एक ही जगह खड़ा है हजारो सालो से कालनेत्री की प्रतीक्षा में ,आज वो जिस तरह खुशी में हिनहिना रहा है तभी से हम समझ गए थे कलनेत्री विषलोक में आ गई है , अब हम महानाग को आसानी से मार सकते है ।
 
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Update 56
काल ,नेत्रा मुझे बहुत ही ज्यादा प्यास लगी है ,थोड़ा सा पानी पीले क्या हम
नेत्रा ,काल के मन मे ,यहा की हर चीजमे जहर है खाना पीना यहा तक कि यह हवा भी जहर से भरी हुवीं है ,यहा पर आपने कुछ भी खाया या पिया तो तुम बेहोश हो सकते हो ,भले ही मेने आपका हाथ पकड़ा हो यह जहर आप पर असर करेगा ,आप जो सास ले रहे हो ना यह भी बहुत ज्यादा जहरीली है ,में लगातार आपके शरीर से जहर सोख रही हु अगर में 1 मिनीट के लिये भी आपसे दूर हुवीं ,तो ये आपके लिये बहुत घातक हो सकता है ,इसीलिये कुछ देर के लिये अपनी भूख प्यास पर काबू रखें,आप सिर्फ अपने मन मे बोलते जाइये में आपको जवाब दुंगी ,यहा पर कोई भी हमारी बाते सुन सकता है ,
दोनो को ही सेवको ने हिमानी के कमरे में छोड़ा, एक पूरी नीले बदन की नागिन पलँग पर बेहोश लेटी थी ,वो सर्पमानव के रूप में लेटी थी ,नेत्रा काल के मन मे ,यह एक निलनागिन है जो हजारो साल में एक ही पैदा होती है ,इनमें बहुत सी खास चमत्कारी शक्तिया होती है पर इनकी शक्तिया इनके शादी के बाद इनके पति को मिलती है , दोनो पति पत्नी शादी के बाद अनोखी शक्तियों के मालिक बन जाते है और उसका इस्तेमाल कर सकते है ,यह नागिन की एक खास बात है इसके अन्दर बहुत ही ज्यादा कामशक्ति होती है जो कोई भी नही भुजा सकता सिवाय महानाग के ,आज तक कोई भी निलनागिन और महानाग की जोड़ी देखी नही गयी है ,और मुझे यह सब विशाखा से पता चला है ,
कालनेत्री हिमानी को छुकर देखती है कि उसे क्या हुवा है ,तो वो देखती है कि हिमानी ने अघोरविष को पी लिया था ,आमतौर पर साँप विष पीकर अपनी भूक औफ प्यास मिटाते है ,कुछ विष पीकर उनकी ताकद भी बढ़ जाती है ,पर अगर उन्होंने कोई बहुत ही प्रभावशाली जालिम जहर पी लिया तो वो उनके लिये जानलेवा भी साबित होता है ,हिमानी के पिता उसकी शक्तिया पाने के लिये उसकी शादी अपने ही दोस्त से करवा रहे थे ,जो हिमानी को पसन्द नही था ,इस शादी को टालने के लिए उसने विषलोक का सबसे घातक अघोर विष पी लिया था, ताकि वह अपनी जान दे सके ,पर वो विष पीकर मरी नही पर बेहोश हो गयी थी ,उसके पिता ने पूरी दुनिया से वैद्य बुलाकर उसका इलाज किया पर कोई भी अघोर विष का प्रभाव खत्म नही कर पाया था ,और पूरी दुनिया मे अघोर विष का एक ही तोड़ था कालनेत्री ,
नेत्रा हिमानी को स्पर्श करके सब देख ही रही थी कि हिमानी की आंखे खुल गई ,दो अनजान चेहरो को अपने सामने देखकर हिमानी थोड़ी सी चौक गई ,लेकिन नेत्रा को देख के उसने कहा ,नेत्री बुवा आप आ गई ,आप कहा चली गईं थी ,आप नहीं थी तो देखो क्या हाल कर दिया है आपके भैया और भाभी ने मेरा ,में बहुत अकेली हो गयी थी आपके जाने के बाद , नेत्रा तो आवक सी हो गयी हिमानी की बातों से ,यह आपके साथ कौन है बुवा ,काल के और इशारा करते हुवे ,हिमानी ने फिर पुछा, लेकिन इसका जवाब दोनो ने ही महाराज ने विषदंश ने दिया ,बेटा यह तुम्हारी बुवा का दोस्त है ,जो उनको यहा पर छोड़ने आया था
काल और नेत्रा महाराज के और देखने लगे ,उसकी मन की बाते सुनकर काल भड़क गया था पर उसके मन मे नेत्रा की आवाज आयी ,आप शांत रहिये हमे सबसे पहले अघोर विष को पाना है ,उसके बाद देखेंगे क्या करना है ,तबतक आप शांत रहिये ,
नेत्रा ,मेने आपकी बेटी को ठीक किया इसका मतलब यह नही के में आपकी बहन कालनेत्री हु ,भले ही में आपके बहन जैसी दिखती हु पर में उतनी शक्तिशाली नही हु ,और इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण यही है कि अगर में आपकी बहन होती तो हिमानी की हालत देखने के बाद आप का सिर मेरे कदमो में होता
विषदंश ,मे भी छुपकर यही देख रहा था कि तुम हिमानी की हालात जानकर तुम एक पल में मुझे मार देती पर तुमको कबसे यही शांत बैठा देखकर ही में आगे आया , भले ही तुम कालनेत्री नहीं हो पर तुम में बहुत सी शक्तिया है जो उसकी तरह ही है ,तुम अब यही रहकर मेरी मदद करोगी ,मुझे उस महानाग को मारना है ,उसके लिये अब हिमानी की शक्तियों के साथ तुम्हारी भी हमे बहुत मदद होगी ,जाने कितने ही महायोद्धा मारे गए है उस महानाग के खोज में हमारे ,लेकिन अब हम तुम्हारी दोनो की शक्तियों की मदद से अब इस खतरे को मिटाना ही होगा ,में वो भविष्यवाणी झूठी कर दूंगा की महानाग विषलोक तबाह करने वाला है ,मौत के साये में हम डर के अब नही रहने वाले ,
मेने कालनेत्री को भी कितनी बार कहा था कि वो महानाग को मार दे ,पर उसे हमारे पिता ने कहा था कि वो महानाग ही उसका पति है और तुम कभी विषलोक के लिये उसके साथ युद्ध नहीं करना ,विषलोक को खत्म होना ही सबके लिये अच्छा रहेगा ,विषलोक की मदद से अब तक ना जाने कितनी ही बुरी ताकते असीम बलशाली हो गई है ,और ऐसे विषलोक का नष्ट होना ही अच्छा है जिसकी वजह से किसी बुराई के बल मिले ,और वो उनकी बातों को मानती रही ,और इसमें उसका साथ उसकी खास सहेलियां देती रही सर्पिणी और विशाखा, में तो अपने पिता के वजह से उन्हें यहा पर आने देता था ,कालनेत्री उन्हें बताये बिना कहि नही जा सकती थी ,मेने कितनी बार उन दोनों को पूछा पर उन्होंने कभी कुछ नहीं बताया ,हमेशा मुझसे झूठ ही बोलती रही ,मेने उनका यहा आना ही बन्द कर दिया ,कुछ सालों से सर्पिणी भी घायल है ,विशाखा ने कितनी बार मुझसे अघोर विष माँगा लेकिन मेने नही दिया ,अगर वो मेरी बहन कहा है यह बात मुझे बता देती तो में उसको अघोर विष जरूर देता पर तब भी उसने मुझे कुछ नही बताया ,लेकिन अब तुम खुद यहा आ गई हो ,अब मुझे किसी की जरुरत नही है ,विषदंश ने काल की तरफ देखकर कहा की ,तुम कौन हो ,क्या हो मुझे इससे कोई मतलब नही है ,अगर तुम जीना चाहते हो ,तो इसको यही छोड़ो और वापिस लौट जाओ ,फिर कभी तुम यहाँ पर आए तो में तुम्हे जान से मार दूँगा,
काल अब नेत्रा का हाथ छोड़कर विषदंश को मारने जा ही रहा था तो उसके मन मे ,आप को मेरी कसम आप चुप रहेंगे और मेरी बात को मानिए ,हमे दिमाग से काम लेना होगा ,आप यहां एक पल भी नही टिक सकते ,धीरज रखिए ऐसे गर्म दिमाग से कोई भी लड़ाई नही जीती जाती ,में बात करती हूं इस पापी से ,
नेत्रा, में यहाँ पर रुकने को तैयार हूं ,लेकिन आप हमें अघोर विष दे दीजिए, यह यहाँ से अघोर विष लेकर चले जाएगा और में यहीं रुक जाऊंगी,
विषदंश सोच में पड़ गया ,इतनी आसानी से यह बात मान रही है वो भी सिर्फ अघोर विष लेकर ,उसने अपने एक सेवक से अघोर विष की एक छोटी शीशी मंगवाई और कहा में अघोर विष दे रहा हु ,पर इस बात का क्या प्रमाण की तुम इसके यहा के जाने के बाद खुद भी ना रहो ,में तुमको एक बेड़ी देता हूं तुम पहले इसे अपने दोनो हाथो में पहन लो उसके बाद ही में तुमको अघोर विष दूँगा ,
नेत्रा ने कुछ सोचकर उसके हाथ मे विषदंश ने दी हुवीं बेड़ी पहन ली पर काल का हाथ नही छोड़ा ,विषदंश ने भी काल के हाथ मे अघोर विष की शीशी दे दी ,काल के कान में नेत्रा की आवाज आयी ,आप पहले यहाँ से सीधा विशाखा के पास चले जाइये ,में इसको चकमा देकर वही आती हु ,
काल भी नेत्रा की बात मानकर सीधा गायब होकर विशाखा के गुफा में पहुचा, उसने वो अघोर विष की शीशी विशाखा को दे दी ,विशाखा भी वो शीशी लेकर बहुत खुश हो गई ,उसने अपने बहन को जाकर वो शीशी का जहर पूरा पिला दिया ,कुछ ही पल में सर्पिणी के जख्म भरने लगे और वो होश में आने लगि 10 मिनीट में ही वो पूरी तरह स्वस्थ हो गई ,दोनो बहने एक दूसरे के गले लग गई, 450 सालो से जो विशाखा की आंखों में गम था ,वो उसने आज निकाल दिया था ,दोनो जी भरकर रोयी ,विशाखा ने उसे सब बता दिया उसके बेहोश होने के बाद क्या हुवा था और कैसे काल ने यह अघोर विष लाकर उसकी जान बचाई ,सर्पिणी ने भी हाथ जोड़कर काल का धन्यवाद किया ,उसने नेत्रा के बारे में पुछने पर बताया की वह विषदंश को चकमा देकर आने वाली है ,जब उसने उन दोनों को विषलोक की सब घटना बताई तो दोनो उस जादुई बेड़ी की बात सुनकर घबरा गई ,काल ने भी उनका डर देखकर उनके मन किं बात जान ली ,तो उसे भी थोड़ा डर लगने लगा ,जो जादुई बेड़ी नेत्रा ने पहनी थी वो कालनेत्री की बेड़ी थी जो उसे खुद महाकाल ने दी थी ,उस बेड़ी को अगर किसी देवता को भी पहना दिया तो उसकी सारी शक्तिया वो बेड़ी खिंच लेती है ,उस बेड़ी को पहनने के बाद कोई भी शक्ति काम करना बंद कर देती है ,यह बेड़ी कालनेत्री को भी बंदी कर सकती थी ,
काल और वो दोनो बहने बहुत देर तक नेत्रा की राह देखते रहे पर वो नही आयीं ,काल ने बहुत बार अपने मन मे उसको देखने और बात करने की कोशिश की वो कामयाब नही हो पाया ,उसने फौरन विषलोक जाने की सोच कर वहां जाने की कोशिश करने लगा पर वो विषलोक में नही जा पा रहा था अपनी शक्तियों की मदद से ,उस सर्पिणी ने ऐसे परेशान देखकर कहा ,अगर तुम यहाँ से सीधा विषलोक जाना चाहते हो तो नही जा सकोगे ,कालनेत्री ने विषलोक में एक कवच लगाया है ,वहां पर जाना हो तो दरवाजे से ही जा सकते है ,विषलोक से तुम सीधा कही भी जा सकते हो ,यह सब कालनेत्री ने पापी लोग विषलोक में ताकद पाने नही आ पाए इसीलिये किया है ,विषलोक के हर दरवाजे पर कालनेत्री की शक्ति है जो सिर्फ़ अच्छे लोगो को ही अंदर आने देती है, कोई भी पापी उन दरवाजे को पार नहीं कर सकता है ,
काल अब सोच में पड़ गया उसे किसी भी हाल में उसे नेत्रा को बचाना ही था विशाखा और सर्पिणी को अंदर आने की अनुमति नही थी ,और काल मे कोई विष नहीं था जो उसे वहां सीधा वहां पर प्रवेश मिल सके ,विषलोक में सिर्फ जिनके अंदर विष हो वही जा सकते है ,नेत्रा के वजह से वो विषलोक में प्रवेश कर पाया था ,
सर्पिणी ,क्या महानाग हमारी मदद नही कर सकता ,काल ने पूछा ,
काल ,आज तक महानाग से कोई मिला ही नही है तो यह में तुम्हे कैसे बता सकती हूं, महानाग के तलाश में आजतक कितने है सर्प योद्धा गये उसके ठिकाने तक पर कोई जिंदा तो क्या उसका शरीर भी नही लौटा ,सर्पिणी
काल ने कुछ सोचा और वह सीधा गायब होकर उस गुफा के सामने पहुचा जहा से अंदर जाने पर विषलोक का दरवाजा मिलता है और उस गुफा में न जाकर गड्ढे में नीचे महानाग का ठिकाना है ,
दीदी ,यह काल कहा गया होगा ,विशाखा बोली
मेरे खयाल से वो विषलोक में ही जायेगा चलो हम भी चलते है उसके पीछे ,हमे उन दोनों की मदद करनी होगी ,विषदंश बहुत ही ताक़दवर है, पर वो मेरे सामना नही कर सकता, चलो हम भी चलते है ,सर्पिणी बोली ,
दोनो जब उस गुफा के बाहर जाकर काल को देखने लगी तो दोनो की आंखे बड़ी हो गयी ,काल नीचे महानाग के ठिकाने की तरफ तेजी से जा रहा था ,वो दोनो तो नीचे जाने के बारे में सोच भी नहीं सकती थी ,नीचे ऐसा जहर था कि कोई सर्प योद्धा पल भर में वहां गल जाता था ,और काल अपनी मौत के पास जा रहा था ,
नेत्रा हिमानी के पास बैठी थी ,दोनो को एक कमरे में बंद कर दिया था विषदंश ने और बाहर अपने खास सिपाही रखे थे ,
हिमानी ,तो आप मेरी बुवा नही हो ,आप का नाम नेत्रा है ,और वो आपके पति थे ,क्या वो अब तुम्हे बचाने नही आयेंगे,
नेत्रा,हिमानी ,उनकी मौत जहर से होगी ,उनके लिये कोई सामान्य जहर भी जानलेवा है ,में नही चाहतीं थीं उन्हें यहा नुकसान हो ,इसलिये मेने बेड़ी पहनने के फौरन बाद उन्हें वापिस भेज दिया ,मुझे पता था यह बेडी मेरी ताकद खत्म कर देगी ,पर में हैरान हूं कि अगर यह बेड़ी मेरी सब ताकद सोख ली है ,तो में विषलोक में जिंदा कैसे हु ,और मेरे पति की एक बात में जानती हु ,भले ही उनको जहर से खतरा हो
पर वो विषलोक में आकर ही दम लेंगें ,तुम्हारे पिता को मारकर मुझे यहां से लेकर जाएंगे ,भले उसके लिये उनको कुछ भी करना पड़े पर वो चूकेंगे नही ।
 
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Update 57
काल तेजीसे पानी मे नीचे जा रहा था ,पिछले कितने घन्टो से वो नीचे जा रहा था, उसका पता नही चल पा रहा था उसे ,काले घने इस अंधेरे में सिर्फ काल की आंखे ही चमक रही थी ,काल के पैर जब जमीन पर लगे तो उसे थोड़ा अच्छा लगा ,काल के सामने एक बहुत ही बड़ा महल दिख रहा था जो पूरा काले अंधेरे में डूबा था ,उस महल के दिवारे , ,खिड़किया,दरवाजे ,फर्श सब काले रंग का था ,जब काल ने अपना कदम उस महल के जमीन पर रखा उसके पूरे बदन में एक सर्द लहर दौड़ गई ,वहां का तापमान बहुत कम था ,काल को ना गर्मी लगती थी ना कभी सर्दी ,लेकिन उसको भी यहां सर्दी का अहसास हो रहा था ,इससे काल को अंदाजा हो गया था कि कोई आम इंसान इस ठंड में जिंदा बचना मुश्किल था ,वो चलते चलते महल के दरवाजे के पास आया ,महल का दरवाजा 20 फिट से ज्यादा ऊंचा और 10 फिट चौड़ा था ,उस दरवाजे पर एक साँप बना हुवा था ,जिसको देखकर ऐसा लग रहा था ,मानो वो कोई जिंदा साँप हो जो उसकी तरफ देखने वालों की रूह तक को देख पा रहा हो ,काल ने जब उस सांप की आंखों में देखा तो उसको लगा जैसे उसकी आँखों मे हल्की चमक उठी हो ,काल कुछ देर तक उस साँप की आंखों में ही देखता रहा ,अचानक वो दरवाजा अपने आप खुल गया ,काल बिना डरे उस दरवाजे के भीतर दाखिल हुवा ,बाहर से महल देखकर ऐसा लगा था अंदर बहुत कमरे हो ,पर यहा पर बस एक ही कमरा था जो चारो तरफ फैला हुवा था , उस कमरे के बीचोबीच में थोड़ी ऊंचाई पर दो बड़ी सी कुर्सियां रखी थी ,ऐसा लग रहा था मानो वो कोई बड़े से राजदरबार में खड़ा है और उसके सामने कोई राजा और राणी उन दो बड़ी कुर्सियों में बैठे है ,काल चलता हुवा ठीक उन कुर्सियों के सामने खड़ा हुवा ,काल के पास अंधेरे में देखने की शक्ति होकर भी वो उन दो कुर्सीयो के दायरे में उसकी शक्ति कम नही कर रही थी , उसे ऐसा लग रहा था कि वहाँ दोनो कुर्सियों पर कोई बैठा हो पर वो उनको देख नही पा रहा था ,काल ने सामने थोड़ी देर तक देखा और कहा ,जी मेरा नाम काल है वैसे मेरा असली नाम शिवा है पर कुछ मजबूरियों के चलते मेने मेरा नाम बदल लिया ,मेरी कहानी आपको बताकर में अपना समय जाया नही करना चाहता ,में बस यही कहूंगा के मेरे नसीब ने मुझसे जितना छिना उससे कहि गुना दिया भी ,में आज आप के पास खुद के लिये कुछ नही माँगने आया हु ,मेरी वजह से एक बेगुनाह की जान खतरे में पड़ गई है ,वो बिचारी मुझे बचाने के लिये उस मौत में गड्ढे कूद पड़ी ,उसने मुझे तो बचा लिया पर अपनी जान उन पापियों के हवाले कर बैठी ,में बस इतना चाहता हु आप मेरे शरीर को थोड़ा जहरीला बनाकर में कुछ घण्टो के लिए मुझे मौत न आये ,इसके बदले आप जो चाहे वो आप मेरे साथ कर सकते है ,
काल अपनी बात बोल कर कुछ देर चुप रहा और सामने से क्या जवाब आता है उसकी राह देखने लगा ,
काल,यही नाम है ना तुम्हारा ,क्या दे सकते हो तुम हमे, अपनी इच्छा पूरी करने के लिए ,काल के कानों में एकदम सर्द आवाज आयीं ,
जी आप जो कहे वो में करने के लिये तैयार हूं, काल ,
क्या तुम अपनी आत्मा हमे दे सकते हो हमेशा के लिए ,आवाज
जी हा ,में अपनी आत्मा आप को दे सकता हु हमेशा के लिये,काल बोला,
ठीक है तो फिर हम तुम्हारी आत्मा हमारे पास रख लेंगे हमेशा के लिए ,और तुम्हे शरीर मे विष लेकर तुम्हे 6 घंटे की जिन्दगी भी देंगे ,इसके सिवा और कुछ नही चाहिए तुमको ,आवाज ,
जी नही ,बस मुझे 6 घण्टे की जिन्दगी ही बहुत है ,काल ,
अगर तुम चाहो तो में तुम्हे असीमित बल ,धन ,के साथ एक नई जिंदगी दे सकता हु जहा तुम अपनी मर्जी से जो चाहो वो कर सकते हो ,इस 6 घण्टे की विषभरी जिंदगी के बदले हम तुम्हे बहुत कुछ और दे सकते है ,आवाज ,
जी आपका बहुत शुक्रिया आपने मुझे उस लायक समझा पर में आपके पास सिर्फ इस विषभरी जिंदगी के लिए ही आया था ,मुझे आप गलत ना समझे पर मेरी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशी अब नेत्रा की जान बचाकर उसे सुरक्षित विषलोक से निकलना है और उस विषदंश को इस दुनिया से हमेशा के लिए मिटाना जो अब अपने गंदे विचारों के साथ यहा रहने योग्य नही रहा ,काल,
नेत्रा को छुड़ाकर और विषदंश को मारकर तुम्हे क्या मिलेगा ,उसके बाद तुम 6 घंटे खत्म होते ही जहर की वजह से गलकर मर जाओगे बहुत दर्दनाक मौत होगी तुम्हारी ,अवर तुम विषलोक जाने की लिए जिद छोड़ दो तो तुम्हे तुम्हारी मोहब्बत के साथ तुम्हारी सब चाहने वालियों के साथ हम ये सुंदर महिलाओं को भी तुम्हें दे देंगे आखरी बार सोच लो ,आवाज ,काल के सामने उस अँधरे में एक प्रकाश निर्माण हुवा ,उसमे पूजा,मोना ,नरगिस के साथ सनम ,उसकी सभी बहने ,सुनीता ,ज्वाला, निता ,सिनोब ,कोकी दिखाई दे रहे थे और कुछ बहुत ही खूबसूरत लडकिया भी थी जिनके साथ काल खुशी में रहता दिख रहा था ,काल की आंखों में पलभर के लिये ये सब देखकर चमक आ गई पर और उसने अपने आप को सम्भल लिया ,
काल ने कहा ,में झूठ नही कहूंगा ये सब देखकर एक पल के लिये में भी मोहित हो गया था ऐसी जिंदगी जीने के लिये पर में अगर नेत्रा को भूलकर ऐसी जिंदगी अपनाता हु तो में कभी खुश नहीं रह सकूंगा उस मासुंम की जिंदगी के बदले में मिला ऐसा जीवन मेरे किसी काम का नही होगा ,भले ही मुझे सब मिल जाये उसके बाद में लेकिन में जिस सोच के ऊपर आज तक जीता आया हु की में कभी किसी सुख पाने के लिए अपने फायदे की सोचकर किसी जरूरतमंद के मदद ना कर सकू पीछे हट जाऊ ,वो सोच खत्म हो जायेगी ,नेत्रा को भले में बचाने में नाकाम रहूं पर विषदंश की सोच मेने पढ़ी है ,अगर वो कामयाब रहा तो बहुत से और मासूम लोगो की बलि चढ़ जायेगी ,और में उसे ऐसा कभी करने नही दूँगा भले में खुद मिट जाऊँगा पर मेरे साथ उस विषदंश को भी समाप्त कर दुंगा, काल ,
अगर तुम यही चाहते हो तो विषदंश को खत्म करना है तो हम यही से पल भर में विषदंश के साथ पूरा विषलोक तबाह कर सकते है ,पर उसमे वो लड़की भी मारी जा सकती है ,आवाज
जी बात उस लड़की की नही है वहाँ विषलोक में बहुत से और भी लोग है जिनका इस विषदंश से कोई लेना देना नही है ,वो बेचारे भी मारे जाएंगे अगर आप ने विषलोक को यहा से तबाह किया तो ,आप मुझे बस एक मौका दीजिये में विषदंश को मारकर बाकी लोगो को जरूर बचा लुंगा, काल
ठीक है ,जैसी तुम्हारी मर्जी पर तुम 6 घण्टे के भीतर नही मार सके तो क्या करोगे ,में तुम्हे 6 घण्टे के अलावा ज्यादा जिंदगी नही दूँगा बाद में ,आवाज़ ,
जी मुझे मंजूर है ,अगर में मारा भी गया तो कोई गम नही ,मेरा ये काम जरूर कोई ना कोई पूरा करेगा,पर जितना हो सके में काम खुद पूरा करना चाहूंगा ,काल
ठीक है ,जाओ तुम अब यहा से ,इस महल के बाहर पड़ते ही तुम्हारे 6 घंटे शुरू होते है ,आवाज,
जी ,आपका शुक्रिया, काल ,इतना कहकर काल ने अपने दोनो हाथ जोड़कर सामने प्रणाम किया और महल के बाहर की और जाने लगा जैसे ही उसने दरवाजा पर किया उसे ऐसा लगा उसके शरीर मे कुछ घुसा हो बहुत ही तेजी से ,उसने पीछे मुड़कर देखा तो उस दरवाजे के ऊपर बना हुवा साँप अब गायब था ,तभी काल मे मन मे आवाज गूंजी ,तुम्हारे शरीर मे अब कुछ ही पल में पूर्ण रूप से विष फैलने लगेगा भले ही तुम मरोगे नही पर तुम्हारा शरीर कभी जहर को बर्दाश्त नही कर सकता ,तुम्हे मरनप्राय यातना और दाह सहना होगा ,यह आवाज बन्द होते ही काल का शरीर अंदर से जलने लगा ,उसका ऐसा लग रहा था कि उसके पूरे शरीर मे गर्म लावा किसीने भर दिया हो ,उसके पूरे बदन से और आंखों से पसीना बहाने लगा ,काल को तो ऐसा लग रहा था वो दर्दके वजह से यही गिर जाएगा पर उसके आंखों के सामने नेत्रा की शक्कल देखते ही उसकी आंखें पूरी तरह लाल हो गई और वो अपने पूरे दर्द और गुस्से में चिल्लाया, नेत्रा ,,,,काल वहां से सीधा विषलोक जानी वाले गुफा के सामने पहुचा और वह से उस गुफा में तेजीसे आगे बढ़ने लगा विषलोक कि और,उसे बहुत दर्द हो रहा था पर वो उसको भूल कर आगे बढ़ने में लगा था ,काल को सर्पिणी और विशाखा ने भी देख लिया था ,वो दोनो भी उसके पीछे विषलोक में जा रही थी ,उन दोनों को हैरानी थी कि काल महानाग के ठिकाने से जिंदा कैसे वापिस आ गया ,उस जगह से जिंदा वापिस आना नामुमकिन था और काल ने वह काम किया था ,वह दोनो उसी सोच के साथ काल के पीछे जा रही थी ,काल जैसी ही विषलोक के दरवाजे के सामने पहुचा उसके सामने वहां के पहरेदारों ने उसका रास्ता रोकने की कोशिश की पर काल के शरीर से एक तेज काले रंग की किरण सीधा जाकर उस दरवाजे को लगीं ,उस किरण के लगते ही वो दरवाजा ऐसे जल गया मानो कोई कागज का टुकड़ा हो ,काल तेजीसे उस जले हुवे दरवाजे से विषलोक में घुस गया ,दरवाजे के सब पहरेदार, और सर्पिणी और विशाखा ये दोनो बहने काल की करामत देखकर हैरान हो गये थे ,सर्पिणी ने इतना ही कहा ,विषलोक का यह कहि अंतिम दिन कहि आज तो नही है ,जब कोई अपने काले किरण से विषलोक में घुसेगा वही विषलोक का आखरी दिन होगा यही वो भविष्यवाणी थी ना कालनेत्री के पिता के द्वारा की गई ,कहि आज वो सच तो नही हो रही ,
और यही बात विशाखा के साथ वो पहरेदार भी सोचने लगे ,विशाखा और सर्पिणी भी उस उस नष्ट हुवे दरवाजे के रस्ते से विषलोक में दाखिल हो गए ,उन्हें रोकने कोई था ही नही ,सब पहरेदार विषलोक में दाखिल हो गए थे ,और यह खबर पूरे विषलोक में फैल गई थी ,कालनेत्री की शक्तियों से बने दरवाजे को ध्वस्त करने वाला विषलोक को तबाह करने में कितना समय लेगा ,पूरे विषलोक में भगदड़ मच गई थी ,हर कोई अपने और अपने परिवार के साथ विषलोक से बाहर तेजीसे जा रहा था ,और कुछ ऐसे थे जो उस दरवाजे को नष्ट करने वालो को मारने के लिए ढूंढ रहे थे ,
काल इस वक्त राज महल के सामने खड़ा था ,उसके सामने विषदंश खड़ा था अपने आदमियों के साथ ,
विषदंश, मेरी बेटी के शादी के दिन तूने यहा आकर बहुत बड़ी भूल कर दी है ,पहले दरवाजे के नष्ट होने किं ख़बर सुनकर लगा था महानाग तो नहीं आ गया ,पर निकला तू तक तुच्छ मनुष्य ,तेरी औकात हमारे सामने किसी कीड़े से भी कम है ,सैनिकों मार दो इस कीड़े को ,
अपने राजा का आदेश मिलते ही सारे सैनिक काल पर टूट पड़े ,वो काल पर कोई वार करने से पहले ही काल के सामने दोनो बहने खड़ी थी अपने पूर्ण सर्प रूप में ,उन दोनों को देखकर सब सैनिक के साथ विषदंश की भी फट गई थी ,वो दोनो बहने कालनेत्री के जैसी ही खतरनाक थी ,पर अपने ऊपर हुवे गलत इल्जाम से वो कभी विषलोक नही आयीं थी ,पर आज वो काल के सामने उसकी ढाल बनकर खड़ी थी ,
दोनो बहने सैनिकों पर टूट पड़ीं थीं उनके सामने कोई भी टिक नही पा रहा था वो विषदंश के सैनिकों को किसी खिलौनो जैसी मार रही थी ,काल भी उनके साथ उन सैनिकों को मारता महल में घुसने की कोशिश कर रहा था ,जैसी ही सर्पिणी महल में घुसने लगी उसपर एक तेज वार हुवा ,उस वार से सर्पिणी महल के बाहर आकर गिर गई ,विषलोक में सर्पिणी के सामने टिक सके ऐसा कोई नही था ,विषदंश तक उसका मुकाबला नही कर पाता था ,काल और विशाखा ने सर्पिणी को सहारा देकर उठाया ,सर्पिणी सर्पमानव के रूप में तलवार से वार करती महल में घुस रही थी ,उसके छाती पर किसीने लात मार कर उसे महल से बाहर फेंक दिया था ,काल और वो दोनो बहन महल के दरवाजे पर खड़े आदमियों को देख रहे थे
दरवाजे पर काली घाटी के राजा कोहिम के दो बड़े बेटे गगन और देबन अपने 20 आदमियों के साथ खड़े थे ,
सर्पिणी के आंखों में उन दोनों को देखकर बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया था,तुम सब अंदर कैसे घुस पाए विषलोक में पापियों, उसने चिल्लाते हुवे पूछा ,
सब उसकी बातें सुनकर हसने लगे और इसका जवाब विषदंश ने दिया ,पागल लड़की मेरी बहन ने विषलोक के दरवाजे और विषलोक पर कवच लगाया पर उसने विषलोक में बने अपने शिवमंदिर के ऊपर कोई कवच नही लगाया था ,यह बात मुझे बहुत बाद मालूम चली थी कालनेत्री के जाने के बाद ,और उसीका फायदा उठाकर मेने अपने दोस्त गगन और उसके भाई को यहां बुला लिया ,गगन मेरी बेटी से शादी करके ऊसकी शक्तियों का मालिक बनकर महानाग को खत्म करने वाला था ,विषलोक को बचाने के बाद में गगन को ऐसे जहर देनेवाला था जिससे वो तुमको आसानी से मार देगा पर लगता है महानाग बाद में मरेगा पहले तुम दोनो बहने ही मरोगी विषलोक ,गगन मार दो इन दो बहनो को ,
गगन ने अपने आदमियों को इशारा कर दिया ,उसके आदमी उन दोनों बहनों को मारने के लिए आगे आने लगे काल गुस्से से चिल्लाते हुवे बोला ,आज तुम सबको यही मरना होगा पापियो ,और तुम कुतो पहले मेरा नाम जान लो में हु काल जिसने तेरे भाई अंगारा और उसके 9 आदमियों को कुत्ते जैसा मारा था ,तेरे भाई ने तुझे बताया होगा न तुझे मेरे बारे में ,में वही काल हु ,
गगन और देबन भी काल की बातों से चिढ़ गये ,उनके छोटे भाई के हाथ पैर काटने वाला उनके सामने खड़ा था वो कोई डरपोक नही थे जो काल से डर जाये ,वो चिल्लाते हुवे काल की और दौड़ पड़े ,काल ने दोनो बहनो से कहा ,में इन सबको देखता हूं तुम नेत्रा और हिमानी को बचाओ जाकर ,दोनो बहने जा नही रही थी क्योंकि गगन और देबन बहुत ज्यादा ताक़दवर थे ,उनके साथ जो 20 आदमी थे ,वो सब के सब महायोद्धा थे ,उनका 1 आदमी ही विशाखा और सर्पिणी के बराबर का था ,तो वैसे 20 लोग एक साथ थे ,साथ मे दोनो भाई भी थे ,जो काल पर भारी पड़ सकते थे ,पर काल ने उन्हें जाने पर विवश कर दिया था ,
महल के सामने इस मैदान में 1 का मुकाबला करने 22 लोग खड़े थे ,पर कल के चेहरे पर डर नही था ,वह दिख रहा था सिर्फ गुस्सा ,काल तेजीसे आगे बढ़ा उसके हाथ खाली थे ना कोई तलवार थी ,ना कोई ढाल ,सामने लडने वालो के पास तलवार से लेकर ढाल ,चाकू सब थे ,पर काल उनपर झपट पड़ा ,सबसे पहले दो लोग जो काल के सामने आए काल ने उनकी दोनो की गर्दन दबाकर उनके सर इतनी तेजी से उखाड़ कर वो दोनो सिर उनके पीछे खड़े आदमियों के मुह पर मार दीये, काल इतने पर ही नही रुका उसने अपने सामने जो एक आदमी आया था उसके दोनो हाथ पकड़कर उसे बीच मे से एक लात मारकर उसे दो भागों में बाट दिया था ,काल के इस ताकद और हैवानियत को देखकर सबकी फट गई थी,एक वार में पाँच आदमी मार दिये थे काल ने ,जिनके मुह पर काल ने वो सर मारे थे उनको तो पूरा चेहरा ही सर के अंदर धस गया था ,मानो उनके चेहरे पर किसने हाथोङे से वार किया हो ,
जिनके पैर तेजीसे काल की तरफ बढ़ रहे थे वो सब जगह पर रुक गये थे ,पर काल नही रुक उसने बाकी 15 आदमियों को भी बुरी तरह मार दिया था ,काल के सामने दोनो भाई खड़े थे ,दोनो ने काल पर अपनी तलवारों से वार कर दिया ,काल ने वार को बचाया नही बल्कि उन दोनों के हाथ हिं उपर के ऊपर पकड़ लिए ,दोनो भाई अपनी पूरी ताकद लगा रहे थे हाथ छुड़ाने की पर वो उसमे कामयाब ही नही हो रहे थे ,काल ने अपने हातो में पकड़ी इन दोनो भाइयो के हातो की कलाइयों को इतने जोर से दबाया की उनका पूरा चुरा हो गया,दोनो भाई गांड फाड़कर चिल्ला रहे थे ,उनके हाथ में पकड़ी तलवारें नीचे गिर गईं थी ,काल ने उनके दोनो के दूसरे हाथ के साथ भी वैसाही किया ,दोनो भाई जमीन पर गिर गये थे और दर्द में तड़प रहे थे,काल ने जैसे उनके हाथों को किया वैसा ही पैरों के साथ कर दिया ,काल अब विषदंश को ढूंढने जाने वाला था तो उसे नेत्रा की आवाज आयीं ,काल ने नेत्रा की तरफ देखा तो वो हिमानी के साथ महल से बाहर आ रही थी ,उनके पीछे सर्पिणी और विशाखा भी थी ,सबने जब काल के आसपास देखा तो वहां चारों तरफ बस खून और लाशें हीं थी ,
काल ने नेत्रा से कहा, तुम सबको लेकर यहा से निकल जाओ,में विषदंश को खत्म करके बाहर मिलता हु ,
नेत्रा ,में आपके मन की बाते क्यो नही जान पा रही हु ,आपने ऐसा क्या किया है जो अब में आपके मन को नही पढ़ सकती,
काल ,नेत्रा हम बाद में बात करेंगे ,अभी समय कम है तुम यहा से बाहर निकलो ,
नेत्रा काल के मन की बातों को पढ़ नही पा रही थी पर काल की आंखों में उसे दर्द दिख रहा था जो वो समझ नही पा रही थी ,उसने आगे बढ़कर काल के हाथ को स्पर्श कर लिया पर काल झट से उससे दूर हो गया ,नेत्रा तुमको मेरी कसम है तुम यहाँ से फौरन बाहर जाओ सबके साथ,मेरे बाद सब तुमको ही देखना है ,तुम मेरी जगह लेकर सबको संभाल सकती हो ,अगर तुम मुझे अपना पति मानती हो तो मेरी बात मान जाओगी ,और जो में बोल रहा हु वो सब सुनोगी,
नेत्रा की आंखों से आंसू बह रहे थे ,वो सबको लेकर विषलोक बाहर निकल गई पर जाते जाते वो काल की आंखों में देख रही थी ,उसके मन की बाते काल सुन रहा था ,आपने मेरे लिए अपनी आत्मा का सौदा किया, आपने तो मेरे लिए सब कुछ कुर्बान कर दिया,और मुझे अपनी कसम भी दे दी के में आपके बाद आपकी जगह लेकर सबको संभालु पर आपके बाद में रहूंगी तब ना ,आपके बाद में जिंदा नही रह सकती ,भले में खुद की जान ना दु पर मुझे यकीन है ,मेरे जिस्म में आपके बाद जान अपने आप चली जायेगी ,।
 
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Update 58
हिमानी ने नेत्रा के आसु पोछकर कहा कि इस तरह रोने से क्या होगा काल आ जायेगा ,अब नेत्रा क्या बोले इसको अपने दिल का दर्द ,तभी विशाखा बोली ,दीदी सामने देखो कहि ये सब सर्पलोक के बिगारी तो नही ,
चारो लड़कियां विषलोक के बाहर उस गुफा में खड़ी थी ,और उनके सामने से बहुत से सर्पमानव विषलोक में जा रहे थे
सर्पिणी,हा विशाखा, पर कालनेत्री ने तो इनका यहां आना कबसे बंद कर दिया था ना ,और यह सब इतनी बड़ी संख्या में क्यो जा रहे है विषलोक में ,
हिमानी ,शायद आपको पता नही होगा पिताजी ने शिवमन्दिर के रास्ते से कितने ही दृष्टो को विषलोक में जगह दी है ,में जब होश में थी तभी सेंकडो लोगो को महल के नीचे बने तहखानों में रखा था ,उन्हें हर तरह के विष दिए जाते थे ,ताकि वह ताक़दवर बने ,पिताजी ने उनको महानाग के विनाश के लिये ही तैयार कर रहे थे ,ये सर्पलोक के बिगारी तो हमेशा से मेरे पिताजी के अच्छे दोस्त रहे है उनको पिताजी ने खास मेढ़क के जहर दिये है ,जिसकी मदद से अब वो बहुत ताक़दवर बन चुके है ,
नेत्रा ,सर्पिणी यह बिगारी लोगो के आकार इतने बड़े कैसे है आप लोगो के मुकाबले
सर्पिणी, नेत्रा इन बिगारी सर्पो की एक खास बात यह होती है की इनकी आयु बहुत ज्यादा होती है, आम सर्पो की तुलना में यह जब तक जीवित रहते है इनकी लंबाई हर साल बढ़तीं ही रहती है ,इनमें इतनी ताकद होती है के एक हाथी को भी यह अपनी पूंछ में फसाकर मसल देते है ,इन्हें सर्पलोक के सबसे क्रूर योद्धा माना जाता है ,यह जरूर विषदंश के मदद के लिये आये है ,हमे भी अंदर जाना होगा काल की मदत के लिये,माना हम काल के जितने ताक़दवर नही है पर उसकी मदद जरूर कर सकते है ,
हिमानी ,सर्पिणी बुवा एक बात मेरे समझ मे नही आती आप दोनो बहने कितने सैकड़ो साल की हो ,आप मे इतनी ताकद है लेकिन आपने कभीं पिताजी ,या इन दृष्टो का मुकाबला क्यो नही किया ,
सर्पिणी ,हिमानी माना हमे दोनो बहनो में बहुत ताकद है पर हम दोनों की पूरी ताकद हमे मिली ही नहीं है ,जब तक हमारी शादी नही होती, हम अपने पतीसे मिलन नही कर लेते ,तब तक हम दोनों की शक्ति जागृत नहीं होगी ,और हम दोनों पर हमारे माता पिता के जाने के बाद मन्दिर के रक्षा की जिम्मेदारी थी ,उसकी वजह से हम कभी इस मामले में नहीं पडे ,पर आज हम काल की मदद करने आये थे और मन्दिर का जिम्मेदारी हमसे भी बढ़कर सुरक्षित हाथो में ,
विशाखा ,दीदी ,इसका मतलब वो दोनो अभी मन्दिर में है,मेने कितने ढूंढा था उनको लेकिन वो दोनो कभी मिली ही नही ,
सर्पिणी ,हम जब मन्दिर जाएंगे तो तुम उन दोनों से मिल लेना ,वो तुम्हे सब बता देगी ,अब हमें बाकी बाते झोड़कर काल की मदद कैसे करनी है इसके बारे में सोचना होगा,
नेत्रा,उन्होंने मुझे कसम दी है कि में अंदर ना जावू ,और तुम सबके साथ बाहर ही रहूं ,
विशाखा ,काल ने कसम तुम्हे दी है नेत्रा हमे नही ,तुम हिमानी के साथ यहीं रहो में और दीदी काल की मदद करने के अंदर जाते है ,
हिमानी ,बुवा माना में आपसे छोटी हु और ताकद में भी कम हु पर में निलनागिन हु ,मेरे जहर से अच्छे अच्छे हार मान जाते है ,में भी आ रहि हु आपके साथ ,नेत्रा तुम यही रुको हम तीनों जाकर काल की मदद भी करेंगे और उसे तुम्हारे पास लेकर भी आएँगे ,
नेत्रा की बातों को गोल करती तीनो अंदर चली गई काल की मदद करने
विषलोक में काल जब विषदंश को तलाश करने जाने लगा ही था कि उसके सामने 100 से ज्यादा बहुत ही बड़े सर्पमानव खड़े थे, जिन्हें देखकर काल की आंखों में एक आग थी जो सामने वालो को जलाने के लिये काफी थी ,अबतक की लड़ाई काल अपने मानव रूप में ही लड़ रहा था ,लेकिन सामने सर्पमानव देखकर उसने भी अपना रूप सर्प मानव में बदल लिया ,जिसे देखकर सामने वाले इतने बड़े सर्पमानव थे उनकी भी फट गईं,काल एक पूरे काले सर्पमानव में बदल गया था ,काल ने यह रूप कभी नही लिया था ,अपने आप वो काले सर्पमानव का रूप आ गया था ,जिसका पता काल को भी नहीं था ,काल किसी हवा की तेजीसे उन पर झपट पड़ा ,वो जिस रफ्तार से उनसे लड़ रहा था उतनी उनमे से किसी की भी नही थी ,वो सब सर्पमानव पहली बार जिंदगी में इतना काला और भयानक सर्पमानव देख रहे थे ,अपनी जान बचाने के लिये वो भी अब काल का मुकाबला कर रहे थे ,काल अपनी पूरी जान लगाकर लड़ रहा था ,उसके बदन में पलपल फैलने वाला जहर उसकी तकलीफ लगातार बढा रहा था और उसके शरीर पर जहर के अनगिनत वार भी हो रहे थे,मैदान में अब बिगारी सर्पमानव भी काल पर वार करने आ गए थे ,वो तो बहुत ही विशाल थे ,उन बिगारी सर्पमानव ने अपना सर्प रूप लेकर काल पर अपने जहर से वार कर रहे थे ,कुछ बिगारी सर्प 2 मुह वाले थे तो कुछ 10 ,बहुत ही घातक वार कर रहे थे वो काल पर ,काल का पूरे शरीर पर दांतो के काटने के निशान बन गए थे ,उसके पूरे शरीर पर खून ही खून बह रहा था ,विशाखा हिमानी ,सर्पिणी भी काल का साथ देने मैदान में कूद गई थी उन तीनों ने भी कितनो को मार दिया था पर यह सिर्फ 4 थे और सामने हजारों थे जिनकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रहीं थी ,विषलोक को बचाने अब पूरी दुनिया से जहरीले योध्दा आ रहे थे ,विषलोक ही उनको हर तरह के जहर से ताकद देता था तो कौन इतनी आसानी से विषलोक को मिटाने देगा हर बुरी ताकद के साथ कुछ अच्छी ताकते भी वहां पर आ गईं थी विषलोक को बचाने उनके सामने बस 4 ही थे सर्पिणी और विशाखा से उनके ही वंश के सर्प मुकाबला कर रहे थे ,बाकी कोई उनसे नही लड़ना चाहता था ,पर दोनो बहनो के आगे उनके वंश के सर्प भी ज्यादा देर तक टिक नही पा रहे थे ,तभी विशाखा और सर्पिणी पर पाताल की काली नागिनों ने हमला कर दिया ,वो काली नागिनों के जहर से दोनो को बहुत तकलीफ होने लगी थी ,वो सब काली नागीने हजोरो साल से पाताल में रहने वाली इतनी जहरीली थी कि उनके पास खड़े बाकी बिगारी योध्दा तक गल गये थे ,हिमानी को जख्मी करके बंदी बना लिया था ,सर्पिणी और विशाखा भी बुरी तरह जख्मी होकर लड़ने में लगी थी,काल का तो हाल ही बुरा था उसके अंदर अब पूरी दुनिया के जहर मौजूद हो गया था ,काल को हर कोई सर्प योद्धा ने काटा था ,पाताल की नागिनों ने भी काल को जख्मी किया था ,काल लड़ते लड़ते ही धरती पर गिर गया था उसके महानाग के दिये हुवे 6 घण्टे अब खत्म होने आए थे ,काल खुद को खड़े करने के लिए बहुत कोशिश कर रहा था पर वो नही हों पा रहा था ,उसने अपनी पूरी ताकद समेटकर खुद को खड़ा करना चाहा पर तभी एक काली नागिन ने ऊसकी पीठ में अपना जहरीला भाला आरपार कर दिया ,काल जमीन पर गिर गया और उसकी आंखें बंद हो गयी ,
विशाखा और सर्पिणी भी अब बेहोश हो गई थी ,उनके अंदर इतना घातक जहर भर गया था कि वो भी बचना नामुमकिन था ,
नेत्रा विषलोक के बाहर खड़ी सब अपनी आंखें बंद करके देख रहीं थी ,जब काल जमीन पर अपनी पीठ पर भाला लगने से गिर गया तो नेत्रा के मुह से एक चीख निकल गई ,काल,,,,,,,,,,,, नेत्रा जमीन पर अपने घुटनों पर बैठकर रोने लगी ,उसके दिल से खून के आसु निकल रहे थे ,वो अपने आप को ही काल की मौत का दोषी मान रही थी ,
नेत्रा ने जो काल के नाम से चीख लगाई थी वो इतनी तेज थी जो विषलोक तक भी सुनाई दी थी ,और कालनेत्री के घोड़े ने भी यह आवाज सुनी थी ,उस आवाज को वो भलीभांति जानता था ,वो तो कबसे कालनेत्री को महसूस करके उसकी राह देख रहा था, पर अब अपने मालकिन की इतनी दर्द भरी पुकार सुनकर, उसने अपने सारे बंधन तोड़कर अपनी मालकिन की तरफ दौड़ लगा दी ,वो घोडां अपनी मालकिन की खुशबू के सहारे नेत्रा तक पहुच गया ,नेत्रा के पास जाकर वो रोती नेत्रा के हाथ चाटने लगा ,नेत्रा ने रोते हुवे ऊपर देखा तो एक काला घोड़ा दिखा उसे देखकर नेत्रा खड़ी होकर उसे जानवर के सर को लिपटकर रोने लगी ,वायु मेरा काल नही रहै ,मेरे पति नही रहे वायु ,नेत्रा उस घोड़े को लिपटकर रोती अपना गम सुना रही थी ,
अचानक नेत्रा को झटका लगा ,वायु ,में इस घोड़े को कैसे जानती हूं ,ये नाम मुझे कैसे पता ,कुछ सोचकर
नेत्रा वायु पर बैठ गई ,वायु चलो मुझे मंदिर लेकर चलो,
वायु भी उसे तेज गती से शिवमन्दिर लेकर गया ,नेत्रा अपने मन मे मुझे ऐसा क्यू दिखा की में शिवमन्दिर में वायु पे बैठकर जा रही हु और मैने मन्दिर में क्या रखा था ,
नेत्रा को वायु ने जल्द ही मन्दिर के पास लेकर आया ,नेत्रा को उस मन्दिर को देखकर ऐसा लगा जैसे वो यहा बहुत बार आ चुकी है ,यह सब उसको अपना लग रहा था ,मन्दिर में आकर नेत्रा ने शिव के दर्शन किये और अपनी आंखें बंद करके अपने भगवान को याद करने लगी ,उसकी आंखों से बहता पानी उसके गालों से नीचे जमीन पर टपकने लगा ,अपने मन मे अपने भगवान को याद करती अपनी फरियाद लगा रही थी ,अचानक उसे अपने हाथों पर कुछ रेंगता महसूस होने लगा उसने अपनी आंखें खोलकर देखा तो वो एक सुवर्ण सर्प था जो बहुत ही छोटा था ,नेत्रा ने उसे अपने हाथों में उठा लिया और बोली , सुवर्णा देखो मेरे हाल ,मेरे पति मुझे छोड़कर चले गये ,अब क्या करूँ में तुम ही बोलो ,
नेत्रा किसी अपनी खास सहेली की तरह सुवर्णा से बात करने लगी थी ,अपने काल के ,अपने पति के बारे में उसे बता रही थी ,नेत्रा अपनी पूरी कहानी सुवर्णा को सुना कर चुप होकर रोने लगी ,सब सुनने के बाद अचानक वो साँप बोली ,नेत्रा अब तुम्हारा कालनेत्री बनने का समय आ गया है ,क्या अब तुम मुझे अपने अंदर ग्रहण नही करोगी ,
नेत्रा ने भी ना जाने कैसे अपनी आंखें झपकाकर हा कहा,वो सुवर्ण सर्प नेत्रा के शरीर मे ऐसे समा गया मानो वो उसकी आत्मा का हिस्सा हो ,नेत्रा की आँखे बंद हो गई उसे अपने कालनेत्री के जीवन के बारे में सब बातें याद आने लगी ,उसकी शिवभक्ति ,कालकूट विष पीने से बढ़ी ताकते ,महाकाल के कहने पर बुरी ताक़दो के खिलाफ लड़ना ,अपने पिता की भविष्यवाणी ,विशाखा और सर्पिणी की दोस्ती ,कैसे विषलोक के विनाश रोकने के लिये उसके भाई का उसके पीछे महानाग को मारने की जिद करना, सब याद आ गया था उसको ,उसने भगवान शिव के अनुमति से ही अपने प्राण त्याग दिये थे ,उसे भगवान शिव का आदेश था कि तुम दुबारा जन्म लोगी तब तुम्हारे हाथों से बहुत बड़े काम होने है ,इसी वजह से उसने अपने प्राण त्यागने से पहले अपनी शक्ति और सब यादे एक सुवर्ण सर्प के रूप में शिवमन्दिर में छोड़ रखी थी ,आज वही नेत्रा अब पूर्ण रूप से कालनेत्री बन गई थी ,
काल के छाती पर पैर रखता विषदंश जोरजोर से हस रहा था
मुझे तुम्हे मारने के लिये ना मेरी बहन कालनेत्री की जरूरत पड़ी ना मेरी बेटी की ताकत की महानाग तुम बहुत ही कमजोर निकले मेरी ताकद के सामने,फेक दो इस महानाग को हमारी निलनदी में इसकी लाश को हमारी नदी के जीव खाकर खुश होंगे ,कुछ सर्पयोद्धा ने आगे आकर काल को उठाकर नदी में फेंक दिया ,विषदंश अपनी खुशी में फुला नही समा रहा था ,वो अपनी जख्मी बेटी को एक तमाचा मार कर बोलता है ,नीच अपने बाप के खिलाफ जाती है ,विषदंश ने कहा ,आज के बाद विषलोक में कोई भी चोर दरवाजे से नहि आएगा ,एक दरवाजा तो इस महानाग ने तोड कर हमारा काम आसान कर दिया है ,बाकी दरवाजे भी हम जल्द नष्ट कर देंगे ,अब विषलोक में कोई भेदभाव नही होगा, पापी हो या पुण्यवान सब विषलोक आ सकते है विष पी सकते है ,आज से तो जो भी पापी होगा उसे ज्यादा विष दिया जायेगा ,उसकी बातें सुनकर सब खुश हो गये ,जो अच्छे लोग थे ,पुण्यवान लोग थे ,उन्होंने विषदंश को समझाना चाहा तो उन सबको वहाँ से विषदंश ने निकाल दिया ,सब विषदंश का जयजयकर कर रहे थे ,
जो दरवाजा महानाग ने नष्ट किया था ,एक जोरदार आवाज के साथ वो अपने आप पहले की भांति बन गया ,यह देखकर विषदंश को हैरानी हुवीं, बाकी लोगो को लगा कि अच्छे लोगों को विषलोक से निकलने के बाद विषदंश ने ही किया होगा ,
शिवमन्दिर की तरफ से अचानक बहुत तेज हवा के साथ धूल मिट्टी उड़ने लगी और कुछ ही पल में वहा सब के सामने खड़ी थी कालनेत्री ,विषदंश को तो यकीन नही हो रहा अपनी आंखों पर ,नेत्रा के बारे में वो सब जान गया था उसे मालूम था यह ना तो कालनेत्री है ना उसके जैसी शक्तिया, लेकिन उसके आंखों के सामने अब कालनेत्री अपने प्रचंड रूप में खड़ी 20 मुह वाली कालनेत्री को देखकर कुछ लोग डर गए तो कूछ खुश हो गए ,क्योंकि उनको अब कालनेत्री को सबक सिखाने का मौका मिल गया ,पाताल से आई काली नागिनों की तो कालनेत्री से कट्टर दुश्मनी थी ,काली नागिनों ने अपनी रानी को सन्देश भिजवाया की कालनेत्री आ गई है सामने ,कालनेत्री ने ही उनकी पुरानी रानी को मारा था अब उस रानी की बहन केतकी ,काली नागिनों की राणी बन गयी थी ,उसमे भी कालनेत्री जैसी ही ताकते थी ,पर कालनेत्री के अचानक गायब होनेसे उन दोनों का कभी आमना सामना नही हुवा था पर अब दोनो सामने आने वाली थी , ।
(अगला विषलोक का आखरी भाग होगा )
 
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काल के शरीर मे अब पीड़ा नही हों रहीं थी उसका सारा दर्द तकलीफ़ अब खत्म हो गया था ,उसने अपनी आंखें खोली तो अपने आप को उसी महानाग के काले महल में पाया वो उसी दो कुर्सियों के सामने खड़ा था ,काल समज गया था कि उसकी मौत हो गई है और उसकी आत्मा महानाग के सेवा में आ गयी है ,
काल तुम समझ तो गये होंगे कि तुम्हारी आत्मा हमारे सामने है ,नील नदी के सारे जीव अब तुम्हारा शरीर खा रहे है
आवाज बोल रहीं थी,उसकी बात सुनके काल ने कहा ,जी मेने अपनी आत्मा आपको दी है ,अब से आप ही मेरे मालिक हो ,
आवाज ,मेरी हर बात माननी होगि तुमको ,में जिसको बोलू जैसा बोलू तुमको उसको मारना होगा ,अगर तुमने मेरी बात टाल कर किसी को नही मारा में तुम्हारी आत्मा को बहुत यातनाएं दूँगा
काल ,में आपकी हर बात मान लूंगा पर किसी बेकसुर ,निर्दोष की जान कभी नही लूंगा ,चाहे आप मुझे कितनी भी यातनाएं दीजिये
आवाज,अच्छा बहुत बड़ी बड़ी बातें करते हों, एक बार देखो कितनी यातना होती है आत्मा को ,यह कहकर उस आवाज ने काल की आत्मा को एक झटका लगा ,काल बहुत जोरसे चिल्लाया उसे ऐसा लग रहा था, मानो उसके सीने से किसीने उसका दिल निकाल लिया हो ,आवाज ने पूछा कैसा लगा दर्द ,अब मारोगे ना किसको भी ,पर काल नही माना ,न जाने कितनी बार काल ने अपनी आत्मा पर वो झटके सहता रहा, पर उसने किसी बेगुनाह और निर्दोष को मारने को हा एक बार भी नही कहा ,बस अपना दर्द बर्दाशत करता
आवाज ,काल कबतक दर्द झेलोगों ,मेरी बात मान लो ,में तुम्हे नया शरीर दूँगा ,नई जिंदगी दूँगा ,तुम जो चाहे वो तुम्हे मिलेगा ,में तुमको इतनी ताकद दूँगा की कोई भी तुम्हारे सामने खड़ा नही होंगा
काल ,नहीं आप कुछ भी कहे पर में कभी आप की बात पर राजी नही होऊंगा, भलेही आप सदा के लिए मुझे यातना देते रहिए
आवाज ने काल को फिर यातनाएं देनी शुरू कर दी, ना जाने कितनी देर तक उनका यह खेल चलता रहा ,हर तकलीफ देने के बाद काल को पूछा जाता पर वो नही मानता ,
आवाज ,काल तुम हमे जानते है हम कौन है
काल ,जी आप महानाग है ना में जानता हूं,
आवाज बहुत देर तक हसति रही फिर बोली एक बार अपनी आंखें खोलो और ठीक से देखो ,काल ने अपनी आंखें खोलकर देखा तो खुदको उसी खुर्सी पर बैठा हुवा पाया ,वो हैरान होकर बाजू के खुर्सी में कौन है उसे देखने लगा तो काल हैरान हो गया ,तुम क्या कर रही हो ,और यह सब क्या चक्कर है ,
वो ,मेरा नाम मत लो, यह राज बाद में खोंलना तब तक रीडर्स को भी सोचने दो में कौन हो सकती हूं
काल ,ठीक है ,पर महानाग कहा है ,में इस कुर्सी पर कैसे
बाजू के कुर्सी वाली ,काल यह महानाग की परीक्षा थी और तुम उसमे पास हो गये ,अबतक कोई महानाग था ही नही, तुम ही पहले महानाग हो ,
काल ,फिर अभीतक जो हजारों योद्धा महानाग को ढूंढने में आये वो कहा गये ,उन्हें किसने मारा
बाजुवाली ,तुमने ठीक से सुना नही ,तुम महानाग की परिक्षा में पास हो गए,समझे अब
काल,इसका मतलब जो पास नही हुवा वो मारा गया
बाजूवाली, जल्दी जाओ नही तो तुम्हारी बीबी तुम्हारी कितने ही नई होने वाली दुल्होनो को मार देगी ,जाते हुवे तुम जिस खुर्सी पर बैठे हो उसमे एक काला मनी है उसे अपने हाथ मे पकड़ लो तुम वापिस तुम्हारे शरीर मे होंगे ,एकदम ठीक ठाक और पहले से ज्यादा शक्तिशाली ,काल ने देखा उसके खुर्सी पर एक बड़ा सा काला मनी चमक रहा है उसने उस मनी को पकड़ते ही काल उस मनी के साथ वहां से गायब हो गया ,
विषलोक में एक महासंग्राम छिड़ गया था ,कालनेत्री के रुद्र रूप से अब मुठी भर ही लोग सामने बचे थे , पाताल की काली नागिने उनके राणी केतकी के कहने पर सब विषलोक के बाहर आ गयीं थी ,अंदर कालनेत्री ने सर्पिणी ,विशाखा ,हिमानी के जख्मो को भर दिया था ,तीनो खड़ी होकर कालनेत्री के कहर को देख रही थी ,पूरा मैदान सिर्फ लाशे ,कटे सर ,खून से भरा था ,कालनेत्री जब विषदंश के पास पहुची तो वो थरथर कांप रहा था ,कालनेत्री ने उसे सर्पिणी के आगे फेक दिया ,यह तुम्हारा दोषी है इसे तुम मार दो ,इस नीच की वजह से मेरा पति मारा गया ,में इसे मारना इसलिये नही चाहती क्योंकि मेरे से पहले यह तुम्हारा दोषी है ,इसकी वजह से तुम कितने सालो तक दर्द में तड़पती रही पर इस नीच ने तुम्हे दवा नही दी ,मार दो सर्पिणी इस पापी को ,सर्पिणी के काटने के बाद विषदंश का शरीर ऐसा पिघल गया मानो कोई बर्फ का पानी मे बदलना ,
कालनेत्री अब विषलोक के बाहर जा रहीं थी ,पाताल की रानी केतकी को वह जानती थी ,केतकी भी शिव भक्त थी पर उसकी बहन जो पहले राणी थी वो बहुत पापी थी ,उसके कर्मो के सजा सिर्फ मौत थी जो कालनेत्री ने दी थी ,केतकी को अपने बहन के कारनामे नहीं पता थे ,उसे लगता था कालनेत्री ने अपनी ताकद दिखाने के लिए ऊसकी बहन को मारा है ,और केतकी अब कालनेत्री को सही ताकद दिखाने वाली थी ,जैसे ही कालनेत्री विषलोक के दरवाजे पर पहुची नील नदी में एक जोरदार आवाज हुवीं ,नील नदी से ही विषलोक में जहर बनता था ,उसका पूरा पानी जहरीला था ,अचानक से नील नदी का पानी तेजी से कम होने लगा ,कालनेत्री के साथ बाकी 3 लडकिया नदी किनारे की तरफ आकर देखने लगी ,नील नदी बहुत तेजीसे सुख रही थी
सर्पिणी, कालनेत्री नील नदी का पानी सुखना कहि ,महानाग की भविष्यवाणी तो नही शुरू हुवीं ,तुम्हारे पिता ने कहा था न ,जिस दिन नील नदी सूखने लगेगी उस दिन महानाग आएगा ,
नील नदी का पूरा पानी सूख गया था ,तभी सबका ध्यान सुखी नील नदी में गया ,उसमे एक बहुत ही विशाल साप दिख रहा था ,उसकी लम्बाई तो समझ मे नही आ रही थी इतना विशाल था ,पूरा काला और उसपर सुनहरी पट्टे वाला ,एकदम अलग ही साँप दिख रहा था ,उन चारों ने अपने पूरे जीवन मे ऐसा साँप के बारे में ना सुना था न देखा था ,उन चारों की योनि में उस साँप को देखकर पानी भरने लगा था ,उसकी तेज गंध से वो पागल हो गई थी ,उसके जहर का उनपर एक नशा चढ़ गया था ,वो चारो कामक्रीड़ा के लिये व्याकुल हो गई थी ,
अचानक वो साँप ने अपना फन फैलाया ,उसके आंखों के सामने वो चारो खड़ी थी उसने उन चारों से कहा ,
नेत्रा तुम इन तीनो को लेकर बाहर जाओ ,मेरे हाथों से आज विषलोक नष्ट हो जाने वाला है ,जल्दी बाहर जाओ,
कालनेत्री ने तो कब के अपने काल को पहचान लिया था उसने एक पल में अपने पति की बात मानकर तीनो को साथ लेकर बाहर जाने लगी ,एक पल रुककर उसने आवाज लगाई वरुण ,जल्दी विषलोक से बाहर आओ, उसके एक आवाज में वरुण भी वहा पर आ पहुंचा ,वो सब विषलोक से साथ मे बाहर आये ,उनके सामने ही केतकी अपनी पूरी काली नागिनों के फौज खड़ी थी ,केतकी के कुछ बोलने से पहले ही कालनेत्री उसके गले लग गयी ,केतकी यह देखकर हैरान थी ,कालनेत्री ने उसे अपने किये की माफी मांगी और एक दृश्य केतकी को दिखाया जिसमें उसकी बहन काली नागिनों की बलि शैतान को देकर काली शक्तिया हासील कर रही थी ,केतकी को कालनेत्री के दिखाए दृश्य पर पूरा यकीन था ,क्योकि वह दृश्य उसे कालनेत्री ने अपने सुवर्ण सर्प को बाहर निकलके उसीमे दिखाया था ,और सुवर्ण सर्प शिव की है भेंट होती है वो कैसे झुठ दिखा सकते है ,केतकी ने भी कालनेत्री से अपने इस आक्रमण की माफी मांगी, दोनो की बाते शुरू ही हुवी थी के अपने काल महानाग के रूप में पूरा विषलोक तबाह करता बाहर निकल रहा था , उसके सामने आते ही काली नागिने कामातुर हो गई ,वो सब काली नागिने हजारों साल से कवारी थीं, वो सब महानाग के पास आने लगी ,महानाग ने कहा नेत्रा तुम चारो को लेकर 2 दिन मन्दिर में रुकना अपने भवानी गढ़ वाले तब तक इन कालीनागिनो को संभालना होगा मुझे ,इस बात की में तुमसे पहले माफि माँगता हु ,पर ये मेरा कर्म है जो मुझे करना होगा ,
नेत्रा उन चारों के साथ भवानी गढ़ चली गयी और महानाग उन सब काली नागिनों को लेकर अपने काले महल पहुचा ,उसे अब समझ आया था कि क्यों पूरे महल में एक ही कमरा बना हुवा है ,वहां पर उन पाताल की काली नागिनों के साथ महानाग ने उन असंख्य नागिनों की कामतृप्ति करता रहा जो कितने हजार सालो से प्यासी थी ,महानाग को एक बात याद आ रही थी जब वो अपने शरीर मे उस काली मनी के साथ लौटा था ,तब उस मनी ने कहा था ,अब तक तुमने सम्भोग किया ही नही था ,लेकिन आज के बाद तुम सही में संभोग करोगे और तुम्हारी प्यास बुझेगी नही बढ़ती ही रहेगी ,हर पल हर वक्त ,।
 

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