तुम नहीं सुधरोगीे,,,,,, (इतना कहकर वह खेतो की तरफ कदम बढ़ाने लगी और उसके पीछे पीछे चहकते हुए मंजू भी जाने लगी,, मंजू उससे बस एक कदम की दूरी पर चल रही थी कि उसका हाथ पकड़कर उसे रोकते हुए बोली। )
रुको तो सही मंगल,,, तुम्हें तो ना जाने कौनसी जल्दी पड़ी रहती है,,,, खेतो में जाने के लिए,,,,,,
अरे मंजू समय हो गया है कुछ ही मिनटों में बिजली आ जाएगी फसल को पानी भी देना हे।
यार तुम्हे तो बस गांड मटकाने का बहाना चाहीए ।
क्या मंजू तुम भी ना शुरू हो जाती हो तो चुप रहने का नाम ही नहीं लेती।,,,,,
यार जो सच है वही कह रही हूं झूठ नहीं कह रही,,,, तुमको शायद इस बात का अंदाजा भी नहीं है कि जब चलती हो तो न जाने कितनों पर अपनी यह मदमस्त गांड का ( हाथ से मंजू की गांड की तरफ इशारा करते हुए) कहर ढाते हुए चलती हो।
मन,,,,,, जू,,,,,,,, चुप भी करो किसी ने अगर सुन लिया तो तुम्हारे साथ साथ मैं भी बदनाम हो जाऊंगी।
अरे छोड़ो भी यार कुछ नहीं होगा,,,,,,,,, सच में यार तुम्हारी मटकती हुई बड़ी-बड़ी गांड देखकर तो मेरे मुंह से सिसकारी निकल जाती है।,,,,, ( मंजू की बातें सुनकर मंगल आंखें तरेर कर उसकी तरह बनावटी गुस्सा दिखाते हुए देखने लगी।)
सच यार मंगल मुझे तो बिल्कुल भी यकीन नहीं होता कि इस उम्र में भी तुम्हारी गांड का कसाव जवानी के दिनों वाला है। तुम्हें जब भी चलते हुए देखती हूं तो सबसे पहले मेरी नजर तुम्हारी मटकती हुई गांड पर ही जाती है। तुम इतना टाइट साड़ी कमर के नीचे से बांधती हो कि तुम्हारी नितंबों का एक-एक उभार साफ-साफ नजर आता है।
अरे मंजू,,,,,,,,,,,
सुनो तो सही यार मंगल तुम भी हो की,,,,,,,,, मैं सच कह रही हूं कोई मजाक नहीं कर रही,,,,, तुम्हारी बात ही कुछ अलग है। मेरी भी मस्त है लेकिन तुमसे थोड़ी कम ही है इसलिए तो तुम्हारे नितंबों को देख कर मुझे तुमसे जलन होती है।
( मंजू की बात सुनकर मंगल हंसने लगी और हंसते हुए बोली।)
जलन,,,,,,,,,, किस बात की जलन!
अरे यार पूरी खूबसूरती का खजाना हो और कहती हो किस बात की जलन,,,,,, तुम्हारे रूप लावण्य ओर अंगों का उभार कटाव देखकर तो हर औरत तुमसे जलती होगी।( मंगल उसकी बातें सुनकर मंद मंद मन में ही मुस्कुरा रही थी।)
यार मंगल कसम से अगर मेरे पास तुम्हारी जैसी बड़ी बड़ी चूचियां और यह बडी़े-बडी़े गोल-गोल गांड होती तो मैं तो जिस पर जाहती उस पर कहार बरसाती।,,,,,
बस करो मंजू अब समय हो गया है हमें चलना चाहिए।( इतना कहकर मंगल चलने लगी और उसके पीछे-पीछे मंजू भी चलने लगी लेकिन वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रही थी।)
मंगल सच कह रही हो भाई साहब तुम्हारे रूप तुम्हारे खुबसुरत बदन को देख कर दो दीवाने ही हो जाते होंगे और तो और रोज तुम्हारी जमकर लेते होंगे।
बस यार मंजू कितना बकबक करती हो बस अब कुछ नहीं मुझे खेतो में बहोत काम हे।
ठीक है कुछ नहीं बोलूंगी लेकिन बाद में मिलते हैं ठीक है ना,,,,,,( इतना कहकर मंगल अपने खेतो की तरफ जाने लगी और मंजू अपने खेतो की तरफ,,,, चलते-चलते मंगल को मंजू के द्वारा कही गई सारी बातें याद आने लगी और मन ही मन वह खुश होकर मुस्कुराने लगी भले ही मंगल उपर से एसी बातो को नापसंद करने का ढोंग करती हो लेकिन अंदर ही अंदर मंजू की कही गई एक एक बात से वह बेहद प्रसन्न होती थी। यही सब बातें वह अपने पति के मुंह से सुनने के लिए तरस जाती थी। जो बातें बिलास को कहनी चाहिए थी वह सारी बातें मंजू कहती थी। लेकिन मंगल को भी यह बात बड़ी अजीब लगती थी कि यही सारे बाते अगर कोई मर्द करता था तो उसे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था और वह अंदर ही अंदर घबराहट महसूस करती थी, लेकिन यही सब बातें मंजू के मुंह से बड़ी अच्छी लगती थी। उसके बदन के एक-एक अंग का तारीफ जिस तरह से रत्ना करती थी उसे सुनकर मंजू के बदन में झनझनाहट सी होने लगती थी। मंजू के लिए भी एक तरह से यह बड़ी फक्र वाली बात थी, क्योंकि अगर किसी औरत की तारीफ एक मर्द करता है तो वह अलग बात होती है,,,,, क्योंकि मर्द अपने फायदे के लिए ही औरत की तारीफ करता है,,,, उसी औरत से जब अपने मतलब की कोई चीज चाहिए रहती है तभी वह औरत की तारीफ करता है। लेकिन एक औरत जब किसी औरत की तारीफ करें तो जरुर उस औरत ने कोई न कोई बात जरुर होती है जो दूसरी औरतों को भी आकर्षित करती है। इसलिए वह रत्ना की बातें सुनकर हमेशा प्रसन्नता से गदगद हो जाया करती थी। लेकिन इस बात को कभी भी वह रत्ना पर जाहिर होने नहीं दी। रत्ना के सामने वह हमेशा ऐसा ही बर्ताव करती थी की उसे उसकी बातें बिल्कुल भी पसंद नहीं होती हैं। तभी चलते चलते उसे गांड मटकाने वाली बात याद आ गई और वह ना चाहते हुए भी अपनी नजरें पीछे घुमाके अपनी गांड की तरफ देखने लगे कि क्या वाकई में चलते समय उसकी गांड ज्यादा मटकती है। नजरें घुमा कर भी वहां अपनी मटकती हुई गांड के उतार-चढ़ाव को देखकर फैसला नहीं कर पाई।
मंगल खेतो में जा रही तब उसे किसी के फुसफुसाहट की आवाज सुनकर कोतूहल वश वह रुक कर पर आवाज को सुनने लगी।वहा खेती में पेड़ के पीछे औरते की बातचीत की आवाज को सुनकर मंगल हैरान हो गई उसे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा था कि गांव की औरते इस तरह की बातें कर सकती हैं। ओरते मंगल के बारे में ही अपनी अपनी राय दे रही थी।
मंगल कितनी खूबसूरत है मैंने आज तक ऊन जैसी खूबसूरत औरत कभी भी नहीं देखी,,,,,
हां तू बिल्कुल सच कह रही है। भगवान ने उन्हें बड़ी फुर्सत से बनाया है । लगता है कि पानी से नहीं दूध से नहाती है तभी तो इतनी ज्यादा गोरी है,,,
( तभी तीसरी औरत की आवाज आई,,,,)
तूने उनकी चूचियां देखी है,,,,,,,, चुचीयां,,,,,,,,, कितनी बड़ी-बड़ी है,,,,,
( तभी बीच में दूसरी औरत बोली)
मुझे तो लगता है कि मंगल अपनी चुचियों के साइज से कम साइज की ब्रा और ब्लाउज पहनती है,,,,,, तभी तो देख उनकी चुचियों के बीच की लकीर कितनी लंबी नजर आती है,,,,,,
( तभी उनमें से एक औरत बात को बीच में काटते हुए बोली,,,,,)
नहीं ऐसा नहीं है उनकी चूचियां है ही इतनी बड़ी-बड़ी के ब्लाउज में ही नहीं समा पाती,,, इसलिए तो उनकी छातीयां ऐसी लगती है जैसे कि कोई विशाल पर्वत हो,,,,,, उनकी चूचियां देख कर तो ऐसा ही लगता है कि उसके पति रोज दबा दबा कर और घंटों मुंह में भर कर पीते होंगे तभी तो इतनी मस्त गोल-गोल और बड़ी है,,, और सबसे खास बात तो यह कि इस उम्र में भी उनकी चुचियो का कसाव बरकरार है,,, वर्ना ईस उम्र में तो ढीली पड़ जाती है और लटकने लगती है
( तभी उनमें से एक औरत बोली,,,,)
काश भगवान ने मेरी भी चुचीयां इतनी बड़ी-बड़ी बनाई होती तो कितना मजा आ जाता है,,,,,,
( एक औरत दूसरी औरत की बीच में चुटकी लेते हुए बोली,,,,,)
चिंता मत कर तेरी चूचियां भी बड़ी बड़ी हो जाएंगी जब तेरा पति ईसे दबा दबा कर पिएगा,,,,,,
मेरा पति इसे दबाता भी नही २ मिनट में झड़ जाता ही। अब इन छोटे-छोटे चीकू से बिल्कुल भी मजा नहीं आ रहा है,,,,
( अब दूसरी औरत उसके इस बात पर चुटकी लेते हुए बोली।)
मेरी जान तब तक मेरे पति को ही बोल दे वह खूब दबा दबा कर पीएगा कुछ दिनो में ही तेरे चीकू खरबूजे हो जाएंगे,,,,,
( उसकी बात पर सारी औरते खिलखिलाकर हंस दी,, और पेड़ के पीछे खड़ी मंगल उन औरतों की बात सुनकर पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी उसे तो कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें,,, ओरतो भी इतनी गरम और गंदी बातें कर सकती है आज पहली बार वह अपने कानों से सुन कर ही उस बात पर भरोसा कर पाई थी,,,,, मंगल उन ओरातो की बात सुनकर गनंगना गई थी,,,, मंगल को उड़ती की बातें सुन कर रहा नहीं गया और उसने एक नजर अपनी छातियों पर फिरा दी,,,,, लेकिन इस पर भी मंगल को कुछ समझ नहीं आ रहा था की वह उन औरतों की बात सुनकर हैरान हो या उन औरतों के द्वारा की गई तारीफ सुनकर प्रसन्न हो,,,,,, वह कुछ समझ पाती उससे पहले ही कुछ देर से खामोश बैठी औरत बोली,,, जिसकी बातें सुनकर मंगल पूरी तरह से दंग और स्तब्ध रह गई
यार तुम लोग तो मंगल की चुचियों के पीछे पड़े हो असली खूबसूरती की तरफ तो तुम लोगों का ध्यान ही नहीं जाता,,,,,
(सभी औरते एक साथ बोली,,,)
कौन सी असली खूबसूरती,,,,,,,
मंगल जी की गांड,,,,,,, ( गर्म आहें भरते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में वह लड़की बोली,,,,,)
गांड,,,,,,, ( एक साथ सभी औरतों के मुंह से निकला)
हां गांड,,,,,, कसम से यार उनकी बड़ी-बड़ी भरावदार गांड पर जब भी मेरी नजर जाती है तो ना जाने मुझे क्या होने लगता है,,,,, एक अजब सी ख़ुमारी मेरे अंदर अपना असर दिखाने लगती है और मैं मंत्रमुग्ध सी बस मैडम की भरावदार नितंबों को ही घुरती रहती हूं
( तभी दूसरी औरत उसके सुर में सुर मिलाते हुए बोली,,,)
हां तू बिल्कुल सच कह रही है मैं भी जब भी मंगल की गांड देखती हूं तो मुझे भी अजीब सा नशा छाने लगता है जी करता है कि बस उनकी गांड को देखते ही जाऊं,,,,,,
( बारी-बारी से सभी औरते ने मंगल की गांड की तारीफ में अपना मत व्यक्त करने लगे)
हां यार सच है, मंगल की गांड देख करके हम ओरतो की हालत खराब हो जाती तो सोचो मर्दों का तो लंड ही खड़ा हो जाता होगा,,,,,,,